कमल से गिला कमल ही खिला

“5 साल के जनादेश को 15 महीनों ही में ही समेट दिया गया मध्य प्रदेश की जनता कभी भी भाजपा को माफ नहीं करेगी,” कमल नाथ।आज कमलनाथ को अपना इस्तीफा पढ़ते देख मायावती की याद हो आई। कमल नाथ भी मायावती ही की भांति अपने भावों को पढ़ कर व्यक्त कर रहे थे, जहां उन्होने भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगते हुए नैतिकता के आधार पर राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने की बात कही वहीं वह ज्योतिरादित्य सिंधिया को भूल गए, वह अपनी सरकार की खामियां तो बिलकुल ही भूल गए।

भोपाल:

फ्लोर टेस्‍ट से पहले कमलनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 11 दिसंबर 2018 को विधानसभा का परिणाम आया था. कांग्रेस को सबसे ज्‍यादा सीटें मिलीं. 17 दिसंबर को मैंने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली. मैंने 15 महीने राज्‍य की सेवा की. मेरा क्‍या कसूर था जो मेरे खिलाफ लगातार षड़यंत्र किया गया? उन्‍होंने कहा कि 22 विधायकों को कर्नाटक में बंधक बनाकर रखा गया है. एक महाराज और उसके शागिर्दों ने साजिश रची. बीजेपी मेरे खिलाफ लगातार साजिश रचती रही. बीजेपी को 15 साल और मुझे 15 महीने मिले. मेरे खिलाफ बीजेपी लगातार साजिश रचती रही. बीजेपी ने मध्‍य प्रदेश की जनता के साथ विश्‍वासघात किया. बीजेपी माफिया के खिलाफ अभियान नहीं चलने दे रही थी. धोखा देने वालों को जनता माफ नहीं करेगी.

इसके साथ ही मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने राज्‍यपाल से दोपहर एक बजे मिलने का वक्‍त मांगा.

इससे पहले गुरुवार की रात को मप्र विधानसभा के स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे भी मंजूर कर लिए. स्पीकर ने 6 मंत्रियों के इस्तीफे पहले ही मंजूर कर लिए थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत करने और भाजपा में शामिल होने के बाद 22 विधायकों ने कमलनाथ सरकार का साथ छोड़ दिया था. इनमें से 19 विधायक बेंगलुरु में ठहरे हैं. स्‍पीकर ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि मेरे पास इस्तीफे स्वीकार करने का अधिकार है. मैंने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कांग्रेस के 16 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया है.

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं कितने इस्तीफे स्वीकार करूं ये पूछने का अधिकार आपको नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं निष्पक्ष हूं, मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आज फ्लोर टेस्ट होगा. उन्होंने कहा 2 बजे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की कार्यवाही शुरू होगी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को मध्य प्रदेश विधानसभा में आज यानी 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज शाम पांच बजे तक मध्य प्रदेश विधानसभा में फ्लोर टेस्‍ट होना है. इस कड़ी में दोपहर दो बजे से विधानसभा का कामकाज शुरू होगा. कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है.

बहुमत का आंकड़ा

आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस के 22 विधायकों ने कांग्रेस से बागी होकर अपने त्यागपत्र दे दिए थे. इसके बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी. मप्र असेंबली में 230 विधायकों की कुल संख्या में 2 विधायकों की आकस्मिक मृत्यु हो चुकी है और इनकी सीटों पर उपचुनाव होने हैं.

इस तरह मध्य प्रदेश विधानसभा में अब 206 विधायक ही बचे हैं. यानी बहुतम का आकंड़ा 104 है. भाजपा के पास 107 विधायक हैं, यानी बहुमत के आंकड़े से 3 ज्यादा. कांग्रेस के पास अपने 92 विधायक हैं. अगर 4 निर्दलीय, सपा के 2 और बसपा का 1 विधायक कमलनाथ सरकार को अपना समर्थन दे भी दें तो संख्या 99 ही पहुंचेगी, यानी बहुमत से 5 कम. ऐसी स्थिति में कमलनाथ की सरकार गिरनी लगभग तय है.

असेंबली की स्थिति

मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या है- 230
इनमें से 2 विधायकों के आकस्मिक निधन से संख्या है- 228
कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद संख्या है- 206
इस तरह विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा बैठता है- 104

मौजूदा आंकड़े

भाजपा – 107 विधायक, बहुमत के आंकड़े से 3 ज्यादा.
कांग्रेस – 92  विधायक, 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद.
सपा, बसपा, निर्दलीय-  07 विधायक (सपा- 2, बसपा-1, निर्दलीय- 4).
यानी अगर कांग्रेस+ भी मानें तो आंकड़ा पहुंचता है 99, बहुमत के आंकड़े से 5 कम.

बीते 2 मार्च को शुरू हुआ था सियासी ड्रामा

मध्य प्रदेश में बीते 2 मार्च से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छाए थे. सबसे पहले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने 2 मार्च को ट्वीट कर भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था. इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा नेताओं शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया पर कमलनाथ सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. लेकिन असली खेल तब शुरू हुआ था, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. 11 मार्च को सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा और उनके नक्शेकदम पर चलते हुए कांग्रेस में इस्तीफे का दौर शुरू हो गया.

आज हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम स्वंय संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को संक्रमित होने से बचाएंगे: प्रधान मंत्री मोदी

उन्होंने लोगों से सतर्कता बरतने की अपील करते हुए जनता कर्फ्यू की मांग की है। उन्होने याद दिलाया कि जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे, जितने आज कोरोना की बीमारी से हैं। निश्चिंत हो जाने की यह सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना, सतत रहना बहुत आवश्यक है। अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है।

पीएम मोदी का पूरा भाषण

प्यारे देशवासियो,

पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है। आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ राज्यों या देशों तक सीमित रहता है। लेकिन इस बार यह संकट ऐसा है, जिसने विश्वभर में पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है। जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे, जितने आज कोरोना की बीमारी से हैं।

पिछले 2 महीने से हम निरंतर दुनियाभर से आ रहे कोरोना वायरस से जुड़ीं चिंताजनक खबरें देख रहे हैं, सुन रहे हैं। इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया। सभी ने सावधानियां बरतने का भरसक प्रयास भी किया है। लेकिन बीते कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है, माहौल बन रहा है कि हम संकट से बचे रहेंगे। निश्चिंत हो जाने की यह सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना, सतत रहना बहुत आवश्यक है।

आपसे मैंने जब भी और जो भी मांगा है, देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की कीमत है कि हम सभी मिलकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। आज हम 130 करोड़ देशवासियों से कुछ मांगने आए हैं। मुझे आपसे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए, आने वाला कुछ समय चाहिए।

अभी तक विज्ञान कोरोना महामारी से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है। ऐसी स्थिति में हर किसी की चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है। दुनिया के जिन देशों में कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है, वहां अध्य्यन में एक और बात सामने आई है। इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक जैसे बीमारी का विस्फोट हुआ है। इन देशों में संक्रमितों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत सरकार इस वैश्विक महामारी के फैलाव के ट्रैक रेकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखी हुई है। हालांकि, कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने जरूरी फैसले भी किए और अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा आइसोलेट करके स्थिति को संभाला है।

भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश, वह देश जो विकास के लिए प्रत्यनशील है, उस पर कोरोना का यह संकट सामान्य बात नहीं है। आज जब बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम इस वैश्विक महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, यह मानना गलत है। इसलिए इसका मुकाबला करने के लिए 2 बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला संकल्प और दूसरा संयम।

आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। केंद्र और राज्य सरकारों के दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालने करेंगे। हमें संकल्प लेना होगा कि हम खुद संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को संक्रमित होने से बचाएंगे। हम स्वस्था तो जगत स्वस्थ। ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस बीमारी से बचने के लिए दूसरी अनिवार्यता है- संयम। संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना, सोशल डिस्टेंसिंग। यह बहुत ही ज्यादा आवश्यक और कारगर है। हमारा संकल्प और संयम इस वैश्विक महामारी के प्रभाव को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

इसलिए अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं, आपको कुछ नहीं होगा तो आप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे और कोरोना से बचे रहेंगे तो यह सोच नहीं है। ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे। इसलिए मेरा सभी देशवासियों से आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें। जितना संभव हो सके, आप अपना काम हो सके तो अपने घर से ही करें। जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं, जनप्रतिनिधि हैं, मीडिया से जुड़े हैं, इनकी सक्रियता तो जरूरी है लेकिन बाकी बचे लोगों को खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। हमारे परिवार में जो भी 60-65 साल से ज्यादा उम्र के लोग हों, वे आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें। मैं इसे दोहरा रहा हूं।

हो सकता है कि वर्तमान पीढ़ी कुछ पुरानी बातों से परिचित नहीं होगी। जब हम छोटे थे और जब युद्ध जैसी स्थिति होती थी तो गांव-गांव ब्लैकआउट कर दिया जाता था। शीशे पर भी कागज लगा दिया जाता था। लाइट बंद रखी जाती थी। रोज रात भर चौकी किया करते थे। युद्ध न हो तो भी साल में एक दो बार तो इसका ड्रिल भी करता था प्रशासन। इसलिए मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं। यह है जनता कर्फ्यू। जनता कर्फ्यू यानी जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू। इस रविवार यानी 2 दिन के बाद 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना है। इस जनता कर्फ्यू के दरम्यान कोई भी नागरिक घरों से बाहर मत निकले, न सड़क पर जाए, न मोहल्ला में जमा हो। हां, जो आवश्यक कार्यों से जुड़े हुए हैं, उन्हें तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। लेकिन एक नागरिक के नाते न हम जाएं और न हम देखने के लिए जाएं। 22 मार्च को हमारा यह प्रयास, हमारा आत्मसंयम देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक मजबूत प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की सफलता, उसका अनुभव हमें आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करेगी। सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वे जनता कर्फ्यू का पालन कराने का नेतृत्व करें।

डील डील- शेम शेम ए नारों के बीच पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राज्य सभा सांसद की शपथ ली

भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के शपथ के दौरान विपक्ष ने ‘डील’ चिल्ला कर नारेबाजी की और सदन से वॉक आउट कर गए। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां जस्टिस गोगोई के मनोनयन को न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर हमला बता रहीं हैं।

नई दिल्ली: 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आज संसद में राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ले ली। विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। हालांकि, इसके बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन से वॉक आउट किया। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पत्नी के साथ राज्यसभा सासंद सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए संसद भवन पहुंचे थे। शपथ लेने से पहले रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के तौर पर नोमिनेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मधु पूर्णिमा किश्वर ने याचिका लगाकर चुनौती दी थी। मधु किश्वर ने बिना किसी कानूनी प्रतिनिधि के इस बिना पर यह याचिका दायर कि है कि संविधान का मूल आधार ‘ज्यूडिशयरी की स्वतंत्रता’ है और इसे लोकतंत्र का स्तंभ माना गया है।

दरअसल, उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने सदन का वॉक आउट भी किया। गौरतलब है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को हाल ही में राष्ट्रपति ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनित किया था । 

दूसरी तरफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई है. समाजसेवी मधु किश्वर ने एक याचिका दाखिल करके गुहार लगाई है. किश्वर की याचिका में रिटायरमेंट के बाद जजों के किसी पद को स्वीकार करने, कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने को लेकर गाइडलाइन तय करने की भी मांग की गई है.

रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के तौर पर नोमिनेशन के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि देश के नागरिकों का विश्वास ज्यूडिशियरी की मजबूती है। ऐसे में कोई भी ऐसा कार्य जिससे ज्यूडिशियरी की स्वतंत्रता पर विपरीत असर पड़ता हो, जैसा कि मौजूदा हाल में है जब पूर्व चीफ जस्टिस को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया है, यह ज्यूडिशियरी की स्वतंत्रता पर आघात है। 

इससे पूर्व मंगलवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा में नामित करने के फैसले पर उनके पूर्व सहयोगी जस्टिस ने ही सवाल उठाए थे. इन सवालों के पीछे उनके अयोध्या और राफेल मामलों पर सुनाए गए फैसले हैं. आपको बता दें कि रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं जिन्होंने उस समय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनके पर पक्षपात के आरोप लगाए थे. इसके बाद रंजन गोगोई एक तरह से नायक बनकर सामने आए क्योंकि माना जा रहा था कि इसके बाद वह देश का प्रधान न्यायाधीश बनने का मौका खो सकते हैं. इन चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक तरह से मोदी सरकार को भी लपेट रही थी और यह पीएम मोदी के आलोचकों के लिए एक तरह से हथियार साबित हुई।

जस्ट‍िस गोगोई के राज्यसभा में नामित होने के लेकर उनके पूर्व सहयोगियों ने भी सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है. जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर नेक सिद्धांतों से समझौता किया है. 

जन गोगोई को नामित किए जाने के बाद कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, कपिल सिब्बल और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए तो पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने उम्मीद जताई थी कि गोगोई इस प्रस्ताव को ठुकरा देंगे। हालांकि, रंजन गोगोई मीडिया से बातचीत में पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति के प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

पूर्व जज जस्टिस रंजन गोगोई के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले जस्टिस कुरियन जोसेफ़ ने उनको राज्यसभा भेजे जाने पर एतराज़ किया है. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के भरोसे को हिला दिया है. जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता से समझौता किया है. हमने जस्टिस गोगोई के साथ बताया था कि न्यायपालिका ख़तरे में है इसलिए मैंने रिटायरमेंट के बाद कोई पद न लेने का फ़ैसला किया.

प्रधान मंत्री मोदी आज रात 8:00 बजे देंगे राष्ट्र के नाम संदेश

बुधवार को पीएम मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए उच्‍चस्‍तरीय मीटिंग भी की. इस दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के प्रयासों की समीक्षा की गई. भारत में कोरोना वायरस के अब तक 151 केस सामने आ चुके हैं.

नई दिल्‍ली.

देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्‍या बुधवार रात तक 151 से अधिक पहुंच चुकी है. इस संक्रमण से अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी कल यानी 19 मार्च को देश को रात 8 बजे संबोधित करने जा रहे हैं. इस दौरान वह देशवासियों से कोविड 19 से जुड़े मामलों और उससे निपटने के संबंध में बात करेंगे.

बुधवार को पीएम मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए उच्‍चस्‍तरीय मीटिंग भी की. इस दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के प्रयासों की समीक्षा की गई.

बैठक में कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए भारत की तैयारियों पर चर्चा हुई. साथ ही संदिग्‍धों की टेस्‍टिंग की सुविधाएं बढ़ाने पर भी वार्ता हुई. पीएम मोदी ने इस दौरान उन सभी लोगों का आभार जताया जो इस संक्रमण के दौरान लोगों के लिए काम कर रहे हैं.

इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्विटर पर एम्‍स के एक डॉक्‍टर का मैसेज भी ट्वीट किया. इसमें उन्‍होंने डॉक्‍टरों समेत उन सभी लोगों की तारीफ भी की, जो इस समय लोगों की जान बचाने के लिए काम कर रहे हैं. पीएम मोदी ने ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की भी तारीफ की.  उन्‍होंने सीएम का ट्वीट भी रिट्वीट किया.

पीएम मोदी ने ट्विटर पर फोटो को शेयर कर लिखा है, ‘डॉक्‍टर आपने बहुत अच्‍छा कहा है. इसके अलावा हमारे ग्रह को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए काम करने वाले सभी लोग भी तारीफ के पात्र हैं. कोई भी शब्द उनके असाधारण प्रयासों के साथ कभी न्याय नहीं कर सकते.’

वहीं पीएम मोदी ने नवीन पटनायक का ट्वीट रिट्वीट करते हुए उनकी तारीफ की है. दरअसल पटनायक ने ट्वीट किया था कि उन्‍होंने विदेश से भारत आईं उनकी बहन की जानकारी सरकारी वेब पोर्टल में डाली है.

उन्‍होंने लोगों से अपील भी की कि सभी लोग अपने परिवारीजनों और दोस्‍तों की जानकारी भी सरकार को दें. इससे कोरोना से बचाव में आसान होगी.

गुजरात विष्वविद्यालय में NSUI की रेकॉर्ड तोड़ जीत और प्रोफेसरों को जान से मारने की धमकी और रिकार्ड तोड़ गालियां

गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव जितने के बाद यूँ लग रहा है मानो NSUI (कॉन्ग्रेस का छात्र संगठन) के लोग इस जीत को हज़म नहीं कर पा रहे हैं। बता दें कि हाल ही में गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट में एनएसयूआई की बड़ी जीत हुई थी और मीडिया ने भी इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था। ये एक ऐसी ख़बर है जिसे स्थानीय मीडिया से लेकर राष्ट्रीय मीडिया में खूब तवज्जो मिली। चुनाव जीतने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कॉन्ग्रेस की वाहवाही भी हुई लेकिन इस खबर का दूसरा हिस्सा हम तक नहीं पहुँचा या पहुँचाया नहीं गया। इसे जानने के बाद आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि आने वाला समय गुजरात यूनिवर्सिटी के छात्रों, प्रोफ़ेसरों के लिए कितना भयानक है!

कॉल के दौरान NSUI के गुंडे लगातार कह रहे थे कि “रिकॉर्ड कर और जिसको बताना है, बता देना।” उनके ऐसा कहने से समझा जा सकता है कि इन गुंडों की हौसलाबजाई के पीछे एक पूरा सिस्टम काम कर रहा है। और इसी सिस्टम के बूते ये लोग यूनिवर्सिटी कैंपस में वीभत्स भाषा, गाली-गलौच एवं जान से मारने की धमकियाँ दे रहे हैं, खुल्लम-खुल्ला बगैर किसी डर के!

जीत के नशे में मदहोश NSUI के नेता डॉ. इन्द्रविजय सिंह गोहिल, अहर्निश मिश्रा, सिद्धराज सिंह चौहान ने यूनिवर्सिटी के दो प्रोफ़ेसरों डॉ. अतुल ऊनागर एवं डॉ. मुकेश खटीक को कॉल-मेसेज कर करियर ख़त्म करने, चाकू गोदने, हाथ-पैर-जबड़ा तोड़ देने की धमकियों के साथ असंख्य बार माँ-बहन की गालियाँ सुनाई। साथ ही पी.एच.डी की छात्रा के लिए बारंबार र$# जैसे आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने से भी गुरेज़ नहीं किया। डॉ. अतुल ने अपनी समझ से अहर्निश मिश्रा एवं सिद्धराज सिंह चौहान के कॉल को रिकॉर्ड कर लिया जिसके बाद यह मसला सबके सामने आया है। पूरी रिकॉर्डिंग के दौरान बारंबार ये गुंडे प्रोफ़ेसर लगातार माँ-बहन की गालियाँ देते हुए सुनाई देते हैं।

कॉल के दौरान NSUI के दोनों नेता जब लगातार माँ-बहन की गालियाँ बरसा रहे थे तब डॉ.अतुल कह रहे थे कि “आपको शुभकामनाएँ, खूब काम करो, खूब विकास करो, माँ-सरस्वती आपके मुख पे बिराजमान हो, माँ-सरस्वती आपको खूब-खूब ज्ञान दें!” इस दौरान NSUI नेता अहर्निश मिश्रा बार-बार प्रोफ़ेसर पर यह बोलने का भी दबाव बना रहा था कि “बोल, मैं अतुल, मेरी माँ का भो#$@।” चूँकि डॉ. अतुल गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत के प्रोफेसर हैं, इसलिए कॉल के दौरान संस्कृत भाषा का मज़ाक उड़ाते हुए बैकग्राउंड में एक पूरा समूह चटख़ारे ले रहा था- ये साफ़ सुना जा सकता है।

गुजरात में लोकल टीवी चैनलों में इस विडियो का खूब प्रसार हुआ

पोलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉ. मुकेश खटीक को भी NSUI नेता डॉ. इन्द्रविजय सिंह गोहिल ने व्हाट्सप्प पर माँ-बहन की गालियाँ देकर चाकू गोदकर मारने की धमकियाँ दी। इस वाकये के बाद दोनों प्रोफेसरों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। NSUI की गुंडागर्दी के इस पूरे वाकये के बाद डॉ. अतुल ने कहा:

“अत्यधिक भय का माहौल है। उनके द्वारा मुझे कई तरीकों से शारीरिक एवं मानसिक नुकसान पहुँचाए जाने की आशंका है। मैं बहुतों की आवाज़ हूँ। ईश्वर से मुझे सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है लेकिन यदि इस प्रेरणा का परिणाम नहीं मिलता है तो गुंडे-माफ़ियाओं को और ताक़त मिलेगी। मुझे व्यक्तिगत नुकसान होगा तो आगे असत्य के विरोध में आवाज़ उठाने की हिम्मत करने से लोग डरेंगे।”

गुजरात यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव में NSUI की जीत के तुरंत बाद जिस प्रकार से ‘डर का माहौल’ बनाया गया है, इस पर ‘गुजरात यूनिवर्सिटी शैक्षिक संघ’ ने कुलपति को आवेदन देकर कैंपस को भयमुक्त करने की बात कही है। अब देखना ये है कि इस मामले में यूनिवर्सिटी और पुलिस-प्रशासन क्या कार्रवाई करता है क्योंकि यहाँ प्रोफेसरों की जान का सवाल है।

सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर शाह को श्राप देती महिला काँग्रेस

पूर्व CEC कुरेशी हों या कॉंग्रेसी नेता सभी की एक ही ख़्वाहिश मोदी – शाह किस महामारी का शिकार हो जाएँ ताज़ा मामला राजस्थान की महिला कॉंग्रेस की रीना मिमरोट जिनहोने टिवीटर पर अपनी इस इच्छा को जाहिर किया। उन्होने समय लगा कर अपने ट्वीट को खूब सजा संवार कर अपनी नफरत का एजहार किया है।

एक महिला कांग्रेस नेता के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने विवादों को फिर से जन्म दिया है क्योंकि पोस्ट में कांग्रेस नेता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कोरोनावायरस से संक्रमित होने की कामना की है।

रीना मिमरोट, राजस्थान राज्य महिला कांग्रेस सचिव ने शनिवार को कहा कि गृह मंत्री अमित शाह घातक महामारी कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। केंद्रीय गृह मंत्री के प्रति अपनी घृणा दिखाने के लिए उसने अपने टिवीटर हैंडल का प्रयोग किया है।

कांग्रेस के नेता ने समाचार साझा करके अपनी हताशा को व्यक्त किया कि ऑस्ट्रेलियाई गृह मंत्री को कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया था और उन्होंने कहा कि भारतीय गृह मंत्री अभी भी कोरोनावायरस से संक्रमित होने में पिछड़ रहे थे। कांग्रेस नेता ने अप्रत्यक्ष रूप से आशा व्यक्त की कि गृह मंत्री जल्द ही अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के समान कोरोनावायरस से प्रभावित होंगे।

यह पहली बार नहीं है जब रीना मिमरोट फर्जी समाचार और अभद्र भाषा का प्रसार करते हुए पकड़ी गई। इससे पहले जनवरी में, उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प की अश्लील तस्वीर को एक महिला को साझा करने के लिए ट्विटर पर लिया था और दावा किया था कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति हैं।

P॰G॰I॰ के प्रोफ॰ डॉ॰ यशपाल शर्मा अनुसार कोरोना वाइरस किन पर असर करेगा और बचाव के उपाय

राजविरेन्द्र वशिष्ठ

ब्रिटेन में कोरोना वायरस को लेकर हुई एक स्टडी में आशंका जताई गई है कि इस बीमारी से अमेरिका में 22 लाख और यूके (ब्रिटेन) में करीब 5 लाख मौतें होंगी. कोरोना वायरस का संक्रमण यहां तेजी से पैर पसार रहा है. इसी को लेकर ब्रिटेन में एक स्टडी की गई है. स्टडी में कहा गया है कि सरकार जितना अंदाजा लगा रही है, उससे कहीं ज्यादा मौतें होंगी. स्टडी कोरोना वायरस से होने वाले सबसे खराब हालात की ओर इशारा कर रही हैं. अब तक दुनियाभर में 7900 मौतें हो चुकीं हैं जबकि तकरीबन 3900 मौतें पिछले 7 दिनों में ही हुई हैं, और अकेले इटली ही में 1 दिन में 350 मौतों की बात कहि जा रही है।

चंडीगढ़: 

देशभर में कोरोना वायरस की वजह से हड़कंप मचा हुआ है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि वायरस से सबसे ज्यादा खतरा किन लोगों को हैं और इससे बचा कैसे जा सकता है. इस बारे में पीजीआई कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड एंड प्रोफेसर डॉक्टर यशपाल शर्मा का कहना है कि हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (हृदय संबंधी रोग), क्रॉनिक रेस्पिरेट्री डिजीज (सांस संबंधी रोग) और कैंसर से पीड़ित मरीजों को कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा खतरा है.

ऐसे मरीज अगर किसी कोरोना वायरस पीड़ित मरीज के संपर्क में आते हैं तो उनमें संक्रमण होना तय है. उन्होंने बताया कि वायरस से पीड़ित इस तरह के मरीजों की मृत्युदर भी सबसे ज्यादा है. डॉ यशपाल ने बताया कि बच्चों और बुर्जुगों के अलावा इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को सावधानी बरतने की सबसे ज्यादा जरूरत है. 

बता दें कर्नाटक के रहने वाले 76 वर्षीय जिस व्यक्ति की कोरोना वायरस के कारण मृत्यु हुई, उसे भी हाईपरटेंशन और अस्थमा था. डॉ यशपाल ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत करते हुए कहा कि शाकाहारी, मांसाहारी खाने को लेकर सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उस पर यकीन करने की जरूरत नहीं है. 

उन्होंने कहा कि ध्यान रहे कि हाईप्रोटीन फूड ही खाएं, जंक फूड और स्ट्रीट फूड खाने से परहेज करें. खाना हाईजीन होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि पीजीआई में आने वाले मरीजों और उनके साथ आने वालों के लिए पीजीआई के लॉन खोले जाएंगे जिससे मरीज एक-दूसरे से दूरी बनाकर बैठें.

उन्होंने कहा कि पीजीआई फैकल्टी की मीटिंग भी हुई है कि सिर्फ इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को पीजीआई आने की सलाह दी जाए. जो रेगुलर चैकअप के लिए आते हैं, वो कुछ दिनों तक पीजीआई न आएं. 

डॉ यशपाल ने बताया कि पीजीआई के हर विभाग में टेम्परेचर चैक करने के लिए भी थर्मल स्क्रीनिंग को लेकर चर्चा की गई है. 

हाईपरटेंशन, डायबिटीज और कार्डियो के मरीजों के लिए डॉ यशपाल ने दिए टिप्स

1- अपनी दवाएं लेना जारी रखें और अपने चिकित्सक द्वारा सुझाए गए आहार का सेवन करें.
2- सर्दी और फ्लू, या अन्य श्वसन लक्षणों वाले लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें.
3- जब आप खांसते या छींकते हैं तो अपने मुंह और नाक को टिशू या अपनी मुड़ी हुई कोहनी से ढक लें.
4- अपने हाथों को अक्सर साबुन और पानी से धोएं.
5- फ्लू जैसे लक्षण दिखने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ निकट संपर्क से बचें.

UIET student receives cash prize for excellent GATE result

Chandigarh March 16, 2020

Rahul Ahlawat, a fourth year B.E. student of UIET-PU, has secured All India Rank-25 in Mechanical Engineering stream of the Graduate Aptitude Test in Engineering (GATE) examinations, the results of which were declared by IIT Delhi on Friday. Rahul scored 81.93 marks out of 100.

Rahul was awarded a cash prize of Rs. 3000/- for achieving best GATE score in Mechanical Department of UIET. The award was given by the Director Prof. Savita Gupta in the presence of Mechanical Coordinator Prof. Manu Sharma and GATE Committee Incharge Dr. Shankar Sehgal.

Rahul, 20, who secured such a good rank in the first attempt, said that it was truly a proud moment for his family and university. Discussing his future strategy, he said “I want to prepare for the UPSC exam in future, however, my immediate next goal is to join in a Public Sector Unit (PSU) for serving the nation.”

राज्य सभा चुनाव के ऐन पहले गुजरात के 4 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे मंजूर

अहमदाबाद: 

राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के चार विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी चारों का इस्तीफा स्वीकार भी कर चुके हैं.

कांग्रेस के जिन चार विधायकों ने इस्तीफा दिया है उनमें – मंगल गावित, जेवी काकड़िया, सोमाभाई पटेल, प्रद्युमन जाडेजा  शामिल हैं. 

बता दें बीजेपी द्वारा गुजरात राज्यसभा चुनाव के लिए तीसरा उम्मीदवार मैदान में उतारे जाने के साथ कांग्रेस की धड़कनें बढ़ गई हैं. कांग्रेस को डर है कि कहीं उसके विधायक भाजपा के पाले में न चले जाएं, इसलिए उसने शनिवार को अपने कई विधायकों को राजस्थान भेज दिया है. 

मीडिया से बात करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस विधायकों पर काफी दबाव है और भाजपा धन और बाहुबल से राज्यसभा चुनाव को प्रभावित करना चाहती है.

182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में भाजपा के पास 103, जबकि कांग्रेस के पास 73 विधायक हैं. राज्यसभा के उम्मीदवार को जीतने के लिए 37 वोटों की जरूरत होगी. दोनों पार्टियों के पास दो सीटें जीतने के लिए पर्याप्त ताकत है. कांग्रेस को उम्मीद है कि निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी उनके उम्मीदवार के लिए ही वोट करेंगे. राज्यसभा की चार सीटों में से फिलहाल भाजपा के पास तीन और कांग्रेस के पास 1 सीट है.

सोनिया राहुल के रहते कोई भी युवा नेता सक्षम नहीं हो सकता

राजविरेन्द्र वशिष्ठ

सोनिया गांधी के खिलाफ कॉंग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले राजेश्वर प्रसाद सिंह विदूड़ी उर्फ राजेश पायलट के बेटे होने की सज़ा भुगत रहे हैं सचिन पायलट। यह आधा अधूरा सच है, असल में काबिल युवा नेता होने के कारण सचिन की अनदेखी कारवाई जा रही है। कल को सिंधिया, देवड़ा, सचिन आदि युवा नेता राहुल गांध से सक्षम साबित हों और क्षेत्रीय क्षत्रप जो वह अभी हैं की भूमिका से आगे बढ़ कर पार्टी में अपनी महती भूमिका तलाश लें और राहुल की अकर्मण्यता एवं प्रियंका गांधी वाड्रा की छवि को भेद दें तो क्या हो। कांग्रेस हाई कमान को यह चिंता सताती है। इसीलिए रहल गांधी के समक्ष कोई भी युवा नेता काबिल नहीं दिखना चाहिए, शायद यही बात राहुल भी समझने लगे हैं।

इक शेर याद आ रहा है,

कांग्रेस की ग्रह-दशा अभी तो ऐसी चल रही है कि कोई मामूली ज्योतिषी भी सटीक भविष्यवाणी कर सकता है. कांग्रेस के राज्य सभा उम्मीदवारों की जो सूची सोनिया गांधी ने फाइनल की है वो भी कांग्रेस के भीतर संभावित घटनाओं की तरफ साफ इशारा करती है.

बाकी राज्यों में कांग्रेस नेताओं के अंसतोष को तो टाला भी जा सकता है, लेकिन राजस्थान का मामला काफी नाजुक लगता है. मालूम नहीं राहुल गांधी और सोनिया गांधी हालात की गंभीरता को किस तरह से ले रहे हैं. राजस्थान से राज्य सभा उम्मीदवार तय करने में जिस तरह से सचिन पायलट की आपत्तियों को खारिज कर अशोक गहलोत की बात मान ली गयी है – ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर चले जाने के बाद ये फैसला हैरान करने वाला लगता है. सिंधिया की बगावत के बाद मध्य प्रदेश में कमलनाथ भले ही सरकार कुछ दिन बचा लें लेकिन वे गिनती के ही दिन होंगे.

राहुल गांधी सिंधिया को जानते ज़रूर थे, लेकिन शायद समझते नहीं थे

सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन करने पर राहुल गांधी ने मीडिया में आकर कहा कि वो उन्हें अच्छी तरह जानते हैं. सही बात है जानते जरूर थे, लेकिन शायद समझने की कोशिश नहीं किये. कुछ तो मजबूरियां रही होंगी. सवाल ये है कि क्या वैसी ही मजबूरियां सचिन पायलट की मुश्किलों को समझने में आड़े आ रही हैं?

सचिन पायलट को कितना जानते हैं राहुल गांधी

2017 के गुजरात चुनाव में राहुल गांधी को नये अवतार में देखा गया था और उन दिनों भी उनके दो साथी करीब ही नजर आते थे – ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट. गुजरात चुनाव खत्म होने के बाद और नतीजे आने से पहले राहुल गांधी ने अध्यक्ष की कुर्सी संभाली थी. तब से सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी मुश्किलें ऐसे नजर आयीं जैसे जुड़वां भाइयों की समस्याएं होती हैं. दोनों ही के सामने दो सीनियर और गांधी परिवार के करीबी नेता चुनौती बन गये. दोनों ने विधानसभा चुनाव में बराबर मेहनत की, लेकिन सत्ता हासिल होने पर मलाई खाने दूसरे नेता आ डटे. सचिन पायलट तो डिप्टी सीएम बना दिये गये, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की कौन कहे, उनके किसी समर्थक विधायक को भी ये ओहदा देने के लिए पार्टी नेतृत्व राजी नहीं हुआ – और सिंधिया झोला उठाकर दूसरे फकीरों की टोली में पहुंच गये.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर जिस तरीके से सचिन पायलट ने रिएक्ट किया है, उस एक ही ट्वीट में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए बड़ा संदेश है. अगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी जान बूझ कर ऐसी चीजों को नजरअंदाज करते हैं तो ये मान लेना बिलकुल गलत नहीं होगा कि बिगड़ी बातों को बनाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है

सोनिया गांधी और राहुल गांधी मां-बेटे जरूर हैं, लेकिन दोनों के कुर्सी पर होते कांग्रेस के भीतर की तमाम चीजें एक दूसरे के उलट ही देखने को मिली हैं. राहुल गांधी ने कुर्सी संभालते ही जिस तरह पुराने नेताओं को ठिकाने लगा दिया था, सोनिया गांधी ने भी वही व्यवहार किया है. नतीजा ये हुआ है कि राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस में दबदबा रखने वाले नेता उनके कुर्सी छोड़ते ही असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहले हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अशोक तंवर के मामले में जो हुआ सबके सामने ही है. अशोक तंवर तो सोनिया के भी करीबी हुआ करते थे, लेकिन एक झटके में सब खत्म हो गया.

हरियाणा के साथ ही महाराष्ट्र चुनाव भी हुए थे और तब ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराष्ट्र के चुनाव प्रभारी बनाये गये थे. जरा याद कीजिये संजय निरूपम ने प्रेस कांफ्रेंस करके क्या कहा था. संजय निरूपम के निशाने पर भी कांग्रेस के बुजुर्गों की टीम ही रही. मिलिंद देवड़ा भी तो जब तक ऐसे मुद्दे उठाते रहे हैं. आम चुनाव के दौरान जितिन प्रसाद ने भी तो बागी रुख अख्तियार कर ही लिया था. नवजोत सिंह सिद्धू भी तो कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के ही शिकार लगते हैं. कुछ नेताओं की अपनी अलग मजबूरी हो सकती है, लेकिन सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा के मामले में तो कम से कम ऐसा नहीं लगता.

क्या ऐसा नहीं लगता कि सोनिया गांधी ने राहुल गांधी की टीम के ज्यादातर नेताओं को सिंधिया बनने के लिए छोड़ दिया है – और सचिन पायलट भी मुहाने पर ही खड़े हैं. अब ये राहुल गांधी को ही देखना होगा कि वो सचिन पायलट को कितना जानते हैं और कितना समझना चाहते हैं.

ये तो बहुत नाइंसाफी है

अगर राहुल गांधी ये कहते हैं कि राज्य सभा चुनाव में उनका कोई रोल नहीं रहा तो क्या उनके करीबी नेताओं को सिर्फ नाम पर ही टिकट दे दिया गया, जबकि एक एक टिकट के लिए तगड़ी रेस लगी रही. आखिर कैसे राजस्थान से केसी वेणुगोपाल टिकट पा गये और तारिक अनवर से लेकर राजीव अरोड़ा और भंवर जितेंद्र सिंह से लेकर गौरव वल्लभ तक बस मुंह देखते रह गये. आखिर कैसे राजीव साटव महाराष्ट्र से बाजी मारने में कामयाब रहे और मुकुल वासनिक और रजनी पाटिल मन मसोस कर रह गये. आखिर ये दोनों नेता टिकट पाने में सफल तो राहुल गांधी के कारण ही रहे. ऐसा कैसे हो सकता है कि एक बार भी राहुल गांधी से उनकी राय न पूछी गयी हो – राहुल गांधी भले ही कहते फिरें कि वो वायनाड के सांसद भर हैं, लेकिन जिस तरीके से दिल्ली चुनाव और दंगे प्रभावित इलाकों में भाषण देते रहे, वायनाड क्या केरल का कोई नेता या कांग्रेस का ही दूसरा कोई नेता बोल सकता है क्या?

क्या बदले हुए नाजुक हालात में भी राहुल गांधी को एक बार नहीं लगा कि सचिन पायलट की बातों को बार बार नजरअंदाज नाइंसाफी नहीं तो क्या है?

सचिन पायलट हमेशा से मुखर रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुद्दे पर तो बोला ही है, जब सोनिया गांधी ने कोटा अस्पताल भेज कर ग्राउंट रिपोर्ट मांगी थी वो पहुंचे और मौके पर भी बरस पड़े. अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सारी गलतियों का जिम्मेदार बता डाला था.

राजस्थान से कांग्रेस के दो उम्मीदवार तय किये गये हैं – केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी. पता चला है कि सचिन पायलट को जैसे ही राज्य सभा के लिए उम्मीदवारों की फाइल सूची का पता चला, वो सक्रिय हो गये और विरोध करने लगे. सचिन पायलट को केसी वेणुगोपाल को लेकर आपत्ति का तो मतलब भी नहीं था, लेकिन नीरज डांगी को लेकर कड़ा ऐतराज जताया. इतना ही नहीं, सचिन पायलट ने अपनी तरफ से एक नाम का भी सुझाव दिया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया.

सचिन पायलट ने नीरज डांगी की जगह कुलदीप इंदौरा का नाम सुझाया था. दिलचस्प बात ये रही कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के सुझाये नामों में बहुत सारी समानता देखने को मिलती है.

  1. नीरज डांगी तीन बार और कुलदीप इंदौरा दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों में कोई भी जीत नहीं पाया.
  2. नीरज डांगी और कुलदीप इंदौरा दोनों ही राजस्थान प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं.
  3. नीरज डांगी के पिता दिनेशराय डांगी और कुलदीप इंदौरा के पिता हीरालाल इंदौरा भी राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
  4. नीरज डांगी और कुलदीप इंदौरा दोनों ही अनुसूचित जाति से आते हैं.

दोनों के करियर ग्राफ पर गौर करें तो और भी कई समानताएं नजर आती हैं, बड़ा फर्क सिर्फ ये है कि सचिन पायलट ने जिसका नाम सुझाया था वो दो बार विधानसभा चुनाव हार चुका है और अशोक गहलोत ने जिसका सपोर्ट किया वो तीन बार.

देखा जाये तो भी सचिन पायलट का कैंडीडेट, अशोक गहलोत के उम्मीदवार से थोड़ा बेहतर रहा – लेकिन सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत के उम्मीदवार पर ही मुहर लगायी है. ये कोई बहुत बड़ी बात भी नहीं है, लेकिन जब मालूम है कि पार्टी की स्थिति डांवाडोल है और छोटी छोटी चीजों से बात बिगड़ सकती है तो ये महंगा भी पड़ सकता है.

जैसा कि राहुल गांधी बता रहे थे कि वो ज्योतिरादित्य सिंधिया को अच्छी तरह जानते हैं, बिलकुल वैसे ही न सही लेकिन जानते तो सचिन पायलट को भी होंगे ही. सचिन पायलट की विचारधारा को भी जानते ही होंगे. सचिन पायलट के सामने भी वैसे ही राजनीतिक हालात हैं जैसे सिंधिया के पास रहे. जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनावों में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में डटे रहे, सचिन पायलट भी वैसे ही वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चे पर बने रहे और मुकाबले करते रहे. बीजेपी के हिसाब से सोचें तो मध्य प्रदेश की ही तरह राजस्थान की हर गतिविधि पर वैसी ही पैनी नजर है. बस एक मौके की तलाश है.