घरेलू मैदान पर ममता दी को दोहरा झटका

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस सांसद सौमित्र खान ने लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में बीजेपी के अभियान को बल देते हुए बुधवार को भगवा पार्टी का दामन थाम लिया. खान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मुलाकात करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी में शामिल हो गए. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान व पश्चिम बंगाल के नेता मुकुल रॉय भी मौजूद थे. सौमित्र खान 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. वह विष्णुपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. विष्णुपुर से लोकसभा सांसद सौमित्र खान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद उनके पार्टी में शामिल होने की घोषणा संवाददाता सम्मेलन में की. सौमित्र ने कहा था कि वे पीएम मोदी के साथ काम करना चाहते हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में टीएमसी के शकील अंसारी सहित सैकड़ों अल्पसंख्यक नेता कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में अभियान में मजबूती मिली है. 


अनुपम हाजरा

तृणमूल कांग्रेस ने बोलापुर से सांसद अनुपम हाजरा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया है। टीएमसी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा है कि अनुपम हाजरा को ऐसी गतिविधियों में पाया गया है जो पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाती है। इसलिए पार्टी ने उन्हें सस्पेंड करने का फैसला किया है।

बता दें कि हाजरा पश्चिम बंगला के शांति नेकतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। इसके बाद उन्होंने साल 2014 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बोलापुर से चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। लेकिन अब पार्टी ने उन्हें निलंबति करने का फैसला किया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ममता बनर्जी के लिए यह किसी दोहरे झटके से कम नहीं है।

पश्चिम बंगाल में TMC के सामने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में उभरी BJP
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तौर जबरदस्त गहमागहमी चल रही है. पंचायत चुनाव के समय हिंसा की व्यापक घटनाओं के साथ ही सांप्रदायिक झड़प के मामले भी सामने भी आए हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा माकपा की जगह बीजेपी ही हर जगह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को चुनौती देती नजर आते दिख रही है.

इससे यह साबित हो गया है कि कांग्रेस और माकपा को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को चुनौती देने में मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर सामने खड़ी नजर आ रही है. तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में उन्हें अच्छी कामयाबी मिलेगी. राज्य में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं और दोनों पार्टियां अधिकतम सीटों पर जीत के दावे कर रही है.

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया था कि , ‘‘बंगाल से हम अधिकतम सीटें जीतेंगे. राज्य में हम कम से कम 26 सीटें जीतेंगे.’’ जवाब में, टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि 2019 के चुनाव में उनकी पार्टी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

अमित शाह ने राज्य की 42 लोसकभा सीटों में कम से कम 22 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा भी कहा था कि, ‘‘बंगाल में हम अधिकतर सीटें जीतेंगे. बंगाल के लोग टीएमसी के साथ हैं और उपचुनाव तथा ग्रामीण चुनावों में भी यह साबित हो चुका है जहां पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की.’’ ग्रामीण चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन से उत्साहित पार्टी प्रमुख अमित शाह ने राज्य की 42 लोसकभा सीटों में कम से कम 22 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है. पंचायत चुनाव के दौरान भगवा पार्टी को 7,000 से ज्यादा सीटों पर जीत मिली थी.

10% quta bill to table in RS today

A day after Lok Sabha passed a landmark bill to provide 10 per cent reservation in jobs and education for the general category poor, the government will table the bill in Rajya Sabha on Wednesday as the Constitution (103rd Amendment) Bill. With most parties backing the proposed legislation, the government has described the bill as “historic” and in the country’s interest.

The opposition, including the Congress, dubbed the proposed law as a political gimmick that may not stand judicial scrutiny but came around to support it during voting, underlining the huge political import of the measure aimed at placating upper castes.

As many as 323 members voted in support of the bill, which seeks to amend Article 15 and 16 of the Constitution to enable reservation for the “economically weaker” sections in the general category, which had so far been kept out of the quota ambit. Three members voted against the bill.

Prime Minister Narendra Modi and Congress president Rahul Gandhi were present in the Lower House when the bill was passed.

Replying to an over four and half hour debate, Social Justice Minister Thaavarchand Gehlot sought to allay doubts raised by several opposition members about the legislation’s fate if challenged in the Supreme Court, saying he can say with confidence that the apex court will accept it. “Your doubts are unfounded. Put them to rest,” he told opposition members, many of whom dubbed the bill as “jumla” and “gimmick”, questioned its legal standing and accused the government of bringing it in haste with an eye on the Lok Sabha polls.

Making an intervention during the debate, Union minister Arun Jaitley informed the House that this constitutional amendment bill will not go to state assemblies for ratification, meaning that it will come into force after the Upper House passes it and the President gives his assent. Certain constitutional amendment bills require ratification from 50 per cent of state assemblies to come into force.

The bar of 50 per cent put by the apex court on the total reservation is for caste-based quota, while the bill seeks it provide it for the economically weaker sections in the general category, Jaitley said. Describing the bill as a political gimmick, opposition parties led by the Congress expressed apprehension that such a law may not stand judicial scrutiny.

Citing P V Narasimha Rao’s government effort to bring in 10 per cent reservation on the basis of economic criteria, K V Thomas (Cong) said it was struck down by the Supreme Court.

This legislation has been made in haste and has so many lacunas, he said, adding, it should be sent to Joint Parliamentary Committee for examination. “It was only yesterday that Union Cabinet approved the Constitution Amendment for 10 per cent quota for poor under the general category on an economic basis and was introduced in Parliament today. It raises the question on the sincerity of the government,” he said. It seems to be political ‘jumla’ to win the election, he added.

मणि शंकर ऐय्यर ने कांग्रेस में वापिस आते ही राम मंदिर के बनाने के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाया

मुसलमानों का बंटवारा नहीं हुआ होता तो आज साठ करोड़ मुसलमानों की आवाज कौन दबा सकता था
दशरथ के महल में दस हजार कमरे थे और ऐसे में ये कैसे कहा जा सकता है कि श्रीराम का जन्म किस कमरे में हुआ? उन्होंने ये भी कहा कि यह समझ से परे है कि राम मंदिर वहीं बनाने की जिद क्यों की जा रही है
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर श्रीराम को काल्पनिक अवतार बताने वाली कांग्रेस अब ये मानने लगी है कि अयोध्या में राजा दशरथ का महल था
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राम जन्मभूमि विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इस मामले की अगली सुनवाई में ये तय होगा कि कौन सी बेंच और कौन से जज किन-किन मामलों को देखेंगे. लेकिन उस सुनवाई से पहले सियासत राम जन्मभूमि विवाद पर अपनी अलग नजर गड़ाए हुए है.

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने राम मंदिर को लेकर अबतक का सबसे विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने अयोध्या में भगवान राम के जन्म लेने के दावों पर ही सवाल उठा दिया है. मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि अयोध्या नरेश दशरथ के महल में दस हजार कमरे थे और ऐसे में ये कैसे कहा जा सकता है कि श्रीराम का जन्म किस कमरे में हुआ? उन्होंने ये भी कहा कि यह समझ से परे है कि राम मंदिर वहीं बनाने की जिद क्यों की जा रही है?

जहां एक तरफ कांग्रेस लगातार बीजेपी पर ये आरोप लगाती रही है कि वो ऐन लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण का मुद्दा विहिप, आरएसएस और बजरंग दल के जरिए जानबूझकर उछाल रही है तो वहीं दूसरी तरफ मणिशंकर अय्यर हिंदू आस्था पर सवाल उठा कर मामले को और गरमाने का काम कर दिया.

मणिशंकर अय्यर ने ये भी कहा कि मुसलमानों का बंटवारा नहीं हुआ होता तो आज साठ करोड़ मुसलमानों की आवाज कौन दबा सकता था. आखिर इस बयान से मणिशंकर अय्यर तुष्टीकरण की राजनीति के जरिए कौन सा संदेश और किस दिशा में संदेश देना चाहते हैं? क्या ये बयान सांप्रदायिक माहौल खराब करने और उकसाने के लिए नहीं माना जा सकता?

मणिशंकर अय्यर के बयान पर बीजेपी ने कहा कि कम से कम अय्यर ने ये तो माना अयोध्या में बाबरी ढांचा का गिरना कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी गलती थी और इसके लिए कोई माफी नहीं है. साथ ही बीजेपी के लिए ये भी मुद्दे की बात है कि कल तक सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर श्रीराम को काल्पनिक अवतार बताने वाली कांग्रेस अब ये मानने लगी है कि अयोध्या में राजा दशरथ का महल था.

लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर मणिशंकर अय्यर आखिर अपनी राजनीति से किसका भला करना चाहते हैं?

3 राज्यों में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस जोश में है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों की परिक्रमाएं कर रहे हैं. इस बार कांग्रेस के नारों में ये शोर नहीं है कि सत्ता में सांप्रदायिक ताकतों को आने से रोकना है क्योंकि मोदी सरकार सबका साथ-सबका विकास के नारे के साथ विकास के नाम पर वोट मांग रही है. राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी सत्ता में आने के बाद बेताबी की जगह सतर्कता ज्यादा दिखा रही है. लेकिन इन चार साल में बीजेपी के स्वभाविक हिंदू कार्ड की तोड़ निकालने के लिए कांग्रेस ने खुद की मुस्लिम परस्त छवि को बदलने की कोशिश की है. कांग्रेस का हिंदुत्व राहुल गांधी के जनेऊ और गोत्र के जरिए उसकी नई ताकत बन चुका है. खुद राहुल गांधी राम मंदिर के मुद्दे पर कोई भी बयान नहीं दे रहे हैं. लेकिन मणिशंकर अय्यर अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष से कुछ सीखना नहीं चाहते. जबकि राहुल गांधी कई दफे ये कह चुके हैं कि पार्टी के नेताओं को विवादास्पद मुद्दों पर बयान देने से बचना चाहिए और सतर्कता बरतनी चाहिए.

अब मणिशंकर अय्यर ने श्रीराम को लेकर नई बहस छेड़ दी है. जाहिर तौर पर ये सवाल अब कांग्रेस अध्यक्ष से भी पूछा जाएगा. राहुल से भी पूछा जाएगा कि वो क्या मानते हैं कि श्रीराम का जन्म कहां हुआ? राहुल से ये भी पूछा जाएगा कि मणिशंकर अय्यर के बयान पर उनकी क्या राय है? जिस तरह राफेल डील पर राहुल गांधी सवालों की फेहरिस्त ट्वीट के जरिए सामने रख रहे हैं उसी तरह हिंदूवादी संगठन भी उनसे राम मंदिर मुद्दे पर खुली राय मांग सकते हैं.

बहुत मुमकिन है कि मणिशंकर अय्यर के पहले के विवादास्पद बयानों की तरह इस बार भी कांग्रेस उनके बयान से पल्ला झाड़ ले. लेकिन सवाल उठता है कि मणिशंकर अय्यर खुद ऐसे बयानों से कब किनारा करेंगे?पिछले पांच साल में मणिशंकर अय्यर के विवादास्पद बयानों का सिलसिला सा दिखाई और सुनाई देता है जिसका सीधे तौर पर फायदा बीजेपी को ही मिलता आया है तो नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा है. चाहे साल 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर गुजरात विधानसभा का चुनाव.

‘चायवाला’ से शुरु हुआ बयानों का दौर ‘नीच’ जैसे शब्दों पर जा कर ठहरा. ऐसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल अय्यर ने पहले पीएम उम्मीदवार तो बाद में पीएम के लिए किए. तभी उन्हें पार्टी से निलंबन भी झेलना पड़ा है. लेकिन अब निलंबन के बाद वापसी करते हुए अय्यर के तेवरों में वहीं तल्खी बरकरार है. बहरहाल, दिल्ली में ‘एक शाम बाबरी मस्जिद के नाम’ मुशायरा कार्यक्रम में मणिशंकर अय्यर ने देश के सबसे विवादास्पद मुद्दे पर विवादित बयान देकर विवाद की आग में घी उड़ेलने का काम किया है जिसकी आंच एक बार फिर उस कांग्रेस को लग सकती है जिस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगता आया है.

सवर्णों को भी आरक्षण, सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का दायरा 50% से बढ़कर 60% होगा

सरकार ने गरीब सवर्णों के लिए नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक खेला है. मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि वह सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी. सोमवार को पीएम मोदी की अध्‍यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर मुहर लगाई गई. कैबिनेट ने फैसला लिया है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाएगा. आरक्षण का लाभ सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में मिलेगा. 

बताया जा रहा है कि आरक्षण का फॉर्मूला 50%+10 % का होगा. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में मंगलवार को मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने संबंधी बिल पेश कर सकती है. सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार संविधान में संशोधन के लिए बिल ला सकती है. इसके तहत आर्थिक आधार पर सभी धर्मों के सवर्णों को दिया जाएगा आरक्षण. इसके लिए संविधान के अनुच्‍छेद 15 और 16 में संशोधन होगा. केंद्र सरकार के इस फैसले पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसे कहते हैं 56 इंच का सीना.

सरकार के इस बड़े फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलना चाहिए. पीएम मोदी की नीति है कि सबका साथ सबका विकास. सरकार ने सवर्णों को उनका हक दिया है. पीएम मोदी देश की जनता के लिए काम कर रहे हैं.

मालूम हो कि करीब दो महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. हाल ही में संपन्न हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार हुई थी. इस हार के पीछे सवर्णों की नाराजगी को अहम वजह बताया जा रहा है.

पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी+ को 80 में से 73 सीटें मिली थीं. इस बार बीजेपी को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है. इसके बाद माना जा रहा था कि बीजेपी इस गठबंधन से निपटने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है. सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले को सरकार का मास्टस्ट्रोक माना जा रहा है.

दरअसल सियासी विश्‍लेषकों के मुताबिक सपा-बसपा ने यूपी में अपने चुनावी गठबंधन में कांग्रेस को रणनीति के तहत शामिल नहीं करने का फैसला किया है. उसके पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है कि बीजेपी के सवर्ण तबके में बंटवारे के लिहाज से कांग्रेस और सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं ताकि सवर्णों का वोट बीजेपी और कांग्रेस में विभाजित हो जाए. लेकिन लंबे समय से गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग के चलते इस घोषणा से बीजेपी को सियासी लाभ मिल सकता है.

कुछ भी खोकर गठबंधन नहीं होगा: अमित शाह

बीजेपी शायद ऐसा कोई दोस्त नहीं चाहती जो चुनावों में साथ रहते हुए माहौल बिगाड़ दे..
तीन राज्यों में मिली हार के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव को लेकर मीटिंग लेने का सिलसिला शुरू कर दिया है. दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में हुई मीटिंग में उनके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर, गृहराज्यमंत्री हंसराज अहीर, रक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे मौजूद थे.

रामराजे शिंदे, नई दिल्ली : बीजेपी ने आने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के सांसदों की मीटिंग दिल्ली में बुलाई थी. इस मीटिंग में शिवसेना के साथ गठबंधन होगा या नहीं इस सवाल पर अमित शाह ने अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है. उन्होंने साफ कहा, कुछ भी खोकर गठबंधन नहीं होगा. यह बात अमित शाह ने महाराष्ट्र के सांसदों के सामने रख दी है.

दरअसल तीन राज्यों में हारने के बाद बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा चुनाव को लेकर मीटिंग लेने का सिलसिला शुरू कर दिया है. दिल्ली के नए महाराष्ट्र सदन में हुई मीटिंग में उनके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, कॉमर्स मिनिस्टर प्रकाश जावडेकर, गृह राज्यमंत्री हंसराज अहिर, रक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे मौजूद थे.

हमारे सूत्र ने बताया कि इस मीटिंग में महाराष्ट्र के अहमदनगर के सांसद दिलीप गांधी ने शिवसेना के साथ गठबंधन होगा या नहीं यह सवाल पुछा. इस पर अमित शाह की ओर से कहा गया कि आप सभी अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में काम करो. विधानसभा में शिवसेना के साथ हमारा गठबंधन टूट गया. तब हमने तैयारी की और सबसे ज्यादा सीटें लेकर सत्ता में आ गए. ऐसी ही तैयारी इस बार करनी है. शिवसेना के साथ चर्चा चल रही है, लेकिन कुछ खोकर गठबंधन नही करेंगे’ यह स्पष्ट कर दिया. इसका मतलब शिवसेना ने ज्यादा सीटें मांगी तो उनके दबाव के झुकेंगे नहीं. खुद के बलबूते चुनाव लड़ने की तैयारी करने के लिए अमित शाह ने सभी सांसदों को संकेत दे दिए हैं.

मंत्रिमंडल में मनमुताबिक जगह न मिलना अखरा था…
दरअसल मौजूदा स्थिति में शिवसेना के पास 18 सांसद हैं. बीजेपी के पास 23 सांसद हैं. रामविलास पासवान के पार्टी के सांसद कम होने के बावजूद अच्छी मिनिस्ट्री दी गई है. शिवसेना के सांसद ज्यादा होने के बावजूद केंद्र सरकार में सिर्फ एक ही मिनिस्ट्री है. यही बात शिवसेना को खल गई है. उसके साथ ही 2014 में विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी ने गठबंधन तोड़ा, लेकिन ठीकरा शिवसेना के माथे पर फोड़ दिया. तभी से शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में खटास आ गई. लेकिन अब 3 राज्यों के नतीजों के बाद शिवसेना बीजेपी पर हावी होने का प्रयास कर रही है.

इसलिए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मीटिंग लेकर सभी सांसदों को प्रोग्राम दिया है. अपने चुनाव क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं को भोजन पर बुलाकर उनकी समस्या क्या है यह जान लेने का आदेश अमित शाह ने दिया है. इसके लिए 25 जनवरी की डेडलाइन दी है. कार्यकर्ताओं की समस्या सुनकर उसपर काम करने का भी आदेश दिया गया है.

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी तैयारी तो कर रही है, लेकिन शिवसेना साथ में नही होने का नुकसान बीजेपी के सांसदों में होगा. इसलिए बीजेपी सांसदों में भी नाराजगी दिखाई दे रही है. अमित शाह के बयान के बाद शिवसेना दो कदम पीछे जाएगी क्या और गठबंधन होगा क्या यह देखना दिलचस्प रहेगा.

खुले में नमाज़ – एक विश्लेषण

वाइज़ शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वोह जगह दिखा दे जहां पर खुदा ना हो

Er. S. K. Jain

उत्तर प्रदेश के जिला नोएडा में एक पार्क में नमाज़ पढ़ने पर लोगों ने आपत्ति जगाई थी। नोएडा पुलिस ने नोटिस जारी कर इस पर रोक लगा दी थी। देश का एक बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक असहनशीलता की नज़र से देखने लगा है। सोशल मीडिया पर इसे भड़काने की कोशिश हो रही है। यह विश्लेषण किसी एक धर्म या नमाज़ को ले कर नहीं बल्कि उस सोच पर है जिसके तहत लोग सड़कों पर प्रदर्शन करते हैं। धार्मिक भावनाओं की जगह अपने दिल में ओर अपने घर में होनी चाहिए, सड़कों या पार्कों में नहीं। किसी भी ऐसे कार्यक्र्म को जिससे लोगों को परेशानी हो, धार्मिक नहीं माना जा सकता है। धार्मिक कार्यक्रमों के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग ख़त्म कर देना चाहिए। इससे लोगों को परेशानी होती है और ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है। लाउडस्पीकर का प्रयोग तो मद्धम आवाज़ में और जन कल्याण की घोषणाओं इत्यादि के लिए ही होना चाहिए।

विडम्बना यह है की हमारे देश में अल्पसंख्यकों के हितों की बातें करने को धर्मनिरपेक्षता माना जाता है और बहुसंख्यकों की बात करने को असहनशीलता से जोड़ दिया जाता है। किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा मकसद नहीं है।

यह सारा विवाद नोएडा के एक पार्क से शुरू हुयथा। जहां आस पास की बहुत सी कंपनियों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारी इस पार्क में अक्सर नमाज़ पढ़ते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक पहले नमाज़ पढ़ने वालों की संख्या कम होती थी बल्कि सिर्फ दफ्तरों में काम करने वाले ही आते थे, लेकिन अब तो आस पास के लोग भी जुडते गए और कारवां बढ़ता गया। अब तो 500 से 700 लोग हर जुम्मे को जुम्मा करने आने लगे हैं। इसके साथ बिरयानी और दूसरे व्यंजन बेचने वालों का भी जमावड़ा शुरू हो गया है।

यू॰पी॰ पुलिस ने उचित कार्यवाही करते हुए संबन्धित लोगों को नोएडा प्रकरण से एन॰ओ॰सी॰ ले कर अनुमति लेने को कहा गया है। सिटी मेजिस्ट्रेट के आदेशों के आभाव में उन्हे वहाँ नमाज़ पढ़ने से माना गया है। बिना आदेश के किसी भी धर्म के लोगों को सार्वजनिक स्थान पर कार्यक्र्म करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, एस एस॰एस॰पि डॉ। अजयपाल शर्मा का कहना है कंपनियों को कहा गया है कि अपने कर्मचारियों को बताएं कि पार्कों में नमाज़ पढ़ने न जाएँ, और अगर इसका उल्लंघन हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी इनहि कंपनियों कि होगी।

इसके बाद इस मुद्दे पर पूरे देश में चर्चा होने लगी, कि खुले में नमाज़ पढ़ना जायज है कि नहीं? हमारे देश में जीतने भी लोग अपने आप को धर्म निरपेक्ष या सेकुलर कहने वाले हैं वह खड़े हो गए और कहने लगे कि यह तो बे इंसाफ़ी है। इस मामले में कुछ शरारती तत्त्व भी माहौल बिगाड़ने में जुट गए हैं। पार्कों के अलावा लोग ट्रैफिक जाम करते हैं और सड़कों पीआर नमाज़ पढ्न शुरू कर देते हैं। लोग धर्म का मामला मान कर डर जाते हैं और आपत्ति करने से घबराते हैं। लेकिन इस्लाम के कई जानकार इसे ठीक नहीं मानते। उनका कहना है कि जिस कि जगह पर नमाज पढ़ने के लिए उनसे इजाज़त लेना ज़रूरी है। हमारा संविधान सभी को अपने धर्म कि उपासना करने कि इजाज़त देता है। संविधान के आर्टिकल 25 के अनुसार देश के हर व्यक्ति को अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को मानने, उसकी उपासना करने का अधिकार है। सड़कों पर नमाज़ पढ़ने कि समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि कई और देशों में भी खड़ी हुई थी।

2011 में फ्रांस में ऐसे ही नज़ारे सामने आए। फ्रांस में अपना मुत्तल्ला बिछा कर सड़कों पर नमाज़ अता कि जाती थी। लोगों को बहुत परेशानी हुई और इसके बाद विरोध शुरू हुआ।  सितंबर 2011 में फ्रांस की सरकार ने सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगा दी। दुबई में पिछले साल अक्तूबर में सड़क के किनारे नमाज़ पढ़ते हुए लोगों पर एक कर जिसका टायर फट गया था, चढ़ गयी। इससे 2 लोगों की मृत्यु हो गयी। इसके बाद दुबई में सड़क किनारे नमाज़ पढ़ने वालों पर 1000 दरहम (लगभग 19,000/= रुपए) के जुर्माने का प्रावधान रखा गया। चीन के शिंजियांग प्रांत में सरकारी स्कूल, दफ्तरों ओर करप्रेत दफ्तरों में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी है।

इस्लाम के जान कार और लेखक ‘तारिक फतेह’ जो कि आजकल टोरंटो में रहते हैं ने कहा कि “नमाज़ मस्जिद में पढ़नी चाहिए, अगर मस्जिद नहीं है तो घर में जा कर पढ़ें। अगर घर से दूर हों तो आप जहां भी हों वहीं पर नमाज़ पढ़ सकते हैं, लेकिन आप किसी और कि जगह पर जा कर, कबजा कर नमाज़ पढ़ें या जुम्मा करें यह मुमकिन नहीं।“ आपकी नमाज़ से इसी और को नुकसान पँहुचे यह बिलकुल गैर इस्लामिक बात है। फ्रांस, लंदन, स्टोकहोम में भी यही सभी कुछ हुआ। उससे सिर्फ एक नियत नज़र आती है और वह है शरारत की। जैसा की आप भारत (नोएडा) की बात कर रहे हैं, यह कभी भी मान्य नहीं हो सकता।

हमारे देश में इन मुद्दों को बहुत संवेदनशील माना जाता है, और सरकारें भी जान बूझ कर इनसे दूरी बनाए रखतीन हैं। केंद्र और राजी सरकारे मानती हैं कि नमाज़ के बारे में हाथ डालेंगी तो उनके वोट बैंक खतरे में पड़ सकता है, इसीलिए तो इन सब चीजों को नज़रअंदाज़ करतीं हैं, जो कि आगे चल कर नासूर बन जातीं हैं। स्थानीय लोग शिकायत करते हैं ओर सरकारें इन्हे अनसुना कर देतीं हैं। लेकिन यह बात सिर्फ खुले में नमाज़ पर ही लागू नहीं होती, रोजाना हमारे शहर में गली, मुहल्ले या सड़क पर धार्मिक आयोजन, शादी ब्याह व्गैराह होते रहते हैं, बड़े बड़े लाउडस्पीकर बजते रहते हैं, शोर मचाया जाता है, पूरे सड़क,, गली या मोहल्ले को रोक दिया जाता है, औ यह सब बहुत ही भक्तिभाव से किया जाता है।

भारत में ध्वनि प्रदूषण के चले रात 10 बजे से सुयह 6 बजे तक लाउडस्पीकर य पी॰ए॰ सिस्टम का इस्तेमाल करना गैर कानूनी है। लेकिन इस कानून की हर दिन रात और शाम धज्जियां उड़ाई जातीं हैं। लोग इस बात से बी डरते हाँ कि पड़ौसी से दुश्मनी लेना शायद ठीक नहीं होगा।

सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक आयोजन (सभी तरह के) एवं नमाज़ वगैराह बंद कर देने चाहिये। असली पूजा व इबादत तो मन में उठने वाले विचारों से होती है उसके लिए दूसरों को परेशान करने कि ज़रूरत नहीं।

ट्रिपल तालाक बिल राज्य सभा में मुंह के बल गिरेगा: कांग्रेस महासचिव

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि लोकसभा में जब यह विधेयक पेश किया गया था तब 10 विपक्षी दल इसके खिलाफ खुल कर सामने आए थे

शनिवार को कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक विधेयक को इसके मौजूदा रूप में राज्यसभा में पारित नहीं होने देगी. वेणुगोपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस अन्य दलों को साथ लेकर विधेयक को इसके मौजूदा रूप में पारित नहीं होने देगी.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि लोकसभा में जब यह विधेयक पेश किया गया था तब 10 विपक्षी दल इसके खिलाफ खुल कर सामने आए थे. कांग्रेस नेता ने कहा कि यहां तक कि अन्नाद्रमुक और तृणमूल कांग्रेस ने भी इस विधेयक का खुल कर विरोध किया है. गौर करने वाली बात यह है कि अन्नाद्रमुक ने कई मुद्दों पर बीजेपी नीत सरकार का समर्थन किया है.

लोकसभा में पास हो चुका है बिल

उन्होंने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को सशक्त करने में कोई मदद नहीं करेगा. गौरतलब है कि गुरुवार को लोकसभा में यह विधेयक पारित हुआ था. उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह राज्यसभा में इस पर विचार किया जा सकता है. कांग्रेस महासचिव का यह भी कहा है कि इस विधेयक को लेकर कांग्रेस नीत यूपीए या केरल में पार्टी नीत यूडीएफ में कोई भ्रम नहीं है.

संसद के निचले सदम में यह बिल ध्वनी मत से पास हो चुका है और अगर यह राज्यसभा में भी पास हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बीजेपी नेता और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इस बिल पर राजनीति नहीं की जानी चाहीए. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह बिल किसी एक समुदाय के खिलाफ नहीं है.

‘The Accidental Prime Minister’ is BJP’s propaganda against our party, say Congress leaders

It’s a ‘riveting tale of how a family held the country to ransom for 10 long years,’ says BJP

“The Accidental Prime Minister”, a film starring Anupam Kher as Manmohan Singh, is BJP’s propaganda against their party, Congress leaders said on Friday as the former Prime Minister evaded comment on the growing controversy over the film on him.

The trailer of the film, based on the book of the same name by Sanjay Baru who served as Mr. Singh’s media advisor from 2004 to 2008, was released in Mumbai on Thursday.

The trailer shows Mr. Singh as a victim of the Congress’ internal politics ahead of the 2014 general election.

“Riveting tale of how a family held the country to ransom for 10 long years. Was Dr Singh just a regent who was holding on to the PM’s chair till the time heir was ready? Watch the official trailer of ‘TheAccidentalPrimeMinister’, based on an insider’s account, releasing on 11 January,” the BJP said on Thursday night.

Congress chief spokesperson Randeep Surjewala said on Twitter that such fake propaganda by the party would not stop it from asking the Modi government questions on “rural distress, rampant unemployment, demonetisation disaster, flawed GST, failed Modinomics, all pervading corruption.”

Asked by journalists to comment on the film at the Congress’s foundation day function at the party headquarters on Friday, Dr. Singh walked away without saying anything.

Truth shall prevail, says Gehlot

Congress leader and Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot said propaganda against the Congress and its leaders would not work and the truth shall prevail.

Mr. Gehlot’s party colleague PL Punia accused the BJP of evading answers on its ”misgovernance” after having ”failed” on all fronts.

“This is the handiwork of the BJP. They know that time has come to give answers after completion of five years and they are now trying to divert attention by raising such issues and evade answering to the public after its government failed on all fronts,” he said.

National Conference leader Omar Abdullah tweeted, saying, “Can’t wait for when they make The Insensitive Prime Minister. So much worse than being the accidental one.”

ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में 245 और खिलाफ 11 वोट पड़े

कांग्रेस के सांसद मांग कर रहे थे कि ट्रिपल तलाक बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने के बाद विरोध में उन्होंने वॉकआउट किया

लंबी चर्चा के बाद आखिरकार लोकसभा से ट्रिपल तलाक बिल को हरी झंडी मिल गई है. ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में 245 और खिलाफ 11 वोट पड़े हैं. बिल पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और AIADMK ने वॉकआउट किया.

कांग्रेस के सांसद मांग कर रहे थे कि ट्रिपल तलाक बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने के बाद विरोध में उन्होंने वॉकआउट किया.

इससे पहले कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा था कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा था शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.

इसके जवाब में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.

इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि जब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ.

स्मृति ईरानी ने कहा था कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 477 महिलाएं ट्रिपल तलाक की शिकार हुईं- स्मृति ईरानी

तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक पर गुरुवार यानि आज लोकसभा में चर्चा हो सकती है. पिछले सप्ताह सदन में इस पर सहमति बनी थी कि 27 दिसंबर को विधेयक पर चर्चा होगी. इससे पहले कांग्रेस ने इस पर सहमति जताई थी कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी. दरअसल, लोकसभा में पिछले सप्ताह जब मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया था तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया था कि इस पर अगले सप्ताह चर्चा कराई जाए.  इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा था कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी.

बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया

इस पर खड़गे ने कहा था, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए. हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे. हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं. वहीं इस पर बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है और चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है. अध्यादेश सितंबर में लाया गया था, जिसके अंतर्गत त्वरित तीन तलाक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध माना गया था. मोदी कैबिनेट ने इस बिल में 9 अगस्त को तीन संशोधन किए थे, जिसमें जमानत देने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होगा और कोर्ट की इजाजत से समझौते का प्रावधन भी होगा.

पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा.

दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा.

तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा.

अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’को मंजूरी प्रदान की थी. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था. इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे. 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था.

इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे 

प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस साल एक बार में तीन तलाक के 177 मामले सामने आए थे और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए. इसमें उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा. इसको देखते हुए सरकार ने कानून की योजना बनाई.

संसद की कार्यवाही LIVE UPDATES:

  • 16:59(IST)केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.
  • 16:54(IST)स्मृति ईरानी ने किया कांग्रेस पर हमलाजब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ: स्मृति ईरानी
  • 16:41(IST)टीडीपी एमपी ने कहा कि सरकार को पुरुषों को महिलाओं की रक्षा करने पर ध्यान देना चाहिए. बीजेपी सरकार में पुरुष-महिलाओं के साथ लिचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक बिल जम्मू-कश्मीर में भी लागू होना चाहिए.
  • 15:52(IST)बाल विवाह और सती प्रथा भी तो खत्म हुआ. बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठी थी तो वो भी खत्म हुआ. उस वक्त भी कुछ लोगों ने इसे मजहब से जोड़ा था, लेकिन वो खत्म हुआ हमारे देश के लोगों ने खत्म किया. आज कौन सी समस्या आ गई जो हम उसका विरोध कर रहे हैं: मुख्तार अब्बास नकवी
  • 15:11(IST)कांग्रेस को मीनाक्षी लेखी का जवाब-बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.
  • 14:58(IST)कांग्रेस नेता ने किया ट्रिपल तलाक का विरोधकांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.आगे बोलते हुए उन्होंने कहा शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.
  • 14:42(IST)RSP नेता एनके प्रेमचंद्रन ने भी ट्रिपल तलाक बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार ये बिल गुप्त रूप से ला रही है. 
  • 14:38(IST)AIADMK नेताओं ने कावेरी मुद्दे पर नारे लगाए. तमिलनाडु नेताओं ने मेडाकोट्टु मुद्दा भी उठाया. इस दौरान स्पीकर ने शांति बनाए रखने के लिए कहा.
  • 14:29(IST)कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कहा कि यह बेहद जरूरी बिल है जिसके बारे में गहन अध्य्यन होना चाहिए. इसके साथ ये संवैधानिक मामला भी है. मैं बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का आग्रह करता हूं. 
  • 14:23(IST)कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान कहा कि 20 इस्लामिक राष्ट्रों ने ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो हमारे जैसा धर्म निरपेक्ष ऐसा क्यों नहीं कर सकता? मेरा अनुरोध है कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
  • 14:20(IST) हमारी सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है. मैं नारी सम्मान की बात करता हूं. तीन तलाक बिल का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. बिल पर विपक्ष के साथ चर्चा को तैयार हैं: रविशंकर प्रसाद  
  • 14:08(IST)मामले की गंभीरता को देखते हुए लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मुस्लिम महिला ( विवाह पर अधिकार की सुरक्षा ) बिल 2018 पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय दिया है. 
  • 13:09(IST)लोकसभा की कार्यवाही फिर स्थगितराफेल डील पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा. बीच में केरल से सांसद शशि थरूर ने केरल में आए बाढ़ की त्रासदी का मसला उठाया. उन्होंने केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आर्थिक पैकेज दिए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 7,304 करोड़ रुपए की मांग की थी. लेकिन केंद्र से सिर्फ 100 करोड़ रुपए मिले हैं. इस बीच राफेल डील पर हंगामा जारी रहा और लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
  • 11:51(IST)राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगितराज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद हंगामा के चलते कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गई. राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने हंगामा शांत कराने की कोशिश की. लेकिन सदस्य नारे लगाते रहे. जिसके बाद उन्होंने कहा कि राज्यसभा की कार्यवाही चलने देने में किसी की रूचि नहीं है इसलिए इसे दिनभर के लिए स्थगित किया जाता है.
  • 11:47(IST)कांग्रेस तीन तलाक पर विधेयक का विरोध करेगीमल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस तीन तलाक विधेयक का विरोध करेगी. उन्होंने कहा कि वो हमलोग चर्चा में हिस्सा लेंगे लेकिन पुराने विचार पर अब भी कायम हैं. हम सरकार से अपील करेंगे कि वो धार्मिक मसलों में हस्तक्षेप न करे. अब वो विधेयक को स्टैंडिंग कमिटी को भेजेंगे या नहीं ये उनपर निर्भर करता है.
  • 11:43(IST)लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा था कि वो तीन तलाक की चर्चा में हिस्सा लेंगे. लेकिन लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सांसद राफेल डील पर हंगामा करने लगे. लोकसभी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने खडगे को याद दिलाया कि उन्होंने कहा था कि तीन तलाक पर चर्चा में कांग्रेस के सांसद सही तरीके से हिस्सा लेंगे. स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि राफेल डील के मुद्दे को 12 बजे उठा सकते हैं. लेकिन विपक्षा का हंगामा जारी रहा. जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक का दुरुपयोग हो रहा है. मुस्लिम महिलाओं को कभी ईमेल से तो कभी वाट्सएप से तलाक दिया जा रहा है इसलिए सरकार ने इसपर रोक लगाने के मकसद से तीन तलाक बिल पेश किया.