धारा 370 हटनी ही चाहिए: राम माधव

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी सरकार ढाई साल रही. लेकिन वहां कि समस्याएं आज की नहीं है. उन्होंने कहा कि अलगावाद की शुरूआत 1987 से शुरू हुई. अलगाववाद को प्रोत्साहन पाक देता है. आतंकी संगठन देते हैं. 

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह के शुक्रवार को संसद में धारा 370 पर दिए बयान पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने शनिवार (29 जून) कहा है कि कश्मीर से धारा 370 को हटाया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि ये कश्मीर को एकीकृत करने में बहुत बड़ी बाधा है. उन्होंने विपक्षी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वहां की समस्या कांग्रेस और उनके साथियों के साथ मिलकर चली सरकार के कारण है. 

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी सरकार ढाई साल रही. लेकिन वहां कि समस्याएं आज की नहीं है. उन्होंने कहा कि अलगावाद की शुरूआत 1987 से शुरू हुई. अलगाववाद को प्रोत्साहन पाक देता है. आतंकी संगठन देते हैं. 

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Ram Madhav on Congress blaming BJP-PDP alliance for situation in Kashmir: BJP alliance was in power for 2.5 yrs, it’s Congress which through its alliances or through its proxies ruled states for decades & it was they who were responsible for every trouble you see in Kashmir today

पुरानी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि 1987 के चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुआ था. इस धांधली में कांग्रेस और फारूक शामिल थे, जिसके बाद असंतोष हुआ और फायदा पाकिस्तान ने उठाया था.

संसद में अमित शाह के बयान पर उन्होंने कहा कि अमित शाह ने जो कहा वो ऐतिहासिक सच है. कश्मीर की समस्या का जड़ आजादी के बाद की पहली सरकार की नीतियों में है. वहीं से अलगाववाद, अलग राज्य की मांग शुरू हुई है, इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस को लेनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाया जाना चाहिए और हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. जो तरीका होगा आवश्यक होगा वो अपना कर सही निर्णय लिया जाएगा.

आपको बता दें कि शुक्रवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर समस्या के लिए पंडित नेहरु को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने कश्मीर का वह हिस्सा जिसे पीओके कहा जाता है वह पाकिस्तान को दिया. आप लोग कहते हैं हम जनता को विश्वास में लिये बिना काम करते हैं, लेकिन नेहरुजी ने यह काम होम मिनिस्ट्री को भी विश्वास में लिये बिना किया, इसलिए कांग्रेस हमें इतिहास ना सिखायें. हम पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ों का खात्मा करेंगे, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक आत्मरक्षा में की गयी कार्रवाई है.

अमित शाह पहुंचे काश्मीर पिघली बर्फ

नेशनल कान्फ्रेंस के नेता ओमर अब्दुल्लाह के सुर आज कुछ बदले बदले से लगे। आज उनहोने अमित शाह की काश्मीर यात्रा के बारे में कोई तंज़ या तल्ख टिप्पणी नहीं की। मोदी अमित के धुर विरोधी जाने जाने वाले ओमर के बदले सुरों के पीछे क्या राज़ हो सकता है। सोचो – सोचो

श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जम्मू कश्मीर की यात्रा से केंद्र को राज्य की जमीनी हकीकत को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी और इसके प्रति उसे अपना दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने ट्वीट किया,‘केन्द्रीय गृह मंत्री की जम्मू कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा के बाद, मुझे उम्मीद है कि स्थिति की जमीनी हकीकत को बेहतर ढंग से समझा जायेगा और राज्य के प्रति रूख में बदलाव किये जाने की जरूरत है।’

शाह इस समय जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर है। वह बुधवार को यहां पहुंचे थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को सुरक्षा बलों से कहा कि वे आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाएं और राज्य में आतंकी फंडिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.

Amit Shah's J&K visit may help Centre understand ground situation better: Omar Abdullah

जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने राज्य सरकार और केंद्र के शीर्ष अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्देश दिए. इस बैठक में राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी मौजूद थे. 

आतंकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने का निर्देश
शाह के दो दिवसीय दौरे के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए राज्य के मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने बताया कि गृह मंत्री ने राज्य में आतंकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने को कहा है. 

सुब्रह्मण्यम ने गृह मंत्री को उद्धृत करते हुए कहा, ‘आतंकवादियों और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति होनी चाहिए. आतंकी फंडिंग के खिलाफ लगातार कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. कानून का शासन लागू होना चाहिए.’

शाह ने की जम्मू कश्मीर पुलिस की तारीफ 
उन्होंने उग्रवाद और आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस के प्रयासों की सराहना की और निर्देश दिया कि प्रदेश सरकार को अपने पुलिसकर्मियों की शहादत पर उनके गांवों में उचित तरीके से याद करते हुए सम्मान देना चाहिए.

शाह ने बैठक में कहा, ‘प्रमुख सार्वजनिक स्थलों का नाम शहीद पुलिसकर्मियों के नाम पर होना चाहिए.’  गृह मंत्री ने एक जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की भी समीक्षा की.’

एक और ख़बर जो ख़बर न बन सकी

1951 में कांग्रेस सरकार ने “हिंदू धर्म दान एक्ट” पास किया था। इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं।
इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलने के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7 % फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए।

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश दिया था। इन पहाड़ियों पर चर्च का निर्माण किया जाना था। मंदिर को मिलने वाली चढ़ावे की रकम में से 80 % “गैर हिंदू” कामों के लिए किया जाता है।

तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। मंदिरों के फंड में भ्रष्टाचार का आलम ये है कि कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 50,000 मंदिर रखरखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं।
दुनिया के किसी भी लोकतंत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। सरकारों ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हे पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है।

लेकिन, सिर्फ मंदिरों को ही कब्जे में लिया जा रहा है। मस्जिदों और चर्च पर सरकार का कंट्रोल नहीं है। इतना ही नहीं, मंदिरों से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल मस्जिद और चर्च के लिए किया जा रहा है।

इन सबका कारण अगर खोजे तो 1951 में पास किया हुआ कॉंग्रेस का वो बिल है। हिन्दू मंदिर एक्ट की पुरजोर मांग करनी चाहिए जिससे हिन्दुओ के मंदिरों का प्रबंध हिन्दू करे ।गुरुद्वारा एक्ट की तर्ज पर हिन्दू मंदिर एक्ट बनाया जाए।

राजीव कुमार सैनी,
एडवोकेट हाई कोर्ट इलाहाबाद
स्वयंसेवक
संयोजक , भाजपा विधि प्रकोष्ठ, हाई कोर्ट इलाहाबाद इकाई, प्रयागराज

टेररोर फंडिंग मामले में न्यायिक हिरासत 30 दिनों तक बढ़ी

नई दिल्लीः हाफिज़ सईद से जुड़े टेरर फंडिंग के मामले में गिरफ्तार मसरत आलम, आसिया अंद्राबी और शब्बीर शाह की NIA कोर्ट में आज पेशी हुई. अभी तक तीनों 10 दिनों की रिमांड पर थे. NIA ने आज कोर्ट से रिमांड बढ़ाने की मांग नहीं की. इसके बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 30 दिनों (12 जुलाई) के लिए न्यायिक हिरासत (जेल) भेज दिया है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में ही तीनों आरोपियों से एनआईए की टीम ने अलग-अलग पूछताछ की थी.

मसरत आलम को एक रैली के दौरान भारत विरोधी नारे और पाकिस्तानी झंडे लहराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.पिछली सुनवाई में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश सयाल ने तीनों को 10 दिनों की NIA हिरासत में भेज दिया था. मसरत आलम भट्ट को जम्मू एवं कश्मीर की एक जेल से दिल्ली लाया गया था. आतंकी फंडिंग के एक मामले में एजेंसी इन लोगों से पूछताछ करना चाहती थी. 

एजेंसी ने कश्मीर घाटी में हिंसा के बाद मई 2017 में मामला दर्ज किया था. अब तक एजेंसी ने अलगाववादी नेता आफताब हिलाली शाह ऊर्फ शाहिद-उल-इस्लाम, अयाज अकबर खांडे, फारूक अहमद डार ऊर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान, अल्ताफ अहमद शाह, राजा मेहराजुद्दीन कलवल और बशीर अहमद भट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला को गिरफ्तार किया है.

एससीओ सम्मेलन में प्रधान मंत्री मोदी ने इमरान को किया नज़रअंदाज़

एससीओ शिखर सम्मेलन में यदि कोई सबसे चर्चित चेहरा रहा तो वह हैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान। उनके हाव भाव, आचरण और भारत को ले कर उनकी भाषा। प्रधान मंत्री मोदी ने इमरान खान पर इस तरह से मानसिक दबाव बनाया के उनके आचरण में बौखलाहट और ढिठाई साफ नज़र आने लग पड़ी। विश्व पटल पर इमरान का कुर्सी प्रेम भी ज़ाहिर हो गया। विश्व के नेताओं के स्वागत में जब सभी नेता गण और प्रतिनिधि मण्डल आदर देने को खड़े थे तब मियां इमरान अपनी कुर्सी पर पसरे हुए थे।

बिश्‍केक:

किर्गिस्‍तान की राजधानी में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ (SCO) शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए पहुंचे पीएम मोदी और पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान के बीच कोई मीटिंग नहीं हुई. सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों नेताओं के बीच दुआ-सलाम तक नहीं हुई.

पाक-भारत संबंध सबसे खराब दौर में: इमरान
इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि भारत के साथ उनके देश के संबंध शायद अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने आशा जताई कि उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी कश्मीर सहित सभी मतभेदों को हल करने के लिए अपने ‘प्रचंड जनादेश’ का उपयोग करेंगे.

बिश्केक के लिए रवाना होने से पहले रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक को दिए एक ‘इंटरव्यू’ में खान ने कहा कि एससीओ सम्मेलन ने उन्हें दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भारतीय नेतृत्व के साथ बात करने का अवसर दिया है. खान ने कहा कि एससीओ सम्मेलन ने पाकिस्तान को भारत सहित अन्य देशों के साथ अपना संबंध विकसित करने के लिए एक नया मंच दिया है. उन्होंने कहा कि इस वक्त भारत के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध शायद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं.

Sources: There was no meeting between Prime Minister Narendra Modi and Pakistan PM Imran Khan. No exchange of pleasantries between the two leaders. #SCOSummit (file pics) pic.twitter.com/wMvoy19LgY2,2619:49 PM – Jun 13, 2019Twitter Ads info and privacy371 people are talking about this

इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी तरह की मध्यस्थता के लिए तैयार है और अपने सभी पड़ोसियों, खासतौर पर भारत के साथ शांति की उम्मीद करता है. उन्होंने कहा कि तीन छोटे युद्धों ने दोनों देशों को इस कदर नुकसान पहुंचाया कि वे अभी भी गरीबी के भंवर जाल में फंसे हुए हैं. गौरतलब है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि एससीओ सम्मेलन से इतर मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष खान के बीच किसी द्विपक्षीय बैठक की योजना नहीं है.

वहीं, खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार पत्र लिख कर सभी मुद्दों पर वार्ता बहाल करने की अपील की है.

पीएम मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात
पीएम मोदी ने बृहस्पतिवार को यहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अपनी वार्ता के दौरान सीमा पार से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे को उठाया और कहा कि भारत वार्ता बहाली के लिए आतंक मुक्त माहौल बनाने के मकसद से पाक द्वारा ठोस कार्रवाई किए जाने की उम्मीद करता है.

इमरान खान ने कहा कि मुख्य जोर शांति बहाल करने और वार्ता के जरिए मतभेदों को दूर करने पर होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ हमारा मुख्य मतभेद कश्मीर (मुद्दा) है. और यदि दोनों देश फैसला करते हैं तो यह मुद्दा हल हो सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से हमें (इस सिलसिले में) भारत की ओर से ज्यादा सफलता नहीं मिली है.

खान ने कहा, ‘‘लेकिन हम आशा करते हैं कि मौजूदा प्रधानमंत्री (मोदी) के पास प्रचंड जनादेश है, हम आशा करते हैं कि वह बेहतर संबंध विकसित करने और उपमहाद्वीप में शांति कायम करने में इसका उपयोग करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि पैसों का इस्तेमाल लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में किया जाना चाहिए. उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए यह बात कही जिसने अपने लाखों लोगों को गरीबी के भंवर जाल से बाहर निकाला है.

खान ने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि भारत के साथ हमारा तनाव घटेगा, इसलिए हमें हथियार नहीं खरीदना है क्योंकि हम मानव विकास पर धन खर्च करना चाहते हैं. लेकिन हां, हम रूस से हथियार खरीदने पर विचार कर रहे हैं और मैं जानता हूं कि हमारी सेना रूसी सेना के साथ संपर्क में है.’’ उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान रूस के साथ पिछले कुछ बरसों से संयुक्त सैन्य अभ्यास करता आ रहा है. इसके अलावा वह रूस से रक्षा खरीद भी कर रहा है जिसने नयी दिल्ली को कुछ चिंतित किया है.

एलओसी पर बस रहे लोगों को मिलेगा आरक्षण लाभ

बँटवारे के बाद से भारत -पाक सीमा पर रह रहे भारतियों के लिए के राहत भरा पैगाम मोदी सरकार ने भेजा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे गांवों के लोगों की जुझारू जिंदगी को देखते हुए उन्हे आरक्षण का लाभ देने को मंजूरी दे दी। जो लोग बिना किसी कारण हर समय पाक द्वारा अघोषित युद्ध झेलते रहते हैं अपनी मिट्टी से जुड़ाव के कारण वह कहीं और जा कर नहीं बसते, सर्वोपरि वह भारतीय सुरक्षा के आँख कान बने रहते हैं उनके लिए बँटवारे के 70 साल बाद ही सही किसी ने तो सुध ली।

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलओसी) के पास रहने वालों की तरह सीधी भर्ती, पदोन्नति तथा पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश में आरक्षण का लाभ मिलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी. 

बयान में कहा गया कि जन कल्याणकारी पहलों तथा विशेष रूप से विकास के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को ध्यान में रखते हुए तथा प्रधानमंत्री मोदी के वायदों को पूरा करने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को अपनी स्वीकृति दे दी. संसद के अगले सत्र में दोनों सदनों में इस आशय का प्रस्ताव लाया जाएगा. बयान में कहा गया, ‘‘मंत्रिमंडल का यह निर्णय सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास के प्रति समर्पित जन कल्याणकारी सरकार के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को दिखाता है.’’ 

इस कदम से जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को राहत मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोग सीधी भर्ती, पदोन्नति तथा विभिन्न पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश में लाभ उठा सकते हैं. यह विधेयक जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन द्वारा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा और यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलओसी) से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों के समान आरक्षण के दायरे में लाएगा.

जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों को जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के निवासियों सहित विभिन्न श्रेणियों के लिए प्रत्यक्ष भर्ती, पदोन्नति तथा विभिन्न पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण का प्रावधान करने वाले नियम, 2005 में शामिल नहीं किया गया था. इसलिए लंबे समय से उन्हें इसके लाभ नहीं मिल रहे थे. 

सीमा पार से लगातार तनाव, अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक पिछड़ापन तथा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी के कारण यहां के निवासी सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए बाध्य होते रहे और इससे उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि शैक्षणिक संस्थान लंबे समय तक बंद रहे.

इसलिए उचित रूप से यह महसूस किया गया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तरह ही अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण के लाभ का विस्तार किया जाए. राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य विधानसभा की शक्तियां संसद में निहित होती हैं. इसलिए जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019 के स्थान पर विधेयक लाने का निर्णय लिया गया है, जो संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा.

मंत्रिपरिषद से मोदी की बैठक में लिए महत्वपूर्ण निर्णय

नई दिल्ली: 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी से कहा कि वे समय पर दफ्तर पहुंचे, घर से काम करने से बचें और लोगों के लिए उदाहरण पेश करें. बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि नयी सरकार के मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में प्रधानमंत्री ने वरिष्ठ मंत्रियों से कहा कि वे नए मंत्रियों को साथ लेकर चलें. राज्य मंत्रियों को बड़ी भूमिका देने की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कैबिनेट मंत्रियों को उनके साथ महत्वपूर्ण फाइलें साझा करनी चाहिए. इससे उत्पादकता बढ़ेगी.

सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने कहा कि फाइलों को तेजी से निपटाने के लिए कैबिनेट मंत्री और उनके सहायक मंत्री साथ बैठकर प्रस्तावों को मंजूरी दे सकते हैं. समय पर दफ्तर पहुंचने पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सभी मंत्री वक्त पर दफ्तर पहुंचें और कुछ मिनट का वक्त निकालकर अधिकारियों के साथ मंत्रालय के कामकाज की जानकारी लें. उन्होंने कहा कि मंत्रियों को दफ्तर आना चाहिए और घर से काम करने से बचना चाहिए. साथ ही उन्हें पार्टी सांसदों और जनता से भी मिलते रहना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वे लोग अपने-अपने राज्य के सांसदों के साथ मुलाकात के जरिए यह सिलसिला शुरू कर सकते हैं. उन्होंने इसपर भी जोर दिया कि एक मंत्री और सांसद में बहुत फर्क नहीं है. पीएम मोदी ने प्रत्येक मंत्रालय की पंचवर्षीय योजना पर भी बात की. बैठक के दौरान कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार से शुरू हो रहे संसद सत्र के अधिकतम उपयोग पर प्रस्तुतिकरण दिया. तोमर पिछली सरकार में संसदीय कार्य मंत्री थे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केन्द्रीय बजट पर सलाह के लिए प्रजेंटेशन दिया. बजट पांच जुलाई को पेश होना है.

सूत्रों ने बताया कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने केन्द्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय के लिए पंचवर्षीय दृष्टिपत्र पर प्रजेंटेशन दिया. पीएम मोदी की पिछली सरकार में भी मंत्रिपरिषद की बैठकें लगातार होती रहती थीं. वह सभी मंत्रियों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और उनके बारे में जनता को जागरूक करने के तरीके समझाते थे.

धारा 370 पर गठबंधन में रह कर विरोध करेंगे : जेडीयू

धारा 370 भारतीय संवधान पर एक ऐसा दाग है जिसे सीधे सीधे राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश से लागू किया गया। आज यही भारतीय अखंडता पर कुठाराघात करता है और हम चुप छाप टुकड़े टुकड़े गैंग को देखते सुनते पालते पोसते हैं। और समग्र सच जान कर भी चुनिन्दा भारतीय राजनेता राष्ट्र की कीमत पर इसे ज़िंदा रहना चाहते हैं। NDA गठबंधन में भी कुछ ऐसे नेता हैं। भाजपा धारा 370 को हटाने की कोशिश करती है, तो जेडीयू गठबंधन में रहकर अपना विरोध दर्ज करायेगी.dh

पटनाः जेडीयू धारा 370, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर पुराने रुख पर कायम है. लेकिन भाजपा धारा 370 को हटाने की कोशिश करती है, तो पार्टी गठबंधन खत्‍म नहीं करेगी, बल्‍कि साथ में रहकर अपना विरोध दर्ज करायेगी. यह कहना है पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का है. जो जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.

जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि धारा 370 पर करार तभी हुआ था, जब राजा हरि सिंह ने भारत सरकार के साथ पैक्ट किया था, इसको नरम करने की कोशिश भाजपा से ज्यादा कांग्रेस की ओर से की गयी है. हम इसके लिए कांग्रेस को ज्यादा कसूरवार मानते हैं, जब कांग्रेस की ओर से इसकी कोशिश की गयी थी, तो लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने इसका विरोध किया था. हम उनके वंशज हैं और समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि ऐसे ही राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कोर्ट के फैसले की बात कही है, ऐसे में गुंजाइश कहां बचती है. जेडीयू महासचिव ने राम मंदिर मुद्दे को लटकाने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाया और कहा कि जब प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में सरकार चल रही थी, तो पूरा मसौदा तैयार हो गया था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पास चंद्रशेखर जी ने पूरे मसौदे को भेजा था, तो उसे लागू करने के लिए तीन-चार दिन रुक जाने की बात राजीव गांधी ने कही थी, लेकिन उसके बाद दो-तीन में चंद्रशेखर की सरकार ही गिर गयी.

केसी त्यागी ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने साफ कहा है कि हम अपने रुख पर कायम हैं. उससे किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने का प्रचार किया जा रहा है, इसके पीछे कथित महागठबंधन के नेता है, लेकिन हम पूरी तरह के कहना चाहते हैं कि जेडीयू एनडीए के साथ है और 2020 में बिहार में होनेवाले विधानसभा के चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृ्त्व में चुनाव लड़ेगा. इसमें किसी तरह का कंफ्यूजन नहीं है. इसके साथ ही ये भी तय है कि पार्टी अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी, क्योंकि हमारा दल संख्या के आधार पर ही भागीदारी चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इसलिए पार्टी ने सरकार से बाहर रहने का फैसला लिया है. 

जेडीयू महासचिव ने कहा कि हम सरकार में शामिल हुये बिना पहले भी एनडीए में रहे हैं. 2017 में जब जेडीयू महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में आयी थी, तो उसके केंद्र में कोई पद नहीं लिया था, जबकि इसके इतर बिहार में संख्या के आधार पर जेडीयू ने सहयोगियों को सरकार में भागीदार बनाया था. लोजपा का कोई विधायक नहीं था, इसलिए उनके प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को एमएलसी बना कर मंत्री बनाया गया था. जेडीयू इसी तरह से गठबंधन धर्म का पालन करती है. जेडीयू महासचिव ने कहा कि नागालैंड में भले ही हमारा एक विधायक है, लेकिन उसके सहयोग से वहां पर भाजपा की सरकार चल रही है. जेडीयू से समर्थन के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन किया था, तब हमारे दल ने समर्थन देने के फैसला लिया था, जो अब भी जारी है. 

जेडीयू महासचिव ने कहा कि पार्टी 2020 तक राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता चाहती है, इसका लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए हमारा दल आनेवाले चार राज्यों दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में अकेले चुनाव लड़ेगी. अगर चुनाव के समय किसी दल से ऑफर मिलता है, तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष गठबंधन का फैसला लेंगे, लेकिन पार्टी पूरी मजबूती के साथ इन राज्यों में चुनाव लड़ेगी. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पार्टी के संबंधित राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से राय ली गयी है. 

आसिया अंद्राबी ने भारत में तबाही मचाने के लिए पाकिस्तान की मदद कबूली

कश्मीर यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक अंद्राबी चार साल पहले पाकिस्तानी झंडा फहराने और पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाने के कारण सुर्खियों में आई थी.  काश्मीर को सुलगाने में और वहाँ धार्मि सौहार्द बिगाड़ने में जितना हाथ काश्मीर के अलगाव वादी नेताओं का है उतना ही हाथ वहाँ के राजनेताओं और आम जनता का है। घाटी में आए दिन पत्थरबाजी, यवाओं का आतंकी कैंपों में जाना और अभिभावकों/ राजनेताओं का दलील देना कि घाटी में अवसरों कि कमी है, गले नहीं उतरता। 3.5 साल तक महबूबा मुफ़्ती कि सरकार थी उन्होने घाटी में रोजगार ए अवसरों के लिए क्या किया? बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या किया? आज जब उनकी सरकार नहीं है तो उन्हे केंद्र सरकार धार्मिक सौहार्द बिगाड़ती नज़र आ रही है। महबूबा ओमर दोनों ही आज छती पीट पीट कर धार्मिक सौहार्द कि बात कर रहे हैं। जबकि उनकी रहनुमाई में आसिया अंद्राबी जैसे लोगों ने घाटी के अमन चैन को लील लिया है।

नई दिल्ली: कश्मीरी अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी ने खुलासा किया है कि वह पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी के जरिये लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के करीब आई. अधिकारी दुख्तारन-ए-मिल्लत नेता अंद्राबी का रिश्तेदार था. अंद्राबी के साथ ही दो अलगाववादी नेताओं से इन दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पूछताछ कर रही है. कश्मीर यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक अंद्राबी चार साल पहले पाकिस्तानी झंडा फहराने और पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाने के कारण सुर्खियों में आई थी. अंद्राबी के इस कृत्य के पीछे हाफिज सईद को माना जाता है.

एनआईए सूत्र ने कहा कि अंद्राबी का भतीजा पाकिस्तान सेना में कैप्टन रैंक का अधिकारी है. उसका एक अन्य करीबी रिश्तेदार पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में है. अंद्राबी के रिश्तेदार दुबई और सऊदी अरब में भी हैं जहां से वह फंड प्राप्त करती है और भारत के खिलाफ गतिविधियों में इस्तेमाल करती है.

एनआईए ने अंद्राबी के खिलाफ एक केस दर्ज किया है जिसके तहत जमात-उद-दावा के अमीर और लश्कर के मास्टरमाइंड सईद बड़े पैमाने पर अंद्राबी को फंड मुहैया कराते थे. यह धन पत्थरबाजों और हुर्रियत के समर्थकों में बांटे गए थे जिन्होंने श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन किए. सूत्रों ने कहा कि अंद्राबी के अलावा मसरत आलम और शब्बीर शाह से भी एनआईए ने पूछताछ की.

तीनों अलगाववादी नेता अभी तिहाड़ जेल में बंद हैं. इस केस के निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं जो घाटी में आंतकवादी घटनाओं पर केंद्र की रणनीति अमलीजामा पहना रहे हैं. 

भविष्य मे वकीलों से नही होगा दुर्व्यवहार – पुलिस कमिश्नर

जयपुर महानगर के पुलिस थाना अशोक नगर मे रिपोर्ट दर्ज कराने गये वकील के साथ किये दुर्वयव्हार को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय मे दायर याचिका पर जयपुर पलिस कमिश्नर आनन्द श्री वास्तव को दोपहर एक बजे न्यायालय मे तलब किया !

न्यायालय के आदेश पर पुलिस कमिश्नर मंगलवार को न्यायालय मे उपस्थित हुये तथा न्यायलय को बताया कि उक्त घटना मे संलिप्त पुलिस कर्मियो को अशोक नगर थाना से हटा दिया है तथा न्यायलय को आश्वासन दिया कि भविष्य मे वकिलो के साथ ऐसा व्यवहार नही होगा! जिस पर अदालत ने कहा कि वो आगामी 7 जून तक बताये कि थानो मे वकीलो की आवाजाही पर उनकी क्या गाइडलाइन है, वकील आफिसर आफ द कोर्ट है।

यह अन्तरिम आदेश अवकाशकालीन न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने वकील भारत यादव की याचिका पर दिये!

प्रार्थी पक्ष की ओर से अदालत मे मे दायर याचिका मे कहा गया कि प्रार्थी वकील दो अन्य लोगो के साथ पुलिस थाना अशोक नगर मे कोई मामला दर्ज कराने गये तो वहां उपस्थित ए एस आई मदनलाल ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया गालिया दीं तथा मारपीट की उसके बाद मदनलाल के कहने पर उप निरिक्षक बग्गा राम ने भी उसके साथ धक्का मुक्की की तथा फर्जी मुकदमा बनाकर जेल मे बन्द कर दिया !

याचिका पर सुनवाई के दौरान दोपहर एक बजे पुलिस कमिश्नर को हाजिर होने को कहा तथा न्यायालय के आदेश की पालना मे पुलिस कमिश्नर दोपहर एक बजे न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुये! !

न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने कमिश्नर को हिदायत देते हुये कहा कि पुलिस और वकील एक ही सिस्टम का हिस्सा है और वकील आफिसर आफ द कोर्ट है ऐसे मे पुलिस का ऐसा बर्ताव वकीलो के साथ सही नही ! तथा आगामी पेशी 7 जून को पुलिस थाने मे वकीलो की आवाजाहि की गाइड लाइन बताये जिससे भविष्य मे ऐसी घटनाएं वकीलो के साथ न हो ! इस पर पुलिस कमिश्नर ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियो को उक्त थाने से हटा दिया गया है और अदालत को आश्वस्त किया कि भविष्य मे ऐसी घटना नही होगी!

प्रार्थी पक्ष वकील भारत यादव की तरफ से डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. सुनील शर्मा, महासचिव गजराज सिंह राजावत, महेन्द्र शाण्डिल्य,दिनेश पाठक, अखिलेश पारीक व अन्य वकीलो ने पैरवी की तथा सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता राजेन्द्र यादव,लक्ष्मण मीणा,शेरसिंह महला ने पैरवी की