Police Files, Chandigarh – 18 June

‘Purnoor’ Korel, CHANDIGARH – 18.06.2021

MV Theft

          Rahul Talwar R/o # 146, Amrawati Enclave, Panchkula (HR) reported that unknown person stole away complainant’s Mahindra Pick Up No HR-68-5620 which was parked near Govindpura park, Mani Majra, Chandigarh on the night intervening 13/14-06-2021. A case FIR No. 113, U/S 379 IPC has been registered in PS-MM, Chandigarh. Investigation of the case is in progress. 

 Robbery

A case FIR No. 83, U/S 392, 34 IPC has been registered in PS-11, Chandigarh on the complaint of Akash R/o # 2034, Dadu Majra Colony, Chandigarh who reported that Leelu R/O Dainik Bhaskar Colony, Sector-25, Chandigarh and others robbed away cash Rs 2000/- from complainant near Cremation ground sector-25, Chandigarh on 17.06.2021. Investigation of the case is in progress.

Theft

Navneet Kumar Paruti R/O # 208/B, Sector 51-A, Chandigarh reported that unknown person stole away jewellery weighing approx. 25-30 grams (tops, ear rings, chain and rings) and cash Rs. 25000/- from complainant’s residence after breaking the door lock on 16.06.2021. A case FIR No. 45, U/S 380, 457 IPC has been registered in PS-49, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Hori Lal R/o # 2848, Sector-56, Chandigarh, reported that unknown person stole away one led 15’’ black colour make G Neter with mouse, Aadhar card and three pot with artificial flower after broken the lock of complainant’s residence on 15-06-2021. A case FIR No. 85, U/S 380, 457 IPC added 411 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Later Vishal @ Chundi R/o # 6515/C, sector-56 Chandigarh was arrested in this case. Investigation of the case is in progress.

Fateh Chand R/o # 2424, PH-2, Ram Darbar, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s E-Rickshaw No. CH-01TE-0245 parked near IDBI Bank, Deep Complex, Hallo Majra, Chandigarh on 11-06-2021. A case FIR No. 80, U/S 379 IPC has been registered in PS-31, Chandigarh. Investigation of the case is in progress. 

One arrested under Arms act

Crime Branch of Chandigarh Police arrested Gaurav R/o 230, Vill. Dadumajra, Chandigarh (age 19 years) and recovered one country made pistol (desi katta) and live cartridge from his possession near Ram Leela ground, Dadumajra, Chandigarh on 17.06.2021. A case FIR No. 78, U/S 25-54-59 Arms Act has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Accident

A case FIR No. 155, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh on the complaint of Gurwinder Singh R/o # 12, Vill. Husainpur Distt. Mohali (PB) against unknown driver of car who hit to Complainant and his father, while they were on M/cycle No. HR-2021(TR)-6209 near sector-55/40 dividing road Chandigarh on 16-06-2021. Complainant father namely Harbhajan singh got injured and admitted in GMCH-32. Later he expired there. Investigation of the case is in progress.

खट्टर सरकार पिछले लगभग 6 साल और 8 महीने के अपने कार्यकाल में प्रत्येक क्षेत्र में फेल रही है : चन्द्र मोहन

पंचकूला 18 जून:

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने  मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सरकार के  दूसरे कार्यकाल के  600 दिन पूरे होने पर आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह आंकड़ेबाजी की जादूगरी अपनी सरकार की अकर्मण्यता और असफलताओं को छिपाने के उद्देश्य से की जा रही है। जबकि नियम यह है कि सरकार की सालगिरह पूरा होने पर  तो इस तरह का आयोजन करना तो उचित है लेकिन, 600 दिन पूरा करने पर  आयोजन करना कहां तक उचित और तर्क संगत है। यह समझ से बिल्कुल ही परे है। जहां तक दिन की बात है वह तो हर रोज ही बढ़ता रहता है।

                       ‌            चन्द्र मोहन ने कहा कि खट्टर सरकार पिछले लगभग 6 साल और 8 महीने के अपने कार्यकाल में प्रत्येक क्षेत्र में फेल रही है। इस सरकार की एक भी ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिस पर हरियाणा प्रदेश के लोग गर्व कर सकें। हरियाणा प्रदेश को बेरोजगारी के गर्त में धकेलने के साथ साथ यहां अपराधियों के हौसले भी पूरी तरह से बुलंद हैं। प्रदेश को  क़र्ज़ में डूबोने वाली सरकार की उपलब्धियां नगण्य हैं।

                               ‌    उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि इसने प्रदेश को देश में  बेरोजगारी के मामले में नम्बर वन बना दिया है। इसके साथ ही खट्टर सरकार ने प्रदेश के लोगों को कर्ज के गर्त में डूबोने के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2014 में 70 हजार का कर्ज प्रदेश के लोगों पर छोड़ा था और यह कर्ज, हरियाणा बनने के 48 साल में सत्ता छोड़ते समय भाजपा सरकार को सौंपा था। वह भी उसके बाद, जिस समय हरियाणा ने अनेक क्षेत्रों में नए नए कीर्तिमान स्थापित किए थे।

                    ‌                        चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार का कर्ज  भाजपा के 7 सालों के शासनकाल में बढ़कर तीन गुना तक पहुंच गया है और आज प्रदेश पर  2 लाख  करोड़  से अधिक का कर्ज है। भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण ही  इतना कर्ज बढ़ा है। इस सरकार में जम कर लूट मचाई गई है। उदाहरण के तौर पर पानीपत, गुड़गांव और हिसार में अस्थाई कोविड अस्पताल 28 करोड़ प्रति अस्पताल की दर से   84 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित किए गए थे और आज मुख्यमंत्री कहते हैं कि अगर 6 महीने में तीसरी लहर नहीं आई तो हिसार और पानीपत के अस्थाई कोविड अस्पताल खत्म कर दिए जायेंगे। क्योंकि वहां पर एक भी मरीज नहीं है। यह आलम है सरकार के कुप्रबंधन का,जिसके कारण पैसे की बर्बादी हो रही है।

             ‌                          चन्द्र मोहन ने सवाल किया कि पेट की आग तो खाना खाने से ही शान्त होगी भाषण बाजी और लिफाफे बाज़ी से नहीं। मुख्यमंत्री आज 12 लाख असंगठित श्रमिक परिवारों को 5 हजार रुपए देने की बात करते हैं तो उन्हें इनकी याद तब क्यों नहीं आई जिस समय वह काम बंद होने की वजह से अपने खून के आंसू पीकर तिल-तिल कर मरने के लिए मजबूर हो कर पलायन कर रहे थे।

            ‌     ‌                    चन्द्र मोहन ने कहा कि प्रदेश के लोगों को सोसेबाजी के नाम पर गुमराह करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में दिए गए बयान को भी भ्रमित करने वाला बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, अगर इन्हें लागू किया जाएगा ,तभी पता लगेगा कि इनमें क्या परेशानी है। इसका उत्तर देते हुए चन्द्र मोहन ने कहा कि  मुख्यमंत्री केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए ही ऐसा ब्यान दे रहे हैं। उनको मालूम होना चाहिए कि किसान कारपोरेट घरानों से अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं और इस संघर्ष में अभी तक 500 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।             ‌ 

                      उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के लिए बेहतर यह होगा वह आंकड़ों की बाजीगरी छोड़ कर प्रदेश में रसातल में पहुंच चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने, कानून और व्यवस्था को सुदृढ करने के साथ साथ प्रदेश से बेरोजगारी के दंश को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए अन्यथा इस प्रकार से प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रदेश के लोगों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है।                                  ‌*

Panchang

पंचांग, 18 जून 2021

Dhumavati Jayanti 2021: आज 18 जून को है मां धूमावती जयंती, साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है मां का सर्वोत्तम भोग मीठी रोटी, घी के द्वारा होम करने से प्राणियों के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।

श्रीनगर से 24 किलोमीटर दूर कश्मीर घाटी में स्थित खीर भवानी मंदिर हिंदू देवी रगन्या को समर्पित है। क्षीरभवानी माता, को शामा नाम से भी जाना जाता था। दंतकथाओं के अनुसार माता रगन्या पहले श्रीलंका में विराजमान थीं, लेकिन रावण के शासनकाल के दौरान वे श्रीलंका से कश्मीर आ गईं। ऐसा कहा जाता है कि वैष्णवी प्रवृत्ति होने के चलते माता रगन्या राक्षसों के तौर-तरीकों और उनकी गलत कर्मों से नाराज़ हो गईं। रावण के पाप का घड़ा जब भर गया तो भगवान श्रीराम का आगमन वहां हुआ और उन्होंने रावण का वध कर दिया। 

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः ज्येष्ठ, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः अष्टमी रात्रि 08.40 तक है। 

वारः शुक्रवार, 

नक्षत्रः उत्तराफल्गुनी रात्रि 09.37 तक हैं, 

योगः व्यातिपात रात्रि काल 02.46 तक, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः मिथुन, 

चंद्र राशिः कन्या, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.27, 

सूर्यास्तः 07.17 बजे।

नोटः आज श्री धूमावती जयन्ती तथा मेला क्षीर भवानी (काश्मीर)

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

धार्मिक ही नहीं सामाजिक महत्व भी रखता है माता खीर भवानी का मेला

कश्मीर में आतंक का साया होने के बाद भी हर साल हज़ारों की संख्या में देश और दुनिया में बसे कश्मीरी पंडित मेले में शामिल होने के लिए आते हैं। इस यात्रा के लिए सरकार की तरफ से भी यात्रियों की सुविधा के लिए पर्याप्त इंतज़ाम किए जाते हैं और उन्हें हरसंभव सहायता दी जाती है। लेकिन दुर्भाग्य से लोग इस साल मेले का आनंद नहीं ले पाएंगे। क्षीर भवानी माता के लिए लोगों की आस्था के कारण आज क्षीर भवानी मेले में न सिर्फ कश्मीरी पंडित बल्कि अन्य राज्य के लोग भी भाग लेते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता क्षीर भवानी कौन थी और आखिर मंदिर में मौजूद कुंड कैसे अपना रंग बदल लेता है? अगर नहीं जानते तो आज इस लेख में आपको क्षीर भवानी के विषय में पूरी जानकारी दी जाएगी। उम्मीद करते हैं कि इस लेख में चमत्कारी क्षीर भवानी मंदिर और मेले के बारे में बताई गयी बातों को पढ़ने के बाद मेले के आयोजित न होने की निराशा में थोड़ी कमी आएगी

धर्म/संस्कृति डेस्क, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम – चंडीगढ़ :

कौन हैं माता क्षीरभवानी? 

श्रीनगर से 24 किलोमीटर दूर कश्मीर घाटी में स्थित खीर भवानी मंदिर हिंदू देवी रगन्या को समर्पित है। क्षीरभवानी माता, को शामा नाम से भी जाना जाता था। दंतकथाओं के अनुसार माता रगन्या पहले श्रीलंका में विराजमान थीं, लेकिन रावण के शासनकाल के दौरान वे श्रीलंका से कश्मीर आ गईं। ऐसा कहा जाता है कि वैष्णवी प्रवृत्ति होने के चलते माता रगन्या राक्षसों के तौर-तरीकों और उनकी गलत कर्मों से नाराज़ हो गईं। रावण के पाप का घड़ा जब भर गया तो भगवान श्रीराम का आगमन वहां हुआ और उन्होंने रावण का वध कर दिया। 

रावण की मृत्यु के बाद श्रीराम ने हनुमानजी को आदेश दिया कि वे मां को उनके मनचाहे स्थान पर छोड़ आएं। माता क्षीर भवानी ने सतीसर (कश्मीर भूमि) जाने की इच्छा ज़ाहिर की। तब देवी रगन्या की आज्ञा का पालन करते हुए हनुमानजी उन्हें 360 नागों के साथ श्रीनगर ले आए। कश्मीर में गंदरबल जिले के तुलमुला क्षेत्र में माता क्षीरभवानी का प्रमुख मंदिर स्थापित है, जिसकी स्थापना महाराजा प्रताप सिंह ने की थी। इस मंदिर में पानी का एक कुंड भी है, जिसे चमत्कारिक माना जाता है। 

हज़ारों दीये और विशेष खीर से होती है माँ की पूजा 

क्षीरभवानी मेले के समय क्षीर भवानी मंदिर में माहौल भक्तिमय बना रहता है। माता के मंदिर में सुबह और शाम दो समय आरती का आयोजन होता है, जिसमें एक साथ हजारों दीये जलाये जाते हैं। एक साथ इतने सारे दीयों को जलना लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र रहता है। सूरज की पहली किरण के साथ ही मंदिर में भक्तों का पहुँचना शुरू हो जाता है। 

पूजा के दौरान मां का श्रृंगार कर विभिन्न किस्म का भोग लगाया जाता है। प्रसाद के रूप में ड्राई फ्रूट, कंड(शूगर कैंडी से बना)दूध और विशेष रूप से खीर चढ़ाई जाती है। मंदिरों में फूलों से विशेष सजावट की जाती है। मेले के दौरान सड़क से लेकर मंदिर परिसर तक दर्जनों स्टाल लगाए जाते हैं। ये स्टाल वहां के स्थानीय लोग लगाते हैं। क्षीर भवानी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा भजन कीर्तन भी किया जाता है। इस साल मेला नहीं लगने से वहां के कई स्थानीय लोग, जो मेले के आसपास दुकानें लगाते थे और जिनकी कमाई में इससे बढ़ोतरी होती थी, वो लोग मुश्किल मे आ जाएंगे।

भविष्‍यवाणी करता है क्षीरभवानी मंदिर का कुंड 

श्रीनगर से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माता क्षीरभवानी मंदिर में एक रहस्य्मयी पानी का कुंड भी है। इस कुंड के विषय में यह कहा जाता है कि दुनिया में जब भी कोई आपदा आने  वाली होती है, तो इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार माता आज भी इस जलकुंड में वास करती हैं। कश्मीरी पंडित लोगों का कहना है कि 90 के दशक में जब कश्मीर में हालात खराब हो गए थे, तो उस समय इस जल कुंड का रंग एकदम काला हो गया था, जो कि बुरे समय का प्रतीक है। हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अष्टमी में होने वाले पूजा से पहले इस कुंड में वहाँ के पुरोहित दूध और खीर डालते हैं। इस खीर से कुंड का पानी रंग बदल जाता है। इस कुंड और मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।  

 मां क्षीर भवानी का मेला सिर्फ मेला न होकर मिलन स्थली है, अपनी जड़ों से जुड़ने, अपनी साझा विरासत को फिर से मजबूत बनाने का जरिया है। कई लोगों के लिए यह मेला उनके घर में चूल्हा जलाने का जरिया है। कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस बार यह मेला रद्द कर दिया गया है। इससे कश्मीर के कई लोग मायूस भी हैं क्योंकि इस बार उन्हें अपने पुराने दोस्तों, पड़ोसियों से मिलने का मौका नहीं मिलेगा। इस साल यह मेला 18 जून को है।

ज्येष्ठ अष्टमी के दिन माता क्षीर भवानी की वार्षिक पूजा होती है। आतंकवाद के कारण जब कश्मीरी पंडितों को वादी में सामूहिक पलायन करना पड़ा तो करीब तीन वर्ष तक मेले में लोगों की संख्या नाममात्र रही, लेकिन बाद में यह मेला फिर परवान चढ़ने लगा। बीते 30 सालों में यह मेला सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं रह गया बल्कि यह एक मिलन स्थली बन चुका है। देश-विदेश में बसे कश्मीरी पंडित ही नहीं, वादी के कई मुस्लिम परिवार भी तुलमुला गांदरबल में इस मेले का इंतजार करते हैं।

कश्मीरी हिन्दू वेलफेयर सोसाइटी के सचिव चुन्नी लाल ने कहा कि परिस्थितियां ही कुछ ऐसी हैं कि मेला स्थगित हुआ है। वर्ष 1991-92 के दौरान भी यहां मेला नहीं लगा था। हमारे कई रिश्तेदार जो यहां से चले गए हैं, वह इसी मेले में भाग लेने के लिए आते हैं। मेले के दौरान ही हमारा मिलना-जुलना होता है।

लॉकडाउन खुलते ही कश्मीर बुलाया

जम्मू में रहने वाले दीपक जी कौल ने कहा कि माता क्षीर भवानी का मेला हमारे लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका देता है। वर्ष 1996 के बाद से अपने पूरे परिवार के साथ तुलमुला जाता हूं। हमारे बच्चों को हमारी सभ्यता और संस्कृति का पता होना चाहिए, इसलिए उन्हें भी लेकर जाता हूं। नटीपोरा में हमारे एक पड़ोसी सुभान साहब अपने बेटे के साथ मेले में हमारा इंतजार करते हैं। इस बार नहीं जा रहे हैं। गत रविवार को ही उनसे फोन पर बात की है। उन्होंने मुझसे वादा लिया है कि लॉकडाउन खुलते ही मैं कश्मीर में पहुंच जाऊं।

स्थानीय लोगों को रोजगार भी देता है मेला

माता क्षीर भवानी का मेला स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सहयोग करता है। माता राघेन्या की पूजा के लिए श्रद्धालु जो थाली लेकर जाते हैं, उसमें दीया और दूध स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। मेले के दौरान मंदिर में ही पूजा के लिए लगभग आठ हजार लीटर दूध चढ़ाया जाता है। करीब सवा लाख दीये आरती में इस्तेमाल होते हैं। यह सभी दीये स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए जाते हैं। प्रत्येक दीये की कीमत उसके आकार के मुताबिक पांच रुपये से 50 रुपये तक होती है। खाने-पीने की सामग्री के स्टॉल भी खूब सजते हैं।

श्रीनगर के करालयार इलाके के रहने वाले सज्जाद अहमद ने कहा कि मेले में अगर 25 हजार श्रद्धालु आते हैं और औसतन एक श्रद्धालु पांच दीये खरीदे तो यह संख्या सवा लाख होगी। कई श्रद्धालु एक तो कई श्रद्धालु 11 दिए भी लेते हैं। इस बार अगर मेला नहीं होगा तो कई कुम्हार मुश्किल मे आ जाएंगे और उनमें एक मैं भी हूं।

माँ धूमवाती जयंती

आज 18 जून को है मां धूमावती जयंती, साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है मां का सर्वोत्तम भोग मीठी रोटी, घी के द्वारा होम करने से प्राणियों के सभी संकट समाप्त हो जाते हैं।

धर्म/संस्कृति डेस्क, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम – चंडीगढ़ :

मां धूमावती का प्रकटोत्सव ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को है। अग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जयंती 18 जून 2021 शुक्रवार को मनाई जाएगी। माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं। आओ जानते हैं इनके प्रकटोत्सव की कथा और पूजा पर्व का शुभ मुहूर्त।

मां धूमावती के प्राकट्य से संबंधित कथाएं अनूठी हैं। पहली कहानी तो यह है कि जब सती ने पिता के यज्ञ में स्वेच्छा से स्वयं को जला कर भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म हुआ। इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं। यानी धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप है। सती का जो कुछ बचा रहा- उदास धुआं।

दूसरी कहानी यह है कि एक बार सती शिव के साथ हिमालय में विचरण कर रही थी। तभी उन्हें ज़ोरों की भूख लगी। उन्होंने शिव से कहा-‘मुझे भूख लगी है’ मेरे लिए भोजन का प्रबंध करें’ शिव ने कहा-‘अभी कोई प्रबंध नहीं हो सकता’ तब सती ने कहा-‘ठीक है, मैं तुम्हें ही खा जाती हूं। और वे शिव को ही निगल गईं। शिव तो स्वयं इस जगत के सर्जक हैं, परिपालक हैं। ले‍किन देवी की लीला में वे भी शामिल हो गए।

भगवान शिव ने उनसे अनुरोध किया कि ‘मुझे बाहर निकालो’, तो उन्होंने उगल कर उन्हें बाहर निकाल दिया… निकालने के बाद शिव ने उन्हें शाप दिया कि ‘ आज और अभी से तुम विधवा रूप में रहोगी….

तभी से वे विधवा हैं। पुराणों में अभिशप्त, परित्यक्त, भूख लगना और पति को निगल जाना ये सब सांकेतिक प्रकरण हैं। यह इंसान की कामनाओं का प्रतीक है, जो कभी ख़त्म नहीं होती और इसलिए वह हमेशा असंतुष्ट रहता है। मां धूमावती उन कामनाओं को खा जाने यानी नष्ट करने की ओर इशारा करती हैं।विशेष : कुछ लोगों का मानना है गृहस्थ लोगों को देवी की साधना नहीं करनी चाहिए।

इन महाविद्या का स्थायी आह्वाहन नहीं होता अर्थात इन्हे लंबे समय तक घर में स्थापित या विराजमान होने की कामना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये दुःख, क्लेश और दरिद्रता की देवी हैं। जप शुरू करने से पहले आवाहन करें और ख़त्म होने पर विसर्जन कर दें।

कौन है माता धूमावती : माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं। कहते हैं कि धूमावती का कोई स्वामी नहीं है। इसलिए यह विधवा माता मानी गई है। मां धूमावती महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं। ऋग्वेद में रात्रिसूक्त में इन्हें ‘सुतरा’ कहा गया है। अर्थात ये सुखपूर्वक तारने योग्य हैं।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऋषि दुर्वासा, भृगु और परशुराम आदि की मूल शक्ति धूमावती है। सृष्टि कलह की देवी होने के कारण इन्हें कलहप्रिय भी कहा जाता है। देवी का मुख्य अस्त्र है सूप जिसमें ये समस्त विश्व को समेट कर महाप्रलय कर देती हैं। इन्हें अभाव और संकट को दूर करने वाली मां कहा गया है। चतुर्मास देवी का प्रमुख समय होता है जबकि इनकी साधना की जाती है। इनकी साधना से जीवन में निडरता और निश्चिंतता आती है। इनकी साधना या प्रार्थना से आत्मबल का विकास होता है। इस महाविद्या के फल से देवी धूमावती सूकरी के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर साधक के सभी रोग अरिष्ट और शत्रुओं का नाश कर देती है। प्रबल महाप्रतापी तथा सिद्ध पुरूष के रूप में उस साधक की ख्याति हो जाती है।इस महाविद्या की सिद्धि के लिए तिल मिश्रित घी से होम किया जाता है। धूमावती महाविद्या के लिए यह भी जरूरी है कि व्यक्ति सात्विक और नियम संयम और सत्यनिष्ठा को पालन करने वाला लोभ-लालच से दूर रहें। शराब और मांस को छूए तक नहीं। साधना करने से पहले नियम जरूर जान लें। सुहागन महिलाओं को इनकी पूजा नहीं करना चाहिए।
धूमावती का मंत्र : मोती की माला से नौ माला ‘ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:’ या ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।। धूं धूं धूमावती ठ: ठ:। मंत्र का जाप कर सकते हैं। जप के नियम किसी जानकार से पूछें।