गुलाम नबी आज़ाद impact: 2 और कोंग्रेसी विधायकों ने त्यागपत्र सौंपा

आज़ाद के आने का असर यह हुआ कि 2 और विधायकों ने त्यागपत्र सोंप दिये

रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया है.  कांग्रेस के संकटमोचन राज्य सभा सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद आज बेंगलोर में हुंकार भर रहे थे। वह आत्मविश्वास से लबरेज भाजपा ओ धोबी पछाड़ देने के लिए और काँग्रेस को कर्णाटक संकट से उबारने गए थे। वह जब राज्यपाल के संदिग्ध आचरण पर पत्रकारों से बातचीत करने में मशगूल थे तब कॉंग्रेस के 2 और नेताओं ने अपना इस्तीफा दे दिया इस्तीफा देने वालों की संख्या ग्लाम नबी आज़ाद के जाने के बाद अब 16 हो गयी है। आज़ाद राज्यपाल पर आलोकतांत्रिक तरीके से काम करने का इल्ज़ाम लगा रहे थे। तब स्पीकर काँग्रेस सरकार बचाने की जगत में इस्तीफ़ों में खामियाँ नियालने में तुले थे। कॉंग्रेस भाजपा पर खरीद फ़रोहत के इल्ज़ाम लगा रही थी तो दूसरी ओर वह बागी विधायकों को मंत्री पद दे कर खरीदना चाहती है। जहां कॉंग्रेस राज्यपाल पर दोषारोपण करती है वहीं स्पीकर की भूमिका सीधे सीधे एक तरफा दीख पड़ती है। वैसे त्यागपत्रों का सिलसिला अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे और भी राज्यपालों की भूमिका को संदिग्ध कहा जाने वाला है।

बेंगलुरू: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के संकटमोचक गुलाम नबी आजाद ने जनता दल (सेक्युलर) के साथ अपनी गठबंधन सरकार को बचाने के लिए कर्नाटक के बागी विधायकआर. रामालिंगा रेड्डी से आग्रह किया कि वह अपना इस्तीफा वापस ले लें. यह जानकारी बुधवार को पार्टी ने आधिकारिक तौर पर दी है. पार्टी आलाकमान की सलाह पर, आजाद पार्टी के दर्जन भर उन बागी विधायकों को रोकने के लिए मंगलवार रात बेंगलुरू रवाना हुए थे, जिन्होंने अपनी 13 महीने पुरानी सरकार में अविश्वास जाहिर करते हुए छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. इनमें रेड्डी भी शामिल हैं.

पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता रवि गौड़ा के अनुसार, आजाद ने दिन में पहले रेड्डी से फोन पर बात की और उन्हें अपना इस्तीफा वापस लेने और गठबंधन सरकार को बचाने में मदद करने के लिए कहा है. गौड़ा ने कहा कि आजाद ने रेड्डी से राज्य के एक अतिथि गृह में मिलने के लिए भी कहा, जहां वह रह रहे हैं. उन्होंने रेड्डी से यह भी कहा कि वह शहर में उनके घर पर उनसे मिलकर गठबंधन सरकार पर आए संकट पर चर्चा करने के लिए भी तैयार हैं.

हालांकि, रेड्डी ने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर उनकी उपेक्षा करने और उन्हें मंत्री बनाने में उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा वापस लेने से इंकार कर दिया. गौरतलब है कि 66 वर्षीय रेड्डी आठ बार के दिग्गज कांग्रेसी विधायक हैं. आजाद ने सुबह नाश्ते पर हुई एक बैठक में पार्टी के स्थानीय नेताओं राज्य के प्रभारी के. सी. वेणुगोपाल, कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया, उप-मुख्यमंत्री जी. परमेश्वरा, राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा सदस्य बी. के. हरिप्रसाद के साथ संकट पर चर्चा की.

बाद में आजाद ने पत्रकारों से बातचीत में उन राज्यों के राज्यपालों पर आरोप लगाए कि जहां हाल तक कांग्रेस सत्ता में रही है, वहां के राज्यपालों ने भजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर काम करते हुए लोकतंत्र को नष्ट किया. उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्यों में राज्यपाल जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे लोग आंदोलित हैं. इस देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है. एक के बाद एक राज्य में विपक्षी सरकारें गिराई जा रही हैं और राजग सरकार उनका (राज्यपाल) उपयोग बोली लगाने में कर रही है.

इस दौरान आजाद ने राज्यपालों और केंद्र सरकार के “अलोकतांत्रिक” तरीकों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की अपील भी की. उन्होंने यहां तक कहा कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला राज्य की गठबंधन सरकार को गिराने में भाजपा की मदद कर रहे हैं. 

लोकतन्त्र के महापर्व के 3सरे चरण की 117 सीटों पर मतदान आज

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को 15 राज्यों की 117 सीटों पर मतदान होगा. तीसरे चरण की 117 सीटों में से बीजेपी का लक्ष्य अपनी 62 सीटों को बचाने का होगा. पार्टी ने 2014 मे इन सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं विपक्षी दल बीजेपी से ये सीटें छीनना चाहेंगे. यह चरण बीजेपी और कांग्रेस के लिए काफी अहम है.  

नई दिल्ली: देश में सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को 15 राज्यों की 117 सीटों पर मतदान होगा. इस चरण के साथ गुजरात, केरल, गोवा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, असम, दादर नागर हवेली और दमन-दीव की सभी लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा हो जाएगा. तीसरे चरण की 117 सीटों में से बीजेपी का लक्ष्य अपनी 62 सीटों को बचाने का होगा जहां पार्टी ने 2014 मे जीत हासिल की थी. इसलिए यह चरण बीजेपी के लिए काफी अहम है.

तीसरे चरण में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों दलों के प्रमुख चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव में उतर हैं. वह गांधीनगर से पार्टी के प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस चरण में केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार हैं. पिछले चुनाव में इनमें से 16 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे, जबकि अन्य सीटें बीजद (6), माकपा (7), राकांपा (4), समाजवादी पार्टी (3), शिवसेना (2), राजद (2), एआईयूडीएफ (2), आईयूएमएल (2), लोजपा (1), पीडीपी (1), आरएसपी (1), केरल कांग्रेस-एम (1), भाकपा (1), स्वाभिमानी पक्ष (1), तृणमूल कांग्रेस (1) और निर्दलीय (3) की झोली में गई थीं.

गुजरात में बीजेपी की परीक्षा
इस बार बीजेपी की परीक्षा उसका गढ़ रहे गुजरात में होगी. प्रदेश की सभी 26 लोकसभा सीटों पर अज मतदान होगा. इसके अलावा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की परीक्षा होगी जहां पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में उसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था. बीजेपी ने इस चरण में मतदान वाली सीटों पर 2014 में गुजरात की सभी 26 सीटों, कर्नाटक की 14 में से 11 सीटों और उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में से आठ पर, छत्तीसगढ़ की सात में से छह सीटों पर, महाराष्ट्र की 14 में से छह सीटों पर, गोवा की दोनों सीटों पर और असम, बिहार, दादर नागर हवेली और दमन-दीव की एक-एक सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य होने के कारण बीजेपी इस बार भी गुजरात की सभी सीटों पर जीत हासिल करने की उम्मीद लगाए बैठी है. लेकिन, कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में बीजेपी को कड़ी चुनौती थी, इसलिए कांग्रेस भी 10 से 15 सीटों पर इस बार जीत की उम्मीद कर रही है. गुजरात के तीन युवा नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी ने विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की पकड़ मजबूत बनाने में मदद की थी, लेकिन इस बार वे चुनाव की दौड़ में शामिल नहीं हैं. पाटीदार नेता पटेल पिछले महीने कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन दंगा से संबंधित मामले में अभियुक्त होने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ पाए, जबकि ठाकोर ने इसी महीने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया. 

तय होगी यादव परिवार की किस्मत
समाजवादी पार्टी का गढ़ रहे मैनपुरी, बदायूं और संभल लोकसभा क्षेत्रों में मंगलवार को मतदान होने जा रहा है और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन होने के बाद इन क्षेत्रों में सपा की संभावना को मजबूती मिली है. यह भी एक राय है कि कांग्रेस भी बीजेपी का ही वोट काटेगी. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव फिरोजाबाद से अपने भतीजे व सपा उम्मीदवार अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं और वह सपा-बसपा गठबंधन के विरोध में लोगों को वोट करने कह रहे हैं. सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं.

कर्नाटक में बीजेपी को मिल रही कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से कड़ी चुनौती
कर्नाटक में मंगलवार को जिन 14 सीटों पर मतदान हो रहा है, वहां बीजेपी की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, लेकिन उसे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. उधर, बीजेपी को उत्तर प्रदेश में भी तीसरे चरण में यादव बहुल इलाके में कड़ी चुनौती मिल रही है. 

महाराष्ट्र में तीसरे चरण में बारामती, माधा, कोल्हापुर और सतारा समेत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गढ़ में मतदान हो रहा है. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले बारामती से चुनाव मैदान में हैं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने अपनी सभी मौजूदा सांसदों को बदल दिया है. पार्टी को प्रदेश में 15 साल बाद पिछले साल सत्ता में वापस आई कांग्रेस से चुनौती मिल रही है. 

मधेपुरा में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष
बिहार में इस चरण में जिन क्षेत्रों में चुनाव हो रहा है उनमें से बीजेपी को 2014 में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी और पार्टी इस बार भी इनमें से एक ही सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) तीन सीटों पर और लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, महागठबंधन में शामिल आरजेडी तीन सीटों पर जबकि कांग्रेस और विकासशील इन्सान पार्टी (वीआईपी) एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही हैं. मुख्य मुकाबला मधेपुरा में है जहां वर्तमान सांसद पप्पू यादव (पिछली बार राजद के टिकट पर) इस बार अपने ही दल जन अधिकार पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं और उनके खिलाफ आरजेडी उम्मीदवार शरद यादव चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एनडीए में शामिल जेडीयू के टिकट पर दिनेश चंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं. मधेपुरा में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष है. 

क्या पुरी में खिलेगा कमल
ओडिशा के पुरी लोकसभा क्षेत्र में भी त्रिकोणीय संघर्ष है जहां तीन प्रमुख दलों के प्रवक्ताओं के बीच लड़ाई है. वर्तमान सांसद और बीजू जनता दल (बीजद) प्रवक्ता पिनाकी मिश्र का मुकाबला बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा से है, जबकि कांग्रेस के मीडिया सेल अध्यक्ष सत्यप्रकाश नायक भी चुनावी मैदान में हैं. असम में चार लोकसभा क्षेत्रों में मंगलवार को मतदान होगा जहां कांग्रेस और ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर बीजेपी के विरोध का लाभ मिलने की उम्मीद है.

केरल में राहुल गांधी वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. प्रदेश की 20 लोकसभा सीटों में से आठ पर पार्टी ने 2014 में जीत दर्ज की थी और उसके सहयोगियों ने भी कुछ सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी भी केरल में चार सीटों पर जीत की उम्मीद लगा रही है. पश्चिम बंगाल में बहुकोणीय संघर्ष है जहां तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस अपने-अपने दावे ठोंक रहे हैं.

अलपेश ठकोर ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा

पाटन जिले में राधानपुर से विधायक, मोदी के कट्टर विरोधी होने के चलते कांग्रेस के प्रिय अलपेश ठकोर ने आज अपनी मांगें न मानी जाने के कारण कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया

अहमदाबाद:

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण से पहले कांग्रेस को एक और झटका लगा है. अल्पेश ठाकोर ने इस्तीफा दे दिया है. बताया जाता है कि वह पाटन लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने उनके बजाय पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर को तवज्जो दी. पार्टी ने साबरकांठा लोकसभा सीट से संगठन के एक सदस्य को टिकट देने की ठाकोर सेना की मांग को भी नजरअंदाज कर दिया. गुजरात क्षत्रीय ठाकोर सेना ने उनके कांग्रेस छोड़ने को कहा था. 

गुजरात क्षत्रीय ठाकोर सेना ने दिया था अल्टीमेटम
अल्पेश ठाकोर द्वारा गठित एक संगठन गुजरात क्षत्रीय ठाकोर सेना ने विधायक से पार्टी से इस्तीफा देने और 24 घंटे के भीतर अपना रूख स्पष्ट करने को कहा था. ठाकोर स्थानीय पार्टी नेतृत्व से नाखुश थे. मंगलवार देर रात तक ठाकोर सेना की कोर समिति की बैठक हुई जिसमें ठाकोर सेना ने कांग्रेस से नाता तोड़ने का प्रस्ताव पारित किया. इतना ही नहीं कोर कमेटी ने अल्टीमेटम देते हुए कहा था अगर अल्पेश अभी भी कांग्रेस में रहना चाहते हैं तो उन्हें ठाकोर सेना छोड़नी होगी.” अल्पेश ने अपनी कोर कमेटी की सलाह पर कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है. 

गुजरात में एक प्रमुख ओबीसी नेता के रूप में उभरने के बाद वह 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए और पाटन जिले में राधानपुर सीट से चुनाव जीते थे. ओबीसी नेता ने दावा किया उनका समुदाय और समर्थक ‘ठगा’ हुआ और ‘उपेक्षित’ महसूस कर रहे हैं.

पररीकर पंचतत्व में विलीन

सादगी, कर्मठता, अनुशासन और सोमयता की प्रतिमूर्ति मनोहर गोपाल कृष्ण प्रभु पर्रीकर आज पाँच तत्व में विलीन हो गए। उनके ज्येष्ठ पुत्र ने उन्हे मुखाग्नि दी।

 गोवा के मुख्‍यमंत्री मनोहर पर्रिकर की अंतिम विदाई के वक्‍त भारी जन सैलाब उमड़ पड़ा. शाम 5 बजे से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई. शाम छह बजे उनका शव अंतिम संस्‍कार के लिए ग्रांउड पर लाया गया. यहां हर आम और खास उनके अंतिम दर्शन कर रहे हैं. बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने भी उनके पार्थि‍व देह के अंतिम दर्शन किए और पुष्‍पांजलि अर्प‍ित की.

13 दिसंबर, 1955 को गोवा के मापुसा में जन्मे पर्रिकर की शिक्षा लोयोला स्कूल, मडगांव में हुई और उसके बाद उन्‍होंने 1978 में स्नातक की उपाधि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्‍बई से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में प्राप्‍त की. राजनीति में आने से पहले पर्रिकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शामिल हुए. गौरतलब है कि गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को उनके निजी आवास पर निधन हो गया. वह 63 वर्ष के थे. चार बार के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर फरवरी 2018 से ही अग्नाशय संबंधी बीमारी से पीड़ित थे.

हम राज्यपाल से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया। 14 विधायकों के साथ हम राज्य की सबसे बड़ी पार्टी हैं, हमें सरकार बनाने का मौका दिया जाना चाहिए। हमने बता दिया है कि हम बहुमत साबित कर देंगे, गोवा सीएम के निधन का दुख हैः चंद्रकांत कवलेकर, कांग्रेस नेता

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Chandrakant Kavlekar, Congress: We met the Governor&staked claim to form government as we are the single largest party in the state. We have 14 MLAs and we should be given the chance to form the government. We have told that we will prove majority. Saddened by demise of Goa CM1531:40 PM – Mar 18, 201980 people are talking about this

सूरत के लोकल सेकुरिटी गार्ड अब कहलाते हैं “मैं भी चौकीदार”

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी माता सोनिया गांधी एजेएल मामले में 50000/= के मुचलके पर जमानत में बाहर हैं। राहुल गांधी के जीजा करोड़ों के हेरफेर के मामले की जांच झेल रहे हैं, और अब तो उनकी बहिन प्रियंका गांधी वाड्रा के भी जमीनी सौदों में लाभार्थी बताया जा रहा है यह परिवार जब प्रधान मंत्री पर “चौकीदार चोर है” की लांछन लगते हैं तो जन मानस में एक क्षोभ की लहर दौड़ जाती है और वह यह कहने पर मजबूर होते हैं,” मैं भी चौकीदार”।

सूरतः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए चौकीदार का नया नारा दे दिया है. प्रधानमंत्री के इस नए नारे को देश भर में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने हाथो हाथ लिया ही, दूसरी तरफ जनता भी पीएम मोदी के इस नारे से काफी उत्साहित नजर आ रही है. सूरत में मैं भी चौकीदार का टीशर्ट बनाया गया है, जिसे यहां के युवा हाथो हाथ खरीद रहे हैं और बड़े शान से पहन रहे हैं. यहां युवा इस टी-शर्ट के जरिए पीएम के प्रति अपना समर्थन दिखा रहे हैं. युवाओं के साथ ही इस टी-शर्ट को सिक्योरिटी गार्ड्स में खासा पसंद किया जा रहा है.

गुजरात के सूरत शहर जगह-जगह पर सिक्योरिटी गार्ड आज अपनी असली वर्दी छोड़कर टी-शर्ट पहने नज़र आ रहे हैं. सिक्योरिटी गार्ड अब टी-शर्ट पहनकर चौकीदार बन गए हैं. इन सेक्योरिटी गार्ड्स ने जो टी-शर्ट पहनी है, उसमें ‘मैं भी चौकीदार’ लिखा है. सूरत के चौकीदार इस टी-शर्ट को पहनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में उतर आए हैं क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों में ‘चौकीदार चोर’ बोलकर अप्रत्यक्ष रूप से पीएम पर हमला करते रहे हैं.

In support of PM Modi security guards of Surat wore 'Main Bhi Chowkidar' t-shirt

ऐसे में सूरत के ये चौकीदार भी पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन में उतर आए हैं और ‘मैं भी चौकीदार’ का स्लोगन लिख कर पीएम मोदी का समर्थन कर रहे हैं. इन सेक्योरिटी गार्ड्स का कहना है कि ‘राहुल गांधी ने चौकीदार को चोर बोलकर ना सिर्फ पीएम का बल्कि उनका भी अपमान किया है.’ वहीं जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मैं हूं चौकीदार’ का नारा दिया है उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है. सूरत में ना सिर्फ सिक्योरिटी गार्ड ‘मैं भी चौकीदार’ की वर्दी में नजर आए बल्कि खुद भाजपा विधायक भी ‘मैं भी चौकीदार’ की टी-शर्ट पहने नजर आए.

सूरत में मजूरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक हर्ष संघवी का कहना है कि देश भर के युवा महिलाओं और चौकीदारों ने पीएम का समर्थन किया है. कांग्रेस ने राजनैतिक फायदा लेने के लिए चौकीदार चोर का सहारा लिया था. बता दें 2014 के लोकसभा चुनाव में ‘चाय पर चर्चा’ काफी चर्चा में रहा था, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में चाय पर चर्चा की जगह ‘मैं भी चौकीदार’ ने ले ली है.

प्रमोद सावंत होंगे गोवा के अगले मुख्यमंत्री

पणजी: गोवा में मुख्‍यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद उपजे सियासी हालात के बीच सूत्रों के मुताबिक वरिष्‍ठ बीजेपी नेता और विधानसभा के स्‍पीकर प्रमोद सावंत राज्‍य के नए मुख्‍यमंत्री बन सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और सहयोगी दलों की रातभर चली बातचीत के बाद प्रमोद सावंत सबसे प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं. पर्रिकर (63) का पणजी के पास उनके निजी आवास पर रविवार शाम निधन हो गया. वह पिछले एक साल से अग्नाशय संबंधी कैंसर से जूझ रहे थे.

एमजीपी ने फंसाया पेंच
इस बीच इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि राज्‍य के सबसे पुराने क्षेत्रीय दल एमजीपी की वजह से बीजेपी और सहयोगी दलों के बीच अभी एक राय नहीं बन सकी है. इस संबंध में भाजपा विधायक माइकल लोबो ने बताया कि देर रात पहुंचे केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी राज्य में भगवा पार्टी और गठबंधन सहयोगी दलों के बीच कोई आम सहमति हासिल नहीं कर सके.

लोबो के मुताबिक तीन विधायकों वाली महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के विधायक सुदीन धवलीकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. इस कारण अभी पूरी तरह से स्थिति साफ नहीं हो पाई है. लोबो ने रातभर चली बैठक के बाद एक होटल के पत्रकारों से कहा, ‘‘सुदीन धवलीकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं जबकि भाजपा चाहती है कि गठबंधन का नेता उसके खेमे का होना चाहिए. हम किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच पाए.’’

इससे पहले गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा था कि पार्टियां अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं. पर्रिकर के निधन के बाद 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में सदस्यों की संख्या 36 रह गई है। भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा का गत महीने निधन हो गया था जबकि दो कांग्रेस विधायकों ने पिछले साल इस्तीफा दे दिया था.

पर्रिकर आज होंगे पंचतत्व में विलीन, राष्ट्रिय शोक घोषित, भाजपा के सभी कार्यक्र्म रद्द

पणजी: गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का अंतिम संस्कार सोमवार शाम यहां मिरामर में किया जाएगा. बीजेपी के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. चार बार के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर (63) फरवरी 2018 से ही अग्नाशय संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे. पिछले एक साल से बीमार चल रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता का स्वास्थ्य दो दिन पहले बहुत बिगड़ गया था. 

सूत्रों ने बताया कि पूर्व रक्षा मंत्री पर्रिकर शनिवार देर रात से ही जीवनरक्षक प्रणाली पर थे. राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री का निधन रविवार शाम छह बजकर चालीस मिनट पर हुआ.

बीजेपी मुख्यालय में रखा जाएगा पर्रिकर का पार्थिव शरीर
प्रवक्ता ने बताया कि पर्रिकर का पार्थिव शरीर सोमवार को सुबह साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक बीजेपी मुख्यालय में रखा जाएगा. उसके बाद पार्थिव शरीर को कला अकादमी ले जाया जाएगा.

उन्होंने बताया कि लोग सुबह 11 बजे से लेकर शाम चार बजे तक कला अकादमी में पर्रिकर के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे.  पर्रिकर की अंतिम यात्रा शाम चार बजे शुरू होगी. उनकी अंतिम संस्कार शाम करीब पांच बजे मिरामर में किया जाएगा.

केंद्र सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की
केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी, केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य की राजधानियों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.

सोमवार को सुबह 10 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल की विशेष बैठक होगी. पर्रिकर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.

पर्रिकर की छवि सरल और सामान्य व्यक्ति की रही
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर शुरुआत कर गोवा के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री बनने वाले पर्रिकर की छवि हमेशा ही बहुत सरल और सामान्य व्यक्ति की रही.

वह सर्वस्वीकार्य नेता थे. ना सिर्फ भाजपा बल्कि दूसरे दलों के लोग भी उनका मान-सम्मान करते थे. उन्होंने गोवा में भाजपा को मजबूत आधार प्रदान किया. लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ रहने वाले गोवा में क्षेत्रीय संगठनों की पकड़ के बावजूद भाजपा उनके कारण मजबूत हुई.

आरएसएस प्रचारक के रूप में करियर शूरू किया 
मध्यमवर्गिय परिवार में 13 दिसंबर, 1955 में जन्मे पर्रिकर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में करियर शुरू किया. यहां तक कि आईआईटी बंबई से स्नातक करने के बाद भी वह संघ से जुड़े रहे.

सक्रिय राजनीति में पर्रिकर का पदार्पण 1994 में पणजी सीट से भाजपा टिकट पर चुनाव जीतने के साथ हुआ. वह 2014 से 2017 तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट में रक्षा मंत्री रहे.

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने जताया शोक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया है, ‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की सूचना पाकर शोकाकुल हूं.’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में वह ईमानदारी और समर्पण की मिसाल हैं. गोवा और भारत की जनता के लिए उनके काम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

पर्रिकर के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया है, ‘श्री मनोहर पर्रिकर बेमिसाल नेता थे. एक सच्चे देशभक्त और असाधारण प्रशासक थे, सभी उनका सम्मान करते थे. देश के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा पीढ़ियों तक याद रखी जाएगी. उनके निधन से बहुत दुखी हूं. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं. शांति.’  

पर्रिकर के वह बयान जिनसे मची सियासी हलचल

नई दिल्ली: गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार 17 मार्च 2019 को निधन हो गया. मनोहर पर्रिकर की छवि एक ईमानदार, सादगीपसंद और समर्पित नेता के रूप में रही थी. पर्रिकर ने गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर चार बार अपनी सेवाएं दीं. साथ ही पर्रिकर नवंबर 2014 से 13 मार्च 2017 तक केंद्र की मोदी सरकार में रक्षामंत्री रहे थे. शायद ही कोई नेता हो जिसके नाम से कोई विवाद न जुड़ा हो. ऐसे ही कुछ बयान मनोहर पर्रिकर ने भी दिए थे. आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ ऐसे ही बयान…

असहिष्णुता पर कहा- ‘देश के खिलाफ बोलने वालों को सिखाएं सबक’
2015 में देशभर में असहिष्णुता को लेकर लंबी बहस छिड़ गई थी. इस दौरान कई वैज्ञानिकों, लेखकों और फिल्म निर्माताओं ने असहिष्णुता के माहौल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए थे. इस बीच अभिनेता आमिर खान ने भी असहिष्णुता के मुद्दे पर अपनी पत्नी किरण राव के साथ बातचीत का हवाला देकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि लगातार हो रही घटनाओं से वह चिंतित है और किरण ने सुझाव दिया कि उन्हें संभवत: देश छोड़ देना चाहिए.

इस बयान के सामने आने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने बिना आमिर का नाम लिए कहा था कि ‘एक अभिनेता ने कहा है कि उनकी पत्नी भारत से बाहर जाना चाहती है. यह घमंड से भरा बयान है. ऐसे लोग, जो लोग देश के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें इस देश के लोगों द्वारा पाठ पढ़ाए जाने की जरूरत है. 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता आडवाणी को कहा था- ‘सड़ा हुआ अचार’
वर्ष 2009 में लालकृष्‍ण आडवाणी के नेतृत्‍व में लड़े गए लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मनोहर पर्रिकर ने आडवाणी को सड़ा हुआ अचार कहा था. कहा जाता है कि जिस समय नितिन गडकरी बीजेपी अध्यक्ष बने थे, उस समय पर्रिकर के नाम पर भी चर्चा की जा रही थी. कहा जाता है कि बीजेपी अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल पर्रिकर के आडवाणी को लेकर दिए गए बयान ने ही उन्हें इस दौड़ से बाहर कर दिया था. बता दें कि पर्रिकर काफी पहले से ही पीएम नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में लाने की पैरवी करते रहे हैं. 

सर्जिकल स्ट्राइक को बताया था संघ की शिक्षा
सितंबर, 2016 में उरी आतंकी हमले का जवाब देते हुए भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. भारतीय सेना के इस ऑपरेशन में 50 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया था. उस समय रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को जाता है. उन्होंने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे आरएसएस की शिक्षा है. उन्होंने यह भी कहा था कि अहमदाबाद में तो कम से कम कोई नहीं पूछेगा कि इस सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत दो. 

ईमानदार, कर्मठ, निर्भय – निर्भीक और कर्तव्य निष्ठ : मनोहर पर्रीकर

नई दिल्ली: एक साल से ज्‍यादा समय से कैंसर से जूझ रहे गोवा के मुख्‍यमंत्री मनोहर पर्रिकर का लंबी बीमारी के बाद रविवार 17 मार्च 2019 को निधन हो गया. राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. इससे कुछ समय पहले ही सीएमओ ऑफि‍स ने ट्वीट कर बताया था कि उनकी हालत गंभीर थी. डॉक्‍टर अपनी ओर से इलाज की पूरी कोशिश कर रहे थे. उनके निधन की खबर सुनते ही उनके घर के बाहर लोगों का हुजूम लग गया है. 

सादगी और समर्पण की मिसाल थे पर्रिकर
मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते थे. सोशल मीडिया और तकनीकी के नए दौर में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ‘आम आदमी’ की तरह लोगों के बीच खूब सुर्खियां बटोरी थीं. लेकिन, अगर वास्तव में सादगी की कोई मिसाल है तो वह थे गोवा के सीएम और पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर. दरअसल, हम ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि मनोहर पर्रिकर ने गोवा का सीएम रहते हुए कई साल तक मुख्यमंत्री आवास का इस्तेमाल नहीं किया. वह खुद के घर में ही रहते थे. पर्रिकर की छवि लोगों के बीच एक ईमानदार नेता के रूप में आज भी बनी हुई है. वह वर्ष 2000 में गोवा के सीएम बने थे.

बिना सुरक्षा के आम लोगों की तरह का जीवन
मनोहर पर्रिकर जैसे साधारण व्यक्ति के असाधारण व्यक्तित्व का हर कोई कायल था. गोवा के मुख्यमंत्री रहते हुए पर्रिकर कई बार विधानसभा जाते समय सरकारी गाड़ी को छोड़कर स्कूटर का इस्तेमाल करते थे. इसके साथ ही वह बिना सुरक्षा के किसी भी टी स्टॉल पर खड़े होकर चाय पीते भी नजर आ जाते थे. पर्रिकर की यह आदतें गोवा के लोगों के लिए एक आम बात थी. वहीं, सीएम और रक्षा मंत्री रहते हुए उनकी छवि एक बेदाग नेता की रही. पर्रिकर की इसी बेदाग छवि के कारण ही पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें रक्षा मंत्री बनाया था. पर्रिकर नवंबर 2014 से 13 मार्च 2017 तक केंद्रीय रक्षामंत्री रहे थे. 

बेटे की शादी में भी साधारण कपड़ों में आए नजर
मनोहर पर्रिकर अपनी साधारण वेशभूषा के लिए भी जाने जाते थे. पर्रिकर आमतौर पर शर्ट-पैंट में नजर आते थे. जब तक किसी बड़ी ऑफिशियल मीटिंग में न जाना हो वह साधारण कपड़े पहनना ही पसंद करते थे. अपने बेटे की शादी में में पर्रिकर हाफ शर्ट, साधारण पैंट और सैंडिल पहने लोगों की आवभगत कर रहे थे. वहीं, मनोहर पर्रिकर को सोलह से अठारह घंटे काम करने की आदत थी. 

गोवा के पूर्व पर्यटन मंत्री सलदन्हा की मौत पर फूट-फूटकर रोए थे पर्रिकर
बेहद अनुशासित और सख्त प्रशासक माने जाने वाले मनोहर पर्रिकर को मार्च 2012 में पर्यटन मंत्री मातनही सलदन्हा के निधन पर फूट-फूट कर रोते देखा गया था. साल 2005 में जब उनपर कुछ विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा, तब सलदन्हा ही उनके साथ खड़े रहे थे.

इकॉनमी क्लास में ही करते थे सफर
पर्रिकर विमान में हमेशा ही इकॉनमी क्लास में यात्रा करते थे. उन्हें आम लोगों की तरह अपना सामान लिए यात्रियों की लाइन में खड़े देखा जा सकता था. वह मोबाइल और टेलीफोन के बिल का भुगतान अपनी जेब से करते थे. उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेझिझक इस्तेमाल करते देखा जाता था. पर्रिकर को नजदीक से जानने वाले लोग उनकी इन आदतों को बहुत अच्छी तरह से समझते थे.

मनोहर पर्रिकर नहीं रहे

नई दिल्ली: गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को अपने निजी आवास में निधन हो गया. वह 63 वर्ष के थे. मनोहर पर्रिकर के परिवार में दो पुत्र और उनका परिवार है. राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री का निधन रविवार शाम छह बजकर चालीस मिनट पर हुआ. पिछले एक साल से बीमार चल रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता का स्वास्थ्य दो दिन पहले बहुत बिगड़ गया था.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया है, ‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की सूचना पाकर शोकाकुल हूं.’ उन्होंने कहा कि पर्रिकर बेहद साहस और सम्मान के साथ अपनी बीमारी से लड़े. उन्होंने लिखा है कि सार्वजनिक जीवन में वह ईमानदारी और समर्पण के मिसाल हैं और गोवा और भारत की जनता के लिए उनके काम को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

Extremely sorry to hear of the passing of Shri Manohar Parrikar, Chief Minister of Goa, after an illness borne with fortitude and dignity. An epitome of integrity and dedication in public life, his service to the people of Goa and of India will not be forgotten #PresidentKovind20.3K7:59 PM – Mar 17, 2019Twitter Ads info and privacy12.1K people are talking about this

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि मनोहर पर्रिकर का जाना बहुत पीड़ादायक है. देश ने आज एक सच्चा देशभक्त खो दिया जिसने निस्वार्थ भाव से अपना जीवन देश और विचारधारा को समर्पित कर दिया. पर्रिकर जी की अपने लोगों और कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता अनुकरणीय थी.

Manohar Parrikar ji’s demise is extremely painful. In him, the nation has lost a true patriot who selflessely dedicated his entire life to the country and ideology. Parrikar ji’s commitment towards his people and duties was exemplary.8,1188:25 PM – Mar 17, 2019Twitter Ads info and privacy2,692 people are talking about this

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्विटर पर लिखा, नि:शब्द हूं. सुशील और सादगीपूर्ण राजनीति का चेहरा आज खो गया. मनोहर भाई सही मायने में हर कार्यकर्ता के हृदय पर राज करने वाले नेता थे.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा,’राजनीति में शुरुआती दिनों से वे मेरे साथी और अच्छे मित्र थे. गोवा के विकास के लिए लिए आख़िरी साँस तक संघर्ष करने वाले भारत माँ के इस महान सपूत को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि.ॐ’

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के निधन का समाचार सुनकर स्तब्ध हूं. आज मां भारती ने अपना एक सच्चा सपूत खो दिया है. ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, गोआ के सीएम मनोहर पर्रिकर के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ है. पिछले एक साल से उन्होंने एक तकलीफदेह बीमारी से बहादुरी के साथ मुकाबला किया. उनका सम्मान सभी पार्टियों में था. गोआ ने अपना प्रिय बेटा खो दिया.