हटाये जाने से पहले गिलानी ने दिया हुर्रियत से इस्तीफा

जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है. गिलानी एक ऑडियो क्लिप जारी कर कहा है कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में सभी को जानकारी दे दी है और जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात को देखते हुए ही उन्होंने यह कदम उठाया है. हालांकि गिलानी ने ऑडियो क्लिप के अलावा दो पन्नों का एक पत्र भी लिखा है.

जम्मू(ब्यूरो) – 29 जून:

91 साल के अलगाववादी नेता सैय्यद अली गिलानी घाटी के कई सारे अलगाववादी विद्रोही राजनीतिक समूहों के गठजोड़ ‘हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस’ से अलग हो गए हैं.

सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी 47 सेकेंड के एक ऑडियो क्लिप में गिलानी ने कहा, “हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के अंदर बने हुए हालात के कारण मैं पूरी तरह से इससे अलग होता हूं.”

हुर्रियत नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम लिखे विस्तृत पत्र में गिलानी ने इस बात का खंडन किया है कि वह सरकार की सख़्त नीति या फिर अपनी ख़राब सेहत के कारण अलग हो रहे हैं.

उन्होंने लिखा है, “ख़राब सेहत और पाबंदियों के बावजूद मैंने कई तरीक़ों से आप तक पहुंचने की कोशिश की मगर आप में से कोई उपलब्ध नहीं था. जब आपको लगा कि आपकी जवाबदेही तय की जाएगी और फंड के दुरुपयोग पर सवाल उठेंगे तो आपने खुलकर नेतृत्व के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी.”

गिलानी में ये बातें उस मीटिंग को लेकर कही हैं जिसे कथित रूप से उन्हें हुर्रियत प्रमुख के पद से हटाने के लिए बुलाया गया था.

गिलानी ने माना कि हुर्रियत के अंदर भारत के क़दमों का विरोध करने की इच्छाशक्ति की कमी थी और अन्य बुरे कामों को ‘आंदोलन के व्यापक हित’ के नाम पर नज़रअंदाज़ कर दिया गया.

लंबे पत्र में गिलानी ने कश्मीर में भारत सरकार के विरोध को जारी रखने और हुर्रियत छोड़ने के बाद भी अपने लोगों का नेतृत्व करने का संकल्प जताया है.

15 साल तक रहे विधायक

गिलानी 15 सालों तक पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य रहे थे. वह जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करते थे जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. उन्होंने 1989 में सशस्त्र संघर्ष शुरू होने के दौरान अन्य चार जमात नेताओं के साथ इस्तीफ़ा दे दिया था.

जानिए क्या है हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स

1993 में 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक पार्टियां ‘ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ के बैनर तले एकत्रित हुईं और 19 साल के मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ इससे संस्थापक चेयरमैन बने. बाद में गिलानी को हुर्रियत का चेयरमैन चुना गया.

26 अलगाववादी नेताओं ने मिलकर 9 मार्च 1993 को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसका गठन कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा और अलगाववादियों की सियासत को एक मंच देने के मकसद से किया गया था। इस कॉन्फ्रेंस में 6 लोगों की एक कार्यकारी समिति थी, जिसका फैसला अंतिम माना जाता था। बाद में सैयद आली गिलानी ने कुछ मतभेदों के चलते हुर्रियत का एक अलग गुट बना लिया था। इस तरह से हुर्रियत दो गुटों में बंट गई।  

पाकिस्तान के सैन्य शासक रहे जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने कश्मीर मसले को सुलझाने के लिए चार बिंदुओं वाला फॉर्मूला सुझाया था और अलगाववादियों को भारत से बात करने के लिए प्रोत्साहित किया था. गिलानी और उनके समर्थकों ने हुर्रियत से अलग होकर 2003 में एक अलग संगठन बना लिया था. वह आजीवन हुर्रियत (गिलानी) के चेयरमैन चुन लिए गए थे.

दोनों धड़ों के बीच तनाव भरे रिश्ते बने रहे थे क्योंकि मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ के नेतृत्व वाला धड़ा भारत के साथ संवाद का पक्षधर था और कश्मीर में चुनाव करवाने को लेकर भी उनका रवैया नरम था. मगर गिलानी का धड़ा संयुक्त राष्ट्र द्वारा जनमतसंग्रह करवाए जाने से पहले किसी भी तरह के द्विपक्षीय संवाद और चुनाव का विरोध करता था.

राजीव गाँधी फाउंडेशन और हुयावै

यूपीए शासनकाल के दौरान चीन सरकार से 1 करोड़ रुपए से अधिक का दान लेने के बाद से ही राजीव गाँधी फाउंडेशन (RGF) विवादों में घिर गया है। इस फाउंडेशन के शीर्ष अधिकारियों में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गाँधी के नाम शामिल हैं। आपको बताते है कि कैसे राजीव गाँधी फाउंडेशन और चीन के बीच इस तरह का संदेहपूर्ण संबंध 2018-2019 तक जारी रहा।

वर्ष 2018-19 की राजीव गाँधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारती फाउंडेशन उन संगठनों में से एक था, जिसने इसे दान किया था। उस समय भारती फाउंडेशन Huawei के साथ भी पार्टनरशिप में था, जिसके चीन के साथ व्यापक संबंध हैं। वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-19 में राजीव गाँधी फाउंडेशन में अनुदान और दान से कुल 95,91,766 रुपए की आय हुई थी।

इससे पहले 2020 में, अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने Huawei और उसके आपूर्तिकर्ताओं को अमेरिकी प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर तक पहुँचने से रोक दिया था। अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से व्यापक संबंध होने के कारण Huawei उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। इसी तरह के कारणों के लिए, यूनाइटेड किंगडम भी अपने 5G नेटवर्क से Huawei पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।

Huawei से उत्पन्न होने वाला खतरा काफी समय से स्पष्ट है। मगर फिर भी कॉन्ग्रेस के शीर्ष पदाधिकारी राजीव गाँधी फाउंडेशन के लिए 2018-2019 के अंत कर एक ऐसे NGO से धन लेते रहे, जिसकी Huawei के साथ पार्टनरशिप थी।

भारती फाउंडेशन द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि इसे कतर फाउंडेशन एंडोमेंट से वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 14 करोड़ रुपए मिले थे। बता दें कि कतर फाउंडेशन एक प्राइवेट चैरिटी संस्थान है, जो पूर्व अमीर शेख हमद बिन खलीफा अल थानी और उनकी पत्नी शेखा मोझा बिंत नासिर द्वारा स्थापित किया गया था।

हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि भारती फाउंडेशन ने राजीव गाँधी फाउंडेशन को कितनी राशि दान की थी। यहाँ पर यह भी याद दिला दें कि इस अवधि के दौरान राजीव गाँधी फाउंडेशन, अमन बिरादरी ट्रस्ट के साथ पर्टनरशिप में था, जिसकी स्थापना हर्ष मंदर के द्वारा की गई थी, जो कि ‘एक्टिविस्ट’ है और उस संगठन का सदस्य है, जो इटालियन सीक्रेट सर्विस के साथ काम करता है।

इतनी ही नहीं, कॉन्ग्रेस का यहूदी अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ भी काफी नजदीकी संबंध रहा है। बता दें कि जॉर्ज सोरोस का विदेश के आंतरिक मामलों में दखल देने का इतिहास रहा है। उस पर कई देशों द्वारा उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है। भारत में, जॉर्ज सोरोस ने कई भारतीय गैर सरकारी संगठनों के अपने धन के माध्यम से कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ काफी करीबी संबंध स्थापित किए।

साल 2007-08 के लिए राजीव गाँधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट में Human Rights Law Network (HRLN) को पार्टनर बताया गया। 2014-15 में विदेशी दान केवल Human Rights Law Network के लिए उपलब्ध हैं, इसलिए, हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं कि संगठन को विदेशी धन प्राप्त हो रहा था, हालाँकि यह राजीव गाँधी फाउंडेशन के साथ पार्टनरशिप में था। लेकिन इसकी FCRA सबमिशन बताती है कि इसे जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी संस्थान से बड़ी मात्रा में धनराशि प्राप्त हुई है।

ओपन सोसाइटी इंस्टीट्यूट के अलावा, एचआरएलएन को ईसाई मिशनरी संगठनों और विदेशी सरकारों से भी भारी धनराशि मिली है। HRLN भी नक्सल से जुड़े संगठनों के साथ भारतीय राजद्रोह कानूनों के खिलाफ अभियान चला रहा है और रोहिंग्याओं को भी मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है, जो इस देश में अवैध रूप से रह रहे हैं।

आरजीएफ अपने सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन राजीव गाँधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) के माध्यम से क्लिंटन फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है। जबकि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के अलावा कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता भी RGF में शीर्ष अधिकारी हैं। केवल माँ-बेटे की जोड़ी पार्टी के शीर्ष अधिकारियों में आरजीसीटी में न्यासी बोर्ड में दिखाई देती है।

आरजीसीटी की वेबसाइट के अनुसार, एक अन्य सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन ने रायबरेली और अमेठी जिलों के भीतर 31 ब्लॉकों में डायरिया के प्रबंधन पर समुदाय के सदस्यों को प्रशिक्षित करने के लिए CHAI के साथ पार्टनरशिप की।

यह स्पष्ट है कि जॉर्ज सोरोस के साथ नेहरू-गाँधी परिवार के व्यापक संबंधों का भारत और भारतीयों के लिए गहरा प्रभाव है। हम अपेक्षाकृत निश्चित हो सकते हैं कि जब तक नेहरू-गाँधी परिवार कॉन्ग्रेस पार्टी पर शासन करना जारी रखेगा, भारतीय राष्ट्रवाद का बचाव करने के लिए उस पर भरोसा नहीं कर सकते। पिछले कुछ वर्षों में, कॉन्ग्रेस के व्यवहार से यह बात सामने आई है कि वह केवल सत्ता की परवाह करती है, उन्हें राष्ट्र की या लोगों की चिंता नहीं है।

पुलिस फ़ाइल, पंचकुला

पंचकुला 29 जून:

पचकुला पुलिस ने सार्वजनिक स्थान पर हगांमा (लडाई झगडा करने के आरोप मे व्यकितयो को किया काबू ।

मोहित हाण्डा, भा॰पु॰से॰, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिशा-निर्देशानुसार जिला पंचकुला मे अपराध की रोकथाम व अपराधियों की धरपकड़ करते हुए पुलिस थाना चण्डीमन्दिर की टीम द्वारा सार्वजनिक स्थान पर लडाई झगडा करने वाले युवको को विधि-पूर्वक गिरफ्तार किया ।

 दौराने गस्त पडताल दिनांक 28.06.2020 की रात को सैक्टर 28 ठेरा शराब के पास तीन युवक सार्वजनिक स्थान पर लडाई-झगडा कर रहे थे । जिस थाना चण्डीमन्दिर की टीम के द्वारा मौका पर पहुँच कर धारा 160 IPC के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्यवाही की गई । और आगे तरह कानून के निंयमो की उल्लंघना करने वालो के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी । 

सावधान! पचकुला पुलिस की नजर में हैं आप, इस मामले में लापरवाही न बरतें

मोहित हाण्डा, भा॰पु॰से॰, पुलिस उपायुक्त पंचकुला ने सभी प्रबन्धक थाना वा सभी चौकी इन्चार्ज को कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए लागू किए गए निर्देशो की पालना ना करने वालो के खिलाफ जिला पुलिस द्वारा जारी अभियान के तहत पुलिस द्वारा  सार्वजनिक स्थान पर मास्क ना पहनने पर सभी पचकुला युनिटो ने इन्ही आदेशो की पालना करते हुऐ पचकुला पुलिस के दवारा अलग अलग सार्वजनिक स्थानो पर बिना मास्क के घुमने वालो के किये चालान ।  जो अभी तक कुल मास्क ना पहने वाले लोगो के 1875 चालान किये गये । ताकि पचंकुला क्षेत्र से कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को नियत्रण किया जा सके ।

जहां, प्रशासन पहले शहर के लोगों को कोरोना से बचाव के नियमों जैसे मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग रखने के बारे में जागरूक कर रहा था, अपील कर रहा था, जो इन नियमों को लेकर लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी । इनको किसी भी कीमत पर न बख्शा जाऐगा ।

उधर, इस लिहाज से अब पचंकुला पुलिस की पैनी नजरें उन लोगों पर हैं जो बिना मास्क लगांए सार्वजनिक स्थानों पर पैदल व वाहनों से घूम रहे हैं । पचंकुला पुलिस बिना मास्क के पैदल चलने वाले लोगों पर 500 रूपये का जुर्माना लगा रही है । पचंकुला पुलिस अब तक एक बड़ी संख्या में लोगों पर यह कार्रवाई कर चुकी है । जो अभी तक कुल मास्क ना पहने वाले लोगो के 1875 चालान किये जा चुके है । आपको यह भी बता दें  । अगर आप जुर्माने की राशि जमा नहीं करते हैं तो ऐसे में आप पर आईपीसी सेक्शन-188 के तहत कार्रवाई की जाएगी ।

कान पर फंसाकर गले को नहीं ढकना है मुँह और नाक को ढकना है….

अगर आपने मास्क सही तरीके से नहीं लगाया हुआ है तो भी आप कार्रवाई की चपेट में आएंगे । जैसे आपने मास्क पहना तो हुआ है लेकिन उससे ढक कुछ और ही रखा है । मतलब आप मास्क कान में फंसाकर गले को ढके हुए हैं तो आप कार्रवाई के पात्र होंगे । आपको मास्क सही ढंग से लगाते हुए कान में फंसाकर गले की जगह मुँह और नाक को ढकना है । इसलिए इस मामले में बिल्कुल सावधान हो जाइए क्योंकि पचंकुला पुलिस की नजर आप पर है ।

पंचकुला पुलिस ने लडाई-झगड़ा , चैन स्नैंचिग व जान से मारने धमकी के  आरोपियो को किया गिरफ्तार ।

मोहित हाण्डा, भा॰पु॰से॰, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिशा-निर्देशानुसार जिला पंचकुला मे अपराध की रोकथाम व अपराधियों की धरपकड़ करते हुए पुलिस चौकी मोरनी की टीम द्वारा गाँव माधंना के पास हुऐ लडाई झगडा करने, जान से मारने की धमकी व सोने व चाँदी के चैन स्नैंचिग के आरोपियो पर कार्रवाई करते हुए चारो आरोपियान को गिरफ्तार कर लिया गया है । पकड़े गए आरोपियों की पहचान राकेश कुमार पुत्र ज्ञान चन्द वासी डकौली पंजाब, वैभव पुत्र बिजेन्द्र सिह वासी सैक्टर 19 पचंकुला, भव्य चावला पुत्र अनिल कुमार वासी सैक्टर 21 पचंकुला तथा करीश पुत्रसुरेन्द्र सिह वासी बलटाना पंजाब के रूप मे हुई ।

जानकारी के अनुसार दिनाक 27.06.2020 को गाँव माँधना के पास हुई लडाई-झगडा,चैन स्नैचिंग व कार का शीशा तोडने के आरोप मे इन्चार्ज पुलिस चौकी मोरनी के द्वारा मामला दर्ज करके मामले मे तत्पर्ता से कार्यवाही करते हुए । मामले के चारो आरोपियान को विधी-पूर्वक गिरफ्तार कर लिया गया ।

कोरोना वायरस भगवान श्रीकृष्ण की देन है : कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कोरोना वायरस को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया। उन्होंने ‘क’ से कृष्ण और ‘क’ से कोरोना का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने कोरोना दिया है। 

उत्तराखंड(ब्यूरो) – 29 जून:

कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा है कि कोरोना वायरस भगवान श्रीकृष्ण की देन है। वे उत्तराखंड प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष हैं।

धस्माना ने कहा कि कहा कि ‘क’ से कृष्ण और ‘क’ से कोरोना वायरस होता है, इसीलिए कोरोना वायरस भगवान श्रीकृष्ण के कारण ही आया है। मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने ये बेतुका बयान दिया।

वो चार धाम यात्रा शुरू होने के सम्बन्ध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चूँकि कोरोना वायरस संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है, इसीलिए इस यात्रा को शुरू करने का कोई तुक नहीं है। उन्होंने दावा किया कि चार धाम यात्रा शुरू होने से उत्तराखंड में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ जाएगी और उनके भारी संख्या में यहाँ आने से कोरोना वायरस संक्रमण की आपदा और ज्यादा बढ़ जाएगी।

‘दैनिक जागरण’ की ख़बर के अनुसार, उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कोरोना दिया है। अपने बयान के बचाव के लिए उन्होंने भगवद्गीता को उद्धृत किया। बकौल सूर्यकांत धस्माना, गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि वे ही सृष्टि के निर्माता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। साथ ही वो प्रदेश सरकार पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार कोरोना वायरस संक्रमण आपदा से निपटने में पूरी तरह से विफल रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार रुपए लेकर कोरोना टेस्टिंग की अनुमति दे रही है। वहीं उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी में अंतर्राज्यीय बस अड्डे को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने याद दिलाया कि वर्चुअल रैली में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी में अंतर्राज्यीय बस अड्डे और रिंग रोड का निर्माण अतिशीघ्र करने का आश्वासन दिया था लेकिन अब तक इस पर काम शुरू नहीं हुआ है। 

इससे पहले पाकिस्तान के एक मौलवी ने कबूतर के शरीर के एक विशेष स्थान को पका कर खाने को कोरोना वायरस से संक्रमण का इलाज बताया था। उसके बाद एक दूसरे मौलवी ने अल्लाह से दुआ की थी कि कोरोना वायरस ‘को काफिर मुल्कों’ की तरफ भेज दिया जाए। उक्त मौलवी ने कहा कि था अल्लाह ने अगर मदद नहीं की तो कोरोना सब कुछ ख़त्म कर देगा। अब कॉन्ग्रेस नेता भी इसी तरह के बयान देकर सुर्खियाँ बटोर रहे हैं।

जयपुर उच्चन्यायालय के खुलने पर मे संघ के आनुषांगिक संगठनो ने अधिवक्ताओं के लिए मुख कोष्ट बांटे

आज राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में न्यायालय के खुलने पर अधिवक्ता परिषद, विश्व हिन्दु परिषद (विधि विभाग), राष्ट्रीय सिक्ख संगत, स्वदेशी जागरण मंच की तरफ से महारामारी कोरोना से बचाव के लिये उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महेन्द्र शाण्डिल्य जी को प्रथम चरण मे 500 मास्क भेंट किये गये जिससे कोई भी अधिवक्ता बिना मास्क के न रहे। आगे आवश्यकता अनुसार और भी भेंट किये जायेगे तथा महामारी से लडने के लिये केन्द्र सरकार की दी गयी गाइडलाइन का पालन करते हुये दो गज दूरी बनाये रखने का संदेश दिया गया तथा सभी संगठनो ने इस महामारी से लडने मे बार एसोसिएशन को हर तरह वकीलो को सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद की तरफ से बसंत छाबा जी, अमित गुप्ता जी, विनोद गुप्ता जी, संजीव सोगरवाल, विश्व हिन्दु परिषद (विधि विभाग) के दिनेश पाठक, कृष्णगोपाल शर्मा, कुलदीप शर्मा, आकाश गौड, अभिषेक सिंह, राष्ट्रीय सिक्ख संगत के गुरुचरण सिंह गिल, जसविंदर नारंग स्वेदेशी जागरण मंच के सुदेश सैनी तथा बार के महासचिव अंशुमन सक्सैना, उपाध्यक्ष शशांक अग्रवाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

मोदी सरकार पैट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर जनता से कर रही जबरन वसूली,,,अकरम खान

कोशिक खान, छछरौली:

जिले के कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर निरंतर बढ़ रहे पैट्रोल डीजल के दामों को लेकर जिला सचिवालय पर केन्द्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन कर बढ़ी हुई कीमतों को करने के लिए जिला उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया।

कांग्रेस नेता अकरम खान ने रोष प्रदर्शन के दौरान केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार पैट्रोल डीजल के दामों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी कर जनता से जबरन वसूली का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ देश स्वास्थ व आर्थिक महामारी से लड़ रहा है ऐसे में केन्द्र सरकार मुनाफाखोरी करने में लगी हुई है। उन्होंने बताया कि 2014 में भाजपा ने सत्ता संभाली थी। उस समय पेट्रोल पर उत्पादन शुल्क ₹9 रूपए 20 पैसे और डीजल पर उत्पादन शुल्क ₹3 रूपए 46 पैसे लगता था। उसके बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने पेट्रोल पर ₹23 रूपए 78 पैसे और डीजल पर ₹28 रूपए 37 पैसे उत्पाद शुल्क की बढ़ोतरी की है। चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा के राज में पिछले 6 सालों में डीजल पर 820 प्रतिशत की उत्पाद शुल्क बढ़ोतरी हुई है और पेट्रोल पर 256 प्रतिशत की उत्पाद शुल्क बढ़ोतरी हुई है। इस तरह भाजपा सरकार ने पिछले 6 सालों में पेट्रोल और डीजल पर बार-बार उत्पाद शुल्क लगाकर 18 लाख करोड रुपए मुनाफाखोरी से कमाए हैं।

कांग्रेसी नेता श्याम सुंदर बत्रा ने कहा कि पिछले 3 महीने में लॉकडाउन के दौरान बार-बार उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी कर मुनाफाखोरी व जबरन वसूली की सारी हदें पार कर दी है। उन्होंने बताया कि 5 मार्च को पेट्रोल में ₹3 की वृद्धि की गई और उसके बाद 5 मई को एकदम से डीजल में उत्पाद शुल्क में ₹13 और पेट्रोल में ₹10 की वृद्धि की गई। 7 जून से 24 जून तक मोदी सरकार ने लगातार 18 दिनों में लगातार बढ़ोतरी कर डीजल में ₹10 रूपए 48 पैसे ओर पेट्रोल में 8 रूपए50 पैसे की बढ़ोतरी की है। पिछले साढ़े तीन महीनों में मूल्य और उत्पाद शुल्क मिलाकर डीजल पर 26 से 48 पैसे और पेट्रोल पर 25 रूपए 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है।

एक सरकार द्वारा इससे ज्यादा जनता का शोषण और क्या हो सकता है। मोदी सरकार परेशानी से जूझ रही जनता से लूट खसोट व मुनाफाखोरी करने में लगी हुई है। कांग्रेसी नेता निर्मला चौहान ने बताया कि 24 जून को कच्चे तेल के रेट 40.41 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थे। 1 बैरल में 159 लीटर होता है। जोकि डॉलर रुपए भाव के अनुसार 3288 रूपए 71 पैसे प्रति बैरल बनता है। इस हिसाब से कच्चे तेल का रेट 26.68 पैसे बनता है। इसके बावजूद भी पेट्रोल डीजल के दाम बढ़कर ₹80 लीटर तक पहुंच गए हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि मोदी सरकार भारत के नागरिकों की जेबों पर सीधा डाका डाल रही है। 2014 से पहले कच्चे तेल का रेट $108 प्रति बैरल था। उस समय भी पेट्रोल डीजल में इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई है जितनी इस समय हो रही है।

 इस मौके पर पूर्व विधायक राजपाल भूखड़ी, नरपाल गुर्जर, संतोष तेजली, मनोज जयरामपुर, महबूब भंगेड़ी, बहन उषा कमल, अमरजीत कोहली, इस्लाम सरपंच, गुरविंदर सिंह, पूर्णचंद, राय सिंह, एडवोकेट जब्बार पोसवाल, देवेंद्र एमसी, टिंकू कंबोज एमसी, जितेंद्र मेहता, हरमिन कौर एमसी, मांगेराम मारूपुर, अशोक कुमार, परमजीत सिंह, मोनू नगली, अजय जोगी, सुमन सैनी, लक्ष्मण, विनायक, टीनू व असलम खेड़ी आदि मौजूद रहे।

Police Files, Chandigarh

Korel, CHANDIGARH – 29.06.2020

Action against Gambling

Chandigarh Police arrested Vijay @ Koka R/o # 2416, Vikas Nagar, Mauli Jagran, Chandigarh, Raj Kumar R/o # 2033, Vikas Nagar, Mauli Jagran, Chandigarh and Sunil Kumar R/o # 2048, Ph-2, Ram Darbar, Chandigarh while they were gambling at Park in front of Booth Market, Vikas Nagar, Mauli Jagran, Chandigarh on 28.06.2020. Total cash Rs. 4880/- was recovered from their possession. A case FIR No. 136, U/S 13-3-67 Gambling Act has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh. Later they were released on bail. Investigation of the case is in progress.

Chandigarh Police arrested Mohd. Mustkim R/o # 3136, Mauli Jagran, Complex, Chandigarh, Salman R/o # 1697, Mauli Jagran Complex, Chandigarh and Inderjit R/o # 3685, Mauli Jagran Complex, Chandigarh while they were gambling near # 1678, Mauli Jagran Complex, Chandigarh on 28.06.2020. Total cash Rs. 2500/- was recovered from their possession. A case FIR No. 137, U/S 13-3-67 Gambling Act has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh. Later they were released on bail. Investigation of the case is in progress.

One arrested for obstructing public way

A case FIR No. 151, U/S 283 IPC has been registered in PS-IT Park, Chandigarh against Kedari R/o Jhuggi No. 49, NIC, Manimajra, Chandigarh who was arrested near Community Center NIC, Manimajra, Chandigarh, while he was obstructing public way with rehri/fari on 28.06.2020. Later he was bailed out. Investigation of the case is in progress.

One arrested for possessing illegal liquor

Chandigarh Police arrested Kapil R/o # 2721/1, Sector-49/C, Chandigarh and recovered 8 bottles of country made liquor from his possession near Nagli Ashram, Sector-50/A+B turn, Chandigarh on 28.06.2020. A case FIR No. 51, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-49, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Theft

Rama Kant R/o # 35, Hallo Majra, Chandigarh reported that unknown person stolen away complainant’s E-Rickshaw No. CH01TE9610 parked in front of his residence on 15.06.2020. A case FIR No. 136, U/S 379 IPC has been registered in PS-31, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

PTI हमेशा से फर्जी और भ्रामक खबरें चलाता है : प्रसार भारती

भारतीय सार्वजनिक प्रसारक, प्रसार भारती द्वारा, कथित राष्ट्रविरोधी रिपोर्टिग को लेकर समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के साथ अपने रिश्ते को समाप्त करने की चेतावनी के साथ उसे एक पत्र भेजे जाने की जानकारी सामने आई है। प्रसार भारती ने यह कदम तब उठाया है, जब पीटीआई ने चीनी राजदूत सुन वेदोंग का एक साक्षात्कार जारी किया, जिसमें उसने भारत-चीन हिंसक संघर्ष के लिए कथित तौर पर भारत को दोषी ठहराया।चीनी राजदूत के इंटरव्यू के कारण भारत के ‘स्वायत्त’ जन प्रसारक (पब्लिक ब्रॉडकास्टर) प्रसार भारती के निशाने पर आ गया है। प्रसार भारती ने कहा है कि PTI द्वारा लिया गया चीनी राजदूत का इंटरव्यू राष्ट्र हित के लिए अहितकर और भारत की अखंडता को चोट पहुंचाने वाला है। इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) इन दिनों एक नई मुश्किल में है। ऐसा इसलिए क्योंकि पीटीआई ने चीनी राजदूत को अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए मंच प्रदान किया था।

समाचार एजेंसी के साथ हुए एक साक्षात्कार में चीनी राजदूत सन वीडोंग ने गलवान घाटी में हुए टकराव के लिए पूरे दोष को भारत के ऊपर डाल दिया था। लेकिन आश्चर्य यह कि इस दौरान एक बार भी PTI ने चीनी राजदूत को सवालों से नहीं घेरा या उनके प्रोपेगेंडा फैलाने पर अंकुश लगाने की कोशिश की।

भारत सरकार ने PTI के संचालन के खिलाफ कठोर कदम उठाने का पूरा मन बना लिया है। वो भी PTI बोर्ड के कई लोगों द्वारा विचार साझा किए जाने के बाद सरकार ने यह सोचा है।

कल की रिपोर्ट में हमने बताया था कि प्रसार भारती ने चीनी राजदूत के साक्षात्कार को देखते हुए पीटीआई के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने का फैसला किया है। उस इंटरव्यू को कुछ लोगों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा जारी किया गया एक प्रेस रिलीज तक बता कर समाचार एजेंसी का मखौल उड़ाया था।

ऑपइंडिया को विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि पीटीआई की ‘देश विरोधी’ रिपोर्टिंग प्रसार भारती को नागवार गुजरी है। ऐसे में प्रसार भारती पीटीआई के साथ अपने संबंधों को आगे नहीं बढ़ाना चाहती। इसे लेकर हमें बताया गया कि पीटीआई से संबंधों पर निर्णय के बारे में जल्द ही अवगत कराया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार 1980 के बाद से पीटीआई को करीब 200 करोड़ रुपए पब्लिक फंड के तौर पर मिले हैं, जबकि जनता के प्रति इनकी जवाबदेही नगण्य रही है। आज की तारीख में यह फंड 400 से 800 करोड़ रुपए के निवेश के बराबर है अगर हम घटते-बढ़ते ब्याज दरों के अनुसार इसका आकलन करें तो।

सूत्रों ने हमें बताया कि प्रसार भारती के अधिकारियों का मानना ​​है कि पीटीआई निजी मीडिया संस्थानों के मुकाबले सार्वजनिक संस्थानों से कितना शुल्क लेता है, इसमें और अधिक पारदर्शिता की जरूरत है। चिंता की बात यह भी है कि पीटीआई के बोर्ड में अधिकांश निदेशक निजी मीडिया संस्थामों से हैं।

प्रसार भारती का मानना ​​है कि निजी समाचार पत्रों और समाचार चैनलों से उनकी सदस्यता के लिए जितना शुल्क लिया जाता है, उससे कहीं अधिक पीटीआई उनसे वसूलता है। ऐसे में पब्लिक ब्रॉडकास्टर का मानना है कि शुल्क को लेकर पारदर्शिता होनी ही चाहिए। अब यह पता चला है कि PTI और प्रसार भारती के बीच व्यावसायिक संबंधों की गहनता से समीक्षा की जा रही है।

पीटीआई जिस रास्ते पर चल रही थी, प्रसार भारती के अधिकारियों के लिए यह अब बर्दाश्त के बाहर हो गया। भविष्य में पीटीआई को सरकारी फंडिंग मिलेगी या नहीं, कुछ ही दिनों में इसका फैसला हो जाएगा। वैसे तो समाचार एजेंसी का सांप्रदायिक रूप से फर्जी समाचारों और राजनीतिक मामलों पर फर्जी खबरों को फैलाने का इतिहास रहा है। लेकिन चीन को अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए पीटीआई ने अपना मंच देकर हर सीमा को पार कर दिया।

समाचार एजेंसी की कमाई कैसे?

पीटीआई एक समाचार एजेंसी है और वह खबरें देकर ऐसे लोगों से धन अर्जित करती है, जिन्होंने एजेन्सी की सदस्यता ले रखी है। इस प्रकार समाचार एजेंसी रिपोर्ट इकट्ठा करके उसमें रुचि रखने वाली पार्टियों को बेचकर उससे अपनी इनकम लेती है। उदाहरण के लिए PTI की रिपोर्ट्स मुख्यधारा की मीडिया में दिखती है। ठीक उसी सरह से अन्य समाचार एजेंसियाँ जैसे एएनआई, आईएएनएस और यूएनआई के साथ-साथ वैश्विक एजेंसियाँ जैसे रॉयटर्स और एपी आदि भी हैं।

फर्जी खबरों का लंबा इतिहास

मौजूदा विवाद के अलावा पीटीआई का फर्जी खबरों को फैलाने का एक लंबा इतिहास रहा है। समाचार एजेंसी की ओर से मिली रिपोर्ट को अधिकांश मीडिया बिना किसी संपादन के प्रकाशित करते हैं। इसके कारण व्यक्तिगत मीडिया हाउसों की तुलना में समाचार एजेंसियों की ओर से आई फर्जी खबरें अधिक लोगों तक पहुँचती हैं।

पिछले वर्ष जुलाई में एक रिपोर्ट पेश करते हुए PTI ने दावा किया था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा है कि विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। कई मीडिया हाउसों द्वारा इस भ्रामक रिपोर्ट को चलाए जाने के बाद वित्त मंत्री को खुद स्पष्ट करना पड़ा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।

राजनीतिक मसलों पर भी न्यूज एजेंसी फेक न्यूज को हवा देती रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पीटीआई ने दावा किया था कि AAP के केवल 25 फीसदी उम्मीदवारों पर ही गंभीर आपराधिक मामले हैं। जबकि असल में यह संख्या 51 फीसदी थी। PTI ने इसी रिपोर्ट में BJP और कॉन्ग्रेस के डेटा के साथ भी छेड़छाड़ किया था।

2017 में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने दावा किया था कि यूपी सरकार ने राज्य में माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन में भारी कटौती की थी। उसी वर्ष पीटीआई ने एक और ऐसी खबर चलाई थी, जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक टीवी समाचार एंकर के द्वारा अपमानजनक सवाल पूछे जाने के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक का प्लान किया था, जबकि यह पूरी तरह से गलत था।

पिछले साल हुए सीएए विरोधी दंगों के बाद यूपी सरकार ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान के लिए पैसे वसूलने के लिए दंगाइयों की संपत्ति को जब्त करने का निर्णय लिया था, लेकिन इस कदम को भी पीटीआई ने गलत तरीके से पेश किया और दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ ‘बदला’ लेने की कसम खाई थी।

ये समाचार एजेंसी PTI द्वारा फर्जी समाचारों के कुछ उदाहरण थे। हकीकत में PTI हमेशा से फर्जी और भ्रामक खबरें चलाता है, जिसे मीडिया संस्थान आँख मूँद कर पब्लिश करते हैं और यह बहुत बड़े पाठक वर्ग तक पहुँचता है।

Zomato under attack by own boys as Cos. Chinese connection un earthed

Kolkata:

 A group of Zomato food delivery platform employees in Kolkata tore and burnt their official T-shirts to protest Chinese investment in the firm.

The agitation comes in the backdrop of the killing of 20 Indian soldiers in a clash with Chinese troops in eastern Ladakh’s Galwan Valley on 15 June.

During the protest at Behala in the southwestern part of the city on Saturday, some agitators claimed they have quit their jobs as Zomato has a sizeable Chinese investment and urged people to stop ordering food via the company.

In 2018, Ant Financial, a part of Chinese major Alibaba, had invested USD 210 million in Zomato for a 14.7 per cent stake. The food delivery major recently raised an additional USD 150 million from Ant Financial.

“Chinese companies are making profits from here and attacking the Army of our country. They are trying to grab our land. This cannot be allowed,” one of the protesters said.

Another protester said they were ready to starve but would not work for companies that have investment from China.

In May, Zomato laid off 520 employees or 13 per cent of its workforce in a huge retrenchment exercise due to the novel coronavirus pandemic.

There was no immediate reaction from Zomato and whether the protesters were among those who were retrenched was not known.

राहुल गाँधी वहाँ आकर ‘दो-दो हाथ’ कर लें, 1962 से लेकर अब तक चीन के विषय पर चर्चा हो जाएगी: अमित शाह

कोरेल ‘पुरनूर’,चंडीगढ़ – 28 जून 2020:

आज एक समाचार चैनल पर ANI की संपादक श्रीमति स्मिता प्रकाश ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह से साक्षात्कार किया। एक राजनैतिक व्यक्तित्व द्वारा गैर राजनीति साक्षात्कार का यह पहला मौका था जहां उन्होने राजनीतिज्ञ के तौर पर सिर्फ आने वाले सत्र में विपक्ष के एक नेता राहुल गांधी को तैयारी के साथ आने की बात कही। उन्हे विश्वास है की यदि राहुल गांधी सत्र में आते हैं तो उन्हे उनके सभी प्रश्नों के उत्तर सिलसिले वार दिये जाएंगा। चीन पर विवाद को लेकर अमित शाह ने कहा की वह राहुल गांधी से 1962 से लेकर अब तक चीन पर सब विषयों में चर्चा होगी।

भारत-चीन विवाद पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत निशानेबाजी कर रहे राहुल गाँधी को अमित शाह ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार चीन सीमा विवाद पर हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है और संसद में इस पर बृहद बहस के लिए भी रेडी है। अमित शाह ने राहुल गाँधी से कहा कि वो भी हाथों पर सैनिटाइजर रगड़ कर और मास्क व फेस शील्ड पहन संसदीय अखाड़े में उतरें।

अमित शाह ने कहा कि जल्द ही संसद सत्र आयोजित होने वाला है, राहुल गाँधी वहाँ आकर ‘दो-दो हाथ’ कर लें, 1962 से लेकर अब तक चीन के विषय पर चर्चा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि चर्चा से कोई नहीं डरता है, चर्चा करनी है तो राहुल गाँधी का स्वागत है। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि जब सीमा पर सेना बलिदान दे रही हो और सरकार ठोस क़दम उठा रही हो, उस समय पाकिस्तान और चीन को ख़ुश करने वाले बयान देने का क्या तुक है?

बता दें कि हाल ही में कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ कह कर चीन का एजेंडा आगे बढ़ाया था, जिसके बाद सोशल पर भी लोगों ने उनसे नाराज़गी जताई थी। इसी बयान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने उक्त बातें कहीं। उन्होंने राहुल गाँधी को आत्ममंथन की सलाह देते हुए कहा कि उनके बयान चीन और पाकिस्तान के रुख को बढ़ावा दे रहे हैं

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा से निपटने में पूरी तरह सक्षम है लेकिन जब देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का पूर्व मुखिया इस तरह की ओछी राजनीति करता है तो इससे दुःख होता है। उन्होंने ANI की संपादक स्मिता प्रकाश को दिए इंटरव्यू में पूछा कि कॉन्ग्रेस पार्टी का अध्यक्ष गाँधी परिवार से बाहर का क्यों नहीं होता? साथ ही उन्होंने कॉन्ग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल खड़े किए।

हाल ही में कॉन्ग्रेस की साथी पार्टी एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भी भारत-चीन मुद्दे पर राहुल गाँधी को राजनीति न करने की सलाह दी थी। शरद पवार ने राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए शनिवार (जून 27, 2020) को कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी पर आरोप लगाते समय यह भी देखना चाहिए कि अतीत में क्या हुआ था।