साल का आखिरी वलयाकार सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण २०१९ (Solar Eclipse 2019): सूर्य ग्रहण से पहले अगर कुछ विशेष काम किये जाएं तो इस काल की नकारात्मक ऊर्जा और प्रभाव को खत्म किया जा सकता है.
नई दिल्ली : इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कल 26 दिसंबर, 2019 (5 पौष, शक संवत 1941) को लगने जा रहा है जो वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा अर्थात पूर्णग्रास नहीं बल्कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. इससे पहले इस साल 6 जनवरी और 2 जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बताया कि भारत में सूर्योदय के बाद इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों देखा जा सकेगा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा. ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर को शाम 5:31 बजे से लग जाएगा, जो सूर्य ग्रहण की समाप्ति के साथ ही खत्म होगा.
भारतीय मानक समय अनुसार, आंशिक सूर्यग्रहण सुबह 8 बजे आरंभ होगा, जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू होगी. सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी, जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनटर पर समाप्त होगी.
ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी हिस्से में कुछ स्थानों यथा कन्नानोर, कोयंबटूर, कोझीकोड, मदुरई, मंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली इत्यादि से होकर गुजरेगा. भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढका रहेगा. सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आ जाने से सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं.
वलयाकार पथ से देश के उत्तर एवं दक्षिण की ओर बढ़ने पर आंशिक सूर्य ग्रहण की अवधि घटती जाएगी. आंशिक ग्रहण की अधिकतम प्रावस्था के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का आच्छादन बंगलोर में लगभग 90 फीसदी चेन्नई में 85 फीसदी, मुंबई में 79 फीसदी, कोलकाता में 45 फीसदी, दिल्ली में 45 फीसदी, पटना में 42 फीसदी, गुवाहाटी में 33 फीसदी, पोर्ट ब्लेयर में 70 फीसदी और सिलचर में 35 फीसदी रहेगा. सूर्य का वलयाकार ग्रहण भूमध्य रेखा के निकट उत्तरी गोलार्ध में एक संकीर्ण गलियारे में दिखाई देगा. वलयाकार पथ सऊदी अरब, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, श्रीलंका के उत्तरी भाग, मलेशिया, सिंगापुर, सुमात्रा एवं बोर्निओ से होकर गुजरेगा.
अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून, 2020 को दिखाई देगा. यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा. देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई पड़ेगा.
सूतक काल के बारे में धार्मिक मान्यता
सूतक काल का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्रग्रहण दिखाई देने पर सूतक के कई मायने हैं. सूर्यग्रहण में सूतक का प्रभाव लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता हैं. वहीं चंद्र ग्रहण में यह अवधि 9 घंटे की हो जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
सूर्य ग्रहण पर करें ये काम:
- सूतक काल सूर्य ग्रहण से पहले लगता है. इस समय से लेकर सूर्य ग्रहण तक के समय को अशुभ प्रभाव वाला माना जाता है. इसलिए इस प्रभाव को खत्म करने के लिए पूजा पाठ करना चाहिए और वैदिक मंत्रों का पाठ करना चाहिए.
- मान्यता है कि सूतक कल में खाना दूषित और नकारात्मक प्रभाव पैदा करने वाला बन जाता है. इसलिए सूतक काल शुरू होने से पहले खाने की चीजों में तुलसी का पत्ता डाल दें.
- मान्यता है कि सूतक काल में जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें घर के भीतर ही रहना चाहिए. इस दौरान सूर्य की किरणें हानिकारक प्रभाव पैदा करने वाली मानी जाती हैं.
- सूतक से लेकर सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद पीने का पानी भी बदलकर दूसरा भर लें.
- सूतक से लेकर सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद नहा लें. मान्यता है कि ग्रहण काल में शरीर भी अशुद्ध हो जाता है. इसलिए अच्छे से नहा धोकर साफ कपड़े पहन लें.
- सूर्य ग्रहण के सूतक काल शुरू होने से पहले ही पूजाघर में पर्दा खींच दें (बंद कर दें).
- सूतक काल शुरू होने से पहले ही गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने के लिए इच्छानुसार आवश्यक दान सामग्री निकाल लें. सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद दान का सामान किसी गरीब को दान कर दें.
पौराणिक मान्यता
ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है.
ग्रहण के दौरान ये न करें –
– ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
– ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए.
– ग्रहण को नग्न आखों से न देखें
– चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं.
शुभ है या अशुभ घटना?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं. लेकिन अब ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां कम हुई हैं. हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं.