आज का राशिफल

Aries

11 फरवरी 2020: चंद्रमा आज भी आपकी राशि के पराक्रम भाव में है, जहां उस पर मंगल, शनि और गुरु की दृष्टियां हैं और वह स्वयं आपकी राशि से भाग्य भाव को देख रहा है. दोस्तों और भाइयों का सहयोग कल की तरह बना रहेगा. उनकी मदद से आज आपका कोई एक ऐसा बड़ा काम निपट जाएगा, जो आपके लिए महत्वपूर्ण था. आज आप अपने किसी रिश्तेदार को लेकर थोड़े परेशान महसूस कर सकते हैं. या तो वह रिश्तेदार आपसे कोई ऐसी मांग कर रहा होगा, जिसे पूरा कर सकना आपके लिए आसान नहीं होगा, या वह आपके सामने अपनी ऐसी शेखी बघारेगा कि आप बहुत जल्दी बोर हो जाएंगे और सारी असलियत जानने के बावजूद कुछ कहने की स्थिति में नहीं होंगे. कुछ और मामलों में भी आज आपको अपनी बात कहने में परेशानी का अनुभव हो सकता है. आज आपको अपना नियमित कामकाज निपटाने में भी थोड़ी समस्या आएगी. आपके मन में जो भी कार्य और जो भी कार्यक्रम है, उसे लेकर थोड़ा धैर्य रखें, लेकिन अटकते चले आ रहे महत्वपूर्ण कार्यों को निपटाने पर जरूर ध्यान दें. आज आपको कोई महत्वपूर्ण और नई बात पता चलेगी. परिवार में, मेहमानों में या पड़ोस में आज कुछ समस्याओं का या समस्या पैदा करने वाले लोगों का सामना करना पड़ सकता है. शत्रुओं से भी सावधान रहें.

Taurus

11 फरवरी 2020: आपके शरीर में भारी थकान भर चुकी है. आज आप भारी शारीरिक मेहनत वाला काम न करें और अगर आवश्यक ही हो, तो किसी की मदद ले लें. दिन भर काफी व्यस्तता रहेगी, लेकिन आज आपको लगभग हर काम में कोई न कोई मददगार व्यक्ति मिलता जाएगा. सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको बहुत समझदारी से काम लेना होगा. सकारात्मक सोचें और हिम्मत से काम लें. क्रोध पर और खास तौर पर वाणी पर नियंत्रण रखें. आज आपका बहुत सारा समय अपने मित्रों के साथ बीतेगा. चाहे उनसे प्रत्यक्ष मुलाकात हो या फोन पर बात हो. आपके मित्र आज आपके लिए बहुत सकारात्मक भी रहेंगे और उनकी मदद से आपको जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलेगी और अवसर भी मिलेंगे. किसी भी महत्वपूर्ण मसले पर बात करने के लिए आज का दिन अच्छा है. अगर आपके नजदीकी रिश्तों या परिवार में कोई समस्या है, तो आज आप उसे सुलझा सकते हैं. संदेह और संकोच समाप्त होंगे.

Gemini

11 फरवरी 2020: आज चंद्रमा आपकी ही राशि में है. आपका राशिस्वामी नीच स्थिति में, लेकिन अपने ही नक्षत्र में है. आज आप मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होकर अपने आप को व्यस्त और प्रसन्न बनाए रखें. स्थितियों को और दिन भर के परिणामों को अपने पक्ष में लाने के लिए आज आपको कुछ अतिरिक्त प्रयास करने होंगे. मन में तरह-तरह के विचार चलते रहेंगे. सुस्ती और विश्राम इन सारे विचारों में शामिल रहेगी. आज आपका इरादा घर से बाहर नहीं निकलने का रहेगा. स्वयं के लिए सकारात्मक सोचें और हिम्मत करके दिन की शुरुआत थोड़ी सक्रियता से करें. आज आपको अपने किसी एक नजदीकी मित्र के बारे में बातें, संभवतः सोशल मीडिया या फोन के जरिए पता चलेंगी, और आप आश्चर्य में डूब जाएंगे. थोड़ी बहुत परेशानी आपके सामने आ सकती है. आज आप अपना मेलजोल और ज्यादातर समय उन्हीं लोगों के बीच बिताएं, जिनका साथ आपको पसंद हो. आपकी नौकरी के क्षेत्र में कुछ बदलाव होने जा रहा है. इस बारे में आपकी जो भी महत्वाकांक्षाएं हैं, आप उनके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर सकते हैं.

Cancer

11 फरवरी 2020: आज आप अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें, और पक्का इरादा कर लें कि किसी भी स्थिति में आपको भावुक नहीं होना है. आज चंद्रमा आपकी राशि से बारहवां है. आज आपको कुछ अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. थोड़ा कष्ट भी उठाना पड़ेगा. आज आपको अहसास होगा कि आपको अपनी दिनचर्या में बदलाव करना होगा. आज आपके परिचय क्षेत्र का, ज्ञान क्षेत्र का विस्तार होगा और अगर आप सक्रिय रहे, तो आज आपको इसके कई मौके मिलते जाएंगे. आपको इसके लिए अपना मन खुला रखना होगा और अपना दृष्टिकोण थोड़ा व्यापक बनाना होगा. अगर कोई आप पर व्यंग्य करे, आपकी आलोचना करे, या आप पर टिप्पणी करे, तो आप इससे जरा भी परेशान न हों. आज आपको ऐसे लोग मिलेंगे, जो ऊपर से तो आपसे मित्रता का स्वांग कर रहे होंगे, लेकिन वास्तव में वे आपको हर तरह की खरी-खोटी सुनाते रहेंगे. आप ऐसे लोगों से दूर ही रहें. आप जरा सी भी बात पर बहुत उग्र हो सकते हैं. समझदारी इसी में रहेगी कि आप उस व्यक्ति के साथ बहस में पड़ने से इनकार कर दें. सामाजिक समारोहों में शामिल होने से आपको प्रसन्नता मिलेगी.

Leo

11 फरवरी 2020: आज आपको कोई बड़ा ऑफर मिलने वाला है. आपको बड़ा फायदा मिलने के योग हैं. आज आपकी इच्छाएं और जरूरतें बढ़ी हुई रहेगी. आज चंद्रमा आपकी राशि से लाभ भाव में रहेगा. आज के दिन आपके साथ कई सुखद घटनाएं घटेंगी. आप अपनी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, लेकिन फिर भी आप अपनी महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखें, थोड़ा संतोष का भाव जरूर रखें. आज आपको अपने जीवनसाथी से भी ऐसा प्रेम मिलेगा कि आप आज का दिन कई दिनों तक याद रखेंगे. आप भी अपने जीवनसाथी की सराहना करने में न लापरवाही न करें, न कंजूसी. आज खर्च ज्यादा होगा. लापरवाही में कोई मूल्यवान वस्तु कहीं रखकर भूल भी सकते हैं. नकारात्मक मानसिकता के लोगों से दूर रहें. आज आपका अपने मित्रों या रिश्तेदारों से हल्का तनाव हो सकता है, लेकिन आपको परिवार का समर्थन मिलेगा.

Virgo

11 फरवरी 2020: आज चंद्रमा आपकी राशि से कर्म भाव में रहेगा. आज मिलने वाले अनुभवों से आप बहुत कुछ सीखेंगे और यह अनुभव आपके लिए जीवन में प्रगति करने के अवसरों के रूप में साबित होंगे. पैसों से जुड़ा आपका काम आज पूरा हो जाएगा. अगर आप किसी से पैसों की मदद लेने का इरादा रखते हैं, तो आज वह व्यक्ति पहले तो जी भर कर आपको सबक सिखाएगा और फिर जो भी रकम आ चाहते हैं, वह दे देगा. पैसों से ज्यादा महत्व उस व्यक्ति द्वारा दिए गए सबक का है, जो सुनने में भले ही आपको बहुत कड़वा लगा हो, फिर भी आप उस पर जरूर ध्यान दें. अगर आपको अपने ही पैसे कहीं से वसूलने होंगे, तो वहां भी आपको कुछ न कुछ सलाह दी जा सकती है. आज आपको शक्तिशाली, समर्थ एवं विद्वान लोगों का पूरा सहयोग मिलेगा. रोमांस के लिहाज से आज का दिन आपके लिए बहुत अच्छा है. विवाह का प्रस्ताव मिल सकता है, या कोई नया प्रेम प्रसंग शुरु हो सकता है. आज आपको अपने कार्य क्षेत्र में कोई नया दायित्व मिल सकता है.

Libra

11 फरवरी 2020: आज का दिन आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा. अपने नौकरी-धंधे के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आपके सामने कई नए रास्ते खुलने जा रहे हैं. आज आप बहुत फुर्ती से काम करेंगे. अपनी सारी जिम्मेदारियां आसानी से पूरी करेंगे. आपकी इस क्षमता, मेहनत, फुर्ती और दक्षता पर उन लोगों की नजर रहेगी, जो आपका कोई हित पूरा करने में सक्षम हैं. आपकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति होगी और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आप बहुत सकारात्मक मानसिकता के साथ आगे बढ़ेंगे. आज आप उम्र में अपने से कहीं बड़े किसी व्यक्ति की ओर बहुत ज्यादा आकर्षित महसूस कर सकते हैं. अगर वह व्यक्ति आपके दफ्तर में ही है, तो आप उससे थोड़ा सावधान ही रहें, वह नौकरी-धंधे के क्षेत्र में आगे बढ़ने की आपकी उत्कंठा के बहाने आपसे नजदीकी बढ़ाना चाह सकता है. आप इस प्रसंग में नहीं पड़ते हैं, तो भी आपको वेतन वृद्धि या प्रमोशन मिल सकता है.

Scorpio

11 फरवरी 2020: आज आप अपने अन्तर मन के विकारों को कुछ शान्त करने में ध्यान देगे। किन्तु कोई बड़ी सफलता इस दिशा में आपको अर्जित नहीं होगी। जिससे आप कुछ परेशान होगे। हालांकि धन निवेश व विदेश के कामों में अच्छी प्रगति होगी। आज आपके आगमन की प्रतीक्षा में कुछ लोग होगे। इस दौरान आपका सम्मान बढ़ा हुआ होगा। 

Sagittarius

11 फरवरी 2020: आज आप कई शुभ व अच्छे कामों को करने के लिए तैयार होगे। जिससे आपको अच्छा लाभ होगा। स्वास्थ्य के लिहाज से आज का दिन अच्छा होगा। ऐसा आपके ग्रह संकेत कर रहें है।  आज निवेश, संवाद, लेखन, तकनीक के क्षेत्रों में आपको विशिष्ठ सम्मान प्राप्त होगा। किन्तु विदेश के कामों में परेशान होगे।

Capricorn

11 फरवरी 2020: आज आपके लिए दिन अच्छा रहेगा. आप आम तौर पर संतुष्ट रहेंगे. आप अपनी उन्नति और प्रगति की दिशा में आज बहुत कारगर और महत्वपूर्ण किस्म के निर्णय लेंगे. आज आपको जमीन-जायदाद के और अदालती मामलों में सफलता मिलेगी. दिन मित्रों की संगति में या मित्रों के कामों में व्यस्तता में बीतेगा. दिन भर मित्रों से फोन पर बात करते रहेंगे. आज आप जिससे भी मिलेंगे, उससे आपके मित्रवत संबंध हो जाएंगे. लेकिन प्रेमी के साथ, जीवनसाथी के साथ या अन्य नजदीकी संबंधों में उतार-चढ़ाव रहेगा. खासतौर पर जीवनसाथी से आप बहुत नाराज हो सकते हैं, लेकिन कोई भी और बात मन में लाने के पहले अपनी शिकायतों पर आप अपने जीवनसाथी से खुल कर बात करें. आप पाएंगे कि आपका कोई विवाद था ही नहीं. पैसों को लेकर मन में चिंता बनी रहेगी. लेकिन कोई न कोई समाधान भी आसानी से मिल जाएगा. आज बेरोजगारों को मित्रों की मदद से रोजगार या कोई पार्टटाइम काम मिल सकता है.

Aquarius

11 फरवरी 2020: आज का दिन आपके लिए बहुत उज्ज्वल और बहुत सारी उमीदों से भरा हुआ है. आज आप बहुत कठिन किस्म के मसलों को भी बहुत सरलता से सुलझा लेंगे और निपटा लेंगे. आप की जो भी नई योजनाएं हैं, उनके बारे में आप अपने निकट से निकट व्यक्ति को भी कुछ भी न बताएं. वास्तव में आपकी योजना और आपके इरादे इतने अनूठे हैं, कि वे सामान्य लोगों की समझ के दासरे से बाहर हैं. कल्पना की जितनी बड़ी उड़ान आप उड़ रहे हैं, वह हर किसी के वश की बात नहीं है और इसल कारण लोग आज आपकी बात समझने की स्थिति में नहीं हैं. आप उन्हें समझाने की कोशिश में भी न पड़ें. आप अपना काम शुरू कर दें. जब आपका काम सामने आने लगेगा, तो लोग अपने आप आपकी तारीफ करने लगेंगे. आज छोटे बच्चों के बीच और दूसरी ओर बहुत विद्वान लोगों के बीच आपका बहुत मन लगेगा. संतान और युवा लोगों से जुड़े मामलों, शिक्षा और राजनीति के क्षेत्रों में आज आप बहुत सफल रहेंगे. हालांकि आपको कड़ी मेहनत करनी होगी.

Pisces

11 फरवरी 2020: आज चंद्रमा आपकी राशि से चौथा रहेगा. आज ग्रहों की स्थिति आपके लिए सकारात्मक नहीं है. आज का दिन आपके लिए किसी न किसी तरह की परेशानी और समस्याओं से भरा हुआ है. आप नकारात्मक भावनाओं से बचकर रहें. आज आपको जो भी काम करना है, उसके लिए पहले से योजना की योजना बना लें. अगर किसी काम में सफलता न मिले या विलंब हो, तो निराश न हों. आपको जो भी सफलता मिलनी है, उसके लिए अभी एक दो दिन प्रतीक्षा करनी होगी. तब तक धैर्य रखें. आज आपकी वेशभूषा में, बातचीत की शैली में और दिनचर्या में थोड़ा परिवर्तन होगा. इस परिवर्तन से आप प्रसन्न भी महसूस करेंगे. परिस्थितियां धीरे-धीरे आपके अनुकूल होती जाएंगी. आज आपको अपने महत्वपूर्ण कार्यों में मित्रों और परिवार वालों की पूरी मदद मिलेगी. रोमांस के मामलों में आज आप पहल न करें. आज कुछ नया न करें.

CAA-NRC के दौरान पत्रकारों पर हुए घातक हमले

मीडियाकर्मियों पर हुए इन हमलों की संख्या केवल 12 तक ही सीमित नहीं हैं। यदि पाठकों को मीडियाकर्मियों पर हुए हमले से जुड़ी अन्य घटनाओं के बारे में पता है, तो वो हमें उन घटनाओं से अवगत करा सकते हैं। हम उन्हें इस लेख में जोड़कर इस लेख को अपडेट कर देंगे।

मीडिया को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, जिसकी भूमिका बेहद अहम है। ऐसे में मीडियाकर्मियों पर हमला इस ओर इशारा करता है कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने में कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। लेकिन ये कर कौन रहा है? हाल के दौरान, CAA-NRC के ख़िलाफ़ देश में चल रहे हिंसक-प्रदर्शनों में आए दिन ऐसी ख़बरें सामने आईं, जहाँ पत्रकारों पर हमला कर दिया गया और उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया।

इससे यह साफ़ पता चलता है कि पत्रकारों को निशाना बनाने का काम एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है, जिससे फ़र्ज़ी ख़बरों को फैलाने वाले अराजक तत्व जनता के सामने सही ख़बर को लाने से रोक सकें।

हालिया मामला न्यूज़ नेशन के वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया का है, जिन्हें शाहीन बाग में CAA के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुछ गुंडों ने उनके साथ न सिर्फ़ बदसलूकी की बल्कि उनके साथ हाथापाई करते हुए उनका कैमरा तक तोड़ दिया। बता दें कि दीपक चौरसिया के साथ अभद्रतापूर्ण किया गया यह व्यवहार किसी पत्रकार के साथ पहली बार नहीं हुआ है। इस लेख में हम आपको उन 12 घटनाओं के बार में बताएँगे जहाँ पत्रकारों व उनकी टीम को निशाना बनाया गया। अप्रैल 2019 से अभी तक की इन 12 घटनाओं के बारे में क्रम से नीचे पढ़ें:

1. रिपब्लिक टीवी, इंडिया टुडे के पत्रकारों पर TMC के गुंडों ने बरसाई लाठियाँ, महिला पत्रकार को भी नहीं बख़्शा

2019 में लोकसभा चौथे चरण के चुनाव के दौरान जहाँ सारा देश लगभग शांति से मतदान कर रहा था, वहीं पश्चिम बंगाल से हिंसा और धांधली की खबरें आईं। इन खबरों को कवर करने गई रिपब्लिक टीवी ने बताया है कि इस दौरान TMC के गुंडों ने उन पर हमला किया गया। रिपब्लिक टीवी के अनुसार, उनकी पत्रकार शांताश्री, अपने साथी पत्रकार के साथ आसनसोल से रिपोर्टिंग कर रही थीं। 

पत्रकार शांताश्री, अपने साथी पत्रकार के साथ आसनसोल से रिपोर्टिंग कर रही थीं। वहाँ TMC के गुंडों ने लाठियों से उनकी कार पर हमला किया और खिड़की तोड़ दी। शांताश्री ने बताया कि वे भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो की कार के पीछे-पीछे चल रहे थे। अचानक से TMC के गुंडे भड़क गए और उन्होंने उन पर हमला कर दिया। ख़बर के अनुसार, जिन-जिन मीडिया वाहनों ने भाजपा नेता की कार का पीछा किया, उन्हें ही निशाना बनाया गया। गुंडों ने कथित तौर पर मीडियाकर्मियों को गालियाँ दीं और जब उन्हें रिपोर्ट करने की कोशिश की गई तो उनका पीछा किया गया। इससे पहले, TMC कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर आसनसोल में सुप्रियो की कार पर हमला किया था।

वहाँ TMC के गुंडों ने लाठियों से उनकी कार पर हमला किया और खिड़की तोड़ दी। शांताश्री ने बताया कि वे भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो की कार के पीछे-पीछे चल रहे थे। अचानक से TMC के गुंडे भड़क गए और उन्होंने उन पर हमला कर दिया। रिपब्लिक टीवी के चालक दल के अलावा, इंडिया टुडे के चालक दल और पत्रकार मनोग्य लोईवाल पर भी कथित तौर पर TMC के गुंडों द्वारा ही हमला किया गया।

2. मध्य प्रदेश: दिनदहाड़े पत्रकार पर जानलेवा हमला, कॉन्ग्रेस नेता गोविंद सिंह पर लगा आरोप, लिबरल गैंग मौन

मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले में स्थानीय पत्रकार रीपू धवन से मारपीट की एक वीडियो सोशल मीडिया पर 30 सितंबर 2019) को वायरल हुआ। वीडियो में यह साफ़तौर पर दिखा कि दिनदहाड़े कुछ बदमाश पत्रकार को ज़मीन पर लिटाकर बेरहमी से लगातार मार रहे थे। पत्रकार लाचार ज़मीन पर पड़ा है और उस पर चारों ओर से लाठियाँ बरस रही थीं। पूरी घटना वीडियो कैमरे में कैद हो गई थी, लेकिन सभी हमलावर बदमाशों ने अपने मुँह पर कपड़ा बाँधा हुआ था। वहीं, पत्रकार का आरोप था कि उसपर ये हमला कॉन्ग्रेस नेता गोविंद सिंह के आदेश पर हुआ।

वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि दिनदहाड़े पत्रकार के पीटे जाने के बाद भी बात-बे-बात पर शोर मचाने वाली लिबरल गैंग मौन है क्योंकि यहाँ शासन कॉंग्रेस का है, सत्ता में कमलनाथ और आरोपित कॉन्ग्रेस नेता गोविंद सिंह।

इससे पहले मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस नेता का नाम जबलपुर में पत्रकार पर हुए हमले में भी आया था। जहाँ कॉन्ग्रेस नेता एवं बिल्डर सत्यम जैन और मयूर जैन ने पत्रकार आलोक दिवाकर पर जानलेवा हमला किया था और उन्हें बुरी तरह मारा था।

3. इसके मज़े लो: JNU में महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी, गूँजा ‘हिन्दी मीडिया मुर्दाबाद’ का नारा

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) लंबे समय से देश-विरोधी नारेबाजी आदि के लिए, नकारात्मक बातों के लिए ही चर्चा में रहती है। ज़ी न्यूज़ चैनल की एक महिला पत्रकार किसी मुद्दे पर जानकारी जुटाने के लिए विश्वविद्यालय के परिसर में पहुँची। इस दौरान उनके द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने की बजाय वहाँ मौजूद छात्र-छात्राओं ने उनके साथ न सिर्फ़ अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया बल्कि मारपीट भी की। महिला पत्रकार बार-बार स्टूडेंट्स से उनके मसले के बारे में पूछती रही, लेकिन स्टूडेंट्स ने उनकी एक नहीं सुनी और उनके साथ बदतमीज़ी करते रहे।

जिस परिसर में महिला पत्रकार कुछ स्टूडेंट्स से सवाल करती नज़र आ रही थीं, वहाँ मौजूद छात्रों के झुंड में से कुछ ने यह कहकर फ़ब्तियाँ कस रहे थे कि ‘इन्हें घेरो मत, मजा लो’। इतना सुनने के बाद जब महिला पत्रकार ने उन शब्दों पर आपत्ति जताते हुए सवाल किया तो उनमें से एक छात्र ने कहा, “यहाँ सब आपका मज़ा ले रहे हैं।” महिला पत्रकार ने जब पूछा कि आप लोग यहाँ पढ़ाई करने आते हैं या मज़ा लेने आते हैं? इस सवाल के जवाब पर स्टूडेंट्स के झुंड ने एक साथ ‘हिन्दी मीडिया मुर्दाबाद’ के नारे लगाए और मीडियाकर्मियों को कैमरे बंद करने के लिए कहा।

4. झारखंड: कॉन्ग्रेस कैंडिडेट ने बूथ के बाहर लहराए हथियार, समर्थकों ने पत्रकारों को पीटा

झारखंड में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 13 सीटों पर 30 नवंबर 2019 को वोट पड़े। डाल्टनगंज के एक बूथ के बाहर कॉन्ग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी का हथियार लहराते वीडियो सामने आया था। उनके समर्थकों और भाजपा प्रत्याशी आलोक चौरसिया के समर्थकों के बीच झड़प की खबर भी सामने आई। मीडिया ​रिपोर्टों के मुताबिक घटना को कैमरे में कैद कर रहे पत्रकारों की पिटाई भी त्रिपाठी समर्थकों ने की।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार पूर्वडीहा गॉंव में कॉन्ग्रेस नेता केएन त्रिपाठी त्रिपाठी के समर्थकों ने निजी चैनल के पत्रकार और कैमरामैन को पीट डाला। उनका कैमरा भी तोड़ दिया।

5. जामिया में प्रदर्शनकारी छात्रों की गुंडागर्दी, ABP की महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी

जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के छात्रों का प्रदर्शन अब भी आक्रामकता के दौर से गुजर रहा था। 15 दिसंबर 2019 को छात्रों का विरोध-प्रदर्शन अचानक से हिंसक हो उठा, जब जामिया नगर से 4 बसों को जलाए जाने की ख़बर आई। कई मेट्रो स्टेशनों को बंद करना पड़ा, कई इलाक़ों में लम्बा ट्रैफिक जाम लगा और लोगों को ख़ासी परेशानी का सामना करना पड़ा। जामिया के छात्रों ने पत्रकारों को भी अपने चपेट में ले लिया था। यहाँ तक कि महिला रिपोर्टरों को भी नहीं बख्शा गया।

इस दौरान, एबीपी न्यूज़ की पत्रकार प्रतिमा मिश्रा लगातार छात्रों से पूछती रही थीं कि क्या यही उनका शांतिपूर्ण प्रदर्शन है, लेकिन छात्रों ने महिला रिपोर्टर को घेर कर उनके साथ बदतमीजी की और नारेबाजी शुरू कर दी। वो बार-बार पूछती रहीं कि आप एक महिला के साथ गुंडागर्दी क्यों कर रहे हैं लेकिन जामिया के प्रदर्शनकारी छात्र लगातार बदसलूकी करते रहे।

6. जामिया मिलिया के बाहर ANI पत्रकारों पर हमला, हॉस्पिटल भेजे गए: अन्य रिपोर्टरों से भी हो चुकी है बदसलूकी

नागरिकता सेशोधन क़ानून का विरोध कर रहे जामिया के छात्रों ने समाचार एजेंसी ANI के दो कर्मचारियों पर 16 दिसंबर, 2019 को दोपहर हमला कर दिया गया, जब वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों को कवर करने गए थे। ANI के पत्रकार और कैमरामैन पर हमला यूनिवर्सिटी के गेट नंबर-1 के पास हुआ। हमले में घायल हुए पत्रकार उज्जवल रॉय और कैमरामैन सरबजीत सिंह को होली फैमिली हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

नागरिकता विधेयक में संशोधन के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन की नकली परतें उतर रहीं हैं, और असली चेहरा सामने आ रहा है। पहले ‘शांतिपूर्ण’ की परत उतरी, और प्रदर्शनकारियों ने पथरबाज़ी शुरू कर दी। फिर ‘सेक्युलर’ की परत उतरी, जब “हिन्दुओं से आज़ादी” के नारे लगे, और अपनी बात साबित करने के लिए (अंग्रेज़ी में कहें तो, टु ड्राइव होम ए पॉइंट) प्रदर्शन स्थल पर हुजूम ने नमाज़ पढ़ी, मुहर्रम की तरह नंगे बदन ‘मातम’ मनाने तथाकथित छात्र सड़क पर उतर पड़े। और अब ‘लोकतान्त्रिक’ का भी नकली मुलम्मा उतर कर गिर गया है, जब ‘लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ’ बताए जाने वाले मीडिया पर हमला हो रहा है। वह भी केवल इसलिए, क्योंकि मीडिया ने वह करने की ‘जुर्रत’ की, जो उसका काम है- लोगों का, प्रदर्शनों का सच कवर करना।

7. गिरफ़्तार हुआ पत्रकारों की पिटाई करने करने वाला कॉन्ग्रेस नेता, फरार होकर भी चला रहा था फेसबुक

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) समेत कई विपक्षी दलों ने 21 दिसंबर 2019 को बिहार बंद का आयोजन किया था। उसी समय कॉन्ग्रेस के नेता आशुतोष शर्मा ने एक पत्रकार की न सिर्फ़ पिटाई की थी बल्कि कई अन्य मीडियाकर्मियों के साथ भी बदतमीजी की थी। उसने कई अख़बारों के पत्रकारों व फोटोग्राफरों की पिटाई की थी। कॉन्ग्रेस नेता ने पत्रकारों के कैमरे व अन्य उपकरणों को तो तोड़ ही डाला गया था साथ ही पत्रकारों के मोबाइल फोन को भी नहीं बख्शा था। साथ ही एक फोटोग्राफर का सिर फोड़ डाला था। इसके बाद वो कई दिनों तक फ़रार रहे।

फरारी के दौरान भी उसने अपने फेसबुक पेज पर अपना फोटो पोस्ट किया था। उससे पहले उसने न सिर्फ़ एक पत्रकार की पिटाई की थी बल्कि कई अन्य मीडियाकर्मियों के साथ भी बदतमीजी की थी। उसने कई अख़बारों के पत्रकारों व फोटोग्राफरों की पिटाई की थी। पत्रकारों के कैमरे व अन्य उपकरणों को भी तोड़ डाला गया था। पत्रकारों के मोबाइलों को भी नहीं बख्शा गया था। एक फोटोग्राफर का सिर फोड़ डाला गया था। आशुतोष पटना जिला ग्रामीण कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष है।

8. ‘तेरी माँ की…’ गाली देने वाला है The Hindu का पूर्व जर्निलस्ट, रेप पीड़िता को भी कह चुका है K*tti, har*#zadi

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) कैंपस में 5 जनवरी को नकाबपोश गुंडों ने धावा बोला और हॉस्टल में छात्रों को निशाना बनाया था। लाठी, पत्थरों और लोहे की छड़ों के साथ गुंडों ने हाथापाई, मारपीट और खिड़कियों, फर्नीचर सामानों में तोड़फोड़ की। इसी दौरान रिपब्लिक भारत के रिपोर्टर पीयूष मिश्रा भी रिपोर्टिंग करने वहाँ पहुँचे थे। वहाँ पर उपस्थित छात्रों के साथ ही फ्रीलांस जर्नलिस्ट अभिमन्यु सिंह उर्फ अभिमन्यु कुमार ने भी गाली-गलौच और बदसलूकी की। बता दें कि अभिमन्यु सिंह मीडिया संस्थान द हिन्दू, संडे गार्डियन में काम कर चुके हैं और फिलहाल ऑनलाइन पोर्टल जनता की आवाज के साथ जुड़े हुए हैं।

ऑपइंडिया की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद हरियाणा की रहने वाली एक महिला मीना (बदला हुआ नाम) ने उनसे संपर्क किया था और आरोप लगाया था कि फ्रीलांस जर्नलिस्ट अभिमन्यु सिंह ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें ‘K*tti’ और ‘har*mzadi’ कहा।

9. रिपब्लिक के पत्रकार के साथ धक्का-मुक्की कर चुकी है वामपंथियों को कोचिंग देने वाली ‘इंडिया टुडे’ की तनुश्री

12 जनवरी 2020 को ऑपइंडिया ने ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार के वायरल वीडियो को लेकर एक ख़बर प्रकाशित की थी। उस वीडियो में देखा जा सकता था है कि पत्रकार तनुश्री पांडेय जेएनयू के सर्वर रूम में वामपंथी छात्रों को सिखाती हुई दिख रही थीं कि उन्हें कैमरे के सामने क्या बोलना है?

इसके बाद एक वीडियो सामने आया था कि ‘इंडिया टुडे’ की तनुश्री पांडेय जेएनयू छात्र संगठन की अध्यक्ष आईसी घोष के साथ मिल कर ‘रिपब्लिक टीवी’ के पत्रकार के साथ धक्का-मुक्की की थी। पत्रकार तनुश्री, वामपंथी छात्र नेता आईसी व अन्य वामपंथी छात्रों ने ‘रिपब्लिक टीवी’ के पत्रकार के साथ सिर्फ़ इसीलिए धक्का-मुक्की की थी क्योंकि उन्होंने कुछ सवाल पूछे थे। ये घटना नवंबर 20, 2019 की थी, जब जेएनयू में हॉस्टल फी बढ़ाने को लेकर हंगामा चल रहा था।

10. कॉन्ग्रेस नेता का बेहूदा रवैया: मेट्रो में सुरक्षकर्मियों को धमकी, महिला पत्रकार से बदसलूकी – वायरल हुआ Video

15 जनवरी 2020 को इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार तबस्सुम ने अपने ट्विटर पर मेट्रो स्टेशन पर हुए एक वाकये को शेयर किया था। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था, मेट्रो स्टेशन में घुसते ही उन्होंने किसी को यह कहते सुना था, “तुम जानते हो मैं पार्षद हूँ।” जब उन्होंने पास जाकर देखा तो वो कॉन्ग्रेस नेता विक्रांत चव्हाण थे। वो मेट्रो स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों पर तेज आवाज में चिल्ला रहे थे और सुरक्षाकर्मी उन्हें शांत करने की कोशिश में जुटे थे।

इसके बाद तबस्सुम ने साजिद नाम के सुरक्षाकर्मी से पूछा कि आखिर हुआ क्या है? साजिद ने बताया,”ये पार्षद हैं, यही कारण है कि ये चिल्ला रहे हैं और किसी की सुन ही नहीं रहे।” कॉन्ग्रेस नेता का ऐसा रवैया देख, तबस्सुम ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने बड़े आराम से चव्हाण को शांत हो जाने को कहा, लेकिन उनकी आवाज़ और तेज़ हो गई। वो पत्रकार को कहने लगे, “तू जा यहाँ से, मैं विक्रांत चव्हाण हूँ। पार्षद।” बस फिर क्या, तबस्सुम मे पूरे मामले की वीडियो बनानी शुरू कर दी। जिसे देखकर चव्हाण नाराज हो गए और तबस्सुम के हाथ पर मारकर वीडियो रोकने की कोशिश की।

11. CPI नेता अमीर जैदी ने टीवी डिबेट में दीपक चौरसिया को दी गाली, बताया भ*वा पत्रकार

“रंज की जब गुफ्तगू होने लगी आप से तुम तुम से तू होने लगी।” मशहूर शायर दाग दहलवी की ये शायरी तब प्रासंगिक नजर आई जब CPI के पार्टी प्रवक्ता अमीर हैदर ज़ैदी ने टीवी पर बहस के दौरान टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया को ‘तू-ता’ कहकर गालियाँ देते नजर आए। इसके अलावा, CPI के पार्टी प्रवक्ता ने दीपक चौरसिया को गाली देते हुए उन्हें ‘भ*वा पत्रकार’ तक कह दिया था। इसके बाद वो इतने पर भी नहीं रुके और दीपक चौरसिया पर और भी आरोप लगाते हुए ज़ैदी उन्हें भ*वा कहते हुए भद्दी गालियाँ देते हुए उन्हें दोहराते रहे। हालाँकि, इस दौरान दीपक चौरसिया सिर्फ मंद-मंद मुस्कुराते हुए ज़ैदी के आरोप सुनते रहे।

इस निंदनीय घटना को दीपक चौरसिया ने ट्वीट करते हुए लिखा था, “जब किसी संगठन की वैचारिक तर्कशक्ति मर जाती है, तो वो गाली-गलौच पर आ जाता है! मुझे गाली देने से आपका स्वास्थ्य अच्छा होता है तो और दीजिए। लेकिन जैदी साहब, बच्चों के दिमाग में अपनी मानसिक कुंठा मत भरिए!”

12. अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए शाहीन बाग के गुंडों ने की पत्रकार दीपक चौरसिया से मारपीट, कैमरा भी तोड़ा

शाहीन बाग़ में चल रहे CAA-विरोधी प्रदर्शन में न्यूज़ नेशन के वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया के साथ 24 जनवरी 2020 को वहाँ प्रदर्शन कर रहे गुंडों ने बदसलूकी की। यही नहीं, उनके साथ हाथापाई करने के बाद उनका कैमरा भी तोड़ दिया गया। इस दौरान सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो में धक्का-मुक्की कर रही भीड़ को अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते भी सुना गया।

यह घटना तब हुई जब न्यूज़ नेशन के पत्रकार दीपक चौरसिया शाहीन बाग़ घटना को कवर करने गए थे। उन्होंने एक वीडियो के ज़रिए बताया था कि शाहीन बाग में प्रदर्शन के नाम पर कई असामाजिक तत्व हिंसा फैला रहे हैं। साथ ही न्यूज नेशन के कैमरामैन का कैमरा तोड़ दिया गया।

नोट: मीडियाकर्मियों पर हुए इन हमलों की संख्या केवल 12 तक ही सीमित नहीं हैं। यदि पाठकों को मीडियाकर्मियों पर हुए हमले से जुड़ी अन्य घटनाओं के बारे में पता है, तो वो हमें उन घटनाओं से अवगत करा सकते हैं। हम उन्हें इस लेख में जोड़कर इस लेख को अपडेट कर देंगे।

आठ दिन और छ्ह फैसले

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ 31-अक्टूबर:

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर की 17 तारीख को रिटाइर हो रहे हैं  उन्हें छह महत्त्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाना है। सुप्रीम कोर्ट में इस समय दिवाली की छुट्टियां चल रही हैं और छुट्टियों के बाद अब काम 4 नवंबर को शुरू होगा।

अयोध्या बाबरी मस्जिद मामला, राफल समीक्षा मामला , राहुल पर अवमानना मामला, साबरिमाला , मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का मामला और आर टी आई अधिनियम पर फैसले आने हैं।

अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला इन सभी मामलों में सर्वाधिक चर्चित है अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला। पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है और 16 अक्टूबर को अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा। इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ही कर रहे हैं। इस विवाद में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित 2 .77 एकड़ विवादित जमीन पर किसका हक़ है, इस बात का फैसला होना है। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि यह भूमि भगवान राम के जन्मभूमि के आधार पर न्यायिक व्यक्ति है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि मात्र यह विश्वास की यह भगवान राम की जन्मभूमि है, इसे न्यायिक व्यक्ति नहीं बनाता। दोनों ही पक्षों ने इतिहासकारों, ब्रिटिश शासन के दौरान बने भूमि दस्तावेजों, गैज़ेट आदि के आधार पर अपने अपने दावे पेश किये है। इस सवाल पर कि क्या मस्जिद मंदिर की भूमि पर बनाई गई? आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट भी पेश की गई।

 रफाल समीक्षा फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ के 10 मई को रफाल मामले में 14 दिसंबर को दिए गए फैसले के खिलाफ दायर की गई समीक्षा रिपोर्ट पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह मामला 36 रफाल लड़ाकू विमानों के सौदे में रिश्वत के आरोप से संबंधित है। इस समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता एडवोकेट प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने मीडिया में लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार ने फ्रेंच कंपनी (Dassault) से 36 फाइटर जेट खरीदने के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सूचनाओं को छुपाया है। कोर्ट ने इस मामले में उन अधिकारियों के विरुद्ध झूठे साक्ष्य देने के सन्दर्भ में कार्रवाई भी शुरू की जिन पर यह आरोप था कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को गुमराह किया है। 10 अप्रैल को अदालत ने इस मामले में द हिन्दू आदि अखबारों में लीक हुए दस्तावेजों की जांच करने के केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को दरकिनार कर दिया था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि ये दस्तावेज सरकारी गोपनीयता क़ानून का उल्लंघन करके प्राप्त किए गए थे, लेकिन पीठ ने इस प्रारंभिक आपत्तियों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि साक्ष्य प्राप्त करने में अगर कोई गैरकानूनी काम हुआ है तो यह इस याचिका की स्वीकार्यता को प्रभावित नहीं करता।

राहुल गांधी के “चौकीदार चोर है” बयान पर दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा रफाल सौदे की जांच के लिए गठित मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी के खिलाफ मीनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा। राहुल गांधी ने रफाल सौदे को लक्ष्य करते हुए यह बयान दिया था कि “चौकीदार चोर है।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी इस टिपण्णी के लिए माफी मांग ली थी।

सबरीमाला समीक्षा फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सबरीमाला मामले में याचिकाकर्ताओं को एक पूरे दिन की सुनवाई देने के बाद समीक्षा याचिका पर निर्णय को फरवरी 6 को सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में ट्रावनकोर देवस्वोम बोर्ड, पन्दलम राज परिवार और कुछ श्रद्धालुओं ने 28 दिसंबर 2018 को याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में अपनी दलील में यह भी कहा था कि संवैधानिक नैतिकता एक व्यक्तिपरक टेस्ट है और आस्था के मामले में इसको लागू नहीं किया जा सकता। धार्मिक आस्था को तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। पूजा का अधिकार देवता की प्रकृति और मंदिर की परंपरा के अनुरूप होना चाहिए। यह भी दलील दी गई थी कि फैसले में संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत ‘अस्पृश्यता’ की परिकल्पना को सबरीमाला मंदिर के सन्दर्भ में गलती से लाया गया है और इस क्रम में इसके ऐतिहासिक सन्दर्भ को नजरअंदाज किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के अधीन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4 अप्रैल को सीजेआई कार्यालय के आरटीआई अधिनियम के अधीन होने को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2010 के फैसले के खिलाफ चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सीजेआई का कार्यालय आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’है। वित्त अधिनियम 2017 की वैधता पर निर्णय ट्रिब्यूनलों के अधिकार क्षेत्र और स्ट्रक्चर पर डालेगा प्रभाव राजस्व बार एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस याचिका में वित्त अधिनियम 2017 के उन प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिनकी वजह से विभिन्न न्यायिक अधिकरणों जैसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण, आयकर अपीली अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी क़ानून अपीली अधिकरण के अधिकार और उनकी संरचना प्रभावित हो रही है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि वित्त अधिनियम जिसे मनी बिल के रूप में पास किया जाता है, अधिकरणों की संरचना को बदल नहीं सकता।

यौन उत्पीडन मामले में सीजेआई के खिलाफ साजिश मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों की साजिश की जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति एके पटनायक ने की और जांच में क्या सामने आता है, इसका इंतज़ार किया जा रहा है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन और दीपक गुप्ता की पीठ ने न्यायमूर्ति पटनायक को एडवोकेट उत्सव बैंस के दावों के आधार पर इस मामले की जांच का भार सौंपा था। उत्सव बैंस ने कहा था कि उनको किसी फ़िक्सर, कॉर्पोरेट लॉबिस्ट, असंतुष्ट कर्मचारियों ने सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एप्रोच किया था। ऐसा समझा जाता है कि न्यायमूर्ति पटनायक ने इस जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है।


उत्तराखंड में निकाय चुनाव जल्द

उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरह जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा. shayad शायद भाजपा जो पूर्वोत्तर राज्यों में निकाय चुनाव जीतती जा रही है वह उत्तराखंड में कहीं हार न जाये?

उत्तराखंड: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार जागी है. कोर्ट ने राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर पंचायत चुनाव करने के निर्देश दिए हैं. इस बीच सरकार की तरफ से आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. राज्य निर्वाचन आयोग भी अपनी तैयारियों में जुट गया है . इस बार की खास बात यह है कि जिनके दो बच्चों से ज्यादा हैं वह पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसके लिए सरकार की तरफ से विधानसभा से एक्ट पास करवाया जा चुका है. उत्तराखंड में 7797 ग्राम पंचायत 95 क्षेत्र पंचायत और तेरा जिला पंचायत है इन पंचायतों का कार्यकाल पिछले महीने खत्म हो चुका है.

अब प्रशासक पंचायतों को देख रहे हैं. इस बीच सरकार ने पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया है. उत्तराखंड में पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% पद आरक्षित होते हैं. इसके अलावा जातिवाद आरक्षण के लिए भी शासन ने तैयारियां शुरू कर दी है. अगले हफ्ते तक आरक्षण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी हो सकती है.

सरकार को अगले डेढ़ महीने में पंचायतों में आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा करना होगा तभी सरकार नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 महीने में चुनाव संपन्न करा पाएगी. इस बार पंचायतों में शैक्षिक योग्यता भी तय हो चुकी है. सामान्य वर्ग के दावेदारों का चुनाव लड़ने के लिए 10वीं पास होना जरूरी होगा. जबकि अनुसूचित जाति जनजाति के दावेदारों का आठवीं पास होना जरूरी है.

अनुसूचित जाति जनजाति की महिला दावेदार के लिए कम से कम पांचवी पास होना जरूरी है. उत्तराखंड बीजेपी के महामंत्री अनिल गोयल का कहना है कि “हमारा इस समय सदस्यता अभियान चल रहा है. इसके साथ-साथ हमारी चुनाव लड़ने के लिए पूरी तैयारी है.

जिस दिन भी सरकार अधिसूचना जारी कर देगा उसी समय हम चुनाव के लिए तैयार हो जाएंगे.” दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और पूर्व विधायक गणेश गोदियाल का कहना है की “प्रदेश अध्यक्ष ने पहले ही जिला कार्यकारिणी यों को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है. सरकार समय से चुनाव कराने में विफल रही है.

यही वजह है कि नैनीताल हाईकोर्ट को इसमें निर्देश देना पड़ा है “. उत्तराखंड में अब एक बार फिर चुनावी घमासान शुरू होगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार समय पर क्यों चुनाव नहीं करवा पाई. और क्यों नैनीताल हाईकोर्ट को बीच में आदेश जारी करना पड़ा.

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण

रामकथा ने केवल भारत को ही नहीं एशिया के अन्य देशों को भी प्रेरित किया है। एक सहस्ताब्दी पूर्व भारतीय संस्कृति दक्षिण-पूर्वी एशिया में पहुँची और तभी से रामायण वहाँ के जन-जीवन में रस-बस गई। थाईलैंड, मलेशिया, कम्बोडिया, बर्मा, लओस आदि में रामकथा का प्रर्याप्त प्रचार है।

थाईलैंड और कम्बोडिया में रामकिर्ती प्रसिद्ध है। यहाँ रामलीला का आयोजन नृत्य-नाटक के रुप में होता है। इंडोनेशिया की रामलीला का आयोजन रंग-बिरंगे नृत्य के रुप में होता है। यहाँ रामायण की जनप्रिय ककाविन कवित्ते है जिनसे रामलीला के मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। नृत्य जावा व बाली द्वीपों में काफी प्रसिद्ध हैं। करीब सौ व्यक्तियों द्वारा खुली रंगशाला में खेला जाने वाला सुग्रीव वानर नृत्य भी अत्यन्त आकर्षक होता है। वायंगकुलैत नामक छायानृत्य काफी लोकप्रिय है जिसमें रामकथा के पात्र चमड़े के वस्र पहन कर नृत्य करते हैं।

नेपाल में रामलीला का आयोजन काफी बड़े पैमाने पर होता है। नेपाल में रामलीला मनोरंजन के लिए नहीं होता बल्कि धार्मिकता की भावना से की जाती है। नेपाली भाषा में अनूदित “भानु रामायण” पर आधारित रामकथा को प्रत्येक वर्ष पंचमी तिथि पर जानकी मंदिर में अनुप्राणित किया जाता है, क्योंकि लोगों का विश्वास है कि यहाँ सीता-राम का विवाह हुआ था।

यह भी पढ़ें : श्रीलंका में श्री रामायण के प्रमाण

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकारा रामायण कांक्लेव का आमंत्रण आगामी जनवरी माह में हिंदुस्तान में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय रामायण कांक्लेव का आमंत्रण गत 21 जुलाई को श्रीलंका में आयोजित समारोह में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने स्वीकार किया कांक्लेव के मुख्य प्रवक्ता महेंद्र चौधरी ने बताया की उपरोक्त समारोह में तकरीबन 10 से 12 देशों के वर्तमान व पूर्व राष्ट्राध्यक्ष सहित कई विद्वान व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कलाकार हिस्सा लेंगे इसी क्रम में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति श्री महिंदा राजपक्षे ने कार्यक्रम हेतु अपनी सहमति प्रदान की।

उपरोक्त कार्यक्रम के अंतर्गत नेपाल भूटान सिंगापुर मलेशिया थाईलैंड मारीशस फिजी दुबई इत्यादि देशों के शीर्ष लोगों को आमंत्रित करने का क्रम शुरू हो गया है कांक्लेव के निर्देशक दुष्यंत सिंह के अनुसार समूची रामचरितमानस को एक विशेष तरह के संगीत में  संगीतबद्ध कर उसका अंतरराष्ट्रीय फिल्मांकन किया जाएगा एवं उसका बृहद प्रचार प्रसार व प्रदर्शन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा। उपरोक्त संगीत में ही रचना में देश विदेश के दिग्गज कलाकार अपना स्वर देंगे।

रूचिन त्यागी के अनुसार जनवरी माह में तीन दिवसीय रामायण कांक्लेव में देश-विदेश से आ रहे महानुभाव प्रभु श्री राम व रामचरितमानस के ऊपर अपने विचार रखेंगे व उपरोक्त कार्यक्रम के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभु श्री राम के भक्तों को जोड़ने के साथ साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी एक वृहद रामायण कारी डोर की परिकल्पना को पंख लगेंगे आयोजकों के अनुसार उपरोक्त कार्यक्रम में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी व महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी व प्रभु श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या का प्रतिनिधित्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी आमंत्रण के साथ साथ कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद लिया जाएगा उपरोक्त कार्यक्रम की तैयारियां जोर शोर से जारी हैं व आयोजकों के अनुसार सन 2020 का कदाचित वैश्विक तौर पर यह सबसे बड़ा आयोजन होगा

2 की गिरफ्तारी से झपटमारी के सुलझे कई केस

पंचकुला, 17 जुलाई :-

कमलदीप गोयल, ह॰पु॰से॰, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के दिशा-निर्देशानुसार पंचकुला पुलिस द्वारा अपराधियों की धरपकड़ जारी रखते हुए अपराध शाखा सै0-26, पंचकुला की टीम द्वारा निरीक्षक अमन कुमार के नेतृत्व स॰उ॰नि॰ राममेहर सिंह, स॰उ॰नि॰ भीम सिंह, प्र॰सि॰ अशोक कुमार, प्र॰सि॰ रमेश, EHC रविश, सि॰ बसंत व सि॰ सुरेश के साथ साईबर सैल पंचकुला की ईमदाद से कार्यवाही करते हुए एक बड़ी कामयाबी हासिल की गई है ।

         अपराध शाखा सै॰-26 की टीम द्वारा अभियोग संख्या 214 दिनांक 09.07.2019 धारा 379-A IPC थाना चण्डीमंदिर मे दो आरोपियान अशोक कुमार उम्र 35 साल पुत्र जयपाल सिंह वासी गांव बिरालियान, थाना झिझाना, जिला शामली, उ॰प्र॰ तथा राजीव कोहली उर्फ राजू उम्र 33 साल पुत्र जादू राम वासी गांव खानपुर कलां, थाना झिझाना, जिला शामली, उ॰प्र॰ को विधी अनुसार गिरफ्तार किया गया है । दोनो आरोपियो ने दिनांक 09.07.2019 को सै॰-27, पंचकुला के मेन रोड पर बने पट्रोल पम्प से कुछ दूरी पर समय सुबह 6:30 बजे के करीब पैदल जा रहे बुजुर्ग से चैन झपट कर मौका से फरार हो गये थे । इसके अलावा भी ये दोनो आरोपी अन्य वारदातों में शामिल रहे है ।

         आरोपी अशोक के विरूद्ध उपरोक्त वारदात के अतिरिक्त दिल्ली मे 27, चण्डीगढ़ मे वर्ष 2016 मे 9 मामले, पंचकुला मे एक, उ॰प्र॰ मे एक, गुडगांव मे 10 तथा मोहाली मे 7 स्नैचिंग की वारदातों के मामले दर्ज है ।

         दूसरे आरोपी राजीव के विरूद्ध चैन स्नैचिंग के 6 मामले दिल्ली मे, 3 मामले चेन्नई मे दर्ज है व दोनों आरोपियो से जिला पंचकुला की छीना झपटी की अन्य वारदातों का भी खुलासा हो सकता है । दोनो आरोपियो चेन्नई, बैंगलौर मे भी जाकर चैन स्नेचिंग की वारदात करते है व आरामपरस्त जिन्दगी जीते है ।

दोनो आरोपी वारदात करने के बाद घूम-फिर कर आते थे तथा आते-जाते हुए वारदात को अन्जाम देते थे । दोनो आरोपी घूमने के लिये अमरनाथ गये तथा जाते हुए गंगोह, सहारनपुर मे वारदात की थी । दोनो आरोपी पंचकुला मे वारदात करने उपरान्त जम्मू घूमने गये थे तथा वहां अमरनाथ की यात्रा से वापिस आते हुए अपराध शाखा सै0-26 की टीम को गुप्त सूचना मिली की दिनांक 09.07.2019 को सै0-27 के पैट्रोल-पम्प के पास चैन स्नैचिंग की वारदात जिन व्यक्तियों ने की थी आज वो आरोपियान UP-11BF-8638 नम्बर की डस्टर गाडी मे आ रहे है और पंचकुला के रास्ते यमुनानगर होते हुए उ0प्र0 जायेगे । जो सूचना मिलते ही अपराध शाखा की टीम ने तुरन्त कार्यवाही करते हुए आरोपियो को माजरी चौक पर काबू कर लिया । आरोपियो को पेश माननीय न्यायालय करके 5 दिन का पुलिस रिमाण्ड प्राप्त किया गया । दौराने रिमाण्ड आरोपियो ने दिनांक 09.07.2019 को सै0-27, पंचकुला के मेन रोड पर बने पट्रोल पम्प पर की गई वारदात मे इस्तेमाल की गई मोटरसाईकिल व स्नैच की गई सोने की चेन बरामद करवाई है तथा गंगौह सहारनपुर मे स्नैच की गई चेन भी आरोपियो से बरामद हुई है व पंचकुला मे जून माह मे सै0-11, व सै0-7 मे दो औरतों से चेन स्नैचिंग की वारदात की है । इसके अलावा दोनो आरोपियान ने पिछले 5-6 माह के दौरान भी दिल्ली, हरियाणा व उ0प्र0 मे लगभग 20 के करीब चेन स्नैचिंग की वारदातो को अंजाम जाना माना है ।

सैक्टर-11 की वारदात मे अभियोग संख्या 213 दिनांक 03.06.19 धारा 379-A IPC थाना सैक्टर-5, पंचकुला दर्ज किया गया था । जिसमे दिनांक 03.06.19 को दोनो आरोपी शिकायतकर्ता महिला के घर आकर पानी पीने व पता पूछने के बहाने उसके गले से 35 ग्राम वजनी सोने की चेन छीन कर फरार हो गये थे ।

सैक्टर-7, पंचकुला की वारदात मे अभियोग संख्या 241 दिनांक 14.06.19 धारा 379-A IPC थाना सैक्टर-5, पंचकुला दर्ज किया गया था । जिसमे दोनो आरोपी शिकायतकर्ता महिला के घर के बाहर से चेन छीन कर फरार हो गये थे । 

आपातकाल कब – क्यूँ और कैसे ?

साभार DNA ज़ी न्यूज़

25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी यानी आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. आज़ाद भारत में इमरजेंसी के 21 महीनों के दौरान संवैधानिक अधिकारों को कुचल कर मनमाने ढंग से सत्ता चलाई गई. 25 जून 1975 को Doctor भीम राव अंबेडकर के लिखे संविधान की कीमत…एक साधारण किताब जैसी हो गई थी. इस तारीख़ को गांधीवाद की माला जपने वाली कांग्रेस ने महात्मा गांधी के आदर्शों और उसूलों की हत्या कर दी थी. देश एक ऐसे अंधेरे में डूब गया था, जहां सरकार के विरोध का मतलब था जेल. ये वो दौर था जब अपने अधिकारों को मांगने के लिए भी जनता के पास कोई रास्ता नहीं बचा था, क्योंकि अखबारों में वही छपता था, जो सरकार चाहती थी. रेडियो में वही समाचार सुनाई देते थे, जो सरकार के आदेश पर लिखे जाते थे.

25 जून को इमरजेंसी के 44 वर्ष पूरे हो जाएंगे. भारत में कम से कम दो पीढ़ियां ऐसी हैं, जो इमरजेंसी के बाद पैदा हुईं. और उनमें से सबसे युवा पीढ़ी को तो शायद इमरजेंसी के बारे में पता ही नहीं होगा. इसलिए, हम DNA में इमरजेंसी का विश्लेषण करने वाली एक सीरीज़ शुरू कर रहे हैं. जिसमें हम हर रोज़ आपको इमरजेंसी की अनुसनी कहानियां बताएंगे…ताकि हमारे हर उम्र के दर्शक इसके बारे में अच्छी तरह समझ सकें.

इमरजेंसी क्यों लगाई गई? इसके पीछे इंदिरा गांधी की मंशा क्या थी? इमरजेंसी को लगाने से पहले देश में किस तरह का माहौल था? इसकी जानकारी हम आपको आगे देंगे, लेकिन उससे पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर इमरजेंसी होती क्या है? भारतीय संविधान में तीन तरह की इमरजेंसी का ज़िक्र है…

संविधान के Article 352 के तहत National emergency का प्रावधान है. इसे तब लगाया जाता है, जब देश की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण से ख़तरा हो. संविधान के Article 356 के तहत State Emergency का प्रावधान है. इसे तब लगाया जाता है, जब राज्य में संवैधानिक मशीनरी फेल हो गई हो. इस इमरजेंसी को राष्ट्रपति शासन या President Rule भी कहा जाता है. और संविधान के Article 360 के तहत Financial emergency का प्रावधान है. इसे तब लगाया जाता है, जब देश की वित्तीय स्थिरता को ख़तरा हो.

भारत में National emergency यानी राष्ट्रीय आपातकाल तीन बार लगाया गया. पहली बार 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान, दूसरी बार 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान. और तीसरी बार 1975 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में. 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आंतरिक गड़बड़ियों की आशंका को आधार बनाकर आपातकाल लगा दिया था. इसे एक तानाशाही फैसला कहा जाता है, क्योंकि देश में इमरजेंसी लगाने के आदेश पर कैबिनेट की मंज़ूरी के बिना ही राष्ट्रपति के हस्ताक्षर ले लिए गए थे. अगली ही सुबह विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को जेल के अंदर डाल दिया गया था.
देश में जो भी सरकार की आलोचना कर रहा था उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.

Lalu Prasad Yadav kept his Daughter name MISA as he was arrested under MISA ACT during Emergency . Now Same MISA is seen hugging & embracing Sonia Gandhi 

आपातकाल में Maintenance of Internal Security Act यानी मीसा के तहत किसी को भी अनिश्चितकाल के लिए गिरफ़्तार कर लिया जाता था और उसे अपील करने का भी अधिकार नहीं था. इंदिरा गांधी ने देश के नागरिकों के सभी मूलभूत संवैधानिक अधिकार छीन लिए थे. लोकतंत्र में जनता ही भगवान है. लेकिन इंदिरा गांधी ने खुद को लोकतंत्र का भगवान समझ लिया था. इसलिए अपनी तानाशाही को बचाये रखने लिए उन्होंने इमरजेंसी लगा दी. इसकी वजह समझनी भी ज़रूरी है.

1971 का चुनाव जीतने के बाद अगले 3 वर्षों में इंदिरा गांधी की लोकप्रियता कम होने लगी. सरकारी नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था बदहाल हो गई. भ्रष्टाचार और महंगाई ने लोगों की ज़िंदगी मुश्किल कर दी थी. महंगाई से परेशान सरकारी कर्मचारी वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे थे और छात्र भी हालात से परेशान होकर आंदोलन करने लगे.
उस वक्त तमिलनाडु को छोड़कर देश के हर राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. लोगों का गुस्सा कांग्रेस सरकारों के प्रति बढ़ता जा रहा था. इसी बीच छात्र संगठनों ने भी आंदोलन तेज़ कर दिया था.

विपक्ष के सभी नेता एकजुट होकर इंदिरा गांधी के इस्तीफे की मांग करने लगे. इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ देश भर में हड़ताल, प्रदर्शन, अनशन और आंदोलनों का दौर शुरू हो गया. 1974 में जार्ज फर्नांडिस के साथ करीब 17 लाख रेलवे कर्मचारी 20 दिनों तक हड़ताल पर चले गये. फर्नांडिस उस समय सोशलिस्ट पार्टी के चेयरमैन और ऑल इंडिया रेलवे मैंस फेडरेशन के अध्यक्ष थे. 1974 में इंदिरा गांधी की सरकार ने हड़ताल को गैरक़ानूनी क़रार देते हुए हज़ारों कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया.

इस फैसले के बाद कर्मचारी और मज़दूर इंदिरा गांधी से नाराज़ हो गए. लेकिन इमरजेंसी लगाने की आख़िरी वजह बना 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट को ऐतिहासिक फैसला, जिसमें रायबरेली से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया था…और उन्हें भ्रष्ट तरीकों से चुनाव लड़ने का दोषी ठहरा दिया था. आज आपको इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के बारे में भी जानना चाहिए. जिसकी कहानी 1971 से शुरू होती है. वर्ष 1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी, रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीती थीं.

1971 के चुनावों में रायबरेली से इंदिरा के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया जाना था. कोई तैयार नहीं था, न चंद्रभानु गुप्ता तैयार हुए और न चंद्रशेखर की हिम्मत हुई, न किसी अन्य दिग्गज नेता की. ऐसे में राजनारायण सिंह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बने.
12 जून 1975 को फैसला आया. इसके 14वें दिन इंदिरा ने देशभर में आपातकाल लगा दिया.

लेकिन इंदिरा गांधी की इस जीत को उनके विपक्षी उम्मीदवार राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी. राज नारायण संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. वो अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि नतीजे घोषित होने से पहले ही उनके समर्थकों ने विजय जुलूस निकाल दिया था.

लेकिन जब परिणाम घोषित हुआ तो राज नारायण चुनाव हार गए. नतीजा आने के बाद राज नारायण ने इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में अर्ज़ी दी. उन्होंने ये अपील की थी कि, इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरुपयोग किया है, इसलिए ये चुनाव निरस्त कर दिया जाए. इंदिरा गांधी पर ये आरोप थे कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के एक सीनियर अधिकारी यशपाल कपूर को अपना चुनावी एजेंट बनाया था, जबकि वो एक सरकारी कर्मचारी थे.

इसके अलावा उन्होंने ने भारतीय वायु सेना के विमानों का दुरुपयोग किया और रायबरेली के कलेक्टर और पुलिस अधिकारियों को अपने चुनाव के लिए इस्तेमाल किया. इंदिरा गांधी पर ये आरोप भी था कि चुनाव जीतने के लिए वोटरों को कंबल और शराब भी बंटवाई गई थी. यानी आप आज के विश्लेषण से ये भी जान सकते हैं कि चुनाव जीतने के लिए शराब और दूसरे सामान बांटने का फॉर्मूला इंदिरा गांधी ने 1970 के दशक में ही खोज लिया था. मुक़दमे की सुनवाई के दौरान इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करने वाले आरोप सही साबित हुए.

इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया और उनके चुनाव को रद्द कर दिया. इस फैसले में अगले 6 वर्षों तक इंदिरा गांधी को लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया.

ये इंदिरा गांधी के लिए बहुत बड़ा झटका था… उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. 25 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के Vacation Judge वी आर कृष्णा अय्यर ने अपने फैसले में कहा कि इंदिरा गांधी को संसद में वोट का अधिकार नहीं है…पर वो अगले 6 महीने के लिए प्रधानमंत्री बनी रह सकती हैं.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर राजनीतिक हमले तेज़ कर दिए. 25 जून 1975 को ही दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के वरिष्ठ राजनेता जयप्रकाश नारायण की रैली हुई और उस रैली में एक नारा दिया गया था- “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”…..आपने भी ये नारा ज़रूर सुना होगा. लेकिन ये सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता थी.

वह जनसभा जिसने इन्दिरा गांधी की नींद उड़ा दी थी

कहा जाता है कि जयप्रकाश नारायण की रैली को रोकने के लिए भी इंदिरा गांधी ने कई कोशिशें की. दिल्ली की रामलीला मैदान में रैली करने के लिए जयप्रकाश नारायण को Flight से कलकत्ता से दिल्ली आना था लेकिन इंदिरा गांधी ने इस फ्लाइट को कैंसिल करवा दिया. इसके बावजूद वो दिल्ली पहुंच गये. इस रैली में करीब तीन लाख लोगों की संख्या देखकर इंदिरा गांधी घबरा गईं. इसके बाद उन्होंने तुरंत इमरजेंसी लगाने का फैसला ले लिया.

वक़्त बदलने देर नहीं लगती. वर्ष 1971 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा को भंग कर के मध्यावधि चुनाव कराए थे. वो भारी बहुमत से चुनकर सत्ता में आई थीं. 1971 में कांग्रेस ने लोकसभा की 352 सीटें जीती थीं. इसके बाद दिसंबर 1971 में पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटकर इंदिरा गांधी अपनी राजनीति के शिखर पर पहुंच गई थीं. लेकिन, सत्ता से चिपके रहने के इंदिरा गांधी के लालच ने देश को इस अंधकार में झोंक दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद इंदिरा गांधी इस्तीफ़ा देकर किसी और को प्रधानमंत्री बना सकती थीं और ये लड़ाई क़ानूनी तरीक़े से लड़कर दोबारा सत्ता हासिल कर सकती थीं. लेकिन, उन्होंने गांधी परिवार से बाहर के किसी सदस्य को प्रधानमंत्री बनाने के विकल्प पर काम नहीं किया और उसका नतीजा इमरजेंसी के तौर पर देश ने भुगता.

इंदिरा गांधी की इमरजेंसी वाली तानाशाही के पीछे एक पूरी टीम काम कर ही थी. इसमें दो तरह के लोग थे. एक वो जो इमरजेंसी को लागू करने की संवैधानिक रणनीति तैयार कर रहे थे. आप इन्हें इमरजेंसी के स्क्रिप्ट राइटर भी कह सकते हैं. इनमें पहला नाम है
सिद्धार्थ शंकर रे– जो उस वक्त पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे. माना जाता है इमरजेंसी का आइडिया सिद्धार्थ शंकर रे ने ही इंदिरा गांधी को दिया था. सिद्धार्थ शंकर रे एक मशहूर वक़ील थे और संविधान के जानकार माने जाते थे. इमरजेंसी लगाने से पहले इंदिरा गांधी ने सिद्धार्थ शंकर रे को कोलकाता से दिल्ली बुलाया था.

सिद्धार्थ शंकर रे युवराज को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए

इसके बाद 25 जून को रात 11 बजे इंदिरा गांधी और सिद्धार्थ शंकर रे राष्ट्रपति भवन गए. जहां इन दोनों ने इमरजेंसी की घोषणा पर तत्कालीन राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर कराए. इस तरह, सिद्धार्थ शंकर रे ने संविधान की अपनी जानकारी का इस्तेमाल देश को आपातकाल के अंधकार में झोंकने के लिए किया.

इमरजेंसी के दूसरे बड़े किरदार का नाम है- तत्कालीन राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद. राष्ट्रपति पद के लिए फख़रुद्धीन अली अहमद के नाम को इंदिरा गांधी ने ही आगे बढ़ाया था. शायद यही वजह थी कि फखरुद्दीन अली अहमद ने विरोध का एक भी शब्द कहे बिना …संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए.

आधी रात को इमरजेंसी के पेपर पर राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर पर एक कार्टून भी बना था, जो पूरी दुनिया में चर्चित हो गया. इसमें फख़रुद्दीन अली अहमद अपने बाथटब में लेटे हुए इमरजेंसी के पेपर पर साइन कर रहे हैं और ये कह रहे हैं कि बाक़ी के कागज़ों पर साइन लेने के लिए थोड़ा इंतज़ार करें. इस कार्टून से आप इंदिरा गांधी की सत्ता की शक्ति और तानाशाही का अंदाज़ा लगा सकते हैं.

आपातकाल के “खलनायकों’’ का पता लगा कर सजा देना जरूरी है : ए सूर्य प्रकाश

आपातकाल के दंश को झेल चुके राष्ट्र की आज की युवा पीढ़ी को तो भान भी नहीं की आपातकाल था क्या और उस समय देश की जनता को किन हालातों से गुजरना पड़ा?आज के दौर की आपातकाल से तुलना करने वाले काँग्रेस और विपक्ष के प्रबुद्ध नेताओं को यदि उस दौर की 48 घंटे की भी झलकी दे दी जाये तो वह इस मुद्दे को अपनी प्रताड़नाओं को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाएँ। और चुनावों की मांग तक कर डालें। किसी को कष्ट दे कर खुश होना और स्वयं वह वेदना झेलना इन दोनों में अंतर है। आज जब विपक्ष आपातकाल की बात करता है तो मात्र इसीलिए कि वह यव पीढ़ी को बरग्ला सके और विधवाविलाप कर सके। आपातकाल को याद करना बहुत ज़रूरी है। भारतीय लोकतन्त्र के पटल पर वह वो काला अध्याय है जिसकी कभी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

नई दिल्ली: प्रसार भारती के प्रमुख ए सूर्य प्रकाश ने सोमवार को कहा कि देश में लोकतंत्र को सुरक्षित करने के लिये आपातकाल के “खलनायकों’’ का पता लगा कर सजा देना जरूरी है. “आपातकाल : भारतीय लोकतंत्र की स्याह घड़ी” पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि भारत आपातकाल के दौरान कई महीनों तक “फासीवादी शासन’’ के तहत आ गया था. सूर्य प्रकाश ने कहा, “आपातकाल के खलनायकों ने हमारे संविधान और लोकतांत्रिक जीवन शैली को तबाह किया. मेरे विचार से हमें उनका पता लगाना चाहिए. नाजीवादी 60-70 सालों के बाद अब भी मौजूद हैं. हमें उन्हें यूं ही नहीं छोड़ देना चाहिए.” 

उन्होंने नवीन चावला की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमें उनका पता लगा कर उन्हें सजा देनी चाहिए. डॉ. मनमोहन सिंह को इस बात का जवाब देना चाहिए कि शाह आयोग द्वारा तानाशाह बताए गए व्यक्ति को चुनाव आयुक्त क्यों बनाया गया. किसके निर्देश पर उन्होंने यह किया.” प्रकाश ने कहा, “अगर हम अपने लोकतंत्र को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपातकाल के खलनायकों एवं उनके आकाओं को सबक सिखाना होगा.” उन्होंने श्रोताओं में से एक के विचार का भी समर्थन किया जिसने आपातकाल के पीड़ितों के नाम एक स्मारक बनाए जाने की राय दी.

एक और ख़बर जो ख़बर न बन सकी

1951 में कांग्रेस सरकार ने “हिंदू धर्म दान एक्ट” पास किया था। इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं।
इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था। इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % “गैर हिंदू” कामों के लिए किया जाता है।

तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। मंदिरों के फंड में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं।
दुनिया के किसी भी लोकतंत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। सरकारों ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हे पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है।

लेकिन, सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में लिया जा रहा है। मस्जिदों और चर्च पर सरकार का कंट्रोल नहीं है। इतना ही नहीं, मंदिरों से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल मस्जिद और चर्च के लिए किया जा रहा है।

इन सबका कारण अगर खोजे तो 1951 में पास किया हुआ कॉंग्रेस का वो बिल है। हिन्दू मंदिर एक्ट की पुरजोर मांग करनी चाहिए जिससे हिन्दुओ के मंदिरों का प्रबंध हिन्दू करे ।गुरुद्वारा एक्ट की तर्ज पर हिन्दू मंदिर एक्ट बनाया जाए।

राजीव कुमार सैनी,
एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद
स्वयंसेवक
संयोजक , भाजपा विधि प्रकोष्ठ, हाई कोर्ट इलाहाबाद इकाई, प्रयागराज

राहुल के नेतृत्व में पार्टी ज़रूर जीतेगी: हरीश रावत

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ‘राहुल गांधी ने एक अच्छा चुनावी अभियान चलाया, हालांकि हम सफल नहीं हुए.’हरीश ही नहीं पूरी कांग्रेस 2014 के बाद से इसी उम्मीद में है लेकिन राहुल जहां NOTA के चलते 3 राज्य जीत गए थे उन्हीं राज्यों में मात्र 6 महीने बाद अपनी साख लुटा बैठे। अमेठी की तो बात ही अलग है। राहुल गांधी के क्षत्रपों को पहले ही से अंदेशा था कि राहुल दशकों पुरानी अपनी पारिवारिक सीट भी बुरी तरह हार जाएँगे इसी लिए उन्हे वायनाड से भी चुनाव लड़वाया गया। हाँ यह ज़रूर है कि कॉंग्रेस 2014 में 44 के मुक़ाबले 2019 में 52 सीटें हासिल करने में कामयाब रही इस भरोसे हरीश रावत को यकीन है की एक न एक दिन रहल ए नेतृत्व में वह ज़रूर जीतेंगे।

नई दिल्ली: कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के अध्यक्ष बने रहने पर जोर दिए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने बृहस्पतिवार को कहा कि गांधी के नेतृत्व में देश की सबसे पुरानी पार्टी हार को जीत में बदल सकती है.

रावत ने यहां कहा,‘रणदीप सुरजेवाला जी ने जो कहा है मैं उसी को दोहराता हूं कि राहुल गांधी अध्यक्ष थे, हैं और रहेंगे. देश भर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की यह भावना है कि राहुल जी अध्यक्ष बने रहें. उनके नेतृत्व में कांग्रेस हार को जीत में बदल सकती है.’’ 

राहुल गांधी ने एक अच्छा चुनावी अभियान चलाया
उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी ने एक अच्छा चुनावी अभियान चलाया, हालांकि हम सफल नहीं हुए. अब हमें पूरे उत्साह और ऊर्जा के साथ काम करना है. संगठन को मजबूत करना है ताकि आरएसएस और भाजपा के दुष्प्रचार को विफल किया सके.’’ 

पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश से जुड़े सवाल पर कहा, ‘रणदीप सुरजेवाला ने कल जो कहा था उसके बाद में स्थिति में कोई बदलाव नहीं है. यथास्थिति बनी हुई है.’’ 

दरअसल, राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश को लेकर पिछले कई दिनों से चल रही अटकलों पर फिलहाल विराम लगाते हुए कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि गांधी पार्टी अध्यक्ष थे, हैं और आगे भी बने रहेंगे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ए के एंटनी के मार्गदर्शन में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनौपचारिक बैठक के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह टिप्पणी की थी.