दिल्ली दंगों में गोलियां चलाने वाला शाहरुख शामली से गिरफ्तार

दिल्ली हिंसा के दौरान हेड कांस्टेबल दीपक दाहिया पर पिस्टल तानने वाले और दंगे के दौरान फायरिंग करने वाले शाहरुख को क्राइम ब्रांच ने शामली से गिरफ्तार कर लिया है. जाफराबाद में शाहरुख की एक तस्वीर जिसमें वह पुलिसकर्मी पर पिस्टल ताने हुए सामने आई थी.  इसके बाद उसकी तलाश की जा रही थी. बताया जाता है कि शाहरुख को जिम जाने का शौक है. उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. लेकिन शाहरुख के पिता पर ड्रग पैडलर होने का केस चल रहा है. उन पर कई केस दर्ज हैं. हाल ही में वो ज़मानत पर बाहर आये हैं. शाहरुख की उम्र 27 साल है और वह सीलमपुर के चौहान बांगड़ का रहने वाला है. गौरतलब है कि दिल्ली के उत्तर-पूर्व इलाके में हुई हिंसा में दंगों में स्थानीय अपराधियों की बड़ी भूमिका रही है. ऐसे कई लोगों की पहचान भी की जा चुकी है और कई गिरफ्तार भी किये गए हैं. अपराधियों के यहां से अवैध हथियार और कारतूस भी बरामद हो रहे हैं जिनका जमकर इस्तेमाल हुआ. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 80 से ज्यादा लोग गोली लगने से घायल हुए हैं. हिंसा करने वाले ज्यादातर लोग उत्तरी पूर्वी दिल्ली के ही रहने वाले हैं.  अभी इन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी चल रही है. 

नई दिल्‍ली: 

दिल्‍ली हिंसा (Delhi Violence) के दौरान जाफराबाद में आठ राउंड गोलियां चलाने वाले आरोपी शाहरुख गिरफ्तार हो गया है. यूपी के शामली से उसको गिरफ्तार किया गया है. हिंसा के दौरान उसने पुलिस कांस्‍टेबल पर भी पिस्‍तौल तान दी थी. दिल्‍ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने उसको गिरफ्तार किया. इस संबंध में दिल्‍ली पुलिस आज दोपहर साढ़े तीन बजे प्रेस कांफ्रेंस भी करेगी. 24 फरवरी को दिल्‍ली के जाफराबाद में जब हिंसा भड़की थी तो उस दौरान शाहरुख अपने दंगाईयों के साथ पिस्‍तौल लहराते हुए सड़कों पर उतर आया था. उस दौरान उसने गोलियां चलाने के साथ कांस्‍टेबल दीपक दहिया पर पिस्‍तौल तान दी. दीपक दहिया ने इस ZEE NEWS से बातचीत करते हुए कहा कि उस दौरान जब उन्‍होंने शाहरुख को गोलियां चलाते देखा तो उसने रोकने की कोशिश की. जिसके चलते उसने पिस्‍तौल तान दी लेकिन इसका असर ये भी हुआ कि वह बाद में वहां से भाग गया.

ऐसे की थी शाहरुख ने फायरिंग

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 24 फरवरी को दोपहर 3:30 बजे जाफराबाद की तरफ घोंडा चौक की ओर भीड़ पथराव करते हुए बढ़ रही थी. उसी दौरान लाल टीशर्ट पहने शाहरुख हाथ में पिस्‍तौल लिए जाफराबाद की सड़कों पर भागता हुआ देखा गया था. इससे पीछे की तरफ कई गाड़ियों को फूंक दिया गया था. पुलिसवाले भीड़ को रोकने के लिए आगे बढ़े तो शाहरुख पिस्टल लहराता हुआ आगे आने लगा. एक पुलिसकर्मी ने हिम्मत कर उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह लगातार फायरिंग करता चला गया.

कौन है शाहरुख?

शाहरुख दिल्ली के थाना उस्मानपुर के अरविंद नगर की गली नंबर-5 में यू-108 में रहता है. जानकारी के मुताबिक उसके साथ परिवार में एक बड़ा भाई और मां-बाप हैं, लेकिन फिलहाल पूरा परिवार ही लापता है. बताया जा रहा है कि शाहरुख का परिवार साल 1985 से वहां रहता है. यह भी सामने आया है कि शाहरुख के पिता का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है. उसके पिता का नाम शावर पठान है और बताया जा रहा है कि ड्रग्स बेचने के मामले में शावर पठान दो बार जेल भी जा चुका है. हाल ही में वह जेल से छूटा था.

हरियाणा में हुड्डा के जमते कदम

राजनीति जानने वाले लोग अभी से कहने लगे हैं कि आगे आगे यह महसूस होने लगेगा कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस है lआप जानते हैं कि यहां खुद को ताकतवर मानने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला निष्क्रिय होकर रह गए हैं lभाजपा जेजेपी इनेलो सबके लिए वे टारगेट है lअपने राजनीतिक वजूद के लिए कहीं न कहीं सुरजेवाला को हुड्डा के मुंह की ओर ताकना पड़ सकता है lलगभग यही स्थिति किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव की हो गई है l

चंडीगढ़

भविष्य में हरियाणा की राजनीति कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ सकती है l उसका सबसे बड़ा और एकमात्र कारण यह है कि एक और हरियाणा प्रदेश का बहुसंख्यक मतदाता यानी जाट धीरे-धीरे हुड्डा के नाम से कांग्रेस की ओर एकजुट होता जा रहा है lदूसरा यह कि जे जे पी से गठबंधन के बाद गैर जाट मतदाता भाजपा से दूरी बनाने लगा है l उसने इस गठबंधन को गले से नीचे नहीं उतारा है l

सबसे पहले कांग्रेस की अंदरूनी बात करते हुए यह कहा जा सकता है कि चुनाव से ऐन पहले हुड्डा जिस तरह डॉक्टर अशोक तवर को अध्यक्ष पद से हटवाने और कुमारी शैलजा को अध्यक्ष बनवाने में सफल हुए वह इस बात की पुष्टि करता है कि यह काम उनके सिवाय कोई और नेता करने और कराने की स्थिति में नहीं था l

भूपेंद्र सिंह हुड्डा
उनकी बात पर भरोसा करते हैं लोग

उन्होंने बाद में मात्र 15 दिन के चुनाव के दौरान यह साबित कर दिया कि उनकी मर्जी से टिकटें बाटी जाति तो निश्चित तौर पर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती l

बात यहीं समाप्त नहीं होती lवह इस स्थिति में भी रहे कि चुनाव में ही लोगों ने खुद कहना शुरू कर दिया कि यह गलती प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने की है lउनकी जिद और हठधर्मिता हरियाणा में कांग्रेस को ले डूबी l

दीपेंद्र सिंह हुड्डा शराफत शालीनता के लिए जाने जाते हैं

एक बात और गौर करने की है वह यह कि कुमारी शैलजा के समर्थक अब यह महसूस करने लगे हैं कि उनकी नेत्री का भविष्य अब उतना उज्जवल नहीं है जैसा पहले नजर आया करता l जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा धीरे-धीरे कांग्रेस में ही ड्राइविंग सीट पर आ रहे हैं जो नए लोग कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ जुड़ रहे हैं प्रदेश अध्यक्ष से शायद इन नेताओं ने बात भी नहीं की होगी l यही कार्यकर्ता बोलते हैं कि जब टिकट बट रही थी और शैलजा समर्थक टिकटों की बात करते थे तो कुमारी शैलजा सबको रटा रटाया यही जवाब देती थी कि क्या करें हुड्डा नहीं मान रहा l इस बात में कितनी सच्चाई है यह कुमारी शैलजा जाने llअसल में कुमारी शैलजा के समर्थकों ने यह समझ लिया कि कभी जिस तरह डॉक्टर अशोक तंवर ने 2014 के चुनाव से पहले खुद का भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आगे समर्पण कर दिया था वही काम कुमारी शैलजा ने कर खुद को फंसा लिया है l यह अलग बात है कि हुड्डा समर्थक इन बातों से सहमत नहीं है l

हुड्डा के विश्वसनीय साथी जयप्रकाश जेपी

कुमारी शैलजा की दो दिक्कतें और है और इन्हें इन दिक्कतों का समाधान हुड्डा के बिना नजर नहीं आ रहा होगा l एक तो कुमारी शैलजा को फिर से राज्यसभा में जाने का मकसद पूरा करना है और यह काम हुड्डा के सहयोग के बिना संभव नहीं है lदूसरा यह कि उसे बड़ी रैलियों आदि के आयोजन हुड्डा के सहयोग के बिना पूरे होते नहीं दिख रहे होंगे l बहुत लोग आज भी यह दावा करते हैं कि कुमारी शैलजा ही राज्यसभा में उम्मीदवार हुई तो वे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहयोग के बिना यह वैतरणी पार नहीं कर पाएंगी l

हुड्डा परिवार के एक और विश्वसनीय नेता धर्म सिंह छोकर

राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि कुमारी शैलजा को झटका देने के लिए हुड्डा के पास दो हथियार है lएक का नाम है जयप्रकाश तो दूसरे का नाम है निर्मल सिंह l कुमारी शैलजा को उनके गृह जिले हिसार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जयप्रकाश जैसे मजबूत नेता की मदद मिल रही है जो एक दो बार नहीं 4 बार हिसार  के सांसद रहे हैं lकेंद्रीय मंत्री रहे हैं lउसने कैथल में कलायत से लेकर जींद में नरवाना और हिसार में बरवाला से आदमपुर तक की राजनीति की है l आज हर हाल में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हैं l जयप्रकाश ने पिछले दिनों हिसार जिले के पेटवाड़ र्गांव में संपन्न एक बड़ी रैली में यह संदेश दे दिया कि अब हरियाणा की जनता की आशा की किरण भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा है lइसलिए भी कि अब दुष्यंत चौटाला या इनेलो के दिन लद गए हैंl जे जे पी के नेताओं के झूठ फरेब और स्वार्थ सबके सामने आ गए हैं l
कुमारी शैलजा की बात करें तो आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने नेताओं को यह समझाने में सफल हो गए हैं कि हिसार जो कुमारी शैलजा का गृह जिला है हरियाणा का सबसे बड़ा जिला है जिसमें 7 विधानसभा क्षेत्र है lयदि सही टिकट बाटी गई होती तो हिसार जिले में कॉन्ग्रेस 4 से 5 सीटें जीतने की स्थिति में थी l

कॉन्ग्रेस और हुड्डा की प्रखर प्रवक्ता श्रीमती गीता भुक्कल

चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और हर चीज को मैनेज करना जानते हैं lउनमें हरियाणा के कई पुराने दिग्गज और कामयाब नेताओं के सारे गुण मौजूद हैं lइसलिए वे सफल रणनीतिकार माने जाते हैं l लोकसभा चुनाव में उनकी और उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा की हार ने उन्हें जरूर नुकसान पहुंचाया परंतु उसके बाद उन्होंने गजब की वापसी करके दिखाई है l

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को उत्तर हरियाणा की 27 सीटों पर सक्रिय पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह का भी राजनीतिक लाभ मिलेगा lकुमारी शैलजा कमजोर होंगी तो उसका लाभ मिलेगा निर्मल सिंह मजबूत है तो उसका भी लाभ हुड्डा को ही मिलने वाला हैl निर्मल सिंह हर जगह हर बात पर जिस तरह कुमारी शैलजा को मुद्दा बनाते हैं उससे कुमारी शैलजा की परेशानियां उनके लोकसभा क्षेत्र में ही बढ़ सकती है l
इन दोनों नेताओं में जो अंडरस्टैंडिंग रही है है उसे सब जानते हैं l

राजनीति जानने वाले लोग अभी से कहने लगे हैं कि आगे आगे यह महसूस होने लगेगा कि हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस है lआप जानते हैं कि यहां खुद को ताकतवर मानने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला निष्क्रिय होकर रह गए हैं lभाजपा जेजेपी इनेलो सबके लिए वे टारगेट है lअपने राजनीतिक वजूद के लिए कहीं न कहीं सुरजेवाला को हुड्डा के मुंह की ओर ताकना पड़ सकता है lलगभग यही स्थिति किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव की हो गई है l

आज जेजेपी सत्ता में है तो जाटों में स्वार्थी किस्म के लोग जरूर उनकी जय-जयकार करते नजर आते हैं परंतु अंदर से जाटों को टीस है कि वह उनके ही यार हो गए वे जिन्हें जमुनापार भेजने की बात करते थे l आज जाटों की समझ में आ रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सही कहा करता कि जेजेपी तो बीजेपी की बी टीम हैl अब जेजेपी का अपने दम पर सत्ता में आना तो दूर अस्तित्व बनाए रखना कठिन हो जाएगा क्योंकि आज पूरे हरियाणा में यह कहा जाने लगा है कि असल में तो जेजेपी के अपने तीन ही विधायक है शेष सात तो अपने दम पर जीत कर आने वाले उम्मीदवार थे lयदि यह जे जे पी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ते तो निर्दलीय लड़ते और तब की जीत जाते l ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या 15 तक पहुंच सकती थी lअगर ऐसा भी हुआ होता तो भी गैर भाजपा सरकार बन सकती थी l

पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला और विधायक राम कुमार गौतम भी चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जो अंदरूनी सहानुभूति रखते हैं उसे भी हुड्डा का सकारात्मक पक्ष कहा जा सकता है lभूपेंद्र सिंह हुड्डा की आगामी राजनीति में कई जिलों में उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी एक बड़े फैक्टर के रूप में देखे जाएंगे lउनकी शराफत और शालीनता, तथ्यों पर आधारित वक्तव्य ,जनमानस पर असर छोड़ते हैंl अगर हम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगली तैयारी की बात करें तो जान लें कि उन्होंने अब से पहले नवंबर की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है और इसके दृष्टिगत 1 नवंबर को उचाना में प्रदेश स्तर की ऐसी रैली करने की घोषणा कर दी है जिसमें 5 लाख लोगों की हाजिरी होने का दावा किया गया है l

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ गैर जाट नेता के रूप में कई ऐसे लोग लंबे समय से हैं जो देहात में और शहरों में भी गैर जाट मतदाताओं में अपना प्रभाव रखते हैं l इनमें समालखा के विधायक धर्म सिंह छोकर गुज्जर समुदाय के प्रमुख स्तंभ  के रूप में देखे जाने लगे हैं l इनेलो के पूर्व अध्यक्ष अशोक अरोड़ा उनके साथ  हैं lदलित मतदाताओं में श्रीमती गीता भुक्कल बड़ा नाम है इसके अलावा भूपेंद्र सिंह हुड्डा बाल्मीकि मतदाताओं की सहानुभूति बटोरने में भी सफल रहे हैंl हुड्डा के -साथ एक नहीं दो बाल्मीकि विधायक हैं l

आज की ताज़ा ख़बर LPG सिलेन्डर के दाम घटे

नई दिल्ली: 

सोमवार सुबह अगर आपको कोई अच्छी खबर सुना दे तो आपका दिन ही नहीं बल्कि पूरा हफ्ता अच्छा बीतने की उम्मीद बन जाती है. तो हम आज सुबह-सुबह आपको दे रहे हैं एक अच्छी खबर. पेट्रोलियम कंपनियों ने देश में रसोई गैस सिलेंडर के दामों में कटौती कर दी है. उम्मीद जताई जा रही है कि उपभोक्ताओं को इस घटे दामों के काफी राहत मिलेगी. देश की राजधानी दिल्ली में बिना सब्सिडी वाला 14.2 किलो का रसोई गैस यानी एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस) सिलेंडर 53 रुपये सस्ता हो गया है. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में बिना सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर का दाम घटकर क्रमश: 805.50 रुपये, 839.50 रुपये, 776.50 रुपये और 826 रुपये प्रति सिलेंडर हो गया है. चारों महानगरों में 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर के दाम में क्रमश: 53 रुपये, 56.50 रुपये, 53 रुपये और 55 रुपये की कटौती की गई है.

चुनाव बाद बढ़े थे दाम

बताते चलें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद 12 फरवरी 2020 को बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी की गई थी, जिसके बाद चारों महानगरों में एलपीजी सिलेंडर का दाम क्रमश: 858.50 रुपये, 896 रुपये, 829.50 रुपये और 881 रुपये हो गया था. पेट्रोलियम कंपनियों ने 19 किलो वाले एलीपीजी सिलेंडर के दाम में भी कटौती की है. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर क्रमश: 84.50 रुपये, 90.50 रुपये, 85 रुपये और 88 रुपये सस्ता हो गया है.

चारों महानगरों में 19 किलो वाला एलपीजी सिलेंडर का दाम घटकर क्रमश: 1,381.50 रुपये, 1,450 रुपये, 1,331 रुपये और 1,501.50 रुपये हो गया है. होली के त्योहार से पहले रसोई गैस सिलेंडर के दाम में कटौती किए जाने से आम उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है.

कोलकाता में गरजे अमित शाह – ममता पर साधा निशाना

NRC पर जनजागरण नाम के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह प. बंगाल पहुंचे हुए हैं. उन्होंने इस अवसर पर अपने संबोधन की शुरुआत प. बंगाल की जनता को भारतीय जनता पार्टी को 300 सीटों के आंकड़ों के पार ले जाने के लिए धन्यवाद देते हुए की. सीएए के समर्थन में कोलकाता में आयोजित रैली में अमित शाह ने कहा क‍ि ममता बनर्जी अल्‍पसंख्‍यकों में भय पैदा कर रही हैं कि वे अपनी नागरिकता खो देंगे। मैं अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के सभी लोगों को आश्‍वासन देता हूं कि सीएए केवल नागरिकता देगा, लेगा नहीं।

कोलकाता:

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को सीएए, कश्‍मीर, राम मंदिर, श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी के बहाने पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर चुन-चुनकर हमला बोला। ममता बनर्जी के गढ़ कोलकता में अमित शाह ने कहा कि देश के बनाए नागरिकता संशोधन कानून का टीएमसी सुप्रीमो विरोध कर रही हैं लेकिन हम इस कानून से पीछे नहीं हटेंगे। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में आगामी चुनाव में बीजेपी दो तिहाई बहुमत से सरकार बनाएगी।

अमित शाह ने कहा, ‘ममता बनर्जी जब विपक्ष में थीं तो उन्‍होंने शरणार्थियों के लिए नागरिकता का मुद्दा उठाया था। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएए ले आए तो वह एकबार फिर से कांग्रेस और वामपंथियों के साथ विरोध में खड़ी हैं। ममता बनर्जी अल्‍पसंख्‍यकों में भय पैदा कर रही हैं कि वे अपनी नागरिकता खो देंगे। मैं अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के सभी लोगों को आश्‍वासन देता हूं कि सीएए केवल नागरिकता देगा और किसी से यह वापस नहीं लेगा। यह किसी भी तरह से आपको प्रभावित नहीं करेगा।’

कोलकाता के शहीद मैदान में सीएए के समर्थन में आयोजित रैली में शाह ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनेगी। बंगाल में जब प्रचार करने आए थे तो हमें प्रचार नहीं करने दिया गया। गोलियां चलाई गईं, हेलिकॉप्‍टर नहीं उतरने दिया गया। 40 से अधिक कार्यकर्ताओं की जान चली गई। ममता जी यह करके आप रोक पाई क्‍या। आप जो करना चाहती हैं, कर लीजिए। आपका रवैया जनता समझ चुकी है। यह रैली ममता और उनकी पार्टी के गुंडों के खिलाफ रैली है। बीजेपी एक अभियान लेकर न‍िकल रही है आरनायअनाय (अब अन्‍याय सहन नहीं करेंगे)। यह नारा पश्चिम बंगाल में सरकार पलटने का नारा है।’

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘जब हम पश्चिम बंगाल में चुनाव के मैदान में थे तो ममता दीदी कहती थीं, जमानत बचा लेना। ममता बनर्जी ये आंकड़े देख लीजिए, अब आने वाले विधानसभा चुनाव में भी पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी की सरकार बंगाल में बनने वाली है। वर्ष 2014 में बीजेपी को 87 लाख वोट मिले और वर्ष 2019 में यह संख्‍या बढ़कर 2.3 करोड़ हो गई। राज्‍य से 18 बीजेपी सांसद चुने गए हैं।’

उन्‍होंने कहा, ‘यह जो यात्रा चली है, रुकने वाली नहीं है। यह यात्रा जो 18 सीटों तक पहुंची है, विधानसभा में दो तिहाई बहुमत के साथ बीजेपी की सरकार बनाकर समाप्त होने वाली है। ये यात्रा बीजेपी के विकास की नहीं है, बल्कि यह यात्रा पश्चिम बंगाल के विकास की यात्रा है। यह यात्रा पश्चिम बंगाल के गरीब के शोषण के खिलाफ संघर्ष की है। यह यात्रा सिंडीकेट को समाप्त करने की यात्रा है। यह यात्रा टोलबाजी समाप्त करने की यात्रा है। यह यात्रा घुसपैठ समाप्त करने की है। यह यात्रा करोड़ों शरणार्थियों को नागरिकता देकर सम्मान देने की है।

गृहमंत्री अमित शाह (amit shah) ने रविवार को कोलकाता में एक रैली को संबोधित किया. अमित शाह ने भाषण में जहां टीएमसी पर जमकर निशाना साधा, वहीं एक बार फिर सीएए को सही ठहराया. पेश है उनके भाषण की मुख्य बातें :

1-अमित शाह ने कहा, ‘हम जब बंगाल में चुनाव के मैदान में थे तो ममता दीदी कहती थीं जमानत बचा लेना. ममता जी ये आंकड़े देख लीजिए, अब आने वाले विधानसभा चुनाव में भी पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा (bjp) की सरकार बंगाल में बनने वाली है.’ 

2-मोदी जी जब सीएए लोकर आए तो सारे विपक्षी विरोध में आ गए. सीएए से आपकी नागरिकता जाने वाली नहीं है. सीएए नागरिकता देने का कानून है लेने का नहीं.

3-गृहमंत्री ने कहा, ‘मोदी जी CAA लेकर आए, लाखों बंगालियों को इससे नागरिकता मिलती है. ममता दीदी ने इसका विरोध किया. बंगाल में दंगे कराएं, ट्रेनें जला दी गई, रेलवे स्टेशन जला दिया गया.’  

4-मैं सवाल पूछने आया हूं कि हम नागरिकता देना चाहते हैं और आप इसका विरोध क्यों कर रही हो. आपको घुसपैठिए ही अपने लगते हैं. मैं बताने आया हूं कि 70 साल से जो शरणार्थी यहां आए हैं हम उनको नागरिकता देकर रहेंगे. 

5-मोदी जी ने विकास के साथ साथ देश के सम्मान और सुरक्षा से जुड़े कई फैसले किए. आप सब चाहते थे कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बने 5 अगस्त को संसद में धारा 370 समाप्त कर दिया गया. 

6-आपका आशीर्वाद मिला और मोदी जी ने राम मंदिर निर्माण के काम को आगे बढ़ाने का काम किया. कुछ ही महीनों में आसमान को छूने वाला भव्य राम मंदिर बनने वाला है.

7-ममता दीदी ने केंद्र के 6 हजार करोड़ रुपये को राज्य के गरीब किसानों तक नहीं पहुंचने दिया. ममता दीदी आप क्यों किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हो. 

8-बंगाल में हमें यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई. हजारों कार्यकर्ताओं पर गोलियां चलाई गईं. गलत मुकदमें दर्ज कराए गए. 40 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की जान चली गई लेकिन ममता दीदी हमें रोक नहीं पाई.

9-ममता सरकार ने पीएम मोदी को बंगाल का विकास करने नहीं दिया. आपने कम्युनिस्टों को 2 दशक तक मौका दिया और मतता दीदी को 10 साल तक, क्या इन्होंने विकास किया, नहीं. 

10-सोनार बंगाल ममता दीदी के नेतृत्व में नहीं बनेगा. बीजेपी को पांच साल के लिए सत्ता में लाओ, हम यह सपना साकार कर देंगे. 

AIBOC OBJECTS THE DEROGATORY STATEMENT OF HON’BLE FINANCE MINISTER ABOUT PSB’s AND THE BANKING FRATERNITY

AIBOC Strongly Objects to the Derogatory Statement of Hon’ble Finance Minister about Public Sector Banks and the Banking Fraternity

Chandigarh, 29 Feb

We are anguished to read a news item appearing in the media that while speaking at the event to unveil EASE 3.0 – Public Sector Bank Reforms Plan, the Hon’ble Finance Minister of the Country while advising Banks to connect to the grassroots level, is reported to have said – “Your goodwill is lost, personal connection is lost, assessment at the bottom level is lost…. Forgetting branch-level connect with customers has not done us good. RBI will come back and say you borrow from me at a much lower interest rate… I can go on meeting you but it will still not reach the customer. Motivation at branch level (is required)” -TOI 27 Feb 2020. It is also reported that bankers are not aware of Government Schemes.

All India Bank Officers’ Confederation (AIBOC), the largest and apolitical trade union in banking industry representing more than 3.20 lakh officers in the country is not only shocked at this public utterance but also rejects such adverse comments. We fail to understand the reason and intention of the Hon’ble Finance Minister for making such comments. We are pained at such sweeping remarks by a personality none other than the Finance Minister of the country. We have been receiving reactions from the officers and staffs across the country expressing agony, angst, and anger about this. Bankers at the grass-root level have felt that these comments are nothing short of insinuating and have been made to lower their dignity by humiliating them. Without any consideration for those who are toiling despite the constraints of grossly inadequate human resources to handle the mammoth business and customers. We are compelled to believe that such outburst, in public, is nothing short of demeaning the very stature of Public Sector Banks.

We would like to place on record our response to such demolition of the image in public domain and remind the Hon’ble Finance Minister and the powers that be, of the role played by Public Sector Banks in all walks of life for the citizenry. It is needless to say that today the country is what it is only on account of the sweat and efforts of the banking industry. Be it Green Revolution, White Revolution, Blue Revolution, funding infrastructure, agriculture, small industries, village and cottage industries, rural artisans, sharecroppers; or the flagship project of the Government – Jandhan, Mudra, Atal Pension, Pradhan Mantri Jeevan Jyothi Bima, Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojanas, Stand-up India Scheme, DBTs and implementation of Schemes of State and Central Governments, Aadhaar enrolment, census job et al, PSBs took active part in the implementation of all of these. It is to be recollected that 2 Crore of Jandhan Accounts were opened by PSBs in just two days. It is PSBs who are in the front line for all mass activities. The much-publicized successful implementation of demonetization is only because of the relentless work of PSBs. This was appreciated by all, including Hon’ble Prime Minister.

Jandhan alone will tell the tale – 98% of accounts are opened by PSBs (including RRBs). While the so-called and glorified other players in the banking sector, go after cream layers, we at PSBs, work as the extended arm of Government to serve the masses. In terms of the number of customers and transactions, PSBs are unmatched. The number of accounts of PSBs cannot even be compared with private players. In these aspects, their numbers are minuscule when compared with private banks and just a fraction of PSBs. Naturally, the resultant footfalls, rush and pressure on PSBs are humungous. The Government never bothered to recruit personnel at PSBs on a continuous basis, resulting in gross under-staffing while the number of accounts and businesses to be serviced by them has gone up exponentially. Umpteen numbers of initiatives of different Governments set stiff targets which only the PSU bankers carried out. Now, the latest being KCC saturation for PM Kisan Yojana and PM Fasal Bima Yojana.

The Finance Minister could have paused for a few seconds to contemplate whether the new generation private sector banks have any substantial or worthwhile contribution to make in any of these activities? At the most, the initiative could only be demonstrative from them. It is the PSBs who work in nooks and corners of the country, few of which are situated at such terrains, that reaching them by itself is a herculean task. Not only this, the PSBs has systematically been forced to do the jobs of government departments, which are basically non-banking activities. Activities like Pension disbursement, income tax, service tax collection and excise collection – all these in the name of non-interest income and cheap float funds – were passed on to PSBs.

Now, the pertinent question also needs to be answered by all, more especially finance ministry, who is the owner of PSBs. Why are all the initiatives of the Government dumped on PSBs? The reason is absolutely clear – PSBs are dependable, trustworthy and upright. PSBs feel that they are a part and parcel of the Government and they should stand with the common man of the country, unlike others, who only look for gains, profits, and up their profile in stock market.

Coming to the issues raised by Finance Minister like credit offtake, it is well known fact that entire world is suffering on economic slowdown. Our country is also not an exception as it is linked to the world through the globalization of services. While PSBs did effectively manage the situation in such a way that the industry and economy of the country had little of its effects, it also faced the brunt of the downturn. Credit off-take is co-related to the economic cycle, the policies and directives of the Government/Regulator. As regards Credit Information Reports, the system was built by the policymakers of the country in which the Finance Ministry, Regulator, and the entire financial system are also partners. As such, any shortcomings, gaps need to be looked into by the Government and appropriate steps to be initiated, instead of blaming the Banks alone.
We, the officers in PSBs are nearer to the common man. We keep our feet firmly rooted to terra firma and confident about our aim to serve the masses, unlike our counterparts in the private sector. PSBs, by its very characteristics, are into mass banking. On account of a very huge volume of transactions, branches, ATMs, and customers they have, PSBs will naturally have a comparatively greater number of grievances reported. Also, Deterioration of customer service quality is a logical corollary to the increasing and unnecessary workload on bank employees. If we want all citizens to move into the formal financial system, then bankers must be allowed to do their primary job of providing banking service instead of burdening them further with different non-core jobs. Considering the volume, expanse and depleting staff, this should be a warning bell to the Government to wake up and start augmenting staff to take care of the requirement of 125 crore population of this country.

It is not that PSBs who are going away from customers. It is a hard truth that, through merger of Public Sector Banks, closure of bank branches, sky-rocketing of service charges, the customers are being put to discomfort and driven away. By consolidation of Banks, the Government is stepping back on financial inclusion plans. As all are aware these policy decisions are not taken at bank-level or in the front counters of the bank branches.

The Banks reducing their recruitment along with undue stress and work pressure from long hours and difficult working conditions without commensurate compensation/incentive package is in fact discouraging prospective candidates and brighter talents in the country. Proper manpower planning and human resource development strategies should be put in place in PSBs so that the staff/officers groomed into the system, remain motivated and a sudden vacuum is not created at the junior/middle levels due to manpower shortage.

Bankers are working under immense work pressure for almost 9-10 hours a day. As most of the Government offices will be closed by 5.30 pm, bank officers burn their life sitting late at night to complete their work. While Finance Minister has recognized the grievances of public, our grievance/demand for fair wage revision and other service conditions continues to fall on deaf ears.

When this is the fact prevailing in public sector banks, it would not only be painful to hear the adverse comments by none other than the Finance Minister, who is a parent-like figure for the PSBs, but leaves all bank employees unhappy, and demotivated. The comments of Hon’ble Finance Minister are very unfortunate, devoid of substantiated reasons, sweeping and definitely remains as a scar on the heart of personnel in PSBs. We request Hon’ble Finance minister, through this Press Release to note our strong objection and vehement protest against the unwarranted statement belittling the Public Sector Banks and the entire banking fraternity.

प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला है बजट- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

  • मुख्यमंत्री ने की सिर्फ़ भाषणबाज़ी और हवा-हवाई बातें- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
  • औद्योगिक विकास और रोज़गार सृजन को लेकर बजट ख़ामोश- हुड्डा

सारिका तिवारी, 28 फरवरी चंडीगढ़ः

हरियाणा के वित्त बजट 2020-21 पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला बजट है। बीजेपी ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए, प्रदेश को 1 लाख 98 हजार 700 करोड़ के कर्ज़ तले दबा दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि हरियाणा में हर बच्चा करीब 80 हज़ार रुपये का कर्ज़ सिर पर लेकर पैदा होता है। 2013-14 में जो कर्ज़ 61 हज़ार करोड़ रुपये था, वो आज 3 गुणा से भी ज़्यादा बढ़ गया है।

हरियाणा बनने से लेकर 2014 तक तमाम सरकारों ने जितना कर्ज़ लिया था, उससे भी 3 गुणा ज़्यादा कर्ज़ अकेले बीजेपी की सरकार ने लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार में महज़ 61 हज़ार करोड़ कर्ज़ लेने पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। इतना ही नहीं 2014 में बीजेपी सरकार श्वेत पत्र ले आई थी। लेकिन अब कर्ज़ तीन गुणा से ज़्यादा बढ़ गया है। ऐसे में इस सरकार को श्वेत पत्र जारी कर बताना चाहिए कि ये राशि कहां इस्तेमाल हुई। इतना कर्ज़ बढ़ना समझ से परे है, क्योंकि बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना, कोई बड़ा संस्थान, कोई नई मेट्रो लाइन, रेलवे लाइन, कोई नया पावर प्लांट या बड़ा उद्योग नहीं आया।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट में सिर्फ़ हवा-हवाई वादे किए हैं। क्योंकि बजट की 30 फीसदी राशि तो कर्ज़ का ब्याज और मूल देने में चली जाती है। बाकी राशि पेंशन, सैलेरी, अन्य सेवाओं के भुगतान, संचालन और संरक्षण में चली जाती है। ऐसे में रोड, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटी बनाने के लिए राशि कहां से आएगी?

इस बजट की घोषणा के साथ प्रदेश में गठबंधन सरकार का भ्रम और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का जुमला भी ख़त्म हो गया। साफ़ हो गया है कि गठबंधन सहयोगी ने सत्ता के लालच में बीजेपी का समर्थन नहीं, बल्कि बीजेपी के सामने समर्पण कर दिया है। क्योंकि बजट में उनकी किसी भी चुनावी घोषणा को जगह नहीं मिली है। इसलिए इस सरकार का कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं आने वाला। और अगर अब कोई प्रोग्राम आता भी है तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाता।

इस बजट में पुरानी पेंशन स्कीम, 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन, पंजाब के समान कर्मचारियों का वेतन करने, किसानों की कर्ज़माफ़ी और किसानों की फसलों पर बोनस देने जैसी तमाम मांगों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है। इससे प्री बजट चर्चा के सुझावों को मानने के दावे की भी पोल खुल गई है।

आज हरियाणा पूरे देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी झेल रहा है। इससे पार पाने के लिए बजट में कोई विशेष ऐलान नहीं किया गया। उद्योगों को आकर्षित करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। लगातार घाटे में चल रहे ऑटोमोबाइल और रियल इस्टेट जैसे क्षेत्रों को बूस्ट करने के लिए सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया। पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री से लेकर यमुनानगर के पोपुलर उद्योग को फिर से रफ्तार देने की मांगों पर बजट चुप्पी साधे हुए है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बजट में नशे से पार पाने के लिए किसी नई योजना के ऐलान की उम्मीद थी। क्योंकि NCRB के आंकड़ों से साफ हो गया है कि बीजेपी राज में हरियाणा ने नशे के मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। साल 2018 आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा में एनडीपीएस के 2,587 मामले सामने आए, जो उत्तर भारत में सबसे ज्यादा हैं। साल 2018 में हरियाणा में नशे की ओवर डोज़ से 86 मौतें हुई हैं जबकि पंजाब में इससे कम 78 मौत हुई हैं। इसी तरह नकली शराब पीने से 162 लोगों की मौत हुई। पीजीआई रोहतक और सिरसा की रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रदेश के युवा ही नहीं बच्चे भी नशे की ज़द में समाते जा रहे हैं। इतने ख़तरनाक हालातों के बावजूद बजट में नशे पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। नशे और अपराध को कम करने की पूरे बजट में कोई दिशा दिखाई नहीं देती।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार अटल भूजल योजना चलाने का तो हवाला देती है, लेकिन वॉटर कंज़रवेशन के लिए बनी प्रदेश की सबसे कारगर दादूपुर-नलवी परियोजना को बंद कर देती है। बजट में किसानों और विपक्ष की मांग पर इस परियोजना की बहाली की उम्मीद थी। लेकिन सरकार ने इस मांग को भी अनदेखा कर दिया।

कन्हैया कुमार पर चलेगा राजद्रोह का केस, गृह विभाग द्वारा मिली अनुमति

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में टुकड़े टुकड़े गैंग को बड़ा झटका लगा है. इस मामले में आरोपी कन्हैया कुमार पर अब देशद्रोह का केस चलेगा. दिल्ली की केजरीवाल सरकार के गृह विभाग ने दिल्ली पुलिस को कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का केस चलाने की अनुमति दे दी है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को कन्हैया के खिलाफ देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. यह फाइल दिल्ली सरकार के गृह विभाग के पास थी. जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर वर्ष 2016 में जेएनयू परिसर में लगे भारत विरोधी नारे और नफरत फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने सालभर पहले आरोप पत्र दाखिल किया था.

नयी दिल्ली(ब्यूरो) – 28 फरवरी

दिल्ली सरकार ने राजद्रोह के एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली पुलिस को मंजूरी दे दी. सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने 2016 के इस मामले में कुमार के साथ ही जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था.

पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने नौ फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में एक कार्यक्रम के दौरान जुलूस निकाला और वहां कथित रूप से लगाये गये देश-विरोधी नारों का समर्थन किया था.

बता दें, जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार पर वर्ष 2016 में जेएनयू परिसर में लगे भारत विरोधी नारे और नफरत फैलाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने सालभर पहले आरोपत्र दाखिल किया था. कन्हैया कुमार पर देशद्रोह समेत कई धाराएं लगाई गई है. इस मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य शामिल हैं.

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पटियाला हाउस के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमीत आनंद की कोर्ट में 1200 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी. इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान के अलावा सात कश्मीरियों को भी आरोपी बनाया गया.

इन्‍हें बनाया गया है गवाह

इस मामले में सभी कश्मीरी छात्रों से पूछताछ की जा चुकी है. इनके खिलाफ चार्जशीट में 124A (राजद्रोह), 323, 465, 471, 143, 149, 147, 120B जैसी धाराएं लगाई गई हैं. स्पेशल सेल ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर और अभियोजन से भी बातचीत की थी. मामले में ABVP के कार्यकर्ताओं और जेएनयू के सुरक्षाकर्मियों को गवाह बनाया गया है.

इन कश्मीरी छात्रों को बनाया गया है आरोपी

जानकारी के मुताबिक, उमर खालिद के खिलाफ धोखाधड़ी का भी मामला दर्ज किया गया है. इनके अलावा 36 लोग ऐसे थे, जिन्हें जांच के दायरे में रखा गया था. इनमें यूनिवर्सिटी के छात्र और सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे, हालांकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. चार्जशीट में कश्मीरी छात्रों को भी आरोपी बनाया गया है. आरोपी बनाए गए कश्मीरी छात्रों के नाम आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, और खालिद बशीर भट्ट के नाम शामिल हैं.

जावेद अख्तर ने ताहिर के घर से असलाह मिलने पर दिल्ली पुलिस पर कसा तंज़

  • आप पार्षद ताहिर हुसैन की फैक्ट्री सील होने के बाद गीतकार जावेद अख्तर ने दिल्ली पुलिस पर तंज कसा है
  • उन्होंने सवाल भी किया कि दिल्ली में इतनी हिंसा हुई कई लोगों की मौत हुई फिर सिर्फ एक घर क्यों सील हुआ
  • ताहिर हुसैन के घर से पेट्रोल बम बरामद होने के बाद पुलिस ने खजूरी खास स्थित उसकी फैक्ट्री सील की है

जावेद अख्तर ने वही किया जिसके वह माहिर हैं। तंज़, यकीन जानिए वह शब्दों के इतने माहिर हैं कि उनके ब्यान को जिसे हर तरह से ‘हेट स्पीच’ के दायरे में ला कर उन पर केस किया जा सकता है, कि वह अभी भी दिल्ली के मुसलमानों को भड़का कर और दंगे करवाने चाहते हैं या फिर मुसलमानों को दिल्ली पुलिस पर भरोसा ना करने की सलाह दे रहे हैं लेकिन वह शब्दों के जादूगर साफ बच निकलेंगे कि मेरा मतलब वह नहीं था। इनका बयान घोर आपत्ति जनक है हर तरह से निंदनीय है।

नई दिल्ली

गीतकार जावेद अख्तर देश के ज्वलंत मुद्दों पर काफी मुखर होकर अपनी राय रखते हैं। अब उन्होंने दिल्ली हिंसा को लेकर ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। दरअसल, जावेद अख्तर ने दिल्ली पुलिस पर सवाल दागा है कि हिंसा में कई लोगों का घर जला और कई लोगों की जानें गईं , लेकिन सिर्फ एक व्यक्ति (ताहिर) की ही दुकान क्यों सील हुई। हालांकि, कई लोगों को जावेद का यह ट्वीट पसंद नहीं आया और वे उनपर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने के आरोप लगा रहे हैं।

 है जावेद का ट्वीट

जावेद ने आप के पार्षद ताहिर की फैक्ट्री सील होने के तुरंत बाद ट्वीट किया। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर तंज कसते हुए कहा, ‘कई मारे गए, कई घायल हैं, कई घर जला दिए गए, दुकानें लूट ली गईं और कई आश्रय विहीन हो गए, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक घर को सील किया और उसके मालिक की तलाश कर रही है। संयोगवश उसका नाम ताहिर है। दिल्ली पुलिस के एक चीज पर डटे रहने को सलाम।’

जावेद का ट्वीट कुछ लोगों को पसंद आया तो कई इस पर सवाल भी दाग रहे हैं। माधुर बोरसे लिखती हैं, ‘यह मुसलमानों को पुलिस के खिलाफ भड़का रहे हैं।’

वहीं, बसंत नाम के एक शख्स ने जावेद अख्तर से अपील की कि अगर आपके पास ऐसा विडियो है जैसा ताहिर हुसैन के घर का मिला है, तो आप शेयर कीजिए, उसका घर भी सील किया जाएगा।

समझिए, आखिर ताहिर की फैक्ट्री क्यों सील हुई

दरअसल, आप के पार्षद ताहिर हुसैन का एक विडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह चांदबाग स्थित अपने घर में दंगाइयों के साथ हाथ में डंडा लिए दिख रहे हैं। विडियो में दावा किया गया है कि उन्होंने अपने घर में युवकों के लिए पत्थर जमा कराए जो घर से नीचे लोगों पर फेंके जा रहे थे। जांच के दौरान ताहिर के घर से पेट्रोल बम, गुलेल और पत्थर भी बरामद हुए। हालांकि, ताहिर का दावा है कि कुछ लोग जबरन उनके घर आ गए थे और पुलिस की मदद से वह अपने परिवार सहित घर से बाहर निकले। ऐसे में दंगे में शामिल होने के संदेह में खजूरी खास इलाके में ताहिर की फैक्ट्री आज पुलिस ने सील कर दी है।

पुलिस ने अब तक क्या लिया ऐक्शन

उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, घोंटा, मौजपुर, चांदबाग इलाके में हुई हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने अब तक 106 लोगों को अरेस्ट किया है और कुल 48 एफआईआर दर्ज की गई है। जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को सौंप दी गई है। इसमें दो एसआईटी गठित की गई है।

ताहिर हुसैन के घर की छत पर मिले पत्थरों के कट्टे और पेट्रोल बमों का जखीरा, ताहिर ने बताया साजिश

जानकारी के अनुसार मंगलवार शाम खजूरीखास,गली नंबर-6, मकान नंबर-140 के अंकित शर्मा (26) अपने साथियों के साथ इस रास्ते से गुजर रहे थे तो ताहिर हुसैन के घर पर जमा हुई जिहादी भीड़ ने इन लड़कों को घर में घसीट लिया। इस आपाधापी में कुछ जान बचाकर भागने भी सफल रहे लेकिन जो फंस गया उन्हें इस भीड़ ने नंगा करके पहले जमकर मारा और अंत में चाकुओं से गोदकर हत्या की और चांदबाग के नाले में मारकर फेंक दिया.अंकित शर्मा के पिता रविंदर शर्मा भी IB में हेड कॉन्स्टेबल हैं। उनका कहना है कि पिटाई के साथ अंकित को गोली भी मारी गई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया है। अंकित के पिता रविंदर शर्मा ने मौके पर मौजूद मीडिया को बताया कि उनका बेटा अंकित 2017 में IB में शामिल हुआ था। अंकित की अभी तक शादी नहीं हुई थी। उनके लिए लड़की की तलाश की जा रही थी।

नई दिल्ली: 

दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) पर आरोप लग रहा है कि हिंसा भड़काने में उनका हाथ है. हिंसा में मारे गए इंटेलिजेंस ब्यूरो के कर्मी अंकित शर्मा के परिजनों ने साफ तौर पर Tahir Hussain पर हत्या करने का आरोप लगाया है. ताहिर पर यह भी आरोप लग रहा है कि 25 फरवरी को उनके चांदबाग स्थित घर से उपद्रवियों ने लोगों पर पथराव किया और पेट्रोल बम फेंके. ताहिर इससे इंकार करते रहे लेकिन अब जो एक वीडियो सामने आया है, उसमें उनके घर की छत पर काफी मात्रा में पत्थर और पेट्रोल बम मिले हैं.

ताहिर हुसैन के घर की छत पर बोरों में भरे पत्थर और कैरेट में रखे पेट्रोल बम मिले हैं. ताहिर फिलहाल अपने घर पर नहीं हैं. ताहिर के घर की छत से पथराव और पेट्रोल बम फेंके जाने के वीडियो इससे पहले भी सामने आए थे लेकिन ताहिर ने उनका खंडन किया था. उनका कहना था कि घटना के समय वह अपने घर पर नहीं थे. बीजेपी नेता उन्हें बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं.

इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप से घिरे आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद मोहम्मद ताहिर हुसैन पर पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह की प्रतिक्रिया आई है। आरोपों से घिरे ताहिर हुसैन पर संजय सिंह ने कहा कि अगर वह दोषी हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। 

बताते चलें कि दिल्ली हिंसा मामले में बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी. इस दौरान जस्टिस एस. मुरलीधर ने ‘हेट स्पीच’ देने वाले नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज न करने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. आज (गुरुवार) भी इस मामले में सुनवाई की जानी है लेकिन आज की सुनवाई जस्टिस एस. मुरलीधर नहीं करेंगे क्योंकि बीती रात ही उनका पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है. कोलेजियम ने एक हफ्ते पहले ही उनके तबादले की सिफारिश की थी, जिसपर बुधवार रात को ही सरकार ने मुहर लगा दी.

गौरतलब है कि 24 और 25 फरवरी को दिल्ली में भड़की हिंसा में अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 200 से ज्यादा लोग घायल हैं. ज्यादातर घायल दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती हैं. अस्पताल प्रशासन ने बताया कि इनमें से 10 की हालत काफी गंभीर है. हिंसा को लेकर अलग-अलग थानों में 18 केस दर्ज किए गए हैं. 106 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है. संवेदनशील इलाकों में फिलहाल हिंसा थम गई है लेकिन तनाव अब भी बरकरार है. दिल्ली हिंसा के पीड़ितों की कहानियां इंसानियत के खात्मे की गवाही दे रही हैं.

सावरकर को लेकर शिवसेना ने कॉंग्रेस के आगे घुटने टेके

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी ने शिवसेना को घेरने का मन बनाया है। बुधवार को बीजेपी राज्यभर में सावरकर की पुण्यतिथि मनाएगी, लेकिन उनकी नजर शिवसेना पर भी होगी।कारण सपष्ट है की भारत में नवोदय sekular धर्म को कट्टरता से मानने वाली कॉंग्रेस को मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण सावरकर का भूत भयभीत करता है । हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस की मासिक पत्रिका शिदोरी में वीर सावरकर को लेकर जो लेख छापे गए थे, बीजेपी ने उन्हें आपत्तिजनक करार देकर उसका विरोध किया था। तब शिवसेना ने चुप्पी साध ली थी।

मुंबई

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी ने शिवसेना को घेरने का मन बनाया है। बुधवार को बीजेपी राज्यभर में सावरकर की पुण्यतिथि मनाएगी, लेकिन उनकी नजर शिवसेना पर भी होगी। बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि आज शिवसेना का सावरकर प्रेम परखा जाएगा।

बीजेपी चाहती है कि शिवसेना दोनों सदन में वीर सावरकर का ‘गौरव प्रस्ताव’ लाए जिसकी संभावना गठबंधन धर्म के कारण है ही नहीं। पाटील कहते हैं कि आज पता चलेगा कि सावरकर के प्रति शिवसेना कितना सम्मान रखती है या फिर उनके मन में सम्मान के नाम पर ढोंग है। पाटील ने कहा कि देखते हैं, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मातोश्री में सावरकर की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हैं या फिर विधानमंडल में अभिनंदन प्रस्ताव लेकर आते हैं?

कांग्रेस और शिवसेना में टकराव की नौबत

महाविकास आघाडी में कांग्रेस और शिवसेना के बीच वीर सावरकर को लेकर भारी मतभेद हैं। शिवसेना हमेशा वीर सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पेश करती रही थी, जबकि हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस की मासिक पत्रिका शिदोरी में वीर सावरकर को लेकर जो लेख छापे गए थे, बीजेपी ने उन्हें आपत्तिजनक करार देकर उसका विरोध किया था। तब शिवसेना चुप रही थी। जाहिर है शिवसेना इस मुद्दे पर कांग्रेस के आगे दंडवत है अर्थात न चाहते हुए भी उसे सावरकर को ले कर कांग्रेस दर्शन स्वीकारणीय है।