मेनका गांधी होने के मायने….

-विक्रम बृजेन्द्र सिंह-

चौंतीस साल गुजर गए।वे 1984 की सर्दियों के दिन थे। हक़ की लड़ाई लड़ रही गांधी परिवार की छोटी बहू मेनका गांधी अमेठी की अपनी राजनीतिक विरासत के लिए जनता की चौखट पर थीं।राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी संसदीय क्षेत्र से बहैसियत संयुक्त विपक्ष प्रत्याशी राष्ट्रीय संजय मंच की मुखिया के रुप में, शायद नामांकन के बाद शहर के खुर्शीद क्लब में जनता से रूबरू थीं।अपने साथ की गई ज्यादतियों को लेकर वे बिफर रहीं थीं। उस सभा के चश्मदीद लोगों को उनका वो आक्रामक अंदाज़ आज भी भूला नहीं है। लगभग घंटे भर के भाषण में उनके निशाने पर था गांधी परिवार। संजय गांधी की विमान हादसे में मौत के बाद से ही घर-परिवार-समाज और राजनीति में अपने वजूद को साबित करने के लिए जूझ रही मेनका पति की कर्मस्थली अमेठी में अपना हक चाहती थीं। क्योंकि संजय गांधी ने सियासत शुरू की थी अमेठी(तत्कालीन सुल्तानपुर जिले का संसदीय क्षेत्र)से।

..पर इंदिरा की शहादत से उपजी सहानुभूति लहर के आगे वे कामयाब न हो सकीं। कड़ी शिकस्त खाई मेनका फिर वापस नहीं लौटीं। अलबत्ता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ बनाई और इस बीच बरेली,आंवला व पीलीभीत आदि सीटों से रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर राजनीति में मेनका होने की सार्थकता सिद्ध की। सामाजिक सरोकार के मुद्दों व जीव जंतुओं के अधिकार और संरक्षण की बड़ी पैरोकार के तौर पर भी पहचान बनाने में कामयाब रहीं।

…लेकिन एक टीस कायम रही,वो थी पति की सियासी विरासत में अपना हक हासिल करने की चाहत। बस यही चाहत थी उनकी.. जो बेटे वरुण को उन्होंने 2014 के आम चुनाव में पिता की विरासत संभालने सुल्तानपुर भेजा। उनके चुनाव प्रचार में वे 29 वर्षों बाद आईं और पिता से कुछ अक्खड़ वरुण गांधी कामयाब रहे। उन्होंने अपने अंदाज में जिले के लिए कुछ ‘अलग’ करने की कोशिश करते हुए अमिट छाप भी छोड़ी।..लेकिन 2019 का आम चुनाव मेनका के लिए अलग सा है। हमेशा वे खुद अपनी सीट चुनती रहीं। इस बार हाईकमान के निर्देश पर वे बेटे की सीट पर पति की विरासत संभालने आई हैं। 30 मार्च को उन्होंने अपना चुनावी अभियान शुरू करते हुए क्षेत्र में ही लंगर डाल दिया है।पुराने रिश्ते जिंदा होने लगे हैं।जंग रोचक होगी, शक नहीं!…उनके सामने हैं पति संजय व जेठ राजीव के खास सिपहसालार संजय सिंह तो वहीं गठबंधन ने स्थानीय क्षत्रप चन्द्रभद्र सिंह को उतार कर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। ..पर अब मेनका भी सन 84 सी नौसिखिया नहीं हैं। वे अब पहचान के लिए ‘गांधी परिवार’ की मोहताज भी नहीं रहीं।जिंदगी की रपटीली राहों से गुजरते हुए व तमाम उतार-चढ़ाव के बीच फौलाद बन चुकी हैं।

देखना है हमेशा ढाई-तीन लाख मतों के अंतर से जीतने वाली ये ‘छोटी बहू’ इसबार अपने पुराने हिसाब किस तरह और कैसे चुकता करेगी !! फिलहाल मेनका की चुनाव में अवध क्षेत्र से नुमाइंदगी, राहुल की परंपरागत सीट बन चुकी अमेठी समेत कई पड़ोसी सीटों पर भी असर डालेगी।ये तो तय है।

गठबंधन बचाने के फेर में कई सीटों के नतीजे एक तरफा होंगे

पटना : 

बिहार में गठबंधन के धाराशाही होते जान पड़ने पर स्थिति अजीब – ओ – गरीब बनी हुई है, ऐसा जान पड़ता है कि इस बार मतदाताओं के लिए यह लोक सभा परीक्षा बहुत ही कठिन होने वाली है, जिसमें उनको निर्णय लेने में मुश्किल आ सकती है। दिमागी कसरत के बिना मतदान होना एक टेढ़ी खीर है। मुजजफ्फरपूर सीट को ही लें तो उम्मीदवारों कि पृष्ठभूमि बहुत ही सबल है, एक ही जाती से संबन्धित दोनों निषाद ही जन साधारण में विख्यात हैं, इसी तरह नालंदा में एक अलग दृष्टिकोण से ऊमीद्वार उतरे गए हैं यहाँ भी गठबंधन कि असफलता मतदाता को आधार में खड़ा करने के लिए काफी है।

कैंडिडेट के नाम सामने आने के बाद बिहार में कुछ सीटों पर लड़ाई एकतरफा नजर आने लगी है. दोनों ही तरफ से ऐसी स्थिति बन रही है.

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन की तरफ से लोकसभा चुनाव को लेकर लगभग सीट बंटवारे पर स्थिति साफ हो गई है. सीट बंटवारे से लेकर उम्मीवारों तक का चयन हो गया है. कैंडिडेट के नाम सामने आने के बाद बिहार में कुछ सीटों पर लड़ाई एकतरफा नजर आने लगी है. दोनों ही तरफ से ऐसी स्थिति बन रही है.

शुरुआत तिरहुत प्रमंडल के मुजफ्फरपुर सीट से करते हैं. यहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) है वहीं, दूसरी तरफ नई नवेली विकासशील इंशान पार्टी (वीआईपी). बीजेपी ने जहां वर्तमान और स्थानीय सांसद अजय निषाद को चुनावी मैदान में उतारा है वहीं, वीआईपी ने राजभूषण चौधरी निषाद को सिंबल दिया है. राजनीति में नेताओं की लोकप्रियता मायने रखती है. मुजफ्फरपुर मल्लाहों की सीट मानी जाती है. इसलिए दोनों ही तरफ से एक ही जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है.

BJP प्रत्याशी के साथ है पिता की विरासत
बीजेपी प्रत्याशी अजय निषाद के साथ उनके पिता की विरासत तो है ही, साथ ही पांच साल का उनका कार्यकाल भी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह लगभाग 50 प्रतिशत वोट लाकर चुनाव जीतने में सफल रहे थे. इसबार जेडीयू भी बीजेपी के साथ है. ऐसे में एक मजबूत समीकरण के सामने एक नई नवेली पार्टी का एक ऐसा उम्मीवार जिसे पहचानने के लिए मतदाताओं को दिमाग पर बल देना पड़े वह किस हद तक मुकाबला कर पाएंगे यह कहना मुश्किल है. वैसे राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है. कुछ भी संभव है. लेकिन मौजूद समीकरण के मुताबिक, महागठबंधन यहां एनडीए को वॉक ओवर देती ही नजर आ रही है.

सीतमढ़ी में जेडीयू ने दिया नए नवेले उम्मीदवार को टिकट
सीतामढ़ी को लेकर भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने जहां एक स्थानीय डॉक्टर वरुण कुमार को लोकसभा का टिकट दिया है वहीं, महागठबंधन की तरफ से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने पूर्व सांसद अर्जुन राय को चुनावी मैदान में उतारा है. 2014 में यह सीट राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने जीती थी. इस चुनाव में अर्जुन राय बतौर जेडीयू उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे. आरजेडी ने सीताराम यादव को चुनावी मैदान में उतारा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक तो आरएलएसपी और आरजेडी साथ-साथ चुनाव लड़ रही है वहीं, जेडीयू ने एक नए नवेले उम्मीवार को मैदान में उतारा है. ऐसी स्थिति में पलड़ा आरजेडी उम्मीवार का ही भारी दिख रहा है.

नालंदा में HAM का कमजोर कैंडिडेट
सीट बंटवारे में तेजस्वी यादव ने नालंदा सीट हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के खाते में देकर लगभग जेडीयू की राह आसान कर दी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र नालंदा से जेडीयू ने स्थानीय और वर्तमान सांसद कौशलेंद्र कुमार को फिर मौका दिया है. दूसरी तरफ, हम ने यहां से हम ने अशोक कुमार आजाद चंद्रवंशी को टिकट दिया है. 2014 के चुनाव परिणाम पर अगर नजर डालें तो इसबार जेडीयू उम्मीदवार और मजबूत स्थिति में उभर कर सामने आ रहे हैं. 2014 में इस सीट पर लड़ाई लोजपा और जेडीयू के बीच में थी. इस चुनाव में दोनों साथ हैं. बीते चुनाव के मत प्रतिशत को मिला दें तो यह आंकड़ा 68 प्रतिशत से अधिक का हो रहा है. ऐसे में इस सीट पर आप 2019 की लड़ाई का अंदाजा लगा सकते हैं.

सीवान में आरजेडी को हो सकता है फायदा
अब बात सीवान लोकसभा सीट की. एनडीए के बंटवारे में यह सीट जेडीयू के खाते में गई है. वहीं, महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने यहां से उम्मीदवार उतारा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओमप्रकाश यादव को टिकट दिया था. उन्होंने आरजेडी के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को शिकस्त दी थी. ओमप्रकाश यादव के कद को जानने के लिए आपको 2009 के परिणाम को भी समझना होगा. इस चुनाव में बिहार में जारी प्रचंड नीतीश लहर में भी उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी के खाते से सीट छिनने पर वह खुलकर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. उनके बागी तेवर अपनाने की संभावना भी प्रबल है. ऐसे में जेडीयू उम्मीदवार कविता सिंह, हिना शहाब के सामने कमजोर प्रत्याशी साबित हो सकती हैं.

सिद्दीकी के उतरने बाद दरभंगा में बीजेपी के लिए मुश्किल लड़ाई 
दरभंगा सीट पर भी बीजेपी के लिए स्थिति कुछ उत्साहजनक नहीं है. सीट बंटवारे में पार्टी ने अपनी परंपरागत सीट तो बचा ली, लेकिन एक कमजोर प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतार दिया है. बीजेपी ने बेनीपुर से पूर्व विधायक गोपालजी ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है, जो कि 2015 के विधानसभा चुनाव में अपनी सीट पर 25 हजार से अधिक मतों से चुनाव हार गए थे. उनका मुकाबला आरजेडी के कद्दावर नेता और बिहार के पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी से होगा. बीते कई चुनावों में यहां से अली अशरफ फातमी चुनाव लड़ते आ रहे थे. लेकिन इस बार पार्टी ने उम्मीदवार बदला है. यह देखा गया है कि इस सीट पर ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश की जाती है. लेकिन अब्दुल बारी सिद्दीकी का चेहरा सामने होने के कारण इसकी संभावना कम दिखती है. वहीं, दरभंगा सीट पर मल्लाह करीब 70 हजार जाति के वोटर हैं, जो कि इस बार दोनों ही गठबंधन का खेल बना या बिगाड़ सकते हैं

बीआरआई की दूसरी बैठक का भी बहिष्कार कर सकता है भारत: सूत्र

चीन की विसतारवादी नीति का प्रमाण है ‘बीआरआई’ (Belt & Road Initiative), आज भी चीन इस परियोजना के साथ मित्र अथवा पड़ोसी राष्ट्रों की संवेदनाओं की अनदेखी करते हुए अपने अड़ियल रवैये के साथ इसे आगे बढ़ा रहा है। भारत चीन के इस अड़ियल रवैये के प्रति अपनी चिंताएँ जाहिर कर चुका है। इस बार भी भारत ने ‘बीआरआई’ की दूसरी बैठक में शामिल होने के प्रति अपनी अनिच्छा ज़हीर कर दी है।

बीजिंग: चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) की दूसरी बैठक में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने शनिवार को बताया कि इसमें करीब 40 देशों की सरकार के नेता भी शामिल हो रहे हैं.

चीन ने पहली बीआरआई बैठक 2017 में की थी. यह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सबसे पसंदीदा परियोजना है. इस परियोजना का मकसद दुनियाभर में चीन के निवेश से बुनियादी परियोजनाओं का विकास कर चीन के प्रभुत्व का विस्तार करना है.

भारत एक फिर बैठक का बहिष्कार कर सकता है
भारत ने पहली बीआरआई बैठक का बहिष्कार किया था. इसकी वजह चीन की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना का विवादास्पद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरना है.

हाल ही में चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने इस बात की तरफ इशारा किया था कि भारत दूसरी बीआरआई बैठक का बहिष्कार कर सकता है. मिसरी ने इंटरव्यू में कहा था, ‘ईमानदारी से कहूं तो बीआरआई को लेकर हमने अपनी चिंताएं स्पष्ट तौर पर रखी हैं. हमारा विचार अब भी पहले जैसा ही है और स्थिर है. इस विचार से हम संबंधित पक्षों को अवगत करा चुके हैं.’

चीन के स्टेट काउंसलर यांग जेइची ने सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि 40 देशों की सरकारों के नेताओं समेत 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि दूसरी बीआरआई बैठक में शामिल होंगे.

चाको का बयान चाटुकारिता भरी मानसिकता दशता है: जवडेकर

जयपुर: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गांधी परिवार के बारे में कांग्रेस नेता पी सी चाको के कथित बयान की निंदा करते हुए इसे चाटुकारिता की संस्कृति का प्रतीक बताया है. जावड़ेकर ने कहा, ‘पीसी चाको ने गांधी परिवार को देश का ‘पहला परिवार’ बताया. यह कांग्रेस की मानसिकता और चाटुकारिता की संस्कृति है जो आपातकाल में देवकांत बरुआ के कथन से मिलती जुलती है, जो कहते थे कि इंदिरा भारत है, भारत इंदिरा है.’

जावड़ेकर ने कहा, ‘‘वही चाटुकारिता की संस्कृति कांग्रेस में जारी है. वहीं भाजपा के लिए, गरीब परिवार ही देश का पहला परिवार है, न कि कोई वंश. वंशवाद कांग्रेस की संस्कृति है.’ इस बीच, भाजपा की राज्य इकाई ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ ‘जन आरोप पत्र’ जारी किया है. इसमें गहलोत सरकार पर जनता से किए गए वादे सौ दिन में भी पूरे नहीं करने का आरोप है.

पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले जो वादे किए थे वे झूठ साबित हुए हैं. चाहे वह किसान कर्जमाफी का मामला हो या युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का मामला हो. कांग्रेस सरकार ने किसी भी वादे को अपने 100 दिन के कार्यकाल में पूरा नहीं किया है.’

सुल्तानपुर में संजय गांधी को याद कर भावुक हुईं मेनका

सुल्तानपुर: बीजेपी से टिकट मिलने के बाद शनिवार को पहली बार सुल्तानपुर पहुंची मेनका गांधी ने कहा कि अगर पार्टी का निर्देश होगा तो वह अमेठी में भी प्रचार करेंगी. मेनका का आज सुल्तानपुर जाते समय जगह-जगह लोगों ने स्वागत किया. सुल्तानपुर पहुंचकर मेनका सबसे पहले तिकोनिया पार्क पहुंची जहां पर पूरे जिले से आए बूथ कार्यकर्ताओ को संबोधित किया. उन्होंने इस जिले से अपने भावनात्मक रिश्ते और पीएम मोदी के कार्यों को गिनाते हुए बीजेपी को जीत दिलाने के लिए तैयारियों में जुट जाने की अपील की. मेनका अब लगातार सुल्तानपुर में रहकर प्रचार करेंगी.

मेनका अपने संबोधन के दौरान भावुक हो गईं. उन्होंने कहा कि उनके पति संजय गांधी का सुल्तानपुर-अमेठी से पुराना लगाव था और उन्होंने अपने पति के साथ ही सुल्तानपुर से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था. 

भावुक अंदाज में केंद्रीय मंत्री मेनका ने कहा, “जब मैं विधवा हुई तो मेरा बेटा 100 दिन का था. उस समय मैंने अपने को बहुत अकेला महसूस करते हुए भगवान के ऊपर सब कुछ छोड़ दिया. आज मैं जो इतनी भारी कार्यकर्ताओं की सेना देख रही हूं और जो उनमें उत्साह दिखाई पड़ रहा है उससे हम चुनाव जीतेंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “आपके उत्साह एवं लगन से हम चुनाव जीतेंगे. अपने होने वाले सांसद के बारे में भी आपको जानना जरूरी है. मैं पीलीभीत से सात बार क्यों चुनाव जीती? एक-एक इंसान को यह मालूम है कि कोई भी इंसान मदद के लिए आया तो वह खाली हाथ नहीं लौटा. सुल्तानपुर में अपने बेटे वरुण को यहां प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा. वरुण ने भी सुल्तानपुर के लिए बहुत कुछ किया. वह तो प्रत्येक महीने का अपना वेतन भी गरीबों के लिए खर्च करता रहा, जो मैं नहीं कर सकी.”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए मेनका ने कहा कि मोदी ने देश में जो कुछ किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता. उनके द्वारा महिलाओं के लिए शौचालय, गरीब किसानों के लिए उनके खाते में छह हजार रुपए की सहायता राशि, आयुष्मान योजना, उज्ज्वला योजना जैसी कई सुविधाएं जनता को उपलब्ध कराई गई हैं.

आज का राशिफल

Aries

31 मार्च 2019: आज का दिन कई मामलों मे अनुकूलता देने वाला होगा। आज स्वास्थ्य संदर्भों में महती प्रगति के योग हैं। यदि कोई पीड़ाएं हैं, तो उनका अंत होना निश्चित हैं। स्वजनों के मध्य तालमेल का होगा। कार्य व सेवा क्षेत्रों में महती प्रगति के योग हैं। दात्पत्य जीवन में महती प्रगति के योग हैं। पितृ पक्ष को लेकर चिंताएं हो सकती हैं।

Taurus

31 मार्च 2019: आज ननिहाल पक्ष से स्नेह व अल्पधन का लाभ होगा। सामाजिक जीवन में मान-सम्मान के योग हैं। आज धन निवेश व विदेश संदर्भों में किस्मत साथ देगी। अदालती मामलों में आपका पक्ष पहले की अपेक्षा अधिक सबल होगा। सेहत व प्रेम प्रसंगों के लिहाज से आज का दिन मध्यम होगा। सूझबूझ का क्रम अपेक्षित होगा।

Gemini

31 मार्च 2019: आज आपकी योग्यताओं का बढिया लाभ होगा। स्वजनों के मध्य तालमेल बिठाने में महती प्रगति के योग हैं। आज पुत्र/पुत्री के हाथ पीले करने मे महती प्रगति होगी। आज योग्यताओं को बढि़या लाभ होगा। आज आपकी वित्तीय स्थिति पहले के मुकाबले अधिक सबल होगी। लंबी यात्रा व विदेश संदर्भों में सावधानी अपेक्षित होगी। 

Cancer

31 मार्च 2019: आज का दिन कार्य कुशलता को बढ़ाने वाला होगा। किसी उच्चाधिकारी के मध्य आज तालमेल का स्तर होगा। आज सेवा क्षेत्रों में अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने की मुहिम छिड़ सकती है। सेहत खिली हुई होगी। प्रतियोगी क्षेत्रों में दिया गया साक्षात्कार सफलता के संकेत देगा। आज धन मामलों में अधिक व्यय की आशंका है।

Leo

31 मार्च 2019:  आज का दिन सरकारी व निजी क्षेत्रों में रोजगार के प्रसासों को कामयाबी देने वाला होगा। आज क्रीड़ा व प्रतियोगी क्षेत्रों मे राजकीय सम्मान प्राप्त होने के योग हैं। किसी निकट मित्र के सहयोग से आज धर्म कार्यो के आयोजनो को मूर्तरूप दिया जा सकता है। आज सेहत संदर्भो में पीड़ाओं की आशंका हैं। निजी संबंधों में कहा-सुनी हो सकती है।

Virgo

31 मार्च 2019: आज आपका रूझान निजी निवास को चमकाने की ओर हो सकता है। परिजनों के सहयोग से मांगलिक कार्यो को अंजाम दिया जा सकता है। आज कानूनी ममलों में विजय के योग हैं। धन निवेश व विदेश संदर्भों में किस्मत साथ देगी। आज सेहत संदर्भो मे आंशिक पीड़ाओं की आशंका है। प्रेम संबंधों में कहा-सुनी हो सकती है।

31 मार्च 2019: आज आपके शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि के योग हैं। सेहत में स्फूर्ति का अहसास होगा। चल रही पीड़ाओं को समाप्त करने में महती प्रगति के योग हैं। आज कार्य व व्यावसाय के सबंधित क्षेत्रों में महती प्रगति योग हैं। किए गए प्रयासों का बढि़या लाभ होगा। पत्नी व बच्चों के मध्य तालमेल का स्तर उच्च होगा। आज बड़ी पूंजी व ऋणों में विवादों की आशंका है।

Scorpio

31 मार्च 2019: आज का दिन कार्य व व्यापार को विस्तारित करने के अवसर देने वाला होगा। आज आपका रूख देशदेशान्तर में अवसरों की तलाश की ओर हो सकता है। आज आजीविका के संबंधित क्षेत्रों में प्रवास स्थिति हो सकती है। धन निवेश में लाभ होगा। प्रेम संबंधों व सेहत संदर्भों के लिहाज से आज का दिन मध्यम हो सकता है।

Sagittarius

31 मार्च 2019: आज आपके रहन-सहन का स्तर उच्च होगा। आज कहीं न कहीं से धन लाभ होगा। सेहत को खिलाए रखने में महती प्रगति के योग हैं। आज संतान पक्ष के हाथ पीले करने में महती प्रगति के योग हैं। आज प्रतियोगी व क्रीड़ा क्षेत्रों में भाग्य साथ देगा। प्रेम संबंधों मे आज निकटता का अहसास होगा। भू-जायादाद में विवादों की आशंका है।

Capricorn

31 मार्च 2019:  आज का दिन कला, साहित्य, संगीत, फिल्म, नृत्य, अध्यापन, प्रबंधन, चिकित्सा, के संबंधित क्षेत्रों में महती प्रगति देने वाला होगा। आज भू-जायदाद के संदर्भों में लाभ होगा। कार्य व व्यावसाय के संबंधित क्षेत्रों में महती प्रगति के योग हैं। प्रेम संबंधों में निकटता का एहसास होगा। आज भ्रात पक्ष के मध्य हक की लड़ाई छिड़ सकती है।

Aquarius

31 मार्च 2019: आज का दिन नेतृत्व, संगीत, फिल्म, उत्पादन, विक्रय, क्रीड़ा प्रदर्शन के संबंधित क्षेत्रों में महती प्रगति देने वाला होगा। आज प्रयासों का बढि़या लाभ होगा। आज भौतिक सुख के साधनों को जुटाने में महती प्रगति के योग हैं। निजी संबंधो के लिहाज से आज का दिन मध्यम हो सकता है, सेहत संदर्भों में आज उतार-चढ़ाव की आशंका है।

Pisces

31 मार्च 2019: आज का दिन अदालती मामलों में विजय देने वाला होगा। आज कानूनी मामलों में आपका पक्ष पहले की अपेक्षा अधिक खिला हुआ होगा। आजीविका के संबंधित क्षेत्रों में आज प्रवास की स्थिति होगी। आज स्थान परिवर्तन के योग विद्यमान हैं। भौतिक सुख के साधनों को जुटाने में आज कशमकश करनी पड़ सकती हैं।

आज का पांचांग

पंचांग 31 मार्च 2019

विक्रमी संवत्ः 2075, 

शक संवत्ः 1941, 

मासः चैत्र, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः एकादशी प्रातः 06.05 तक, 

वारः रविवार, नक्षत्रः श्रवण सांय 06.47 तक, 

योगः सिद्धि सांय 07.15 तक, 

करणःबव

सूर्य राशिः मीन, 

चंद्र राशिः मकर, 

राहु कालः सांय 4.30 से 6.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.17, 

सूर्यास्तः 06.34 बजे।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर रविवार को पान खाकर लाल चंदन, गुड़ और लड्डू का दान देकर यात्रा करें।