Sanction of Project by MeitY to Team from UIET, PU

Chandigarh April 2, 2020

Ministry of Electronics & Information Technology (MeitY), Government of India has sanctioned research project entitled ‘Multi-Modal Framework for Monitoring Active Fire Locations (AFL) and Precision in Allied Agricultural Activities using Communication Technologies’ with financial outlay of Rs. 81.25 Lacs for two years (2020-2022). The team is led by Professor Harish Kumar, UIET, Panjab University and includes Professor Sakshi Kaushal, Professor Sarbjit Singh, Dr. Akashdeep, Dr. Veenu Mangat, Dr. Mukesh Kumar, and Dr. Preeti.  In execution of the project team is looking forward to rope in Government of Punjab as well as Government of Haryana as the user agency as Stubble burning is one of the major problems being faced by citizens of northern India. It is a precursor to various respiratory disorders like Asthma, skin and eye related diseases, low breathing air quality. Despite Government of India’s initiatives in increasing awareness about this evil, there has been a tremendous increase in the number of such incidents every year. It is pre-dominant in the
Northern states namely Punjab, Haryana. Each year, approximately 10000+ biomass burning related fires per week are reported during the harvesting season. Although various governments are making sustainable
efforts to curb this menace but lack of single system that can integrate detection, alerting, report filing, monitoring and best practices, is still far from reality.

Project aims to utilize innovations in the field of communication technologies like IoT, machine learning and digital world, to propose a single system that is capable of performing various tasks involved in detection, surveillance and monitoring of Active Fire Locations. Data captured from satellite will be exploited to identify Active Fire locations. In order to improve the preciseness of identified locations, machine learning techniques will be employed for generating a mapping between locations extracted using satellite data and actual on-field locations captured by field visits (Ground Truths). The integration of data captured by various sensors and the learnt mapping will greatly aid in reaching out to actual real time location of AFL.  It will also act as Command and Control center to bridge the gap between farmers and various agencies involved in best practices for
crop residue management by providing a common interactive platform.

2361 लोगों को निजामुद्दीन मरकज से निकाला गया है और 617 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है

कोरोना कि जंग में जिस तरह निजामूद्दीन कि भूमिका संदेहस्पद नहीं अपितु दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्र के स्वास्थ्य को लेकर हो रहे प्रयासों पर कुठाराघात है। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है दिल्ली सरकार का निज़ामुद्दीन मरकज़ पर अपनी सफाई देना और यह बताना कि सब कुछ ठीक है। जबकि सच्चाई कुछ और ही है। जिस प्रकार से निज़ामुद्दीन इलाके में लोगों की धरपकड़ हो रही है उससे तो किसी भयानक साजिश की बू आ रही है। इसकी राष्ट्रिय अजेंसियों से सघन जांच होनी चाहिए। पहले शाहीन बाग और अब निजामद्दीन के साथ आम आदमी पार्टी के नेताओं का खड़े होना किस ओर इशारा करता है, सामने आना ही चाहिए।

नई दिल्ली: 

निजामुद्दीन मरकज में देश के तमाम राज्यों से लोग आए थे. आज सुबह चार बजे तक चले तलाशी अभियान ​​के बाद यहां से 2361 लोगों को निकाला गया है. यहां कई विदेशी और भारतीय नागरिक मिले, जो छुपकर रह रहे थे. 

वहीं दिल्ली के वजीराबाद जामा मस्जिद में निजामुद्दीन मरकज के 15 लोग छुपकर रह रहे थे, जिसमें 12 इंडोनेशियाई है और 3 भारतीय हैं. 21 मार्च को ये 15 लोग मरकज से वजीराबाद आ गए थे. फिलहाल सभी को ​मस्जिद में ही क्वारंटीन कर दिया गया है.

दिल्ली के मानसरोवर पार्क में भी 9 लोग मिले हैं, जो मरकज से यहां छुपकर रह रहे थे. 9 में से 7 म्यांमार के हैं और 2 असम के हैं. पुलिस अभी मौके पर ही मौजूद है और लोगों की तलाश कर रही है. 

बता दें कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निजामुद्दीन मरकज मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि सुबह 4 बजे तक कार्रवाई हुई है. 2361 लोगों को निजामुद्दीन मरकज से निकाला गया है और 617 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है. जिन लोगों को खांसी या सर्दी की शिकायत थी उन्हें तत्काल अस्पताल भेजा गया है. बाकी लोगों को क्वारंटीन किया गया है. 

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं इस मरकज में शामिल सभी लोगों से कहना चाहूंगा कि आप सब सामने आएं. अगर छुपाकर रखेंगे तो आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सड़कों पर भीड़ जमा होना, राष्ट्रीय आपदा कानून के तहत अपराध माना जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

निजामूद्दीन मरकज़ के लिए दिल्ली निज़ाम सोता रहा

दिल्ली में और खासतौर पर मस्जिदों में छुप छुप कर रहना अपने संक्रामण के बारे में सरकार से छुपाना और पड़े जाने पर यह कहाँ की जब फ़ारिशते नहीं बचा सकते तो डॉक्टर नर्सें क्या बचा लेंगे यह उस जमात के बोल हैं जो अनपढ़ जाहिल मुसलमानों को इल्म का रास्ता दिखा कर आगे बढ़ान चाहते हैं। दिल्ली में केजरीवाल की नाक के थी नीचे उनकी गोद में खेल रहे यह लोग न केवल कोरोना के खिलाफ भारत की जंग में एक बड़ा खुला दरवाजा हैं बल्कि मानवता के भी भयंकर अपराधी हैं। बस मोदी विरोध के चलते केजरीवाल हर वह कदम उठाते हैं जिससे चाहे पूरी मानवता का ही नुकसान हो जाए , दिल्ली- भारत की तो बात ही छोड़िए। केजरीवाल के संरक्षण में इन मौलवियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि इन्हे किसी भी ढाल कि ज़रूरत नहीं है फिर भी भारत के कुछ तथाकथित स्वयंभू पत्रकार इनके बचाव में कूद पड़े हैं।

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का 6 मंजिला इमारत भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे बड़ा सोर्स बन कर उभरा है। वहाँ से निकाले गए लोगों में से अब तक 117 में संकमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। सामने आए तथ्यों से स्पष्ट है कि तबलीगी जमात द्वारा सारे नियम-कायदों और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ा कर मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम आयोजित किए गए। बजाए इस घटना की निंदा करने के गिरोह विशेष के कई बड़े पत्रकार इसका बचाव करने में लग गए हैं। इनमें एक नाम राणा अयूब का भी है।

राणा अयूब ने तबलीगी जमात को क्लीन-चिट देने की कोशिश करते हुए एक खबर की लिंक साझा की है। साथ ही दावा किया है कि जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, तभी मरकज में सारे कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद अयूब ने वहाँ इतनी संख्या में लोगों के छिपे होने के पीछे रेलवे का दोष गिना दिया है, क्योंकि देश भर में रेल सेवा बंद हो गई। उन्होंने लिखा है कि ‘अचानक से’ रेल सेवा बंद किए जाने के कारण कई यात्री मरकज में ही फँस गए। यहाँ सवाल ये उठता है कि अगर वो लोग सरकार के साथ सहयोग कर रहे थे (जैसा कि दावा किया गया है), तो फिर उन्हें लेने भेजी गई एम्बुलेंस को क्यों वापस लौटा दिया गया?

अब हम आपको बताते हैं कि मरकज में कैसे जनता कर्फ्यू और उसके बाद हुए लॉकडाउन के दौरान भी धड़ल्ले से कार्यक्रम चल रहे थे और मौलाना-मौलवी कोरोना वायरस की बात करते हुए न सिर्फ़ तमाम मेडिकल सलाहों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, बल्कि अंधविश्वास भी फैला रहे थे। 24 मार्च को यूट्यूब पर ‘असबाब का इस्तेमाल ईमान के ख़िलाफ़ नहीं- हजरत अली मौलाना साद’ नाम से ‘दिल्ली मरकज’ यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। इसमें मौलाना ने लोगों को एक-दूसरे के साथ एक थाली में खाने और डॉक्टरों की बात मानने की बजाए अल्लाह से दुआ करने की सलाह दी। यूट्यब पेज पर स्पष्ट लिखा है कि ये कार्यक्रम 23 मार्च को हुआ।

इस वीडियो की डेट देखिए, ये कार्यक्रम मरकज़ की इमारत में मार्च 23, 2020 को हुआ था

इस वीडियो में बीच-बीच में लोगों की खाँसने की आवाज़ भी आ रही है। इसका मतलब है कि समस्या को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ किया गया। स्थिति ये है कि तमिलनाडु और तेलंगाना से लेकर दिल्ली तक के कई मुसलमानों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं, जिन्होंने मरकज के कार्यक्रमों में शिरकत की थी। अगर आप ‘दिल्ली मरकज’ के यूट्यब पेज पर जाएँगे तो आपको पता चलेगा कि 17 मार्च से लेकर अब तक वहाँ 24 से भी अधिक वीडियो अपलोड किए गए हैं। सभी वीडियो में स्थान दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज इमारत को ही बताया गया है। इनमें से कई वहाँ हुए कार्यक्रमों के फुल वीडियो हैं तो कई शार्ट क्लिप्स।

https://www.youtube.com/channel/UCCWuKj1-cZrKLwdKcBiZLSA/videos

कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताते हों? ऐसा नहीं है कि उन्हें समझाया नहीं गया था। दिल्ली पुलिस ने 23 मार्च को ही उन्हें समझाया था कि मरकज में हमेशा डेढ़-दो हजार की गैदरिंग होती है, इसे रोकना चाहिए। मौलानाओं को बुला कर कैमरे और सीसीटीवी के सामने ही पुलिस ने समझाया था। पुलिस ने बता दिया था कि सारे धार्मिक स्थान बंद हैं और 5 लोगों से ज्यादा की गैदरिंग पर रोक है। पुलिस ने समझाया था कि ये आपलोगों की सुरक्षा के लिए हैं, हमारी सुरक्षा के लिए नहीं है। मौलानाओं को बताया गया था कि सोशल डिस्टेंसिंग का जितना पालन किया जाएगा, उतना अच्छा रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस कोई धर्म या मजहब देख कर आक्रमण नहीं करता है। पुलिस ने मौलानाओं को नोटिस थमाते हुए कहा गया था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। उस समय भी मरकज के लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी इमारत में 1500 लोग मौजूद हैं और 1000 लोगों को वापस भेजा जा चुका है। इनमें लखनऊ और वाराणसी से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों के लोग शामिल हैं। दिल्ली मरकज में हमेशा ऐसे कार्यक्रम चलते रहे हैं और हज़ारों लोग जुटते रहे हैं। पुलिस ने इन्हें सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।

दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही आदेश जारी कर 200 लोगों की किसी तरह की गैदरिंग पर रोक लगा दी थी। उस समस्य इस आदेश की समयावधि 31 मार्च तक रखी गई थी। बावजूद इसके मरकज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 16 मार्च को ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दिल्ली में कहीं भी 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटेगी। फिर 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई। बावजूद इसके मरकज में हज़ारों लोग रोजाना होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे। वहाँ लोग रहते रहे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके एक दिन बाद भी वहाँ 2500 लोग मौजूद थे, जिनमें से 1500 के चले जाने का दावा मौलाना ने किया है। अब सोचिए, इनमें से कई कोरोना कैरियर होंगे, जिन्होंने हजारों-लाखों लोगों तक संक्रमण फैलाया होगा।

25 मार्च को लॉकडाउन के दौरान भी 1000 मुसलमान वहाँ मौजूद थे। 28 मार्च को एसीपी ने दिल्ली मरकज को नोटिस भेजी लेकिन उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि जो जहाँ है वहीं रहे, इसीलिए वहाँ लोग रुके हुए हैं। साथ ही दावा किया गया कि इतने लोग काफ़ी पहले से यहाँ पर मौजूद हैं। उपर्युक्त सभी बातों से स्पष्ट पता चलता है कि दिल्ली मरकज ने हर एक सरकारी आदेश की धज्जियाँ उड़ाई और जान-बूझकर इस संक्रमण के ख़तरे को नज़रअंदाज़ कर पूरे देश को ख़तरे में डाल दिया। अकेले तमिलनाडु में 50 ऐसे लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण हो गया है, जो मरकज के कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। देशभर में ये संख्या और बढ़ेगी, ऐसी आशंका जताई जा रही है। फिर भी कुछ मजहबी ठेकेदार पत्रकारों की वेशभूषा में इनका बचाव करने में लगे हुए हैं।

केजरीवाल की तुष्टीकरण नीति बनाम स्वास्थय संकट

मोदी के राष्ट्रव्यापी आव्हान ” जो जहां है वहीं रहे” के पश्चात, शाहीन बाग और मोदी शाह विरोध की राजनीति की बदौलत दिल्ली के मुख्य मंत्री बने केजरीवाल लाखों मजदूरों को पूर्वी दिल्ली के बार्डर पर बसों में लाद कर छोड़ देते हैं वहीं तबलिगी जमात में बिना स्वास्थ्य जांच के 3400 लोगों को रहने देते हैं। जिनमें से कई कोरोना वाइरस से न केवल संक्रमित मिलते हैं अपितु काइयों की तो मौत का कारण भी यही संक्रामण है। सूत्रों की मानें तो मुख्य मंत्री को तबलिगी जमात की गतिविधियों की पल पल की खबर थी, लेकिन इस जमात के प्रति केजरीवाल के मोह ने एक भयंकर स्थिति उत्पन्न करवा दी है। जहां राष्ट्र एकजुट हो कर इस महामारी से लगभग जीत ही चुका था वहीं अब इस कृत्य ने हमें और भी गहन संकट में दाल दिया है।

कोई धर्म कानून तोड़ने की बात नहीं करता. कोई धर्म देश को धोखा देने के लिए नहीं कहता. कोई धर्म झूठ बोलने के लिए नहीं कहता. लेकिन भारत को कोरोना वायरस के नए खतरे की तरफ धकेलने वाले तबलीगी जमात ने धर्म के नाम पर यही सब किया है. तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से 1548 लोग निकाले गए हैं. इन सभी लोगों को डीटीसी की बसों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया गया है.

तबलीगी जमात से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. दिल्ली में 714 लोग कोरोना के शुरुआती लक्षणों की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं, इनमें 441 लोग तबलीगी जमात के हैं. यानी तबलीगी जमात ने दिल्ली को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना दिया. इस जमात से जुड़े करीब 8 लोगों की, देश के अलग अलग हिस्सों में मौत हो चुकी है. अब तक देश भर में जमात से जुड़े 84 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें दिल्ली के 24, तेलंगाना के 15 और तमिलनाडु के 45 लोग हैं.

तबलीगी जमात से जुड़े हज़ारों लोग देश के अलग अलग हिस्सों में गए हैं. इनकी पहचान करना, इनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करना, इन्हें अलग करना . ये बहुत कठिन चुनौती है. तबलीगी जमात के विदेशी और घरेलू प्रचारक, इस जमात के कार्यकर्ता सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, लखनऊ, पटना, रांची जैसे शहरों में भी मिले. कई जगहों पर इन्होंने खुद को छुपाया और इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजामुद्दीन मरकज की सफाई ये है कि पहले जनता कर्फ्यू लगा फिर लॉकडाउन का ऐलान हो गया इसलिए ये लोग यहीं फंसे रह गए. यहां ये बताना ज़रूरी है कि पुलिस के मुताबिक आयोजकों को दो दो बार नोटिस दिया गया था. देश में लगातार सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही थी. प्रधानमंत्री खुद लगातार ये कह रहे थे कि लोगों को घरों में ही रहना चाहिए. सबको भीड़ से दूर रहना चाहिए. देश ही नहीं पूरी दुनिया में यही बात हो रही थी लेकिन धर्म का चश्मा लगाए इन लोगों को कुछ दिखाई और सुनाई नहीं पड़ा.

21 मार्च को तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में 1746 लोग लोग मौजूद थे. इनमें 216 विदेशी और 1530 भारतीय थे. इसके अलावा तबलीगी जमात के 824 विदेशी प्रचारक देश के अलग अलग हिस्सों में प्रचार के लिए गए थे . इनमें उत्तर प्रदेश में 132, तमिलनाडु में 125, महाराष्ट्र में 115, हरियाणा में 115, तेलंगाना में 82, पश्चिम बंगाल में 70, कर्नाटक में 50, मध्य प्रदेश में 49, झारखंड में 38, आंध्र प्रदेश में 24, राजस्थान में 13 और ओडीशा में 11 विदेशी प्रचारक तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल थे .

तबलीगी जमात के करीब 2100 भारतीय प्रचारक भी देश के अलग अलग हिस्से में प्रचार करने के लिए गए थे. अलग अलग राज्यों में इन 2100 लोगों की पहचान कर ली गई है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाना है कि इन लोगों ने पूरे देश में घूम-घूम कर कितने लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है?

पाबंदियों के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए लोग

पाबंदियों के बावजूद तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली को ही संकट में नहीं डाला है, बल्कि यहां से सैंकड़ों की संख्या में लोग देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचे और अब उन इलाको में भी इस महामारी के तेज़ी से फैलने का खतरा है. निजामुद्दीन से निकल कर हजारों लोग कैसे देश के अलग अलग हिस्सों में फैल गए ये आपको मैप के जरिए समझना चाहिए.

सबसे बड़ा आंकड़ा तमिलनाडु का है जहां मरकज से लौटने वालों की सख्या 501 है लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि तमिलनाडु के 1500 से ज्यादा लोगों ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. तमिलनाडु में निजामुद्दीन से लौटे 45 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है .

कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि

इस कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हो गई है . इसके अलावा निजामुद्दीन से असम पहुंचे लोगों की संख्या करीब 216 है, जबकि उत्तर प्रदेश में ये संख्या 156 है . इसके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और हैदाराबाद जैसे इलाकों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग पिछले दिनों पहुंचे हैं, जिन्होंने निजामुद्दीन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. बाकी के जो राज्य इससे प्रभावित हुए हैं उन्हें आप मैप पर इस समय देख सकते हैं. लेकिन तबलीगी जमात की वजह से इस महामारी के फैलने का खतरा सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो चुके हैं.

माना जाता है कि इसकी शुरुआत पाकिस्तान से हुई थी जहां इसी महीने लाहौर में तबलीगी जमात का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था . इस कार्यक्रम में 80 देशों से आए धर्म प्रचारक शामिल हुए थे और इसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था. सूत्रों के मुताबिक इसमें भारत से गए कुछ प्रचारक भी शामिल थे.

इस संस्था ने इस साल फरवरी में मलेशिया में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसकी वजह से वहां भी कोरोना के नए मामले तेज़ी बढ़ने लगे थे . पाकिस्तान और मलेशिया के अलावा किर्गिस्तान, गाज़ा, ब्रुनेई और थाइलैंड में भी इस वायरस के तेज़ी से फैलने की बड़ी वजह जमात के कार्यक्रमों को ही माना जा रहा है. कुल मिलाकर निजामुद्दीन इस मामले में भारत का लाहौर साबित हो रहा है और ये इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अच्छा संकेत नहीं है.

पूरा देश जहां लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा का पालन कर रहा है. अपने अपने घरों में रहकर देश को उस स्टेज में जाने से बचा रहे हैं, जिसमें सामुदायिक संक्रमण होने लगता है और महामारी को रोकना मुश्किल हो जाता है. ऐसे वक्त में इस तरह के लोग अगर धर्म के नाम पर और धर्म के प्रचार के नाम पर भारत को एक बड़े खतरे की तरफ धकेलने में लगे हैं तो ऐसे लोगों पर सवाल उठाने ही चाहिए लेकिन जब ऐसे लोगों पर सवाल उठाए जाते हैं तो एक खास गैंग सवाल उठाने वालों पर ही आरोप लगाने लगता है कि कोरोना के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है. हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है. हम ये मानते हैं कि देश के मुसलमान भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़ा है. लेकिन ये मुट्ठी भर लोगों में धार्मिक कट्टरता की ऐसी पट्टी बंधी है जो पट्टी ये लोग उतारना नहीं चाहते, जबकि ये देश का संकटकाल है. पूरी दुनिया पर खतरा है.

कल जब निजामुद्दीन में हज़ारों लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकडे गए तब एक खास समुदाय और एक वर्ग मीडिया से नाराज़ हो गया. आपने भी गौर किया होगा आज दिन पर सोशल मीडिया पर Media Virus हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा था और ये लोग कह रहे हैं कि मीडिया ने एक वायरस को भी धर्म से जोड़ दिया और ये ठीक नहीं है . यही लोग जब टीवी पर दोबारा से दिखाई जा रही. रामायण का विरोध करते हैं तब क्या ये लोग धर्म निरपेक्षता की मिसाल पेश कर रहे होते हैं ? नहीं, बिल्कुल नहीं. बल्कि सच तो ये है कि ये लोग खुद हर चीज़ को धर्म के चश्मे से देखते हैं और धर्म की आड़ में कानून, नियमों और संविधान की धज्जियां उड़ाना चाहते हैं. क्योंकि इनके मन लॉकडाउन में है जिस पर वैचारिक ताला लटका है.

तबलीगी जमात के लोगों में भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं, जो देश भर में पूरे साल प्रचार करते हैं. अलग अलग देशों से तबलीगी जमात के लोग भारत आते हैं और निजामुद्दीन के अपने हेडक्वॉर्टर में रिपोर्ट करते हैं. राज्यों में इनकी धर्म प्रचार की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य स्तर और ज़िला स्तर पर लोग होते हैं. निजामुद्दीन मरकज को लेकर एक बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस पर भी है क्योंकि तबलीगी जमात का हेडक्वार्टर, निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन से सिर्फ 18 मीटर दूर है. इसकी दीवार पुलिस स्टेशन से लगी हुई है. इसलिए सवाल उठ रहा है कि क्या ये दिल्ली पुलिस की लापरवाही है? या फिर इस कार्यक्रम को रोकने की पुलिस की हिम्मत ही नहीं हुई ? पुलिस के मुताबिक उन्होंने कई बार आयोजकों से कहा लेकिन वो माने नहीं.

UBS Conducting Online Teaching

Chandigarh March 30, 2020

Keeping in mind the situation developed as a result of COVID-19, Dr Tejinder Pal Singh, Associate Professor,University Busines School, Panjab University Chandigarh  has scheduled  PhD-2(Econometric
Methods-PhD 9204) classes online .

Similarly, Dr Neha Gulati , Assistant Professor is also ensuring that students are engaged academically during the lock down period.

She is conducting online classes, Quiz Test , Descriptive Test through following options:

1. Google Classroom :
It has been used to send study material including pdf, ppt, web resources, to answer student queries, to conduct online synchronous test both Quiz and Descriptive. Till date 2 Quiz and 1 Descriptive test has been conducted with 100% student participation.

Test 1 conducted on 17 March,2020
Test 2 conducted on 24 March,2020
Test 3 scheduled on 31 March, 2020

2. Online videos and Study Material:
Study material has been also been shared amongst students through personal online videos created using OBS TOOL.

3. Assignments submitted Online :
Students have submitted assignments online and these have been evaluated online using Rubrics in Google Classroom.

4. Students have been encouraged to create their own videos for topics assigned so that it becomes easy for others to understand the concept. These are regularly being shared amongst the class.

5. Open Book Test are being conducted to keep them connected academically.

It is ensured  that in this period of hardship,  UBS students would make all  proud by their achievements.

इस संकट की घड़ी में जनप्रतिनिधि भी बनें सहारा

रवि भारती गुप्ता
संपादकीय सलाहकार

क्या आप जानते हैं?
देश मे 545 साँसद, 245 राज्यसभा सांसद व 4120 विधायक है। कुल मिलाकर 4910 जनप्रतिनिधि।

अगर यह सारे जनप्रतिनिधि मिलकर अपने व्यक्तिगत खातों मे से 2-2 लाख ₹ भारत सरकार को दे। जो इतनी बड़ी रकम भी नही है इन जनप्रतिनिधियों के लिए। तो भारत देश को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 98,20,00,000 लाख ( 98 करोड़ 20 लाख ) रुपये इकट्ठे हो सकते हैं।

क्यों हर बार देश का मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों से ही देश की मदद की अपील की जाती है? क्या इन राजनेताओं की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही नही है भारत देश के जनता के प्रति?

आखिर क्यों यह माननीय साँसद और विधायक अपनी अपनी साँसद और विधायक निधि के पैसों को ही खर्च कर ही देश के सच्चे जनप्रतिनिधि होने का प्रमाण प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते है? जबकि वो पैसा जनता द्वारा ही सरकार को टैक्स के रूप मे देश को चलाने और विकास के लिए दिया जाता है।

क्या अपने जनप्रतिनिधियों से हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी यह अपील नही कर सकते देशहित के लिए?

इसलिए हमारी अपने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से प्रार्थना है कि वो भारत देश के इन माननीय जनप्रतिनिधियों से यह अपील करें की वो अपने व्यक्तिगत खातों से 2-2 लाख रुपये देश की सेवा के लिए दान करे।

जिससे देश की जनता को इस विपत्ति के समय में आर्थिक व स्वास्थ्य कार्यों के लिये पैसों का इंतजाम हो सके।

कोरोना के चलते पाकिस्तान में बने भुखमरी के हालात

जब दक्षेस राष्ट्र विश्वव्यापी फैले हुए संक्रमण पर समाधान खोजने की बैठक हुई वहाँ भी पाकिस्तान कश्मीर राग अलापने से नहीं चूका, जमीनी हकीकत में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने इनकी कमाई के रास्ते बंद कर दिए हैं और इनके सामने भुखमरी जैसा संकट आ गया है.

कराची: 

पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूटा कोरोना वायरस (Coronavirus) उन लोगों के लिए और भी तबाही लेकर आया है जो रोज कमाकर अपना जीवन चलाते हैं. लॉकडाउन (Lockdown) ने इनकी रोजी छीन ली है और इनके सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. पाकिस्तान (Pakistan) में हिंदू और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदाय ऐसे ही संकट से गुजर रहे हैं क्योंकि इनकी एक बड़ी आबादी मजदूर वर्ग से संबंध रखती है. इन अल्पसंख्यक समुदायों का एक बड़ा हिस्सा सिंध प्रांत में रहता है और इसकी राजधानी कराची पर अपनी रोजी-रोटी के लिए एक हद तक निर्भर रहता है.

कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने इनकी कमाई के रास्ते बंद कर दिए हैं और इनके सामने भुखमरी जैसा संकट आ गया है. पाकिस्तान की इमरान सरकार भी इन लोगों को मदद पहुंचाने में नाकाम है. ऐसे में कराची की कुछ परोपकारी संस्थाएं और लोग सामने आए हैं जिन्होंने सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय की मदद के लिए चंदा इकट्ठा कर इन लोगों के घरों में खाने-पीने का सामान पहुंचाया है. 

ईसाई समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता जावेद मसीह ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा, “हम अपने मुस्लिम भाइयों के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने बिना कुछ बताए, खामोशी से हमारे घरों के दरवाजों पर खाने-पीने का सामान रख दिया. उन्होंने पूरी गोपनीयता बरती और ऐसा कर उन्होंने हमारे आत्मसम्मान को भी पूरा सम्मान दिया है.”

मसीह ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मेडिकल क्षेत्र से भी ताल्लुक रखते हैं और वे देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं.

मन की बात “भारत को स्वस्थ बनाए रखने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.”

नई दिल्ली: 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘मन की बात में’ कोरोना वायरस पर बोलते हुए कहा, ‘सबसे पहले मैं देशवासियों से क्षमा मांगता हूं. मुझे कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़े हैं, जिसके कारण लोगों को कई कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं. हो सकता है कि कुछ लोग मुझसे नाराज भी होंगे. मैं आपकी परेशानी भी समझता हूं, लेकिन मेरे पास कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया के हालात को देखने के बाद लगता है कि बस यही एक रास्ता बचा है. आपको जो भी कठिनाई हुई है, उसके लिए क्षमा मांगता हूं. बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं. कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर लिया है. हर किसी को चुनौति दे रहा है. ये वायरस इंसान को समाप्त करने जिद्द उठा बैठा है. इसलिए सबको एकजुट होकर संकल्प लेना ही होगा.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘ये लॉकडाउन आपके खुद को बचाने के लिए है. आपको खुद को बचाना है, अपने परिवार को बचाना है. साथियों मैं ये भी जानता हूं कि कोई भी कानून नहीं तोड़ना चाहता, लेकिन कुछ लोग इसका पालन नहीं कर रहे. दुनियाभर में कुछ इसी तरह के लोग आज पछता रहे हैं. दुनिया में सभी सुख का साधन स्वास्थ्य है. ऐसे में नियम तोड़कर आप जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं.’

पीएम मोदी ने कहा, ‘कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है. ये ना ही राष्ट्र की सीमा और मौसम को मानता है और ना ही अमीर-गरीब के बीच भेदभाव करता है. इसे खत्म करने के लिए सभी मानव जाति को एकजुट होकर कठोर निर्णय लेना होगा. आने वाले कई दिनों तक आपको लक्ष्मण रेखा का पालन करना ही है.’

कोरोना को हराने वाले IT प्रोफेशनल राम के बारे में पीएम मोदी ने कहा, ‘राम ने हर निर्देश का पालन किया, जो उन्हें डॉक्टर्स ने दिया और आज वे पूरी तरह स्वस्थ हैं.’ 

डॉक्टर नीतीश गुप्ता ने पीएम मोदी से स्थिति के बारे में बताते हुए कहा, ‘हम लोग सेना की तरह लगे हुए हैं. हमारी एक ही उम्मीद है कि सभी मरीज ठीक होकर घर जाएं. मरीजों की काउंसलिंग भी करनी पड़ रही है, क्योंकि लोग काफी डरे हुए हैं. हम समझाते हैं कि आपका केस बहुत नॉर्मल है, टेस्ट निगेटिव होते ही आपको घर भेज दिया जाएगा, हमारे समझाने के बाद उनका हौसला बढ़ता है. हम अपनी टीम को प्रोत्साहित करते रहते हैं.’

पुणे के डॉक्टर बोरसे ने पीएम मोदी से कहा, ‘कोरोना संदिग्धों को भी हम समझाते हैं कि यदि आप घर में हैं तो एकांतवास में ही रहें. बार-बार आपको हाथ साफ करना है, भले ही सादा साबुन ही क्यों न हो. मुंह ढंककर ही खांसना है. मुझे पूरा विश्वास है कि कोरोना के खिलाफ हम जरूर जीतेंगे.’

पीएम मोदी ने आगे कहा, “भारत को स्वस्थ बनाए रखने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.’ इसी बीच, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि सभी भाजपा सांसद Covid-19 वायरस की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों में मदद करने के लिए अपनी सांसद निधि से एक करोड़ रुपय केंद्रीय सहायता कोष में देंगे. 

स्पीकर गुप्ता ने पंचकुला में आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति की समीक्षा की

कालका /पंचकूला 29 मार्च:

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की अध्यक्षता में लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में जिला में कोरोना के चलते लोगों को आवश्यक सेवाआंे की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों एवं गणमान्य नागरिकों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। 

बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि  जिला प्रशासन नागरिकों की सुविधाओं के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। प्रशासन को अन्य समाजसेवी संस्थाओं एवं संगठनों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ बद्दी एवं परवाणु में कार्य करने वाले व्यक्ति पंजाब, हिमाचल बार्डर की ओर से आ रहे है। ऐेसे व्यक्तियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा 12 अस्थाई आश्रय स्थल बनाए गए है। इनमें सोशल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखते हुए लोगों के खाने, पीने, ठहरने के साथ साथ स्वास्थ्य सेवाओं भी मुहैया करवाई जा रही है। उन्होंने पुलिस उपायुक्त मोहित हांडा को निर्देश दिए कि जो लोग पंचकूला की सड़कों पर चल रहे हैं उन्हें सीधे अस्थाई आश्रय स्थलों में ले जाकर छोड़ा जाए और उनके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पंचकूला में इस तरह लोगांे का आवागमन चलता रहा हो इस महामारी के चक्र को सुरक्षित रखने से वंचित रह जाएगें। इसलिए लोगोें से अनुरोध है कि वे बीमारी के भय से न भागें। उनके लिए जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक सेवाओं की पूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इन आश्रय स्थलों की निगरानी रखी जा रही है तथा समय समय पर अधिकारी निरीक्षण कर रहे है।

  उन्होंने आवश्यक सेवाओं की पूर्ति के साथ साथ एलपीजी गैस एवं  पशओं के लिए चारे की व्यवस्था बारे भी जानकारी ली। उन्हांेने कहा कि लोगों को खाने के पैकेट वितरित किए जाएं, आवश्यकता पडने पर सूखा राशन भी वितरित करवाएं। इसके लिए एसडीएम कालका राकेश संधु को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। 

उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि आवश्यक सेवाओं की पूर्ति के लिए प्रशासन द्वारा रेट तय किए गए ताकि कोई भी दुकानदार ब्लेक मार्केटिंग न कर सकें। उन्होंने कहा कि अधिकारी पूरी जिम्मेवारी से निरीक्षण करें और ऐसे दुकानदारों को चिहिन्त कर इसकी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपंे।  

बैठक मंे विधायक प्रदीप चैधरी, पूर्व विधायक लतिका शर्मा, उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा, पुलिस अधीक्षक मोहित हाण्डा, भाजपा जिला प्रधान दीपक शर्मा, अमित गुप्ता सहित कई अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। 

दिल्ली से प्रवासी समुदाय का पलायन क्या कहानी बयान करता है?

दशकों बाद दिल्ली दंगों से दहल गयी, करोड़ों की संपत्ति नष्ट कर दी गयी, शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों को आम आदमी पार्टी ने खुला समर्थन दे रखा था, नागरिकता संशोधन act के विरोध में इस प्रदर्शन को आम आदमी के सत्ता में पुनर्स्थापित होते ही दंगों में परिवर्तित होते समय न लगा। आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन हों या रिकार्ड मतों से जीतने वाले अमानतुल्लाह खान हों सभी की दंगों को फैलाने अथवा भड़काने में अहम भूमिका रही है। दिल्ली की राजनीति को धर्म विशेष से जोड़ने वाले अरविंद केजरीवाल की दिल्ली अब कोरोना वाइरस से जूझ रही है। संपूरण दिल्ली लॉकडाउन में है, दिल्ली का प्रवासी सांप्रदायिक दंगों से पहले ही डरा हुआ था, अरविंद केजरीवाल सरकार की भूमिका पर उन्हे अब विश्वास नहीं रह गया। अब कोरोना वाइरस के चलते केजरीवाल से मोहभंग हुआ प्रवासी समुदाय दिल्ली से पालयन करने के मौके ढूंढ रहा था जिसका एक रूप कल दिल्ली की सड़कों पर दिखाई पड़ा। इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों के पालायन का उत्साह कोरोना के डर के अलावा कोई और ही दास्तान ब्यान करता है।

नई दिल्ली: 

कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ जारी महायुद्ध में आज लॉकडाउन (Lock Down) का चौथा दिन है. इस दौरान सभी देशवासियों ने खुद को घरों में कैद कर लिया है. चंद लोग लॉकडाउन को फेल करने की साजिश रच रहे हैं. सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई जिसका नतीजा यह निकला कि शनिवार शाम को हजारों की संख्या में लोग आनंद विहार बस अड्डे (Anand Vihar Bus Stand) पर उमड़ पड़े. 

बताया जा रहा है कि किसी ने सोशल मीडिया के जरिए ये अफवह फैलाई थी कि सरकार द्वारा लॉकडाउन में 24 घंटे की राहत दी गई है ताकि लोग कहीं भी आ जा सकें. इस कोरी अफवाह ने सोशल मीडिया पर ऐसा जोर पकड़ा कि देखते ही देखते हजारों की संख्या में लोग अपना बोरिया बिस्तर लिए आनंद विहार बस अड्डे पर पहुंच गए. देश की राजधानी में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ गईं.   

दिल्ली में ITO-विकास मार्ग पर लोगों से बात में ये सामने आया कि टीवी और सोशल मीडिया पर देखकर ये लोग अपने घर जाने के लिए निकले हैं. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर मैसेज चल रहा था कि दो दिन का समय है घर जाने का और सरकार ने बसों का इतंजाम भी कर दिया है. 

लॉकडाउन के दौरान लोगों के जमावड़े की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंच जहां हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ को देख पुलिस भी सकते में आ गई. पूरी जानकारी करने पर पुलिस ने लोगों को समझानें की कोशिश की और उनसे घर वापस लौटने की अपील की लेकिन लोग ने पुलिस की किसी भी बात को मानने से साफ इंकार कर दिया.

इसी बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलायन करने वालों से अपील की है कि वह जहां हैं, वहीं रहें. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के 800 ऐसे केंद्र हैं, जहां लोगों को खाना खिलाया जा रहा है. केजरीवाल ने कहा, “लॉकडाउन का पालन करें और घर छोड़कर न जाएं. हजरत निजामुद्दीन, शकूर बस्ती, आनंद विहार में खाने का इंतजाम किया गया है.”