विवादित ढांचा गिरने के मामले में अदालत ने साजिश से किया इनकार सभी आरोपी बरी

बाबरी विध्वंस मामले में आज फैसला आएगा. 6 दिसंबर 1992 को जो कुछ हुआ उस पर सीबीआई की विशेष अदालत फैसला सुनाने जा रही है. देशभर की नज़र होगी और इसलिए भी होगी क्योंकि देश के कई नामी नेता इस मुकदमे में फंसे हैं. पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, बीजेपी के सीनियर नेता विनय कटियार समेत कुल 32 आरोपी हैं जिन्हें आज की तारीख का इंतज़ार था. अदालत बताएगी कि बाबरी गिरी थी तो उसे साज़िशन ढहाया गया था या फिर वो कारसेवकों का गुस्सा भर था.सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास और कल्याण सिंह कोर्ट में हाज़िर नहीं हो रहे हैं. उमा भारती कोरोना संक्रमित हैं. महंत नृत्य गोपाल दास औ कल्याण सिंह कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हुए है.

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

माननीय अदालत ने माना कि घटना पूर्वनियोजित नहीं थी। यह पहले से सोचा समझा नहीं कहा जा सकता, यह स्वत: स्फूर्त था अत: सभी आरोपी बारी कर दिये गए हैं लेकिन पूरा फैसला पढ़ा जाना बाकी है। जो साक्ष्य सीबीआई द्वारा पेश किए गए वह पर्याप्त नहीं थे, इसीलिए आरोपियों को बारी किया जाता है।

बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी कहते हैं कि अब इस मुकदमे को समाप्त कर देना चाहिए. कोर्ट को चाहिए वह सभी को बरी कर दे. उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला मंदिर के हक में आ चुका है. इसीलिए अब इस मुकदमे को खत्म कर देना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर हिंदू-मुस्लिम सौहार्द को खतरा है.

हाथरस मामले में SIT गठित, 7 दिनों में देनी होगी रिपोर्ट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री से हाथरस कांड को लेकर वार्ता हुई है। उन्होंने कहा है कि दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए। इससे पहले उन्होंने एक और ट्वीट किया था, जिसमें मामले की जांच एसआईटी से कराने और प्रकरण के मुक़दमे को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि एसआईटी सात दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और त्वरित न्याय के लिए मुक़दमे को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए।

उ प्र (ब्यूरो):

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जाँच के लिए ‘स्पेशल टास्क फोर्स (SIT)’ का गठन किया है। प्रदेश के गृह सचिव भगवन स्वरूप की अध्यक्षता में SIT गठित की है। डीआईजी चंद्र प्रकाश और आईपीएस पूनम इस SIT के सदस्य होंगे। ये अपनी जाँच कर के रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपेगी। साथ ही इसके लिए समय-सीमा भी तय की गई है। 7 दिनों में SIT अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से PM मोदी ने भी इस मामले पर चर्चा की। PM मोदी ने इस मामले के दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। CM योगी ने त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए इस केस का मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का निर्देश दिया है।

हाथरस मामले में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि SIT समयबद्ध तरीके से 7 दिनों में घटना के तह तक जाए और पूरी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करे। इस घटना में संलिप्त चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से दोषियों को सज़ा सुनाने के निर्देश दिए हैं। हाथरस डीएम ने भी ये बात दोहराई है। दोषियों को जल्द से जल्द सज़ा दिलाने की बात कही गई है।

सीएम योगी डरा गठित की गई SIT में दलित और महिला सदस्य भी होंगे। दलित और महिला अधिकारियों की टीम वाली ये SIT हाथरस मामले की जड़ तक पहुँच कर रिपोर्ट तैयार करेगी। पीएसी आगरा पूनम और डीआईजी चंद्र प्रकाश इस SIT में शामिल हैं। साथ ही पुलिस-प्रशासन को अपनी कार्रवाई जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं। इस घटना से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है और मीडिया में ये मुद्दा छाया हुआ है।

इधर हाथरस मामले में मीडिया के कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि पुलिस-प्रशासन ने जल्दी-जल्दी में ही पीड़िता का अंतिम-संस्कार करा दिया। वहीं हाथरस पुलिस ने ‘बिना परिजनों की अनुमति के पुलिस द्वारा बलपूर्वक पीड़िता का अंतिम संस्कार कराने’ की मीडिया में चल रही ख़बरों का खंडन करते हुए कहा है कि ये ‘असत्य और भ्रामक’ है। पुलिस के अनुसार, ‘सच्चाई ये है’ कि पुलिस-प्रशासन की देखरेख में परिजनों द्वारा अपने रीति-रिवाज के साथ मृतिका के शव का अंतिम संस्कार किया। 

गौरतलब है कि 14 सितंबर को युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की शर्मनाक वारदात को अंजाम दिया गया था।  इसके बाद आरोपियों ने उस पर जानलेवा हमला भी किया था।  यह घटना चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में हुई।  सोमवार को हालत बेहद गंभीर होने पर उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था।  जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।  हालांकि मौत से पहले पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयान में कहा था कि चार युवकों ने उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर उसका गला घोंटने की कोशिश की थी।  पीड़िता ने चारों आरोपियों की पहचान संदीप, रामू, लवकुश और रवि के रूप में की थी।  पुलिस अधीक्षक ने बताया था कि संदीप को घटना के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया था।  बाद में रामू और लवकुश को भी गिरफ्तार किया गया और शनिवार को चौथे आरोपी रवि को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।  चारों आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप और हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया है। 

हाथरस पुलिस ने दी सफाई

बिना परिवार की इजाजत दलित लड़की का अंतिम संस्कार करने के मामले में हाथरस पुलिस ने सफाई दी है। अपने ट्वीट में हाथरस पुलिस ने कहा कि यह असत्य खबर फैलायी जा रही है कि थाना चन्दपा क्षेत्रान्तर्गत दुर्भाग्यपूर्ण घटित घटना में मृतिका के शव का अन्तिम संस्कार बिना परिजनों की अनुमति के पुलिस ने जबरन रात में करा दिया। हम इसका खंडन करते हैं।

पुलिस ने जबरन किया अंतिम संस्कार

गौरतलब है कि हाथरस में चंदपा की दुष्कर्म पीड़िता का उसके गांव बुधवार रात में कड़ी सुरक्षा में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले शव को घर की जगह अंत्येष्टि स्थल पर ले जाने को लेकर गांव में विरोध शुरू हो गया। परिजन एंबुलेंस के आगे लेट गए। उनकी मांग थी कि शव को पहले घर पर ले जाया जाए। इसको लेकर लोगों की पुलिस से धक्कामुक्की भी हुई।

पीड़िता के शव का जबरन अंतिम संस्कार कराने का आरोप 

चंदपा क्षेत्र के बुलगाड़ी में कथित गैंगरेप की शिकार पीड़िता की मौत के बाद अब उनके अंतिम संस्कार को लेकर पुलिस व जिला प्रशासन आरोपों के घेरे में है। आरोप  है कि पुलिस ने शव परिजनों को नहीं सौंपा और अंतिम संस्कार कराने का दबाव डालने लगे। जबकि परिजन कुछ वक्त के लिए पीड़िता के शव को घर में रखकर आखिरी बार उसका चेहरा देखना चाहते थे। साथ ही उन्होंने रात में अंतिम संस्कार न करने की भी बात कही। लेकिन पुलिस व जिला प्रशासन ने फ़ोर्स के बल पर आधी रात के बाद बिना रीति रिवाज के मृतका का अंतिम संस्कार कर दिया। कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी दल परिवार से अंतिम संस्कार के हक़ छीने जाने को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। इस बीच एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक पुलिस वाला परिजनों व ग्रामीणों को समझाता दिख रहा है। इस वीडियो में वह कहता सुनाई दे रहा है कि रीति रिवाज समय के साथ बदलते रहते हैं। यह असाधारण परिस्थिति है। कहां लिखा है कि रात में अंतिम संस्कार नहीं होता. इस बात को मानिए कि कुछ गलती आप लोगो से भी हुई है।

”द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991” समाप्त करें जिससे देश में मन्दिर-मस्जिद विवाद सदैव के लिए समाप्त हो जाए: वसीम रिजवी

पीएम को लिखे पत्र में वसीम रिजवी ने कहा कि ”द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991” को कांग्रेस के शासन काल मे जानबूझकर बनाया गया था, ताकि हिंदुस्तान में मन्दिर-मस्जिद का विवाद हमेशा चलता रहे. रिजवी के मुताबिक इस एक्ट को तत्काल खत्म किए जाने की जरूरत है, जिससे देश में मन्दिर-मस्जिद विवाद सदैव के लिए समाप्त हो जाए. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन के मुताबिक  कांग्रेस ने धार्मिक आंकड़ों के आधार पर इस देश मे लंबे समय तक हुकूमत किया.

कोरल ‘पुरनूर’ चंडीगढ़ – 30 सितंबर

उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (पूजा स्थल अधिनियम 1991) को खत्म करने की माँग की है। उन्होंने पुराने तमाम तोड़े गए मंदिरों को हिंदुओं को वापस देने और मुगल काल के पहले की स्थिति बहाल करने की माँग की है।

पीएम को लिखे पत्र में वसीम रिजवी ने कहा कि द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को कॉन्ग्रेस के शासन काल मे जानबूझकर बनाया गया था, ताकि हिंदुस्तान में मन्दिर-मस्जिद का विवाद हमेशा चलता रहे। रिजवी के मुताबिक इस एक्ट को तत्काल खत्म किए जाने की जरूरत है, जिससे देश में मन्दिर-मस्जिद विवाद सदैव के लिए समाप्त हो जाए। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन के मुताबिक कॉन्ग्रेस ने धार्मिक आँकड़ों के आधार पर इस देश मे लंबे समय तक हुकूमत किया।

क्या है प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट:

प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 या उपासना स्‍थल (विशेष उपबंध) अधिनियम1991 भारत की संसद का एक अधिनियम है। … इस अधिनियम ने स्पष्ट रूप से अयोध्या विवाद से संबंधित घटनाओं को वापस करने की अक्षमता को स्वीकार किया। बाबरी संरचना को ध्वस्त करने से पहले 1991 में पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव द्वारा एक कानून लाया गया था। यह अधिनियम बाबरी मस्ज़िद (वर्ष 1992) के विध्वंस से एक वर्ष पहले सितंबर 1991 में पारित किया गया था। यह अधिनियम राज्य पर एक सकारात्मक दायित्व (Positive Obligation) भी प्रदान करता है कि वह स्वतंत्रता के समय मौजूद प्रत्येक पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखे। इस अधिनियम की धारा 3 (Section 3) के तहत किसी पूजा के स्थान या उसके एक खंड को अलग धार्मिक संप्रदाय की पूजा के स्थल में बदलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह अधिनियम सभी धर्मों में समानता बनाए रखने और संरक्षित करने के लिये विधायी दायित्व राज्य की   एक आवश्यक धर्मनिरपेक्ष विशेषता (Secular Feature) है, यह भारतीय संविधान की मूल विशेषताओं में से एक है। अयोध्या में विवादित स्थल को अधिनियम से छूट दी गई थी इसलिये इस कानून के लागू होने के बाद भी अयोध्या मामले पर मुकदमा लड़ा जा सका।

यह अधिनियम किसी भी पूजा स्थल पर लागू नहीं होता है जो एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक या प्राचीन स्मारक हो अथवा पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 (Archaeological Sites and Remains Act, 1958) द्वारा कवर एक पुरातात्विक स्थल है।अधिनियम की धारा 6 में अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ अधिकतम तीन वर्ष की कैद का प्रावधान है।

वसीम रिजवी ने पत्र में लिखा है, “द प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 कॉन्ग्रेस की हुकूमत में इसलिए बनाया गया, ताकि मुगलों द्वारा भारत के प्राचीन पवित्र मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई अवैध मस्जिदों को हिंदुस्तान की जमीन पर एक विवाद के रूप में जिंदा रखा जाए और यह अधिनियम बनाए जाने के लिए कॉन्ग्रेस की सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिन्दुस्तान के कट्टरपंथी मुल्लाओं का दबाव था, क्योंकि कॉन्ग्रेस पार्टी हिन्दुस्तान की आजादी के बाद से धार्मिक आँकड़ों के आधार पर भारत में हुकूमत करती रही है और हिन्दुस्तान का कट्टरपंथी मुसलमान जो कि मुगलों के कुकर्मों, जुल्म और ज्यादतियों का पक्षकार है, वह वोट के रूप में कॉन्ग्रेस को भारत में हुकूमत बनाए रखने में मदद कर रहा है।”

उन्होंने पत्र में आगे लिखा, “प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 एक विवादित अधिनियम है, जो किसी एक धर्म के अधिकार व धार्मिक सम्पत्ति जो उनसे मुस्लिम कट्टरपंथी मुगल शासकों ने ताकत के बल पर छीन कर उस पर अपना धार्मिक स्थल (मस्जिदें) बना दिए थे, वह सभी प्राचीन धार्मिक स्थल (मंदिर) जिस भारती हिन्दू धर्म के मानने वालों के थे, उन्हें वापस न मिलने पाए, इस अन्याय को सुरक्षा प्रदान करता है, जो कि एक धर्म विशेष के धार्मिक अधिकारों व धार्मिक संपत्तियों का हनन है।”

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पंचांग 30 सितम्बर 2020

आज 30 सितंबर को हिंदू पंचांग के अनुसार बुधवार है. बुधवार का दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित है. गणेशजी सभी देवता में प्रिय देता है. अत: बुधवार के दिन गणेशजी का पूजन-अर्चन करने से अनं‍‍त सुख और अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है. इस दिन बुध ग्रह का पूजन करना भी बहुत ही लाभदायी माना गया है.

विक्रमी संवत्ः 2077, 

शक संवत्ः 1942, 

मासः आश्विनी़, अधिक (मल) मास प्रारम्भ, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः चतुर्दशी रात्रि 12.26 तक है, 

वारः बुधवार, 

नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद रात्रि 03.15 तक, 

योगः अतिगण्ड सांय 07.49 तक, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः कन्या, 

चंद्र राशिः कुम्भ, 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.17, 

सूर्यास्तः 06.04 बजे।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

प्रधान मंत्री को गुस्सा क्यों आता है??

कृषि कानून को लेकर पंजाब समेत विभिन्न जगहों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां कृषि कानून को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए सरकार की आलोचना कर रही हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को ट्रैक्टर जलाकर विरोध प्रदर्शित किया गया. विरोध प्रदर्शन करने वाले पंजाब यूथ कांग्रेस के बताए जा रहे हैं. पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर किसी पार्टी का नाम लिए बिना विपक्ष पर निशाना साधते हुए किसानों को अपमानित करने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा, “आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं. ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए. जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं.” पीएम मोदी ने कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

  • सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया : PM
  • ये लोग अपने जांबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे : मोदी
  • आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया : प्रधानमंत्री

चंडीगढ़ – 29 सितंबर:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों को लेकर कॉन्ग्रेस को आईना दिखाया और जनता को समझाया कि कैसे वो हर उस चीज का विरोध करते हैं, जिसे जनता की भलाई के लिए लाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान राम मंदिर और योग दिवस को भी याद किया, जिसका कॉन्ग्रेस ने विरोध किया था।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि जब सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल कॉन्ग्रेस के ही नेता थे।

कॉन्ग्रेस पार्टी अक्सर योग दिवस का मजाक बनाती रही है। जिस चीज ने दुनिया भर में भारत को नई पहचान दी, पार्टी उसका विरोध करती है। राहुल गाँधी ने सेना की ‘डॉग यूनिट’ के एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर कर के इसे ‘न्यू इंडिया’ बताते हुए न सिर्फ योग का बल्कि सेना का भी मजाक उड़ाया था। तभी पूर्व-सांसद और अभिनेता परेश रावल ने कहा था कि ये कुत्ते राहुल गाँधी से ज़्यादा समझदार हैं। सेना के डॉग्स के योगासन का मजाक बनाने वाले राहुल गाँधी की खूब किरकिरी हुई थी।

इसी तरह कॉन्ग्रेस ने अपनी ही पार्टी के नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ का विरोध किया, जिसके कारण न सिर्फ भारत का मान बढ़ा बल्कि केवडिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर आए। कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस स्टेचू के निर्माण को ‘चुनावी नौटंकी’ और ‘राजद्रोह’ करार दिया था। राहुल गाँधी ने दावा कर दिया था कि सरदार पटेल के बनाए सभी संस्थाओं को मोदी सरकार बर्बाद कर रही है।

पीएम मोदी ने मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) को कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

कॉन्ग्रेस पार्टी कृषि कानूनों के विरोध के लिए एक ट्रैक्टर को 20 सितम्बर को अम्बाला में जला रही है तो फिर 28 सितम्बर को उसी ट्रैक्टर को दिल्ली के इंडिया गेट के पास राजपथ पर जला कर सुर्खियाँ बटोर रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह धरना दे रहे हैं। सोनिया गाँधी राज्यों को क़ानून बना कर केंद्र के क़ानूनों को बाईपास करने के ‘फर्जी’ निर्देश दे रही है। जबकि अधिकतर किसानों ने भ्रम और झूठ फैलाए जाने के बावजूद इन क़ानूनों का स्वागत किया है।

राम मंदिर मुद्दे की याद दिलाना भी आज के परिप्रेक्ष्य में सही है क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि भगवान श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं है। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल तो राम मंदिर की सुनवाई टालने के लिए सारे प्रयास करते रहे। वहीं दिसंबर 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे पूछा था कि कॉन्ग्रेस बाबरी मस्जिद चाहती है या राम मंदिर?

इसी कॉन्ग्रेस ने जब राम मंदिर के शिलान्यास के बाद जनता के मूड को भाँपा तो वो राम मंदिर के खिलाफ टिप्पणी करने से बचने लगी। कोई पार्टी नेता इसके लिए राजीव गाँधी को क्रेडिट देने लगा। प्रियंका गाँधी बयान जारी कर के इसका समर्थन करने लगीं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल रामायण कॉरिडोर बनाने लगे। कमलनाथ हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। तभी तो आज पीएम ने कहा – ये विरोध के लिए विरोध करते हैं

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जाँबाजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जाँबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, साफ कर चुके हैं। देखा जाए तो एक तरह से सारे विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध किया था।

नवम्बर 2016 में मोदी सरकार ने भारतीय सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए हरी झंडी दिखा कर इतिहास को बदल दिया। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाक़े में घुस कर आतंकियों को मारा लेकिन राहुल गाँधी इसे ‘खून की दलाली’ बताते हुए कहते रहे कि सरकार ‘सैनिकों के खून’ के पीछे छिप रही है। कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग सबूत माँगने में लगे थे। कइयों ने तो पाकिस्तान वाला सुर अलापना शुरू कर दिया था।

पीएम मोदी ने कहा कि देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने लोगों की कितनी मदद की है। जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका विरोध कर रहे थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।

बकौल पीएम मोदी, ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं। बता दें कि किसानों को सरकार के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को अपनी उपज बेचने के लिए मिली आज़ादी का विरोध समझ से परे है। इसके लिए सीएए विरोध जैसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।

अमित शाह बता चुके हैं कि जिस पार्टी ने अपनी सरकार रहते अनाजों की खरीद में भी अक्षमता दिखाई लेकिन मोदी सरकार ने इस मामले में रिकॉर्ड बनाया, इसके बावजूद वो किसानों को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, उलटा उसे बढ़ाया गया है। बावजूद इसके किसानों को भाजपा के खिलाफ ऐसे ही भड़काया जा रहा है, जैसे लॉकडाउन में मजदूरों को भड़काया गया था।

पीएम मोदी ने ये भी याद दिलाया कि भारतीय वायुसेना के पास राफेल विमान आये और उसकी ताकत बढ़ी, ये उसका भी विरोध करते रहे। उन्होंने कहा कि वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन ये लोग उनकी बात को अनसुना करते रहे। हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया तो, इन्हें फिर दिक्कत हुई। आज अम्बाला से लद्दाख तक वायुसेना का परचम लहरा रहा है।

राफेल मुद्दे पर ज्यादा कुछ याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि पूरा 2019 का लोकसभा चुनाव ही इसी पर लड़ा गया था। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पोषित मीडिया संस्थानों द्वारा एक के बाद एक झूठ फैलाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट और कैग से क्लीन-चिट मिलने के बावजूद राफेल को लेकर झूठ फैलाया गया। वही कॉन्ग्रेस अब राफेल का नाम नहीं लेती क्योंकि जब 5 राफेल की पहली खेप भारत आए तो जनता के उत्साह ने सब साफ़ कर दिया। 2019 का लोकसभा चुनाव हारे, सो अलग।

आपातकाल में पंचकूला पुलिस से नए नंबर से होगा संपर्क

  • पुलिस-जनता में विश्वास बढ़ाने के लिए बनेंगी समन्वय कमेटियां
  • विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करें, हर सेक्टर में बनेंगे बीट बॉक्स

पंचकूला़, 29 सितंबर:

आपातकाल में पंचकूला पुलिस से संपर्क करने के लिए की जाने वाली फोन कॉल चंडीगढ़ या मोहाली लगने की समस्या से छुटकारा मिलने जा रहा है। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को पंचकूला कानून एवं व्यवस्था कमेटी की बैठक में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस भारत संचार निगम लिमिटेड के अधिकारियों तथा विशेषज्ञों से मिलकर इस समस्या का निराकरण करें। बैठक में उपस्थित पंचकूला पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह ने आश्वासन दिया कि शहरवासियों को इस समस्या से जल्द निजात मिलेगी। ज्ञान चंद गुप्ता ने शहर में ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने, ड्रग नेटवर्क को धराशायी करने तथा सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा है। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस और जनता के बीच आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए पुलिस जनता समन्वय समिति गठित करने के भी निर्देश दिए।

पंचकूला जिले में कानून व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए मंगलवार को विधान सभा सचिवालय में कानून एवं व्यवस्था समिति की बैठक बुलाई गई। समिति के अध्यक्ष स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह, पुलिस उपायुक्त मोहित हांडा, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सतीश कुमार, राजकुमार और नुपूर बिश्नोई, समिति के संयोजक डीपी सिंघल और डीपी सोनी, इसके सदस्य एसके शर्मा, सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह, वीके कपूर और कपिल चड्ढा मौजूद रहे। बैठक में पूर्व सैनिकों के संगठन वेटर्नंस इंडिया के महासचिव अनुराग अग्रवाल और संयुक्त सचिव अनुराग लठवाल भी विशेष आमंत्रित रहे। उन्होंने बैठक में पूर्व सैनिकों के मान-सम्मान का विषय उठाते हुए यातायात पुलिस का सहयोग करने की पेशकश की।

बैठक में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि जनता और पुलिस के बीच विश्वास बहाली के लिए जिला तथा थाना क्षेत्र के स्तर पर समन्वय समितियों का गठन किया जाना चाहिए। इस कमेटियों को समय-समय पर बैठक कर जनता की समस्याओं को समझना चाहिए। इन समितियों में नागरिकों की सहभागिता होने से पुलिस प्रशासन तक वास्तविक जानकारी पहुंच सकेगी।

विधान सभा अध्यक्ष ने कहा शहरवासियों द्वारा आपातकाल में पुलिस से संपर्क करने के लिए 100 नंबर पर फोन करने पर कॉल चंडीगढ़ या मोहाली लग जाती है। इससे मुसीबत में फंसे लोगों की दिक्कत और बढ़ जाती है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि भारतीय संचार निगम लिमिटेड के अधिकारियों तथा विशेषज्ञों से मिलकर इस समस्या का निदान करें। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय की हिदायतों के अनुसार नियम तैयार करने को कहा। इसके साथ ही शहरवासियों की सुरक्षा और यातायात प्रबंधन को लेकर भी बैठक में विस्तृत चर्चा हुई। गुप्ता ने कहा कि पुलिस का कार्य लोगों के मन डर बैठाना नहीं अपितु उन्होंने यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। इसके लिए पुलिस अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

बिना नंबर तथा जुगाड़ से बने वाहनों की रोकथाम के लिए पुलिस अफसरों को विशेष कार्रवाई को कहा गया है। गुप्ता ने कहा कि जुगाड़ वाले वाहनों से हादसों का डर रहता है तो बिना नंबर वाले वाहन चालकों से आपराधिक वारदातों को अंजाम देने का डर रहता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी को भी रात को सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने की अनुमति न दी जाए तथा ऐसा करने वालों पर कठोरता से शिकंजा कसा जाए। उन्होंने कहा कि ड्रग सेवन तथा इसके कारोबार को रोकने के लिए पुलिस को विशेष अभियान चलाना चाहिए। पंचकूला शहर की लोगों में आदर्श छवि है इसलिए यहां किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियां नहीं की जा सकती। इसकी रोकथाम के लिए हर सेक्टर में बीट बॉक्स स्थापित करने को भी कहा गया है।

बैठक में वेटर्नंस इंडिया के महासचिव अनुराग अग्रवाल और संयुक्त सचिव अनुराग लठवाल ने पूर्व सैनिकों के मान-सम्मान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि फरीयाद लेकर थानों में जाने वाले पूर्व सैनिकों के साथ संतोषजनक व्यवहार नहीं किया जाता। इस ज्ञान चंद गुप्ता ने सख्ती दिखाई और कहा कि सैनिकों का जीवन देश के लिए काम आता है। इसलिए समाज का कर्तव्य बनता है कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी पूरा मान-सम्मान दें। उन्होंने कहा कि पुलिस थानों में अपनी समस्या लेकर आने वाले सैनिकों और पूर्व सैनिकों की बात सम्मानपूर्वक सुनी जानी चाहिए। इस पर पुलिस अधिकारियों ने सकारात्मक आश्वासन दिया।

कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए करें सामूहिक प्रयास, लिंगानुपात में लाएं सुधार: अतिरिक्त उपायुक्त अशोक बंसल।

मनोज त्यागी, करनाल – 29 सितंबर:

महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित बैठक  की एडीसी ने की अध्यक्षता, कहा बेटी बचाव-बेटी पढ़ाओ अभियान को बनाए जन आन्दोलन। अतिरिक्त उपायुक्त अशोक बंसल ने कहा कि  कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए सम्बधित विभागों के  अधिकारी सामुहिक प्रयास करें और लिंगानुपात में सुधार लाएं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को जन आन्दोलन बनाएं।   

एडीसी मंगलवार को अपने कार्यालय में महिला एवं बाल विकास की ओर से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के अंर्तगत आयोजित बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात में समानता लाने के लिए लोगोंंं को जागरूक करें और पीएनडीटी एक्ट की दृढ़ता से पालना सुनिश्चत की जाए। उन्होंने स्वस्थ्य विभाग के  अधिकारी को निर्देश दिए की जिले में स्थित अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर रेड बढ़ाएं और जहां कमियां मिले तो सम्बधित के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाए।

उन्होंने आश्वासन  दिया कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्यावाही करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पूरा सहयोग मिलेगा और पुलिसबल की मदद मिलेगीे।  उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारियों को निर्देश दिए की वे गर्भवती महिलाओंं पर विशेष ध्यान दें कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में रजिस्ट्रड गर्भवती महिलाओं में से कितनी महिलाओं ने गर्भपात करवाया और उनके कारणों के बारे में जानकारी लें। अगली मिटिंग में ऐसी रिपोर्ट साथ लेकर आएं ताकि गर्भ में भ्रूण की हत्या करने व करवाने वालों पर कड़ा शिकंजा कसा जा सके।  

बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी राजबाला ने बताया कि विभाग द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत प्रत्येक खण्ड के ऐसे पांच-पांच गांव को वैरिफाई किया गया, जहां लड़कियों की संख्या कम है, उन गांव में लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए जागरूक ता कैंम्प लगाए गये। उन्होंने यह भी बताया कि 0-6 वर्ष तक की लड़कियों का वजन मॉनिटरिंग किया गया तथा उनका हैल्थ चैकप करवाया गया।  उन्होंने बताया कि 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक पोषण माह में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया गया। बैठक में विभाग की ओर से वर्ष 2020-2021 के दौरान करवाई जाने वाले कार्यक्रमों पर भी चर्चा की गई।  

इस अवसर पर जिला न्यायवादी कुलदीप सिंह, डीएसपी नरेन्द्र सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रोहताश वर्मा, उप-सिविल सर्जन डा. नरेश करड़वाल, एआईपीओरओ रघुबीर गागट, सीडीपीओ मधु पाठक, डा. राजबाला मोर, नीलम काम्बोज, डीसीपीओ रीना कुमारी उपस्थित रही।

रक्तदान करना सुरक्षित व नेक कार्य : उपायुक्त निशांत कुमार यादव

मनोज त्यागी, करनाल – 29 सितम्बर:

सामाजिक संस्था नैशनल इंटेग्रेटेड फोरम आफ आर्टिस्टस एंड एक्टिविस्टस (निफा) द्वारा मंगलवार को पंचायत भवन में थैलीसीमिया के मरीजों के लिए आयोजित रक्तदान शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त निशांत यादव ने रक्त दाताओं को बैच लगाकर व रक्त दाता का प्रमाण पत्र ओर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।  उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार करोना काल में रक्तदान की संख्या में कमी आयी है क्योंकि लोग संक्रमण के डर से रक्तदान कम करते हैं, लेकिन निफा ने ऐसे समय में भी लगातार 20 दिन रक्त दान शिविर लगाने व पूरे वर्ष में दो लाख यूनिट रक्त इक_ा करने का संकल्प लेकर प्रशंसनीय कार्य किया है।

उन्होंने रक्तदान करने को राष्ट्र व समाजहित में बताया और कहा कि रक्त दान करना बिल्कुल सुरक्षित है।  उपायुक्त निशांत यादव जो स्वयं भी अपना प्लाज़्मा दान कर चुके हैं, ने करोना पॉजीटिव से नेगेटिव हो चुके लोगों को प्लाज़्मा भी दान करने के लिए आगे आने की अपील की ओर बताया कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है इससे कोई कमजोरी नहीं आती। रक्त दान शिविर के परियोजना निदेशक आकर्षण उप्पल, गुरु प्रसाद व राजीव मल्होत्रा ने बताया कि आज कुल 103 यूनिट रक्त इकट्ठा  करके राष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसायटी की दिल्ली से आयी टीम को सौंपा गया जहां हर रोज़ थैलीसीमिया के 200 मरीज रक्त चढ़वाने के लिए पहुँचते हैं।

उल्लेखनीय है कि इस रक्तदान शिविर को लेकर करनाल व आसपास के गाँव से युवाओं में भारी उत्साह सुबह से ही नजर आया व नगर निगम उप निगमायुक्त धीरज कुमार, डॉक्टर राकेश दुआ, समाज सेवी नीटु मान, आरटीए निरीक्षक जोगिंदर ढुल, नटराज से संजय सिंगला, पानीपत मेयर भाई गुरमीत सिंह, एडवोकेट राजीव शर्मा, नगर निगम के जेई मनीष कुमार व निफा के फाइन आर्ट विंग के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र वर्मा ने भी रक्त दान किया। रक्त दान को मानव जीवन बचाने के लिए बेहद आवश्यक बताते हुए धीरज कुमार ने सभी को जीवन में इस नेक कार्य को करने के लिए आगे आने की अपील की। शिविर में जिला रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव कुलबीर मलिक, निफा के विशेष आजीवन सदस्य कुलजिंदर मोहन सिंह बाठ, प्रोफ़ेसर सुरिंदर सिंह बरगोटा व सतिंदर कुमार ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की व सभी को एक स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 

इस अवसर पर निफा अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नु ने कहा कि संस्था की स्थापना के बीस वर्ष पूरे होने पर 2 लाख यूनिट रक्त दान करवाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे पूरा करने के लिए देशभर में निफा शाखाएं निरंतर कार्य कर रही हैं और करनाल में लगातार 10वां रक्त दान शिविर है। उन्होंने बताया कि निफा के शिविरों में रक्तदान करने वाले हर रक्तदाता को प्रशस्ति पत्र के साथ साथ तुलसी का पौधा व गुरु नानक देव जी से सम्बंधित स्थानों की पवित्र जल व मिट्टी भी दी जा रही है। निफा संयोजक एडवोकेट नरेश बराना ने मंच संचालन करते हुए कहा कि रक्तदान महादान है व हर व्यक्ति को रक्त दान के लिए आगे आना चाहिए।

कार्यक्रम में समाजसेवी आकाश भट्ट, रमन मिड्डा, 113 बार रक्त दान कर चुके रामा मदान, संदीप सचदेवा, राजेश कौशिक, रेड क्रॉस से एम सी धीमान, लक्ष्य वर्मा, निफा के सह सचिव जसविंदर सिंह बेदी, कार्यकारिणी सदस्य हरदीप वालिया, जिला महासचिव हितेश गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष गुरजंट सिंह, शहरी प्रधान वरुण कश्यप, युवा विंग के पूर्व प्रदेश प्रधान गौरव पुनिया, हेमंत चावला, नोनीत वर्मा, प्रमोद कुमार, सुशील बांगड़, दीपेश राजपाल, दुर्गेश बराना, पुनीत अरोड़ा व परमवीर सिंह पन्नु ने भी शामिल होकर प्रबंधन में सहयोग दिया

कृषि कानून भारतीय जनता पार्टी के गले की फांस बनने जा रहे हैं : कुलदीप बिश्नोई

पचकुलां  29 सितंबर :

कांग्रेस केन्द्रीय कार्यसमिति सदस्य कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में तीन किसान विरोधी बिल काले कानून बनाए गए हैं, इनके खिलाफ देश के किसानों में जो रोष की लहर व्याप्त है और आने वाले समय में यही कानून भारतीय जनता पार्टी के गले की फांस बनने जा रही है। जिन किसान विरोधी कानूनों को लोकतंत्र की सभी स्थापित मान्यताओं को धता दिखाकर पास किया गया है, उससे किसानों के लिए गुलामी का रास्ता प्रशस्त कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि जिन किसानों को कांग्रेस पार्टी ने साहूकारों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और जमाखोरों के खिलाफ सन् 1955 में कानून पास किया गया था। उनको समाप्त करके किसानों की बर्बादी की दास्तान की स्क्रिप्ट लिख दी गई है। उन्होंने भाजपा पर देश की मण्डियों को समाप्त करने  का आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  12 नवंबर 2019 को कहा था कि अब एपीएमसी यानी मंडियों को खत्म कर दिया जाना चाहिए।  यही कारण है कि मंण्डियों के विकास के लिए निर्धारित बजट लगातार कम किया जा रहा है। वर्ष 2018 में मण्डियों के विकास के लिए  1050 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए थे। यह 2019 में घटाकर 600 करोड़ रुपए कर दिया गया है ,जो कि आधा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि  भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने किसानों को तो छोडि़ए अपने नेताओं को भी विश्वास में नहीं लिया।

बिश्नोई ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन काले कानूनों को वापिस होने तक अपना संघर्ष जारी रखेगी।  उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और किसानों के मसीहा लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर सारे देश में जनजागरण अभियान चलाया जाएगा ?। आज देश का किसान अपने आप को ठगा ठगा सा महसूस कर रहा है। भाजपा नेतृत्व कारपोरेट घरानों के दबाव में आकर किसानों को दिग्भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास कर रहा है। केन्द्र सरकार को किसानों की चिंता नहीं है, उन्हें तो चिंता है अपने कारपोरेट घरानों के हितों की। इन कानूनों के माध्यम से किसानों को बंधुआ मजदूर बना कर गुलाम बनाने की कोशिश के साथ साथ न्यायालय में जाने के अधिकार से भी वंचित किया गया है। केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए  न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के साथ-साथ  उनको कारपोरेट घरानों के खिलाफ न्यायालय में जाने के अधिकार कानून दोबारा संसद में पास किया जाए और अगर कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर फसल खरीदता है तो उसके लिए सज़ा का प्रावधान किया जाए।

यह कृषि अध्यादेश किसानों के लिए लाभदायक साबित होगें और जल्द ही किसानों की जेबें भरने लगेगी : केन्द्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया

पंचकूला 29 सितम्बर

केन्द्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया व हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कृषि अध्यादेशों के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए संयुक्त रूप से जनसम्पर्क अभियान चलाया और जनता के बीच जाकर लोगों को इन कृषि अध्यादेशों के बारे में विस्तार से अवगत करवाया। उन्होंने पंचकूला के गांव मट्टांवाला व खटौली में किसानों को विपक्ष केे बहकावे में न आने का अपील करते हुए कृषि अध्यादेशों की खुबियों बारे गिनवाया। उन्होंने कहा कि यह कृषि अध्यादेश किसानों के लिए लाभदायक साबित होगें और जल्द ही किसानों की जेबें भरने लगेगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसानों की आमदनी 2020 तक दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसलिए किसान हित में अहम एवं एतिहासिक निर्णय लिए है। उन्होंने कहा कि वे अपने जनसम्पर्क अभियान में निकलते हैं ओर यदि किसानों की किसी बात को लेकर नाराजगी है तो उसे छिपाते नहीं बल्कि उस नाराजगी का कारण जानकर दूर करने का प्रयास करते है।

उन्होंने कहा कि कृषि संबधी बिल देश के किसानों की किस्मत बदलने वाले हैं तथा भविष्य में इन्हें कृषि क्षेत्र के गेम चेंजर कानून के रूप में याद किया जाएगा।  उन्होंने कहा कि इन कानूनों में एमएसपी भी रहेगा और किसानों को अपने उत्पाद को बेचने की छूट होगी। यदि किसान किसी कंट्रेक्टर से समझौता करते है ओर उसमें रेट कम हो जाता है तो कंट्रेक्टर को किसान की उपज का लागत का मूल्य तो अवश्य देना ही होगा। उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशों से विशेषकर सब्जी, फलों के क्षेत्र में ओर भी ज्यादा आमदनी होगी।

उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा किसानों को भ्रमित किया जा रहा है। इनसे किसानों के लिए बाजार खुला है तथा ओर प्याज, आलू जैसी फसलों को मण्डी से बाहर आसानी से बेचा जा सकेगा। उन्हांेने किसानों से अनुरोध किया कि एमएसपी पर धान की खरीद शुरू होने से विपक्ष का पर्दाफास हो चुका है। इसलिए किसानों को किसी प्रकार के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पूर्ण रूप से किसान हितैषी है और अवश्य ही किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगें।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश के किसान के नुकसान की बात सोच भी नहीं सकते। किसानों के खाते में 6 हजार रुपए की राशि देना, खाद की लाईने न लगने, फसल बीमा योजना का लाभ देने जैसे अहम निर्णय लेकर किसानों के  लिए ही कार्य किए है।