स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी ने शिवसेना को घेरने का मन बनाया है। बुधवार को बीजेपी राज्यभर में सावरकर की पुण्यतिथि मनाएगी, लेकिन उनकी नजर शिवसेना पर भी होगी।कारण सपष्ट है की भारत में नवोदय sekular धर्म को कट्टरता से मानने वाली कॉंग्रेस को मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण सावरकर का भूत भयभीत करता है । हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस की मासिक पत्रिका शिदोरी में वीर सावरकर को लेकर जो लेख छापे गए थे, बीजेपी ने उन्हें आपत्तिजनक करार देकर उसका विरोध किया था। तब शिवसेना ने चुप्पी साध ली थी।
मुंबई
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी ने शिवसेना को घेरने का मन बनाया है। बुधवार को बीजेपी राज्यभर में सावरकर की पुण्यतिथि मनाएगी, लेकिन उनकी नजर शिवसेना पर भी होगी। बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि आज शिवसेना का सावरकर प्रेम परखा जाएगा।
बीजेपी चाहती है कि शिवसेना दोनों सदन में वीर सावरकर का ‘गौरव प्रस्ताव’ लाए जिसकी संभावना गठबंधन धर्म के कारण है ही नहीं। पाटील कहते हैं कि आज पता चलेगा कि सावरकर के प्रति शिवसेना कितना सम्मान रखती है या फिर उनके मन में सम्मान के नाम पर ढोंग है। पाटील ने कहा कि देखते हैं, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मातोश्री में सावरकर की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हैं या फिर विधानमंडल में अभिनंदन प्रस्ताव लेकर आते हैं?
कांग्रेस और शिवसेना में टकराव की नौबत
महाविकास आघाडी में कांग्रेस और शिवसेना के बीच वीर सावरकर को लेकर भारी मतभेद हैं। शिवसेना हमेशा वीर सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पेश करती रही थी, जबकि हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस की मासिक पत्रिका शिदोरी में वीर सावरकर को लेकर जो लेख छापे गए थे, बीजेपी ने उन्हें आपत्तिजनक करार देकर उसका विरोध किया था। तब शिवसेना चुप रही थी। जाहिर है शिवसेना इस मुद्दे पर कांग्रेस के आगे दंडवत है अर्थात न चाहते हुए भी उसे सावरकर को ले कर कांग्रेस दर्शन स्वीकारणीय है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/unnamed-1.jpg205246Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 18:02:002020-02-26 18:02:21सावरकर को लेकर शिवसेना ने कॉंग्रेस के आगे घुटने टेके
शायद ही कभी जिन्ना की निंदा खुले मंच से हुई हो, जिस जिन्ना ने भारत माता के विभाजन में सबसे अग्रणी भूमिका निभाई थी. यहाँ तक कि पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना के लिए तो अलीगढ़ में भाजपा सरकार का विरोध तक कर डाला. इतनी निंदा उन अंग्रेजो की नहीं की गई जिन्होंने देश को लगभग 200 साल लूटा. हजारों वर्ष अत्याचार करने वाले मुगलों को महान बताया गया , क्योकि जिन्दा रखने थे तथाकथित सेकुलरिज्म के नकली सिद्धांत.
लेकिन जब भी और जिस भी मंच से भाषण दिया गया, वहां वीर सावरकर को अपमानित किया गया. अपने पूर्वजो का इतिहास कभी न बताने वालों ने वीर सावरकर को अपमानित कर के किसका वोट हासिल किया ये सभी जानते हैं. उनके भी वोट हासिल करने की कोशिश सावरकर को अपमान कर के की गई जो भारत की सेना और पुलिस बल के खिलाफ दिन रात मोर्चा खोले रहते हैं.
ये निंदा स्थानीय नेताओं के बजाय सर्वोच्च पदों पर आसीन राहुल गाँधी जैसो ने की. उनका इशारा पाते ही बाकी सब भी उनके सुर में सुर मिलाते रहे और अनगिनत हिन्दुओं के हत्यारे मुग़ल आक्रान्ता टीपू सुलतान की जय जयकार करने वाली कांग्रेस आजादी के नायक, हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रणेता अमर हुतात्मा वीर सावरकार के खिलाफ तनकर खड़ी हो गई. कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने सरकार ने नए पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर को वीर और देशभक्त नहीं, बल्कि जेल से बचने के लिए अंग्रेजों से दया मांगने वाला बता दिया. इतना ही नही मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा टीम सावरकर जी पर अनैतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया. यद्दपि देश देखता रहा ये सब और राष्ट्रीय जनादेश ऐसा करने वालों के विरुद्ध गया.
राजवीरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़:
न ही भाजपा-संघ वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में बात करते थकते हैं और न ही कॉन्ग्रेस वाले हिन्दू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर में नुक्स निकालते। इन दोनों राजनीतिक ध्रुवों के बीच जो खो जाता है, वह है लेखक, इतिहासकार, विचारक सावरकर- जिसने शायद एक व्यक्ति या नेता से आगे जाकर भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ें खोद दीं। जिसने दशकों बाद पहली बार भारत-भूमि को याद दिलाया कि 1857 में महज कुछ दिशाहीन, अनुशासन-विहीन सैनिकों की हिंसा नहीं, स्वतंत्रता का पहला संग्राम हुआ था। जिसके ‘मास्टर-प्लान’ पर काम करते हुए बारीन्द्र घोष, शचीन्द्रनाथ सान्याल, रासबिहारी बोस आदि ने अपनी उम्र झुलसा दी और बिस्मिल, बाघा जतीन, राजेन्द्र लाहिड़ी आदि अनगिनत वीरों ने प्राणोत्सर्ग किया। जिसकी प्रेरणा से अध्यक्ष चुने जाने के बावजूद कॉन्ग्रेस में हाशिये पर धकेल दिए गए सुभाष चन्द्र बोस आज़ाद हिन्द फ़ौज के ‘नेताजी’ बनने नजरबंदी से भाग निकले। जिसकी किताबें इतनी लोकप्रिय थीं कि भगत सिंह उसकी प्रतियाँ बेचकर बंदूकें खरीदने का पैसा जुटा सकते थे!
‘1857 दोहरा कर ही मिलेगी आज़ादी’
1857 के विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों ने जो क्रूरता और निर्ममता दिखाई थी, वह अनायास या अकारण ही नहीं थी। पूरी ब्रिटिश शासन व्यवस्था ब्रिटिश सेना के संरक्षण पर टिकी थी और ब्रिटिश सेना (चाहे वह ईस्ट इंडिया कम्पनी की हो या बाद में ब्रिटिश क्राउन की) में केवल मुट्ठी-भर अंग्रेज अफ़सर होते थे- भारतीयों को विदेशियों का गुलाम बना कर रखने वाली असली ताकत भारतीय सैनिक ही थे; उन राजाओं की सेनाओं के, जिनकी कम्पनी बहादुर या ब्रिटेन के राजपरिवार के साथ संधि हुई थी, या सीधे ब्रिटेन की गुलामी में पड़े हुए भू-भाग की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक। अतः 1857 को क्रूरता से कुचलना अंग्रेजों के लिए ज़रूरी था, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक किसी सैनिक के दिमाग में अपने गोरे मालिकों पर बंदूक तानने की जुर्रत न आए। इसीलिए उन्होंने न केवल लोमहर्षक निर्ममता के साथ इस संग्राम को कुचला (किवदंतियाँ हैं कि मंगल पाण्डे के घर वालों की पहचान करने में नाकाम रहने पर उन्होंने कानपुर से बैरकपुर तक के हर गाँव के हर पाण्डे उपनाम वाले बच्चे-बूढ़े-औरत को गाँवों के पेड़ों से फाँसी पर लटका दिया था), बल्कि इतिहास में इसे अधिक महत्व न देते हुए महज़ एक अनुशासनहीन विद्रोह के रूप में दिखाया। वह सावरकर ही थे जिन्होंने पहले मराठी और फिर अंग्रेजी में प्रकाशित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’/The Indian War of Independence के ज़रिए इस लड़ाई के असली रूप को जनचेतना में पुनर्जीवित किया।
1909 में प्रकाशित इस किताब में उन्होंने न केवल इस विद्रोह की राजनीतिक चेतना को रेखांकित किया बल्कि इसके राष्ट्रीय स्वरूप के पक्ष में भी तर्क रखे। यही नहीं, उन्होंने यह भी अनुमानित कर लिया था कि अगर भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होना है तो अंततः यही रास्ता फिर से पकड़ना होगा। ब्रिटिश सेना को पुनः राष्ट्रवादी, देशभक्त सैनिकों से भरना होगा जो वर्षों तक चुपचाप सेना में अपनी पैठ बनाएँ, प्रभुत्व स्थापित करें, अन्य सैनिकों की निष्ठा विदेशी शासन से इस देश की जनता की ओर मोड़ें। अंत में जब संख्याबल आदि सभी प्रकार से मजबूत हो जाएँ तो अपने नेता के इशारे पर, सही समय पर विद्रोह कर दें। महत्वपूर्ण रणनीतिक संसाधनों, हथियारों, रसद, आपूर्ति मार्गों आदि पर कब्ज़ा कर अंग्रेजों की व्यवस्था को घुटने पर ले आएँ।
सारे जहाँ में प्रतिबंधित
बौखलाए अंग्रेजों ने किताब और सावरकर पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। लंदन के सभी प्रकाशकों को इस किताब के अंग्रेजी अनुवाद/संस्करण के प्रकाशन के खिलाफ़ आगाह कर दिया गया। फ़्रांस ने भी अंग्रेज़ी दबाव में घुटने टेक दिए। अंततः किताब का अंग्रेज़ी संस्करण हॉलैंड (अब नीदरलैंड) में प्रकाशित हुआ- वह भी इसलिए कि ‘काली’ और ‘भूरी’ दुनिया को गुलाम बनाने में इंग्लैण्ड और हॉलैंड में ऐतिहासिक दौड़ मची थी। दोनों एक-दूसरे के औपनिवेशिक शासन को कमजोर करना चाहते थे। इस किताब को भारत में बाँटे जाने के लिए ब्रिटिश साहित्य के पन्नों में छिपा कर, या उसकी जिल्द चढ़ाकर लाया जाता था।
पीटर होपकिर्क अपनी किताब On Secret Service East of Constantinople में लिखते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर की किताब को ब्रिटिश लाइब्रेरी की सूची तक में जगह नहीं दी, ताकि भारतीय छात्रों को इसके बारे में पता न चल जाए। इसी किताब में वह यह भी बताते हैं कि सावरकर की किताब को ‘तस्करी’ कर भारत में लाने के लिए चार्ल्स डिकेंस का मशहूर उपन्यास ‘पिकविक पेपर्स’ काफ़ी इस्तेमाल हुआ है।
भगत सिंह
भगत सिंह ने न केवल सावरकर के साहित्य का खुद गहन अध्ययन किया (उनकी जेल डायरियों और लेखन में सावरकर से अधिक उद्धृत केवल एक लेखक हैं), बल्कि कई इतिहासकारों की राय है कि वे अपने क्रांतिकारी संगठन में भी सावरकर के अध्ययन को प्रोत्साहित करते थे। यही नहीं, सावरकर की ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ और इसके अंग्रेजी संस्करण की आमजन के बीच भारी माँग और प्रतिबंध के चलते आपूर्ति में किल्लत को देखते हुए भगत सिंह के इसकी व्यवसायिक पैमाने पर तस्करी करने के भी उद्धरण इतिहास में मिलते हैं। इस किताब को ऊँचे दामों पर बेचकर उनका संगठन अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति के लिए हथियार खरीदने का धन उगाहता था। इस किताब का दूसरा संस्करण प्रकाशित करवाने में भगत सिंह की भूमिका का ज़िक्र विक्रम सम्पत द्वारा लिखित सावरकर की जीवनी में है। यही नहीं, भगत सिंह ने सावरकर की केवल इस किताब ही नहीं, ‘हिन्दू पदपादशाही’ का भी ज़िक्र अपने लेखन में किया है।
सावरकर भी भगत सिंह का काफी सम्मान करते थे। इसकी एक बानगी यह है कि सावरकर की मृत्यु के उपरांत 1970 में प्रकाशित उनकी जीवनी ‘आत्माहुति’ का विमोचन भगत सिंह की माता माताजी विद्यावती देवी के हाथों हुआ। इस समारोह में उनके छोटे भाई भी शरीक हुए थे।
आज यह कतई ज़रूरी नहीं है कि जो कुछ सावरकर ने लिखा है, वह सही ही हो। बहुत कुछ ऐसा भी हो सकता है जो उस समय भले सही रहा हो, लेकिन आज प्रासंगिक न हो। सावरकर के जीवनकाल में ही ‘हिंदुत्व’ और हिंदूवादी राजनीति की उनसे अलग परिभाषाएँ रहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के हिन्दू महासभा छोड़ने के पीछे एक महती कारण पाकिस्तान को लेकर उनमें और सावरकर में पाकिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार कर लेने (डॉ. मुखर्जी का मत) बनाम पुनः एक दिन अखण्ड हिंदुस्तान की सावरकर की परिकल्पना का गंभीर मतभेद था। ‘हिंदुत्व’ शब्द सावरकर के पहले भी था और सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह कई बार साफ़ किया है कि आज का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोलवलकर-सावरकर से आगे बढ़ चुका है। ऐसे में यदि सावरकर को यदि जीवित रखना है तो उनके प्रशंसकों, उनके अनुयायियों को उन्हें दोबारा पढ़ना होगा, उन्हें दोबारा ‘खोजना’ होगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/Veer-Savarkar-Biography-In-Hindi.jpg375500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 17:19:532020-02-26 17:27:58क्रांतिकारी, विचारक और लेखक राष्ट्रवादी वीर सावरकर कांग्रेस की परेशानी
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि एक नामपता नामालूम व्यक्ति दिनांक 13.02.2020 को गांव महेशपुर सेक्टर 21 पंचकुला से घायल अवस्था मे मिला था। जिसकी दिंनाक 23.02.2020 को इलाज के दौरान PGI चण्डींगढ मे मृत्यु हो गई है जिसके बारे में अभी तक कोई भी सुराग नही मिला है। जिसकी लाश 72 घन्टे के लिये PGI चण्डींगढ की मोर्चरी में शिनाख्त हेतु रखवाई गई है। मृतक व्यक्ति का हुलिया इस प्रकार से है। रंग सांवला लम्बा चेहरा कद 5 फुट 11 इंच उम्र करीब 40 से 45 साल सफेद शर्ट व कोका कोला पैन्ट शरीर सामान्य व पैरो मे जुते पहने हुये है। जिस किसी भी व्यक्ति को मृतक नाम पता नामालूम व्यक्ति के बारे में कोई सूचना मिले तो वह SHO थाना सैक्टर-5 के मोबाईल न0 8146630014 से सम्पर्क कर सकते है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/body.png204171Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:41:472020-02-26 14:42:05अज्ञात शव मिला
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) के आह्वान पर 11 मार्च से 13 मार्च 2020 (तीन दिन) को पूरे भारत में10 लाख से अधिक अधिकारी / कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे आईएबीए और यूएफबीयू के बीच वेज रिवीजन और अन्य मुद्दों क़े बारे जों 01/11/2017 से लागू है , के बारे में आज आईएबीए के उदासीन रवैये के खिलाफ बैंक स्क्वायर सेक्टर 17 चंडीगढ़ मे विरोध पर्दर्शन मे किया जिस मे त्रिसिटी के 1000 से अधिक बैंक कर्मचारियों /अधिकारियों ने भाग लिया। 20 फ़रवरी ईसी स्थान पर वीशाल प्रदर्शन किया गया था | जिस में हजारों बैंक कर्मियों नए हिस्सा लिया ।
UFBU के सहयोगी संगठनों के आज के आंदोलन के दूसरे चरण के दौरान आईबीए के रवैये की निंदा की और अपनी मांगों के शीघ्र समाधान के लिए जोरदार नारे लगाए । कर्मचारियों / अधिकारियों की वास्तविक मांगों के प्रति आईएबीए के उदासीन रवैये के खिलाफ निंदा की गई
यूएफबीयू के पर्वक्ताने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में सेवाओं और वेतन बढ़ोतरी के नियम इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) और अधिकारी संघों और कर्मचारी संघों के बीच के समझौते होता है, जों 01/11/2017 से लम्बित है। यूएफबीयू पांच कामगार यूनियनों और चार अधिकारियों के संघों का प्रतिनिधित्व करता है जो वर्तमान में बैंक कर्मियों / अधिकारियों को मजदूरी के संशोधन के लिए आईबीए के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने हमेशा इस देश की वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पिछले 6 दशकों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वर्ग बैंकिंग को बड़े पैमाने पर विशेष रूप से अर्थव्यवस्था मे निमन वर्ग की तरफ विशेष धयान दिया उन्होंने आगे कहा कि पिछले 2 वर्षो में 21 से अधिक दौर की चर्चाएँ आईबीए के साथ हुई हैं, लेकिन आज तक बैंकरों के लिए सम्मानजनक वेतन बढोतरी नहीं हुई। भारत सरकार को चाहिए कि वह आईबीए को तत्काल वेतन निपटान के लिए निर्देश दे, बैंकरों की वास्तविक मांगों सहित 5 दिन सप्ताह का कार्यान्वयन करे। उन्होंने आगे कहा कि बैंक यूनियन्स कर्मी १ अप्रैल से देश व्यापी हड़ताल अनिश्चित कालीन करेगें ।
उन्होंने आगे कहा कि हम ईमानदारी से सम्मानित ग्राहकों / महिलाओं को होने वाली असुविधा के लिए खेद है बैंक कर्मचारियों / अधिकारियों द्वारा हड़ताल के कारण और उनके नैतिक समर्थन के लिए उनसे अपील की गई।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200226-WA0034.jpg9601280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:32:002020-02-26 14:33:43यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स का तीन दिविसीय देश व्यापी हड़ताल का आह्वान
सांसद आजम खां और उनकी विधायक पत्नी और बेटे के कोर्ट में सरेंडर के बाद कचहरी परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जिले के सभी सपा नेता और पदाधिकारी कचहरी में जमे रहे। वहीं भीड़ बढऩे की वजह से परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई थी।
रामपुर:
समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की मुश्किल बढ़ गई है. कोर्ट ने पूरे परिवार को 7 दिन तक जेल भेजने का आदेश दिया है. आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिम और बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को 2 मार्च तक के लिए जेल भेज दिया गया है. रामपुर के एडीजी 6 अदालत में आजम खान अपने परिवार के साथ पेश होने पहुंचे थे. आपको बता दें कोर्ट पिछले काफी समय से आजम खान हाजिर होने के लिए समन जारी कर रहा था. जिसकी अनदेखी आजम खान कर रहे थे. गैर हाजिरी होने के चलते कई बार कोर्ट ने आजम खान, बेटे अब्दुल्लाह आजम और पत्नी तंजीम फातमा के खिलाफ जमानती और गैर जमानती वारंट जारी किया. अब तक सपा सांसद आजम खान पर 88 मुकदमे भी दर्ज है.
आपको बता दें कि आजम खां ने 20 मामलों में जमानत याचिका दायर की थी. इनमें 2 जन्म प्रमाणपत्र मामले में कोर्ट ने कल कुर्की के आदेश दिए थे. बधुवार को 17 मामले सुने गए. 4 में जमानत मिल गई जबकि 13 मामलों में अलग अलग डेट लगी है. एक मामले में कल भी सुनवाई होगी. जबकि बाकी मामलों में 2 मार्च को सुनवाई होगी. इनमें चुनाव में दर्ज हुआ अचार संहिता के उल्लंघन के 4 मामलों में बेल दी गई. अगली सुनवाई तक आजम खान जेल में ही रहेंगे. कई मामले में तो जमानत मंजूर हो गई है, लेकिन बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी प्रमाण पत्र और दो पासपोर्ट के मामले में धारा 420 के तहत दर्ज मामले में जमानत याचिका खारिज की गई है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/063.jpg385800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:20:132020-02-26 14:21:15धोखाधड़ी के आरोपी आजम परिवार सहित 2 मार्च तक रहेंगे जेल में
नाम: गगनदीप पिता: श्री महेंद्र शर्मा माता: श्रीमती चम्पा देवी जन्म तिथि: 09-05-2004 रंग: पूर्णरूपेण गोरा ऊँचाई(height):5’2 पता: ग्राम नन्दपुर, पोठ मल्ला तहसील कालका, जिला पंचकूला पिन कोड:134102 सम्पर्क: 8053590071 पिता जी 9485618487 माता ji
यह बालक पिछले 18 फरवरी से लापता है। पुलिस को सूचना दी जा चुकी है। इस बालक को आखिरी बार मनसा देवी स्थित लक्ष्मी भवन शाम 5:00 बजे घर के लिए निकलते हुए देखा गया था, तब ही से यह घर नहीं पहुंचा ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/gagandeep.jpg1280960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:07:402020-02-26 14:08:23गुमशुदा की तलाश
दिल्ली हिंसा का असर दिखने लगा है, अब दिल्ली में भी काश्मीर जैसे हालात बन गए हैं। एक समुदाय विशेष के शांति दूतों द्वारा 80 पीड़ित परिवारों ने रात को पुलिस थाणे में शरण ली और अब वही 80 परिवार अपने रिशतेदारों के यहाँ शरण लेने को मजबूर हैं। दिल्ली के कई इलाकों के हाल अब काश्मीर से होते जान पड़ते हैं। लोग अपने पुरखों के मकान/जायदाद मात्र जान और इज्ज़त बचाने के लिए छोड़ कर जा रहे हैं। मस्जिदों से हिंदुओं को दिल्ली छोड़ कर जाने के फरमान की बातें सुनने में आ रहीं हैं।
नई दिल्ली.
दिल्ली के गोकुलपुरी में सोमवार और मंगलवार की रात इलाके में रह रहे कई परिवारों के लिए तांडव की रात लेकर आया. गोकलपुरी इलाके के गंगा नगर मोहल्ले में रह रहे 80 परिवार 35 सालों से अपने घरों में रह रहे थे. लेकिन दिल्ली के इस इलाके में हिंसा भड़कने के बाद कुछ असमाजिक तत्वों ने इनके घरों पर हमला कर दिया, लेकिन पुलिस के सही समय पहुंचने पर इन लोगों की जान बची. बाद में पुलिस इस मोहल्ले से सभी 80 परिवार को सुरक्षित निकालकर दयालपुर थाने ले गई.
इन्हीं परिवार में से बचाकर दयालपुर थाने लाए गए एक शख्स का कहना है कि हम लोग सभी गोकुलपुरी के गंगा नगर में पिछले 35 सालों से रह रहे हैं. कभी कोई दिक्कत नही हुई, लेकिन सोमवार और मंगलवार को जैसे ही मौजपुर और बाबरपुर इलाकों में दंगा भड़की, अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. इसके नतीजे में दूसरे लोगों ने हमारे घरों पर हमला कर दिया. किसी तरह हम लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए. पुलिस को फोन कर सहायता मांगी. इन लोगों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो हम लोग आज जिंदा नहीं बचते.
पुलिस ने मंगलवार की रात लगभग 100 लोगों को थाने में शरण दी थी, जो बुधवार को मेट्रो के शुरू होते ही अपने अपने सगे सबंधी के घर चले गए. ऐसे ही एक परिवार को गाजियाबाद से ले जाने आए एक अन्य शख्स कहते हैं कि मुझे मेरे भाई ने मंगलवार सुबह ही माहौल ठीक न होने की बात कही थी, लेकिन हालत ठीक नहीं होने की वजह से नहीं आ पाया. वह कहते हैं कि शुक्रिया पुलिस का जिन्होंने मेरे परिवार की जान बचाई.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “इन परिवार में से अधिकतर कल शाम को ही अपने अपने करीबी के घर चले गए. जो रहना चाहते थे उनके लिये खाने पीने की व्यवस्था की गई. अब धीरे धीरे स्थिति ठीक हो रही है. पुलिस हर जगह है. इसलिए जो जाना चाहते हैं, धीरे-धीरे कर अपने रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं.”
इस बीच कल देर रात से दिल्ली के इन हिंसा प्रभावित इलाकों में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों का फ्लैग मार्च जारी है. खुद पुलिस के आला अधिकारी सड़कों पर पेट्रोलिंग करते दिख रहे हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/gdh.jpg527750Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 13:53:452020-02-26 13:54:58क्या दिल्ली में भी हिंदुओं के लिए काश्मीर जैसे हालात होंगे
गर्भपात कराना यानी कि भ्रूण हत्या एक कानूनी जुर्म है। और यह एक गैर कानूनी अपराध सिर्फ तब तक नहीं है जब तक इसकी सीमाओं को लांघा नहीं गया और इसकी सीमा है 24 हफ्ते तक का दर्द अगर किसी भी महिला ने 24 हफ्ते के गर्भ के बाद गर्भपात करवाया तो इसको कानूनी जुर्म देखा जाएगा और कानून के दायरे में रखते हुए जिसने गर्भपात करवाया है उसे 3 वर्ष और जिस एजेंट डॉक्टर ने गर्भपात किया है। जिसने गर्भपात की सुविधा उपलब्ध कराई है। उस डॉक्टर को 7 वर्ष की कैद। निश्चित है।
विशेष:
इस कथन का नाता किसी ऐसी घटना से नहीं है। जिसमें किसी माता या किसी पिता ने अपनी ही औलाद को मौत के घाट उतारा हो या उसके साथ किसी भी प्रकार की बदसलूकी की हो। बल्कि यहां पर जीवनदाता उसको कहा गया है जिसे हमारे भारत में भगवान का दर्जा भी दिया जाता है। यानी कि डॉक्टर को हमारे भारत देश में भगवान जीवनदाता के नाम से आदर सत्कार के साथ बुलाया जाता है और वह सिर्फ इसलिए क्योंकि सिर्फ डॉक्टर ही हैं जो कड़ी से कड़ी मुश्किल भारी बीमारियों से मरीजों को बाहर निकाल कर लाते हैं और उन को एकदम भला चंगा कर देते हैं। और इनके इसी कार्य की वजह से भारत ही नहीं पूरी दुनिया भर के लोग उन पर पूरी तरह से निर्भर हैं, अपनी सेहत अपने स्वास्थ्य को लेकर।
जिस क्षेत्र में डॉक्टर काम करते हैं, उस क्षेत्र को मेडीवेशन कहा जाता है और मेडीवेशन के क्षेत्र में डॉक्टर सिर्फ एक प्रकार का ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकारों का होता है। जैसे पौधों का डॉक्टर पेड़ों का डॉक्टर जानवरों का डॉक्टर पक्षियों का डॉक्टर वह इंसानों का डॉक्टर और इंसानों का डॉक्टर कोई सिर्फ एक ही नहीं होता। वह भी भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। जैसे दिमाग का डॉक्टर अलग दिल का डॉक्टर अलग किडनी का अलग महिलाओं का अलग पुरुषों का अलग वहीं बच्चों का अलग डॉक्टर पाया जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में तो डॉक्टर को भगवान का नाम देकर आदर सत्कार के साथ बुलाया जाता है। लेकिन पूरे विश्व भर में हर व्यक्ति मैडिविजन क्षेत्र का आभारी है। क्योंकि केवल यही क्षेत्र है जो कि ना उन्हें सिर्फ उनकी बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करता है बल्कि उस बीमारी को झेलने की ताकत भी देता है। क्योंकि इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिकों की भी सुविधा उपलब्ध है। परंतु इस चित्र में सबसे ज्यादा महिलाओं के डॉक्टर यानी कि प्रसूतिशास्त्री
यहाँ माएं अपनी प्रसूति समस्याएं लेकर आती हैं और यही वह डॉक्टर हैं जो एक मां को उनकी संतान से मिलवाते हैं। लेकिन यह हर बार एक संतान को उसकी मां से नहीं मिलवा पाते, बहुत बार यह हत्यारे भी बन जाते हैं जो कि एक अजन्मी जान को मौत के घाट उतार देते हैं। गर्भपात के बारे में तो हम सब जानते हैं और यह भी जानते हैं कि गर्भपात कराना यानी कि भ्रूण हत्या एक कानूनी जुर्म है। और यह एक गैर कानूनी अपराध सिर्फ तब तक नहीं है कि जब तक इसकी सीमाओं को लांघा नहीं गया और इसकी सीमा है 3 माह है। अगर किसी भी महिला ने 3 माह के गर्भ के बाद गर्भपात करवाया तो इसको कानूनी जुर्म देखा जाएगा। कानून के अनुसार जिसने गर्भपात करवाया है उसे 3 वर्ष और जिस एजेंट – डॉक्टर ने गर्भपात किया है अथवा जिसने गर्भपात की सुविधा उपलब्ध कराई है उस डॉक्टर को 7 वर्ष की कैद निश्चित है। जबकि मेरे विचार से इस हत्या कि सज़ा तो उम्रक़ैद होनी चाहिए।
माँ
तेरे आँचल में छिप जाने को मन करता है, तेरी गोद में सो जाने को मन करता है | जब तू है साथ मेरे,जिन्दगी जीने कामन
करता है | तू ही है जिसके साथ,मै खुश हूँ , बस तेरे दामन में ही मह्फुस हूँ, पर माँ, जब
तू भी दुश्मन बन जाती है, मेरी नन्ही सांसों को, जब तू ही खामोश कर जाती
है| क्या कसूर होता है मेरा, जो तू भी पराया कर जाती
है | मुझे जिन्दगी के बजाय, मौत के आगोश में सुला
देती है| डरती है रूह मेरी, न जाने कब क्या होगा , जब तू भी साथ ना है माँ ,तो कौन मेरा अपना होगा , कौन मेरा अपना होगा ????
साभार कवियत्री: कर्णिका पाठक
हमारे ग्रन्थों में भ्रूण हत्यारे अश्वत्थामा को तो मणि विहीन कर शापित अमरता का दंड मिला है। महाभारत युद्ध के पश्चात जब अश्वत्थामा ने अभिमन्यु कि पत्नी उत्तरा के गर्भस्थ शिशु कि हत्या का प्रयास किया तब श्री कृष्ण ने न केवल उस गर्भ कि रक्षा की अपितु अश्वत्थामा की मस्तिष्क मणि निकाल कर उसे उसी रिसते घाव के साथ अमर होने का श्राप दिया। एक क्षणिक उन्मादी को शास्त्रोचित दंड मिला, परंतु इन लोगों को इस दंड का कोई भय नहीं।
अभी कल ही पंचकूला की एक ऐसी घटना सामने आई है। जिसमें पंचकूला सेक्टर 6 के जनरल हॉस्पिटल की गायनी विभाग की डॉ पूनम भार्गव ने अपने ही घर में गर्भपात का सारा इंतजाम कर रखा था। और इसकी शिकायत। अमन राजपूत और विनय अरोड़ा जी ने दी।डॉ. पूनम भार्गव के कारनामों के बारे में जानकारी दी थी। इसलिए वह ट्रैप लगवाना चाहते थे। लेकिन पुलिस की ओर से सहयोग न मिलने के चलते डॉ. पूनम भार्गव रंगे हाथों पकड़े जाने से बच गई। अमन राजपूत अपने साथ जिस महिला को गर्भपात के लिए पूनम भार्गव के घर लेकर गए थे, उसके गर्भ में बच्चे को मारने के लिए पहले तो महिला को गोली खिला दी और उसके बाद अमन से पैसे देने के लिए कहा। अमन ने जब कहा कि उसके पास अभी तीन हजार रुपये ही हैं तो वह भड़क गई थी और महिला को घर पर ही बैठा लिया था। इसके बाद अमन पांच हजार रुपये और लेकर आया था। दो वकीलों को लेकर पहुंची डॉक्टर। बीते सोमवार को इस मामले की जांच कमेटी कर रही थी और कमेटी के सामने डॉक्टर पूनम भार्गव उपलब्धि रही और वह अपने साथ दो वकील लेकर आई थी उनके वकील 9:00 पर शिकायतकर्ता अमन और विनय ने ऐतराज जाहिर किया और उनके एतराज के चलते हैं कोर्ट से बाहर कर दिया गया। और इसके बाद पूनम भार्गव का वीडियो भी हम दोनों शिकायत कर्ताओं ने दिखाया जिसमें वह इससे बाबत डीलिंग करती हुई नजर आ रही है और वह बोल रही है। इस वीडियो में यह देखने को मिला कि वह किससे बात कर रही है? क्या बात कर रही हो और डीलिंग में कितने पैसे ले रही हैं? डील चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी असिस्टेंट। बलजिंदर कौर के जरिए शुरू हुई थी। जिसमें बलजिंदर अमन से कह रही थी कि गर्भपात डॉक्टर पूनम भार्गव कर देंगी लेकिन उसके लिए उन्हें पैसे देने होंगे।
डॉक्टर पूनम ने कमेटी के समक्ष यह कबूल कर लिया कि। उन्होंने गर्भपात करने के लिए अमन से ₹8000 नकद ली थी। जिसे वह मौके पर ही कमेटी के समक्ष जमा कर दिए। गर्भपात विशेषज्ञ डॉक्टर को कानून क्या सज़ा देते हैं यह एक अलग शोध का विषय रहेगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/कन्या-भ्रूण-हत्या.jpg460673Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 04:24:532020-02-26 05:48:46क्या करें जब जीवनदाता ही हत्यारा बन जाए?
26 फरवरी 2020: आप किसी नतीजे या फैसले का इंतजार कर रहे हैं तो शांति रखें, सब ठीक हो जाएगा. ऑफिस में अपने नियमित काम से हटकर कुछ करने की कोशिश करेंगे तो सफल रहेंगे. मेहनत से सफलता मिलने के योग हैं. कोई बड़ा फायदा भी हो सकता है. मनचाहे कामों को पूरे करने के लिए आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. परिवार के साथ समय बिताने की कोशिश करेंगे. बिजनेस के लिहाज से दिन अच्छा है.
26 फरवरी 2020: अपनी राय और बातों से आप ज्यादातर लोगों पर प्रभाव जमा सकते हैं. ऑफिस में अपने से छोटे लोगों की टेंशन हो सकती है. उलझे हुए काम सुलझाने के लिए स्थितियां आपके फेवर में हो सकती है. आपके सोचने के तरीके में बदलाव हो सकता है. दोस्तों से समय पर मदद मिल सकती है. घर परिवार के कामनिपटाने में भी मन लगेगा.
26 फरवरी 2020: रोजमर्रा का कामकाज निपटाने के लिए एक्स्ट्रा कोशिश करें. अपनी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखें. अपने समय और धैर्य का पूरा इस्तेमाल करें. आज इसकी जरूरत होगी. अपने ही दम पर और शांत मन से जो काम करेंगे, उसमें आपको सफलता मिल सकती है. पॉजिटिव रहने की कोशिश करें.
26 फरवरी 2020: पैसा कमाने की कोशिश में सफलता मिल सकती है. कोई पार्ट-टाइम काम भी आपको मिल सकता है. एक्स्ट्रा काम में किसी की मदद मिल सकती है. पुराने कुछ मामलों में अनबन खत्म हो सकती है. दूसरों का नजरिया समझने की कोशिश करें. आपको किसी अच्छी खबर का इंतजार रहेगा.
26 फरवरी 2020: आज कोई भी काम न टालें. आज आपको अपने नौकरी या बिजनेस के टारगेट पर ही पूरा ध्यान देना चाहिए. एकाग्रता से काम निपटाने की कोशिश करें. नए व्यक्ति से मुलाकात या दोस्ती होने के योग हैं. परिवार के कुछ लोगों से अपने कामकाज और प्लानिंग शेयर कर सकते हैं.परिवार के सदस्यों के साथ अच्छा समय बीतेगा, परिवार की मदद से ही आपकी आर्थिक समस्या सुलझ सकती है. दिल और दिमाग पर कंट्रोल करने की कोशिश करें.
26 फरवरी 2020: दिन अच्छा है. अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करेंगे तो फायदा होगा. ऑफिस में विपरीत लिंग के लोगों के साथ बातचीत कुछ ज्यादा हो सकती है. ऐसे लोगों से मदद मिलने के भी योग हैं. प्रेम जताने के लिए दिन ठीक है. समय पर काम पूरे हो सकते हैं. किसी के मेंटल सपोर्ट से आपकी मानसिक स्थिति में संतुलन रहेगा.
26 फरवरी 2020: तुला राशि के लोग अपने हालातों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं. हिम्मत और दिमाग से बिगड़ी हुई स्थिति को संभालने में बहुत हद तक सफल भी हो सकते हैं. अच्छे व्यवहार के कारण कुछ लोगों की मदद मिल सकती है. रुके हुए काम पूरे होने की संभावना है. ऑफिस के कुछ खास काम निपटाने में आप सफल हो सकते हैं. काम में भी मन लगेगा. आपको संयम में रहना होगा. आप किसी धार्मिक यात्रा पर भी जा सकते हैं.
26 फरवरी 2020: बहुत से काम आसानी से पूरे हो सकते हैं और आपका अच्छा असर लोगों पर होगा. जो काम और बातें अटक रही हैं, उनके लिए कोई बीच का रास्ता भी निकल सकता है. कामकाज में सफलता के योग बन रहे हैं. आपके पास ऑफिस या अपने पेशे के काम बहुत रहेंगे. बहुत सारा काम निपटाने की कोशिश आप कर सकते हैं. जीवनसाथी से मदद मिल सकती है. घर के मामले सुलझा लेंगे. सबसे विनम्र होकर बात करें. बुजुर्गों का आशीर्वाद भी आज आपको मिल सकता है. कानूनी मामलों में समय का ध्यान रखें.
26 फरवरी 2020: आज ऐसे काम पूरे हो सकते हैं जिनके बारे में आप पिछले कुछ दिनों से प्लानिंग कर रहे हैं. लंबे समय से अधूरी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. अपनी कोशिशों में आप सफल रहेंगे. कुछ नया सीखने को मिलेगा. नए स्थान पर भी जा सकते हैं. आप मीठा बोलकर सारे काम पूरे करवा सकते हैं. किस्मत का साथ भी आज आपको मिल सकता है. दूसरों की जरूरतों और मूड का अंदाज आप आसानी से लगा सकेंगे. अपने आप पर भरोसा रखें.
26 फरवरी 2020: बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है. उन मामलों को टाल दें जिनको निपटाने में आप परेशान हो रहे हैं. जरूरी काम निपटाने में कुछ लोगों की मदद मिल सकती है. बड़ा कदम उठाने के पहले अच्छी तरह विचार कर लें. किसी अनुभवी से भी सलाह ले लें. शारीरिक परेशानियां खत्म हो सकती हैं. बिजनेस में अच्छी स्थिति बन सकती है. कोशिश करने पर रुका हुआ पैसा मिल सकता है.
26 फरवरी 2020: आपके लिए दिन सामान्य रहेगा. परेशानी में खुद को संभाल लें. ऑफिस में विपरीत लिंग वाले लोगों से भावनात्मक बातचीत हो सकती है. आपको मदद भी मिल सकती है. विवाद के मामलों से खुद को दूर रखने की कोशिश करें. कुछ विवादों में समझौते हो सकते हैं. पैसों के क्षेत्र में प्रगति होगी. पुराने अटके कामों में भी गति आ सकती है. कोई अच्छी खबर भी आपको मिल सकती है.
26 फरवरी 2020: रोजमर्रा और पार्टनरशिप के काम समय से पूरे हो सकते हैं. दोस्तों और भाइयों की मदद मिलने के योग बन हैं. किसी तरह का कन्फ्यूजन खत्म हो सकता है. पैसों और अन्य मामलों में फायदे वाला दिन है. आज आप कामकाज में व्यस्त रहेंगे. आपके सामने कई जिम्मेदारी वाले काम भी आ सकते हैं. मानसिक तौर पर आप सक्रिय रहेंगे. रोजमर्रा के कामकाज में बदलाव की कोशिश हो सकती है. अपने कामकाज में सुधार करने का दिन है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/rashifal.jpg476715Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 02:46:292020-02-26 02:47:08आज का राशिफल
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Hindu-Panchang-1.jpg388997Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 01:52:212020-02-26 01:53:21आज का पंचांग
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