कलाग्राम में बिखरते भारत के सांस्कृतिक रंग

आर्ट एंड क्राफ्ट मेला., फोटो फीचर : पुरनूर, चंडीगढ़

 

 

कलाग्राम में 18 नवम्बर तक चलने वाले आर्ट एंड क्राफ्ट मेले में खूब रौनक है. और इसकी वजह है भारत के भिन्न भिन्न क्षेत्र से आये कलाकार, कारीगर, व्यापारी व् खिलाड़ी. यहाँ पर आये सभी कलाकारों ने अपने नृत्य,अपने संगीत व् अपने आत्मविश्वास के साथ मेले का आकर्षण बने हुए हैं.

 

भारत के भिन्न भिन्न क्षेत्रों से आये कलाकारों में शामिल हैं राजस्थान के ‘ब्न्वालाल जाट’ का कच्ची घोड़ी डांस ग्रुप जिसमें ब्न्वालाल जी के साथ साथ 7 और लोग भी हैं . कच्ची घोड़ी ग्रुप में संगीत के   लिए ढोलकी, करताल व् अल्गोज़ा जैसे संगीत वादयन्त्रों का इस्तेमाल किया जाता है. ब्न्वालाल कहतें हैं कि ग्रुप उनके लिए उनका परिवार है. इस ग्रुप में हर एक सदस्य के पास अपना एक हुनर है जैसे ढोलक वादक विनोद, अल्होजा वादक शिवजी राव व् झांज पर इनका साथ देते हुए शिवजी राव, राम दयाल जाट और जगदीश जाट यहाँ पर इनके साथ गंगाधरी जो कि इस ग्रुप के नृतक हैं व् साथ ही कच्ची घोड़ी नृतक सीता राम भी हैं.

कच्ची घोड़ी डांस ग्रुप के अलावा यहाँ मध्य परदेश से रामसहाय पांडे अपने बधाई डांस ग्रुप के साथ आये हुए हैं. उनके ग्रुप ने यहाँ पुरे उत्साह के साथ बधाई नृत्य पेश किया.

सिक्किम से घातु डांस ग्रुप व् बठिंडा से आये वकील सिंह की नटों कि टोली जो कि हवा में ऊँची छलांग लगाने के साथ साथ अपने गले से दम लगाकर लोहे का सख्त से सख्त सरिया भी मोड़ देती है, वकील सिंह का कहना है कि वह यह काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं व यह उनकी बरसों कि मेहनत है जो कि आज उन्हें और उनके पूरे ग्रुप को बिना किसी डर के यह खतरनाक करतब करने में मदद करती है.

 

 

 

“जन आवाज़” 2019 के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे अशोक तंवर


अशोक तंवर अपनी पार्टी के “वचन पत्र” को ले कर खासी मशक्कत कर रहे हैं. उनके साथ अनेकों सरकारी विभागों के अध्यक्ष भी देखे जा सकते हैं. हरियाणा में राजनैतिक बयार बह रही है जहां सभी अपनी अपनी पत्रिका कि तैयारी में जुटे हैं वहीँ कुछ बातें समझ से बाहर हैं. आम आदमी से कांग्रेस का गठबंधन समझ से बाहर है.

क्या माकन के कद को छोटा करने की कवायद की जा रही है? और क्या इसी लिए माकन कुछ सप्ताह पहले पार्टी से विमुख हो गये थे?   (कांग्रेस कभी किसी को अपनी मर्ज़ी से नहीं जाने देती, खुद निकालती है और कैसे सभी जानते हैं)

क्या दिल्ली में सीटों का 5 – 2 का सौदा हो चुका है? क्या इसी लिए माकन को केजरीवाल पर नरम रहने के लिए कहा गया है? (आम आदमी 5 – कांग्रेस  2)

क्या आम आदमी के साथ हरियाणा में भी कोई सांठ गाँठ कर अशोक तंवर को भी किनारे तो नहीं किया जाएगा?

भूपेन्द्र सिंह हुड्डा बहुत कारसाज मुख्यमंत्री रहे हैं, पर ठक्कर भी अब टक्कर देने में सक्षम हैं. जहां लोग अभी तक हुड्डा की कार्य शैली को नहीं भुला पाए हैं वहीँ अब ठक्कर भी जनता और मिडिया की पसंद बनते जा रहे हैं.

कुल मिला कर क्या यह समय तंवर और माकन के लिए ठीक है?


पंचकुला :

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपने चुनाव घोषणा-पत्र को ‘जन-आवाज़’ बनाने के उद्देश्य से आम लोगों के विचार जानने के लिए खाद्य सुरक्षा और पोष्टिकता, स्वास्थ संभाल, अनुसूचित जातियों व जनजातियों और पिछड़े वर्गों सम्बद्ध कार्यकारी ग्रुप की एक बैठक मंगलवार को पंचकुला स्थित किसान भवन में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर के नेतृत्व में हुई।

बैठक की अध्यक्षता राज्य सभा सदस्य और चुनाव घोषण पत्र समिति के संयोजक राजीव गौवड़ा ने की। इसमें चुनाव घोषण पत्र समिति के कोआर्डीनेटर डॉ. अमुल देशमुख, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमेन डॉ. नितिन राऊत, पंजाब के प्रतिनिधि डॉ. राजदीप सिंह संधु और भारी संख्या में विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता ऑपिनियन बिल्डरस आदि ने भाग लिया। यह बैठक दो चरणों में हुई। पहले चरण में डॉक्टरों, निती निर्धरितकर्ताओं, मेडिकल कालेजों के विशेषज्ञों, एन.जी.ओ. के प्रतिनिधियों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों आदि ने भाग लिया जिनकी संख्या 90 के करीब थी। बैठक में किन्नरों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी समस्यायें रखीं जिनमें उनके सामाजिक तौर पर पुर्नवास की समस्या विशेष थी। दूसरे चरण में अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों, समाजसेवियों आदि वर्गों के 100 से अधिक नेताओं ने भाग लिया।

बैठक के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए राजीव गौवड़ा ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने पार्टी के चुनाव घोषणा-पत्र को ‘जन-आवाज़’ बनाने के उद्देश्य से देशभर में भ्रमण करके लोगों के विचार जानने के लिए 19 विषयों पर कार्यकारी ग्रुपों का गठन किया है। इन ग्रुपों द्वारा लोगों के विचार जानने के बाद मध्य जनवरी तक अपनी रिपोर्ट दे दी जायेगी जिस पर कांग्रेस कार्यकारिणी समिति द्वारा विचार करने के बाद सभी महत्वपूर्ण विषयों को कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल किया जायेगा।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की चुनाव घोषणा पत्र समिति के कोऑर्डीनेटर डॉ. अमुल देशमुख ने बताया कि जन-आवाज़ के बारे में जानकारी लेने के लिए 20-30 विषय निर्धारित किए गए हैं जिनके बारे में देशभर में कार्यकारी ग्रुप बैठकें कर रहे हैं और आज की यह बैठक इसी कार्यक्रम का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि बैठकों के दो चरणों के बाद हरियाणा में एक बैठक और की जायेगी जिसका विषय खेल-कूद होगा क्योंकि हरियाणा राजय खेल-कूद में विषय महत्व रखता है।

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर ने बैठक में भाग लेने वालों का धन्यवाद दिया और कहा कि बैठक में बहुत ही बहुमुल्य सुझाव प्राप्त हुए हैं जो कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र को जन-आवाज बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में पानी, स्वास्थ्य, कृषि संबंधी और पर्यावरण की विशेष समस्यायें हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने अनुसूचित जातियों और पिछड़ा वर्गों के हितों का कोई ध्यान नहीं रखा है। उन्होंने कहा कि ये वर्ग रोजगार, सामाजिक विकास व सुरक्षा, शिक्षा आदि में काफी पिछड़ गए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषण पत्र में इन विषयों को भी शामिल करने के लिए विशेष ध्यान दिया जायेगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने सदैव ही कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया है और भविष्य में भी इन्हें महत्व दिया जायेगा। उन्होंने पूर्व आईएएस श्री दलबीर भारती द्वारा मंच संचालन करने के लिए धन्यवाद किया।


सरकारी अधिकारी कांग्रेस के साथ अपनी तथा कथित समबन्धों को दर्शाने में नहीं चूक रहे, कहीं राहुल उन्हें भी व्यापम वाले डॉ. आनंद राय कि भांति धोखा न दे दें (बकौल डॉ.आनंद राय  राहुल ने उन्हें टिकेट देने का वायदा किया था इसीलिए उन्होंने नौकरी भी छोड़ दी, और अब उन्हें मिलते भी नहीं)

‘भाजपा के कुशासन की वजह से लोगों का सपना टूट गया.’ राहुल


यूपीए काल के 10 वर्षों में प्रधानमंत्री पद की गरिमा को तथाकथित रूप से तार तार करने के बाद, संसद में अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल जो यदा कदा विदेश अज्ञात वास चले जाते हैं, अब प्रधान मंत्री मोदी को  उनका कार्य समझा रहे हैं। 


कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि देश एक व्यक्ति से नहीं चलता. देश को पूरी जनता चलाती है. मोदी भारत के विकास को लेकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले एक रैली को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि मोदी को लगता है कि देश का विकास तो उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हुआ है. नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लघु एवं मध्यम कारोबारियों की कमर तोड़ने के लिए थे.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘वह (मोदी) तो यह तक नहीं जानते कि देश को जनता चलाती है, न कि एक व्यक्ति. इस तरह की बातें कहकर वे आपका अपमान करते हैं. नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या भारत के लोगों के हजारों करोड़ रुपये लेकर भाग गए. उन्हें देश वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी कुछ नहीं कर रहे और इस मुद्दे पर एक शब्द तक नहीं बोलते’.

छत्तीसगढ़ में हमारी पार्टी की सरकार बनी तो राज्य में ‘जनता की सरकार’ होगी

राफेल सौदे में जांच रोकने के लिए सीबीआई निदेशक को रात के एक बजे पद से हटा दिया गया. लड़ाकू विमान बनाने में 70 साल का अनुभव रखने वाली एच ए एल की जगह राफेल सौदे के लिए अनिल अंबानी को चुना गया.अनिल अंबानी के पास अनुभव नहीं था. यहां तक कि उन्होंने कागज का जहाज तक नहीं बनाया है. यदि इसकी जांच हो जाए तो केवल दो नाम आएंगे- नरेंद्र मोदी और अनिल अंबानी. मोदी जांच से डरते हैं.

गांधी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सोमवार को जिन 18 निर्वाचन क्षेत्रों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ, वहां कांग्रेस के पक्ष में लहर है. छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य चुनावी राज्यों में चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आएंगे. संसाधनों में छत्तीसगढ़ समृद्ध है, लेकिन बीजेपी सरकार के ‘कुशासन की वजह से लोगों का सपना टूट गया.’

गांधी ने वायदा किया कि यदि छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी की सरकार बनी तो वह राज्य में ‘जनता की सरकार’ होगी. उन्होंने कहा कि लोग ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनके ‘मन की बात’ सुने. उन्होंने कहा, ‘कुछ उद्योपतियों के लिए काम करने की बजाए कांग्रेस राज्य में कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के विकास के लिए काम करेगी.’

कांग्रेस सत्ता में आई तो युवाओं को कारोबार करने और बैंकों से कर्ज लेने की सुविधा के लिए प्रोत्साहित करेगी. कांग्रेस बड़े उद्यमियों के खिलाफ नहीं है, लेकिन यदि सरकार उन्हें फायदा पहुंचाती है तो लघु और मध्यम उद्यमों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.

The huge enthusiasm  at the Chhath festival at Maloya


36 hour fast, the first arghya given to Sun God, the Chhath vrat is specially considered auspicious  for women aspiring son


Chandigarh:
Special arrangements had been made by the Purvanchal Organizing Committee for the Chhath festival on the pond located in Maloya. During the festival, devotees who had fasted started thronging from two o’clock in the afternoon. Most of the women’s  came here singing from their houses singing  the Chathi  Maai and Suraj Dev’s songs. A large crowd gathered by four o’clock in the evening. Meanwhile, almost all the roads in the surrounding areas, including Maloa, remained resonant with Chhath’s songs. Nearly thousands of pilgrims from all corners and villages around Maloa, Dadu Majra, Sector 39, Jujharanagar and villages and people from all corners of the village reached there to give the first half of Chhath. Ram babu, chief secretary of Purvanchal organization committee, general secretary Sanjay Bihari, chairman Kedar Yadav, KP Singh, Rahul Verma, Shivnath, Subhash, Shatbughan, Ranjit and other members congratulated all the fasting women for Chhath Puja. In order to give offering to the sun , people raised Prasad and lamp in the hands and bowed down to Lord Bhaskar and wished for prosperity and worshiped chath  mai with Lord Sun.

Chhattisgarh Assembly elections 2018: 65% votes polled till 3 pm| Live updates


Minutes before the polling began, Maoists detonated an IED in Dantewada; in Pamed area of Bijapur district, 5 CoBRA personnel were injured in gunbattle with the Naxals


Defying Maoist threats and boycott calls, nearly 65 per cent of the electorate exercised their franchise till 3 pm in the first phase of the Chhattisgarh polls on Monday. Voting took place in 18 Assembly constituencies spread across eight Naxal-affected districts of the state where the BJP has been ruling for the last 15 years.

“Around 65 per cent voter turnout was recorded till 3 pm in 18 assembly constituencies in the first phase of Chhattisgarh elections on Monday,” agency reports quoted a poll official as saying.

Voting in 10 of the 18 seats began at 7 am on Monday and ended at 3 pm, while that in rest of the eight seats began an hour later and continued till 5 pm.

In the run-up to the polls, Maoists carried out multiple attacks in the last few weeks, killing several people including a BSF officer and a journalist.

Minutes before the polling began on Monday, a foot patrol party of the Central Reserve Police Force (CRPF) had a narrow escape as the Maoists detonated an Improvised Explosive Device (IED) in Katekalyan in Dantewada district.

READ | Chhattisgarh elections 2018: Some key facts on voters, contestants, constituencies

In Bijapur district, around 500 km from Raipur, as many as five personnel of the Commando Battalion for Resolute Action (CoBRA) were injured in two encounters with the Naxals, police said.

CoBRA, an elite unit of the CRPF, was patrolling the area in view of the voting going on in the region, a senior police officer said.

Among the injured are sub-inspector Lal Chand, assistant commandant Amit Deswal, head constable Sunil and constable Chaitanya, according to a PTI report.

Nearly 1.25 lakh security personnel were deployed in the region and its 4,336 booths to ensure peaceful polling.

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Voting in 10 seats of the 18 seats began at 7 am on Monday and ended at 3 pm. These seats are Narayanpur, Dantewada, Bijapur, Konta, Mohla-Manpur, Antagarh, Bhanupratappur, Kanker, Keshkal and Kondagaon. In rest of the eight seats, Khairagarh, Dongargarh, Rajnandgaon, Dongargaon, Khujji, Bastar, Jagdalpur and Chitrakot, polling started at 8 am and continued till 5 pm.

Of these 18 seats, 12 are reserved for Scheduled Tribes (STs) and one for Scheduled Caste (SC) category. The second phase will polling in 72 seats on November 20.

A total of 190 candidates are in the fray as the 90-member Chhattisgarh Assembly goes to polls in two phases. Counting of votes will take place on December 11.

READ | Chhattisgarh elections 2018: A look at Raman Singh’s three CM terms as he eyes a fourth

The elections this time is a three-corner contest between the ruling BJP, the Congress and the combine of former chief minister Ajit Jogi’s Chhattisgarh Janata Congress and Mayawati who also enjoy support of the Communist Party of India.

In the 2013 elections, the BJP had lost 12 of these 18 seats.

Among the prominent faces in the first phase are Chief Minister Raman Singh who has been challenged by Congress’ Karuna Shukla in Rajnandgaon. Shukla is late Prime Minister Atal Bihari Vajpayee’s niece who switched to Congress from the BJP in 2014.

Eyeing a fourth straight term, the Raman Singh-led Bharatiya Janata Party has in its election manifesto promised to give Rs 2 lakh interest-free loans to women to start business, distribute free books and uniforms to students till Class 12, form a journalist welfare board and build a Film City in the state.

On the other hand, the Congress has promised farm loan waiver, minimum support price for crops as per the Swaminathan Commission recommendations and special women police stations.

The Congress on Monday alleged “rampant” EVM rigging in Bastar area, though the poll panel rejected the charges.

“The BJP has completely lost the plot in Chhattisgarh and its desperation and desolation is more than evident with reports of rigging of EVMs pouring in from Bastar,” IANS quoted Congress Legislative Party leader TS Singh Deo as saying.

The poll panel dismissed the allegation saying “certain sources were spreading rumours of EVM malfunctioning and rigging”. The panel replaced over three dozen EVMs and 61 VVPAT machines due to technical snags.

The 18 Assembly constituencies have over 31 lakh registered voters, including over 15 lakh men and more than 16 lakh women.

Congress seeking post – election alliance, may be as “Vachan Patra” declares the same


Congress needed to get some simple things right. It failed

An alliance with the BSP alone would have exponentially increased the Congress’ chances of unseating three-time BJP chief minister Shivraj Singh Chouhan, may be Congress is willing to go for post election alliance.


The Congress has embarked upon a perilous path on its way to a sort of possible way to power in Bhopal. Election surveys have not as yet indicated that the Congress will be able to ride anti-incumbency sentiments accumulated over 15 years to seize the reins of government in Madhya Pradesh, even though the possibility is not being counted as being remote either.

To be able to do so, the Congress needed to get some simple things right. It failed. Now, unfortunately, it has plumped for some of the more complex things and it’s getting them wrong. Let’s begin with the main thing it failed to do right — alliances. The party had intended to finalise pre-election alliances principally with Mayawati’s Bahujan Samaj Party (BSP), but also with the Samajwadi Party and the Gondwana Ganatantra Party (GGP). It failed on all fronts. After some listless negotiations, Mayawati decided to go solo, while the Samajwadi Party and GGP settled on an alliance excluding the Congress, accusing it of being too dilatory. All the Congress managed was a largely inconsequential tie-up with the Sharad Yadav wing of the Janata Dal (United) — the Loktantrik Janata Dal — for which it has set aside one seat.

An alliance with the BSP alone would have exponentially increased the Congress’ chances of unseating three-time BJP chief minister Shivraj Singh Chouhan. Having failed, mostly because the party still seems sometimes to live in earlier climes when the problems of making the necessary accommodations was barely felt, the Congress seems to be trying to compensate by casting its net for votes through an overly inclusive manifesto. Thus, it has combined in what it is calling its vachan patra rather than ghoshna patra — a promissory document rather than a list of announcements — elements possibly expected to pander to the majority community and the more usual mix of ‘secular’, material ‘promises’

Let’s take the second constellation of promises first. The Congress has promised to cut farmers’ electricity bills by half as also reduce LPG, petrol and diesel prices. It has also promised to waive agricultural loans taken from all types of state-run cooperative banks. Thus far, the Congress has kept in mind the needs of agriculturists and their widespread disenchantment with the Bharatiya Janata Party (BJP) governments at the Centre and in the state. To address the issue of unemployment and the Centre’s inability to create jobs anywhere near the magnitude promised by Prime Minister Narendra Modi in the 2014 election campaign and thereafter, the Congress has promised an unemployment benefit of Rs 10,000 a month for one young member of every relevant family for a period of three years.

It has promised, for good measure, an ex gratia payment of Rs 51,000 for women at the time of their marriage and of Rs 2,50,000 to the landless for the construction of a house on a plot of 450 square feet. It has also promised the abolition of the infamous Vyapam — or Vyavasayik Pariksha Mandal, the autonomous agency set up by the Chouhan government to conduct professional examinations, which is embroiled in serious irregularities and has so far claimed, directly or indirectly, an unconsciously high number of lives. The death continues to mount and is near the half-a-century mark. Until this point, the Congress seems to have addressed very real concerns arising from the mismanagement of the economy by the Modi government and the special needs of some social groups.

Construction of gaushala

But then the party and its promissory document goes off script. They promise the construction of gaushalas (cow shelters), a bizarre ‘Ram Van Gaman Path’ tour to trace Rama’s footprints in Madhya Pradesh and, in an inescapably dangerous move, the setting up of a ‘religious and spiritual department’ that will organise the production of cow urine and cow-dung cakes in gaushalas.Let’s navigate our way through this set of promises. The promise that the government/state will involve itself in setting up cow shelters is from one point of view unexceptionable, though why other domesticated animals should miss out on this love for animals is an unanswerable question in terms of strictly humane motivations


Whereas on the other hand Congress leader Kapil Sibal’s family is involved in the export of meat through Arihant Farm House Pvt Ltd. In 2013-14 and 2014-15, in its annual donations accounts report to the Election Commission, the BJP had mentioned receiving Rs 2 crore from Allana Sons Company, a leading exporter of meat.

Source: (https://bharatabharati.wordpress.com/category/hinduism/cow-protection/page/2/)


 

Now on Ram:



Obviously, of course, this is meant not to be a concession to concerns of animal-rights activists. It is meant to harness the electoral energy of the cow-protection movement popularised by Sangh Parivar elements and sparked off by the spate of draconian legislative amendments passed by newly-minted BJP state governments since 2014. Given the dangerous overtones of this movements — its descent into vigilantism that has claimed the lives of many Muslims — the Congress’ pandering to perceived electoral compulsions is downright dangerous. Moreover, this movement is owned by the Sangh Parivar and a volte face is unlikely to drive BJP voters into the arms of the Congress. On the contrary, the Congress could have consolidated the support of the Dalit and Muslim communities who have seen their cultural, livelihood and nutritional choices come under attack by promising a return to the more liberal pre-Modi cow-protection regime.

The attempt to have the government trace the footprints of a mythological figure in an institutionalised manner is much too bizarre to contemplate. It is also unlikely to provide much electoral fodder to the party. The best that can be said of this brainwave (or brain fade) is that it might provide a spur to the tourism industry. The other initiative is fundamentally dangerous. It would be fairly innocuous if private cow shelters decided to collect (or produce, whatever that means) cow urine and make cow-dung pats to sell in the market and generate revenue. Both are useful products: One chiefly as an organic fertiliser, the other as a widely used and cheap (though polluting) fuel.

But it is not clear why the government should involve itself in such enterprises. It is all the more inexplicable why the Congress government should promise to set up a government department to organise this involvement. But, most damningly, it is inconceivable that the Congress would stray into Hindutva terrain so explicitly as to set up a ‘religious and spiritual department’ because it infringes fundamentally the constitutional mandate for the state to be secular. This was not a provision presented to the Congress as a fait accompli by the Constituent Assembly, rather the ‘secular’ part of the definition of the Indian republic was added by amendment to the Preamble in 1976 by the Indira Gandhi government.

For the Congress to now compromise so grievously on a constitutional fundamental which it has professed to hold dear for nearly half a century is unthinkable, inexplicable, egregious and wholly unacceptable, whatever the electoral compulsions it faces. This is especially true because it loses no opportunity to assail the BJP for its attacks on the constitutionally-mandated secular fabric of the nation.

Early hearing of Ram Janm Bhoomi Title Suit, Permission declined: Supreme Court


The Supreme Court on Monday declined early hearing of petitions in the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid title dispute case.

A Bench comprising Chief Justice Ranjan Gogoi and Justice S.K. Kaul said it had already listed the appeals before the appropriate bench in January.

“We have already passed the order. The appeals are coming up in January. Permission declined,” the bench said while rejecting the request of early hearing of lawyer Barun Kumar Sinha, appearing for the Akhil Bharat Hindu Mahasabha.

The top court had earlier fixed the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case for the first week of January before an “appropriate bench”, which will decide the schedule of hearing.

Solicitor General Tushar Mehta and senior advocate C.S. Vaidyanathan, appearing for the Uttar Pradesh government and deity Ram Lalla respectively, had sought early listing of the appeals in the case after referring to their long pendency.

Earlier, a three-judge Bench, by a 2:1 majority, refused to refer to a five-judge Constitution Bench the issue of reconsideration of the observations in its 1994 judgement of the Allahabad High Court that a mosque was not integral to Islam. The matter had arisen during the hearing of the Ayodhya land dispute.

The apex court bench headed by the then Chief Justice Dipak Misra had said that the civil suit has to be decided on the basis of evidence.

It had also said that the previous verdict has no relevance to this issue.

As many as 14 appeals have been filed against the high court judgement, delivered in four civil suits, that the 2.77 acre land be partitioned equally among three parties — the Sunni Waqf Board, the Nirmohi Akhara and Ram Lalla.

छत्तीस गढ़ में कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका साहू थाम सकते हैं कमल


छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. घनाराम साहू, अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी जॉइन कर सकते हैं


छत्तीसगढ़ कांग्रेस उपाध्यक्ष घनाराम साहू ने इस्तीफा दे दिया है. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में ये पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है.रिपब्लिक टीवी के मुताबिक, साहू बीजेपी का हाथ थाम सकते हैं.


ANI

@ANI

Chhattisgarh: Ghanaram Sahu, state Congress vice president has resigned from the membership of the party today.


कुछ ही दिनों में कांग्रेस को ये दूसरा बड़ा झटका है. इससे पहले कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामदयाल उईके ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था. उईके ने ‘कमल का साथ’ पकड़ा था. उईके तानाखार सीट से बीजेपी प्रत्याशी हैं. ये सीट कभी भी बीजेपी के पास नहीं रही है. इस बार पार्टी ने इस सीटे से अपना दाव रामदयाल उईके पर खेला है. कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर भरत सिंह मैदान में हैं.

छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव सोमवार यानी 11 नवंबर को होगा. पहले चरण में 18 सीटों के लिए मतदान होगा. दूसरे चरण के चुनाव के लिए 20 नवंबर तय है. राज्य की सभी विधानसभा सीटों के रुझान 11 दिसंबर को आएंगे.

‘ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे’: संबित पात्रा

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कांग्रेस के ‘वचन पत्र’ पर विवाद, BJP ने RSS को लेकर किए वादे पर जताई आपत्ति


चुनाव का सीजन आते ही वादों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने कुछ ऐसा वादा कर दिया है जिसे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. कांग्रेस ने शनिवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को ‘वचन पत्र’ कहा जा रहा है. दिलचस्प है कि कई दूसरी चीजों के साथ कांग्रेस ने अपने इस घोषणा पत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं पर पाबंदी लगाने का भी वादा किया है. इस घोषणा पत्र के इस बिंदु को लेकर बीजेपी ने उस पर बड़ा हमला बोला है.

क्या लिखा है कांग्रेस के घोषणापत्र में?

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि सरकारी ऑफिसों में RSS की शाखाएं नहीं लगने देंगे. कांग्रेस ने यह भी लिखा है कि शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों को शाखाओं में छूट संबंधी आदेश निरस्त करेंगे. इसके अलावा कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में व्यापम घोटाले की परीक्षाओं में पिछले 10 सालों में शामिल हुए लाखों उम्मीदवारों का शुल्क वापस लौटाने का वादा किया है. साथ ही कांग्रेस का वादा है कि व्यापम को बंद कर दिया जाएगा.

शनिवार को 112 पन्नों के कांग्रेस के इस वचन पत्र में पार्टी की ओर से प्रदेश के हर वर्ग के लिए तमाम वादे किए गए हैं. बीजेपी ने वचन पत्र में कांग्रेस के इस वादे, ‘अगर वो सत्ता में आई तो सरकारी इमारतों और उनके परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा नहीं लगने देगी.’ पर आपत्ति जताई है.

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस को इस पर घेरते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे’

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Looks like the Congress these days has only one motto- ‘Mandir nahi ban ne denge, Shakha nahi chalne denge:’ Sambit Patra,BJP on in its manifesto in says RSS ‘shakhas’ would not be allowed in Government buildings

वहीं बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का वचन दिया है! अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते. पर वहां क्यों लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण और वोटबैंक की ही जो है. जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी.’


Kailash Vijayvargiya

@KailashOnline

मे अपने विचार सामने लाते हुए..  कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का “वचन” दिया है.!
अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते। पर वहाँ क्यो लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण व वोटबैंक की ही जो है। जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।


कांग्रेस के वचन पत्र में सरकार भवनों में RSS शाखा लगाने पर रोक का वादा

दरअसल कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा है कि वो यहां सरकार बनने पर सरकारी भवनों में आरएसएस की शाखा लगाने पर रोक लगेगी. साथ ही इसमें सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने के पूर्व के आदेश को भी रद्द करेगी.


in its manifesto in has said if the party comes to power then RSS ‘shakhas’ would not be allowed in Government buildings and premises, also earlier order to allow Govt employees to attend RSS ‘shakhas’ will be revoked.


कांग्रेस मध्य प्रदेश में बीते 15 वर्षों से सत्ता से दूर है. इसलिए उसकी कोशिश है कि वो हर हालत में चुनाव में शिवराज सरकार को उखाड़ फेंके. इसे सच साबित करने के लिए खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जहां लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं वहीं सरकार को घेरने के लिए कमलनाथ समेत पार्टी के बड़े नेता सार्वजनिक तौर पर सबके सहयोग की बात कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों के लिए 28 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होना है. इसी दिन पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में भी वोटिंग होगी. एमपी समेत पांचों चुनावी राज्यों में 11 दिसंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे

चुनाव जीतना या हारना सिर्फ 10-12 दिन में तय होता है: प्रशांत किशोर


जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत का श्रेय लोग आज भी उनकी टीम को देते हैं. लोगों का मानना है कि उनकी टीम द्वारा की गई डिजिटल कैंपेनिंग से ही नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में काफी फायदा मिला था


2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत का श्रेय प्रशांत किशोर की डिजिटल कैंपेनिंग टीम को जाता है. लोगों का मानना है कि उन्होंने जिस तरह नरेंद्र मोदी और बीजेपी को लोगों के सामने उभारा था शायद ऐसा करना सबके बस की बात नहीं होती. पत्रकारों से बातचीत में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर कई बातें सामने रखीं.

किशोर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत बड़े नेता हैं लेकिन 2014 जैसा माहौल बनाना अब उनके लिए संभव नहीं है. इस तरह का माहौल तैयार अब कठिन हो गया है इसलिए बीजेपी को अब कड़ी मेहनत करनी होगी.

2014 में सिर्फ 4 से 5 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्टफोन थे

बातचीत में उन्होंने बताया कि आज के दिन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का किसी भी व्यक्ति के चरित्र को गढ़ने में बहुत बड़ा हाथ है. उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत का श्रेय लोग आज भी उनकी टीम को देती है. लोगों का मानना है कि उनकी टीम द्वारा की गई डिजिटल कैंपेनिंग से ही नरेंद्र मोदी को काफी फायदा मिला था. अपनी टीम की डिजिटल कैंपेनिंग के बारे में बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 में सिर्फ 4 से 5 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्टफोन थे जबकि 2018 में इसकी संख्या 35 से 40 करोड़ के बीच में हो गई है. इसके अलावा 50 फीसदी मतदाता आज भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

सोशल मीडिया पर जाने का रास्ता काफी सस्ता हो गया है

2014 में कैंपेनिंग का एक वीडियो 5 करोड़ लोगों के पास पहुंचता था जबकि उस समय डेटा पैक महंगे थे. इसके बाद भी लोगों में इसे देखने की ललक थी क्योंकि उन्होंने पैसे खर्च कर इसका भुगतान किया था. आज ज्यादा लोगों के पास स्मार्टफोन हैं लेकिन सोशल मीडिया पर जाने का रास्ता काफी सस्ता हो गया है ऐसे में लोग इसे इग्नोर करते नजर आते हैं. लोगों को कई और साधनों को जरिए सही जानकारी मिल जाती है.

चुनाव जीतना या हारना सिर्फ 10-12 दिन में तय होता है

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर बोलते हुए उन्होंने कहा- आप एक बड़ा गठबंधन कर सकते हैं लेकिन वह लाभदायी भी होना चाहिए. लोगों तक आपकी बात सही तरीके से सही रूप में पहुंचनी चाहिए. उनका मानना है कि चुनाव की दौड़ में बीजेपी आगे रहेगी लेकिन चुनाव जीतना या हारना सिर्फ 10-12 दिन में तय होता है. इसलिए अभी से ये फैसली कर लेना सही नहीं है कि परिणाम क्या हो सकते हैं. हालांकि उनका मानना है कि बीजेपी का आगे रहना तय है. बहुमत हासिल हो या न हो लेकिन बीजेपी अपने आप में एक बहुत पार्टी है. उसे विपक्षी दलों से डर नहीं लगता. वह अपना काम सही तरीके से करती है.