आआपा 3 राज्य की 460 सीटों पर लड़े सिर्फ 2 जीते अब 2024 में मोदी से लड़ने का ख्वाब देखने वाली

पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत का प्रमुख कारण उसके व पंजाब की तरह ही अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी ने अपना फ्री मॉडल जनता के सामने रखा था। लेकिन, पंजाब के अलावा किसी और राज्य में उसका प्रदर्शन रहा ही नहीं है। लेकिन, इससे यह भी पता चलता है कि पंजाब में आप की विशाल जीत केवल वादों पर ही आधारित नहीं है। दरअसल, चुनाव से ठीक पहले पंजाब में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी और चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बना दिया था। दे ही नहीं हैं। इसके लिए प्रदेश की राजनीतिक स्थिति ने भी अहम भूमिका निभाई है। केजरीवाल पंजाब के बारे में यह कह रहे हैं कि वहाँ इनकी पुरानी पहचान है तो उत्तर प्रदेश से केजरीवाल खुद ही मोदी के खिलाफ चुनावों में अपनी पहचान भी बना नहीं पाये थे। वही हाल इस बार भी आआपा का 4 राज्यों में रहा है।

चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 92 सीट जीत कर इतिहास रच दिया। आप की आंधी ने बड़े-बड़े दिग्गज धराशाही कर दिए। आम आदमी पार्टी का झाडू़ ऐसा चला कि सूबे की 117 सीटों में से 92 पर पार्टी का परचम लहरा गया। पंजाब के इतिहास में अब तक की ये सबसे बड़ी जीत है। 3 राज्य, 460 सीटों पर लड़े, 2 जीते, 2024 में मोदी से लड़ने का ख्वाब देखने वाली आआपा का परफॉर्मेंस यह भी है। यहाँ आआपा के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रैली की थी। पार्टी को कुल 0.38 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो कि नोटा (0.69) से भी कम है। कानपुर में 10 में से 7 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। आआपा भाजपा से जीतने कि बात कर रही है जबकि सच यह है कि पंजाब में भाजपा कभी भी सत्तारूढ़ नहीं थी अपितु सत्ताधारियों का एक सहयोगी ही रही।

जब आम आदमी पार्टी के बीजेपी के खिलाफ उतरने की बात हो रही है तो आइए एक नजर डालते हैं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में उनकी क्या स्थिति रही। सबसे पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश की। प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर के आगे इस बार भी विरोधियों और विपक्ष की एक नहीं चली। इसी के चलते भाजपा एक बार फिर अकेले अपने दम पर 403 में से 255 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। वहीं, पंजाब में करामात करने वाली आम आदमी पार्टी का यूपी में खाता भी नहीं खुला।

AAP ने यूपी चुनाव में 350 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। खलीलाबाद सीट पर पूर्व सांसद भालचंद्र यादव के बेटे सुबोध यादव से पार्टी को काफी उम्मीदें थी लेकिन वह पाँचवें नंबर पर खिसक गए। यहाँ AAP के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रैली की थी। पार्टी को कुल 0.38 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो कि नोटा (0.69) से भी कम है। कानपुर में 10 में से 7 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

वहीं उत्तराखंड की बात करें तो यहाँ आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे कर्नल अजय कोठियाल अपनी सीट भी नहीं बचा सके। वह उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए। उनकी जमानत जब्त हो गई। उत्तराखंड में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन वो वहाँ पर कुल 3.31 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी।

गोवा में पहली बार आम आदमी पार्टी के दो प्रत्‍याश‍ियों ने जीत तो दर्ज की है। लेकिन उनके सीएम उम्‍मीदवार अमित पालेकर अपनी सीट हार गए हैं। वहाँ उन्हें 6.77 प्रतिशत वोट मिले हैं। AAP ने सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।

उत्तर भारत में कॉंग्रेस की शर्मनाक हार के बाद ‘G23’ एक्टिव, आज़ाद के घर हुई बैठक

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस के भीतर अंसतोष बढ़ सकता है। नतीजों के ठीक एक दिन बाद पार्टी के जी 23 समूह के कई नेता राजधानी दिल्ली में बैठक कर रहे हैं जिसमें वे आगे की रणनीति तय कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के आवास पर हो रही इस बैठक में कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और कुछ अन्य नेता शामिल हैं।

नयी दिल्ली(ब्यूरो) : डेमोक्रेटिक फ्रंट :

पांच राज्यों में कांग्रेस ने एक बार फिर शर्मनाक हार का सामना किया है। पंजाब में जहां कांग्रेस की सरकार थी, वहां से भी जनता ने पार्टी को नकार दिया है। खबर है कि कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी का असंतुष्ट खेमा यानि जी-23 ग्रुप फिर एक्टिव हो गया है। जिसमें वे आगे की रणनीति तय कर सकते हैं।

पंजाब में आप की आँधी और यूपी में पीएम मोदी और सीएम योगी की जोड़ी का ऐसा जलवा दिखा कि विपक्षी पानी माँगते दिखे। इन राज्यों में कॉन्ग्रेस की शर्मनाक हार के बाद पार्टी का असंतुष्ट खेमा G-23 एक्टिव हो गया है। इस ग्रुप के नेताओं ने शुक्रवार (11 मार्च 2022) को गुलाम नबी आजाद के घर पर मीटिंग की।

बैठक में कॉन्ग्रेस की आपातकालीन बैठक बुलाकर पार्टी में नए अध्यक्ष के लिए चुनाव कराने की माँग की गई। इस दौरान कपिल सिब्बल से लेकर मनीष तिवारी तक शामिल रहे। इससे पहले ये असंतुष्ट नेता सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर पार्टी के स्थाई अध्यक्ष के चुनाव का सुझाव दे चुके हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि कॉन्ग्रेस को अपनी दुर्गति का आभास पहले से ही हो गया था।

ऐसा इसलिए कि रिपोर्ट के मुताबिक, 10 मार्च को रिजल्ट आने से पहले ही इसके नतीजों को लेकर कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के घर पर एक बैठक हुई थी, जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, प्रियंका गाँधी वाड्रा और संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल शामिल रहे। इसमें पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर यह तय किया गया कि सितंबर 2022 तक पार्टी के नए अध्यक्ष का चयन किया जाएगा। इतनी बड़ी हार के बाद भी कॉन्ग्रेसी राहुल गाँधी का गुणगान करने में लगे हुए हैं।

एआईसीसी के जनरल सेक्रेट्री और गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा का कहना है कि पूरे देश में केवल राहुल गाँधी ही भाजपा का मुकाबला कर रहे हैं। वो कहते हैं कि केवल राहुल और प्रियंका ही जनता के मुद्दों पर बात करते हैं।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने ट्वीट किया, 50 साल के मेरे राजनीतिक करियर में मैंने कई उतार और चढ़ाव देखे हैं। विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखना दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि सिर्फ हम फासीवादी ताकतों से लड़ सकते हैं। हम जनता का विश्वास जल्द फिर से जीत लेंगे।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस की केवल 2 सीटें आई हैं औऱ उसका वोट शेयर केवल 2 प्रतिशत ही रहा। जबकि पंजाब में आप की आँधी के सामने कॉन्ग्रेस 11 सीटों पर सिमट गई। उसके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तक हार गए।

कांग्रेस, छोटी-छोटी पार्टियों को अपने पाले में लाने की कर रही कोशिश

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गोवा में विधायकों को एकजुट करने में देरी कर दी थी। जिसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हुआ था और वहां पर चुनाव बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस विपक्षी दल बनकर रह गई थी। ऐसे में इस बार कांग्रेस कोई गलती नहीं करना चाहती है। हालांकि पार्टी एग्जिट पोल के नतीजों को भी नकार रही है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो), नयी दिल्ली:

उत्तर प्रदेश समेत सभी पांचों राज्यों के चुनाव परिणाम 10 मार्च दिन गुरुवार को सामने आएंगे लेकिन इन राज्यों में हुए चुनाव के बाद एग्जिट पोल सामने आ चुके हैं। जिसको देखते हुए ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस ने नाराज नेताओं को एकजुट करने की कवायद शुरू कर दी है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों और रणनीतिकारों को पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर भेज रही है, जबकि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा खुद उत्तर प्रदेश का जिम्मा संभाले हुए हैं। 

आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गोवा में विधायकों को एकजुट करने में देरी कर दी थी। जिसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हुआ था और वहां पर चुनाव बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस विपक्षी दल बनकर रह गई थी। ऐसे में इस बार कांग्रेस कोई गलती नहीं करना चाहती है। हालांकि पार्टी एग्जिट पोल के नतीजों को भी नकार रही है।

गोवा में त्रिशंकु विधानसभा के पूर्वानुमान को देखते हुए महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) का समर्थन प्राप्त करने की कवायद में भाजपा और कांग्रेस जुट गई है। 2017 के चुनाव परिणाम में कांग्रेस को सर्वाधिक 17 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा को 13 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। ऐसे में भाजपा ने एमजीपी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।

पंजाब को लेकर सामने आए तमाम एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी अपने तमाम नेताओं को एकजुट करने में जुटी है। इतना ही नहीं पार्टी बागियों के भी संपर्क में है। आपको बता दें कि पार्टी आलाकमान ने अजय माकन को ऑब्जर्वर बनाते हुए पंजाब भेजा है। इसके अलावा पवन खेड़ा भी जल्दी पंजाब पहुंच सकते हैं। 

कांग्रेस ने उत्तराखंड में भी ऑब्जर्वर्स की टीम तैनात की है। दरअसल, कुछ एग्जिट पोल में बताया गया है कि उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी हो सकती है। लेकिन पार्टियों को 10 मार्च का इंतजार है, जब राज्यों के नतीजे सामने आएंगे। इन्हीं नतीजों को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने ऑब्जर्वर्स की टीम को तैनात कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्यसभा सांसद दीपक हूडा के साथ मिलकर यहां की स्थिति को संभालेंगे।

मणिपुर में सरकार बनाने की संभावनाओं को टटोलते हुए कांग्रेस ने छोटी पार्टियों के साथ संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं पार्टी ने तो एग्जिट पोल्स को भी नकार दिया है। कांग्रेस का मानना है कि उन्हें राज्य में 20 से 22 सीटें मिल सकती हैं। जिसको लेकर छोटे दलों को अपने पाले में लाने की कवायद तेज हो चुकी है। आपको बता दें कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा के चुनावों में ज्यादातर एग्जिट पोल में भाजपा को स्पष्ट बढ़त दी गई है और कांग्रेस को दूसरे स्थान पर रखा गया है।

प्रशांत किशोर की कंपनी के कारण भतीजे अभिषेक बनर्जी ने की CM ममता से बगावत

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव तो नहीं हैं लेकिन इस समय राज्य की सियासत में राजनैतिक पारा ऊपर चढ़ा हुआ है। सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी सुप्रीमों ममता बनर्जी का भतीजे और पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ तनाव बढ़ता जा रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कयास लगाए जा रहे हैं अभिषेक अपने पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं। बढ़ती दरार को देखते हुए सीएम ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर वरिष्ठ नेताओं की एक आपातकालीन बैठक बुलाई।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, कोलकतता(ब्यूरो) :

पश्चिम बंगाल में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले ही बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में मतभेद खुल कर सामने आ रहा है। स्थानीय निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर टीएमसी की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी में तनातनी बढ़ गई है। पार्टी के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं में आपसी मतभेद पैदा होने से अंतर्कलह भी बढ़ती जा रही है। एक बांग्ला टीवी चैनल को दिए गये इंटरव्यू में अभिषेक बनर्जी ने स्वीकार किया कि पार्टी के नेताओं द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की सूची और सोशल मीडिया पर अपलोड की गई उम्मीदवारों की सूची में लगभग 100 से लेकर 150 अंतर हैं, लेकिन इस समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। पार्टी इस पर काम कर रही है। वहीं, उन्होंने कहा कि 2000 से अधिक प्रत्याशी हैं, ऐसे में लोगों की आशाएं हैं और सभी भी आशा पूरी नहीं की जा सकती है।

जून 2021 से ही अभिषेक बनर्जी इस नीति के लिए बोलते रहे हैं, ऐसे में लोगों का मानना है कि उन्होंने अपनी बुआ के खिलाफ बगावत कर दी है। उन्हें TMC का ‘नेशनल जनरल सेक्रेटरी’ का पद दिया गया था। उन्होंने पार्टी के यूथ विंग के अध्यक्ष पद से ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि इसके लिए किसी और युवा व्यक्ति की ज़रूरत है। नवंबर 2021 में ममता बनर्जी ने 6 विधायकों को ‘कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (KMC)’ के लिए नॉमिनेट किया, तभी इस नीति में ढिलाई बरती गई थी।

इनमें से 4 पिछले बोर्ड के भी सदस्य थे। इसमें कोलकाता के मेयर रहे फिरहाद हकीम, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे करीबी नेताओं में से एक थे। जीत के बाद उन्हें फिर से कोलकाता का मेयर बनाया गया, जबकि वो राज्य सरकार में मंत्री पहले से ही थे। 4 बड़ी नगरपालिकाओं में चुनाव के मद्देनजर ममता बनर्जी की बैठक में उनके भतीजे अभिषेक भी मौजूद थे। फिरहाद हकीम का कहना है कि ‘वन मैन, वन पोस्ट’ वाली नीति पार्टी की नहीं है और इसे बढ़ावा नहीं दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के आधार पर कन्फ्यूजन पैदा किया जा रहा है, जो अपराध है। उन्होंने कहा कि जब ये नीति अपनाई गई थी, तभी स्पष्ट कर दिया गया था कि पार्टी की अध्यक्ष जब चाहे इसे बदल सकती हैं। उन्होंने कहा कि वो नई बैठक बुला कर नई नीति बनाएँगी। अभिषेक बनर्जी के कजंस आकाश बनर्जी, अग्निशा बनर्जी और अदिति गायेन सहित TMC यूथ विंग के कई नेताओं ने इससे जुड़े पोस्ट्स सोशल मीडिया पर शेयर किए थे। वीडियो में ममता बनर्जी को जून 2021 में इस नीति का ऐलान करते हुए दिखाया जा रहा है।

कुछ नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी का निर्णय अंतिम होगा, जबकि कुछ का कहना है कि उन्हें बताए बिना प्रशांत किशोर की कंपनी I-PAC ने ऐसा किया है। गोवा सहित अन्य राज्यों में प्रशांत किशोर ही TMC की रणनीति तैयार कर रहे हैं। जबकि अब I-PAC का कहना है कि वो TMC नेताओं के सोशल मीडिया पोस्ट्स को हैंडल नहीं करता है। कंपनी ने ऐसे दावों को झूठा और अफवाह बताते हुए कहा कि तृणमूल कॉन्ग्रेस की डिजिटल प्रॉपर्टीज का प्रबंधन वो नहीं करती है।

उधर गोवा पुलिस ने शुक्रवार की रात को प्रशांत किशोर की कंपनी ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमिटी’ के एक सदस्य को दबोचा। उसे नारकोटिक्स ड्रग्स के साथ एक ऐसे विला से पकड़ा गया, जिसे प्रशांत किशोर को लीज पर दिया गया था। 28 वर्षीय व्यक्ति को पोरवोरिम से गिरफ्तार किया गया। I-PAC ने वहाँ 8 विला किराए पर लिया है। NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। गोवा में 14 फरवरी, 2021 को चुनाव होने हैं।

टीएमसी और प्रशांत किशोर अलग हुए

दो दिन पहले, प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी को यह कहते हुए टेक्स्ट किया कि I-PAC पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय में TMC के साथ काम नहीं करना चाहता। इसके जवाब में बनर्जी ने लिखा, ‘थैंक यू’। आनंदबाजार पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में टीएमसी के नेता, कार्यकर्ता, अन्य लोगों के अलावा, राज्य के मंत्री सरकारी विभागों पर I-PAC के हस्तक्षेप से खुश नहीं थे।  मदन मित्रा ने कहा, “आधिकारिक तौर पर, हमें यह कहते हुए कोई परिपत्र नहीं मिला है कि I-PAC काम नहीं करेगा, लेकिन हमें बताया गया है कि पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी सभी चुनावों की देखरेख करेंगे। “ इस वक्त टीएमसी वर्तमान में चल रहे गोवा विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव पर अपना सारा ध्यान केंद्रित कर रही है।

डेमोरेटिक फ्रंट, कोलकतता(ब्यूरो) :

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अफवाहों के मुताबिक, टीएमसी ने प्रशांत किशोर की टीम आई-पीएसी के साथ अपना पांच साल का करार रद्द कर दिया है। अटकलों को लेकर टीएमसी नेता मदन मित्रा ने बताया कि ममता बनर्जी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को सूचित किया है कि टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी चुनावों की देखरेख करेंगे।

पश्चिम बंगाल निकाय चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार सूची को लेकर राज्य के कई जिलो में शनिवार को छिटपुट विरोध प्रदर्शन किए गए। राज्य की 108 नगरपालिकाओं के लिए उम्मीदवारों के चयन से असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। इन कार्यकर्ताओं ने विरोध में नारेबाजी की और टायर जलाए। सूची और विरोध प्रदर्शन को लेकर प्रशांत किशोर के संगठन I-PAC पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। वहीं सीधे ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर के बीच विवाद की बात सामने आई है।

कहा जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस आई-पैक के साथ अपने संबंधों को तोड़ने के लिए आगे बढ़ रही है। ममता बनर्जी ने खुद पश्चिम बंगाल में निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची को लेकर व्यापक विरोध के बीच यह मामला उठाया है।

दो दिन पहले, प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी को यह कहते हुए टेक्स्ट किया कि I-PAC पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय में TMC के साथ काम नहीं करना चाहता। इसके जवाब में बनर्जी ने लिखा, ‘थैंक यू’। आनंदबाजार पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल में टीएमसी के नेता, कार्यकर्ता, अन्य लोगों के अलावा, राज्य के मंत्री सरकारी विभागों पर I-PAC के हस्तक्षेप से खुश नहीं थे।

आपको बता दें कि विरोध के बीच राज्य के मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि यह पार्टी का ‘आंतरिक मामला’ है और सभी मतभेद जल्द सुलझा लिए जाएंगे। उत्तर चौबीस परगना के कमरहाटी में भारतीय राष्ट्रीय तृणमूल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने दिन के दौरान कई ऑटो और बसों को चलने से रोक दिया। कार्यकर्ताओं ने लोगों को भी उम्मीदवारों की सूची के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया।

पुरबा मेदिनीपुर जिले के एगरा नगर पालिका में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने राज्य मंत्री अखिल गिरी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। इसी तरह के विरोध प्रदर्शन राज्य के अन्य जिलों से भी किए गए। पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने शुक्रवार शाम को कहा था कि ‘‘एक कक्षा में सिर्फ एक ही लड़का प्रथम हो सकता है।’

आई-पैक ने सूची से झाड़ा पल्ला
पार्टी नेतृत्व के एक धड़े ने इस परेशानी के लिए तृणमूल कांग्रेस के चुनाव सलाहकार प्रशांत किशोर को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन प्रशांत के संगठन आई-पैक के सूत्रों ने कहा कि निकाय चुनाव के उम्मीदवारों के चयन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इस मुद्दे पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में विरोध का सामना करने वाले कमरहाटी विधायक मदन मित्रा ने कहा कि वह पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के समक्ष इस मामले को उठाएंगे।

बीजेपी ने लगाए आरोप
भाजपा ने आरोप लगाया कि तृणमूल की कोई विचारधारा नहीं है और उसके सदस्यों में एकता नहीं है। भगवा पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टी में, यह लूट की लड़ाई है। भाजपा के विपरीत तृणमूल कांग्रेस की कोई विचारधारा नहीं है।’ हाकिम ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा को परेशान होने की जरूरत नहीं है और उसे इस पर ध्यान देना चाहिए कि उसके खेमे में क्या चल रहा है।

पंजाब कांग्रेस और अकाली दल में रहे नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव-2022 का बिगुल बज चुका है| एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारी कर रही हैं तो वहीं दूजी ओर इन राजनीतिक पार्टियों के अंदर नेताओं के इधर से उधर जाने का सिलसिला भी खूब देखा जा रहा है| अबतक भिन्न-भिन्न पार्टियों के कई नेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जा चुके हैं| इधर, यह तस्वीर पंजाब में कुछ ज्यादा देखी जा रही है| पंजाब कांग्रेस और अकाली दल से संबंध रखने वाले कई छोटे-बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं| वहीं, एक बार फिर से मंगलवार को पंजाब कांग्रेस और अकाली दल में रहे नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है|

किन नेताओं ने ज्वाइन की बीजेपी…

बतादें कि, देश की राजधानी दिल्ली में स्थित पार्टी कार्यालय में पंजाब के कई नेताओं ने भाजपा को ज्वाइन किया| बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत सहित पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं का स्वागत किया| जिन नेताओं ने बीजेपी को ज्वाइन किया – उनमें पूर्व में कांग्रेस नेता और दो बार विधायक रहे अरविंद खन्ना, यूथ अकाली दल में रहे गुरदीप सिंह गोशा, अमृतसर में पूर्व पार्षद रहे धर्मवीर सरीन और एक अन्य नामी हस्ती कंवर सिंह टोहरा जैसे नाम शामिल हैं| इसके अलावा इनके साथ ही और कई लोगों ने भी बीजेपी की सदस्य्ता ली|

गजेंद्र शेखावत का बड़ा बयान…

इस दौरान गजेंद्र शेखावत ने कहा कि पंजाब में बीजेपी की अहमियत बढ़ रही है| लोग बीजेपी में आने को उत्साहित हो रहे हैं| गजेंद्र शेखावत ने पीएम मोदी की सुरक्षा चूक पर बात करते हुए कहा कि यह एक साजिश थी और यह एक काला अध्याय है| लेकिन बीजेपी या पीएम मोदी इससे पीछे नहीं हटने वाले| गजेंद्र शेखावत ने कहा कि कौन कहता है कि फिरोजपुर रैली में लोग नहीं आ रहे थे| गजेंद्र शेखावत ने कहा कि 1000 बसों का इंतजाम किया गया था, लोग पीएम मोदी को सुनने के लिए आतुर थे मगर कुछ साजिशों ने इसे सफल नहीं होने दिया| गजेंद्र शेखावत ने कहा कि पीएम मोदी के साथ जो हुआ उसे लेकर पंजाब, खासकर फिरोजपुर की जनता में गुसा है|

विधानसभा चुनाव 2022

चुनाव के दौरान कोरोना के खतरे को देखते हुए चुनाव आयोग और स्वास्थ्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने एक बैठक की थी। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई थी कि मतदाताओं और कर्मचारियों का पूर्ण टीकाकरण अनिवार्य किया जाए। इस बार चुनाव में सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। किसी भी तरीके से आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्रवाई की जाएगी। राज्यों की सीमाओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट – चंडीगढ़ :

इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। जिन राज्यों में चुनाव होंगे वो हैं- उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं और वर्तमान में भाजपा की नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार है। गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में भी बीजेपी की सरकार है। जबकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। इस बार इन चुनावों में आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस और बीजेपी को टक्कर दे सकती है।

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। बता दें कि 2022 में इन पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। उत्तर प्रदेश में 403, पंजाब में 117, उत्तराखंड में 70, मणिपुर में 60 और गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि ये चुनाव कोविड-19 से सुरक्षा को देखते हुए बड़ी तैयारी के साथ कराए जाएँगे। बूथों की संख्या बढ़ेगी। वहाँ मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध रहेंगे।

पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को एक ही चरण में सभी विधानसभा सीटों का मतदान निपटा लिया जाएगा। 10 मार्च को चुनाव परिणाम जारी किए जाएँगे। उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में चुनाव होंगे – फरवरी में 10, 14, 20, 23 और 27 को, जबकि मार्च में 3 और 7 को। मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को चुनाव कराए जाएँगे। रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कोई चुनाव प्रचार नहीं होगा। इस तरह 10 फरवरी, 2022 से चुनाव शुरू हो जाएगा।

सभी विधानसभाओं में एक ऐसा पोलिंग बूथ होगा, जो केवल महिलाओं के लिए होगा। ECI ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ-साथ सभी राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ भी बैठकें की हैं। जमीनी परिस्थिति को जानने-समझने के बाद चुनाव के तारीखों का ऐलान किया गया। इन 5 राज्यों में 24.9 लाख युवा ऐसे हैं, जो पहली बार वोट देंगे। कुल 18.34 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनमें 8.55 करोड़ महिलाएँ हैं। 80 की उम्र से ऊपर के बुजुर्गों, दिव्यांगों और कोरोना मरीजों के लिए पोस्टल बैलेट्स की सुविधा होगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा वोटर भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को ऑनलाइन नामांकन भरने की सुविधा भी दी जाएगी। चुनाव में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत के लिए ‘cVIGIL’ एप के जरिए लोग शिकायत कर सकते हैं। घोषणा की गई है कि शिकायत के 100 मिनट के भीतर ECI अधिकारी वहाँ पहुँच जाएँगे। तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। सभी पोलिंग बूथों पर EVM एवं VVPAT का इस्तेमाल होगा। सभी चुनाव अधिकारियों/कर्मचारियों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ के रूप में गिना जाएगा और उन्हें कोरोना की तीसरी (Precautionary) डोज दी जाएगी।

CEC सुशील चंद्रा ने इस दौरान “यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है” पंक्ति का भी इस्तेमाल किया। साथ ही 15 जनवरी, 2021 तक किसी भी राजनीतिक पार्टी को फिजिकल रैली की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बाद स्थिति की समीक्षा कर आगे के नियम बताए जाएँगे। कोई भी रोडशो, साइकिल-बाईक यात्रा या पदयात्रा और जुलूस भी अगले आदेश तक नहीं निकाले जा सकेंगे। 7 चरणों में सभी 5 राज्यों के चुनाव निपटा लिए जाएँगे।

कॉंग्रेस गोवा में 2022 के चुनावों के लिए गंभीर नहीं है : रोहण खूँद

प्रियंका वाड्रा का राजनैतिक तौर पर अपने को महत्वपूर्ण बताना एक असर ऐसा है की गांधी परिवार नुसान उठा सकता है। प्रियंका के कारण कॉंग्रेस पार्टी में भी दो भाग हो रहे हैं, वह चाहे पंजाब हो या रास्थान। गोवा कांग्रेस को आज कई त्‍यागपत्रों का सामना करना पड़ा है। इससे इस तटीय राज्‍य में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है क्‍योंकि राज्‍य की प्रमुख विपक्षी पार्टी, कांग्रेस की  महासचिव प्रियंका वादरा आज गठजोड़ के मामले में कई  बैठक करने वाली हैं। गोवा की पोरकोरिम विधानसभा सीट से कांग्रेस नेताओं ने एक ग्रप ने आज सुबह इस्‍तीफा दे दिया। निर्दलीय विधायक रोहन खुंटे द्वारा समर्थित इस ग्रुप ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी, वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर नहीं है।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

2022 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में गोवा भी शामिल है। गोवा में सियासी दलों द्वारा प्रचार प्रसार शुरू है। वहीं, कांग्रेस ने भी चुनावी शंखनाद कर दिया है, लेकिन इससे पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार को प्रियंका गांधी के दौरे से ठीक पहले  पोरवोरिम विधानसभा सीट के कई नेताओं ने इस्तीफे दे दिए हैं। नेताओं का कहना है कि कांग्रेस राज्य में चुनाव लड़ने को लेकर गंभीर नहीं है।  पूर्व जिला पंचायत सदस्य गुपेश नायत ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी राज्य में चुनाव को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। अब तक उसने अपनी कोई तैयारी भी शुरू नहीं की है।’

 कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा कुछ ही देर में गोवा की राजधानी पणजी पहुंचेंगी। प्रियंका वाड्रा अपने तय यात्रा के अनुसार, वह असोलन में शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित करेंगी और सभा को संबोधित करेंगी। इसके बाद प्रियंका वाड्रा  एक्वेम के कोस्टा मैदान में एक महिला सम्मेलन ‘प्रियदर्शनी’ को संबोधित भी करेंगी। इसके अलावा वह राज्य महिला कांग्रेस पदाधिकारियों और पदाधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगी।

पोरकोरिम के इस ग्रुप की अगुवाई करने वाले पूर्व जिला पंचालय मेंबर गणेश नाइक ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी आने वाले गोवा चुनाव को गंभीरता से लेती नजर नहीं आ रही। कुछ नेताओं के रुख के कारण ऐसा लग रहा कि उन्‍हें कुछ रुचि ही नहीं है। ‘ कांग्रेस को एक और झटका तब लगा जब दक्षिण गोवा के इसके सीनियर लीडर मोरेनो रेबेलो ने भी इस्‍तीफा दे दिया।  रेबलो के इस्‍तीफे वाले पत्र में दावा किया गया है कि वे कर्टोरियन सीट से मौजूदा एमएलए, अलेक्सियो रेगिनाल्‍डो को पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने के बावजूद, उम्‍मीदवार बनाने से खफा हैं।

गोवा में शिवसेना और कांग्रेस का गठबंधन

बता दें कि पिछले दिनों शिवसेना सांसद संजय राउत ने नई दिल्ली में प्रियंका के साथ एक घंटे की मुलाकात की थी और बाद में गोवा में पार्टियों के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन का संकेत दिया था। विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस से नेताओं का लगातार जाना पार्टी के लिए सही संकेत नहीं है। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो ने सितंबर में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। वहीं, पूर्व सीएम रवि नाइक ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले अक्तूहर राहुल गांधी अगले साल होने वाले चुनावों के प्रचार के लिए अक्टूबर में गोवा भी गए थे

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तन लेने के पश्चात दलित नहीं ले सकेंगे जातिगत आरक्षण का लाभ

हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है, हिन्द धर्म 4 वर्णों में बंटा हुआ है, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वेश्या एवं शूद्र। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात पीढ़ियों से वंचित शूद्र समाज को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण लाया गया। यह आरक्षण केवल (शूद्रों (दलितों) के लिए था। कालांतर में भारत में धर्म परिवर्तन का खुला खेल आरंभ हुआ। जहां शोषित वर्ग को लालच अथवा दारा धमका कर ईसाई या मुसलिम धर्म में दीक्षित किया गया। यह खेल आज भी जारी है। दलितों ने नाम बदले बिना धर्म परिवर्तन क्यी, जिससे वह स्वयं को समाज में नचा समझने लगे और साथ ही अपने जातिगत आरक्षण का लाभ भी लेते रहे। लंबे समय त यह मंथन होता रहा की जब ईसाई समाज अथवा मुसलिम समाज में जातिगत व्यवस्था नहीं है तो परिवर्तित मुसलमानों अथवा इसाइयों को जातिगत आरक्षण का लाभ कैसे? अब इन तमाम बहसों को विराम लग गया है जब एकेन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह ने सांसद में स्पष्ट आर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले दलितों को चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा वह आरक्षण से जुड़े अन्य लाभ भी नहीं ले पाएँगे। गुरुवार (11 फरवरी 2021) को राज्यसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी। 

हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले अनुसूचित जाति के लोग आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। साथ ही साथ, वह अन्य आरक्षण सम्बन्धी लाभ भी ले पाएँगे। भाजपा नेता जीवी एल नरसिम्हा राव के सवाल का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर जानकारी दी। 

आरक्षित क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की पात्रता पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “स्ट्रक्चर (शेड्यूल कास्ट) ऑर्डर के तीसरे पैराग्राफ के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म से अलग है, उसे अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा।” इन बातों के आधार पर क़ानून मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस्लाम या ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले दलितों के लिए आरक्षण की नीति कैसी रहेगी। 

क़ानून मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि संसदीय या लोकसभा चुनाव लड़ने वाले इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित होने वाले अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति को निषेध करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव मौजूद नहीं।    

BJP को हराना है तो विपक्ष को एकजुट होना होगा: राजदीप सरदेसाई

राजदीप सरदेसाई का आआपा/कॉंग्रेस प्रेम तो जग जाहिर है एक चुनाव में भाजपा के हारने पर राजदीप ने स्टुडियो में कैमरे के सामने नाच भी किया था। सोमवार को घोषित नतीजों में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत दर्ज की जबकि सात सीटों पर निर्दलीय विजयी रहे। कांग्रेस के खाते में चार, एमजीपी के हिस्से में तीन सीटें आईं जबकि राकांपा और आम आदमी पार्टी (आप) को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा. इस तटीय राज्य में यह पहला मौका है जब आप ने चुनावों में कोई सीट जीती है। भाजपा की जीत ने राजदीप को इतना आहत किया कि वह कॉंग्रेस/आआपा को समझाइश देने लगे। सनद रहे की एक समय राजदीप सरदेसाई गोवा से आआपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी रहे थे। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में ज्यादातर सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है। प्रदेश में विधानसभा की 40 सीटें हैं।

गोवा/नई दिल्ली:

बिहार और हैदराबाद में अपना लोहा मनवाने के बाद भाजपा ने गोवा के जिला पंचायत चुनावों में भी जीत की ताल ठोक दी है। गोवा में सत्ताधारी भाजपा ने जिला पंचायत चुनावों में 49 सीटों में से 32 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि कॉन्ग्रेस को यहाँ भी सिर्फ 4 सीटें मिलीं और आम आदमी पार्टी व एनसीपी के खाते में 1 सीट आई।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इस जीत के बाद राज्य की जनता का आभार व्यक्त किया और कहा, “लोगों ने हम पर विश्वास जताया।” वहीं राज्य के भाजपा अध्यक्ष सदानंद तनावड़े ने कई आंदोलनों की चर्चा करते हुए कहा कि जिन एनजीओ और राजनीतिक पार्टियों द्वारा ये प्रोटेस्ट शुरू किए गए, उनका मकसद सरकार को बदनाम करना था। ये नतीजे उन सभी के मुँह पर तमाचा हैं और भाजपा की सराहना का प्रमाण हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने भी इस जीत को किसान, मजदूर, व्यापारी, महिलाओं और युवाओं का पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम प्रमोद सावंत के नेतृत्व के प्रति विश्वास बताया।

गोवा के नतीजों पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी खुशी जाहिर की है। नड्डा ने कहा कि गोवा में बीजेपी की जीत किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं का बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार की नीतियों पर भरोसा दिखाती है।

भाजपा की ओर से आधिकारिक तौर पर भी इस जीत के लिए गोवा के लोगों को धन्यवाद दिया गया। संबित पात्रा ने तो नरेंद्र मोदी को गोवावासियों का शुभ चिंतक बताया।

वहीं गोवा में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष गिरिश चोड़ांकर ने कहा कि वो नतीजों पर गहन विश्वलेषण करेंगे। उन्होंने ये बात स्वीकार की कि उनकी पार्टी लोगों को विश्वास दिलाने में असमर्थ रही कि वह बदल रहे हैं। उन्हें (जनता को) पार्टी के (कॉन्ग्रेस) पुराने विधायकों को देख कर लगा कि यदि वह कॉन्ग्रेस को वोट देंगे तो वो भी भाजपा को जाएगा। हम जनता के मन में संदेह मिटाने में असफल हुए।

बता दें कि गोवा के जिला पंचायतों के लिए 12 दिसंबर को बैलट पेपर के जरिए मतदान हुआ था। राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने बताया था कि राज्य में 56.82 प्रतिशत (7.92 लाख योग्य मतदाताओं में से 4.50 लाख लोग) का मतदाता दर्ज किया गया था। 

गोवा जिला पंचायत चुनाव 2020 मार्च में भारत में कोरोनो वायरस महामारी की शुरुआत के बाद से राज्य में होने वाला पहला प्रमुख चुनाव था। इसे सभी कोरोना प्रोटोकॉल के बीच मतदान आयोजित किया गया था और SEC ने संक्रमित लोगों को भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति दी थी।

इस चुनाव के नतीजे आने के बाद मीडिया गिरोह के लोग भी इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। राजदीप सरदेसाई ने इसी क्रम में गोवा के नतीजों को आँकड़े के साथ पेश करते हुए बताया है कि जैसे रिजल्ट आए हैं, उस हिसाब से विपक्ष एकजुट होकर ही साल 2022 में भाजपा को हरा सकता है।