उदित राज के बिगड़े बोल राष्ट्रपति पर की अपमानजनक टिप्पणी

नई दिल्‍ली। राजनीति में निष्‍ठाऐं बदलने की कहावत से चार कदम आगे बढ़कर आज दलित नेता Udit Raj ने निष्‍ठा बदलने के बाद मर्यादाओं की सारी सीमा भी लांघ दी। ये अलग बात है कि जिस लोकसभा टिकट के लिए Udit Raj बीजेपी छोड़ कांग्रेस में गए तो टिकट उन्‍हें कांग्रेस ने भी नहीं दिया।

दरअसल, लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट नहीं मिलने पर हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए दलित नेता उदित राज ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लेकर विवादित बयान दिया है। उदित राज ने कहा कि बीजेपी ने दलित वोट हासिल करने के लिए एक अयोग्य नेता को राष्ट्रपति के पद पर बैठा दियागूंगे बहरे आदमी को राष्ट्रपति की जिम्मेदारी दे दी।

उदित राज ने कहा कि वे राष्ट्रपति पद की गरिमा पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर कोविंद की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में भाजपा दलित महिला और मुस्लिम विरोधी है। भाजपा नेता जेएनयू में कंडोम का पता कर सकते हैं तो फिर पुलवामा में 300 किलो आरडीएक्स का पता करने में उनकी इंटेलिजेंस क्यों विफल हो गई। उदित राज ने यह भी कहा कि वे अपने राम मंदिर के बौद्ध नगरी होने को लेकर किए गए दावे को अभी भी कायम हैं।

उन्होंने पीएम मोदी पर जातिगत राजनीति करने का आरोप लगाया।  पीएम मोदी अंबेडकर के नाम पर दलित की राजनीति कर रहे हैं। भाजपा को दलित नेता नहीं, केवल दलित वोट चाहिए। बीजेपी में गूंगे बहरे दलित नेता को ऊपर पहुंचाया जाता है। भाजपा गूंगे बहरे दलित नेता चाहते हैं। इसी वजह से रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया गया है।

शलिनी यादव ने वाराणसी चुनाव को दिया दिलचस्प मोड़

समाजवादी पार्टी ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव को सोमवार को वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. तेजबहादुर पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. सपा ने पहले इस सीट पर शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन नामांकन के आखिरी दिन पार्टी ने तेज बहादुर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. 

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव को सोमवार को वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. तेजबहादुर पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. सपा ने पहले इस सीट पर शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन नामांकन के आखिरी दिन पार्टी ने तेज बहादुर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. 

सोमवार दोपहर बाद सपा की ओर से आधिकारिक तौर पर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव को वाराणसी से सपा का टिकट दे दिया गया. इस बाबत सपा के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से जानकारी भी दोपहर बाद साझा की गई. तेजबहादुर सपा समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल करने सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार पहुंचे, और उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया. 

इसी बीच, पूर्व में वाराणसी सीट से सपा की ओर से घोषित उम्मीदवार शालिनी यादव ने कहा कि वह अभी भी पार्टी की आधिकारिक प्रत्याशी हैं. शालिनी ने कहा, “मैंने अपना नामांकन पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर दाखिल किया है. मैं पार्टी की आधिकारिक प्रत्याशी हूं.”

शालिनी ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर सपा का दामन थामा था. वह कांग्रेस की ओर से मेयर प्रत्याशी रह चुकी हैं. शालिनी ने हालांकि तेजबहादुर की उम्मीदवारी को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह पार्टी के आदेश का पालन करेंगी. शालिनी ने कहा, “मैं तेजबहादुर की उम्मीदवारी पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी. मैंने पार्टी अध्यक्ष के निर्देश का पालन किया है और करूंगी.” 

वाराणसी से पीएम मोदी फिर से मैदान में
वाराणसी लोकसभा सीट से पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के बीच मुकाबला हुआ था. मोदी ने केजरीवाल को 3.33 लाख वोट से हराया था. इस बार सपा, पूरे उत्तर प्रदेश में बीएसपी और आरएलडी से गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस की ओर से अजय राय मैदान में हैं. अजय राय पिछले बार भी पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े हैं. हालांकि उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था.वाराणसी में लोकसभा के अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है. 

समाजवादी पार्टी ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव को सोमवार को वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. तेजबहादुर पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. सपा ने पहले इस सीट पर शालिनी यादव को टिकट दिया था लेकिन नामांकन के आखिरी दिन पार्टी ने तेज बहादुर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. 

साध्वी प्रज्ञा को मसूद को भी श्राप देना चाहिए: दिग्विजय

दिग्विजय सिंह ने साध्वी के करकरे को दिये श्राप वाले बयान पर तंज़ कसा है। तो ऐसे में वह श्राप को ले कर भी असमंजस में हैं। वह किसी की पीड़ा में भी आनंद लेते हैं। मान भी लेते हैं की श्राप होते हैं और लगते भी हैं तो वह यह क्यों भूलते हैं की राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप कब फलीभूत हुआ था।

नई दिल्‍ली : कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और भोपाल लोकसभा सीट से पार्टी के प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह ने बीजेपी प्रत्‍याशी साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर पर निशाना साधा है. शनिवार को दिग्विजय सिंह ने भोपाल में कहा कि अगर साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगना मसूद अजहर को श्राप दे देतीं तो पाकिस्‍तान में सर्जिकल स्‍ट्राइक की जरूरत नहीं पड़ती.

कांग्रेस प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह ने भोपाल में चुनावी रैली के दौरान अपनी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्‍याशी साध्‍वी प्रज्ञा के विवादित बयान को लेकर उन पर हमला बोला. दरअसल साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर ने पिछले दिनों विवादित बयान दिया था कि उन्होंने महाराष्‍ट्र एटीएस चीफ शहीद हेमंत करकरे को श्राप दिया था. हेमंत करकरे 2008 के मंबई आतंकी हमले में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे.

उन्‍होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सब भाई हैं. आजकल ऐसी चर्चाएं फैलाई जा रही हैं कि हिंदुओं को एकजुट हो जाना चाहिए. क्‍योंकि वे खतरे में हैं. मैं ऐसी चर्चाएं करने वाले लोगों से कहना चाहता हूं कि इस देश पर मुस्लिमों ने करीब 500 साल राज किया है. उस दौरान किसी भी तरह की हानि नहीं हुई. लोगों को धर्म बेचने वाले लोगों से सावधान रहने की जरूरत है.

अतीक अहमद पर पार्टी की सफाई

कई मामलों में आरोपी बाहुबली अतीक अहमद चुनाव लड़ने जा रहे हैं जिस पर अभी असमंजस की स्थिति है

मामलों में आरोपी बाहुबली अतीक अहमद चुनाव लड़ने जा रहे हैं जिस पर अभी असमंजस की स्थिति है

  • अतीक अहमद ने पीएम मोदी के खिलाफ ताल ठोंकने के लिए मांगी कोर्ट से इजाजत
  • बाहुबली अतीक अहमद ने कहा- नैनी जेल में रहकर प्रचार में होगी समस्या
  • एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट 29 अप्रैल को करेगी ऐप्लीकेशन पर सुनवाई
  • अतीक के खिलाफ 26 विचाराधीन मामलों पर इसी कोर्ट में हो रही है सुनवाई

लखनऊ: बाहुबली अतीक अहमद के नामांकन को लेकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया में असमंजस की स्थिति में है. पहले पार्टी के प्रदेश महासचिव लल्लन राय ने अतीक के वाराणसी से नामांकन कराए जाने का दावा किया गया था. लल्लन राय ने कहा था, “निश्चित रूप से अतीक अहमद वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं…नॉमिनेशन फार्म बनारस से इश्यू करा लिया है…प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं.” लेकिन PSPL के प्रदेश मीडिया प्रभाग ने इस बात का खंडन कर दिया. देर रात लल्लन राय अपने दिए बयान से पलटे. उन्होंने कहा, “अतीक अहमद के आवेदन करने के बाद विचार किया जाएगा.” 

उधर, बाहुबली अतीक अहमद ने आज़ स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में अपने लिए पेरोल की अर्जी दाख़िल की है. बता दें कि हाल ही में अतीक अहमद को सुप्रीम कोर्ट ने नैनी जेल से गुजरात की किसी जेल में रखने के लिए कहा था. साथ ही लखनऊ के कारोबारी मोहित जयसवाल को अगवा कर देवरिया जेल में हुई पिटाई के मामले को सीबीआई को सुपुर्द कर अतीक अहमद से जुड़े मुकदमों की जानकारी मांगी है. 

अतीक अहमद के खिलाफ 1979 से 2019 के दौरान 102 मामले दर्ज हुए. इनमें हत्या के 17, उप्र गैंगस्टर कानून के तहत 12, शस्त्र अधिनियम के तहत आठ और उप्र गुण्डा कानून के तहत चार मामले भी शामिल हैं. पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहे अतीक अहमद 11 फरवरी, 2017 से जेल में बंद है.

वाराणसी से नामांकन दायर कर सकते हैं तेलंगाना के किसान

तेलंगाना में निजामाबाद के करीब 50 किसान अपनी समस्याओं को उजागर करने के एक प्रयास के तहत वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दायर कर सकते हैं. किसानों की योजना हल्दी की लाभकारी कीमत और एक हल्दी बोर्ड के गठन की मांग पर दबाव बनाने के लिए निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की है. किसानों के समूह के एक नेता गंगा रेड्डी ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को यह जानकारी दी. वाराणसी में अंतिम चरण में 19 मई को चुनाव होगा. 

मोदी ने स्वयं को पिछड़ा घोषित किया: मायावती

मायावती यूं तो सारा साल ही चुनावी मोड में रहती हैं, लेकिन चुनावों के आने पर वह सुपर राजनेता बन जातीं हैं और वह वह बातें ढूंढ कर पढ़तीं हैं जिनके बारे में विपक्ष के प्रत्याशी ने अपने बारे में भी कभी सोचा भी नहीं होता। उनके हालिया बयानों से ज़ाहिर होता है की उनको दलित/पिछड़ा शब्द प्रयोग करने वाले नेताओं से कितनी असुरक्षा है। को भी नेता स्वयं को पिछड़ा बता दे तो उनकी अपनी दलित नेता की छवि खतरे में पद जाती है। आज कल प्रधान मंत्री उनके निशाने पर हैं।

लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुये कहा कि पीएम मोदी पहले अगड़ी जाति में ही आते थे लेकिन गुजरात में अपनी सरकार के चलते उन्होंने अपने राजनीतिक लाभ के लिए और पिछड़ों का हक मारने के लिये अपनी अगड़ी जाति को पिछड़े वर्ग में शामिल करवा लिया था. पीएम नरेंद्र मोदी, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की तरह जन्म से ही पिछड़े वर्ग के नही हैं.

मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए कहा कि चुनाव में फायदा लेने के लिए उन्होंने अपनी जाति को पिछड़ी जाति में शामिल करवा लिया था. आज उन्होंने (पीएम मोदी) कन्नौज में कहा कि हमें पिछड़े वर्ग का होने की वजह से विरोधी हमें नीच समझते हैं. अब इनका दलित-पिछड़ा कार्ड काम नही कर रहा है. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा के सारे हथकंडे फेल हो गए हैं. चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद किसी पार्टी ने आज तक कभी ईडी या सीबीआई का इस्तेमाल नहीं किया.

बसपा प्रमुख ने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी सीबीआई समेत सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है, जो कि आज से पहले कभी नहीं हुआ था. चीनी मिल मामले को राजनैतिक रंग दिया जा रहा है, यह सीबीआई के स्पष्ट दुरुपयोग का उदाहरण है. चीनी मिल विक्रय की कार्यवाई संबंधित विभाग द्वारा की गई. प्रक्रिया में कोई कमी रह गयी तो उसकी जांच हो सकती है. मगर समय गलत है चुनाव के दौरान यह कार्रवाई करके जनता को भ्रमित किया जा रहा है. जनता को इस साज़िश से होशियार रहना चाहिये.

उन्होंने कहा कि पहले तीन चरणों के रूझान के आधार पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन को जीत से कोई रोक नहीं सकता और भाजपा बुरी तरह से हार रही है. अभी तक हुये तीन चरणों में गठबंधन को अच्छा समर्थन मिला है और चौथा चरण भी गठबंधन का अच्छा रहेगा. बसपा प्रमुख ने कहा कि पूरे देश की जनता सजग हो चुकी है. अब वो वोट देने से पहले ये सोच रही है कि पांच वर्ष में क्या वादे पूरे हुए जो किये थे. जनता को क्या मिला क्या नहीं मिला, जनता खामोश है इसलिये भाजपा खास कर उत्तर प्रदेश में हर किस्म के हथकंडे का इस्तेमाल कर ही है, लेकिन सारे हथकंडे फेल हो रहे है. 

कांग्रेस के बाद भाजपा ने चुनाव आयोग से की केजरीवाल की शिकायत

भाजपा ने केजरीवाल पर अवैध घुसपैठियों के संबंध में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के बयान को भी तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया. चुनावों में विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं के बयानों के अर्थ का अनर्थ करना आम बात है। विपक्ष की बात अथवा घोषणा को जुमला बताना और अपने तंजों से उस बात का मज़ाक उड़ाना आम है। लेकिन अरविंद केजरीवाल और उनके दल की बात ही और है, उन्हे विपक्ष की हर बात में विघटन दीख पड़ता है और वह उस बात को इतना बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं की देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाये।

नई दिल्ली : बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मतदाताओं को एफएम रेडियो के विज्ञापन के जरिए ‘भ्रमित’ करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई. 

बीजेपी ने केजरीवाल पर अवैध घुसपैठियों के संबंध में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के बयान को भी तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया. दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने चुनाव आयोग के पास एक शिकायत पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने आप के एफएम रेडियो विज्ञापन पर आपत्ति जताई है. 

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘रेडियो विज्ञापन में दिल्ली के मुख्यमंत्री को दिल्ली के लोगों को यह कह कर उकसाते हुए सुना जा सकता है कि केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों से हजारों करोड़ों रुपये का राजस्व वसूलती है लेकिन सिर्फ 325 करोड़ रूपये ही दिल्ली को देती है.’’ उन्होंने चुनाव आयोग से आप के विज्ञापन की विषय-वस्तु की समीक्षा करने का अनुरोध किया.

बता दें कि कांग्रेस को दिल्ली में ‘हिंदू वोट नहीं मिलने’ से जुड़े अरविंद केजरीवाल के बयान को लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने शुक्रवार को ही चुनाव आयोग से आग्रह किया कि ‘सांप्रदायिक एवं भड़काऊ’ बयान देने के लिए आम आदमी पार्टी के संयोजक को चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित किया जाए.

मायावती को समझना इतना आसान नहीं है.

नई दिल्ली: 

लोकसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग  में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 8 अहम सीटों पर गुरुवार को मतदान हो गया है. यह सीटें ऐसी हैं जिनका संदेश उत्तर प्रदेश से होते हुए बिहार तक जाता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर जमकर ध्रुवीकरण हुआ था और नतीजा यह रहा है कि बीजेपी ने पूरे उत्तर प्रदेश में विपक्ष को साफ कर दिया था. यही हाल कुछ साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी रहा है. बीते 2 साल तक विपक्ष को ये बात बिलकुल नहीं समझ में आ रही थी कि बीजेपी का सामना कैसे किया जाए. लेकिन फिर ‘अंकगणित’ के एक फॉर्मूले ने धुर विरोधी सपा और बसपा को एक साथ आने के लिए मजूबर कर दिया. दोनों ने गठबंधन कर गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा का उपचुनाव जीत लिया. इसके बाद कैराना में सपा-बसपा-आरएलडी ने भी दोनों ने जीत दर्ज की. लेकिन इस कैराना मॉडल से आगे इन सभी दलों का गठबंधन फंस गया और लोकसभा चुनाव सपा-बसपा ने आपस में गठबंधन कर लिया और 3 सीटें आरएलडी के लिए छोड़ दीं. लेकिन न मायावती और न अखिलेश ने कांग्रेस को ज्यादा भाव दिया. मायावती का रुख कांग्रेस को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्त है. उधर कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया. लेकिन बात सिर्फ यहीं आकर खत्म नहीं हुई. चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती को समझना इतना आसान नहीं है.

सपा-बसपा और आरएलडी के महागठबंधन के नेताओं की संयुक्त रैली सिर्फ सहारनपुर में हुई है और उसमें भी मायावती ने मंच से मुस्लिमों से कांग्रेस के खिलाफ और महागठबंधन के पक्ष में वोट डालने की अपील कर डाली. जिसने विपक्ष के नेताओं को माथे पर पसीना ला दिया है.  इस बात की चर्चा है कि मायावती बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ ही नही रही हैं. लोगों का कहना है कि मायावती की इस अपील से मुस्लिमों का बंटवारा हो सकता है जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है. वहीं दूसरी ओर हिंदू वोटरों का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण हो सकता है.

वहीं इस बात की भी चर्चा है कि जिस तरह की आज तक ‘बहन जी’ करती रही हैं, वह किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के साथ जा सकती हैं, जो 23 मई को आने वाले चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा. वहीं जिस तरह से अखिलेश का कांग्रेस के प्रति रुख नरम है उस पर भी मायावती ने कहा है कि वह पूरी ताकत के साथ कांग्रेस पर हमला बोलें. मायावती कांग्रेस से क्यों इतना नाराज हैं इसकी कई बड़ी वजहें हैं. पहली बड़ी वजह है कि टीम प्रियंका इस समय उत्तर प्रदेश में दलित वोटरों पर पूरी तरह से फोकस कर रही है. इस पर अभी मायावती का पूरा राज है जबकि इंदिरा गांधी के समय यह कांग्रेस का कोर वोट बैंक हुआ करता था. कांग्रेस का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जितनी ही सीटें मिल जाएं वहीं बहुत हैं. पार्टी दलित और सवर्णों को अपने पाले में कर राज्य के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. इसमें प्रियंका चेहरा बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.

दूसरी ओर प्रियंका गांधी इसी कोशिश में भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद से भी मिल चुकी हैं. मायावती को नागवार गुजरा है. मायावती नहीं चाहती हैं कि दलितों में उनके टक्कर का कोई नेता खड़ा हो जाए. तीसरा कभी उनके सबसे नजदीक रहे नसीमुद्दीन सिद्दकी को कांग्रेस ने चुनाव लड़ा दिया है. कुल मिलाकर जो समीकरण बन रहे हैं उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि अभी बहुत कुछ होना बाकी है. दूसरी कांग्रेस भी उनकी मांगे मानने को तैयार नहीं है.  माना जाता है कि मायावती कई नेताओं से कांग्रेस से रवैये की शिकायत कर चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक मायावती ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस नेता कमलनाथ से कहा, “आप लोग (कांग्रेस पार्टी) हाथी (BSP का चुनाव चिह्न) पर सवार होकर आराम से दिल्ली पहुंच जाना चाहते हैं… मैं ऐसा नहीं होने दूंगी…”

लोकतन्त्र के महापर्व के 3सरे चरण की 117 सीटों पर मतदान आज

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को 15 राज्यों की 117 सीटों पर मतदान होगा. तीसरे चरण की 117 सीटों में से बीजेपी का लक्ष्य अपनी 62 सीटों को बचाने का होगा. पार्टी ने 2014 मे इन सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं विपक्षी दल बीजेपी से ये सीटें छीनना चाहेंगे. यह चरण बीजेपी और कांग्रेस के लिए काफी अहम है.  

नई दिल्ली: देश में सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को 15 राज्यों की 117 सीटों पर मतदान होगा. इस चरण के साथ गुजरात, केरल, गोवा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, असम, दादर नागर हवेली और दमन-दीव की सभी लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा हो जाएगा. तीसरे चरण की 117 सीटों में से बीजेपी का लक्ष्य अपनी 62 सीटों को बचाने का होगा जहां पार्टी ने 2014 मे जीत हासिल की थी. इसलिए यह चरण बीजेपी के लिए काफी अहम है.

तीसरे चरण में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों दलों के प्रमुख चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव में उतर हैं. वह गांधीनगर से पार्टी के प्रत्याशी हैं, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस चरण में केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार हैं. पिछले चुनाव में इनमें से 16 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे, जबकि अन्य सीटें बीजद (6), माकपा (7), राकांपा (4), समाजवादी पार्टी (3), शिवसेना (2), राजद (2), एआईयूडीएफ (2), आईयूएमएल (2), लोजपा (1), पीडीपी (1), आरएसपी (1), केरल कांग्रेस-एम (1), भाकपा (1), स्वाभिमानी पक्ष (1), तृणमूल कांग्रेस (1) और निर्दलीय (3) की झोली में गई थीं.

गुजरात में बीजेपी की परीक्षा
इस बार बीजेपी की परीक्षा उसका गढ़ रहे गुजरात में होगी. प्रदेश की सभी 26 लोकसभा सीटों पर अज मतदान होगा. इसके अलावा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी की परीक्षा होगी जहां पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में उसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था. बीजेपी ने इस चरण में मतदान वाली सीटों पर 2014 में गुजरात की सभी 26 सीटों, कर्नाटक की 14 में से 11 सीटों और उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में से आठ पर, छत्तीसगढ़ की सात में से छह सीटों पर, महाराष्ट्र की 14 में से छह सीटों पर, गोवा की दोनों सीटों पर और असम, बिहार, दादर नागर हवेली और दमन-दीव की एक-एक सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य होने के कारण बीजेपी इस बार भी गुजरात की सभी सीटों पर जीत हासिल करने की उम्मीद लगाए बैठी है. लेकिन, कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में बीजेपी को कड़ी चुनौती थी, इसलिए कांग्रेस भी 10 से 15 सीटों पर इस बार जीत की उम्मीद कर रही है. गुजरात के तीन युवा नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी ने विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की पकड़ मजबूत बनाने में मदद की थी, लेकिन इस बार वे चुनाव की दौड़ में शामिल नहीं हैं. पाटीदार नेता पटेल पिछले महीने कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन दंगा से संबंधित मामले में अभियुक्त होने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ पाए, जबकि ठाकोर ने इसी महीने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया. 

तय होगी यादव परिवार की किस्मत
समाजवादी पार्टी का गढ़ रहे मैनपुरी, बदायूं और संभल लोकसभा क्षेत्रों में मंगलवार को मतदान होने जा रहा है और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन होने के बाद इन क्षेत्रों में सपा की संभावना को मजबूती मिली है. यह भी एक राय है कि कांग्रेस भी बीजेपी का ही वोट काटेगी. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव फिरोजाबाद से अपने भतीजे व सपा उम्मीदवार अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं और वह सपा-बसपा गठबंधन के विरोध में लोगों को वोट करने कह रहे हैं. सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं.

कर्नाटक में बीजेपी को मिल रही कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से कड़ी चुनौती
कर्नाटक में मंगलवार को जिन 14 सीटों पर मतदान हो रहा है, वहां बीजेपी की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, लेकिन उसे कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है. उधर, बीजेपी को उत्तर प्रदेश में भी तीसरे चरण में यादव बहुल इलाके में कड़ी चुनौती मिल रही है. 

महाराष्ट्र में तीसरे चरण में बारामती, माधा, कोल्हापुर और सतारा समेत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गढ़ में मतदान हो रहा है. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले बारामती से चुनाव मैदान में हैं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने अपनी सभी मौजूदा सांसदों को बदल दिया है. पार्टी को प्रदेश में 15 साल बाद पिछले साल सत्ता में वापस आई कांग्रेस से चुनौती मिल रही है. 

मधेपुरा में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष
बिहार में इस चरण में जिन क्षेत्रों में चुनाव हो रहा है उनमें से बीजेपी को 2014 में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी और पार्टी इस बार भी इनमें से एक ही सीट पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) तीन सीटों पर और लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. वहीं, महागठबंधन में शामिल आरजेडी तीन सीटों पर जबकि कांग्रेस और विकासशील इन्सान पार्टी (वीआईपी) एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रही हैं. मुख्य मुकाबला मधेपुरा में है जहां वर्तमान सांसद पप्पू यादव (पिछली बार राजद के टिकट पर) इस बार अपने ही दल जन अधिकार पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं और उनके खिलाफ आरजेडी उम्मीदवार शरद यादव चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एनडीए में शामिल जेडीयू के टिकट पर दिनेश चंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं. मधेपुरा में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष है. 

क्या पुरी में खिलेगा कमल
ओडिशा के पुरी लोकसभा क्षेत्र में भी त्रिकोणीय संघर्ष है जहां तीन प्रमुख दलों के प्रवक्ताओं के बीच लड़ाई है. वर्तमान सांसद और बीजू जनता दल (बीजद) प्रवक्ता पिनाकी मिश्र का मुकाबला बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा से है, जबकि कांग्रेस के मीडिया सेल अध्यक्ष सत्यप्रकाश नायक भी चुनावी मैदान में हैं. असम में चार लोकसभा क्षेत्रों में मंगलवार को मतदान होगा जहां कांग्रेस और ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को लेकर बीजेपी के विरोध का लाभ मिलने की उम्मीद है.

केरल में राहुल गांधी वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. प्रदेश की 20 लोकसभा सीटों में से आठ पर पार्टी ने 2014 में जीत दर्ज की थी और उसके सहयोगियों ने भी कुछ सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी भी केरल में चार सीटों पर जीत की उम्मीद लगा रही है. पश्चिम बंगाल में बहुकोणीय संघर्ष है जहां तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस अपने-अपने दावे ठोंक रहे हैं.

भाजपा और कांग्रेस की जीत रोकने को इनेलो व जेजेपी-आप गठबंधन ने अहिरवाल को लिया निशाने पर

चार कोणीय मुकाबले में जीत के लिए संघर्ष भाजपा और कांग्रेस के बीच, अहिरवाल क्षेत्र में पिछले चुनाव में मिली हार को जीत में बदलने को तैया श्रुति चौधरी, अहिरवाल क्षेत्र में इतिहास दोहराने के लिए भाजपा पत्याशी को इंदरजीत और रामबिलास का सहारा

भिवानी:

इनेलो और जेजेपी-आप गठबंधन ने कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के सामने कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इनेलो और जेजेपी-आप गठबंधन ने भाजपा व कांग्रेस की जीत रोकने के लिए अहिरवाल क्षेत्र को रॉडार पर लिया है। इनेलो प्रत्याशी बलवान सिंह और गठबंधन प्रत्याशी स्वाति दोनों ही यादव है। बलवान सिंह पूर्व सैनिक भी हैं, जो क्षेत्र के एक्स सर्विसमैन के वोटों को रिझाायेगा। दोनो दलों ने अहिरवाल क्षेत्र को इसलिए निशाने पर रखा, क्योकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत का अधिक मार्जन अहिरवाल की चार विधानसभा क्षेत्रों से ही मिला था। यह भी स्पष्ट है कि दोबारा मैदान में उतरी कांग्रेस की प्रत्याशी श्रुति चौधरी इस बार जीत के लिए अहिरवाल की नांगल चौधरी, अटेली, नारनौल और महेन्द्रगढ़ विधानभा क्षेत्र पर दबाव बनायेंगी। क्योकि इन्ही चार विधानसभा क्षेत्रों से श्रुति चौधरी को दो लाख 80 हजार 874 वोटों की हार मिली थी। कांग्रेस प्रत्याशी श्रुति चौधरी को सर्वाधिक लीड 10 हजार 984 वोटों की अपने माताश्री किरण चौधरी के विधानसभा क्षेत्र तोशाम से मिली थी। इसके अलावा उनको लोहारू से 5825 और बाढड़़ा क्षेत्र से 7274 वोटों की लीड मिली थी। इस बार श्रुति चौधरी का फोक्स कमजोर रही विधानसभा क्षेत्रों पर रहेगा। जबकि इस बार राजनैतिक हालात बदले हुए हैं। साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद श्रुति चौधरी को मोदी लहर ने नुकसान पहुंचाया, वहीं उनकी अपनी पार्टी के प्रभावी नेता भी चुपी साध गए। इस चुपी के पिछे कारण जो भी रहे पर इसका खामियाजा श्रुति चौधरी को हार के रूप में उठाना पड़ा। अब विपक्ष में रह कर कांग्रेसी नेताओं में बदलाव आया है। चर्चाओं के अनुसार अहिरवाल के प्रभावी नेता पूर्व सीपीएस राव दानसिंह इस बार अपनी पार्टी की प्रत्याशी श्रुति चौधरी का साथ देंगे। बताया गया है कि उन्होने महेन्द्रगढ़ में अपने कार्यकर्ताओं की बैठक 21 अप्रैल को बुलाई हुई है। इस बैठक में वे श्रुति चौधरी के समर्थन की घोषणा कर अपने कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी भी लगायेंगे। इतना ही नहीं इस बार श्रुति को अपने परिवार का भी साथ मिलेगा। वहीं भाजपा प्रत्याशी रेडमैन धर्मबीर सिंह को इस बार अपनी पार्टी के नेताओं की नाराजगी का समाना करना पड़ रहा है। अहिरवाल के लिए उनको राव इंदरजीत सिंह और शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा पर पूरा भरोसा है। जाट प्रभावी भिवानी-महेन्द्रगढ़ सीट पर यादव मतदाता दूसरे नम्बर पर आते हैं। इस क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या करीब पोने चार लाख है, जबकि जाट मतदाता साढ़े चार लाख से अधिक हैं। इनेलो और जेजेपी-आप गठबंधन ने इन्ही चार लाख मतदाताओं को लुभाने के लिए यादव प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है। इनेलो के प्रत्याशी बलवान सिंह गैर-राजनैतिक पृष्ठभूमि से हैं। पर गठबंधन की स्वाति यादव का परिवार राजनैतिक है। उनके पिता सतबीर नोताना ने इनेलो की टिकट से अटेली क्षेत्र से 2014 का विधानसभा चुनाव लड़ा चुके हैं। लेकिन इस बार इनेलो के दो फाड़ होने से पार्टी का परम्परागत वोट बंटेगा। ऐसे में जेजेपी को आप का साथ मिला है। आने वाले समय में हालात चाहे जो बदले पर इस सीट से मुकाबला चार कोणीय रहेगा। पर जीत की चुनावी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहेगी। 

विशेष पर्यवेक्ष्क ने बंगाल के हालात की तुलना 15 साल पुराने बिहार से की

चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षक अजय वी. नायक ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात बिहार के 15 साल पुराने जैसे हालात की तरह हैं. बिहार में उस समय सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जरूरत पड़ती थी. अब ऐसी जरूरत पश्चिम बंगाल में पड़ती है, क्योंकि राज्य के लोगों को पश्चिम बंगाल पुलिस पर भरोसा नहीं रहा और वे सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग कर रहे हैं.’

कोलकाता: 

चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षक अजय वी. नायक ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात 15 साल पहले के बिहार जैसे हैं. बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) रह चुके नायक ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों का राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं रह गया है और इसलिए सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की उनकी मांग बढ़ गई है.

पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में नायक ने कहा कि बिहार में अब हालात सुधर चुके हैं और वहां कम संख्या में केंद्रीय बलों की जरूरत पड़ती है. साल 1984 बैच के आईएएस अधिकारी नायक को हाल में पश्चिम बंगाल में होने वाले अंतिम पांच चरणों के चुनाव की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात बिहार के 15 साल पुराने जैसे हालात की तरह हैं. बिहार में उस समय सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जरूरत पड़ती थी. अब ऐसी जरूरत पश्चिम बंगाल में पड़ती है, क्योंकि राज्य के लोगों को पश्चिम बंगाल पुलिस पर भरोसा नहीं रहा और वे सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग कर रहे हैं.’ नायक ने पश्चिम बंगाल के सीईओ आरिज आफताब की मौजूदगी में कहा, ‘मैं यह नहीं समझ पा रहा कि जब बिहार के लोग माहौल और हालात में बदलाव लाने में कामयाब हो गए तो पश्चिम बंगाल में ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा.’

उन्होंने कहा कि 23 अप्रैल को तीसरे चरण के मतदान के दौरान केंद्रीय बलों की 324 कंपनियों को पांच लोकसभा क्षेत्रों के 92 फीसदी से ज्यादा मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा. 23 अप्रैल को राज्य की बलूरघाट, मालदा उत्तरी, मालदा दक्षिणी, जांगीपुर और मुर्शिदाबाद लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. इस बीच, चुनाव आयोग ने मालदा के पुलिस अधीक्षक अर्णब घोष का तबादला कर दिया है. उनकी जगह अजय प्रसाद को मालदा का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है.

सूत्रों ने बताया कि कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस प्रशासन के करीबी घोष चुनाव आयोग की नजरों में थे. कुछ दिनों पहले प्रदेश भाजपा ने चुनाव आयोग से घोष को पद से हटाने की मांग की थी.