“काईलिन एंड ईवी रेस्टोरेंट” : भारतीय परिधान निषेध हैं

बुजुर्ग बताते हैं कि अँग्रेजी हुकूमत के दिनों में रेस्टोरेंट्स और होटल के दरवाजे पर लिखा रहता था “Dogs & Indians are not allowed” अर्थात “कुत्तों और भारतियों का प्रवेश निषेध है”। यह बीते दिनों कि बात है लेकिन आज की तारीख में भारत की राजधानी दिल्ली के कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठान आज भी अँग्रेजी राज की याद दिलाते हैं। वसंत कुंज स्थित काईलिन एंड ईवी रेस्टोरेंट उनही प्रतिष्ठानों में से एक है जहां अब ग्राहकों की कमी के कारण भारतियों को प्रवेश देना मजबूरी है लेकिन भारतीय शालीन पहनावों को नहीं। वहाँ आप धोती कुर्ता, साढ़ी लहंगा चोली इत्यादि भारतीय पारंपरिक परिधान पहन कर नहीं जा सकते। और इन जगहों को दिल्ली सरकार अपनी नाक के नीचे पनाह देती है और उनकी विचारधारा को बढ़ावा देते हुए उन पर कोई कार्यवाई नहीं करती

  • 10 मार्च को दिल्ली के वसंत कुंज स्थित रेस्टोरेंट की घटना, रेस्टोरेंट प्रबंधन की सफाई- हमारे यहां ऐस कोई प्रतिबंध नहीं
  • प्रिंसिपल संगीता ने कहा- भारतीय होने पर गर्व कैसे करूं?, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब की बेटी ने कहा- रेस्टोरेंट का लाइसेंस रद्द हो

नई दिल्ली. साड़ी पहनकर रेस्टोरेंट में पहुंची महिला को कर्मचारी ने एंट्री देने से मना कर दिया। घटना 10 मार्च को वसंत कुंज स्थित काईलिन एंड ईवी रेस्टोरेंट में हुई। गुड़गांव के पाथवे सीनियर स्कूल की प्रिंसिपल संगीता नाग पति के साथ रेस्टोरेंट में पहुंची थीं। कर्मचारी ने उनसे कहा कि हमारे यहां पारंपरिक पोशाक में आने वालों को एंट्री नहीं दी जाती। महिला ने इस घटना का वीडियो ट्वीट किया। सोशल मीडिया पर रेस्टोरेंट का लाइसेंस रद्द करने की मांग उठ रही है। इसके बाद रेस्टोरेंट ने सफाई दी कि हमारे यहां ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। केवल शॉर्ट और चप्पल पहनकर आने पर प्रतिबंध लगाया गया है। 

रेस्टोरेंट के निदेशक सौरभ खनिजो ने इस घटना पर माफी मांगी। उन्होंने कहा, “जो कर्मचारी वीडियो में दिख रहा है, वह अभी नया है। हमारे यहां केवल शॉर्ट्स और चप्पल पहनकर आने पर पाबंदी है।”

प्रिंसिपल ने कर्मचारी से पूछा- रेस्टोरेंट भारत में है, फिर ऐसी पाबंदी क्यों?

संगीता नाग ने जो वीडियो ट्वीट किया, वह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में कर्मचारी ने संगीता से कहा कि इस पहनावे को हम मंजूरी नहीं देते हैं। इस पर संगीता ने सवाल किया, “आपका बार और रेस्टोरेंट भारत में है, दिल्ली में है। इसके बावजूद आप यहां परंपरागत पोशाक पहनकर आने पर एंट्री नहीं देते हैं?’ इस पर कर्मचारी ने जवाब दिया कि हमारे यहां पारंपरिक पोशाक को अनुमति नहीं दी जाती है। इस जवाब के बाद संगीता ने कहा कि मैं यही जानना चाहती थी, धन्यवाद।

इस घटना के बाद संगीता ने वीडियो ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “काईलिन एंड ईवी रेस्टोरेंट में मुझे भारतीय होने पर भेदभाव वाला अनुभव मिला। यहां मुझे पारंपरिक पहनावे की वजह से एंट्री नहीं मिली। भारत में एक रेस्टोरेंट, जो स्मार्ट कैजुअल की अनुमति देता है, लेकिन भारतीय पोशाक पहनकर आने वालों को नहीं। जो कुछ भी हुआ, उसके बाद मैं भारतीय होने पर कैसे गर्व करूं?”

What the hell! If this Kylin & Ivy or any other restaurant still follow such colonial practices of not allowing guests wearing ethnic clothes, their licences should be immediately cancelled. Shame! @ArvindKejriwal @PMOIndia https://t.co/JdIdc4apiu

प्रणब की बेटी शर्मिष्ठा ने संगीता का वीडियो री-ट्वीट किया

वायरल वीडियो को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने री-ट्वीट किया। उन्होंने घटना पर लिखा, “क्या बकवास है। इस तरह की हरकत काईलिन एंड ईवी या जिस भी रेस्टोरेंट में हो, उस रेस्टोरेंट का लाइसेंस तुरंत रद्द कर देना चाहिए।” शर्मिष्ठा ने अपने ट्वीट को प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी टैग किया है।

क्रांतिकारी, विचारक और लेखक राष्ट्रवादी वीर सावरकर कांग्रेस की परेशानी

शायद ही कभी जिन्ना की निंदा खुले मंच से हुई हो, जिस जिन्ना ने भारत माता के विभाजन में सबसे अग्रणी भूमिका निभाई थी. यहाँ तक कि पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना के लिए तो अलीगढ़ में भाजपा सरकार का विरोध तक कर डाला. इतनी निंदा उन अंग्रेजो की नहीं की गई जिन्होंने देश को लगभग 200 साल लूटा. हजारों वर्ष अत्याचार करने वाले मुगलों को महान बताया गया , क्योकि जिन्दा रखने थे तथाकथित सेकुलरिज्म के नकली सिद्धांत.

लेकिन जब भी और जिस भी मंच से भाषण दिया गया, वहां वीर सावरकर को अपमानित किया गया. अपने पूर्वजो का इतिहास कभी न बताने वालों ने वीर सावरकर को अपमानित कर के किसका वोट हासिल किया ये सभी जानते हैं. उनके भी वोट हासिल करने की कोशिश सावरकर को अपमान कर के की गई जो भारत की सेना और पुलिस बल के खिलाफ दिन रात मोर्चा खोले रहते हैं.

ये निंदा स्थानीय नेताओं के बजाय सर्वोच्च पदों पर आसीन राहुल गाँधी जैसो ने की. उनका इशारा पाते ही बाकी सब भी उनके सुर में सुर मिलाते रहे और अनगिनत हिन्दुओं के हत्यारे मुग़ल आक्रान्ता टीपू सुलतान की जय जयकार करने वाली कांग्रेस आजादी के नायक, हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रणेता अमर हुतात्मा वीर सावरकार के खिलाफ तनकर खड़ी हो गई. कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने सरकार ने नए पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर को वीर और देशभक्त नहीं, बल्कि जेल से बचने के लिए अंग्रेजों से दया मांगने वाला बता दिया. इतना ही नही मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा टीम सावरकर जी पर अनैतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया. यद्दपि देश देखता रहा ये सब और राष्ट्रीय जनादेश ऐसा करने वालों के विरुद्ध गया.

राजवीरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़:

न ही भाजपा-संघ वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में बात करते थकते हैं और न ही कॉन्ग्रेस वाले हिन्दू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर में नुक्स निकालते। इन दोनों राजनीतिक ध्रुवों के बीच जो खो जाता है, वह है लेखक, इतिहासकार, विचारक सावरकर- जिसने शायद एक व्यक्ति या नेता से आगे जाकर भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ें खोद दीं। जिसने दशकों बाद पहली बार भारत-भूमि को याद दिलाया कि 1857 में महज कुछ दिशाहीन, अनुशासन-विहीन सैनिकों की हिंसा नहीं, स्वतंत्रता का पहला संग्राम हुआ था। जिसके ‘मास्टर-प्लान’ पर काम करते हुए बारीन्द्र घोष, शचीन्द्रनाथ सान्याल, रासबिहारी बोस आदि ने अपनी उम्र झुलसा दी और बिस्मिल, बाघा जतीन, राजेन्द्र लाहिड़ी आदि अनगिनत वीरों ने प्राणोत्सर्ग किया। जिसकी प्रेरणा से अध्यक्ष चुने जाने के बावजूद कॉन्ग्रेस में हाशिये पर धकेल दिए गए सुभाष चन्द्र बोस आज़ाद हिन्द फ़ौज के ‘नेताजी’ बनने नजरबंदी से भाग निकले। जिसकी किताबें इतनी लोकप्रिय थीं कि भगत सिंह उसकी प्रतियाँ बेचकर बंदूकें खरीदने का पैसा जुटा सकते थे!

‘1857 दोहरा कर ही मिलेगी आज़ादी’

1857 के विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों ने जो क्रूरता और निर्ममता दिखाई थी, वह अनायास या अकारण ही नहीं थी। पूरी ब्रिटिश शासन व्यवस्था ब्रिटिश सेना के संरक्षण पर टिकी थी और ब्रिटिश सेना (चाहे वह ईस्ट इंडिया कम्पनी की हो या बाद में ब्रिटिश क्राउन की) में केवल मुट्ठी-भर अंग्रेज अफ़सर होते थे- भारतीयों को विदेशियों का गुलाम बना कर रखने वाली असली ताकत भारतीय सैनिक ही थे; उन राजाओं की सेनाओं के, जिनकी कम्पनी बहादुर या ब्रिटेन के राजपरिवार के साथ संधि हुई थी, या सीधे ब्रिटेन की गुलामी में पड़े हुए भू-भाग की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक। अतः 1857 को क्रूरता से कुचलना अंग्रेजों के लिए ज़रूरी था, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक किसी सैनिक के दिमाग में अपने गोरे मालिकों पर बंदूक तानने की जुर्रत न आए। इसीलिए उन्होंने न केवल लोमहर्षक निर्ममता के साथ इस संग्राम को कुचला (किवदंतियाँ हैं कि मंगल पाण्डे के घर वालों की पहचान करने में नाकाम रहने पर उन्होंने कानपुर से बैरकपुर तक के हर गाँव के हर पाण्डे उपनाम वाले बच्चे-बूढ़े-औरत को गाँवों के पेड़ों से फाँसी पर लटका दिया था), बल्कि इतिहास में इसे अधिक महत्व न देते हुए महज़ एक अनुशासनहीन विद्रोह के रूप में दिखाया। वह सावरकर ही थे जिन्होंने पहले मराठी और फिर अंग्रेजी में प्रकाशित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’/The Indian War of Independence के ज़रिए इस लड़ाई के असली रूप को जनचेतना में पुनर्जीवित किया।

1909 में प्रकाशित इस किताब में उन्होंने न केवल इस विद्रोह की राजनीतिक चेतना को रेखांकित किया बल्कि इसके राष्ट्रीय स्वरूप के पक्ष में भी तर्क रखे। यही नहीं, उन्होंने यह भी अनुमानित कर लिया था कि अगर भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होना है तो अंततः यही रास्ता फिर से पकड़ना होगा। ब्रिटिश सेना को पुनः राष्ट्रवादी, देशभक्त सैनिकों से भरना होगा जो वर्षों तक चुपचाप सेना में अपनी पैठ बनाएँ, प्रभुत्व स्थापित करें, अन्य सैनिकों की निष्ठा विदेशी शासन से इस देश की जनता की ओर मोड़ें। अंत में जब संख्याबल आदि सभी प्रकार से मजबूत हो जाएँ तो अपने नेता के इशारे पर, सही समय पर विद्रोह कर दें। महत्वपूर्ण रणनीतिक संसाधनों, हथियारों, रसद, आपूर्ति मार्गों आदि पर कब्ज़ा कर अंग्रेजों की व्यवस्था को घुटने पर ले आएँ।

सारे जहाँ में प्रतिबंधित

बौखलाए अंग्रेजों ने किताब और सावरकर पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। लंदन के सभी प्रकाशकों को इस किताब के अंग्रेजी अनुवाद/संस्करण के प्रकाशन के खिलाफ़ आगाह कर दिया गया। फ़्रांस ने भी अंग्रेज़ी दबाव में घुटने टेक दिए। अंततः किताब का अंग्रेज़ी संस्करण हॉलैंड (अब नीदरलैंड) में प्रकाशित हुआ- वह भी इसलिए कि ‘काली’ और ‘भूरी’ दुनिया को गुलाम बनाने में इंग्लैण्ड और हॉलैंड में ऐतिहासिक दौड़ मची थी। दोनों एक-दूसरे के औपनिवेशिक शासन को कमजोर करना चाहते थे। इस किताब को भारत में बाँटे जाने के लिए ब्रिटिश साहित्य के पन्नों में छिपा कर, या उसकी जिल्द चढ़ाकर लाया जाता था।

पीटर होपकिर्क अपनी किताब On Secret Service East of Constantinople में लिखते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर की किताब को ब्रिटिश लाइब्रेरी की सूची तक में जगह नहीं दी, ताकि भारतीय छात्रों को इसके बारे में पता न चल जाए। इसी किताब में वह यह भी बताते हैं कि सावरकर की किताब को ‘तस्करी’ कर भारत में लाने के लिए चार्ल्स डिकेंस का मशहूर उपन्यास ‘पिकविक पेपर्स’ काफ़ी इस्तेमाल हुआ है।

भगत सिंह

भगत सिंह ने न केवल सावरकर के साहित्य का खुद गहन अध्ययन किया (उनकी जेल डायरियों और लेखन में सावरकर से अधिक उद्धृत केवल एक लेखक हैं), बल्कि कई इतिहासकारों की राय है कि वे अपने क्रांतिकारी संगठन में भी सावरकर के अध्ययन को प्रोत्साहित करते थे। यही नहीं, सावरकर की ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ और इसके अंग्रेजी संस्करण की आमजन के बीच भारी माँग और प्रतिबंध के चलते आपूर्ति में किल्लत को देखते हुए भगत सिंह के इसकी व्यवसायिक पैमाने पर तस्करी करने के भी उद्धरण इतिहास में मिलते हैं। इस किताब को ऊँचे दामों पर बेचकर उनका संगठन अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति के लिए हथियार खरीदने का धन उगाहता था। इस किताब का दूसरा संस्करण प्रकाशित करवाने में भगत सिंह की भूमिका का ज़िक्र विक्रम सम्पत द्वारा लिखित सावरकर की जीवनी में है। यही नहीं, भगत सिंह ने सावरकर की केवल इस किताब ही नहीं, ‘हिन्दू पदपादशाही’ का भी ज़िक्र अपने लेखन में किया है।

सावरकर भी भगत सिंह का काफी सम्मान करते थे। इसकी एक बानगी यह है कि सावरकर की मृत्यु के उपरांत 1970 में प्रकाशित उनकी जीवनी ‘आत्माहुति’ का विमोचन भगत सिंह की माता माताजी विद्यावती देवी के हाथों हुआ। इस समारोह में उनके छोटे भाई भी शरीक हुए थे।

आज यह कतई ज़रूरी नहीं है कि जो कुछ सावरकर ने लिखा है, वह सही ही हो। बहुत कुछ ऐसा भी हो सकता है जो उस समय भले सही रहा हो, लेकिन आज प्रासंगिक न हो। सावरकर के जीवनकाल में ही ‘हिंदुत्व’ और हिंदूवादी राजनीति की उनसे अलग परिभाषाएँ रहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के हिन्दू महासभा छोड़ने के पीछे एक महती कारण पाकिस्तान को लेकर उनमें और सावरकर में पाकिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार कर लेने (डॉ. मुखर्जी का मत) बनाम पुनः एक दिन अखण्ड हिंदुस्तान की सावरकर की परिकल्पना का गंभीर मतभेद था। ‘हिंदुत्व’ शब्द सावरकर के पहले भी था और सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह कई बार साफ़ किया है कि आज का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोलवलकर-सावरकर से आगे बढ़ चुका है। ऐसे में यदि सावरकर को यदि जीवित रखना है तो उनके प्रशंसकों, उनके अनुयायियों को उन्हें दोबारा पढ़ना होगा, उन्हें दोबारा ‘खोजना’ होगा।

प्रेम और आत्मसम्मान

यह कोई नये शब्द नहीं है जहां जहां प्रेम की बात होती है वहां पर आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाया जाता है क्योंकि किसी भी इंसान जिसमें रीढ़ की हड्डी मजबूत हो जो अपने स्वाभिमान के साथ जीता हो उसके लिए उसका आत्मसम्मान ही सबसे बड़ी चीज होती है। लेकिन जब बात आती है प्रेम की वहां अक्सर लोग अपना आत्मसम्मान खोते नजर आते हैं चाहे प्रेम में पड़कर हो चाहे सामने वाले के साथ तालमेल बिठाने को लेकर। एक हद तक यह सही भी होता है कि प्रेम को की पूर्ति करने के लिए कई बार अपने सम्मान को थोड़ा किनारे रखकर लोग आगे बढ़ते हैं क्योंकि किसी भी रिश्ते को खत्म करने से बेहतर होता है कि थोड़ासा एडजस्ट किया जाए रिश्ते रोज नहीं बनते लेकिन जब बनते हैं तो उन्हें सच्चे मन से निभाने वाले इंसान ही सच्चे होते हैं।

अब सवाल आता है आत्मसम्मान कए साथ एडजस्ट कहां किया जाए किसके साथ किया जाए किसके साथ आप करना चाहेंगे जिसके साथ आप करते हैं जो आपसे प्रेम करता है? जो आपसे प्रेम करता होगा वह आपको कभी भी आपके सम्मान के साथ समझौता नहीं करने देगा उसे महसूस होगा कि आपके सम्मान को ठेस पहुंच रही है तो वो आपसे एक कदम ज्यादा आगे बढ़कर उन शर्तों में बदलाव कर देगा लेकिन इसके लिए सामने वाले के दिल में आपके लिए निश्छल प्रेम का होना जरूरी है।

जहां प्रेम स्थिति समय और सुविधानुसार किया जाएगा वह कभी भी सामने वाला आपको वह सम्मान नहीं दिला पाएगा जो आपका अधिकार है और जिस प्रेम में अधिकारों को बताना पड़े जताना पड़े मांगना पड़े प्रेम नहीं सिर्फ परिस्थितियों में उलझा हुआ रिश्ता है। पर ऐसे रिश्ते में मन को बहलाने के लिए आप चाहे तो जीवन भर रह सकते हैं लेकिन याद रखिए जब जब सच्चाई की कसौटी पर यह रिश्ता परखेंगे तब तब आपको ठेस पहुंचेगी या तो आप खुद को तैयार कर लीजिए कि जब जब आपको ठोकर लगेगी आप अकेले गिरेंगे रोएंगे सम्भलेंगे और फिर उठ जाएंगे। लेकिन यह सब सिर्फ कुछ समय तक ही चल पाता है बार-बार अपमान के घूंट आपको इतना अंधेरों में धकेलेंगे कि आप चाह कर भी फिर नहीं उभर पाएंगे। कोई भी रिश्ता हो लेकिन चुनाव सिर्फ आपका होना चाहिए। कितना चलना है कैसे चलना है आपकी भूमिका कितनी होगी यह आप खुद तैयार कीजिए प्रेम में पड़कर भी किसी को इतना हक मत दीजिए कि सामने वाला आपको कठपुतली की तरह नचा सके। खुद का सम्मान करे तभी कोई और आपका सम्मान करेगा।

Strict Legal Action Against the Miscreants on St. Valentine’s Day

The Valentine’s Day will be celebrated on 14-02-2020 in the different parts of the City especially by the youngsters. In order to curb  indulgence in dangerous driving, use of pressure horns and eve teasing, Proper security cover shall be deployed at Panjab University and its surrounding roads, markets of Sectors-8, 9,10,11,15,16,17 & 22 as well as in different Colleges and Girls Hostels.

For the proper maintenance of law & order and to curb the occurrence of such incidents, *Total-714 police personnel* (i.e. GOs-03, SHO/Insps.-24 and NGO/ORs-687) will be on ground on      14-02-2020. Further, PCR patrolling being intensified in the city especially around girls colleges, schools, hostels, parks, busy markets and malls. Lady police in civil clothes also being deployed in parks and around the colleges. Turn Sector-11/12 to Market Sector-10 being earmarked as *“Limited Vehicle Zone”* to curb hooligans and rash driving. The drivers/vehicles violating traffic rules especially dangerous driving and using pressure horns will be challaned/impounded. In addition to above, 40 internal nakas also being laid down from 4:00pm to 10:00pm.  

This year special 12 nakas being established around the Pubs & Bars in Sector-26 and Sector-7 till early morning, to restrain the hooligism, brawl incidents and safety of the women from anti-eve teasing and anti- snatching point of view. 

Special focus of deployment will be around the girl’s colleges & schools, ISBT-43, 17 and special anti eve teasing drive will be carried out.

Eve teasing, romeogiri, Drunken driving, dangerous driving shall be dealt with strict legal action.

स्टाइल आइकॉन ऑफ इंडिया के ऑडिशन

राज राणा, पंचकूला – 31 जनवरी:

  उड़ान महिला मंच द्वारा स्टाइल आइकॉन ऑफ इंडिया के ऑडिशन 8-9 फरवरी को फ्रीडम टू डांस एकेडमी में आयोजित किया जा रहा है। 2 से  6 साल उम्र के बच्चों के जूरी मेंबर शालू गुप्ता, विपुल शर्मा और सक्षम रहेंगे। यह प्रोग्राम की मुख्य थीम वूमेन एंपावरमेंट है। इस प्रोग्राम में कई डायरेक्टर और सिंगर मौजूद रहेंगे जो कि अपनी वीडियो एल्बम के लिए उसी समय बच्चों को चुनेंगे और काफी गिफ्ट्स बच्चों को दिए जाएंगे।  उड़ान महिला मंच द्वारा कई सोशल एक्टिविटीज की जाएगी जैसे कि गरीब बच्चों की फ्री पढ़ाई, समय-समय पर मुफ्त लंगर लगाए जाएंगे।

मंच की आयोजक डिंपल गर्ग, प्रेसिडेंट चंडीगढ़ मिस गीतू जैन, वाइस प्रेसिडेंट मिस कविता पूनम, और सोनिया उपस्थित रहे। ठाकुर, मिसिस बीना सॉफ्ट और कई मेंबर द्वारा इस इवेंट में योगदान दिया जा रहा है।

हरियाणवी फिल्मों को बालीवुड में एक नई पहचान दिलवाने के लिए खट्टर के प्रयास रंग लाये

चंडीगढ़:

  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की हरियाणवी संस्कृति व हरियाणवी फिल्मों को बालीवुड में एक नई पहचान दिलवाने के लिए की गई पहल के सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं। मंत्रिमण्डल बैठक में लिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत हरियाणा फिल्म प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया था और उसी कड़ी में गठित स्क्रिप्ट कमेटी ने पंचकूला के सैक्टर 1 स्थित लोक निर्माण विश्राम गृह के सभागार में 14 व 15जनवरी, 2020 को दो दिनों में हरियाणवी व गैर-हरियाणवी 22फिल्मों का मूल्यांकन किया।

        हरियाणवी फिल्मों के जाने-माने चेहरे यशपाल शर्मा, बालीवुड अभिनेत्री मीता वशिष्ठ तथा हरियाणवी फिल्म पगड़ी के निदेशक राजीव भाटिया इस स्क्रिप्ट कमेटी के सदस्य हैं। फिल्मों का मूल्यांकन करने के बाद संयुक्त रूप से एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोंधित करते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान हरियाणा सरकार ने हरियाणवी भाषा व हरियाणवी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार फिल्म नीति बनाई है। 

      उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत हरियाणा की धरती पर बनाई जाने वाली अन्य भाषा की फिल्मों को हरियाणवी फिल्मों के समान आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक पी.सी.मीणा ने स्वयं यहां कुछ फिल्मों को उनके साथ बैठकर देखा है, जो इस बात को दर्शाता है कि हरियाणा सरकार अपनी फिल्म नीति के प्रति कितनी गंभीर है।

        एक प्रश्न के उत्तर में यशपाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी फिल्म ‘दादा लख्मीचंद’ यहां दिखाई है, जिसकी शूटिंग सिरसा जिले के जमाल, गौसांईयां तथा बकरियांवाली गांव में की गई है। पंडित लख्मीचंद के पैतृक गांव में भी इस फिल्म के दृश्यों की शूटिंग की गई। उन्होंने बताया कि यह फिल्म दो भागों में है, जिसका शूटिंग का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और ऐसी उम्मीद है कि आगामी जुलाई माह तक यह फिल्म रिलीज हो जाएगी। उन्होंने बताया कि हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आएगी तथा हरियाणा की माटी को दर्शाती यह फिल्म आने वाले समय में निश्चत रूप से अपनी एक अलग पहचान बनाएगी।

        स्क्रिप्ट कमेटी के सदस्यों ने विजेता दहिया की हरियाणवी फिल्म ‘दरारें’ की भी सराहना की। जिन फिल्मों को स्क्रिप्ट कमेटी ने देखा उनमें हरियाणवी फिल्मों में ‘दादा लख्मीचंद’ के अलावा, ‘हे राम’ ‘बनो तेरा हस्बैंड’, ‘बदला’, ‘बो मैं डरगी’, ‘कर्मक्षेत्र’ ,‘छोरियां छोरों से कम नहीं होती’, तथा ‘दरारें’ शामिल है, जबकि गैर-हरियाणवी तथा लघु फिल्मों की श्रेणी में  ‘जब से मिली है वो’, ‘48कोस’, ‘जंगम प्राईस्ट आफ लॉर्ड शिवा’, ‘आधी छुट्टी सारी’, ‘तुर्रम खां’, ‘वन्स अपॉन ए टाईम इन अम्बाला’, ‘तेरी मेरी गल बन गई’, ‘भिवानी-वल्र्ड आफ वेनसिंग वॉल पेटिंगस’,  ‘गोल गप्पे’ तथा  ‘ये बेचारा मर्द’ शामिल हैं। इसी प्रकार, पंजाबी फिल्मों में  ‘जख्मी’ तथा  ‘वियाह दे वाजे’ रहे।

        इस अवसर पर सूचना,जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक पी.सी.मीणा, हरियाणा फिल्म नीति के प्रावधान के तहत गठित शासी परिषद के सदस्य हरीश कटारिया तथा इन दर्शायी गई फिल्मों के प्रोडयुसर, निदेशक व कलाकार भी उपस्थित थे।

रंगदारी के आरोपी गिरफ्तार

चण्डीगढ ():24 दिसम्बर-

पुलिस अधीक्षक हांसी श्री वीरेंद्र सिंह सांगवान के नेतृत्व में कार्य करते हुए हुए व अपराधों पर रोकथाम लगाते हुए जिला की सीआईए पुलिस ने आज ड्यूक के शोरूम मालिक से 50 लाख की रंगदारी मांगने व फायरिंग करने का प्रयास करने वाले तीनों बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जिला पुलिस हांसी की चार टीमें बीते एक हफ्ते से आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयासों में जी जान से जुटी थी।

जानकारी देते हुए डीएसपी ने रोहताश सिंह ने बताया कि सीआईए टीम ने आज हिसार रोड पर रामायण टोल प्लाजा के पास स्थित एक होटल के पास से एक आरोपी दीपक को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस की पूछताछ में दीपक ने बताया कि उसके दो अन्य साथी शुभम व लोकेश आजादनगर में छिपे बैठे हैं। जिसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को छापा मारकर गिरफ्तार कर लिया। डीएसपी ने बताया कि युवकों ने वारदात को अंजाम देने से पूर्व शोरूम की रैकी की थी। रंगदारी मांगने के आरोपियों की उम्र 19 से 20 साल के बीच है व पढ़ाईकरते हैं। दीपक उमरा का रहने वाला है लेकिन वर्तमान में हिसार के आजाद नगर में रहता है तथा दो अन्य आरोपी शुभम व लोकेश भी आजाद नगर की कालोनी नवदीप कालोनी में रहते हैं। उन्होंने बताया कि युवकों को पुलिस बुधवार को कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगेगी ।
‌ हरियाणा पुलिस के लिए यह एक बड़ी सफलता है तथा पुलिस महानिदेशक ने उपरोक्त अपराधियो को गिरफ्तार करने के लिये पुलिस अधीक्षक हांसी तथा सीआईए की समस्त टीम की प्रशंसा की है।

FIRST DAY SAW CULTURAL PRESENTATIONS STEALING THUNDER

ITBP TEAM PERFORMS DAREDEVIL STUNTS 

Korel, Chandigarh, 20th December,2019:

The City’s annual festival—Chandigarh Carnival today got underway with a bang. The three-day carnival is being held at Open Ground opposite Museum & Art Gallery, Sector 10, Chandigarh and would be held till 22nd December, 2019. 

Knowing the tourism potential of these events, the Ministry of Tourism has also included Chandigarh Carnival in its calendar. The celebrations will provide an ample opportunity to visitors and citizens of tricity to participate in variety of events and activities, which would promote Chandigarh as a Happening City and as a hub of tourism and culture in this region.

The Adviser to the Administrator, U.T., Chandigarh, Sh. Manoj Parida, IAS inaugurated the carnival along with Sh. Arun Kumar Gupta, IAS Principal Secretary Home-cum-Tourism, Chandigarh Administration. The Carnival Parade having Tableau/floats prepared by the different departments of the Chandigarh Administration especially Government College of Arts, Chandigarh, was the centre of attention on the occasion.

The Chief Guest was welcomed by the ITBP women band and was greeted by a trained she Dog Heena.

The high point of the inaugural day was an impressive cultural show by Punjab Police Cultural Troupe which totally mesmerized the audiences and included Devotional Prayers, Traditional folk songs and folk tales of Punjab, Qawwali presentation, Humorous Skit (Bhand Mirassi), Jhoomar folk dance, Sufiana Qalaam, Acrobatic Tricks (Bazian) of Punjab, Depiction of village fair of Punjab, Singing item pertaining to ‘Satrangi Peeng’, Malwai Giddha and ‘Sare Jahan Se Achcha’. 

The first day reached its zenith with the presentation of stunts on bikes by a team of the ITBP.

The first day saw an impressive turnout and the people enjoyed every bit of the carnival, be it the joy rides in the amusement park, float rides by the students of College of Arts, mouth savouring delicacies at the food court wherein CIHM, AIHM, CITCO and various others displayed their stalls. 
The impressive display of live arts workshop attracted many during the event. In addition to this, the residents enjoyed every bit at the various stall that were displayed by private and Government Exhibitors.

This three day Chandigarh Carnival is a perfect place for those who want to enjoy unlimited shopping, food, music, rides etc.

12th Chrysanthemum Exhibition

Chandigarh, December 5, 2019

            Horticulture Division of Panjab University will be organizing 12th Chrysanthemum Exhibition at Prof. R.C. Paul Rose Garden, PU from 10-15 December, 2019. Prof. Raj Kumar, Vice Chancellor, PU will inaugurate the exhibition on 10.12.2019 at 2:00 p.m.. Prof. Shankarji Jha, Dean of University Instruction will preside over the function and Prof. Karamjeet Singh, Registrar will be the Guest of Honour.

Prof. R.C. Paul Rose Garden has been given new look this year for the Exhibition. The garden will be adorned with about 150 varieties of Chrysanthemum. Seven new varieties namely Sonali, Sapna, Mushtak, Parveen, Mahatma, Dorris, Freshman, Alfred are  displayed this year which have been procured from places like Calcutta and Solan. About 4200 pots of Chrysanthemum will enhance the beauty of the garden.  The plants have been grown by the Horticulture Division itself in its nursery to get the best results. The Horticulture Division has also invited the Employees, Residents, Departments, Hostels etc. to show their Chrysanthemum in 12th Panjab University Chrysanthemum Exhibition.

Such exhibitions have been organized regularly by the Horticulture Division in the past and have been huge crowd puller. These exhibitions are an opportunity to display the best products of Horticulture Division and also give a message for clean & green environment, keeping up with the motto of ‘Swachh Bharat’ being promoted by the Panjab University, Chandigarh.

Er. Anil Thakur, Divisional Engineer (Hort.) said that the Horticulture Division is trying its best to make the exhibition more attractive than the previous years and has been preparing for the same with his team for many months.

अब देश में होंगे 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं

इतिहास के पटल पर आज 31 अक्तूबर का दिन खास तौर पर दर्ज़ हो गया जब आज आधी रात से  जम्मू कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया ।

यह पहला मौका है जब एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया हो। आज आधी रात से फैसला लागू होते ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या नौ हो गई है।

आज जी सी मुर्मू और आर के माथुर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्रथम उपराज्यपाल के तौर पर बृहस्पतिवार को शपथ लेंगे।

श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल दोनों को शपथ दिलाएंगी।

सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी। इसे लेकर देश में खूब सियासी घमासान भी मचा। 

भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया। इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया।


सरदार पटेल की जयंती पर बना नया इतिहास 


सरदार पटेल को देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है। इसीलिए उनके जन्मदिवस को ही इस जम्मू कश्मीर के विशेष अस्तित्व को समाप्त करने के लिए चुना गया।
देश में 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज पीएम मोदी गुजरात के केवडिया में और अमित शाह दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके साथ ही दो केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया है। नए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आए हैं।

 जम्मू और कश्मीर में आतंकियों की बौखलाहट एक बार फिर सामने आई है. आतंकियों ने कुलगाम में हमला किया है, जिसमें 5 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि एक घायल है. मारे गए सभी मजदूर कश्मीर से बाहर के हैं. जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. आतंकियों की कायराना हरकत से साफ है कि वे कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले से बौखलाए हुए हैं और लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं.

जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने इस इलाके की घेराबंदी कर ली है और बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है. अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया गया है. माना जा रहा है कि मारे गए मजदूर पश्चिम बंगाल के थे.

ये हमला ऐसे समय हुआ है जब यूरोपियन यूनियन के 28 सांसद कश्मीर के दौरे पर हैं. सांसदों के दौरे के कारण घाटी में सुरक्षा काफी कड़ी है. इसके बावजूद आतंकी बौखलाहट में किसी ना किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. डेलिगेशन के दौरे के बीच ही श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं.

जम्मू एवं से अनुच्छेद-370 हटने के बाद यूरोपीय संघ के 27 सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाने पर भारतीय जनता पार्टी ने जवाब दिया है. पार्टी का कहना है कि कश्मीर जाने पर अब किसी तरह की रोक नहीं है. देसी-विदेशी सभी पर्यटकों के लिए कश्मीर को खोल दिया गया है, और ऐसे में विदेशी सांसदों के दौरे को लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.

भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा, ‘कश्मीर जाना है तो कांग्रेस वाले सुबह की फ्लाइट पकड़कर चले जाएं. गुलमर्ग जाएं, अनंतनाग जाएं, सैर करें, घूमें-टहलें. किसने उन्हें रोका है? अब तो आम पर्यटकों के लिए भी कश्मीर को खोल दिया गया है.’शहनवाज हुसैन ने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा था, तब शांति-व्यवस्था के लिए एहतियातन कुछ कदम जरूर उठाए गए थे, मगर हालात सामान्य होते ही सब रोक हटा ली गई. उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास कुछ छिपाने को नहीं, सिर्फ दिखाने को है.’

भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘जब कश्मीर में तनाव फैलने की आशंका थी, तब बाबा बर्फानी के दर्शन को भी तो रोक दिया गया था. यूरोपीय संघ के सांसद कश्मीर जाना चाहते थे. वे पीएम मोदी से मिले तो अनुमति दी गई. कश्मीर को जब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है तो विदेशी सांसदों के जाने पर हायतौबा क्यों? विदेशी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर जाने से पाकिस्तान का ही दुष्प्रचार खत्म होगा.’