Protocol Revision: Prez loses ‘majesty’ status, no ‘honourable’ tag for ministers

Chandigarh: September 24, 2018: Department of General Administration, Punjab, has directed all government officers to stop using salutation for the President as “His/Her excellency ” and the ministers as “Honourable”.

From now on, the officers will use “Mahodya” and “Ji” during communications.

The directions have been issued on basis of a letter issued by Joint Secretary, Government of India, Daniel E Richards in which he drew attention to the office memorandum issued by the Home Ministry on January 31, 2013, which cited that official language be put into use instead of the usual salutations.

In the communique sent to officers in Punjab, it has been directed that the in the official communications, Governor should be addressed as “Rajyapal ji” and during public appearances, he/she should be addressed as “Rajyapal Mahodya”.

Similarly, Chief Minister should simply be addressed as “chief minister ji” in the official communications and be addressed as “chief minister Punjab” during public appearances. The President would be simply called “Rashtrapati ji” in official terms and “Rashtrapati Mahodya” during public appearances, functions, gatherings, etc.

As per the official language, the ministers shall be addressed on basis of departments under their jurisdiction. For example, minister of the health department be titled as “health minister”. During any public gatherings, “Ji” would be added to the title, for example, “health minister ji”.

बारिश से हाल बेहाल

 

पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ एडवाईडजर जारी, कहीं छात्रों की बस डूबी, कही मकान बहे, देश दुनिया से मनाली कटा, टे्रनों में पानी भरा, आवाजाही ठप्प

चंडीगढ़। उत्तरी भारत में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल व चंडीगढ़ में अलर्ट जारी कर दिया गया है। आई तेज बारिश से कहीं पर स्कूली छात्रों की बस पानी में बह गई है कहीं पर मकान गिरने से कई लोग दब गए है जबकि हिमाचल में कई जगह पहाडिय़ां गिरने से आवाजाही ठप्प हो गई है। जबकि मनाली देश के अन्य भागों से कट गया है। इसी प्रकार घग्गर नदी का जहां जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं पर प्रशासन ने बाढ़ आपदा प्रबंधन को सतर्क कर दिया है। वहीं हरियाणा व पंजाब में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इस बार बेहतर पैदावार की उम्मीद में बैठे किसानों के सपने टूट गए हैं। बारिश ने फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। असमय हुई बारिश का धान, कपास और अन्य फसलों पर काफी बुरा असर हुआ है। किसानों ने बारिश सेे खराब हुई फसलों की विशेष गिरदावरी कराकर मुआवजा देने की मांग की है।

हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में जनजीवन अस्तव्यस्त, भूस्खलन के चलते मार्ग हुआ अवरूद्ध…

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बीते 48 घंटे में झमाझम बारिश हो रही है। प्रदेश के बारह जिलों में जनजीवन अस्तव्यस्त है। सबसे अधिक बारिश सूबे के चंबा जिले में हुई है। जबकि सबसे ज्यादा तबाही कुल्लू जिले में हुई है। यहां पर बस और ट्रक के अलावा कई वाहन बह गए हैं। आनी क्षेत्र में भूस्खलन के चलते आनी-शवाड-कराणा मार्ग हुआ अवरुद्ध है। चंडीगढ़-मनाली हाईवे मंडी से लेकर मनाली तक कई जगह से बंद है। मंडी जिले में भी बारिश का कहर देखने को मिला है। ओट के पास चंडीगढ़ मनाली हाईवे पर ब्यास नदी का पानी आने से इस हाईवे को बंद कर दिया गया है। वहीं, मंडी पंडोह और लारजी डैम के गेट खोले गए हैं। मंडी जिले में भी बारिश का कहर देखने को मिला है। ओट के पास चंडीगढ़ मनाली हाईवे पर ब्यास नदी का पानी आने से इस हाईवे को बंद कर दिया गया है। वहीं, मंडी पंडोह और लारजी डैम के गेट खोले गए हैं।

चंबा में रावी नदी पूर उफान पर है। कई संपर्क मार्ग बंद हो गए हैं। भारी बारिश औऱ रावी नदी में बाढ़ के चलते उपायुक्त चंबा ने की इमरजेंसी बैठक की है। नवोदय स्कूल के बच्चों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश जारी किए हैं। बालू पुल पर सब तरह के वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए बन्द किया है। भारी बारिश औऱ रावी नदी में बाढ़ के चलते उपायुक्त चंबा ने की इमरजेंसी बैठक की है। नवोदय स्कूल के बच्चों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश जारी किए हैं। बालू पुल पर सब तरह के वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए बन्द किया है। चम्बा तीसा मार्ग राठ के पास भूस्खलन की वजह से बन्द हो गया है।

कांगड़ा में सल्ली गांव पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गया हैं। 300 लोगों ने आधी रात को घरों से भाग कर अपनी जान बचाई है। भूस्खलन से एक गांव में 300 लोगों को देर रात रेस्क्यू किया गया है. मंत्री सरवीण चौधरीं गज खड्ड का जायजा लेने पहुंचीं हैं। साथ ही कांगड़ा के रजोल जायजा लिया है।सिरमौर जिले में भारी बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। जिला में कई संपर्क में यातायात के लिए पूरी तरह से बाधित हैं। यहां सिरमौर में गिरी नदी में महिला के बहने की खबर है। कई स्थानों पर जान जोखिम में डालकर लोग सफर कर रहे हैं।

शिमला में बारिश की वजह से ठंड बढ़ गई है। यहां पारा लुढ़का है। शिमला के रामपुर, नारकंडा, कुमारसैन, सराहन ननखंडी में बीते तीन दिनों से लगातार बारिश से जनजीवन सामान्य है। कहीं से किसी नुकसान की खबर नहीं है। एहतियातन के तौर पर सभी स्कूल कालेज बंद हैं।सोलन में बारिश की वजह से नालागढ़ में नुकसान हुआ है। यहां पर रामशहर मार्ग पर भूस्खलन हुआ है। शिलणु पुल के पास सड़क पर पहाड़ी से मलबा गिरा है। यहा मार्ग बीते 10 घंटों से बंद है। लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है।

किन्नौर जिले में भी आसमान से सितम का बरसना जारी है। जिले की पहाडयि़ों में पर बर्फबारी और निचली क्षेत्रों में बारिश हो रही है। कई स्थानों पर एनएच अवरूध है। साथ ही सेब तुडान प्रभावित हुआ है। ऊना में भी जमकर बारिश हो रही है। हालांकि, यहां पर स्कूल और कॉलेज सामान्य दिनों की तरह खुले हुए हैं।बिलासपुर में लगातार भारी वर्षा के चलते सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में 24 सितम्बर को जिलाधीश विवेक भाटिया ने अवकाश घोषित किया है। साथ ही आम जनता को नदियों और नालों के तट पर ना जाने की अपील की है।  लाहौल स्पीति के केलांग में डेढ़ फुट बर्फबारी हुई है। केलांग इस वजह से देश और दुनिया से कट गया है. यहां पर जगह-जगह बिजली के पोल गिरे हैं। इस कारण बिजली सप्लाई बाधित हुई

28 से 30 सितंबर देश भर में पराक्र्म पर्व का आयोजन होगा

28 सितंबर से 30 सितंबर को देश भर में पराक्र्म दिवस मनाया जाएगा। यह पर्व भारत की सेना द्वारा पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की याद में मनाया जा रहा है। इसी दौरान सेना द्वारा फिल्मायी गयी सर्जिकल स्ट्राइक का वृत्तचित्र भी दिखाया जाएगा।

प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री इंडिया गेट में सेना और राष्ट्र के साथ इसमें उपस्थित रहेंगे।

जिस भी नेता के साथ भाजपा जुल्म और ज्यादती करेगी हम उसे कांग्रेस में शामिल कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे: प्रतापसिंह खाचरियावास

बाड़मेर के विधायक मानवेंद्र सिंह के बीजेपी छोड़ने के ऐलान के बावजूद पार्टी को उनके इस्तीफे का इंतजार है. वहीं कांग्रेस मानवेंद्र को गले लगाने को बेताब दिखाई दे रही है. जानकारों का मानना है कि मानवेंद्र के भाजपा छोड़ने के बाद अब मारवाड़ की राजनीति में नए जातीय और सामाजिक समीकरण बनकर उभरेंगे. इन समीकरणों में उनकी भूमिका अहम होगी.

मानवेन्द्र सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद सीएम वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के दौरान झुंझूनूं में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी स्वाभिमान रैली से अनजान बनते दिखाई दिए. मानवेंद्र सिंह के पार्टी छोड़ने के मुद्दे पर सैनी का कहना है कि उन्हें अभी तक सिंह का इस्तीफा नहीं मिला है. उनके पार्टी छोड़ने की उन्‍हें कोई खबर नहीं है.

स्वाभिमान रैली में गूंजे थे कांग्रेस जिंदाबाद के नारे:

इधर मानवेंद्र की स्वाभिमान रैली के बाद कांग्रेस उत्साहित दिखाई दे रही है. सिंह की स्वाभिमान रैली में कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद के नारे खूब गूंजे थे. लिहाजा कांग्रेस के नेता पलक पावड़े बिछाकर उनका पार्टी में स्वागत करने को बेताब नजर आ रहे हैं. कांग्रेस नेता प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा मानवेंद्र सिंह जैसे नेताओं के लिए कांग्रेस में दरवाजे खुले हैं. जिस भी नेता के साथ भाजपा जुल्म और ज्यादती करेगी हम उसे पार्टी में शामिल कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे.

वहीं जानकार मानते हैं कि मानवेंद्र इस चुनाव में मारवाड़ की राजनीति में अहम किरदार साबित होंगे.

सिंह जल्द शुरू करेंगे अपना नया सियासी सफर:

मानवेन्द्र अपनी धन्यवाद यात्रा के बाद जल्द नए सियासी सफर का आगाज करेंगे. मानवेन्द्र का रास्ता कांटों भरा जरूर है, लेकिन उनके पास गिनाने के लिए भाजपा की नाइंसाफी है और हासिल करने के लिए जनता की सहानूभूति. नतीजे चाहे जो हों, मगर मारवाड़ की राजनीति में उनकी भूमिका खासी महत्वपूर्ण होने वाली है. उल्लेखनीय है कि मानवेन्द्र सिंह ने शनिवार को बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली में बीजेपी छोड़ने की घोषणा कर दी थी.

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बारे में हम सिर्फ यही कहेंगे सूप बोले तो बोले, छलनी क्या बोले जिसमें एक हजार छेद हैं


कांग्रेस पार्टी ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कहे गए अपशब्दों की आलोचना की है और उन्हें सेना-आईएसआई का मुखौटा बताया है


पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा भारत सरकार के बारे में दिए बयान की निंदा करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि इमरान वहां की सेना और आईएसआई के मुखौटा हैं और उन्हें भारत की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में ‘अपशब्द’ कहने का कोई अधिकार नहीं है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बारे में हम सिर्फ यही कहेंगे सूप बोले तो बोले, छलनी क्या बोले जिसमें एक हजार छेद हैं. जो आतंकवाद का जन्मदाता हैं उस पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है कि भारत सरकार और प्रधानमंत्री के बारे में अपशब्द बोले. यह हमें कभी स्वीकार नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां हमेशा शांति और भाईचारा पनपा है. जबकि पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया है. वहां की सरकार और इमरान खान सेना एवं आईएसआई का मुखौटा है. इमरान कश्मीर की राग अलाप रहे हैं. हम उनकी बात को खारिज करते हैं.

दरअसल, प्रधानमंत्री खान ने एक ट्वीट में कहा, ‘शांति वार्ता फिर से शुरू किए जाने के लिए मेरे आह्वान पर भारत के अहंकारी और नकारात्मक रूख से निराश हूं.’

भारत द्वारा विदेश मंत्री स्तर की बैठक रद्द किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैंने अपने पूरे जीवन देखा है कि छोटे लोग बड़े पदों पर आसीन रहे हैं और उनके पास बड़ी तस्वीर देने का दृष्टिकोण नहीं हैं.

‘कमल का फूल बड़ी भूल’ : मानवेन्द्र सिंह ने थामा कांग्रेस का हाथ


कांग्रेस में जाने के सवाल पर मानवेंद्र ने कहा कि अब वह धन्यवाद यात्रा पर निकलेंगे, घर-घर जाकर लोगों को धन्यवाद देंगे और आगे की राजनीतिक राह भी उनकी राय से ही तय करेंगे


पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे और राजस्थान के शिव से बीजेपी विधायक मानवेंद्र सिंह जसोल ने शनिवार को पार्टी से औपचारिक रूप से नाता तोड़ लिया और कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

पचपदरा में अपनी बहु्प्रचारित स्वाभिमान रैली के बाद जसोल में मानवेंद्र ने कहा कि उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है और वह आगामी लोकसभा चुनाव घर (बाड़मेर-जैसलमेर सीट) से लड़ेंगे.

कांग्रेस में जाने के सवाल पर मानवेंद्र ने कहा कि अब वह धन्यवाद यात्रा पर निकलेंगे, घर-घर जाकर लोगों को धन्यवाद देंगे और आगे की राजनीतिक राह भी उनकी राय से ही तय करेंगे. इससे थोड़ी देर पहले ही मानवेंद्र ने कहा, ‘मैं अब बीजेपी में नहीं हूं.’

वहीं बाड़मेर के पास पचपदरा में अपनी बहुप्रचारित रैली में मानवेंद्र ने ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ कहते हुए पार्टी से नाता तोड़ने का संकेत दिया था.

इस स्वाभिमान रैली में बड़ी संख्या में राजपूत व अन्य वर्ग के लोग पहुंचे. रैली को संबोधित करते हुए मानवेंद्र ने कहा कि पार्टी आलाकमान व बड़े नेताओं के कहने पर वे साढ़े चार साल से धैर्य रखे हुए थे, लेकिन अब उनका धैर्य टूट गया है. उन्होंने कहा कि अपनी चिंताओं व मुद्दों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष को अवगत करवाया था. मानवेंद्र ने कहा,‘जब निर्णय लेने वाले निर्णय नहीं कर पाते तो धैर्य टूट जाता है.’

रैली में कांग्रेस जिंदाबाद के नारों के बीच मानवेंद्र ने ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ कहा.

मानवेंद्र और बीजेपी के रिश्ते बीते चार साल से तल्ख बने हुए थे. इसकी शुरुआत 2014 के आम चुनाव में पार्टी द्वारा जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिए जाने से हुई. राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

“Disappointed at the arrogant and negative response by India to my call for resumption of the peace dialogue,” Khan


India’s decision came following nation-wide outrage over the brutal killings of Indian security personnel by Pakistan-based entities.


Lashing out at Prime Minister Narendra Modi in response to India’s decision to stay away from the peace dialogue, Pakistan’s new Prime Minister Imran Khan on Saturday said he was “disappointed at the arrogant and negative response by India”.

“Disappointed at the arrogant and negative response by India to my call for resumption of the peace dialogue,” Khan tweeted.

“However, all my life I have come across small men occupying big offices who do not have the vision to see the larger picture,” he added.


Imran Khan

@ImranKhanPTI

Earlier on Friday, New Delhi called off a meeting between Indian External Affairs Minister Sushma Swaraj and Pakistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi which was scheduled to be held on the sidelines of the UN General Assembly (UNGA) session later this month.

The decision came following nation-wide outrage over the brutal killings of Indian security personnel by Pakistan-based entities.

India also lashed out at Pakistan’s new Prime Minister Imran Khan, saying his “true face” has been revealed to the world in his first few months in office.

The cancellation of the foreign ministers’ meeting came within 24 hours of India announcing that it has accepted the Pakistan PM’s request to Prime Minister Narendra Modi in a letter for such a meeting.

In a strongly-worded statement, External Affairs Ministry spokesperson Raveesh Kumar noted that since Thursday’s announcement of a meeting between the two foreign ministers, two deeply disturbing developments have taken place.

“The brutal killings of our security personnel by Pakistan-based entities and the recent release of a series of 20 postage stamps by Pakistan glorifying a terrorist and terrorism confirm that Pakistan will not mend its ways,” he said.

The spokesperson said the decision to agree to Pakistan’s proposal for a meeting between the foreign ministers was in response to the spirit reflected in the letters from the new Prime Minister and his Foreign Minister.

It is learnt that senior officials of the PMO and the External Affairs Ministry held a meeting on Friday afternoon and took note of the nation-wide outrage over the mutilation of the body of the BSF jawan near Jammu and the abduction and killing of three J-K policemen.

माया कि माय को भेदना आसान नहीं


गुरुवार को मायावती ने कांग्रेस के बागी अजीत जोगी के साथ छत्तीसगढ़ में गठबंधन कर लिया, जिसके बाद कांग्रेस ने कहा कि वह राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ेगी, मध्य प्रदेश में भी वो अकेले मैदान में उतरने की तैयारी में हैं


बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती संभवतः समाजवादी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के साथ मिल कर तीसरा मोर्चा बना सकती हैं. यह तीसरा मोर्चा आगामी राजस्थान चुनावों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा. माना जा रहा है कि अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले बीएसपी की ओर से कांग्रेस को यह तीसरा झटका होगा.

गुरुवार को मायावती ने कांग्रेस के बागी अजीत जोगी के साथ छत्तीसगढ़ में गठबंधन बना लिया. जिसके बाद कांग्रेस ने कहा कि वह राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी. मध्य प्रदेश में भी उन्होंने अब तक 22 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है.

राजस्थान के प्रभारी और सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने इस खबर की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘पार्टी गठबंधन के लिए मायावती के संपर्क में है. जेडीएस और एसपी के साथ वामपंथी दलों ने तीसरा मोर्चा बनाया है. बीएसपी के भी इसमें शामिल होने पर हमें खुशी होगी. हम बीएसपी नेतृत्व के संपर्क में हैं. हालांकि बसपा कांग्रेस के साथ भी सीटों के मुद्दे पर संपर्क में है.’

छत्तीसगढ़ के उलट, जहां कांग्रेस गठबंधन करना चाह रही थी, वहीं राजस्थान में बीएसपी को साथ लेने के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने किसी भी गठबंधन के खिलाफ खुल कर सामने आए, क्योंकि पार्टी राज्य में अधिक आत्मविश्वास से लबरेज है, जहां हर पांच साल पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सत्ता परिवर्तन का इतिहास है.

अभी भी कांग्रेस के संपर्क में मायावती

हालांकि, बीएसपी के विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि मायावती अभी भी कांग्रेस हाई कमान के संपर्क में हैं और राज्य इकाई के स्टैंड के बावजूद दोनों के बीच गठबंधन पूरी तरह से इनकार नहीं किया गया है.

एक वरिष्ठ बीएसपी कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम कांग्रेस और अन्य गैर-बीजेपी दलों के संपर्क में हैं. लेकिन, हम राजस्थान चुनावों में अकेले जाने की गंभीरता पर विचार कर रहे हैं.’ बता दें कि पिछले चुनावों में भी बीएसपी ने राज्य में गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया था और साल 2013 में 199 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसने 3 सीटें जीती थी और लगभग 5 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था.

विश्लेषकों का कहना है कि इन तीनों राज्यों में हुए मौजूदा राजनीतिक परिवर्तनों से पता चलता है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के लिए बीजेपी विरोधी गठबंधन बनाना आसान नहीं होगा. हवा बदले में गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस पार्टियों के तीसरे मोर्चे की ओर उड़ सकती है.

हरियाणा में आईएनएलडी से हाथ मिला चुकी हैं मायावती

हरियाणा में भी बीएसपी-भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के साथ आ गई है. हालांकि राज्य में विधानसभा चुनाव आम चुनाव के बाद हैं, पिछले महीने आईएनएलडी अध्यक्ष के साथ मायावती की बैठक साल 2019 के चुनावों के लिए बहुत महत्व रखता है.

प्रमुख राजनीतिक राज्य उत्तर प्रदेश में एसपी और बीएसपी दोनों सीट साझा करने में कांग्रेस को समायोजित करने के विचार से असहज हैं. आने वाले विधानसभा चुनावों में यह दिखेगा कि साल 2019 में सीट साझा करने की बातचीत कैसे होगी. एक मजबूत कांग्रेस बनी तो अधिक सीटों की मांग करने के लिए उसे सौदेबाजी करने की ताकत देगी और अन्य विपक्षी पार्टियां यह नहीं चाहेंगी.

राजस्थान: राहुल कुछ नया नहीं और शाह की पुराने के साथ नए इलाके पर नजर


राहुल गांधी गुरुवार को राजस्थान दौरे पर थे. मेवाड़ संभाग के गुजरात से लगते डूंगरपुर-बांसवाड़ा इलाके पर उनका फोकस था.


राहुल गांधी गुरुवार को राजस्थान दौरे पर थे. मेवाड़ संभाग के गुजरात से लगते डूंगरपुर-बांसवाड़ा इलाके पर उनका फोकस था. इसकी वजह हम आगे बताएंगे. लेकिन उनका भाषण एक बार फिर किसी नई बात या आगे के रोड मैप की बजाय मौजूदा बीजेपी सरकारों की नकारात्मक आलोचना तक ही सीमित रह गया.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. राफेल को उछाला तो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को भी अमीरों के लिए काम करने का सबूत बताया. उत्तर प्रदेश की तरह अब यहां भी फोन के पीछे ‘मेड इन डूंगरपुर’ लिखे होने का सपना देखने की बात कही. साथ ही, सचिन पायलट की एक फोटो को देखते ही कांग्रेस की जीत का सपना आने का रहस्य भी उजागर किया.

‘एक फोटो देखी और बस कांग्रेस जीत गई’

राहुल गांधी ने केंद्र से लेकर राज्य की बीजेपी सरकारों पर जमकर निशाना साधा. पिछले दिनों मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के खर्च को लेकर काफी बवाल मचा था और हाई कोर्ट ने सख्त दिशानिर्देश जारी किए थे. राहुल ने गुरुवार को सबसे ज्यादा इसी को मुद्दा बनाया.

राहुल ने जनता की ओर इशारा करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे अपनी गौरव यात्रा की एक-एक गाड़ी के पेट्रोल का खर्च आप लोगों की जेब से वसूल रही हैं. राहुल ने मुख्यमंत्री और उनके सांसद बेटे दुष्यंत सिंह के भगोड़े व्यवसायी ललित मोदी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया. राहुल के मुताबिक दुष्यंत ने मोदी से रिश्वत ली.

हालांकि राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टी की महिला मुख्यमंत्री पर जमकर निशाना साधा. लेकिन अपने प्रदेशाध्यक्ष को संबोधित कर उन्होंने चुनाव में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को उम्मीदवार बनाने का आह्वान जरूर किया. राहुल के मुताबिक उनके बिना भारत मे कुछ भी नहीं हो सकता.

राहुल ने पिछले दिनों कांग्रेस द्वारा प्रसारित किए गए फोटोग्राफ्स का भी जिक्र किया. उन्होंने कांग्रेस में एकता होने का दावा करते हुए कहा कि पिछले दिनों उन्होंने अखबार में एक फोटो देखी जिसमे प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट बाइक चला रहे थे और राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत पीछे बैठे थे. इसे देखते ही उनके मन से एक ही बात निकली कि बस कांग्रेस अब जीत गई.

राफेल मुद्दा और मोदी के मन की बात

कांग्रेस और अध्यक्ष राहुल गांधी की पूरी कोशिश है कि कैसे भी राफेल को उसी तरह मुद्दा बनाकर मोदी को पटखनी दी जाए जिस तरह वी.पी. सिंह ने बोफोर्स का इस्तेमाल किया था. लिहाजा राजस्थान के इस दूर दराज और आदिवासी इलाके में भी उन्होंने राफेल का जिक्र नहीं छोड़ा. हालांकि उन्हे सुनने वाले आधे से ज्यादा लोगों को निश्चित रूप से राफेल से कोई मतलब नहीं रहा होगा लेकिन राहुल का टारगेट तो बाकी देश था.

अपने पुराने आरोपों को दोहराते हुए राहुल ने कहा कि जिस तरह राफेल विमानों की कीमत तीन गुना की गई, जिस तरह उनकी संख्या 126 से घटा कर सिर्फ 36 कर दी गई और जिस तरह सरकारी कंपनी एचएएल की बजाय नौसिखिया कंपनी को ठेका दिया गया, उसकी पूरी जांच होनी चाहिए. इस संबंध में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने कैग से भी मुलाकात की है. हालांकि जेपीसी जांच की मांग केंद्रीय कानून मंत्री पहले ही खारिज कर चुके हैं.

हमेशा की तरह राहुल ने मोदी के मन की बात कार्यक्रम का भी मजाक उड़ाया. राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री किसी और की सुनने के बजाय सिर्फ अपने मन की बात ही सबको सुनाना चाहते हैं. जबकि कांग्रेस लोकतांत्रिक तरीके से सबकी सुनकर और सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखती है.

कांग्रेस का मेवाड़-वागड़ पर, बीजेपी का ब्रज पर फोकस

कांग्रेस की ये रैली डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा कस्बे में आयोजित की गई थी. ये आदिवासी बहुल इलाका है. 2013 चुनाव से पहले भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस इलाके में सोनिया गांधी की रैली करवाई थी. तब सोनिया ने आजादी के बाद पहली बार इस इलाके को रेल लाइन का सपना दिखाया था. अब कांग्रेस बुलेट ट्रेन के लिए उस प्रोजेक्ट को शहीद कर देने का आरोप लगाती है.

खैर, ये इलाका इसलिए अहम है क्योंकि जब-जब कांग्रेस ने यहां बढ़त बनाई है, तब-तब उसे सत्ता मिली है. इस इलाके में विधानसभा की 28 सीटें आती हैं और 2013 में यहां कांग्रेस को सिर्फ 2 सीट मिली जबकि बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं. यही वजह है कि कांग्रेस ने अपनी संभागवार संकल्प रैलियों की शुरुआत भी चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर से की थी. बीजेपी भी इस इलाके का महत्व अच्छी तरह जानती है. इसीलिए गौरव यात्रा की शुरुआत चारभुजा नाथ मंदिर से की गई थी.

वैसे, बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भरतपुर संभाग बना हुआ है. खुद अमित शाह इसे जीतने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. भरतपुर-धौलपुर और करौली-सवाई माधोपुर का इलाका उत्तर प्रदेश के ब्रज और मध्य प्रदेश के चंबल इलाके से जुड़ा हुआ है. 2013 की मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को यहां 19 में से सिर्फ 12 ही सीट मिली थी. करौली जिले में तो 4 में से एक ही सीट पर संतोष करना पड़ा.

बताया जा रहा है कि जयपुर जैसे बीजेपी के मजबूत इलाकों में सीटें कम होने की खुफिया रिपोर्ट के बाद नई रणनीति बनाई गई है. दूसरे इलाकों में कम होने वाली सीटों की भरपाई भरतपुर संभाग से करने की कोशिश में ही 22 सितंबर को अमित शाह गंगापुर सिटी में रैली कर रहे हैं. यहां जाट, गुर्जर और मीना जातियों का बाहुल्य है. डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की बीजेपी में वापसी के बाद अब बीजेपी की उम्मीदें बढ़ भी गई हैं.

Rajasthan polls: Vasundhara Raje grips state BJP; Sachin Pilot toils but Ashok Gehlot may be Congress’ CM pick

 

curtsy Sandip Ghose, Firstpost

Three months ago, most die-hard BJP supporter would not put money on the party’s return in Rajasthan. Not with Vasundhara Raje as the chief ministerial candidate for sure. But, if one asks now, many would say it is a 50:50 game that could go either way in the coming months. So, has anything changed?

I drove to Alwar from Delhi. The first stop was Bhiwadi, an industrial town across the Haryana border. Locals credit Bhairon Singh Shekhawat’s vision for this manufacturing hub. In coming years, it may well become an extension of Gurgaon-NCR.

Little did I expect to get caught in a traffic jam in Bhiwadi. But, there I was sitting in the midst of “Jagran” procession. This was outside one of the many temples in the city run by the Gujjar Samaj. The Gujjars came to Bhiwadi after reaping a fortune, when land prices soared in Haryana. Now they are the dominant set in the area. And, Sachin Pilot is a Gujjar, informed my driver.

Thus at Alwar, I expected to find a resounding endorsement for Pilot. Instead, the traders I met were rather circumspect. Pilot may draw the Gujjar votes, but he may not be able to reign in its rowdy elements. That might make the others wary. Here, lies the importance of Ashok Gehlot.

Pilot is the darling of the national media. But, Gehlot remains the favourite face of Congress in Rajasthan. In recent times, no other Congress leader in the state has commanded as much respect as Gehlot. In a world where corruption is a relative term, Gehlot enjoys a clean image. People rate his last term well. They admire his administrative acumen and people connect. Gehlot fans think, had it not been for the “Modi Wave” of 2014, he would have definitely come back for a second inning.

In recent months, Gehlot’s stock has risen further in Rajasthan. He gets the credit for Rahul Gandhi’s second coming as it were, starting with the Gujarat elections. People believe, he is the brain behind Rahul’s temple run and “Shiv-Bhakt” makeover. They feel as a member of Rahul’s inner coterie, he will play a much bigger role in the days to come.

Pilot has been working hard at a micro-level ever since he took charge of the state unit. Congress’ good showing in some of the local elections and by-polls are the result of his efforts. But, he has still not acquired the stature to stake a claim the top job on his own steam.

 

Apart from Gehlot, CP Joshi is far from hanging his boots. Joshi shows no intention of fading into the sunset yet. He still wields enough clout to influence the ticket distribution.

Pilot will have to contend with all these forces. Only Rahul’s endorsement cannot see him through. He will need Gehlot’s blessings to advance further. It is doubtful if Gehlot will relinquish his turf so early. Knowing the Congress, it is unlikely to spell out its chief ministerial choice before the elections.

Rahul is no Narendra Modi that he can sweep state election on his own equity without a strong local face. To take on Vasundhara, naming Gehlot as the chief ministerial candidate would be the best option for Rahul. But, will he be able to spare him before the Lok Sabha polls? That is the dilemma, which should be troubling Rahul.

The road to Jaipur via the Sariska Tiger Reserve is an orthopaedics delight. Because it is sure to cause a few spine dislocations daily. A stark contrast to the satin smooth Delhi-Jaipur Highway it merges into. Who can tell if these are symbolic of what lies ahead on the election trail?


In Jaipur, the mood, as they say, is mixed. Detractors of Vasundhara were predicting a change of guard in the state for long. Much of it was wishful thinking. People within the party did not like her imperious style and lack of access. The business community at large seemed to prefer the previous regime.


But, their hopes crashed at every turn. The last bet was Modi-Shah will project a second face as a chief minister probable in the run-up to the elections. But, Vasundhara put an end to all speculations. She checkmated Amit Shah’s nominee and installed her own candidate as the new state president of the BJP. The message was sharp and clear that she remains in control. Shah had little option but to declare that BJP will go to the polls with Vasundhara on the driver’s seat.

It would be naive to believe that Shah-Modi had to field Raje under duress. There is a lot going in her favour. First, the BJP has no other mass leader in Rajasthan. No other BJP leader, not even Om Mathur, has such universal acceptability across the state. Even a sharp-shooter like Rajyavardhan Singh Rathore would be an instant casualty of the internal crossfires of the party.

It is well known that Raje commands the loyalty of over 120 odd MLAs. Through them, she has her own network across the state. Only she has the assured backing of the RSS ground force with her direct line to Nagpur.


Like Gehlot, she has channels open with every caste constituency and regional satraps. Over the years, she has mastered the art of cutting deals and neutralising opponents. This was evident in the way she diffused several political crises during her two tenures.


But, she is not one to rely only upon political manoeuvres to secure her position. She has followed structured and well-targeted welfare programmes. Schemes like BHAMASHA have won her huge support among women voters and mass connect.

Vasundhara runs a tight party machinery. It would be even more formidable with RSS foot-soldiers. With various factions in the state Congress, Pilot may not enjoy the same unity of command.

Like every other state even Vasundhara will have to depend on the Modi Magic to deliver the final goods. The balance will tilt decisively in BJP’s favour if the state and Lok Sabha polls are made to coincide, an option that cannot be ruled out as yet. But, as on date, no one can write Vasundhara off as some were prone to do a few months ago. The contest is still wide open.

A local wit at the Jaipur Club Bar summed it up with a smart quip. Those who decide to vote for Congress will do so in the hope that, after the Lok Sabha elections Gehlot will come back as the chief minister. People voting for BJP will do so confident of Modi returning as prime minister. They will hope that Vasundhara having proved a point might then hand over the baton to a new face and move to a role at the Centre.

No doubt the outcome in Rajasthan will also impact the Lok Sabha elections. But, the battle for the chief minister’s chair in Jaipur will not be sealed till the new occupant of the throne in Delhi is decided.