हटाये जाने से पहले गिलानी ने दिया हुर्रियत से इस्तीफा

जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है. गिलानी एक ऑडियो क्लिप जारी कर कहा है कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में सभी को जानकारी दे दी है और जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात को देखते हुए ही उन्होंने यह कदम उठाया है. हालांकि गिलानी ने ऑडियो क्लिप के अलावा दो पन्नों का एक पत्र भी लिखा है.

जम्मू(ब्यूरो) – 29 जून:

91 साल के अलगाववादी नेता सैय्यद अली गिलानी घाटी के कई सारे अलगाववादी विद्रोही राजनीतिक समूहों के गठजोड़ ‘हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस’ से अलग हो गए हैं.

सोमवार को सोशल मीडिया पर जारी 47 सेकेंड के एक ऑडियो क्लिप में गिलानी ने कहा, “हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के अंदर बने हुए हालात के कारण मैं पूरी तरह से इससे अलग होता हूं.”

हुर्रियत नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम लिखे विस्तृत पत्र में गिलानी ने इस बात का खंडन किया है कि वह सरकार की सख़्त नीति या फिर अपनी ख़राब सेहत के कारण अलग हो रहे हैं.

उन्होंने लिखा है, “ख़राब सेहत और पाबंदियों के बावजूद मैंने कई तरीक़ों से आप तक पहुंचने की कोशिश की मगर आप में से कोई उपलब्ध नहीं था. जब आपको लगा कि आपकी जवाबदेही तय की जाएगी और फंड के दुरुपयोग पर सवाल उठेंगे तो आपने खुलकर नेतृत्व के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी.”

गिलानी में ये बातें उस मीटिंग को लेकर कही हैं जिसे कथित रूप से उन्हें हुर्रियत प्रमुख के पद से हटाने के लिए बुलाया गया था.

गिलानी ने माना कि हुर्रियत के अंदर भारत के क़दमों का विरोध करने की इच्छाशक्ति की कमी थी और अन्य बुरे कामों को ‘आंदोलन के व्यापक हित’ के नाम पर नज़रअंदाज़ कर दिया गया.

लंबे पत्र में गिलानी ने कश्मीर में भारत सरकार के विरोध को जारी रखने और हुर्रियत छोड़ने के बाद भी अपने लोगों का नेतृत्व करने का संकल्प जताया है.

15 साल तक रहे विधायक

गिलानी 15 सालों तक पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य रहे थे. वह जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करते थे जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. उन्होंने 1989 में सशस्त्र संघर्ष शुरू होने के दौरान अन्य चार जमात नेताओं के साथ इस्तीफ़ा दे दिया था.

जानिए क्या है हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स

1993 में 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक पार्टियां ‘ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ के बैनर तले एकत्रित हुईं और 19 साल के मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ इससे संस्थापक चेयरमैन बने. बाद में गिलानी को हुर्रियत का चेयरमैन चुना गया.

26 अलगाववादी नेताओं ने मिलकर 9 मार्च 1993 को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसका गठन कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा और अलगाववादियों की सियासत को एक मंच देने के मकसद से किया गया था। इस कॉन्फ्रेंस में 6 लोगों की एक कार्यकारी समिति थी, जिसका फैसला अंतिम माना जाता था। बाद में सैयद आली गिलानी ने कुछ मतभेदों के चलते हुर्रियत का एक अलग गुट बना लिया था। इस तरह से हुर्रियत दो गुटों में बंट गई।  

पाकिस्तान के सैन्य शासक रहे जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने कश्मीर मसले को सुलझाने के लिए चार बिंदुओं वाला फॉर्मूला सुझाया था और अलगाववादियों को भारत से बात करने के लिए प्रोत्साहित किया था. गिलानी और उनके समर्थकों ने हुर्रियत से अलग होकर 2003 में एक अलग संगठन बना लिया था. वह आजीवन हुर्रियत (गिलानी) के चेयरमैन चुन लिए गए थे.

दोनों धड़ों के बीच तनाव भरे रिश्ते बने रहे थे क्योंकि मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ के नेतृत्व वाला धड़ा भारत के साथ संवाद का पक्षधर था और कश्मीर में चुनाव करवाने को लेकर भी उनका रवैया नरम था. मगर गिलानी का धड़ा संयुक्त राष्ट्र द्वारा जनमतसंग्रह करवाए जाने से पहले किसी भी तरह के द्विपक्षीय संवाद और चुनाव का विरोध करता था.

जयपुर उच्चन्यायालय के खुलने पर मे संघ के आनुषांगिक संगठनो ने अधिवक्ताओं के लिए मुख कोष्ट बांटे

आज राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में न्यायालय के खुलने पर अधिवक्ता परिषद, विश्व हिन्दु परिषद (विधि विभाग), राष्ट्रीय सिक्ख संगत, स्वदेशी जागरण मंच की तरफ से महारामारी कोरोना से बचाव के लिये उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महेन्द्र शाण्डिल्य जी को प्रथम चरण मे 500 मास्क भेंट किये गये जिससे कोई भी अधिवक्ता बिना मास्क के न रहे। आगे आवश्यकता अनुसार और भी भेंट किये जायेगे तथा महामारी से लडने के लिये केन्द्र सरकार की दी गयी गाइडलाइन का पालन करते हुये दो गज दूरी बनाये रखने का संदेश दिया गया तथा सभी संगठनो ने इस महामारी से लडने मे बार एसोसिएशन को हर तरह वकीलो को सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद की तरफ से बसंत छाबा जी, अमित गुप्ता जी, विनोद गुप्ता जी, संजीव सोगरवाल, विश्व हिन्दु परिषद (विधि विभाग) के दिनेश पाठक, कृष्णगोपाल शर्मा, कुलदीप शर्मा, आकाश गौड, अभिषेक सिंह, राष्ट्रीय सिक्ख संगत के गुरुचरण सिंह गिल, जसविंदर नारंग स्वेदेशी जागरण मंच के सुदेश सैनी तथा बार के महासचिव अंशुमन सक्सैना, उपाध्यक्ष शशांक अग्रवाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

PTI हमेशा से फर्जी और भ्रामक खबरें चलाता है : प्रसार भारती

भारतीय सार्वजनिक प्रसारक, प्रसार भारती द्वारा, कथित राष्ट्रविरोधी रिपोर्टिग को लेकर समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के साथ अपने रिश्ते को समाप्त करने की चेतावनी के साथ उसे एक पत्र भेजे जाने की जानकारी सामने आई है। प्रसार भारती ने यह कदम तब उठाया है, जब पीटीआई ने चीनी राजदूत सुन वेदोंग का एक साक्षात्कार जारी किया, जिसमें उसने भारत-चीन हिंसक संघर्ष के लिए कथित तौर पर भारत को दोषी ठहराया।चीनी राजदूत के इंटरव्यू के कारण भारत के ‘स्वायत्त’ जन प्रसारक (पब्लिक ब्रॉडकास्टर) प्रसार भारती के निशाने पर आ गया है। प्रसार भारती ने कहा है कि PTI द्वारा लिया गया चीनी राजदूत का इंटरव्यू राष्ट्र हित के लिए अहितकर और भारत की अखंडता को चोट पहुंचाने वाला है। इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) इन दिनों एक नई मुश्किल में है। ऐसा इसलिए क्योंकि पीटीआई ने चीनी राजदूत को अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए मंच प्रदान किया था।

समाचार एजेंसी के साथ हुए एक साक्षात्कार में चीनी राजदूत सन वीडोंग ने गलवान घाटी में हुए टकराव के लिए पूरे दोष को भारत के ऊपर डाल दिया था। लेकिन आश्चर्य यह कि इस दौरान एक बार भी PTI ने चीनी राजदूत को सवालों से नहीं घेरा या उनके प्रोपेगेंडा फैलाने पर अंकुश लगाने की कोशिश की।

भारत सरकार ने PTI के संचालन के खिलाफ कठोर कदम उठाने का पूरा मन बना लिया है। वो भी PTI बोर्ड के कई लोगों द्वारा विचार साझा किए जाने के बाद सरकार ने यह सोचा है।

कल की रिपोर्ट में हमने बताया था कि प्रसार भारती ने चीनी राजदूत के साक्षात्कार को देखते हुए पीटीआई के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने का फैसला किया है। उस इंटरव्यू को कुछ लोगों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा जारी किया गया एक प्रेस रिलीज तक बता कर समाचार एजेंसी का मखौल उड़ाया था।

ऑपइंडिया को विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि पीटीआई की ‘देश विरोधी’ रिपोर्टिंग प्रसार भारती को नागवार गुजरी है। ऐसे में प्रसार भारती पीटीआई के साथ अपने संबंधों को आगे नहीं बढ़ाना चाहती। इसे लेकर हमें बताया गया कि पीटीआई से संबंधों पर निर्णय के बारे में जल्द ही अवगत कराया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार 1980 के बाद से पीटीआई को करीब 200 करोड़ रुपए पब्लिक फंड के तौर पर मिले हैं, जबकि जनता के प्रति इनकी जवाबदेही नगण्य रही है। आज की तारीख में यह फंड 400 से 800 करोड़ रुपए के निवेश के बराबर है अगर हम घटते-बढ़ते ब्याज दरों के अनुसार इसका आकलन करें तो।

सूत्रों ने हमें बताया कि प्रसार भारती के अधिकारियों का मानना ​​है कि पीटीआई निजी मीडिया संस्थानों के मुकाबले सार्वजनिक संस्थानों से कितना शुल्क लेता है, इसमें और अधिक पारदर्शिता की जरूरत है। चिंता की बात यह भी है कि पीटीआई के बोर्ड में अधिकांश निदेशक निजी मीडिया संस्थामों से हैं।

प्रसार भारती का मानना ​​है कि निजी समाचार पत्रों और समाचार चैनलों से उनकी सदस्यता के लिए जितना शुल्क लिया जाता है, उससे कहीं अधिक पीटीआई उनसे वसूलता है। ऐसे में पब्लिक ब्रॉडकास्टर का मानना है कि शुल्क को लेकर पारदर्शिता होनी ही चाहिए। अब यह पता चला है कि PTI और प्रसार भारती के बीच व्यावसायिक संबंधों की गहनता से समीक्षा की जा रही है।

पीटीआई जिस रास्ते पर चल रही थी, प्रसार भारती के अधिकारियों के लिए यह अब बर्दाश्त के बाहर हो गया। भविष्य में पीटीआई को सरकारी फंडिंग मिलेगी या नहीं, कुछ ही दिनों में इसका फैसला हो जाएगा। वैसे तो समाचार एजेंसी का सांप्रदायिक रूप से फर्जी समाचारों और राजनीतिक मामलों पर फर्जी खबरों को फैलाने का इतिहास रहा है। लेकिन चीन को अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए पीटीआई ने अपना मंच देकर हर सीमा को पार कर दिया।

समाचार एजेंसी की कमाई कैसे?

पीटीआई एक समाचार एजेंसी है और वह खबरें देकर ऐसे लोगों से धन अर्जित करती है, जिन्होंने एजेन्सी की सदस्यता ले रखी है। इस प्रकार समाचार एजेंसी रिपोर्ट इकट्ठा करके उसमें रुचि रखने वाली पार्टियों को बेचकर उससे अपनी इनकम लेती है। उदाहरण के लिए PTI की रिपोर्ट्स मुख्यधारा की मीडिया में दिखती है। ठीक उसी सरह से अन्य समाचार एजेंसियाँ जैसे एएनआई, आईएएनएस और यूएनआई के साथ-साथ वैश्विक एजेंसियाँ जैसे रॉयटर्स और एपी आदि भी हैं।

फर्जी खबरों का लंबा इतिहास

मौजूदा विवाद के अलावा पीटीआई का फर्जी खबरों को फैलाने का एक लंबा इतिहास रहा है। समाचार एजेंसी की ओर से मिली रिपोर्ट को अधिकांश मीडिया बिना किसी संपादन के प्रकाशित करते हैं। इसके कारण व्यक्तिगत मीडिया हाउसों की तुलना में समाचार एजेंसियों की ओर से आई फर्जी खबरें अधिक लोगों तक पहुँचती हैं।

पिछले वर्ष जुलाई में एक रिपोर्ट पेश करते हुए PTI ने दावा किया था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा है कि विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। कई मीडिया हाउसों द्वारा इस भ्रामक रिपोर्ट को चलाए जाने के बाद वित्त मंत्री को खुद स्पष्ट करना पड़ा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।

राजनीतिक मसलों पर भी न्यूज एजेंसी फेक न्यूज को हवा देती रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले पीटीआई ने दावा किया था कि AAP के केवल 25 फीसदी उम्मीदवारों पर ही गंभीर आपराधिक मामले हैं। जबकि असल में यह संख्या 51 फीसदी थी। PTI ने इसी रिपोर्ट में BJP और कॉन्ग्रेस के डेटा के साथ भी छेड़छाड़ किया था।

2017 में प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने दावा किया था कि यूपी सरकार ने राज्य में माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन में भारी कटौती की थी। उसी वर्ष पीटीआई ने एक और ऐसी खबर चलाई थी, जिसमें दावा किया गया था कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक टीवी समाचार एंकर के द्वारा अपमानजनक सवाल पूछे जाने के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक का प्लान किया था, जबकि यह पूरी तरह से गलत था।

पिछले साल हुए सीएए विरोधी दंगों के बाद यूपी सरकार ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान के लिए पैसे वसूलने के लिए दंगाइयों की संपत्ति को जब्त करने का निर्णय लिया था, लेकिन इस कदम को भी पीटीआई ने गलत तरीके से पेश किया और दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ ‘बदला’ लेने की कसम खाई थी।

ये समाचार एजेंसी PTI द्वारा फर्जी समाचारों के कुछ उदाहरण थे। हकीकत में PTI हमेशा से फर्जी और भ्रामक खबरें चलाता है, जिसे मीडिया संस्थान आँख मूँद कर पब्लिश करते हैं और यह बहुत बड़े पाठक वर्ग तक पहुँचता है।

Zomato under attack by own boys as Cos. Chinese connection un earthed

Kolkata:

 A group of Zomato food delivery platform employees in Kolkata tore and burnt their official T-shirts to protest Chinese investment in the firm.

The agitation comes in the backdrop of the killing of 20 Indian soldiers in a clash with Chinese troops in eastern Ladakh’s Galwan Valley on 15 June.

During the protest at Behala in the southwestern part of the city on Saturday, some agitators claimed they have quit their jobs as Zomato has a sizeable Chinese investment and urged people to stop ordering food via the company.

In 2018, Ant Financial, a part of Chinese major Alibaba, had invested USD 210 million in Zomato for a 14.7 per cent stake. The food delivery major recently raised an additional USD 150 million from Ant Financial.

“Chinese companies are making profits from here and attacking the Army of our country. They are trying to grab our land. This cannot be allowed,” one of the protesters said.

Another protester said they were ready to starve but would not work for companies that have investment from China.

In May, Zomato laid off 520 employees or 13 per cent of its workforce in a huge retrenchment exercise due to the novel coronavirus pandemic.

There was no immediate reaction from Zomato and whether the protesters were among those who were retrenched was not known.

राहुल गाँधी वहाँ आकर ‘दो-दो हाथ’ कर लें, 1962 से लेकर अब तक चीन के विषय पर चर्चा हो जाएगी: अमित शाह

कोरेल ‘पुरनूर’,चंडीगढ़ – 28 जून 2020:

आज एक समाचार चैनल पर ANI की संपादक श्रीमति स्मिता प्रकाश ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह से साक्षात्कार किया। एक राजनैतिक व्यक्तित्व द्वारा गैर राजनीति साक्षात्कार का यह पहला मौका था जहां उन्होने राजनीतिज्ञ के तौर पर सिर्फ आने वाले सत्र में विपक्ष के एक नेता राहुल गांधी को तैयारी के साथ आने की बात कही। उन्हे विश्वास है की यदि राहुल गांधी सत्र में आते हैं तो उन्हे उनके सभी प्रश्नों के उत्तर सिलसिले वार दिये जाएंगा। चीन पर विवाद को लेकर अमित शाह ने कहा की वह राहुल गांधी से 1962 से लेकर अब तक चीन पर सब विषयों में चर्चा होगी।

भारत-चीन विवाद पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत निशानेबाजी कर रहे राहुल गाँधी को अमित शाह ने करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार चीन सीमा विवाद पर हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है और संसद में इस पर बृहद बहस के लिए भी रेडी है। अमित शाह ने राहुल गाँधी से कहा कि वो भी हाथों पर सैनिटाइजर रगड़ कर और मास्क व फेस शील्ड पहन संसदीय अखाड़े में उतरें।

अमित शाह ने कहा कि जल्द ही संसद सत्र आयोजित होने वाला है, राहुल गाँधी वहाँ आकर ‘दो-दो हाथ’ कर लें, 1962 से लेकर अब तक चीन के विषय पर चर्चा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि चर्चा से कोई नहीं डरता है, चर्चा करनी है तो राहुल गाँधी का स्वागत है। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि जब सीमा पर सेना बलिदान दे रही हो और सरकार ठोस क़दम उठा रही हो, उस समय पाकिस्तान और चीन को ख़ुश करने वाले बयान देने का क्या तुक है?

बता दें कि हाल ही में कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘सरेंडर मोदी’ कह कर चीन का एजेंडा आगे बढ़ाया था, जिसके बाद सोशल पर भी लोगों ने उनसे नाराज़गी जताई थी। इसी बयान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने उक्त बातें कहीं। उन्होंने राहुल गाँधी को आत्ममंथन की सलाह देते हुए कहा कि उनके बयान चीन और पाकिस्तान के रुख को बढ़ावा दे रहे हैं

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भारत-विरोधी प्रोपेगेंडा से निपटने में पूरी तरह सक्षम है लेकिन जब देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का पूर्व मुखिया इस तरह की ओछी राजनीति करता है तो इससे दुःख होता है। उन्होंने ANI की संपादक स्मिता प्रकाश को दिए इंटरव्यू में पूछा कि कॉन्ग्रेस पार्टी का अध्यक्ष गाँधी परिवार से बाहर का क्यों नहीं होता? साथ ही उन्होंने कॉन्ग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल खड़े किए।

हाल ही में कॉन्ग्रेस की साथी पार्टी एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भी भारत-चीन मुद्दे पर राहुल गाँधी को राजनीति न करने की सलाह दी थी। शरद पवार ने राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए शनिवार (जून 27, 2020) को कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी पर आरोप लगाते समय यह भी देखना चाहिए कि अतीत में क्या हुआ था।

मन की बात 28 जून 2020

मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता हमें अनलॉक में दौरान बरतनी है. पीएम मोदी ने कहा अगर आप मास्क नहीं पहनते हैं और दो गज की दूरी का पालन नहीं करते हैं तो आप दूसरों को भी जोखिम में डाल रहे हैं.

नई दिल्ली:

 पूर्वी लद्दाख की गलवानी घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों की शहादत और भारत में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया. पूर्वी लद्दाख में पिछले कई महीनों से चल रहे तनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार चीन को जवाब देते हुए कहा कि भारत पड़ोसी देश से मित्रता निभाना जानता है तो उससे आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है.

पीएम मोदी ने लद्दाख में शहीद हुए जवानों को नमन किया, आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में बात की और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर देशवासियों का ध्यान आकर्षित किया. पीएम मोदी ने मन की बात में 10 महत्वपूर्ण बातें कहीं.

1. लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं देश उन्हें हमेशा याद रखेगा. शहीदों के माता-पिता का त्याग पूज्यनीय है. हमारे वीर सैनिकों ने लद्दाख में दिखा दिया कि वो मां भारती पर आंच नहीं आने देंगे. भारत की भूमि पर नजर डालने वालों को जवाब दिया जाएगा.

2. भारत को आंख दिखाने वालों को करारा जवाब मिला है. लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है. भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है.

3. भारत के लोगों ने लोकल को वोकल बनने का संकल्प लिया. आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे तो समझिए आप देश को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है.

4. आजादी से पहले देश का डिफेंस सेक्टर बहुत मजबूत था. आज डिफेंस सेक्टर में, तकनीक के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास कर रहा है. भारत आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है.

5. देश अब लॉकडाउन से बाहर निकल गया था. अनलॉक के इस वक्त सावाधानी बेहद जरूरी है. कोरोना को हराने के साथ ही अर्थव्यवस्था को बचाना भी जरूरी है.

6. मैं लंदन से प्रकाशित Financial Times में एक बहुत ही दिलचस्प लेख पढ़ रहा था. उसमें लिखा था कि कोरोना काल के दौरान अदरक, हल्दी समेत दूसरे मसालों की मांग एशिया के अलावा अमेरिका तक में भी बढ़ गई है. पूरी दुनिया का ध्यान इस समय अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने पर है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली इन चीजों का संबंध हमारे देश से है.

7. अनलॉक में आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिली. देश को आत्मनिर्भर बनाना ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. अनलॉक में स्पेस सेक्टर को भी आजादी मिली.

8. पीएम मोदी ने कहा कि मैं अपने छोटे साथियों बच्चों से अपील करता हूं कि वो अपने दादा-दादी और नाना-नानी का इंटरव्यू रिकॉर्ड करें. उनसे पूछिए आपका बचपन कैसा था, आप क्या करते थे. इससे आपको 40-50 साल का अनुभव मिलेगा. ऐसा करके उनको भी 40-50 साल पुरानी अपनी जिंदगी में जाना बहुत आनंद देगा और आपको पता चलेगा कि 40-50 साल पहले का हिंदुस्तान कैसा था और आप जहां रहते हैं वो इलाका कैसा था.

9. पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव को उनके जन्मदिन पर याद किया. उन्होंने कहा कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज सुबह से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं, नेगेटिव बयान दे रहे हैं लेकिन उनके पास नरसिम्हा राव जी को श्रद्धाजंलि देने का समय नहीं है.

10. दुनिया ने इस दौरान भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है और इसके साथ ही दुनिया ने अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के संकल्प को भी देखा है.

इस साल सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी कामयाबी हिज्बुल मुजाहिदीन के ऑपरेशन चीफ रहे रियाज नायकू के सफाए को माना जा रहा है. जनवरी से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने व्यापक अभियान चलाकर आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी है.

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले का त्राल अब हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से पूरी तरह मुक्त हो गया है। त्राल में सक्रिय हिजबुल के अंतिम तीन आतंकी भी शुक्रवार (जून 26, 2020) की सुबह मारे गए।

कश्मीर में बीते तीन दशकों से जारी आतंकी हिसा के दौर में यह पहला मौका है, जब त्राल हिजबुल के आतंकियों से पूरी तरह खाली हो गया है। घाटी में आतंकी हिसा को नया रुख देने वाला हिजबुल का पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी और अलकायदा से जुड़े अंसार गजवा उल हिंद का कमांडर जाकिर मूसा त्राल का ही रहने वाला था।

पुलिस की ओर से यह ऐलान शुक्रवार सुबह दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में त्राल के चेवा उलार इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन स्थानीय आतंकियों के मारे जाने के बाद किया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया कि यह एक बड़ी उपलब्धि है कि दशकों के बाद क्षेत्र में हिज्बुल मुजाहिद्दीन की कोई उपस्थिति नहीं है।

कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने शुक्रवार को कहा, ‘‘आज के सफल अभियान के बाद, त्राल क्षेत्र में अब हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों की मौजूदगी नहीं है। यह 1989 के बाद पहली बार हुआ है।’’ उन्होंने कहा,” त्राल जिसे कभी आतंकवाद का हॉट बेड माना जाता था, वहाँ अब आधा दर्जन से अधिक स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं, लेकिन हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन से कोई नहीं बचा है।”

बता दें कि कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद यहाँ हिजबुल मुजाहिदीन का दबदबा था। घाटी में उसके कई हजार कैडर थे। 

गौरतलब है कि गुरुवार (जून 25, 2020) शाम को त्राल स्थित अवंतिपोरा इलाके में 2-3 आतंकियों के होने की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर एसओजी और सीआरपीएफ की टीम ने अभियान शुरू किया।

इस बीच एक मकान में छिपे आतंकियों ने जवानों पर गोलीबारी कर दी। मुठभेड़ पूरी रात चली और सुबह जाकर सेना को सफलता मिली। इस मुठभेड़ में सेना ने तीन आतंकियों को ढेर कर दिया। सेना ने तीनों आतंकियों के पास से हथियार भी बरामद किए थे।

सोनिया गांधी की कॉंग्रेस कहीं चीनी चंदे का मोल तो नहीं चुका रही??

चीन से जब भी किस भी प्रकार का गतिरोध होता है तो कॉंग्रेस गुपचुप ही चीन का समर्थन करती नज़र आती है यह 1962 से साफ तौर पर देखा जा सकता है। 1965 एक सैनिक विद्रोह के तौर पर ही देखा जाना चाहिए क्योंकि सूत्रों के अनुसार जब चीन गोलिbआरी कर रहा था तो तत्कालीन सीओ को दिल्ली से कोई निर्देश नहीं दिये गए थे। वहाँ के सैनिक अफसरों ने अपने विवेक पर ही यह निर्देश दिये थे। सनद रहे कि तोपखाने के प्रयोग के निर्देश सीधे प्रधान मंत्री कार्यालय से आते थे। उस समय प्रधान मंत्री कौन थे? डोकलाम में जब गतिरोध हुआ था तब राहुल गांधी गुपचुप चीनी दूतावास में रात्रि भोज पर गए थे, छुपते छुपाते। आज जब चीन के साथ अघोषित युद्ध की स्थिति है तो कॉंग्रेस पार्टी किसी भी तरह से प्रधान मंत्री मोदी को घेरने में जुटी है। सोनिया गांधी उर्फ अंतोनियों माइनो हो या कोई कार्यरता सभी एक तरह से चीन की भाषा बोलते नज़र आ रहे हैं। क्या कॉंग्रेस अभी तक चीन द्वारा दिये गए उत्कोच का लाभ चीन को देना चाहती है? क्या कॉंग्रेस को आने वाले दिनों में इसी उत्कोच के एक खाते के बंद होने का डर सता रहा है?

गुरुवार को बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने भी कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला बोला. उन्‍होंने कहा, ‘मुझे यह जानकर आश्‍चर्य हुआ कि 2005-06 में राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास और चीन की ओर से 3 लाख डॉलर बतौर चंदे के रूप में मिले थे. यह कांग्रेस और चीन के बीच गुप्‍त रिश्‍ता है.’

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र स्थित गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीन की सेना के बीच जारी गतिरोध के बीच चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा कॉन्ग्रेस के साथ गुपचुप तरीके से साइन किए गए MOU और फिर राजीव गाँधी फाउंडेशन की चर्चा में खुलासा हुआ है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने समय-समय पर राजीव गाँधी फाउंडेशन में बहुत बड़ी मात्र में ‘वित्तीय सहायता’ दी थी।

टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड के नाम पर किए गए चीन की सरकार और गाँधी परिवार के बीच अन्य गोपनीय समझौतों के साथ ही यह वित्तीय मदद करीब 300000 अमेरिकी डॉलर (उस समय के एक्सचेंज रेट के हिसाब से करीब 15 करोड़ रुपए) के आस-पास है।

यह सब समझौते चीन के साथ खराब सम्बन्ध होने के बावजूद कॉन्ग्रेस ने गठबंधन सरकार में रहने के दौरान साइन किए थे और देश से समझौते का ब्योरा छुपाया गया। समझौते के ब्‍यौरे को सार्वजनिक नहीं किया गया।

चीन की सत्ताधारी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CCP) के साथ कॉन्ग्रेस पार्टी के साल 2008 में हुए समझौते का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई, जिसमें सीपीसी के साथ कॉन्ग्रेस पार्टी के हुए समझौते को सार्वजनिक नहीं करने का विषय उठाते हुए उस समझौते की एनआइए या सीबीआई जाँच की माँग की गई है।

टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल द्वारा वर्ष 2010 के पीएचडी रिसर्च ब्यूरो के एक अध्ययन पर आधारित भारत-चीन ट्रेड रिलेशनशिप के बीच यूएस बिलियन डॉलर में हुए ट्रेड रिलेशनशिप को लेकर असंतुलन का खुलासा करते हुए इस समझौते की क्रोनोलोजी को समझाया गया है।

इस शो में बताया गया है कि किस प्रकार CCP यानी चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गाँधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।

टाइम्स नाउ के अनुसार, यह अध्ययन मोहम्मद साकीब और पूरण चंद राव द्वारा किया गया था, जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत और चीन के बीच विभिन्न व्यापार समझौतों का विश्लेषण करना था और दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट में कुल लाभ को समझना था। इस अध्ययन का निष्कर्ष था कि भारत और चीन के बीच व्यापार सम्बन्ध बहुत मजबूत थे लेकिन भारत को अपने प्रोडक्ट्स में विविधता लानी होगी।

इसी विविधता को लाने के लिए कॉन्ग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच MOU (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) भी साइन किया गया था। इसके अध्ययन में पता चलता है कि राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीनी दूतावास और चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा राजीव गाँधी इंस्‍टीट्यूट ऑफ कन्‍टेम्‍पररी स्‍टडीज में डोनेशन किए गए।

2005 से 2008 के बाद राजीव गाँधी इंस्‍टीट्यूट ऑफ कन्‍टेम्‍पररी स्‍टडीज इस ट्रेड अग्रीमेंट पर अध्ययन जारी करती है और इसमें सुझाव किया गया कि भारत और चीन के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट भारत के लिए लाभदायक रहा।

2008 में बीजिंग में हुए समझौते के तहत एमओयू में तय हुआ है कि दोनों पार्टी एमओयू के तहत क्षेत्रीय, द्वीपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मसले पर एक दूसरे से बात करेंगे। टाइम्स नाउ द्वारा दिखाई गई रिपोर्ट में इस अध्ययन का एक हिस्सा दिखाया गया है, जिसमें चाइनीज अम्बेसडर राजीव गाँधी फाउंडेशन के वार्षिक समारोह में मौजूद रहे।

2006 में चीन की सरकार द्वारा राजीव गाँधी फाउंडेशन में 10 लाख रूपए की वित्तीय मदद

एक और खुलासे में गाँधी परिवार के चीन के साथ अपने गोपनीय संबंधों के दावों को और मजबूती मिलती है। नए खुलासे से पता चलता है कि चीनी सरकार ने वर्ष 2006 में ‘राजीव गाँधी फाउंडेशन’ को ‘वित्तीय सहायता’ के लिए 10 लाख रुपए दान दिए थे।

चीनी दूतावास पर उपलब्ध एक दस्तावेज़ के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी (Sun Yuxi) ने राजीव गाँधी फाउंडेशन को 10 लाख रुपए दान दिए थे, जो कॉन्ग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ है और कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा चलाया जाता है।

मनमोहन मल्होत्रा, जो उस समय राजीव गाँधी फाउंडेशन के महासचिव थे, ने सोनिया गाँधी द्वारा नियंत्रित राजीव गाँधी फाउंडेशन की ओर से यह वित्तीय मदद प्राप्त की थी।

राजीव गाँधी फाउंडेशन

ध्यान देने की बात यह है कि यह कोई और नहीं बल्कि कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष स्वयं सोनिया गाँधी ही इस राजीव गाँधी फाउंडेशन की प्रमुख हैं। सोनिया गाँधी के साथ-साथ राहुल गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और प्रियंका गाँधी भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं।

राजीव गाँधी फाउंडेशन, जो 1991 में स्थापित किया गया था, साक्षरता, स्वास्थ्य, विकलांगता, वंचितों के सशक्तीकरण, आजीविका और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सहित कई मुद्दों पर काम करने का दावा करता है।

यह सब डोकलाम विवाद के दौरान घटित हो रहा था। यानी एक ओर जहाँ सीमा पर भारतीय सेना और चीन की सेना आमने-सामने थीं, तब राहुल गाँधी चीन की सरकार के साथ लंच करते हुए सीक्रेट समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहे थे।

इसमें राहुल गाँधी को आमंत्रित किया गया था, उनके साथ गुपचुप लंच आयोजित किए गए। जबकि आज के समय पर वो गलवान घाटी में चल रहे घटनाक्रम पर यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि चीन ने भारत की जमीन हड़प ली है और केंद्र सरकार ने यह जेमीन चीन को दे दी है।

2008 में साइन किया गया यह MOU बेहद गोपनीय तरीके से साइन किया गया था, जिसके बारे में किसी को शायद ही भनक लग पाई हो यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस कार्यकारिणी कमिटी तक को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि यदि यह डोनेशन और समझौते दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट के लिए थे तो फिर इन्हें सार्वजानिक करने में कॉन्ग्रेस को क्या समस्या थी?

कॉन्ग्रेस चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करती है। डोकलाम मुद्दे के दौरान, राहुल गाँधी गुपचुप तरीके से चीनी दूतावास जाते हैं। नाजुक स्थितियों के दौरान, राहुल गाँधी राष्ट्र को विभाजित करने और सशस्त्र बलों का मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं। इन सबके बीच गाँधी परिवार और चीन की सरकार के बीच साइन किए गए एमओयू की भूमिका को देखा जाना चाहिए है।

राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीन की सरकार की वित्तीय मदद, गाँधी परिवार के साथ रेगुलर मीटिंग, इंडिया-चीन स्टडी आदि घटनाक्रमों का अर्थ यह लगाया जा सकता है कि चीन की सरकार गुपचुप तरीके से राजीव गाँधी फाउंडेशन में वित्तीय मदद के नाम पर गाँधी परिवार के खातों में पैसे भेज रही थी। चीन की सरकार और गाँधी परिवार के बीच गुपचुप तरीकों से किए गए यह समझौते कई प्रकार के सवाल खड़े करते हैं।

वर्ष 2008 में साइन किए गए इस एमओयू पर राहुल गाँधी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के मंत्री वांग जिया रुई ने हस्ताक्षर किए थे। इस मौके पर सोनिया गाँधी और चीन के तत्कालीन उपराष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उपस्थित थे।

कॉन्ग्रेस के इस गोपनीय समझौते का आधार व्यापार को बढ़ावा देना बनाया गया, वास्तव में यह भारत के खिलाफ ही इस्तेमाल किए जा रहे हैं। यह भी देखा जाना चाहिए कि दोनों देशों के बीच सप्लाई चेन से लेकर कई ऐसी जगहों पर चीन को आधार दिया गया कि आज के समय में चीन के बहिष्कार कर पाना लगभग नामुमकिन हो चुका है। यानी कॉन्ग्रेस नहीं चाहती कि चीन की भारतीय अर्थव्यवस्था से घुसपैठ दूर हो और वह निरंतर भारतीय बाजार का अहम् हिस्सा बना रहे, जिसके लिए वह सत्ता में रहते हुए पूरी तैयारी भी कर चुके थे?

इन समझौतों के जरिए चीन की कम्पनियों को बड़े स्तर पर भारत में स्थापित करने का अवसर मिला और आज के समय में यह भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद बन चुके हैं खासकर इलेक्ट्रोनिक्स और फर्मास्युटीकल सेक्टर में चीन की पैठ आज भारत के लिए बड़ा सरदर्द बन गया है।

“आयुष” की मती नहीं है ‘कोरोनिल’ में

नौकरशाही किसी की बपौती नहीं। भारत के आज़ाद होने से पहले से लेकर आज तक कोई भी सरकार आए नौकर शाह वहीं हैं वही हैं। भारत में अपनि प्राचीन आयुर्वेद को एक नए सिरे से उठा कर एक नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने आज जब कोरोना महामारी की दावा का लोकार्पण किया तो अपनी नाकामी से हताश, कुंठित आयुष विभाग पर मानों घड़ों पानी पड़ गया। इधर राम देव अपनी दवा का पत्रकार जगत के सामने लोकार्पण आर रहे थे तो वहीं नोकरशाहों के पाँव तले ज़मीन सरकती जा रही थी। अपनी असफलताओं की शर्मिंदगी या फिर हताशा का जो भाव है क्या उसका कारण बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियाँ तो नहीं? कहीं आयुर्वेद की एक दवा एक “आऊटसाइडर” कैसे ला सकता है। अब पूरी दुनिया आयुर्वेद का लोहा मानेगी? कहीं ऐसा भी होता है? रामदेव कैसे एक “स्थानीय जोगड़ा” इतनी बड़ी दवा कंपनियों के रहते यह दुस्साहस। नौकरशाहों ने रामदेव को दावा के प्रचार से रोक दिया। जिस बात पर मानवता को गर्व होना चाहिए था उस पर नौकरशाहों को शर्म आ गयी।

नयी दिल्ली (ब्यूरो) – 23 जून:

बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने का दावा करने वाली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को लॉन्च करने के बाद, आयुष मंत्रालय ने कंपनी से इस दवा की संरचना का विवरण और इसे तैयार करने से पहले किए गए शोध को प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके साथ ही आयुष मंत्रालय ने मीडिया की खबरों पर संज्ञान लेते हुए फिलहाल पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड को इस दवा यानी, ‘कोरोनिल’ का विज्ञापन और ऐसे दावे को प्रकाशित करने से रोक दिया है।

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवा पर स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है कि मंत्रालय को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मंत्रालय ने पतंजली कम्पनी से कहा है कि पहले वो अपने कागज मंत्रालय में जमा करवाएँ और तब तक किसी भी तरह का विज्ञापन या दावा करने से बचें, जब तक इस पर जाँच पूरी नहीं होती।

आयुष मंत्रालय ने राज्य सरकार, उत्तराखंड से भी इस दवाई कोरोनिल को लेकर जरूरी जानकारी माँगी है। मंत्रालय ने राज्य लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को लाइसेंस कॉपी और प्रोडक्ट को मंजूर किए जाने से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट माँगे हैं।

आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल को जारी गैजेट नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं की रिसर्च को लेकर बाकायदा नियम कानून जारी किए गए थे उसी के तहत कोरोना वायरस पर रिसर्च की जा सकती है।

आयुष मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा- “पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को COVID उपचार का दावा करने वाली दवाओं के नाम और संरचना के शुरुआती विवरणों को प्रदान करने के लिए कहा गया है; जगह / अस्पताल, जहाँ COVID​​-19 के लिए शोध अध्ययन आयोजित किया गया था; प्रोटोकॉल, सैंपल साइज, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लीयरेंस, सीटीआरआई (CTRI) रजिस्ट्रेशन, स्टडी और रिजल्ट, और तब तक इस तरह के दावों का विज्ञापन / प्रचार करना बंद कर दें, जब तक कि इस मुद्दे की विधिवत जाँच नहीं हो जाती।”

गौरतलब है कि आज ही हरिद्वार में योग गुरु स्वामी रामदेव ने कोरोना वायरस की दवा ‘कोरोनिल’ को लॉन्च करते हुए दावा किया था कि आयुर्वेद पद्धति से जड़ी-बूटियों के गहन अध्ययन और अनुसंधान के बाद बनी यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में सक्षम है।

पतंजली का दावा- 3 से 7 दिनों के भीतर ‘100% रिकवरी रेट’

कोरोनिल बनाने वाली आयुर्वेदिक कंपनी पतंजली का दावा है कि यह नोवेल कोरोना वायरस या SARS-CoV-2 वायरस के कारण होने वाली साँस की बीमारी यानी, COVID -19 के इलाज का पहला आयुर्वेदिक इलाज है।

पतंजलि योगपीठ बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोरोना वायरस से जंग को ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ समेत तीन दवाइयाँ लॉन्च की हैं। इस ‘कोरोना किट’ में कोरोनिल के अलावा श्वासारी वटी और अणु तेल भी हैं। रामदेव का कहना है कि तीनों को साथ इस्तेमाल करने से कोरोना का संक्रमण खत्म हो सकता है और महामारी से बचाव भी संभव है।

पतंजली कंपनी के अनुसार, कोरोना किट, जो 30 दिनों के लिए है, केवल ₹545 में उपलब्ध कराया जाएगा। रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस दवा ने 3-7 दिनों के भीतर ‘100 फीसदी रिकवरी रेट’ दिखाया है।

बाबा रामदेव ने कहा कि पूरा देश और दुनिया जिस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था वह आज आ गया है, कोरोना की पहली आयुर्वेदिक दवा तैयार हो गई है। बाबा रामदेव ने कहा कि मेडिसिन के ट्रायल के दौरान तीन दिन के अंदर 69% संक्रमित इससे ठीक हो गए। इसके अलावा, मेडिसन के ट्रायल के दौरान सात दिन में 100% कोरोना मरीज नेगेटिव हो गए।

पतंजलि की ‘कोरोनिल’ अब बाज़ार में

दिल्ली(ब्यूरो) – 23 जून :

देश व दुनिया में कोरोना ने खूब तबाही मचा रखा है. अबतक इसके वैक्सीन की टेस्टिंग ही हो रही है। अभी तक कोरोना की सही दवाई नहीं बन सकी है. लेकिन इस बीच बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक कंपनी ने यह दावा किया है कि उनकी कंपनी पतंजलि ने आयुर्वेदिक माध्यमों से कोरोना वायरस की दवाई तैयार कर ली है. पतंजलि द्वारा कोरोना वायरस की दवाई लॉन्च की जाएगी. इस दवाई को कोरोनिल नाम दिया गया है। पतंजलि का दावा है कि यह दवाई कोरोना वायरस पर असरदार है।

 कोरोना दवा को लेकर पतंजलि ने दावा किया है कि आयुर्वेदिक पद्धति से जड़ी बूटियों के गहन अध्ययन और शोध के बाद बनी यह दवा शत प्रतिशत मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। यहां पतंजलि योगपीठ में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि पूरे विश्व में पहला ऐसा आयुर्वेदिक संस्थान है, जिसने जड़ी बूटियों के गहन अध्ययन और शोध के बाद कोरोना की दवाई प्रमाणिकता के साथ बाजार में उतारी है। पतंजलि ने इस दवा की कीमत 600 रुपये रखी है और यह पतंजलि मेगा स्टोर पर मिलेगी इसके साथ ही, कंपनी ने यह भी कहा है कि यदि गरीब लोगों के पास दवा खरीदने के पैसे नहीं होंगे, उन्हें यह दवा मुफ्त में दी जाएगी। इसके साथ ही, कंपनी ने दवा के किट की कीमत 545 रुपये रखी है

प्रेस को संबोधित करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि हमने कोरोन वायरस की पहली आयुर्वेदिक दवा तैयार कर ली है। हमने इसके टेस्टिंग में पाया कि 3 दिनों में 69 प्रतिशत रोगी इससे ठीक है। लेकिन कुल 7 दिनों में 100 प्रतिशत मरीजों को ठीक किया जा चुका है। बता दें कि भारत में अबतक कोरोना के मामले 4.40 हजार को पार कर चुका है। वहीं मरने वालों की संख्या भी 14,011 तक पहुंची चुकी है। वहीं दुनिया में इससे लाखों संक्रमित और मारे गए हैं। ऐसे में कोरोना वायरस की दवाई व वैक्सीन का लोगों को बसब्री से इंतजार है।

बाबा रामदेव ने कहा, “यह इतिहास की बहुत बड़ी घटना है।’ उन्होंने इस संबंध में कटाक्ष भी किया और कहा कि हो सकता है कि कई लोग इस दवाई पर संदेह करें और कहें कि यह कैसे हो सकता है।

सोमवार को जारी होगा एप

रामदेव ने कहा कि हम ‘कोरोनिल’ को पतंजलि योगपीठ से पूरे विश्व के लिए लॉन्च कर रहे हैं और पूरे आयुर्वेद जगत के लिए यह बहुत ही गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि आगामी सोमवार तक वह एक ऐप जारी करेंगे, जिससे लोगों को घर बैठे-बैठे कोरोना की तीनों दवाइयां मिल जाया करेंगी। स्वामी रामदेव ने कहा कि हम आने वाले समय में कोरोना के कारण गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में भर्ती हुए मरीजों पर भी अपनी दवाई का परीक्षण करेंगे।

आगे भी जारी रहेगा शोध और अनुसंधान

उन्होंने कहा कि अभी इस दवा का परीक्षण कोरोना संक्रमण के पहले और दूसरे चरण के मरीजों पर हुआ है, जिन्हें शत-प्रतिशत फायदा हुआ है। रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि इस दवा के अनुसंधान में पतंजलि और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के चिकित्सकों ने संयुक्त रूप से परीक्षण और क्लीनिक ट्रायल किया.साथ ही बताया कि अनुसंधान का कार्य अभी जारी रहेगा।

545 रुपये कोरोना किट की कीमत

दवा की लॉन्चिंग के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि हमने इस दवा को और भी प्रभावी बनाने के लिए जड़ी-बूटियों के साथ खनिजों का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना किट के जरिये भी कोरोना वायरस से बचाव किया जा सकता है। एक कोरोना किट की कीमत सिर्फ 545 रुपये होगी और यह किट 30 दिनों के लिए होगी।

दिसंबर से ही कर रहे हैं कोरोना पर शोध

पतंजलि ने बताया कि पिछले साल के दिसंबर महीने से कोरोना वायरस की दवाई को लेकर कंपनी काम कर रही है। इस दवा का निर्माण दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा हरिद्वार में किया जा रहा है। पतंजलि ने बताया कि कोरोना टैबलेट पर हुआ शोध पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जयपुर के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।

इन चीजों से मिलकर बनी है दवा

कोरोना वायरस की यह कोरोनिल नामक दवा एक आयुर्वेदिक दवा है। इस दवा में सिर्फ देसी सामान मिलाया गया है. इस दवा को मुलैठी, गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वासारि आदि की मदद से तैयार किया गया है।

पतंजलि मेगा स्टोर पर 600 में मिलेगी दवा

कोरोना टेस्ट जहां काफी महंगा हो रहा है वहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर बाबा रामदेव की पतंजलि कोरोना की जो दवा है वो कितने में लोगों को बेचेगी। आइए हम आपको इसका प्राइस बताते हैं। बाबा रामदेव ने बताया कि पतंजलि मेगा स्टोर पर यह दवा तकरीबन 600 रुपये में उपलब्ध होगी। इसके साथ ही बाबा रामदेव ने कहा है कि जो गरीब और आर्थिक रूप से 600 रुपये खर्च करने में सक्षम नहीं होंगे उन तक यह दवा फ्री में पहुंचाने पर भी विचार किया जा रहा है

ऐसे मिलेगी दवा

 बाबा रामदेव की कोरोनिल दवा पतंजलि मेगा स्टोर पर मिलेगी। आपको ‘दिव्य कोरोना किट’ मिलेगा। इसमें तीन तरह की दवाएं होंगी। इसमें कोरोनिल टैबलेट के अलावा रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त करने वाली श्वसारी वटी भी मिलेगी। साथ ही, नेजल ड्रॉप के तौर पर अणु तेल का भी इस्तेमाल किया गया है

ऐसे किया जाएगा दवा का इस्तेमाल

बाबा रामदेव के पतंजलि द्वारा बनाए गए कोरोनिल किट के अणु तेल को सुबह के वक्त तीन-तीन बूंद नाक में डाला जाएगा। इसके बाद खाली पेट श्वसारि की तीन-तीन टैबलेट दी जाती है। वहीं खाने के बाद मरीज को कोरोनिल की तीन गोलियां दी जाती हैं।