बिहार कांग्रेस के खाते में 40 में से 9 सीटें, कन्हैया खाली हाथ
40 लोक सभा सीटों वाले बिहार में विपक्ष ने सीटों का बटवारा कर लिया है। लालू के परिवार ने कांग्रेस को 40 में से मात्र 9 सीटें दिन हैं, यकीन है की गठबंधन मजबूत रहेगा। अस्तित्व की लड़ाई के लिए तैयारी कर रही कांग्रेस के लिए यह कैसा समाचार है यह तो समय ही बताएगा फिलहाल सब ठीक ही जान पड़ता है।
नई दिल्ली :
बिहार में महागठबंधन की सीटों का ऐलान हो चुका है. काफी मशक्कत के बाद सभी दल सहमत हो गए हैं. इस समझौते के तहत सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी को मिली हैं. महागठबंधन में सदस्य दलों के बीच बिहार की 40 सीटों पर हुये बंटवारे के तहत आरजेडी 20, कांग्रेस नौ, आरएलएसपी को पांच और वीआईपी एवं एचएएम को तीन तीन सीट दी गई हैं. सभी 40 सीटों का बंटवारा हो गया है लेकिन महागठबंधन ने सीपीआई को कोई सीट नहीं दी है. सीपीआई ने बेगूसराय से कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है. लेकिन अब ऐसा होता दिख नहीं रहा. महागठबंधन ने कोई भी सीट सीपीआई को नहीं दी है.
हालांकि आरजेडी की ओर से मनोज झा ने कहा है कि वह एक सीट पर सीपीआई एमएल को समर्थन देंगे, सीपीआई को नहीं. महागठबंधन के नजरिए से सीपीआई काफी निराश है. लेकिन सबसे ज्यादा निराशा जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को होगी. हालांकि ये भी माना जाता है कि लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव कन्हैया कुमार को पसंद नहीं करते हैं. कन्हैया और तेजस्वी एक ही उम्र के हैं. ऐसे में तेजस्वी को डर है कि कहीं कन्हैया उनकी ही जमीन हथिया कर राजनीति में आगे न बढ़ जाएं.
बेगूसराय पर रहेगी नजर
सीपीआई ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय से अपना उम्मीदवार बनाया है. वह बेगूसराय के ही रहने वाले हैं. ये सीट भूमिहार बहुल है. माना जा रहा है कि बीजेपी यहां से गिरिराज सिंह को अपना उम्मीदवार बना सकती है. ऐसे में आरजेडी को लगता है कि वह गिरिराज के सामने कमजोर साबित होंगे.
आरजेडी मुस्लिम केंडीडेट पर दांव की फिराक में है
आरजेडी बेगूसराय सीट पर किसी मुस्लिम चेहरे को उतार सकती है. ये सीट कम्यूनिस्ट पार्टी का बड़ा गढ़ रही है. पिछली बार यहां से बीजेपी के भोला सिंह जीते थे. उन्होंने भी अपनी राजनीति कम्यूनिस्ट पार्टी से हीशुरू की की थी. आरजेडी इस बार तनवीर हसन को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती है जो 2014 के चुनाव में 60 हजार वोट से हार गए थे. 2009 में इस सीट को जेडीयू के मोनाजिर हसन ने जीता था.
लालू के वादे के बावजूद महागठबंधन से भाकपा को बाहर रखना दुखद : रेड्डी
भाकपा के महासचिव सुधाकर रेड्डी ने बिहार में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन में भाकपा को शामिल नहीं करने पर दुख जताते हुये कहा है कि इस मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद से सहमति कायम होने के बावजूद इस पर अमल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है. रेड्डी ने शुक्रवार को महागठबंधन में राजद सहित अन्य दलों के बीच सीट बटवारे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘महागठबंधन में वामदलों को शामिल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है. भाकपा की बिहार इकाई बदली हुयी परिस्थितियों की 24 मार्च को समीक्षा कर भविष्य की रणनीति तय करेगी.’
रेड्डी ने कहा, ‘‘पिछले साल मुझसे मुलाकात के दौरान लालू प्रसाद ने मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति जतायी थी. लालू जेल में हैं इसलिये मुझे नहीं मालूम लालू की बात को उनके बेटे के पास किस तरह पेश किया गया.’ भाकपा ने बिहार की बेगूसराय सीट पर जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. रेड्डी ने कहा कि लालू प्रसाद के आश्वासन के आधार पर पार्टी को उम्मीद थी कि इस सीट पर विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘महागठबंधन का स्वरूप तय होने के बाद अब यह साफ है कि हमें बिहार में अपने बलबूते चुनाव लड़ना होगा. बेशक हम बिहार में चुनाव लड़ेंगे और इस बारे में स्पष्ट रणनीति पर जल्द फैसला किया जायेगा.’