हाँ मैंने 2 बच्चे बेचे, मुझे नहीं मालूम वोह कहाँ हैं: नन, अणिमा


राज्य की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन ने स्वीकार किया है कि मैंने दो अन्य शिशुओं को भी बेचा है, नन ने कहा है कि मुझे नहीं पता कि अब वे कहा हैं


झारखंड में नवजात शिशुओं के बेचे जाने के मामले में एक नन के कबूलनामे का एक वीडियो सामने आया है. राज्य की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन ने स्वीकार किया है कि मैंने दो अन्य शिशुओं को भी बेचा है. नन ने अपने कबूलनामे में कहा है कि मुझे नहीं पता कि अब वे कहा हैं.

रांची पुलिस ने चाइंलड ट्रैफिकिंग के आरोप में 9 जुलाई को दो नन को गिरफ्तार किया था. यह नन भी उसी में शामिल है. पुलिस ने बताया कि बेचे गए 4 शिशुओं में से 3 को बरामद कर लिया गया है.

रांची पुलिस के सामने गुनाह कबूल करते हुए नन ने कहा है कि उसने 50-50 हजार रुपए में दो बच्चों को बेचा है जबकि एक बच्चे को एक लाख बीस हजार रुपए में बेचा था. बेचे गए अन्य बच्चे के बारे में नन को पूरी जानकारी नहीं है.

कैसे हुआ मामले का खुलासा

यह मामला तब खुला जब यूपी के सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी सौरभ अग्रवाल और प्रीति अग्रवाल ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडबल्यूसी) के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि उन्हें उनका बच्चा वापस नहीं दिया जा रहा है. इस बच्चे को उन्होंने पांच मई को 1.20 लाख में खरीदा था.

एफआईआर में दर्ज जानकारी के मुताबिक गुमला की रहनेवाली एक रेप पीड़िता अविवाहित गर्भवती लड़की यहां रह रही थी. उसने बीते एक मई को रांची सदर अस्पताल में बच्चा को जन्म दिया. इस नवजात को कर्मचारी अनिमा इंदवार ने सिस्टर कोंसिलिया के मिलीभगत से अग्रवाल दंपती को बेच दिया. उस वक्त नवजात चार दिन का ही था. इधर 30 जून को सीडबल्यूसी के सदस्यों ने संस्था का दौरा किया था. इससे डरकर अनिमा ने उसी दिन अग्रवाल दंपति को फोन कर कहा कि बच्चे को अदालत में पेश करना है, उसे लेकर रांची आ जाइए.

इसके बाद बच्चे को दो जुलाई अनिमा को दे दिया. तीन जुलाई को बच्चे की जानकारी लेने वह संस्था पहुंचे, जहां उन्हें बच्चे से नहीं मिलने दिया गया. इसके बाद उसी दिन उन्होंने इसकी शिकायत सीडबल्यूसी से की. सूचना मिलते ही चेयरमैन रूपा कुमारी निर्मल हृदय पहुंची. पूरी छानबीन के बाद जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो अनिमा ने स्वीकारा कि उन तीनों ने मिलकर बच्चे को बेच दिया है.

सख्त तय समयसीमा के साथ पूर्वाञ्चल एक्सप्रेसस्वे का शिलानियास हुआ आज, 2021 तक होगा तैयार


सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए सख्त डेडलाइन तय की है. अनुमान है कि 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आजमगढ़ में 23 हजार करोड़ के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की नींव रखी. 354 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे लखनऊ से गाजीपुर को जोड़ेगा. एक्सप्रेसवे की वजह से 6 घंटे का रास्ता केवल साढे 4 घंटे का रह जाएगा.

अखिलेश यादव की सरकार में इस एक्सप्रेसवे का नाम समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस रखा गया था. इसके जरिए 302 किमी लंबे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे और 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेसवे से भी जुड़ा जा सकेगा. एक्सप्रेसवे का कुल नेटवर्क 800 किलोमीटर का हो जाएगा.

एक्सप्रेसवे की शुरुआत आजमगढ़ से होगी जोकि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का क्षेत्र है. हालांकि वाराणसी तक एक्सप्रेसवे को जोड़ने का प्रस्ताव रखा गया है. योगी सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 12 हजार करोड़ का लोन पारित करा लिया है.

93 फीसदी जमीन खरीदने में खर्च हुए 6500 करोड़ रुपए

यूपी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अवनीश अवस्थी ने बताया कि 6500 करोड़ रुपए 93 फीसदी जमीन को खरीदने में खर्च हुए. 11 जुलाई को राज्य सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए पांच बोलीदाताओं को 340 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे के आठ हिस्सों के लिए अनुबंध सौंपकर टेंडर की प्रक्रिया पूरी की.

सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए सख्त डेडलाइन तय की है. अनुमान है कि 2021 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि वह 24 से 26 महीनों में प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश करेंगे.

हालांकि सपा और बीजेपी के बीच इस प्रोजेक्ट का श्रेय लेने की होड़ मची है. सपा इस प्रोजेक्ट से जुड़े फोटो शेयर कर रही है जिसमें 22 दिसंबर 2016 को अखिलेश यादव इस प्रोजेक्ट की नींव रख रहे हैं वहीं क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं ने आजमगढ़ में रैली लगाकर इस प्रोजेक्ट पर अपना दावा पेश किया.

वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्री मामलों के मंत्री सताश महाना ने कहा कि 2016 में रखी गई नींव फर्जी थी. उन्होंने दावा किया कि पुरानी सरकार ने इस टेंडर को ऊंचे दामों में पास किया था.

राम सकाल ही क्यूँ?


बीजेपी और सरकार का हर कदम अब लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए जिन चार नामों को मनोनीत किया है, उसमें उत्तरप्रदेश के रहने वाले रामसकल भी शामिल हैं. रामसकल यूपी में रॉबर्टसगंज से तीन बार सांसद भी रह चुके हैं. आरएसएस के जिला प्रचारक रह चुके रामसकल जमीनी स्तर के संघ और बीजेपी के कार्यकर्ता रहे हैं.

बीजेपी में आने से पहले वो संघ के जिला प्रचारक के तौर पर काम कर रहे थे. दलित समुदाय के भीतर अपनी पैठ रखने वाले रामसकल की छवि एक जमीनी कार्यकर्ता की रही है. लेकिन, संघ में बेहतर छवि वाले इस दलित समुदाय के नेता को बीजेपी में शामिल कर सक्रिय राजनीति में उतार दिया गया.

तीन चुनाव में जीते, चौथी बार टिकट नहीं मिला

सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद रामसकल ने रॉबर्ट्सगंज से लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज की. सबसे पहले 1996 में सांसद बनने वाले रामसकल को 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में भी जीत मिली. लेकिन, 2004 में पार्टी की तरफ से उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिला.

टिकट नहीं मिलने के बाद रामसकल सक्रिय राजनीति से काफी दूर हो गए. लेकिन, अपनी सादगी वाली जिंदगी और समाज सेवा के काम को उन्होंने जारी रखा. रामसकल हमेशा किसानों, मजदूरों और दलितों के हितों की बात करते रहे हैं और इस तबके के विकास और कल्याण के लिए तत्पर रहे हैं.

उनकी पहचान एक किसान और दलित नेता के तौर पर रही है. दलितों के उत्थान और उनके विकास के लिए रामसकल ने अपना पूरा जीवन खपा दिया है. वो किसानों और मजदूरों की आवाज बनकर काम करते रहे हैं. अब एक बार फिर से उन्हें मनोनीत करने का फैसला कर सरकार ने यूपी के भीतर दलित कार्ड खेला है.

बीजेपी कर रही है गेमप्लान में बदलाव

बीजेपी और सरकार का हर कदम अब लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है. बीजेपी इस फैसले को भुनाने की पूरी कोशिश भी करेगी. दरअसल, यूपी के भीतर बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव 2014 और विधानसभा चुनाव 2017 के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है. खासतौर से गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा के उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी की चिंता और बढ़ गई है.

इन उपचुनावों की हार का विश्लेषण कर बीजेपी अब 2019 की लड़ाई के लिए अपने गेम-प्लान में बदलाव की तैयारी कर रही है. पार्टी के रणनीतिकार हर वो कदम उठाने को तैयार हैं जिससे पिछले प्रदर्शन को दोहराया जा सके. सूत्रों के मुताबिक, इस बात की पूरी संभावना है कि बीजेपी के यूपी के कई दलित सांसद इस बार पाला बदलकर बीएसपी का रूख कर लें. समय-समय पर सावित्री बाई फूले औऱ छोटेलाल खरवार जैसे दलित सांसदों की नाराजगी भी सामने आ जाती है.

बीजेपी ने इसी नाराजगी को खत्म करने के लिए दलित कार्ड खेला है. पार्टी को लगता है कि नए दलित चेहरों को सामने लाने के साथ-साथ पुराने जमीनी दलित समुदाय के चेहरों को संगठन और सरकार में तरजीह देकर दलित वोट बैंक को खिसकने से रोका जा सकता है. रामसकल को राज्यसभा भेजने का फैसला उसी रणनीति का नतीजा है.

राष्ट्रपति का चुनाव भी यही संदेश देने के लिए था

यूपी के भीतर दलित समुदाय को साधने की कोशिश पहले से ही होती रही है. बीजेपी ने जब रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था तो उसके पीछे भी यूपी के दलित समुदाय में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की थी. ऐसा कर बीजेपी आने वाले लोकसभा चुनाव में फिर से दलित समुदाय को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश कर रही है.

लेकिन पिछले पांच सालों में बहुत हद तक बदलाव भी देखने को मिला है. देश में अलग-अलग जगहों पर दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटना को लेकर विपक्षी दलों ने लगातार बीजेपी औऱ आरएसएस को दलित विरोधी बताने की कोशिश की है. कांग्रेस से लेकर बीएसपी तक सबने बीजेपी को कठघरे में खड़ा किया है. रामसकल जैसे दलित नेताओं को सामने लाकर विपक्षी दलों की इसी कोशिश को बीजेपी विफल करना चाहती है.

राहुल माया राजस्थान, मध्य प्रदेश ओर हहत्तीस गढ़ मे साथ होंगे


सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ बातचीत पिछले कुछ महीने से चल रही है, लेकिन सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है


कांग्रेस मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में दलित मतदाताओं को साथ लेने के मकसद से बीएसपी के साथ गठबंधन की तैयारी में है, हालांकि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन तीन राज्यों के नेताओं से कहा है कि वे इस संदर्भ में अगले कुछ दिनों के भीतर ‘जमीनी ब्योरा’ सौंपें. इन तीनों राज्यों में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

गांधी ने इन तीनों राज्यों के पार्टी प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की जिसमें बीएसपी के साथ गठबंधन के अलावा संगठन, चुनाव प्रचार की तैयारियों और टिकटों के आवंटन को लेकर चर्चा हुई.

बैठक में मौजूद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘तीनों राज्यों में बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी में सहमति है. इस मुद्दे पर राहुल गांधी के साथ चर्चा हुई. उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा है कि जमीनी ब्योरा हासिल करें, बीएसपी की क्या स्थिति है और सीटों के तालमेल में सही सूरत क्या होगी.’ उन्होंने कहा, ‘तीनों राज्यों में संगठन की स्थिति, टिकटों के आवंटन और चुनाव प्रचार की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई.’

सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीएसपी के साथ बातचीत पिछले कुछ महीने से चल रही है, लेकिन सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. चर्चा के दौरान मौजूद रहे एक अन्य नेता ने बताया, ‘संसद सत्र के बाद राहुल गांधी के चुनावी कार्यक्रम इन तीनों राज्यों में जोरशोर से शुरू हो जाएंगे.’

गांधी के साथ बैठक में मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पार्टी के राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट तथा छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश पटेल मौजूद थे.

कांग्रेस शमशान कब्रिस्तान मेन भेद नहीं रखती : कांग्रेस


कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘मोदी जी का तेवर एक हारे हुए सेनापति का था जिसकी सेना का अंधकारमय भविष्य नजर आ रहा है’

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने मोदी द्वारा लगाए गए तुष्टिकरण के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह उनकी तरह ‘श्मशान-कब्रिस्तान और बांटने की राजनीति’ नहीं करती. बल्कि सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करती है.

दरअसल, मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना के शिलान्यास के मौके पर कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री मोदी ने एक उर्दू दैनिक की खबर का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल किया कि कांग्रेस क्या मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है या मुस्लिम महिलाओं की भी है?

कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी

इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘हम गर्व से कह सकते हैं कि अगर कोई देश के हर धर्म, जाति और वर्ग को साथ लेकर चला है तो वह सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस है. हम सभी का आदर करते हैं. हम मोदी की तरह श्मशान ,कब्रिस्तान और बांटने की राजनीति नहीं करते.’

तीन तलाक विरोधी कानून के बारे में तिवारी ने कहा, ‘हम तीन तलाक पर कानून के पक्ष में हैं. लेकिन जो इस विधेयक का मौजूदा स्वरूप है उससे महिलाओं का भला नहीं होने वाला है. इस विधेयक को ऐसे बनाना होगा जिससे महिलाओं का भला हो सके.’

तिवारी ने कहा, ‘पूर्वांचल के लोगों को मोदी जी से उम्मीद थी कि किसानों के जो 12 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं उसको दिए जाने की घोषणा करेंगे. आशा थी कि बंद मिलों एवं कारखानों को फिर से खोलने की तारीख की घोषणा करेंगे. आशा थी कि उत्तर प्रदेश में महिला विरोधी अपराधों के बढ़ते मामलों पर कुछ बोलेंगे. लेकिन उन्होंने इन पर कुछ नहीं बोला.’

उधार की योजना का जिक्र कर रहे थे मोदी जी

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री पूर्वांचल में बोल रहे थे, लेकिन आजमगढ़ के महान साहित्यकार राहुल सांस्कृत्यायन का उल्लेख करना भूल गए. वीर अब्दुल हमीद का नाम लेना भूल गए. गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले मासूम बच्चों के बारे में कुछ कहना भूल गए. उन्नाव के बलात्कार के आरोपी अपने विधायक को पार्टी से बाहर निकालने की हिम्मत नहीं कर पाए.’

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री अपने भाषण में जिन उपलब्धियों का जिक्र कर रहे थे वो सबकुछ उधार का था. मनमोहन सिंह सरकार की योजनाओं का नाम बदलकर पेश किया.’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘मोदी जी का तेवर एक हारे हुए सेनापति का था जिसकी सेना का अंधकारमय भविष्य नजर आ रहा है.’

बीजेपी राम में नहीं उनके इस्तेमाल में यकीन करती है

उन्होंने सवाल किया, ‘प्रधानमंत्री जी जवाब दीजिए कि रोजगार कहां है, महंगाई क्यों बढ़ी, रुपये की कीमत आपकी उम्र से ज्याद कैसे हो गई, पेट्रोल-डीजल के दाम कब कम होंगे?’ बीजेप अध्यक्ष अमित शाह के राम मंदिर से जुड़े एक कथित बयान का हवाला देते हुए तिवारी ने आरोप लगाया, ‘बीजेपी को भगवान राम में आस्था नहीं है, बल्कि वह उनके नाम इस्तेमाल चुनाव के मोहरे के रूप में करती है.’

कांग्रेस केवल मुस्लिम पुरुषों की पार्टी है क्या: मोदी


उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उस पर भी यह दल रोडे अटका रहे हैं’


 

संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘तीन तलाक’ से संबंधित विधेयक के लंबित होने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि क्या यह पार्टी सिर्फ मुस्लिम पुरूषों की पार्टी है, महिलाओं की नहीं.

एक्सप्रेसवे के उद्धघाटन पर तीन तलाक का जिक्र

मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना का शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा में कहा, ‘मैंने अखबार में पढा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है. पिछले दो दिन से चर्चा चल रही है. मुझे आश्चर्य नहीं हो रहा है क्योंकि जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो स्वयं उन्होंने कह दिया था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार मुसलमानों का है.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैं कांग्रेस अध्यक्ष से यह पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी है. ये तो बताइए मुसलमानों की पार्टी भी क्या पुरूषों की है या महिलाओं की भी है. क्या मुस्लिम महिलाओं के गौरव के लिए जगह है.’

तीन तलाक मामले पर विपक्षियों पर जम कर बरसे मोदी

विपक्षी दलों पर हमला करते हुए मोदी ने कहा, ‘इन सारे दलों की पोल तो तीन तलाक पर इनके रवैए ने भी खोल दी है. एक तरफ केन्द्र सरकार महिलाओं के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं ये सारे दल मिलकर महिलाओं और विशेषकर मुस्लिम बहन बेटियों के जीवन को और संकट में डालने का काम कर रहे हैं.’

मोदी ने कहा कि वह इन परिवारवादी पार्टियों और मोदी को हटाने के लिए दिन रात एक करने वाली पार्टियों को कहना चाहते हैं कि संसद का सत्र शुरू होने में चार पांच दिन बाकी हैं. आप पीडित मुस्लिम महिलाओं से मिलकर आइए और फिर संसद में अपनी बात रखिए.

उन्होंने कहा, ‘जब बीजेपी सरकार ने संसद में कानून लाकर मुस्लिम बहन बेटियों को अधिकार देने की कोशिश की तो उस पर भी यह दल रोडे अटका रहे हैं. ये चाहते हैं कि तीन तलाक होता रहे और मुस्लिम बहन बेटियों का जीवन भी तबाह होता रहे.’

राज्य सभा को मिले 4 मनोनीत सदस्य, बढ़ा भाजपा का आधार


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोनल मान सिंह, राकेश सिन्हा, राम सकल और रघुनाथ महापात्रा का नाम राज्यसभा के नए सांसद के तौर पर मनोनीत किया है


 

राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति ने चार लोगों के नाम को मनोनित किया है. ये चारों लोग अलग-अलग क्षेत्र के हुनरमंद हैं. इनमें राकेश सिन्हा, राम सकल, रघुनाथ महापात्रा और सोनल मान सिंह का नाम शामिल है. संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने इन 4 नामों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है.

आइए जानते हैं इन चारों के बारे में…

राकेश सिन्हा

राकेश सिन्हा दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर हैं और आरएसएस के विचारक हैं. लेकिन राकेश सिन्हा के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में हुई थी. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्होंने तय किया कि वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के उम्मीदवार के तौर पर छात्र संघ का चुनाव लड़ेंगे. सिन्हा ने एक अच्छा कैंपेन चलाया लेकिन वो जीत नहीं सके.

हिंदू कॉलेज में पढ़ने वाले कम ही छात्र इस प्रकार की महत्वकांक्षा रखते हैं. सिन्हा जब मैदान में थे बिहारी बनाम लोकल का मुद्दा अपने चरम था. ऐसे में उनका चुनाव लड़ने का निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण कदम था.

एक छात्र और राजनीतिक की तरफ झुकाव रखने वाले एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में की गई उनकी कड़ी मेहनत का फल आने वाले सालों में उन्हें मिलने लगा. वो राइट विंग बुद्धिजीवियों के सबसे प्रसिद्ध चेहरों में से एक बन गए. ऐसा इसलिए नहीं था कि वे आरएसएस और उनके सहयोगियों को अच्छी तरह से जानते थे और उन्होंने आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार पर अपना पोस्ट ग्रेजुएशन डिजर्टेशन लिखा था. बल्कि उन्होंने वामपंथी विचारधारा और राजनीतिक को समझने के लिए काफी समय और ऊर्जा खर्च की थी.

वाम दलों पर काफी रिसर्च किया है राकेश सिन्हा ने

राकेश सिन्हा ने हार्डकोर राइट विंगर होते हुए भी अपना एमफिल, नागरिक स्वतंत्रता आंदोलन पर करने को चुना. इसके बाद उन्होंने अपने पीएचडी रिसर्च के लिए सीपीआई (एम) के संगठनात्मक और विचाराधारात्मक परिवर्तन को चुना.

उनको पहली बार तब प्रसिद्धि हासिल हुई जब उन्होंने आरएसएस संस्थापक हेडगेवार पर किताब लिखी. इसे उस समय का हेडगेवार पर पहला प्रमाणिक जीवनी कहा गया. सिन्हा ने एक राइट विंग थिंक टैंक, इंडिया पॉलिसी फाउंडेशन की भी स्थापना की.

एक समय जब आरएसएस अपने काम और दर्शन के बारे में बहुत चुनिंदा या लगभग गुप्त रहता था. यहां तक कि सार्वजनिक मंच पर खुद को बचाने में भी, खासकर समाचार चैनलों पर, तब सिन्हा ने संघ परिवार का अघोषित प्रवक्ता बनने की पहल की.

सिन्हा ने अपने दोस्तों के बीच कभी भी अपनी आकांक्षाओं को गुप्त नहीं रखा. वह खुले तौर पर संसद के ऊपरी सदन में एक सांसद के तौर पर जाने की अपनी बात को कहते थे और इस मंच से बहस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे.

सिन्हा को कई संस्थानों का नेतृत्व करने का प्रस्ताव मिला लेकिन उन्होंने इसे सवीकार नहीं किया. आज सिन्हा यह कह सकते हैं उन्हें जो चाहिए था, वह मिल गया है. इसके लिए वे अपने विचारधारात्मक परिवार का धन्यवाद भी कह सकते हैं.

राम सकल

इनके अलावा, उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले राम सकल किसान नेता हैं. दलित समुदाय के कल्याण और बेहतरी के लिए उन्होंने कई काम किए हैं. वो पूर्व में लगातार 3 बार रॉबर्टसगंज से बीजपी के सांसद भी रह चुके हैं. लेकिन 2004 में उन्हें टिकट नहीं मिला. आरएसएस से मजबूत संबंध रखने वाले राम सकल संघ के जिला प्रचारक थे. टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. अब जब उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनित किया गया है, तो एक बार फिर भारतीय संसद में जाने के लिए तैयार हैं.

रघुनाथ महापात्रा

रघुनाथ महापात्रा अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं. उनकी शिल्पकला का जादू देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी माना जाता है. साल 2013 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था. इससे पहले उन्हें पद्म भूषण, शिल्प गुरु अवार्ड जैसे कई समान मिल चुके हैं.

अब तक उन्होंने लगभग 2000 छात्रों को ट्रेनिंग दी है. देश की पारंपरिक शिल्प कला को सहेजने में उनका बहुत बड़ा योगदान है. उनकी कला की खूबसूरती पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देखने को मिलती है. उनके कई कामों को देश और विदेश में खूब ख्याति मिली. इसमें से एक संसद के सेंट्रल हॉल में लगी भगवान सूर्य की 6 फीट लंबी प्रतिमा है. उनके द्वारा बनाए गए लकड़ी के बुद्धा को पेरिस के बुद्धा मंदिर में रखा गया है.

सोनल मानसिंह

ओडिसी डांस के प्रमुख प्रदर्शकों में से एक सोनल मानसिंह प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक, शोधकर्ता, वक्ता, कोरियोग्राफर और शिक्षिका हैं. सोनल मानसिंह ओडिसी के अलावा, भरतनाट्यम में भी माहिर हैं. उन्होंने कई भारतीय पौराणिक कथाओं के माध्यम से कई नृत्य कलाएं बनाई हैं. सोनल मानसिंह को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इनको 1992 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और वह सबसे कम उम्र में पद्म भूषण पाने वाली महिला हैं.

Health Talk for Rehabilitation Colony Children held at Bapu Dham

July 14, 2018, Chandigarh: Yuvsatta, a city based NGO organised a Health talk in Bapu Dham colony in Chandigarh to educate rehabilitation colony children about Malaria.

Dr Ashish Arora, Consultant Internal Medicine at Paras Bliss Hospitalexplained what malaria is, how it is caused and what are the symptoms and treatment of malaria. Pramod Sharma, President of Yuvsatta, said it was important to spread awareness in slums and rehabilitation colonies, which can go a long way in keeping a check on vector-borne diseases. The talk was held in collaboration with Paras Bliss Hospital.

Malaria has been problem in India for many centuries. Dr Arora informed, with more than 6,695 cases of malaria and 322 cases of dengue were registered in Haryana as per media reports in 2017 year. He added, Mohali district has recorded the highest number of dengue and malaria cases out of 22 districts of Punjab, figures by the health department reveal in year 2017 according to media source.

Dr. Arora said, “Malaria is a potentially life-threatening disease caused by parasites (Plasmodium vivax, Plasmodium falciparum, Plasmodium malariae and Plasmodium ovale) that are transmitted through the bite of infected Anopheles mosquitoes.”

The priority requirement is the early recognition of signs and symptoms of severe malaria that should lead to prompt emergency care of patient. The signs and symptoms that can be used are non-specific and may be due to any severe febrile disease, which may be severe malaria, other severe febrile disease or concomitant malaria and severe bacterial infection.

The symptoms are a history of high fever, plus at least one of the following, including, Prostration (inability to sit), altered consciousness lethargy or coma, Breathing difficulties, Severe anaemia, Generalized convulsions/fits, Inability to drink/vomiting and dark and/or limited production of urine.

तिरंगा बैंड इन एवरी हैंड मुहीम का शुभारम्भ , दिखाया जायेगा फीफा वर्ल्ड कप फाइनल मैच

राइजिंग इंडिया यूथ आर्गेनाइजेशन  (रियो ) की मुहीम     “हर हाथ  में तिरुंगा बैंड 2018”  का आज होगा सुभारम्भ।

 रियो के अध्यक्ष श्री नीरज पंत ने बताया , इस वर्ष ट्राई सिटी में 50,000 युवाओं कोतिरंगा बैंड पहनाये जाएंगे।”यह मुहीम पुरे महीने भर चलाई चलाई जाएगी जिसमे बहुत से युवाओं को  देशभक्ति का जश्न मनाने एवं  उनके व्यक्तित्व विकास करने वाले कार्यक्रम किये जायेंगे,कार्यक्रमों में भारत को जानो कुइज़, सोलन से बरोग ध्वज मार्च, जिसमें 20 फीट लंबा ध्वज एक पर्वत शिखर पर फेहराया जायेगा। भारतीय पारंपरिक नृत्य प्रतियोगिता, युवा सम्मेलन, वृक्षारोपणऔर स्वच्छता अभियान और रक्त दान शिविर अदि शामिल है।  इस मुहीम ने पिछले साल एक बड़ी सफलता प्राप्त की थी। पिछले वर्ष विभिन्न प्रसिद्ध व्यक्तित्वों ने इस मुहीम की सराहना की ।पंजाब विश्वविद्यालय के अलावा विभिन्न कॉलेजों में इसे फैलाने और छात्रों के समग्र व्यक्तित्व विकास की दिशा में इस वर्ष 15,000 से 50,000 युवाओं तक इस मुहीम को पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

इस आंदोलन के समापन समारोह का मुख्य आकर्षण रहेगा जो मध्य अगस्त में होगा, जिसमे राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के लिए युवाओं को प्रतिज्ञा करवाई जाएगी , सभी तिरुंगा बैंड पहनकर एकजुटहोकर राष्ट्र गान करेंगे। विश्वविद्यालय में कार्य करने वाले ‘सफाई कर्मचारियों एवं सुरक्षा कर्मि सम्मानित किए जाएंगे।

15 जुलाई को होने वाले उद्घाटन समारोह सुश्री किरण खेर (एमपी, चंडीगढ़), सहायक सॉलिसिटर जनरल सीनियर अधिवक्ता श्री चेतन मित्तल , कैप्टन भूपिंदर सिंह (वीर चक्र), श्री

 विवेक भारती (प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता) की उपस्थिति में  बजे लॉ ऑडिटोरियम ग्राउंडपीयू में किया जायेगा जिसमे फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल मैच का प्रसारण किया जायेगा  

` KEEP YOUR COUNTRY CLEAN `

` SERVE THE NEEDY `

` UNITY IN DIVERSITY `

ग्रामीण डिजिटल क्रांति की ओर कदम बढ़ाते हुये इफको द्वारा “इफको आई मंडी ऐप” की शुरुआत


इफको आई मंडी भारत की सबसे बड़े ग्रामीण ई प्लेटफार्म बन सकती है, इससे 5.5 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा


चंडीगढ़15 जुलाई 2018 : सहकारी क्षेत्र की विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक कंपनी इफको ने किसानों की सेवा के उद्देश्य से सोशल ई-कॉमर्स ऐप (इफको आई मंडी) तथा एक वेब पोर्टल शुरू करके डिजिटल क्षेत्र में एक और क्रांतिकारी कदम उठाया है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में एक सार्थक पहल है। इफको की सभी ई-कॉमर्स और डिजिटल गतिविधियाँ इफको आई मंडी प्लेटफार्म पर उपलब्ध रहेंगी।

आई मंडी, इफको की शत-प्रतिशत साझेदारी वाली सहयोगी कंपनी इफको ई बाज़ार लिमिटेड द्वारा सिंगापुर की प्रद्योगिकी कंपनी आई मंडी प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर किया गया एक नीतिगत निवेश है। कृषि उद्योग तथा मोबाइल/इंटरनेट प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के अनुभवी और पेशेवर लोग इससे जुड़े हुये हैं। इस पहल का उद्देश्य देश के हर किसान तक डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ पहुंचाना तथा ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति लाना है।

इफको के प्रबंध निदेशक, डॉ. यू एस अवस्थी ने इस मौके पर कहा कि पूरे भारत में किसानों के बीच ऑनलाइन और डिजिटल लेन-देन के प्रयोग को प्रचारित प्रसारित करने के पश्चात अभियान के बाद ‘इफको आई मंडी ऐप’ की शुरुआत करते हुए हमें गर्व है। आई मंडी कृषि आदानों, उत्पादों, उपभोक्ता वस्तुओं (एफ़एमसीजी),इलेक्ट्रॉनिक्स, ऋण तथा बीमा आदि की खरीद के लिए वस्तुएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध कराती है। यह खेतिहर समुदायों की सभी जरूरतों को पूरा करेगी तथा 5.5 करोड़ किसान इससे लाभान्वित होंगे।

आई मंडी प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक, वी के अग्रवाल ने कहा कि इफको और आई मंडी को इस बात से आश्वस्त हैं कि इस भारतीय सहकारी डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से हरेक घर, हरेक गाँव में बड़े पैमाने पर सामाजिक बदलाव लाने में मदद मिलेगी तथा इसकी डिजिटल समावेशी प्रौद्योगिकी से एक करोड़ लोग सशक्त होंगे।

इस परियोजना को व्यापक स्तर पर कार्यान्वित किया जाएगा। इफको के 55000 बिक्री केन्द्रों, 36000 सदस्य सहकारी समितियों, 30000 भंडार गृहों तथा 25 करोड़ ग्रामीण उपभोक्ताओं से जुड़कर आई मंडी ग्रामीण सोशल ई कॉमर्स क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। लगभग 16000 पिन कोड के जरिए भारत का लगभग एक तिहाई हिस्सा इससे जुड़ेगा। एंड्रॉयड और आईओएस फोन पर क्रमशः प्ले स्टोर और ऐप स्टोर के जरिए आई मंडी ऐप को डाउनलोड किया जा सकता है। www.iffcoimandi.in के माध्यम से वेब से भी इससे जुड़ा जा सकता है। इसमें विभिन्न बिक्री केन्द्रों के माध्यम से लोगों की जरूरतें पूरा करने के अतिरिक्त किसानों को जोड़ने के लिए संवाद (चैट एवं कॉलिंग), मनोरंजन तथा सूचना/परामर्श आदि की सुविधा भी उपलब्ध है। इसकी सोशल और संवाद संबंधी सुविधा से विभिन्न क्षेत्रों के लोग एक ही प्लेटफार्म पर जुड़ सकेंगे। अपनी अपनी रुचि के मुताबिक लोग अलग-अलग फोरम चुन सकते हैं। वे विषय के विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं तथा विभिन्न समस्याओं पर उनसे सलाह ले सकते हैं। यही नहीं वे एक दूसरे से अपनी कामयाबी भी साझा कर सकते हैं।

बिक्री केंद्र से किसान इस समय उर्वरक (रासायनिक,जल विलेय, कार्बनिक,जैविक आदि), कृषि रसायन तथा बीज सहित  इफको के सभी उत्पाद रियायती मूल्य पर खरीद सकते हैं तथा बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के इन्हें घर बैठे मंगा सकते हैं। किसान अपना लेन-देन मोबाइल ऐप, वेब पोर्टल अथवा कॉल सेंटर के जरिए टोल फ्री नंबर 1800 2000 344 पर कॉल करके, कर सकते हैं। वे चैट, ऑडियो और वीडियो कॉल तथा चित्र और वीडियो साझा करके अपने दोस्तों और परिवार के साथ संपर्क में रह सकते हैं। इसमें संचार की सुविधा एंड टु एंड इंक्रीप्टेड है तथा डाटा पूरी तरह निजी और सुरक्षित है।

प्रयोक्ता मनोरंजक वीडियो के साथ-साथ मौसम, मंडी मूल्य तथा दैनिक खबरों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वे अपने पसंदीदा स्थानीय और राष्ट्रीय रेडियो स्टेशन के कार्यक्रम भी सुन सकते हैं।

किसान निकट भविष्य में अपने उत्पाद अच्छी कीमतों पर ऑनलाइन बेच सकेंगे। आई मंडी के जरिए ऋण, बीमा जैसी अनेक वित्तीय सेवाओं की सुविधा भी मिलेंगी।

समय के साथ इस ऐप पर अनेक सामाजिक सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। इसके जरिए ऑनलाइन शिक्षा और कौशल-विकास के साथ-साथ रोजगार पाने में भी मदद मिलेगी। इस ऐप के माध्यम से बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध करायी जाएंगी।

आई मंडी ऐप की यह खासियत है कि यह 2जी प्लस और 3जी प्लस दोनों ही प्रकार की तकनीक वाले स्मार्ट फोन पर काम करता है। हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त यह भारत की 10 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा। इसे ग्रामीण भारतीय उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित किया गया है।