देश के अंतिम छोर बाड़मेर-जैसलमेर जिले में भारत-पाक बॉर्डर पर रेगिस्तानी धोरों में जहां फौज के टैंक भी चढ़ना मुश्किल होते थे, वहां अब 550 किमी लंबा हाइवे बना दिया गया है। रेतीले धोरों को काटकर टू लेन हाइवे बनाया गया है। सालों से इस बॉर्डर इलाके के गांवों में 6 माह तक गांवों का संपर्क टूटा रहता था, वे अब टू लेन हाइवे से जुड़े हुए है।गर्मियों की शुरूआत के साथ ही यहां 50-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धूलभरी आंधियां चलती है, इससे गांवों के कच्चे रास्ते भी रेत से पट कर बंद हो जाते थे।
अजय नारायण शर्मा ‘अज्ञानी, अंबाला :
किसी देश की की आधारभूत संरचना की मजबूती से पता चलता है कि कोई देश असल में कितना मजबूत है। भारत सबसे ज्यादा ध्यान इसी आधारभूत संचरना पर दे रहा है। हम सब जानते हैं, राष्ट्रीय राजमार्ग, आधारभूत संचरना के महत्वपूर्ण अवयव होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इस क्षेत्र में चमत्कारिक गति से काम करते हुए शानदार प्रगति की है। इस दौरान एक दिन में सबसे अधिक सड़क बनाने का रेकॉर्ड भी भारत ने अपने नाम दर्ज किया। बिना कुछ कहे ये रेकॉर्ड ही अपने आप में सब कुछ बखान कर देता है।
चमचमाता हाइवे हो चुका है तैयार
भारत में 200 से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जो पूरे देश को इस कोने से उस कोने तक जोड़े हुए हैं। उन्हीं में से एक है ‘भारतमाला सड़क परियोजना’। दूसरे शब्दों में कहें तो यह परियोजना भारत में राजमार्ग विकास के क्षेत्र में नगीना है, जिसकी चमक से सम्पूर्ण भारत प्रकाशमय है। इसी प्रकाश का एक हिस्सा राजस्थान में चमक बिखेर रहा है। जी हां, भारतमाला परियोजना के तहत ही राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर में अब शानदार चमचमाता हुआ हाइवे, इस क्षेत्र की तरक्की के लिए दरवाजे खोले खड़ा है ।
लोगों को मिलेगी राहत
देश के अंतिम छोर बाड़मेर-जैसलमेर जिले में भारत-पाक बॉर्डर पर रेगिस्तानी धोरों में जहां फौज के टैंक भी चढ़ना मुश्किल होते थे, वहां अब 550 किमी. लंबा हाइवे बना दिया है। रेतीले धोरों को काटकर टू लेन हाइवे बना दिया है। सालों से इस बॉर्डर इलाके के गांवों में 6 माह तक गांवों का संपर्क टूटा रहता था, अब सभी गांव टू लेन हाइवे से जुड़े हुए हैं। गर्मियों की शुरुआत के साथ ही यहां 50-60 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से धूलभरी आंधियां चलती है, इससे गांवों के कच्चे रास्ते भी रेत से अट कर बंद हो जाते थे। अब रेतीले धोरों को कई जगह 50 फीट से भी ज्यादा ऊंचे काटकर कर हाइवे का निर्माण करवाया है। आंधी से रेत का कटाव शुरू होता है और बालू रेत हवा के साथ उड़कर स्थान बदलती है। इसी कारण सड़कें रेत से जाम हो जाती थीं,, लेकिन भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बाड़मेर के रामजी का गोल, खासर, रामसर, गडरारोड, मुनाबाव, सुंदरा होते हुए जैसलमेर के तनोट तक 550 किमी. लंबा टू लेन हाइवे बनाया है, जो इन सब बाधाओं को तुच्छ कर देगा। यहां हाइवे के आसपास के रेतीले धोरों को काटा गया है, ताकि रेत हाइवे पर नहीं आए। इतना ही नहीं रेत को रोकने के लिए हाइवे के किनारे दीवार तक बनाई गई है। करीब 4-5 जगह हवाई पट्टी की तरह बनाया गया है, जिस पर फाइटर प्लेन भी उतारे जा सकते हैं।
यह है भारतमाला प्रोजेक्ट
भारतमाला परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना है। इसके तहत नए राजमार्ग के अलावा उन परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा जो अब तक अधूरे हैं। सरकार के मुताबिक योजना के पूरा होने पर भारतमाला के तहत राजमार्ग की कुल लंबाई 51,000 किमी होगी। परियोजना पर काम गुजरात और राजस्थान से शुरू किया।
बढ़ेगी राष्ट्रीय राजमार्ग की कवरेज
इसके बाद पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड की बारी आएगी। फिर उत्तर प्रदेश और बिहार से होते हुए पूर्वोतर के राज्य और भारत-म्यांमार बॉर्डर तक सड़कें बनाई जाएंगी। पहले चरण में 550 जिले कवर होंगे। अभी सिर्फ 350 जिलों से एनएच गुजरते हैं।
34 जिलों में सड़कों में लेन बढ़ाई जाएगी, जबकि 35 शहरों में लॉजिस्टिक पार्क स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा 700 जगहों पर सड़क किनारे यात्री सुविधाओं का निर्माण होगा। इनमें से 180 का निर्माण दो वर्ष में करने का लक्ष्य है।
प्रमुख बिंदु:
अगस्त 2020 तक 12,413 किमी. की लंबाई वाली कुल 322 परियोजनाओं को भारतमाला योजना के तहत प्रारंभ किया गया है। इसके अलावा परियोजना के तहत अब तक 2921 किमी. राजमार्गों का निर्माण किया जा चुका है।
भारतमाला परियोजना का इतिहास
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017-18 से भारतमाला कार्यक्रम चलाया जा रहा है।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की महत्त्वाकांक्षी ‘भारतमाला परियोजना’ के प्रथम चरण के तहत 5,35,000 करोड़ रुपए की लागत से 34,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया जाएगा। इसके अंतर्गत आर्थिक कॉरिडोर, फीडर कॉरिडोर और इंटर कॉरिडोर, राष्ट्रीय कॉरिडोर, तटवर्ती सड़कें, बंदरगाह संपर्क सड़कें आदि का निर्माण किया जाएगा।
2022 में तक चलेगी परियोजना
इस कार्यक्रम की अवधि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक है। चरण-1 में कुल 34,800 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाना है, जिसमें शामिल हैं:
• 5,000 किलोमीटर राष्ट्रीय कॉरिडोर।
• 9,000 किलोमीटर आर्थिक कॉरिडोर।
• 6,000 किलोमीटर फीडर कॉरिडोर और इंटर कॉरिडोर।
• 2,000 किलोमीटर सीमावर्ती सड़कें।
• 2,000 किलोमीटर तटवर्ती सड़कें एवं बंदरगाह संपर्क सड़कें।
• 800 किलोमीटर हरित क्षेत्र एक्सप्रेस वे।
• 10,000 किलोमीटर अधूरे सड़क निर्माण कार्य।
इस परियोजना के तहत निर्माण कार्य करने वाली मुख्य एजेंसियाँ इस प्रकार हैं:
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग और औद्योगिक विकास निगम तथा लोक निर्माण विभाग इस परियोजना में काम करेंगे।
क्या फायदा होगा इन राजमार्गों से
• पूरे देश में सड़क संपर्क में सुधार होगा।
• आर्थिक गलियारों से कार्गो की त्वरित आवाजाही में होगी वृद्धि।
• अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
• निवेश में तेजी एवं रोजगार सृजन में वृद्धि होने की संभावना।
लेकिन भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बाड़मेर के रामजी का गोल, बाखासर, रामसर, गडरारोड, मुनाबाव, सुंदरा होते हुए जैसलमेर के तनोट तक 550 किमी लंबा टू लेन हाइवे बनाया गया है। यहां हाइवे के आसपास के रेतीले धोरों को काटा गया है, ताकि रेत हाइवे पर नहीं आए। इतना ही नहीं रेत को रोकने के लिए हाइवे के किनारे दीवार तक बनाई गई है। हाईवे को करीब 4-5 जगह हवाई पट्टी की तरह बनाया गया है, जिस पर फाइटर प्लेन भी उतारे जा सकते हैं।