‘हमारे साथ ‘तीसरे दर्जे के नागरिक’ जैसा व्यवहार न करे’जेडीएस की चेतावनी

कर्नाटक में सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस और जेडीएस में 2019 चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पा रही है.

बेंगलुरू: कर्नाटक में सियासी नाटक जारी है. बीजेपी जहां कांग्रेस-जेडीएस पर उसके विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा रही है. वहीं कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने बीजेपी पर आरोपों की झड़ी लगा दी है. लेकिन इसी बीच कांग्रेस और जेडीएस के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सीटों के बंटवारे पर दोनों दलों के बीच बात नहीं बन रही है. 

मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी पार्टी के साथ ‘तीसरे दर्जे के नागरिकों’ जैसा व्यवहार न किया जाए. कुमारस्वामी ने यह भी जोड़ा कि बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए दोनों साझेदारों को ‘लेन-देन की नीति’ अपनानी होगी. गठबंधन सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर होने वाली बातचीत से पहले कांग्रेस में अंदरुनी दबाव है कि वह जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) के सामने ज्यादा ना झुके वहीं. कुमारस्वामी का कहना है कि दोनों पक्षों में किसी को भी संकीर्णता नहीं दिखानी चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ मोदी सरकार की लोकप्रियता घट रही है. प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम सुझाते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि भाजपा-विरोधी दलों में हालांकि गांधी के नाम को लेकर अभी तक सहमति नहीं है. कर्नाटक में अपनी सरकार के सात महीने पूरे होने पर जेडीएस नेता ने सरकार के भीतर मतभेद के आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह इस ‘कड़वाहट’ से आसानी से पार पा लेंगे.

सीट बंटवारे पर बातचीत असफल रहने पर क्या जेडीएस अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी. यह पूछने पर मुख्यमंत्री ने कहा. “हमारी समझ से हम दोनों (कांग्रेस और जेडीएस) को (लोकसभा चुनाव) साथ लड़ना चाहिए. क्योंकि (कर्नाटक में) सरकार बनाने का कारण भाजपा को सत्ता में आने से रोकना और देश में माहौल को बेहतर बनाना था….” 

उन्होंने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्य में गठबंधन सरकार के गठन के बाद से देश के राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आए हैं. बीजेपी का पराभव हो रहा है. कुछ उपचुनावों और तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली है. कुमारस्वामी ने कहा. “…..मेरे विचार में यदि कांग्रेस राह भटक जाती है और अति-विश्वास के साथ आगे बढ़ती है तो क्या होगा. उन्हें पता है. अपने अतीत के अनुभवों के माध्यम से वह सब कुछ जानते हैं. मुझे नहीं लगता है कि वह इसे भूलेंगे.”  

उन्होंने कहा. “उन्हें हमारे साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए. उन्हें हमारे साथ तीसरे दर्जें के नागरिक की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए. यहां नीति लेन-देन की होनी चाहिए.”  

जेडीएस ने प्रदेश की 24 संसदीय सीटों में से 12 की मांग रखी है जिसपर कांग्रेस को आपत्ति है. 2014 के आम चुनावों में राज्य में भाजपा को 17. कांग्रेस को नौ और जेडीएस को दो सीटें मिली थीं. लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में सीटों का बंटावारा कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा होगा. खास तौर से पुराने मैसूर की सीटों पर जहां वोक्कालिंग समुदाय में जेडीएस की पकड़ मजबूत है वहीं इन सीटों पर फिलहाल कांग्रेस के सांसद हैं. लोकसभा चुनाव साथ लड़ने की इच्छा दोहराते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत होने और इस महीने के अंत तक अंतिम फैसला होने की संभावना है.

कुमारस्वामी ने कहा. “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष (एचडी देवेगौड़ा) को लगता है कि सरकार बनने के बाद हर बात में दो-तिहाई (कांग्रेस) और एक-तिहाई (जेडीएस) का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है जैसा कि मंत्रालयों और बोर्ड कॉरपोरेशन की नियुक्तियों में हुआ है.” उन्होंने कहा, “28 सीटें हैं… उन्हें दो तिहाई लेनी चाहिए और हमें एक-तिहाई देना चाहिए. मेरा यही विचार है और मुझे लगता है कि वह इसे स्वीकार करेंगे.”

कर्नाटक सरकार के 3 एमएलए भाजपा के साथ :डी के शिवकुमार

कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार ने बीजेपी पर कांग्रेस विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया. डीके श‍िवकुमार ने मुख्‍यमंत्री कुमारस्‍वामी पर भी बीजेपी का पक्ष लेने का आरोप जड़ द‍िया.

बेंगलुरू :  कर्नाटक की कांग्रेस जेडीएस सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. कांग्रेस के ही मंत्री ने दावा किया है कि उनकी ही पार्टी के तीन वि‍धायक बीजेपी के संपर्क में हैं. जो इस समय मुंबई में मौजूद हैं. कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डी के. शिवकुमार ने रविवार को कहा कि राज्य की गठबंधन (कांग्रेस- जेडीएस) सरकार को गिराने के लिए भाजपा का ‘ऑपरेशन लोटस’ वास्तव में चल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के तीन विधायक मुंबई के एक होटल में भाजपा के कुछ नेताओं के साथ डेरा डाले हुए है.

कांग्रेस नेता शिवकुमार ने कहा, ‘राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त जारी है. हमारे तीन विधायक भाजपा के कुछ विधायकों और नेताओं के साथ मुंबई के एक होटल में हैं. वहां क्या कुछ हुआ है उन्हें कितनी रकम की पेशकश की गई है, उससे हम अवगत हैं.’ गौरतलब है कि 2008 में कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा नीत सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भाजपा द्वारा कई विपक्षी विधायकों को कथित प्रलोभन दिए जाने को ‘ऑपरेशन लोटस’ के नाम से जाना जाता है.

गरीब सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बिल लोक सभा में 323/326 से पास : देश में ख़ुशी का माहौल

नई दिल्‍ली : सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार ने लोकसभा की लड़ाई जीत ली है. लोकसभा में मंगलवार को संविधान संशोधन बिल पेश कर दिया है. इस मुद्दे पर बहस के बाद रात 9.55 बजे वोटिंग हुई. वोटिंग में 326 सांसदों ने हिस्‍सा लिया. इसमें संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में 323 वोट पड़े. 3 सांसदों ने इसका विरोध किया. बि‍ल लोकसभा में पास हो गया. शाम 5 बजे से शुरू हुई बहस के बाद रात 9.55 बजे इस व‍िधेयक पर वोटिंग हुई. अब सरकार की नजरें राज्‍यसभा पर होंगी. जहां इस पर बुधवार को चर्चा होगी.

इस विधेयक पर शाम 5 बजे से बहस शुरू हो गई. बहस शुरू करते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत ने कहा, नि‍जी शिक्षण संस्‍थानों में भी ये आरक्षण लागू होगा. इसके साथ ही उन्‍होंने इस पर सभी दलों का समर्थन मांगा. उन्‍होंने कहा, जो आरक्षण है, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. इसके बाद कांग्रेस के नेता केवी थॉमस ने चर्चा में हिस्सा लिया. उन्‍होंने कहा, हम इस बिल के खि‍लाफ नहीं हैं. लेकिन इससे पहले इस बिल को जेपीसी में भेजो. कांग्रेस के सवालों का जवाब केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया. उन्‍होंने इसे जुमला कहने  वालों पर हमला बोलते हुए कहा, सवर्णों को आरक्षण देने के जुमले को सभी दलों ने अपने अपने घोषणा पत्र में रखा. उन्‍होंने कहा, आर्थ‍िक आधार पर आरक्षण मिलना चाहि‍ए.

अरुण जेटली ने कहा, ये सही है कि इससे पहले जो भी कोशिशें हुईं वह सुप्रीम कोर्ट में नहीं ठहर पाईं. सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की सीमा लगाई, ये सीमा 16 ए के संबंध में थी. कांग्रेस को जवाब देते हुए जेटली ने कहा, आपने आरोप लगाया कि ये बिल आप अभी क्‍यों लाए. तो आपको पटेलों के लिए आरक्षण गुजरात चुनाव से पहले क्‍यों याद नहीं आया. अरुण जेटली ने कांग्रेस को घोषणा पत्र के वादे को याद दिलाते हुए इस संशोधन का समर्थन करने की अपील की.

आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने इस चर्चा में ह‍िस्‍सा लेते हुए बीजेपी सरकार पर हमला बोला. उन्‍होंने इस मुद्दे पर कहा सरकार सत्र के आख‍िरी दिन इस ब‍िल को लेकर आई है. इस‍लि‍ए इनकी नीयत में खोट है. ये भारतीय जुमला पार्टी है. इनकी नीयत इस ब‍िल को लागू करने की नहीं है. सरकार इस आड़ में एससी एसटी का भी आरक्षण खत्‍म करना चाहती है.

इस बिल पर चर्चा करते हुए एआईएमआईएम के अध्‍यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, मैं इस बिल का विरोध करता हूं. क्‍योंकि ये बिल एक धोखा है. इस बिल के माध्‍यम से बाबा साहब आंबेडकर का अपमान किया गया है. आप इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में पास नहीं करा सकते. ये वहां गिर जाएगा.

चर्चा में हिस्‍सा लेते हुए एम थंबीदुरई ने कहा, गरीबों के लिए चलाई जा रहीं कई स्‍कीम पहले से ही फेल हो चुकी हैं. आप जो ये बिल ला रहे हैं, वह सुप्रीम कोर्ट में फंस जाएगा.

टीएमसी के सांसद सुदीप बंदोपाध्‍याय ने कहा, सरकार इसी तरह महिलाओं के आरक्षण का बिल लेकर क्‍यों नहीं आती. सरकार का ये बिल लोगों को धोखा देने के समान है.

बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को सवर्ण जातियों के गरीबों के लिए शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत का आरक्षण देने का फैसला किया है. लेकिन इस फैसले को लागू करने के लिए सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा क्योंकि प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढकर 60 फीसदी हो जाएगा.

इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी 50 फीसदी की सीमा…
विधेयक एक बार पारित हो जाने पर संविधान में संशोधन हो जाएगा और फिर सामान्य वर्गों के गरीबों को शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण मिल सकेगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में अपने फैसले में आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा तय कर दी थी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संविधान संशोधन से अतिरिक्त कोटा का रास्ता साफ हो जाएगा. सरकार का कहना है कि यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे लोगों को दिया जाएगा जो अभी आरक्षण का कोई लाभ नहीं ले रहे.

तथ्यों को समझने के लिए आपको(राहुल गांधी) को ट्यूटर की आवश्यकता पड़ेगी: निर्मला सितारमण

इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को ‘ट्यूशन’ का ऑफर भी दे दिया

राफेल डील का मामला खींचता जा रहा है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने राफेल फाइटर जेट डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर सोमवार को पलटवार किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रमुख को अपने तथ्यों को सही करने के लिए ‘ट्यूटर’ की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने ‘ट्यूशन’ का ऑफर भी दिया.

पत्रकारों से बात करते हुए सीतारमन ने सवाल उठाया कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार क्यों लड़ाकू जेट विमान के सौदे को अंतिम रूप देने में असमर्थ रही है? राहुल गांधी से यह सवाल करना चाहिए.

सीतारमन ने कहा, ‘यूपीए सरकार हर साल हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल को 10,000 करोड़ रुपए के ऑर्डर देती थी. हम उसे 20,000 करोड़ रुपए का ऑर्डर देते हैं. राहुल गांधी से यह नहीं पूछा जा रहा है कि उन्होंने सौदे को अंतिम रूप क्यों नहीं दिया?’

कांग्रेस द्वारा संसद में उठाए गए ऑडियो रिकॉर्डिंग के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए सीतारमन ने कहा, ‘उनके (राहुल गांधी) पास मंत्रालय की सभी फाइलें हैं. क्या उनके पास सारी फाइलें पड़ी हैं या उनके किसी सूत्र ने सूचना लीक की है.

सरकार जवाब देने को तैयार,लेकिन विपक्ष उन्हें सुनने के लिए तैयार नहीं संसद में हंगामे को लेकर उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सीतारमन ने कहा कि सरकार सवालों के जवाब देने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष उन्हें सुनने के लिए तैयार नहीं है. रक्षा मंत्री ने कहा, ‘संसद में बहस के दौरान जब सवाल पर संबंधित मंत्री जवाब देने के लिए खड़े होते हैं तो आप कहते हैं कि ‘प्रधानमंत्री को बुलाओ’.’

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीतारमन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने राफेल मुद्दे पर झूठ बोला है. उन्होंने सीतारमन के इस्तीफे की मांग की थी. राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, ‘जब आप एक झूठ बोलते हैं तो उसे छिपाने के लिए एक के बाद एक कई झूठ आपको बोलने पड़ते हैं. राफेल मामले में पीएम मोदी को बचाने की हड़बड़ी में रक्षामंत्री ने संसद में झूठ बोला. कल रक्षा मंत्री या तो HAL को एक लाख करोड़ के ऑर्डर का सबूत लेकर आएं या फिर इस्तीफा दे दें.’

वित्तीय संकट से जूझ रही है सरकारी कंपनी एचएएल

दरअसल, राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना तब साधा, जब टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनी एचएएल वित्तीय संकट से जूझ रही है और अपने कर्मियों को तनख्वाह देने के लिए पैसे उधार लेने को मजबूर है. एक लाख करोड़ रुपए में से एचएएल को एक पैसा भी नहीं मिला क्योंकि किसी आदेश पर हस्ताक्षर ही नहीं किए गए. कंपनी को सीतारमन के औपचारिक आदेश का इंतजार है.

वहीं राहुल गांधी की इस चुनौती के बाद निर्मला सीतारमन ने अपने जवाबी ट्वीट में कहा कि राहुल गांधी को वह रिपोर्ट पूरी पढ़नी चाहिए, जिसका वह जिक्र कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने रिपोर्ट के उस हिस्से का भी जिक्र किया, जिसमें लिखा है ‘हालांकि, लोकसभा के रिकॉर्ड बताते हैं कि सीतारमन ने यह दावा नहीं किया कि ऑर्डरों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं. उन्होंने यह कहा कि उन पर काम चल रहा है.

पत्थरबाजी : काश्मीर से चल कर पहुंची केरल

Er. S. K. Jain

काश्मीर में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए आतंकियों ने वहाँ के युवाओं को गुमराह कर सेना पर पत्थरबाजी कारवाई। हमें नाज़ है हमारे जवानों पर जिनहोने संयम से काम लेते हुए पत्थर बाजों पर गोलियां नहीं चलाईं बल्कि खुद घायल होते रहे। ऐसी सहनशीलता की मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी। अभी हाल ही में केरल से ख़बरें आ रहीं हैं की वहाँ भी पत्थरबाजी ने अपने “अदरक के पंजे” फैलाने शुरू कर दिये हैं

हमारे देश में हिन्दू आस्था के खिलाफ षड्यंत्र करने वालों व इसे तहस नहस करने वालों की संख्या दिन-ओ-दिन बढ़ती ही जा रही है। साजिशे रचीं जा रहीं हैं। अब तो केरल सरकार और प्रशासन इसका हिस्सा बनते हुए नज़र आ रहे हैं। हिन्दू आस्था को बदनाम और तार तार करने के लिए नए नए तरीके अपनाए जा रहे हैं।  मदिर में प्रवेश करने के लिए केरल की वामपंथी सरकार साजिश रचती है। 2 महिलाओं को धोखे से मंदिर के अंदर प्रवेश करवाया जाता है। इन महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने के लिए किसी भी परंपरागत नियम का पालन नहीं किया है। (आप सबको याद दिला दें कि सबरी माला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कोई निषेध नहीं है, बस एक खास उम्र कि महिलाओं के मंदिर प्रवेश पर पाबंदी है वही महिला जब उस आयु को पार कर लेती है तो वह उस मंदिर में प्रवेश पा सकती है।)      करीब रात एक(1:00am) बजे पुलिस महिलाओं के साथ एंबुलेंस के जरिए मंदिर में प्रवेश करती है। पुलिस कहती है कि यह महिलाएं नहीं किन्नर हैं। मंदिर प्रशासन को गुमराह करने की कोशिश होती है। जबर्दस्ती उन्हे अंदर भेजा जाता है और पूजा कारवाई जाती है। मंदिर प्रशासन इस पर सख्त एतराज करता है, बाद में प्रशासन मंदिर के द्वार बंद कर देता है। इसके बाद मंदिर और देवता का शुद्धिकरण किया जाता है और कपाट पुन: खोल दिये जाते हैं। लेकिन फर्जी महिलाओं के मंदिर प्रवेश पर भक्तों का गुस्सा अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है।

प्रो॰ संदीप कुमार जो कि “साउथ इंडिया स्टडीज़” के जानकार माने जाते हैं का कहना है कि हिन्दू धर्म को तोड़ने व इसका सत्यानाश करने के लिए यह कमयूनिस्ट सरकार कि सोची समझी साजिश है। केरल के सांसद और वरिष्ठ नेता श्री वी मुरलीधरन जी का कहना है:

              “केरल कि वामपंथी सरकार जिसकी धर्म (हिन्दू) और मंदिर (सबरीमाला) में कोई आस्था नहीं है, वह सबरीमाला मंदिर कि परम्पराओं एवं आस्था को तोड़ने का प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर  और इसके आधार पर बहाना बना कर 2 महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करवाया और पूजा पाठ करवाया, इसका पता चलते ही भारतीय जन मानस में आक्रोश की लहर दौड़ गयी। इससे बचने के लिए वामपंथियों द्वारा भाजपा और आरएसएस के दफ्तरों में बमों से हमले किए गये, भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के घरों में आगजनी के साथ साथ बंब भी फेंके गये।“

इन सब घटनाओं के मद्देनजर कुछ सवाल उठते हैं जैसे:

  • क्या केरल की वामपंथी सरकार को हिंदुओं की धार्मिक आस्था एवं आज़ादी से कोई लेना देना नहीं?
  • क्या केरल में हिंदुओं की आस्था सुरक्षित नहीं?
  • क्या केरल वामपंथी पत्थरबाज़ों का अड्डा बन गया है?
  • क्या केरल में भी काश्मीर की तर्ज़ पर पत्थरबाज़ों का जन्म हो गया है?
  • क्या वामपंथी सरकार के चलते केरल इस्लामिक स्टेट बनने को अग्रसर है?
  • क्या काशमीर की ही तरह हिंदुओं को केरल से भी पालायन करना होगा?
Sabrimal Temple

केरल में अत्याचार हो रहे हैं और सरकार दमन के लिए नए हथकंडे अपना रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की सभी आयु वर्ग की महिलाएं मंदिर जा सकतीं हैं, यह तो नहीं कहा कि हिन्दू धर्म में आस्था ण रखने वाली मुस्लिम महिलाओं को जबर्दस्ती मंदिर में भेजो? बाहर सड़कों पर हिन्दू धर्म की महिलाएँ अपनी आस्था को लेकर प्रदर्शन कर रहीं हैं, उनका मानना है की उन्हे मंदिर में प्रवेश नहीं चाहिए, वह भगवान अय्याप्पा स्वामी की भक्ति ही में खुश हैं, वह दर्शनभिलाषी नहीं, उनकी स्नेह भाजन हैं। उन्हे भगवान अय्याप्पा की मर्ज़ी के खिलाफ उनके दर्शन नहीं चाहिए। लाखों की संख्या में महिलाए हाथों में पूजा की थाली ले कर दीप प्रज्ज्वलित कर कन्याकुमारी तक पांकती बद्ध हो कर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहीं हैं, लेकिन जबर्दस्ती अनास्थावान स्त्रियॉं को लेकर उन्हें मंदिर पहुंचाने की ज़िद! केरल सरकार की शह पर वहाँ हिंसा में उतारू लोगों का उद्दंडता से भर नंगा नाच हो रहा है।

केरल राज्य से हिंसा की वारदातों की खबरें आ रहीं हैं। मंदिर परिसर में पत्थर बाज़ी से 55 वर्ष के मंदिर कमेटी के भक्त की मौत हो जाती है, केरल सरकार उसे हृदयाघात (Cardiac Arrest/ Attack) बता रही है। जबकि डॉ। की रिपोर्ट बता रही है की मौत गंभीर चोट लगने से हुई है। पूरे केरल में वामपंथी काश्मीरी पत्थरबाज़ों की तरह भगवान अय्यापा के भक्तों पर पर पत्थरबाजी कर रहे हैं। करीब 1400 भक्त गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। केरल में पीएफ़आई पहिले से ही सक्रिय है। अगर पीएफ़आई इसमें शामिल है तो केरल को काश्मीर बनने से कोई नहीं रोक सकता। अगर सरकार ही षड्यंत्र करवाने पर उतारू हो जाये तो कौन बचाएगा? सरकार हिंदुओं को कानून हाथ में लेने के लिए मजबूर कर रही है। पुलिस गुंडों की तरह व्यवहार कर रही है। एक विडियो में दिख रहा है की कैसे पुलिस एक बाइक सवार को बाइक से उतार कर पीट रही है। बाइक सवार कसूर इत्न था की उसके हाथ में भगवा झण्डा था।  यदि यह अधिकार भी किसी व्यक्ति को नहीं है, तो क्या यह राज्य भारतवर्ष का हिस्सा हो सकता है? यह अपने आप में  बहुत बड़ा प्रश्न है।

तमिलनाडू में जल्लीकुट्टू पर केंद्र सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा तो सबरीमाल पर भी केंद्र सरकार को चाहिए कि जल्दी ही अध्यादेश लाये।

मध्यप्रदेश में भाजपा कांग्रेस के विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है: कांग्रेस

कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के जरिए पाला बदलवाने की कोशिशें करने का आरोप लगाया है. जबकि, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोप का खंडन किया है.

बीजेपी द्वारा कथित खरीद-फरोख्त करने के प्रयासों की खबरों के सवाल पर प्रदेश के युवा कल्याण और खेल मंत्री जीतू पटवारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘बीजेपी वालों का तो काम है विध्वंसकारी काम करने का, लेकिन पास नहीं होगें…उन्होंने (बीजेपी) कई विधायकों से संपर्क किया है. देर शाम को हमारी (विधायकों की) बैठक है, इसके बाद हम अगला निर्णय लेंगे.’

बीजेपी पर विधायकों को ‘प्रलोभन’ देने के आरोप पर पटवारी ने कहा कि जैसा सामने आ गया, वैसा प्रलोभन देते रहते हैं. उनका काम है वही. वे विध्वंसकारी राजनीति के आदी हैं.

इससे पहले, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी नई दिल्ली में एक समाचार चैनल से बातचीत में मध्यप्रदेश में बीजेपी पर खरीद फरोख्त की कोशिशें करने का आरोप लगाया.

हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ऐसे आरोपों का खंडन करते हुए कहा, ‘यदि हमें सरकार बनाना होता तो हम विधानसभा चुनाव के नतीजों के दिन ही ऐसा करते.’ उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के बयान को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.

प्रदेश में 15 साल के बीजेपी शासन के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है. विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरु होने जा रहा है.

हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस कुल 230 सीटों में 114 सीटें हासिल कर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई और कांग्रेस ने बीएसपी के दो, एसपी के एक और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए प्रदेश में 15 साल बाद प्रदेश में सरकार बनाई है. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें मिली.

प्रदेश की 15 वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरु होकर मात्र पांच दिन चलेगा. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के रुप में कांग्रेस के लिए सदन में पहला शक्ति परीक्षण इसी सत्र में सामने आएगा.

बीजेपी के विधायक और प्रदेश के पूर्व मंत्री संजय पाठक ने भी बीजेपी पर खरीद फरोख्त के आरोप का खंडन करने हुए कहा कि अगर यह सब करना होता तो शिवराज सिंह इस्तीफा ही नहीं देते.

मध्यप्रदेश विधानसभा के सचिव ने बताया कि सोमवार से शुरु हो रहे सत्र में सात और आठ जनवरी को विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव आठ जनवरी को होगा तथा प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल इसी दिन सदन को सम्बोधित करेंगी.

कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए गोटेगांव से विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति को अपना उम्मीदवार घोषित किया है जबकि बीजेपी ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अपनी रणनीति का खुलासा नहीं किया है.

इस बीच, बीजेपी के प्रवक्ता ने बताया कि बीजेपी विधायकों की बैठक सोमवार शाम को होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के रार्ष्टीय उपाध्यक्ष तथा मध्यप्रदेश मामलों के प्रभारी विनय सहत्रबुद्धे भी शामिल होंगे.

यूपीए की आरटीई एक बोगस स्कीम

कुमारस्वामी ने कहा कि अंग्रेजी के कारण राज्य में कन्नड़ भाषा समाप्त हो रही है

धारवाड़: कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी ने ‘राइट टू एजुकेशन’ (आरटीई) योजना को फर्जी स्कीम बताया है. सीएम कुमारस्वामी ने शुक्रवार को धारवाड़ में कन्नड़ साहित्य सम्मेलन में लोगों को संबोधित कर रहे थे. उनका यह बयान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर आया है जिसमें कहा गया है कि कन्नड़ मीडियम (माध्यम) के स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में बदला जाए. उन्होंने कहा कि डेढ़ लाख से ज्यादा छात्रों की फीस सरकार द्वारा दी गई है और वे आरटीई के तहत प्राइवेट अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे हैं. यह एक फर्जी योजना है.

कुमारस्वामी ने कहा कि अंग्रेजी के कारण राज्य में कन्नड़ भाषा समाप्त हो रही है. उन्होंने लोगों से कहा कि हम संकल्प लेते हैं कि प्राइवेट कॉन्वेंट और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को राज्य में पूरी तरह से प्राइवेट सेक्टर में रखेंगे. बता दें कि 1 अप्रैल 2010 को यूपीए सरकार ने 6 से 14 की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) बनाया था. इस अधिनियम के पारित होने के साथ ही देश के हर बच्चे को शिक्षा का संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो गया था. 

गौरतलब है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत देश के हर 6 साल से 14 साल के बच्चे को पहली से आठवीं तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ने का अधिकार होगा. यह कानून निजी स्कूलों पर भी लागू होता है. इसके साथ ही बच्चों को स्कूल में अन्य सुविधाएं जैसे पेयजल, खेलकूद की सामग्री आदि भी मुफ्त में दी जाती हैं.

कांग्रेस के राज्यों में पेट्रोल की कीमतें बढ़ीं


इंटरनेशनल मार्केट में चल रही गिरावट के बीच डब्ल्यूटीआई क्रूड गिरकर 47.96 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही कटौती के बावजूद राज्य की कांग्रेस सरकार का यह फैसला चौंकाने वाला है

दिल्ली/ बेंगलुरू : दिल्ली समेत देश के अलग-अलग शहरों में भले ही पेट्रोल और डीजल के रेट में लगातार कटौती हो रही हो. लेकिन देश के एक राज्य में पेट्रोल और डीजल 2 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया. दरअसल कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) के गठबंधन वाली कर्नाटक सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर सेल्स टैक्स बढ़ाकर क्रमश: 32 और 21 प्रतिशत कर दिया है. कर्नाटक सरकार ने मोटर फ्यूल प्रोडक्ट्स पर करीब 2 रुपये प्रति लीटर का सेल्स टैक्स बढ़ा दिया. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार गिरती कीमतों से राज्य के राजस्व पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.

पेट्रोल पर सेल्स टैक्स बढ़कर 32 प्रतिशत
राज्य में पेट्रोल और डीजल पर कर की दर क्रमश: 28.75 और 17.73 प्रतिशत थी, जिसे बढ़ाकर आदेश के बाद 32 और 21 प्रतिशत कर दिया गया है. इस बढ़ोतरी के बाद राज्य में पेट्रोल की कीमत 70.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 64.66 रुपये प्रति लीटर हो गई है. हालांकि, इस बढ़ोत्तरी के बावजूद कर्नाटक में ईंधन की खुदरा कीमत पड़ोसी राज्यों से कम ही हैं. 1 जनवरी 2019 को इन ईंधनों के आधार मूल्य को देखते हुए दाम पड़ोसी राज्यों से कम रहे हैं.

कांग्रेस सरकार का चौंकाने वाला फैसला
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही कटौती के बावजूद राज्य की कांग्रेस सरकार का यह फैसला चौंकाने वाला है. पिछले काफी दिनों से पार्टी की तरफ से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी करने की मांग की जा रही है. जबकि उसके शासन वाले राज्य में कीमतों का बढ़ना काफी चौंकाने वाला है. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कीमतों में इजाफे पर कहा कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल को भी देखना चाहिए. इन राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमत अब भी कर्नाटक से ज्यादा है.

एक साल में सबसे कम रेट
आपको बता दें 18 अक्टूबर के बाद से एक दिन को छोड़ दें तो पेट्रोल और डीजल में लगातार गिरावट जारी है. पिछले एक साल से भी ज्यादा के पेट्रोल के रेट पर गौर करें तो मौजूदा समय में पेट्रोल जनवरी 2018 से भी नीचे के स्तर पर आ गया है. वहीं डीजल के मौजूदा रेट पिछले साल मार्च में देखे गए थे. शनिवार को दिल्ली में पेट्रोल 68.29 रुपये लीटर और डीजल 62.26 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में चल रही गिरावट के बीच डब्ल्यूटीआई क्रूड गिरकर 47.96 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.

खुले में नमाज़ – एक विश्लेषण

वाइज़ शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर, या वोह जगह दिखा दे जहां पर खुदा ना हो

Er. S. K. Jain

उत्तर प्रदेश के जिला नोएडा में एक पार्क में नमाज़ पढ़ने पर लोगों ने आपत्ति जगाई थी। नोएडा पुलिस ने नोटिस जारी कर इस पर रोक लगा दी थी। देश का एक बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक असहनशीलता की नज़र से देखने लगा है। सोशल मीडिया पर इसे भड़काने की कोशिश हो रही है। यह विश्लेषण किसी एक धर्म या नमाज़ को ले कर नहीं बल्कि उस सोच पर है जिसके तहत लोग सड़कों पर प्रदर्शन करते हैं। धार्मिक भावनाओं की जगह अपने दिल में ओर अपने घर में होनी चाहिए, सड़कों या पार्कों में नहीं। किसी भी ऐसे कार्यक्र्म को जिससे लोगों को परेशानी हो, धार्मिक नहीं माना जा सकता है। धार्मिक कार्यक्रमों के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग ख़त्म कर देना चाहिए। इससे लोगों को परेशानी होती है और ध्वनि प्रदूषण भी फैलता है। लाउडस्पीकर का प्रयोग तो मद्धम आवाज़ में और जन कल्याण की घोषणाओं इत्यादि के लिए ही होना चाहिए।

विडम्बना यह है की हमारे देश में अल्पसंख्यकों के हितों की बातें करने को धर्मनिरपेक्षता माना जाता है और बहुसंख्यकों की बात करने को असहनशीलता से जोड़ दिया जाता है। किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा मकसद नहीं है।

यह सारा विवाद नोएडा के एक पार्क से शुरू हुयथा। जहां आस पास की बहुत सी कंपनियों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारी इस पार्क में अक्सर नमाज़ पढ़ते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक पहले नमाज़ पढ़ने वालों की संख्या कम होती थी बल्कि सिर्फ दफ्तरों में काम करने वाले ही आते थे, लेकिन अब तो आस पास के लोग भी जुडते गए और कारवां बढ़ता गया। अब तो 500 से 700 लोग हर जुम्मे को जुम्मा करने आने लगे हैं। इसके साथ बिरयानी और दूसरे व्यंजन बेचने वालों का भी जमावड़ा शुरू हो गया है।

यू॰पी॰ पुलिस ने उचित कार्यवाही करते हुए संबन्धित लोगों को नोएडा प्रकरण से एन॰ओ॰सी॰ ले कर अनुमति लेने को कहा गया है। सिटी मेजिस्ट्रेट के आदेशों के आभाव में उन्हे वहाँ नमाज़ पढ़ने से माना गया है। बिना आदेश के किसी भी धर्म के लोगों को सार्वजनिक स्थान पर कार्यक्र्म करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, एस एस॰एस॰पि डॉ। अजयपाल शर्मा का कहना है कंपनियों को कहा गया है कि अपने कर्मचारियों को बताएं कि पार्कों में नमाज़ पढ़ने न जाएँ, और अगर इसका उल्लंघन हुआ तो इसकी ज़िम्मेदारी इनहि कंपनियों कि होगी।

इसके बाद इस मुद्दे पर पूरे देश में चर्चा होने लगी, कि खुले में नमाज़ पढ़ना जायज है कि नहीं? हमारे देश में जीतने भी लोग अपने आप को धर्म निरपेक्ष या सेकुलर कहने वाले हैं वह खड़े हो गए और कहने लगे कि यह तो बे इंसाफ़ी है। इस मामले में कुछ शरारती तत्त्व भी माहौल बिगाड़ने में जुट गए हैं। पार्कों के अलावा लोग ट्रैफिक जाम करते हैं और सड़कों पीआर नमाज़ पढ्न शुरू कर देते हैं। लोग धर्म का मामला मान कर डर जाते हैं और आपत्ति करने से घबराते हैं। लेकिन इस्लाम के कई जानकार इसे ठीक नहीं मानते। उनका कहना है कि जिस कि जगह पर नमाज पढ़ने के लिए उनसे इजाज़त लेना ज़रूरी है। हमारा संविधान सभी को अपने धर्म कि उपासना करने कि इजाज़त देता है। संविधान के आर्टिकल 25 के अनुसार देश के हर व्यक्ति को अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को मानने, उसकी उपासना करने का अधिकार है। सड़कों पर नमाज़ पढ़ने कि समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि कई और देशों में भी खड़ी हुई थी।

2011 में फ्रांस में ऐसे ही नज़ारे सामने आए। फ्रांस में अपना मुत्तल्ला बिछा कर सड़कों पर नमाज़ अता कि जाती थी। लोगों को बहुत परेशानी हुई और इसके बाद विरोध शुरू हुआ।  सितंबर 2011 में फ्रांस की सरकार ने सड़कों पर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगा दी। दुबई में पिछले साल अक्तूबर में सड़क के किनारे नमाज़ पढ़ते हुए लोगों पर एक कर जिसका टायर फट गया था, चढ़ गयी। इससे 2 लोगों की मृत्यु हो गयी। इसके बाद दुबई में सड़क किनारे नमाज़ पढ़ने वालों पर 1000 दरहम (लगभग 19,000/= रुपए) के जुर्माने का प्रावधान रखा गया। चीन के शिंजियांग प्रांत में सरकारी स्कूल, दफ्तरों ओर करप्रेत दफ्तरों में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी है।

इस्लाम के जान कार और लेखक ‘तारिक फतेह’ जो कि आजकल टोरंटो में रहते हैं ने कहा कि “नमाज़ मस्जिद में पढ़नी चाहिए, अगर मस्जिद नहीं है तो घर में जा कर पढ़ें। अगर घर से दूर हों तो आप जहां भी हों वहीं पर नमाज़ पढ़ सकते हैं, लेकिन आप किसी और कि जगह पर जा कर, कबजा कर नमाज़ पढ़ें या जुम्मा करें यह मुमकिन नहीं।“ आपकी नमाज़ से इसी और को नुकसान पँहुचे यह बिलकुल गैर इस्लामिक बात है। फ्रांस, लंदन, स्टोकहोम में भी यही सभी कुछ हुआ। उससे सिर्फ एक नियत नज़र आती है और वह है शरारत की। जैसा की आप भारत (नोएडा) की बात कर रहे हैं, यह कभी भी मान्य नहीं हो सकता।

हमारे देश में इन मुद्दों को बहुत संवेदनशील माना जाता है, और सरकारें भी जान बूझ कर इनसे दूरी बनाए रखतीन हैं। केंद्र और राजी सरकारे मानती हैं कि नमाज़ के बारे में हाथ डालेंगी तो उनके वोट बैंक खतरे में पड़ सकता है, इसीलिए तो इन सब चीजों को नज़रअंदाज़ करतीं हैं, जो कि आगे चल कर नासूर बन जातीं हैं। स्थानीय लोग शिकायत करते हैं ओर सरकारें इन्हे अनसुना कर देतीं हैं। लेकिन यह बात सिर्फ खुले में नमाज़ पर ही लागू नहीं होती, रोजाना हमारे शहर में गली, मुहल्ले या सड़क पर धार्मिक आयोजन, शादी ब्याह व्गैराह होते रहते हैं, बड़े बड़े लाउडस्पीकर बजते रहते हैं, शोर मचाया जाता है, पूरे सड़क,, गली या मोहल्ले को रोक दिया जाता है, औ यह सब बहुत ही भक्तिभाव से किया जाता है।

भारत में ध्वनि प्रदूषण के चले रात 10 बजे से सुयह 6 बजे तक लाउडस्पीकर य पी॰ए॰ सिस्टम का इस्तेमाल करना गैर कानूनी है। लेकिन इस कानून की हर दिन रात और शाम धज्जियां उड़ाई जातीं हैं। लोग इस बात से बी डरते हाँ कि पड़ौसी से दुश्मनी लेना शायद ठीक नहीं होगा।

सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक आयोजन (सभी तरह के) एवं नमाज़ वगैराह बंद कर देने चाहिये। असली पूजा व इबादत तो मन में उठने वाले विचारों से होती है उसके लिए दूसरों को परेशान करने कि ज़रूरत नहीं।

ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में 245 और खिलाफ 11 वोट पड़े

कांग्रेस के सांसद मांग कर रहे थे कि ट्रिपल तलाक बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने के बाद विरोध में उन्होंने वॉकआउट किया

लंबी चर्चा के बाद आखिरकार लोकसभा से ट्रिपल तलाक बिल को हरी झंडी मिल गई है. ट्रिपल तलाक बिल के पक्ष में 245 और खिलाफ 11 वोट पड़े हैं. बिल पर वोटिंग से पहले कांग्रेस और AIADMK ने वॉकआउट किया.

कांग्रेस के सांसद मांग कर रहे थे कि ट्रिपल तलाक बिल को जॉइंट सलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए, लेकिन ऐसा नहीं होने के बाद विरोध में उन्होंने वॉकआउट किया.

इससे पहले कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा था कि ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगाकर मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता. उसे जीवन यापन करने में मदद नहीं मिलेगी. जबकि पुरुष जेल में है और यह गारंटी नहीं देगा कि वह अपने पति के साथ वापस आ सकती है, क्योंकि ट्रिपल तालक गैरकानूनी है.

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा था शाहबानो से लेकर शायराबानो तक हमारे पास कई उदाहरण हैं जिसमें पुरुषों ने आराम से कानूनन उन्हें तलाक दे दिया.

इसके जवाब में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि विश्वास के बावजूद, महिलाओं को स्वाभाविक रूप से बिना कारण तलाक नहीं चाहिए. महिलाएं भी खुश वैवाहिक जीवन जीना चाहती हैं. ईसाई, हिंदू महिलाओं की तरह वह भी अपना वैवाहिक जीवन बचाना चाहती हैं. पुरुषों को अपनी पत्नी को तलाक देने और उसे त्यागने का सर्वोच्च अधिकार नहीं दिया जा सकता है. तीन तलाक से सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं.

इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि जब इनके पास मौका था तो वो महिलाएं जो प्रताड़ित की जा रही थीं तो ये लोग उनके पक्ष में क्यों नहीं खड़े हुए. 477 बहनें ऐसी है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकार हुई हैं. यदि किसी बहन के साथ ऐसा हो तो हमारी जिम्मेदारी है उसे न्याय दिलाना. इस देश ने वो मंजर भी देखा जब ये कहा गया कि अगर दहेज लिया या दिया जाता है तो इसमें सरकार का क्या काम, लेकिन वो खत्म हुआ.

स्मृति ईरानी ने कहा था कि तलाक-ए-बिद्दत एक क्रिमिनल एक्ट है. प्रधानमंत्री का विशेष अभिनंदन करती हूं, क्योंकि आपने राजनीति के मकसद से इसकी शुरुआत नहीं की. इंसाफ को अब तक देर हुई है, लेकिन अब वक्त खत्म हो गया है.