नॉर्थ मुंबई से उर्मिला दिखाएंगी भाजपा को हाथ

मासूम से फिल्मों में आने वाली उर्मिला मतोंदकर रंगीला के साथ सिने जगत पर छा गईं थीं फिर एक हसीन थी के बाद उन्हे ॐ शांति ॐ के एक गीत में एक से दो सीन में अतिथि भूमिका में दिखाईं पड़ीं। फिर लंबी अनुपस्थिति के बाद उनकी शादी की खबर आई काश्मीर के मोहसिन अख्तर मीर के साथ। मोहसीन काश्मीरी व्यापारी हैं लेकिन उनके बारे में अधिक कोई नहीं जानता

अब अचानक ही उर्मिला के कांग्रेसी प्रतियाशी होने की बात सामने आई है, मुस्लिम से निकाह कर उन्होने यह योग्यता हासिल की है(उदारवादी हिन्दू ओर सेक्युलर छवि)। कांग्रेस गोविंदा वाला फार्मूला फिर से दोहराना चाहती है।गोपाल शेट्टी ने जिस सीट से संजय निरूपम बुरी तरह सेहराया था उसी सीट से अब उर्मिला शेट्टी के खिलाफ मैदान में उतरेगी। इसी सीट पर से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ कर गोविंदा ने भाजपा के राम नाईक को बहुत करारी शिकस्त दी थी।

मुंबई: अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर राजनीतिक पारी की शुरुआत कर सकती हैं. सूत्रों का कहना है कि वह अगले दो-तीन दिनों में कांग्रेस ज्वाइन कर सकती हैं. बताया जा रहा है कि उर्मिला को कांग्रेस नॉर्थ मुंबई लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है. इस सीट पर बीजेपी ने गोपाल शेट्टी को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस की रणनीति है कि वह गोपाल के खिलाफ ग्लैमरस चेहरा मैदान में उतारे. इसी वजह से उर्मिला को चुनाव में उतारने की तैयारी हो रही है. 

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में नॉर्थ मुंबई सें मराठी अभिनेत्री आसावरी जोशी और शिल्पा शिंदे ने भी कांग्रेस से टिकट की मांग की है, लेकिन अब तक इस पर फैसला नहीं हो पाया है. 

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नॉर्थ मुंबई सीट से कांग्रेस की ओर से संजय निरुपम ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे बीजेपी के गोपाल शेट्टी से हार गए थे. जीत और हार का फासला भी बड़ा था, जिसके चलते संजय निरुपम इस बार नॉर्थ वेस्ट मुंबई से लड़ना चाहते हैं. 

साल 2004 में नॉर्थ मुंबई सीट पर कांग्रेस ने बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा को मैदान में उतारा था. यह रणनीति काम आई थी और गोविंदा ने बीजेपी के कद्दावर नेता राम नाईक को करारी शिकस्त दी थी. उर्मिला के बहाने कांग्रेस 2004 का इतिहास साल 2009 में दोहराना चाहती है.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के रामपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के सामने बीजेपी अभिनेत्री जया प्रदा को उतारने की तैयारी कर रही है. इससे पहले सपना चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने और चुनाव लड़ने की चर्चा थी. हालांकि सपना चौधरी ने कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया है.

‘द ताशकंद फाइल्स’ के पोस्टर्स रिलीज

फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ के मेकर्स ने फिल्म की पूरी कास्ट के फर्स्ट लुक पोस्टर्स को शुक्रवार को रिलीज कर दिया है. इस फिल्म में कई सारे नेशनल अवॉर्ड विनर स्टार्स एक साथ नजर आने वाले हैं. उनमें मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, पंकज त्रिपाठी, श्वेता बसु प्रसाद और नसीरुद्दीन शाह जैसे सितारे हैं.

कई पोस्टर्स हुए रिलीज

फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ के कईसारे पोस्टर्स एक साथ ही शुक्रवार को रिलीज कर दिए गए हैं. फिल्म के तकरीबन सभी स्टार्स ऐसे हैं जो अपनी किसी न किसी परफॉर्मेंस के लिए नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं. इस फिल्म को विवेक अग्निहोत्री डायरेक्ट कर रहे हैं. फिल्म के पोस्टर्स को ट्वीट करते हुए विवेक ने कैप्शन में लिखा कि, ‘सभी नेशनल अवॉर्ड विनर्स हैं. बाकी नेशनल अवॉर्ड विनर्स को कल अनवील किया जाएगा.’

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Vivek Ranjan Agnihotri@vivekagnihotri

All national award winners.

More award winners to reveal tommorrow

Trailer out on Monday 25th March at 2 PM. #TheTashkentFiles #WhoKilledShastri1,7109:48 PM – Mar 22, 2019571 people are talking about thisTwitter Ads info and privacyView image on Twitter

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Vivek Ranjan Agnihotri@vivekagnihotri

Friends, the film you’ve been waiting for:

The man you know… The mystery you don’t! #TheTashkentFiles
Releasing on 12th April 2019. #WhoKilledShastri#MithunChakraborty #NaseeruddinShah @shweta_official @TripathiiPankaj @pathakvinay @mandybedi #PallaviJoshi #LalBahadurShastri4,14210:10 AM – Mar 19, 20192,362 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

लाल बहादुर शास्त्री पर आधारित है फिल्म

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, ये फिल्म भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर आधारित है. इस फिल्म में उनके मौत की पहेली को सुलझाने की कोशिश की जाएगी. लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई थी. कई साल बाद बी ये खुलासा नहीं हो पाया कि उन्हें हर्ट अटैक आया था या फिर जहर दिया गया था. फिल्म का ट्रेलर 25 मार्च को रिलीज होने वाला है. ये फिल्म 12 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

होली : आस्था विश्वास और आनंद का संगम

आनंद भरे रंगों से अपनी आत्मा को ऊपर उठाएं – श्री श्री रवि शंकर जी

होली भारत का बहुत ही लोकप्रिय और हर्षोल्लास से परिपूर्ण त्यौहार है। लोग चन्दन और गुलाल से होली खेलते हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च माह के आरम्भ में यह त्यौहार मनाया जाता है। लोगों का विश्वास है कि होली के चटक रंग ऊर्जा, जीवंतता और आनंद के सूचक हैं। होली की पूर्व संध्या पर बड़ी मात्रा में होलिका दहन किया जाता है और लोग अग्नि की पूजा करते हैं।

होलिका दहन की कहानी

प्रह्लाद से जुड़ी एक किंवदंति के अनुसार तभी से होली का त्यौहार आरम्भ हुआ था। प्रह्लाद ईश्वर को समर्पित एक बालक था, परन्तु उसके पिता ईश्वर को नहीं मानते थे। वह बहुत दंभी (घमंडी) और क्रूर राजा थे। तो कहानी कुछ इस तरह से आगे बढ़ती है कि प्रह्लाद के पिता एक नास्तिक राजा थे और उनका ही पुत्र हर समय ईश्वर का नाम जपता रहता था। इस बात से आहात हो कर वह अपने पुत्र को सबक सिखाना चाहते थे। उन्होंने अपने पुत्र को समझाने के सारे प्रयास किए, परन्तु प्रह्लाद में कोई परिवर्तन नहीं आया। जब वह, प्रह्लाद को बदल नहीं पाए तो उन्होंने उसे मारने की सोची। इसलिए उन्होंने अपनी एक बहन की मदद ली। उनकी बहन को यह वरदान प्राप्त था कि यदि वह अपनी गोद में किसी को भी ले कर अग्नि में प्रवेश करेगी तो स्वयं उसे कुछ नहीं होगा परन्तु उसकी गोद में बैठा व्यक्ति भस्म हो जाएगा। राजा की बहन का नाम होलिका था। होलिका ने प्रह्लाद को जलाने के लिए अपनी गोद में बिठाया, परन्तु प्रह्लाद के स्थान पर वह स्वयं जल गई और “हरि ॐ” का जाप करने एवं ईश्वर को समर्पित होने के कारण, प्रह्लाद की आग से रक्षा हो गई और वह सुरक्षित बाहर आ गया।

कुछ गावों में लोग अंगारों पर से हो कर गुजर जाते हैं और उन्हें कुछ भी नहीं होता, उनके पैरों में छाले/फफोले भी नहीं पड़ते! विश्वास में बहुत शक्ति होती है। जीवन में विश्वास का बड़ा योगदान होता है। आने वाले मानसून पर होलिका दहन का प्रभाव पड़ता है।

होलिका भूतकाल के बोझ का सूचक है जो प्रह्लाद की निश्छलता को जला देना चाहती थी। परन्तु नारायण भक्ति से गहराई तक जुड़े हुए प्रह्लाद ने सभी पुराने संस्कारों को स्वाहा कर दिया और फिर नए रंगों के साथ आनंद का उद्गम हुआ। जीवन एक उत्सव बन जाता है। भूतकाल को छोड़ कर हम एक नई शुरुआत की तरफ बढ़ते हैं। हमारी भावनाएं आग की तरह हमें जला देती हैं, परन्तु जब रंगों का फव्वारा फूटता है तब हमारे जीवन में आकर्षण आ जाता है। अज्ञानता में भावनाएं एक बोझ के समान होती हैं, जबकि ज्ञान में वही भावनाएं जीवन में रंग भर देती हैं। सभी भावनाओं का सम्बन्ध एक रंग से होता है जैसे कि – लाल रंग क्रोध से, हरा इर्ष्या से, पीला पुलकित होने या प्रसन्नता से, गुलाबी प्रेम से, नीला रंग विशालता से, श्वेत शान्ति से और केसरिया संतोष/त्याग से एवं बैंगनी ज्ञान से जुड़ा हुआ है। त्यौहार का सार जान कर ज्ञान में होली का आनंद उठाएं।

होली क्यों मनाई जाती है और क्या सिखाती है।

जीवन रंगों से भरा होना चाहिए! प्रत्येक रंग अलग-अलग देखने और आनंद उठाने के लिए बनाए गए हैं। यदि सभी रंगों को एक में मिला कर देखा जाए तो वे सभी काले दिखेंगे। लाल, पीला, हरा आदि सभी रंग अलग-अलग होने चाहिए, पर साथ ही हमें इनका आनंद भी एक साथ उठाना चाहिए। इसी प्रकार व्यक्ति द्वारा जीवन में निभाई जाने वाली भूमिकाएँ, उसके भीतर शांतिपूर्ण एवं पृथक रूप से अलग-अलग विद्यमान होनी चाहिए। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपनी “पिता” वाली भूमिका कार्यालय में भी निभाने लगे तो भगवान् ही मालिक है। पर हमारे देश में कभी-कभी नेता पहले पिता बन कर और बाद में नेता बन कर सोचते हैं।

हम चाहे जिस भी परिस्थिति में हों, हमें अपना योगदान शत-प्रतिशत देना चाहिए और तब हमारा जीवन रंगों से भरा रहेगा! प्राचीन भारत में इसी संकल्पना को “वर्णाश्रम” कहा गया है। इसका अर्थ है-प्रत्येक व्यक्ति-चाहे वह डाक्टर, अध्यापक, पिता या कुछ और हो, उससे वह भूमिका पूरे उत्साह के साथ निभाने की अपेक्षा की जाती है। व्यवसायों को आपस में मिला देने से उत्पादनियता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि कोई डाक्टर व्यवसाय करना चाहता है तो उसे अपने डाक्टर पेशे को प्राथमिकता न देते हुए, अलग से व्यवसाय करना चाहिए न कि चिकित्सा को ही अपना व्यवसाय बना लेना चाहिए। मन के इन भिन्न ‘पात्रों’ को अलग एवं पृथक रखना सुखी जीवन का रहस्य है और होली हमें यही सिखाती है।

सभी रंगों का उद्गम सफ़ेद रंग से हुआ है पर इन सभी रंगों को आपस में मिलाने पर ये काले रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। जब हमारा मन उज्जवल और चेतना शुद्ध, शांत, प्रसन्न एवं ध्यानस्थ हो तो विभिन्न रंग एवं भूमिकाओं का जन्म होता है। हमें वास्तविक रूप से अपनी सभी भूमिकाओं को निभाने की शक्ति प्राप्त होती है। हमें अपनी चेतना में बार-बार डुबकी लगानी होगी। यदि हम केवल बाहर ही देखते रहे और आस-पास के बाहरी रंगों से खेलते रहे तो हम अपने चारों ओर अन्धकार पाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। अपनी सभी भूमिकाओं को पूरी निष्ठा एवं गंभीरता के साथ निभाने के लिए हमें भूमिकाओं के मध्य गहन विश्राम लेना होगा। गहन विश्राम में बाधा पंहुचाने वाला सबसे बड़ा कारक इच्छाएं हैं। इच्छाएं तनाव की द्योतक हैं। यहाँ तक कि छोटी सी/ तुच्छ इच्छा भी बड़ा तनाव देती है। बड़े-बड़े लक्ष्य अक्सर कम चिंताएं देते हैं ! कई बार इच्छाएं मन को यातना भी देती हैं।

एक ही रास्ता है कि इच्छाओं पर ध्यान ले जाएँ और उन्हें समर्पित कर दें। इच्छाओं अथवा कर्म के प्रति सजग होना या ध्यान ले जाने को “कामाक्षी” कहा जाता है। सजगता से इच्छाओं की पकड़ कम हो जाती है, और आसानी से समर्पण हो जाता है और तब अपने भीतर अमृत धारा फूट पड़ती है। देवी “कामाक्षी” ने अपने एक हाथ में गन्ना पकड़ रखा है और दूसरे में एक फूल। गन्ना काफी सख्त होता है और उसकी मिठास प्राप्त करने के लिए उसे निचोड़ना पड़ता है। जबकि फूल कोमल होता है और इससे रस निकालना बेहद आसान है। वास्तव में जीवन में भी तो यही होता है। जीवन इन्ही दोनों का मिश्रण है! इस परमानन्द को बाहरी संसार से प्राप्त करने की तुलना में अपने ही भीतर प्राप्त करना काफी आसान है जबकि बाहरी संसार में इसके लिए बहुत प्रयास करने पड़ते हैं।

होली की कथाएँ जानिए

‘पुराण’ शब्द का उद्गम संस्कृत के ‘पुर नव’ शब्द से हुआ है, जिसका अर्थ है ‘जो नगर में नया है’। पुराण तथ्यों/ बातों को नए ढंग से प्रस्तुत करने का तरीका है। यह रंग-बिरंगे कथा-कहानियों से परिपूर्ण ग्रन्थ है। सतह पर तो ये कहानियाँ काल्पनिक लगती हैं परन्तु वास्तव में इनमें अति सूक्ष्म सत्य है।

एक असुर राजा हिरण्यकश्यप चाहता था कि सभी उसकी पूजा करें। परन्तु उसका अपना ही पुत्र ‘प्रह्लाद’ उस राजा के घोर शत्रु भगवान नारायण का परम भक्त था। इस बात से क्रोधित राजा अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद से मुक्ति चाहता था। अग्नि में भी न जलने की शक्ति प्राप्त होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में ले कर जलती हुई आग (चिता) में बैठ गई। परन्तु इस आग में होलिका स्वयं जल गई और प्रह्लाद आग में से सही-सलामत बाहर निकल आया।

यहाँ हिरण्यकश्यप बुराई का प्रतीक है और प्रह्लाद निश्छलता, विश्वास एवं आनंद का। आत्मा को केवल भौतिक वस्तुओं के प्रति ही प्रेम रखने के लिए ही सिमित नहीं किया जा सकता। हिरण्यकश्यप भौतिक संसार से मिलने वाला समस्त आनंद चाहता था, पर ऐसा हुआ नहीं। किसी जीवात्मा को सदा के लिए भौतिकता में कैद नहीं रखा जा सकता। इसका अंततः अपने उच्चतर स्व अर्थात नारायण की ओर बढ़ना स्वाभाविक है।

Science behind Holi, the festival of Colours

Curtsy: Ministry of Culture, Govt. of India

Holi, the festival of Colours is celebrated in different corners of India with pomp and gaiety on full moon day in the month of Phalgun which is the month of March as per the Gregorian calendar. We all are also aware of the Legend of demon King Hiranyakashyap and his son Prahlad and sister HolikaI don’t want to repeat that story. Have you ever thought that there could be any scientific reason behind the festivals we celebrate? Here, I intend to trace the science behind the festival of Holi. Let’s explore-

Holi is played in the Spring Season which is a period between end of winter and advent of summer. We normally go through the transition phase of winter and summer.  The period induces the growth of bacteria in the atmosphere as well as in the body. When Holika is burnt, temperature of the nearby area raises around 50-60 degree Celsius. Following the tradition when people perform Parikrama (go around the bonfire/pyre), the heat coming from the bonfire kills the bacteria in the body and cleanses it.

In some parts of the country, after Holika Dahan (burning of Holika) people put ash on their forehead and also mix Chandan (paste of sandal wood) with the young leaves and flowers of the Mango tree and consume. It is believed to promote good health.

This is the time, when people get the feeling of tardiness. This is quite natural for the body to experiences some tardiness because of change in weather from cold to the hot in the atmosphere. To counter this laziness, people sing Songs (Phag, Jogira etc.) with Dhol, Manjira and other traditional instruments. This helps in rejuvenating the human body. Their physical movement while

playing with colours also helps in the process.

Colours play vital role in fitness of human body. Deficiency of a particular colour could cause an ailment and can be cured when that colour element is supplemented either through diet or medicine. In ancient times, when people started playing Holi, the colours used by them were made from natural sources like turmeric, Neem, Palash (Tesu) etc. The playful pouring and throwing of colour powders made from these natural sources has a healing effect on the human body. It has the effect of strengthening the ions in the body and adds health and beauty to it.

Plant based sources of colours:

Colour Sources

Green : Mehendi and dried leaves of Gulmohur tree, leaves of spring crops and herbs, Spinach leaves, rhododendron leaves and pine needles
Yellow : Turmeric (Haldi) powder, Bael fruit, amaltas, species of chrysanthemums, and species of marigold, dandelions, sunflowers, marigolds, daffodils and dahlias, gram flour
Red  : Rose or the bark of crab apple trees, Red Sandal wood Powder, feels of Red Pomegranate, flowers of Tesu tree (Palash), fragrant red sandal wood, dried hibiscus flowers, madder tree, radish and pomegranate
Saffron : Flowers of Tesu tree (Palash), Mixing lime with turmeric powder creates an alternate source of orange powder, barberry
Blue : Indigo, Indian berries, species of grapes, blue hibiscus and jacaranda flowers
Purple : Beetroot
Brown : Dried Tea leaves, red maple trees, Katha
Black : Some species of grapes, fruit of Gooseberry (Amla)

Now a day, market is mostly flooded with synthetic colours and herbal colours are not available in adequate quantity. Synthetic Colours are also cheap and people feel we have to pour this on others and not on ourselves, hence they opt for it. But they forget one thing that everybody thinks in the same way and others also pour you with same synthetic colours. The synthetic colours available in the market comprises of toxic components such as lead oxide, diesel, chromium iodine and copper sulphate which lead to rashes on the skin, allergies, pigmentation, frizzy hair and eye irritation. In extreme cases, it can cause serious skin diseases and clogging of hair cuticles resulting in severe hair damage. So we should deliberately opt for herbal colours even if it is costly. If demand increases, the cost would naturally come down.

Problems caused by some common Synthetic colours:

Green – It might contain copper sulphate and can cause problems like eye allergy and temporary blindness.

Red – It might contain mercury sulphide, which can lead to skin cancer, mental retardation, paralysis and impaired vision.

Purple – It might contain chromium iodide leading to health problems like bronchial asthma and allergies.

Silver – It might contain aluminum bromide, which is carcinogenic.

Blue – It might contain Prussian blue, which can cause contract dermatitis.

Black – It might contain lead oxide leading to health problems like renal failure and learning disability.

So try to play holi with natural colours. I know it is practically not possible all of a sudden. In the meantime, you can minimize the side effects of synthetic colours by following some simple steps. Here are they-

Tips: Before playing Holi

  • Body: It’s also a good idea to apply a thick layer of moisturizer, petroleum jelly or coconut oil on your face and other exposed parts of the body to prevent colours from coming into direct contact with your skin.
  • Hair: Oil your hair and scalp with olive, coconut or castor oil. Add a few drops of lemon juice to prevent dandruff and infection triggered by the chemical colours.
  • Clothing: What you choose to wear should cover maximum parts of your body. Wear dark colour-full sleeves cotton clothes. Synthetic cloth would be sticky and denims would be heavy once you have a bucket full of colours/water splashed on you.
  • Lips and Eyes: Don’t wear lenses. Mostly people are interested in applying surprise colours on your face and you may get your eyes hurt by the lenses. Use a sun glass to protect your eyes from a misfire of colour filled darts or water jets. Apply a lip balm for your lips.
  • Water: Drink plenty of water before you start playing Holi. This will keep your skin hydrated. Also keep sipping water carefully while playing Holi.
  • Bhang/Alcohol: Don’t consume bhang if you are a heart patient, excessive intake may lead to heart attack/failure.

Tips: After playing Holi

  • Do not scrub the colour off with soap. Soaps contain esters that erode the skin layers and often cause rashes. Use a cream-based cleanser or you can even use oil for removing the colours, and then go for a bath. Apply a lot of moisturising cream to keep the skin hydrated.
  • If the colours are still left on your skin you can apply besan with milk/milk cream on your body for removing colours.
  • Don’t use kerosene, spirit or petrol to clean your face. Try a cream-based cleanser or baby oil.
  • Don’t use hot water, it will stick the colour on your body. Use normal water.
  • Stay away from sunlight till colour is removed.
  • Itching in eye or redness may be normal but if it continues for more than few hours immediately contact with a doctor.

Workshop on “Rass and Bhaav”

About Workshop

A workshop based on an important elements of Theatre & Dance ”Rass & Bhaav” was organized on 27th day under the 14th Winter National TheaterFestival , conducted by well-known dance guru, Mrs SuchitraMitraji.

Suchitraji is proficient in Bharatanatyam, Kathakkali, Manipuri and Assamese dance styles, and the country has given many performances abroad.

 Suchitra Mitraji told that the expressions prove very helpful in expressing Navaras and that they have a natural nature, just one person should try to be an artist especially from time to time

To express the feeling within your conscience.

He defined young actors by defining acting in a more constructive manner that the ‘Abhinaye’ word is made up of two words, in which the definition of ‘Abhi’ is to present the image of any character to the audience and ‘naye’ means Without self-assertiveness

According to SuchitrajiNatyaShastra, the four types of acting are considered as sattvik, Aangik,Vaachik, and Aharyik.

Suchitraji also told that a strong actor has the identity that he is associated with the audience through imagination and hypothesis in such a way that the audience feels himself connected with that story.

On Monday, the workshop of Suchitraji will be extended under the second session, in which young artists will get some new nuances related to ”Rass & Bhaavs” .

युवाओं ने राहगिरी का भरपूर लुत्फ उठाया-कमलदीप गोयल

अपनी राहे अपनी आजादी युवाओं विषय भी युवाओं के अनुकूल रहा

पंचकूला 24 फरवरी। सैक्टर 5 स्थित यवनिका पार्क के समीप जिला पुलिस एवं  प्रशासन के सौजन्य से राहगिरी कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें युवाओं ने स्वंय को तरोताजा किया वहीं भरपूर मनोरंजन का लुत्फ भी उठाया।

डीसीपी कमलदीप गोयल, एसडीएम पंकज सेतिया, एसीपी मनीष सहगल की उपस्थिति में युवाओं ने पहले जोरदार शारीरिक अभ्यास किया। -अपनी राहे अपनी आजादी-विषय  पर आयोजित यह राहगिरी कार्यक्रम युवाओं के दिलो दिमाग पर छा गया और वे एगेन मोर एगेन मोर की मांग रहे थे। संगम इवेंट की ओर से हरियाणवी, फिल्मी एवं देशभक्ति गीतों का आनन्द लिया। -तेरी आंखा का यो काजल, कर देगा मैने घायल, पल पल तेरी याद सतावे सै- जैसे गानों पर युवा जोर झूम झूम कर डांस कर रहे थे और भरपूर आनन्द ले रहे थे।

राहगिरी कार्यक्रम में फिल्मी गीतों के साथ साथ देशभक्ति गीतों का जज्बा भी देखने को मिल रहा था। युवा राष्ट्र भक्ति को बहुत ही पंसद कर रहे थे। कार्यक्रम 7 बजे से ही आरम्भ हो गया ओर युवाओं ने लगातार अढाई घण्टें तक पुरी मौज मस्ती की ओर इसका भरपूर आंनन्द उठाया। कार्यक्रम में प्रश्नोतरी एवं चुटकले भी रखे गए। जिनके माध्यम से युवा बहुत शानदार एवं भव्य तरीके से कटाक्ष कर एक दूसरे को मनोंरजन की कड़ी से जोड़ रहे थे। इसके साथ ही शब्दों के उच्चारण में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढने के लिए प्रेरित हो रहे थे। 

पारस अस्पताल की ओर से राहगिरी कार्यक्रम में दंत चिकित्सा, बीपी, सुगर आदि की जंाच कर लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया गया। डीसीपी कमलदीप एवं एसडीएम पंकज सेतिया का कहना है कि राहगिरी बहुत ही अच्छा कार्यक्रम है। इसके माध्यम से लोगों को तनाव से मुक्ति दिलवाने का कार्य किया जाता है वही उनको स्वास्थ्य रखने के टिप्स भी दिए जा रहे है। भागदौड़ भरी जिन्दगी में लोगों के लिए भरपूर मनोरंजन एवं शारीरिक अभ्यास करवाकर उन्हंे खुश रखना ही सरकार व जिला  प्रशासन का मुख्य ध्येय है। इसके साथ इससे प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पूर्ण तालमेल भी बढते हैं जो सामाजिक सौहार्द एवं समन्वय बढाने का कार्य करता है। युवाओं के अनुकूल ही अपनी राहे अपनी आजादी-विषय का चयन करके इस राहगिरी कार्यक्रम का आयोजन करवाया गया। 

इस अवसर पर शिक्षा विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ अन्य विभागोें के अधिकारी भी मौजूद रहे। 

Workshop on “Rass and Bhaav” By Smt. Suchitra Mitra

Story & Photos by Rakesh Shah

A workshop based on an important elements of Theatre & Dance ”Rass & Bhaav” was organized on 27th day under the 14th Winter National TheaterFestival , conducted by well-known dance guru, Mrs SuchitraMitraji.

Suchitraji is proficient in Bharatanatyam, Kathakkali, Manipuri and Assamese dance styles, and the country has given many performances abroad.

 SuchitraMitraji told that the expressions prove very helpful in expressing Navaras and that they have a natural nature, just one person should try to be an artist especially from time to time

To express the feeling within your conscience.

Photos by Rakesh Shah

She defined young actors by defining acting in a more constructive manner that the ‘Abhinaye’ word is made up of two words, in which the definition of ‘Abhi’ is to present the image of any character to the audience and ‘naye’ means Without self-assertiveness

According to Suchitraji Natya Shastra, the four types of acting are considered as sattvik, Aangik, Vaachik, and Aharyik.

Suchitraji also told that a strong actor has the identity that he is associated with the audience through imagination and hypothesis in such a way that the audience feels himself connected with that story.

On Monday, the workshop of Suchitraji will be extended under the second session, in which young artists will get some new nuances related to ”Rass & Bhaavs” .

BIZ BASH 2019 ORGANIZED AT GGSCW-26

News & Photo: Rakesh Shah


Photo: Rakesh Shah

Post Graduate Department of Commerce of Guru Gobind Singh College for Women, Sector-26, Chandigarh organized BIZ BASH 2019 on 22nd Feb, 2019. The Fest saw participation of more than 300 students from 18 colleges and universities in and around Chandigarh. The event started with 2 minutes mourning and lamp lighting in remembrance of Pulwama martyrs.

The students participated with full rigour and zeal in various events like Business plan, Just a Minute, Ad Mad show, Skit, Group Dance etc. The auditorium was resonated with the cries of “Bharat Mata ki Jai” and “Vande Matram”.

Photo: Rakesh Shah

Big MJ Guri from 92.7 Big FM was special attraction of the event. After the event the prizes were given away by college Principal Dr. Jatinder Kaur who applauded the efforts put in by the participants.

राहगीरी कार्यक्रम कल यवनिका पार्क मे

इस बार राहगिरी कार्यक्रम 24 फरवरी 2019 दिन रविवार को प्रात: 06:30 से 09:30 तक यवनिका पार्क सैक्टर-5 पंचकुला मे आयोजित किया जायेगा । इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगो को तनाव से खुशी की ओर ले जाना, स्वस्थ रहने का मार्ग दिखाना, भाईचारा, मेलजोल बढाना और परम्परागत खेलों के रंग मे रंगने का है । इस कार्यक्रम मे पारम्परिक खेलों, संगीत, नुक्कड नाटिका, यातायात के नियमों की जानकारी व अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जायेगा । आम नागरिकों व स्कूल के बच्चों से अपील है कि वह अधिक से अधिक संख्या में इस कार्यक्रम मे पहुंचे । 

French singing and cooking competition

Chandigarh February 18, 2019

            The Department of French & Francophone Studies, Panjab
University, Chandigarh is organizing the following competitions as per
programme given below:

French Paper Reading Contest Course wise – 20.2.2019
French Singing Competition-21.2.2019
French Cooking Competition-22.2.2019

Time:   4.00 pm onwards

Venue: Arts Block –V, Top Floor, PU