कांग्रेस में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा

ज्योतिरादित्य सिंधिया और शर्मिष्ठा मुखर्जी जैसे नेताओं के ट्वीट से पार्टी में वरिष्‍ठ व युवा नेताओं की खाई एक बार फिर उजागर हो गई है.

चंडीगढ़ :  

Ravirendra-Vashisht
राज्विरेन्द्र वशिष्ठ
संपादक:
डेमोक्रटिकफ्रंट.कॉम

कांग्रेस में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. राहुल गांधी का धड़ा अध्‍यक्ष का पद दोबारा पाने को बेताब है तो सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) का धड़ा अभी कोई बदलाव के मूड में नहीं दिख रहा. हालांकि दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर शून्‍य पर आने और सोनिया गांधी के स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर पार्टी में चिंता की लकीरें खिंच गई हैं. फिर भी वरिष्‍ठ नेता अप्रैल में होने वाले राज्‍यसभा चुनावों तक नेतृत्‍व में कोई बदलाव किए जाने के पक्ष में नहीं है. अप्रैल में छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कई सीटें खाली हो रही हैं. मोतीलाल वोहरा, दिग्विजय सिंह, कुमारी शैलजा, मधुसूदन मिस्त्री और हुसैन दलवई जैसे कांग्रेसी राज्यसभा से रिटायर हो रहे हैं. राहुल गांधी इन सीटों पर युवा नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया, रणदीप सुरजेवाला, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह आदि को भेजने के पक्ष में हैं. यही बात वरिष्‍ठ नेताओं को पच नहीं रही है. इस वर्ष कांग्रेस के कुल 18 कांग्रेस सदस्य राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन कांग्रेस राज्यसभा में सिर्फ 9 सदस्य भेज सकती है.

राहुल गांधी के समर्थक चाहते हैं कि सोनिया गांधी के स्‍वास्‍थ्‍य को देखते हुए राहुल गांधी को फिर से अध्‍यक्ष पद की जिम्‍मेदारी दी जाए, लेकिन वरिष्‍ठ नेताओं की राय है कि इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा. वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को अंतिम रूप से बहाल किए जाने से पहले गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष चुने जाने की वकालत कर रहे हैं. इसी कारण राहुल गांधी के समर्थक बेचैन हो रहे हैं.

दिल्ली विधानसभा चुनावों में शर्मनाक हार के बाद युवा नेताओं ने आक्रोशित होकर ट्वीट किए हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया और शर्मिष्ठा मुखर्जी जैसे नेताओं के ट्वीट से पार्टी में वरिष्‍ठ व युवा नेताओं की खाई एक बार फिर उजागर हो गई है. पार्टी मुख्‍यालय में अप्रैल में होने वाले राज्यसभा चुनाव के बाद नेतृत्व में बदलाव को लेकर उठापटक चल रही है. होली के बाद AICC कन्वेंशन की तारीख तय होनी है. उसी में राहुल गांधी को अध्यक्ष चुने जाने की योजना है.

एल्गार परिषद् कि जांच NIA को सोंपोए जाने पर शरद पवार नाराज़

  • एल्गार परिषद केस की जांच पर सवाल
  • शरद पवार ने उद्धव सरकार को निशाने पर लिया
  • केंद्रीय एजेंसी एनआईए कर रही है जांच

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस वजह से अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की। पुणे पुलिस का दावा है कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था।

नयी दिल्ली (ब्यूरो):

महाराष्ट्र के एल्गार परिषद केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनसीपी) को सौंप दी गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने इस फैसले को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की आलोचना की है। कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपकर ठीक नहीं किया क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है।

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केंद्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया।’ गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार की सहयोगी है और इसके नेता अनिल देशमुख राज्य के गृहमंत्री हैं।

पुणे की कोर्ट ने एनआईए कोर्ट को सौंपा केस

इससे पहले एल्गार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की एक अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस आर नवंदर ने यह आदेश पारित किया। अदालत ने आदेश दिया कि मामले से जुड़े रेकॉर्ड और कार्यवाही मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दी जाए। अदालत द्वारा आदेश पारित किए जाने से पहले अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है, जिसमें मामला ट्रांसफर किए जाने का अनुरोध किया गया है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘इस प्रकार यह स्पष्ट है कि राज्य जांच एजेंसी यह जांच एनआईए को सौंप रही है। दो दिन पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कहा था कि इस मामले की जांच एनआईए द्वारा अपने हाथों में लिए जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। आदेश में राज्य पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह मामले की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एनआईए को सौंप दे। न्यायाधीश ने यह आदेश भी दिया कि सभी आरोपियों को 28 फरवरी को या उससे पहले मुंबई में विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाए।

पहले महाराष्ट्र सरकार ने किया था विरोध

पुणे की अदालत ने कहा कि कानून की नजर में यह मामले का ट्रांसफर नहीं है बल्कि अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण मामले को उचित अदालत में भेजना है। केंद्र ने पिछले महीने मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को ट्रांसफर कर दिया था और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने इस कदम की आलोचना की थी। एनआईए ने जनवरी के आखिरी सप्ताह में अदालत से अनुरोध किया था।

आपको बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि इस वजह से अगले दिन जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की। पुणे पुलिस का दावा है कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था। जांच के दौरान पुलिस ने माओवादी संपर्क के आरोप में वामपंथी झुकाव वाले कार्यकर्ताओं सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवारा राव को गिरफ्तार किया। एनआई ने एल्गार परिषद मामले में 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

महाराष्ट्र में एक मई से NPR लागू हो जाएगा

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य में 1 मई से एनपीआर की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं. वहीं कांग्रेस और एनसीपी इस पूरी कवायद का खुलेआम विरोध कर रही है.

नई दिल्ली(ब्यूरो):

महाराष्ट्र में एक मई से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) लागू हो जाएगा. इसी बीच महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महाविकास अघाडी के साझेदारों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है. मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है.

ये फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब देश भर में एनपीआर, नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है.

राज्य सरकार के एनपीआर लागू करने के फैसले को लेकर सहयोगी दलों के बीच तनातनी देखने को मिल रही है. राज्य में एनपीआर लागू करने को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महाविकास अघाड़ी में तनातनी नजर आ रही है.

एनसीपी के वरिष्ठ नेता माजिद मेमन ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि पार्टी एनपीआर का समर्थन नहीं करती. शरद पवार ने भी इसे लेकर आपत्तियां जताई है. इस मामले में ऐसा ही फैसला लिया जाएगा, जो तीनों पार्टियों को स्वीकार्य हो.’

हालांकि ये पहला मौका नहीं, जब महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में इस तरह मतभेद दिखे हों. इस पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने एल्गार परिषद मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपे जाने को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की शुक्रवार को आलोचना की थी.

शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केन्द्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया.’

सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर हो रहे देशव्यापी विरोध के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक मई से 15 जून तक एनपीआर के तहत सूचनाएं इकट्ठा करने की अधिसूचना जारी की है.

महाराष्ट्र में एनपीआर को लागू करना उद्धव ठाकरे सरकार के लिए आसान नहीं होगा. महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार है. कांग्रेस शुरू से ही CAA, NRC और NPR का खुलकर विरोध कर रही है. एनसीपी ने अभी इस मामले में अपना रुख साफ नहीं किया है.

दूसरी तरफ शिवसेना के सांसद अनिल देसाई भी साफ कह चुके हैं कि उद्धव ठाकरे ने कहा था कि एनपीआर जनगणना जैसी है. वैसे भी जनगणना हर 10 साल में होती ही है तो इसमें किसी को क्या आपत्ति है.

शिवानन्द चौबे मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट और CRPF ने दी पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि

चंडीगढ़ ब्यूरो:

पुलवामा हमले की पहली बरसी पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अमर बलिदानियों को शिवानन्द चौबे मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा तेरहवी बटालियन सी आर पी एफ के कैंपस में अधिकारियों और जवानों ने साथ मिलकर दो मिनट का मौन रखा और शहीदो को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भेंट की.

इस मौके पर कमांडेंट हरमिंदर सिंह, द्वितीय कमांड अधिकारीजसविंदर सिंह, डिप्टी कमांडेंट संजय कुमार, मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर गुरजीत सिद्धू , इंस्पेक्टर शम्भू , इंस्पेक्टर निर्मल उपाध्याय , ट्रस्ट के चेयरमैन संजय कुमार चौबे सहित सभी अधिकारी और जवान समलित हुए !
इस मौके पर हम सभी भारतीय सदैव आपके ऋणी रहेंगे !

क्या भाजपा दिल्ली विधानसभा में जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभा पाएगी?

2 किश्तियों पर सवार आदमी हमेशा ही डूबता है, उसे कोई नहीं बचा सकता।

गृह मंत्री आदरणीय अमित शाह जी, आप, कह रहे है कि गोली मारो, हिंदुस्तान पाकिस्तान का मैच, शाहीन बाग़ का करंट नारों ने BJP को दिल्ली इलेक्शन में नुकसान पहुंचाया है। पर मेरा विश्लेषण है कि इन्ही नारों की बजह से भाजपा की 8 seats आई है , नही तो शायद कोई भी सीट नही आती ।

अर्श अग्रवाल

क्या अमित शाह भी अब मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के लंबरदार बनेंगे। समझ नहीं आती कि गद्दारों को गोली मारने की बात विवादास्पद कैसे हो सकत है, विवादास्पद तो वह था जब सीसोदिया ने कहा था कि वह शाहीन बाग के प्रोटेस्टोर्स के साथ खड़ा है।शाहीन बाग को जब पीएफ़आई प्रायोजित कर रहा था और साथ ही पाकिस्तान के मंत्रियों के बयान मोदी को हारने के लिए आए तो भारत पाक का मैच भी कैसे विवादास्पद हुआ? आप कई मामलों में मामला विचारधीन हा कह कर बच निकलते हैं, जिससे आपकी छवि जनता में धूमिल ही हुई है। आपके आज के बयान से यह लगता है कि अब आपको देश विरोधी नारे निराश नहीं करेंगे। शाह साहब, यह अवश्य याद रखें, 2 किश्तियों में पैर रखने वालों को पानी में डूबने से कोई भी नही बचा सकता ।

चंडीगढ़: 

Ravirendra-Vashisht
रविरेन्द्र वशिष्ठ
संपादक
डेमोक्राटिकफ्रंट.कॉम

दिल्ली में हार के बाद सार्वजनिक तौर पर पहली बार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी हार स्वीकार कर ली. उन्होंने कहा कि ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…’ और ‘भारत-पाक मैच’ जैसे बयान नहीं देने चाहिए थे. हो सकता है कि इस तरह के बयानों के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा हो. शाह ने कहा भाजपा भले ही हार गई हो, लेकिन उसने ‘अपनी विचारधारा का विस्तार किया.’ उन्होंने कहा कि भाजपा दिल्ली विधानसभा में जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाएगी.

जिम्मेदार विपक्ष, केजरीवाल के आगे आप पक्ष ही साबित करें यही गनीमत होगी। विपक्ष में तो आप पिछले 22 वर्षों से हैं तब भी दिल्ली घोटालों कि शिकार हुई तब जिम्मेदार विपक्ष कहाँ था?

गृह मंत्री शाह ने स्वीकार किया कि उनका दिल्ली चुनावों में 45 सीटें प्राप्त करने का आकलन गलत साबित हुआ. उन्होंने कहा, “मेरा आकलन 45 सीटों का था. यह गलत साबित हुआ.”

आपके आंकलन तो कई राज्यों में गलत साबित हुए, वह राजस्थान हो, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड या फिर महाराष्ट्र, आपने हर राज्य को भाजपा मुक्त करने कि ठानी है या फिर मंथन में अगला चुनाव कैसे हारना है इस पर सहमति बनाते हैं।

उन्होंने अपने ईवीएम से करंट लगाने के बयान का तो बचाव किया, लेकिन कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान की गईं कुछ टिप्पणियां अनुचित थीं. उन्होंने कहा, “भाजपा ने उनसे (नेताओं के विवादित बयानों से) खुद को अलग किया था.”

गृहमंत्री शाह ने पीएफआई-शाहीन बाग लिंक पर कहा, ”पीएफआई को लेकर हमें कुछ जांच एजेंसियों की रिपोर्ट मिली है. गृह मंत्रालय उसकी जांच कर रहा है. जांच में जो भी सामने आएगा, हम उस हिसाब से कार्रवाई करेंगे.”

वाड्रा, पर जांच चलते हुए कितने साल हो गए? आपके राज में तो सजायाफ्ता भी बचते नज़र आ रहे हैं। जांच के बाद मुक़द्दमे और फिर वही तारीख पे तारीख, सोनिया राहुल, हुड्डा – वोरा, 6 साल पहले इनके भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बना कर आप सत्तासीन हुए, और अभी तक या तो जांच पूरी नहीं हुई या फिर मामला मुकद्दमों में उलझा दिया गया। क्या आप के शासन काल में भ्रष्टाचारियों पर दंडात्मक कार्यवाही होगी भी, या मामला विचाराधीन है यही सुनने को मिलता रहेगा।

शाह ने कहा, ”मैं 3 दिनों के भीतर समय दूंगा, जो कोई भी मेरे साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है.”

क्या यह ठीक होगा? अमित शाह एक नए धडे को यह संदेश देंगे की संसद में जनप्रतिनिधियों द्वारा लिया गया फैसला अब संसद के बाहर सुलझाया जाएगा, क्या यह एक नयी परिपाटी का आरंभ होगा? क्या भारत में प्रत्यक्षलोक तंत्र है कि भीड़ इकट्ठे होकर फैसले लेगी। और अमित शाह मिलेंगे भी तो किससे, आआपा ने तो संसद में कोई विरोध नहीं उठाया था जबकि शाहीन बाग के साथ वह खड़े थे। यदि केजरीवाल ही से बात करनी है तो वह तो दिल्ली के चुनावों आपको आपकी स्थित बता ही दी है।

बता दें कि भाजपा की दिल्ली विधानसभा चुनावों में करारी हार हुई है. पार्टी को सिर्फ आठ सीटें मिली हैं, जबकि आआपा को 62 सीटों पर जीत मिली है.

ठाकुर और वर्मा के भड़काऊ बयान

गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने दिल्ली के रिठाला क्षेत्र में रैली के संबोधन के दौरान भड़काऊ टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, “देश के गद्दारों को, गोली मारो .. को.”

वहीं, प्रवेश वर्मा ने कथित रूप से कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में 500 सरकारी संपत्तियों पर मस्जिदों और श्मशानों का निर्माण किया गया है, जिसमें अस्पताल और स्कूल भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ये अवैध निर्माण जिन क्षेत्रों में हुए हैं, वह दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड और कई अन्य सरकारी एजेंसियों की जमीन है.

वर्मा के बयान मान लिया विवादास्पद है जो कि नहीं हैं, परंतु उनके आरोपों कि जांच होनी चाहिए थी कि नहीं, या वह भी अब मुस्लिम तुष्टीकरण कि भेंट चढ़ाये जाएँगे?

ठाकुर और वर्मा पर चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार पर क्रमश: 72 और 96 घंटे की पाबंदी लगाई गई थी.इन दोनों को चुनाव आयोग द्वारा दंडित किया गया और आपको दिल्ली द्वारा।

अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है: हिमंत बिस्व सरमा

एक ओर जहां केजरिवाल, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, केरल सरकार और तो और ठाकरे मुस्लिम तुष्टीकरण से, मौलवियों इत्यादियों को मोटी तनख़्वाहें बाँट – बाँट कर, मदरसों को मुफ्त किताबें कापियाँ दे कर अपनी सरकरें बना/बचा रहे हैं और स्वयं को सेकुलर कह रहे हैं वहीं असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बीस्व सरमा ने सही मायने में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल दी है। उन्होने सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को बंद कर वहाँ नियमित विद्यालयों को आरंभ करने की बात कही है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी सहायता से चलने वाले सभी मदरसों को बंद करने का फैसला लिया है। असम सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि उसने ऐसा धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया है। इसी के साथ असम सरकार के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य में अरबी भाषा पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है।

असम के शिक्षा मंत्री सरमा ने इसपर कहा,

“हम राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है। अगर किसी को ऐसा करना है तो वह अपने पैसे से कर सकता है, इसके लिए सरकार कोई फंड जारी नहीं करेगी”।

सरकार ने मदरसों के साथ-साथ सरकारी पैसे पर चलने वाले कुछ संस्कृत स्कूलों को भी बंद कर दिया है और इन सब को नियमित स्कूलों में बदल दिया जाएगा।

हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा “राज्य में अभी 1200 मदरसा और लगभग 200 ऐसे संस्कृत स्कूल हैं जो बिना किसी बोर्ड के चल रहे हैं। समस्या यह है कि इन मदरसों में पढ़ने वालों छात्रों को भी अन्य नियमित स्कूलों के छात्रों की तरह ही समान डिग्री दी जाती है। इसीलिए अब सरकार ने इन सब मदरसों और संस्कृत स्कूलों को नियमित करने का फैसला लिया है”।

यह फैसला न सिर्फ राज्य सरकार के हित में है बल्कि इससे छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित हो सकेगा, क्योंकि एक स्वतंत्र बोर्ड के तहत आने के कारण अब छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी और साथ ही ऐसे स्कूलों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने ऐसा करके अपने यहां धर्मनिरपेक्षता को भी बढ़ावा दिया है। सालों तक देश में सेक्यूलरिज़्म के नाम पर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने की राजनीति की जाती रही है जिसे अब राज्य की भाजपा सरकार ने नकार दिया है।

सरकार एक सेक्युलर बॉडी होती है, जिसके लिए सभी धर्म एक समान होते हैं। ऐसे में सरकार किसी एक धर्म के प्रचार के लिए पैसे नहीं खर्च कर सकती। इसीलिए सरकार ने अपने पैसों पर चलने वाले मदरसों को लेकर यह फैसला लिया है। जिसे अपने धर्म का प्रचार अपने पैसे से करना है, उसका स्वागत है लेकिन सरकार की ओर से उन्हें एक भी रुपया नहीं दिया जाएगा।

सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और असम सरकार ने देश की उन सरकारों के लिए एक उदाहरण पेश किया है जो सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती हैं। असम सरकार ने सही मायनों में एक सेक्युलर सरकार होने का प्रमाण दिया है।

जब सबसिडी दोगुनी करनी थी तो कीमत बढ़ाई ही क्यों?

बढ़े हुए रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों पर इजाफे से घिरी सरकार ने गैस सबसिडी दोगुनी कर दी है। अब प्रश्न यह उठता है की जब सबसिडी दोगुनी करनी थी तो कीमत बढ़ाई ही क्यों? पुरानी कीमत के हिसाब से सिलेन्डर की कीमत 714 रुपये है, जिस पर रुपये 153.86 की सबसिडी है। अब कीमत में बढ़ौतरी हुई रुपये 144.50 जो कि बढ़ाई गयी सबसिडी से रुपये 9.36 कम है। नयी कीमत रुपये 858.50 कि अब प्रभावी कीमत रुपये 704.64 होगी जो कि पुरानी कीमत रुपये 714 से 9.36 रुपये कम होगी। फिर कीमत बढ़ाई ही क्यों? कहीं कीमत बढ़ाने के पीछे डीलर नेटवर्क का दबाव तो नहीं?

नई दिल्ली: 

रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में भारी इजाफे के बाद विरोध से घिरी केंद्र की मोदी सरकार ने घरेलू गैस उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है. केंद्र सरकार ने घरेलू गैस सिलेंडर पर दी जा रही सब्सिडी को करीब दोगुना कर दिया है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी. साथ ही गैस की कीमतें बढ़ने की वजह भी बताई.

पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से बताया गया कि दिल्ली में अभी तक 14.2 किलो के सिलेंडर पर 153.86 रुपए की सब्सिडी मिलती थी, जिसे बढ़ाकर 291.48 रुपए कर दिया गया है. इसी प्रकार से प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत बांटे गए कनेक्शन पर अभी तक जो 174.86 रुपए प्रति सिलेंडर की सब्सिडी मिलती थी, उसे बढ़ाकर 312.48 रुपए प्रति सिलेंडर कर दिया गया है.

दाम में कितनी बढ़ोत्तरी
बता दें कि दिल्‍ली में बिना सब्सिडी वाली घरेलू एलपीजी 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 144.50 रुपये की वृद्धि की गई है. वहीं, बिना सब्सिडी वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत 714 रुपये से बढ़ाकर 858.50 रुपये कर दी गई है.

क्यों बढ़ गए LPG के दाम
जनवरी 2020 के दौरान एलपीजी का इंटरनेशनल कीमत 448 डॉलर प्रति एमटी से काफी बढ़कर 567 डॉलर प्रति एमटी हो जाने के कारण घरेलू गैस के दामों में इजाफा किया गया है.

26 करोड़ से ज्यादा कंज्यूमर को सब्सिडी
सरकार ने बताया कि मौजूदा समय में 27.76 करोड़ से भी अधिक कनेक्‍शनों के साथ राष्‍ट्रीय एलपीजी कवरेज लगभग 97 फीसदी है. करीब 27.76 करोड़ में से तकरीबन 26.12 करोड़ उपभोक्‍ताओं के मामले में बढ़ोत्तरी को सरकार वहन करती है.

हम अपनी हार पर चिंतित होने की बजाय ‘आआपा’ की जीत पर क्यों खुश हो रहे हैं?: शर्मिष्ठा मुखर्जी

शाहीन बाग में लगातार अपनी उपस्थिती दर्ज करवाने के बावजूद कॉंग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की रणनीति काम न आई, सीसोदिया का एक बयान की वह शाहीन बाग के साथ खड़ा है, चुनावी समीकरण बदलने के लिए काफी था। दिल्ली में हार के बाद पीसी चाको ने कांग्रेस के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा- 2013 में शीला जी जब मुख्यमंत्री थीं, तब से ही कांग्रेस पार्टी का पतन शुरू हो गया था। आम आदमी पार्टी (आप) ने अस्तित्व में आने के साथ ही कांग्रेस का वोट बैंक छीन लिया। हम अपना वोट बैंक कभी वापस नहीं पा सके। यहाँ पीसी चाको मुसलिम वोट बैंक ही की बात करते जान पड़ते हैं।

  • शर्मिष्ठा मुखर्जी का ट्वीट: हम अपनी हार पर चिंतित होने की बजाय आप की जीत पर क्यों खुश हो रहे हैं?
  • कपिल सिब्बल बोले- हमारे पास कोई नेता नहीं, हम इसे जल्द से जल्द हल करेंगे
  • पीसी चाको का चुनाव प्रभारी पद से इस्तीफा, कहा- शीला जी के समय से ही कांग्रेस का पतन शुरू हुआ

नई दिल्ली (ब्यूरो):

दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार कांग्रेस अपना खाता खोलने में असमर्थ रही है। वहीं, अरविंद केजरीवाल की आप तीसरी बार अपनी सरकार बनाने जा रही है। इसी बीच कांग्रेस में विरोध के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने नेता प्रोजेक्ट किए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं तो वहीं दिल्ली चुनाव के प्रभारी पीसी चाको ने पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्विटर पर कुछ सवाल किए हैं। 

दरअसल, आप की जीत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने अरविंद केजरीवाल को बधाई दी थी। उन्होंने कहा था- दिल्ली की जनता ने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है।

इस पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने चिदंबरम पर तंज कसा। उन्होंने ट्वीट किया- सर, मैं जानना चाहती हूं- क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का काम राज्य की पार्टियों को आउटसोर्स किया है? यदि नहीं, तो हम अपनी हार को लेकर चिंतित होने की बजाय आप की जीत पर क्यों खुश हो रहे हैं? अगर ऐसा है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी को बंद कर देना चाहिए।

इससे पहले, चिदंबरम ने ट्वीट किया था- आप जीती, बड़ी-बड़ी बातें करने वाली और धोखा देने वाली पार्टी हारी। दिल्ली के लोगों ने 2021-2022 में अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव के लिए एक उदाहरण पेश किया।

शर्मिष्ठा ने कहा- हमें कई चीजों पर काम करने की जरूरत

इससे पहले शर्मिष्ठा ने ट्वीट किया था- दिल्ली में कांग्रेस की फिर हार। हमें कई चीजों पर काम करने की जरूरत है। शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकजुटता की कमी, पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा, जमीनी स्तर पर पकड़ की कमी।

दिल्ली ने भाजपा को करारा जवाब दिया: सिब्बल

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा- हमारे पास प्रोजेक्ट करने के लिए कोई नेता नहीं है। यह पार्टी के भीतर एक गंभीर मुद्दा है। हम इसे जल्द से जल्द हल करेंगे। दिल्ली ने भाजपा को करारा जवाब दिया है। उनकी हार अभी नहीं रुकेगी। भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति और उनके मंत्रियों द्वारा समाज को विभाजित करने का कार्ड दिल्ली और देश के लोगों को समझ आ गया है। आप झारखंड-छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में आए नतीजों को देख सकते हैं।

उन्होंने कहा- भाजपा को और विशेष रूप से अमित शाह (गृह मंत्री) को यह महसूस करने की जरूरत है कि इस देश के लोगों को विभाजित करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि इससे चुनावी फैसले पर असर पड़ता है। सिब्बल ने दावा किया कि दिल्ली की तरह ही बिहार में भी भाजपा को करारी हार मिलेगी।

कांग्रेस का वोट बैंक आप के साथ चला गया: पीसी चाको

दिल्ली में हार के बाद पीसी चाको ने कांग्रेस के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा- 2013 में शीला जी जब मुख्यमंत्री थीं, तब से ही कांग्रेस पार्टी का पतन शुरू हो गया था। आम आदमी पार्टी (आप) ने अस्तित्व में आने के साथ ही कांग्रेस का वोट बैंक छीन लिया। हम अपना वोट बैंक कभी वापस नहीं पा सके।

आप ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की

2015 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस साल के चुनावों में फिर से अपना खाता खोलने में नाकाम रही। वहीं, दिल्ली के 70 विधानसभा सीटों में 62 सीट लाकर आप ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। 2015 में आप को 67 सीटें मिली थीं। अरविंद केजरीवाल 16 फरवरी को रामलीला मैदान में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं।

Police Files, Chandigarh

Korel, CHANDIGARH – 11.02.2020

Three arrested for consuming liquor at public place

Three cases U/S 68-1(B) Punjab Police Act 2007 & 510 IPC have been registered in PS-19, PS-26 & PS-49 Chandigarh against three persons who were arrested while consuming liquor at public place on 10.02.2020. Later they were released on bail.

Protection of Children Act 2015

A case FIR No. 11, U/s 3, 14 Child Labour (Prohibition And Regulation) Act, and 75, 79 Juvenile Justice Act 2015 has been registered in PS-19, Chandigarh on the complaint of Ramphal Katariya, Labor Inspector, UT, Chandigarh against Owner of Booth No. 11-14, Sector-20 and Booth No. 1, Sector-19, Chandigarh and three Juveniles aged about 15, 14 & 10 years has been rescued under Child labor. Investigation of the case is in progress.

Assault

A case FIR No. 29, U/S 323, 354 IPC has been registered in PS-36, Chandigarh on the complaint of a lady aged about 63 years residnet Sector-15, Chandigarh who alleged that Kalli Parshad R/o Plot No. 595, Village Kajehri, Chandigarh quarreled and torn out her wearing suit at Plot No. 595, Village Kajehri, Chandigarh. Complainant is the owner of said plot and alleged making illegal construction on her plot. Investigation of case is in progress.

MV Theft

          Sunil Kumar R/o # 1013, Village Kishangarh, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s motorcycle No. CH01AN-4494 from infront of SCO No. 813, NAC, Manimajra, Chandigarh. A case FIR No. 23, U/S 379 IPC has been registered in PS-MM, Chandigarh. Investigation of case is in progress.

Missing/Kidnapped

          A person resident of Chandigarh reported that her daughter aged about missing from her residence 09.02.2020. A case FIR No. 20, U/S 363 IPC has been registered in PS-Maulijagran, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

44वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के दौरान विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को ‘हनुमान चालीसा’ बांटने से रोका गया

ममता बनर्जी शासित पश्चिम बंगाल में किस तरह से हिंदुओं और संविधान की धज्जियां उड़ाई जाती हैं उसका एक और नमूना कल यानि रविवार को देखने को मिला, जब 44वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के दौरान विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को ‘हनुमान चालीसा’ बांटने से रोका गया।

नयी दिल्ली(ब्यूरो)

कहने को तो ममता बनर्जी रोज ही सेकुलरिजम और संविधान का रोना रोती रहती हैं लेकिन संविधान की धज्जियां उन्हीं की देख रेख में उड़ाई जाती है।

दरअसल, रविवारको 44वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले के दौरान पुलिस ने विहिप के कार्यकर्ताओं को हनुमान चालीसा बांटने से रोका, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद हो गया। बता दें कि रविवार को कोलकाता पुस्तक मेले का अंतिम दिन था। पुलिस ने अपने इस कार्रवाई पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने धार्मिक किताब बांटने पर इसलिए ऐतराज जताया कि इससे आगुंतक भावावेश में आ सकते हैं जिससे कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

ये क्या बात हुई? हनुमान चालीसा बांटने से कानून एवं व्यवस्था को समस्या कैसे हो सकती है? ये तानाशाही सिर्फ ममता बनर्जी के इशारों पर काम करने वाली पश्चिम बंगाल की पुलिस ही कर सकती है। पुलिस के इस रुख से मामला बढ़ गया और विहिप के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करना शूरू कर दिया जिसके बाद पुलिस थोड़ी नरम हुई और फिर से हनुमान चालिसा बांटने दिया गया। 

विहिप सदस्य स्वरूप चटर्जी ने पीटीआई से कहा कि, “शुरू में तनाव था, लेकिन जब हमने जानना चाहा कि हनुमान चालीसा क्यों नहीं वितरित की जा सकती है, जबकि अन्य संग‍ठन कुरान और बाइबिल बांट सकते हैं। इसके बाद पुलिस ने अपना रुख नरम किया और हमने पुस्तक बांटना जारी किया।”  

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी  के कार्यकाल में इस तरह से हिंदुओं के बर्ताव किया गया हो। जब से ममता बनर्जी सत्ता में आईं हैं तब से ही वे मुस्लिम तुष्टीकरण में लगी हुई हैं। वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में हुए धूलागढ़ के दंगों के बाद से हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ते चले गए। हद तो तब हो गयी जब ममता बनर्जी ने इस दंगे के लिए आरएसएस और भाजपा पर ही आरोप मढ़ना शुरू कर दिया था। रही सही कसर बसीरहट में हुए दंगों ने पूरी कर दी। 

ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने पिछले साल जब दुर्गा मूर्ति विसर्जन और मुहर्रम एक ही दिन पड़े थे तब दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थीं। ऐसा करके उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया था। ममता ने अपने फैसले के पीछे बेतुका कारण दिया और कहा था, “दोनों पर्व के चलते दो समुदायों में विवाद या झगड़ा न हो इसलिए ये फैसला लिया है।” इसी ममता सरकार ने हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने पर भी रोक लगा दी थीं और जब 11 अप्रैल, 2017 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवड़ी में हनुमान जयंती पर जुलूस निकाला गया तो पुलिस द्वारा उन पर लाठीचार्ज करवाया गया था। 

उसके बाद 2018 में रामनवमी के उत्सव पर खलल डालकर जिस तरह ममता सरकार ने अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए बेतुका प्रयास किया वह किसी से छुपा नहीं है। ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने तारकेश्वर विकास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में एक मुस्लिम को बैठा चुकी हैं।

अब इस तरह से हनुमान चालीसा के वितरण पर रोक लगाकर ममता बनर्जी ने जाहिर कर दिया है कि वह किस तरह की राजनीति करती हैं। सच कहें तो ममता बनर्जी के अंदर हिंदुओं के लिए सिर्फ नफरत रही है और समय समय पर उनकी राजनीति से ये नफरत सामने भी आई है।