इंदिरा हृदयेश के एक बयान ने उत्तराखंड की सियासत में खलबली मचा दी है

2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिनमें पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, रेखा आर्य,  उमेश शर्मा काऊ जैसे नेता शामिल थे. ऐसे में इंदिरा के बयान के मुताबिक 2021 में कोई सियासी भूचाल आए या न आए लेकिन राजनीतिक माहौल गर्म जरूर हो गया है.

देहरादून.

 नए साल के पहले ही दिन एक बयान ने उत्तराखंड की सियासत में खलबली मचा दी है. कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और विधासभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने एक जनवरी को बड़ा सियासी बयान दे दिया. इंदिरा ने दावा किया है कि 2021 में उत्तराखंड के भीतर 2016 जैसा ही सियासी भूचाल आएगा, लेकिन इस भूचाल की जद में इस बार कांग्रेस पार्टी नहीं बल्कि बीजेपी (BJP) होगी. इंदिरा का दावा है कि नए साल के पहले दिन उन्होंने बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता और कुछ विधायकों से बात की है, जो कभी भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आने को तैयार हैं. इंदिरा ने दावा किया है कि राज्य में बीजेपी सरकार के खिलाफ माहौल है. इसलिए 2022 में कांग्रेस का सत्ता में आना तय है. ऐसे में अगर इंदिरा की बातों पर यकीन करें तो क्या कांग्रेस भी अब बीजेपी को उसी के अंदाज में जवाब देने का मन बना लिया है, जिस अंदाज में बीजेपी ने कांग्रेस को मध्यप्रदेश में जवाब दिया था.

कांग्रेस नेता के इस बयान के क्या हैं मायने
इंदिरा के मुताबिक बीजेपी के जो विधायक कांग्रेस में शामिल होने को तैयार हैं, उन्हें 2022 में बीजेपी से लड़कर अपनी हार का डर सता रहा है. इसलिए ये विधायक जल्द से जल्द बीजेपी के डूबते जहाज को छोड़ कांग्रेस का दामन थामना चाहते हैं. ताकि अपनी जीत सुनिश्चित की जा सके. इंदिरा यहीं नहीं रुकी उनका दावा है कि हाईकमान का इशारा मिलते ही इन बीजेपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया जाएगा.

नाम बताने से बच रही हैं इंदिरा 

इंदिरा हृदयेश आने वाले दिनों में बीजेपी विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के दावे एक सप्ताह पहले भी कर चुकी हैं, लेकिन इंदिरा इन विधायकों के नाम का खुलासा करने के बच रही हैं. इंदिरा के मुताबिक नाम वक्त आने पर खुद ही सामने आ जाएंगे. फिलहाल बीजेपी के ये असंतुष्ट विधायक उनके संपर्क में हैं.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने दी चुनौती
इंदिरा हृदयेश के बयान पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने पलटवार किया है. भगत ने कहा है कि कांग्रेस मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रही है. भगत ने इंदिरा को चुनौती दी है कि विधायक तो दूर बीजेपी का सबसे बूथ स्तर का कार्यकर्ता भी कांग्रेस नाम के डूबते जहाज में नहीं बैठना चाहेगा. भगत ने दावा किया है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 57 विधायक विधानसभा पहुंचे थे. ये आंकड़ा 2022 में 60 पर पहुंच जाएगा.

बीजेपी ने भी दिया बड़ा बयान
भगत के मुताबिक बीजेपी का नारा साफ है अबकी बार 60 के पार. भगत ने कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश के दावों पर तंज कसते हुए कहा कि अच्छा है वो सत्ता में आने के सपने देख रही हैं, लेकिन इंदिरा का ये सपना भी बीजेपी विधायकों के दम पर ही है. जो बीजेपी छोड़ कहीं और जाने वाले नहीं हैं.

2016 में हुआ था सियासी उलटफेर 
गौरतलब है कि 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिनमें पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, यशपाल आर्य, रेखा आर्य,  उमेश शर्मा काऊ जैसे नेता शामिल थे. ऐसे में इंदिरा के बयान के मुताबिक 2021 में कोई सियासी भूचाल आए या न आए लेकिन राजनीतिक माहौल गर्म जरूर हो गया है.

भाषाओं को बचाता है अनुवाद : डॉ. चंद्र त्रिखा

Chandigarh January 1, 2021

किसी भी भाषा की गतिशीलता और तरक्की उस भाषा से और उस भाषा में होने वाले अनुवाद पर निर्भर करती है। कोई भाषा कहां तक पहुंचेगी, उसमें अनुवाद की बड़ी भूमिका होती है। अतः हमें अनुवाद की ताकत को पहचानना चाहिए। यह तथ्य पंजाब विश्वविद्यालय के यू.जी.सी. – एच.आर.डी.सी. द्वारा आयोजित दो सप्ताह के भाषा शिक्षकों के लिए पुनश्चर्या पाठ्यक्रम (रिफ्रेशर कोर्स) के दौरान उभरकर सामने आया। पंजाब विश्वविद्यालय की ओर से “अनुवाद की संस्कृति व संस्कृति का अनुवाद” विषय पर आयोजित यह पहला ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स आज संपन्न हो गया।इसके समापन सत्र में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलाधिपति प्रो. हरमहेंद्र सिंह बेदी मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए जबकि हरियाणा साहित्य अकादमी व हरियाणा उर्दू अकादमी, पंचकूला के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा मुख्य अतिथि थे। 

डॉ. चंद्र त्रिखा ने इस अवसर पर कहा कि भाषाएं अनुवाद के माध्यम से केवल बढ़ती ही नहीं है बल्कि बचती भी हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उर्दू अदब आज यदि युवा पीढ़ी के बीच जिंदा है तो वो अनुवाद के कारण ही है।

प्रो. बेदी ने अनुवाद के महत्त्व को रेखांकित करते हुए गुरुवाणी का उदाहरण देते हुए बताया कि इसमें हिंदी, फ़ारसी, ब्रज, पंजाबी इत्यादि भाषाओं के संतों की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में गुरुमुखी लिपि में संकलित की गई है। वैश्विक वाङ्मय के पीछे अनुवाद की बहुत बड़ी भूमिका है और इसके माध्यम से ही यह ज्ञात हुआ है कि ऋग्वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ है जिसमें एशिया की संस्कृति का सूक्ष्म वर्णन मिलता है।

एचआरडीसी के निदेशक प्रो. एसके तोमर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में अनुवाद के महत्व को समझते हुए राष्ट्रीय स्तर पर एक श्रेष्ठ अनुवाद संस्थान स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि अनुवाद के माध्यम से सभी भारतीय भाषाओं की ज्ञान संपदा पूरी दुनिया तक पहुंच सकती है।

रिफ्रेशर कोर्स के कोर्स समन्वयक व हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह ने समापन सत्र में दो सप्ताह के रिफ्रेशर कोर्स की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उम्मीद जताई कि कोर्स के दौरान अनुवाद के विविध पक्षों पर हुई सार्थक चर्चा को प्रतिभागी अपने क्षेत्रों और विद्यार्थियों के बीच आगे बढ़ाएंगे और इसके माध्यम से अनुवाद की एक ऐसी  संस्कृति विकसित हो पाएगी जिसमें सभी भारतीय भाषाएं एक साथ आगे बढ़ पाएंगी। कोर्स में शामिल प्रतिभागियों राजेश जानकर, वेदव्रत, पूजा रावल और गुरप्रीत रायकोट ने समापन सत्र में अपने अनुभव साझे करते हुए कहा कि कोर्स में बहुत कुछ नया सीखने को मिला। एचआरडीसी की उप निदेशक डॉ. जयंती दत्ता ने सभी का धन्यवाद किया।

 इस रिफ्रेशर कोर्स में भारत के 10 राज्यों हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, चंडीगढ़, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एवं राजस्थान से भाषा के शिक्षकों ने हिस्सा लिया। जिसमें अंग्रेजी के 13, हिंदी के 11, पंजाबी के 5, संस्कृत के 7 और मराठी के 1 शिक्षक शामिल हैं। इस कोर्स में अलग – अलग विषयों तथा क्षेत्रों से सम्बन्धित देश – विदेश के लगभग 30 विषय विशषज्ञों ने व्याख्यान दिए। इनमें प्रो. शिव कुमार सिंह (पुर्तगाल), प्रो. आनंदवर्धन शर्मा (बुल्गारिया), प्रो. भीम सिंह दहिया (पूर्व कुलपति, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय), श्री बालेंदु शर्मा दाधीच (निदेशक माइक्रोसॉफ्ट), डॉ. चंद्र त्रिखा (निदेशक हरियाणा उर्दू अकादमी, पंचकूला), प्रो.अनघा भट्ट(पुणे) , डॉ. धनंजय चोपड़ा (इलाहाबाद), प्रो. शशि मुदिराज (हैदराबाद), प्रो. प्रभाकर सिंह (बीएचयू, बनारस), श्री विनोद संदलेश (संयुक्त निदेशक, केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, दिल्ली), प्रो. शाशिधरन (कोची,केरल), प्रो. दिलीप शाक्य व प्रोफेसर खालिद जावेद (जामिया,नई दिल्ली), प्रो. सुधीर प्रताप सिंह (जेएनयू, नई दिल्ली), प्रो. कुमुद शर्मा (दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. विजय लक्ष्मी (मणिपुर) एवं प्रो. दिनेश चमोला( हरिद्वार) शामिल हैं।

राज्यपाल की चिट्ठी पर मुख्यमंत्री ने एक ही मारा लेकिन सॉलिड मारा : शिवसेना

कोरोना लॉकडाउन की वजह से बंद पड़े धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए बीजेपी ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महाराष्ट्र में सिद्धिविनायक मंदिर समेत अन्य मंदिरों को खोलने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का मंगलवार को मुंबई में प्रदर्शन जारी है। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा और मंदिरों को खोलने को कहा है। कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसा कि आप अचनाक सेक्युलर कैसे हो गए? जबकि आप इस शब्द से नफरत करते थे। कोश्यारी की चिट्ठी पर उद्धव ठाकरे का भी जवाब आया है। उद्धव ठाकरे ने चिट्ठी के जवाब में कहा है कि मुझे हिन्दुत्व पर आपसे सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।  लेकिन दूसरी ओर अगले साल मुंबई में निकाय चुनाव भी होने हैं। एक सीनियर बीजेपी नेता का कहना है कि ये चुनाव एक तरीके से अगले विधानसभा चुनाव का मिनी रेफेरेंडम होगा। इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना की लोकप्रियता का अंदाजा लग जाएगा। मंदिरों को लगातार बंद रखने का मुद्दा शिवसेना को चुनाव में भारी पड़ेगा।

मुंबई(ब्यूरो):

महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे गए खत पर बवाल मच चुका है। मंदिरों को न खोलने के लिए गवर्नर ने उद्धव ठाकरे को सेकुलरिजम पर स्टैंड की याद दिलाई है। सीएम उद्धव ने भी कह दिया कि उन्हें किसी से हिंदुत्व का पाठ सीखने की जरूरत नहीं। महाराष्ट्र सरकार ने मंदिर नहीं खोले। लेकिन सरकार के इस कदम से बीजेपी को यह उम्मीद जग चुकी है कि वो हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना को घेर सकती है।

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार की अगुआई कर रहे हैं लेकिन समय-समय पर हिंदुत्व के एजेंडे को दोहराते भी रहते हैं। इससे उनकी दोनों सहयोगी पार्टियों को परेशानी भी होती है। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम का भी हिस्सा बनना चाहते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया था। अब यह भी कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे अगले नवंबर महीने में अयोध्या की यात्रा कर सकते हैं। पर पालघर में हुई साधुओं की निर्मम हत्या और उसकी संदेहास्पद जांच के बाद क्या उद्धव ठाकरे को अयोध्या के संत समाज द्वारा स्वीकार भी जाएगा?

‘सामना’ के लेख से शिव सेना ने किया राज्यपाल कोशियारी पर तीखा हमला :

शिवसेना ने सामना में लिखा है, ‘’राज्यपाल के पद पर आसीन व्यक्ति को कैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, यह भगत सिंह कोश्यारी ने दिखा दिया है। श्रीमान कोश्यारी कभी संघ के प्रचारक या बीजेपी के नेता रहे भी होंगे; लेकिन आज वे महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य के राज्यपाल हैं, लगता है वे इस बात को अपनी सुविधानुसार भूल गए हैं। महाराष्ट्र के बीजेपी के नेता रोज सुबह सरकार की बदनामी करने की मुहिम शुरू करते हैं। यह समझा जा सकता है; लेकिन उस मुहिम की कीचड़ राज्यपाल अपने ऊपर क्यों उड़वा लेते हैं? बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता गंवा चुकी है। यह बड़ी पीड़ा है; लेकिन इससे हो रहे पेटदर्द पर राज्यपाल द्वारा हमेशा लेप लगाने में कोई अर्थ नहीं। यह पीड़ा आगामी चार साल तो रहने ही वाली है। लेकिन बीजेपी का पेट दुख रहा है इसलिए संवैधानिक पद पर विराजमान व्यक्ति को भी प्रसव पीड़ा हो, ये गंभीर है. लेकिन उस प्रसव पीड़ा का मुख्यमंत्री ठाकरे ने उपचार किया है।’’

हर कुछ समय अंतराल पर हिंदुत्व की बात करते हैं उद्धव

टाइम्स ऑफ इंडिया पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक एक बीजेपी विधायक का कहना है-उद्धव चाहते हैं कि वह हर कुछ समय पर हिंदुत्व की बात कर बीजेपी की काट निकाल सकते हैं। लेकिन ये उनका धोखा है। वो एक ही समय में दो राग नहीं गा सकते। अगर उन्होंने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई है तो उनको ‘सेकुलर’ एजेंडे पर बने रहना चाहिए। और हिदुत्व पर सिर्फ जुगलबाजी करने से बाज आना चाहिए।’

अगले साल निकाय चुनाव होगा मिनी रेफरेंडम, घेरने की तैयारी में बीजेपी

इन सबके बीच अगले साल मुंबई में निकाय चुनाव भी होने हैं। एक सीनियर बीजेपी नेता का कहना है कि ये चुनाव एक तरीके से अगले विधानसभा चुनाव का मिनी रेफेरेंडम होगा। इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना की लोकप्रियता का अंदाजा लग जाएगा। मंदिरों को लगातार बंद रखने का मुद्दा शिवसेना को चुनाव में भारी पड़ेगा।

प्रधान मंत्री को गुस्सा क्यों आता है??

कृषि कानून को लेकर पंजाब समेत विभिन्न जगहों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां कृषि कानून को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए सरकार की आलोचना कर रही हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को ट्रैक्टर जलाकर विरोध प्रदर्शित किया गया. विरोध प्रदर्शन करने वाले पंजाब यूथ कांग्रेस के बताए जा रहे हैं. पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर किसी पार्टी का नाम लिए बिना विपक्ष पर निशाना साधते हुए किसानों को अपमानित करने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा, “आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं. ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए. जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं.” पीएम मोदी ने कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

  • सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया : PM
  • ये लोग अपने जांबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे : मोदी
  • आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया : प्रधानमंत्री

चंडीगढ़ – 29 सितंबर:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों को लेकर कॉन्ग्रेस को आईना दिखाया और जनता को समझाया कि कैसे वो हर उस चीज का विरोध करते हैं, जिसे जनता की भलाई के लिए लाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान राम मंदिर और योग दिवस को भी याद किया, जिसका कॉन्ग्रेस ने विरोध किया था।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि जब सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल कॉन्ग्रेस के ही नेता थे।

कॉन्ग्रेस पार्टी अक्सर योग दिवस का मजाक बनाती रही है। जिस चीज ने दुनिया भर में भारत को नई पहचान दी, पार्टी उसका विरोध करती है। राहुल गाँधी ने सेना की ‘डॉग यूनिट’ के एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर कर के इसे ‘न्यू इंडिया’ बताते हुए न सिर्फ योग का बल्कि सेना का भी मजाक उड़ाया था। तभी पूर्व-सांसद और अभिनेता परेश रावल ने कहा था कि ये कुत्ते राहुल गाँधी से ज़्यादा समझदार हैं। सेना के डॉग्स के योगासन का मजाक बनाने वाले राहुल गाँधी की खूब किरकिरी हुई थी।

इसी तरह कॉन्ग्रेस ने अपनी ही पार्टी के नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ का विरोध किया, जिसके कारण न सिर्फ भारत का मान बढ़ा बल्कि केवडिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर आए। कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस स्टेचू के निर्माण को ‘चुनावी नौटंकी’ और ‘राजद्रोह’ करार दिया था। राहुल गाँधी ने दावा कर दिया था कि सरदार पटेल के बनाए सभी संस्थाओं को मोदी सरकार बर्बाद कर रही है।

पीएम मोदी ने मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) को कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

कॉन्ग्रेस पार्टी कृषि कानूनों के विरोध के लिए एक ट्रैक्टर को 20 सितम्बर को अम्बाला में जला रही है तो फिर 28 सितम्बर को उसी ट्रैक्टर को दिल्ली के इंडिया गेट के पास राजपथ पर जला कर सुर्खियाँ बटोर रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह धरना दे रहे हैं। सोनिया गाँधी राज्यों को क़ानून बना कर केंद्र के क़ानूनों को बाईपास करने के ‘फर्जी’ निर्देश दे रही है। जबकि अधिकतर किसानों ने भ्रम और झूठ फैलाए जाने के बावजूद इन क़ानूनों का स्वागत किया है।

राम मंदिर मुद्दे की याद दिलाना भी आज के परिप्रेक्ष्य में सही है क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि भगवान श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं है। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल तो राम मंदिर की सुनवाई टालने के लिए सारे प्रयास करते रहे। वहीं दिसंबर 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे पूछा था कि कॉन्ग्रेस बाबरी मस्जिद चाहती है या राम मंदिर?

इसी कॉन्ग्रेस ने जब राम मंदिर के शिलान्यास के बाद जनता के मूड को भाँपा तो वो राम मंदिर के खिलाफ टिप्पणी करने से बचने लगी। कोई पार्टी नेता इसके लिए राजीव गाँधी को क्रेडिट देने लगा। प्रियंका गाँधी बयान जारी कर के इसका समर्थन करने लगीं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल रामायण कॉरिडोर बनाने लगे। कमलनाथ हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। तभी तो आज पीएम ने कहा – ये विरोध के लिए विरोध करते हैं

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जाँबाजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जाँबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, साफ कर चुके हैं। देखा जाए तो एक तरह से सारे विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध किया था।

नवम्बर 2016 में मोदी सरकार ने भारतीय सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए हरी झंडी दिखा कर इतिहास को बदल दिया। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाक़े में घुस कर आतंकियों को मारा लेकिन राहुल गाँधी इसे ‘खून की दलाली’ बताते हुए कहते रहे कि सरकार ‘सैनिकों के खून’ के पीछे छिप रही है। कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग सबूत माँगने में लगे थे। कइयों ने तो पाकिस्तान वाला सुर अलापना शुरू कर दिया था।

पीएम मोदी ने कहा कि देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने लोगों की कितनी मदद की है। जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका विरोध कर रहे थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।

बकौल पीएम मोदी, ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं। बता दें कि किसानों को सरकार के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को अपनी उपज बेचने के लिए मिली आज़ादी का विरोध समझ से परे है। इसके लिए सीएए विरोध जैसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।

अमित शाह बता चुके हैं कि जिस पार्टी ने अपनी सरकार रहते अनाजों की खरीद में भी अक्षमता दिखाई लेकिन मोदी सरकार ने इस मामले में रिकॉर्ड बनाया, इसके बावजूद वो किसानों को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, उलटा उसे बढ़ाया गया है। बावजूद इसके किसानों को भाजपा के खिलाफ ऐसे ही भड़काया जा रहा है, जैसे लॉकडाउन में मजदूरों को भड़काया गया था।

पीएम मोदी ने ये भी याद दिलाया कि भारतीय वायुसेना के पास राफेल विमान आये और उसकी ताकत बढ़ी, ये उसका भी विरोध करते रहे। उन्होंने कहा कि वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन ये लोग उनकी बात को अनसुना करते रहे। हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया तो, इन्हें फिर दिक्कत हुई। आज अम्बाला से लद्दाख तक वायुसेना का परचम लहरा रहा है।

राफेल मुद्दे पर ज्यादा कुछ याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि पूरा 2019 का लोकसभा चुनाव ही इसी पर लड़ा गया था। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पोषित मीडिया संस्थानों द्वारा एक के बाद एक झूठ फैलाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट और कैग से क्लीन-चिट मिलने के बावजूद राफेल को लेकर झूठ फैलाया गया। वही कॉन्ग्रेस अब राफेल का नाम नहीं लेती क्योंकि जब 5 राफेल की पहली खेप भारत आए तो जनता के उत्साह ने सब साफ़ कर दिया। 2019 का लोकसभा चुनाव हारे, सो अलग।

ट्रांसफार्मर फटने से 5 घायल, 3 की हालत गंभीर

राहुल भारद्वाज, सहारनपुर: 30 जून:

सहारनपुर मेन थाना जनकपुरी के सामने जिला हस्पताल के बाहर एक ट्रांसफार्मर फटने से एक बड़ा हादसा हुआ। जिला हस्पताल के बाहर लगे ट्रांसफार्मर के फटने पर उबलते तेल ने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। गरम तेल से 5 लोगों की हालत नाज़ुक बताई जा रही है।

घायलों को हस्पताल मेन तत्काल हस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती करवाया गया जिनमे से 3 की हालत गंभीर है।

ट्रांसफार्मर के पास खड़े ट्रैक्टर ओर कई वाहनों में आग लग गयी।

खबर लिखे जाने तक दमकल विभाग की दो गाड़ियां को आग बुझाने के प्रयास कर रहीं थीं।

कोरोना वायरस भगवान श्रीकृष्ण की देन है : कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कोरोना वायरस को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया। उन्होंने ‘क’ से कृष्ण और ‘क’ से कोरोना का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने कोरोना दिया है। 

उत्तराखंड(ब्यूरो) – 29 जून:

कॉन्ग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा है कि कोरोना वायरस भगवान श्रीकृष्ण की देन है। वे उत्तराखंड प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष हैं।

धस्माना ने कहा कि कहा कि ‘क’ से कृष्ण और ‘क’ से कोरोना वायरस होता है, इसीलिए कोरोना वायरस भगवान श्रीकृष्ण के कारण ही आया है। मीडिया के साथ बातचीत में उन्होंने ये बेतुका बयान दिया।

वो चार धाम यात्रा शुरू होने के सम्बन्ध में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चूँकि कोरोना वायरस संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है, इसीलिए इस यात्रा को शुरू करने का कोई तुक नहीं है। उन्होंने दावा किया कि चार धाम यात्रा शुरू होने से उत्तराखंड में श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ जाएगी और उनके भारी संख्या में यहाँ आने से कोरोना वायरस संक्रमण की आपदा और ज्यादा बढ़ जाएगी।

‘दैनिक जागरण’ की ख़बर के अनुसार, उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कोरोना दिया है। अपने बयान के बचाव के लिए उन्होंने भगवद्गीता को उद्धृत किया। बकौल सूर्यकांत धस्माना, गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि वे ही सृष्टि के निर्माता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं। साथ ही वो प्रदेश सरकार पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार कोरोना वायरस संक्रमण आपदा से निपटने में पूरी तरह से विफल रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार रुपए लेकर कोरोना टेस्टिंग की अनुमति दे रही है। वहीं उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी में अंतर्राज्यीय बस अड्डे को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने याद दिलाया कि वर्चुअल रैली में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी में अंतर्राज्यीय बस अड्डे और रिंग रोड का निर्माण अतिशीघ्र करने का आश्वासन दिया था लेकिन अब तक इस पर काम शुरू नहीं हुआ है। 

इससे पहले पाकिस्तान के एक मौलवी ने कबूतर के शरीर के एक विशेष स्थान को पका कर खाने को कोरोना वायरस से संक्रमण का इलाज बताया था। उसके बाद एक दूसरे मौलवी ने अल्लाह से दुआ की थी कि कोरोना वायरस ‘को काफिर मुल्कों’ की तरफ भेज दिया जाए। उक्त मौलवी ने कहा कि था अल्लाह ने अगर मदद नहीं की तो कोरोना सब कुछ ख़त्म कर देगा। अब कॉन्ग्रेस नेता भी इसी तरह के बयान देकर सुर्खियाँ बटोर रहे हैं।

दिल्ली देहरादून नेशनल हाईवे पर टाटा मैजिक के दर्दनाक हादसे में चालक की मौत

राहुल भारद्वाज, सहारनपुर – 24 जून :

सहारनपुर बिहारीगढ़, जनपद सहारनपुर के दिल्ली देहरादून नेशनल हाईवे पर थाना बिहारीगढ़ के सुंदरपुर चौक पर जबरदस्त हादसा हुआ घटना आज सुबह की है। बतया जाता है टक्कर इतनी भयानक थी कि ब्रेड से भरा टाटा मैजिक के परखच्चे उड़ गए और चालक की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई!

सूचना मिलते ही थाना बिहारीगढ पुलिस व 100 डायल की गाड़ी मौके पर पहुंची गयी व पुलिस ने देखा गाड़ी का ड्राइवर खून से लथपथ गाड़ी में फंसा पड़ा है उसको निकाल के लिए पुलिस को गाड़ी को काटकर बाहर निकाला गया गाड़ी ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो चुकी थी पुलिस ने ड्राइवर के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवाकर आगे की जांच शुरू की।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दून हाईवे पर आज सुबह एक अज्ञात वाहन खड़ा जहा वही से गुजर रहे टाटा मैजिक टकरा गया जिसमे ब्रेड भरी हुई थी टक्कर इतनी भयानक थी कि ब्रेड से भरी टाटा मैजिक के परखच्चे उड़ गए वही अज्ञात वाहन चालक मौके से वाहन लेकर फरार हो गया पूरा मामला थाना बिहारीगढ़ के सुंदरपुर चौक के पास का है।

पतंजलि की ‘कोरोनिल’ अब बाज़ार में

दिल्ली(ब्यूरो) – 23 जून :

देश व दुनिया में कोरोना ने खूब तबाही मचा रखा है. अबतक इसके वैक्सीन की टेस्टिंग ही हो रही है। अभी तक कोरोना की सही दवाई नहीं बन सकी है. लेकिन इस बीच बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक कंपनी ने यह दावा किया है कि उनकी कंपनी पतंजलि ने आयुर्वेदिक माध्यमों से कोरोना वायरस की दवाई तैयार कर ली है. पतंजलि द्वारा कोरोना वायरस की दवाई लॉन्च की जाएगी. इस दवाई को कोरोनिल नाम दिया गया है। पतंजलि का दावा है कि यह दवाई कोरोना वायरस पर असरदार है।

 कोरोना दवा को लेकर पतंजलि ने दावा किया है कि आयुर्वेदिक पद्धति से जड़ी बूटियों के गहन अध्ययन और शोध के बाद बनी यह दवा शत प्रतिशत मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। यहां पतंजलि योगपीठ में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि पूरे विश्व में पहला ऐसा आयुर्वेदिक संस्थान है, जिसने जड़ी बूटियों के गहन अध्ययन और शोध के बाद कोरोना की दवाई प्रमाणिकता के साथ बाजार में उतारी है। पतंजलि ने इस दवा की कीमत 600 रुपये रखी है और यह पतंजलि मेगा स्टोर पर मिलेगी इसके साथ ही, कंपनी ने यह भी कहा है कि यदि गरीब लोगों के पास दवा खरीदने के पैसे नहीं होंगे, उन्हें यह दवा मुफ्त में दी जाएगी। इसके साथ ही, कंपनी ने दवा के किट की कीमत 545 रुपये रखी है

प्रेस को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि हमने कोरोन वायरस की पहली आयुर्वेदिक दवा तैयार कर ली है। हमने इसके टेस्टिंग में पाया कि 3 दिनों में 69 प्रतिशत रोगी इससे ठीक है। लेकिन कुल 7 दिनों में 100 प्रतिशत मरीजों को ठीक किया जा चुका है। बता दें कि भारत में अबतक कोरोना के मामले 4.40 हजार को पार कर चुका है। वहीं मरने वालों की संख्या भी 14,011 तक पहुंची चुकी है। वहीं दुनिया में इससे लाखों संक्रमित और मारे गए हैं। ऐसे में कोरोना वायरस की दवाई व वैक्सीन का लोगों को बसब्री से इंतजार है।

बाबा रामदेव ने कहा, “यह इतिहास की बहुत बड़ी घटना है।’ उन्होंने इस संबंध में कटाक्ष भी किया और कहा कि हो सकता है कि कई लोग इस दवाई पर संदेह करें और कहें कि यह कैसे हो सकता है।

सोमवार को जारी होगा एप

रामदेव ने कहा कि हम ‘कोरोनिल’ को पतंजलि योगपीठ से पूरे विश्व के लिए लॉन्च कर रहे हैं और पूरे आयुर्वेद जगत के लिए यह बहुत ही गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि आगामी सोमवार तक वह एक ऐप जारी करेंगे, जिससे लोगों को घर बैठे-बैठे कोरोना की तीनों दवाइयां मिल जाया करेंगी। स्वामी रामदेव ने कहा कि हम आने वाले समय में कोरोना के कारण गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती हुए मरीजों पर भी अपनी दवाई का परीक्षण करेंगे।

आगे भी जारी रहेगा शोध और अनुसंधान

उन्होंने कहा कि अभी इस दवा का परीक्षण कोरोना संक्रमण के पहले और दूसरे चरण के मरीजों पर हुआ है, जिन्हें शत-प्रतिशत फायदा हुआ है। रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि इस दवा के अनुसंधान में पतंजलि और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से परीक्षण और क्लीनिक ट्रायल किया.साथ ही बताया कि अनुसंधान का कार्य अभी जारी रहेगा।

545 रुपये कोरोना किट की कीमत

दवा की लॉन्चिंग के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि हमने इस दवा को और भी प्रभावी बनाने के लिए जड़ी-बूटियों के साथ खनिजों का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना किट के जरिये भी कोरोना वायरस से बचाव किया जा सकता है। एक कोरोना किट की कीमत सिर्फ 545 रुपये होगी और यह किट 30 दिनों के लिए होगी।

दिसंबर से ही कर रहे हैं कोरोना पर शोध

पतंजलि ने बताया कि पिछले साल के दिसंबर महीने से कोरोना वायरस की दवाई को लेकर कंपनी काम कर रही है। इस दवा का निर्माण दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा हरिद्वार में किया जा रहा है। पतंजलि ने बताया कि कोरोना टैबलेट पर हुआ शोध पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जयपुर के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

इन चीजों से मिलकर बनी है दवा

कोरोना वायरस की यह कोरोनिल नामक दवा एक आयुर्वेदिक दवा है। इस दवा में सिर्फ देसी सामान मिलाया गया है. इस दवा को मुलैठी, गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासारि आदि की मदद से तैयार किया गया है।

पतंजलि मेगा स्टोर पर 600 में मिलेगी दवा

कोरोना टेस्ट जहां काफी महंगा हो रहा है वहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर बाबा रामदेव की पतंजलि कोरोना की जो दवा है वो कितने में लोगों को बेचेगी। आइए हम आपको इसका प्राइस बताते हैं। बाबा रामदेव ने बताया कि पतंजलि मेगा स्टोर पर यह दवा तकरीबन 600 रुपये में उपलब्ध होगी। इसके साथ ही बाबा रामदेव ने कहा है कि जो गरीब और आर्थिक रूप से 600 रुपये खर्च करने में सक्षम नहीं होंगे उन तक यह दवा फ्री में पहुंचाने पर भी विचार किया जा रहा है

ऐसे मिलेगी दवा

 बाबा रामदेव की कोरोनिल दवा पतंजलि मेगा स्टोर पर मिलेगी। आपको ‘दिव्य कोरोना किट’ मिलेगा। इसमें तीन तरह की दवाएं होंगी। इसमें कोरोनिल टैबलेट के अलावा रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त करने वाली श्वसारी वटी भी मिलेगी। साथ ही, नेजल ड्रॉप के तौर पर अणु तेल का भी इस्तेमाल किया गया है

ऐसे किया जाएगा दवा का इस्तेमाल

बाबा रामदेव के पतंजलि द्वारा बनाए गए कोरोनिल किट के अणु तेल को सुबह के वक्त तीन-तीन बूंद नाक में डाला जाएगा। इसके बाद खाली पेट श्वसारि की तीन-तीन टैबलेट दी जाती है। वहीं खाने के बाद मरीज को कोरोनिल की तीन गोलियां दी जाती हैं।

सती अनुसूया की जयंती पर विशेष

अनसूया प्रजापति कर्दम और देवहूति की 9 कन्याओं में से एक तथा अत्रि मुनि की पत्नी थीं। उनकी पति-भक्ति अर्थात सतीत्व का तेज इतना अधिक था के उसके कारण आकाशमार्ग से जाते देवों को उसके प्रताप का अनुभव होता था। इसी कारण उन्हें ‘सती अनसूया’ भी कहा जाता है। सती अनसूया ने राम, सीता और लक्ष्मण का अपने आश्रम में स्वागत किया था। उन्होंने सीता को उपदेश दिया था और उन्हें अखंड सौंदर्य की एक ओषधि भी दी थी। सतियों में उनकी गणना सबसे पहले होती है।

बाल रूप में त्रिदेवों पर अपना ममत्व उंढेलतीं माता अनुसूया

अत्रि ऋषि की पत्नी और सती अनुसूया की कथा से अधिकांश धर्मालु परिचित हैं। उन की पति भक्ति की लोक प्रचलित और पौराणिक कथा है। जिसमें त्रिदेव ने उनकी परीक्षा लेने की सोची और बन गए नन्हे शिशु

एक बार नारदजी विचरण कर रहे थे तभ तीनों देवियां मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां पार्वती को परस्पर विमर्श करते देखा। तीनों देवियां अपने स तीत्व और पवित्रता की चर्चा कर रही थी। नारद जी उनके पास पहुंचे और उन्हें अत्रि महामुनि की पत्नी अनुसूया के असाधारण पातिव्रत्य के बारे में बताया। नारद जी बोले उनके समान पवित्र और पतिव्रता तीनों लोकों में नहीं है। तीनों देवियों को मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी। तीनों देवियों ने सती अनसूया के पातिव्रत्य की परीक्षा लेने के लिए अपने पतियों को कहा, तीनों ने उन्हें बहुत समझाया पर पर वे राजी नहीं हुई।

इस विशेष आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनसूया के सतित्व और ब्रह्मशक्ति परखने की सोची। जब अत्रि ऋषि आश्रम से कहीं बाहर गए थे तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने यतियों का भेष धारण किया और अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंचे तथा भिक्षा मांगने लगे।

अतिथि-सत्कार की परंपरा के चलते सती अनुसूया ने त्रिमूर्तियों का उचित रूप से स्वागत कर उन्हें खाने के लिए निमंत्रित किया।

लेकिन यतियों के भेष में त्रिमूर्तियों ने एक स्वर में कहा, ‘हे साध्वी, हमारा एक नियम है कि जब तुम निर्वस्त्र होकर भोजन परोसोगी, तभी हम भोजन करेंगे।’ 

अनसूया अस मंजस में पड़ गई कि इससे तो उनके पातिव्रत्य के खंडित होने का संकट है। उन्होंने मन ही मन ऋषि अत्रि का स्मरण किया। दिव्य शक्ति से उन्होंने जाना कि यह तो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। 

मुस्कुराते हुए माता अनुसूया बोली ‘जैसी आपकी इच्छा’, तीनों यतियों पर जल छिड़क कर उन्हें तीन प्यारे शिशुओं के रूप में बदल दिया। सुंदर शिशु देख कर माता अनुसूया के हृदय में मातृत्व भाव उमड़ पड़ा। शिशुओं को स्तनपान कराया, दूध-भात खिलाया, गोद में सुलाया। तीनों गहरी नींद में सो गए।

अनसूया माता ने तीनों को झूले में सुलाकर कहा- ‘तीनों लोकों पर शासन करने वाले त्रिमूर्ति मेरे शिशु बन गए, मेरे भाग्य को क्या कहा जाए। फिर वह मधुर कंठ से लोरी गाने लगी। उसी समय कहीं से एक सफेद बैल आश्रम में पहुंचा, एक विशाल गरुड़ पंख फड़फड़ाते हुए आश्रम पर उड़ने लगा और एक राजहंस कमल को चोंच में लिए हुए आया और आकर द्वार पर उतर गया। यह नजारा देखकर नारद, लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती आ पहुंचे।

 नारद ने विनयपूर्वक अनसूया से कहा, ‘माते, अपने पतियों से संबंधित प्राणियों को आपके द्वार पर देखकर यह तीनों देवियां यहां पर आ गई हैं। यह अपने पतियों को ढूंढ रही थी। इनके पतियों को कृपया इन्हें सौंप दीजिए।’ 

अनसूया ने तीनों देवियों को प्रणाम करके कहा, ‘माताओं, झूलों में सोने वाले शिशु अगर आपके पति हैं तो इन्हें आप ले जा सकती हैं।’ लेकिन जब तीनों देवियों ने तीनों शिशुओं को देखा तो एक समान लगने वाले तीनों शिशु गहरी निद्रा में सो रहे थे। इस पर लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती भ्रमित होने लगीं। 

नारद ने उनकी स्थिति जानकर उनसे पूछा- ‘आप क्या अपने पति को पहचान नहीं सकतीं? जल्दी से अपने-अपने पति को गोद में उठा लीजिए।’ देवियों ने जल्दी में एक-एक शिशु को उठा लिया। वे शिशु एक साथ त्रिमूर्तियों के रूप में खड़े हो गए। तब उन्हें मालूम हुआ कि सरस्वती ने शिवजी को, लक्ष्मी ने ब्रह्मा को और पार्वती ने विष्णु को उठा लिया है। तीनों देवियां शर्मिंदा होकर दूर जा खड़ी हो गईं। ती नों देवियों ने माता अनुसूया से क्षमा याचना की और यह सच भी बताया कि उन्होंने ही परीक्षा लेने के लिए अपने पतियों को बाध्य किया था। फिर प्रार्थना की कि उनके पति को पुन: अपने स्वरूप में ले आए। 

तीनों देवियों को उनए पतियों से मिलवाती हुईं सती अनुसूया

माता अनसूया ने त्रिदेवों को उनका रूप प्रदान किया। तीनों देव सती अनसूया से प्रसन्न हो बोले, देवी ! वरदान मांगो। त्रिदेव की बात सुन अनसूया बोलीः- “प्रभु ! आप तीनों मेरी कोख से जन्म लें ये वरदान चाहिए।

तभी से वह मां सती अनुसूया के नाम से प्रख्यात हुई तथा कालान्तर में भगवान दतात्रेय रूप में भगवान विष्णु का, चन्द्रमा के रूप में ब्रह्मा का तथा दुर्वासा के रूप में भगवान शिव का जन्म माता अनुसूया के गर्भ से हुआ। मतांतर से ब्रह्मा के अंश से चंद्र, विष्णु के अंश से दत्त तथा शिव के अंश से दुर्वासा का जन्म हुआ। 

मोदी के आवाहन पर भारत ने दिखाई एकता, की दीपावली

कोरोना के खिलाफ जंग में पीएम मोदी की अपील के बाद देशवासी आज रात 9 बजे 9 मिनट दीया, कैंडल, मोबाइल फ्लैश और टार्च जलाकर एकजुटता का परिचय देंगे. लोग दीया जलाने की तैयारी कर लिए हैं.

नई दिल्ली: 

कोरोना वायरस के खिलाफ पूरे देश ने एकजुट होकर प्रकाश पर्व मनाया. पीएम मोदी की अपील पर एकजुट होकर देश ने साबित कर दिया कि कोरोना के खिलाफ हिंदुस्तान पूरी ताकत से लड़ेगा. देश के इस संकल्प से हमारी सेवा में 24 घंटे, सातों दिन जुटे कोरोना फाइटर्स का भी हौसला लाखों गुना बढ़ गया. गौरतलब है कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में हैं. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश कोरोना के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं लेकिन भारत के संकल्प की वजह से देश में कोरोना संक्रमण विकसित देशों के मुकाबले कई गुना कम है.

Live Updates- 

  • कोरोना के खिलाफ एकजुट हुआ भारत, प्रकाश से जगमगाया पूरा देश
  • पीएम मोदी की अपील पर हिंदुस्तान ने किया कोरोना के खिलाफ जंग का ऐलान
  • कोरोना के खिलाफ जापान में जला पहला दीया,
  • कुछ देर बाद 130 करोड़ हिंदुस्तानी लेंगे एकजुटता का संकल्प

अमित शाह ने जलाए दीये

दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर सभी लाइट बंद करने के बाद मिट्टी के दीपक जलाए. 

योगी आदित्यनाथ ने जलाया दीया

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दीया जलाकर एकता की पेश की मिसाल. दीए की रोशनी से बनाया ऊं.

अनुपम खेर ने जलायी मोमबत्ती

अनुप खेर ने दीया जलाकर दिया एकता का संदेश

बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार को अपील की थी कि पूरे देश के लोग रविवार रात 9 बजे घर की बत्तियां बुझाकर अपने कमरे में या बालकनी में आएं और दीया, कैंडिल, मोबाइल और टॉर्च जलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी एकजुटा प्रदर्शित करें.