जो कुछ हुआ वह बहुत बुरा है. महाराष्ट्र में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. राज्यपाल का पद संवैधानिक है और मुख्यमंत्री को उनका सम्मान करना चाहिए को: बाला नांदगांवकर

महाराष्ट्र राजभवन की तरफ से इस बाबत जारी बयान में कहा गया कि राज्यपाल का ये दौरा निजी नहीं, आधिकारिक था. उन्हें उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में आईएएस अधिकारियों के 122वें इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने के लिए जाना था. राज्य सरकार को इस बाबत 2 फरवरी को ही बताया गया था, विमान पर पहुंचने के बाद भी परमिशन नहीं दी गई,जिसके बाद वो प्राइवेट कमर्सियल फ्लाइट से देहरादून के लिए रवाना हुए. . और अब राज्य भवन के अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ रही है उद्धव सरकार।

मुंबई. 

महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी विमान प्रकरण को लेकर राजभवन और उद्धव ठाकरे सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई है. इस पर राजभवन का कहना है कि 2 फरवरी को पत्र लिखकर राज्‍यपाल द्वारा सरकारी विमान के उपयोग की अनुमति मांगी गई थी. लेकिन राज्‍यपाल जब मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे और सरकारी विमान में सवार हुए तो उनसे अनुमति नहीं मिलने की बात कही गई. इस पर मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राजभवन के लोगों पर गलती और लापरवाही का आरोप लगाया है.

मुख्‍यमंत्री ठाकरे ने कहा, ‘महाराष्ट्र के राजभवन को विमान उपलब्धता के बारे में पता किया जाना चाहिए. राज्यपाल जैसे सम्मानित व्यक्ति के साथ अच्छा नहीं हुआ. इसके जिम्मेदार राजभवन के अधिकारी हैं. राज्य सरकार ने 10 फरवरी को विमान यूज करने से मना कर दिया था और इस संबंध में राजभवन के अधिकारियों को मुख्यमंत्री ऑफिस में बात करके एक बार पता कर लेना चाहिए था. फिर राज्यपाल के आने का प्रबंध करना चाहिए था.’ उन्‍होंने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और राजभवन के संबंधित अधिकारी की जिम्‍मेदारी तय की जानी चाहिए.

जभवन ने 5 बिंदु्ओं में राज्यपाल के कार्यक्रम की जानकारी दी

1. महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को शुक्रवार यानी 12 फरवरी को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री आईएएस एकेडमी के एक कार्यक्रम में पहुंचना है।
2. इसके चलते गवर्नर गुरुवार यानी 11 फरवरी को 10 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे।
3. मसूरी दौरे को देखते हुए राज्यपाल सचिवालय ने 2 फरवरी को ही महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर सरकारी विमान के इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी। इस बारे में मुख्यमंत्री को भी सूचना दी गई थी।
4. गुरुवार को राज्यपाल तय समय पर हवाईअड्डे पहुंचे और विमान में बैठ गए। तभी राज्यपाल को बताया गया कि सरकारी विमान के इस्तेमाल की इजाजत नहीं मिली।
5. इसके बाद कोश्यारी के निर्देश पर उनके लिए कमर्शियल एयरक्राफ्ट में टिकट बुक की गई। दोपहर 12.15 बजे वे मुंबई से देहरादून के लिए रवाना हुए।
इस मामले के तूल पकडऩे के बाद, मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि राजभवन सचिवालय को राज्यपाल के दौरे से पहले विमान के इस्तेमाल की अनुमति मिली है या नहीं, इसकी जांच-पड़ताल करनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री सचिवालय से 10 फरवरी को ही राज्यपाल के सचिवालय को विमान का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं मिलने की सूचना दी गई थी। इसके बावजूद राज्यपाल को सरकारी विमानों के उड़ान भरने की जगह पर ले जाया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय ने पूरे घटनाक्रम पर गहरी नाराजगी जताई है। साथ ही, लापरवाही बरतने वाले राजभवन के अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उन पर कार्यवाही करने की मांग की है।
राज्य सरकार के इस कदम से भाजपा नेताओं में नाराजगी है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्यपाल महोदय के साथ घटी यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह महाराष्ट्र के इतिहास में काला अध्याय है।

विपक्ष ने इस मामले पर साधा निशाना
भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगह सिंह कोश्यारी को सरकारी विमान से देहरादून की यात्रा करने की अनुमति नहीं देने को लेकर राज्य सरकार की गुरुवार को आलोचना की. उन्होंने शिवसेना नीत गठबंधन सरकार पर आरोप लगाया कि वह अहंकारी है और ‘बचकाना हरकतें’ कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह आरोप भी लगाया कि राज्य सरकार ने राज्यपाल के संवैधानिक पद का अपमान किया है.

वहीं, एमएनएस ने भी इसे राज्यपाल का अपमान बताकर उद्धव ठाकरे सरकार को घेरा है. एमएनएस नेता बाला नांदगांवकर ने कहा, ‘जो कुछ हुआ वह बहुत बुरा है. महाराष्ट्र में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. राज्यपाल का पद संवैधानिक है और उनका सम्मान करना चाहिए. साथ ही राज्यपाल को भी राज्य सरकार का सम्मान करना चाहिए. मुख्यमंत्री और राज्यपाल अहम पद हैं और दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए.’

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