जनवरी में होंगे चंद्र एवं सूर्य ग्रहण

नई दिल्ली : नए साल के पहले महीने जनवरी में दो ग्रहण पड़ रहे हैं. 6 जनवरी यानि की रविवार को आंशिक सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है. सूर्य ग्रहण 6 जनवरी 2019 सुबह 4.05 बजे से 9.18 बजे तक लगेगा. हालांकि यह भारत में यह देखने को नहीं मिलेगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यह आंशिक सूर्य ग्रहण उत्तर-पूर्वी एशिया और उत्तरी पैसिफिक देशों में दिखाई देगा. 

इसी महीने लगेगा चंद्रग्रहण
सूर्य ग्रहण के बाद इसी महीने की 21 तारीख को चंद्रग्रहण लगने वाला है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, साल का पहला 9.03 बजे से 12.20 बजे तक रहेगा. सूर्य ग्रहण की तरह, चंद्रग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा.

क्या है सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा
वेदों, पुराणों और शास्त्रानुसार सूर्य और चंद्र पर लगने वाले ग्रहण का सीधा ताल्लुकात राहु और केतु से है. धार्मिक मान्यता के अनुसार दैविक काल में जब देवताओ को अमृत पान और दैत्यों को वारुणी पान कराया जा रहा था तब इस बात की खबर दैत्य राहु को हुआ. दैत्य राहु ने छुपकर देवता की पंक्ति में जाकर बैठ गया परन्तु अमृत पान के पश्चात इस बात को सूर्य और चंद्र को उजागर कर दिया. ऐसी भी मान्यता है कि समुद्र मंथन में अमृत  के लिए देवाताओं और असुरों के बीच घमासान चल रहा था. समुद्र मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत को छीन लिया.

आज का पांचांग

पंचांग 04 जनवरी 2019

विक्रमी संवत्ः 2075, 

शक संवत्ः 1940, 

मासः पौष़, 

पक्षःकृष्ण पक्ष, 

तिथिः चतुर्दशी रात्रि 04.58 तक है, 

वारः शुक्रवार, 

नक्षत्रः ज्येष्ठा दोपहर 12.53 तक, 

योगः वृद्धि रात्रि 01.50 तक, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः धनु, 

चंद्र राशिः वृश्चिक, 

राहु कालःप्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.19, 

सूर्यास्तः 05.33 बजे।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

आज का राशिफल

04 जनवरी 2019: आज आप किसी भूमि की खरीद का रूख करते होगे। किन्तु उसकी कानूनी वैधता को लेकर लोगों से पहले पूंछ-ताँछ को बढ़ाना चाहेंगे। स्वास्थ्य पहले की अपेक्षा कुछ पीड़ा से युक्त होगा। जिससे आपको किसी चिकित्सा केन्द्र तक जाना पड़ सकता है। धन निवेश के लिए अवसर होगे। प्रेम संबंधों में तनाव होगे।

04 जनवरी 2019: आज के दिन को आप अधिक शुभ व सकारात्मक पाएंगे। आप देखेंगे कि भौतिक सुख के साधनों को जुटाना जरूरी है। जिससे आपको किसी बाजार तक जाना पड़ सकता है। स्वास्थ्य पहले की तुलना में अच्छा होगा। पत्नी के साथ आप खुश होगे। व्यापारिक मामलें में प्रसन्नता  होगी। चाचा से तनाव हो सकते हैं।

04 जनवरी 2019: आज आप अपने बाहर के कामों को निपटाने में पूरी तरह लगे होगे। कुछ लोगों से सम्पर्क का फायदा होगा। जिससे आप कुछ और नया अपने व्यापार में जोड़ने के लिए तैयार होगे। आय को बढ़ाने का प्रयास तो करेंगे। किन्तु सफलता उस स्तर की नहीं होने से आप कुछ पेरशान से होगे। आज आपके पैसे कुछ अधिक खर्च होगे।

04 जनवरी 2019: आज आप कुछ काम में आने वाली वस्तुओं को खरीदेंगे ही। साथ ही आप कुछ धन को भी बचाने की फिराक में होगे। जिससे कुछ सफलता जरूर होगी। आज आपका ज्ञान अच्छा होगा। जिससे आप सही समय में सही निर्णय लेने में कामयाब होगे। प्रेम संबंधों में पहले के मुकाबले आज अधिक मधुरता होगी।

04 जनवरी 2019: आप अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सक्रिय होगे। आप अपने खान-पान को संतुलित करना चाहेंगे। जिससे आगामी समय तक शारीरिक समृद्धि होगी। व्यापार के क्षेत्रों में आप पहले की ही तरह अपने कामों को करते होगे। प्रेम संबंधों में पुनः साथी के साथ आप उपहारों को देने के लिए तैयार होगे। संतान के प्रति चिंता होगी। 

04 जनवरी 2019: आज का दिन आपके लिए बहुत ही अहम होगा। आप किसी धर्म स्थान में जहाँ भ्रमण के लिए जाना चाहेंगे। वहीं अपने कार्या पर पूरी तरह नज़र रखना चाहेंगे। इसके लिए आप सगे भाइयों व मित्रों से सहयोग माँग सकते हैं। स्वस्थ्य में सांस व रक्त चाप की स्थिति हो सकती है। जिसके लिए आपको कुछ परहेज करना पड़ सकता है।

04 जनवरी 2019: आज आप अपने कामों मे चाहते हुए भी उस स्तर की तेजी नहीं ला पाएंगे। आपका समय या तो यात्रा या फिर किसी विवाद में खराब हो सकता। यदि आप होशियारी दिखाते हुए विवाद से बच जाते है। तो आपको लाभ होगा। स्वास्थ्य में कुछ-कुछ पीड़ाएं आपको परेशान कर सकती है। जिसके लिए आपको दवा खानी पड़ सकती है।

04 जनवरी 2019: आज आप अपने बेहतर कल के लिए कुछ अधिक सोचेंगे। किन्तु योजनाओं को प्रत्यक्ष धरातल पर उतारने की कठिनाइयां बनी होगी। जिससे आप परेशान से होगे। पत्नी व बच्चों के साथ समांजस्य स्थापित होगा। पैसे की कमी से कोई काम नहीं रूकने वाले है। प्रेम संबंधों में आज मधुरता होगी। भूमि के विवादों में अधिक समय देना पड़ सकता है। 

04 जनवरी 2019: आप आज अपने किसी पुराने लेन-देन को पहले चुकाना चाहेंगे। जिससे बाज़ार व लोगों के मध्य आपकी साख बनी रहे। आजीविका के मामलों आज आपको कुछ कठिन परिश्रम कंरना होगा। प्रेम संबंधों में आप उपहार देने के लिए सोचेंगे। किन्तु समय के कमी के कारण आज इस काम को कभी और के लिए छोड़ देंगे

04 जनवरी 2019: आज आप अपने आमदनी को और पुख्ता करना चाहेंगे। वहीं बचत के कुछ नियमों को भी लागू करना चाहेंगे। बच्चों को भी धन संग्रह की नसीहत देंगे। किन्तु वह आपकी इस बात को बहुत हल्के मे लेगे। जिससे आप कुछ चिंतित होगे। प्रेम संबंधों में आज अनुकूल बातचीत होगी। विरोधी पक्ष परेशान कर सकते हैं। 

04 जनवरी 2019: आज आप अपने काम काज में कुछ नया जोड़ने का निर्णय लेंगे। जिससे लाभ को और बढाया जा सके। आज का दिन स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक होगा। आज आपके नौकरी पेशा के जीवन में कुछ अधिक सक्रियता होगी। जिसका लाभ आने वाले समय में होगा। प्रेमी जीवन को खुशहाल बनाने के लिए तैयार होगे।

04 जनवरी 2019: आज आप किसी समाजिक व पारिवारिक विवाद को अपनी दखल बढ़ाते हुए निपटाना चाहेंगे। आप देखेंगे कि आपके ताकत में बढ़त हो रही है। लोग भी आपके साथ खड़े है। किन्तु परिणाम उस स्तर के नहीं प्राप्त हुए जिसकी अपेक्षा थी। नौकरी के क्षेत्रों में आपको आज कुछ तनाव देखने पड़ सकते हैं। 

खुले में नमाज़ – एक विश्लेषण

वाइज़ शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वोह जगह दिखा दे जहां पर खुदा ना हो

Er. S. K. Jain

उत्तर प्रदेश के जिला नोएडा में एक पार्क में नमाज़ पढ़ने पर लोगों ने आपत्ति जगाई थी। नोएडा पुलिस ने नोटिस जारी कर इस पर रोक लगा दी थी। देश का एक बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक असहनशीलता की नज़र से देखने लगा है। सोशल मीडिया पर इसे भड़काने की कोशिश हो रही है। यह विश्लेषण किसी एक धर्म या नमाज़ को ले कर नहीं बल्कि उस सोच पर है जिसके तहत लोग सड़कों पर प्रदर्शन करते हैं। धार्मिक भावनाओं की जगह अपने दिल में ओर अपने घर में होनी चाहिए, सड़कों या पार्कों में नहीं। किसी भी ऐसे कार्यक्र्म को जिससे लोगों को परेशानी हो, धार्मिक नहीं माना जा सकता है। धार्मिक कार्यक्रमों के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग ख़त्म कर देना चाहिए। इससे लोगों को परेशानी होती है और ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है। लाउडस्पीकर का प्रयोग तो मद्धम आवाज़ में और जन कल्याण की घोषणाओं इत्यादि के लिए ही होना चाहिए।

विडम्बना यह है की हमारे देश में अल्पसंख्यकों के हितों की बातें करने को धर्मनिरपेक्षता माना जाता है और बहुसंख्यकों की बात करने को असहनशीलता से जोड़ दिया जाता है। किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा मकसद नहीं है।

यह सारा विवाद नोएडा के एक पार्क से शुरू हुयथा। जहां आस पास की बहुत सी कंपनियों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारी इस पार्क में अक्सर नमाज़ पढ़ते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक पहले नमाज़ पढ़ने वालों की संख्या कम होती थी बल्कि सिर्फ दफ्तरों में काम करने वाले ही आते थे, लेकिन अब तो आस पास के लोग भी जुडते गए और कारवां बढ़ता गया। अब तो 500 से 700 लोग हर जुम्मे को जुम्मा करने आने लगे हैं। इसके साथ बिरयानी और दूसरे व्यंजन बेचने वालों का भी जमावड़ा शुरू हो गया है।

यू॰पी॰ पुलिस ने उचित कार्यवाही करते हुए संबन्धित लोगों को नोएडा प्रकरण से एन॰ओ॰सी॰ ले कर अनुमति लेने को कहा गया है। सिटी मेजिस्ट्रेट के आदेशों के आभाव में उन्हे वहाँ नमाज़ पढ़ने से माना गया है। बिना आदेश के किसी भी धर्म के लोगों को सार्वजनिक स्थान पर कार्यक्र्म करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, एस एस॰एस॰पि डॉ। अजयपाल शर्मा का कहना है कंपनियों को कहा गया है कि अपने कर्मचारियों को बताएं कि पार्कों में नमाज़ पढ़ने न जाएँ, और अगर इसका उल्लंघन हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी इनहि कंपनियों कि होगी।

इसके बाद इस मुद्दे पर पूरे देश में चर्चा होने लगी, कि खुले में नमाज़ पढ़ना जायज है कि नहीं? हमारे देश में जीतने भी लोग अपने आप को धर्म निरपेक्ष या सेकुलर कहने वाले हैं वह खड़े हो गए और कहने लगे कि यह तो बे इंसाफ़ी है। इस मामले में कुछ शरारती तत्त्व भी माहौल बिगाड़ने में जुट गए हैं। पार्कों के अलावा लोग ट्रैफिक जाम करते हैं और सड़कों पीआर नमाज़ पढ्न शुरू कर देते हैं। लोग धर्म का मामला मान कर डर जाते हैं और आपत्ति करने से घबराते हैं। लेकिन इस्लाम के कई जानकार इसे ठीक नहीं मानते। उनका कहना है कि जिस कि जगह पर नमाज पढ़ने के लिए उनसे इजाज़त लेना ज़रूरी है। हमारा संविधान सभी को अपने धर्म कि उपासना करने कि इजाज़त देता है। संविधान के आर्टिकल 25 के अनुसार देश के हर व्यक्ति को अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को मानने, उसकी उपासना करने का अधिकार है। सड़कों पर नमाज़ पढ़ने कि समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि कई और देशों में भी खड़ी हुई थी।

2011 में फ्रांस में ऐसे ही नज़ारे सामने आए। फ्रांस में अपना मुत्तल्ला बिछा कर सड़कों पर नमाज़ अता कि जाती थी। लोगों को बहुत परेशानी हुई और इसके बाद विरोध शुरू हुआ।  सितंबर 2011 में फ्रांस की सरकार ने सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगा दी। दुबई में पिछले साल अक्तूबर में सड़क के किनारे नमाज़ पढ़ते हुए लोगों पर एक कर जिसका टायर फट गया था, चढ़ गयी। इससे 2 लोगों की मृत्यु हो गयी। इसके बाद दुबई में सड़क किनारे नमाज़ पढ़ने वालों पर 1000 दरहम (लगभग 19,000/= रुपए) के जुर्माने का प्रावधान रखा गया। चीन के शिंजियांग प्रांत में सरकारी स्कूल, दफ्तरों ओर करप्रेत दफ्तरों में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी है।

इस्लाम के जान कार और लेखक ‘तारिक फतेह’ जो कि आजकल टोरंटो में रहते हैं ने कहा कि “नमाज़ मस्जिद में पढ़नी चाहिए, अगर मस्जिद नहीं है तो घर में जा कर पढ़ें। अगर घर से दूर हों तो आप जहां भी हों वहीं पर नमाज़ पढ़ सकते हैं, लेकिन आप किसी और कि जगह पर जा कर, कबजा कर नमाज़ पढ़ें या जुम्मा करें यह मुमकिन नहीं।“ आपकी नमाज़ से इसी और को नुकसान पँहुचे यह बिलकुल गैर इस्लामिक बात है। फ्रांस, लंदन, स्टोकहोम में भी यही सभी कुछ हुआ। उससे सिर्फ एक नियत नज़र आती है और वह है शरारत की। जैसा की आप भारत (नोएडा) की बात कर रहे हैं, यह कभी भी मान्य नहीं हो सकता।

हमारे देश में इन मुद्दों को बहुत संवेदनशील माना जाता है, और सरकारें भी जान बूझ कर इनसे दूरी बनाए रखतीन हैं। केंद्र और राजी सरकारे मानती हैं कि नमाज़ के बारे में हाथ डालेंगी तो उनके वोट बैंक खतरे में पड़ सकता है, इसीलिए तो इन सब चीजों को नज़रअंदाज़ करतीं हैं, जो कि आगे चल कर नासूर बन जातीं हैं। स्थानीय लोग शिकायत करते हैं ओर सरकारें इन्हे अनसुना कर देतीं हैं। लेकिन यह बात सिर्फ खुले में नमाज़ पर ही लागू नहीं होती, रोजाना हमारे शहर में गली, मुहल्ले या सड़क पर धार्मिक आयोजन, शादी ब्याह व्गैराह होते रहते हैं, बड़े बड़े लाउडस्पीकर बजते रहते हैं, शोर मचाया जाता है, पूरे सड़क,, गली या मोहल्ले को रोक दिया जाता है, औ यह सब बहुत ही भक्तिभाव से किया जाता है।

भारत में ध्वनि प्रदूषण के चले रात 10 बजे से सुयह 6 बजे तक लाउडस्पीकर य पी॰ए॰ सिस्टम का इस्तेमाल करना गैर कानूनी है। लेकिन इस कानून की हर दिन रात और शाम धज्जियां उड़ाई जातीं हैं। लोग इस बात से बी डरते हाँ कि पड़ौसी से दुश्मनी लेना शायद ठीक नहीं होगा।

सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक आयोजन (सभी तरह के) एवं नमाज़ वगैराह बंद कर देने चाहिये। असली पूजा व इबादत तो मन में उठने वाले विचारों से होती है उसके लिए दूसरों को परेशान करने कि ज़रूरत नहीं।

‘राफेल को लेकर पिछले छह महीनों में जो भी कहा गया है, अभी इस हाउस में जो कहा गया है, वो सब झूठ है.’

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अब सभी दल पूरी तैयारी में लग गए हैं. राफेल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकार को राहत मिलने के बाद विपक्ष के हाथ से बड़ा मुद्दा निकल गया है.

नए साल में पहले दिन अवकाश के बाद जब संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो लोकसभा में एक बार फिर राफेल सौदे का मुद्दा उठ गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल सौदे में गड़बड़ी की बात दोहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया. उन्होंने राफेल सौदे का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने डेढ़ घंटे के इंटरव्यू में पांच मिनट भी राफेल सौदे पर बात नहीं की.

कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बार फिर से राफेल सौदे में अपने पुराने आरोपों की झड़ी लगा दी. राहुल गांधी ने अपनी तरफ से फिर सवाल खडा किया कि जब भारत को तत्काल इन विमानों की जरूरत है तो भी अभी तक एक भी विमान भारत की जमीन पर क्यों नहीं उतरा है.

राहुल के आरोपों के बाद अब बारी अरुण जेटली की. लोकसभा में तो रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं, लेकिन, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देने के लिए मोर्चा संभाला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने. जेटली ने एक-एक कर राहुल गांधी के सारे सवालों का जवाब भी दिया और कांग्रेस के साथ-साथ यूपीए सरकार के इतिहास के कार्यकाल में चर्चा में आए ‘घोटालों’ का जिक्र कर दिया.

जेटली ने राहुल की बातों का जवाब देते हुए लोकसभा में कहा, ‘राफेल को लेकर पिछले छह महीनों में जो भी कहा गया है, अभी इस हाउस में जो कहा गया है, वो सब झूठ है.’

जिस तथाकथित ऑडियो टेप का जिक्र कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा के भीतर कर रहे थे, उस पर भी जेटली ने कहा कि ‘गोवा के मंत्री विश्वजीत पी. राणे ने गोवा के सीएम को लेटर लिखकर कहा है कि राफेल पर कांग्रेस ने जो ऑडियो टेप जारी किया है, वह फर्जी है. इस मामले में जांच करनी चाहिए.’

राहुल गांधी की तरफ से एक बार फिर राफेल सौदे में विमान की कीमत को लेकर सवाल पूछा गया था. अरुण जेटली ने इस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि ‘इस देश में कुछ परिवार हैं जिन्हें सिर्फ पैसे का तर्क समझ में आता है लेकिन देश की सुरक्षा का तर्क समझ में नहीं आता.’

जेटली ने जेम्स बॉन्ड फिल्म का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर कोई चीज एकबार होती है तो यह सामान्य है. दो बार कोई चीज होती है तो वह संयोग हो सकता है. लेकिन अगर कोई चीज तीन बार होती है तो यह षड्यंत्र है. कांग्रेस अपनी डील में बार-बार ऐसा करती है.’

जेटली को ठीक करने के उत्साह में राहुल को क्या कह गए डेरेक ओ ब्रायन

अरुण जेटली ने कहा कि करगिल युद्ध के दौरान हमारी सेना ने राफेल की मांग की थी. 2007 में जब राफेल के लिए बिड मंगाई गई तो दो लोगों को फाइनल किया गया. यह उनके कार्यकाल में हुआ. उस वक्त सबसे मिनिमम बिड राफेल की थी. राफेल की एयरक्राफ्ट 2012 में उस वक्त के डिफेंस मिनिस्टर की मेज पर गया. उन्होंने कहा, कांग्रेस डील को टालने के लिए मशहूर है. तब के रक्षा मंत्री को यह बात समझ में आई कि सेना इसकी मांग कर रही है.

वित्त मंत्री की तरफ से उस वक्त के एक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए लोकसभा में जेटली ने कहा, बीबीसी पर एक कार्यक्रम आता था यस मिनिस्टर. इसमें कहा गया है कि सबसे नाकाबिल प्रशासन वह होता है जो फैसला ना ले पाए. तब के समय इकोनॉमिस्ट में लिखा था A prime minister in office but not in Power.

अरुण जेटली की तरफ से यूपीए सरकार के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री ए के एंटनी पर तंज कसा गया. दरअसल, अरुण जेटली यह दिखाना चाह रहे थे कि कैसे तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी फाइल लेकर बैठे रह गए और राफेल सौदे में देरी हुई.

हालाकि जब जेटली लोकसभा में राहुल गांधी का जवाब दे रहे थे तो उस वक्त कांग्रेस के कुछ सांसदों की तरफ से सदन में कागज की प्लेन बनाकर उड़ा रहे थे. इसपर लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा, आप बच्चे हैं क्या जो ये कर रहे हैं. इस पर जेटली ने चुटकी लेते हुए कहा कि आपके कहने के बाद भी ये लोग प्लेन उड़ा रहे हैं. शायद ये बोफोर्स की याद में कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के पैसले के बाद अब सरकार राहत की सांस ले रही है. एक बार फिर जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी राफेल डील को ठीक ठहराया. 500 और 1600 की कोई तुलना नहीं है. एक दाम होता है एयरक्राफ्ट का. दूसरा दाम होता है हथियारों वाले एयरक्राफ्ट का. जेटली की तरफ से यह बताने की कोशिश की जा रही थी कि यूपीए सरकार के वक्त बिना हथियारों वाले सामान्य एयरक्राफ्ट का जिक्र था, लेकिन, एनडीए सरकार के वक्त हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का जिक्र है.

हालांकि एक बार फिर से उन्होंने साफ किया कि हथियारों वाले कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन होगा, अगर हम दाम बताएंगे. अरुण जेटली ने साफ किया कि बेसिक एयरक्राफ्ट का दाम 2016 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान तय किए गए दाम से 9 प्रतिशत कम था और हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का दाम 20 प्रतिशत तक कम था.अरुण जेटली ने अपने जवाब के दौरान बोफोर्स तोप सौदे का भी जिक्र कर कांग्रेस को उसी के हथियार से घेरने की पूरी कोशिश की.

2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अब सभी दल पूरी तैयारी में लग गए हैं. राफेल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकार को राहत मिलने के बाद विपक्ष के हाथ से बड़ा मुद्दा निकल गया है. फिर भी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे को बार-बार सदन के अंदर औऱ बाहर उठाकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. कोशिश इस मुद्दे को 2019 के महासमर तक जिंदा रखने की है.

Sheikh Hasina wins 3rd term as PM in Bangladesh: Pro-democracy icon turned iron lady, Awami League leader oversaw 10 years of economic growth

‘We are demanding that a fresh election is held under a neutral government as early as possible,’ says Kamal Hossain

Bangladesh:

 Prime Minister Sheikh Hasina has secured a fourth term with a landslide victory in polls the opposition slammed as “farcical” over claims of vote-rigging, and clashes between rival supporters that killed at least 17 people.

Hasina’s ruling Awami League party and its allies won 288 seats in the 300-seat parliament, with the main opposition securing only six seats, Election Commission secretary Helal Uddin Ahmed said.

Hasina’s government had mounted a crackdown on the opposition, an alliance led by the Bangladesh National Party, which urged the country’s election commission to void the results.

“We are demanding that a fresh election is held under a neutral government as early as possible,” Kamal Hossain, who heads the alliance, told reporters.ALSO READBangladesh ODI captain Mashrafe Mortaza registers landslide win in general elections

Deadly violence and bitter rivalry that marred the election campaign spilled over into voting day, even as authorities imposed tight security with 600,000 troops, police and other security forces deployed across the country.

Thirteen people were killed in clashes between Awami League and BNP supporters, police said, while three men were shot by police who said they were protecting polling booths.

An auxiliary police member was also killed by armed opposition activists, according to officials.

Ms. Hasina (71), has been lauded for boosting economic growth in the poor South Asian nation during her decade in power and for welcoming Rohingya refugees fleeing a military crackdown in neighbouring Myanmar.

But critics accuse her of authoritarianism and crippling the opposition — including arch-rival and BNP leader Khaleda Zia who is serving 17 years in prison on graft charges.

The opposition alliance on Sunday accused Hasina’s party of using stuffed ballot boxes and other illegal means to fix the result.

BNP spokesman Syed Moazzem Hossain Alal told reporters there were “irregularities” in 221 of the 300 seats contested.

“Voters are not allowed to enter booths. Especially women voters are being forced to vote for the boat,” Alal said, referring to the Awami League symbol.

‘We’ll cast your vote’

Bangladesh election commission spokesman S.M. Asaduzzaman told AFP the body had “received a few allegations of irregularities” and was investigating.

Ms. Hasina did not immediately respond to the accusations but said in the run-up to the vote that it would be free and fair.

Voting in the capital Dhaka was largely peaceful as convoys of soldiers and paramilitary forces were on the streets where most traffic was banned.

However, voters in provincial areas reported intimidation.

One voter, Atiar Rahman, said he was beaten by ruling party activists in the central district of Narayanganj.

“They told me not to bother, ‘We’ll cast your vote on your behalf’,” he told AFP.

The opposition said the unrest was stirred up to deter voters, and presiding officers reported a low turnout across the country.

Sunday’s deaths brought to 21 the official police toll for election violence since the ballot was announced on November 8.

Police said they acted “in self-defence” when they fired on opposition supporters who stormed a polling booth, killing one. A man was also shot by police after he tried to steal a ballot box.

Free and fair?

Experts say Ms. Hasina’s victory will be sullied by accusations that she hamstrung opponents.

The opposition claims more than 15,000 of its activists were detained during the campaign, crushing its ability to mobilise support.

Seventeen opposition candidates were arrested over what they said were trumped-up charges while another 17 were disqualified from running by courts, which Hasina’s opponents say are government controlled.

Human Rights Watch and other international groups said the crackdown created a climate of fear which could prevent opposition supporters from casting ballots.

The United States raised concerns about the credibility of the election while the United Nations called for greater efforts to make the vote fair.

The leadership of Bangladesh has alternated between Hasina and Zia, allies-turned-foes, over the last three decades.

Mr. Hasina’s victory secures her third consecutive term in office, and her fourth overall.

A daughter of Bangladesh’s first president Sheikh Mujibur Rahman, Hasina was gifted victory in the 2014 election when the BNP boycotted the vote claiming it was not free and fair.

Rights groups have since accused her administration of stifling freedom of speech by toughening a draconian anti-press law and the enforced disappearance of dissenters.

Ms. Hasina rejects accusations of authoritarianism but analysts say she feared young voters would support the BNP.

Her government was criticised this year for its heavy handling of weeks of major student protests that brought Dhaka to a standstill.

New Zealand welcomes New year

Roxanne Waipouri with her three-year-old son Dallas at Rotorua’s GLO Festival fireworks display

Cities around the world prepared to welcome the New Year on Monday, from traditional ceremonies in Japan to fireworks displays in Sydney, Dubai, London, Edinburgh and Rio de Janeiro.

At 6 a.m. ET, Auckland, New Zealand, became the first major city to ring in 2019. Celebrations will follow in Sydney, Australia, two hours later and Tokyo two hours after that.


Fireworks explode from the Sky Tower during Auckland New Year’s Eve celebrations.

Russian President Vladimir Putin’s annual New Year message will be transmitted in the Moscow subway system at midnight — 4 p.m. ET — for the first time. The video message will be seen on almost 9,000 screens in 1,820 train cars.

In the Vatican, Pope Francis planned to lead the “Te Deum” to thank God for 2018.

Not all was set to be a celebration, however. Across Europe, security has been stepped up.

In Paris, “yellow vest” protesters were calling for more demonstrations on the famed Champs-Elysees, where fireworks, lights and sound show was planned. President Emmanuel Macron was to deliver a televised message.

In London, about 110,000 revelers were expected to gather in official viewing areas for a fireworks display.

But the revelry was being accompanied by a dollop of politics, with the British capital’s fireworks celebrating London’s “relationship with Europe,” according to the office of Mayor Sadiq Khan.

“The mayor of London’s sold-out event will mark the New Year with a spectacular firework display and soundtrack inspired by the continent,” according to a statement, reflecting Khan’s strongly pro-Europe stance in the run-up to Britain leaving the European Union on March 29.

Bangladesh election: Sheikh Hasina’s Awami League heads for landslide win; Opposition alleges vote-rigging

15 dead in poll-related violence; Opposition alleges widespread malpractice

Initial trends in Bangladesh’s general election indicate a “landslide” for the ruling coalition, the Grand Alliance, led by Prime Minister Sheikh Hasina and the Awami League.

Counting began soon after polling for 299 seats ended at 4 p.m on Sunday.

Till late in the evening, the Election Commission had confirmed the complete result of only one constituency in southwestern Gopalganj from where Ms. Hasina won bagging 2,29,539 votes while her opponent from the main opposition Bangladesh Nationalist Party (BNP) got only 123 votes.

Election officials said Awami League candidates were leading in 62 seats while BNP contenders were ahead in two constituencies.

However, the Opposition’s rainbow coalition, the Jatiyo Oikya Front (JOF) has demanded a re-election under a neutral government, rejecting the election.

Earlier in the day, at least 15 persons were killed in sporadic violence during voting. Eight of the dead were members of the ruling Awami League, while five belonged to the BNP.

“Remarkable voter turnout has ensured a landslide victory for Awami League,” said party general secretary Obaidul Quader.

Candidates pull out

“At least 100 of our candidates have now withdrawn their names from this election. We are rejecting the results of this election and demanding fresh poll under a neutral government,” said JOF chief Kamal Hossain, addressing a press conference.

The Jamaat-e-Islami, a constituent of the front, has withdrawn its candidates following what it described as “a one sided election.” The Jamaat had fielded 21 candidates contesting under the BNP’s symbol.

Several voters alleged various types of malpractice at the polling stations. “My sister’s family in Mirpur could not vote as [their] votes had already been cast,” said a plastic surgeon from Dhaka Medical College.

Another doctor, who visits Kolkata often, compared the situation with West Bengal’s “scientific vote rigging.”

“We heard of this scientific rigging in Bengal, but did not have a clear idea about it. Now we have — it is multiple level of manipulation; from intimidating the [party] workers to alleged threat to the election agents of the opposition parties, the manipulation was at various levels,” he said.

Many voters in Dhaka — all of whom spoke on condition of anonymity — said they had not seen any election agent of the BNP in any of the polling stations.

Main Opposition party, BNP, described the election as “a farce.”

“There was no need to stage a farce in the guise of an election…they could have just announced victory in all seats,” said BNP Joint Secretary General Syed Moazzem Hossain Alal.

Social media has been abuzz with strong reactions to the alleged malpractices in the elections. “Just witnessed a controlled demolition of democracy,” said Masud Hasan Khan, a London based BBC journalist from Bangladesh.

“Reminds me of 60s and 70s of South America. What is there to count folks?” quipped Shahab Enam Khan, an international affairs scholar.

One of the Election Commissioners (Investigation and Adjudication) Md Rafiqul Islam did not deny the allegation entirely that the opposition agents were absent from the polling stations.

“In some places they may not have [managed to put polling agents] or in places they have not given one. [An agent] is not allowed to enter or pushed out is perhaps not the right observation. The point is that [the agents] have not gone to their respective stations. We do not know why they did so…it is their wish,” said Mr Islam.

He further told media persons that the EC “did not receive any information” about the issue as no one informed them if the election agents are “intimidated.”

“We have not received any official complaints,” Mr. Islam said.

The Secretariat of the Election Commission said that out of about 40,000 polling stations they had stayed the elections in “only 22” centres following various complains.

Three Indian observers were also in stations in and around Dhaka and one of them said that they have “seen election agents of the opposition parties.”

By Monday morning all the election results are expected to be out but the celebration has already begun anticipating a massive victory.

All foreigners have to respect the Indian laws and those found in violation are liable to be punished: MEA

A Reuters journalist was denied entry into India for allegedly violating visa rules.

All foreigners have to respect the Indian laws and those found in violation are liable to be punished. However, that does not mean they are blacklisted forever, a Home Ministry official said on Friday after a Reuters journalist was denied entry into India for allegedly violating visa rules.

The action against Cathal McNaughton, chief photographer at the news agency’s Delhi office who was recently sent back from the airport on his arrival from an overseas trip, was not permanent and could be reviewed after six months or a year, the official said.

“Everybody has to follow law. For violation, the consequence is the same for everybody. Foreigners should respect Indian law. If any Indian visits abroad and violates the law of that country, he or she is also liable to be punished,” the official told media persons.

Mr. McNaughton, an Irish national who won the Pulitzer Prize in May 2018, allegedly travelled to restricted and protected areas in Jammu and Kashmir without permission. He also reported from the State without valid permission.

“He may be a winner of some awards, but that does not give him the licence to violate Indian laws. The Ministry of External Affairs [MEA] regularly informs foreign journalists about Indian rules and regulations. And in certain places, a foreigner is required to take permission. If you violate these rules and regulations, we are bound to take action,” the official warned.

MHA approval

Another official said foreign correspondents also require prior approval from the Ministry of Home Affaits (MHA) to film in the restricted and protected areas such as border districts, defence installations and other places of strategic importance, national parks and wildlife sanctuaries.

According to visa rules for foreign journalists, “A foreign journalist, TV cameraperson etc, including a foreign journalist already based in India, who desires to visit a restricted or protected area or Jammu and Kashmir or the North Eastern States, should apply for a special permit through the Ministry of External Affairs (External Publicity Division).”

Under normal circumstances, India grants foreign journalists visas for up to three months. In rare cases, a six-month journalist visa, with a single or double entry, can be issued.

The MHA and the MEA have also held discussions to review protocols on foreign journalists. In May this year, the MEA reminded foreign journalists based in India that they require permission to travel to areas protected under the Foreigners (Protected Areas) Order, 1958. The areas are: all of Arunachal Pradesh, parts of Himachal Pradesh, parts of Jammu and Kashmir, parts of Rajasthan, all of Sikkim and parts of Uttarakhand.