1st Prize to Centre for Nuclear Medicine, PU

Chandigarh October 14, 2019

            Centre for Nuclear Medicine, Panjab University, Chandigarh  receivedthe first prize by the International Medical Olympicus Association during the recently held 5th International Medical Olympiad in Greece. 

The work presented was a part of the CSIR funded project awarded to Dr Vijayta D Chadha as Principal Investigator and Co investigators, Dr D K Dhawan and Dr Neelima D Passi. The research involved radiosynthesis of a novel 5α-reductase inhibitor and evaluation of its cancer targeting potential in experimental model of prostate carcinogenesis. Prostate cancer is the second most frequent malignancy after lung cancer in men and the fifth leading cause of death worldwide. The enzyme 5α-reductase converts testosterone to dihydrotestosterone which is more potent agonist of androgen receptor and its increased levels lead to enlargement of prostate gland. 5α-reductase inhibitors are a class of drugs that contain the metabolic transformation of testosterone thus lowering the manifestation of diseased condition. Considering the 5α-reductase inhibitory activity of the reported oximes and importance of the ester group in increasing the antiandrogenic property, a potent 5α-reductase inhibitor was synthesized for enhanced selectivity towards prostate tissue. The work was carried by Ms Gousia Jan, Research fellow in the project and was presented by Prof D K Dhawan in the said conference.

राफेल की ख़रीदारी से बेचैन हुआ पाकिस्तान

– भारत को मिले राफेल को लेकर पाकिस्तान बेचैन हो गया है
– पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को राफेल पर प्रतिक्रिया दी
– पाकिस्तान बोला- राफेल से हम अपनी रक्षा करना जानता
हैं
– भारत को फ्रांस से मिलने हैं कुल 36 राफेल लड़ाकू विमान

पाकिस्तान मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मुहम्मद फैसल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ‘किसी के पास राफेल हो या कुछ और, पाकिस्तान जानता है कि उसे अपनी सुरक्षा कैसे करनी है.’

भारतीय वायुसेना को मिले लड़ाकू विमान राफेल को लेकर पाकिस्तान बेचैन हो उठा है। यह बेचैनी गुरुवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी साफ दिखाई दी। एक सवाल के जवाब में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने राफेल से नहीं डरने की बात कही। पाकिस्तान मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मुहम्मद फैसल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ‘किसी के पास राफेल हो या कुछ और, पाकिस्तान जानता है कि उसे अपनी सुरक्षा कैसे करनी है.’

उन्होंने फ्रांस से भारत को मिले राफेल विमान के संदर्भ में हथियारों की रेस का मुद्दा उठाया और विश्व समुदाय से आग्रह किया कि वह दक्षिण एशिया को हथियारों की रेस में मत झोंके. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ऐसी किसी रेस का हिस्सा नहीं बनेगा क्योंकि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार का ध्यान मानवीय विकास, सेहत और शिक्षा पर है. उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के पाकिस्तान के पुराने आरोपों को एक बार फिर दोहराया और भारत से आग्रह किया कि ‘वह कश्मीर से प्रतिबंधों को’ हटा ले.

करतारपुर साहिब गलियारे से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गलियारे के उद्घाटन समारोह के लिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को औपचारिक तौर से निमंत्रण भेजा गया है. उन्होंने कहा कि गलियारे का काम पूरे जोरशोर से चल रहा है और यह तय समय पर पूरा हो जाएगा. इसका उद्घाटन उसी तारीख को होगा जिसका वादा प्रधानमंत्री इमरान खान ने किया था.

एक अन्य सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान, इस्लामाबाद में होने वाले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के शिखर सम्मेलन की तारीखों पर काम कर रहा है. तारीख तय होने पर इसकी जानकारी साझा की जाएगी.

PU Research Scholar presented paper in Moscow

Korel, Chandigarh October 10, 2019

Rupam Vijay, Research Scholar, Department of Public Administration, Panjab University, Chandigarh presented paper on  ‘Role of Technology in fostering financial inclusion in India’ at 2nd International Conference on Applied Sciences & Engineering (ICASE 2019), held on 5-6 July, 2019 at Moscow, Russia. The Research work was conducted under the supervision of Dr. Purva Mishra, Assistant Professor, Department of Public Administration, University School of Open Learning, Panjab University, Chandigarh and will be published in prestigious Scopus Indexed International Journal of Scientific & Technology Research (IJSTR) for September-October 2019 edition.

भारत के रक्षामंत्र इस बार करेंगे फ्रांस में शस्त्र पूजन, लाएँगे भारत के लिए पहला राफेल

इस बार फ्रांस एक अनोखे और अकल्पनीय दृश्य का साक्षी होगा। फ्रांस के इतिहास में पहली बार वहाँ के आयूध केंद्र जहां से राफेल क पहली खेप भारत के लिए उड़ान भरेगी वहाँ उससे पहले विजय दशमी के दिन हमारे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शस्त्र पूजन करेंगे। संयोग की बात यह है की 8 अक्तूबर को विजय दशमी के साथ साथ ही वायु सेना दिवस भी है, अत: राफेल विमान और उसमें प्रयोग होने वाले आयुधों के लिए यह शस्त्र पूजा रखी गयी है। यूं तो क्षत्रिय होने के नाते राजनाथ सिंह पारंपरिक तौर पर विजय दशमी को शस्त्र पूजा कराते आए हैं परंतु अब जब वह भारत के रक्षामंत्री भी हैं तो इस पूजा का महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है।

क्यों होती हा शस्त्र पूजा

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा 8 अक्टूबर 2019 को मनाया जाएगा। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाए जाने वाले इस पावन पर्व का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था और इसी दिन प्रभु श्री राम ने दिग्विजयी रावण पर विजय प्राप्त की थी। उस महान विजय के प्रतीक दशहरा वाले दिन देश भर में अस्त्र-शस्त्र की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है, उसका शुभ लाभ अवश्य प्राप्त होता है।

सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व है। शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता रहा है। प्राचीनकाल में क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इसी दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे। पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है।

अब फ्रांस में भी होग शस्त्र पूजा

सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस में सबसे पहले राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरेंगे. खास बात ये है कि जिस दिन राफेल भारत के सुपुर्द किया जाएगा उसी दिन भारतीय वायुसेना दिवस भी है. इसी दिन राजनाथ सिंह बोर्डिओक्स के पास मेरिनैक में राफेल जेट रिसीव करेंगे। बताया जाता है कि नौ अक्टूबर को राजनाथ सिंह, वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल एचएस अरोड़ा और अन्य वरिष्ठ वायुसेना अधिकारियों के साथ पेरिस पहुंचेंगे।

शस्त्र पूजन सनातन धर्म की बहुत पुरानी परंपरा है, जिसमें घर में रखे हथियारों की पूजा की जाती है. बता दें कि राजनाथ सिंह गृहमंत्री रहते हुए भी शस्त्र पूजन किया करते थे। गौरतलब है कि भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए करार किया था. यह विमान बड़ी मात्रा में शक्तिशाली हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम हैं।

वायुसेना को लंबे समय से था इंतजार

देश की वायु सेना को लंबे समय से राफेल विमान का इंतजार था. क्योंकि भारत के पास आने वाला यह सबसे आधुनिक और अधिक मारक क्षमता वाला विमान होगा। इन विमानों को भारत लाने में इसलिए देरी हो रही है क्योंकि राफेल विमानों के परीक्षण और ट्रेनिंग के लिए भारतीय पायलट इन्हें फ्रांस में कम-से-कम 1,500 घंटे उड़ाएंगे। उड़ान के दौरान राफेल विमान SCALP मिसाइल से लैस होंगे, जो 300 किलोमीटर की रेंज में जमीन पर वार कर सकती है। ट्रेनिंग और परीक्षण पूरा होने के बाद राफेल को वायुसेना के अंबाला बेस में लाया जाएगा।

भारत बांग्लादेश ने एक साल में 12 द्विपक्षीय समझौतों पर करार किया : मोदी

भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय रिश्ते नये मुकाम पर पहुंच रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने आज नई दिल्ली में मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के बीच तीन परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पीएम शेख हसीना के साथ तीन और परियोजनाओं का उद्धाटन करने से मुझे खुशी है. आज की ये तीन परियोजनाएं तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हैं. पीएम मोदी ने बताया कि एलपीजी इंपोर्ट, वोकेशनल ट्रैनिंग और सोशल फैसिलिटी के क्षेत्र में परियोजनाओं की शुरुआत की गई है.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की. पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा, “भारत-बांग्लादेश की दोस्ती पूरी दुनिया के लिए बेहतरीन उदाहरण है.” वहीं, शेख हसीना ने कहा कि भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ेगा. इस अवसर पर ऊर्जा, कौशल और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े तीन प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया. पीएम मोदी ने कहा, “आज की ये तीन परियोजनाएं तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हैं: एलपीजी आयात, कौशल, और सामाजिक सुविधा. लेकिन इन तीनों का उद्देश्य एक ही है. और वो है – हमारे नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना. यही भारत-बांग्लादेश संबंधों का मूल-मंत्र भी है.”

दोनों देशों ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए. भारत बांग्लादेश में तटीय क्षेत्र में सर्विलांस सिस्टम स्थापित करेगा. मालदीव के बाद बांग्लादेश ऐसा दूसरा देश है जहां भारत तटीय निगरानी प्रणाली लगाएगा. भारत लगभग 20 यूनिट लगाएगा. इसका उद्देश्य भारत-बांग्लादेश की साझा तटीय सीमा पर चौकस नजर रखना है. 

ऊर्जा के क्षेत्र में, बांग्लादेश, भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में एलपीजी उपलब्ध कराएगा. पीएम मोदी ने कहा, “बांग्लादेश से बल्क एलपीजी की सप्लाई दोनों देशों को फायदा पहुंचाएगी. इससे बांग्लादेश में निर्यात, आय और रोजगार भी बढ़ेगा. ट्रॉन्सपोर्टेशन दूरी पंद्रह सौ किमी कम हो जाने से आर्थिक लाभ भी होगा और पर्यावरण को भी नुकसान कम होगा.”

पिछले एक साल में दोनों देश संयुक्त रूप से 12 प्रोजेक्ट की शुरुआत कर चुके हैं. तीन आज किए गए जबकि 9 पिछले कुछ महीनों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये किए गए. दोनों देश मनु, मुहुरी, खोवाई, गुमटी और फेनी नदी के पानी का साझा इस्तेमाल करने के लिए समझौते पर विचार कर रहे हैं.

दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी पर फोकस

दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही बढ़ाने के लिए बांग्लादेश ने अखौरा – अगरतला पोर्ट के जरिये किए जाने वाले व्यापार से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है. मैत्री एक्सप्रेस और बंधन एक्सप्रेस के फेरे बढ़ाने की बात भी कही है. पीएम मोदी अगले साल मार्च में बांग्लादेश का दौरा कर सकते हैं. दरअसल, मार्च 2020 में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती है. पीएम मोदी इसमें भाग ले सकते हैं.


नियाजी मियां के इस्लामिक टीवी की इस्राइल ने निकली हवा

जम्मू-कश्मीर मामले पर दुनियाभर में अपना मजाक बनाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लाम से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए एक इस्लामिक अंग्रेजी चैनल खोलने का प्लान बनाया है। इमरान के अनुसार पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया तीनों मिलकर एक इस्लामिक अंग्रेजी चैनल की शुरूआत करेंगे, जिसके जरिए दुनिया में फैले ‘इस्लामोबोफिया’ के खिलाफ लड़ा जा सकेगा। लेकिन इमरान खान के इस प्लान पर इजरायल ने तंज कसा है। साथ ही इजरायल की मीडिया ने तीनों देशों के कानूनों, विरोधियों पर ऐक्शन और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का जिक्र करते हुए आईना दिखाने की कोशिश की है।

नई दिल्ली:

इस्लाम से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की बात कह नया टीवी चैनल प्लान कर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर इजरायल ने तंज कसा है. इजरायल की मीडिया ने पाकिस्तान, मलयेशिया और तुर्की के कानूनों, विरोधियों पर ऐक्शन और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का जिक्र करते हुए आईना दिखाने की कोशिश की है.

आपको बता दें कि हाल में अमेरिका के दौरे पर गए पाक पीएम इमरान खान ने मलयेशिया के पीएम और तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद ‘बीबीसी टाइप’ चैनल शुरू करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा है कि दुनियाभर में इस्लामोफोबिया को दूर करने के लिए नया चैनल शुरू किया जाएगा. हालांकि इमरान भले ही इस्लामोफोबिया की बात कर रहे हों पर उनके इस दांव के पीछे मुसलमानों का मसीहा बनने की कोशिश भी छिपी हुई है. इस तरह वह कश्मीर पर मुस्लिम देशों को भी साधना चाहते हैं.

इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अब ‘टीवी’ की बीमारी लग गई है. इमरान ख़ान अब इस्लामिक चैनल के जरिए जेहाद के ‘प्रसारण’ की तैयारी कर रहे हैं. इस्लामोफोबिया की आड़ में इमरान इस्लामिक चैनल खोलने वाले हैं. इमरान ने तुर्की और मलेशिया के प्रमुख से मलिकर एक इंग्लिश चैलन खोलने का प्लान बनाया है. इमरान ने तर्क दिया है कि इस चैलन के जरिए मुसलमानों मुद्दों और इस्लामोबोफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी. बैठक के बाद इमरान ने ट्टीव करके कहा- ‘बैठक में हमने BBC जैसे इंग्लिश टीवी चैनल की शुरुआत करने का फैसला किया है. चैनल मुसलमानों के मुद्दों को उठाने के साथ इस्लामोबोफिया से भी लड़ेगा.’ 

हालांकि इमरान के इस प्लान की इजरायल ने हवा निकाल दी. इजरायल ने इमरान को आईना दिखाते हुए तंज कसा और कहा कि अब कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले इस्लामोफोबिया दूर करेंगे. 

इमरान को लगी ‘टीवी’ की बीमारी?

इस्लामिक चैनल के जरिए वो जेहाद के नाम पर पूरी दुनिया में नफरत और भड़काने का संदेश देंगे. दुनिया भर में दुष्प्रचार के साथ वो दूसरे धर्मों के खिलाफ मुस्लिम देशों को उकसाएंगे और इतना ही नहीं. इमरान खान अपने घर में जिन आतंकियों को पाल रहे हैं. उनकी हिफाजत करेंगे. अभी हाल ही इमरान ने UN में इस्लामोफोबिया का जिक्र करते हुए मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की थी. पूरे विश्व में 1.3 बिलियन मुस्लिम रहते हैं. लाखों को मुस्लिम यूएस और यूरोपियन देशों में अल्पसंख्यकों की तरह रहते हैं लेकिन अमेरिका में 9/11 के बाद से इस्लामोफोबिया का जिक्र हुआ और इस्लामोफोबिया के नाम पर बांटा गया’.

इमरान की एक और इंटरनेशनल बेइज्जती!

इंटरनेशनल बेइज्जती कराने में मशहूर इमरान की फजीहत में एक और अध्याय जुड़ गया है. इमरान को अमेरिका में चीन की तारीफ करना महंगा पड़ा है. चीन की तारीफ करने पर अमेरिकी न्यूज़ चैनल के एंकर ने इमरान खान को करारा जवाब दिया है. न्यूज़ एंकर ने इमरान को  वेल्डर कहकर बुलाया है. वहीं लंडन में रह रहे पाकिस्तान की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के नेता अल्ताफ हुसैन ने भी इमरान पर तंज कसा है. 

पाक समर्थक तुर्की को भारत का कूटनीतिक जवाब

. तुर्की वैसे तो भारत को भी अपना मित्र राष्ट्र कहता है लेकिन अहम वैश्विक मंचों पर वह लगातार पाकिस्तान की भाषा बोलता है। कश्मीर पर तो खास तौर पर वह हर मंच पर पाकिस्तान के समर्थन में होता है। यही नहीं परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित संगठन (एनएसजी) में भारत को प्रवेश देने का भी वह इस तर्ज पर विरोध करता रहा है कि पाकिस्तान को भी इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए।
. आर्मेनिया और साइप्रस तुर्की के पड़ोसी देश हैं और इनके बीच ऐतिहासिक दुश्मनी है। अब मोदी ने इन दोनो देशों को आश्वस्त किया है कि उनके साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम दिया जाएगा।

चंडीगढ़:

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तयीप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र में बेशक खुले तौर पर भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में नजर आए, मगर भारत चुपचाप उसके तीन धुर विरोधी पड़ोसी देश व दमदार प्रतिद्वंद्वी साइप्रस, आर्मेनिया और ग्रीस के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. इस तरह पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को भारत ने कूटनीतिक तरीके करारा जवाब दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण के बाद साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस अनास्तासीद से मुलाकात की. इस देश ने स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और साइप्रस गणराज्य की एकता के लिए भारत का लगातार समर्थन किया है. भारत का यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि 1974 में तुर्की के आक्रमण में पूर्वी भूमध्यसागरीय द्वीप विभाजित हो गया था, जिसमें अंकारा ने इसके उत्तरी भाग पर कब्जा कर रखा है. तुर्की ने टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस (टीआरएनसी) की स्थापना की है, जिससे इन दोनों पक्षों के बीच एक लंबे सैन्य गतिरोध की शुरुआत हुई.

आर्मेनिया भारत सरकार से भी कई बार आग्रह कर चुका है कि वह आर्मेनिया नरसंहार को लेकर एक प्रस्ताव संसद में पारित करवाये। तुर्की को दबाव में लाने के लिए यह विकल्प अभी भारत के पास है।

टीआरएनसी को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली हुई है और इसके तुर्की के साथ महज राजनयिक संबंध हैं. एर्दोगन ने उत्तरी साइप्रस में तैनात 30 हजार से अधिक सैनिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया है. मोदी ने शुक्रवार को ग्रीक के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस से भी मुलाकात की. बैठक के बाद, मोदी ने ट्वीट किया, “ग्रीस के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का अवसर मिला. भारत-ग्रीस संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. हम व्यापार के साथ-साथ अपने नागरिकों के लाभ के लिए आपस में लोगों के संबंधों को भी बढ़ाने के लिए काम करेंगे.”

इसके अलावा, मोदी ने अपने आर्मेनिया के समकक्ष निकोल पशिनयान से भी मुलाकात की. इस देश की सीमा तुर्की के साथ लगती है और दोनों देशों के बीच भी अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. आर्मेनिया के लोग 1915 में तुर्की साम्राज्य द्वारा अपने लाखों नागरिकों के संहार को माफ नहीं कर पाए हैं. तुर्की सरकार ने हालांकि इस बात से इनकार किया है कि कभी कोई नरसंहार हुआ था. मोदी ने गुरुवार को ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान से व्यापक विचार-विमर्श हुआ. हमने प्रौद्योगिकी, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े पहलुओं पर भारत-आर्मेनिया सहयोग का विस्तार करने के बारे में बात की. प्रधानमंत्री निकोल ने आर्मेनिया में भारतीय फिल्मों, संगीत और योग की लोकप्रियता का भी उल्लेख किया.”

साइप्रस लगातार तुर्की पर आरोप लगाता है कि वह उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। मोदी और एंस्टासिएड्स के बीच अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भी बातचीत हुई है। तुर्की के लिए यह संदेश काफी है कि भारत साइप्रस और आर्मेनिया के साथ अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने को तैयार है। 

तुर्की के साथ तीनों देशों की गहरी दुश्मनी के मद्देनजर इन नेताओं के साथ मोदी की बैठकों का काफी महत्व माना जा रहा है. यह अंकारा का इस्लामाबाद का साथ देते हुए भारत के खिलाफ होने की परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए एक स्पष्ट व महत्वपूर्ण कदम है.

इमरान खान को एफ़एटीएफ़ से बचने की उम्मीद बाकी

एफएटीएफ (FATF) ने पिछले साल पाकिस्तान को उन देशों की ग्रे सूची में रखा था जो आतंकियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए कमजोर थे. अगर तीन देश इस ब्लैकलिस्टिंग प्रपोसल के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो ये खारिज हो जाएगा. चीन पाकिस्तान का साथ दे सकता है. वह यह भी कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका खुले तौर पर भारत का साथ न दे और पाकिस्तान के खिलाफ न हो. वर्तमान में इमरान खान की इस लॉबिंग का मकसद है कि वह ज्यादा से ज्यादा देशों का समर्थन अपने पक्ष में जुटा सकें.

नयी दिल्ली:

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force) द्वारा होने वाली ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) से इतर दूसरे देशों के प्रमुखों की लॉबिंग कर रहे हैं. भारत सरकार के सूत्रों ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया कि इमरान खान समर्थन हासिल करने के लिए अब तक दो दर्जन देशों के प्रमुखों से मिल चुके हैं.

एफएटीएफ (FATF) ने पिछले साल पाकिस्तान को उन देशों की ग्रे सूची में रखा था जो आतंकियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए कमजोर थे. पेरिस (Paris) स्थित निकाय ने कहा था कि जब तक पाकिस्तान अक्टूबर तक अपनी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं करता, वह ब्लैक लिस्टेड हो सकता है. अगले महीने 13 से 18 तारीख तक संगठन की विस्तृत बैठक होगी.

इसलिए हुआ था एफएटीएफ का गठन

एफएटीएफ का गठन 1989 में पेरिस में हुई जी7 समिट में किया गया था. इसका गठन मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर नजर रखने, लेजिस्टेटिव पर नजर रखने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय और कानून प्रवर्तन गतिविधियों की निगरानी करने, अनुपालन पर रिपोर्टिंग करने और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने लगाए गए मानकों के लिए था.

11 सितंबर, 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका में अल-कायदा (Al-Queda) के हमलों के बाद आतंकी मनी लॉन्ड्रिंग को शामिल करने के लिए इसके जनादेश का विस्तार किया गया था. एफएटीएफ प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों का कहना है कि टास्क फोर्स की निर्धारित प्रक्रियाओं के खिलाफ पैरवी को तवज्जो दी जाती है.

कूटनीति पर निर्भर है पाकिस्तान

सूत्रों ने कहा कि पिछले महीने बैंकॉक (Bangkok) में हुई बैठक में वॉचडॉग एशिया / पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) पाकिस्तान विश्व स्तर पर नामित आतंकवादियों और आतंकवादियों के खिलाफ अभियोग या प्रदर्शनकारी कार्रवाई दिखाने में विफल रहा और इसलिए वह खुद को ब्लैकलिस्ट करने से बचाने के लिए अब कूटनीति पर निर्भर है.

भारत सरकार के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने यूएनजीए के इतर हुए लीडर्स डायलॉग ऑन स्ट्रैटेजिक रिसपॉन्सेस टू टेरररिस्ट एंड वॉयलेंट एक्सट्रीमिस्ट नैरेटिव्स में एफएटीएफ के राजनीतिकरण को लेकर सवाल उठाए थे जिसका अर्थ पाकिस्तान के कदमों को भी उजागर करना था.

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) अनमूला गीतेश सरमा ने कहा कि- “पीएम मोदी ने बहुपक्षीय स्तर पर आतंकवाद विरोधी सहयोग को संस्थागत बनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को धन और हथियार मिलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इस उद्देश्य को साकार करने के लिए, हमें संयुक्त राष्ट्र की सूची और एफएटीएफ जैसे तंत्रों के राजनीतिकरण से बचने की जरूरत है.”

एफएटीएफ की सूची में ब्लैकलिस्ट होने के बाद पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है क्योंकि पाकिस्तान में अभी दोहरे अंकों में महंगाई है, साथ ही ब्याज की दरें भी काफी ऊंची हैं साथ ही पाकिस्तान के लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. खान ने इससे पहले एफएटीएफ में भारत के प्रयासों को पाकिस्तान के खिलाफ चाल बताया था. इमरान ने कहा था कि हमने पाया है कि भारत हमें FATF पर ब्लैकलिस्ट करने पर जोर दे रहा है और हमने महसूस किया कि वह एजेंडा के तहत ऐसा कर रहे हैं.

आपको बता दें वॉचडॉग ने उन देशों को ब्लैक लिस्ट किया है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई की अवहेलना करते हैं. वह ऐसे देशों को गैर-सहकारी देश या क्षेत्र (एनसीसीटी) कहता है.

एफएटीएफ प्रक्रिया से जुड़े भारतीय सरकारी अधिकारियों ने कहा कि 38 सदस्यीय संगठन सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करता है और ऐसा न होने पर इस प्रस्ताव को अस्वीकार किया जा सकता है. वर्तमान में चीन इसका प्रमुख है और भारत द्वारा पाकिस्तान को टेरर फंडिग के लिए ब्लैक लिस्ट की कोशिश के खिलाफ वह पाकिस्तान का समर्थन कर सकता है.
एक अधिकारी ने बताया कि अगर तीन देश इस ब्लैकलिस्टिंग प्रपोसल के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो ये खारिज हो जाएगा. चीन पाकिस्तान का साथ दे सकता है. वह यह भी कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका खुले तौर पर भारत का साथ न दे और पाकिस्तान के खिलाफ न हो. वर्तमान में इमरान खान की इस लॉबिंग का मकसद है कि वह ज्यादा से ज्यादा देशों का समर्थन अपने पक्ष में जुटा सकें.



बांगलादेश प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों का प्रतिनिधि मंडल पंचकूला जिले के दौरे पर

पंचकूला, 24 सितंबर-

बांगलादेश प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों के एक प्रतिनिधि मंडल ने पंचकूला जिले का दौरा कर जिले की प्रशासनिक कार्य प्रणाली की जानकारी हासिल की। लघु सचिवालय के सभागार में उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा, पुलिस उपायुक्त कमलदीप गोयल, अतिरिक्त मनीता मलिक, नगराधीश नवीन आहूजा और जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी दमन सिंह ने इस प्रतिनिधि मंडल को जिला प्रशासन के कार्यों के बारे में अवगत करवाया। 

उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने प्रतिनिधि मंडल को पंचकूला जिले के भौगोलिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक ढांचे से अवगत करवाते हुए बताया कि पंचकूला हरियाणा की राजधानी से सटा हुआ एक महत्वपूर्ण जिला है, जिसमें राज्य सरकार के विभागों के मुख्यालय स्थापित है। जिले में दो विधानसभा क्षेत्र व 253 गांव है और तीन तहसील है। उपायुक्त ने बताया कि जिला उपायुक्त डीसी, डीएम और डिस्टिक काॅलेक्टर की शक्तियों के साथ जिले के प्रशासनिक कार्यों की अध्यक्षता करता है। गांवों के विकास के लिये पंचायत राज संस्थायें एवं जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी मिलकर कार्य करते है। शहरों की व्यवस्था नगर निगम, नगर पालिका जैसी स्वयं पोषित आॅटोनोमस बोडिज के द्वारा प्रशासन के साथ तालमेल से की जाती हैं। पंचकूला जिला आर्थिक, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र है। प्रशासनिक व्यवस्था में शिक्षा और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण घटक है, जिन्हें जिला शिक्षा अधिकारी व चिकित्सा अधिकारियों द्वारा संचालित किया जाता है।

  अतिरिक्त उपायुक्त एवं जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की कार्यकारी अधिकारी मनीता मलिक ने प्रतिनिधि मंडल को ग्रामीण विकास से संबंधित अनेक कार्यक्रमों से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि गांवों में अकौशल श्रमिकों के लिये गांरटी रोजगार की व्यवस्था की जाती है। सभी ग्रामीण एरिया को खुले में शौचमुक्त कर दिया गया है। सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अमला पंचायतीराज संस्थाओं के साथ तालमेल से ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों को लागू करता है।

   जिला पुलिस उपायुक्त ने प्रतिनिधि मंडल को कानून एवं व्यवस्था प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था को प्रशासनिक अधिकारियों तालमेल के साथ संभाला जाता है। 

International workshop on “Chemistry and Biology of Complex Glycans” an event under CRIKC

Korel, Chandigarh September 20, 2019

            Five days International GIAN workshop on the theme “Chemistry and Biology of Complex Glycans” kick started at Panjab University.

            Prof. S. K. Mehta, Local GIAN Coordinator and Director, SAIF/CIL PU welcomed Prof. Kuberan (Kuby) Balagurunathan, Foreign faculty, University of Utah, USA and faculty and participants from various institutions. He also highlighted the major objectives of the GIAN program including details of previous 14 GIAN courses conducted by PU during Phase I and II. He also informed that MHRD has announced the commencement of GIAN Phase III. The faculty is invited to submitted proposals for consideration by Oct. 15, 2019 to be completed during 2020. 

            Dr. Deepak B. Salunke, Course Coordinator, gave brief overview of five day workshop and highlighted the importance of area of carbohydrates and glycans. Prof. Kuby, guest faculty from University of Utah, USA, elaborated the basics of Carbohydrate chemistry and the beauty of sequential synthesis of polysaccharides. He interactively explained importance of carbohydrates in everyday life and subsequently. He motivated the participants to excel in their field by exhaustively utilizing available facilities.