घोटाले को उजागर करने वाले नाईपर से निकाले गये चार पूर्व कर्मियो का आरोप हाईकोर्ट और सीबीआई के दिशानिर्देशों की हुई अनदेखी
नाईपर के पूर्व रजिस्टरार पीजेपी वडैच सीबीआई की नाईपर मल्टी करोड घोटाले की जांच में साबित हो चुके हैं दोषी
चंडीगढ, 10 अगस्त, 2018:
शैक्षिणिक संस्थानों में भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं के नैक्सस को जीता जागता उदाहरण देते हुये नाईपर से अनैतिकपूर्ण तरीके से निकाले गये चार कर्मियों ने गत दिनों लोक सभा सत्र में रसायन और उर्वरक केन्द्रीय राज्य मंत्री मनसुख लाला मांडविया के उस बेबुनियाद और गुमराह करने वाले बयान का खंडन किया है जिसमें वे एक मल्टी करोड घोटाले में लिप्त और सीबीआई की जांच में दोषी घोषित मोहाली स्थित नाईपर संस्थान के पूर्व रजिस्टरार पीजेपी सिंह वडैच का स्पष्ट बचाव करते दिख रहे हैं। इस घोटाले को उजागर करने वाले चारों निकाले गये कर्मचारी डा परिक्षित बंसल (पूर्व ऐसिसटेट प्रोफेसर, इंटलैक्चुअल प्रोपर्टी मैनेजमेंट), डा नीरज कुमार (पूर्व एसिसटेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मस्यिुटिक्स), ले कर्नल एसके तागर (पूर्व चीफ मैनेटेनेंस इंजीनियर) और कैप्टन क्षितिज शर्मा (पूर्व सैक्योरिटी और ईस्टेट आफिसर) ने मंत्री पर आरोप लगाये हैं कि उनके बयान माननीय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट और सीबीआई के दिशानिर्देशों तक की अवहेलना कर रहे हैं। वडैच मोहाली स्थित नैश्नल इंस्टीच्यूट ऑफ फार्मास्यिुटिकल एज्यूकेशन एंड रिसर्च (नाईपर) में केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा और शोध के लिये पारित फंडो का दुरपयोग करने मे दोषी करार हुये थे। ‘आईआईटी ऑफ फार्मा’ कहे जाने वाला यह संस्थान वर्ष 1994 में गठित किया गया था।
वडैच को सीबीआई ने अंडर सैक्शन 120 बी के अपराधिक मामलों के अंर्तगत आईपीसी की विभिन्न धारओं में सैक्शन 420 (धोखाधडी), 409 (क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट) 467 (जालसाजी), 471 (वास्तिविक दस्तावेज पेश कर जो कि झूठे साबित हुये) के आधार पर सीबीआई एफआईआर आरसीसीएचजी2016ए0005 दिनांक 14 जनवरी 2016 को दोषी साबित किया था।
प्रश्न नम्बर 3445 के अंतर्गत शिव सेना सांसद राहुल शिवाले द्वारा पूछे गये सवाल कि क्या नाईपर के निदेशक ने नाईपर के रस्टिरार को निलंबित कर दिया है तो मंत्री मांडविया ने जवाब में कहा कि नाईपर के निदेशक ने 14 जुलाई की बोर्ड ऑफ गर्वनेंस के चैयरमेन के आर्डरों को लागू नहीं किया है जोकि पीजेपी सिंह वडैच के निलंबन के रद्द करने के संदर्भ में है।
मंत्रालय ने निदेशक को लिखा की वे वडैच के निलंबन खारिच करे और उसे वापिस ले। डायरेक्टर को इस बात को न मानने से मंत्रालय ने उसे अनुशासनात्मक नियमों के अनुसार शो कॉज नोटिस जारी कर दिया और अगले ही दिन लोक सभा में गुमराह करने वाला बयान दिया। इससे यह बात स्पष्ट है कि नाईपर में होने वाले करोडो रुपये के घोटाले का हिस्सा उपर मंत्रालय तक पहुंचाया गया ।
लोक सभा में मंत्री द्वारा दिये गये बयान इसलिये निराधार थे क्योंकि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार वडैच को 31 जुलाई 2018 को संस्थान से निकाल दिया गया था । फैसले के अनुसार वडैच की नियुक्ति 2011 में पांच साल के लिये 2016 तक की गई थी। कोर्ट द्वारा शुरु की नियुक्ति ही गलत पाई गई थी और उसे 2012 में रद्द कर दिया गया था परन्तु वडैच को स्टे मिलने पर वह नौकरी पर कायम था। 2018 के फैसले में हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि नियुक्ति ही जब 2016 तक थी तो उसके बाद उसे नौकरी पर बनाये रखना गैर कानूनी है और स्टे को रद्द कर दिया। इस बात की जानकारी मंत्रालय को थी पर वे इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही थी और उसे बचाने का प्रयास कर रही थी।
मंत्री ने लोक सभा में यह भी स्पष्ट नहीं किया कि पीजेपी सिंह पहले ही सीबीाई द्वारा आंवटित फंडों के व्यापक स्तर पर दुरपयोग के चलते अपराधिक मामलों के अंर्तगत दोषी करार दिये जा चुके हैं। वे सदन को यह भी बताने से बचते रहे कि सीबीआई की जांच के बाद उनके निलंबन के दिशानिर्देश के बाद निदेशक द्वारा उनका निलंबन हुआ क्योंकि वे जांच में खलल डालने और गवाहों को धमका रहे थे।
वर्ष 2016 में सीबीआई ने वडैच, नाईपर के दो निदेशकों और मंत्रालय के कई अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करी थी और जांच बेहद संवेदनशील स्थिति में पहुंच गई है। इस समूचे प्रकरण में मंत्री की सीधी भागीदारी एक पूरे नैक्सस को उजगार करती है।
डा बंसल ने बताया कि बावजूद इसके मंत्री और मंत्रालय दो नाईपर प्रोफेसरों के कैरियर और आजीविका के प्रति पूरी तरह मौन हैं जिन्होंने इस घोटले को उजागर करने पर वर्ष 2013 में निलंबित कर दिया गया और वे पिछले पांच सालो के अपने परिवारजनों के साथ बदहाली की पीडा झेल रहे हैं। इसके साथ ही दो सैन्यकर्मियों कैप्टन क्षितिज और ले कर्नल तागर को भी इस घोटाले को ओर अधिक उजागर करने के लिये वर्ष 2015 में अपनी नौकरियों से हाथ धोना पडा। सभी ने आरोप लगाये है कि मंत्रालय ने भी इस दिशा में भी उन्हें कोई न्यान नहीं दिया हे।