मध्य प्रदेश निकाय चुनावों संबन्धित अध्यादेश को लेकर भाजपा काँग्रेस में ठहरी

मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर कमलनाथ कैबिनेट में एक प्रस्ताव मंजूर किया था। जिसमें नगरपालिका चुनाव के प्रावधानों में संशोधन किया है। जिसके बाद अब प्रदेश में महापौर का चुनाव सीधे जनता के बजाए पार्षदों के जरिए किया जाएगा। लेकिन इस अध्यादेश को फिलहाल राज्यपाल लालजी टंडन ने रोक दिया है, उनकी मंजूरी फिलहाल इस प्रस्ताव को नहीं मिली है। जिसके बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। इस मुद्दे पर भाजपा पहले ऐसे ही कांग्रेस के आमने-सामने है। अध्यादेश पर फिलहाल रोक लगाने से राज्यपाल पर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने बयान दिया है उन्होंने राज्यपाल से राज धर्म पालन करने की अपील की है। इसी मामले में सोमवार को बीजेपी नेता उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अध्यादेश पर विरोध जताया. 

लाल जी टंडन

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने वाले कमलनाथ सरकार के अध्याधेश को मंजूरी नहीं देने का विवाद गहराता जा रहा है. इसे राज्य की कमलनाथ सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनाव से पहले बड़ा झटका माना जा रहा है. बता दें कि बीजेपी इस अध्यादेश का विरोध कर रही है.

इसी मामले में सोमवार को बीजेपी नेता उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर अध्यादेश पर विरोध जताया. दरअसल, राज्यपाल लालजी टंडन ने महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने वाले राज्य सरकार के अध्याधेश को मंजूरी नहीं दी है. बता दें कि महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने संबंधी प्रस्ताव को बीते महीने मध्य प्रदेश कैबिनेट ने मंजूरी दी थी. 

इस प्रस्ताव के तहत प्रदेश में महापौर और नगर पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन पार्षदों द्वारा किया जाना है. वहीं, बीजेपी द्वारा इस प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है. बीजेपी ने निकाय चुनाव की अप्रत्यक्ष प्रक्रिया को मंजूरी नहीं देने के लिए राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा था. वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत के अध्यक्षों का चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से होना चाहिए. उन्होंने सीएम कमलनाथ से चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने की मांग की है.

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज का कहना है कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने पर खरीद-फरोख्त का खतरा बढ़ेगा. वहीं, विवेक तन्खा के ट्वीट पर शिवराज सिंह ने कहा कि राज्यपाल राजधर्म का पालन कर रहे हैं. उन्हें कांग्रेस नेता सीख ना दें. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने ट्वीट कर राज्यपाल लालजी टंडन को राजधर्म का पालन करने को कहा था. 

बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने महापौर एवं नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने वाले राज्य सरकार के अध्याधेश को मंजूरी नहीं दी है. हालांकि, राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार के एक अन्य अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. ये अध्यादेश पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे में गलत जानकारी से जुड़ा है. इसमें विधानसभा चुनाव की तरह उन्हें 6 माह की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना का प्रावधान है.

राष्ट्रवाद की नकल कर भाजपा को हराएगी काँग्रेस

कांग्रेस की ओर से कार्यकर्ताओं को अब राष्ट्रवाद की सीख दी जाएगी. एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत यह पाठशाला लगेगी. पहले हिंदुत्व की नकल और अब राष्ट्रवाद की. क्या कांग्रेस पार्टी बीजपी और आरएसएस की नकल करने में ही सारी अक्ल लगा देगी ? लगता तो कुछ ऐसा ही है. बैठक में तय यह भी हुआ कि जनता तक पहुंचकर ये बताया जाएगा कि असली राष्ट्रवाद तो कांग्रेस है, बीजपी वाले तो छद्म राष्ट्रवाद हैं.

नई दिल्ली: अगर आप 5 साल पहले जाएं तो 2014 लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने बीजपी के हिंदुत्व की नकल शुरू की थी. क्योंकि 2014 के चुनाव में बीजपी और प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को एन्टी हिंदू साबित कर दिया था. एन्टी हिंदू की छाप से बाहर निकलने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बाकायदा एक कमेटी बनाई, जिसके अध्यक्ष बनाए गए थे कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी. मंथन शुरू हुआ कि कैसे कांग्रेस पार्टी महज 44 सीटों पर सिमट गई.

इस कमेटी ने ये माना कि 2004 से लेकर 2014 के बीच यूपीए 1 और 2 की सरकार के दौरान सरकार और पार्टी के नेताओं के बयान ने पार्टी की छवि एन्टी हिंदू बना दी थी. पार्टी के नेताओं ने माना कि 2002 गुजरात दंगों के बाद सिर्फ एक कौम की बात की गई. ये भी माना कि बटला हाउस एनकाउंटर के बाद दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के बयान ने पार्टी की छवि को प्रो मुस्लिम और एन्टी हिंदू बनाने का काम किया. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जब ये बयान दिया कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ अल्पसंख्यकों का है. तब पार्टी पर ये ठप्पा मजबूती से लग गया कि ये एन्टी हिंदू पार्टी है.

ऐसे में इस छवि से बाहर निकलने के लिए राहुल गांधी के ‘मंदिर दौड़’ का प्लान बनाया गया. गुजरात विधानसभा चुनाव में तो राहुल गांधी ने द्वारकाधीश मंदिर से लेकर सोमनाथ सभी मंदिरों में जाकर मत्था टेका. यही नहीं पूरे चुनाव के दौरान राहुल गांधी एक भी मस्जिद नहीं गए और ना ही मुस्लिस समुदाय के लोगों के साथ अलग से कोई मीटिंग की. चुनाव में इसका फायदा भी हुआ. उसके बाद मध्यप्रदेश हो, राजस्थान हो, छत्तीसगढ़ हो सभी जगहों पर राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत किसी न किसी बड़े मंदिर में मत्था टेक कर ही किया. राहुल गांधी ने मंच से ऐलान कर कर्नाटक चुनाव के बाद मानसरोवर की यात्रा भी की. इन तमाम कोशिशों से काफ़ी हद तक कांग्रेस पार्टी को एन्टी हिंदू वाली छवि से बाहर निकलने का मौका मिला.

लेकिन JNU में टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ राहुल गांधी का खड़ा होना, 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़ाकर 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी की छवि एन्टी नेशनल यानि राष्ट्र विरोधी की हो गई. इसका नतीज़ा भी 2019 के लोकसभा चुनाव में आप सबने देख ही लिया.

अब कांग्रेस पार्टी एन्टी नेशनल की छवि से बाहर निकलने की रणनीति में जुट गई है. इसके लिए राजधानी दिल्ली में देशभर के कांग्रेस के सभी प्रदेश अध्यक्षों और विधायक दल के नेताओं की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में पार्टी को एन्टी नेशनल की छवि से बाहर निकालने के लिए प्लान बनाया गया. तय ये हुआ कि पूरे देश में राज्य स्तर पर, जिला स्तर पर और प्रखंड स्तर पर कांग्रेस के नेताओं को राष्ट्रवाद की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस ट्रेनिंग में ये बताया जाएगा कि राष्ट्रवाद सिर्फ बीजपी की जागीर नहीं है.

असल में राष्ट्रवाद तो कांग्रेस की देन है. आज़ादी के दौर में कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं के योगदान को बताया जाएगा और साथ ही इंदिरा गांधी के दौर में पाकिस्तान के दो टुकड़े करने की घटना को जनता तक पहुंचाकर ये बताया जाएगा कि असली राष्ट्रवाद तो कांग्रेस है, बीजपी वाले तो छद्म राष्ट्रवाद हैं.

बैठक में तय तो ये भी हुआ था कि कांग्रेस पार्टी आरएसएस के प्रचारकों की तर्ज़ पर प्रेरक निकलेगी. जो देशभर में कांग्रेस के राष्ट्रवाद की अलख जगाएंगे. लेकिन सोनिया गांधी ने इसपर ऐतराज किया तो ये प्लान ड्रॉप कर दिया गया.

सवाल ये है कि कांग्रेस पार्टी कबतक बीजपी और आरएसएस की नकल करती रहेगी. क्योंकि हिंदुत्व के मुद्दे पर नकल करने का थोड़ा फायदा हुआ तो राष्ट्रवाद के मुद्दे पर नेताओं की गलतियों ने पार्टी को फ़िर से वहीं लाकर खड़ा कर दिया. शायद इसीलिए कहा जाता है कि नकल के लिए भी अक्ल की जरूरत होती है.

भारत के रक्षामंत्र इस बार करेंगे फ्रांस में शस्त्र पूजन, लाएँगे भारत के लिए पहला राफेल

इस बार फ्रांस एक अनोखे और अकल्पनीय दृश्य का साक्षी होगा। फ्रांस के इतिहास में पहली बार वहाँ के आयूध केंद्र जहां से राफेल क पहली खेप भारत के लिए उड़ान भरेगी वहाँ उससे पहले विजय दशमी के दिन हमारे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शस्त्र पूजन करेंगे। संयोग की बात यह है की 8 अक्तूबर को विजय दशमी के साथ साथ ही वायु सेना दिवस भी है, अत: राफेल विमान और उसमें प्रयोग होने वाले आयुधों के लिए यह शस्त्र पूजा रखी गयी है। यूं तो क्षत्रिय होने के नाते राजनाथ सिंह पारंपरिक तौर पर विजय दशमी को शस्त्र पूजा कराते आए हैं परंतु अब जब वह भारत के रक्षामंत्री भी हैं तो इस पूजा का महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है।

क्यों होती हा शस्त्र पूजा

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा 8 अक्टूबर 2019 को मनाया जाएगा। अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाए जाने वाले इस पावन पर्व का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था और इसी दिन प्रभु श्री राम ने दिग्विजयी रावण पर विजय प्राप्त की थी। उस महान विजय के प्रतीक दशहरा वाले दिन देश भर में अस्त्र-शस्त्र की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है, उसका शुभ लाभ अवश्य प्राप्त होता है।

सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व है। शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता रहा है। प्राचीनकाल में क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इसी दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे। पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है।

अब फ्रांस में भी होग शस्त्र पूजा

सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस में सबसे पहले राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरेंगे. खास बात ये है कि जिस दिन राफेल भारत के सुपुर्द किया जाएगा उसी दिन भारतीय वायुसेना दिवस भी है. इसी दिन राजनाथ सिंह बोर्डिओक्स के पास मेरिनैक में राफेल जेट रिसीव करेंगे। बताया जाता है कि नौ अक्टूबर को राजनाथ सिंह, वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल एचएस अरोड़ा और अन्य वरिष्ठ वायुसेना अधिकारियों के साथ पेरिस पहुंचेंगे।

शस्त्र पूजन सनातन धर्म की बहुत पुरानी परंपरा है, जिसमें घर में रखे हथियारों की पूजा की जाती है. बता दें कि राजनाथ सिंह गृहमंत्री रहते हुए भी शस्त्र पूजन किया करते थे। गौरतलब है कि भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए करार किया था. यह विमान बड़ी मात्रा में शक्तिशाली हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम हैं।

वायुसेना को लंबे समय से था इंतजार

देश की वायु सेना को लंबे समय से राफेल विमान का इंतजार था. क्योंकि भारत के पास आने वाला यह सबसे आधुनिक और अधिक मारक क्षमता वाला विमान होगा। इन विमानों को भारत लाने में इसलिए देरी हो रही है क्योंकि राफेल विमानों के परीक्षण और ट्रेनिंग के लिए भारतीय पायलट इन्हें फ्रांस में कम-से-कम 1,500 घंटे उड़ाएंगे। उड़ान के दौरान राफेल विमान SCALP मिसाइल से लैस होंगे, जो 300 किलोमीटर की रेंज में जमीन पर वार कर सकती है। ट्रेनिंग और परीक्षण पूरा होने के बाद राफेल को वायुसेना के अंबाला बेस में लाया जाएगा।

नियाजी मियां के इस्लामिक टीवी की इस्राइल ने निकली हवा

जम्मू-कश्मीर मामले पर दुनियाभर में अपना मजाक बनाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लाम से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए एक इस्लामिक अंग्रेजी चैनल खोलने का प्लान बनाया है। इमरान के अनुसार पाकिस्तान, तुर्की और मलेशिया तीनों मिलकर एक इस्लामिक अंग्रेजी चैनल की शुरूआत करेंगे, जिसके जरिए दुनिया में फैले ‘इस्लामोबोफिया’ के खिलाफ लड़ा जा सकेगा। लेकिन इमरान खान के इस प्लान पर इजरायल ने तंज कसा है। साथ ही इजरायल की मीडिया ने तीनों देशों के कानूनों, विरोधियों पर ऐक्शन और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का जिक्र करते हुए आईना दिखाने की कोशिश की है।

नई दिल्ली:

इस्लाम से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की बात कह नया टीवी चैनल प्लान कर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर इजरायल ने तंज कसा है. इजरायल की मीडिया ने पाकिस्तान, मलयेशिया और तुर्की के कानूनों, विरोधियों पर ऐक्शन और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का जिक्र करते हुए आईना दिखाने की कोशिश की है.

आपको बता दें कि हाल में अमेरिका के दौरे पर गए पाक पीएम इमरान खान ने मलयेशिया के पीएम और तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद ‘बीबीसी टाइप’ चैनल शुरू करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा है कि दुनियाभर में इस्लामोफोबिया को दूर करने के लिए नया चैनल शुरू किया जाएगा. हालांकि इमरान भले ही इस्लामोफोबिया की बात कर रहे हों पर उनके इस दांव के पीछे मुसलमानों का मसीहा बनने की कोशिश भी छिपी हुई है. इस तरह वह कश्मीर पर मुस्लिम देशों को भी साधना चाहते हैं.

इस्लामोफोबिया से ग्रस्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अब ‘टीवी’ की बीमारी लग गई है. इमरान ख़ान अब इस्लामिक चैनल के जरिए जेहाद के ‘प्रसारण’ की तैयारी कर रहे हैं. इस्लामोफोबिया की आड़ में इमरान इस्लामिक चैनल खोलने वाले हैं. इमरान ने तुर्की और मलेशिया के प्रमुख से मलिकर एक इंग्लिश चैलन खोलने का प्लान बनाया है. इमरान ने तर्क दिया है कि इस चैलन के जरिए मुसलमानों मुद्दों और इस्लामोबोफिया के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी. बैठक के बाद इमरान ने ट्टीव करके कहा- ‘बैठक में हमने BBC जैसे इंग्लिश टीवी चैनल की शुरुआत करने का फैसला किया है. चैनल मुसलमानों के मुद्दों को उठाने के साथ इस्लामोबोफिया से भी लड़ेगा.’ 

हालांकि इमरान के इस प्लान की इजरायल ने हवा निकाल दी. इजरायल ने इमरान को आईना दिखाते हुए तंज कसा और कहा कि अब कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले इस्लामोफोबिया दूर करेंगे. 

इमरान को लगी ‘टीवी’ की बीमारी?

इस्लामिक चैनल के जरिए वो जेहाद के नाम पर पूरी दुनिया में नफरत और भड़काने का संदेश देंगे. दुनिया भर में दुष्प्रचार के साथ वो दूसरे धर्मों के खिलाफ मुस्लिम देशों को उकसाएंगे और इतना ही नहीं. इमरान खान अपने घर में जिन आतंकियों को पाल रहे हैं. उनकी हिफाजत करेंगे. अभी हाल ही इमरान ने UN में इस्लामोफोबिया का जिक्र करते हुए मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की थी. पूरे विश्व में 1.3 बिलियन मुस्लिम रहते हैं. लाखों को मुस्लिम यूएस और यूरोपियन देशों में अल्पसंख्यकों की तरह रहते हैं लेकिन अमेरिका में 9/11 के बाद से इस्लामोफोबिया का जिक्र हुआ और इस्लामोफोबिया के नाम पर बांटा गया’.

इमरान की एक और इंटरनेशनल बेइज्जती!

इंटरनेशनल बेइज्जती कराने में मशहूर इमरान की फजीहत में एक और अध्याय जुड़ गया है. इमरान को अमेरिका में चीन की तारीफ करना महंगा पड़ा है. चीन की तारीफ करने पर अमेरिकी न्यूज़ चैनल के एंकर ने इमरान खान को करारा जवाब दिया है. न्यूज़ एंकर ने इमरान को  वेल्डर कहकर बुलाया है. वहीं लंडन में रह रहे पाकिस्तान की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट के नेता अल्ताफ हुसैन ने भी इमरान पर तंज कसा है. 

फारूक अब्दुल्लाह को कोई फौरी राहत नहीं

एमडीएमके नेता वाइको ने अपने करीबी दोस्त और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी. इस दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि फारूक अब्दुल्ला पर PSA एक्ट लगाया गया है. इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.

नई दिल्लीः 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को ‘गैरकानूनी रुप से हिरासत’ में रखे जाने के आरोप वाली MDMK नेता वाइको की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस ने कहा कि अब इस मामले में अब कुछ बचा नहीं है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बाद जम्मू कश्मीर में लगाई गई पाबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मंगलवार को करेगी सुनवाई.

सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि इन याचिकाओं को मुख्य मामले के साथ जोड़ दिया गया है, जिस पर मंगलवार 1 अक्टूबर को सुनवाई होनी है. दरअसल, अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कल सुनवाई करने वाली है.

वाइको ने की थी अब्दुल्ला को कोर्ट में पेश करने की गुजारिश

तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद वाइको ने इस याचिका में फारूक अब्दुल्ला को कोर्ट के सामने पेश करने की गुजारिश की थी. लेकिन, चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि पीएसए एक्ट के तहत डिटेंशन ऑर्डर जारी होने के बाद इस याचिका में विचार करने के लिए और कुछ नहीं रह गया है.

सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने वाइको के वकील से कहा, ‘वह (अब्दुल्ला) जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत के आदेश को सक्षम प्राधिकरण के समक्ष चुनौती दे सकता है.’

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से दो हफ्ते में कश्मीर के हालात पर जवाब दाखिल करने को कहा था.कोर्ट ने पूछा था कि हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में कब तक हालात सामान्य हो जाएंगे.कोर्ट ने सरकार से कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य जनजीवन सुनिश्चित करें, लेकिन इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए, यह मामला काफी गंभीर है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके प्रमुख वाइको की याचिका (हैबियस कार्पस) पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब मांगा था.वाइको ने याचिका में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को 15 सितंबर को चेन्नई में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई की 111वीं जयंती में शामिल होना था. लेकिन 6 अगस्त के बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है.जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी.सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, जम्मू, बारामूला और अनंतनाग जाने की इजाजत दी थी. लेकिन इस दौरान वे कोई भाषण नहीं दे सकते और न ही कोई रैली करेंगे.

कश्मीर टाइम्स की संपादक की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि कश्मीर में इंटरनेट बंद है, मीडिया सही काम नहीं कर पा रही है.इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया था कि कश्मीर में न्यूज पेपर 5 अगस्त से पब्लिश हो रहे हैं, दूरदर्शन, लोकल टीवी चैनल और रेडियो भी चालू हैं.मीडियाकर्मियों को इंटरनेट और टेलीफोन समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं.राज्य में लैंडलाइन और अन्य संचार साधन चालू हो गए हैं.तमाम पाबंदियां हटा ली गई हैं.चिकित्सा सुविधाओं बेहतर तरीके से संचालित हो रही हैं.5.5 लाख लोग ओडीपी में इलाज करा चुके हैं.


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में नाबालिगों को भी हिरासत में लिए जाने के आरोप पर हाईकोर्ट की ज्युवेनाइल जस्टिस कमिटी से एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी.पिछली बार इसी मामले की सुनवाई में वकील ने कहा था कि हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पाना मुश्किल है. हाईकोर्ट ने रिपोर्ट भेजकर इस दावे को गलत बताया है. सुप्रीम ने कहा था कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से हमें रिपोर्ट मिली है और ये बात गलत है कि J&K के लोगों को हाई कोर्ट जाने में दिक्कत है.

पहली शैलपुत्री कहलावे

नवरात्रि 2019 शुभ महूरत समय सारिणी :

29 सितंबर रविवार से शुरू हो रहे नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि को मुख्‍य नवरात्रि माना जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्‍ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं। मां दुर्गा इस बार सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हाथी पर सवार होकर रविवार को हमारे घर पधारेंगी। फिर 9 दिन बाद घोड़े पर विदा होंगी। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि रविवार को सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग में होगी। विद्वान पंडितों के अनुसार 29 सितंबर, 2 अक्टूबर और 7 अक्टूबर के दिन दो-दो योग रहेंगे। इन योगों में नवरात्र पूजा काफी शुभ रहेगी।

कलश स्थापना ( घट स्थापना ) की विधि एवं शुभ मूहुर्त का समय

आचार्यों ने बताया कि नवरात्रि में कलश स्‍थापना का विशेष महत्‍व है। कलश स्‍थापना को घट स्‍थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्‍थापना के साथ ही होती है। घट स्‍थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा का संकल्प लें। मिट्टी की वेदी पर जौ को बोएं, कलश की स्थापना करें, गंगा जल रखें। इस पर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे।

शुभ मूहुर्त का समय

शुभ समय – सुबह 6.01 से 7.24  बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त- 11.33 से 12.20 तक 

पूरे 9 दिन होगी आराधना

नवरात्र 9 दिनों का होता है और दसवें दिन देवी विसर्जन के साथ नवरात्र का समापन होता है। लेकिन, ऐसा हो पाना दुर्लभ संयोग माना गया है, क्योंकि कई बार तिथियों का क्षय हो जाने से नवरात्र के दिन कम हो जाते हैं। लेकिन, इस बार पूरे 9 दिनों की पूजा होगी और 10वें दिन देवी की विदाई होगी। यानी 29 सितंबर से आरंभ होकर 7 अक्तूबर को नवमी की पूजा होगी और 8 को देवी विसर्जन होगा।

नवरात्र में इन नौ देवियों का पूजन

: पहले दिन- शैलपुत्री
: दूसरे दिन- ब्रह्मचारिणी
: तीसरे दिन- चंद्रघंटा
: चौथे दिन- कुष्मांडा
: पांचवें दिन- स्कंद माता
: छठे दिन- कात्यानी
: सातवें दिन- कालरात्रि
: आठवें दिन- महागौरी
: नवें दिन- सिद्धिदात्री

किस दिन कौनसा योग

: 29 सितंबर- सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग
: 1 अक्टूबर- रवि योग
: 2 अक्टूबर- रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग
: 3 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग
: 4 अक्टूबर- रवि योग
: 6 अक्टूबर- सर्वार्थ सिद्धि योग
: 7 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग व रवि योग
ये सभी योग व्यापार और खरीदारी के लिए शुभ हैं।

कलश स्थापना के दिन शुक्र का उदय होना बेहद शुभ फलदायी 

इस बार कलश स्थापना के दिन ही सुख समृद्धि के कारक ग्रह शुक्र का उदय होना बेहद शुभ फलदायी है। शुक्रवार का संबंध देवी लक्ष्मी से है। नवरात्र के दिनों में देवी के सभी रूपों की पूजा होती है। शुक्र का उदित होना भक्तों के लिए सुख-समृद्धि दायक है। धन की इच्छा रखने वाले भक्त नवरात्र के दिनों में माता की उपासना करके अपनी आर्थिक परेशानी दूर कर सकते हैं। इस दिन बुध का शुक्र के घर तुला में आना भी शुभ फलदायी है।

ज्योतिषाचार्यों ने कहा कि शारदीय नवरात्र इस बार कई संयोग लेकर आएं हैं। जिससे भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होगी। वहीं इस बार पूरे नौ दिन मां अंबे की पूजा-अर्चना होगी, जबकि दसवें दिन मां को विधि-विधान के साथ विदाई दी जाएगी। ऐसा दुर्लभ संयोग लंबे समय बाद बना है।

चार सर्वार्थ सिद्धि योग 

इस साल की नवरात्र इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार 4 सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। ऐसे में साधकों को सिद्धि प्राप्त करने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। 29 सितंबर, 2, 6 और 7 अक्तूबर को भी यह शुभ योग बन रहा है।

संयोग में होगा कलश स्थापना 

रविवार को नवरात्र का प्रारंभ इस बार कलश स्थापना के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और द्विपुष्कर नामक शुभ योग में होगा। ये सभी घटनाएं नवरात्र का शुभारंभ कर रहे हैं। इसी दिन भक्त 10 दिनों तक माता की श्रद्धा भाव से पूजा का संकल्प लेकर घट स्थापना करेंगे।

दो सोमवार होना भी फलदायी

इस बार नवरात्र का आरंभ रविवार को हो रहा है और इसका समापन मंगलवार को होगा। ऐसे में नवरात्र में दो सोमवार और दो रविवार आएंगे। पहले सोमवार को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी और अंतिम सोमवार को महानवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा होगी। नवरात्र में दो सोमवार का होना शुभ फलदायी माना गया है।

पहले दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है।
चौकी पर मां शैलपुत्री की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करे और इसे बाद कलश कि स्थापना करें। कलश के ऊपर नारियल और पान के पत्ते रख कर स्वास्तिक जरूर बनाएं। इसके बाद कलश के पास अंखड ज्योति जला कर ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:’ मंत्र का जाप करें और फिर सफेद फूल मां को अर्पित करें। इसके बाद मां को सफेद रंग का भोग लगाएं। जैसे खीर या मिठाई आदि। अब माता कि कथा सुने और आरती करें। शाम को मां के समक्ष कपूर जरूर जलाएं।

 मंत्र

1. ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:
2. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3. वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
4. या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मां

शारदीय नवरात्र 2019

नवरात्र यानी 9 विशेष रात्रियां। इस समय शक्ति के 9 रूपों की उपासना का श्रेष्ठ काल माना जाता है। ‘रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चै‍त्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से 9 दिन यानी नवमी तक नवरात्र होते हैं। स‍िद्धि और साधना की दृष्टि से से शारदीय नवरात्र को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के संचय के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। मुख्यत: शक्ति की उपासना आदिकाल से चली आ रही है। वस्तुत: श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के अंतर्गत देवासुर संग्राम का विवरण दुर्गा की उत्पत्ति के रूप में उल्लेखित है। समस्त देवताओं की शक्ति का समुच्चय जो आसुरी शक्तियों से देवत्व को बचाने के लिए एकत्रित हुआ था, उसकी आदिकाल से आराधना दुर्गा-उपासना के रूप में चली आ रही है।

एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल चार नवरात्र होते हैं। इन चार नवरात्र में दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्र होते हैं। आषाढ़ और माघ के नवरात्र गुप्तनवरात्र की श्रेणी में रखे गए हैं। चैत्र और आश्विन माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी के नवरात्र को विशेष मान्यता है। चैत्र में गौरी स्वरूप और आश्विन में दुर्गा स्वरूप की पूजा का विधान है। 

नवरात्र गुप्त तंत्र साधकों और संन्यासियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। शारदीय नवरात्र में इस वर्ष देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर और वापसी घोड़े पर होगी। देवी आगमन और गमन दोनों ही संकट की चेतावनी है। 

दुर्गाशप्तशती कहा गया है कि देवी के दोनों ही वाहन प्राकृतिक आपदाओं के प्रतीक हैं। पं. विष्णुपति त्रिपाठी के अनुसार इसका यह तात्पर्य नहीं है कि आगमन और विदाई दोनों ही अमंगलकारी हैं, अपितु इसका अभिप्राय यह है कि हम भविष्य के संकटों के प्रति वर्तमान से ही सचेत हो जाएं और उसका सामना करने के लिए हम प्रत्येक स्तर पर स्वयं को तैयार करें।

आश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि का पर्व शारदीय नवरात्र के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत उपवास , आद्यशक्ति माँ जगदम्बा के पूजा,अर्चना,जप ध्यान का पर्व है।

देवी भागवत में आता है कि विद्या, धन, एवं पुत्र के अभिलाषी को नवरात्र व्रत का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। जिसका राज्य छीन गया हो , ऐसे नरेश को पुन : गद्दी पर बिठाने की क्षमता भी इस व्रत में है। नवरात्र में प्रतिदिन देवी-पूजन, हवन व कुमारी पूजन करें तथा ब्राह्मण को भोजन करायें तो नवरात्र- व्रत पूरा होता है ऐसी उक्ति है।

नवरात्र के दिनों में भजन कीर्तन गा कर, वाद्य बजा कर और नाचकर बड़े समारोह के साथ उत्सव मनाना चहिए। भूमि पर शयन एवं यथाशक्ति कन्याओं को भोजन कराना चाहिए किन्तु एक वर्ष व उससे कम उम्र की कन्या नहीं लेनी चाहिए। २ से १० वर्ष तक की कन्या को ही लिया जा सकता है।

देवी भागवत में कहा गया है कि दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करने वाली भगवती भद्रकाली का अवतार अष्टमी तिथि को हुआ था। मनुष्य यदि नवरात्र में प्रतिदिन पूजन करने में असमर्थ हो तो अष्टमी के दिन विशेष रूप से पूजन करना चाहिए।

यदि कोई नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो सप्तमी,अष्टमी और नवमी तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह सम्पूर्ण नवरात्र के उपवास के फल को प्राप्त कर सकता है।

नवरात्र पर जागरण

नवरात्र पर उत्तम जागरण वह हैजिसमें-

1) शास्त्र-अनुसार चर्चा हो ।

2) भक्तिभाव से युक्त माँ का कीर्तन हो।

3) वाद्य , ताल आदि से युक्त सात्विक संगीत हो ।

4) सात्विक नृत्य हो , ऐसा नहीं कि डिस्को या अन्य कोई पाश्चात्य नृत्य किया ।

5) माँ जगदम्बा पर नजर हो , ऐसा नहीं कि किसी को गन्दी नजर से देखा।

6) मनोरंजन भी सात्विक हो।

आरएसएस ने इमरान खान (नियाज़ी) को एक दूसरे का पर्याय बताने पर शुक्रिया किया

॰ पाकिस्तानी पीएम इमरान खान (Prime Minister Imran Khan) ने यूएन (UN) में अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के एक गृहमंत्री ने उनसे कहा था कि आरएसएस के कैंपों में आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है.
॰ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल शर्मा ने कहा कि संघ केवल भारत में है. हमारी दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई अन्य शाखा नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा आरएसएस को निशाना बनाए जाने के एक दिन बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि इमरान ने उसे निशाना बनाकर संघ और भारत को एक दूसरे का पर्याय बनाने का काम किया क्योंकि संगठन आतंकवाद के खिलाफ रहा है।आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने एक समारोह में कहा कि इमरान खान ने आरएसएस के नाम को फैलाने का काम किया और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को अब यहीं नहीं रुकना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आरएसएस केवल भारत में है और भारत के लिए है। उसकी दुनिया में कहीं और शाखा नहीं है। पाकिस्तान हमसे क्यों गुस्से में है?’

गोपाल ने कहा, इसका अर्थ हुआ कि अगर वह संघ से नाराज हैं, तो भारत से भी नाराज हैं। आरएसएस और भारत एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि दुनिया भारत और आरएसएस को एक रूप में देखें, अलग अलग रूप में नहीं देखे। इमरान खान ने इस काम को बखूबी किया है और हम इसके लिए उन्हें बधाई देते हैं। 

वे हमारे नाम का प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवाद के पीड़ित हैं, इसके खिलाफ हैं, वे अब समझने लगे हैं कि आरएसएस आतंकवाद के खिलाफ है और इसलिए खान आरएसएस पर निशाना बना रहे हैं।

इमरान ने कहा था- पीएम मोदी आरएसएस के सक्रिय सदस्य 

पकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूएन में अपने भाषण के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप लगाए थे। इमरान ने आरएसएस की तुलना हिटलर से करते हुए कहा था कि वह मुस्लिमों के जातीय नरसंहार पर यकीन करता है। आरएसएस मन मुस्लिमों और ईसाइयों को लेकर नफरत है। इसी विचारधारा ने गांधी की हत्या की थी। मोदी आरएसएस के सक्रिय सदस्य हैं।

पाक समर्थक तुर्की को भारत का कूटनीतिक जवाब

. तुर्की वैसे तो भारत को भी अपना मित्र राष्ट्र कहता है लेकिन अहम वैश्विक मंचों पर वह लगातार पाकिस्तान की भाषा बोलता है। कश्मीर पर तो खास तौर पर वह हर मंच पर पाकिस्तान के समर्थन में होता है। यही नहीं परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित संगठन (एनएसजी) में भारत को प्रवेश देने का भी वह इस तर्ज पर विरोध करता रहा है कि पाकिस्तान को भी इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए।
. आर्मेनिया और साइप्रस तुर्की के पड़ोसी देश हैं और इनके बीच ऐतिहासिक दुश्मनी है। अब मोदी ने इन दोनो देशों को आश्वस्त किया है कि उनके साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम दिया जाएगा।

चंडीगढ़:

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तयीप एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र में बेशक खुले तौर पर भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में नजर आए, मगर भारत चुपचाप उसके तीन धुर विरोधी पड़ोसी देश व दमदार प्रतिद्वंद्वी साइप्रस, आर्मेनिया और ग्रीस के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. इस तरह पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को भारत ने कूटनीतिक तरीके करारा जवाब दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण के बाद साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस अनास्तासीद से मुलाकात की. इस देश ने स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और साइप्रस गणराज्य की एकता के लिए भारत का लगातार समर्थन किया है. भारत का यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि 1974 में तुर्की के आक्रमण में पूर्वी भूमध्यसागरीय द्वीप विभाजित हो गया था, जिसमें अंकारा ने इसके उत्तरी भाग पर कब्जा कर रखा है. तुर्की ने टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस (टीआरएनसी) की स्थापना की है, जिससे इन दोनों पक्षों के बीच एक लंबे सैन्य गतिरोध की शुरुआत हुई.

आर्मेनिया भारत सरकार से भी कई बार आग्रह कर चुका है कि वह आर्मेनिया नरसंहार को लेकर एक प्रस्ताव संसद में पारित करवाये। तुर्की को दबाव में लाने के लिए यह विकल्प अभी भारत के पास है।

टीआरएनसी को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली हुई है और इसके तुर्की के साथ महज राजनयिक संबंध हैं. एर्दोगन ने उत्तरी साइप्रस में तैनात 30 हजार से अधिक सैनिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया है. मोदी ने शुक्रवार को ग्रीक के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस से भी मुलाकात की. बैठक के बाद, मोदी ने ट्वीट किया, “ग्रीस के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का अवसर मिला. भारत-ग्रीस संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. हम व्यापार के साथ-साथ अपने नागरिकों के लाभ के लिए आपस में लोगों के संबंधों को भी बढ़ाने के लिए काम करेंगे.”

इसके अलावा, मोदी ने अपने आर्मेनिया के समकक्ष निकोल पशिनयान से भी मुलाकात की. इस देश की सीमा तुर्की के साथ लगती है और दोनों देशों के बीच भी अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. आर्मेनिया के लोग 1915 में तुर्की साम्राज्य द्वारा अपने लाखों नागरिकों के संहार को माफ नहीं कर पाए हैं. तुर्की सरकार ने हालांकि इस बात से इनकार किया है कि कभी कोई नरसंहार हुआ था. मोदी ने गुरुवार को ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान से व्यापक विचार-विमर्श हुआ. हमने प्रौद्योगिकी, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों से जुड़े पहलुओं पर भारत-आर्मेनिया सहयोग का विस्तार करने के बारे में बात की. प्रधानमंत्री निकोल ने आर्मेनिया में भारतीय फिल्मों, संगीत और योग की लोकप्रियता का भी उल्लेख किया.”

साइप्रस लगातार तुर्की पर आरोप लगाता है कि वह उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। मोदी और एंस्टासिएड्स के बीच अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भी बातचीत हुई है। तुर्की के लिए यह संदेश काफी है कि भारत साइप्रस और आर्मेनिया के साथ अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने को तैयार है। 

तुर्की के साथ तीनों देशों की गहरी दुश्मनी के मद्देनजर इन नेताओं के साथ मोदी की बैठकों का काफी महत्व माना जा रहा है. यह अंकारा का इस्लामाबाद का साथ देते हुए भारत के खिलाफ होने की परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए एक स्पष्ट व महत्वपूर्ण कदम है.

India may use its right to reply in UNGA after Imran’s speech.

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Interestingly, Imran Khan Prime Minister of Pakistan was allotted 15 minutes to address UNGA whereas even after the indicator warned him of time he continued for another 35 minutes telling global leaders that how The World communities are under the influence of ‘Islamophobia’, Kashmir, Modi, RSS and Indian National Congress as his asset.

Chandigarh:

Shortly after Pakistan Prime Minister Imran Khan on Friday threatened a nuclear war in the Indian subcontinent over the simmering issue of Kashmir, it emerged that India would exercise the right to reply option at the United Nations General Assembly (UNGA).

India would use the option to respond to Imran Khan’s speech delivered at the UNGA shortly after PM Narendra Modi addressed the gathering at the UN headquarters here.

In his speech, Khan warned of a bloodbath in Jammu and Kashmir when the “curfew” (restrictions) is lifted by New Delhi. He also said that any all-out conflict between the two neighbours – both nuclear-armed – would have repercussions far beyond the shared borders.

Khan’s speech came nearly two months after India revoked Kashmir’s special status by way of abrogation of Article 370 in a bid to fully integrate the state with the rest of the country. The Indian government also decided to divide the state into two Union territories of Jammu and Kashmir and Ladakh with effect from October 31.

Meanwhile, in his speech, Khan also talked about Islamophobia growing at an alarming pace following the 9/11 attacks in the US. Islamophobia has led to divisions in the society, with wearing of hijab becoming a “weapon” against the Muslim community in some nations, the Pakistan PM said.

“Islamophobia is creating divisions, hijab is becoming a weapon; a woman can take off clothes but she can’t put on more clothes. It started after 9/11 and it started because certain western leaders equated Islam with terrorism,” he said, while stating that billions of Muslims were living as minorities in the western world.

Khan rejected the term ‘radical Islamic terrorism’ and stated that there is only one Islam.

“There is no such thing as radical Islam. The basis of all religions is compassion and justice which differentiates us from the animal kingdom,” he said.

Khan said the use of term ‘radical Islamic terrorism’ had only given a push to Islamophobia and led to pain for Muslims.

“What message does this (the term) send? How is a person in New York going to distinguish between moderate Muslims and radical Muslims?” he asked.

“In European countries it is marginalising Muslims, and this leads to radicalisation. Some of the terrorists were from marginalised Muslim communities. We Muslim leaders have not addressed this issue. The Muslim leaders all became moderates and our government coined a phrase ‘enlightened moderation’,” he said.

Inputs from: TNN