भारत ने बनाया एचएसटीडीवी

नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम को नई ऊंचाई पर पहुंचाते हुए बुधवार को हाइपरसोनिक रफ्तार हासिल करने के लिए टेस्ट लॉन्च किया. इस हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (Hyper-sonic Technology Demonstrator Vehicle) को भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसके ज़रिये काफ़ी कम खर्च में सैटेलाइट लॉन्चिंग भी की जा सकेगी. रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान यानी डीआरडीओ ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि ये लॉन्च क़ामयाब रहा या नहीं. डीआरडीओ ने एक प्रेस रिलीज़ में केवल ये जानकारी दी कि Technology Demonstrator Vehicle को उड़ीसा के तट से डॉ. अब्दुल कलाम आईलेंड से सफ़लतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया.

How fast are the Mach speeds?
Mach Speed is when an object moves faster than the speed of sound. For normal and dry conditions and temperature of 68 degrees F, this is 768 mph, 343 m/s, 1,125 ft/s, 667 knots, or 1,235 km/h.Nov 15, 2017

The speed achieved by DRDO is 7410 Km/h

Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle या एचएसटीडीवी प्रोग्राम को अपने हाइपरसोनिक मिसाइलों के निर्माण के लिए डीआरडीओ पिछले दो दशक से आगे बढ़ा रहा है. इसमें स्क्रैमजेट (SCRAMJET) इंजन का इस्तेमाल होता है जिससे रफ्तार 6 मैक तक हासिल की जा सकती है. भारत ने इंजन से एयरफ्रेम को लगाने का काम 2004 में पूरा कर लिया था.

सूत्रों के मुताबिक एक टन वज़नी और 18 फीट लंबे इस एयरव्हीकल को अग्नि 1 मिसाइल से लॉन्च किया गया. इसे एचएसटीडीवी को एक ख़ांस ऊंचाई तक पहुंचाना था जिसके बाद स्क्रैमजेट इंजन अपने आप चालू होता और वो व्हीकल को 6 मैक की रफ्तार तक पहुंचाता. लेकिन अभी ये साफ़ नहीं हो पाया कि क्या पूरा लॉन्च योजनाबद्ध ढंग से हो पाया या नहीं. इस संबंध में डीआरडीओ ने कोई और जानकारी नहीं दी है. 

हालांकि इस बात का ज्यादा महत्व नहीं है कि लॉन्च क़ामयाब हुआ या नहीं बुधवार को भारतीय वैज्ञानिकों ने एक मील का पत्थर पार कर लिया. रूस, अमेरिका औऱ चीन के बाद केवल भारत ऐसा देश है जिसने इस तकनीक को विकसित किया है. 9 जनवरी 2014 को अमेरिकी जासूसी उपग्रहों ने चीन के किसी फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को 5 मैक से 10 मैक की रफ्तार से 100 किमी ऊपर उड़ते हुए रिपोर्ट किया था. बाद में चीन स्वीकार किया कि ये उसका WU-14 एचएसटीडीवी था.

भारत ने रूस के सहयोग से सुपरसोनिक यानी आवाज़ की रफ्तार से ज्यादा तेज़ उड़ने वाली ब्रह्मोस मिसाइल बनाने और उसे शानदार ढंग से इस्तेमाल करने में क़ामयाबी पाई है. इसकी रफ्तार 2.8 मैक तक हो सकती है. लेकिन अब अगला क़दम ब्रह्मोस मार्क 2 के निर्माण का है जिसकी रफ्तार 7 मैक तक होगी. भविष्य में मिसाइलों से लेकर नागरिक इस्तेमाल के लिए लॉन्च व्हीकल बनाने के लिए हाइपरसोनिक रफ्तार हासिल करने की दौड़ होगी. 

लोक सभा ही नहीं राज्य सभा में भी बढ़ेंगी भाजपा की सीटें

अजेय भाजपा के रथ को रोक्न गठबंधन के भी बस का नहीं है, कारण कई सांसदिया क्षेत्रों में विपक्ष के मिल कर भी उतने मत नहीं हैं जो भाजपा को हटा पाते। लेकिन विपक्ष मोदी की प्रचंड जीत के बाद भी अभी बाज नहीं आया है। कांग्रेस को यकीन है की अब वह लोक सभा में मात्र 44 थे तब उन्होने सांसद नहीं चलने दी थी तो अब तो वह फिर 51 हैं, राज्य सभा में भी विपक्ष बहू संख्या में है इसी लिए विपक्ष अपनी मन मर्ज़ी करेगा। लें राज्य सभा में भारी लत फेर के संकेत हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में भारी सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास अगले साल के अंत तक राज्यसभा में बहुमत हो जाएगा और उसके बाद मोदी सरकार के लिए अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में आसानी हो जाएगी. फिलहाल राजग के पास राज्यसभा में 102 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग के पास 66 और दोनों गठबंनों से बाहर की पार्टियों के पास 66 सदस्य हैं.

राजग के खेमे में अगले साल नवंबर तक लगभग 18 सीटें और जुड़ जाएंगी. राजग को कुछ नामित, निर्दलीय और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है. राज्यसभा में आधी संख्या 123 है और ऊपरी सदन के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्य करते हैं. अगले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश में खाली होने वाली राज्यसभा की 10 में से अधिकांश सीटें भाजपा जीतेगी. इनमें से नौ सीटें विपक्षी दलों के पास हैं. इनमें से छह समाजवादी पार्टी (सपा) के पास, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक कांग्रेस के पास है.

अगले साल असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 309 सदस्य हैं. सपा के 48, बसपा के 19 और कांग्रेस के सात सदस्य हैं. अगले साल तक बीजेपी को असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी. भाजपा राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सीटें गंवाएगी. महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणामों का भी राजग की सीट संख्या पर असर होगा. हालांकि असम की दो सीटों के चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जबकि तीन अन्य सीटें राज्य में अगले साल तक खाली हो जाएंगी. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास राज्य विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत है.

एक तिहाई सीटें जून और नवंबर में खाली होंगी
ऊपरी सदन की लगभग एक-तिहाई सीटें इस साल जून और अगले साल नवंबर में खाली हो जाएंगी. दो सीटें अगले महीने असम में खाली हो जाएंगी और छह सीटें इस साल जुलाई में तमिलनाडु में खाली हो जाएंगी. उसके बाद अगले साल अप्रैल में 55 सीटें खाली होंगी, पांच जून में, एक जुलाई में और 11 नवंबर में खाली होंगी.

कई अहम बि‍ल पास करा सकेगी बीजेपी
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का प्रयास अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने का होगा, जो पिछले पांच सालों के दौरान विपक्ष के विरोध के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थीं. सरकार तीन तलाक विधेयक को पास नहीं करा सकी, जबकि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है. नागरिकता संशोधन विधेयक भी पास नहीं हो पाया है. बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति दोनों ने हालांकि भाजपा और कांग्रेस से समान रूप से दूरी बना रखी है, लेकिन दोनों दलों ने पिछले साल राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए हरिवंश का समर्थन किया था.

exit pol के अनुसार यदि नतीजे ना भी आए तो भी एनडीए की बनेगी सरकार यह 3 दल देंगे समर्थन

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम से पहले कुछ Exit Poll ने बीजेपी को आगे दिखाया है तो कुछ ने दावा किया है कि एनडीए पूर्ण बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएगा. यूपीए और एनडीए की इस दौड़ में उन दलों पर सबसे ज्‍यादा नजरें रहेंगीं, जिन्‍होंने अब तक एनडीए और यूपीए दोनों से दूरी बना रखी है. उन्‍होंने अब तक पत्‍ते नहीं खोले हैं. एनडीए को इन दलों से उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि इन दलों ने अभी तक की संप्रग की सारी कोशिशों को ठेंगा दिखा दिया है।

  • नवीन पटनायक की तारीफ खुद पीएम मोदी कर चुके हैं.
  •  जगन उस खेमे हिस्सा नहीं बनेंगे, जहां चंद्रबाबू नायडू होंगे.
  •  केसीआर की महत्वाकांक्षा केंद्र में बड़ी भूमिका निभाने की है.

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव परिणाम घोषित होने ही वाले हैं. उससे पहले आए Exit Poll ने सभी दलों की धड़कनों को बढ़ा दिया है. हालांकि कुछ Exit Poll ने बीजेपी को आगे दिखाया है तो कुछ ऐसे भी पोल हैं, जिसमें दावा है कि बीजेपी नीत एनडीए पूर्ण बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएगा. ऐसे में यूपीए ने भी सरकार बनाने के लिए कमर कसकर तैयारी शुरू कर दी है. यूपीए और एनडीए की इस दौड़ में उन दलों पर सबसे ज्‍यादा नजरें रहेंगीं, जिन्‍होंने अब तक एनडीए और यूपीए दोनों से दूरी बना रखी है. उन्‍होंने अब तक पत्‍ते नहीं खोले हैं.

बीजेपी के लिहाज से ये दल इसलिए भी अहम हैं, क्‍योंकि इन्‍होंने यूपीए की ओर से की गई कोशिशों को ठेंगा दिखा दिया है. इन्‍होंने यूपीए को कोई भी आश्‍वासन नहीं दिया है. यहां तक कि एक दल ने तो यूपीए नेताओं से बात भी नहीं की है. हम बात कर रहे हैं, ओडिशा में बीजेडी के नेता नवीन पटनायक, वाइएस कांग्रेस के नेता जगन रेड्डी और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव की.

नवीन पटनायक एनडीए को पहले ही संकेत दे चुके हैं
सबसे पहले बात नवीन पटनायक की. ओडि‍शा की राजनीति के शिखर नेता. पिछले 2 दशक से वह राज्‍य की सत्‍ता में सबसे ऊपर की कुर्सी पर विराजमान हैं. इतने दिनों में उन्‍हें चुनौती देने वाला कोई भी नेता सामने नहीं आया है. उन्‍होंने वर्ष 2000 में सीएम की कुर्सी संभाली थी. इस बार के चुनावों में उन्‍हें बीजेपी ने चुनौती दी है. हालांकि अब भी उन्‍हें ज्‍यादातर Exit Poll 10 से 15 सीटें देते हुए दिख रहे हैं. नवीन पटनायक ने एनडीए को समर्थन का संकेत दे दिया है. उन्‍होंने कहा जो सरकार हमारे हितों का ध्‍यान रखेगा हम उसके साथ जाने के लिए तैयार हैं.

अब बात आंध्र प्रदेश में तेजी से लोकप्र‍िय हुए पूर्व मुख्‍यमंत्री वाइ एस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन की. वह भी एनडीए को समर्थन दे सकते हैं. यूपीए की ओर से जब शरद पवार ने उनसे बात करने की कोशिश की तो उन्‍होंने पवार का फोन ही नहीं उठाया. ऐसे में बीजेपी को जगन से समर्थन मिलने का पूरा भरोसा है.

यूपीए ने TRS से संपर्क किया, लेकिन नहीं मिला कोई भरोसा
यूं तो केसीआर खुलकर कह चुके हैं कि वह न तो कांग्रेस के साथ जाएंगे, न ही बीजेपी के साथ. लेकिन चुनाव से पहले उन्‍होंने यूपीए को यह कहते हुए झटका दे दिया है कि उन्‍हें लगता है कि केंद्र में एनडीए की ही सरकार बनेगी. यूपीए ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव को त्रिशंकु संसद बनने की सूरत में सरकार गठन के लिये अपने साथ लाने के लिये उनसे संपर्क किया है.

टीआरएस ने कहा-एनडीए की ही सरकार बनेगी
टीआरएस के सूत्रों ने कहा कि संप्रग ने महाराष्ट्र के कद्दावर नेता और राकांपा प्रमुख शरद पवार के जरिये राव से संपर्क किया है. हालांकि इस पर राव की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आई है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी पार्टी को लगता है कि राजग की सरकार बनेगी. उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि यह (राजग) हो सकता है कि एग्जिट पोल की भविष्यवाणी के करीब न हो. इसमें कुछ सीटें कम हो सकती हैं, लेकिन यह सरकार बनाएगा. लोगों का मूड राजग की ओर है। हमें यह स्वीकार करना चाहिये.”

“Fani” threatening Eastern Ghats

The IMD said the possibility of landfall in Odisha is under continuous watch.

Cyclone ‘Fani’ intensified into a ‘severe cyclonic storm’ on Monday evening and is headed towards the Odisha coast, the India Meteorological Department (IMD) said.

It could take a shape of an ‘extremely severe cyclone’ by Wednesday, prompting the government to put the National Disaster Response Force and the Indian Coast Guard on high alert, officials said.

In its 9 pm bulletin, the Cyclone Warning Division of the IMD said the storm currently lays about 620 km east-northeast of the Trincomalee in Sri Lanka, 770 km east-southeast of Chennai and 900 km south-southeast of Machilipatnam.

“The Cyclonic storm ‘Fani’ (pronounced as Foni) over Southeast Bay of Bengal and neighbourhood moved north-northwestwards with a speed of about 16 kilometres per hour in last six hours, intensified into a severe cyclonic storm.

“It is very likely to intensify into a very severe cyclonic storm during next 24 hours and into an extremely severe cyclonic storm during subsequent 24 hours. It is very likely to move northwestwards till May 1 evening and thereafter recurve north-northeastwards towards the Odisha coast,” the bulletin said.

The National Crisis Management Committee (NCMC), the country’s top body to deal with emergency situation, Monday took stock of the situation arising out of cyclone ‘Fani’ and assured the state governments concerned of all assistance from the central government to face the storm.

The NDRF and the Indian Coast Guard have been put on high alert and the fishermen have been asked not to venture into the sea as cyclone ‘Fani’ is expected to intensify into a ‘very severe storm’ by Tuesday, the Home Ministry said.

The wind speed of a cyclonic storm is 80-90 kilometres per hour with wind gusting up to 100 kmph. In case of an ‘extremely severe cyclonic storm’, the wind speed goes up to 170-180 kmph and could gain the speed of 195 kmph.

Light to moderate rainfall at a few places is very likely over north coastal Andhra Pradesh and south coastal Odisha on Thursday.

The precipitation is likely to increase intensity with ‘heavy to very heavy rainfall’ at isolated places over coastal Odisha and adjoining districts of north coastal Andhra Pradesh from Thursday.

Light to moderate rainfall is expected at many places. Downpour at isolated places is also very likely to start over coastal districts of West Bengal from Friday, the IMD said.

The NCMC met here under the chairmanship of Cabinet Secretary P K Sinha and took stock of the situation. Chief secretaries, principal secretaries of Tamil Nadu, Andhra Pradesh, Odisha and West Bengal attended the meeting through video conference.

Senior officers from the central ministries and agencies concerned also attended the meeting.

The NDRF and the Indian Coast Guard are coordinating with the state governments. The home ministry has assured the state governments to release in advance the first instalment of the State Disaster Response Fund (SDRF), as per their request, a Home Ministry statement said.

During the meeting, officers of all the state governments concerned confirmed their full preparedness to deal with any emerging situation arising out of the cyclonic storm.

Further, the state government highlighted that there is a seasonal ban on fishing in sea up to June 14 due to breeding season. The state governments were advised to effectively enforce this ban.

According to the IMD, the cyclone’s landfall over Tamil Nadu and Andhra Pradesh is ruled out. However, the possibility of landfall in Odisha is under continuous watch.

Regular warnings have been issued since April 25 to fishermen not to venture into the sea and asking those at sea to return to the coast.

The IMD has been issuing three hourly bulletins with latest forecast to all the states concerned. The Home Ministry is also in continuous touch with the state governments and the central agencies concerned, the statement said.

The NCMC meeting followed directions from Prime Minister Narendra Modi, who is closely monitoring the situation. The NCMC will meet again on Tuesday to take stock of the situation.

[responsivevoice_button voice=”UK English Female” buttontext=”Listen to Post”]

मयूरभंज में जेएमएम, बीजेडी के लिए भाजपा से बड़ी चुनौती

मयूरभंज: ओडिशा की मयूरभंज सीट पर चुनावी जंग अक्सर दिलचस्प रही है. इस सीट का चुनावी इतिहास भी अपने आप में अनूठा ही है. यह एक ऐसी सीट है जहां कांग्रेस, बीजेपी, बीजेडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा को सफलता हाथ लगती रही है. शायद यही वजह रही है कि वह इस बार बीजेपी और बीजेडी दोनों ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. 

मयूरभंज सीट पर इस बार बीजेपी और बीजेडी दोनों ने ही अपना प्रत्याशी बदल दिया है. 2014 में इस सीट से बीजेडी के रामचंद्र हांसदा जीते थे, इस बार पार्टी ने यहां से डॉ देवाशीष मरांडी को टिकट दिया है. बीजेपी ने इस सीट से विशेषश्वर टुडु को मैदान में उतारा है. जबिक पिछली बाहर डॉ.नेपॉल रघु मुर्मू को टिकट दिया है. 

2104 में बीजेडी के रामचंद्र हांसदा को 3,93,779 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के डॉ.नेपॉल रघु मुर्मू को 2,70,913 को वोट मिले थे. 

ओडिशा की यह एक ऐसी सीट पर जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा खासा दबदबा रखती है. पिछले चुनाव में जेएमएम यहां से तीसरे स्थान पर रही थी. इस बार यहां से जेएमएम को अंजनी सोरेन को टिकट दिया है.

कैसा रहा है इस सीट का राजनीतिक इतिहास 
2014 और 2009 में यहां से बीजेडी को कामयाबी हाथ लगी थी. 2004 के लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यह सीट जीती थी. 1999 और 1998 में यहां बीजेपी ने बाजी मारी.  

यह दिलचस्प है मयूरभंज देश की ऐसी सीट रही है जहां आजादी के बाद कांग्रेस को कामयाबी नहीं मिल पाई. इस सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ लेकिन कांग्रेस को यह सीट जीतने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. 1980 के चुनाव में कांग्रेस का इंतजार खत्म हुआ और यह सीट पार्टी ने जीत ली. इसके बाद 1984, 1989, 1991, 1996 के चुनावों में यहां से कांग्रेस जीतती रही. लेकिन 1998 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई तब से अब तक इस सीट पर कांग्रेस जीत नहीं सकी है. 

3 बजे तक 69.94% मतदान हुआ

नई दिल्‍ली : लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) के पहले चरण के लिए मतदान आज (11 अप्रैल) सुबह सात बजे से जारी है. इसके तहत 20 राज्‍यों की 91 लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग हो रही है. इन सीटों पर कुल 1279 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. पहले चरण की वोटिंग को लेकर मतदाताओं में भी भारी उत्‍साह देखने को मिल रहा है. राज्‍यों के पोलिंग बूथों पर मतदाताओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं. लोग सुबह से ही मतदान करने पहुंच रहे हैं.

पहले चरण में पश्‍चिम बंगाल में जमकर वोटि‍ंग हो रही है. 3 बजे तक 69.94 फीसदी मतदान हो चुका है. पहले चरण में पश्‍चिम बंगाल की दो सीट कूच बेहार, अलीपुरद्वार में वोट डाले जा रहे हैं. नगालैंड और मिजोरम में भी करीब 70 फीसदी वोट डाले जा चुके हैं. 

दोपहर 3 बजे तक यूपी में 51 फीसदी, लक्षद्वीप में 51.25 फीसदी, नागालैंड में 68 फीसदी, मिजोरम में 55.20 फीसदी, त्रिपुरा पश्चिम सीट पर 68.65 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 69.94 फीसदी, तेलंगाना 48.95 फीसदी, असम में 59.5 फीसदी और मेघालय में 55 फीसदी, उत्‍तराखंड में 46.59 फीसदी और मणिपुर में 68.90 फीसदी मतदान हुआ. वहीं महाराष्‍ट्र की नागपुर लोकसभा सीट पर 38.35 फीसदी वोट पड़े. 

महाराष्‍ट्र के नागपुर लोकसभा क्षेत्र में दुनिया की सबसे छोटे कद की महिला ज्‍योति आम्‍गे ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. ज्‍योति आम्‍गे की लंबाई 2 फीट 1 इंच है. 

आंध्र प्रदेश में मतदान के दौरान हिंसा का मामला सामने आया है. यहां के अनंतपुर में टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष हुआ है. बताया जा रहा है कि वाईएसआर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के हमले में तदीपत्री के स्‍थानीय टीडीपी नेता भास्‍कर रेड्डी की हत्‍या कर दी गई. इसके अलावा आंध्र प्रदेश के कई इलाकों में वाईएसआर कांग्रेस की ओर से किए गए हमलों की खबरें आ रही हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना की निंदा की है. उन्‍होंने आरोप लगाया है कि टीडीपी हिंसा फैलाना चाहती है.

योग गुरु रामदेव ने हरिद्वार में अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उनके साथ आचार्य बालकृष्‍ण भी मौजूद रहे. वहीं तेलंगाना के खम्‍मम में कांग्रेस उम्‍मीदवार रेणुका चौधरी ने वोट डाला है. बिहार के औरंगाबाद में दोपहर एक बजे तक 35.60 फीसदी, गया में 33 फीसदी, नवादा और जमुई में 29 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है. दोपहर 1 बजे तक जम्‍मू-कश्‍मीर की दो सीटों बारामूला और जम्‍मू में संयुक्‍त रूप से 35.52 फीसदी मतदान हुआ. वहीं सिक्किम में 39.08 फीसदी और मिजोरम में 46.5 फीसदी मतदान हुआ है

सहारनपुर में बदली गईं 100 से अधिक EVM
यूपी के सहारनपुर में दोपहर 1 बजे तक 41.60 फीसदी, कैराना में 39.80 फीसदी, मुजफ्फरनगर में  37.60 फीसदी, बिजनौर में 40.80 फीसदी, मरेठ में 40.60 फीसदी, बागपत में 38 फीसदी, गाजियाबाद में 33.20 फीसदी और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 38.60 फीसदी मतदान हुआ है. यूपी के सहारनपुर में ईवीएम खराबी का सबसे बड़ा मामला सामने आया है. यहां के पोलिंग बूथों में लगी करीब 100 से अधिक ईवीएम को खराब होने के बाद बदला जा चुका है.

नक्‍सलियों ने किया आईईडी ब्‍लास्‍ट
महाराष्‍ट्र के नक्‍सल प्रभावित क्षेत्र गढ़चिरौली में नक्‍सलियों ने ब्‍लास्‍ट किया है. नक्‍सलियों ने यह आईईडी ब्‍लास्‍ट इतापल्‍ली में स्थित पोलिंग बूथ के पास किया है. हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ है. वहीं छत्‍तीसगढ़ के नारायणपुर में मतदान को प्रभावित करने नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट किया है. इसमें भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है. यह घटना फरसगांव थाना क्षेत्र की है. एसपी ने इसकी पुष्टि की है. वहीं बिहार के औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के सिलिया में बूथ नंबर 9 के पास आईईडी विस्फोटक मिला था.

छत्‍तीसगढ़ के नक्‍सल प्रभावित इलाके दंतेवाड़ा में भी लोगों में मतदान को लेकर भारी उत्‍साह देखने को मिल रहा है. 9 अप्रैल को यहां बीजेपी विधायक भीमा मांडवी का निधन नक्‍सली हमले में हुआ था. इसमें चार सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए थे. आज दंतेवाड़ा में मतदान बूथों के बाहर लोगों की लंबी कतारें लगी हैं.

जम्‍मू-कश्‍मीर के मतदाताओं में वोटिंग को लेकर भारी उत्‍साह देखने को मिल रहा है. जम्‍मू-कश्‍मीर में सुबह 11 बजे तक 24.66 फीसदी मतदान हुआ है. बांदीपोरा के बूथ संख्‍या 114 और 115 पर मतदाताओं की लंबी कतारें लगी हुई है. यहां के मतदाताओं का कहना है कि इस बार वे उसे ही वोट देंगे जो संसद में उनके स्‍थानीय मुद्दों को उठाएगा.

वहीं एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से प्रत्‍याशी असदुद्दीन ओवैसी ने भी वोट डाला. वहीं केंद्रीय मंत्री और नागपुर से बीजेेपी प्रत्‍याशी नितिन गडकरी ने भी अपना वोट डाला. असम के मुख्‍यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी मतदान किया है. तेलंगाना राष्‍ट्र समिति के कार्यकारी अध्‍यक्ष केट रामराराव ने भी हैदराबाद में मतदान किया.

वहीं आंध्र प्रदेश में जन सेना के विधायक प्रत्‍याशी मधुसूदन गुप्‍ता ने अनंतपुर जिले के गूटी के पोलिंग बूथ पर ईवीएम को ही तोड़ दिया है. इसके बाद उन्‍हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन्‍होंने वोटिंग में अन्‍याय होने का आरोप लगाया है.

बालियान ने फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में बीजेपी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई है. दोनों दलों के कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया है. केंद्रीय मंत्री और यूपी के मुजफ्फरनगर से बीजेपी प्रत्‍याशी संजीव बालियान ने फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया है. उन्‍होंने कहा कि वोट डालने जाने वाली जो महिलाएं बुर्का पहनकर जा रही हैं, उनका चेहरा चेक नहीं किया जा रहा है. उन्‍होंने कहा कि मैं आरोप लगाता हूं कि फर्जी वोटिंग कराई जा रही है. अगर इस पर ध्‍यान नहीं दिया गया तो मैं पुनर्मतदान की मांग करता हूं

गाजियाबाद से बीजेपी प्रत्‍याशी जनरल वीके सिंह ने भी मतदान किया है. उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के पोलिंग बूथ नंबर 124 में वोट डाला.देहरादून में उत्‍तराखंड के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भी वोटिंग की. वहीं पूर्व मुख्‍यमंत्री हरीश रावत भी हल्‍द्वानी में सपरिवार वोट डालने पहुंचे. आंध्र प्रदेश कडापा में वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने भी मतदान कर दिया है. इसके बाद उन्‍होंने कहा कि लोग बिना डरे वोट डालें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मतदाताओं से वोट डालने की अपील की है. उन्‍होंने ट्वीट में लिखा, ‘सभी मतदाताओं से मेरी विनती है कि लोकतंत्र के इस महोत्सव में जरूर हिस्सा लें. अधिक से अधिक संख्या में मतदान करें. पहले मतदान, फिर जलपान

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी नागपुर लोकसभा क्षेत्र के पोलिंग बूथ संख्‍या 216 पर सुबह 7 बजे पहुंचकर अपना वोट डाला. इसके बाद उन्‍होंने अपील की कि वोटिंग हमारा कर्तव्‍य है. सभी को मतदान करना चाहिए.

पहले चरण में आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी हो रहा है. इसके तहत आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों, सिक्किम की 32 और ओडिशा की 28 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है. आंध्र प्रदेश से अलग होकर 2014 में तेलंगाना राज्य की स्थापना होने के बाद आंध्र प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहा है.

इन दिग्‍गजों की किस्‍मत आज तय होगी
पहले चरण के मतदान में जिन प्रमुख नेताओं की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी उनमें केन्द्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह, नितिन गडकरी, हंसराज अहीर, किरण रिजीजू, कांग्रेस की रेणुका चौधरी, एआईएमआईएम के असदउद्दीन ओवैसी शामिल हैं. इस चरण में रालोद के अजीत सिंह का मुकाबला उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर सीट पर बीजेपी के संजीव बालयान से है. जबकि उनके बेटे जयंत चौधरी बागपत सीट पर केन्द्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह को चुनौती दे रहे हैं. लोजपा प्रमुख और केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के सांसद पुत्र चिराग पासवान बिहार में जमुई सीट से उम्मीदवार हैं. 

इन राज्यों में आज मतदान 
पहले चरण में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, उत्तराखंड, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और तेलंगाना की सभी लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों (सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और नोएडा) और बिहार की चार सीटों (औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई), असम की पांच और महाराष्ट्र की सात, ओडिशा की चार और पश्चिम बंगाल की दो सीटों के लिए मतदान हो रहा है.

जगन्नाथ पुरी में इन्दिरा गांधी का प्रवेश भी वर्जित था

कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर – ए -जहां हमारा

चुनावी माहौल के चलते कई कई नेयता अपनी जाती, गोत्र, समुदाय इत्यादि ई ढाल पहन कर निकालने लगते हैं उस दौरान कोई भी भारतीय नहीं रहता। अभी कुछ समय पहले फिरोज शाह के पौत्र राहुल गनही ने भी अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया था जो कुछ राजनैतिक पंगुओं ने स्वीकार कर लिया था। जिन लोगों ने राहुल गांधी के गोत्र को स्वीकार किया वह सभी भारत के महिमवान मंदिरों के पुजारी हैं यहाँ तक की शायद शंकराचार्य ने भी कहीं कोई आपत्ति जताई हो। राजनैतिक मजबूरी कहें या फिर मलाई खाने की अभिलाषा या फिर तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दलों से राजदंड का भय। इसी कड़ी में जब पूरी के जगन्नाथ मंदिर की बात चली तो सामने आया की सान 1984 में तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमतींदिरा गांधी को मंदिर में प्रवेश ई अनुमति नहीं मिली थी। जान कर बहुत आश्चर्य हुआ की जगन्नाथ पुरी में ऐसा क्या है की आज तक सूप्रीम कोर्ट भी वहाँ समानता के अधिकार को लागू नहीं करवा पाया। शायद आज तक इस संदर्भ में राम जन्मभूमि वाले विरोधी पक्षकार के वकील का संग्यान इस ओर नहीं गया। नहीं तो सनातन धर्म की परम्पराओं पर कब का कुठराघात हो जाता।

पुरीः . भारत के चार धामों में से एक है- ओडिशा के पुरी का जगन्नाथ मंदिर. हर हिंदू जीवन में एक बार जगन्नाथ मंदिर के दर्शन ज़रूर करना चाहता है. इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग पूरी दुनिया से आते हैं. ये मंदिर समुद्र के तट पर मौजूद है. कहते हैं कि समुद्र की लहरों की आवाज़ें इस मंदिर के अंदर शांत हो जाती हैं.

इस मंदिर की वास्तुकला और इंजीनियरिंग की प्रशंसा दुनिया भर में की जाती है. ये मंदिर भारत की धरोहर है लेकिन इस मंदिर में प्रवेश के लिए किसी व्यक्ति का हिंदू होना अनिवार्य माना जाता है. वर्ष 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी इस मंदिर में प्रवेश नहीं मिल सका था.

जगन्नाथ मंदिर के सेवायत और इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर में सिर्फ सनातनी हिंदू ही प्रवेश कर सकते है. गैर हिंदुओं के लिए यहां प्रवेश निषेध है.

मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर कब लगी रोक
इतिहासकार पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इंदिरा गांधी को 1984 में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन इसलिए नहीं करने दिया गया था क्योंकि इंदिरा ने फ़िरोज़ जहांगीर गांधी से शादी की थी, जो कि एक पारसी थे. रथशर्मा ने बताया कि शादी के बाद लड़की का गोत्र पति के गोत्र में बदल जाता है. पारसी लोगों का कोई गोत्र नहीं होता है. इसलिए इंदिरा गांधी हिंदू नहीं रहीं थी. यही नहीं पंडित सूर्यनारायण ने यह भी बताया कि हज़ारों वर्ष पहले जगन्नाथ मंदिर पर कई बार आक्रामण हुआ और ये सभी हमले एक धर्म विशेष के शासकों ने किए, जिस वजह से अपने धर्म को सुरक्षित रखने के लिए जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई.

राहुल और प्रियंका गांधी को भी नहीं देंगे प्रवेश
जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ सेवायत रजत प्रतिहारी का कहना है कि वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं देंगे क्योंकि वो उन्हें हिंदू नहीं मानते हैं. जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों और जगन्नाथ चैतन्य संसद से जुड़े लोगों ने बताया कि राहुल गांधी का गोत्र फ़िरोज़ गांधी से माना जाएगा ना कि नेहरू से. रजत प्रतिहारी ने कहा कि राहुल गांधी भले अपने आप को जनेऊधारी दत्तात्रेय गोत्र का कौल ब्राह्मण बताएं लेकिन सच्चाई ये है कि वो फ़िरोज़ जहांगीर गांधी के पौत्र हैं और फ़िरोज़ जहांगीर गांधी हिंदू नहीं थे.

एक अन्य वरिष्ठ सेवायत मुक्तिनाथ प्रतिहारी ने कहा कि अगर राहुल प्रियंका को दर्शन करने ही हैं तो वो साल में एक बार निकलने वाले जगन्नाथ यात्रा में मंदिर के बाहर शामिल हो सकते हैं लेकिन मेन मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. 

केवल इन धर्मों के लोगों को है प्रवेश की अनुमति
ओडिशा, जगन्नाथ पुरी के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. विशेष तौर पर भारत का हर हिंदू ये चाहता है कि जीवन में कम से कम एक बार उसे भगवान जगन्नाथ के दर्शन का सौभाग्य जरूर मिले. लेकिन इस मंदिर में प्रवेश की इजाज़त सिर्फ और सिर्फ सनातन हिंदुओं को हैं. मंदिर प्रशासन, सिर्फ हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों को ही भगवान जगन्नाथ के मंदिर में प्रवेश की इजाज़त देता है. इसके अलावा दूसरे धर्म के लोगों के मंदिर में प्रवेश पर सदियों पुराना प्रतिबंध लगा हुआ है.

भारत का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति, भारत का प्रधानमंत्री भी अगर हिंदू नहीं है तो वो इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है. वर्ष 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करना चाहती थी लेकिन उनको इजाज़त नहीं मिली. जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों और सेवायतों के मुताबिक इंदिरा गांधी हिंदू नहीं बल्कि पारसी हैं इसलिए उन्हें मंदिर में प्रवेश की इजाज़त नहीं दी गई. 

इंदिरा को गांधी सरनेम कैसे मिला
आपको याद होगा कि इसी वर्ष जनवरी के महीने में Zee News ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से एक ऐतिहासिक Ground Report की थी. Zee News ने पहली बार पूरे देश को प्रयागराज के एक पारसी कब्रिस्तान में मौजूद फिरोज जहांगीर गांधी के कब्र की तस्वीरें दिखाई थीं. हमने ये रिपोर्ट इसलिए की थी क्योंकि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, को गांधी Surname पंडित जवाहर लाल नेहरू से नहीं बल्कि फिरोज़ गांधी से मिला. लेकिन इसके बाद भी फिरोज़ गांधी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से वो सम्मान नहीं दिया गया जो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को मिला था और आज राहुल और प्रियंका गांधी को मिल रहा है. 

प्रयागराज में गांधी परिवार के पारसी कनेक्शन की दूसरी कड़ी प्रयागराज से एक हजार किलोमीटर दूर जगन्नाथ पुरी से जुड़ी है. अब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य, जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की हिम्मत नहीं जुटा पाता है. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी नरम हिंदुत्व की राजनीति को ऊर्जा देने के लिए केदारनाथ के दर्शन किए और कैलाश मानसरोवर की यात्रा की. हर चुनाव में वो मंदिरों के दौरे करते हैं लेकिन उन्होंने कभी जगन्नाथ मंदिर में दर्शन की योजना नहीं बनाई. जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों का कहना है कि वो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की तरह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को पारसी मानते हैं. इसलिए उनको मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है. 

मंदिर के सेवायतों का ये मानना है कि जगन्नाथ मंदिर को लूटने और मूर्तियों को अ-पवित्र करने के लिए हुए हमलों की वजह से मंदिर में गैर हिंदुओं को प्रवेश दिए जाने की इजाजत नहीं है. मंदिर से जुड़े इतिहास का अध्ययन करने वालों का दावा है कि हमलों की वजह से 144 वर्षों तक भगवान जगन्नाथ को मंदिर से दूर रहना पड़ा. इस मंदिर के संघर्ष की कहानी भारत के महान पूर्वजों की त्याग तपस्या और बलिदान की भी कहानी है. 

जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी हमलावरों ने लूटा 
जगन्नाथ मंदिर के गेट पर ही एक शिलापट्ट में 5 भाषाओं में लिखा हुआ है कि यहां सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश की इजाज़त है. इसकी वजह समझने के लिए हमने मंदिर प्रशासन से जुड़े लोगों से बात की. मंदिर के सेवायतों की तरफ से हमें ये बताया गया कि जगन्नाथ मंदिर को 20 बार विदेशी हमलावरों के द्वारा लूटा गया. खास तौर पर मुस्लिम सुल्तानों और बादशाहों ने जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियों को नष्ट करने के लिए ओडिशा पर बार-बार हमले किया. लेकिन ये हमलावर जगन्नाथ मंदिर की तीन प्रमुख मूर्तियों, भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की मूर्तियों को नष्ट नहीं कर सके, क्योंकि मंदिर के पुजारियों ने बार-बार मूर्तियों को छुपा दिया. एक बार मूर्तियों को गुप्त रूप से ओडिशा राज्य के बाहर हैदराबाद में भी छुपाया गया था. 

जगन्नाथ मंदिर को भी हमला कर 17 से ज्यादा बाद नष्ट करने की कोशिश की गई
हमलावरों की वजह से भगवान को अपना मंदिर छोड़ना पड़े, इस बात पर आज के भारत में कोई विश्वास नहीं करेगा. आज भारत में एक संविधान है और सभी को अपनी-अपनी पूजा और उपासना का अधिकार प्राप्त है. लेकिन पिछले एक हजार वर्षों में मुस्लिम बादशाहों और सुल्तानों के राज में हिंदुओं के हजारों मंदिरों को तोड़ा गया. अयोध्या में राम जन्म भूमि, काशी विश्वनाथ और मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि का विवाद भी इसी इतिहास से जुड़ा है. इन हमलावरों ने भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर मौजूद सोमनाथ के मंदिर को 17 बार तोड़ा था. सोमनाथ के संघर्ष का इतिहास ज्यादातर लोगों को पता है लेकिन जगन्नाथ मंदिर को भी हमला कर 17 से ज्यादा बाद नष्ट करने की कोशिश की गई, इस इतिहास की जानकारी बहुत ही कम लोगों को हैं. 

ओडिशा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर मंदिर पर हुए हमलों और मूर्तियों को नष्ट करने की कोशिश का पूरा इतिहास दिया गया है. वेबसाइट में मौजूद एक लेख में बताया गया है कि मंदिर और मूर्तियों को नष्ट करने के लिए 17 बार हमला किया गया.

पहला हमला वर्ष 1340 में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह ने किया 
जगन्नाथ मंदिर को नष्ट करने के लिए पहला हमला वर्ष 1340 में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह ने किया था, उस वक्त ओडिशा, उत्कल प्रदेश के नाम से प्रसिद्ध था. उत्कल साम्राज्य के नरेश नरसिंह देव तृतीय ने सुल्तान इलियास शाह से युद्ध किया. बंगाल के सुल्तान इलियास शाह के सैनिकों ने मंदिर परिसर में बहुत खून बहाया और निर्दोष लोगों को मारा.  लेकिन राजा नरसिंह देव, जगन्नाथ की मूर्तियों को बचाने में सफल रहे, क्योंकि उनके आदेश पर मूर्तियों को छुपा दिया गया था. 

दूसरा हमला
वर्ष 1360 में दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने जगन्नाथ मंदिर पर दूसरा हमला किया. 

तीसरा हमला
मंदिर पर तीसरा हमला वर्ष 1509 में बंगाल के सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह के कमांडर इस्माइल गाजी ने किया. उस वक्त ओडिशा पर सूर्यवंशी प्रताप रुद्रदेव का राज था. हमले की खबर मिलते ही पुजारियों ने मूर्तियों को मंदिर से दूर, बंगाल की खाड़ी में मौजूद चिल्का लेक नामक द्वीप में छुपा दिया था. प्रताप रुद्रदेव ने बंगाल के सुल्तान की सेनाओं को हुगली में हरा दिया और भागने पर मजबूर कर दिया. 

चौथा हमला
वर्ष 1568 में जगन्नाथ मंदिर पर सबसे बड़ा हमला किया गया. ये हमला काला पहाड़ नाम के एक अफगान हमलावर ने किया था. हमले से पहली ही एक बार फिर मूर्तियों को चिल्का लेक नामक द्वीप में छुपा दिया गया था. लेकिन फिर भी हमलावरों ने मंदिर की कुछ मूर्तियों को जलाकर नष्ट कर दिया था. इस हमले में जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला को काफी नुकसान पहुंचा. ये साल ओडिशा के इतिहास में निर्णायक रहा. इस साल के युद्ध के बाद ओडिशा सीधे इस्लामिक शासन के तहत आ गया. 

पांचवा हमला
इसके बाद वर्ष 1592 में जगन्नाथ मंदिर पर पांचवा हमला हुआ. ये हमला ओडिशा के सुल्तान ईशा के बेटे उस्मान और कुथू खान के बेटे सुलेमान ने किया. लोगों को बेरहमी से मारा गया, मूर्तियों को अपवित्र किया गया और मंदिर की संपदा को लूट लिया गया. 

छठा हमला
वर्ष 1601 में बंगाल के नवाब इस्लाम खान के कमांडर मिर्जा खुर्रम ने जगन्नाथ पर छठवां हमला किया. मंदिर के पुजारियों ने मूर्तियों को भार्गवी नदी के रास्ते नाव के द्वारा पुरी के पास एक गांव कपिलेश्वर में छुपा दिया. मूर्तियों को बचाने के लिए उसे दूसरी जगहों पर भी शिफ्ट किया गया. 

सातवां हमला
जगन्नाथ मंदिर पर सातवां हमला ओडिशा के सूबेदार हाशिम खान ने किया लेकिन हमले से पहले मूर्तियों को खुर्दा के गोपाल मंदिर में छुपा दिया गया. ये जगह मंदिर से करीब 50 किलोमीटर दूर है. इस हमले में भी मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा. वर्ष 1608 में जगन्नाथ मंदिर में दोबारा मूर्तियों को वापस लाया गया. 

आठवां हमला
मंदिर पर आठवां हमला हाशिम खान की सेना में काम करने वाले एक हिंदू जागिरदार ने किया. उस वक्त मंदिर में मूर्तियां मौजूद नहीं थी. मंदिर का धन लूट लिया गया और उसे एक किले में बदल दिया गया. 

नौंवा हमला
मंदिर पर नौवां हमला वर्ष 1611 में मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल के बेटे राजा कल्याण मल ने किया था. इस बार भी पुजारियों ने मूर्तियों को बंगाल की खाड़ी में मौजूद एक द्वीप में छुपा दिया था. मंदिर पर

दसवां हमला
10वां हमला भी कल्याण मल ने किया था, इस हमले में मंदिर को बुरी तरह लूटा गया था. 

11वां हमला 
मंदिर पर 11वां हमला वर्ष 1617 में दिल्ली के बादशाह जहांगीर के सेनापति मुकर्रम खान ने किया. उस वक्त मंदिर की मूर्तियों को गोबापदार नामक जगह पर छुपा दिया गया था

12वां हमला
मंदिर पर 12वां हमला वर्ष 1621 में ओडिशा के मुगल गवर्नर मिर्जा अहमद बेग ने किया. मुगल बादशाह शाहजहां ने एक बार ओडिशा का दौरा किया था तब भी पुजारियों ने मूर्तियों को छुपा दिया था.

13वां हमला
वर्ष 1641 में मंदिर पर 13वां हमला किया गया. ये हमला ओडिशा के मुगल गवर्नर मिर्जा मक्की ने किया.

14वां हमला
मंदिर पर 14वां हमला भी मिर्जा मक्की ने ही किया था.

15वां हमला
मंदिर पर 15वां हमला अमीर फतेह खान ने किया. उसने मंदिर के रत्नभंडार में मौजूद हीरे, मोती और सोने को लूट लिया. 

16वां हमला
मंदिर पर 16वां हमला मुगलत बादशाह औरंगजेब के आदेश पर वर्ष 1692 में हुआ. औरंगजेब ने मंदिर को पूरी तरह ध्वस्त करने का आदेश दिया था, तब ओडिशा का नवाब इकराम खान था, जो मुगलों के अधीन था. इकराम खान ने जगन्नाथ मंदिर पर हमला कर भगवान का सोने के मुकुट लूट लिया. उस वक्त जगन्नाथ मंदिर की मुर्तियों को श्रीमंदिर नामक एक जगह के बिमला मंदिर में छुपाया गया था. 

17वां हमला
मंदिर पर 17वां और आखिरी हमला, वर्ष 1699 में मुहम्मद तकी खान ने किया था. तकी खान, वर्ष 1727 से 1734 के बीच ओडिशा का नायब सूबेदार था. इस बार भी मूर्तियों को छुपाया गया और लगातार दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया गया. कुछ समय के लिए मूर्तियों को हैदराबाद में भी रखा गया. 

दिल्ली में मुगल साम्राज्य के कमजोर होने और मराठों की ताकत बढ़ने के बाद जगन्नाथ मंदिर पर आया संकट टला और धीरे धीरे जगन्नाथ मंदिर का वैभव वापस लौटा. जगन्नाथ मंदिर के मूर्तियों के बार बार बच जाने की वजह से हमलावर कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए. पुरी के स्थानीय लोग लगातार इस मंदिर को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे. ओडिशा के लोग मंदिर के सुरक्षित रहने को भगवान जगन्नाथ का एक चमत्कार मानते हैं.

जल्द ही सेना के पास होगी भारत में निर्मित AK-203

आब से पहले सेनाऔर पुलिस के जवानों को हथियारों के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता था, लेकिन आतंकियों और समगलरों के पास अत्याधुनिक हथियार पाये जाते थे। हमारे जवान हमेश दोयम दर्जे के हथियारों और वाहनों का प्रयोग करते थे ओर पुलिस के आधुनिकीकरण का हाल तो फिल्मों में भी खूब चर्चित रहा। लेकिन अब विगत कुछ वर्षों से सेना और पुलिस दोनों की हालत सुधरी है। अब भारत में बनी AK-203 जल्द ही सेना के हाथों में होगी। इसके साथ ही अटकलें लग रहीं हैं के AK-204 के निर्माण और निर्यात की भी जल्द ही भारत से होने लगेगा।

यह भी पढ़ें : Rahul may opt a safe seat in Karnatka or Maharashtra

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में जुटे सेना के जवानों को अब एके-203 राइफल के मॉर्डन वर्जन से लैस किया जाएगा. इन एके 203 राइफलों को यूपी के अमेठी में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और रूस के साझा प्रयास के तहत निर्मित किया जाएगा. फास्ट ट्रैक प्रोसेस के तहत इन 93000 कारबाइन के लिए अलग से निविदा जारी की जाएगी. 

समाचार एजेंसी एनएनआई ने सेना के उच्च सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि, ‘हम अपने जवानों को अब एके 203 राइफलों से लैस करने जा रहे है. अब हम आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान इस राइफल की बट को आसानी से हटा सकते हैं जिससे इसे कपड़ों के बीच में छिपा सकते हैं. सेना में इस राइफल के इस्तेमाल के लिए इसमें कई और बदलाव किए जाएंगे.’

यह भी पढ़ें: राहुल के गढ़ में गरजे मोदी

ता दें कि सेना और सुरक्षाबलों के आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि ‘एके-203 राइफल’ उस इंसास राइफल की जगह लेगी, जिसका इस्तेमाल थल सेना और अन्य बल कर रहे हैं. इस इकाई में 7,00,000 एके-203 राइफलें तैयार करने का शुरुआती लक्ष्य है. एके-203 राइफल एके-47 राइफलों का सबसे मॉडर्न वर्जन है. नई असॉल्ट राइफल भी एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक दोनों सिस्टमों से लैस होगी.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने एके-203 असॉल्ट राइफल के लिए अमेठी में एक विनिर्माण इकाई की आधारशिला रखी थी. इस दौरान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने रूसी राष्ट्रपति का का संदेश भी पढ़ा था.  रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने एक संदेश में कहा है कि ‘क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफल-203’ तैयार करने वाला भारत और रूस का नया संयुक्त उद्यम छोटे हथियारों की भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की जरूरत को पूरा करेगा. 

यह भी पढ़ें : अपनि ही गलत बयानी से घिरे राहुल

पुतिन ने अपने संदेश में कहा, ‘‘नया संयुक्त उद्यम नवीनत सीरिज की विश्व प्रसिद्ध क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफलें तैयार करेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह, भारतीय रक्षा उद्योग क्षेत्र के पास राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की इस श्रेणी के छोटे हथियारों की जरूरत पूरी करने का अवसर होगा जो अत्याधुनिक रूसी प्रौद्योगिकी पर आधारित होगा.’’ 

उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच सैन्य एवं तकनीकी सहयोग परंपरागत रूप से विशेष रणनीतिक साझेदारी का एक अहम क्षेत्र रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘सात दशक से भी अधिक समय से हम विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता के शस्त्र एवं उपकरण भारतीय मित्रों को आपूर्ति कर रहे हैं हमारे देश के सहयोग से भारत में 170 सैन्य एवं उद्योग इकाइयों की स्थापना की गई है.’’ गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में पुतिन की भारत की आधिकारिक यात्रा के दौरान भारत में कालाशनिकोव तैयार करने के लिए मोदी के साथ उनकी सहमति बनी थी. 

यह भी पढ़ें : Rahuls another self goal over Amethi

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अंतर सरकारी समझौता तैयार हुआ था और इस पर यथासंभव सबसे कम समय में हस्ताक्षर किया गया था. पुतिन ने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि नये उद्यम के शुरू होने से भारत की मजबूत रक्षा संभावनाओं में योगदान मिलेगा यह रोजगार के नये अवसरों का सृजन करने में महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि यह संयंत्र दोनों देशों के बीच दोस्ती और रचनात्मक सहयोग का खुद में एक और प्रतीक बनेगा.

चंडीगढ़ में कांग्रेस की इकलौती उम्मीद ‘पवन कुमार बंसल’

नई दिल्‍ली: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मंगलवार देर रात 20 उम्‍मीदवारों की सूची जारी कर दी. इसमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल का रहा. उन्‍हें पार्टी ने एक बार फ‍िर से चंडीगढ़ से मैदान में उतारा है. पिछली बार वह बीजेपी की किरण खेर से हार गए थे. इस सीट पर नवजोत सिंह सिद्धू की पत्‍नी की भी नजर थी. उन्‍होंने भी बाकायदा इस सीट के लिए दावेदारी की थी. लेकिन बाजी बंसल के हाथ लगी.

इसके साथ ही पार्टी ने गुजरात की 4 सीटों के लिए भी उम्‍मीदवारों के नाम घोष‍ित कर दिए. गुजरात की जामनगर सीट से कांग्रेस ने मुनुभाई कुनुर‍िया को अपना उम्‍मीदवार बनाया है. इससे साफ हो गया है कि इस सीट से अब हार्दि‍क पटेल नहीं लड़ पाएंगे. कांग्रेस ने झारखंड 4 और कर्नाटक के 2 उम्‍मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया. ओड‍िशा, दादरा नगर हवेली से 1-1 उम्‍मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया.

इस लिस्‍ट में दूसरा बड़ा नाम सुबोधकांत सहाय का है. कांग्रेस ने रांची से उन्‍हें अपना उम्‍मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने गांधीनगर में बीजेपी उम्‍मीदवार अमित शाह के सामने डा. सीजे चावड़ा को उतारा है.

गुजरात
गांधीनगर से डॉ. सीजे चावड़ा
पूर्वी अहमदाबाद से गीताबेन पटेल
सुरेंद्रनगर से सोमाभाई पटेल
जामनगर से मुनुभाई कंडोरिया

हिमाचल प्रदेश
कांगड़ा से पवन काजल

झारखंड
रांची से सुबोध कांत सहाय
सिंहभूमि (एसटी) से गीता कोरा
लोहारडागा (एसटी) से सुखदेव भगत

कर्नाटक
धारवाड़ से विनय कुलकर्णी
दावानागेरे से एचबी मनजप्पा

ओडिशा
जाजपुर (एससी) से मानस जेना
कटक से पंचानन कानूनगो

पंजाब
गुरुदासपुर से सुनील जाखड़
अमृसर से गुरजीत सिंह
जालंधर (एससी) से संतोख सिंह चौधरी
होशियारपुर (एससी) से डॉ. राजकुमार छाब्बेवाल
लुधियाना से रवनीत सिंह बिट्टू
पटियाला से प्रनीत कौर

चंड़ीगढ़
चंड़ीगढ़ से पवन कुमार बंसल

दादरा नगर और हवेली
दादरा नगर और हवेली (एसटी) से प्रभू रतनभाई टोकिया

इसके साथ ही कांग्रेस ने ओड‍िशा विधानसभा के लिए 9 उम्‍मीदवारों के नामों का भी ऐलान कर दिया है. ओड‍िशा विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ ही होने हैं.

ओड‍िशा में पिछले दो दशक से नवीन पटनायक सत्‍ता में हैं.

नेताओं का भाजपा में खिंचाव कब तक?

चुनावों से पहले बदलते राजनैतिक समीकरण, बयार किस ओर बह रही है का इशारा माने जाते हैं। मोदी को चोर, डरपोक हत्यारा और भी न जाने क्या क्या कहने वाले इन हवाओं के रुख को नहीं समझ पा रहे।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले कई दलों में हलचल बढ़ गई है. बीजेपी में आज तीन बड़े नेता शामिल हुए हैं. तीनों नेता अलग-अलग दलों के हैं. ये तीन दल तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और बीजू जनता दल हैं. सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के सपा-बसपा के कई नेता बीजेपी के पाले में जा सकते हैं.  

चार बार के तृणमूल विधायक अर्जुन सिंह बीजेपी में शामिल
पश्चिम बंगाल की भाटापारा सीट से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह बृहस्पतिवार को भाजपा में शामिल हो गए. चार बार के विधायक सिंह के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को आम चुनावों में पश्चिम बंगाल में काफी लाभ मिलने की संभावना है. भाटपारा से तृणमूल कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह भाजपा मुख्यालय में पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने सिंह के भाजपा में शामिल होने को कुछ खास महत्व नहीं दिया और उन्हें अपनी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चुनौती दी. गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस से निष्कासित सांसद अनुपम हाजरा तथा कुछ और नेता कुछ ही दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौमित्र खान भी भाजपा में शामिल हुए थे.

सोनिया गांधी के करीबी नेता ने थामा बीजेपी का दामन
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को गुरुवार को बड़ा झटका लगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन बीजेपी में शामिल हो गए. टॉम वडक्कन केरल के त्रिशूर जिले से आते हैं. वडक्कन पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निजी सहायक रहे हैं. राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद भी वह उनके करीबी माने जाते हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद टॉम वडक्कन ने कहा, ‘मैंने 20 साल कांग्रेस को दिए. कांग्रेस में वंशवाद की राजनीति हावी है. पुलवामा हमले के बाद कांग्रेस के रुख से मैं काफी दुखी हूं. कांग्रेस पुलवामा हमले पर राजनीति कर रही है. मैं भारी मन से कांग्रेस को छोड़ रहा हूं.पाकिस्तानी आतंकियों का हमारी जमीन पर हमला और आप उस पर राजनीति करते हैं.’

बीजेडी के पूर्व नेता दामोदर राउत बीजेपी में 
बीजेडी के पूर्व नेता व विधायक दामोदर राउत ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. राउत ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और ओडिशा के बीजेपी प्रभारी अर्जुन सिंह की उपस्थिति में बीजेपी ज्वॉइन की. बीजेपी में शामिल होने के बाद राउत ने कहा, “आखिरकार, बहुत ज्यादा सोच-विचार करने के बाद मैंने आज बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है. मैंने 45 साल राजनीति में गुजारे हैं. बीजेडी बीजू बाबू की विचारधारा को भुला चुकी है. राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ा है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर निशाना साधते हुए राउत ने कहा, “उनके मन में ओडिशा के लोगों के प्रति कोई प्यार नहीं है. ओडिशा में कई साल गुजारने के बाद भी वह उड़िया भाषा को नहीं बोल सकते.”