महाराष्ट्र कांग्रेस के 7 बार के विधायक कालिदास थाम सकते हैं कमल

चुनावी समय में विभिन्न प्रदेशों से कांग्रेस के लिए अच्छी ख़बरें नहीं आ रहीं। बिहार गुजरात के बाद अब महाराष्ट्र से भी कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के पुत्र अब भाजपा का हाथ थामने वाले हैं।

नई दिल्ली: बीते मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल बीजेपी में शामिल होने के बाद ही बुधवार को महाराष्ट्र से कांग्रेस नेता कालिदास कोलंबकर नेे अपनी ही पार्टी पर गंभीर आरोप लगाया है. इसके बाद यह संकेत माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस को एक और भी झटका लग सकता है. 7 बार के विधायक कोलंबकर ने मीडिया को बताया कि, ‘हमने कांग्रेस में 10 साल तक मेहनत से काम किया लेकिन कांग्रेस पार्टी 2004 से 2014 तक 10 साल सत्ता में रहते हुए भी उनके क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य नहीं किया है.

वहीं दूसरी तरफ कोलंबकर ने सीएम देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि, विपक्षी पार्टी के विधायक होने के बाद भी सीएम ने उनकी समस्याओं को सुना और क्षेत्र में विकास कार्य के लिए उचित कदम भी उठाए.कोलंबकर ने कहा कि, जब देवेंद्र फडणवीस ने सीएम के रूप में पदभार संभाला था तो उनसे मिलकर अपने क्षेत्र के कार्यों को लेकर बातचीत की थी.

जिसके बाद उन कार्यों की निपटाने में सीएम ने मदद की. इसके बाद कोलंबकर ने उस सवाल का जवाब दिया जिसमें कहा गया था कि, आपने अपने कार्यालय में जो बैनर लगाया है उसमें देवेंद्र फड़नवीस की फोटो क्यों लगाई है.

कोलंबकर ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए जवाब दिया कि, हमें किसकी फोटो लगानी चाहिए जिसने काम किया या उन लोगों की जिसने 10 साल सत्ता में रहते हुए काम ही नहीं किया. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में जहां एक ओर चुनावों को लेकर बीजेपी शिवसेना का प्लान 2019 चल रहा है इसी बीच कांग्रेस विधायक कालीदास कोलंबकर ने अपने कार्यालय में मुख्यमंत्री फड़णवीस के फोटो वाला बैनर लगाया है.

बैनर की सबसे खास बात यह है कि इस बैनर में कोई भी कांग्रेस का बड़ा नेता नहीं दिख रहा है. इसके बाद से कोलंबकर के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई है. इससे पहले भी कोलंबकर ने बताया था कि, उन्हें बीजेपी और शिवसेना की ओर से पार्टी में शामिल होने का ऑफर मिला हुआ है. लेकिन देवेंद्र फडणवीस की तारीफ और तस्वीर लगाने के बाद चर्चा है कि कोलंबकर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.

3 में से सिर्फ 2 का ब्योरा सांझा कर सकता हूँ: राजनाथ सिंह

मंगलौर : 

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को एक चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि पिछले पांच सालों भारत सीमा पार जाकर तीन बार एयर स्ट्राइक की है.राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि वह इनमें 2 की जानकारी तो दे सकते हैं लेकिन तीसरी एयर स्ट्राइक की जानकारी वह नहीं देंगे. आपको बता दें कि पिछले दिनों पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक की थी.

मंगलौर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैं यह भी बताना चाहता हूं, कि बहनों भाइयों पिछले 5 सालों में तीन बार अपनी सीमा के बाहर जाकर हम लोगों ने एयर स्ट्राइक कर कामयाबी हासिल की है. दो के बारे में तो बताऊंगा लेकिन तीसरी की जानकारी नहीं दूंगा. 

राजनाथ सिंह ने कहा, पहली बार (उरी आतंकी हमला) रात में सोए हमारे जवानों पर पाकिस्तान की धरती से आए आतंकियों ने कायराना हमला कर दिया. उनकी जानें गईं. उसके बाद जो कुछ भी हुआ उसकी आपको अच्छे से जानकारी है. पाकिस्तान में हाहाकार मच गया था. दूसरी एयर स्ट्राइक पुलवामा हमले के बाद की गई. तीसरे की जानकारी मैं नहीं दूंगा.

Embedded video

#WATCH Union Home Minister Rajnath Singh at a public rally in Mangaluru: Pichle 5 varsho mein, teen baar apni seema ke bahar jaa kar hum logon ne air strike kar kaamyaabi haasil ki hai. Do ki jaankari apko dunga, teesri ki nahi dunga. #Karnataka7073:17 PM – Mar 9, 2019344 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

इससे पहले शुक्रवार (8 जनवरी) को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि हमारी वायु सेना के जवान लड़ाकू विमान लेकर एक मिशन के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों का सफाया करने गए थे,कोई फूल बरसाने और सैर-सपाटा करने नहीं गये थे।

सिंह ने राजस्थान के ब्यावर में शक्ति केंद्र प्रमुख सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पहली बार पाकिस्तान को यह अहसास हुआ होगा कि अब आतंकवाद का कारोबार पाकिस्तान की धरती पर भी बेखौफ होकर और बेरोकटोक होकर नहीं चलाया जा सकता है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि वायुसेना के जवानों ने ‘टारगेट’ को निशाना बनाया था। उन्होंने कहा, ‘मैं संख्या पूछने वालों से कहना चाहता हूं कि जो युद्व वीर होता है वह मारे गये लोगों की गिनती नहीं करता है।’

Article 35-A Partially Amended

Government of India today decided to amend Presidential Order or 1954 regarding Article #35-A partially in a Cabinet meeting.

Once the Ordinance is issued, it would pave the way for bringing persons residing in the areas adjoining International Border within the ambit of reservation at par with persons living in areas adjoining Actual Line of Control.

The Union Cabinet has approved the proposal of Jammu & Kashmir Government regarding amendment to the Constitution(Application to Jammu & Kashmir) Order, 1954 by way of Constituion(Application to Jammu & Kashmir) Amendment Order 2019

It will serve the purpose of application of relevant provisions of the Constitution Of India, as amended through the Constitution(Seventy Seventh Aendment)Act 1955, and the Constitution(One Hundred & third Amendment)Act, 2019 for Jammu & Kashmir, by issuing the Constitution (Application to Jammu & Kashmir) Amendment Order, 2019 by the President under the clause(1) of article 370.

Once notified this will pave the way for giving benefit of promotion in service to the Scheduled Caste, the scheduled Tribes and also extended reservations upto 10%for the “Economically Weaker Sections” in educational Institutions and in public employement in addition to existing reservation  in Jammu and Kashmir

मध्य प्रदेश कांग्रेस कर्णाटक की तर्ज़ पर

भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के रवैए से नाराज सत्ता पक्ष के ही विधायक लामबंद हो रहे हैं. ऐसे 25 से अधिक विधायकों ने तो एक क्लब ही बना लिया है. इन विधायकों में से कई मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं.

सूत्रों का कहना है कि कई मंत्रियों के रवैए से विधायकों में नाराजगी है. इस क्लब में अधिकांश विधायक वे हैं जो पहली बार विधानसभा का चुनाव जीत कर आए हैं. इस क्लब में सत्ताधारी दल के अलावा निर्दलीय और कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाले दलों के विधायक भी बताए जा रहे हैं.

बसपा की विधायक रामबाई ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए स्वीकार किया कि 28 से 30 विधायक इस क्लब में हैं. इसी तरह विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने भी विधायकों की नाराजगी का जिक्र किया. सूत्रों का कहना है कि विधायकों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनके क्षेत्रों में अफसरों के तबादले उनकी सलाह के बगैर व उन्हें भरोसे में लिए बगैर किए जा रहे है और मंत्री लगातार उनकी उपेक्षा कर रहे हैं. 

शिवाजी भोंसले उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज

संकलन: राजविरेन्द्र वशिष्ठ

छत्रपति शिवाजी भोसले

शिवाजी भोंसले उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी ने आदिलशाही सल्तनत की अधीनता स्वीकार ना करते हुए उनसे कई लड़ाईयां की थी। शिवाजी को हिन्दूओं का नायक भी माना जाता है। शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे। धार्मिक कार्य में उनकी काफी रूचि थी। रामायण और महाभारत का अभ्यास वह बड़े ध्यान से करते थे। वर्ष 1674 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ और उन्हें छत्रपति का ख़िताब मिला।

माँ जीजाबाई की गोद में बालक शिवा

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इनके पिता का नाम शाहजी भोसलें और माता का नाम जीजाबाई था। शिवनेरी दुर्ग पुणे के पास है। उनकी माता ने उनका नाम भगवान शिवाय के नाम पर शिवाजी रखा। उनकी माता भगवान शिवाय से स्वस्थ सन्तान के लिए प्रार्थना किया करती थी। शिवाजी के पिताजी शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे, जो कि डेक्कन सल्तनत के लिए कार्य किया करते थे। शिवाजी के जन्म के समय डेक्कन की सत्ता तीन इस्लामिक सल्तनतों बीजापुर, अहमदनगर और गोलकोंडा में थी। शिवाजी अपनी माँ जीजाबाई के प्रति बेहद समर्पित थे। उनकी माँ बहुत ही धार्मिक थी। उनकी माता शिवाजी को बचपन से ही युद्ध की कहानियां तथा उस युग की घटनाओं के बारे में बताती रहती थीं, खासकर उनकी माँ उन्हें रामायण और महाभारत की प्रमुख कहानियाँ सुनाती थीं। जिन्हें सुनकर शिवाजी के ऊपर बहुत ही गहरा असर पड़ा था। इन दो ग्रंथो की वजह से वो जीवनपर्यन्त हिन्दू महत्वो का बचाव करते रहे। इसी दौरान शाहजी ने दूसरा विवाह किया और अपनी दुसरी पत्नी तुकाबाई के साथ कर्नाटक में आदिलशाह की तरफ से सैन्य अभियानो के लिए चले गए। उन्होंने शिवाजी और जीजाबाई को दादोजी कोंणदेव के पास छोड़ दिया। दादोजी ने शिवाजी को बुनियादी लड़ाई तकनीकों के बारे में जैसे कि- घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानेबाजी सिखाई।

कोंडना पर हमला

शिवाजी महाराज ने वर्ष 1645 में, आदिलशाह सेना को बिना सूचित किए कोंड़ना किला पर हमला कर दिया। इसके बाद आदिलशाह सेना ने शिवाजी के पिता शाहजी को गिरफ्तार कर लिया। आदिलशाह सेना ने यह मांग रखी कि वह उनके पिता को तब रिहा करेगा जब वह कोंड़ना का किला छोड़ देंगे। उनके पिता की रिहाई के बाद 1645 में शाहजी की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद शिवाजी ने फिर से आक्रमण करना शुरू कर दिया।

वर्ष 1659 में, आदिलशाह ने अपने सबसे बहादुर सेनापति अफज़ल खान को शिवाजी को मारने के लिए भेजा। शिवाजी और अफज़ल खान 10 नवम्बर 1659 को प्रतापगढ़ के किले के पास एक झोपड़ी में मिले। दोनों के बीच एक शर्त रखी गई कि वह दोनों अपने साथ केवल एक ही तलवार लाए गए। शिवाजी को अफज़ल खान पर भरोसा नही था और इसलिए शिवाजी ने अपने कपड़ो के नीचे कवच डाला और अपनी दाई भुजा पर बाघ नख (Tiger’s Claw) रखा और अफज़ल खान से मिलने चले गए। अफज़ल खान ने शिवाजी के ऊपर वार किया लेकिन अपने कवच की वजह से वह बच गए, और फिर शिवाजी ने अपने बाघ नख (Tiger’s Claw) से अफज़ल खान पर हमला कर दिया। हमला इतना घातक था कि अफज़ल खान बुरी तरह से घायल हो गया, और उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद शिवाजी के सैनिकों ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया।

शिवाजी ने 10 नवम्बर 1659 को प्रतापगढ़ के युद्ध में बीजापुर की सेना को हरा दिया। शिवाजी की सेना ने लगातार आक्रमण करना शुरू कर दिया। शिवाजी की सेना ने बीजापुर के 3000 सैनिक मार दिए, और अफज़ल खान के दो पुत्रों को गिरफ्तार कर लिया। शिवाजी ने बड़ी संख्या में हथियारों ,घोड़ों,और दुसरे सैन्य सामानों को अपने अधीन कर लिया। इससे शिवाजी की सेना और ज्यादा मजबूत हो गई, और मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे मुगल साम्राज्य का सबसे बड़ा खतरा समझा।

मुगलों के शासक औरंगजेब का ध्यान उत्तर भारत के बाद दक्षिण भारत की तरफ गया। उसे शिवाजी के बारे में पहले से ही मालूम था। औरंगजेब ने दक्षिण भारत में अपने मामा शाइस्ता खान को सूबेदार बना दिया था। शाइस्ता खान अपने 150,000 सैनिकों को लेकर पुणे पहुँच गया और उसने वहां लूटपाट शुरू कर दी। शिवाजी ने अपने 350 मावलो के साथ उनपर हमला कर दिया था, तब शाइस्ता खान अपनी जान बचाकर भाग खड़ा हुआ और शाइस्ता खान को इस हमले में अपनी 3 उँगलियाँ गंवानी पड़ी। इस हमले में शिवाजी महाराज ने शाइस्ता खान के पुत्र और उनके 40 सैनिकों का वध कर दिया। शाइस्ता खान ने पुणे से बाहर मुगल सेना के पास जा कर शरण ली और औरंगजेब ने शर्मिंदगी के मारे शाइस्ता खान को दक्षिण भारत से हटाकर बंगाल का सूबेदार बना दिया।

सूरत की लूट जहां शिवाजी को 132 लाख की संपत्ति हासिल हुई

इस जीत के बाद शिवाजी की शक्ति और ज्यादा मजबूत हो गई थी। लेकिन कुछ समय बाद शाइस्ता खान ने अपने 15,000 सैनिकों के साथ मिलकर  शिवाजी के कई क्षेत्रो को जला कर तबाह कर दिया, बाद में शिवाजी ने इस तबाही का बदला लेने के लिए मुगलों के क्षेत्रों में जाकर लूटपाट शुरू कर दी। सूरत उस समय हिन्दू मुसलमानों का हज पर जाने का एक प्रवेश द्वार था। शिवाजी ने 4 हजार सैनिकों के साथ सूरत के व्यापारियों को लूटने का आदेश दिया, लेकिन शिवाजी ने किसी भी आम आदमी को अपनी लूट का शिकार नहीं बनाया।

शिवाजी महाराज को आगरा बुलाया गया जहां उन्हें लागा कि उनको उचित सम्मान नहीं दिया गया है। इसके खिलाफ उन्होंने अपना रोष दरबार पर निकाला और औरंगजेब पर छल का आरोप लगाया। औरंगजेब ने शिवाजी को कैद कर लिया और शिवाजी पर 500 सैनिकों का पहरा लगा दिया। हालांकि उनके आग्रह करने पर उनकी स्वास्थ्य की दुआ करने वाले आगरा के संत, फकीरों और मन्दिरों में प्रतिदिन मिठाइयाँ और उपहार भेजने की अनुमति दे दी गई थी। कुछ दिनों तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। एक दिन शिवाजी ने संभाजी को मिठाइयों की टोकरी में बैठकर और खुद मिठाई की टोकरी उठाने वाले मजदूर बनकर वहा से भाग गए। इसके बाद शिवाजी ने खुद को और संभाजी को मुगलों से बचाने के लिए संभाजी की मौत की अफवाह फैला दी। इसके बाद संभाजी को मथुरा में एक ब्राह्मण के यहाँ छोड़ कर शिवाजी महाराज बनारस चले गए। औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उसकी हत्या विष देकर करवा डाली। जसवंत सिंह ( शिवाजी का मित्र) के द्वारा पहल करने के बाद सन् 1668 में शिवाजी ने मुगलों के साथ दूसरी बार सन्धि की। औरंगजेब ने शिवाजी को राजा की मान्यता दी। शिवाजी के पुत्र संभाजी को 5000 की मनसबदारी मिली और शिवाजी को पूना, चाकन और सूपा का जिला लौटा दिया गया, लेकिन, सिंहगढ़ और पुरन्दर पर मुग़लों का अधिपत्य बना रहा। सन् 1670 में सूरत नगर को दूसरी बार शिवाजी ने लूटा, नगर से 132 लाख की सम्पत्ति शिवाजी के हाथ लगी और लौटते वक्त शिवाजी ने एक बार फिर मुगल सेना को सूरत में हराया।

सन 1674 तक शिवाजी के सम्राज्य का अच्छा खासा विस्तार हो चूका था। पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राहमणों ने उनका घोर विरोध किया। क्योंकि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे उन्होंने कहा की क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा। बालाजी राव जी ने शिवाजी का सम्बन्ध मेवाड़ के सिसोदिया वंश से समबंद्ध के प्रमाण भेजे जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आया और उन्होंने राज्याभिषेक किया। राज्याभिषेक के बाद भी पुणे के ब्राह्मणों ने शिवाजी को राजा मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद शिवाजी ने अष्टप्रधान मंडल की स्थापना कि। विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया। इस समारोह में लगभग रायगढ़ के 5000 लोग इकट्ठा हुए थे। शिवाजी को छत्रपति का खिताब दिया गया। उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। इस कारण फिर से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। दो बार हुए इस समारोह में लगभग 50 लाख रुपये खर्च हुए। इस समारोह में हिन्दू स्वराज की स्थापना का उद्घोष किया गया था।

शिवाजी के परिवार में संस्कृत का ज्ञान अच्छा था और संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया गया था। शिवाजी ने इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने किलों के नाम संस्कृत में रखे जैसे कि- सिंधुदुर्ग, प्रचंडगढ़, तथा सुवर्णदुर्ग। उनके राजपुरोहित केशव पंडित स्वंय एक संस्कृत के कवि तथा शास्त्री थे। उन्होंने दरबार के कई पुराने कायदों को पुनर्जीवित किया एवं शासकिय कार्यों में मराठी तथा संस्कृत भाषा के प्रयोग को बढ़ावा दिया।

शिवाजी एक कट्टर हिन्दू थे, वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उनके राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी। शिवाजी ने कई मस्जिदों के निर्माण के लिए दान भी दिए था। हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को बराबर का सम्मान प्राप्त था। उनकी सेना में कई मुस्लिम सैनिक भी थे। शिवाजी हिन्दू संकृति का प्रचार किया करते थे। वह अक्सर दशहरा पर अपने अभियानों का आरम्भ किया करते थे।

शिवाजी, भारतीय नौसेना के पितामह

शिवाजी ने काफी कुशलता से अपनी सेना को खड़ा किया था। उनके पास एक विशाल नौसेना (Navy) भी थी। जिसके प्रमुख मयंक भंडारी थे। शिवाजी ने अनुशासित सेना तथा सुस्थापित प्रशासनिक संगठनों की मदद से एक निपुण तथा प्रगतिशील सभ्य शासन स्थापित किया। उन्होंने सैन्य रणनीति में नवीन तरीके अपनाएं जिसमें दुश्मनों पर अचानक आक्रमण करना जैसे तरीके शामिल थे।

अष्टप्रधान

शिवाजी को एक सम्राट के रूप में जाना जाता है। उनको बचपन में कुछ खास शिक्षा नहीं मिली थी, लेकिन वह फिर भी भारतीय इतिहास और राजनीति से अच्छी तरह से परिचत थे। शिवाजी ने प्रशासकीय कार्यों में मदद के लिए आठ मंत्रियों का एक मंडल तैयार किया था, जिसे अष्टप्रधान कहा जाता था। इसमें मंत्रियों प्रधान को पेशवा कहते थे, राजा के बाद सबसे ज्यादा महत्व पेशवा का होता था। अमात्य वित्त मंत्री और राजस्व के कार्यों को देखता था, और मंत्री राजा के दैनिक कार्यों का लेखा जोखा रखता था। सचिव दफ्तरी काम किया करता था। सुमन्त विदेश मंत्री होता था जो सारे बाहर के काम किया करता था। सेनापति सेना का प्रधान होता था। पण्डितराव दान और धार्मिक कार्य किया करता था। न्यायाधीश कानूनी मामलों की देखरेख करता था।

शिवाजी और अष्टप्रधान

मराठा साम्राज्य उस समय तीन या चार विभागों में बटा हुआ था। प्रत्येक प्रान्त में एक सूबेदार था जिसे प्रान्तपति कहा जाता था। हरेक सूबेदार के पास एक अष्टप्रधान समिति होती थी। न्यायव्यवस्था प्राचीन प्रणाली पर आधारित थी। शुक्राचार्य, कौटिल्य और हिन्दू धर्मशास्त्रों को आधार मानकर निर्णय दिया जाता था। गाँव के पटेल फौजदारी मुकदमों की जाँच करते थे। राज्य की आय का साधन भूमिकर था, सरदेशमुखी से भी राजस्व वसूला जाता था। पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा की गारंटी के लिए वसूले जाने वाला सरदेशमुखी कर था। शिवाजी अपने आपको मराठों का सरदेशमुख कहा करते थे और इसी हैसियत से सरदेशमुखी कर वसूला जाता था।

शिवाजी महाराज ने अपने पिता से स्वराज की शिक्षा हासिल की, जब बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को गिरफ्तार कर लिया था तो शिवाजी ने एक आदर्श पुत्र की तरह अपने पिता को बीजापुर के सुल्तान से सन्धि कर के छुड़वा लिया। अपने पिता की मृत्यु के बाद ही शिवाजी ने अपना राज-तिलक करवाया। सभी प्रजा शिवजी का सम्मान करती थी और यही कारण है कि शिवाजी के शासनकाल के दौरान कोई आन्तरिक विद्रोह जैसी घटना नहीं हुई थी। वह एक महान सेना नायक के साथ-साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। वह अपने शत्रु को आसानी से मात दे देते थे।

शिवाजी के सिक्के

एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया। जिसे “शिवराई” कहते थे, और यह सिक्का संस्कृत भाषा में था।

3 अप्रैल, 1680 में लगातार तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद यह वीर हिन्दू सम्राट सदा के लिए इतिहासों में अमर हो गया, और उस समय उनकी आयु 50 वर्ष थी। शिवाजी महाराज एक वीर पुरुष थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मराठा, हिन्दू साम्राज्य के लिए समर्पित कर दिया। मराठा इतिहास में सबसे पहला नाम शिवाजी का ही आता है। आज महाराष्ट्र में ही नहीं पूरे देश में वीर शिवाजी महाराज की जयंती बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाई जाती है।

अब कांग्रेस के हाथ लगी 10 करोड़ का लालच देने वाली औडियो क्लिप

कर्नाटक में वाकयी राजनैतिक घमासान मचा हुआ है या फिर यह एक चुनावी शगूफा मात्र है? यह सम्झना उतना ही कठिन है जितना कि कांग्रेस के बयानों पर यकीन करना। कुछ महत्त्व पूर्ण बातें जो शक पैदा करतीं हैं वह यह की कांग्रेस ही के एमएलए बिकाऊ हूँ की तख्ती गले में डाले घूमते है, उन्हे पार्टी अथवा सरकार से कोई नाराजगी नहीं?
दूसरे यह समझ नहीं आता कि जेडीएस के विधायक किस मिट्टी के बने हैं जिनहे खरीदने बेचने कि बात ही नहीं उठती कांग्रेस अपने घटक दल से ही यह नीति क्यों नहीं सीख लेती कि विधायकों को किस तरह से ईमानदार बनाया जाये
एक और बात जो समझ से परे है कि सरकार एचडी कुमारस्वामी कि अस्थिर होती है तो वह इल्ज़ाम कांग्रेस पर लगाते हैं.

कर्नाटक का राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. एक तरफ बीजेपी का कहना है कि राज्य सरकार के पास बहुमत नहीं है तो दूसरी तरफ कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी विधायकों की खरीद फरोख्त कर एचडी कुमारस्वामी की सरकार को अस्थिर करना चाहती है. शनिवार सुबह कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक में कथित ऑडियो टेप जारी होने के दावे के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस पीसी में कांग्रेस ने सीधे पीएम मोदी, अमित शाह और बीएस येदियुरप्पा पर आरोप लगाए.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘कर्नाटक से आई खबर को सुनकर पूरा देश हैरान है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने एक ऑडियो क्लिप जारी किया, जिसमें येदियुरप्पा जेडीएस विधायक के भाई से कर्नाटक की सरकार को अस्थिर करने की बात कर रहे हैं. यह मोदी जी और अमित शाह की गंदी राजनीति को दिखाता है.’

वेणुगोपाल ने कहा, ‘ऑडियो क्लिप में सुना जा सकता है कि बीएस येदियुरप्पा विधायकों को 10 करोड़ ऑफर कर रहे हैं. यह साफ है कि 18 विधायक हैं और इसमें 200 करोड़ का खर्च आएगा. वे 12 विधायकों को मंत्री का पद ऑफर कर रहे हैं और 6 को अलग-अलग बोर्ड का चेयरमैन बनाने की बात कर रहे हैं.’

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘वे इस्तीफा देने के बाद विधायकों को चुनाव खर्च के लिए भी पैसे देने की बात कर रहे हैं. उन्होंने अपने विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पीकर को 50 करोड़ रुपए की पेशकश की. क्लिपिंग में येदियुरप्पा, अमित शाह और नरेंद्र मोदी जी के नामों का जिक्र भी कर रहे हैं.’

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले पर कहा कि किस हैसियत से कर्नाटक बीजेपी प्रमुख और पूर्व सीएम सुप्रीम कोर्ट के जजों से संपर्क कर केस को सही साबित करने की चर्चा कर रहे हैं? क्या नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया है? सुरजेवाला ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट बीजेपी का ‘जेबी दुकान’ बन गया है?

दरअसल, शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था. इस ऑडियो के माध्यम से उन्होंने सरकार को गिराने के लिए बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप भी लगाया. कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस सरकार बनने के बाद से ही लगातार उठापटक जारी है.


कर नाटक में विधायकों की अनुपस्थिति

बेंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को दूसरे दिन बीजेपी विधायकों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. बीजेपी विधायकों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के पास बहुमत नहीं है. बुधवार को सदन की कार्यवाही में अनुपस्थित रहने वाले कांग्रेस के नौ विधायक गुरुवार को भी सदन में मौजूद नहीं रहे. अध्यक्ष केआर रमेश कुमार के सदन में प्रवेश करते ही बीजेपी विधायकों ने हंगामा किया.

कुमार के सीट पर बैठने और कार्यवाही शुरू करने से पहले ही बीजेपी विधायकों ने ‘सीएम वापस जाओ, सीएम वापस जाओ’, ‘सीएम इस्तीफा दो, सीएम इस्तीफा दो’, ‘बिना बहुमत की सरकार जाओ’, और ‘एकता नहीं, बहुमत नहीं’ के नारे लगाए. प्रदर्शनरत विधायकों ने अध्यक्ष के अनुरोध को नहीं माना जिसके कारण उन्होंने दस मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.

जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो बीजेपी विधायकों का प्रदर्शन जारी रहा जिससे कारण अध्यक्ष ने शुक्रवार दोपहर साढ़े 12 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार 2019-2020 बजट पेश करेगी. कर्नाटक विधान परिषद में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली जहां बीजेपी सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए और उन्होंने यह कहते हुए नारेबाजी की कि सरकार के पास बहुमत नहीं है. 
असंतुष्ट कांग्रेस विधायक उमेश जाधव, महेश कुमातल्ली, रमेश जारकीहोली और बी नागेंद्र दूसरे दिन भी सदन से अनुपस्थित रहे और उनसे संपर्क नहीं हुआ. ऐसी खबर है कि ये विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. फरार कांग्रेस विधायक जे एन गणेश भी सदन से अनुपस्थित रहे. पुलिस साथी विधायक आनंद सिंह से कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने के मामले में गणेश की तलाश कर रही है. 

लोकसभा में बजट सत्र के छठे दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम मोदी ने जवाब दिया.

नई दिल्ली: लोकसभा में पीएम मोदी ने गुरुवार को विपक्ष के सवालों का जवाब दिया. लोकसभा में बजट सत्र के छठे दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम मोदी ने जवाब दिया. पीएम मोदी ने विपक्षी सांसदों को एक हैल्दी कॉप्टीशन के लिए भी बधाई दी. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पहली बार वोट डालने जा रही युवा पीढ़ी को भी भविष्य की शुभकामनाएं दीं. इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, कांग्रेस मुक्त भारत का नारा मेरा नहीं है. ये तो महात्मा गांधी ने बहुत पहले ही कह दिया था. हम उनका ये सपना जरूर पूरा करेंगे. पीएम मोदी ने कहा, लोकतंत्र में आलोचना जरूरी होती है. आप मोदी की आलोचना कीजिए, बीजेपी की आलोचना कीजिए. लेकिन विपक्ष मोदी और बीजेपी की आलोचना करते करते करते देश की आलोचना करने लगते हैं. इस पर जब टोकाटाकी हुई तो पीएम मोदी ने कहा कि आप लोग ही हैं जो विदेश में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर झूठे आरोप लगाते हैं.
पीएम मोदी ने कहा, पहले कभी नहीं हुआ जब देश की सेना पर उंगली उठाई गई. देश में चाहे किसी की भी सरकार रही हो, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि कभी भी किसी भी सरकार ने सेना पर सवाल उठाए हों. पीएम मोदी ने कहा, जब बात बजट की हो रही है, उस समय आप ईवीएम का रोना रो रहे हैं. कांग्रेस हम पर संस्थानों को खत्म करने का आरोप लगा रही है. लेकिन खुद उसने क्या किया. संस्थानों को कांग्रेस धमकाती है. न्यायपालिका को कांग्रेस धमकाती है. सीजेआई के खिलाफ महाभियोग कौन चलाना चाहता था. सेना पर आरोप किसने लगाए.

पीएम मोदी ने कहा, देश में आपातकाल कांग्रेस ने थोपा. लेकिन कहते हैं मोदी संस्थाओं को बर्बाद कर रहा है. सेनाध्यक्ष को गुंडा कांग्रेस ने कहा, और कहते हैं मोदी संस्थाओं को बर्बाद कर रहा है. आज खड़गे जी ने कहा कि मोदी जी जो बाहर बोलते हैं, वही राष्ट्रपति ने यहां कहा. इसका तात्पर्य है कि आप मानते हैं की आप बाहर कुछ और अंदर कुछ बोलते हैं और हम हमेशा सच बोलते हैं वो संसद हो या कोई जनसभा. जो कहते हैं कि ये अमीरों की सरकार है, तो मैं कहता हूं कि देश के गरीब ही मेरे अमीर हैं। गरीब ही मेरा इमान है, वही मेरी जिंदगी हैं, उन्ही के लिए जीता हूं, उन्हीं के लिए यहां आया हूं

महागठबंधन पर निशाना
पीएम मोदी ने अपने जवाब में महागठबंधन पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, देश देख चुका है मिलावट खतरनाक है. अब तो महा मिलावट आने वाली है. उन्होंने कहा, इधर चुनाव की आहट हुई, उधर महा मिलावट होने लगी.

पीएम मोदी ने गिनाई अपनी उपलब्धि
कांग्रेस ने 2004, 2009 और 2014 में अपने मैनीफेस्टो में कहा कि तीन साल के अंदर हर घर में बिलजी पहुंचाएंगे. गरीबी हटाओ की तरह हर घर में बिजली पहुंचाएंगे के वादे को भी कांग्रेस आगे बढ़ाती रही. कांग्रेस के 55 वर्षों में देश में स्वच्छता कवरेज केवल 38% था,  हमारे 55 महीनों में बढ़कर 98% हो गया है. हमने अपने कार्यकाल में अधिक गति से काम किया है.

राफेल पर दिया जवाब
पीएम मोदी ने राफेल पर जवाब देते हुए कहा, इससे पहले देश में कभी भी सौदे बिना दलाली के पूरे हुए ही नहीं. अब कांग्रेस किस की शह पर ये सब कर रही है. उन्होने कहा, हम घोटालों के 3-3 राजदार पकड़कर लाए. दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में एक तरफ हमारे खिलाड़ी पदक जीतने के लिए मेहनत कर रहें थे और कांग्रेस के लोग अपनी वेल्थ बना रहें थे.

हम पर आरोप लगाए जा रहे हैं. लेकिन हम उन लोगों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो लूटकर भाग गए हैं. जो लोग देश से भाग गए हैं, वो ट्विटर पर रो रहे हैं कि मैं तो 9 हजार करोड़ रुपये लेकर निकला था, लेकिन मोदी जी ने मेरे 13 हजार करोड़ जब्त कर लिए.

GSAT-31 इसरो ने फ्रेंच गुएना से लॉन्च किया संचार उपग्रह

बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) फ्रेंच गुएना के अंतरिक्ष केन्द्र से अपने 40वें संचार उपग्रह जीसैट-31 को बुधवार को प्रक्षेपित किया. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार उपग्रह का जीवनकाल 15 साल का है. कक्षा के अंदर मौजूद कुछ उपग्रहों पर परिचालन संबंधी सेवाओं को जारी रखने में यह उपग्रह मदद मुहैया करेगा और जियोस्टेशनरी कक्षा में केयू-बैंड ट्रांसपोंडर की क्षमता बढ़ायेगा.

मंगलवार को जारी एक बयान में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया था कि 2,535 किलोग्राम वजनी उपग्रह को फ्रेंच गुएना में कुरू से एरिएन-5 (वीए247) के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा. एजेंसी के अनुसार, उपग्रह जीसैट-31’ को इसरो के परिष्कृत I-2K बस पर स्थापित किया गया है. यह इसरो के पूर्ववर्ती इनसैट/जीसैट उपग्रह श्रेणी के उपग्रहों का उन्नत रूप है. यह उपग्रह भारतीय भू-भाग और द्वीप को कवरेज प्रदान करेगा.

इसरो ने यह भी कहा था कि जीसैट-31 का इस्तेमाल सहायक वीसैट नेटवर्कों, टेलीविजन अपलिंक्स, डिजिटल उपग्रह समाचार जुटाने, डीटीएच टेलीविजन सेवाओं, सेलुलर बैक हॉल संपर्क और इस तरह के कई ऐप्लीकेशन में किया जायेगा. इसरो के अनुसार यह उपग्रह अपने व्यापक बैंड ट्रांसपोंडर की मदद से अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के विशाल समुद्री क्षेत्र के ऊपर संचार की सुविधा के लिये विस्तृत बीम कवरेज प्रदान करेगा

कांग्रेस – जेडीएस ‘कर नाटक’

बेंगलुरू: कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार में जारी आपसी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्‍वामी पर कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के गुट की ओर से लगातार बयानबाजी की जा रही है. सीएम कुमारस्‍वामी इससे आहत होकर पद छोड़ने की धमकी तक दे चुके हैं. इसी कड़ी में अब कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंद्रे का बयान सामने आया है. खंद्रे ने सीएम कुमारस्वामी को साफ तौर पर जाहिर कर दिया है कि उनके नेता सिद्धारमैया ही हैं.

सिद्धारमैया ही हमारे नेता हैं- खंद्रे
दरअसल, ईश्वर खंद्रे ने कुमारस्वामी के सीएम पद छोड़ने की धमकी पर कहा कि हमने पहले ही कह चुके हैं कि एचडी कुमारस्वामी गठबंधन की सरकार के सीएम हैं. लेकिन हमारे नेता सिद्धारमैया ही हैं. खंद्रे ने यह भी कहा कि हमारा प्यार और लगाव राहुल गांधी के लिए पीएम से ज्यादा है और सिद्धारमैया ही कर्नाटक में हमारे नेता हैं. इसमें गलत क्या है. गौरतलब है कि सीएम कुमारस्वामी के खिलाफ सिद्धारमैया गुट की ओर से बयानबाजी की जा रही है. 

कांग्रेस नेता निशाना बनाएंगे तो छोड़ दूंगा सीएम पद- कुमारस्वामी
इस बयानबाजी से कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने 31 जनवरी को फिर से धमकी दी थी कि अगर कांग्रेस के नेता उन पर आक्षेप लगाते रहे तो वह इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने कहा था, “हां, मैंने कहा था कि अगर कांग्रेस के नेता मुझे निशाना बनाते रहे तो मैं पद छोड़ दूंगा.”  जेडीएस के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “अगर वे (कांग्रेस के नेता) फिर से इस तरह के बयान देंगे तो मैं कितने दिन तक यह सब बर्दाश्त करता रहूंगा. सत्ता तो अल्पकालिक है. जो स्थायी है, वह आप (पार्टी कार्यकर्ता) हैं और इस राज्य की साढ़े छह करोड़ जनता है.” 

सिद्धारमैया में है सीएम बनने की महात्वाकांक्षा- कुमारस्वामी
इससे पहले, 28 जनवरी को कुमारस्वामी ने कांग्रेस के एक विधायक की टिप्पणी से आहत होकर इस्तीफा देने की धमकी दी थी जिसके बाद गठबंधन सहयोगी ने मामले को शांत किया. सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा ने भी कहा कि कुछ कांग्रेसी नेता की ओर से निशाना बनाए जाने से मुख्यमंत्री आहत हुए हैं. उन्होंने 2006-2007 में सिद्धरमैया के मुख्यमंत्री बनने की कथित महात्वाकांक्षा का भी हवाला दिया. 

कुमारस्वामी सीएम न बन पाने से दुखी- देवगौड़ा
देवगौड़ा ने कहा था, “तब सिद्धारमैया ने मुझसे कहा था कि अगर मैंने सोनिया गांधी पर दबाव बनाया होता, तो कुमारस्वामी की जगह वह मुख्यमंत्री बन जाते. सिद्धारमैया को दर्द साल रहा है और उन्हें सोनिया गांधी से इस बारे में जवाब मांगना चाहिए.” कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने के कथित प्रयास के बीच, उनको लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए अपने अधिकारियों को निर्देश देना भी कठिन होता जा रहा है.