बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज का तीन दिवसीय उत्सव सम्पन्न

दूरदराज से आए संत महात्माओं का हुआ सम्मान,सुंदर भजनों के गायन से संपूर्ण हुआ कार्यक्रम

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ 26 अगस्त 2022: 

बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज को समर्पित तीन दिवसीय उत्सव यहां वीरवार को मंदिर के संचालक व 9वीं पुस्त गद्दीनशीन महंत व विश्वकर्मा समाज चंडीगढ़ के शंकराचार्य जय कृष्ण नाथ तथा मंदिर की सह-संचालिका व विश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर सुरेन्द्रा देवी के सानिध्य में संपंन हो गया। यह आयोजन सेक्टर 36 स्थित पीर गुग्गा माड़ी मंदिर में हर वर्ष की भांति भाद्रपद की द्वादशी, त्रयोदशी व चतुर्दशी को आयोजित किया जाता है।

बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज के तीन दिवसीय इस उत्सव के अंतिम दिन पीर गुग्गा माडी मंदिर के संचालक व 9वीं पुस्त गद्दीनशीन महंत व विश्वकर्मा समाज चंडीगढ़ के शंकराचार्य जय कृष्ण नाथ तथा मंदिर की सह-संचालिका व विश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर सुरेन्द्रा देवी ने ध्वजारोहण की परम्परा को निभाया जिसके उपरांत बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज की पूजा विधि विधान के साथ की गई। जिसके उपरांत रात्रि को बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज की कथा का श्रवण कथा व्यास तिलक राज योगी ने करवाया। इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं ने दरबार में माथा टेका और बाबा का आर्शीवाद प्राप्त किया। 

उत्सव में 9वीं पुस्त गद्दीनशीन महंत व विश्वकर्मा समाज चंडीगढ़ के शंकराचार्य जय  कृष्ण नाथ ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बताया कि भक्त ही एकमात्र ऐसा साधन है जो हृदय से यदि भगवान को याद करे तो परमपिता भी स्वयं को उसके अधीन कर देते हैं। इसलिए भक्ति से भगवान भी भक्त के वश में हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि गुग्गा माडी मंदिर जो वर्षों पुराना है, में जो श्रद्धालु सच्चे भाव से अपनी कोई मनोकामना लेकर आता है वह पूरी होती है। यह आस्था का जीता जागता सबूत है। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण में डॉ स्वामी राजेश्वरानंद पुरी ने स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद पद्धति पर चर्चा की और शास्त्रों के अनुसार आर्युवेद के महत्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने गौ रक्षा व गौ माता के महत्व पर प्रवचन दिए। उत्सव के दौरान तीन दिन निरन्तर विशाल अटूट भंडारे का आयोजन किया गया।  

उत्सव के समापन पर विशेष अतिथि के तौर पर देश के विभिन्न राज्यों से संत महात्माओं में योगी सूरजनाथ,आध्यात्मिक गुरु महात्मा ज्ञाननाथ, साध्वी ऊषानाथ,संत पीठाधीश नवीन सरहदी व अन्यों ने शिरकत की। जिसका आदर सत्कार मंदिर की सह-संचालिका व विश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर सुरेन्द्रा देवी ने की। इस अवसर पर सभी आये संतों ने बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डाला और प्रवचन दिये।

भजन गायन का प्रारम्भ महामंडलेश्वर सुरेन्द्रा देवी ने गणेश वंदना तथा जग में साचो तेरो नाम के प्रसिद्ध भजन के साथ किया जिसके बाद भजन गायक राजन शेरगिल के.डी नारायण ने मधुर भजन गाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने गाए गए भजनों में मुझे रास आ गया है, तेरे दर पर सर झुकाना, राधे राधे गोविन्द राधे, गोपाल राधे, मैं हुं दासी, तुम हो राजा गाकर कर उपस्थित श्रद्धालुओं का घंटों समां बांधे रखा और झुमने पर विवश कर दिया।

रायगढ़ में नाव से एके-47 बरामद, फडणवीस बोले- बोट ऑस्ट्रलियाई नागरिक की, हाईटाइड से यहां पहुंची

श्रीवर्धन (रायगढ़) विधायक, अदिति तटकरे ने कहा कि प्राथमिक जानकारी के अनुसार रायगढ़ के श्रीवर्धन के हरिहरेश्वर और भारदखोल में हथियार-दस्तावेज वाली कुछ नावें मिली है। जांच चल रही है, मैंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ATS या स्टेट एजेंसी की स्पेशल टीम तत्काल नियुक्त करें। मामले में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान जारी किया है। उनका कहना है कि मामले पर सरकार गंभीरता से नजर बनाए हुए है। गंभीरता के साथ जांच की जा रही है। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के हरिहरेश्वर तट पर गुरुवार सुबह 8 बजे के करीब समुद्र में एक संदिग्ध बोट मिली।बोट से तीन AK-47 और बुलेट्स बरामद किए गए। हरिहरेश्वर तट से करीब 32 किलोमीटर दूर भारदखोल में एक लाइफ बोट भी मिली, जिसके बाद आतंकी साजिश की आशंका जताई गई। पुलिस ने बोट को रस्सी के सहारे किनारे खींचा।

'टेरर एंगल नहीं, पुलिस अलर्ट', रायगढ़ में ऑस्ट्रेलिया महिला के नाव में मिली तीन AK- 47 पर बोले डिप्टी सीएम फडणवीस
  • विधानसभा में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने संदिग्ध नाव को लेकर जानकारी दी
  • देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि बोट की मालिक एक ऑस्ट्रेलियन महिला है
  • कोस्टगार्ड के सूत्रों से पता चला है कि रायगढ़ में मिली बोट एक ‘डिस्ट्रेस बोट’ है

मुंबई(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट – 18 अगस्त, 2022 :

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित हरिहरेश्वर तट के पास संदिग्ध नाव मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। मुंबई को हाई अलर्ट किया गया है. वहीं विधानसभा में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने घटना को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा, “रायगढ़ जिले के समुद्री तट पर एक बोट पाई गई है,  जिसमें तीन एके-47 और उसके साथ उसका अमिनेशन व बोट के कुछ कागजात पाए गए हैं। इस घटना की सूचना मिलने के बाद तुरंत महाराष्ट्र पुलिस ने और एटीएस ने सभी जगह नाकाबंदी कर तफ्तीश शुरू कर दी। हम लोगों ने तुरंत भारतीय कोस्ट गार्ड के साथ संपर्क किया और उन्होंने भी इसकी तफ्तीश शुरू की है।”

साथ ही उन्होंने यह भी बताया, “जांच के दौरान पाया गया कि बोटका नाम लेडी हाल है. इस बोट की  मालिक एक ऑस्ट्रेलियन महिला है। उस महिला के पति इस बोट के कप्तान हैं और यह बोट मस्कट से यूरोप की तरफ जा रही थी और 26 जून को इस बोट का इंजन खराब हो गया और बोट पर जो लोग सवार थे उन्होंने कोरियन नेवी को मदद के लिए कॉल दिया। दरअसल, कोरियन नेवी की बोट आसपास ही थी। इसके बाद कोरियन नेवी ने इन सभी लोगों को उस बोट से सुरक्षित निकाला और ओमान को सुपुर्द कर दिया। उस समय हाइटाइड होने के कारण इस बोर्ड को स्पोर्ट्स स्टोर इन नहीं किया जा सका।”

फडणवीस ने कहा- यह बोट मस्कट से यूरोप जा रही थी। 26 जून 2022 को इस बोट का इंजन खराब हुआ और इस मौजूद लोगों ने डिस्ट्रेस कॉल किया। कोरियन नेवी की शिप ने इन लोगों को रेस्क्यू किया था। रेस्क्यू करने के बाद इन लोगों को ओमान के हवाले कर दिया गया था।

हाई टाइड की वजह से रायगढ़ तट पर पहुंची बोट फडणवीस ने बताया कि हाई टाइड होने के कारण इस बोट की टोइंग नहीं की जा सकी और यह तैरते हुए श्रीवर्धन के समुद्री तट पर पहुंच गई। इंडियन कोस्ट गार्ड ने इसकी पुष्टि की है। हमने अभी तक सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा है। नाकाबंदी भी जारी है। हम सभी एंगल को ध्यान में रखकर जांच को आगे बढ़ा रहे हैं। क्योंकि फेस्टिवल सीजन है कोई भी रिस्क नहीं लिया जा सकता।

टेरर एंगल के सवाल पर फडणवीस ने कहा- प्राथमिक जानकारी के अनुसार अभी तक हमें कोई टेरर एंगल नजर नहीं आया है, लेकिन जांच के बाद ही सबकुछ साफ हो सकेगा।

इसी बॉक्स में हथियार रखे हुए थे। बॉक्स पर अंग्रेजी में नेप्च्यून मरीटाइम सिक्योरिटी लिखा हुआ है। यह कंपनी ब्रिटेन की बताई जा रही है।
इसी बॉक्स में हथियार रखे हुए थे। बॉक्स पर अंग्रेजी में नेप्च्यून मरीटाइम सिक्योरिटी लिखा हुआ है। यह कंपनी ब्रिटेन की बताई जा रही है।

कोस्ट गार्ड के कमांडर जनरल परमेश शिवमणी ने कहा- 26 जून को इस बोट से हमें कॉल किया गया था। तब वो मुश्किल में थे और उन्होंने मदद मांगी थी। ओमान की खाड़ी में इस बोट पर मौजूद चार लोगों का रेस्क्यू किया गया था। बोट ब्रिटेन जा रही थी और इस पर ब्रिटेन का झंडा भी लगा था। बाद में यह हरिहरेश्वर चली गई।

इस पर तीन AK-47 के अलावा कुछ छोटे हथियार भी थे। बोट के मालिक से बातचीत की गई है। दुबई की एक सिक्योरिटी एजेंसी ने भी हमें फोन पर बताया कि इस सीरीज के हथियार उनके हैं और यह गायब हैं। इस एजेंसी ने साफ कर दिया है कि यह हथियार बोट पर मौजूद क्रू मेंबर्स की हिफाजत के लिए रखे गए थे।

पुलिस ने इस घटना के पीछे आतंकी साजिश से इनकार नहीं किया है। स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही पूरे रायगढ़ जिले को हाई अलर्ट पर रखा गया है। साथ ही समुद्र किनारे के सभी इलाकों की नाकेबंदी कर दी गई है। मौके पर एंटी टेरर स्क्वॉड ( ATS) भी पहुंच गई है। ATS चीफ विनीत अग्रवाल ने कहा कि ये आतंकी साजिश भी हो सकती है। बोट दूसरे देश की है या नहीं और इसका मकसद क्या था, हम इसकी भी जांच करेंगे।

रायगढ़ के तट पर पहले भी संदिग्ध गतिविधियां होती रहीं हैं। कहा जाता है कि 1993 ब्लास्ट से पहले अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के निर्देश पर यहीं के शेखाडी तट पर ब्लास्ट में इस्तेमाल किए गए RDX उतारे गए थे। 26/11 में कसाब समेत 10 आतंकी भी रायगढ़ के समुद्र को क्रॉस करके मुंबई पहुंचे थे। यह भी थ्योरी सामने आई थी कि कसाब और उसकी टीम ने यहीं अपनी एक नाव बदली थी।

करीब 13 साल पहले यानी 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने ताज होटल समेत मुंबई के कई जगहों पर कत्लेआम मचाया था। इसमें 300 से ज्यादा लोग मारे गए थे। तब लश्कर-ए-तैय्यबा के 10 पाकिस्तानी आतंकी समुद्र के रास्ते ही यहां आए थे। इनमें से 9 मारे गए थे, जबकि सिर्फ अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। 21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी पर लटका दिया गया था।

हर घर तिरंगा आजादी का अमृत महोत्सव के नेतृत्व में एक अभियान

स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को सामूहिक रूप से घर लाना न केवल तिरंगे से हमारे व्यक्तिगत संबंध का एक कार्य है बल्कि यह राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन जाता है। आजादी के अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान 13 से 15 अगस्त, 2022 तक आयोजित किया जाएगा।

हमारे देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर हर घर में तिरंगा फहराया जा रहा है। आइए जानते हैं हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में।

जसविंदर पाल शर्मा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, श्री मुक्तसर साहिब पंजाब :

झंडा किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक होता है। इसी तरह, भारत का राष्ट्रीय ध्वज भारत के लिए सर्वोच्च महत्व का प्रतीक है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज देश के सम्मान, देशभक्ति और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति आदि में अंतर के बावजूद भारत के लोगों की एकता को दर्शाता है। सबसे विशेष रूप से, भारतीय ध्वज एक क्षैतिज आयताकार तिरंगा है। इसके अलावा भारत के झंडे में केसरिया, सफेद और हरा रंग होता है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

15जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई, 1947 को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था

1921 में महात्मा गांधी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को ध्वज का प्रस्ताव दिया गया था। इसके अतिरिक्त, ध्वज को पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था। झंडे के केंद्र में एक पारंपरिक चरखा था। फिर केंद्र में एक सफेद पट्टी को शामिल करने के लिए डिजाइन में एक संशोधन किया गया। यह संशोधन अन्य धार्मिक समुदायों के लिए भी हुआ और चरखे की पृष्ठभूमि बनाने के लिए भी।

रंग योजना के साथ सांप्रदायिक जुड़ाव से बचने के लिए, विशेषज्ञों ने तीन रंगों को चुना। सबसे खास यह कि ये तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा थे। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, हरा रंग विश्वास और बहादुरी का प्रतीक है।
आजादी से कुछ दिन पहले विशेष रूप से गठित संविधान सभा ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। निर्णय यह था कि भारतीय ध्वज सभी समुदायों और पार्टियों को स्वीकार्य होना चाहिए। हालांकि, भारतीय ध्वज के रंगों में कोई बदलाव नहीं आया। हालांकि, चरखे को अशोक चक्र से बदल दिया गया था। इसके अलावा, यह अशोक चक्र कानून के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन

ध्वज का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो ध्वज उनके दाहिने ओर हो। ध्वज किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए। फटा या मैला ध्वज नहीं फहराया जाता है।

Independence Day: The Demand For The Tricolor Has Doubled After Indias  Stellar Performance In The Olympics ANN | Independence Day: Olympics में  भारत के शानदार प्रदर्शन के बाद दोगुनी हुई तिरंगे की

नियमों में कहा गया है कि जब दो झंडे किसी पोडियम के पीछे की दीवार पर क्षैतिज रूप से फैले होते हैं, तो उनके झंडे एक दूसरे के सामने होने चाहिए। साथ ही केसर की पट्टियां ऊपर होनी चाहिए। जब फ्लैग डिस्प्ले एक छोटे फ्लैगपोल पर होता है, तो माउंटिंग दीवार के कोण पर होनी चाहिए। साथ ही, कोण ऐसा है कि उसमें से झंडा लिपटा हुआ है। जब एक पार किए गए कर्मचारी पर झंडे दिखाई देते हैं, तो लहराते हुए एक दूसरे की ओर होना चाहिए।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल कभी भी टेबल, लेक्चर, पोडियम या इमारतों को ढंकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। जब ध्वज को घर के अंदर प्रदर्शित किया जाता है, तो यह हमेशा दाहिनी ओर होना चाहिए। इसका कारण प्राधिकरण की स्थिति है। इसके अतिरिक्त, ध्वज हमेशा वक्ता के दाहिने हाथ पर होना चाहिए जब ध्वज वक्ता के सामने प्रदर्शित होता है। सबसे विशेष रूप से, जब भी ध्वज प्रदर्शित किया जाता है, तो इसे पूरी तरह से बढ़ाया जाना चाहिए।
अंत में, भारत का राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश का गौरव है। इसके अलावा, भारत का झंडा देश की संप्रभुता का प्रतिनिधित्व करता है। सबसे विशेष रूप से, राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हुए देखना हर भारतीय के लिए गर्व और खुशी का क्षण होता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज निश्चित रूप से भारत के प्रत्येक नागरिक से बहुत सम्मान का पात्र है।

जगदीप धनखड़ होंगे देश के अगले उपराष्ट्रपति, 11 अगस्त को लेंगे शपथ

चुनाव के नतीजे आने से पहले एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की जीत तय मानी जा रही थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि दोनों सदनों में मौजूद आँकड़ों के अनुसार बहुमत के लिए 388 वोट की जरूरत होती है और इस बार अकेले भाजपा के पास ही दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर संख्या 390 (लोकसभा में 303 सांसद और राज्यसभा में 93 सांसद) के ऊपर थी।

  • जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि मार्गरेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट से संतोष करना पड़ा
  • मतदान के दौरान 780 में से 725 सांसदों ने अपने मत का इस्तेमाल किया
  • उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता थी

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नई दिल्ली :

देश के नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए शनिवार को हुए मतदान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ विजयी घोषित हुए हैं। उनका मुकाबला विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से था। धनखड़ को जहां 528 वोट मिले, वहीं अल्वा को सिर्फ 182 वोट से संतोष करना पड़ा, जबकि 15 वोट अमान्य करार दिये गए। लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सुबह 10 बजे से शुरू हुआ चुनाव शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान 780 में से 725 सांसदों ने अपने मत का इस्तेमाल किया।  वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद ही बैलेट बॉक्स को सील कर दिया गया। मतों की गिनती शाम 6 बजे शुरू हुई. कुल 725 वोट (92.94%) डाले गए, जिसमें से 710 वोट (97.93%) ही मान्य थे।”

जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता थी।  संसद में वर्तमान सदस्यों की मौजूदा संख्या 788 है, जिनमें से केवल भाजपा के 394 सांसद हैं। ऐसे में आंकड़ों के लिहाज से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल धनखड़ की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी। धनखड़ 71 वर्ष के हैं और वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है।  जनता दल (यूनाईटेड), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, अन्नाद्रमुक और शिवसेना ने धनखड़ का समर्थन किया था।  आपको बता दें कि, लोकसभा और राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 788 है, लेकिन उच्च सदन राज्यसभा में 8 सीट रिक्त होने के कारण इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने वाले सांसदों की कुल संख्या 780 थी।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 55 सांसदों ने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। इनमें से टीएमसी के 34 सांसद शामिल थे। हालांकि टीएमसी के दो सांसदों ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के आदेश के बावजूद वोटिंग में हिस्सा लिया। ये नाम शिशिर और दिव्येंदु अधिकारी के हैं। इसके अलावा एसपी और शिवसेना के दो और बीएसपी के एक सांसद ने भी वोटिंग नहीं की। भाजपा के दो सांसदों- सनी देओल और संजय धोत्रे ने भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वोटिंग से किनारा किया।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 55 सांसदों ने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। इनमें से टीएमसी के 34 सांसद शामिल थे। हालांकि टीएमसी के दो सांसदों ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के आदेश के बावजूद वोटिंग में हिस्सा लिया। ये नाम शिशिर और दिव्येंदु अधिकारी के हैं। इसके अलावा एसपी और शिवसेना के दो और बीएसपी के एक सांसद ने भी वोटिंग नहीं की। भाजपा के दो सांसदों- सनी देओल और संजय धोत्रे ने भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वोटिंग से किनारा किया।

राजस्थान के झुंझुणूं जिले में एक सुदूर किठाना गांव में कृषि परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति तक का सफर बेहद दिलचस्प है। जगदीप धनखड़ साल 1989 में जनता दल पार्टी के सांसद के तौर पहली बार राजस्थान के झुंझुणूं जिले से संसद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी। 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। साल 2019 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। 

मिलेट  क्रांति लाने के लिए वर्ल्ड वाइड वेब दिवस मनाया गया

लोगों से स्वस्थ रहने के लिए मुख्य भोजन के रूप में मिलेट का सेवन करने का आग्रह किया गया

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चण्डीगढ़ :

दुनिया भर में व्यापक रूप से भाग लेने वाले एक वेबिनार में, डाइटिशियन श्रेया ने पोषण और पर्यावरणीय मूल्यों और मिलेट की खपत के सहसंबंध और हमारे किसानों को बचाने और हमारी मिट्टी और पर्यावरण की रक्षा के लिए मिलेट क्रांति के महत्वपूर्ण संदेश को फैलाने के लिए वर्ल्ड वाइड वेब दिवस चुना।

  गौरतलब है कि भारत के आह्वान पर यूएनओ द्वारा विश्व के 80 देशों द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेटवर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।

*मिलेट गर्ल श्रेया ने इस वेबिनार में सभी मिलेटस  के सूक्ष्म पोषण संबंधी विवरणों पर ध्यान केंद्रित किया, बाजरा के बारे में सभी शंकाओं को दूर करने के लिए उपस्थित लोगों की ओपन सेशन से भी  मदद  की*

‘चाहे मुझे फांसी दे दो, नहीं मांगूंगा माफी’, भाजपा के हंगामे पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की सफाई

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राष्ट्रपति पर की गई टिप्पणी को लेकर माफी मांगने से इनकार किया है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। मेरे मुंह से गलती से राष्ट्रपति के लिए गलत शब्द निकला, मैं राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करता हूं। अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर दिये गए बयान पर हो रहे हंगामे के बीच कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रतिक्रिया दी है। सोनिया गांधी ने कहा कि वह पहले ही माफी मांग चुके हैं।

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो), नई दिल्ली : 

संसद में पिछले करीब दो सप्ताह से सदन का नजारा अलग था। विपक्ष के महंगाई और जीएसटी के मुद्दे पर सरकार जहां बैकफुट थी वहीं, आज दोनों सदनों में नजारा एकदम बदल गया था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का राष्ट्रपति को लेकर दिए बयान को बीजेपी ने लपक लिया और लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी को जमकर घेरा। दोनों सदन में अधीर के बयान पर जमकर हंगामा हुआ। आमतौर पर सौम्यता से बात करने वाली बीजेपी नेता स्मृति इरानी का आज अलग ही रूप दिखा। इरानी का चेहरा आज तमतमा रहा था। उन्होंने सीधे कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी पर हमला बोला। गुस्से से सुर्ख नजर आ रहीं इरानी ने अपने भाषण में लगातार कांग्रेस पर शब्दों के तीखे बाण चलाए। इरानी ने आज लोकसभा में अधीर रंजन के बयान पर कांग्रेस को जमकर घेरा और अपने एक ही बयान से सारा हिसाब बराबर कर दिया। इरानी ने तो सीधे-सीधे सोनिया गांधी पर निशाना साधा और उन्हें देश से माफी मांगने की मांग की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर दिए बयान पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि इस पर माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। मेरे मुंह से राष्ट्रपति के लिए गलत शब्द निकला, अब अगर आप मुझे इसके लिए फांसी देना चाहते हैं, तो आप दे सकते हैं। उन्होंने भाजपा पर मामले को तूल देने का भी आरोप लगाया। अधीर रंजन ने आगे कहा कि सत्ताधारी दल मेरे बयान को लेकर जानबूझकर इसे राई का पहाड़ बनाने की कोशिश कर रहा है। मैं राष्ट्रपति का पूरा सम्मान करता हूं।

वहीं, अधीर रंजन चौधरी के बयान पर लोकसभा व राज्यसभा में भी हंगामा देखने को मिला। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी से माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश के हर नागरिक का अपमान किया है। कांग्रेस और सोनिया गांधी को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।

इस बीच, लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि उन्हें उनके बयान के लिए लगाए गए आरोपों पर सदन के पटल पर बोलने का मौका दिया जाए। उन्होंने इस पर एक पत्र भी दिया है।

बता दें कि लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही को भारी हंगामे के बाद स्थगित कर दिया गया है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिसके बाद भाजपा नेताओं ने अधीर रंजन चौधरी से माफी की मांग की।

शुक्रवार को बंद रहते हैं किशनगंज के 37 सरकारी स्कूल, झारखंड में भी ऐसा हो चुका

मालूम हो कि किशनगंज जिले के कम से कम 37 सरकारी स्कूलों ने जुमे के लिए रविवार से शुक्रवार तक अपने साप्ताहिक अवकाश को मनमाने ढंग से स्थानांतरित कर दिया है। इस संबंध में बिहार सरकार की ओर से कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। ऐसा झारखंड के जामताड़ा और दुमका के सरकारी स्कूलों में पहले हो चुका है. वहां भी अधिकारियों से उचित अनुमति मांगे बिना स्कूलों द्वारा कथित तौर पर निर्णय लिया गया था। इस मामले पर बोलते हुए दुमका के डीएसई संजय कुमार डार ने मीडिया से कहा कि सभी स्कूलों के नाम में ‘उर्दू’ है, और इस तरह निर्णय के पीछे की स्थितियों की जांच की जाएगी।

  • झारखंड के गिरिडीह व रामगढ़ के बाद किशनगंज में धर्म के आधार पर स्कूलों के नियम
  • बिहार के किशनगंज जिले के 37 स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को छु्टी दी जा रही
  • सरकारी दस्तावेजों में भी जुमे की छुट्टी का जिक्र, मगर अधिकारियों को जानकारी नहीं

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो, पटना/किशनगंज:

झारखंड में मुस्लिमों की बड़ी आबादी वाले जिलों के 100 से अधिक सरकारी स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश की खबरें हाल में ही सामने आई थीं। अब झारखंड की तरह बिहार के 37 स्‍कूलों में रविवार की जगह जुमे यानी शुक्रवार को अवकाश रखे जाने की बात सामने आई है। इन स्कूलों में बच्चे रविवार को पढ़ने आते हैं और शुक्रवार को छुट्टी मनाते हैं। बिहार के किशनगंज जिले में के 19 स्कूलों का मामला सुर्खियों में बना हुआ है जहां शुक्रवार को छुट्टी दी जाती है।

बिहार के किशनगंज जिले में मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक हैं, इसलिए यहां शिक्षा के मंदिर को भी धर्म के आधार पर चलाया जा रहा है। यहां नियम सरकार नहीं बल्कि आबादी नियमों को बना रही है और यह खेल बहुत लंबे समय से चला आ रहा है। सबसे खास बात यह है कि शिक्षा विभाग को इसकी भनक तक नहीं है। किशनगंज मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। लगभग 80 % मुस्लिम आबादी है और यहां आबादी का दबाव सरकारी नियमों व संविधान पर भारी पड़ रहा है। जहां पूरे हिंदुस्तान में स्कूल रविवार को बंद होते है। वहीं किशनगंज में नियम सबसे अलग हैं. यहां के कई स्कूलों में जुमे की छुट्टी होती है।

किशनगंज के 37 सरकारी स्कूल रहते हैं शुक्रवार को बंद 

बता दें कि किशनगंज जिले के 37 ऐसे सरकारी स्कूल हैं जो रविवार को खुले और शुक्रवार को बंद रहते हैं। आखिर रविवार को ये 37 स्कूल किसके आदेश पर खुलते हैं और कब से ऐसा आदेश जारी किया गया इसकी जानकारी ना तो शिक्षा विभाग के पास है और ना ही किसी अधिकारी के पास।  

जिला शिक्षा पदाधिकारी की मानें तो यहां 19 स्‍कूल ऐसे हैं जो किसी सरकारी आदेश के बंद रखे जाते हैं। इन बंद रहने वाले स्‍कूलों को रविवार को खोला जाता है। पदाधिकारी का कहना है कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। जिसे लोगों ने व्‍यवस्‍था मान रखी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्‍ता का कहना है कि सिर्फ किशनगंज ही नहीं बिहार में कई जगह ऐसे कई स्कूल हैं जो शुक्रवार को बंद रखे जाते हैं। इसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है।

वहीं, डीपीओ मोहम्‍मद अशफाक आलम का कहना है कि बिहार के किशनगंज में जब से स्‍कूलों की स्‍थापना हुई है तभी से इन स्‍कूलों को शुक्रवार को बंद रहते हैं। उन्‍होंने स्‍कूलों को बंद करने के नियम पर नवभारत टाइम्‍स डॉटकॉम से कहा कि यह परंपरा स्‍कूलों की स्‍थापना से ही है। मोहम्‍मद अशफाक ने बताया कि लाइन एरिया में सभी स्‍कूलों को बंद रखा जाता है। उन्‍होंने कहा कि जुमा के दिन नमाज के लिए छुट्टी दी जाती है। उन्‍होंने इस सरकारी आदेश का भी जिक्र किया जिसमें सरकारी दफ्तरों में भी नमाज के लिए एक घंटे की छुट्टी का प्रवाधान किया गया था।

बताते चलें, इससे पहले झारखंड के जामताड़ा जिले के कुछ सरकारी स्कूलों में रविवार की बजाय शुक्रवार की छुट्टी दिए जाने की खबर सामने आई थी। दावा किया गया था कि स्कूल के नोटिस बोर्ड पर बकायदा शुक्रवार को जुमे का दिन घोषित करके अवकाश लिखा गया है। वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से उन स्कूलों को उर्दू स्कूल बताते हुए ऐसा कदम शिक्षकों की सुविधा को देखकर उठाया जाना बताया गया था।

इसी महीने की शुरुआत में झारखंड में भी ऐसा ही मामला सामने आाया था। जामताड़ा में लगभग 100 सरकारी स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर शुक्रवार कर दिया गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जुमे के दिन न तो स्टूडेंट्स आते हैं और न ही टीचर। स्कूल की दीवार पर भी शुक्रवार को जुमा लिखा गया है। 

झारखंड के गढ़वा जिले में एक सरकारी स्कूल में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। वहां पढ़ने वाले बच्चे हाथ जोड़कर नहीं, बल्कि हाथ बांधकर ‘तू ही राम है तू ही रहीम है’ प्रार्थना करते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्कूल के अधिकतर बच्चे मुस्लिम समुदाय से आते हैं। गांव में भी 75% आबादी मुस्लिमों की ही है।

गांव वालों ने इसे लेकर प्रिंसिपल योगेश राम पर दबाव बनाया था। प्रिंसिपल ने स्थानीय लोगों के दबाव में पिछले 9 साल से यह सिलसिला जारी रहने की बात मानी थी। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी इसकी शिकायत की थी। 

कारगिल विजय दिवस समारोह के उपलक्ष में हुआ कार्यक्रम 

कोशिक खान,डेमोक्रेटिक फ्रंट, छछरौली :
राजकीय माध्यमिक विद्यालय गढ़ी बंजारा में भारत स्काउट एंड गाइड की कब एवं बुलबुल इकाई द्वारा कारगिल विजय दिवस समारोह का आयोजन किया गया।  मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय वायु सेना के रिटायर्ड कैप्टन चौधरी आज्ञाराम चनेटी ने शिरकत की।  आए हुए मेहमानों का कब मास्टर  मनोज कुमार द्वारा स्काउट स्कार्फ पहनाकर व मुख्याध्यापक  ओम प्रकाश यादव व स्टाफ सदस्यों द्वारा  फूल मालाओं से स्वागत किया।  इसके उपरांत मुख्य अतिथि द्वारा ध्वजारोहण किया गया व शहीदों को नमन करते हुए दीप प्रज्वलित किया। स्वागत भाषण मे मुख्याध्यापक ने सेना व सैनिक के जीवन पर प्रकाश डाला व उनके कठिन जीवन से बच्चों को अवगत कराया।बच्चों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने अपने 38 वर्ष के सेना के अनुभव बच्चों के साथ साथ कारगिल लडाई के अनुभव भी बच्चों के साथ साझा किये क्योंकि वो खुद भी इस लडाई का हिस्सा रहे। उन्होंने ने कहा  की सफलता पाने के लिए सेना की तरह आम जीवन मे अनुशासन का होना बहुत जरूरी है । वशिष्ठ अतिथि रिटायर्ड टीचर अमीलाल जी ने कहा की हमे अपने देश की सेना पर गर्व है जिसने हर बार युद्ध मे देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने ने बच्चों को मन लगाकर पड़ने व जीवन मे कुछ बनने के लिये बच्चों को प्रेरित किया। समारोह मे बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। हरियाणा विधालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान  संजय कांबोज ने बच्चों को सैनिक की तरह जीवन मे अनुशासन मे रहकर कार्य करने की सलाह दी।मंच संचालन कब मास्टर मनोज कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान, अभिभावक व बच्चों के माता पिता भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत मे मुख्य अतिथि द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले बच्चों को ईनाम दिये गए।

द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति का पद किया ग्रहण, CJI एनवी रमण ने दिलाई शपथ

मुर्मू देश की 10वीं राष्ट्रपति होंगी जो 25 जुलाई को शपथ ले रही हैं। भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से 25 जुलाई को ज्ञानी जैल सिंह, आर. वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा, के.आर. नारायणन, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद ने इसी तारीख को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।

  • देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति
  • पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति
  • सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति
  • स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति 

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो), नयी दिल्ली :

द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। सोमवार (25 जुलाई, 2022) को उन्हें सीजेआई एनवी रमण ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा- मैं प्रेसिडेंट बनी, यह लोकतंत्र की महानता है। भारत में गरीब सपने देख सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। युवाओं और महिलाओं को मैं खास विश्वास दिलाती हूं। अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा दृढ़ संकल्प मजबूत रहा।

उन्होंने आगे बताया- भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।

“मैं जिस जगह से आती हूं, वहां प्रारंभिक शिक्षा भी सपना होता है। गरीब, पिछड़े मुझे अपना प्रतिबिंब दिखाते हैं। मैं भारत के युवाओं और महिलाओं को विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर काम करते हुए उनका हित मेरे लिए सर्वोपरि रहेगा। संसद में मेरी मौजूदगी भारतीयों की आशाओं और अधिकारों का प्रतीक है। मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। आपका भरोसा और समर्थन मुझे नई जिम्मेदारी संभालने का बल दे रहा है।”

“मैं पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं जो आजाद भारत में जन्मी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीयों से जो उम्मीदें लगाई थीं, उन्हें पूरा करने का मैं पूरा प्रयास करूंगी।

राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना मेरी निजी उपलब्धि नहीं है, यह देश के सभी गरीबों की उपलब्धि है। मेरा नॉमिनेशन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब न केवल सपने देख सकता है, बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकता है।”

उन्होंने आगे बताया- भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।

उनके मुताबिक, “मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण समाप्त होने के बाद उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उसका कुछ अंश अंग्रेजी में पढ़ा। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू की स्वीकृति लेकर राष्ट्रगान के साथ शपथ ग्रहण समारोह का समापन हुआ।

उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया से दूर रहेगी टीएमसी पार्टी, विपक्ष को लगा झटका

ममता बनर्जी ने कहा कि आपत्तिजनक तरीके से टीएमसी को लूप में रखे बिना ही विपक्ष के उम्मीदवार का फैसला किया गया। उन्‍होंने कहा कि दोनों सदनों में 35 सांसदों वाली पार्टी के साथ उचित परामर्श और विचार-विमर्श के बिना जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, ऐसे में हमने सर्वसम्मति से मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है। टीएमसी महासचिव ने कहा कि हमने कुछ नामों का प्रस्ताव दिया था और वे परामर्श से थे, लेकिन नाम हमारे परामर्श के बिना तय किया गया था। हालांकि, विपक्षी एकता राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव के मापदंड पर निर्भर नहीं करती है। मार्गरेट अल्वा के साथ ममता बनर्जी के बहुत अच्छे समीकरण हैं, लेकिन व्यक्तिगत समीकरण कोई मायने नहीं रखता। इस बीच जगदीप धनखड़ को उपराष्‍ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से ठीक पहले ममता बनर्जी ने असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा के साथ दार्जिलिंग गवर्नर हाउस में उनके साथ तीन घंटे की बैठक की थी।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला/नई दिल्ली: 

उपराषट्रपति चुनाव को लेकर तृणमूण कांग्रेस ने एक बड़ा फैसला लिया है। टीएमसी ने गुरुवार को ऐलान किया कि वह आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव 2022 की वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लेगी। टीएमसी के इस फैसले से विपक्ष की एकजुटता को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के इस फैसले की जानकारी पार्टी नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी ने दी।

गौरतलब है कि देश के अगले उपराष्ट्रपति के लिए एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि वहीं विपक्ष ने राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है।

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “एनडीए (वीपी) के उम्मीदवार का समर्थन करना भी नहीं आता है और जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, दोनों सदनों में 35 सांसदों वाली पार्टी के साथ उचित परामर्श और विचार-विमर्श के बिना, हमने सर्वसम्मति से मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा, “हम टीएमसी को लूप में रखे बिना विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा की प्रक्रिया से असहमत हैं। हमसे न तो सलाह ली गई और न ही हमारे साथ कुछ चर्चा की गई। इसलिए हम विपक्षी उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर सकते।”

घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी को वी-पी चुनावों में मतदान से दूर रहने के लिए मना लिया।

राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा के नाम को राकांपा प्रमुख शरद पवार के आवास पर एक बैठक के बाद अंतिम रूप दिया गया, जिसमें कांग्रेस, वाम मोर्चा के घटक, द्रमुक, राजद, सपा और अन्य सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने भाग लिया।

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद, टीएमसी दुविधा में आ गई थी, जिसने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि मुर्मू एक आम सहमति हो सकती थी। क्या बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारने से पहले विपक्ष से सलाह मशविरा किया था।