पाकिस्तान नहीं जाएगा रावी नदी का पानी

रावी नदी पर शाहपुर कंडी बैराज बनने से अब जल पाकिस्तान की ओर नहीं बहेगा। इस बांध के जरिए जम्मूकश्मीर के सांबा और कठुआ जिलों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इसके अलावा बिजली भी बनाई जा सकेगी। पंजाब की 5 बड़ी नदियों में से एक रावी का जल अब पूरी तरह से भारत में ही इस्तेमाल हो सकेगा।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 26फरवरी     :

भारत ने पाकिस्‍तान की ओर जाने वाले रावी नदी के पानी को रोक दिया है। 45 साल से पूरा होने का इंतजार कर रहे बांध का निर्माण कर रावी नदी से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोका है। वर्ल्ड बैंक की देखरेख में 1960 में हुई ‘सिंधु जल संधि’ के तहत रावी के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच विवाद के कारण रुका हुआ था, लेकिन इसके कारण बीते कई वर्षों से भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में जा रहा था। इसका सबसे ज्यादा फायदा जम्मू के कठुआ और सांबा जिले में मौजूद 32,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि को लाभ होगा।

जम्मू-कश्मीर ने यह पानी लेने के लिए करीब 60 किलोमीटर लंबी रावी-तवी नहर का निर्माण भी वर्ष 1996 में कर लिया था। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे को लगातार उठाया और केंद्र ने इस परियोजना के लिए केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई।

पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने के लिए रावी नदी पर शाहपुर कंडी बांध बनाया जा रहा था। वर्षों से बन रहे इस बांध निर्माण का काम अब पूरा हो चुका है। बांध में जल भंडारण की क्षमता 4.23 ट्रिलियन घन मीटर फुट है। वहीं, बिजली निर्माण के लिए पावर हाउस तैयार किए जा रहे हैं। रणजीत सागर बांध से छोड़े गए पानी का उपयोग इस परियोजना के लिए बिजली पैदा करने के लिए किया जाना है।

पाकिस्तान नहीं जाएगा रावी नदी का पानी

दरअसल, सिंधु जल बंटवारे के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। संधि के अनुसार, भारत को तीन पूर्वी नदियों यानी रावी, ब्यास और सतलुज के जल के उपयोग का पूर्ण अधिकार मिला। सरकार के अनुसार, रावी नदी का कुछ पानी माधोपुर हेडवर्क्स के जरिए पाकिस्तान में बर्बाद हो रहा था। पानी की ऐसी बर्बादी कम करने के लिए शाहपुर कंडी बांध परियोजना की कल्पना की गई।

अब शाहपुर कंडी बांध की कहानी समझने के लिए 1979 में हुए समझौते को जानना होगा। दरअसल, जनवरी 1979 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच एक द्विपक्षीय समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार, रणजीत सागर बांध और शाहपुर कंडी बांध का निर्माण पंजाब सरकार द्वारा किया जाना था। रणजीत सागर बांध अगस्त 2000 में चालू किया गया था। शाहपुर कंडी बांध परियोजना को रावी नदी पर रणजीत सागर बांध के आठ किमी अप स्ट्रीम पर बनाया जाना था।

योजना आयोग ने नवंबर 2001 के दौरान परियोजना को अनुमोदित किया। परियोजना के सिंचाई घटक के वित्तपोषण के लिए इसे त्वरित सिंचाई लाभ योजना (एआईबीपी) के तहत शामिल किया गया।

शाहपुर कंडी बांध राष्ट्रीय परियोजना की 2285.81 करोड़ रुपये की संशोधित लागत को अगस्त 2009 में अनुमोदित किया गया। वहीं 2009-10 से 2010-11 की अवधि के दौरान 26.04 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के रूप में जारी किए गए। हालांकि, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में कुछ मुद्दों के कारण काम में ज्यादा प्रगति नहीं हो सकी।

द्विपक्षीय और भारत सरकार के स्तर पर कई बैठकें आयोजित की गईं। अंततः 8 सितंबर 2018 को नई दिल्ली में पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों के बीच एक समझौता हुआ। इसके बाद दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रावी नदी पर पंजाब में शाहपुरकंडी बांध परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही परियोजना के लिए 2018-19 से 2022-23 तक पांच वर्षों में 485.38 करोड़ रुपये की (सिंचाई घटक के लिए) केंद्रीय सहायता देने का निर्णय लिया गया। 

भारत ने पाकिस्तान पर कर दी जल ‘स्ट्राइक’

रावी नदी पर बना शाहपुरकंडी बांध 55.5 मीटर ऊंचा है। इसके साथ दो पावर हाउस भी बन रहे हैं। यह परियोजना एक चालू बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है जिसमें पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सिंचाई और बिजली उत्पादन शामिल है। परियोजना से 37,173 हेक्टेयर (पंजाब में 5000 और जम्मू-कश्मीर में 32173) की सिंचाई क्षमता निर्धारित की गई है। यह रणजीत सागर बांध परियोजना के लिए एक संतुलन जलाशय के रूप में भी कार्य करेगा। 

अभी तक रावी नदी का कुछ पानी माधोपुर हेडवर्क्स से पाकिस्तान की ओर बह जाता था जबकि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में उपयोग के लिए इसकी आवश्यकता है। परियोजना के कार्यान्वयन से पानी की ऐसी बर्बादी कम होगी।

परियोजना पूरी होने से पंजाब में 5,000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता पैदा होगी। इसके अलावा पंजाब में 1.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए छोड़े जाने वाले पानी को इस परियोजना के जरिए प्रबंधित किया जाएगा। क्षेत्र में सिंचाई को लाभ होगा। परियोजना पूरी होने से पंजाब 206 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन भी कर सकेगा।

पंजाब के वित्त मंत्री ने युवा उद्यमी श्रेय जैन को सम्मानित किया

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 01फरवरी

एक्सपीरियंस एंटरटेनमेंट के संस्थापक श्रेय जैन को पंजाब के वित्त मंत्री  हरपाल सिंह चीमा ने प्रतिष्ठित ‘लिविंग लीजेंड एंड कॉरपोरेट एक्सीलेंस अवॉर्ड 2024’ से सम्मानित किया है। उन्हें रीजन में इवेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए ‘इवेंट मैनेजमेंट’ कैटेगरी में पुरस्कार दिया गया।

अवॉर्ड प्राप्त करने के बाद श्रेय जैन ने कहा कि “मैं इस अवॉर्ड और सम्मान का पूरा श्रेय अपनी टीम को देता हूं, जिन्होंने ट्राइसिटी के कुछ सबसे यादगार आयोजनों को आयोजित करने में सरलता और क्रिएटिविटी दिखाई है, जिन्होंने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। हमारे शानदार आयोजन अन्य से काफी अलग, इनोवेटिव और इंटरटेनमेंट से भरपूर  रहे  ।”

यह उल्लेखनीय है कि श्रेय के प्रभावशाली नेतृत्व ने एक्सपीरियंस एंटरटेनमेंट को हाल ही में एक संगीत और लाइफस्टाइल प्रोग्राम- बांगर फेस्टिवल को सफलतापूर्वक आयोजित करने में मदद की। यह महोत्सव संगीत प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय रहा क्योंकि दो दिनों में रिकॉर्ड 15,000 लोग इस समारोह में एकत्र हुए।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि श्रेय की दृष्टि और प्रयासों के साथ एक्सपीरियंस एंटरटेनमेंट ने एक इवेंट प्रॉपर्टी – द बांगर फेस्टिवल बनाई है जो अब उत्तर भारत का सबसे बड़ा संगीत और लाइफ स्टाइल फेस्टिवल है। बांगर फेस्टिवल किंग, अनुव जैन, तलविन्दर और अन्य लोगों की शानदार प्रस्तुति के साथ एक शानदार आयोजन के तौर पर दर्ज हुआ।

भारतीय रेल कश्‍मीर घाटी को देश के शेष रेल नेटवर्क से जोड़ने के और करीब पहुँची 

ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक  परियोजना  में  महत्‍वपूर्ण उपलब्‍धि: 3209 मीटर लंबी टी-1 सुरंग का ब्रेक-थ्रू  सफलतापूर्वक किया पूरा

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 21 दिसम्बर  :

रेल मंत्रालय ने वीरवार को कहा कि उत्तर रेलवे ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला (यूएसबीआरएल) रेल परियोजना के तहत निर्माणाधीन कटरा-बनिहाल सैक्‍शन के बीच टनल टी-1 का ब्रेक-थ्रू करके बड़ी उपलब्‍धि हासिल की है ।  20 दिसम्बर 2023 को 3209 मीटर लंबी सुरंग टी-1 के ब्रेक-थ्रू के दौरान लाइन और लेवल को सटीक तरीके से सफलतापूर्वक प्राप्‍त किया गया । यह शानदार उपलब्‍धि प्रगति और संपर्क विस्‍तार की दिशा में एक बड़ी छलांग साबित होगी । राष्‍ट्रीय रेल परियोजना के अंतर्गत उत्‍तर रेलवे के लिए कोंकण रेल निगम लिमिटेड द्वारा रियासी जिले में कटरा के निकट त्रिकुटा पहाड़ियों की तलहटी में  सुरंग टी-1 का निर्माण किया जा रहा है । ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के अंतर्गत यह ब्रेक-थ्रू इस लिहाज से एक शानदार उपलब्‍धि है कि इस परियोजना के लिए सभी आवश्‍यक सुरंगों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया । 111 किलोमीटर के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र वाला कटरा-रियासी के हिस्‍से के निर्माण के दौरान अनेक बाधाएं सामने आईं और इसके लिए वैश्‍विक विशेषज्ञों को भी साथ लेने की आवश्‍यकता पड़ी । हिमालयन मेन बाउंड्री थ्रस्‍ट से होकर गुजरने के कारण सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण के रूप में जानी जाने वाली सुरंग टी-1 के निर्माण में अनेक भौगोलिक चुनौतियों, जिनमें दुर्गम क्षेत्र और सुरंग के अंदर से भारी मात्रा में आने वाले जल प्रवाह का भी सामना करना पड़ा । यह सुरंग निचले हिमालय से होकर गुजरती है और यह ज्‍वाइंटिड और फ्रैक्‍चर्ड डोलोमाइट वाली भी है । साथ ही, इसका लगभग 300 से 350 मीटर का बड़ा हिस्‍सा एक बड़े जलप्रपात, जिसे कि मेन बाउंड्री थ्रस्‍ट के रूप में जाना जाता है, से होकर गुजरता है । भारी जल प्रवाह वाले इस जलप्रपात की उपस्‍थिति के कारण इस हिस्‍से में सुरंग की खुदाई का कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण रहा । प्रारंभ में, इस सुरंग की खुदाई परंपरागत एनएटीएम टनलिंग फिलोस्‍फी पद्धति से की गई । किंतु मेन बाउंड्री थ्रस्‍ट के विस्‍को-इलास्‍टिक प्‍लास्‍टिक मीडिया को व्‍यवस्‍थित करने के लिए इसे डीप ड्रेनेज पाइपों, अम्‍ब्रेला पाइप रूफिंग, केमिकल ग्राउटिंग, फेस बोल्‍टिंग, मल्‍टीपल ड्रिफ्ट वाली सिक्‍वेंसियल एक्‍सकेवेशन, रिजिड सपोर्ट और शॉटक्रेटिंग इत्‍यादि  द्वारा खोदी जाने वाली आई-सिस्‍टम प्रणाली से पूरा किया गया । सुरंग की आई सिस्‍टम प्रणाली को अपनाकर एमबीटी के जरिए सुरंग टी-1 की खुदाई का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया गया और इस प्रकार कटरा से बनिहाल तक नई रेल लाइन के निर्माण की दिशा में एक नई उपलब्‍धि हासिल की गई । इस सुरंग के ब्रेक-थ्रू को इस राष्‍ट्रीय परियोजना की एक बड़ी उपलब्‍धि के रूप में देखा जा रहा है । इस उपलब्‍धि से कश्‍मीर घाटी को शेष भारत के रेल नेटर्वक से जोड़ने का स्‍वप्‍न साकार हो जाएगा । इस सुरंग का निर्माण ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के व्‍यापक संदर्भों में बेहद उल्‍लेखनीय है । इसके अंतर्गत कटरा और बनिहाल के बीच 38 सुरंगों का निर्माण शामिल है । इस रेलमार्ग पर सभी सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया गया है । इस परियोजना में बेहतर नियोजन और विभिन्‍न इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्‍तेमाल करके बेहद लंबी और भौगोलिक दृष्‍टि से सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण 3209 मीटर लंबी टी-1 सुरंग की खुदाई का कार्य अब सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है । यह भारतीय रेल की ढांचागत प्रगति की प्रतिबद्धता को दर्शाता है ।आज तक, खुदाई का 318 मीटर और कंकरीट लाइनिंग का 680 मीटर कार्य को बैलेंस कर लिया गया है । शेष कार्य पूरी रफ्तार से दिन-रात चल रहा है । भारतीय रेल कश्‍मीर घाटी को देश के शेष रेल नेटवर्क से जोड़ने के और करीब पहुँच रही है ।

धारा 370 पर महबूबा ने कोर्ट के फैसले का विरोध करना है तो जाएँ पाकिस्तान : वीरेश शांडिल्य 

  •  विश्व हिन्दू तख्त प्रमुख वीरेश शांडिल्य ने कहा कि महबूबा मुफ्ती के अंदर आईएसआई का डीएनए, पहले भी दे चुकी है महबूबा तिरंगे के विरुद्ध राष्ट्र विरोधी बयान 
  •  शांडिल्य बोले यह वहीं महबूबा मुफ्ती है जिसकी बहन रूबिया सैयद मुफ्ती का अपहरण होने पर 1989 में 5 आतंकवादियों को रिहा किया गया 
  •  शांडिल्या बोले – सुप्रीम कोर्ट का फैसले मौत की सजा वाले ब्यान को वापिस न लिया तो वह पूरे देश में एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया और विश्व हिंदू तख्त महबूबा मुफ्ती के पुतले जलाएंगा 

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 12 दिसम्बर  :

विश्व हिन्दू तख्त के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख एवं एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करना है तो पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान में जाकर रहने लग जाए और वहीं राजनीति करें।

वीरेश शांडिल्य आज अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती इससे पहले भी भारतीय तिरंगे के खिलाफ जहर उगल चुकी हैं और महबूबा ने चेतावनी दी थी कि अगर जम्मू कश्मीर के लोगों को मिले विशेषाधिकारों में किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य में तिरंगे को थामने वाला कोई नहीं रहेगा, जिस पर उस वक्त भी एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया ने महबूबा मुफ्ती को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

विश्व हिन्दू तख्त के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख एवं एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा कि उसके ब्यानों से व सोच से ऐसा लगता है कि महबूबा मुफ्ती के अंदर आईएसआई का डीएनए है। तभी वह मोदी सरकार के धारा 370 के फैसले के खिलाफ जहर उगलती रही और अब जब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने मुख्य न्यायधीश वाई चंद्रचूहड़ की अध्यक्षता में मोदी सरकार के धारा 370 को हटाने के फैसले को सही बताया लेकिन महबूबा जो पाकिस्तान से प्यार करती है और पाकिस्तान के आतंकवादियों को संरक्षण देती है उसने यह कह कर कि धारा 370 के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला मौत की सजा जैसा, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा का यह ब्यान राष्ट्र विरोधी है।

वीरेश शांडिल्य ने कहा कि यह वही महबूबा मुफ्ती है जिसकी बहन रूबिया सय्यैद मुफ्ती का अपहरण होने पर 1989 में 5 आतंकवादियों को रिहा किया गया जबकि सईद परिवार ने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए अपनी बहन की रूबिया की कुर्बानी नहीं दी। शांडिल्य ने महबूबा मुफ्ती को पाक आतंकवादियों का समर्थक बताया और कहा कि महबूबा मुफ्ती ने यदि सुप्रीम कोर्ट के धारा 370 के फैसले पर जो जम्मू कश्मीर की जनता को भड़काने का ब्यान देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसले मौत की सजा वाले ब्यान को वापिस न लिया तो वह पूरे देश में एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया और विश्व हिंदू तख्त महबूबा मुफ्ती के पुतले जलाएंगा।

370 के बाद पीओके पर भी बड़ा फैंसला लें मोदी व शाह की जोड़ी : शांडिल्य  

  • शांडिल्य बोले- केंद्र सरकार के 370 के फैंसले पर मोहर लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने मील पत्थर कार्य किया 
  •  मोदी और शाह की जोड़ी ने 370 खत्म कर सरदार पटेल व श्याम प्रसाद मुखर्जी की सोच पर पहरा दिया 

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 11 दिसम्बर  :

एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विश्व हिन्दू तख्त के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा कि पीओके को लेकर भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी बड़ा फ़ैंसला लें । देश की जनता मोदी के साथ है । शांडिल्य ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 को हटाने के पक्ष में मोहर लगाकर यह साबित किया कि मोदी और शाह का यह फैंसला राष्ट्रहित में था । वीरेश शांडिल्य ने कहा एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया और विश्व हिन्दू तख्त अब मोदी और शाह से उम्मीद करता है कि वह पाकिस्तान ऑक्यूपाईड कश्मीर पर भी सर्जिकल स्ट्राइक की तरह फैंसला लें । इसके लिए निश्चित तौर पर देश मोदी के साथ खड़ा होगा । उन्होंने कहा यह फैंसला मोदी को 2024 के चुनावों से पहले लेना चाहिए । 

 विश्व हिन्दू तख्त अंतरराष्ट्रीय प्रमुख शांडिल्य ने स्पष्ट बयान देते हुए कहा कि मोदी को देश की जरूरत नहीं बल्कि देश को मोदी की जरुरत है क्योंकि वह राष्ट्र को समर्पित है और शहीदों की सोच पर पहरा दे रहे है । आज मोदी के नेतृत्व में देश सोने की चिड़िया नहीं बल्कि सोने का टाइगर बनने जा रहा है जो फक्र की बात है । वीरेश शांडिल्य ने कहा कि मोदी ने अनुच्छेद 370 खत्म कर एक क़ानून एक विधान एक झंडा तो बनाया ही लेकिन जो बात सिर्फ काग़ज़ों तक सीमित थी कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है उसे सही मायने में मोदी व शाह ने चरितार्थ किया है । वीरेश शांडिल्य ने कहा कोई भी अब जम्मू कश्मीर में जाकर चुनाव लड़ सकता है और व्यापार कर सकता है और यह फैंसला लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की सोच पर पहरा दिया था । विश्व हिन्दू तख्त एवं एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया जम्मू कश्मीर में संत सिपाही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का प्रचार करेंगे । देश की सबसे बड़ी अदालत ने अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में जो फैंसला दिया है वह मील पत्थर फैंसला है ।

PoK, नेहरू की गलती : अमित शाह

“पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जो कश्मीर में गलतियां की हैं उसका खामियाजा कश्मीर को उठाना पड़ा। जवाहर लाल नेहरू की पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआअगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। एक तरह से कश्मीर में तीन युद्ध हुए! 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया इस दौरान 31000 से अधिक परिवार विस्थापित हुए। गौरतलब है कि 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान 10065 परिवार विस्थापित हुए थे। 1947, 1965 और 1969 के इन तीन युद्धों के दौरान कुल 41844 परिवार विस्थापित हुए थे।“ सांसद मैं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा।

  • कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी: अमित शाह
  • नरेंद्र मोदी सरकार के शासन काल के दौरान आतंकी घटना में आई कमी: अमित शाह
  • गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर में सीटों का किया ऐलान
  • परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब सीटों की संख्या बढ़कर 114 हो जाएगी
  • POK के लिए 24 सीटों को रिजर्व किया गया है
  • 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए: अमित शाह

नयी दिल्ली ब्यूरो, डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली – 06 दिसम्बर  :

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा।” अमित शाह जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिलों पर चर्चा कर रहे थे।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “जवाहर लाल नेहरू की पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता।” दूसरा- “जवाहर लाल नेहरू ने UN में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने की गलती की।” अमित शाह के इस बयान पर सदन में हंगामा भी हुआ। बाद में विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया।

उन्होंने इसके साथ ही राज्य में परिसीमन के बाद विधानसभा सीटों का भी ऐलान कर दिया। शाह ने कहा, “यह बिल 70 वर्षों से जिनपर अन्याय हुआ, अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी की गई, उनको न्याय दिलाने का बिल है।” उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहले 107 सीटें हुआ करती थीं जो परिसीमन में बढ़कर 114 हो गई हैं।

शाह ने बताया कि ये जो संशोधन है, उसे आने वाले दिन में हर कश्मीरी, जो प्रताड़ित है वो याद रखेगा, हर कश्मीरी जो पिछड़ा है वो याद रखेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 70-70 साल से दर-दर की ठोकरे खाने वाले अपने ही भाई-बहनों को न्याय दिलाने के लिए दो सीटों का रिजर्वेशन दिया। अपना देश छोड़कर POK छोड़कर यहां शरणार्थी बने लोगों को आरक्षण दिया। जो कमजोर लोग है उनको पिछड़ा वर्ग वाला संवैधानिक शब्द दिया।

परिसीमन का जिक्र करते हुए शाह ने बताया कि परिसीमन की जो सिफारिश है उसको कानूनी जामा पहनाकर आज इसे संसद के सामने रखा है। शाह ने बताया कि दो सीटें कश्मीर विस्थापितों के लिए आरक्षित होंगी। एक सीट POK के विस्थापित व्यक्तियों के लिए दी जाएगी। इसमें से एक महिला होना जरूरी है। 9 सीटें ST के लिए आरक्षित की गई हैं। SC के लिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है। परिसीमन आयोग की सिफारिश के पहले जम्मू में पहले 37 सीटें थीं जिसे अब 43 कर दी गई हैं। कश्मीर में पहले 46 सीटें थी अब 47 हुई हैं। POK की 24 सीटें हमने रिजर्व रखी हैं, क्योंकि वो हिस्सा हमारा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहले 107 सीटें थीं जो अब बढ़कर 114 हो गई हैं। पहले दो नामांकित सदस्य हुआ करते थे अब 5 सदस्य होंगे। कश्मीर के कानून के हिसाब से दो महिलाओं को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है। धारा 15 के अनुसार किया जाता है। अब इसमें कश्मीरी प्रवासियों में 2, जिसमें एक महिला और POK से एक नामांकन किया जाएगा।

रामबन वायाडक्ट पुल का सफलतापूर्वक निर्माण, एक उल्लेखनीय उपलब्धि : नितिन गडकरी

  • जम्मू-कश्मीर में 4 लेन के 1.08 किलोमीटर लंबे रामबन वायाडक्ट पुल का सफलतापूर्वक निर्माण, एक उल्लेखनीय उपलब्धि : नितिन गडकरी
  • 328 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के उधमपुर-रामबन खंड पर स्थित 

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतों – 02 नवम्बर  :

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने पोस्ट किए गए संदेशों में कहा है कि हमने जम्मू-कश्मीर में 4 लेन वाले 1.08 किलोमीटर लंबे रामबन वायाडक्ट का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो कि एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 328 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के उधमपुर-रामबन खंड पर स्थित है।श्री गडकरी ने कहा कि यह विशिष्‍ट पुल 26 खंडों से बना है और इसकी संरचना में कंक्रीट और स्टील गर्डर्स का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके पूरा होने से रामबन बाजार में पहले लगने वाली वाहनों की भीड़ काफी हद तक कम हो गई है और यातायात का प्रवाह सुगम हो गया है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व के अनुरूप हम जम्मू-कश्मीर में उत्कृष्टतम राजमार्ग बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न केवल क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा बल्कि एक शीर्ष स्तरीय पर्यटक स्थल के रूप में इसका आकर्षण भी बढेगा।

फारूक अब्दुल्ला की बेटी को छोड़ चुके हैं सचिन पायलट

आइये जानते हैं पायलट के इस बार के हलफनामें में और किन-किन बातों का जिक्र है। 2018 के मुकाबले उनकी संपत्ति में कितना इजाफा हुआ है? 2018 में उनकी पत्नी के नाम पर कितनी संपत्ति थी? उनके दोनों बेटों के नाम पर क्या है? 2018 के मुकाबले 2023 में क्या नया है और क्या नहीं है? सारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की बेटी हैं और उमर अब्दुलके तालाक को न्ययलय ने नामंज़ूरि दि , वह भि अप्नि पत्नि और बच्चोन के पास नयि दिल्लि मैं नहीं जाते हैं.

  • पायलट ने शपथ-पत्र में किया खुलासा
  • सचिन पायलट और सारा पायलट दो बच्चे हैं
  • दोनों की प्रेम कहानी भी काफी चर्चित रही है

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 31 अक्टूबर :

कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपनी पत्नी से सारा पायलट से अलग हो गए हैं. इसका खुलासा आज पायलट ने नामांकन-पत्र के साथ दिए एफिडेविट में किया गया है. हालांकि दोनों के बीच तलाक कब हुआ इसका तो कोई खुलासा नहीं हो सका है लेकिन सार्वजनिक रूप से यह पहली बार सामने आया है कि दोनों अलग हो गए हैं। पायलट ने अपने शपथ पत्र में पत्नी के नाम के आगे तलाशुदा लिखा है. सचिन और सारा के दो बच्चे हैं. दोनों बच्चे सचिन के पास है. इसका भी हलफनामे में खुलासा किया गया है.

सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला की शादी 15 जनवरी 2004 को हुई थी। दोनों के आरन और विहान नाम के दो बच्चे हैं। सारा अब्दुल्ला और सचिन पायलट की शादी काफी चर्चित रही थी। इनके अलग होने की चर्चा काफी समय से चल रही थी, लेकिन इसकी पुष्टि हुई है सचिन पायलट द्वारा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर भले गए हलफनामे से। सचिन पायलट ने इसमें बताया है कि उनके दोनों बच्चे उन्हीं पर आश्रित हैं।

साल 2018 में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई थीं सारा

सचिन पायलट ने साल 2018 के चुनावी हलफनामे में सारा अब्दुल्ला की संपत्ति की भी जानकारी दी थी, लेकिन इस बार के हलफनामे में उन्होंने खुद को तलाकशुदा बताया है। इससे पहले भी साल 2014 के लोकसभा चुनाव के समय दोनों के तलाक की अफवाहें उड़ी थी, लेकिन तब सचिन ने इसका खंडन किया था। साल 2018 में जब सचिन पायलट उप-मुख्यमंत्री बने थे, तो शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सारा अपने पिता फारूक अब्दुल्ला और दोनों बेटों आरन-विहान के साथ शामिल हुईं थी।

बता दें कि सचिन पायलट लंबे समय से राजनीति की दुनिया में हैं। साल 2004 में वो दौसा लोकसभा सीट से सांसद बने थे। साल 2009 में उन्होंने अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था और केंद्रीय मंत्री भी बने थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा था, लेकिन साल 2018 में उनकी अगुवाई में कॉन्ग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।

हालाँकि शीर्ष नेतृत्व ने उनकी जगह अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना था। पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन कुछ समय बाद ही गहलोत और पायलट के बीच की तनातनी सार्वजनिक हो गई। पायलट की कैबिनेट से भी छुट्टी कर दी गई थी। फिलहाल सचिन पायलट एक बार फिर से टोंक विधानसभा सीट से चुनावी समर में उतर चुके हैं।

कॉर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज इंडिया ने शिखर सम्मेलन द्वारा तिब्बती मानव अधिकारों के  संरक्षण के लिए मांग की

जया अग्रवाल , डेमोक्रेटिक फ्रंट, दिल्ली/मध्य प्रदेश – 25अगस्त :

कॉर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज इंडिया के संयोजक श्री आर. के. खिरमे( पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री अरुणाचल प्रदेश) ने पत्रकार बंधुओ को संबोधित करते हुए बताया की कॉर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज इंडिया  सीजीटीसीआई ने जी 20 नेताओं से चीन सरकार द्वारा तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन पर तत्काल ध्यान देने की अपील की है विशेष रूप से उन रिपोर्ट पर ध्यान देने की अपील की गई है जिसमें 10 लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया है और तिब्बत में अनिवार्य आवासीय स्कूल प्रणाली में डाल दिया गया है इस स्कूल नीति का उद्देश्य तिब्बत की संस्कृति धार्मिक और भाषाई रूप को नष्ट करना है यह आवासीय स्कूल चीनी कम्युनिस्ट विचारधारा और उनके द्वारा गढ़ी जा रही कहानियों के साथ राजनीतिक रूप से प्रेरित है ज्ञातव्य है, कि जी-20 शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है।

 सम्मेलन में कॉर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज इंडिया की मांगे मानव अधिकार उल्लंघन की तत्काल जवाबदेही

परम पावन 14 दलाई लामा का पुनर्जन्म के निर्णय का अधिकार स्वयं परम पावन दलाई लामा और संबंधित अधिकारियों के पास हो
तिब्बती बच्चों के अधिकारों का संरक्षण सभा में कॉर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज इंडिया के सह संयोजक सुरेंद्र कुमार, अरविंद निकोलस एवं भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल उपस्थित हुए।

कॉर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज इंडिया भारत में सभी तिब्बत समर्थक समूह का सर्वोच्च संगठन है इसका कार्य तिब्बती मुद्दे के समर्थन के लिए समन्वय, निर्देश योजनाएं और गतिविधियों को संचालित करना है अपने अधिकारों और पहचान के लिए तिब्बती लोगों के संघर्ष को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है इस क्षेत्र में नागरिकों को गायब कर देने, मनमाने ढंग से हिरासत में लेने और सांस्कृतिक रूप से अपना वर्चस्व कायम करने के मामले बड़े पैमाने पर हो रहे हैं सीजीटीसी-आइ जी-20 नेताओं से इन अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होने और सभी के लिए मानव अधिकार और सम्मान के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान करता है

अब चंदामामा दूर के नहीं : प्रधान मंत्री

भारत चांद के किसी भी हिस्से में यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश भी बन गया है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन को ही यह कामयाबी मिली है। अब सभी को विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का इंतजार है। धूल का गुबार शांत होने के बाद यह बाहर आएगा। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे।

चंद्रयान-3 लैंडिंग से ठीक पहले वर्टिकल पोजिशन में आया। - Dainik Bhaskar
चंद्रयान – 3 लैंडिंग से ठीक पहले वर्टिकल पोजिशन में आया

सारीका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, बेंगलुरु/चण्डीगढ़ – 23अगस्त :

भारत ने इतिहास रच दिया है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह को छू लिया है। भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश और धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है, जो अब तक अनछुआ था।

इस अभियान के तहत यान ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया था। चंद्र सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी। ‘चंद्रयान 3’ की सफलता को लेकर देश भर में प्रार्थनाएँ हो रही थीं।

बता दें कि ISRO के ‘चंद्रयान 3’ का बजट मात्र 75 मिलियन डॉलर (615 करोड़ रुपए) ही था, जो अंतरिक्ष के विषय पर बनी हॉलीवुड की फिल्म ‘Interstellar’ (2014) के बजट से भी कम है। दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति एलन मस्क ने भी इस पर टिप्पणी की है। बता दें कि ‘इंटरस्टेलर’ का बजट 165 मिलियन डॉलर था। एलन मस्क ने कहा है कि ये मिशन भारत के लिए काफी अच्छा है। बता दें कि ‘चंद्रयान 3’ को 14 जुलाई, 2023 को अंतरिक्ष के लिए लॉन्च किया गया था।

BRICS समिट में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लैंडिंग के कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़े हुए थे। जहाँ ‘चंद्रयान 3’ के लैंडर का नाम विक्रम है, वहीं इसके रोवर का नाम प्रज्ञान है। बता दें कि इस मिशन के बारे में जानकारी ISRO के मुखिया रहे के सिवन ने 2020 में ही दे दी थी। उन्होंने बताया था कि जहाँ रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में 250 करोड़ रुपए का खर्च आया है, वहीं वहीं लॉन्च सर्विस 365 करोड़ रुपए के खर्च से हुआ।

वहीं बता दें कि ‘चंद्रयान 2’ मिशन 978 करोड़ रुपए में पूरा किया था, लेकिन वो लैंड नहीं कर पाया था। उस दौरान भावुक के सिवन को सांत्वना देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीडियो भी सामने आया था। जिस तरह से उन्होंने वैज्ञानिकों को ढाँढस बँधाया था, उसके बाद उनकी जम कर तारीफ़ हुई थी। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस कार्यक्रम से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस उपलब्धि पर मुस्कुराते हुए नजर आए। इसके बाद उन्होंने अपना संबोधन शुरू किया।

PM मोदी बोले- चंदा मामा के दूर के नहीं, एक टूर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा- यह क्षण भारत के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नई ऊर्जा, नए विश्वास, नई चेतना का है। अमृतकाल में अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं।

नया इतिहास बनते ही हर भारतीय जश्न में डूब गया है। पहले कहा जाता था कि चंदा मामा बहुत दूर के हैं। एक दिन ऐसा आएगा कि बच्चे कहेंगे चंदा मामा बस टूर के हैं।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा- भारतीय वैज्ञानिकों ने इतिहास रच दिया। उन्हें बधाई। चंद्रयान की सफलता मानवता के लिए बड़ा पल है।

तब रूस के नाम हो जाता यह रिकॉर्ड
भारत से पहले रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 यान उतारने वाला था। 21 अगस्त को यह लैंडिंग होनी थी, लेकिन आखिरी ऑर्बिट बदलते समय रास्ते से भटक गया और चांद की सतह पर क्रैश हो गया।

चांद पर लैंडिंग में 41 दिन लगे

चंद्रयान-3 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च हुआ था। इसे चांद की सतह पर लैंडिंग करने में 41 दिन का समय लगा। धरती से चांद की कुल दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है।

लैंडिंग के बाद अब क्या होगा?

  • डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा।
  • फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा।
  • पहिए चांद की मिट्‌टी पर अशोक स्तंभ और ISRO के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
  • विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। ये फोटो वे पृथ्वी पर भेजेंगे।