सिंधिया ने कमलनाथ के नाम पर प्रस्ताव दिया
सिंधिया ने कहा कि अगर उन्हें सीएम बनने का मौका दिया जाता है, तो ये उनके लिए बहुत सम्मान की बात होगी
मध्य प्रदेश में बहुत इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और दूसरे दलों के समर्थन के बाद उसने बहुमत का आंकड़ा भी पार कर लिया. अब असली सवाल सामने खड़ा है- मुख्यमंत्री कौन?
यहां प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच सीएम के पद की रेस चल रही है. जहां विश्लेषक मानकर चल रहे हैं कि कमलनाथ को ही सीएम बनाया जाएगा, वहीं पार्टी के अंदर से समर्थकों की आवाजें सिंधिया के पक्ष में उठ रही हैं.
हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि बहुत माथापच्ची के बाद अब सिंधिया ने कमलनाथ के नाम पर प्रस्ताव दिया है. अब बस उनके नाम पर राहुल गांधी की मुहर लगने का इंतजार है.
खास बात है कि सिंधिया ने खुद कमलनाथ का नाम प्रस्तावित किया है, जबकि राज्य में खुद उनके नाम की दावेदारी पर जोर दिया जा रहा था. सिंधिया ने भी अपनी तरफ से कोई संकेत नहीं दिया था कि अपनी दावेदारी पर उनका क्या रुख है. लेकिन उनके एक बयान से लगा कि वो खुद को इस रेस से बाहर मानकर नहीं चल रहे हैं.
दरअसल, सिंधिया ने पत्रकारों से कहा था कि अगर उन्हें सीएम बनने का मौका दिया जाता है, तो ये उनके लिए बहुत सम्मान की बात होगी.
इससे माना जा रहा था सिंधिया खुद को रेस से बाहर नहीं रख रहे हैं. हालांकि, कांग्रेस की जीत की घोषणा के बाद उन्होंने कई ट्वीट किए हैं, जिनमें उन्होंने जीत पर खुशी जताते हुए कार्यकर्ताओं को बधाई दी थी और विकास के लिए काम करने की प्रतिबद्धता जताई थी. उस वक्त तक उन्होंने सीएम के पद के लिए दावेदारी पर कोई संकेत नहीं दिया था.
उधर कमलनाथ कई बार कह चुके हैं कि सीएम के चेहरे पर फैसला हाई कमांड ही लेगा. मध्य प्रदेश में दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने नेताओं का नाम चिल्ला रहे हैं.
बता दें कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता बुधवार दिन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से सरकार बनाने का दावा करने वाली चिट्ठी लेकर मिलने पहुंचे थे. लेकिन पटेल ने कहा कि कांग्रेस जब तक सीएम के लिए अपना चेहरा नहीं चुनती, वो सरकार बनाने के लिए न्योता नहीं देंगी.
शाम को कांग्रेस के नेताओं की बैठक होने वाली है, जिसके बाद मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री की घोषणा की जाएगी. राज्य की कांग्रेस 14 दिसंबर तक शपथग्रहण समारोह करवा लेना चाहती है.