जवाहर नवोदय विद्यालय घुसकानी में कक्षा छह के प्रवेश परीक्षा परिणाम घोषित

रोहतक, 25 जुलाई:

जवाहर नवोदय विद्यालय घुसकानी में कक्षा छह में प्रवेश हेतु आयोजित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। पास परीक्षार्थी अपने आवश्यक कागजात एवं प्रपत्रों की जांच करवाकर प्रवेश प्रक्रिया में शामिल हो सकते है।
जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि घुसकानी स्थित विद्यालय में कक्षा छह में 80 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जायेगा। इसके लिए पास विद्यार्थियों को फोन व डाक द्वारा सूचित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पास विद्यार्थी जवाहर नवोदय विद्यालय घुसकानी की वेबसाईट पर अपने रोल न बर चैक कर सकते है।

सांस्कृतिक कार्यशाला का आयोजन


रोहतक, 25 जुलाई: खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग द्वारा दस दिवसीय सांस्कृतिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्थाननीय सुनारियां कला स्थित मानव रचना ग्लोबल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यशाला में 500 से अधिक स्कूली छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढकऱ भाग लिया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी सुखबीर सिंह ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं स्मृतिचिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेकर जीवन का सर्वांगीण विकास करना चाहिए और प्रत्येक क्षेत्र में निपुण होने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन के बाद किसी भी क्षेत्र में कार्य करने का मौका मिले तो सफलता अवश्य ही उनके कदम चुमेगी।
खेल अधिकारी ने कहा कि विभाग द्वारा इस तरह विद्यार्थियों के लिए सांस्कृतिक कार्यशालाओं का आयोजन करके उन्हें बहुप्रतिभा का धनी बनाने का कार्य किया जा रहा है। लगातार दस दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में विद्यार्थियों ने प्रतिदिन नृत्य व संगीत का अभ्यास करते हुए अपनी संस्कृति से रूबरू हुए। विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में भंगड़ा व गिद्दा प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया।
इस अवसर पर स्कूल के निदेशक सुधीर, प्राचार्य धर्मबीर, नृत्य विशेषज्ञ लीला सैनी, गुलाब सिंह, दलेल सिंह, सतीश कुमार सहित विद्यालय स्टाफ मौजूद रहा है।

उत्कृष्ट व सराहनीय सेवाओं के लिये हरियाणा पुलिस के 96 पुलिस अधिकारी व कर्मचारी होंगे सम्मानित

चंडीगढ, 25 जुलाई –

फ़ाइल फोटो

हरियाणा के राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी 27 जुलाई को यहां राजभवन में आयोजित किए जाने वाले अलंकरण समारोह में हरियाणा पुलिस के 96 पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को उनकी उत्कृष्ट व सराहनीय सेवाओं के लिये सम्मानित करेंगे। इस समारोह में वर्ष 2014 से 2017 तक के पदक प्रदान किए जाएंगे। यह जानकारी आज यहां हरियाणा पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता ने दी।
प्रवक्ता ने आगे जानकारी देते हुये बताया कि पुलिस महानिरीक्षक गुप्तचर विभाग श्री अनिल कुमार राव तथा उप-पुलिस महानिरीक्षक श्री सतेन्द्र कुमार गुप्ता को पुलिस में बहादुरी सेवाओं के लिये सम्मानित किया जाएगा।
प्रवक्ता के अनुसार पुलिस महानिदेषक श्री शील मधुर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक श्री पी0 के अग्रवाल, सुधीर चैधरी, डा0 आर0 सी0 मिश्रा, शत्रुजीत सिंह कपूर, ओ0पी0 सिंह, अजय सिंघल तथा अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक ; सेवानिवृत द्ध राजबीर सिंह देषवाल को उनकी विषिष्ट सेवाओं के लिये राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जायेगा।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि इसी के साथ साथ पुलिस महानिदेषक श्री के0पी0 सिंह, बी0 के0 सिन्हा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक आलोक कुमार मितल, पुलिस महानिरीक्षक चारू बाली, सुभाष यादव, डा0 एम0 रवि किरण, संजय कुमार तथा राजिन्द्र कुमार, उप-पुलिस महानिरीक्षक षिबास कविराज, वाई0 पूरण कुमार, पुलिस अधीक्षक अषोक कुमार, ओम प्रकाष, कीर्तपाल सिंह, कुलदीप सिंह,राजेष कुमार दुग्गल, सुरेन्द्र पाल सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बलबीर सिंह ; सेवानिवृत द्ध, रमेष पाल ; सेवानिवृत द्ध ,उप- पुलिस अधीक्षक मोहिन्द्र पाल ; सेवानिवृत द्ध,अनूप सिंह ; सेवानिवृत द्ध, दलबीर सिंह; सेवानिवृत द्ध, विरेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह; सेवानिवृत द्ध, दलीप कुमार; सेवानिवृत द्ध, उदय राज सिंह तनवर, धर्मवीर, सुरेष चन्द, शकुन्तला देवी, हिषम सिहं तथा अजय कुमार को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिये पुलिस पदक सम्मानित किया जायेगा।
इसके अतिरिक्त निरीक्षक श्री रामबीर सिंह; सेवानिवृत द्ध,लाल सिंह; सेवानिवृत द्ध,कमल सिंह; सेवानिवृत द्ध,ज्योती शील ; सेवानिवृत द्ध,अनूप सिंह ;सेवानिवृतद्ध,राजरूप सिंह; सेवानिवृतद्ध,अमर सिंह; सेवानिवृत द्ध,वतन सिंह,राजपाल सिंह, विजयपाल, अजाद सिंह, अष्वनी कुमार, मलकीयत सिंह, सत्यबीर सिंह,सतपाल, उमेद सिंह, बलराज सिंह, सुरेन्द्र सिंह, ओ0 आर0 पी0 निरीक्षक विरेन्द्र सिंह तथा ओ0 आर0 पी0 निरीक्षक इद्रपाल सिंह को भी इनकी सराहनीय सेवाओं के लिये पुलिस पदक से सम्मानित किया जायेगा।
सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मनित होने वालों में उप-निरीक्षक श्री देवेन्द्र सिंह, रामकरण, सुषील कुमार, राजीव मोहन, सुल्तान सिंह, हरबिलास सिंह,सिकन्द्र लाल, बलदेव कृष्ण, रमेष चन्द, विनोद कुमार, हरि राम, गुरविन्द्र सिंह,रणजीत सिंह, किरपाल सिंह ओ0 आर0 पी0 उप-निरीक्षक जगबीर सिंह, ओ0 आर0 पी0 उप-निरीक्षक जितेन्द्र सिंह तथा ओ0 आर0 पी0 उप-निरीक्षक सतपाल सिंह भी शामिल है।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस अवसर पर सहायक उप-निरीक्षक श्री मनोज कुमार, राम कुमार, देवी लाल, जसबीर सिंह, शमषेर सिंह, मोहन सिंह, इन्द्र दीप सिंह, महिला सहायक उप-निरीक्षक सीमा गुप्ता, जनक कुमारी, सुखजिन्द्र पाल कौर, ई0 ए0 एस0 आई0 सुरेष चन्द, गुरमीत सिंह, कुलबीर सिंह, प्रदीप कुमार, सुरेन्द्र सिंह, भगीरथ, रविन्द्र कुमार, भगवान दास, राजबीर सिंह तथा नरेष कुमार को भी उनकी सराहनीय सेवाओं के लिये पुलिस पदक से नवाजा जायेगा।

नागपुर निगम चुनाव में भाजपा ने परचम फहराया

नागपुर।

भाजपा ने नागपुर में अपना वर्चस्व कायम रखा है हालांकि नागपुर की पारशिवनी नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर शिवसेना ने कब्जा जमाया है। जबकि वानाडोंगरी नगर परिषद अध्यक्ष पद भाजपा को मिला है। मंगलवार को राज्य चुनाव आयोग ने दोनों नगर निकाय के चुनाव परिणाम घोषित किए। इसके अनुसार पारशिवनी नगर पंचायत की 17 सीटों में से भाजपा को 11 सीटों पर जीत मिली है। शिवसेना ने  4 और कांग्रेस ने 2 सीट पर जीत दर्ज की है। वहीं वानाडोंगरी नगर परिषद की 21 सीटों में से भाजपा 19 सीटों पर विजयी हुई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस 1 और निर्दलीय को 1 सीट पर जीत मिली है।

तहसील बनने के बाद वानाडोंगरी नगर परिषद में पहली बार हुए चुनाव में भाजपा को एकतरफा जीत हासिल हुई है। क्षेत्र की जनता ने नगराध्यक्ष के साथ ही 19 नगरसेवक भाजपा के चुनकर दिए। राकांपा, कांग्रेस आघाड़ी की उम्मीदवार को 270 मतों से भाजपा की नगराध्यक्ष उम्मीदवार वर्षा शहाकार ने हराकर जीत हासिल की। वहीं 10 प्रभाग के कुल 21 नगरसेवकों में से 19 नगरसेवक भाजपा, एक राकांपा तथा एक अपक्ष नगरसेवक चुनकर आए। इस जीत को विधायक मेघे ने भाजपा कार्यकर्ता व क्षेत्र की जनता की जीत करार दिया है। उन्होंने विकास तेज गति से करने का भरोसा भी दिया है।

पारशिवनी नगर पंचायत के 17 वार्ड सदस्यों के लिएए 68 उम्मीदवार और नगराध्यक्ष पद के लिए 4 उम्मीदवार मैदान में थे। शिवसेना के पूर्व विधायक आशीष जयस्वाल की रणनीति सफल हुई जिसके चलते कम सीट जीतने के बावजूद नगराध्यक्ष पद पर शिवसेना की प्रतिभा कुंभलकर विजयी हुईं। कुंभलकर को 2 हजार 440 वोट मिले। जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की सुनीता डोमकी को 2 हजार 229 वोट मिले। कुंभलकर 211 वोटों से विजयी रहीं और नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर शिवसेना का परचम लहरा गया।

2 Punjab IPS  empanelled for the post of Joint Secretary

 

Punjab IPS  Rai &  Rao empanelled for the post of Joint Secretary/ Equivalent  at Centre

Chandigarh , July 25 , 2018 : Union Government has approved the empanelment of Punjab IPS officers A S Rai and  G Nagehwara Rao to hold post of  Joint Secretary/ Equivalent  at Centre. Mr.  Rai ,presently posted as IG Patiala  Range is 1994 batch IPS.1995 batch Mr. Rao is posted as Director ,Vigilance Bureau , Punjab.

The list includes 1994 batch Punjab cadre IPS A S Rai and 1995 batch officer Gollapalli Nageswara Rao  is posted as Director ,Vigilance. Total 20 IPS offices of 1987, 1989, 1990, 1991, 1992, 1994 and 1995 batches have been empanelled to hold  the post of Joint Secretary/ Equivalent  at Centre.

Bir Devinder Singh strongly condemned appointment of new VC

Chandigarh, July 24, 2018:

Former Punjab Deputy Speaker, Bir Devinder Singh strongly condemned presence of the local BJP-RSS workers at the joining of the new Vice-Chancellor Dr Raj Kumar, Panjab University (PU).

With this, the alleged ideological affiliation of the new VC with RSS-BJP has been exposed. “It is quite disturbing to learn that the new VC of Punjab University, Dr Raj Kumar is an RSS man from Banaras Hindu University,” said Bir Devinder in a statement issued here on Tuesday.

He stated that the Panjab University represented the liberal ethos and culture of Punjab in the world of academia. It’s Senate, Syndicate and Vice Chancellors have always guarded the rich heritage and maintained appropriate balance, keeping in mind the region’s aspirations. Therefore, the appointment of all previous VCs was made keeping in view the sensitivity of Punjabis.

“It seems bizarre that the selection committee did not find even one Professor from the Punjab University or any other university of Punjab, worthy of the august post despite having illustrious academic careers. The new VC has no connect with Punjab region,” he added.

Bir Devinder alleged that the search committee set up to find suitable candidate for the post was packed with RSS/BJP appointed/ affiliated persons. It is strange enough that out of about 160 applicants, only 9 were shortlisted and all the shortlisted professors had RSS/BJP connections. “It is another extreme of intellectual dishonesty that neither in search committee, nor among the candidates, a single person belonged to minorities, schedule castes or schedule tribes, he pointed out while terming the  presence of the Chandigarh BJP president Sanjay Tandon and other RSS people “supervising” the joining of the new VC.

The senior leader warned that any attempt to ‘saffronise’ the PU by changing its secular character would be resisted at every level. He also urged the faculty and students of the PU affiliated colleges and the university campus to keep vigil on any activities and new policies brought in by the new VC. “The appointment of the new VC has posed a big question mark on the future of the Panjab University,” he said.

कांग्रेस्स से भाजपा में आए लाल सिंह ने बनाई नयी पार्टी


बीजेपी-पीडीपी सरकार में मंत्री रहे चौधरी लाल सिंह ने कहा है कि वे अब अपनी नई पार्टी बनाएंगे, जो ‘डोगरा स्वाभिमान और संगठन’ के लिए काम करेगी


जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बाद अब बीजेपी में भी विद्रोह की आग सुलगती दिख रही है. बीजेपी-पीडीपी सरकार में मंत्री रहे चौधरी लाल सिंह ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. चौधरी लाल सिंह का कहना है कि वे अब अपनी नई पार्टी बनाएंगे, जो ‘डोगरा स्वाभिमान और संगठन’ के लिए काम करेगी.

बीते रविवार को जम्मू के, गांधी नगर इलाके में, टीचर भवन ऑडिटोरियम में करीब एक हज़ार की भीड़ को उन्होंने संबोधित भी किया. चौधरी लाल सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत जैसे ही ‘जय डोगरा’ के नारे से की, भीड़ ने भी इसी नारे से उनका जयघोष किया. इसके बाद चौधरी ने एक घंटे तक डोगरी भाषा में यहां के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने बार-बार लोगों को याद दिलाया कि कैसे डोगरा समुदाय ने सख्त हाथों से 1947 में जम्मू-कश्मीर को अपने काबू में रखा. चौधरी ने दावा किया कि एक बार उन्हें मौका मिले, तो डोगरा समुदाय का वो सम्मान वे फिर से वापस ले आएंगे.

जम्मू-कश्मीर के संसाधनों और मुख्यमंत्री की सीट को बांटने का प्रस्ताव

कभी कांग्रेसी रहे, 59 बरस के लाल सिंह ने 2014 के चुनावों से पहले बीजेपी से हाथ मिला लिया था. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अपनी पार्टी बनाई हैं, जिसका निशान बाघ और बकरी है. बसोहली से विधायक लाल सिंह बताते हैं कि उनकी पहली प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर और वहां के संसाधनों को दो हिस्सों में बांटने की है. सिर्फ इतना ही नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी तीन-तीन साल के लिए दोनों ही हिस्सों को बारी-बारी से मिले, बेशक राज किसी भी पार्टी का हो.

लाल सिंह चौधरी ने बताया- ‘मेरी पार्टी, बगैर धर्म-जाति और समुदाय देखे, जम्मू के लोगों के भले के लिए काम करेगी. लेकिन मेरी पार्टी राजनैतिक उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि जम्मू के डोगरा समुदाय के गौरव के लिए काम करेगी. हमने 21 बिंदुओं को लेकर योजना तैयार की है, जिसे हम आने वाले दिनों में ज़मीन पर उतारेंगे.’

पीडीपी-बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य और वन मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालने वाले लाल सिंह उन दो मंत्रियों में से एक थे, जिन्होंने कठुआ रेप केस के आरोपी के पक्ष में रैली की थी और इसकी वजह से बाद में महबूबा के मंत्रिमंडल से निकाले भी गए. चौधरी ने कठुआ मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की थी.

लाल सिंह चौधरी बताते हैं- ‘हमारी पार्टी डोगरा समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष करेगी. हम कोई राजनैतिक दल नहीं बना रहे. ये बस राज्य में हो रही पक्षपातपूर्ण राजनीति के खिलाफ लड़ाई लड़ने की हमारी कोशिश है.’

बीते रविवार को लाल सिंह ने अपनी रैली में लोगों से कहा कि ‘जम्मू का इलाका संसाधनों से भरपूर है, फिर भी यहां कोई विकास नहीं हुआ. जम्मू हर मामले में हमेशा पीछे रह जाता है. हमारी एक नदी से 20 हज़ार मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है, फिर भी बिजली की कटौती सबसे ज़्यादा हम ही झेलते हैं. जम्मू के प्राकृतिक संसाधनों जैसे, जंगल, पानी और टूरिज़्म से जुड़े फायदे सबसे पहले जम्मू के लोगों को मिलने चाहिए, फिर कश्मीर को.’ चौधरी ने मांग की कि जम्मू और कश्मीर दोनों ही जगहों के लिए अलग-अलग लोक सेवा आयोग बनाने चाहिए. उन्होंने कठुआ रेप मामले में क्राइम ब्रांच को ढीली जांच के लिए जम कर लताड़ा भी.

दंभी और बीजेपी की आंखों में किरकिरी माने जाते हैं लाल सिंह

अपनी कांग्रेसी छवि के चलते लाल सिंह चौधरी सूबे के कई बीजेपी नेताओं की आंखों की किरकिरी बने हुए थे. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि दरअसल लाल सिंह चौधरी को कभी बतौर ‘बीजेपी नेता’ संगठन के लोगों ने स्वीकार किया ही नहीं. उन्हें हमेशा ‘बाहरी आदमी’ की हैसियत से जाना जाता रहा. इसीलिए जम्मू के राजनैतिक गलियारे इन अफवाहों से पटे पड़े हैं कि हो सकता है पीडीपी के एक पूर्व एमएलसी विक्रमादित्य सिंह भी उनका साथ देने जल्दी ही उनकी पार्टी में शामिल हो जाएं. विक्रमादित्य सिंह ने भी कुछ दिनों पहले अपनी पार्टी छोड़ी थी. इसके अलावा कांग्रेस नेता शामलाल शर्मा, जो सूबे के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं और उनके भाई पूर्व कांग्रेस सांसद मदन लाल शर्मा, दोनों लाल सिंह चौहान की पार्टी का दामन थाम सकते हैं. लेकिन ये सब सिर्फ अफवाहें हैं. फिलहाल तो लाल सिंह चौधरी को अकेले ही चलना होगा.

जम्मू-कश्मीर की बीजेपी इकाई को उसी वक्त शक हो गया था, जब लाल सिंह चौधरी ने पार्टी की बैठकों में आना छोड़ दिया. यहां तक कि सरकार गिरने के बाद, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जम्मू में हुई रैली में भी उन्होंने शिरकत नहीं की. एक मौका तो ऐसा भी आया कि जब लाल सिंह और सूबे के बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना, सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित लोगों से मिलने गए, तो एक दूसरे से बात तक नहीं की. बीजेपी के एमएलसी और वरिष्ठ नेता अविनाश राय खन्ना ने पत्रकारों से कहा, ‘आप खुद देख सकते हैं कि हवा किस ओर बह रही है और लाल सिंह की नीयत क्या है. बेशक वे कहें कि उनका दल राजनीतिक नहीं है, लेकिन ऐसा है नहीं. सोमवार को केंद्रीय नेतृत्व को इस आशय की रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.’

लेकिन जम्मू के ही एक और बड़े नेता ने, नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लाल सिंह चौधरी सीधे अमित शाह से ही बात करते हैं. सूबे के किसी भी बीजेपी नेता से बात करना वे अपनी शान के खिलाफ समझते हैं, ‘वे इतने अहमक हैं कि प्रदेश अध्यक्ष अगर उन्हें फोन भी करें, तो वे उठाते नहीं.’ उनका कहना है कि ‘बीजेपी अध्यक्ष अभी मेरे सामने बच्चे हैं और मुझे राजनीति सिखाने से पहले खुद सीख लें.’

लेकिन मौजूदा हालात लाल सिंह के पक्ष में

जम्मू-कश्मीर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व पर लगातार दबाव बना रही है कि सूबे में जल्दी ही सत्ता में वापस लौटना होगा, वर्ना पार्टी आपना जनाधार किसी भी ऐसी पार्टी के हाथों खो देगी, जो जम्मू के हितों की बात करेगी और ऐसे भावनात्मक मुद्दे उछालेगी, जिससे लोग उन्हें वोट दें.

लेकिन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी या पीडीपी की मदद के बिना कोई भी मिली-जुली सरकार बनती फिलहाल दिखती नहीं. क्योंकि पीडीपी बिखर रहे अपने घर को ठीक करने में जुटी है और नेशनल कांफ्रेंस अपने विधायकों की रखवाली इस डर से कर रही है कि कहीं वे नाराज़ होकर किसी और पार्टी में न चले जाएं.

फिलहाल, चूंकि सूबे में गवर्नर रूल अभी कुछ महीने और जारी रहने की संभावना है, तीसरे मोर्चे की हकीकत बिखरती लग रही है. ज़ाहिर है कि लाल सिंह चौधरी को मौजूदा हालात में फायदा मिल सकता है, क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी को सूबे में फैलाने के लिए कुछ वक्त मिल जाएगा, साथ ही जम्मू के राजनैतिक माहौल को अपने लायक बनाने के मौके भी मुहैया होंगे. जम्मू में वे एक नई राजनैतिक ताकत बनने की उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होती है या नहीं, ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि बीजेपी अगले आम चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है. ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है.

आज का पांचांग

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी
नक्षत्र – मूल
योग – ऐन्द्र
करण – कौलव

राहुकाल:-
12:00PM – 1:30PM

🌞सूर्योदय – 05:40 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 19:18 (चण्डीगढ)
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
🚩व्रत -🚩
प्रदोष व्रत।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 05:38 07:20 शुभ
अमृत 07:20 09:03 शुभ
शुभ 10:45 12:27 शुभ
लाभ 17:34 19:16 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
शुभ 20:34 21:52 शुभ
अमृत 21:52 23:10 शुभ
लाभ 03:03 04:21 शुभ

स्मानतर अदालतें हमारे समाज का हिस्सा नहीं हो सकतीं: Nida


तीन तलाक पीड़िता निदा कहती हैं कि जिस देश में हम रह रहे हैं वहां एक संविधान है तो समानांतर कोर्ट नहीं चल सकती.


 

जुमे का दिन था और वक्त था जोहर की नमाज का जब हम बरेली के शामतगंज में निदा खान के घर पहुंचे. निदा तो घर पर थीं नहीं. लेकिन उनकी अम्मी अपना फोन लिए इधर-उधर कर रही थीं. पूछने पर पता चला कि वो निदा के अब्बू और भाई को फोन लगा रही हैं जो नमाज अदा करने घर के पास वाली मस्जिद में गए है.

विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता से निदा खान के खिलाफ फतवा जारी होने के बाद यह पहला जुम्मा था. किसी ने निदा की अम्मी को फोन कर बताया था कि निदा के अब्बू और भाई को नमाज अदा करने से रोक दिया गया है. और यही वजह थी उनके हैरान परेशान होने की.

हालांकि जब निदा के अब्बू और भाई घर लौटे तो वो खबर महज एक अफवाह थी. निदा के अब्बू ने बताया कि हमने किसी को मिलने का मौका ही नहीं दिया. हम ठीक उस वक्त पहुंचे जब नमाज शुरू होने को थी और बाकी भीड़ के निकलने से पहले हम खुद वहां से निकल गए. उन्होंने कहा, हम सिर्फ जुमे की नमाज पढ़ने मस्जिद जाते हैं बाकी दिन की नमाज हम घर से ही अदा करते हैं. 

16 जुलाई को मुफ्ती खुर्शीद आलम द्वारा जारी किए फतवे में निदा को इस्लाम से खारिज कर दिया गया था. फतवे में कहा गया था, ‘अगर निदा खान बीमार पड़ती हैं तो उन्हें कोई दवा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी. अगर उनकी मौत हो जाती है तो न ही कोई उनके जनाजे में शामिल होगा और न ही कोई नमाज अदा करेगा’. फतवे में यह भी कहा गया है,’अगर कोई निदा खान की मदद करता है तो उसे भी इस्लाम से खारिज कर दिया जाएगा’.

तीन तालाक पर लड़ाई लड़ रही निदा कोर्ट की तारीख पर गई थीं. निदा के घर लौटने में अभी वक्त था तो हम मुफ्ती खुर्शीद आलम से मिलने जामा मस्जिद पहुंचे. हालांकि मौलाना ने कहा हम बात नहीं करेंगे, आप मीडिया वाले हमारी सुनते नहीं सिर्फ अपनी कहते हैं. हमारे तसल्ली देने के बाद उन्होंने कहा कि पहले आप मस्जिद में इकठ्ठा हुई महिलाओं से मीलिए फिर हम आपसे मिलेंगे.

मस्जिद में लगभग सौ महिलाओं की भीड़ थी. जिस वक्त हम मस्जिद पहुंचे तो नातशरीफ पढ़ रही थीं. हालांकि हमें देखते ही वो उस मुद्दे पर आ गईं जिसके लिए मौलाना ने हमें उनसे मिलने को कहा था. उनके लिए मुद्दा था इस्लाम की रक्षा करना जिसे निदा जैसी औरतें खराब कर रही हैं.

रफिया शबनम

रफिया शबनम नाम की एक महिला इस भीड़ को संबोधित कर रही थीं. वो बता रही थीं कि ‘सबकी आवाज’ नाम से उन्होंने एक मुहिम शुरू की है जिसमें एक लाख मुस्लिम महिलाओं के दस्तखत होंगे और ये मुहिम शरीयत के कानून पर उठाए जा रहे सवालों के खिलाफ है.

अपने संबोधन में उन्होंने कहा, कुछ महिलाओं द्वारा धर्म की गलत छवि पेश की जा रही है. अब और लोग हमें बताएंगे कि हम शरीयत के कानून से डरें नहीं? और लोग हमें बताएंगे कि हम अपने धर्म में सुरक्षित हैं? आप लोगों को पता है कि तलाक को मुश्किल करने के लिए हलाला है? और बड़ी बात तो ये कि जिस आदमी ने तुम्हें एक बार तालाक दे दिया उसके पास वापस जाने का मतलब क्या है? ये हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना है. शरीयत ये इजाजत देती है कि एक बार तुम्हारे शौहर ने तुम्हें तलाक दे दिया तो तुम कहीं और निकाह कर सकती हो. नहीं जरूरी है दोबारा वापिस आओ. हलाला को रेप ओर दुष्कर्म क्यों बना दिया?

हाल ही में बरेली से सामने आए शबीना हलाला मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, आज हमारे शहर की एक औरत ने 60 साल के पिता की उम्र के आदमी पर दुष्कर्म का आरोप लगा दिया. क्या उसे शर्म नही आई ये करते हुए? क्या उसे ये नहीं पता उसका सवाल शरीयत पर सवाल उठाता है? उसने सिर्फ अपना फायदा देखा. जितने बराबरी के हक शरीयत ने मर्द और औरत को दिए हैं उतने शायद ही किसी और धर्म ने दिए.

क्या 5 या 10 प्रतिशत महिलाओं के कहने से शरीयत का कानून यानी तलाक और हलाला गलत हो जाएगा? जो 1400 साल पहले हमारे हूजुर ने लिख वो आज गलत हो गया! निदा खान ने अपने व्यक्तिगत मामले से से आज हमारी शरीयत पर सवाल उठा दिए. एक बड़े खानदान को रुसवा कर दिया.

संबोधन खत्म हुआ तो मैंने रफिया शबनम से पूछा क्या निदा के साथ जो हुआ वो ठीक है? रफिया ने कहा, वो निदा का व्यक्तिगत मामला है. तलाक पीड़िताएं तो बरसों से है. व्यक्तिगत मामलों को धर्म से मत जोड़िए. मैंने पलट कर पूछ लिया तो जब मामला व्यक्तिगत था तो फतवा भी गलत हुआ? तो वो थोड़ा गुस्साईं और कहने लगीं, क्या एक निदा के कहने से शरीयत में लिखा ट्रिपल तलाक या हलाला गलत हो जाएगा, अपने पीछे खड़ी भीड़ की तरफ इशारा कर उन्होंने कहा कि क्या ये हजार महिलाएं अपने घर में महफूज नहीं है? एक तलाक पीड़िता के लिए क्या सब बदल दिया जाएगा?

निदा खान के खिलाफ जारी किए गए फतवे की तस्वीर

मैंने एक-एक कर उन्हीं में से कई महिलाओं से पूछा क्या आप तलाक-ए-बिद्दत को ठीक मानती हैं? कोई दूसरे का मुंह देखने लगी तो किसी ने मुस्कुराकर टाल दिया, तो किसी ने यहां तक कह दिया कि आपका सवाल ही गलत है. मैंने कहा चलिए ये बताइए कि तलाक के जिस तरीके को सुप्रीम कोर्ट ने बैन किया है क्या वो सही था? ऐसा लगा जैसे वो इस सवाल के लिए तैयार नहीं थीं. इस भीड़ में पीछे खड़ी एक औरत आगे बढ़ी और कहने लगी, हमें अपने हदीस और कुरान पर यकीन है. सुप्रीम कोर्ट कुछ भी कहे पर हम मानेंगे तो वही जो हमारा कुरान हमसे कहता है. संविधान ने हमें हक दिया अपने धर्म को पालन करने का और अगर संविधान हमारे शरीयत या हदीस के खिलाफ होगा तो हम संविधान के भी खिलाफ जाएंगे.

वक्त आया मौलाना जी से मिलने का. मैंने कहा, क्या निदा अपने हक के लिए लड़ नहीं सकती? और लड़ेगी तो आप उसे इस्लाम से खारिज कर देंगे? आपको ये हक किसने दिया? मौलाना ने कहा, मैं कौन होता हूं किसी को इस्लाम से खारिज करने वाला! जो कुरान ओर हदीस के खिलाफ जाएगा वो खुद ही इस्लाम से खारिज हो जाएगा. हम तो सिर्फ हुकम बताने वाले हैं. सवाल कायम किया हमने, फतवा दारुल इफ्ता से मिला और मैंने सिर्फ उसका जवाब पढ़कर सुना दिया.

उसमें लिखा है कि अगर किसी ने कुरान से इंकार करने की गलती की है तो वो तौबा करें, मांफी मांगे, जब वो मुस्लमान है. ये फतवा इसलिए जारी हुआ क्योंकि हमें कुरान और हदीस पर भरोसा है. अगर इसके खिलाफ कोई बात सामने आती है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि अवाम को आगाह किया जाए. जैसी कि बयानबाजी हो रही थी कि हलाला का कुरान में कोई सबूत नहीं हैं, हलाला औरतों पर जुल्म है. हलाला का तालुक खुदा के हुक्म से है. हलाला का मतलब नहीं कि जबरदस्ती किसी को मजबूर किया जाए.

मैंने कहा कि क्या जिस तलाक-ए-बिद्दत पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा दिया है, आप उसके विरोध में नहीं हैं?

मौलाना ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वो ही हमारी शरीयत भी कह रही है. एक साथ तीन तालाक गुनाह है, लेकिन अगर कह दिया तो तलाक हो जाएगा. वो गुनहगार है जिसने एक साथ तीन तलाक दिया.

मैंने कहा जब शरीयत भी कह रही है ये गलत है तो इसके खिलाफ लड़ना कैसे गलत है? मौलाना ने कहा, तलाक तो हो गया. निदा अपने हक के लिए लड़ें, हमें उससे कोई दिक्कत नहीं. लेकिन वो अपने हक की लड़ाई में शरियत को निशाना न बनाएं, कुरान और हदीस के खिलाफ न जाएं. फतवे की ये लाइनें हदीस से कोट की गई हैं. फतवे का मतलब है आगाह करना. ये फतवा सिर्फ निदा के लिए नहीं है. उसमे लिखा है जो भी कुरान या हदीस के कानून से इंकार करेगा उस पर इस्लाम का ये कानून लागू होता है.

आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड आपके फतवे से कोई इत्तेफाक नहीं रखता और उनका कहना है कि इस फतवे का कोई मतलब नहीं क्योंकि फतवा सिर्फ तब जायज है जब वो मांगा जाए, दागा नहीं जा सकता. तो उन्होंने कहा, हमारी जिम्मदारी है कानून और हदीस के कानून से अवाम को आगाह करना. लोगों को बताना.

मुफ्ती खुर्शीद आलम

इस तरह के फतवे जारी कर के आप इस्लाम को बदनाम कर रहें हैं? ये सोच है और सोच पर कोई पाबंदी नहीं लगा सकता. जिसका इमान कुरान पर है, हदीस पर है वो कभी ये नहीं बोल सकता कि इन फतवों से इस्लाम बदनाम होता है. बल्कि ये फतवा ईमान वालों के लिए रहमत है. शहर काजी के हुक्म से फतवा जारी हुआ हे और वो शब्द-शब्द सही है. कुरान का कानून है और कुरान के हर हर्फ पर मेरा ईमान है

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक फतवे की कोई कानूनी मान्यता नहीं है और संविधान से बड़ा तो कुछ नहीं? तो वो बोले कुरान सबसे बड़ा है हमारे लिए. पहले हम कुरान देखेंगे, फिर सुप्रीम कोर्ट का कानून.

मुफ्ती खुर्शीद आलम से लंबी बातचीत में बार-बार पूछने पर उन्होंने कहा कि तलाक ए बिद्दत शरीयत के हिसाब से भी गलत है लेकिन किसी ने दे दिया तो हो गया. हालांकि गलत के खिलाफ लड़ने पर उनके पास जवाब नहीं.

मौलाना से मिल हम निदा के घर लौटे. निदा अपने घर के आंगन में बैठी एक मां के आंसू पोंछ रही थीं. दरअसल वो मां थीं एक और पीड़िता की जिसे उसके शौहर की मृत्यु के बाद ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया था. निदा उन्हें समझा रहीं थी कि वे परेशान ना हो, ये लड़ाई कानूनी तौर पर लड़ी जाएं.

निदा 2017 से आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी नाम की एक संस्था चलाती हैं जिसमें वो ट्रिपल तालाक, हलाला, बहुविवाह से पीड़ित महिलाओं की मदद करती हैं. निदा कहती हैं कि हमारी पहली कोशिश होती है कि घर टूटने से बच सकें तो उसे बचा लें.

निदा यहां अपनी अम्मी, अब्बू, भाई के साथ रहती हैं.अक्सर न्यूज स्क्रीन पर जिस निदा को हमेशा नकाब में देखा वो एक बेहद दिलचस्प इंसान हैं. ट्रिपल तलाक, हलाला के खिलाफ लड़ाइ लड़ रही निदा चंचल, चुलबुल लड़की हैं.

बात करने पर निदा ने कहा कि वो कोर्ट के उस फैसले से खुश है जिसमे कोर्ट ने उनके तीन तलाक को अवैध करार दे दिया है. निदा ने कहा फतवे का इस्तेमाल हमेशा से कानून को चकमा देने के लिए किया गया है. जो चीज असंवैधानिक है उसका कोई वजूद नहीं. इसका इस्तेमाल सलाह मशविरा के लिए किया जा सकता है, किसी को बेइज्जत करने के लिए नहीं. जिस तरह की बात फतवे में हुई है वो मेरे मौलिक अधिकारों का हनन है. और उनके इस फतवे का जवाब देने से अच्छा मैं समझती हूं कि मैं उस पर कार्रवाई करूं.

2016 से शुरू हुई इस लड़ाई में मुझ पर अटैक हुए, केस वापस लेने का दबाव बनाया गया और अब ये फतवा लेकिन एक इंसान जितना डर सह सकता है उससे ज्यादा हो चुका है, तो अब इन चीजों का फर्क नहीं पड़ता. मेरे संविधान ने मुझे अधिकार दिया है कि मैं जो धर्म चाहूं उसका पालन करूं और कोई भी फतवा मुझे ये करने से रोक नहीं सकता. मैं इस फतवे को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाउंगी. जो संदेश उन्होंने इस फतवे से समाज को देने की कोशिश की है उसका उल्टा संदेश मैं सामाज को दूंगी…मैं इस लड़ाई को पूरी तरह से लड़ूंगी.

अजीब ये है कि जिन मौलानाओं को इस्लाम का प्रतिनिधित्व करने का काम दिया गया है वो ऐसे फतवों से इस्लाम की गलत तस्वीर पेश करते हैं. इस तरह का फतवा देकर वो समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं कि जो कोई अपने हक की लड़ाई लड़ेगा उसे हम इस्लाम से खारिज कर देंगे. मुझे लगता है तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत हमारी सोसायटी का एक बुरा सच है जिसका खत्म होना बेहद जरूरी है.

और रही बात हलाला की तो हलाला शरीयत के हिसाब से मर्दों के लिए सजा थी और लेकिन इसमें असली सजा तो महिलाओं को भुगतनी पड़ती है. आज के वक्त में इसे बिजनेस बना दिया गया है.

निदा कहती हैं, सोसायटी का एक हिस्सा है जिन पर फतवे से फर्क पड़ा हैं. मैं कोर्ट गई थी और वहां मेरी पहचान के ही किसी ने कहा मैं आपसे बात नहीं करूंगा वरना मेरा ईमान चला जाएगा.

जब निदा से मैंने पूछा कि वो सरकार से क्या चाहती हैं? निदा ने कहा, ये अकेली और पहली सरकार है जिसने तीन तलाक का मुद्दा उठाया है और शायद पहली बार इससे पीड़ित महिलाएं इसके खिलाफ आवाज उठा रही हैं. अब तक तीन तलाक शरीयत के नाम पर चलाया जा रहा था लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने ही इसे बैन कर दिया तो अब क्या? हालांकि सिर्फ तलाक-ए-बिद्दत को बैन करने से चीजें नहीं बदलेंगी क्योंकि वो तलाक तो आज भी हो रहे हैं. कानून तो हमारे पास रेप का भी है लेकिन अमल होना जरूरी हैं. ठीक है कि ये कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा लेकिन सिर्फ तब जब उस कानून का सही से पालन होगा. रिफॉर्म सोसायटी के लिए जरूरी है.

निदा कहती हैं जब तक मैं अपने शौहर को सलाखों के पीछे नहीं पहुंचाती, जिसकी वजह से मैंने अपन बच्चा खोया, ये लड़ाई जारी रहेगी. जिस देश में हम रह रहे हैं वहां एक संविधान है तो समानांतर कोर्ट नहीं चल सकती. अगर इतना है तो पहले सुप्रीम कोर्ट जाएं और शरीयत को कोडिफाई कराएं.

मेरी अम्मी, अब्बू, भाई ने मुझे बहुत सहारा दिया है. कोर्ट के वातावरण का अंदाजा तो जॉली एलएलबी के बाद से सबको हो ही गया है. उस वातावरण में मेरे भाई ने मुझे काफी सपोर्ट किया है. हमें बहुत सारी कामयाबी मिली है.

पानी जब तक दूर है तब तक उससे डर लगता है लेकिन एक बार समुद्र की लहर पैरों को छू जाएं तो वो डर खत्म हो जाता है.

गाय मुस्लिम के लिए तो प्रेम दलित के लिए लिंचिंग का कारण बने


भारत पाकिस्तान सरहद पर बसे बाड़मेर के सरहदी गांव में एक दलित युवक को प्रेमप्रसंग के चलते पीट पीटकर मार दिया गया


अलवर में अकबर की घटना के बाद देश में एक तरफ़ तो मॉब लांचिंग को लेकर संसद से सड़क तक घमासान मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ़ भारत पाकिस्तान सरहद पर बसे बाड़मेर के सरहदी गांव में एक दलित युवक को प्रेमप्रसंग के चलते पीट पीटकर मार दिया गया. मामले में पुलिस ने दर्जनभर आरोपियों में से दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

वारदात बाड़मेर के मेकरनवाला गांव में शुक्रवार रात को हुई थी. वहां दर्जनभर के लोगों पीट-पीटकर एक दलित युवक भिण्डे का पार निवासी खेताराम भील की हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को उठाकर नजदीक सूनसान स्थित ढाणी में फेंक दिया. हत्या के पीछे अल्प संख्यक युवती से उसका प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है. शनिवार को युवक का शव पड़ा देखकर ग्रामीणों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी. इस पर पुलिस ने शव की शिनाख्त करवाकर पोस्मार्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया.

गांव में बनाई अस्थाई चौकी

मामले के बाद पुलिस ने सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका के चलते गांव में अस्थाई चौकी बना दी है. वहीं मामले की जांच वृत्ताधिकारी स्तर के अधिकारी को दी गई है. पूरे मामले में परिजनों ने करीब एक दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है. पुलिस ने इस मामले में दो युवकों पठाई खान व अनवर खां निवासी मेकरनवाला को गिरफ्तार किया है. दोनों ने पूछताछ ने यह बात क़बूली है कि प्रेम प्रसंग के चलते इन्होंने खेताराम की पीट पीटकर हत्या की है. आरोपियों को मंगलवार को कोर्ट में पेशकर सात दिन के रिमांड पर लिया गया है.