‘राजग’ राज्यसभा में छुएगी 115 का आंकड़ा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) इस सप्ताह के अंत में चार और सदस्यों को शामिल कर राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करेगा. यह तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) के चार और भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) के एक सदस्य के शामिल होने के बाद होगा. इसके साथ, राजग के पास 115 सांसद होंगे.

ये सदस्य बिहार, गुजरात और ओडिशा से हैं. बिहार में, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को जगह मिलेगी. गुजरात में भाजपा के खाते में दो और ओडिशा में एक सीट जुड़ जाएगी.

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भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में 75 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस 48 सदस्यों वाली सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस 13-13 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी गैर-कांग्रेस-गैर भाजपा पार्टी हैं. 24 जुलाई को तमिलनाडु से पांच सीटें खाली होंगी. ये सीपीआई के डी. राजा और अन्नाद्रमुक के के.आर. अर्जुनन, डॉ. आर. लक्ष्मणन, डॉ. वी. मैत्रेयन और टी. रथिनवेल हैं.

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के विपरीत, राजग इस बार राज्यसभा में कम बाधाओं की उम्मीद कर रहा है. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में अपने भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विधेयकों को मंजूरी देने में बाधा डालकर लोगों के जनादेश को नहीं दबाया जाना चाहिए.

भाजपा को बीजू जनता दल (5), वाईएसआर कांग्रेस (2) और टीआरएस (6 सदस्य) जैसे दलों से मुद्दा-आधारित समर्थन की उम्मीद है.


एसटीएफ़ ने बंगाल में 4 ISIS संदिघ्द पकड़े

काश्मीर के बाद बंगाल आतनवादियों की शरणासथली बंता जा रहा है। बांग्लादेश के रास्ते बंगाल त पहुँचना ओर संरक्षण प्राप्त करना शेष सीमावर्ती राज्यों की अपेक्षा आधिक सरल ओर सुविधाजनक है। पुलिस को इनके पास से कई डिजीटल डॉक्यूमेंट्स मिले है जिसमें वीडियो और ऑडियो फाइलों के साथ साथ जिहादी बुकलेट्स भी मिली हैं.

कोलकाताः पश्चिम एसटीएफ ने कोलकाता के सियालदाह रेलवे स्टेशन से आईएसआईएस के 4 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 3 बांग्लादेश के नागरिक है और जिस भारतीय को इस मामले में पकड़ा है वह इन तीनों को छिपाने का काम करता था. इन चारों संदिग्धों का उद्देश्य आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए भर्ती करना और पैसा इकट्ठा करना था. ये लोग आतंक के अपने एजेंडे को फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे. पुलिस को इनके पास से कई डिजीटल डॉक्यूमेंट्स मिले है जिसमें वीडियो और ऑडियो फाइलों के साथ साथ जिहादी बुकलेट्स भी मिली हैं. 

ऐसा बताया जा रहा है कि उनके संगठन का मुख्य उद्देश्य भारत और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ और एक खिलाफत के तहत शरिया कानून स्थापित करना था. कोलकाता पुलिस द्वारा जारी बयान के मुताबिक सोमवार (24 जून) को एसटीएफ ने पुख्ता जानकारी के आधार पर एसटीएफ ने दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया जो कि Neo-JBM (जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश) इस्लामिक स्टेट के सदस्य हैं. यह गिरफ्तारी सियालदाह रेलवे स्टेशन की पार्किंग से हुई है. इनके पास से कई विवादित समाग्री मिली है.

सियालदाह से गिरफ्तार किए गए संदिग्धों के नाम मोहम्मद जियाउर रहमान और ममनूर रशीद हैं. दोनों ही बांग्लादेश के रहने वाले हैं. इनसे हुई पूछताछ के आधार पर मंगलवार को एसटीएफ ने हावड़ा से दो अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार किया. 

इन संदिग्धों के नाम मोहम्मद शाहीन आलम और रूबिउल इस्लाम है. शाहीन आलम बांग्लादेश का नागरिक है जबकि रूबिउल इस्लाम पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का रहने वाला है.

एक और ख़बर जो ख़बर न बन सकी

1951 में कांग्रेस सरकार ने “हिंदू धर्म दान एक्ट” पास किया था। इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं।
इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था। इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % “गैर हिंदू” कामों के लिए किया जाता है।

तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। मंदिरों के फंड में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं।
दुनिया के किसी भी लोकतंत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। सरकारों ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हे पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है।

लेकिन, सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में लिया जा रहा है। मस्जिदों और चर्च पर सरकार का कंट्रोल नहीं है। इतना ही नहीं, मंदिरों से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल मस्जिद और चर्च के लिए किया जा रहा है।

इन सबका कारण अगर खोजे तो 1951 में पास किया हुआ कॉंग्रेस का वो बिल है। हिन्दू मंदिर एक्ट की पुरजोर मांग करनी चाहिए जिससे हिन्दुओ के मंदिरों का प्रबंध हिन्दू करे ।गुरुद्वारा एक्ट की तर्ज पर हिन्दू मंदिर एक्ट बनाया जाए।

राजीव कुमार सैनी,
एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद
स्वयंसेवक
संयोजक , भाजपा विधि प्रकोष्ठ, हाई कोर्ट इलाहाबाद इकाई, प्रयागराज

कस्टोडियल डेथ मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा

श्वेता भट्ट के मुताबिक, “संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ दर्ज कराई गई शिकायत राजनीतिक बदले की कार्रवाई का एक सटीक उदाहरण है.” सनद रहे की यह श्वेता भट्ट काँग्रेस की टिकट पर मोदी के खिलाफ विधायिका के चुनाव लड़ी थी और हारी थी। संजीव भट्ट खुद भी कॉंग्रेस के कृपापात्र रहे हैं।

जामनगर: 30 साल पहले पुलिस हिरासत में हुई मौत (कस्टोडियल डेथ) मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. जामनगर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. जाम-जोधपुर कस्टोडियल डेथ मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पूर्व IPS संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 1990 में एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी. एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

जामनगर जिला डिस्ट्रिक और सत्र न्यायाधीश डीएम व्यास ने यह फैसला सुनाया है. आरोपी में एक पूर्व-आईपीएस, 2 पीएसआई, 4 कांस्टेबल को आरोपी बनाया गया था. 

केस की मुख्य बातें:
– पूर्व IPS संजीव भट्ट को आजीवन कारावास.
– इस केस में तत्कालीन इन्स्पेक्टर शैलेश पंड्या भी आरोपी थे.
– प्रवीण सिंह झाला कॉस्टेबल को आजीवन कारावास.
– ये सजा 302, 323, 506, 34, 114 धाराओं के तहत सुनाई गई है.
– केस में 32 गवाहों की जांच की गई.
– दस्तावेजों के 1000 प्रमाण.
– 5 हजार पन्नों की चार्जशीट.

क्या है मामला
1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा पूरे भारत मे निकली थी. उसी दौरान दंगे भड़कने के आसार को देखकर जामनगर जिले में कर्फ्यू लगाया गया था. संजीव भट्ट उस समय जामनगर के जाम जोधपुर तहसील में ट्रेनी IPS के तौर कार्यरत थे. भट्ट ने उस दौरान 133 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें प्रभुदास माधवजी वैष्णव भी थे. प्रभुदास को कस्टडी में ही संजीव भट्ट समेत 7 लोगों ने टॉर्चर किया, बाद में अस्पताल में प्रभुदास की मौत हो गई. उस समय इन 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज भी हो गया था, लेकिन केस आगे नहीं बढ़ रहा था. उस दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह केस जामनगर डिस्ट्रिक एंड सेशन कोर्ट तक आया और आज संजीव भट्ट और उनके साथी कॉन्स्टेबल प्रवीण सिंह झाला को आजीवन कारावास की सजा हुई. अन्य पांच को भी आज ही सजा सुनाई जाएगी.

संजीव भट्ट को पिछले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत देने से इनकार कर दिया था. संजीव भट्ट चाहते थे कि इस मामले में 11 अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ हो. भट्ट ने कहा था कि इस मामले में इन 11 अन्य गवाहों से पूछताछ बहुत अहम है.

1990 में भारत बंद के दौरान जामनगर में हिंसा हुई थी. तब संजीव भट्ट यहां के एसएसपी थे. हिंसा को लेकर पुलिस ने 100 लोगों को गिरफ़्तार किया था. इनमें से प्रभुदास माधवजी की अस्पताल में मौत हो गई थी. प्रभुदास के भाई अमरुत वैष्णवी ने संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ मुक़दमा किया था और उन्होंने हिरासत में प्रताड़ाना के आरोप लगाए थे.

संजीव भट्ट गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे. 2015 में गुजरात सरकार ने निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को बर्खास्त कर दिया था.

संजीव राजेंद्र भट्ट सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर करने के बाद सुर्ख़ियों में आ गए थे.

इस हलफ़नामे में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए थे और कहा था कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों की जाँच के लिए गठित विशेष जाँच दल (एसआईटी) में उन्हें भरोसा नहीं है.

आईआईटी मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट संजीव भट्ट वर्ष 1988 में भारतीय पुलिस सेवा में आए और उन्हें गुजरात काडर मिला. पिछले 23 वर्षों से वे राज्य के कई ज़िलों, पुलिस आयुक्त के कार्यालय और अन्य पुलिस इकाइयों में काम किया है.

संजीव भट्ट की पत्नी का बयान

संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने एक बयान जारी कर कहा है, “गिरफ़्तार किए गए 133 लोगों में मृतक और उसका भाई संजीव भट्ट या उनके स्टाफ़ की हिरासत में नहीं थे. इनमें से किसी से भी संजीव भट्ट या उनके स्टाफ़ ने पूछताछ नहीं की थी.”

बयान में कहा गया है, “ध्यान देने वाली बात ये है कि 31 अक्टूबर 1990 को जब स्थानीय पुलिस ने नजदीकी मजिस्ट्रेट के सामने इन लोगों को हाज़िर किया तो मृतक प्रभुदास माधवजी वैश्नानी या अन्य गिरफ़्तार 133 दंगाईयों ने किसी भी तरह के टॉर्चर या कोई अन्य शिकायत दर्ज नहीं कराई.”

“हिरासत में टॉर्चर की शिकायत प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मौत के बाद अम्रुतलाल माधवजी वैश्नानी ने दर्ज कराई थी जोकि विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के सक्रिय सदस्य भी थे.”

श्वेता भट्ट के मुताबिक, “संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ दर्ज कराई गई शिकायत राजनीतिक बदले की कार्रवाई का एक सटीक उदाहरण है.”

“साल 2011 में संजीव भट्ट को 2002 के दंगे की जांच कर रहे जस्टिस नानावटी और जस्टिस मेहता कमीशन के सामने एक गवाह के रूप में बुलाया गया था.”

बयान के अनुसार, बदले की कार्रवाई के कारण ही 300 गवाहों में से केवल 32 के ही बयान ही लिए गए.

श्वेता भट्ट ने सवाल उठाया है कि साल 1990 से 2012 तक शिकायतकर्ता क्यों चुप्पी साधे रहा.

श्वेता भट्ट के अनुसार, “ये अजीब है कि हिरासत के 18 दिन बाद हुई मौत में, जहां अंदरूनी या बाहरी चोट के निशान नहीं मिले थे और इस मौत की जांच पड़ताल फ़ारेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञों ने की थी, जिसमें किसी भी तरह का टॉर्चर नहीं पाया गया, ऐसे में ये ताज्जुब है कि इसे हत्या घोषित कर दिया गया.”

“हठी हम्मीर” आज बलिदान दिवस

सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै इक बार,
तिरिया तेल हमीर हठ, चढ़ै ना दूजी बार ।।

अर्थात सिंह एक ही बार संतान को जन्म देता है. सज्जन लोग बात को एक ही बार कहते हैं । केला एक ही बार फलता है. स्त्री को एक ही बार तेल एवं उबटन लगाया जाता है अर्थात उसका विवाह एक ही बार होता है. ऐसे ही राव हमीर का हठ है. वह जो ठानते हैं, उस पर दोबारा विचार नहीं करते।

ये वो मेवाड़ी शासक है जिन्होंने अल्लाउद्दीन खिलजी को तीन बार हराया था ,और अपनी कैद में भी रखा था । इनके नाम के आगे आज भी हठी जोड़ा जाता है , आइये जानते है इस मेवाड़ी शासक के बारे में और उसके हठ, तथा ऐतिहासिक युद्धो के बारे में ।

राव हम्मीर देव चौहान रणथम्भौर “रणतभँवर के शासक थे। ये पृथ्वीराज चौहाण के वंशज थे। इनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। ये इतिहास में ‘‘हठी हम्मीर के नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। जब हम्मीर वि॰सं॰ १३३९ (ई.स. १२८२) में रणथम्भौर (रणतभँवर) के शासक बने तब रणथम्भौर के इतिहास का एक नया अध्याय प्रारम्भ होता है।हम्मीर देव रणथम्भौर के चौहाण वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण शासक थे। इन्होने अपने बाहुबल से विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था।

राव हमीर का जन्म सात जुलाई, 1272 को चौहानवंशी राव जैत्रसिंह के तीसरे पुत्र के रूप में अरावली पर्वतमालाओं के मध्य बने रणथम्भौर दुर्ग में हुआ था। बालक हमीर इतना वीर था कि तलवार के एक ही वार से मदमस्त हाथी का सिर काट देता था. उसके मुक्के के प्रहार से बिलबिला कर ऊंट धरती पर लेट जाता था। इस वीरता से प्रभावित होकर राजा जैत्रसिंह ने अपने जीवनकाल में ही 16 दिसम्बर, 1282 को उनका राज्याभिषेक कर दिया। राव हमीर ने अपने शौर्य एवं पराक्रम से चौहान वंश की रणथम्भौर तक सिमटी सीमाओं को कोटा, बूंदी, मालवा तथा ढूंढाढ तक विस्तृत किया। हमीर ने अपने जीवन में 17 युद्ध लड़े, जिसमें से 16 में उन्हें सफलता मिली। 17वां युद्ध उनके विजय अभियान का अंग नहीं था।

मेवाड़ राज्य उसकी उत्तपत्ति से ही शौर्य और वीरता का प्रतीक रहा है। मेवाड़ की शौर्य धरा पर अनेक वीर हुए। इसी क्रम में मेवाड़ के राजा विक्रमसिंह के बाद उसका पुत्र रणसिंह(कर्ण सिंह) राजा हुआ। जिसके बाद दो शाखाएँ हुई एक रावल शाखा तथा दूसरी राणा शाखा । जिसमे से रावल शाखा वाले मेवाड़ के स्वामी बने और राणा शाखा वाले सिसोदे के जागीरदार रहे। राणा शाखा वाले सिसोदे ग्राम में रहने के कारण सिसोदिया कहलाये।

रावल शाखा में कर्णसिंह के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र क्षेमसिंह मेवाड़ के राजा हुआ। जिसके बाद इस वंश का रावल रतनसिंह तक मेवाड़ पर राज्य रहा। रावल वंश की समाप्ति अल्लाउद्दीन खिलजी के विस्. 1360 (ई.स. 1303) में रावल रतनसिंह सिंह से चित्तौड़ छीनने पर हुई। राणा शाखा के राहप के वंशज ओर सिसोदा के राणा हम्मीर ने चित्तौड़ के प्रथम शाके में रावल रतनसिंह के मारे जाने के कुछ वर्षों पश्चात चित्तौड़ अपना अधिकार जमाया और मेवाड़ के स्वामी हुआ। राणा हम्मीर ने मेवाड़ पर सिसोदिया की राणा शाखा का राज्य विस्. 1383 (ईस. 1326) के आसपास स्थापित कर महाराणा का पद धारण किया। इस प्रकार सिसोदे कि राणा शाखा में माहप ओर राहप से राणा अजयसिंह तक के सब वंशज सिसोदे के सामन्त रहे। चित्तौड़ का गया हुआ राज्य अजयसिंह के भतीजे (अरिसिंह का पुत्र) राणा हम्मीर ने छुड़ा लिया था और मेवाड़ पर सिसोदियों की राणा शाखा का राज्य स्थिर किया। तब से लेकर भारत के स्वतंत्रता के पश्चात मेवाड़ राज्य के भारतीय संघ में विलय होने तक मेवाड़ पर सोसोदियो की राणा शाखा का राज्य चला आता है।

हम्मीर के नेतृत्व में रणथम्भौर के चौहानों ने अपनी शक्ति को काफी सुदृढ़ बना लिया और राजस्थान के विस्तृत भूभाग पर अपना शासन स्थापित कर लिया था। अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के निकट चौहानों की बढ़ती हुई शक्ति को नहीं देखना चाहता था, इसलिए संघर्ष होना अवश्यंभावी था।

अलाउद्दीन की सेना ने सर्वप्रथम छाणगढ़ पर आक्रमण किया। उनका यहाँ आसानी से अधिकार हो गया। छाणगढ़ पर मुगलों ने अधिकार कर लिया है, यह समाचार सुनकर हम्मीर ने रणथम्भौर से सेना भेजी। चौहान सेना ने मुगल सैनिकों को परास्त कर दिया। मुगल सेना पराजित होकर भाग गई, चौहानों ने उनका लूटा हुआ धन व अस्त्र-शस्त्र लूट लिए। वि॰सं॰ १३५८ (ई.स. १३०१) में अलाउद्दीन खिलजी ने दुबारा चौहानों पर आक्रमण किया। छाणगढ़ में दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में हम्मीर स्वयं नहीं गया था। वीर चौहानों ने वीरतापूर्वक युद्ध किया लेकिन विशाल मुगल सेना के सामने कब तक टिकते। अन्त में सुल्तान का छाणगढ़ पर अधिकार हो गया।

तत्पश्चात् मुगल सेना रणथम्भौर की तरफ बढ़ने लगी। तुर्की सेनानायकों ने हमीर देव के पास सूचना भिजवायी, कि हमें हमारे विद्रोहियों को सौंप दो, जिनको आपने शरण दे रखी है। हमारी सेना वापिस दिल्ली लौट जाएगी। लेकिन हम्मीर अपने वचन पर दृढ़ थे। मुगल सेना का घेरा बहुत दिनों तक चलता रहा। लेकिन उनका रणथम्भौर पर अधिकार नहीं हो सका।

अलाउद्दीन ने राव हम्मीर के पास दुबारा दूत भेजा की हमें विद्रोही सैनिकों को सौंप दो, हमारी सेना वापस दिल्ली लौट जाएगी। हम्मीर हठ पूर्वक अपने वचन पर दृढ था। बहुत दिनों तक मुगल सेना का घेरा चलता रहा और चौहान सेना मुकाबला करती रही। अलाउद्दीन को रणथम्भीर पर अधिकार करना मुश्किल लग रहा था। उसने छल-कपट का सहारा लिया। हम्मीर के पास संधि का प्रस्ताव भेजा जिसको पाकर हम्मीर ने अपने आदमी सुल्तान के पास भेजे। उन आदमियों में एक सुर्जन कोठ्यारी (रसद आदि की व्यवस्था करने वाला) व कुछ सेना नायक थे। अलाउद्दीन ने उनको लोभ लालच देकर अपनी तरफ मिलाने का प्रयास किया। इनमें से गुप्त रूप से कुछ लोग सुल्तान की तरफ हो गए।

दुर्ग का धेरा बहुत दिनों से चल रहा था, जिससे दूर्ग में रसद आदि की कमी हो गई। दुर्ग वालों ने अब अन्तिम निर्णायक युद्ध का विचार किया। राजपूतों ने केशरिया वस्त्र धारण करके शाका किया। राजपूत सेना ने दुर्ग के दरवाजे खोल दिए। भीषण युद्ध करना प्रारम्भ किया। दोनों पक्षों में आमने-सामने का युद्ध था। एक ओर संख्या बल में बहुत कम राजपूत थे तो दूसरी ओर सुल्तान की कई गुणा बडी सेना, जिनके पास पर्येति युद्धादि सामग्री एवं रसद थी। अंत में राजपूतों की सेना वजयी रही।

बादशाह खिलजी को राणा ने हराने के बाद तीन माह तक जेल में बंद रखा । तीन माह पश्चात उससे अजमेर रणथम्भौर, नागौर शुआ और शिवपुर को मुक्त कराके उन्हें अपने लिए प्राप्त कर और एक सौ हाथी व पचास लाख रूपये लेकर जेल से छोड़ दिया।

राणा ने अपने जीवन काल में मारवाड़ जयपुर, बूंदी, ग्वालियर, चंदेरी  रायसीन, सीकरी, कालपी तथा आबू के राजाओं को भी अपने अधीन कर पुन: एक शक्तिशाली मेवाड़ की स्थापना की।

बीते साल की तरह ही इस बार भी रमजान के महीने में सीजफायर हो : महबूबा

हाल जी में गिरफ्तार हुए वायुसेना के 4 अफसरों की हत्या के आरोपी और जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की बहन का अपहरण करने वाले यासीन मालिक के लिए बहुत ज़्यादा चिंतित हैं। अभी हाल ही में महबूबा ने कहा कि इस एक महीने के लिए सेना द्वारा चलाए जाने वाले खोजी अभियानों (सर्च ऑपरेशन) और अन्य कड़ी कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए. पिछले साल भी उनकी यह अपील मान ली गयी थी तो आतंकियों को नए पनागाह ढूँढने और बनाने में बड़ी सुविधा हुई थी। सेना के सफाई अभियान को बड़ा झटका था ऑपरेशन बीच में रोकना।

श्रीनगर: अपने विवादित बयानों को लेकर लगतार चर्चाओं में बनी रहने वालीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई हैं. दरअसल, महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि मुस्लिम धर्म का सबसे बड़ा त्योहार पवित्र रमजान का महीना आने वाला है. इस दौरान लोग दिन-रात दुआ मांगने मस्जिदों और इबादतगाहों में जाते हैं. महबूबा ने कहा कि मेरी भारत सरकार से अपील है कि बीते साल की तरह ही इस बार भी रमजान के महीने में सीजफायर हो. 

जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस एक महीने के लिए सेना द्वारा चलाए जाने वाले खोजी अभियानों (सर्च ऑपरेशन) और अन्य कड़ी कार्रवाई पर रोक लगनी चाहिए. इससे राज्य के लोगों को कम से कम एक महीने आराम से बिताने को मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि मैं आतंकियों से भी अपील करूंगी कि वे रमजान के महीने में कोई भी हमला न करें क्योंकि, रमजान का पवित्र महीना इबादत और दुआ मांगने का है.

हाल ही में महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी इस टिप्पणी को लेकर निशाना साधा था कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए ने राज्य को ”बहुत नुकसान” पहुंचाया है. महबूबा ने कहा कि ये अनुच्छेद देश के साथ उनके संबंधों का आधार है. महबूबा ने कहा, ”अनुच्छेद 370 देश के साथ हमारे रिश्तों और जुड़ाव का आधार है और अगर प्रधानमंत्री को लगता है कि इसके कारण कश्मीर को नुकसान हुआ तो उन्हें कश्मीर छोड़ देना चाहिए.”

बता दें कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है और राज्य से संबंधित कानून बनाने की संसद की शक्ति को सीमित करता है. अनुच्छेद 35ए राज्य विधानसभा को विशेषाधिकार देने के लिए ‘स्थायी निवासियों’ को परिभाषित करने की शक्ति देता है. 


मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि : मसूद अजहर वैश्विक आतंकी घोषित

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति ने पुलवामा हमले के मास्टर माइंड जैश – ए – मोहम्मद ए सरगना ओर कुख्यात आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया। टीवी छनलों के माध्यम से यह खबर सब तरफ फ़ेल गयी ए ओर जहां भारत में खुशी की लहर है लोग सरकार ओर उसके प्रयासों की तारीफ कर रही है वहीं कांग्रेस और उनके प्रवक्ता टीवी पर बता रहे हैं कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। indyaTV के शो जहां यह ख़बर फ्लैश हुई तब प्रवक्ता राजीव शुक्ला ने अपनी राय रखी।

नई दिल्ली: पुलवामा और पठानकोट के गुनहगार आतंकी मसूद अजहर पर मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है. संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया है. मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत. चीन ने अपनी आपत्ति वापस ले ली है. चीन हर बार अड़ंगा लगाता आ रहा है. मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित किए जाने के बाद उसकी संपत्ति जब्त होगी. मसूद अजहर के आने-जाने पर रोक लगेगी. 

चीन ने 13 मार्च को 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में अमेरिका, ब्रिटेन से समर्थित फ्रांस के एक प्रस्ताव को यह कह कर बाधित कर दिया था कि उसे मामले के अध्ययन के लिए और वक्त चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि प्रस्ताव पर रोक यह ध्यान में रखते हुए भी लगाई गई थी कि पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद संबंधित पक्ष को बातचीत करने का समय मिल सके. 

इसके बाद अमेरिका ने अजहर को काली सूची में डालने के लिए 27 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीधे एक प्रस्ताव पेश कर दिया था जिसके बारे में चीन ने कहा था कि यह 1267 समिति को कमतर आंकने के बराबर है.  प्रवक्ता की तरफ से सोमवार को की गई ये टिप्पणियां पहली बार की गई हैं जब चीन ने अजहर के मुद्दे को सुलझाने की प्रगति के बारे में कुछ कहा. 

साध्वी प्रज्ञा को मसूद को भी श्राप देना चाहिए: दिग्विजय

दिग्विजय सिंह ने साध्वी के करकरे को दिये श्राप वाले बयान पर तंज़ कसा है। तो ऐसे में वह श्राप को ले कर भी असमंजस में हैं। वह किसी की पीड़ा में भी आनंद लेते हैं। मान भी लेते हैं की श्राप होते हैं और लगते भी हैं तो वह यह क्यों भूलते हैं की राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप कब फलीभूत हुआ था।

नई दिल्‍ली : कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और भोपाल लोकसभा सीट से पार्टी के प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह ने बीजेपी प्रत्‍याशी साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर पर निशाना साधा है. शनिवार को दिग्विजय सिंह ने भोपाल में कहा कि अगर साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर को श्राप दे देतीं तो पाकिस्‍तान में सर्जिकल स्‍ट्राइक की जरूरत नहीं पड़ती.

कांग्रेस प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह ने भोपाल में चुनावी रैली के दौरान अपनी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्‍याशी साध्‍वी प्रज्ञा के विवादित बयान को लेकर उन पर हमला बोला. दरअसल साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर ने पिछले दिनों विवादित बयान दिया था कि उन्होंने महाराष्‍ट्र एटीएस चीफ शहीद हेमंत करकरे को श्राप दिया था. हेमंत करकरे 2008 के मंबई आतंकी हमले में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे.

उन्‍होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सब भाई हैं. आजकल ऐसी चर्चाएं फैलाई जा रही हैं कि हिंदुओं को एकजुट हो जाना चाहिए. क्‍योंकि वे खतरे में हैं. मैं ऐसी चर्चाएं करने वाले लोगों से कहना चाहता हूं कि इस देश पर मुस्लिमों ने करीब 500 साल राज किया है. उस दौरान किसी भी तरह की हानि नहीं हुई. लोगों को धर्म बेचने वाले लोगों से सावधान रहने की जरूरत है.

नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से भरा नामांकन

पीएम मोदी ने  चुनाव आयोग को दिए अपने हलफनामें बताया है कि उनके पास 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से ली गई एम.ए की डिग्री है. 

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में बताया कि उनके पास गुजरात के गांधीनगर में एक आवासीय भूखंड, 1.27 करोड़ रुपए की सावधि जमा (एफडी) और 38,750 रुपए नकद सहित 2.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है. बता दें पीएम मोदी वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

हलफनामे के मुताबिक,  पीएम मोदी ने जशोदाबेन को अपनी पत्नी बताया है. उन्होंने यह भी बताया है कि उनके पास 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से ली गई एम.ए की डिग्री है. पीएम मोदी ने अपने शपथ पत्र में बताया है कि उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कला में स्नातक किया है और 1967 में गुजरात बोर्ड से एसएससी की परीक्षा पास की.

प्रधानमंत्री ने 1.41 करोड़ रुपए की चल संपत्ति और 1.1 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति घोषित की है. पीएम मोदी ने टैक्स सेविंग इन्फ्रा बॉन्ड्स में 20,000 रुपए, राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र (एनएससी) में 7.61 लाख रुपए और एलआईसी की पॉलिसियों में 1.9 लाख रुपए का निवेश किया है. बैंक में मोदी के बचत खाते में उनका नकद शेष 4,143 रुपए है.

पीएम मोदी के पास हैं चार अंगूठियां
पीएम मोदी के पास सोने की चार अंगूठियां हैं, जिनका वजन 45 ग्राम है. इनकी कीमत 1.13 लाख रुपए है. प्रधानमंत्री ने हलफनामे में संपत्ति का विवरण दिया है, जो नामांकन-पत्र दाखिल करने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है.

पीएम मोदी के पास गांधीनगर के सेक्टर-1 में 3,531 वर्ग फुट का प्लॉट है. शपथ पत्र के अनुसार, इस संपत्ति का अनुमानित मूल्य, जिसमें भूखंड पर एक आवासीय इकाई शामिल है, 1.1 करोड़ रुपए है.

पीएम मोदी ने ‘सरकार से वेतन’ और ‘बैंक से ब्याज’ को अपनी आय का स्रोत बताया है, जबकि उनकी पत्नी की आय के स्रोत के बारे में हलफनामे में ‘ज्ञात नहीं’ लिखा है. उनकी पत्नी के पेशे या व्यवसाय को भी ‘ज्ञात नहीं’ के रूप में लिखा गया है.

पीएम मोदी के खिलाफ नहीं है कोई आपराधिक केस 
प्रधानमंत्री मोदी ने हलफनामे में बताया है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक केस लंबित नहीं है और न ही उन पर कोई सरकारी बकाया राशि है. लगातार दूसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे मोदी ने 2014 में कुल 1.65 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की थी.

भारत की चीन-पाक सीमा पर बनेंगी सुरक्षा सुरंगें

युद्ध में अपना कम से कम नुक्सान करवा कर शत्रु को अत्यधिक एवं मार्मिक चोट देना ही कुशल सिपहसालार कि निशानी है. साथ ही किसी भी प्रकार के हमले में अपने सैनिकों और उनके मॉल असबाब को दुश्मनों के हाथों से बचाए रखना भी एक रणनीति होती है, भारतीय सेना भी अब सीमा पर इसी प्रकार के निर्माण कार्यों को प्रोत्साहित कर रही है. भारतीय सेना ने सीमा पर सुरंगें बनाने का संकल्प लिया है.

नई दिल्‍ली: भारत अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और पुख्‍ता करने जा रहा है. अब पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहाड़ों के अंदर गोला-बारूद के जखीरे रखने के लिए सुरंगें बनाई जाएंगीं. हर सुरंग में 2 लाख किलो गोला बारूद स्टोर होगा. ये 4 सुरंगें 2 साल में बनकर तैयार होंगीं. इन सुरंगों की सबसे बड़ी खासि‍यत ये होगी कि ये हर हमले से सुरक्ष‍ित होंगीं.

NHPC और Army के बीच इस समझौते पर दस्तखत किए गए. समझौते के मुताबिक 2 साल में 15 करोड़ की लागत से 4 सुरंगे बनाई जाएंगीं. हर सुरंग में 200 मीट्रिक टन यानी 2 लाख किलो गोला बारूद रखा जा सकेगा.

पहले भी ऐसी सुरंगें बनाने की कोशि‍श हो चुकी है…
3 सुरंगे चीन सीमा और एक पाकिस्तान सीमा पर बनाई जाएंगीं. सेना ने पहले ऐसी सुरंगे बनाने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब  नहीं हुई. अब सेना इसके लिए NHPC की महारत का उपयोग करना चाहती है. NHPC ने पहाड़ों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनाने में सुरंगों का इस्तेमाल किया है.

इसलिए तैयार की जा रही हैं सुरंग
सेना को सबसे ज़्यादा खतरा गोला बारूद के भंडारो पर हमले से होता है. युद्ध के समय ये दुश्मन के सबसे पहले हमलों का निशाना होते हैं. इन सुरंगो में रखा लाखो किलो गोला बारूद न तो ज़मीनी हमले से तबाह किया जा सकेगा और न ही हवाई हमले से. इस पायलट प्रोजेक्ट के बाद इस तरह की और सुरंगें बनाई जाएंगी.