एडमिन अपने ग्रुप पर डाली गयी पोस्ट के लिए होंगे जिम्मेदार

कोरोना को लेकर कम्युनल पोस्ट शेयर किए जाने पर चंडीगढ़ में पहली एफआईआर दर्ज
-पहला मामला सारंगपुर थाने में दूसरा सेक्टर 3 थाने में साइबर सेल की जांच के बाद किया गया दर्ज
-चंडीगढ़ पुलिस को ट्विटर अकाउंट पर मिली थी शिकायत
-फेसबुक ग्रुप में कम्युनल पोस्ट को लेकर दी गई थी शिकायत
-पुलिस ने ग्रुप के एडमिन पर दर्ज की एफआईआर

चंडीगढ:


कोरोना को लेकर फैलाई जाने वाली अफवाहों और धर्म विशेष पर की जाने वाली टिप्पणी अब आपको काफी महंगी पड़ सकती हैं। शनिवार देर शाम चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल ने फेसबुक पर एक धर्म विशेष के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर आई शिकायतों पर एफआईआर दर्ज की है।

पहली शिकायत सारंगपुर थाने मैं दर्ज की गई।
जिसमें फेसबुक ग्रुप के ही एक सदस्य द्वारा चंडीगढ़ पुलिस के ट्विटर अकाउंट पर की गई। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि ग्रुप के एक सदस्य ने धर्म विशेष को लेकर वीडियो पोस्ट करने के साथ ही आपत्तिजनक टिप्पणी की। जिसे समर्थन देते हुए फेसबुक ग्रुप के एडमिन ने भी इसे बकायदा शेयर करते हुए गलत टिप्पणियां की है। वही दूसरा मामला सेक्टर 3 थाने में दर्ज किया गया। यहां भी एक व्यक्ति ने पुलिस को फेसबुक पर धर्म विशेष के खिलाफ गलत टिप्पणी करने की शिकायत दर्ज कराई है। दोनों ही मामलों में साइबर सेल की ओर से की गई प्रारंभिक जांच के बाद संबंधित थाना पुलिस ले केस दर्ज कर लिया है।

जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ पुलिस ट्विटर अकाउंट पर एक फेसबुक अकाउंट पर कम्युनल पोस्ट शेयर किए जाने की शिकायत मिली थी। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक शिकायतकर्ता ने बताया कि सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर एक ग्रुप बना हुआ है। वह खुद भी उस ग्रुप का मेंबर है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि फेसबुक ग्रुप में कोरोना को एक धर्म विशेष से जोड़ते हुए गलत टिप्पणी की गई है। ग्रुप में वीडियो के साथ फोटो अपलोड हुए हैं और बकायदा पोस्ट के ऊपर धर्म विशेष के बारे में लिखा गया है। आरोपों के मुताबिक पहले मेंबर ने यह हरकत की। जिसके बाद फेसबुक ग्रुप के एडमिन ने भी इसे शेयर करते हुए टिप्पणी की। मामले की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल टीम ने प्रारंभिक जांच के बाद उक्त फेसबुक ग्रुप के एडमिन के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी हुई है।

केस- 2
कोरोना को लेकर धर्म विशेष पर फेसबुक अकाउंट पर की गई टिप्पणी को लेकर दूसरा केस सेक्टर 3 थाने में दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक शिकायतकर्ता का आरोप है कि आरोपी ने फेसबुक पोस्ट के जरिए एक धर्म विशेष के खिलाफ पोस्ट डाल लोगों को भड़काने का काम किया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर सेल की ओर से की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद सेक्टर-3 थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी है।

गुजरात विष्वविद्यालय में NSUI की रेकॉर्ड तोड़ जीत और प्रोफेसरों को जान से मारने की धमकी और रिकार्ड तोड़ गालियां

गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव जितने के बाद यूँ लग रहा है मानो NSUI (कॉन्ग्रेस का छात्र संगठन) के लोग इस जीत को हज़म नहीं कर पा रहे हैं। बता दें कि हाल ही में गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट में एनएसयूआई की बड़ी जीत हुई थी और मीडिया ने भी इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था। ये एक ऐसी ख़बर है जिसे स्थानीय मीडिया से लेकर राष्ट्रीय मीडिया में खूब तवज्जो मिली। चुनाव जीतने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कॉन्ग्रेस की वाहवाही भी हुई लेकिन इस खबर का दूसरा हिस्सा हम तक नहीं पहुँचा या पहुँचाया नहीं गया। इसे जानने के बाद आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि आने वाला समय गुजरात यूनिवर्सिटी के छात्रों, प्रोफ़ेसरों के लिए कितना भयानक है!

कॉल के दौरान NSUI के गुंडे लगातार कह रहे थे कि “रिकॉर्ड कर और जिसको बताना है, बता देना।” उनके ऐसा कहने से समझा जा सकता है कि इन गुंडों की हौसलाबजाई के पीछे एक पूरा सिस्टम काम कर रहा है। और इसी सिस्टम के बूते ये लोग यूनिवर्सिटी कैंपस में वीभत्स भाषा, गाली-गलौच एवं जान से मारने की धमकियाँ दे रहे हैं, खुल्लम-खुल्ला बगैर किसी डर के!

जीत के नशे में मदहोश NSUI के नेता डॉ. इन्द्रविजय सिंह गोहिल, अहर्निश मिश्रा, सिद्धराज सिंह चौहान ने यूनिवर्सिटी के दो प्रोफ़ेसरों डॉ. अतुल ऊनागर एवं डॉ. मुकेश खटीक को कॉल-मेसेज कर करियर ख़त्म करने, चाकू गोदने, हाथ-पैर-जबड़ा तोड़ देने की धमकियों के साथ असंख्य बार माँ-बहन की गालियाँ सुनाई। साथ ही पी.एच.डी की छात्रा के लिए बारंबार र$# जैसे आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने से भी गुरेज़ नहीं किया। डॉ. अतुल ने अपनी समझ से अहर्निश मिश्रा एवं सिद्धराज सिंह चौहान के कॉल को रिकॉर्ड कर लिया जिसके बाद यह मसला सबके सामने आया है। पूरी रिकॉर्डिंग के दौरान बारंबार ये गुंडे प्रोफ़ेसर लगातार माँ-बहन की गालियाँ देते हुए सुनाई देते हैं।

कॉल के दौरान NSUI के दोनों नेता जब लगातार माँ-बहन की गालियाँ बरसा रहे थे तब डॉ.अतुल कह रहे थे कि “आपको शुभकामनाएँ, खूब काम करो, खूब विकास करो, माँ-सरस्वती आपके मुख पे बिराजमान हो, माँ-सरस्वती आपको खूब-खूब ज्ञान दें!” इस दौरान NSUI नेता अहर्निश मिश्रा बार-बार प्रोफ़ेसर पर यह बोलने का भी दबाव बना रहा था कि “बोल, मैं अतुल, मेरी माँ का भो#$@।” चूँकि डॉ. अतुल गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत के प्रोफेसर हैं, इसलिए कॉल के दौरान संस्कृत भाषा का मज़ाक उड़ाते हुए बैकग्राउंड में एक पूरा समूह चटख़ारे ले रहा था- ये साफ़ सुना जा सकता है।

गुजरात में लोकल टीवी चैनलों में इस विडियो का खूब प्रसार हुआ

पोलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. मुकेश खटीक को भी NSUI नेता डॉ. इन्द्रविजय सिंह गोहिल ने व्हाट्सप्प पर माँ-बहन की गालियाँ देकर चाकू गोदकर मारने की धमकियाँ दी। इस वाकये के बाद दोनों प्रोफेसरों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। NSUI की गुंडागर्दी के इस पूरे वाकये के बाद डॉ. अतुल ने कहा:

“अत्यधिक भय का माहौल है। उनके द्वारा मुझे कई तरीकों से शारीरिक एवं मानसिक नुकसान पहुँचाए जाने की आशंका है। मैं बहुतों की आवाज़ हूँ। ईश्वर से मुझे सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है लेकिन यदि इस प्रेरणा का परिणाम नहीं मिलता है तो गुंडे-माफ़ियाओं को और ताक़त मिलेगी। मुझे व्यक्तिगत नुकसान होगा तो आगे असत्य के विरोध में आवाज़ उठाने की हिम्मत करने से लोग डरेंगे।”

गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव में NSUI की जीत के तुरंत बाद जिस प्रकार से ‘डर का माहौल’ बनाया गया है, इस पर ‘गुजरात यूनिवर्सिटी शैक्षिक संघ’ ने कुलपति को आवेदन देकर कैंपस को भयमुक्त करने की बात कही है। अब देखना ये है कि इस मामले में यूनिवर्सिटी और पुलिस-प्रशासन क्या कार्रवाई करता है क्योंकि यहाँ प्रोफेसरों की जान का सवाल है।

मध्य प्रदेश का सियासी घमासान: कमलनाथ सरकार पर नहीं है कोई संकट, विधान सभा 26 मार्च तक स्थगित

गवर्नर के संक्षिप्त अभिभाषण के पश्चात स्पीकर ने कोरोना वाइरस का हवाला दे कर विधान सभा को 26 मार्च तक किया स्थगित, एक बड़ा संवैधानिक संकट टाला। अब कमल नाथ मुख्यमंत्री बने रहेंगे और राजनैतिक प्रतिशोध का अजेंडा चलाते रहेंगे।

बताया जा रहा है कि बीजेपी सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग उठाएगी. इस बीच, देर रात सीएम कमलनाथ राज्यपाल से राजभवन गए. गवर्नर से मुलाकात के बाद उन्होंने बताया, ‘मुझे राज्यपाल लालजी टंडन ने चर्चा के लिए बुलाया था. विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल चर्चा करना चाहते थे.’ सीएम ने उम्मीद जताई कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक चलेगी. सीएम ने कहा, ‘विधानसभा कैसे चलेगी? मतदान कैसे होगा? यह मैं तय नहीं करता हूं. मैंने तो राज्यपाल से कहा था कि फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं.’

विधानसभा के बाहर और अंदर दिलचस्प नज़ारे देखने मिल रहे हैं. कोरोना के खौफ के बीच शिवराज सिंह सहित कई विधायक मास्क लगाकर विधानसभा पहुंचे. वो सदन में सेनेटाइजर लगाते दिखे. कांग्रेस और बीजेपी दोनों तरफ के नेता विक्टरी का साइन दिखाते हुए अंदर दाखिल हुए.

भोपाल.

 भारी उठापटक और पल-पल बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है. राज्यपाल के अभिभाषण के साथ सदन की कार्यवाही शुरू हुई.राज्यपाल ने एक मिनट में ही अपना भाषण खत्म कर दिया. महामहिम का भाषण खत्म होते ही बीजेपी विधायकों ने टोका-टाकी शुरू कर दी.

भारी गहमा-गहमी के बीच सीएम कमलनाथ, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित कांग्रेस और बीजेपी के विधायक विधानसभा पहुंचे.भोपाल की एक होटल में ठहराए गए कांग्रेस विधायक कड़ी सुरक्षा में दो बसों में विधान सभा लाए गए. उनके साथ मंत्री जयवर्धन सिंह और सचिन यादव भी बस में मौजूद थे. बीजेपी के देर रात 2 बजे मानेसर से भोपाल लौटे बीजेपी विधायक शहर से दूर होशंगाबाद रोड पर एक होटल में ठहराए गए थे. वो भी बसों में लाए गए. विधानसभा के बाहर और  अंदर दिलचस्प नज़ारे देखने मिल रहे हैं. कोरोना के खौफ के बीच शिवराज सिंह सहित कई विधायक मास्क लगाकर विधानसभा पहुंचे. वो सदन में सेनेटाइजर लगाते दिखे. कांग्रेस और बीजेपी दोनों तरफ के नेता विक्टरी का साइन दिखाते हुए अंदर दाखिल हुए.

मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच सोमवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. सबकी निगाहें विधानसभा पर टिकी हुई हैं. विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है. पहला ही दिन हंगामेदार होने का आसार है. कांग्रेस में बगावत के बाद अब बीजेपी फ्लोर टेस्ट की मांग पर अड़ी है, लेकिन विधानसभा की कार्यसूची में इसे शामिल ही नहीं किया गया है. ऐसे में कमलनाथ सरकार के विश्‍वासमत को लेकर अभी भी सस्‍पेंस बरकरार है. उधर, देर रात सीएम कमलनाथ फिर गवर्नर लालजी टंडन से मिलने पहुंचे. दूसरी तरफ आधी रात के बाद करीब 2 बजे बीजेपी विधायक मानेसर (गुरुग्राम) से भोपाल लौट आए.

बजट सत्र के शुरुआत में राज्यपाल लालजी टंडन का अभिभाषण होगा. बताया जा रहा है कि बीजेपी सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग उठाएगी. इस बीच, देर रात सीएम कमलनाथ राज्यपाल से राजभवन गए. गवर्नर से मुलाकात के बाद उन्होंने बताया, ‘मुझे राज्यपाल लालजी टंडन ने चर्चा के लिए बुलाया था. विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल चर्चा करना चाहते थे.’ सीएम ने उम्मीद जताई कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक चलेगी. सीएम ने कहा, ‘विधानसभा कैसे चलेगी? मतदान कैसे होगा? यह मैं तय नहीं करता हूं. मैंने तो राज्यपाल से कहा था कि फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं.’

अल्‍पमत में है कमलनाथ सरकार: शिवराज

बीजेपी नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल में देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि सरकार अल्पमत में आ गई है और फ्लोर टेस्ट से भाग रही है. हम फिर से फ्लोर टेस्ट की मांग सदन में रखेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले विश्वासमत कराने की बात कही है. राज्यपाल और सीएम की मुलाकात पर शिवराज सिंह ने कहा कि सीएम कमलनाथ का जवाब बहुत मासूम है. उन्होंने इस बात से इंकार किया कि कांग्रेस के किसी विधायक को बीजेपी ने बंधक बना रखा है.

भोपाल पहुंचे बीजेपी विधायक

मध्‍य प्रदेश में जारी सियासी हलचल के बीच रविवार को आधी रात के बाद तकरीबन 2 बजे मानेसर (गुरुग्राम) भेजे गए सभी बीजेपी विधायक वापस भोपाल लौट आए. सोमवार को सभी सदन की कार्यवाही में हिस्‍सा लेंगे. विधायकों की संख्या करीब 104 है. भाजपा के सभी विधायक विशेष विमान से भोपाल पहुंचे. एयरपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव औऱ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पार्टी के विधायकों को रिसीव किया. भार्गव ने बाद में बताया कि विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने के लिए बीजेपी के सभी विधायक भोपाल आ गए हैं. उन्होंने हैरत जताई कि विधानसभा की पहले दिन की कार्यसूची में सिर्फ राज्यपाल के अभिभाषण का जिक्र है, फ्लोर टेस्ट की बात नहीं है. भार्गव ने कहा, ‘अगर फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो हम फिर से सदन में इस पर चर्चा करेंगे. हम राज्यपाल के आदेश का पालन करेंगे.’

बीजेपी नेता भी राज्यपाल से मिले

भोपाल में बीजेपी नेता रविवार को दोबारा राज्यपाल से मिले. गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा ने राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. बीजेपी ने कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट को शामिल न करने को असंवैधानिक बताया. बीजेपी ने कहा हमने राज्यपाल से ज्ञापन सौंपकर शिकायत की है. राज्यपाल के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है. इससे पहले इस तरह की स्थिति पैदा नहीं हुई. राज्यपाल के पास सारी संवैधानिक शक्तियां हैं. गोपाल भार्गव ने कहा कि राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि वह शीघ्र कदम उठाएंगे

समाजवादी पार्टी ने जारी किया व्हिप

कमलनाथ सरकार पर छाए संकट के बीच समाजवादी पार्टी ने व्हिप जारी किया है. पार्टी ने अपने विधायक राजेश शुक्ला के लिए यह व्हिप जार किया है. पार्टी कमलनाथ सरकार के पक्ष में वोट करेगी. सपा अभी कमलनाथ सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है.

संवैधानिक संकट से गुज़र रहा मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में आज से बजट सत्र आरंभ होगा, लेकिन अल्पमत की सरकार बजट कैसे पेश करेगी? कमलनाथ फ्लोर टेस्ट से बचने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं, विधानसभा स्पीकर उनके दल के हैं अत: वह भी इसी प्रयास में हैं की किसी भी तरह बजट सत्र आरंभ हो जाये, उसके बाद ही शक्ति परीक्षण हो। परंतु जब पता है की सरकार गिर जाएगी तो बजट कैसा पेश किया जाएगा, आने वाली सरकार के लिए आत्मघाती ही न हो अथवा बजट में अपनों ही को रेवड़ियाँ बाँट दीं गईं हों। असूलन स्पीकर को राज्यपाल का कहना मानना होता है परंतु कॉंग्रेस से इस बात की अपेक्षा कम ही है।

बीजेपी नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल में देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा सरकार अल्पमत में आ गयी है. लेकिन वो फ्लोर टेस्ट से भाग रही है.हम फिर से फ्लोर टेस्ट की मांग सदन में रखेंगे. उन्होंने कहा-हमने मांग की थी विश्वास मत पहले होना चाहिए.राज्यपाल और सीएम की मुलाकात पर शिवराज सिंह ने कहा कि सीएम कमलनाथ का जवाब बहुत मासूम है. उन्होंने इस बात से इंकार किया कि कांग्रेस के किसी विधायक को बीजेपी ने बंधक बना रखा है.

भोपाल. 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य सरकार अपना बहुमत खो चुकी है और इसी कारण से फ्लोर टेस्ट से बचना चाह रही है.

शिवराज बोले, ‘मध्य प्रदेश सरकार बहुमत खो चुकी है. हम सोमवार को विधानसभा में सरकार से बहुमत साबित करने की मांग करेंगे. मुख्यमंत्री यह कह चुके हैं कि वे फ्लोर टेस्ट चाहते हैं, फिर इससे भाग क्यों रहे हैं. हमारी मांग सिर्फ फ्लोर टेस्ट कराने की है.’ बता दें कि बीजेपी के सभी विधायक भी देर रात जयपुर से भोपाल पहुंच गए.

यह हैं प्रावधान:

भारतीय इतिहास में आज तक ऐसा कभी दिखाई नहीं दिया कि बजट किसी भी कारणवश पारित न हुआ हो। क्योंकि बजट संविधान के अनुसार बजट निचले सदन में पेश किया जाता है जिस वजह से इसे पारित ना होने के कोई कारण ही नहीं रहते क्योंकि निचला सदन बहुमत में होता है। परंतु अगर किसी भी कारणवश बजट पारित नहीं होता तो भारतीय संविधान की धारा 116 के अंतर्गत होने वाली वोटिंग मे बजट के विरोध मे वोटिंग अधिक ही तो उस स्थिति में इसे संवैधानिक संकट माना जाता है और नैतिकता के आधार पर मन्त्रीमंडल को। त्यागपत्र दे देना चाहिए क्योंकि तकनीकी रूप से बजट फेल हो गया। इसका अगला पायदान है सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास पेश करना।

सीएम कमलनाथ द्वारा भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाने के आरोप पर जवाब देते हुए कमलनाथ ने कहा, ‘किसी भी विधायक को बंधक नहीं बनाया गया है, राज्य सरकार इन्हें सुरक्षा प्रदान क्यों नहीं कर पा रही.’

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. सत्र में राज्यपाल का अभिभाषण होगा लेकिन फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, इस पर संशय बरकारार है. दरअसल, विधानसभा की कार्यसूची में बहुमत परीक्षण का विषय नहीं है. केवल राज्यपाल के अभिभाषण का जिक्र है. 

इधर, विधायक दल की बैठक में सीएम कमलनाथ (Kamal Nath) ने कहा कि 21 विधायक बंधक बना लिया गया तो फ्लोर टेस्ट का क्या औचित्य? ऐसे में सवाल यह भी है क्या कमलनाथ राज्यपाल के आदेश की अनदेखी करेंगे. उधर, फ्लोर टेस्ट पर विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति का कहना है कि कल फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, ये काल्पनिक प्रश्न है. राज्यपाल आदेश दे सकते हैं या नहीं, इसकी व्याख्या भी सोमवार को होगी.

कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार

कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार है. बेंगलुरू से बाकी 16 बागियों ने भी स्पीकर को चिट्ठी भेजकर कहा कि भोपाल नहीं लौटेंगे, इस्तीफा मंजूर करें. बीजेपी ने एक व्हिप जारी करके अपने विधायकों को सोमवार को विधानसभा में उपस्थित रहने और बीजेपी के पक्ष में वोट देने के लिए कहा है. भोपाल में राज्यपाल से रविवार को बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा और गोपाल भार्गव ने मुलाक़ात की. हाथ उठवाकर वोटिंग की मांग की. उन्होंने कहा कि स्पीकर राज्यपाल की बात मानने के लिए बाध्य है.

राज्य सभा चुनाव के ऐन पहले गुजरात के 4 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे मंजूर

अहमदाबाद: 

राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी चारों का इस्तीफा स्वीकार भी कर चुके हैं.

कांग्रेस के जिन चार विधायकों ने इस्तीफा दिया है उनमें – मंगल गावित, जेवी काकड़िया, सोमाभाई पटेल, प्रद्युमन जाडेजा  शामिल हैं. 

बता दें बीजेपी द्वारा गुजरात राज्यसभा चुनाव के लिए तीसरा उम्मीदवार मैदान में उतारे जाने के साथ कांग्रेस की धड़कनें बढ़ गई हैं. कांग्रेस को डर है कि कहीं उसके विधायक भाजपा के पाले में न चले जाएं, इसलिए उसने शनिवार को अपने कई विधायकों को राजस्थान भेज दिया है. 

मीडिया से बात करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस विधायकों पर काफी दबाव है और भाजपा धन और बाहुबल से राज्यसभा चुनाव को प्रभावित करना चाहती है.

182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में भाजपा के पास 103, जबकि कांग्रेस के पास 73 विधायक हैं. राज्यसभा के उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 वोटों की जरूरत होगी. दोनों पार्टियों के पास दो सीटें जीतने के लिए पर्याप्त ताकत है. कांग्रेस को उम्मीद है कि निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी उनके उम्मीदवार के लिए ही वोट करेंगे. राज्यसभा की चार सीटों में से फिलहाल भाजपा के पास तीन और कांग्रेस के पास 1 सीट है.

सोनिया राहुल के रहते कोई भी युवा नेता सक्षम नहीं हो सकता

राजविरेन्द्र वशिष्ठ

सोनिया गांधी के खिलाफ कॉंग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले राजेश्वर प्रसाद सिंह विदूड़ी उर्फ राजेश पायलट के बेटे होने की सज़ा भुगत रहे हैं सचिन पायलट। यह आधा अधूरा सच है, असल में काबिल युवा नेता होने के कारण सचिन की अनदेखी कारवाई जा रही है। कल को सिंधिया, देवड़ा, सचिन आदि युवा नेता राहुल गांध से सक्षम साबित हों और क्षेत्रीय क्षत्रप जो वह अभी हैं की भूमिका से आगे बढ़ कर पार्टी में अपनी महती भूमिका तलाश लें और राहुल की अकर्मण्यता एवं प्रियंका गांधी वाड्रा की छवि को भेद दें तो क्या हो। कांग्रेस हाई कमान को यह चिंता सताती है। इसीलिए रहल गांधी के समक्ष कोई भी युवा नेता काबिल नहीं दिखना चाहिए, शायद यही बात राहुल भी समझने लगे हैं।

इक शेर याद आ रहा है,

कांग्रेस की ग्रह-दशा अभी तो ऐसी चल रही है कि कोई मामूली ज्योतिषी भी सटीक भविष्यवाणी कर सकता है. कांग्रेस के राज्य सभा उम्मीदवारों की जो सूची सोनिया गांधी ने फाइनल की है वो भी कांग्रेस के भीतर संभावित घटनाओं की तरफ साफ इशारा करती है.

बाकी राज्यों में कांग्रेस नेताओं के अंसतोष को तो टाला भी जा सकता है, लेकिन राजस्थान का मामला काफी नाजुक लगता है. मालूम नहीं राहुल गांधी और सोनिया गांधी हालात की गंभीरता को किस तरह से ले रहे हैं. राजस्थान से राज्य सभा उम्मीदवार तय करने में जिस तरह से सचिन पायलट की आपत्तियों को खारिज कर अशोक गहलोत की बात मान ली गयी है – ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर चले जाने के बाद ये फैसला हैरान करने वाला लगता है. सिंधिया की बगावत के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ भले ही सरकार कुछ दिन बचा लें लेकिन वे गिनती के ही दिन होंगे.

राहुल गांधी सिंधिया को जानते ज़रूर थे, लेकिन शायद समझते नहीं थे

सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने पर राहुल गांधी ने मीडिया में आकर कहा कि वो उन्हें अच्छी तरह जानते हैं. सही बात है जानते जरूर थे, लेकिन शायद समझने की कोशिश नहीं किये. कुछ तो मजबूरियां रही होंगी. सवाल ये है कि क्या वैसी ही मजबूरियां सचिन पायलट की मुश्किलों को समझने में आड़े आ रही हैं?

सचिन पायलट को कितना जानते हैं राहुल गांधी

2017 के गुजरात चुनाव में राहुल गांधी को नये अवतार में देखा गया था और उन दिनों भी उनके दो साथी करीब ही नजर आते थे – ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट. गुजरात चुनाव खत्म होने के बाद और नतीजे आने से पहले राहुल गांधी ने अध्यक्ष की कुर्सी संभाली थी. तब से सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी मुश्किलें ऐसे नजर आयीं जैसे जुड़वां भाइयों की समस्याएं होती हैं. दोनों ही के सामने दो सीनियर और गांधी परिवार के करीबी नेता चुनौती बन गये. दोनों ने विधानसभा चुनाव में बराबर मेहनत की, लेकिन सत्ता हासिल होने पर मलाई खाने दूसरे नेता आ डटे. सचिन पायलट तो डिप्टी सीएम बना दिये गये, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की कौन कहे, उनके किसी समर्थक विधायक को भी ये ओहदा देने के लिए पार्टी नेतृत्व राजी नहीं हुआ – और सिंधिया झोला उठाकर दूसरे फकीरों की टोली में पहुंच गये.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर जिस तरीके से सचिन पायलट ने रिएक्ट किया है, उस एक ही ट्वीट में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए बड़ा संदेश है. अगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जान बूझ कर ऐसी चीजों को नजरअंदाज करते हैं तो ये मान लेना बिलकुल गलत नहीं होगा कि बिगड़ी बातों को बनाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है

सोनिया गांधी और राहुल गांधी मां-बेटे जरूर हैं, लेकिन दोनों के कुर्सी पर होते कांग्रेस के भीतर की तमाम चीजें एक दूसरे के उलट ही देखने को मिली हैं. राहुल गांधी ने कुर्सी संभालते ही जिस तरह पुराने नेताओं को ठिकाने लगा दिया था, सोनिया गांधी ने भी वही व्यवहार किया है. नतीजा ये हुआ है कि राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस में दबदबा रखने वाले नेता उनके कुर्सी छोड़ते ही असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर के मामले में जो हुआ सबके सामने ही है. अशोक तंवर तो सोनिया के भी करीबी हुआ करते थे, लेकिन एक झटके में सब खत्म हो गया.

हरियाणा के साथ ही महाराष्ट्र चुनाव भी हुए थे और तब ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराष्ट्र के चुनाव प्रभारी बनाये गये थे. जरा याद कीजिये संजय निरूपम ने प्रेस कांफ्रेंस करके क्या कहा था. संजय निरूपम के निशाने पर भी कांग्रेस के बुजुर्गों की टीम ही रही. मिलिंद देवड़ा भी तो जब तक ऐसे मुद्दे उठाते रहे हैं. आम चुनाव के दौरान जितिन प्रसाद ने भी तो बागी रुख अख्तियार कर ही लिया था. नवजोत सिंह सिद्धू भी तो कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के ही शिकार लगते हैं. कुछ नेताओं की अपनी अलग मजबूरी हो सकती है, लेकिन सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा के मामले में तो कम से कम ऐसा नहीं लगता.

क्या ऐसा नहीं लगता कि सोनिया गांधी ने राहुल गांधी की टीम के ज्यादातर नेताओं को सिंधिया बनने के लिए छोड़ दिया है – और सचिन पायलट भी मुहाने पर ही खड़े हैं. अब ये राहुल गांधी को ही देखना होगा कि वो सचिन पायलट को कितना जानते हैं और कितना समझना चाहते हैं.

ये तो बहुत नाइंसाफी है

अगर राहुल गांधी ये कहते हैं कि राज्य सभा चुनाव में उनका कोई रोल नहीं रहा तो क्या उनके करीबी नेताओं को सिर्फ नाम पर ही टिकट दे दिया गया, जबकि एक एक टिकट के लिए तगड़ी रेस लगी रही. आखिर कैसे राजस्थान से केसी वेणुगोपाल टिकट पा गये और तारिक अनवर से लेकर राजीव अरोड़ा और भंवर जितेंद्र सिंह से लेकर गौरव वल्लभ तक बस मुंह देखते रह गये. आखिर कैसे राजीव साटव महाराष्ट्र से बाजी मारने में कामयाब रहे और मुकुल वासनिक और रजनी पाटिल मन मसोस कर रह गये. आखिर ये दोनों नेता टिकट पाने में सफल तो राहुल गांधी के कारण ही रहे. ऐसा कैसे हो सकता है कि एक बार भी राहुल गांधी से उनकी राय न पूछी गयी हो – राहुल गांधी भले ही कहते फिरें कि वो वायनाड के सांसद भर हैं, लेकिन जिस तरीके से दिल्ली चुनाव और दंगे प्रभावित इलाकों में भाषण देते रहे, वायनाड क्या केरल का कोई नेता या कांग्रेस का ही दूसरा कोई नेता बोल सकता है क्या?

क्या बदले हुए नाजुक हालात में भी राहुल गांधी को एक बार नहीं लगा कि सचिन पायलट की बातों को बार बार नजरअंदाज नाइंसाफी नहीं तो क्या है?

सचिन पायलट हमेशा से मुखर रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुद्दे पर तो बोला ही है, जब सोनिया गांधी ने कोटा अस्पताल भेज कर ग्राउंट रिपोर्ट मांगी थी वो पहुंचे और मौके पर भी बरस पड़े. अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सारी गलतियों का जिम्मेदार बता डाला था.

राजस्थान से कांग्रेस के दो उम्मीदवार तय किये गये हैं – केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी. पता चला है कि सचिन पायलट को जैसे ही राज्य सभा के लिए उम्मीदवारों की फाइल सूची का पता चला, वो सक्रिय हो गये और विरोध करने लगे. सचिन पायलट को केसी वेणुगोपाल को लेकर आपत्ति का तो मतलब भी नहीं था, लेकिन नीरज डांगी को लेकर कड़ा ऐतराज जताया. इतना ही नहीं, सचिन पायलट ने अपनी तरफ से एक नाम का भी सुझाव दिया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया.

सचिन पायलट ने नीरज डांगी की जगह कुलदीप इंदौरा का नाम सुझाया था. दिलचस्प बात ये रही कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के सुझाये नामों में बहुत सारी समानता देखने को मिलती है.

  1. नीरज डांगी तीन बार और कुलदीप इंदौरा दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों में कोई भी जीत नहीं पाया.
  2. नीरज डांगी और कुलदीप इंदौरा दोनों ही राजस्थान प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं.
  3. नीरज डांगी के पिता दिनेशराय डांगी और कुलदीप इंदौरा के पिता हीरालाल इंदौरा भी राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
  4. नीरज डांगी और कुलदीप इंदौरा दोनों ही अनुसूचित जाति से आते हैं.

दोनों के करियर ग्राफ पर गौर करें तो और भी कई समानताएं नजर आती हैं, बड़ा फर्क सिर्फ ये है कि सचिन पायलट ने जिसका नाम सुझाया था वो दो बार विधानसभा चुनाव हार चुका है और अशोक गहलोत ने जिसका सपोर्ट किया वो तीन बार.

देखा जाये तो भी सचिन पायलट का कैंडीडेट, अशोक गहलोत के उम्मीदवार से थोड़ा बेहतर रहा – लेकिन सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत के उम्मीदवार पर ही मुहर लगायी है. ये कोई बहुत बड़ी बात भी नहीं है, लेकिन जब मालूम है कि पार्टी की स्थिति डांवाडोल है और छोटी छोटी चीजों से बात बिगड़ सकती है तो ये महंगा भी पड़ सकता है.

जैसा कि राहुल गांधी बता रहे थे कि वो ज्योतिरादित्य सिंधिया को अच्छी तरह जानते हैं, बिलकुल वैसे ही न सही लेकिन जानते तो सचिन पायलट को भी होंगे ही. सचिन पायलट की विचारधारा को भी जानते ही होंगे. सचिन पायलट के सामने भी वैसे ही राजनीतिक हालात हैं जैसे सिंधिया के पास रहे. जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनावों में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में डटे रहे, सचिन पायलट भी वैसे ही वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चे पर बने रहे और मुकाबले करते रहे. बीजेपी के हिसाब से सोचें तो मध्य प्रदेश की ही तरह राजस्थान की हर गतिविधि पर वैसी ही पैनी नजर है. बस एक मौके की तलाश है.

कोरोना से घबरा कर होली फीकी न करें

होली जरूर मनाएं, लेकिन घर पर ही मनाएं। मोहल्लों और गांवों में एकत्रित होकर समूह में न मनाएं। रंगों के इस त्योहार के समय कोरोना अब महामारी बन चुका है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि भीड़ वाले जगहों पर न जाएं। क्योंकि किसी एक को संक्रमण होने पर कई दूसरे लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। बेहतर होगा कि होली भी समूह में मनाने से बचें। हैप्पी होली।

चंडीगढ़:

आज होली है। फागुन के इस महीने में रंगों के इस त्योहार में हर कोई सराबोर होने को आतुर है, लेकिन एहतियात भी जरूरी है। चीन से पैदा हुआ कोरोना अंटार्कटिका को छोड़ सारे महाद्वीपों को अपने जद में ले चुका है। इंसानों से इंसानों में इसके वायरस का तेजी से संक्रमण हो रहा है। तभी तो विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत तमाम स्वास्थ्य संस्थाएं सामूहिक जुटान न करने की सलाह दे रहे हैं। उनकी इसी सलाह पर प्रधानमंत्री मोदी के बाद एक-एक करके कई मशहूर हस्तियों ने होली न खेलने का निर्णय लिया। जनमानस के लिए तो साल भर का यह त्योहार है। वे भला होली से दूर क्यों रहें। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि होली जमकर खेलिए, लेकिन एहतियात बरतना न भूलिए।

यह बात सही है कि विशेष परिस्थितियों में कोरोना सामान्य फ्लू की तुलना में दस गुना घातक है, लेकिन अगर व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत है तो इसका वायरस लाचार हो जाता है। स्वस्थ जीवनशैली और खानपान से कोई भी अपने शरीर की प्रतिरक्षा इकाई को इस वायरस की कवच बना सकता है। बुजुर्गो और किसी अन्य रोग से ग्रसित व्यक्ति को खास एहतियात की दरकार होगी। होली की मस्ती में यह न भूलें कि कोरोना अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित की जा चुकी है। लिहाजा जमकर गुलाल उड़ाएं, रंगों की फुहारें छोड़ें, लेकिन अत्यधिक भीड़ में जाने से परहेज करें। कोरोना का वायरस हवा में तैरते अति सूक्ष्म कणों के साथ आंखों यहां तक कि फेस मास्क को भी भेदने की साम‌र्थ्य रखता है। सिर्फ खांसी या छींक के साथ निकलने वाले बड़े कणों को ही मास्क रोकने में सक्षम है। इसलिए सावधान रहिए, लेकिन होली के उल्लास को कम मत होने दीजिए।

विशेषज्ञ बोल

होली जरूर मनाएं, लेकिन घर पर ही मनाएं। मोहल्लों और गांवों में एकत्रित होकर समूह में न मनाएं। रंगों के इस त्योहार के समय कोरोना अब महामारी बन चुका है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि भीड़ वाले जगहों पर न जाएं। क्योंकि किसी एक को संक्रमण होने पर कई दूसरे लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। बेहतर होगा कि होली भी समूह में मनाने से बचें। हैप्पी होली।

अरविंद और मनीष मेलानिया ट्रम्प से नहीं मिल पाएंगे अपने ही राज्य के स्कूल में

अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप अपनी भारत यात्रा के दौरान दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के कार्यक्रम में शामिल होने वाली हैं. लेकिन दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक इस कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हिस्सा नहीं ले पाएंगे. कहा जा रहा है कि इनका नाम लिस्ट से हटा दिया गया है.

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को दो दिनों की भारत यात्रा पर आने वाले हैं. इस दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप और बेटी इवांका भी आएंगी. मेलानिया ट्रंप 25 फरवरी को दिल्ली के सरकारी स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा ले सकती हैं. वह केजरीवाल सरकार के स्कूल में हैप्पीनेस क्लास देखेंगी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे, लेकिन अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का नाम हटा दिया गया है. 

साभार ANI

सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी दूतावास ने अनुरोध किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में उपस्थित न हों. जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात चल रही होगी, तब मेलानिया सरकारी स्कूल के दौरे पर होंगी और वह यहां एक घंटे तक का समय बिताएंगी.

दिल्ली सरकार के सूत्रों का दावा है कि स्कूल दिल्ली सरकार के अधीन आता है, इसलिए दोनों को कार्यक्रम में भाग लेना था, लेकिन अब उनका नाम हटा दिया गया है, तो वो हिस्सा नहीं लेंगे.

ANI से साभार

दूसरी तरफ दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केजरीवाल और सिसोदिया के न जाने को लेकर कहा है कि फिलहाल सरकार के पास इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, न ही इसकी कोई सूचना है.

वहीं इस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, कुछ मुद्दों पर निम्न स्तर की राजनीति नहीं होनी चाहिए. अगर हम एक-दूसरे के पैर खींचना शुरू करते हैं, तो भारत विवादों में आता है. भारत सरकार अमेरिका को नहीं बोलती है कि किसे आमंत्रित करें और किसे नहीं.’

केजरीवाल सरकार की हैप्पीनेस क्लास की बात करें, तो ये साल 2018 में शुरू हुई थी. यह क्लास नर्सरी से 8वीं तक के छात्रों के लिए होती है, जिसका लक्ष्य बच्चों के मानसिक तनाव और अवसाद को दूर करना है. इसमें सिर्फ छात्रों के हैप्पीनेस इंडेक्स का मूल्यांकन किया जाता है.

बता दें कि भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इवेंट में भारत के किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री शामिल नहीं किए जाएंगे.

आज का पंचांग

विक्रमी संवत्ः 2076, 

शक संवत्ः 1941, 

मासः माघ़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः तृतीया (की वृद्धि है जो कि मंगलवार को प्रातः 08.22 तक है), 

वारः सोमवार, नक्षत्रः शतभिषा (की वृद्धि है जो मंगलवार को प्रातः 09.23 तक है), 

योगः वरीयान रात्रि 02.51 तक, 

करणः तैतिल, 

सूर्य राशिः मकर, 

चंद्र राशिः कुम्भ, राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.16, 

सूर्यास्तः 05.52 बजे।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

कोटा के ईदगाह इलाके में CAA व्रोध के नाम पर गुंडागर्दी ड्यूटी ASI ने भी पीड़ित पक्ष को धमका दिया

सीएए के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन में कोटा में प्रदर्शनकारियों की गुंडागर्दी की तस्वीर सामने आई है. पिछले 14 दिनों से कोटा में ईदगाह इलाके में CAA के खिलाफ लगातार प्रदर्शन चल रहा था.

यहां देर रात प्रदर्शनकरियों के भेष में छिपे कुछ असामाजिक तत्वों ने गुंडागर्दी शुरु कर दी और वहां से गुजर रही एक कार को रोक लिया. प्रदर्शनकारियों ने कार सवार दो शिक्षकों के साथ मारपीट करते हुए उनकी कार में तोड़फोड़ कर दी.

जैसे-तैसे हाथ पैर जोड़कर अपनी जान बचा कर जब पीड़ित शिक्षक पंकज शर्मा और अंकुर गुप्ता सुबह किशोरपुरा थाने पहुंचे और बदमाशों के खिलाफ शिकायत दी तो ड्यूटी पर मौजूद ASI अब्दुल लतीफ ने भी पीड़ित पक्ष को धमका दिया और शिकायत न देने की सलाह दी. इसके बाद पीड़ित पक्ष ने अपने समर्थकों को थाने पर बुलवा लिया और देखते ही देखते थाने के बाहर हंगामा खड़ा हो गया.

पुलिस के आला अधिकरियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अन्य थाने से पुलिस टीम को भेज कर पीड़ित पंकज शर्मा और अंकुर गुप्ता की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए प्रदर्शन के नाम पर गुंडागर्दी करने वाले बदमाशों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.

साथ ही पीड़ित शिक्षकों ने किशोरपुरा थाने में एसपी सिटी के नाम पर ASI अब्दुल लतीफ के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने और धमकाने की शिकायत दी है. मामले पर ड्यूटी ऑफिसर राजवीर चौधरी के अनुसार आरोपी ASI अब्दुल लतीफ के खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है. देश में लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, जब CAA-NRC के नाम पर गुंडागर्दी की तस्वीर आ रही है.

मामले पर अब कोटा पुलिस किसी भी कीमत पर शहर में ऐसी गुंडागर्दी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है जो किसी के लिए महज एक राजनीतिक ईंधन हो और पूरे देश के लिए दहशत.