हिट ऐंड रन न करें राहुल, सामने आ कर बहस करें जयंत सिन्हा

 


सिन्हा ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि वह हिंदी या अंग्रेजी किसी भी माध्यम में झारखंड लिंचिंग मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं.


केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है. सिन्हा ने कहा कि राहुल ने व्यक्तिगत स्तर पर हमला बोला है और मेरी शिक्षा और मूल्यों पर सवाल खड़े किए हैं. इसलिए वह चुनौती देते हैं कि राहुल उनसे हिंदी या अंग्रेजी किसी भी माध्यम में झारखंड लिंचिंग मुद्दे पर बहस करें. लेकिन यह बहस सभ्यतापूर्वक होनी चाहिए.

सिन्हा ने यह भी कहा कि राहुल अपने सोशल मीडिया हैंडल के पीछे छिपकर शूट एंड स्कूट की राजनीति ना करें. लिंचिंग मामले पर सफाई देते हुए सिन्हा ने कहा, ’29 जून 2017 को हुई घटना बहुत भयानक और दर्दनाक थी और ऐसी घटनाओं की वह निंदा करते हैं. अपराध करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.’

सिन्हा ने कहा, ‘लोगों को लगता है कि अलीमुद्दीन हत्याकांड के दोषियों के लिए मेरे मन में सहानुभूति है और मैंने अपने घर में दोषियों का स्वागत किया लेकिन किसी भी तरह के अपराध को बढ़ावा देना मेरा मकसद नहीं है. लोगों को अगर ऐसा लग रहा है तो यह बहुत खेद का विषय है.’

लिंचिंग मामले के कोर्ट में होने का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं है. जिन लोगों को इस मामले में दिलचस्पी है, वह पहले कागजों और तथ्यों को पढ़ ले फिर अपनी राय बनाएं.

थरूर का बयान कांग्रेस की बेचैनी को दर्शाता है

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क्या ये माना जाए कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने बयान से कांग्रेस के भीतर की बेचैनी को खोलकर सबके सामने रख दिया है?


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिये कांग्रेस नेता शशि थरूर एक नई अपील और रिसर्च के साथ सामने आए हैं. थरूर ने कहा है कि, ‘अगर बीजेपी साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीतती है तो वो एक नया संविधान बनाएगी जिससे भारत ‘हिंदू पाकिस्तान’ बन जाएगा’. थरूर ये मानते हैं कि पाकिस्तान की ही तरह भारत में भी अल्पसंख्यकों के अधिकार खत्म हो जाएंगे.

एक तरफ शशि थरूर साल 2019 में बीजेपी की जीत को लेकर अल्पसंख्यकों को डरा रहे हैं तो दूसरी तरफ बुद्धिजीवी मुसलमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दूसरी सलाह दे रहे हैं. बुद्धिजीवी मुसलमानों ने राहुल को सलाह दी है कि वो मुसलमानों की बात न कर मुसलमानों की गरीबी और शिक्षा पर जोर दें. जाहिर तौर पर बुद्धजीवी भी नहीं चाहते कि साल 2019 का लोकसभा चुनाव हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़ा जाए. तभी वो कांग्रेस से गुजारिश कर रहे हैं कि कांग्रेस पुराने सिद्धांतों पर अमल करे.

क्या अपने कोर वोटर्स की ओर लौट रही है कांग्रेस?

दूसरी तरफ शशि थरूर का ये बयान साल 2019 के लोकसभा चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने के लिए काफी है. ऐसे में क्या ये माना जाए कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने बयान से कांग्रेस के भीतर की बेचैनी को खोलकर सबके सामने रख दिया है? क्या कांग्रेस एक बार फिर से अपने कोर मुस्लिम वोटर के भरोसे साल 2019 का चुनाव लड़ने का मन बना रही है? तभी राहुल गांधी भी बुद्धिजीवियों से मुलाकात में मुसलमानों को लेकर कांग्रेस की गलती मान रहे हैं?

हालांकि कांग्रेस ने शशि थरूर के बयान से किनारा कर लिया है. कांग्रेस ने थरूर के बयान को निजी बताया है. कांग्रेस में ये परंपरा है कि जिस बयान की वजह से विवाद होने पर पार्टी को बैकफुट पर जाना पड़े तो उस बयान से पल्ला झाड़ना ही ठीक है. इससे पहले भी कांग्रेस इसी तरह वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और मणिशंकर अय्यर के विवादास्पद बयानों से पल्ला झाड़ चुकी है.

लेकिन थरूर के बयानों की कमान से शब्दों का तीर तो निकल गया. बीजेपी अब इसे बड़ा सियासी मुद्दा जरूर बनाना चाहेगी. वैसे भी कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप लगा रही हैं. लेकिन अब थरूर का बयान ही आगामी लोकसभा चुनाव के लिये हिंदू-मुस्लिम वोटों की जंग की जमीन तैयार कर रहा है.

हालांकि कांग्रेस साल 2014 की हार से सबक ले चुकी है. साल 2014 में लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा पर आई एंटनी रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि कांग्रेस की मुस्लिम परस्त छवि ने उसे हिंदू विरोधी करार दिया जिसका खामियाजा उसे चुनाव में उठाना पड़ा. इसी रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने हिंदुत्व की छांव तले नई रणनीति बनाई थी.

राहुल गांधी ने गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में मंदिर परिक्रमा की तो उनके जनेऊ धारण का कांग्रेसी नेताओं ने प्रशस्तिगान भी किया था. वहीं यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी कहा था कि कांग्रेस कभी भी हिंदू विरोधी नहीं रही है बल्कि कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताकर दुष्प्रचारित किया गया.

राजनीति की विडंबना ही है कि एक वक्त हिंदू शब्द ही ‘सेकुलर’ सियासत के दौर में सांप्रदायिक हो गया था. लेकिन सियासी मजबूरी के चलते कांग्रेस को हिंदू वोटबैंक को मनाने के लिए ये सफाई देनी पड़ गई कि वो हिंदू विरोधी नहीं है. इस तरह से कांग्रेस ने अपनी छवि को सॉफ्ट हिंदुत्व में बदलने की कोशिश भी की.

बीजेपी इस मुद्दे को भुनाएगी

 

लेकिन अब शशि थरूर ने कांग्रेस के किये-कराए पर एक तरह से पानी फेर दिया. बीजेपी अब जनता के बीच ‘हिंदू पाकिस्तान’ के मुद्दे को जमकर भुनाएगी.  बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने बार-बार हिंदुस्तान को नीचा दिखाने की कोशिश की है और हमेशा ही हिंदुओं को अपमानित करने का काम किया है.

थरूर का ये बयान बीजेपी के लिए उसी तरह फायदेमंद साबित हो सकता है जैसे कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने बयान दिया था. मनमोहन सिंह ने दो बड़ी बातें कही थीं. उन्होंने अल्पसंख्यकों को साधने के लिए कहा था कि मोदी के पीएम बनने से देश में खून की नदियां बह जाएंगी. साथ ही उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है.

2014 की तर्ज पर ही चुनाव लड़ने की योजना

अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण और मुस्लिमों को डराने की राजनीति के पुराने फॉर्मूले ने कांग्रेस को साल 2014 में सत्ता का वनवास दिला दिया था. मोदी लहर के चलते धार्मिक भावनाओं पर विकास की उम्मीद भारी पड़ी थी. बीजेपी को पहली दफे समाज के हर वर्ग से भारी संख्या में वोट मिले और बीजेपी ने अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाई. बीजेपी की ऐतिहासिक जीत साबित करती है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनाने में मुस्लिम मतदाताओं ने भी अपनी पुरानी डरी हुई सोच को बदला. बिना किसी भय के पूर्ण विश्वास के साथ मोदी पर अपनी आस्था जताई. आज देश के 22 राज्यों में बीजेपी और उसके गठबंधन की सरकारें हैं. बीजेपी और आरएसएस का डर दिखा कर चुनाव जीतने वाली पार्टियां अपने ही गढ़ में वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.

2014 की तर्ज पर ही चुनाव लड़ने की योजना

ऐसे में बीजेपी के लेकर जहां विपक्ष ‘महागठबंधन’ के नाम पर एकजुट नहीं हो पा रहा है वहां शशि थरूर अल्पसंख्यकों को एक ही धारा में लाने की कोशिश कर रहे हैं. हिंदू पाकिस्तान को लेकर थरूर का बयान यूपीए शासनकाल में गृहमंत्री रहे पी चिदंबरम के ‘हिंदू आतंकवाद’ की यादें ताजा कर रहा है. चिदंबरम ने कहा था कि देश को हिंदू आतंकवाद से ज्यादा खतरा है. ऐसा लग रहा है कि जहां बीजेपी भी साल 2014 की तर्ज पर चुनाव लड़ना चाह रही है तो वहीं कांग्रेस भी साल 2014 की ही तर्ज पर चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है तभी वो किसी न किसी बहाने मुस्लिम मतदाताओं का मन टटोल रही है.

लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि कल तक मोदी सरकार की प्रशंसा कर कांग्रेस में विरोध का पात्र बनने वाले शशि थरूर अब मोदी सरकार के विरोध में क्यों उतर आए हैं? क्या इसकी बड़ी वजह ये है कि उन्हें सुनंदा पुष्कर मौत मामले में केंद्र से उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं मिल सकी? फिलहाल थरूर जमानत पर हैं लेकिन उनके विदेश जाने पर रोक है.

अल्पसंख्यकों को थरूर ने ‘हिन्दू पाकिस्तान’ का डर दिखाया


थरूर ने कहा, बीजेपी नए तरह का संविधान लिखेगी जिससे ऐसे राष्ट्र का निर्माण होगा जो पाकिस्तान की तरह होगा और जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कोई कद्र नहीं होगी


कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अगर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतती है तो देश में ऐसे हालात पैदा होंगे जिससे भारत ‘हिंदू’ पाकिस्तान बन जाएगा.

तिरुवनंतपुरम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए थरूर ने कहा, बीजेपी नए तरह का संविधान लिखेगी जिससे ऐसे राष्ट्र का निर्माण होगा जो पाकिस्तान की तरह होगा और जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कोई कद्र नहीं होगी.

थरूर ने कहा, ‘अगर वे (बीजेपी) लोकसभा चुनाव में दोबारा जीतते हैं, तो हम जिस लोकतांत्रिक संविधान को समझते हैं, उसका अस्तित्व नहीं रह जाएगा क्योंकि उनके पास वे सारे तत्व होंगे जो संविधान को तहस-नहस कर कोई नया संविधान लिखेंगे.’

थरूर ने आगे कहा, नया संविधान ऐसा होगा जो हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को मजबूत करेगा. यह संविधान अल्पसंख्यकों की समता को खत्म करेगा, हिंदू पाकिस्तान बनाएगा. अगर ऐसा होता है तो महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और स्वतंत्रता सेनानियों का वह भारत नहीं रह जाएगा जिसके लिए उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी थी.

थरूर के इस बयान पर बीजेपी ने करारा जवाब दिया. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि थरूर के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए.

पात्रा ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने अपने फायदे के लिए पाकिस्तान को जन्म दिया. पाकिस्तान आज टेररिस्तान है, जिसकी हिंदुस्तान से कतई तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने बार-बार हिंदुस्तान को नीचा दिखाने की कोशिश की है. साथ ही हमेशा हिंदुओं को गाली देने का काम किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए पात्रा ने कहा कि इससे पहले राहुल गांधी ने हिंदुओं को भगवा आतंकवादी कहा था. अब उनके नेता शशि थरूर ने हिंदुओं को गाली दी है. इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस के लिए माफी मांगनी चाहिए.

कूड़े पर भी राजनीति करती है भाजपा : योगेश्वर शर्मा

सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर से आईना दिखाया है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र का दुररुपयोग करते रहते हैं

 

पंचकूला,12 जुलाई। आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल् ली के उपराज्यपाल को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर से आईना दिखाया है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र का दुररुपयोग करते रहते हैं, और जो काम करने वाले हैं, उस ओर ध्यान नहीं देते।

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिल्ली के उपराज्यपाल को फटकार लगाये जाने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पार्टी के जिला पंचकूला के प्रधान योगेश्वर शर्मा ने कहा कि देश की माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फटकार लगाये जाने के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल को अपने पद पर बने रहने का काकेई अधिकार नहीं रह जाता,क्येांकि वह अपने संवैधानिक पद का इसतेमाल जनहित में न कर भाजपा आलाकमान को खुश करने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा गंभीर बात और क्या हो सकती है कि दिल्ली में  सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कारगर कदम नहीं उठाने पर सुप्रीम कोर्ट को ही दखलअंदाजी करनी पड़ रही है और आज इसी के संदर्भ में आज अदालत ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को फटकार लगाई।  उन्होंने कहा कि अदालत को यहां तक कहना पड़ा कि आप (एलजी) कहते हैं कि मेरे पास शक्ति है, मैं सुपरमैन हूं। लेकिन, एलजी दफ्तर कूड़े की समस्या को हल करने में गंभीरता नहीं दिखाता।  योगेश्वर शर्मा ने कहा कि दरअसल, सफाई व्यवस्था से जुड़ी एक अहम बैठक में बैजल शामिल नहीं हुए थे, जिसके बाद कोर्ट ने ये टिप्पणी की। उधर, एलजी दफ्तर ने अदालत में सिर्फ ये कहा कि दिल्ली में कूड़ा हटाने की जिम्मेदारी तीन नगर निगमों की है। उन्होंने कहा कि एलजी और उनका कार्यालय हमेशा अपनी सुविधा अनुसार ही बात करता है।

योगेश्वर शर्मा ने आगे कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि देश व कई प्रदेशों में सत्ता में चल रही भाजपा अपनी सत्ता की भूख के चलते कूड़े पर भी राजनीति कर रही है। यही वजह है कि अदालत को ही बार बार दिल्ली के मामलों में दखलअंदाजी करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा नेतृत्व आज तक पिछले विधानसभा चुनावों में दिल्ली में हुई अपनी बुरी हार को आज तक हजम नहीं कर पा रहा और इसी लिए दिल्ली के हर उएक काम में अड़ंगा लगाता रहता है। इसी लिए दिल्ली के उपराज्यपाल को वह अपने मोहरे की तरह से इस्तेमाल करता है। उन्होंने कहा कि भाजपा को आम आदमी की समस्याओं से कुछ लेना देना नहीं है, दिल्ली सरकार द्वारा कई तरतह के सुझाव दिए जाने के बावजूद भी इस समस्या का समाधान उपराज्यपाल नहीं कर पा रहे।

धारा 377 अब सर्वोच्च न्यायालय ही तय करे : केंद्र


सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने का यह मुद्दा कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं


समलैंगिकता (होमो सेक्सुएलिटी) अपराध है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई में आज यानी बुधवार को केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे अटार्नी सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिकता संबंधी धारा 377 की संवैधानिकता के मसले को हम कोर्ट के विवेक पर छोड़ते हैं.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, ‘जब आपने यह हमारे ऊपर छोड़ा है कि धारा 377 अपराध है या नहीं, इसका फैसला हम करें तो अब हम यह तय करेंगे.’

उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि दो व्यस्कों द्वारा सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध है या नहीं. समहति से बनाया गया अप्राकृतिक संबंध अपराध नहीं होना चाहिए. हम बहस सुनने के बाद इस पर फैसला देंगे.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील मेनका गुरुस्वामी ने लिखित में कहा, एलजीबीटी समुदाय भी कोर्ट, सरकार और देश से सुरक्षा हासिल करने का अधिकार रखता है. धारा 377 ऐसे लोगों के समान नागरिक अधिकारों का हनन है.

बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के 5 सदस्यों की संविधान पीठ मंगलवार से इस मामले में सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के दौरान कहा पीठ ने कहा कि वो केवल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर विचार करेगी जो समान लिंग के 2 वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंधों को अपराध घोषित करती है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जुलाई, 2009 के फैसले को बदलते हुए 2 वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए रिलेशनशिप को अपराध की श्रेणी में डाल दिया था.

नाज फाउंडेशन समेत कई लोगों द्वारा दायर याचिकाओं में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में कहा था कि ऐसे लोग जो अपनी मर्जी से जिंदगी जीना चाहते हैं, उन्हें कभी भी डर की स्थिति में नहीं रहना चाहिए. स्वभाव का कोई तय पैमाना नहीं है. उम्र के साथ नैतिकता बदलती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो वयस्कों के बीच समलैंगिकता को वैध करार दिया था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 149 वर्षीय कानून ने इसे अपराध बना दिया था, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था.

मोदी निर्मल सिंह की मुलाक़ात वादी मे क्या गुल खिलाएगी??


जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुप्त बैठक की, इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में बीजेपी जल्द ही सरकार का बना सकती है


जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सरकार बनाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रधानमंत्री ऑफिस के सूत्रों ने न्यूज 18 को जानकारी दी कि बुधवार शाम चार बजे जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुप्त बैठक की. इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में बीजेपी जल्द ही सरकार का गठन कर सकती है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक से पहले निर्मल सिंह ने जम्मू-कश्मीर के बीजेपी प्रभारी राम माधव के साथ एक लंबी मुलाकात की थी. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार खबरें आ रही हैं कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बागी विधायकों की मदद से सरकार बनाकर राज्य में हिन्दू मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना चाहती है.

हालांकि आधिकारिक रूप से कोई भी इस बात को नहीं मान रहा है, लेकिन बीजेपी और पीडीपी दोनों के सूत्रों कह रहे हैं कि अगस्त में अमरनाथ यात्रा की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है. बुधवार को हुई मोदी और निर्मल सिंह की बैठक भी इसी ओर इशारा कर रही है.

बता दें कि इस साल जून में बीजेपी ने खुद को महबूबा मुफ्ती की गठबंधन वाली सरकार से अलग कर लिया था. इसके बाद अन्य पार्टियों ने राज्यपाल शासन का समर्थन किया था. लेकिन शुरू से ही कयास लग रहे हैं कि बीजेपी अन्य पार्टियों के विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है.

महबूबा से नाराज हैं पीडीपी के विधायक

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह करने वाले पीडीपी विधायक आबिद अंसारी ने न्यूज 18 को बताया कि पीडीपी के बागी विधायक बीजेपी के समर्थन को लेकर गंभीरता से विचार करेंगे. महबूबा मुफ्ती पर हमला बोलते हुए अंसारी ने कहा था कि या तो पार्टी टूट जाएगी या फिर लीडरशिप में बदलाव आएगा.

अंसारी ने कहा, ‘सवाल पर्याप्त नंबर का है. इस वक्त करीब एक दर्जन विधायक मेरे साथ हैं. अगर महबूबा पार्टी को बचाना चाहती हैं तो उन्हें किसी जिम्मेदार नेता को पार्टी की कमान सौंप देनी चाहिए. अन्यथा हम अलग रास्ता तय करेंगे.’

क्या बागी विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने पर विचार किया होगा? इस सवाल के जवाब में अंसारी कहते हैं, ‘क्यों नहीं? अगर हमारे पास संख्या है तो मुझे नहीं लगता कि हमारे पास सरकार नहीं बनाने का कोई कारण है, वह भी तब जब अगले चुनाव में दो साल का वक्त बाकी है.’ वहीं पीडीपी के एक सूत्र ने बताया कि महबूबा ने बागी विधायकों की मांग को खारिज कर दिया है.

पीडीपी नेता ने कहा, ‘हमने बागी विधायकों से बात करने की कोशिश की. महबूबा ने उनसे माफी भी मांगी. अब मुझे नहीं पता कि इससे ज्यादा क्या किया जा सकता है. इतिहास हमें बताता है कि नई दिल्ली जो चाहती है वह कर सकती है. लेकिन अगर वह इन कुटिल साधनों के माध्यम से सरकार का गठन कर भी लेते हैं तो भी जनता का सामना कैसे करेंगे, मुझे समझ में नहीं आता. संवाद के माध्यम से शांति का एजेंडा बीच में ही छोड़ दिया गया. यह सत्ता की कैसी भूख है.’

बीजेपी को चाहिए 19 विधायक

जम्मू कश्मीर विधानसभा में 87 सीटें हैं, जिसका मतलब यह होता है कि यहां सरकार के गठन के लिए किसी भी दल को 44 सीटों की आवश्यकता होगी. राज्य में बीजेपी के पास इस वक्त 25 विधायक हैं, इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए 19 और विधायकों की जरूरत है. सज्जाद लोन की पार्टी पीपल्स कॉन्फ्रेंस बीजेपी को सपोर्ट कर रही है इसलिए पार्टी को दो विधायकों को समर्थन यहां से मिल जाएगा, लेकिन इसके बावजूद उसे 17 विधायक जुटाने होंगे.

पीडीपी विधायकों के अलावा कोई भी दल बीजेपी के समर्थन के लिए तैयार नहीं है, ऐसे में अगर बीजेपी जम्मू कश्मीर में सरकार बनाना चाहती है तो उसे पीडीपी के कम से कम 17 विधायकों के बागी होने की जरूरत होगी, हालांकि जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं लग रहा है कि ऐसा संभव हो जाएगा.

Rajnath Singh Assured AAP Chief over LG Tussle


Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal met Home Minister Rajnath Singh to discuss the new impasse between the Delhi government and the Lieutenant Governor over the number of subjects on which the L-G’s approval is to be required.


Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal met Home Minister Rajnath Singh to discuss the new impasse between the Delhi government and the Lieutenant Governor over the number of subjects on which the L-G’s approval is to be required.

Speaking to reporters after the meeting with the Home Minister, Kejriwal said, “We told him that L-G and the Centre are interpreting the order in a strange manner. They say that we will obey half the order.”

The Aam Aadmi Party (AAP) chief said that while the Supreme Court order clearly states that the concurrence of the L-G is not required for decisions taken in subjects other than Police, Land and Law-Order, the L-G is not obeying this order.

“They say that when Division Bench issues its judgment, we will obey. How can you say that you will obey half of the judgment of the Constitution Bench and half of the Division Bench? In this way they will even hold up the SC like they did the Delhi govt,” said Kejriwal.

The CM added that the Home Minister heard the concerns of the Delhi government and assured that he will discuss the matter with his officers.

On 4 July, the Supreme Court ruled that position of the Lieutenant-Governor of Delhi was not that of a Governor but an administrator only “in a limited sense”.

Two days later, the CM alleged that the Ministry of Home Affairs has told Baijal to ignore the prt of the Supreme Court order which limits the L-G’s power to just three areas.

“MHA has advised LG to ignore that part of SC order, which restricts LG’s powers to only 3 subjects. V dangerous that central govt advising LG not to follow Hon’ble SC’s orders,” alleged Kejriwal on Twitter on 6 July.

“Have sought time from Sh Rajnath Singh ji to urge him to follow Hon’ble SC’s orders,” he added.

HIGH COURT REJECTS CHIDAMBARAM’S WIFE’S APPEAL AGAINST ED SUMMONS

 


The Madras High Court has dismissed a petition filed by Senior Advocate Nalini Chidambaram for quashing a summons by Enforcement Directorate (ED) under section 50 of the Prevention of Money Laundering Act (PMLA)


Yet another attempt by Nalini Chidambaram, the advocate wife of Congress strongman and former Union Finance Minister P Chidambaram to stonewall the summons issued to her by the Enforcement Directorate in a money laundering case came to nought on Tuesday.

A Division Bench of the Madras High Court dismissed on Tuesday Nalini Chidambaram’s appeal for quashing the April 24 order of Justice S M Subramaniam who had dismissed her petition seeking exemption from appearing before the ED for questioning .

Justices M M Sundresh and Anand Venkatesh dismissed the appeal  filed by Nalini Chidambaram against ED summons requiring her personal appearance for investigation in the Saradha chit fund scam case. The court asked the Enforcement Directorate to issue fresh summons with new dates.

The case had its origin in September 2016 when the ED issued a summons to Nalini asking her to present herself as a witness in the Saradha Chit Fund scam case in its Kolkatta office.

The ED summons was based on the statement given by Manoranjana Sinh, an accused in the Saradha Chit Fund scam that Nalini was paid Rs One crore by the Saradha Group  for her appearances in court and Company Law Board in connection with  the purchase of a TV channel.

बहनों के अस्पताल पर IT raid से परेशान यादव ने मोदी पर साधा निशाना


योगेंद्र यादव ने कहा, ‘कृपया मेरी, मेरे घर की तलाशी लीजिए, मेरे परिवार को निशाना क्यों बनाते हैं ?’


नई दिल्ली: स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने मोदी सरकार पर ‘राजनीतिक बदले’ की भावना से आयकर के छापे मरवाने का आरोप लगाया है. योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें ‘डराने’ और ‘चुप’ करने के लिए रेवाड़ी में उनकी बहन के अस्पताल पर आयकर विभाग ने छापा मारा है. उन्होंने किसानों को फसल की उचित कीमत दिलाने और हरियाणा के रेवाड़ी में शराब की दुकानों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा हुआ है. योगेंद्र यादव ने दो दिन पहले, ‘पदयात्रा’ से अपना अभियान शुरू किया था.

उन्होंने ट्विटर पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार उनके परिवार को ‘निशाना’ बना रही है. उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘मोदी सरकार मेरे परिवार को निशाना बना रही है. रेवाड़ी में मेरी पदयात्रा शुरू होने के दो दिन बाद और अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा शराब के ठेकों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के बाद रेवाड़ी में मेरी बहनों के अस्पताल और नर्सिंग होम पर आयकर विभाग ने छापा मारा है.’

उन्होंने कहा, ‘कृपया मेरी, मेरे घर की तलाशी लीजिए, मेरे परिवार को निशाना क्यों बनाते हैं?’ एक अन्य ट्वीट में यादव ने कहा यह उन्हें डराने की कोशिश है. यादव ने ट्वीट में कहा, ‘दिल्ली के 100 से अधिक अधिकारियों ने सुबह 11 बजे अस्पताल पर छापा मारा. सभी डॉक्टरों (मेरी बहनें, बहनोई, भांजे) को उनके कमरों में रखा गया. नवजातों के लिए बने आईसीयू समेत अस्पताल को सील कर दिया गया.

योगेंद्र यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि परसों ही रेवाड़ी जिले की 9 दिन की पदयात्रा मैंने समाप्त की, जिसमें गांव-गांव जाकर किसानों की आवाज उठाई गई. इसके बाद कल हरियाणा के कृषि मंत्री ने बौखलाकर उस यात्रा के खिलाफ बयान दिया और रेवाड़ी में आज मेरी बहनों के घर छापा होता है, जिसके पास मैं रुका था. मेरी दो बहनों का यह अस्पताल  है. तो यह एक स्वभाविक बात है कि और क्या कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से मैं किसानों के लिए आवाज उठा रहा हूं. जाहिर है यह धमकाने की कोशिश है. डराने की कोशिश है.

उन्होंने कहा कि मेरे बारे में जांच की होगी तो कुछ मिला नहीं होगा. मेरे मां-बाप के बारे में जांच की होगी तो वहां कुछ करने की गुंजाइश ही नहीं है, तो सोचा होगा कि बहनों पर हमला किया जाएगा. छापा मारने का उनका अधिकार है. एक बार नहीं 10 बार छापा मार लें. कुल मिलाकर ये सारा मैसेज इमरजेंसी के दिनों वाला है कि सरकार के खिलाफ बोलोगे तो तुम्हें और तुम्हारे परिवारवालों को प्रताड़ित किया जाएगा.


राजनीति से प्रेरित कोई भी कदम निंदनीय है। लेकिन इसका अर्थ यह भी तो नहीं कि किसी संस्थान पर केवल इसलिए कार्यवाही न कि जाए क्योंकि वो किसी राजनेता के संबंधी का है।
यह कैसा माप दंड है। मेरे लिए एक फुट 12 इंच का, और किसी और के लिए 10 या फिर 14 इंच का। 

ravi.bharati.gupta@gmail.com


 

‘दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे मजाकिया ट्वीट पर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है.’ फाइसल


उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मेरी नौकरी जा सकती है लेकिन उसके बाद भी दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है

राजनीति भी एक विकल्प हो सकती है ? बस  यूँ ही पूछ लिए 


जम्मू-कश्मीर से सिविल सर्विस परीक्षा के पहले टॉपर शाह फैसल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. फैसल कुछ दिनों पहले रेप को लेकर ट्वीट करने के चलते सुर्खियों में आए थे. इस ट्वीट पर ही जम्मू कश्मीर सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है.

सरकार के इस फैसले पर शाह फैसल ने गुस्सा जाहिर किया है. इस फैसले से संबंधित सवाल पूछे जाने पर शाह ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें नौकरी जाने का कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मेरी नौकरी जा सकती है लेकिन उसके बाद भी दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है.’

फैसल ने इसी के साथ कहा ‘सरकारी अधिकारियों की एक छवि लोगों के जहन में बनी हुई है. उस छवि के अनुसार वह बहस नहीं कर सकते. उनके चारों ओर जो भी हो रहा है उसे देख कर बस वह अपनी आंखें मूंद सकते हैं. लेकिन अब इस छवि को बदलना होगा.’

दरअसल फैसल ने मंगलवार को एक ट्वीट किया था जिसमें उनके खिलाफ सरकार की कार्रवाई का जिक्र था. इस ट्वीट पर उन्होंने लिखा, ‘दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे मजाकिया ट्वीट पर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है.’ वह सरकारी चिट्ठी की ओर इशारा कर रहे थे.’

शाह फैसल ने भारत के रेप कल्चर की व्याख्या करते हुए रेपिस्तान का मतलब समझाया था. उन्होंने कहा था जनसंख्या + पितृसत्ता + निरक्षरता + शराब + पॉर्न + तकनीक + अराजकता = रेपिस्तान.