खिसियानी बिल्ली बनी पार्टी ने इस्तीफा पेश कर देने के बाद ज्योतिरादित्य को निष्कासित किया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. वहीं पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्काशित किया गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंधिया को उसका काला इतिहास याद दिला रहे हैं, ना दाँ हैं सिंधिया का काला इतिहास तो माधवराव के कांग्रेस में शामिल होने के पीछे ही छिपा हुआ है। अपनी ही न फजीहत कारवा लें। यह वही नेता हैं जो UPA सरकार में सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में से सिंधिया घराने का नाम हटवाने के लिए उतावले थे।

नई दिल्ली. 

9 मार्च 2020 को दिये गए सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने 10 मार्च को निष्कासित कर दिया

मध्य प्रदेश में सोमवार शाम से शुरू हुआ सियासी उथलपुथल का ताज़ा दौर अब अपने मुकाम पर पहुंचता दिख रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) से नाराज़ चल रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiriaditya Scindia) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेजा जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया है. हालांकि पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते निष्कासित किया गया है.

केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया है.

इससे पहले सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह अमित शाह से मुलाकात की. इसके साथ ही जब पीएम मोदी से सिंधिया की बैठक खत्म हुई तो वह, शाह की गाड़ी में ही बाहर निकले, तभी से उनके कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगने लगी थीं.

इसके साथ ही कांग्रेस के कई नेताओं ने सिंधिया को ‘गद्दार’ बताना शुरू कर दिया. कांग्रेस नेता अरुण यादव ने कर कहा, ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपनाए गए चरित्र को लेकर मुझे ज़रा भी अफसोस नहीं है. सिंधिया खानदान ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी अंग्रेज हुकूमत और उनका साथ देने वाली विचारधारा की पंक्ति में खड़े होकर उनकी मदद की थी.’

माना जा रहा है कि सिंधिया आज अपने अगले कदम को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं. अगर वह कांग्रेस छोड़ने का फैसला करते हैं तो फिर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट गहरा जाएगा. राज्य में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और उसे चार निर्दलीय, बसपा के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक का समर्थन हासिल है. भाजपा के 107 विधायक हैं.

सियासी संकट के बीच कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने सोमवार रात इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल का नए सिरे से गठन किया जाएगा. सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों से सोमवार को बार बार प्रयास के बावजूद कोई संपर्क नहीं हो पाया. मध्य प्रदेश के घटनाक्रम के बीच, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं आशा करता हूं कि मध्य प्रदेश में मौजूद संकट जल्द खत्म होगा और नेता मतभेदों को दूर लेंगे. लोगों से चुनावी वादे को पूरा करने के लिए राज्य को स्थिर सरकार की

सुमित कश्यप ने लिखा है- ‘माफ करें लेकिन इस बार गलती हमारी थी. हम एक साधारण समस्या हल नहीं कर सके. हम 3 नेताओं के अहंकार को रोक नहीं कर सके. कोई समाधान भी नहीं किया गया था. कुछ ऐलान हीं किया गया. कितनी देर तक हम सोचते रहेंगे कि समय के साथ समस्या खत्म हो जाएगी. कर्नाटक और एमपी, हम हार गए, बीजेपी नहीं जीती.’

स्वाभिमानिनी दादी के नक्श-ए-कदम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया

माधवराव सिंधिया जिन हालातों में काँग्रेस में गए थे उस बात का उल्लेख स्वयं राजमाता सिंधिया ने एक टीवी साक्षात्कार के दौरान किया था। वह दौर गाय और बछड़ा निशान वाली काँग्रेस का था। उस जमाने के राजनीति और राजनैतिक षडयंत्रों को समझने वाले लोग इस बात की बाखूबी तसदीक कर सकते हैं। इन्दिरा लहर के बावजूद विजय राजे सिंधिया गवालियर इलाक़े की तीन लोकसभा सीट राजमाता और उनके पसंदीदा जनसंघ उम्मीदवारों ने जीतीं, इसमें भिंड से ख़ुद विजयाराजे जीतीं, गुना से माधवराव सिंधिया और ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव जीते। आज 43 साल बाद इतिहास खुद को फिर से दोहराता जान पड़ता है। लेकिन इस बार सिंधिया घराना वह धोखा नहीं खाएगा जो राजमाता ने खाया था।

चंडीगढ़:

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के साथ ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का गिरना भी तय हो गया है, क्योंकि कांग्रेस के 19 विधायक उनके साथ हैं. 43 साल पहले उनकी दादी राजमाता ने भी नाराज होकर इसी तरह मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार गिराई थी.

ज्योतिरादित्य सिंधियाके कांग्रेस से इस्तीफे और 19 कांग्रेसी विधायकों के उनके साथ जाने के चलते ये तय हो गया है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ की सरकार गिर जाएगी. खुद कांग्रेस भी इस बात को मान रही है. जिस तरह ज्योतिरादित्य के इस कदम से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने जा रही है, कुछ वैसा ही काम 43 साल पहले उनकी दादी ने भी किया था. तब उनकी दादी राजमाता विजयराजे सिंधिया ने कांग्रेस की तत्कालीन डीपी मिश्रा सरकार को गिरवा दिया था.

तब राजमाता ने जनसंघ के विधायकों के समर्थन से स्व. गोविंद नारायण सिंह को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था. यही वो मौका था जब मध्य प्रदेश में लोग ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की ताकत का अहसास करने लगे थे. इसी घटना के बाद सिंधिया परिवार सही मायनों में सियासी में मजबूती से खुद का कद भी साबित करने लगा था.

दरअसल जब देश आजाद हुआ, तब तक ग्वालियर रियासत पर सिंधिया राजघराने का शासन था. राज्य की बागडोर महाराजा जिवाजीराव सिंधिया के कंधों पर थी. आजादी के कुछ समय बाद ग्वालियर रियासत का भी भारत में विलय हो गया. इसके बाद जिवाजी राव को भारत सरकार ने नए राज्य मध्य भारत का राज्य प्रमुख बनाया. वो इस राज्य के 1956 में मध्य प्रदेश में विलय किए जाने तक इसी पोजिशन पर रहे.

नेहरू के कहने पर कांग्रेस में आईं थीं राजमाता

1961 में जिवाजी राव के निधन के बाद राजमाता विजया राजे सिंधिया ने सिंधिया राजघराने की बागडोर संभाली. उस समय वो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कहने पर कांग्रेस में शामिल हुईं. लेकिन कुछ सालों बाद 1967 के चुनावों में ऐसी बातें हुईं, जब उनका कांग्रेस से मोहभंग होने लगा.

सीएम मिश्रा कराने लगे थे ताकत का अहसास

वो तब राज्य के मुख्यमंत्री डीपी मिश्रा से मुलाकात करने भोपाल गईं थीं. जो महारानी को कई बार ये अहसास दिलाते रहे थे कि अब ताकत उनके हाथों में है. जब वो मुलाकात के लिए गईं तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मिश्रा ने उन्हें 10 से 15 मिनट तक इंतजार करा दिया. ये बात राजमाता के लिए किसी झटके से कम नहीं थी.

इस मुलाकात में उन्होंने छात्र आंदोलनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज पर नाराजगी जाहिर करते हुए वहां के एसपी को हटाने की मांग की. मुख्यमंत्री ने उनकी बात नहीं मानीं.

फिर राजमाता ने कांग्रेस को कह दिया अलविदा

इसी टकराव के बाद सिंधिया ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया. वो जनसंघ के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ीं. साथ ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव भी लड़ीं. दोनों में विजयी रहीं. 1967 तक विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते रहे थे.

तब मध्य प्रदेश में गिरी थी कांग्रेस सरकार

मध्य प्रदेश विधानसभा में विजयाराजे सिंधिया के जाने से कांग्रेस की लिए मुश्किल हालात बन गए. कांग्रेस पार्टी के 36 विधायक विपक्षी खेमे में आ गए. जिससे कांग्रेस की डीपी मिश्रा सरकार गिर गई. पहली बार मध्य प्रदेश में ग़ैर कांग्रेसी सरकार बनी. इसका श्रेय राजमाता को दिया गया. राजमाता की पसंद के गोविंद नारायण सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने.

हालांकि ये गठबंधन भी स्थायी सरकार नहीं दे पाया. ये केवल 20 महीने में गिर गया. गोविंद नारायण सिंह फिर कांग्रेस में चले गए. लेकिन इस सारे उठापटक ने जनसंघ को मध्य प्रदेश में मजबूत बना दिया. साथ ही विजयाराजे सिंधिया खुद भी एक बड़ी सियासी ताकत के तौर पर स्थापित हो गईं.

इंदिरा लहर में भी ग्वालियर में जीती थीं

विजयाराजे सिंधिया की लोकप्रियता ग्वालियर में जबरदस्त थी. इसी का नतीजा था कि 1971 में जब देश में इंदिरा गांधी की लहर चल रही थी, तब भी ग्वालियर इलाक़े की तीन लोकसभा सीट राजमाता और उनके पसंदीदा जनसंघ उम्मीदवारों ने जीतीं. इसमें भिंड से ख़ुद विजयाराजे जीतीं, गुना से माधवराव सिंधिया और ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव जीते. वैसे बाद में माधवराव सिंधिया जनसंघ से अलग होकर कांग्रेस में शामिल हो गए.

अब दादी के ही रास्ते पर चल पड़े ज्योतिरादित्य

इमरजेंसी के दौरान राजमाता सिंधिया जेल गई. हालांकि माधवराव सिंधिया फिर कांग्रेस के साथ ही रहे. उनके बेटे ज्योतिरादित्य भी करीब दो दशकों से कहीं ज्यादा समय से कांग्रेस के साथ थे लेकिन अब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर उसी राह पर चलने का फैसला किया है. जिस पर 43 पहले उनकी दादी ने चली थीं.

कोरोना से घबरा कर होली फीकी न करें

होली जरूर मनाएं, लेकिन घर पर ही मनाएं। मोहल्लों और गांवों में एकत्रित होकर समूह में न मनाएं। रंगों के इस त्योहार के समय कोरोना अब महामारी बन चुका है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि भीड़ वाले जगहों पर न जाएं। क्योंकि किसी एक को संक्रमण होने पर कई दूसरे लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। बेहतर होगा कि होली भी समूह में मनाने से बचें। हैप्पी होली।

चंडीगढ़:

आज होली है। फागुन के इस महीने में रंगों के इस त्योहार में हर कोई सराबोर होने को आतुर है, लेकिन एहतियात भी जरूरी है। चीन से पैदा हुआ कोरोना अंटार्कटिका को छोड़ सारे महाद्वीपों को अपने जद में ले चुका है। इंसानों से इंसानों में इसके वायरस का तेजी से संक्रमण हो रहा है। तभी तो विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत तमाम स्वास्थ्य संस्थाएं सामूहिक जुटान न करने की सलाह दे रहे हैं। उनकी इसी सलाह पर प्रधानमंत्री मोदी के बाद एक-एक करके कई मशहूर हस्तियों ने होली न खेलने का निर्णय लिया। जनमानस के लिए तो साल भर का यह त्योहार है। वे भला होली से दूर क्यों रहें। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि होली जमकर खेलिए, लेकिन एहतियात बरतना न भूलिए।

यह बात सही है कि विशेष परिस्थितियों में कोरोना सामान्य फ्लू की तुलना में दस गुना घातक है, लेकिन अगर व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है तो इसका वायरस लाचार हो जाता है। स्वस्थ जीवनशैली और खानपान से कोई भी अपने शरीर की प्रतिरक्षा इकाई को इस वायरस की कवच बना सकता है। बुजुर्गो और किसी अन्य रोग से ग्रसित व्यक्ति को खास एहतियात की दरकार होगी। होली की मस्ती में यह न भूलें कि कोरोना अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित की जा चुकी है। लिहाजा जमकर गुलाल उड़ाएं, रंगों की फुहारें छोड़ें, लेकिन अत्यधिक भीड़ में जाने से परहेज करें। कोरोना का वायरस हवा में तैरते अति सूक्ष्म कणों के साथ आंखों यहां तक कि फेस मास्क को भी भेदने की साम‌र्थ्य रखता है। सिर्फ खांसी या छींक के साथ निकलने वाले बड़े कणों को ही मास्क रोकने में सक्षम है। इसलिए सावधान रहिए, लेकिन होली के उल्लास को कम मत होने दीजिए।

विशेषज्ञ बोल

होली जरूर मनाएं, लेकिन घर पर ही मनाएं। मोहल्लों और गांवों में एकत्रित होकर समूह में न मनाएं। रंगों के इस त्योहार के समय कोरोना अब महामारी बन चुका है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि भीड़ वाले जगहों पर न जाएं। क्योंकि किसी एक को संक्रमण होने पर कई दूसरे लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। बेहतर होगा कि होली भी समूह में मनाने से बचें। हैप्पी होली।

दिल्ली में अमित शाह के घर BJP नेताओं की बैठक, शिवराज को चुना जा सकता है विधायक दल का नेता

मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर बीजेपी ने भी नजर बना रखी है. दिल्ली में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात जारी है. बताया जा रहा है कि इस दौरान MP के सियासी घटनाक्रम पर चर्चा जारी है. शिवराज सिंह चौहान के साथ नरोत्तम मिश्रा भी मौजूद हैं. खबर हैं कि कल सुबह 6.40 बजे की फ्लाइट से शिवराज चौहान भोपाल रवाना होंगे. बीजेपी ने कल शाम सात बजे भोपाल में बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई है. जिसमें सभी विधायकों को मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं.

  1. अमित शाह के घर बीजेपी नेताओं की बैठक
  2. कल भोपाल में होनी है बीजेपी विधायक दल की बैठक
  3. शिवराज सिंह को चुना जा सकता है विधायक दल का नेता

नई दिल्ली: 

मध्य प्रदेश में चले रहे सियासी घमासान के बीच BJP के वरिष्ठ नेताओं की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर में बैठक चल रही है. इस बैठक में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य भाजपा नेता शामिल हैं. बीजेपी के वरिष्ठ  नेताओं की यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ विधायक बेंगलुरू कूच कर गए हैं. ये विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के कैंप के बताए जा रहे हैं. इस बीच, मंगलवार को भोपाल में बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है. कहा जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को इस बैठक में विधायक दल का नेता चुना जा सकता है. 

इस बीच, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान में कहा, “मैं उन ताकतों को नहीं कामयाब होने दूंगा जो माफियाओं की मदद से अस्थिरता फैला रहे हैं. मेरी सबसे बड़ी ताकत मध्य प्रदेश की जनता का प्यार और भरोसा है. मैं उन ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा जो सरकार में अस्थिरता पैदा कर रही हैं. ऐसी सरकार जिसे मध्य प्रदेश की जनता ने बनाया है. इससे पहले, मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती मुख्यमंत्री कमलनाथ के घर पहुंचे. मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. कांग्रेस के कुछ विधायकों के बेंगलुरू चले जाने की खबरें आने के बाद यह बैठक बुलाई गई हैं. इन विधायकों की संख्‍या 15 से 17 बताई जा रही है जिनमें से ज्‍यादातर विधायक ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के खेमे से हैं.

सूत्रों के अनुसार, मध्‍यप्रदेश कांग्रेस के 6 मंत्रियों समेत 17 विधायक, जो पूर्व सांसद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के समर्थक बताए जाते हैं, वो एक चार्टर्ड विमान से कर्नाटक के बेंगलुरू चले गए हैं. ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया फिलहाल दिल्‍ली में हैं. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस एक समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिलहाल कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा. सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी सीएम कमलनाथ के घर पहुंचे. बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी.

कुछ दिन पहले भी, निर्दलीय विधायकों समेत करीब 10 विधायक गुरुग्राम के एक होटल में पहुंचे थे. इसमें कांग्रेस के विधायक भी शामिल थे. कांग्रेस ने बीजेपी पर कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था. वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि कांग्रेस विधायकों को शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी नेताओं द्वारा खुलेआम 25-35 करोड़ रुपये तक ऑफर किए जा रहे हैं. हालांकि, बीजेपी ने मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिशों के आरोपों को खारिज किया था.  बीजेपी के नेता नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि यह सरकार खुद ब खुद गिर जाएगी, बीजेपी को उसे गिराने की जरूरत नहीं है.

क्या भाजपा में शामिल हो सकते हैं सिंधिया?

कमलनाथ सरकार के सभी मंत्रियों ने सीएम को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. भोपाल में हुई आपात कैबिनेट में कमलनाथ के प्रति आस्था जताते हुए सभी मंत्रियों ने सीएम को इस्तीफा सौंप दिया है. ऐसा बताया जा रहा है कि आस्था जताने और बगावतियों पर दबाव बनाने का ब्रह्मास्त्र. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने राज्यसभा सीट और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का ऑफर दिया है. एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन ने अपनी छुट्टी कैंसिल कर दी है. राजभवन के सूत्रों के हवाले से ये खबर मिल रही है.

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम, भोपाल:

मध्य प्रदेश की सियायत में बड़े फेरबदल की आशंका से जुड़ी खबर आ रही है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. सूत्रों की मानें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने राज्यसभा सीट और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का ऑफर दिया है. फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में मौजूद हैं. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. लेकिन फिलहाल उनका सोनिया गांधी से मिलने का वक्त तय नहीं है. 

मध्य प्रदेश का राजनीतिक संकट गरमा गया है. मुख्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार शाम को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की और फौरन ही भोपाल रवाना हो गए. सीएम भोपाल जाने से पहले कह गए कि कहीं किसी मसले पर ना कोई विवाद है और न ही संकट. आगे की रणनीति भोपाल में बनेगी. सूत्रों के अनुसार, ज्योतिरादित्य सिंधिया को पीसीसी चीफ बनाने के साथ डिप्‍टी सीएम भी बनाया जा सकता है. हालांकि कमलनाथ उनके नाम पर राजी नहीं हैं. उधर सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों के फोन स्विच ऑफ हैं. खबर है कि सिंधिया समर्थक 6 मंत्री और 12 विधायक बंगलुरू में हैं.

सीएम ने जारी किया बयान

कैबिनेट बैठक खत्‍म हो गई है. जबकि मध्‍य प्रदेश में जारी सियासी ड्रामे के बीच सीएम कमलनाथ ने एक बयान जारी किया है. उन्‍होंने कहा कि मैं सूबे में माफिया के सहयोग से अस्थिर करने वाली ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा. प्रदेश की जनता का विश्वास और उनका प्रेम मेरे लिए सबसे बड़ी शक्ति है. साथ ही कमलनाथ ने कहा कि अब इस मामले पर दिल्‍ली से जो भी फैसला होगा वह सभी को मानना होगा. इसके अलावा कमलनाथ समर्थक सभी विधायकों और मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सीएम को सौंपा है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, सीएम पर निर्भर करता है कि वो कौन सा फैसला लेंगे. इसके अलावा मंगलवार सुबह 11:30 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है.

भाजपा अध्‍यक्ष ने कही ये बात

एमपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का कहना है कि दिग्विजय सिंह रिमोट कंट्रोल से ये सरकार चला रहे हैं. शर्मा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आंतरिक संकट से गुजर रही है. जबकि भाजपा के विश्‍वास सारंग ने कहा कि जब से सरकार बनी है तब से सिर्फ असंतोष की आग में जल रही है.

बता दें कि मध्य प्रदेश में सिंधिया खेमे के 20 विधायक कर्नाटक गए में जिसमें 6 मंत्री भी शामिल हैं. वहीं राज्य में जारी सियासी घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने अपनी होली की छुट्टियां कैंसिल कर दी और वह वापस भोपाल लौटेंगे. राज्यपाल 5 दिन की छुट्टी पर लखनऊ गए हुए थे.

कमलनाथ सरकार के सभी मंत्रियों ने सीएम को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. भोपाल में हुई आपात कैबिनेट में कमलनाथ के प्रति आस्था जताते हुए सभी मंत्रियों ने सीएम को इस्तीफा सौंप दिया है. ऐसा बताया जा रहा है कि आस्था जताने और बगावतियों पर दबाव बनाने का ब्रह्मास्त्र.

राज्यपाल ने कैंसिल की छुट्टी

एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन ने अपनी छुट्टी कैंसिल कर दी है. राजभवन के सूत्रों के हवाले से ये खबर मिल रही है. दरअसल, राज्यपाल लालजी टंडन लखनऊ गए हुए थे, लेकिन राजनीतिक आपाधापी के बीच उनके भोपाल वापस लौटने की जानकारी मिल रही है. राज्यपाल मंगलवार को वापस लौट रहे हैं. 

वन मंत्री उमंग सिंगार ने दिया ये बयान

वहीं कमलनाथ सरकार के वन मंत्री उमंग सिंगार का कहना है कि कांग्रेस में हर तरह के रास्ते खुले हुए है. उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान दिल्ली से इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी सिंधिया से बातचीत कर रही हैं. साथ उन्होंने यह भी कहा कि एमपी में कमलनाथ सरकार पूरी तरह स्थिर है. इस मामले में चले आ रहे विवाद पर और सिंधिया की नाराजगी पर सिंगार का कहना है कि किसी भी तरह की नाराजगी होगी तो पार्टी हाईकमान इसका समाधान निकालेगा.

मध्‍य प्रदेश में ये है गणित
एमपी विधानसभा में 230 सीटे हैं. जबकि विधानसभा में फिलहाल विधायकों की संख्या 228 है. इसमें कांग्रेस के 114 और बीजेपी के 107 विधायक हैं. निर्दलीय विधायकों की संख्या 4 है, जिसमें बीएसपी के 2 और एसपी का 1 विधायक है. यही नहीं, एमपी में पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है. विधानसभा में फिलहाल 2 सीटें रिक्त हैं. अगर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना पाला बदलते हैं, तो कमलनाथ सरकार के लिए सियासी संकट गहरा सकता है.

सोनिया गांधी से मुलाकात

मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक के बीच सीएम कमलनाथ आज दिल्ली आए और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले. कुछ देर की मुलाकात के बाद वो बाहर निकले और मीडिया से बात भी की. कमलनाथ ने कहा, ‘भोपाल जा रहा हूं. आगे की रणनीति वहीं बनाई जाएगी.’ उन्होंने कहा राज्यसभा सीट और दावेदारी को लेकर कोई विवाद नही हैं. हमारी नेता सोनिया गांधी से मेरी हर मुद्दे पर चर्चा हुई है. राज्‍यसभा के नामों को फैसला जल्‍दी किया जाएगा.

घोटालों के खुलासे से बीजेपी परेशान

सीएम कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के ताजा राजनीतिक हालात के बारे में विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, ‘बीजेपी नेताओं से रहा नहीं जा रहा है. 15 साल के घोटाला का खुलासा होने जा रहा है. इस वजह से भाजपा के नेता परेशान हैं. सीएम ने कहा कि सब जानते हैं मध्य प्रदेश कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है. मैंने हर कांग्रेस कार्यकर्ता का साथ दिया है. मेरा कोई गुट नहीं है.’ गायब हुए विधायकों के बारे में कमलनाथ ने कहा- विधायकों ने तो यह बात भी बोली है कि वह तीर्थ यात्रा पर गए थे. सीएम ने राज्य के लोगों होली को शुभकामनाएं भी दीं और भोपाल के लिए रवाना हो गए.

सिंधिया समर्थक मंत्री- विधायकों के फोन बंद

इस बीच सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों का नया पैंतरा सामने आया है. सिंधिया खेमे के मंत्रियों और विधायकों के फोन स्विच ऑफ हैं. इसमें विधायक जसवंत जाटव, मुन्नालाल गोयल, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया के अलावा कमलनाथ सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, महिला विकास मंत्री इमरती देवी और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट जैसे बड़े नाम शामिल हैं. पता चला है कि ये 6 मंत्री और 12 विधायक बंगलुरू में हैं.

ये हैं 6 मंत्री और 12 विधायक

सिंधिया के समर्थक मंत्रियों में तुलसी सिलावट, गोविन्द सिंह राजपूत, प्रधुम्न सिंह तोमर, इमरती देवी,प्रभुराम चोधरी और महेन्द्र सिसोदिया शामिल हैं. जबकि विधायकों में मुन्ना लाल गोयल, गिरिराज दंडोतिया, ओपीएस भदोरिया, विरजेंद्र यादव, जसपाल जजजी, कमलेश जाटव, राजवर्धन सिंह, रघुराज कंसना, सुरेश धाकड़, हरदीप डंग और रक्षा सिरोनिया जसवंत आदि शामिल हैं.

यूथ कांग्रेस चुनाव टले

एमपी में जारी सियासी घमासान के बीच मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के चुनाव टाल दिए गए हैं. अब राज्यसभा चुनाव के बाद कार्यक्रम बनेगा. कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि प्रदेश अध्यक्ष कुणाल चौधरी ने कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी नेताओं से मुलाकात की और उसके बाद चुनाव टालने का फैसला लिया गया.

मध्य प्रदेश में सियासी संकट फिर उभरा

होली से ठीक पहले मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर एक बार फिर सियासी संकट के बादल घिरने लगे हैं जिसके बाद दिल्ली, भोपाल और बेंगलुरु तक में धूप छांव का खेल खेला जाने लगा. ये हलचल तब शुरू हुई जब मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में ये खबर गूंजने लगी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के फोन बंद हो गए हैं. सूत्रों के अनुसार मध्‍यप्रदेश कांग्रेस के 6 मंत्रियों समेत 17 विधायक जो पूर्व सांसद ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के समर्थक बताए जाते हैं, वो एक चार्टर्ड विमान से बीजेपी शासित कर्नाटक के बेंगलुरू चले गए हैं. बागी कांग्रेस विधायकों व अन्‍य, जो पाला बदलने के लिए तैयार रहे हैं, उनके लिए बेंगलुरू सुर्खियों में रहा है. सूत्रों के अनुसार कभी गांधी परिवार के करीबी रहे ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया फिलहाल दिल्‍ली में हैं और कांग्रेस एक समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिलहाल कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा. 230 विधायकों की राज्य सभा में वर्तमान में कांग्रेस 114 विधायक के साथ सत्ता में है, तो भाजपा के 107 विधायक हैं. बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक हैं.

  • दिल्‍ली में सोनिया गांधी से मिले मुख्‍यमंत्री कमलनाथ, मुलाक़ात के बाद कहा सब ठीक है
  • राज्‍य में तीन राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है
  • बेंगलुरू गए विधायकों में 6 मंत्री भी शामिल हैं

भोपाल:

49 वर्षीय सिंधिया दिसंबर 2018 में मुख्‍यमंत्री पद की दौड़ में तब पिछड़ गए थे जब उन्‍हें केवल 23 विधायकों का ही समर्थन मिल सका था जबकि मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस की जीत में उन्‍होंने बड़ा योगदान दिया था. कमलनाथ मुख्‍यमंत्री बने थे पार्टी की राज्‍य इकाई पर भी उनका ही नियंत्रण रहा. तब सिंधिया को पिछले साल के लोकसभा चुनावों के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना कर शांत करने की कोशिश की गई लेकिन वहां कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा.

प्रदेश की सियासत में तख्तापलट के इतिहास को देखते हुए भोपाल की सियासत में सुदूर दक्षिण के बेंगलुरु शहर का नाम ही भूकंप लाने के लिए काफी है. तख्तापलट से पहले बेंगलुरु कई राज्यों के विधायकों का ‘सेफ हाउस’ बन चुका है. लिहाजा कमलनाथ सरकार में मंत्री-विधायकों के भोपाल की तरफ भागने की खबरें आने लगीं. यानी हर खेमे की गोलबंदी शुरू हो गई है ताकि ‘कयामत के वक्त’ में ताकत भरपूर हो और जोर आजमाइश में कोई कमजोर न निकले. तब तक कई संभावनाओं पर समीकरण टटोले जाने लगे. खबर आई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है. यानी उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है.

मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने राज्‍य में जारी सियासी संकट के मद्देनजर सोमवार को ही पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात थी और उसके बाद कहा था कि सब ठीक है. लेकिन लगता नहीं की वहां सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है.

सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा था कि बैठक में राज्य के सियासी संकट और राज्यसभा चुनाव पर चर्चा हुई. मंत्रिमंडल में विस्तार पर भी चर्चा हुई. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा, ‘पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात हुई, तमाम मुश्किलों पर बात हुई. राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर बातचीत हुई है और जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, उसको लेकर भी बातचीत हुई है.’ हालांकि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी और उनके कई करीबियों के संपर्क में नहीं होने के सवाल पर कमलनाथ ने कोई जवाब नहीं दिया था.

इससे पहले कांग्रेस के 4 विधायक बेंगलुरु चले गए थे जिनमें से दो वापस लौट आए हैं. हालांकि दो अन्‍य विधायकों से अबतक कांग्रेस का संपर्क नहीं हुआ है, जो लौटे हैं वो सीधे मंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, जो रुके हैं उन्हें भी मंत्री बनना है. सबको मंत्री बनना है.

राज्य में 230 विधायकों की संख्या के हिसाब से 34 सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस समय मुख्यमंत्री को मिलाकर 29 मंत्री है. 5 मंत्री और शामिल किए जा सकते हैं. वर्तमान में कांग्रेस 114 विधायक के साथ सत्ता में है, तो भाजपा के 107 विधायक हैं. बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक हैं.

मध्यप्रदेश में रिक्त हो रहीं तीन राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है. इसके लिए नामांकन 13 मार्च तक किए जा सकते हैं. कांग्रेस और बीजेपी की विधानसभा में मौजूदा सीटों को देखते हुए कांग्रेस के खाते में तीन में से दो सीटें आने की संभावना बनी हुई है. कांग्रेस में यह दो सीटें सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों के नामों को लेकर मंथन चल रहा है. मध्यप्रदेश से कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को बड़ा दावेदार माना जा रहा है.

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पिछले मंगलवार से सियासी ड्रामा जारी है. बीजेपी पर कांग्रेस का आरोप है कि उसने उसके चार विधायकों का अपहरण कर लिया. यह कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए किया गया. हालांकि बीजेपी ने इस आरोप से इनकार किया है. बीजेपी के नेता नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि यह सरकार खुद ब खुद गिर जाएगी, बीजेपी को उसे गिराने की जरूरत नहीं है. दूसरी तरफ लापता चार विधायकों में से एक निर्दलीय एमएलए सुरेंद्र सिंह ‘शेरा भैया’ शनिवार को भोपाल लौट आए और उन्होंने अपहरण की बात से इनकार किया. मध्यप्रदेश में मचे इस सियासी घमासान के बीच राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इन हालात में कांग्रेस के सामने कमलनाथ सरकार को सुरक्षित रखने और साथ ही राज्यसभा की दो सीटें सुनिश्चित करने की भी चुनौती है.

मसला जो हो लेकिन भोपाल की पॉलिटिक्स में बेंगलुरु से नया ऐंगल जुड़ा तो प्रदेश सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी के मुद्दे पर खुल कर चर्चा होने लगी. राज्य की सियासत में ग्वालियर राजघराने के ‘महाराज’ की अलग हैसियत है. कहा जा रहा है कि इस हैसियत की अनदेखी से महाराज ज्यादा खफा हुए. रोड पर उतरने वाला बयान दे कर उन्होंने पानी ऊपर जाने का संकेत दिया लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ से भाव नहीं मिला. कमलनाथ ने कहा था कि अगर सिंधिया को रोड पर उतरना है तो उतर जाएं. इस पर सिंधिया समर्थक इमरती देवी का जो बयान आया उससे ही इशारा मिलने लगा था कि ये खेल खतरनाक होता जा रहा है. उन्होंने कहा था कि अगर महाराज सड़कों पर उतरे तो प्रदेश की जनता भी उनके साथ उतरेगी. 

पिछले हफ्ते जब ऑपरेशन लोटस की बात छिड़ी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया चुप्पी साधे हुए थे. हालांकि उनके समर्थक विधायक ने कहा था कि अगर सिंधिया का प्रदेश सरकार ने अनादर किया तो कमलनाथ सरकार पर संकट जरूर आ जाएगा. इसके बाद सिंधिया गुट के विधायक इस पूरे सियासी घटनाक्रम से खुद को दूर रखे रहे. 

हालांकि सिंधिया समर्थक विधायकों और मंत्रियों के अचानक गायब होने पर मंत्री ओमकार मरकाम ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि सब मंत्री विधायक होली मनाने गए होंगे. शायद यही वजह है कि उनके मोबाइल भी बंद आ रहे हों

कांग्रेस विधायकों के बेंगलुरु कनेक्शन पर मंत्री ओमकार मरकाम का कहना है कि सभी विधायक, मंत्री बेंगलरु ही क्यों जा रहे हैं ये तो बड़े नेता ही बता सकते हैं. वहीं मरकाम ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस का वरिष्ठ नेता बताते हुए उनकी जमकर तारीफ़ भी की है. साथ ही प्रदेश के सभी कांग्रेस विधायक सीएम के संपर्क में होने का दावा भी किया है.

कांग्रेस में गुटबाजी के बीच बीजेपी अपनी रोटी सेंकने की जुगत में है. सिंधिया की नाराजगी को भांपते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान दिल्ली से भोपाल जाएंगे. कल शाम 7 बजे बीजेपी ने विधायक दल की बैठक भी बुला ली है. वहीं सीएम हाउस में मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में है. देर शाम उन्होंने सचिन पायलट से मुलाकात की और खुद कार चलाकर दिल्ली स्थित अपने घर पहुंचे. 

  1. देर शाम तक ‘सिंधिया खेमे’ के ये विधायक संपर्क में नहीं
  2. गिर्राज दंडोतिया, कांग्रेस विधायक दिमनी (मुरैना)
  3. कमलेश जाटव, कांग्रेस विधायक अम्बाह (मुरैना)
  4. यशवंत जाटव, कांग्रेस विधायक, करैरा (शिवपुरी)
  5. इमरती देवी, महिला एवं बाल विकास मंत्री (ग्वालियर)
  6. प्रद्युम्न सिंह तोमर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री (ग्वालियर)
  7. गोविंद सिंह राजपूत, परिवहन मंत्री, विधायक -सुरखी (सागर)
  8. ओपीएस भदोरिया, कांग्रेस विधायक, मेहगाव (भिण्ड)
  9. रघुराज सिंह कंसाना, कांग्रेस विधायक मुरैना
  10. जसपाल सिंह जग्गी, अशोक नगर विधायक
  11. बृजेंद्र सिंह यादव, मुंगावली विधायक
  12. श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया लापता (मंत्री के दफ्तर और स्टाफ को भी नहीं जानकारी, समर्थकों को भी कल शाम से नहीं मंत्री की जानकारी)

अंदरूनी कलह को भाजपा के सर मढ़ रहे दिग्विजय

मध्य प्रदेश के श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा है कि कमलनाथ सरकार को फिलहाल कोई संकट नहीं है. सरकार पर संकट तब आएगा जब हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा या अनादर किया जाएगा.

भोपाल: 

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर इन दिनों संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी पर मध्य प्रदेश में हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगा रही है. वहीं भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि कांग्रेसी विधायक कमलनाथ सरकार से खुश नहीं हैं और इसलिए बागी रुख अपना रहे हैं. इस बीच कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, ‘कमलनाथ जी की सरकार को संकट तब होगा, जब सरकार हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की उपेक्षा या अनादर करेगी.’

मध्य प्रदेश के श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया सिसोदिया ने पत्रकारों से कहा, ‘अगर कमलनाथ सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा या अनादर करेगी तब निश्चित तौर से सरकार पर जो काले बादल छाएंगे वो क्या करके जाएंगे मैं यह कह नहीं सकता.’ आपको बता दें कि तीन कांग्रेसी विधायकों समेत एक निर्दलीय विधायक कमलनाथ सरकार के संपर्क में नहीं हैं. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि इन चारों विधायकों को भाजपा ने बेंगलुरू में रखा है.

इन चारों में से एक हरदीप सिंह डंग ने तो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा भी सौंप दिया है. हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा नहीं दिया है सिर्फ स्टेटमेंट ​जारी किया है. वहीं कमलनाथ के एक और मंत्री गोविंद सिंह ने दावा किया है कि नारायण त्रिपाठी और शरद कौल के साथ ही कई अन्य ​भाजपा विधायक कांग्रेस पार्टी के संपर्क में हैं.

संजय पाठक ने कांग्रेस के संपर्क में होने का किया खंडन

भाजपा विधायक संजय पाठक के ​भी कांग्रेस खेमे के साथ होने की बात कही जा रही थी लेकिन उन्होंने खुद वीडियो संदेश जारी कर इस बात का खंडन किया है. पाठक ने अपना यह वीडियो संदेश ट्वीट किया है. भाजपा विधायक ने यह भी कहा कि वर्तमान में वह अपने परिवार की चिकित्सा में व्यस्त हैं. उन्होंने स्पष्ट किया, ‘इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है कि मैं गुरुवार रात मुख्यमंत्री कमलनाथ से उनके आवास पर मिला था. इस मामले में मीडिया में जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं वह गलत हैं. उस तस्वीर में चेहरा ढंकने वाला व्यक्ति मैं नहीं हूं.’

दिग्विजय सिंह ने लिया था इन 5 भाजपा नेताओं का नाम 

इससे पहले बुधवार को भाजपा नेताओं द्वारा कथित तौर पर प्रदेश कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के आरोपों के बीच कमलनाथ सरकार ने आदेश जारी कर संजय पाठक के लौह अयस्क खदानों को बंद करने के आदेश जारी किए. संजय पाठक पूर्व में कांग्रेस के विधायक थे, बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासन काल में मंत्री भी रहे. दिग्विजय सिंह ने संजय पाठक, शिवराज सिंह चौहान सहित भाजपा के पांच नेताओं का नाम लेकर उन्हें विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए जिम्मेदार बताया था.

राज्य सभा की 55 सीटों के लिए दंगल शुरू

55 सीटें, बहुत होतीं हैं लेकिन क्या भाजपा इनमें से आधी भी हासिल कर पाएगी???

नई दिल्ली: 

राज्यसभा (Rajya Sabha) की 55 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है. इस चुनाव में भाजपा के कई बड़े नेता राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचने की जुगत में हैं. नेताओं में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड से राज्यसभा पहुंचने की होड़ सबसे ज्यादा है. इन राज्यों से कई पूर्व मुख्यमंत्री भी इस बार राज्यसभा जाने की कतार में खड़े हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी राज्यसभा की रेस में है. इसे लेकर भाजपा में लॉबिंग शुरू हो गई है, लेकिन भाजपा नामांकन से एक-दो दिन पहले यानी कि 11 मार्च के आस-पास उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेगी. 13 मार्च नामांकन की आखिरी तारीख है.

इन नामों की हो रही चर्चा

हालांकि सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को अभी फिलहाल राज्य में अपनी पार्टी की सरकार की वापसी की संभावना दिख रही है, इसलिए उनकी इच्छा केंद्र में आने की नहीं है. लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक ये भी तय है कि अगर पार्टी ने फैसला ले लिया तो देवेंद्र फडणवीस, शिवराज सिंह चौहान और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्यसभा पहुंचेंगे.

इसके अलावा भाजपा के कई बड़े नेता राज्यसभा में फिर से वापसी चाहते हैं. इसके लिए वे लगातार पार्टी नेताओं से संपर्क में हैं. मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद प्रभात झा फिर से राज्यसभा में आना चाहते हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश से ही भाजपा के तेजतर्रार महासचिव राम माधव को भी राज्यसभा में लाए जाने की चर्चा है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के नेता विजय गोयल का भी राजस्थान से राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. वे भी दोबारा राज्यसभा में आने के लिए जोर लगा रहे हैं. हालांकि, खबरों के मुताबिक राजस्थान से राज्यसभा के 3 सांसद जो रिटायर हो रहे हैं उनमें से किसी की भी वापसी राज्यसभा में नहीं होगी. ओडिशा में राज्य सभा की तीन सीटों में से बीजू जनता दल को दो और भाजपा को एक सीट मिलनी है. ओडिशा से भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजयंत पांडा को राज्यसभा भेजा जा सकता है. ओडिशा में एक सीट पर भाजपा को विजय मिलेगी, जिसमें पार्टी को बीजू जनता दल से सहयोग लेना पड़ेगा. महाराष्ट्र से भी भाजपा को 2 सीटें मिल रही हैं, जिसमें देवेंद्र फडणवीस के नाम की चर्चा है. वहीं दूसरी सीट केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले को जा सकती है.

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री और अमित शाह दोनों ही अठावले को राज्यसभा में लाना चाहते हैं. भाजपा के एक महामंत्री का कहना है कि, इस मुद्दे पर अभी पार्टी में कोई चर्चा नहीं हुई है. अंतिम फैसला तो भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को ही करना है.

बिहार में जदयू और भाजपा गठबंधन को राज्य सभा चुनाव में तीन सीट मिलने की उम्मीद है. बिहार से सीपी ठाकुर और वयोवृद्ध नेता आरके सिन्हा फिर से दावेदारी पेश कर रहे हैं. लेकिन इन दोनों की वापसी की संभावना नहीं दिखती है. बिहार में भाजपा नया चेहरा ला सकती है. यह भी हो सकता है कि केंद्र की राजनीति में रसूख रखने वाले बिहारी नेताओं को इस बार राज्यसभा में जाने का मौका मिले.

तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए मुकुल रॉय भी लंबे समय से राज्यसभा जाने का इंतजार कर रहे हैं. पश्चिमी बंगाल में पांच राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है. लेकिन राज्य विधानसभा की गणित की वजह से इन सभी सीटों पर तृणमूल के उम्मीदवार ही विजयी होंगे. लिहाजा मुकुल रॉय को अभी और भी इंतजार करना होगा.

दिग्विजय सिंह की अश्व व्यवसाय की बात कहीं कॉंग्रेस का अंदरूनी मामला तो नहीं?

खरीद फरोख्त के मामले में सबसे पहले मोबाइल सविच ऑफ करवाते हैं, जबकि काँग्रेस पार्टी अपने विधायकों से बड़ी सरलता से संपर्क साधे हुए थी। गुरुग्राम हरियाणा ही में है तो वहाँ राजस्थान पुलिस की तैनाती तो नहीं होगी। और बड़ी सरलता से यह लोग अपने तथाकथित बंधक विधायकों को छुड़ा लाये बिना किसी हाइ पावर ड्रामे के? कहीं यह कोंग्रेस की ही तो चाल नहीं क्योंकि दिग्विजय कमाल नाथ सरकार पर निशाना साध चुके थे? यह तो समय ही बताएगा फिलहाल तो एमपी के वित्त मंत्री कुछ बता रहे हैं।

मध्य प्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोट ने यह भी आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार के मंत्री जीतू पटवारी और मंत्री जयवर्धन सिंह होटल पहुंच चुके हैं, लेकिन उनको विधायकों से मिलने नहीं दिया जा रहा है. होटल में रखे गए विधायकों की निगरानी के लिए हरियाणा पुलिस को लगाया गया है. इस घटना के बाद मध्य प्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोट भी इन आठों विधायकों से मिलने के लिए गुरुग्राम के आईटीसी होटल के लिए निकल पड़े.

भोपाल: 

मध्य प्रदेश की सियासत में हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) के आरोपों की वजह से हंगामा हो गया है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया है. दिग्विजय ने कहा कि बीजेपी (BJP) एमपी कांग्रेस, बसपा और सपा के विधायकों को दिल्ली ला रही है. दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘बीजेपी, बसपा विधायक रमाबाई को दिल्ली ले गई. कुछ लोग बीजेपी के प्रलोभन में आए थे. वहीं हमें गेट पर रोक दिया गया था.’  बता दें कि मध्यप्रदेश के 10 विधायक गुरुग्राम में ठहरे हैं. कांग्रेस का आरोप है कि इन विधायकों को बीजेपी ने बंधक बनाया है. 

दिग्विजय ने कहा, ‘करीब 10-11 विधायक थे, अब बीजेपी के पास 4 विधायक हैं. बसपा विधायक रमाबाई के साथ गुंडागर्दी की गई. रमाबाई बहादुर महिला हैं.’ दिग्विजय ने कहा, ‘जब हमें पता चला, तो जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह वहां गए. जिन लोगों के साथ हमारा संपर्क स्थापित किया गया था वे हमारे पास वापस आने के लिए तैयार थे. हम बिसाहूलाल सिंह और रमाबाई के संपर्क में थे. रमाबाई वापस आईं, जबकि भाजपा ने उन्हें रोकने की कोशिश की.बीजेपी के पास कालाधन है.’

वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता तरुण भनोत का बयान भी सामने आया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कुछ विधायकों को बंगलौर ले जाया गया है. इन्हें अरविंद भदौरिया लेकर गए हैं. बसपा विधायक संजीव कुशवाहा ने भी इस मामले में बयान दिया. उन्होंने कहा, ‘हम चंबल के लोग हैं, हमें कौन बंधक बना सकता है. मेरे साथ सपा विधायक भी हैं. हम दिल्ली में हैं. हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया है. मैं सरकार के साथ हूं.’

सपा विधायक राजेश शुक्ला ने कहा, ‘कम से कम कांग्रेस ने हमारी चिंता तो की. हम कांग्रेस के साथ में है. कांग्रेस के विधायकों को खरीदने की कोशिश की जा रही है. मैं दिल्ली में हूं. संयोग से हम, बीजेपी और कांग्रेस साथ में दिल्ली पहुंच गए.’

बता दें कि दिग्विजय सिंह ने बीएसपी विधायक रमा बाई को लेकर दिल्ली जाने का आरोप पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह पर लगाया था. दिग्विजय के आरोप पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने बड़ा बयान दिया था और कहा था कि दिग्विजय सिंह ने जो आरोप लगाए हैं मैं उनसे सहमत हूं. कांग्रेस के विधायकों को खरीदने की कोशिश हो रही है. बीजेपी के नेता डर रहे हैं कि आने वाले समय में उनके पिछले 15 सालों के भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है. इसलिए ऐसा कर रहे हैं. 

कमलनाथ ने कहा था, ’15 साल में इनके पास इतना पैसा कहां से आया? कई विधायकों ने मुझसे भी इसकी शिकायत की है. मैं तो विधायकों से कह रहा हूं कि फोकट का पैसा मिल रहा है तो ले लेना.’ कमल नाथ ने दावा किया था कि बीजेपी के भी कई विधायक हमारे संपर्क में हैं.

वारिस पठान के 15 करोड़ मुस्लिम वाले बयान पर राजनीति गर्माई

वारिस पठान ने जो आग सुलगाई है उसकी आंच पूरे भारतीय समाज को लील सकती है। तेलंगाना के गोशामहल से बीजेपी विधायक टाइगर राजा सिंह ने कहा कि अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा उनके खिलाफ एफआईआर नहीं बल्कि पाकिस्तान छोड़कर आना चाहिए। वारिस पठान कहता है कि 15 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ये किस भाषा का उपयोग कर रहे हो। क्या तुम लोग हम पर भारी पड़ोगे? क्या एक बार ट्रायल देख लेंगे है इतना दम आप में। उन्होंने कहा है कि वो वारिस है या लावारिस है। कहता है कि इनकी शेरनियां सड़कों पर बैठी है तो हमें पसीने आ गए। इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है। इनकी शेरनियां अगर रोड पर आ गई तो शेर क्या जंगल में झक मारने गए है और क्या इनके शेर नपुंसक हैं। अगर हमारे हिंदुस्तानी शेर घर से निकल गए तो किन-किन शेरनियों का शिकार करेंगे। खुला चैलेंज देता हूं कि आ जा। 

चंडीगढ़:

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान के 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे 15 करोड़ वाले बयान पर राजनीति गरमा गई है। वारिस पठान ने अपने बयान पर माफी मांगने से इनकार कर दिया है और कहा है कि मेरे बयान को गलत और तोड़मोड़ कर पेश किया गया है। वहीं इस बयान पर तेलंगाना से बीजेपी विधायक ने खुला चैलेंज दिया है कि एक बार ट्रायल करके देख लो। बीजेपी सांसद ने तो पठान को उत्तर प्रदेश आने का न्योता भी दे दिया है। आरजेडी नेता तेजस्वी ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। 

इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है: बीजेपी विधायक राजा सिंह

तेलंगाना के गोशामहल से बीजेपी विधायक टाइगर राजा सिंह ने कहा कि अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा उनके खिलाफ एफआईआर नहीं बल्कि पाकिस्तान छोड़कर आना चाहिए। वारिस पठान कहता है कि 15 करोड़ मुस्लिम 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ये किस भाषा का उपयोग कर रहे हो। क्या तुम लोग हम पर भारी पड़ोगे? क्या एक बार ट्रायल देख लेंगे है इतना दम आप में। उन्होंने कहा है कि वो वारिस है या लावारिस है। कहता है कि इनकी शेरनियां सड़कों पर बैठी है तो हमें पसीने आ गए। इनकी शेरनियां 500 रुपये देकर रोड पर बैठती है। इनकी शेरनियां अगर रोड पर आ गई तो शेर क्या जंगल में झक मारने गए है और क्या इनके शेर नपुंसक हैं। अगर हमारे हिंदुस्तानी शेर घर से निकल गए तो किन-किन शेरनियों का शिकार करेंगे। खुला चैलेंज देता हूं कि आ जा। 

ऐसे नेताओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए: तेजस्वी
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा ‘ये बयान शर्मनाक है और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। एआईएमआईएम भाजपा की बी-टीम के रूप में काम कर रही है। उसी तरह अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए। जो कोई भी उत्तेजक बयान दे उसके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।

भाजपा और AIMIM एक दूसरे के पूरक हैं: दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसी प्रकार के बयान असाउद्दीन ओवेसी सांसद के भाई अकबरउद्दीन ओवेसी विधायक ने दिए थे। वारिस पठान के खिलाफ सख़्त कार्रवाई होना चाहिए। कांग्रेस सदैव कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ लड़ी है। भाजपा और AIMIM एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों धार्मिक भावना फैला कर नफ़रत पैदा करते हैं।

कौन सी आजादी चाहिए, किससे आजादी चाहिए: संबित पात्रा

बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने कहा है कि ओवैसी की पार्टी के कद्दावर नेता वारिस पठान कहते हैं कि हम छीन कर लेंगे आजादी। मैं इन तथाकथित लिबरल से पूछना चाहता हूं कि कौन सी आजादी चाहिए, किससे आजादी चाहिए? ओवैसी की पार्टी ने कहा है कि 15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। अगर भाजपा के नेता ने ऐसा कोई बयान दे दिया होता तो आज सारे तथाकथित लिबरल सड़क पर उतर जाते, पूरे देश में कोहराम मचा देते। लेकिन आज एक भी सामने नहीं आ रहा है, एक भी सवाल नहीं पूछ रहा है। ये सारे लोग हमारे मुस्लिम भाइयों को बरगला रहे हैं, भ्रमित कर रहे हैं। इन सभी लोगों के हाथ में संविधान और दिल में वारिस पठान है, ये साबित कर दिया है। आज ये स्पष्ट हो गया है कि इनके हाथ में संविधान और मन में वारिस पठान है।

आओ कभी उत्तर प्रदेश में: बीजेपी संसाद

उत्तर प्रदेश के कानपुर से बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी ने वारिस पठान के बयान का विडियो पोस्ट करते हुए लिखा है, ‘आओ कभी उत्तर प्रदेश में।’ 

क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने वारिस पठान के बयान पर ट्वीट कर कहा, ‘ओवैसी का भाई-15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, 100 करोड़ हिंदुओं को बता देंगे। वारिस पठान -15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ओवैसी के मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’। ‘कांग्रेस, राजद और टुकड़े-टुकड़े गैंग से पूछना चाहते हैं क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?

ऐसे बयान देश को तोड़ने का काम करते हैं: संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा है कि वारिस पठान का बयान काफी निदंनीय और शर्मनाक है। ऐसे लोग समाज और देश को तोड़ने का काम करते है। ऐसे बयान से देश जुड़ता नहीं और एकता भाईचारा नहीं बनता है। सभ्य समाज में इसे स्वीकारा नहीं जा सकता। देश में दंगल कराएंगे, झगड़ा करना चाहते हैं। 

क्या कहा था वरिस पठान ने

वारिस पठान ने बिना किसी धर्म का नाम लिये कहा था कि देश में मुसलमानों की संख्या भले ही 15 करोड़ से कम हो लेकिन जरूरत पड़ने पर वे 100 करोड़ लोगों पर भारी पड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि अभी तो केवल मुस्लिम महिलाएं बाहर निकली हैं तो पूरा देश परेशान हो गया। जब पूरा समुदाय एकजुट होकर बाहर निकलेगा, तब बहुत बड़ा असर पड़ेगा। मुंबई के भायखला से पूर्व विधायक ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि ईंट का जवाब पत्थर से देना हमने सीख लिया है। मगर इकट्ठा होकर चलना होगा। अगर आजादी दी नहीं जाती तो हमें छीनना पड़ेगा। वे कहते हैं कि हमने औरतों को आगे रखा है, अभी तो केवल शेरनियां बाहर निकली हैं तो तुम्हारे पसीने छूट गए। तुम समझ सकते हो कि अगर हम सब एक साथ आ गए तो क्या होगा। पन्द्रह करोड़ हैं लेकिन 100 के ऊपर भारी हैं। ये याद रख लेना। उन्होंने जब यह बयान दिया तो वहां हैदराबाद से सांसद एवं एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मौजूद थे।