Health Camp & Health Awareness Talk at Fortis

 

Chandigarh, June 9, 2018:

Fortis Hospital, Mohali organized a free Multispecialty Health Camp & Health Awareness Talk in association with Pushpac Society, Sector 49-B, Chandigarh. Over 200 people attended the camp who got their health check-up for sugar, Bone Mineral Density (BMD), Electrocardiogram (ECG), and blood pressure.

The camp was inaugurated by Chandigarh MP, Kirron Kher. “I truly applaud the kind intentions of Fortis Hospital, Mohali for contributing towards the health & wellness of the society by organizing such camps,” she said.

Dr. RK Jaswal, Director of Cardiology Department at Fortis Hospital, Mohali gave an informative talk on ‘healthy lifestyle to prevent coronary heart disease.’

The talk was followed by an interactive session with other experts from Fortis, including Dr. Gagandeep Kaur, Gynaecologist and Dr. Gurmeet Bakshi, Orthopedician. The camp concluded with positive thoughts on maintaining good health. The doctors gave relevant tips for the same.

कपिल देव को राज्यसभा भेजने की तैयारी

 

1983 में भारत को पहली बार विश्व विजेता बनाने वाले कप्तान कपिल जल्द ही नई पारी शुरू कर सकते हैं. दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर्स में से एक माने जाने वाले कपिल देव की यह नई पारी, राजनीतिक पारी होगी और इसकी शुरुआत उनकी राज्यसभा में उनकी एंट्री के साथ हो सकती है.

हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कपिल देव के साथ हुई मुलाकात के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि कपिल देव को जल्द ही राज्यसभा के लिए मनोनोत किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक चूंकि इस तरह का मनोनयन राजनीति फैसला होते हुए भी राजनैतिक नहीं माना जाता है लिहाजा कपिल देव इस ऑफर को कबूल कर सकते हैं.

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कपिल देव को बीजेपी और उनके गृह राज्य पंजाब की पार्टी शिरोमणि अकाली दल की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया था लेकिन कपिल देव ने उसे कबूल नहीं किया था.

राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा कुल 12 सदस्यों को नामांकित किया जाता है और इनमे से सचिन तेंदुलकर, रेखा और अनु आगा की तीन सीटें इस वक्त खाली हो चुकी हैं.

केन्द्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति इन सीटों पर उन लोगों को नामांकित करते हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र समाज के लिए उल्लखनीय योगदान किया हो. ओलंपिक मेडल जीतने वाली महिला बॉक्सर एमसी मेरीकॉम भी राज्यसभा की नामांकित सदस्य हैं.

खिलाडियों की कमाई पर क्या नियम बदलेगी हरियाणा सरकार

चंडीगढ,9जून:

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को राज्य सरकार की नौकरी में रहते हुए पेशेवर खेलो और विज्ञापन आदि से होने वाली आय में से एक तिहाई हिस्सा राज्य खेल परिषद को देने के सेवा नियम को स्थगित करने का भले ही ऐलान कर दिया है लेकिन खेल विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका का कहना है कि अभी नियम विधिवत लागू है। उन्होंने इस सम्बन्ध में जारी अधिसूचना को भी न्याय संगत बताया है।

हरियाणा सरकार की सेवा में रहते हुए पेशेवर कमाई करने वाले खिलाडियों की कमाई से एक तिहाई हिस्सा राज्य खेल परिषद को देने के नियम लागू करने के लिए अधिसूचना तो पिछले 30 अप्रेल को जारी की गई थी। लेकिन पिछले शुक्रवार को इस मुद्दे को लेकर पेशेवर खेलने वाले हरियाणा के खिलाडियों के साथ विपक्ष ने भी कडा विरोध दर्ज करवाया था। विरोध के चलते मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि इस नियम को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है।

बहरहाल खेल विभाग के प्रमुख सचिव अशोक खेमका के बयान से बयान से इस बात के संकेत मिले हैं कि सरकार को जल्दी ही नियम में बदलाव के कदम उठाने होंगे। खेमका ने कहा है कि मैंने मुख्यमंत्री का बयान नहीं देखा और मात्र मीडिया रिपोर्ट के आधार पर वे प्रतिक्रिया भी नहीं देगें लेकिन इस नियम की अधिसूचना काफी विचार-विमर्श के बाद जारी की गई थी। यह अधिसूचना अभी लागू है। पंजाब सिविल सेवा नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें साफ है कि यदि कोई कर्मचारी अन्य स्रोत से आय हासिल करता है तो इस पर सरकार का अधिकार है। यदि राज्य सरकार की सेवा में नियुक्त खिलाडी को पेशेवर स्पद्र्धा में खेलने या विज्ञापन में प्रस्तुति की अनुमति दी जाती है और उससे होने वाली कमाई का हिस्सा खेलों के विकास में लगाने की बात की जाती है तो इसमें गलत भी क्या है। उन्होंने कहा कि एक तिहाई हिस्सा तो काफी कम है और यह हिस्सा पचास फीसदी तक जा सकता है।

अग्रसेन चौंक पर छोले-कुलचे और ठंडी मीठी लस्सी की छबील

 

पंचकूला, 09 जून :

अग्रक्रांति मंच पंचकूला द्वारा नगर के महाराजा अग्रसेन चौंक पर छोले-कुलचे और ठंडी मीठी लस्सी की छबील लगाई गई, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि पंचकूला के विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञान चंद गुप्ता और विशेष अतिथि तेज पाल गुप्ता द्वारा किया गया। यह जानकारी देते हुए अग्रक्रांति मंच के अध्यक्ष सुरेन्द्र गोयल व चेयरमैन भगवान दास मित्तल ने बताया कि सर्वप्रथम भंडारे का प्रसाद महाराजा अग्रसेन को भोग लगाकर बाद में इसका वितरण आरंभ कर दिया गया।  इस मौके पर कांग्रेस की प्रवक्ता रंजीता मेहता भी पहुंची।जानकारी के मुताबिक सैकड़ों लोगों ने बड़े इतमिनान से छोले-कुलचे का प्रसाद ग्रहण किया और ठंडी मीठी-लस्सी का लुत्फ उठाया। इस भंडारे में साउंड की व्यवस्था मोनी द्वारा नि:शुल्क दी गई। इस मौके पर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि पंचकूला में जगह-जगह पर विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा ऐसे भंडारों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 21 जून को निर्जला एकादशी के पावन पर्व तक प्र्रतिदिन ठंडे-मीठे जल की छबीलें लगाई जाने की सूचना है। इस मौके पर उक्त मंच के कोषाध्यक्ष अजय जैन, महासचिव सुनीत सिंगल,प्रेस सचिव सौरव गर्ग, उप-प्रधान यश गर्ग के अलावा कृष्ण गोयल, नरेद्र जैन, राजीव गुप्ता,विकास जैन,अरिहंत जैन,मोहन लाल, प्रमोद जिंदल,पवन गुप्ता, गणमान्य  सदस्य मौजूद रहे।

Tej Prtap hinted early retirement

 

RJD leader and former Bihar chief minister Tej Pratap Yadav on Saturday afternoon created a controvesry with a tweet hinting that he may retire from politics. The 29-year-old RJD leader who was a Cabinet Minister for Health in Government of Bihar, in a tweet, refered to ‘Mahabharat’ and said that he wishes to leave the empire for Arjun (Tejashwi Yadav) and go on a leave. Yadav added that, however, a few people are worried that he would be known as the ‘kingmaker’.

The tweet had led to the speculations of a rift between the brothers. However, while speaking to CNN-News 18, Tej Pratap Yadav said that he is not happy with the working of the party and admitted that a few people are trying to create a rift between him and Tejashwi Yadav.

“People in the party is trying to create a rift between us. They don’t even pick up my phone now,” he said.

Tej Pratap Yadav@TejYadav14

मेरा सोंचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊँ।

अब कुछेक “चुग्लों” को कष्ट है कि कहीं मैं किंग मेकर न कहलाऊं।।

।। राधे राधे।।

Tej Pratap dismissed the reports and said that Tejashwi is like a piece of my heart and there is nothing wrong between us. There has been no response from any of the RJD leaders or Tejashwi Yadav on Tej Pratap’s statement or tweet.

The party is facing a crisis since its president and former Bihar Chief Minister Lalu Yadav was jailed following his involvement in fodder scams. The over Rs 900-crore fodder scam cases are related to the illegal withdrawal of money from government treasury by the animal husbandry department in undivided Bihar in the 1990s when Prasad was the chief minister.

The RJD chief was convicted in connection with the fraudulent withdrawal of Rs 89.27 lakh and Rs 3.13 crore from the Deoghar Treasury and the Dumka treasury respectively. He was sentenced to imprisonment for more than 10 years.

Delhi faces 70 kmph winds

 

A dust storm, with winds gusting up to 70 kmph, hit Delhi on Saturday evening, bringing some relief from the searing heat.

The weatherman said light rain was witnessed in many areas.

Flight operations from the Indira Gandhi International Airport were suspended and 18 planes diverted.

The dust storm pushed the temperature down by a few notches on what was a sultry day. The city recorded a high of 40.5 degrees Celsius and a low of 30 degrees Celsius, according to the Met Department.

The humidity levels were recorded at 71%.

RSS Sikh member part of Sangh’s efforts to rebrand itself

Ludhiana, Punjab:

While the visuals of a Sikh man donning the uniform of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) may have astounded many, over the proverbial mixing of oil and water, the truth is that the Hindu nationalist organisation has had dedicated wings for Sikhs and Muslims for years now.

On Thursday, former president Pranab Mukherjee presided over an RSS event in Nagpur. Arguably, the most talked about photograph from the event is that of a middle-aged Sikh man dressed in the right-wing organisation’s trademark khaki, speaking on the dais. Given the RSS’ image of a hardliner Hindutva organisation, seeing a follower of another religion at such a high-profile event in its headquarter in Nagpur left people perplexed.

RSS Sikh member Gajendra Singh at the event in Nagpur. Twitter@RSSOrg

RSS Sikh member Gajendra Singh at the event in Nagpur. Twitter@RSSOrg

But those who know RSS well were not surprised. While the Rashtriya Sikh Sangat was created in 1986 to promote brotherhood between Hindus and Sikhs especially in Punjab, the Muslim Rashtriya Manch was formed in 2002 to woo Muslims who had remained aloof from the ideology of the Sangh.

The Sikh who shared the stage with RSS chief Mohan Bhagwat and Pranab Mukherjee on Thursday was Gajendra Singh, prant sanghchalak of RSS in Uttarakhand. He is the additional advocate general at Nainital High Court.

The re-branding of RSS

Although known for vigorously promoting the Hindutva ideology, RSS has been working to bring a change in its image as a Hindu-only outfit and become a nationalist brand instead. For this, the RSS is running a campaign where Sikhs and Muslims are made members of the organisation and persuaded that its ideology is not to harm people from other religions who are nationalists.

Punjab’s RSS secretary Yash Giri claims that all religions originating from the Indian sub-continent have the same source. He told Firstpost that Hindus, Muslims, Sikhs and even Christians living in India share the same ancestors and that the “RSS is working only to remind them of this fact”.

“We only say that those living in India are Hindus. Even if they go to mosques, gurudwaras or any other place of worship. They are still Hindus because they share the same ancestry. While a nationalist Muslim is welcomed in RSS, we are against those who support the ideology of conversion,” he said.

He said that the holy book of Sikhs, Guru Granth Sahib, has the word ‘Hindustan’ written several times that makes it clear that Sikhs also have the same history as Hindus in India. “We are getting a good response from Sikhs in Punjab who are joining the wing for the community,” said Giri.

Rashtriya Sikh Sangat vs Akal Takht

However, the Rashtriya Sikh Sangat has come under attack, verbal as well as fatal, multiple times in the past. In 2004, the then chief of Akal Takht, the highest body of Sikhs, declared the wing of the RSS as anti-Sikh and asked the members of the community not to have any association with them.

In 2009, Rulda Singh, a senior leader of Rashtriya Sikh Sangat, was shot dead in front of his house in Patiala by members of a Sikh militant group.

Jasbir Singh, Rashtriya Sikh Sangat’s kshetriya sanghathan mantri of Punjab, said the exact number of members of the organisation cannot be disclosed. “We have memberships in thousands but those people do not come out openly due to threats from radical elements. Many Sikhs have joined our organisations as the RSS believes in Hinduism not as a religion but as a nationality,” said Singh.

The leaders of Rashtriya Sikh Sangat have received threats many times from fundamentalist organisations. “Our aim is not conversion. A Sikh will go to a gurudwara like a Muslim goes to a mosque. Our aim is to bring both of them in the mainstream nationalism without threatening their religious practices,” he said.

The increase in activities of the Rashtriya Sikh Sangat in Punjab is also believed to be linked to the upcoming 2019 Lok Sabha elections. The Bharatiya Janata Party (BJP), considered as the political wing of the RSS, often seeks help from Sangh workers in different regions of the country for political campaigning. It is common knowledge how RSS workers mobilised support for Prime Minister Narendra Modi during the last Lok Sabha elections.

How successful is RSS with Muslims?

On the other hand, Muslim Rashtriya Manch (MRM), the Muslim wing of RSS, is working in states with substantial Muslim population such as Uttar Pradesh, Jammu and Kashmir, Kerala and West Bengal.

While the wing is not much popular among Muslims due to their differing ideology with RSS, it still has membership from the community. RSS had recently rejected the idea of allowing its Muslim wing to host an iftar party at its Nagpur headquarters. The MRM had organised an iftar party in Mumbai on 4 June, which was boycotted by many Muslim organisations in the city.

One of the Muslim members of RSS, Amir Rasheed, had announced a reward of Rs 51,000 last month to the person who removes the portrait of Muhammad Ali Jinnah from the Aligarh Muslim University. He also sought permission from the vice-chancellor of the university to allow him to launch an RSS shakha on the campus but was denied.

“After this entire incident, the Muslim community has boycotted me and even my family wants to disown me. The marriage proposals that had come for me have been terminated due to my allegiance with RSS. However, the support from RSS is allowing me to take all the pressure,” Rasheed said over the phone.

Admitting that he hated RSS like many other Muslims, what changed his heart was a reply from RSS chief Mohan Bhagwat to a letter that he had written seeking answers regarding the organisation.

While the number of Sikhs and Muslims in RSS may be few, they are not bound to attend shakhas and rigorous training given to other Hindu members of the RSS. “We have many Muslim and Sikh members in RSS but they do not prefer to come out in the open. While there are shakhas even for them in different parts of the country, their frequency is less. They have the same ideology as ours,” said senior leader and prant sanghchalak of RSS Brigadier (retired) Suchait Singh based in Jammu.

 

Closing Ceremony of 10th Senior National Drop Roball on 10th Nov.

Closing Ceremony of 10th Senior National Drop Roball Championship will take place on 10th June 2018, at 3pm, Mr Varun Sharma IPS SP Batala will be the Chief Guest at Gymnasium Hall PU

Semifinal and Final matches Drop ROBALL ( 10th Senior National Drop Roball Championship 2018) at Punjab University Gymnasium Hall and Basket Ball Ground 8 :00 am onwards.

भाजयुमो की बाईक रैली कल

चंडीगढ़

9 जून, 2018

भाजयुमो की बाईक रैली 10 जून दिन रविवार को एक विशाल बाइक रैली शाम 5:00 बजे सेक्टर 33 स्थित पार्टी कार्यालय कमलम से प्रारंभ होगी व सेक्टर 34-35 की मार्किट से किसान भवन चौक से होते हुए से. 22 मार्किट को व वहां से अरोमा लाइट प्वाईंट सेक्टर-22 से होती हुई सेक्टर 17-18 लाइट प्वाईट से होकर सेक्टर 17 में समाप्त होगी।

अभय चौटाला व हुड्डा पर लटकी खतरे की तलवार, स्पेशल कोर्ट की पड़ सकती है मार ।

 

दिल्ली

9 जून, 2018

पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा व विपक्ष नेता अभय चौटाला दोनों पर खतरे की बड़ी तलवार लटकती नजर आ रही है सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर बनाई गई स्पेशल कोर्ट की मार दोनों नेताओं पर पड़ सकती है जिसके चलते अगले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं के खिलाफ फैसला आने पर दोनों नेताओं को जेल जाना पड़ सकता है। भूपेंद्र हुड्डा और अभय चौटाला दोनों ही cm बनने की हसरत रखते हैं ऐसे में अगर दोनों नेताओं के खिलाफ स्पेशल कोर्ट का फैसला आता है तो प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच जाएगा।

क्या है मामला ?

सुप्रीम कोर्ट के सामने एक गंभीर बात सामने आई कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले सालों से लंबित चल रहे हैं। इस बारे में जब कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानकारी मांगी तो 36 फ़ीसदी सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की बात सामने आई। इतने अधिक संख्या में सालों से मामले लंबित होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए 12 दिसंबर 2017 को ला मेकर्स के खिलाफ लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन करने के निर्देश जारी किए।

इन 12 स्पेशल कोर्ट में से दो स्पेशल कोर्ट दिल्ली में गठित करने को कहा गया। 10 अन्य कोर्ट आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराषट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी व पश्चिम बंगाल में गठित करने के आदेश जारी किए गए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए सभी 12 स्पेशल कोर्ट के गठन को मंजूरी दे दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्या किया?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसरण में राजनेताओं से जुड़े आपराधिक मामलो के शीघ्र निपटारे के लिए दो विशेष अदालतें स्थापित की हैं। एक प्रशासनिक आदेश में 1 नवंबर, 2017 और 14 दिसंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में दिल्ली उच्च न्यायालय की एडिशनल मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और अन्य न्यायाधीशों ने राजनेताओं के मामलों के शीध्र निपटारे के लिए दो अदालतों को विशेष अदालतों के रूप में नामित किया है।

उच्च न्यायालय ने विशेष अदालतों की अध्यक्षता करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई न्यायाधीश अरविंद कुमार और अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को नामित किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल दिनेश कुमार शर्मा के माध्यम से जारी 23 फरवरी के आदेश में कहा गया है कि विशेष अदालतें 1 मार्च से पटियाला हाउस कोर्ट कॉम्प्लेक्स में काम करेगी।
इस अदालत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों ने यह आदेश दिया है कि विभिन्न अदालतों में सांसदों / विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों को 1 मार्च से पहले इन दो अदालतों में स्थानांतरित कर दिया जाए और ऐसे मामलों को तेजी से ट्रैक पर रखा जाए और 1 साल के अंदर निपटाने के प्रयास किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किए गए उपरोक्त फैसले के अनुरूप एवं दिल्ली हाईकोर्ट की एक बेंच के निर्देशानुसार इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला का केस तीस हजारी कोर्ट से पटियाला हाउस में स्थित विशेष अदालत में स्थानांतरित हो चुका है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार पदों पर बैठे विधायकों व सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में निर्णय 1 साल के अंदर-अंदर किया जाना जरूरी है। अभय चौटाला का केस फरवरी 2018 के अंतिम सप्ताह में तीस हजारी से पटियाला हाउस ट्रांसफर हो चुका है।

अगर 26 फरवरी 2018 के हिसाब से 1 साल का समय गिना जाए तो अगली 25 फरवरी से पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में अभय चौटाला को फैसले का सामना करना पड़ सकता है। जो मामले ढीले चल रहे होंगे उनको दैनिक कार्रवाई की सुनवाई में शामिल किया जाएगा । अभय चौटाला के केस की भी दैनिक सुनवाई की श्रेणी में आने की पूरी संभावना नजर आती है।

अगर इस मामले में अभय चौटाला के खिलाफ फैसला आया तो अगले चुनाव से पहले उनको सत्ता की बजाय जेल का सामना करना पड़ सकता है। अभय चौटाला के खिलाफ इस मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 1 साल के अंदर आने की पूरी संभावना नजर आती है।

अभय चौटाला की तरह पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी आधा दर्जन मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ सीबीआई तेजी से जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अगर कोर्ट ने तेजी से इन मामलों में सुनवाई की तो अगले चुनाव से पहले भूपेंद्र हुड्डा को भी फैसलों का सामना करना पड़ेगा और खिलाफ फैसले आने के हालात में उनको भी जेल जाने को मजबूर होना पड़ सकता है।

खरी खरी बात यह है कि हरियाणा की सियासत में इस समय पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और विपक्ष के नेता अभय चौटाला दोनों अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं।

अभय चौटाला सी एम् बनने के लिए बसपा के साथ चुनावी गठबंधन करने के अलावा एसवाईएल मामले पर जेल भरो आंदोलन छेड़े हुए हैं,
दूसरी तरफ पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी कांग्रेस हाईकमान को झुकाने के लिए जन क्रांति रथ यात्रा के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर दोनों नेताओं के खिलाफ कोर्ट के फैसले आए तो प्रदेश की राजनीति में उथल पुथल मच जाएगी। इससे जहां दोनों ही नेताओं के समर्थकों को जोर का झटका लगेगा वहीं दूसरे दलों व नेताओं को चमकने का गोल्डन चांस मिल जाएगा।