चीनी उत्पाद खरीदना और इस्तेमाल करना भारत की मजबूरी: चीनि मीडिया

हाल ही में चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में चौथी बार मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने पर वीटो का उपयोग करने और एक लम्बे अर्से से पाकिस्तान की हर प्रकार की मदद करने पर चीन के प्रॉडक्ट्स के बॉयकॉट की उठी थी. चीनी सामानों के बहिष्कार पर चीन की मीडिया ने भारत पर तंज कसा है. चीन की अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री अभी भी अविकसित है और इसमें प्रतिद्वंद्विता की क्षमता नहीं है. यही कारण है कि भारत में बॉयकॉट चाइनीज प्रॉडक्ट्स मुहिम अब तक असफल रहा है.

सोमवार को प्रकाशित एक ब्लॉग में कहा गया है, कुछ भारतीय विश्लेषक मेड इन चाइना प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की अपील कर रहे हैं. खासकर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रयास को यूएन में चीन द्वारा रोके जाने के बाद #BoycottChineseProducts ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हो गया है. लेकिन इतने सालों से बॉयकॉट का प्रयास असफल क्यों रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत खुद प्रॉडक्ट्स का उत्पादन नहीं कर सकता है. इसमें आगे कहा गया है, पसंद करें या नहीं, उन्हें अभी भी चीन में बने सामानों का इस्तेमाल करना पड़ेगा क्योंकि भारत की अभी भी बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता कम है.

वहीं आतंकवादी मसूद अजहर को लेकर चीन के प्रति गुस्सा प्रकट करने के लिए देश के व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आवाहन पर आज दिल्ली सहित देश भर के विभिन्न राज्यों में व्यापारी संगठनो ने 1500 से अधिक स्थानों पर चीनी वस्तुओं की होली जलाई और चीन के बने सामान का बहिष्कार करने का संकल्प लिया. साथ ही सरकार से चीन के आयात पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की. अखबार ने कहा, भारत के भीतर मौजूद ताकतें ही देश में सुधारों की प्रक्रिया को रोक रही हैं.

न भूले हैं, न भूलेंगे: अजित डोवाल

डोभाल ने कहा ‘हमें क्या करना चाहिए ? हमारा रास्ता, हमारा उद्देश्य, हमारी प्रतिक्रिया और जवाब देने का समय क्या होना चाहिए ? इन सबके लिए देश का नेतृत्व सक्षम और साहस से भरा है

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मंगलवार को कहा कि देश का नेतृत्व आतंकवाद के किसी भी कृत्य और इसे बढ़ावा देने वाले लोगों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है.

सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के 80वें स्थापना दिवस पर अपने संबोधन में डोभाल ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को भारत न तो भूला है और न ही भूलेगा. 14 फरवरी को हुए इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे.

उन्होंने कहा ‘मैं आपको आश्वासन देता हूं कि देश का नेतृत्व इस तरह के (पुलवामा जैसे) आतंकी हमलों से और इसे बढ़ावा देने वालों से कारगर तरीके से निपटने में पूरी तरह सक्षम है.’ डोभाल की, पुलवामा हमले के जवाब में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक में अहम भूमिका मानी जाती है. पुलवामा हमला बीते तीन दशक में कश्मीर में सुरक्षा बलों पर हुए भीषण हमलों में से एक है.

डोभाल ने कहा ‘हमें क्या करना चाहिए ? हमारा रास्ता, हमारा उद्देश्य, हमारी प्रतिक्रिया और जवाब देने का समय क्या होना चाहिए ? इन सबके लिए देश का नेतृत्व सक्षम और साहस से भरा है. देश हर तरह की चुनौती से निपट सकता है और इसके लिए हमारे अंदर साहस है.’

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने पुलवामा हमले में शहीद हुए 40 जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यह ‘बेहद त्रासदीपूर्ण घटना थी.’ उन्होंने कहा कि देश इन जवानों और इनके परिवारों का हमेशा ही ऋणी रहेगा.

डोभाल ने सीआरपीएफ से पीछे मुड़ कर न देखने और अतीत को लेकर चिंतित न होने के लिए कहा. साथ ही उन्होंने बल से पेशेवर रूख अपनाने, विश्वसनीय प्रशिक्षण और शारीरिक क्षमता पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा ‘अगर आपका मनोबल ऊंचा है तो देश का भविष्य सुरक्षित है.’

डोभाल ने कहा ‘CRPF को शांति सुनिश्चित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभानी है. देश का प्रमुख अंदरूनी सुरक्षा बल होने के नाते CRPF के कंधों पर अपने दायित्व का निर्वाह करने की बड़ी जिम्मेदारी है.’’

ब्रिटिश शासन के दौरान 1939 में ‘क्राउन रिप्रेजेन्टेटिव्स पुलिस’ के तौर पर CRPF की स्थापना की गई थी. देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में इस बल को युद्ध और शांति के दौरान देश में दी गई सेवाओं के लिए सर्वोच्च सम्मान दिया. फिलहाल सीआरपीएफ में तीन लाख कर्मी हैं.

पर्रिकर की मौत से मथुरा के 32 गाँव शोक में डूबे

नेकी तेरे साथ चलेगी

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर के निधन से देश ही नहीं, मथुरा के नौहझील ब्लॉक के उन 32 गांवों में भी शोक छाया हुआ है जिनकी दिवंगत नेता ने अपनी ‘सांसद क्षेत्रीय विकास निधि’ से मदद की थी.

पर्रिकर का 17 मार्च, रविवार को अग्नाशय के कैंसर से निधन हो गया था.

उन्होंने अंतिम बार गोवा का मुख्यमंत्री बनने से पहले, उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का सदस्य रहते मथुरा नौहझील ब्लॉक के 32 गांवों में पेयजल समस्या के निदान और इलाके की सड़कों के जीर्णोद्धार के लिए 5 करोड़ 20 लाख रुपए दिए थे. यह मदद पर्रिकर ने अपनी ‘सांसद क्षेत्रीय विकास निधि’ से की थी. अभी इन परियोजनाओं पर काम चल रहा है.

नौहझील ब्लॉक के एक स्थानीय बीजेपी नेता राजेश कुमार ने बताया कि जब पर्रिकर राज्यसभा के सदस्य थे तब उनको यहां की समस्याएं बताई गईं और क्षेत्र की पेयजल समस्या और जर्जर पड़ी सड़कों की मरम्मत के लिए क्षेत्रीय विकास निधि से मदद मांगी गई थी.

उन्होंने बताया, ‘पर्रिकर ने हमारी मांग सहर्ष स्वीकार कर ली. फिर वह गोवा के मुख्यमंत्री बने. इसके बावजूद उन्होंने सहायता राशि का उपयोग करने का सहमति पत्र जारी कर दिया था. हालांकि स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से वह शिलान्यास और कामों की शुरुआत करने के लिए यहां नहीं आ सके. काम चल रहा है.’

राजेश कुमार ने बताया कि ‘नौहझील ब्लॉक के कोलाहर, उदयागढ़ी, सकतपुर, नोशेरपुर, चांदपुर कलां, सीगोंनी आदि 32 गांवों के लिए पेयजल योजनाएं प्रारंभ की गई हैं और कई सड़कों की मरम्मत के लिए काम कराया जा रहा है इसलिए इन गांवों में जब लोगों को पर्रिकर के निधन की सूचना मिली तो सभी को बहुत दुख हुआ.’

भाजपा के लिए अरुणाञ्चल बना मुसीबत

ईटानगर/गुवाहाटी: लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण से पहले अरुणाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के दो मंत्रियों और 12 विधायकों सहित कुल 15 नेताओं ने मंगलवार को पार्टी छोड़कर नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में शामिल होने का ऐलान कर दिया. राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा पार्टी के राज्य महासचिव जारपुम गामलिन, गृहमंत्री कुमार वाई, पर्यटन मंत्री जारकर गामलिन और कई विधायकों को टिकट नहीं देने के बाद बड़े पैमाने पर पार्टी छोड़ने का यह कदम सामने आया है. 

राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 54 के लिए प्रत्याशियों के नामों पर बीजेपीके संसदीय बोर्ड ने रविवार को मुहर लगाई. राज्य में 11 अप्रैल को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी हो रहे हैं. सोमवार को जारपुम गामलिन ने बीजेपी की अरुणाचल इकाई के अध्यक्ष तापिर गाओ को अपना इस्तीफा भेजा.  वह सोमवार सुबह से ही गुवाहाटी में हैं, जहां मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने उनसे मुलाकात की. 

एनपीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “जारपुम, जारकर, कुमार वाई और बीजेपीके 12 मौजूदा विधायकों ने एनपीपी महासचिव थामस संगमा से मंगलवार को मुलाकात की और एनपीपी में शामिल होने का फैसला किया.” उन्होंने कहा कि इन नेताओं के आने से एनपीपी मजबूत होगी. इस बीच, एनपीपी ने पूर्वोत्तर राज्यों की सभी 25 संसदीय सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. पार्टी ने मेघालय के प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. अन्य सीटों की भी सूची जल्द जारी की जाएगी. 

त्रिपुरा में बीजेपी के 3 नेता कांग्रेस में शामिल
लोकसभा चुनावों से पहले त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुबाल भौमिक व दो अन्य वरिष्ठ नेता मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. दो अन्य नेता पूर्व मंत्री प्रकाश दास व तेजतर्रार माने जाने वाले देबाशीष सेन हैं. त्रिपुरा कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन व एआईसीसी सचिव भूपेन बोरा ने एक मीडिया कांफ्रेंस में तीनों नेताओं का स्वागत किया. भौमिक, बीजेपीमें उपाध्यक्ष पद पर थे.  वह बीजेपीमें 2015 में शामिल हुए, जबकि दास व सेन 2017 में क्रमश: कांग्रेस व मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से बीजेपीमें शामिल हुए थे. 

नीरव मोदी के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी, कभी भी हो सकता है गिरफ्तार

मोदी सरकार की आँख की किरकिरी बने वित्तीय भगोड़ों में से एक नीरव मोदी के खिलाफ लंदन में कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं। इंग्लैंड के साथ अपनी कूटनीतिक संधियों से यह संभव हो पाया है। लंदन कोर्ट उसी दोशी को प्रत्यर्पण के लायक मानती है जब दोषी ने वह अपराध किया हो जो इंग्लैंड में भी अपराध की श्रेणी में आता हो।

नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक महाघोटाले के सूत्रधार भगोड़ा हीरा व्यापारी नीरव मोदी की गिरफ्तारी 25 मार्च तक किसी भी समय हो सकती है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारियों को लंदन से इस बात के संकेत मिले है. ईडी के अधिकारी लंदन में नीरव मोदी केस से जुड़े अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं. जांच अधिकारियों का मानना है कि नीरव मोदी के केस मामले में थोड़ी तेजी से कारवाई हो सकती है. 

प्रर्त्यपण मामले में विजय माल्या केस से मिलेगी मदद
इसके पीछे का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि विजय माल्या मामले में लंदन की जांच एजेंसियां और कोर्ट सारी प्रकिया देख चुकी हैं. वहीं, भारत की जांच एजेंसियों को भी लंदन की कानूनी प्रकिया का अंदाजा हो चुका है. लिहाजा इस बात का फायदा नीरव मोदी के प्रर्त्यपण में उठाया जा सकता है. अधिकारियों का कहना है कि नीरव मोदी के प्रर्त्यपण का केस तेजी से चल सकता है.   

लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने जारी किया था गिरफ्तारी वारंट
पंजाब नेशनल बैंक का 13000 करोड़ रुपये लेकर फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी के खिलाफ लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. गिरफ्तारी वारंट को नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की दिशा में यह पहला कदम है. पिछले दिनों भगोड़ा नीरव मोदी लंदन में घूमता हुआ दिखाई दिया था. वर्तमान में वह जिस अपार्टमेंट में रह रहा है उसकी कीमत 70 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसका किराया हर महीने करीब 16 लाख रुपये है. इंग्लैंड के मीडिया के मुताबिक, उसने दोबारा हीरे का कारोबार शुरू कर दिया है.

पत्नी के खिलाफ भी जारी हो चुका है वारंट
हाल ही में मुंबई की एक विशेष अदालत ने नीरव मोदी की पत्नी के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी किया था. अमि मोदी (नीरव मोदी की पत्नी) पर आरोप है कि उन्होंने 3 करोड़ डॉलर ट्रांसफर करने के लिए इंटरनेशनल बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया था. शक है कि यह पैसा बैंक से लिए गए लोन वाला था. इस पैसे से न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क में एक असेट को खरीदा गया था.

ईडी ने दायर की नई चार्जशीट
मार्च के दूसरे सप्ताह में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने नीरव मोदी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के अंतर्गत और CBI की FIR को आधार मानते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में नई चार्जशीट दाखिल की है.

केजरीवाल को कांग्रेस की कोरी ना

आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष केजरीवाल शीला दीक्षित के गुनाहों की फ़ाइल कब की गुमा चुके हैं लेकिन शीला हैं की मानती ही नहीं। हर जगह हर बार कांग्रेस और दूसरे दलों से ठुकराये गए केजरीवाल, यशवंत सिन्हा के मार्फत फिर राहुल से गुहार लगाते देखे गए “प्लीज़ वाली”

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कांग्रेस के साथ गठबंधन की खबरों को खारिज कर दिया. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से हमसे कह दिया था कि लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के मद्देनजर कोई गठबंधन नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारी कांग्रेस के साथ कोई बातचीत नहीं चल रही है. केजरीवाल ने उन मीडिया रिपोर्टस को गलत बताया, जिनमें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन तय होने की बात कही जा रही थी.  

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं हो रहा है. इस तरह की खबरें पर विराम लगाते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन तय होने की खबरें कांग्रेस के द्वारा ही फैलाई जा रही हैं. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. कांग्रेस ने हमें पहले ही इसपर अपना पक्ष बता दिया है. हम कांग्रेस के साथ कोई बातचीत नहीं करेंगे. बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस लगातार गठबंधन की खबरों को नकारती रही है. 

कांग्रेस का एक धड़ा अभी भी गठबंधन के पक्ष में है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीसी चाको गठबंधन के प्रयास कर रहे हैं. वहीं, दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित इस गठबंधन के खिलाफ मानी जा रही है. इसके साथ ही पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सलाह देते हुए ट्वीट किया कि प्लीज बिहार, झारखंड और दिल्ली में फैसला आज कर लें, पहले ही बहुत देर हो चुकी है. 

भारत को मिला पहला लोकपाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पी. सी. घोष भारत के पहले लोकपाल नियुक्त किए गए हैं. देश के पहले लोकपाल पी.सी. घोष को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को नियुक्त किया.एसएसबी की पूर्व प्रमुख अर्चना रामसुंदरम और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव दिनेश कुमार जैन को लोकपाल के गैर न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पी. सी. घोष फिलहाल राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य हैं. मालूम हो कि लोकपाल की मांग को लेकर ही अन्ना हजारे की अगुवाई में बड़ा आंदोलन हो चुका है.

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाए जाने की रविवार को सिफारिश की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया था और उसकी सिफारिश भी की थी.

लोकसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस सदस्य मलिकार्जुन खड़गे ने इस बैठक में भाग नहीं लिया था. वह भी समिति के सदस्य हैं. न्यायमूर्ति घोष (67) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 2017 से सदस्य हैं. वह सर्वोच्च न्यायालय से 27 मई 2017 को सेवानिवृत्त हुए.

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर 8 मार्च 2013 को पदभार ग्रहण किया था. लोकपाल सर्च कमेटी द्वारा सूचीबद्ध किए गए शीर्ष 10 नामों वह शामिल थे. न्यायाधीश घोष की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जुलाई 2015 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता को नोटिस जारी किया था.

कर्नाटक सरकार द्वारा जयललिता व तीन अन्य को आय से अधिक संपत्ति के मामले में रिहा करने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया था. वह पूर्व में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं.

पिनाकी चंद्र घोष का जन्म कोलकाता में हुआ. वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिवंगत न्यायामूर्ति शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं.

घोष, कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक हैं, उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक (एलएलबी) किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय से अटॉर्नी-एट-लॉ प्राप्त किया. उन्होंने 30 नवंबर 1976 को बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल में खुद को वकील के रूप में पंजीकृत कराया. 

सत्ता का केंद्र चांदनी चौक

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल बज चुका है. चुनाव सात चरणों में होगा. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल से शुरू होगा. अंतिम नतीजे 23 मई को आएंगे. चुनाव की चर्चा जोर पकड़ रही है. राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों का नाम तय करना शुरू कर दिया है. चुनाव की चर्चा के बीच, एक ऐसी सीट के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके तथ्य चौंकाने वाले हैं. इस सीट पर जिस दल ने जीत हासिल की, उसी पार्टी की सरकार केंद्र में बनी. कम से कम पिछले 20 वर्षों से यह फैक्ट चला आ रहा है. यह सीट कोई और नहीं, बल्कि चांदनी चौक है.

चांदनी चौक दिल्ली के सात संसदीय क्षेत्रों में से एक है. चांदनी चौक सीट पुरानी दिल्ली के अंतर्गत आती है. आम आदमी पार्टी की ओर से इस सीट से पंकज गुप्ता मैदान में हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अभी कोई प्रत्याशी फाइनल नहीं किया. दिल्ली में 12 मई को मतदान होगा. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की तस्वीर भी साफ नहीं हो पाई है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत हासिल की थी. 

चांदनी चौक सीट से जुड़े तथ्य 
इस सीट पर 1957 से लेकर 2014 तक कांग्रेस ने नौ बार जबकि बीजेपी ने चार बार जीत दर्ज की है. 1957 और 1962 में कांग्रेस के शाम नाथ इस लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार सांसद रहे. 1967 के आम चुनावों में भारतीय जनसंघ ने पहली बार इसे कांग्रेस से छीना. जनसंघ के रामगोपाल शालवले 1967 में जीतने में कामयाब रहे. हालांकि, 1971 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. सुभद्रा जोशी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की. 

1977 में एक बार फिर से कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकली. इस चुनाव में जनता पार्टी के नेता सिकंदर बख्त सांसद चुने गए. 1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा. 1991 में बीजेपी से ताराचंद खंडेलवाल ने इस सीट पर फतह हासिल की. लेकिन 1996 में कांग्रेस ने एक बार फिर से यह सीट बीजेपी से वापस छीन ली. इसके बाद 1998 और 1999 में बीजेपी के विजय गोयल को जनता ने चुनकर संसद भेजा. इस दौरान अटल बिहारी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी. 

2004, 2009 में बनी रही परिपाटी 
2004 के चुनाव में बीजेपी को इस सीट से निराशा मिली. कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल ने जीत हासिल की. देश में यूपीए के नेतृत्व में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. 2009 में एक बार फिर कांग्रेस के पक्ष में फैसला आया और कपिल सिब्बल एक बार फिर से यहां से सांसद चुने गए. डॉ. मनमोहन सिंह फिर से देश के प्रधानमंत्री बने. 2014 के चुनाव में एक बार फिर से बाजी पलटी. बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन, आम आदमी पार्टी के आशुतोष और कांग्रेस के दिग्गज कपिल सिब्बल के बीच कड़ा मुकाबला हुआ लेकिन बाजी हर्षवर्धन के हाथ लगी. लोनरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री बने. देखना होगा कि क्या इस बार यह मिथक कायम रहता है या नहीं. 

भाजपा छत्तीसगढ़ में नए चेहरों के साथ उतरेगी।

छतीसगढ़ में मिली करारी शिकस्त के चलते भाजपा ने मोजूड़ा सभी सांसदों के बदले नए चेहरों को उतारने का फैसला लिया है।

नई दिल्ली: बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के सभी 10 मौजूदा सांसदों की जगह नए चेहरे को उतारने का फैसला किया है. भाजपा के महासचिव और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन ने यह जानकारी दी. जैन ने बताया कि पार्टी ने नए उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया है. जैन ने कहा कि प्रदेश बीजेपी ने पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति को सांसदों के नाम काटने का प्रस्ताव दिया था, जिसे मंजूरी दे दी गई.

हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के मद्देनजर यह फैसला किया गया है. सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को राजनांदगांव से पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है. राज्य में लोकसभा की 11 सीटें हैं. सूत्रों ने बताया कि बीजेपी इस पर भी विचार कर रही है कि मौजूदा सांसदों के परिवार के भी किसी सदस्य चुनाव में नहीं उतारा जाए. पार्टी ने यह मानदंड अपनाया तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की संभावित उम्मीदवारी भी सवालों के घेरे में आ जाएगी, क्योंकि उनके पुत्र अभिषेक सिंह वर्तमान सांसद हैं. 

इससे पहले, बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने 10 राज्यों में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा की. ये राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीईसी की बैठक हुई. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में हिस्सा लिया. बीजेपी ने अभी तक आगामी लोकसभा के लिए कोई सूची जारी नहीं की है.

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस अभी तक पांच सूची जारी कर चुकी है. अभी तक कांग्रेस 137 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा. अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होगा. 23 मई को नतीजे आएंगे. चुनाव आयोग ने सोमवार को पहले चरण के लिए अधिसूचना जारी की है. 11 राज्यों में पहले चरण का मतदान होगा. ये राज्य आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल हैं. इस चरण में कम से 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 25 मार्च है. नामांकन दस्तावेज की जांच 26 मार्च तक होगी. 28 मार्च तक पहले चरण के नामांकन वापस लिए जा सकेंगे.

ठाकुर जयवीर सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी बनने पर अपने बेटे से तोड़े सारे रिश्ते

नोएडा: उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एक नेता ने अपने बेटे से रिश्ता इसलिए तोड़ दिया क्योंकि उन्हें कांग्रेस ने गौतम बुद्ध नगर से लोकसभा का टिकट दिया है. बीजेपी नेता ने कहा कि विपक्षी पार्टी ने उनके परिवार में ‘राजनीतिक मतभेदों’ का फायदा उठाया है. कांग्रेस ने शनिवार को गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से बीजेपी एमएलसी जयवीर सिंह के बेटे अरविंद कुमार सिंह की उम्मीदवारी का ऐलान किया. इस सीट से फिलहाल केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा सांसद हैं.

हमारा परिवार पीएम मोदी के समर्थन में- बीजेपी नेता
समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी पहले ही सतवीर नागर को इस सीट से उम्मीदवार बना चुकी है. बीजेपी ने अबतक अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया. 17 मार्च को फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में जयवीर सिंह ने कहा कि उनकी पत्नी राज कुमारी चौहान, उनके तीनों बेटे, एक भतीजा बीजेपी के प्रति ‘पूरी तरह से वफादार’ हैं और पार्टी तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक नीतियों के प्रति प्रतिबद्ध हैं. एमएलसी ने कहा, ”मेरे बेटे अरविंद कुमार सिंह ने दो साल पहले अपनी शादी के बाद अलग विचारधारा व्यक्त करना शुरू कर दी और परिवार से अलग रहना शुरू कर दिया.” 

खत्म करता हूं सारे सार्वजनिक रिश्ते- जयवीर सिंह
जयवीर सिंह ने कहा कि वह 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे. अरविंद ने बीजेपी का विरोध किया था और पार्टी की सदस्यता नहीं ली थी. जयवीर बारौली से बीएसपी के विधायक रहे चुके हैं. उन्होंने कहा, ”लिहाजा, उन्हें (नोएडा अंतरराष्ट्रीय) विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से मुक्त कर दिया गया. अब उनके साथ सभी सामाजिक और राजनीतिक रिश्ते खत्म किए जाते हैं.” 

पत्नी भी रह चुकी हैं लोकसभा सदस्य
जयवीर सिंह ने कहा, ”मेरे परिवार में राजनीतिक मतभेदों का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने यह रणनीतिक कदम उठाया और राजनीतिक साजिश रची.” जयवीर की पत्नी राज कुमारी चौहान 2009 से 2014 तक बीएसपी से अलीगढ़ से लोकसभा सदस्य रह चुकी हैं. कई बार संपर्क करने पर भी अरविंद कुमार सिंह से संपर्क नहीं हो पाया.