यदि सत्ता में लौटे तो राफेल की आपराधिक जांच होगी और जिम्मेदार लोगों को दंड दिया जाएगा: राहुल

आज राहुल ने भाजपा को धमकाया की यदि वह सत्ता में लौटे तो राफेल मामले की आपराधिक जांच करवाएँगे प्रधान मंत्री का नाम लिए बिना उन्होने कहा की वह जिम्मेदार लोगों को दंडित करेंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मामले को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा और कहा कि 2019 में उनकी पार्टी की सरकार बनने पर इस मामले की आपराधिक जांच होगी और जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा. गांधी ने यह भी कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली को उन पर हमले करने की बजाय राफेल मामले पर देश जो सवाल पूछ रहा है उनका जवाब देना चाहिए.

उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘युवाओं, किसानों देख लो. प्रधानमंत्री जी ने 30 हजार करोड़ रुपए अनिल अंबानी को दिलवाए. चर्चा के समय प्रधानमंत्री संसद में नहीं थे. वह राफेल पर चर्चा से भाग गए.’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘अरुण जेटली ने लंबा भाषण दिया, मुझे गाली दी. लेकिन जो सवाल हैं उनका जवाब नहीं दिया.’ उन्होंने सवाल किया, ‘विमान की कीमत को 526 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1600 करोड़ रुपए किया गया. यह किसने बढ़ाया? क्या वायुसेना ने बढ़ाया या प्रधानमंत्री ने बढ़ाया?’

गांधी ने कहा, ‘क्या वायुसेना ने 126 विमान मांगे थे या 36 विमान मांगे थे? अनिल अंबानी को कॉन्ट्रैक्ट किसने दिलवाया? फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि मोदी जी के कहने पर अनिल अंबानी को कॉन्ट्रैक्ट दिया? क्या नए सौदे को लेकर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को आपत्ति थी?’

उन्होंने कहा, ‘आशा है कि रक्षा मंत्री इसका जवाब देंगी. लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि वो उन सवालों का जवाब नहीं देंगी. यह मेरा संदेह है.’ गांधी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं नहीं कहा है कि जांच नहीं होनी चाहिए. अगर 2019 में हमारी सरकार बनती है तो आने पर इसकी आपराधिक जांच होगी और जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा.’ उन्होंने एक बार फिर से यह मांग दोहराई कि इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच होनी चाहिए.

राहुल गांधी ने कहा कि दसॉल्ट कंपनी के आंतरिक ईमेल से पता चला है कि भारत सरकार ने उन्हें आदेश दिया था कि ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट केवल अनिल अंबानी को दिया जाना चाहिए. पीएम मोदी ने अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपए दिए.

इससे पहले गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘अपने मित्र अनिल अंबानी को राफेल का कॉन्ट्रैक्ट देकर प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने का काम किया. ऐसे में प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच होनी चाहिए.’अंबानी समूह कांग्रेस द्वारा लगाए जाने वाले इन आरोपों से पहले ही इनकार कर चुका है.

वक्त करता है परवरिश बरसों, हदिसा एक दम नहीं होता

राजविरेन्द्र वासिष्ठ

पिछले साल संसद भवन में चर्चा के दौरान प्रधान मंत्री को गले लगा कर फिर सिंधिया को अंक मार कर मानो mission accomplished वाली भावना के साथ मुसकुरये थे राहुल शायद किसी ने भी उन्हे अभिव्यक्ति की मर्यादा के बारे में नहीं समझाया था, तभी तो आज भी वह संसद भवन में स्पीकर महोदया के in chair होते हुए भी अपनी मर्यादा भूल कर आँख मार बैठे।

बक़ौल जेम्स बॉन्ड एक बार अंजाने में, दूसरी बार एत्तेफाक मगर तीसरी बार दुश्मनी। तो जाहीर सी बात है की आज तीसरी बार आँख मारते हुए राहुल किससे दुश्मनी निभा रहे थे?

हम पढ़ते सुनते आए हैं:

“लफ्जों” का इस्तेमाल हिफाज़त से कीजिये
ये “परवरिश” का बेहतरीन सबूत होते हैं

क्या यह बात साधारण जन में पले बढ़े लोगों के लिए ही है, उच्चतम वर्ग के पैदा हुओं के लिए नए फलसफे गढ़ने पड़ेंगे।

आज सदन में राहुल गांधी द्वारा चोर मचाये शोर वाले राफेल के मामले पर देश की रक्षामंत्री श्रीमती सीता रमण ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये, परंतु राहुल गांधी की मैं न मानूँ वाली नीति को कांग्रेस आगे बढ़ती हुई जान पड़ी, संसद सत्र में समय की बरबादी के अलावा वह कुछ भी करती नहीं दीख पड़ती।

आज राहुल ने अमेठी जाने का प्रोग्राम बनाया था, परंतु स्मृति ईरानी के वहाँ पहुँच जाने के कारण राहुल गांधी ने अपना दौरा स्थगित कर दिया। और संसद में बैठ कर वही पुराना राफेल राग अलापा। रक्षामंत्री के उत्तर के पश्चात राहुल फिर वही सवाल दोहरने लगे जिसकासंसद में पिछले 2 दिनों से उत्तर दिया जा चुका है। तत्पश्चात उन्होने पीछे ऊपर देखते हुए आँख मारी फिर पुन: अपनी बाईं ओर बैठे किसी सांसद को आँख मारी।

अब प्रश्न यह उठता है की मानो उनके किसी सांसद मित्र ने कहा हो लगे रहो मुन्ना भाई, और राहुल भाई आँख मार कर उसका अनुमोदन कर रहे हों। और दूसरी बार भी किसी ने पूछा हो कि अब क्या करें, तो राहुल ने आँख मार कर कोई जवाब दिया हो। प्रश्न यह उठता है कि अब क्या संसद आँखों के इशारे से चलेगी, क्या लगभग 135 वर्ष पुरानी पार्टी ने अपने सांसदों के लिए कोई नयी भाषा गढ़ ली है तो वह संवाददाता गैलेरी में बैठे पत्रकारों को भी इस भाषा से अवगत करवा दें ताकि वह वहाँ बैठे कयास न लगाते फिरें।

11 जनवरी हालात के मद्देनजर पुलिस चाक चौबन्द

सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में पंचकूला की विशेष अदालत में 11 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा। गुरमीत सिंह राम रहीम की पेशी को लेकर खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस दिन रोहतक पुलिस को माहौल खराब होने का अंदेशा है। वहीं, पेशी के दौरान काफी संख्या में समर्थक जुट सकते हैं। ऐसे में रोहतक से पंचकूला तक सुरक्षा इंतजाम करने में पुलिस को काफी दिक्कत होगी।

रोहतक एसपी जश्नदीप रंधावा के अनुसार पुलिस इस बारे में जल्द कोर्ट में अर्जी दायर कर राम रहीम की पेशी वीडियो कांफ्रेंस से कराने की मांग करेगी। जेल प्रशासन का कहना है कि जेल में राम रहीम की सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर पहले से सारे इंतजाम हो रखे हैं। पेशी को लेकर अन्य किसी प्रकार की हिदायतों के बारे में कोई आदेश नहीं पहुंचे हैं। 

वहीं, रोहतक पुलिस राम रहीम को सीबीआई की पंचकूला कोर्ट में पेश करने के आदेश के बाद से तैयारियों में लगी है। पुलिस ने सुनारिया जेल के पास अतिरिक्त नाकाबंदी की है। पुलिस पेशी से एक दिन पहले रोहतक में सीआईएसएफ की कंपनी तैनाती कर सकती है। 

पुलिस गृह मंत्रालय से भी संपर्क कर रही है। इधर, गुरुवार को मुख्य सचिव डीएस ढेसी से लेकर होम सेक्रेटरी एसएस प्रसाद, डीजीपी बीएस संधू, एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर मोहम्मद अकील, पंचकूला डीसी और डीसीपी के साथ एजी ऑफिस के वकीलों ने मंथन किया।

Police File

DATED04.01.2019

One arrested under NDPS Act

Chandigarh Police arrested Najar Khan (age-30 yrs) R/o # 359, Samadhi Gate, Manimajra, Chandigarh from near BSNL turn, Manimajra, Chandigarh and recovered 06 gram Heroin/Smack from his possession on 02-12-2018. A case FIR No. 03, U/S 21 NDPS Act has been registered in PS-Manimajra, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Dowry

A lady resident of Manimajra, Chandigarh alleged that her husband & other resident of BDC, Sector-26, Chandigarh harassed complainant to bring more dowry. A case FIR No. 11, U/S 498-A IPC has been registered in PS-Women, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

A lady resident of Village-Kishangarh, Chandigarh alleged that her husband & others all resident of Village-Makhan Majra, Chandigarh harassed complainant to bring more dowry. A case FIR No. 12, U/S 406, 498-A IPC has been registered in PS-Women, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

A lady resident of Sector-56, Chandigarh alleged that her husband & others resident of Distt.-Fatehabad, Haryana harassed complainant to bring more dowry. A case FIR No. 13, U/S 406, 498-A IPC has been registered in PS-Women, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

A lady resident of Sector-39, Chandigarh alleged that her husband resident of Distt.-Mohali, Punjab harassed complainant to bring more dowry. A case FIR No. 14, U/S 406, 498-A IPC has been registered in PS-Women, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

MV Theft

Anupam Sharma R/o Flat No. 211/B, GH5, MDC, Panchkula, Haryana reported that unknown person stolen away complainant’s discover motor cycle No. HR-16G-2586 from Tibet Market, Manimajra near Housing Board Light Point, Chandigarh on 23.12.2018. A case FIR No. 04, U/S 379 IPC has been registered in PS-Manimajra, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Hurt

A case FIR No. 03, U/S 324 IPC has been registered in PS-26, Chandigarh on the complaint of Shiv Shankar R/o SCO No.152, Pal Dhaba, Sector-28, Chandigarh who alleged that Hariom @ Hari Ram R/o Pal Dhaba, Sector-28, Chandigarh stabbed complainant at Pal Dhaba, Second Floor, Sector-28, Chandigarh on 03.01.2018. Complainant got injured and admitted in GH-16, Chandigarh. Alleged person has been arrested in this case. Investigation of the case is in progress.

Dowry Death

A case FIR No. 03, U/S 304-B, 34 IPC has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh on the complaint of Rakesh Kumar Videnshwar R/o Village- Balra Kishun P.O-Balra Ismail, PS-Maniyari, Distt.-Muzaffarpur, Bihar who alleged that Ritu Raj, Satinder Singh, Bachni Devi, Vishal and Govinda all R/o # 1913, Vikas Nagar, Mauli Jagran, Chandigarh were harassing complainant’s sister for dowry due to which she was found hanging at # 1913, Vikas Nagar, Mauli Jagran, Chandigarh on 02.01.2019. Later on 03 accused persons namely Ritu Raj, Satinder Singh and Bachni Devi have been arrested in this case.  Investigation of the case is in progress.                

लोक सभा चुनावों से पहले माकन का इस्तीफा बहुत कुछ कहता है

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच संभावित गठबंधन के विरोध में कल एचएस फूलका और आज कांग्रेस के माकन ने इस्तीफा दिया

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी कार्यकर्ताओं का सहयोग और समर्थन के लिए आभार जताया. साथ ही माकन ने भी अपने ट्वीट में कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार जताया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, माकन ने गुरुवार को ही राहुल गांधी से मुलाकात भी की थी और राहुल गांधी ने कल ही इस्तीफा स्वीकार कर लिया था.

माकन ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, ‘2015 विधान सभा के उपरान्त-बतौर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष-पिछले 4 वर्षों से, दिल्ली कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा, कांग्रेस कवर करने वाली मीडिया द्वारा, एवं हमारे नेता राहुल गांधी जी द्वारा, मुझे अपार स्नेह तथा सहयोग मिला है. इन कठिन परिस्थितियों में यह आसान नहीं था! इसके लिए ह्रदय से आभार.’

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि माकन पहले ही स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने का मन बना चुके थे. लेकिन नया अध्यक्ष चुन लिए जाने तक उनको पद पर बने रहने को कहा गया था. गौरतलब है कि 2015 में अरविंदर सिंह लवली की जगह अजय माकन को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. 2017 दिल्ली नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस के तीसरे नंबर पर आने के बाद भी अजय माकन ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था. हालांकि तब राहुल गांधी ने माकन का इस्तीफा लेने से साफ इनकार कर दिया था.

क्या है इस्तीफे की असल वजह

वहीं माकन के इस्तीफे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन का रास्ता भी साफ हो गया है. क्योंकि माकन का इस्तीफा आम आदमी पार्टी के नेता एचएस फुल्का के इस्तीफे के एक दिन बाद आया है. माकन और फुल्का दोनों ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप के गठबंधन के खिलाफ थे.

सूत्रों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावनाएं तलाश रही हैं. इसके लिए आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह बातचीत कर रहे हैं, जब कि कांग्रेस की ओर से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित बात कर रही हैं.

माकन 2003-04 के दौरान दिल्ली विधानसभा के स्पीकर चुने गए थे. मात्र 39 साल में विधानसभा के स्पीकर चुने गए माकन देश के सबसे युवा विधानसभा अध्यक्ष रहे. दिल्ली में साल 2015 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों में माकन ने सदर बाजार सीट से चुनाव लड़ा था और तीसरे नंबर पर रहे थे.

अजय माकन साल 2004 के लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से सांसद चुने गए थे. इस चुनाव में माकन ने भाजपा के वरिष्ठ नेता जगमोहन को हराया था. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में माकन ने इस सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय गोयल को हराया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में माकन बीजेपी की मीनाक्षी लेखी से हार गए थे.


70 सालों से लंबित मामला अब 10 जनवरी तक लंबित

सर्वोच्च न्यायालय ने मानी कपिल सिब्बल की अपील यह मामला कैसी भी तरह 2019 के चुनावों के नतीजों तक ताला जाएगा सबरीमाला 6 महीने और अर्बन नक्सलईट 2 महीने पर राम जन्मभूमि 70 साल बाद फिर से तारीख

नई दिल्‍ली: उच्चतम न्यायालय राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर अपीलों पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. यह मामला प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है. इस पीठ द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिये तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ गठित किये जाने की उम्मीद है.

1. हाई कोर्ट ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था.

2. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी.

3. बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था. न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है. हिन्दू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है.

4. इससे पहले, 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इंकार कर दिया था. इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है.

5. अयोध्या प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक अपीलकर्ता के वकील ने 1994 के फैसले में की गयी इस टिप्पणी के मुद्दे को उठाया था. अनेक हिंदू संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर का यथाशीघ्र निर्माण करने के लिये अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच, शीर्ष अदालत में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को ही कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय का सवाल उठेगा.

इससे पहले केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राम मंदिर केस की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग की है. उनका कहना है कि जब सबरीमाला मामले की सुनवाई 6 महीने में और अर्बन नक्सल का केस दो महीने में पूरा हो सकता है तो रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस 70 साल से क्यों अटका पड़ा है. उन्होंने इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की अपील की.  विधि एवं न्याय मंत्री ने पिछले दिनों अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि राम लला मामले में कोर्ट में सुनवाई क्यों नहीं हो रही इसका मेरे पास कोई उत्तर नहीं है. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि जल्द से जल्द इसपर फैसला आ सके.

Rahul calls media conferences ‘fun’ Media still ‘pliable’


According to Jaitley, Rahul “wants to rely on a tape that is false and fabricated. Let him authenticate it, place it on the table of the House and open himself for an action of priviledge.”


At the press conference, however, Rahul claimed the Speaker disallowed him from playing it, therefore the question of “authentication doesn’t arise”.


For all the access that media enjoys vis-à-vis Rahul, it has shown a strange reluctance so far to fact-check the Congress president’s claims and hold him accountable for his words. This trend was visible even on Wednesday when Rahul appeared for a news conference in the evening and repeated the same set of claims that had been rebutted by Union Finance Minister Arun Jaitley earlier that day in Parliament.

Congress president Rahul Gandhi never fails to mention how he, unlike Prime Minister Narendra Modi, is not “scared” of taking questions from the media in press conferences. Rahul has a point here. While Modi has appeared for media interviews but not a single press conference during his tenure as prime minister, Rahul ostensibly loves news conferences and claims that fielding questions from the media is “fun”: understandable when one is largely spared scrutiny and tough questions.

What’s more, Rahul’s comments to the media on the controversial audio tape — which the Congress party claims is the “recorded conversation” of Goa health minister Vishwajit Rane “revealing” details of “secret Rafale files stored in Goa chief minister Manohar Parrikar’s bedroom” — appeared inconsistent with facts and the turn of events that played out on the floor of the House.

The Congress president has asked four questions to Modi on the Rafale deal through Twitter. Here are five questions the media should have asked or Rahul during the press conference:

1. Why didn’t Rahul take up Arun Jaitley’s challenge on the audiotape if he is convinced that the clip is authentic?

During the press conference, Rahul said he had read “part of the transcript and the tape is authentic.” The Congress president had refused to certify the veracity of the tape in Parliament when his attempts to play it in Lok Sabha met with resistance from the treasury benches. Speaker Sumitra Mahajan urged Rahul to give it in writing that the clip is “authentic” before allowing it to be played inside Parliament in accordance with House rules. Faced with the challenge, Rahul backtracked. He also didn’t read the transcript after insisting on doing so. At the press conference, however, Rahul claimed the Speaker disallowed him from playing it, therefore the question of “authentication doesn’t arise”.

Rahul Gandhi: I asked the Lok Sabha Speaker can I play the tape, Speaker refused to allow me to play it, so there was no question of authenticity of the tape there. Congress has already played it. Also, there might be other tapes as well #RafaleDealpic.twitter.com/b91QeTgpZ0

— ANI (@ANI) January 2, 2019

According to Jaitley, Rahul “wants to rely on a tape that is false and fabricated. Let him authenticate it, place it on the table of the House and open himself for an action of priviledge.”

Jaitley said Rahul must take responsibility and face expulsion from the House under a privilege motion if the tape is found to be false. The finance minister dared the Congress president to place the document in Parliament if he is sure of its authenticity. Neither did Rahul take up Jaitley’s challenge, nor did he backtrack from his claim. Though the entire sequence was captured on camera and aired to millions on TV, the media didn’t pursue this line of questioning.

2. Where did Rahul get the figure of Rs 30,000 crore worth of offsets to Anil Ambani’s company?

Rahul Gandhi: Reality yahi hai ki 30,000 crore Anil Ambani ko diya gaya hai, aur Chowkidaar chor hai #RafaleDealpic.twitter.com/NqUCnnqzHN

— ANI (@ANI) January 2, 2019

The facts of Rafale have been discussed threadbare over countless forums. A Supreme Court bench, headed by Chief Justice Ranjan Gogoi dismissed PILs seeking a court-monitored probe, saying it has no objections to any part of the deal. On the offset clauses, the judgment stated: “We do not find any substantial material on record to show that this is a case of commercial favouritism to any party by the Indian Government.”

The offset clause — as laid out during the UPA rule on defence purchases from foreign companies — requires Dassault to make purchases in India for 50 percent of the contract value. Therefore, if the total value of the deal is worth Rs 58,000 crore, half of that amount comes to around Rs 29,000 crore.

Now, since Anil Ambani’s Reliance Defence is one among around 120 offset partners for the deal, their total business share won’t exceed 3 percent of the total Rs 29,000 crore Rafale offset contract. That means a sum less than Rs 1,000 crore. Jaitley told Parliament on Wednesday that it won’t be more than Rs 800 crore. Apart from the Supreme Court, which went over these details, media reports too have corroborated the government’s figures.

#Rafale offsets break-up for dummies: ⁦@RahulGandhi⁩. Note the figures. Memorise them. Write them down in a notebook 200 times. Will help. Infographic via ⁦@SandeepUnnithan⁩ ⁦@IndiaToday⁩ pic.twitter.com/i1WpnY8m7W

— Minhaz Merchant (@MinhazMerchant) January 2, 2019

If that is the case, how does Rahul justify his charge? It is strange that given the easy availability of these figures in public domain, the media didn’t hold the Congress president accountable for his words.

3. What is the basis of Rahul’s contention that the PM is a ‘thief’ when Supreme Court has given a clean chit to Rafale deal?

On three contentious issues raised by the Congress and made into subject of the petitions against the government, the Supreme Court cleared the deal. The CJI-headed Bench, also comprising justices SK Kaul and KM Joseph, found no occasion to doubt the decision-making process in the multi-billion dollar deal, observed that there was no substantial evidence of commercial favouritism to any private entity on the issue of offset partner and found no merit in claims that there was huge escalation of costs.

In conclusion, the judgment stated: “In view of our findings on all the three aspects, and having heard the matter in detail, we find no reason for any intervention by this court on the sensitive issue of purchase of 36 defence aircrafts by the Indian government. Perception of individuals cannot be the basis of a fishing and roving enquiry by this court, especially in such matters. We, thus, dismiss all the writ petitions, leaving it to the parties to bear their own costs.”

Given the finality of this judgment, it is unclear on what basis the Congress president is accusing the prime minister of dishonesty and stealing. If he has clinching proof of Modi’s wrongdoing, it is strange that this evidence (or evidences) have not been brought to the notice of the court or made available in public domain. Once again, the media has failed to highlight the anomaly between Rahul’s claims and facts.

4. How may a Joint Parliamentary Committee ‘reveal truth’ when Supreme Court judgment finds no reason for intervention or probe?

After shifting goalposts several times on Rafale deal, Congress and Opposition parties have finally settled on demanding for a Joint Parliamentary Committee (JPC) probe. The political ploy behind Congress’ demand is understandable and the party cannot be faulted for trying to pile on the pressure on the NDA. The legitimate question that should have been asked of Rahul Gandhi during the press conference, is that how will a JPC —  subject to political partisanship — conduct a “fair probe” into a deal that has been cleared by none less than the Supreme Court?

Even if we disregard Jaitley’s arguments — that JPC in Bofors sought to whitewash the scandal instead of finding the truth — the fact remains that the panel whose political neutrality is suspect may end up fanning the Rafale debate instead of bringing us any closer to resolution. Political gamesmanship is a poor basis for constitution of a JPC that will undermine the primacy and authority of the Supreme Court. It may be a slippery slope.

5. Why did Rahul Gandhi call a scribe a ‘pliable journalist’ during a press conference? Does it amount to intimidation of the press?

During Wednesday’s news conference, while referring to ANI editor Smita Prakash — who conducted the prime minister’s interview on Tuesday — Rahul used the words ‘pliable journalist’. He said: “You saw the prime minister’s interview yesterday… matlab pliable journalist, woh question bhi kar rahi thi, pradhan mantri ka answer bi de rahi thi, side mein(she was asking questions as well as providing answers on the side).” Earlier in the Parliament, Rahul called the interview “staged”.

The journalist called Rahul’s attempt to ridicule her work a “cheap shot”.

Dear Mr Rahul Gandhi, cheap shot at your press conference to attack me. I was asking questions not answering. You want to attack Mr Modi, go ahead but downright absurd to ridicule me. Not expected of a president of the oldest political party in the country.

Smita Prakash (@smitaprakash) January 2, 2019

Jaitley has criticised the Congress president for trying to “intimidate an independent editor” and called him the grandson of ‘Emergency dictator’ (a reference to Indira Gandhi) who “displayed his real DNA”. He also called for a response from the Editor’s Guild. The real problem, however, goes deeper. When political leaders, especially those occupying high positions in public office or party, openly display their disrespect for journalists, that has a deleterious effect on the moral of the media.

It also makes journalists vulnerable to attacks from party affiliates and trolls on social media. Rahul may have his opinions on the Modi interview, but his disparaging comments can be construed as an attack on the independence of the Fourth Estate. He, however, didn’t face any scrutiny from the media while making the comment.

जनवरी में होंगे चंद्र एवं सूर्य ग्रहण

नई दिल्ली : नए साल के पहले महीने जनवरी में दो ग्रहण पड़ रहे हैं. 6 जनवरी यानि की रविवार को आंशिक सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है. सूर्य ग्रहण 6 जनवरी 2019 सुबह 4.05 बजे से 9.18 बजे तक लगेगा. हालांकि यह भारत में यह देखने को नहीं मिलेगा. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यह आंशिक सूर्य ग्रहण उत्तर-पूर्वी एशिया और उत्तरी पैसिफिक देशों में दिखाई देगा. 

इसी महीने लगेगा चंद्रग्रहण
सूर्य ग्रहण के बाद इसी महीने की 21 तारीख को चंद्रग्रहण लगने वाला है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, साल का पहला 9.03 बजे से 12.20 बजे तक रहेगा. सूर्य ग्रहण की तरह, चंद्रग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा.

क्या है सूर्य ग्रहण की पौराणिक कथा
वेदों, पुराणों और शास्त्रानुसार सूर्य और चंद्र पर लगने वाले ग्रहण का सीधा ताल्लुकात राहु और केतु से है. धार्मिक मान्यता के अनुसार दैविक काल में जब देवताओ को अमृत पान और दैत्यों को वारुणी पान कराया जा रहा था तब इस बात की खबर दैत्य राहु को हुआ. दैत्य राहु ने छुपकर देवता की पंक्ति में जाकर बैठ गया परन्तु अमृत पान के पश्चात इस बात को सूर्य और चंद्र को उजागर कर दिया. ऐसी भी मान्यता है कि समुद्र मंथन में अमृत  के लिए देवाताओं और असुरों के बीच घमासान चल रहा था. समुद्र मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत को छीन लिया.

राम मंदिर की याचिका पर सुनवाई आज

याचिका में अयोध्या मामले की सुनवाई एक तय समय में किए जाने की मांग की है और अगर तय समय में सुनवाई नहीं होती है तो कोर्ट अपने आदेश में कारण बताए कि एक तय समय में सुनवाई आख़िरकार क्यों नहीं हो सकती. आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी माह तक टाल दी थी.

नई दिल्ली : अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अहम सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ सुबह 11 बजे के आसपास मामले की सुनवाई करेगी. माना जा रहा है कि आज होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन कर सकता है. साथ ही जल्द और रोजाना सुनवाई की मांग वाली अर्जी पर भी सुनवाई हो सकती है. इसके अलावा कोर्ट एक नई जनहित याचिका पर भी सुनवाई करेगा. यह जनहित याचिका हरीनाथ राम ने दायर की है.

याचिका में अयोध्या मामले की सुनवाई एक तय समय में किए जाने की मांग की है और अगर तय समय में सुनवाई नहीं होती है तो कोर्ट अपने आदेश में कारण बताए कि एक तय समय में सुनवाई आख़िरकार क्यों नहीं हो सकती. आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी माह तक टाल दी थी.

इससे पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर मामले को सुन रहे थे. सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था. कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारुकी के फैसले में पुनर्विचार के लिए मामले को संविधान पीठभेजने से इंकार कर दिया था. मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी.

गौरतलब है कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था. टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए. जिस जगह रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.

अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी. इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी. कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे. उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

आज का पांचांग

पंचांग 04 जनवरी 2019

विक्रमी संवत्ः 2075, 

शक संवत्ः 1940, 

मासः पौष़, 

पक्षःकृष्ण पक्ष, 

तिथिः चतुर्दशी रात्रि 04.58 तक है, 

वारः शुक्रवार, 

नक्षत्रः ज्येष्ठा दोपहर 12.53 तक, 

योगः वृद्धि रात्रि 01.50 तक, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः धनु, 

चंद्र राशिः वृश्चिक, 

राहु कालःप्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 07.19, 

सूर्यास्तः 05.33 बजे।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।