अरिहंत की तैनाती से बौखलाया पाकिस्तान दे रहा गीदड़ भभकियाँ


पाकिस्तान ने कहा, इस्लामाबाद की क्षमता पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए


भारत की परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत की हालिया तैनाती को लेकर पाकिस्तान ने गुरुवार को गीदड़ भभकी दी है. उसने कहा कि दक्षिण एशिया में परमाणु और परंपरागत क्षेत्रों में चुनौतियों से निपटने के लिए इस्लामाबाद की क्षमता पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए.

पाकिस्तान विदेश कार्यालय प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि यह घटना दक्षिण एशिया में परमाणु शस्त्र की पहली तैनाती है, जो न सिर्फ हिंद महासागर के तट पर स्थित देशों के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है.

आईएनएस अरिहंत ने इस हफ्ते अपनी पहली गश्त सफलतापूर्वक पूरी की है जिससे भारत उन गिने चुने देशों में शुमार हो गया जो इस तरह की पनडुब्बी की डिजाइन तैयार करने, उसका निर्माण करने और उसे परिचालित करने में सक्षम हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि शीर्ष भारतीय नेतृत्व ने जो कटुतापूर्ण भाषा का इस्तेमाल किया वह दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए खतरे को दिखाता है और भारत में परमाणु के क्षेत्र में जिम्मेदाराना कदम पर सवाल खड़े करता है.

उन्होंने कहा कि भारत द्वारा मिसाइल परीक्षणों को बढ़ाया जाना, परमाणु हथियारों का प्रदर्शन और उनकी तैनाती मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) से भारत को मिलने वाले लाभों के आकलन की मांग करती है.

प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में सामरिक स्थिरता को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि किसी को भी दक्षिण एशिया में परमाणु और परंपरागत क्षेत्र में हालिया घटनाक्रमों से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में पाकिस्तान की क्षमता को लेकर भ्रम में नहीं रहना चाहिए.

दिवाली से ऐन पहले पाकिस्तानी बैंक हैक

 

पाकिस्तान के सभी बैंक हैकर्स के निशाने पर आ गए हैं. डौन के मुताबिक फेडरल इनवेस्टीगेशन एजेंसी के साइबर क्राइम प्रमुख ने यह जानकारी दी है कि पाकिस्तान के लगभग सभी बैंकों को हैक कर लिया गया है.

उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी ब्रीच के तहत हैकर्स ने बैंकों को निशाना बनाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्राहकों के करोड़ों रुपयों पर हैकर्स ने अपना हाथ साफ कर दिया.

जांच एजेंसियां अब इस मामले को सुलझाने में लगी हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह साइबर हमला सीमा पार से हो सकता है. हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि बैंकों से कुल कितनी राशि हैकर्स ने उड़ाई है.

श्रीकृष्ण के नारकासुर पर विजय का पर्व है नरक चतुर्दशी


दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी होती है, इसे छोटी दीवाली भी कहते हैं। इसके बारे में श्रीकृष्‍ण से संबंधित एक प्रेणनादायी कथा प्रसिद्ध है।


श्री कृष्‍ण ने किया नरका सुर का वध

कहते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष में दीयों की बारत सजायी जाती है। इस कथा के अनुसार कृष्ण ने नरकासुर नाम के अत्यंत क्रूर राक्षस को दिवाली से पहले आने वाली चतुर्दशी के दिन मार दिया था। असल में यह नरकासुर की ही इच्छा थी की यह चतुर्दशी उसकी बुराइयों के अंत होने की वजह से एक उत्सव की रूप में मनाई जाए। इसीलिए दीवाली को नरक चतुदर्शी के रूप में भी मनाया जाता है। नरक एक बहुत अच्छे परिवार से था। कहा जाता है कि वह भगवान विष्णु का पुत्र था। विष्णु जी ने जब जंगली शूकर यानी वराह अवतार लिया, तब नरक उनके पुत्र के रूप में पैदा हुआ। इसलिए उसमें कुछ खास तरह की दुष्‍ट प्रवृत्तियां थीं। सबसे बड़ी बात कि नरक की दोस्ती मुरा असुर से हो गई, जो बाद में उसका सेनापति बना। दोनों ने साथ मिल कर कई युद्ध लड़े और हजारों को मारा। कृष्ण ने पहले मुरा को मारा। मुरा को मारने के बाद ही कृष्ण का नाम मुरारी हुआ। कहा जाता है कि मुरा के पास कुछ ऐसी जादुई शक्तियां थीं, जिनकी वजह से कोई भी व्यक्ति उसके सामने युद्ध में नहीं ठहर सकता था। एक बार मुरा खत्म हो गया तो नरक से निपटना आसान था।

बुराई पर अच्‍छाई को महत्‍व देने का संदेश 

कहते हैं कि नरक ने प्रार्थना की थी कि उसकी मृत्यु का उत्सव मनाया जाए। बहुत से लोगों को मुत्यु के पलों में ही अपनी सीमाओं का अहसास होता है। अगर उन्हें पहले ही इसका अहसास हो जाए तो जीवन बेहतर हो सकता है, लेकिन ज्यादातर लोग अपने आखिरी पलों का इंतजार करते हैं। नरक भी उनमें से एक था। अपनी मृत्यु के पलों में अचानक उसे अहसास हुआ कि उसने अपना जीवन कैसे बरबाद कर दिया और अब तक अपनी जिंदगी के साथ क्या कर रहा था। उसने कृष्ण से प्रार्थना की, ‘आप आज सिर्फ मुझे ही नहीं मार रहे, बल्कि मैंने अब तक जो भी बुराइयां या गलत काम किए हैं, उन्हें भी खत्म कर रहे हैं। इस मौके पर उत्सव होना चाहिए।’ इसलिए नरक चतुर्दशी को एक राक्षस की बुराइयों के खत्म होने का उत्सव नहीं मनाना चाहिए, बल्कि आपको अपने भीतर की तमाम बुराइयों के खत्म होने का उत्सव मनाना चाहिए। नरक को तो कृष्ण ने बता दिया था कि मैं तुम्हें मारने वाला हूं, लेकिन जरूरी नहीं कि कोई आपको भी यह बताए। इस बात को समझें कि नरकचौदस इसीलिए होता है ताकि हम सब पापों के अंत का उत्सव मना सकें। नरक के एक अच्छा जन्म पाने के बावजूद फिर बुराई में डूबने की यह कथा महत्वपूर्ण है।

PTV ने इमरान खान की फजीहत की


चीन की राजधानी बीजिंग में जब इमरान भाषण दे रहे थे तब पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन यानी पीटीवी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं थी


कई बार दिल की बात जुबान से निकल जाती है. कुछ ऐसा ही पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान के साथ हुआ. इमरान खान इन दिनों चीन के दौरे पर गए हुए हैं. चीन की राजधानी बीजिंग में जब इमरान भाषण दे रहे थे तब पाकिस्तान टेलीविजन कॉरपोरेशन यानी पीटीवी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी उम्मीद नहीं थी.

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में  इमरान खान के भाषण के LIVE के दौरान स्क्रीन पर पीटीवी ने तीर बनाकर शहर के नाम की जानकारी देने की कोशिश की. लेकिन हुआ कुछ उलटा. पीटीवी ने तीर का निशान तो बनाया लेकिन Beijng की जगह Begging लिख दिया. वैसे दिलचस्प है कि इमरान खान के चीन जाने का मकसद वित्तीय मदद मांगना भी था. आर्थिक तंगी से गुजर रहे पाकिस्तान के लिये आर्थिक पैकेज सुनिश्चित करने के इरादे से चीन की आधिकारिक यात्रा पर गये खान रविवार को बीजिंग स्थित सेंट्रल पार्टी स्कूल में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

curtsey PTV

अपनी इस गलती के लिए पीटीवी ने माफी भी मांग ली है. लेकिन जब तक पीटीवी यह गलती सुधारती तब तक यह वीडियो वायरल हो चुका था. यह शब्द करीब 20 सेकेंड तक स्क्रीन पर दिखता रहा, जिसे बाद में बदल दिया गया.

‘पीटीवी न्यूज’ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया, ‘चीन की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री के संबोधन के आज सीधे प्रसारण के दौरान वर्तनी से संबंधित गलती हुई. यह गलती करीब 20 सेकंड तक बनी रही, जिसे बाद में हटा लिया गया. इस घटना पर हमें खेद है. संबंधित अधिकारियों के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है.’

Imran’s China visit


WHEN Prime Minister Imran Khan chose to travel to China over staying in Pakistan as mobs and violent protesters took to the streets across this country, PTI officials defending the foreign trip amidst domestic chaos argued that the economy was in dire straits and urgent assistance was needed. The implication was that Prime Minister Khan was required to go to China to secure quick money, loans, assistance and investments to shore up the Pakistani economy and state finances.


Imran Khan is back from his first official visit to China. Imran’s nervousness was apparent in his first interview to the Chinese media in which he repeated himself several times over, and he certainly did not come across as the head of a sovereign state. For a person of Imran Khan’s temperament, a visit primarily structured around a begging bowl couldn’t have been all that pleasant. For that is what it was in reality. Worse still, it was something which could hardly be hidden from the public gaze.

First, in the matter of the urgent need to get financial assistance, his meeting with Premier Li Keqiang was not propitious. Xinhua quoted him at a press conference as saying that China was willing to provide assistance to Pakistan “within our capability”, a statement unlikely to provide any relief to his guest. The same tone echoed in the followingmeeting with vice-foreign minister Kong Xuanyou where it was said that China had “made it clear in principle that (it) will provide necessary support and assistance to Pakistan in tiding over the current economic difficulties”.

It was also made clear that the actual amount of “assistance” will be discussed in subsequent meetings. Not a word about the rumoured $6 Billion Package, which was doing the rounds in the Pakistan media. The mood in Beijing was well encapsulated by Cheng Xiaohe, deputy director of the Centre for International Strategic Studies at Renmin University in The South China Morning Post He rather tartly noted while China was willing to assist Pakistan, it was finally Islamabad’s responsibility to take care of its own people. Coming to the crux of the matter, he observed that China had a liquidity problem due to its trade war with the US. Therefore Pakistan “must seek all kinds of assistance”. That’s as crisp as it gets.

Second is the issue of the nature and goals of Chinese loans and project assistance. Imran is no fool, and even before his election to the top post, the newly-elected prime minister had been stressing that Chinese assistance must also address the basic concerns of the people in terms of cheap housing, basic utilities and other aspects. In this he may get some reprieve.

The joint statement stated “Chinese assistance will also be directed towards agriculture, education, health, poverty alleviation, safe drinking water, and vocational training”. Even that quote has unwieldy strings attached. The “agriculture” aspect is entirely aimed at achieving Chinese goals. Remember the “CPEC Master Plan leaked mid last year, which indicated that Chinese enterprises would operate their otwn farms across thousands of acres in Pakistan, with an end to end plan ranging from seeds, logistics and market. That’s not assistance. That’s a take over.

Third, is the most ticklish aspect of a “re-negotiation” of Chinese loans that Imran and his team have been batting for. Nothing at all emerged on that front, and presumably, is going to be part of future discussions. The boiler plate joint statement did have some effusive language on Pakistan’s search for peace, and appreciated Pakistan’s “engagement” and “adherence” to the guidelines of the Nuclear Suppliers Group. No promise of membership as claimed by Indian media. Worse, the rest of the statement essentially commits Pakistan to the Chinese view on the Iran-US nuclear deal, and demanded ( as before ) a greater Chinese role in SAARC. None of this addresses Pakistan’s immediate concerns.

In conclusion therefore, Imran returned home empty handed. As the The Dawn observed, it is surprising that a prime minister should visit an important ally with expectations that were clearly belied by reality. Normally, a dozen preparatory meetings should have laid the ground for such a visit and its expected outcomes. Instead, it appeared that the prime minister was negotiating his own way out of debt, that too at a time when his country was virtually on fire due to the antics of an extreme right wing group bent on violence. Somewhere, somebody blundered.

For India or for anyone with an interest in South Asian stability, there are some aspects of interest. One aspect is that US-China trade confrontation has led to a state where China is reluctant to extend even minimal aid ( not assistance, which has conditions) to a valuable ally. Trade sanctions are therefore clearly biting. That’s interesting to say the least.

A second aspect is that Pakistan will have now have to rely on the IMF for its largest ever loan package. While this is certain to bite, it is less dangerous than a Pakistan virtually bought up by China. That’s not in anyone’s best interests, least of all Islamabad itself. A third aspect is that the “higher than a mountain, and deeper than the seas” friendship between the two countries seems to have come up against the earthy taste of reality.

Beijing is clearly not falling over itself to oblige Pakistan in terms of generous aid or social projects to any great degree. That last aspect will play itself out to the full only in the coming months. Wait and watch. This is only likely to get more interesting.

जम्मू कश्मीर बीजेपी के राज्य सचिव अनिल परिहार और उसके भाई की गोली मारकर हत्‍या

Anil Parihar a file photo


परिहार भारतीय जनता पार्टी के जम्मू कश्मीर के राज्य सचिव हैं और उसके भाई सरकारी कर्मचारी हैं


जम्‍मू-कश्‍मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार शाम बीजेपी के राज्य सचिव अनिल परिहार और उसके भाई की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई. हमलवारों ने जब उनपर हमला किया तब वे किश्‍तवाड़ के तपन गली इलाके में अपने घर जा रहे थे. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी है.

जानकारी के अनुसार जम्‍मू-कश्‍मीर के किश्‍तवाड़ में गुरुवार को बीजेपी के राज्य सचिव अनिल परिहार और उसके भाई की गोली मारकर हमलावरों ने हत्‍या कर दी. परिहार भारतीय जनता पार्टी के जम्मू कश्मीर के राज्य सचिव हैं और उसके भाई सरकारी कर्मचारी हैं. दोनों शाम को किश्तवाड़ के तपन गली इलाके में अपने घर जा रहे थे. तभी अचानक उन पर हमला हुआ. राज्य सरकार ने अनिल परिहार को सुरक्षा भी मुहैया करवाई है.

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा, गुरुवार को रात 8 बजे के करीब आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई.

Earthquake of 5.3 magnitude hits J&K


 An earthquake of magnitude 5.3 struck Jammu & Kashmir at 08:13 pm today, as per ANI. No casualties were reported. The epicentre of the earthquake is not known as of now. Further details awaited


Srinagar:

An earthquake of magnitude 5.3 struck Jammu & Kashmir at 08:13 pm today, as per ANI. No casualties were reported. The epicentre of the earthquake is not known as of now.

Last week, a low-intensity quake hit Himachal Pradesh’s Kinnaur district. No loss of life or property was reported in the quake that hit on October 22, officials said. A 3-magnitude earthquake was recorded at 9:11 am, Shimla Meteorological Centre Director Manmohan Singh told

जम्मू-कश्मीर: पीडीपी के दो बड़े नेताओं सहित दो दर्जन कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए


राज्य बीजेपी अध्यक्ष रविन्द्र रैना ने आशा जताई है कि इन सभी के आने से जमीनी स्तर पर पार्टी मजबूत होगी


शनिवार को जम्मू कश्मीर में एक बड़ी राजनीतिक गतिविधि देखने को मिली. दरअसल राज्य की मुख्य राजनीतिक पार्टी पीडीपी (पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व जोनल शिक्षा अधिकारी सहित करीब दो दर्जन कार्यकर्ता ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.

पार्टी के एक प्रवक्ता ने बताया कि इन नए सदस्यों का राज्य बीजेपी अध्यक्ष रविन्द्र रैना ने पार्टी में स्वागत किया है. गौरतलब है कि इनमें से कई लोग हाल ही में संपन्न स्थानीय निकाय चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार थे. जबकि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इन चुनावों का बहिष्कार किया था.

बीजेपी के राज्य के प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी में शामिल होने वालों में पीडीपी के जिला उपाध्यक्ष चमन लाल अंगराल, अनुसूचित जाति कल्याण एवं विकास पर राज्य के सलाहकार बोर्ड के सदस्य उमेश कुमार और पूर्व जोनल शिक्षा अधिकारी कुलदीव रैना शामिल हैं.

पार्टी प्रवक्ता के मुताबिक अंगराल और कुमार के साथ 22 कार्यकर्ता भी थे. इन सभी का भारतीय जनता पार्टी में स्वागत करते हुए रैना ने आशा जताई है कि इन सभी के आने से जमीनी स्तर पर पार्टी मजबूत होगी. गौरतलब है कि स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है.

Global powers to grant $9-10 billion bailout packages to otherwise a terrorist state, The Pakistan

Hafiz Muhammad Saeed (C), chief of the Islamic charity organisation Jamaat-ud-Dawa (JuD), speaks to supporters during a gathering file photo


Down to just $8.5 billion in foreign exchange reserves, Pakistan, which has been struggling with a failing economy, has just been given a short lease of life in the form of a $3billion deposit and similar quantum of energy support, by Saudi Arabia.

It’s extremely difficult to understand Pakistan as a nation. At one end, its citizenry fully acknowledge that Saeed and his organisation only mean trouble for Pakistan’s already low international reputation, especially at a time when the nation is in dire straits on the economic front


Pakistan is indeed a strange country beyond any sense of rationalism. Only three days ago Human Rights Minister Shireen Mazari presented a strategic conflict resolution model for Jammu and Kashmir with the intent that the international community could get India to negotiate on the alleged dispute.

Since his election to office, Prime Minister Imran Khan has urged India a number of times to engage in talks without offering any commensurate commitment towards cessation of sponsored terror in Jammu and Kashmir or elsewhere in India.

The Financial Action Task Force (FATF), which identifies national-level vulnerabilities with the aim of protecting the international financial system from misuse, has placed Pakistan on its grey list for its failure to take sufficient action to curb financial networks that support and assist terror-related activities.

Down to just $8.5 billion in foreign exchange reserves, Pakistan, which has been struggling with a failing economy, has just been given a short lease of life in the form of a $3billion deposit and similar quantum of energy support, by Saudi Arabia.

Even as Pakistan reportedly seeks a $9-10 billion bailout from the International Monetary Fund (IMF), an organisation majorly controlled by the US, on 26 October, 2018, Pakistan took the decision to lift its internal ban on the JuD and Falah-e-Insaniyat Foundation (FIF), headed by 26/11 mastermind and well-known terrorist leader Hafiz Saeed. Both the organisations and Saeed had been banned by a presidential ordinance after they came on the UN Security Council terror list. Saeed recently challenged the ordinance on grounds that the Khan-led Pakistan Tehreek-e-Insaf (PTI) government has taken no action to convert the ordinance into law within the prescribed 120 days.

The United Nations Security Council had designated JuD as a terrorist organisation under Resolution 1,267 after the Mumbai attacks. In 2014, the US administration had added JuD in the global terrorist organisations’ list.

Though Khan’s government has the option of extending the ordinance for another four months after which if not converted to law by the legislature, the ordinance will lapse, it hasn’t.

Most times, it’s extremely difficult to understand Pakistan as a nation. At one end, its citizenry fully acknowledge that Saeed and his organisation only mean trouble for Pakistan’s already low international reputation, especially at a time when the nation is in dire straits on the economic front. But internally, there is, a fairly large segment which is enamoured by the JuD and FIF’s social activities. The organisation under its original avatar Lashkar-e-Taiba (LeT) was at the forefront of rescue and relief work during the 2008 earthquake in Pakistan-occupied Kashmir and runs several charity organisations which draws to it a degree of emotional support but does not manifest into political dividend.

Since the JuD creates no internal disturbances and largely focuses on terror activities in India (more specifically in Jammu and Kashmir) and to an extent in Afghanistan, it’s supported by the deep state and evokes a positive response from common citizens.

Fund collection drives in the name of jihad in Jammu and Kashmir are extremely popular. However, the reputation it carries internationally, especially after the 26/11 Mumbai Attacks, has placed it on watch lists and constant surveillance. Branded as friendly terrorists in the parlance of Pakistan’s strange internal security environment the JuD’s virulent anti-India stance helps keep it afloat and accepted despite a $10 million bounty on Saeed’s head.

It’s not as if the JuD’s nuisance potential is not recognised by the deep state. A senior retired US Army officer mentioned that when the Pakistan Army Chief was once privately queried on why doesn’t, in the interest of better India-Pak relations, the Pakistan Army stop the JuD from carrying out infiltration into Indian territory, the reply was that: it was a good safety valve to let out the steam. He felt that by being focused towards India, the JuD remained a strategic asset which could otherwise be an immense nuisance internally if restrained from its objectives.

None can, however, explain how Pakistan runs the risk of large scale hostilities with India given that the JuD’s actions lead to events that act as triggers for India to respond militarily.

Pakistan appears convinced that India is unprepared to risk a nuclear conflagration and therefore feels confident that it can continue this policy within India’s limits of tolerance. A greater Indian demonstration of will could act as a restraint on Pakistan’s use of JuD as a strategic asset.

The above notions now appear at risk. Clearly, the combined effect of national financial bankruptcy, FATF monitoring, application for IMF bailout, India’s diplomatic offensive, the lack of any commensurate Chinese initiative for economic bailout, and the questioning about the viability of coercive debt traps in nations partnered by China for the Belt and Road Initiative (BRI) (Pakistan being one of the flag bearers with its CPEC), should place Pakistan under immense pressure. The only explanation for Pakistan remaining fairly unconcerned about the risk it is running for — a potential meltdown financially as well as from a law and order angle — is that it realises its own nuisance potential. Its geostrategic location being such it demands international attention.

The US under President Donald Trump has displayed a higher level of coercive capability against Pakistan but at the end of the day it’s only Pakistan’s cooperation which can stabilise Afghanistan to allow the US to leave with its head held high. Its strategic nuclear assets remain a source of great worry so a meltdown is not something that the international community can ever allow in Pakistan.

The deep state led by the Pakistan Army thus has its stakes high and is willing to run risks. Actions against Saeed and JuD constitute disturbing the internal balance, and drawing down from a proxy war against India — that Pakistan perceives it is winning — is not acceptable. So, nothing is likely to happen on the lapse of the ordinance.

At the most, a second ordinance for another 120 days will be issued and a forced constitutional amendment could well be on the cards to overlook the JuD and 66 other organisations which come under the purview of the ordinance. While many in the Pakistan government will offer oversight as a reason for this lapse with supposed ‘more important’ issues occupying Khan’s mind, it is clear that Saeed, JuD and FIF are strategic assets in more ways than just terrorists aimed at India. They give enough cause for concern to those who worry for Pakistan’s overall nuisance potential especially in the context of the compulsive issue of strategic nuclear assets. The more that threat is subtly played out, the greater the chances of bailout packages being made available. As stated earlier rationality is not something which can be applied in analysing Pakistan.

Two militants killed in Srinagar, area sanitised


All educational institutions were closed in Srinagar district.


Security forces shot dead the two militants who were holed up at a house in Soothu Kothair area near Srinagar on Wednesday, October 24, 2018.

The Army has launched a cordon and search operation in the city on information that some militants had sneaked in the area.

The militants opened fire on security forces, triggering a gun battle in which two ultras were killed.

A police official said locals have been told not to go near the operation site till the area has been santiised.

A police official said  the militants were hiding inside  a house. “An area was cordoned off around 2 a.m. after specific inputs about the presence of militants at Soothu Kothair area on the city outskirts,” said the police.

The Army is leading the operation.

Locals said the area is rattled with loud blasts and firing was on when this report was filed.

“Hiding militants have been hit by the fire. The operation has entered into the final phase,” a police official said.

All educational institutions including colleges, higher secondary and schools were closed in Srinagar district as precautionary measure. Internet services has also been snapped.