हरियाणा की मातृ मृत्यु दर का आंकडा 26 अंक गिरकर 101 प्रति लाख रह गया: विज

चंडीगढ़, 12 जून

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि प्रदेश में पहली बार मातृ मृत्यु दर का आंकडा 26 अंक गिरकर 101 प्रति लाख रह गया है। हरियाणा, इस ‘सहस्राब्दी (मिलेनियम) विकास लक्ष्य’ (139 प्रति लाख) को प्राप्त करने वाले देश के सर्वोच्च 10 प्रदेशों में सातवें स्थान पर रहा है।

श्री विज ने कहा कि हरियाणा की जनता के लिए यह हर्ष का विषय है कि एक मई 2018 को जारी सैंपल पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में हरियाणा मातृ मृत्यु दर 101 प्रति लाख रह गई है, जोकि वर्ष 2013 में 127 प्रति लाख थी। राष्टï्रीय स्तर पर मातृ मृत्यु दर का यह आंकड़ा 130 का है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2030 तक यह लक्ष्य 70 तक लाने का रखा है ताकि माताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में संस्थागत डिलिवरी वर्ष 2014 की तुलना में इस वर्ष तक करीब 6 प्रतिशत बढक़र 92 प्रतिशत हो गयी है, जिसके कारण प्रदेश में एमएमआर में कमी आई है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी की गई है, जिसके तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व तथा प्रसव उपरान्त देखभाल पर पूरा ध्यान दिया जाता है। सरकार ने राज्य में उच्च जोखिम गर्भावस्था योजना, विशेषज्ञों की सेवाएं, प्रथम रेफरल इकाइयों तथा लेबर रूम को आधुनिक बनाया गया है।

श्री विज ने बताया कि सरकार द्वारा केन्द्र की अनेक योजनाओं को राज्य के स्वास्थ्य केन्द्रों में शुरू किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इनमें प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, जननी सुरक्षा योजना तथा आपातकालीन प्रसूता देखभाल इत्यादि शामिल हैं।

विदेशी दूल्हे अब भाग नहीं सकेंगे R P O

पंजाब एंड हरियाणा की लड़कियों से शादी करके विदेश जाने के बाद पत्नियों को छोड़ने वाले लड़कों पर कार्रवाई को लेकर रीजनल पासपोर्ट ऑफिस ने शिकंजा कसने शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में आज मंगलवार को पासपोर्ट ऑफिस ने पिछले दो दिनों में 7 पार्सपोर्ट सस्पेंड कर दिए हैं।

पार्सपोर्ट विभाग के प्रवक्ता ने प्रेस काँफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि लड़कियों से शादी करके विदेश भाग जाने के पंजाब, हरियाणा के 12 -12 जिलों और चंडीगढ़ में 12 से 14 हजार  मामले दर्ज हैं। RPO ने पीड़ित महिलाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर 0172-2971918 जारी किया है। किसी भी महिला के साथ यदि कोई एनआरआई धोखा करता है तो वह इस नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है।

प्रवक्ता ने कहा कि जिन आरोपियों के पास पहले ही दूसरे देश की नागरिकता है उन्हें विदेश मंत्रालय की तरफ से नोटिस जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उन्हें लगातार इस तरह कि शिकायतें मिल रही थी  कि आनआरआई भोली भाली लड़कियों को अपने चंगुल फसाते हैं और फिर शादी करने के कुछ दिनों के बाद विदेश भाग जाते हैं। अब सरकार ने यह फैसला लिया है कि ऐसा करने वालों के पासपोर्ट रद्द कर उन्हें कानून के दायरे में लाया जाए। इस प्रक्रीया में स्वयं पीड़ित महिलाएं पासपोर्ट ऑफिस में आकर ऐसे लोगों के खिलाफ जानकारी एकत्रित करने में मदद कर रही हैं। इसके अलावा पासपोर्ट एप नामक नया एप भी लांच कया गया है। इस एप की मदद से नागरिकों को मिडल मैन से भी आजादी मिलेगी पुलिस वेरिफिकशन में भी यह एप मदद करेगा और पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया और सरल होगी।

”काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ा करती” विज

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल्ली को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की शर्त पर 2019 में भाजपा को समर्थन देने के बयान पर कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कटाक्ष करते हुए कहा केजरीवाल बात बात पर झूठ बोलते हैं। देश मे उनकी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। विज ने एक मुहावरे ”काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ा करती” के माध्यम से अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधा।

इस दौरान अनिल विज ने हुड्डा की रथ यात्रा को घेरे में लेते हुए रथ यात्रा का मजाक उड़ाया और कहा कि उनकी रथ यात्रा का टायर कोई कहीं भी उतार कर ले जाये। विज ने बाकी कांग्रेसी नेताओं के नाम लेते हुए कहा कि हुड्डा के रथ का एक टायर किरण चौधरी उतार कर ले जाये , एक टायर अशोक तंवर उतार कर ले जाये , कोई पहिया कैप्टन अजय ले जाये और कोई टायर शैलजा ले जाये इसलिए इसकी बस का कोई भरोसा नही की इसकी कब इति श्री हो जाये ।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा की तीसरे चर्ण की रथ यात्रा पर भी विज ने कटाक्ष किया और कहा कि हुड्डा तमाशा कर रहे हैं, वो पहले ही हांफ गए हैं, सांस ले ले के आगे चल रहे हैं। थोड़े ही लोग हैं जिन्हें वह उठा कर कभी पहले कभी दूसरे तो कभी तीसरे चरण की रथ यात्रा में साथ ले जाते हैं। हुड्डा जनता का समर्थन खो चुके हैं।

 

वन कर्मचारी संघ के धरने में पहुंचे विजय बंसल

हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेशउपाध्यक्ष व पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार विजय बंसल ने वन मंडल पिंजोर के कार्यालय में वन कर्मचारी संघ के धरने में पहुंच कर कांग्रेस की ओर से समर्थन दिया।वन कर्मियों ने बंसल को बताया कि भाजपा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरुद्ध सम्पूर्ण हरियाणा में वन कर्मियों द्वारा अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रोष व्यक्त किया जा रहा है।सरकार द्वारा ऑनलाइन ट्रांसफर प्रणाली , बिट व ब्लाक का फ्रिज करने के खिलाफ यह प्रदर्शन किया जा रहा है। कर्मचारियों ने विजय बंसल को बताया कि मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेज कर मांग करी गई थी कि पुलिस विभाग की भांति वन विभाग में भी ऑनलाइन ट्रांसफर प्रणाली से छूट दी जाए चूंकि वन विभाग अनुशासन व टेक्निकल विभाग है।यह तबादला नीति शिक्षा विभाग जैसी है परन्तु वन विभाग टेक्निकल विभाग है व इस नीति को लागू न किया जाए।कर्मियों के बच्चो के स्कूलों व कालेजो आदि में दाखिले हो रखे है व ट्रांसफर के बाद दूसरी जगह तबादले नही होंगे व एक साल खराब हो जाएगा जिससे शिक्षा पर प्रभाव आएगा।कर्मचारियों ने बंसल को यह भी बताया कि यह नीति को भी अधिसूचित नही किया गया है जबकि अधिसूचना के बिना इस ट्रांसफर प्रणाली को लागू करना गैर कानूनी है।संघ के चुनावों पर विचार विमर्श के लिए समय दिया जाए।प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पत्र में कर्मचारियों का विवरण सही नही दर्शाया गया है, जब कर्मियों का विवरण सही नही होगा तो गलत सूचना के आधार पर स्थानांतरण करना गैर कानूनी है । साथ ही कर्मचारियों ने बंसल को यह भी बताया कि पौधारोपण का समय आगया है , नर्सरी तथा एडवांस अर्थवर्क कार्य पर है, ट्रांसफर होने से पौधारोपण प्रभावित होगा।जिन बीट , ब्लाकों को वन मंडल अधिकारियों ने मनमर्जी से फ्रिज किया है तथा जिस बीट , ब्लाक में मर्ज किए है इससे कर्मचारियों का कार्यभार दोगुना हो जाएगा।उन्हें अतिरिक्त कार्य के लिए कोई भत्ता नही मिलता है व नाही दिया जाता है।
विजय बंसल ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी हर समय , हर मोर्चे पर साथ है व जरूत पड़ी तो क्षेत्र व प्रदेश भर में आंदोलन कर इस जनविरोधी सरकार से मांगो को पूरा करवाया जाएगा।बंसल ने वन मंडल अधिकारी को मिलकर भी कर्मियों की मांगों को जायज बताते हुए पूरा करवाने की मांग भी करी ।बंसल द्वारा कांग्रेस के समर्थन से कर्मचारियों में आस आई व भविष्य में कर्मियों की ओर से पार्टी व बंसल को समर्थन का आश्वासन दिया।

पदक जितने पर अब युवा खिलाडियों को नहीं मिलेगा नगद प्रोत्साहन

 

चंडीगढ़।

खिलाडियों के प्रति उदासीन रवैया दिखाते हुए खट्टर सरकार ने जूनियर विंग के खिलाडियों को पदक प्राप्ति पर नकद इनाम नहीं दिए जाने की घोषणा की.

हरियाणा में खिलाड़ियों की कमाई का 33 फीसदी खाते में जमा करने के एलान से हुई फजीहत के बाद सरकार ने अब नया फरमान जारी कर दिया है। अब सरकार ने फरमान जारी किया है कि जूनियर ,सब जूनियर और यूथ विजेता खिलाड़ियों को गेम्स में पदक जीतने पर जीतने पर नकद इनाम नहीं दिया जाएगा।

इस फरमान को जारी करते हुए सरकार ने 2015 खेल नीति का हवाला दिया की पॉलिसी का हवाला दिया है। हालांकि इसी पॉलिसी के तहत कैश अवार्ड के जरिए मेडल विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित करना खेलों में उत्कृष्ट को बढ़ावा देने का सबसे कारगर तरीका बताया गया है।  गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में सरकारी सेवाओं में कार्यरत खिलाड़ियों की कमाई से 33 फीसदी खेल परिषद के खते में जमा करने का फरमान जारी किया था। इस फरमान के बाद विपक्षी राजनीतिक दलों और सूबे के खिलाड़ियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सरकार ने इस फरमान पर अपनी फजीहत होते देख फैसले पर रोक लगा दी थी। बहरहाल देखना यह है कि इस फरमान पर सरकार का रुख कायम रहेगा कि नहीं।

1 लाख 60 हजार करोड़ का कर्ज़ कहाँ खर्चा : हूडा

हरियाणा के पूर्व मुख्य मन्त्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा के मिडिया प्रभारी चाँद हुड्डा ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री हुडा ने आज प्रदेश की भाजपा सरकार के फैसलों और नीतियों को लेकर कड़ा प्रहार किया और सवाल पर सवाल दागे। उन्होंने कहा कि हम एक जिम्मेवार विपक्ष की भूमिका में हैं। हमें अपने प्रदेश व जनता के व्यापक हितों की चिन्ता है, इसलिए हम केवल ऐसे सवाल उठाते हैं, जो सरकार को जगाने का काम करें और हरियाणा के लोग भी सच्चाई से रूबरू हो सकें।

मेरा सरकार से सवाल है कि प्रदेश सरकार ने 1 लाख 60 हजार करोड़ रूपये का जो कर्ज उठाया है, वो कहां खर्च किया ? क्या सरकार ने अपने बलबूते पर हरियाणा में किसी बड़े प्रोजैक्ट पर काम शुरू किया है ? क्या सरकार केन्द्र से कोई बड़ा प्रोजैक्ट लाई, जिसमें हरियाणा ने भी वित्तीय योगदान दिया है ?

हुड्डा ने कहा कि विभिन्न खरीद ऐजैंसियों ने मार्किट कमेटियों की मार्फत सरसों खरीद के टोकन जारी किये। उन्होंने सरकार से पूछा है कि क्या कारण है कि हजारों किसानों के पास टोकन होने के बावजूद भी एमएसपी पर सरसों की खरीद नहीं हुई ? सरसों की नहीं हर फसल की खरीद के वक्त किसानों को एमएसपी क्यों नहीं मिल रहा ? किसानों को परेशान करने के लिए हर सीजन में क्यों अनावश्यक शर्तें थोपी जाती है ? किसानों को गन्ने का बकाया देने में देरी के क्या कारण हैं ?

पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे पूछा है कि सरकार के मुखिया को सवैंधानिक संस्थाओं में दखल करना कितना वाजिब है ? उनको क्यों नहीं अपना काम स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से करने दिया जा रहा है ? क्या मुख्यमंत्री का हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन से फोन करने के पीछे कोई और मकसद तो नहीं है ? क्या यह खेल हरियाणा सर्विस सलैक्शन कमीशन पर पड़े काले दाग ढ़ांपने का प्रयास तो नहीं है ?

हुड्डा ने कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि बीबीएमबी ने मेम्बर इरिगेशन के लिए क्या शर्तें रखी हैं ? क्या जो ताजा शर्तें हैं, उनके मुताबिक हरियाणा का कोई कार्यरत मुख्य अभियन्ता पात्र है ? बीबीएमबी में जब से नया चेयरमैन आया है, कितनी नियुक्तियां (कच्ची व पक्की) हुई हैं और उनमें से कितनी हरियाणा से हैं ? क्या बीबीएमबी के वर्तमान चेयरमैन की नियुक्ति में हरियाणा सरकार की सहमति ली गई, क्योंकि देश में बड़े सिंचाई प्रोजैक्टस में हिस्सेदार राज्यों से चेयरमैन नियुक्त करने की परम्परा नहीं रही ? बीबीएमबी में इसकी पालना क्यों नहीं हुई ? जब सरकार को पता था कि पहाड़ों पर बर्फबारी कम हुई है तो किन कारणों से मार्च 2018 से मई 2018 के बीच भाखड़ा बाँध से ज्यादा पानी छोड़ा गया, जिससे बाँध में पानी का स्तर 1673 फुट से घटकर 1642 फुट पर आ गया। सरकार ये बताये कि जितना पानी छोड़ा गया उसमें हरियाणा का हिस्सा कितना बनता था और वास्तव में पानी मिला कितना ?

हुड्डा ने याद दिलाया कि भाजपा दावा कर रही थी कि सत्ता में आने के बाद प्रदेश में चौबीस घंटे बिजली दी जायेगी, फिर सरकार के दावे की हवा क्यों निकली ? सरकार बताये की बिजली सप्लाई का शहरों और गांवों में शैड्यूल क्या है ? आज क्यों पूरे हरियाणा में बिजली और पानी के लिए त्राही-त्राही मची हुई है ?

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के खिलाडि़यों ने देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है। सरकार नित नये फैसले लेकर प्रदेश के खिलाडि़यों का क्यूं अपमान करा रही है ? सरकार की खेल और खिलाडि़यों के बारे में स्पष्ट नीति क्या है ? क्या यह बात सरकार के नोटिस में है कि अनेक बड़ी उम्र के लोगों की पैंशन काट दी गई है या रोक दी गई है ?

हुड्डा ने कहा कि यदि हरियाणा के लोगों ने प्रदेश भाजपा सरकार के बारे में यह धारणा बना ली है कि सरकार न तो किसी विषय की गहरी जानकारी रखती है और न उसे जिम्मेवारी का एहसास है, तो इसमें गलत क्या है ? मुझे उम्मीद है कि सरकार हमारे सवालों को हल्की शब्दावली से हवा में उड़ाने की बजाये सही जवाब देगी।

Delhi Hamaari then AAP Tumhari

Arvind Kejriwal is all set for negotiations if Delhi is granted full statehood status.

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal Monday said that if the BJP-led Centre grants full statehood to Delhi before the 2019 Lok Sabha polls, the AAP will campaign for the party. Addressing the Assembly on the motion of full statehood, Kejriwal said it was time for the people of Delhi to end the “unaccountable” rule of the L-G, which he claimed was “worse” than the British Raj in terms of the extent of exploitation.

“Grant us full statehood before the Lok Sabha polls, each and every vote in Delhi will be polled in your (BJP’s) favour; we will campaign for you. If not, you will be thrown out by the people,” he said.

He repeatedly referred to the L-G as “maharaj (emperor)” and “viceroy”, claiming that the current arrangement was akin to the one under British rule. “After 1947, the entire country got freedom, but people of Delhi continue to be second-class citizens. Delhiites are half-citizens,” he said.

The Assembly, which debated the motion during a four-day special session, later passed a resolution demanding full statehood. According to Assembly secretary, C Velmurugan, similar resolutions have been passed at least four times before.

“The first such resolution was passed during the term of the first Assembly under then CM Chaudhary Brahm Prakash. Later, similar resolutions were passed even under BJP governments,” he said.

Making his point, Kejriwal invoked Delhi’s history under the Mughal empire and the British rule. “Between 2013 and 2016 came maharaja Najeeb Jung. Now we have maharaja Anil Baijal. Today, the most important question confronting Delhi is whether the L-G has the last word or the people. The time has come for people of Delhi to fight for their independence,” he said.

The AAP had set the tone on the first day of the session by linking all its unfinished business in office, starting from the Jan Lokpal Bill to the mohalla clinic project, to the pending demand for full statehood.

Kejriwal took it forward by invoking the list of pending proposals and incomplete projects. He also projected a scenario under which “every citizen of Delhi will have a house” and “guaranteed employment” if the city is granted full statehood.

He said 85 per cent of Delhi government jobs should be reserved for the people of Delhi. “We would have built 100 colleges in Delhi by now if Delhi was a full state,” he claimed.
The AAP has planned a series of events over the next one month to press for statehood. A convention has also been scheduled for July 1 over the demand.

Calling the AAP government’s bid for full statehood “a political gimmick”, Delhi BJP chief Manoj Tiwari claimed that the AAP and the Congress were hand-in-glove to mislead people of Delhi. “The AAP is trying to hide its bad governance and divert public attention to other issues,” he said.

On the other hand, Delhi Congress chief spokesperson, Sharmistha Mukherjee, said, “The AAP and the BJP have a secret game plan. We also demanded statehood but it never became an excuse for not delivering.”

5 states are not Supporting PMMVY

The Union government’s conditional cash transfer scheme for pregnant and lactating mothers is yet to find takers from states that account for more than a fifth of the total beneficiaries.

According to officials from the Ministry of Women and Child Development, in the last one year since its rollout, the Centre has disbursed Rs 673 crore to 23.6 lakh beneficiaries under the Pradhan Mantri Matritva Vandana Yojana (PMMVY). However, Tamil Nadu, Telangana, Odisha, West Bengal, and Assam have not taken the benefit of the funds from the central scheme, said officials.

Many of these states have refused the money as they have their own state schemes that offer higher sums and have a more universal coverage.

Union government officials state that the non-cooperation of these states could result in the Centre being held legally accountable for not covering all states as required of it under National Food Security Act (NFSA), 2013. “Some of these states are not doing their job since they have their own schemes which are very CM- driven or are staying out for political reasons. These states together account for 23 per cent of beneficiaries. After much convincing, Tamil Nadu and Telangana have agreed to come on board by June-end,” said the official, adding that these states might use the central funds in addition to their own funds disbursed under the state schemes.

Prime Minister Narendra Modi announced in December 2016 that all pregnant and lactating women would be given Rs 6000 under the scheme.

As against this, several states that have had their own versions of the scheme pay much more and cover two live births. Odisha government’s conditional cash transfer maternity benefit scheme Mamata covers two live births. Tamil Nadu’s pre-existing Muthulakshmi Reddy Maternity Assistance Scheme already pays Rs 12,000, double the amount paid by the Centre, covers two live births and has been proven to have had a positive effect on reducing the maternal and infant mortality ratio. The amount is likely to be enhanced to Rs 18000 with an infusion of Rs 6000 per beneficiary from the central scheme.

केजरीवाल …! प्रेसेंट सर

आम आदमी चाहे तो बड़े बड़ों को घुटने टेकने पर मजबूर कर सकता है. किसी को फर्श से अर्श तो किसी को अर्श से फर्श तक पहुंचा सकता है. उसकी ताकत का अंदाजा लगाना हो तो इसे कपिल मिश्रा के जरिए समझा जा सकता है, जिन्होंने सही मायने में आम आदमी की ताकत का अहसास मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को करा दिया है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में उपस्थिति देने को मजबूर हो गए. ऐसा उन्होंने तब किया जब कपिल मिश्रा ने सोमवार को हाइकोर्ट में उनके खिलाफ एक जनहित याचिका दाखिल की.

कपिल मिश्रा ने जनहित याचिका दायर करते हुए ये मांग की कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विधानसभा के सभी सत्र में उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाए. साथ ही विधायकों के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य बनाया जाए. काम नहीं तो वेतन नहीं का फॉर्मूला विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री पर लागू किया जाए. अगर 50 फीसदी से कम उपस्थिति हो तो वेतन काटा जाए.

दिल्ली हाइकोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी है. मगर, इससे पहले कपिल मिश्रा ने सार्वजनिक तौर पर जो बातें कहीं उसने लोगों की आंखें खोल दी हैं.

आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा पत्रकारों से बात करते हुए कहते हैं, ‘दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक दिन भी नहीं आए. सीलिंग पर चर्चा के लिए विशेष सत्र हुआ, जिसमें चार में सिर्फ एक दिन मुख्यमंत्री केजरीवाल उपस्थित रहे. बजट सत्र 16 दिन चला जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केवल तीन दिन ही उपस्थित रह सके.’

उन्होंने आगे कहा, ‘तीन साल में प्रश्न काल के दौरान एक दिन भी मुख्यमंत्री उपस्थित नहीं रहे. मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल ने आज तक एक सवाल का भी जवाब सदन में नहीं दिया. पिछले एक साल के दौरान सदन की कुल 27 बैठकों में केजरीवाल ने सिर्फ 5 बैठकों में शिरकत की है.’

कपिल मिश्रा ने वाकई ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखें हैं. ये न सिर्फ लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं बल्कि आंकड़े बता रहे हैं कि किसी भी सदन में किसी पार्टी को इतना बहुमत नहीं दिया जाए कि उसके लिए सदन ही बेमतलब हो जाए. मुख्यमंत्री सदन में आएं, न आएं या फिर प्रश्नकाल में मौजूद रहें या न रहें इस पर आपत्ति करने वाला ही कोई न रह जाए. कपिल मिश्रा की मानें तो दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति 10 प्रतिशत से भी कम रही है.

सवाल ये है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को कपिल मिश्रा के सवाल क्यों नागवार लग रहे हैं? क्या आम आदमी पार्टी के नेता जो आंदोलन से पैदा होने का और लोकतांत्रिक होने का दावा करते हैं उन्हें ये मुद्दे अलोकतांत्रिक लगते हैं? क्या उन्हें अपनी सरकार के भीतर, अपनी पार्टी के भीतर लोकतंत्र को जिंदा रखने वाली चिंता को उठाने या जताने का अधिकार नहीं है? या आम से खास बने पार्टी नेताओं की आवाज सत्ता सुख में कहीं दब गई हैं.

कपिल मिश्रा के जनहित याचिका दायर करने की तारीख 11 जून रही. इससे पहले उन्होंने सारे सवालों को ट्वीट और मीडिया के माध्यम से देश के सामने रख दिया था. अदालत चाहे इस पर जो फैसला सुनाए लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इन सवालों की अहमियत समझ में आ गई है. वे 11 जून को सदन में पहुंच गए.

ऐसा कर के कपिल मिश्रा ने सूचना के महत्व को स्थापित किया है, सूचना के इस्तेमाल का रास्ता दिखाया है, आम आदमी की अहमियत को नए सिरे से स्थापित किया है. कहने की जरूरत नहीं कि आम आदमी के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाली पार्टी के मुंह पर उन्होंने तथ्यों का उल्टा तमाचा जड़ा है.

वाजपेयी की हालत स्थिर

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्वास्थ्य का जायजा लेने प्रधानमंत्री मोदी एम्स पहुंच चुके हैं. पीएम मोदी से पहले कई केंद्रीय मंत्री भी एम्स पहुंचे थे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी एम्स गए थे लेकिन उन्होंने मीडिया से पूर्व प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य पर कुछ भी बोलने से इनकार किया था. अमित शाह ने भी एम्स पहुंच कर वाजपेयी का हालचाल लिया. वाजपेयी के रूटीन चेकअप के लिए सोमवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया है.

बीजेपी की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि वाजपेयी को रूटीन चेकअप के लिए एम्स ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें एडमिट कर लिया गया. वाजपेयी को एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की निगरानी में रखा गया है. उधर एम्स की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन में पूर्व प्रधानमंत्री की सेहत स्थिर बनी हुई है.

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी पिछले काफी समय से डिमेंशिया से जूझ रहे हैं. खराब सेहत के कारण वह धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन से दूर होते चले गए और पिछले कई वर्षों से अपने आवास तक ही सीमित हैं.

बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. 93 साल के वाजपेयी पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जो सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं. कुछ समय पहले ही भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा था.

1924 में जन्मे वाजपेयी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राजनीति में शिरकत की थी. साथ ही वो संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले पहले विदेश मंत्री भी रहे हैं. लखनऊ से वो पांच बार (1991, 1996, 1998, 1999 और 2004) सांसद चुने जा चुके हैं.