महबूबा मुफ़्ती के लिए भारत सबका नहीं बल्कि सिर्फ ‘गोडसे’ का देश दिख पड़ता है। महबूबा ने कहा, ”जम्मू कश्मीर के लोग गोडसे के भारत के साथ नहीं रह सकते। हम महात्मा गांधी का भारत चाहते हैं, भारतीय संविधान से हमें मिली हमारी पहचान और सम्मान वापस चाहते हैं तथा मैं आश्वस्त हूं कि उन्हें ब्याज के साथ इसे लौटाना पड़ेगा। ”उन्होंने कहा इतहिास गवाह है कि किसी भी शक्तिशाली राष्ट्र ने बंदूक के दम पर लोगों पर शासन नहीं किया है। उन्होंने कहा, ”आप कश्मीर को लाठी या बंदूक के दम पर नहीं रख सकते…महाशक्ति अमेरिका अपनी ताकत के बल पर अफगानिस्तान में शासन करने में नाकाम रहा और उसे वहां से जाना पड़ा।”
सारीका तिवारी, चंडीगढ़/श्रीनगर:
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बोल बुधवार को फिर बिगड़ गए। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अगर कश्मीर को अपने साथ जोड़े रखना है तो अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल कर कश्मीर मसले का हल करना होगा। आज जम्मू प्रांत के नील, बनिहाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता अपनी पहचान आैर सम्मान की वापसी सूद समेत वापसी चाहती है।
उन्होंने कहा कि हम महात्मा गाँधी का भारत चाहते हैं, इसीलिए, जम्मू कश्मीर के लोग ‘गोडसे के हिंदुस्तान’ में नहीं रह सकते। महबूबा मुफ़्ती ने लोगों को एकजुट रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संविधान ने दिया था, जिसके समर्थन में संघर्ष है। उन्होंने ये भी कहा कि लोग अपनी ‘पहचान एवं सम्मान’ की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज़ मुखर करें। बनिहाल के नील गाँव में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।
महबूबा मुफ़्ती ने इस दौरान कहा, “हमारी किस्मत का फैसला महात्मा गाँधी के भारत के साथ किया था, जिसने हमें अनुच्छेद 370 दिया, हमारा अपना संविधान और झंडा दिया। हमलोग गोडसे के साथ नहीं रह सकते। अगर वो हमारी हर चीज छीन लेंगे तो हम भी अपना फैसला वापस ले लेंगे। उन्हें सोचना होगा कि अगर वो अपने साथ जम्मू कश्मीर को रखना चाहते हैं तो उन्हें अनुच्छेद-370 को वापस बहाल करना होगा और कश्मीर मुद्दे का समाधान करना होगा।”
उन्होंने अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी को लाठी या बंदूक के बल पर ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता है। बकौल महबूब मुफ्ती, अमेरिका को महाशक्ति होने के बावजूद अफगानिस्तान से निकल कर जाना पड़ा और वहाँ ताकत के बल पर शासन करने की उसकी कोशिश नाकाम हो गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से वार्ता की बात करने पर उन्हें देशद्रोही करार दिया जाता है, जबकि वही लोग तालिबान से बात कर रहे यहीं अरुणाचल प्रदेश में ‘गाँव बसाने वाले’ चीन से बात कर रहे।
इससे पहले महबूबा मुफ़्ती ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय और माफी एक स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से उपजा हो। विडंबना यह है कि जहाँ भाजपा को वोट के लिए शेष भारत में लोगों को खुश करने की जरूरत है, वहीं कश्मीरियों को दंडित और अपमानित करना उसके प्रमुख वोट बैंक को संतुष्ट करता है
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/11/mehbooba_mufti.jpg360640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-11-25 12:59:202021-11-25 13:00:27अनुचेद 370 भारत सरार फिर से लगाए तभी काश्मीर भारत के साथ रहेगा – महबूबा मुफ़्ती
बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर को ‘आईएसआईएस कश्मीर’ से कथित तौर पर जान से मारने की दूसरी बार धमकी दी गई है। इससे पहले जान से मारने की धमकी के बाद गौतम गंभीर के दिल्ली स्थित आवास के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, जिसने दिल्ली पुलिस के हवाले से कहा, गंभीर को दूसरी मौत की धमकी मिली, जिसके साथ एक वीडियो भी था जिसमें उनके आवास के बाहर का फुटेज था। पुलिस ने उनके आवास के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी है। दिल्ली पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है।
सरीका तिवारी, चंडीगढ़/श्रीनगर/नयी दिल्ली:
पूर्व क्रिकेटर और पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद गौतम गंभीर को बुधवार – 24 नवंबर, 2021 को लगातार दूसरी बार जान से मार डालने की धमकी मिली है। उन्हें ये धमकी ‘isiskashmir@gmail.com’ से मिली है। इसके बाद उन्होंने पुनः दिल्ली पुलिस से संपर्क कर के पूरी जानकारी दी है। इस ईमेल में लिखा है, “हमने तुम्हारी हत्या करने का इरादा बना लिया था, लेकिन कल तुम किसी तरह बच गए। अगर तुम अपने परिवार के जीवन से प्यार करते हो, तो राजनीति और कश्मीर मुद्दे से दूर रहो।”
इस ईमेल के साथ एक वीडियो भी भेजा गया है। खास बात ये है कि इस वीडियो को उनके घर के बाहर ही शूट किया गया है। इससे पहले भी गौतम गंभीर को ‘ISIS कश्मीर’ की तरफ से धमकी दी गई थी। वहीं पहले वाले ईमेल में लिखा था “हम तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जान से मार डालेंगे।” DCP (सेंट्रल) श्वेता चौहान ने समाचार पत्र को बताया कि गौतम गंभीर की तरफ से गौरव अरोड़ा ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर FIR दर्ज कर जाँच शुरू है।
बता दें कि गौरव अरोड़ा सांसद गौतम गंभीर के निजी सचिव हैं। दिल्ली पुलिस को सौंपी गई अपनी हस्तलिखित शिकायत में उन्होंने बताया था कि मंगलवार (23 नवंबर, 2021) को रात 9:32 बजे पूर्व क्रिकेटर को पहली धमकी मिली थी। दिल्ली पुलिस फ़िलहाल उस ईमेल एड्रेस की पुष्टि कर रही है। राजेंद्र नगर में उनके घर के बाहर सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। सेन्ट्रल डिस्ट्रिक्ट की साइबर सेल मामले की छानबीन कर रही है। अभी इस बारे में कुछ पता नहीं चल सका है।
खुद को ‘आईएसआईएस कश्मीर’ बताने वाले एक समूह ने पत्रकार आदित्य राज कौल को जान से मारने की धमकी दी है। कौल ने बताया कि धमकी के बारे में उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस और स्पेशल सेल को जानकारी दे दी है और उम्मीद है कि जल्द ही आतंकी पकड़े जाएँगे। कौल ने धमकी भरे मेल के तीन स्क्रीनशॉट ट्विटर पर शेयर किए हैं। इनमें उन्हें स्पष्ट शब्दों में जान से मारने की धमकी मिली है। एक स्क्रीनशॉट में आईएसआईएस कश्मीर ने इस कश्मीरी पंडित पत्रकार को अपना अगला निशाना बताया।
पत्रकार अदित्यराज कौल को इस्लामी आतंकी संगठन दाइश की जम्मू कश्मीर शाखा ने ईमेल पर जान से मारने की धमकी दी है। कौल ने यह जानकारी ट्विटर पर साझा की। कश्मीरी पंडित पत्रकार कौल का दावा है कि उनकी आतंकवाद पर बेबाक रिपोर्टिंग के चलते उन्हें यह धमकी दी गई है।
‘Our next Target is you Mr. Aditya’ शीर्षक (हमारा अगला शिकार तुम हो) वाले धमकी भरे ईमेल में लिखा गया है, “जनाब आदित्य, कुछ ज्यादा ही आपने हमारे अगेंस्ट लिख लिया है। अब आपको हम कुछ दिन बाद लंबी यात्रा कराने वाले हैं… आओ कभी श्रीनगर। रिगार्ड: दाइश, जम्मू-कश्मीर।”
ISIS कश्मीर के नाम से भेजी एक अन्य ईमेल में लिखा है, “We Are going to kill you soon” (हम तुम्हें जल्द ही मारने वाले हैं) आगे लिखा है, “हमारे पास सब जानकारियाँ हैं, कहाँ रहते हो और अभी किस लोकेशन पर हो। बस कुछ दिन की बात है उसके बाद सिर काट देंगे।”
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/11/gautam-gambhir.jpg433758Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-11-25 02:09:182021-11-25 02:10:32ISIS ने गौतम गंभीर के साथ आदित्य राज कौल को धमकाया
जम्मू कश्मीर के तेज़ तर्राख एवम पूर्व एम.एल.सी भाजपा नेता चौधरी विक्रम रंधावा ने किसान कानून को वापिस लेना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की एक उपलब्धि बताया है। विक्रम रंधावा ने प्रधानमंत्री के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि जो बिल किसान भाइयों को असमंजस में डाला हुआ था। आज उस बिल को वापिस लेने की घोषणा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किसानों को श्री गुरु नानक जी के प्रकाश उत्सव के पावन पर्व पर बहुत बड़ा तोहफ़ा दिया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/11/WhatsApp-Image-2021-11-19-at-3.49.04-PM.jpeg403720Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-11-19 10:32:462021-11-19 10:36:12कृषि कानून वापिस लेना मोदी की उपलब्धि: रंधावा
The National Cadet Corps (NCC), Panjab University, Chandigarh and Centre for Human Rights and Duties, Panjab University, Chandigarh organized a one day workshop for NCC Cadets of PU on Drug De-addiction.
Dr. Kuldeep Singh, Coordinator, NCC, PU introduced the theme of the workshop and relevance of Drug De-addiction in present times.
Professor (Dr.) Monica.M.Singh introduced the speaker Dr. Ajeet Sidana, Professor, Government Medical College and Hospital, Sector 32, Chandigarh.
Dr. Sidana discussed about different types of substance use disorders and its effects on human mind and behaviour. He discussed about the different methods of treatment of drug de-addiction that could help the victim to overcome the habit of taking drugs over the period. Through various case studies, he put forth that drug addiction should be treated like an ailment under medical prescription and guidance. He added that an individual suffering should not be treated like an outcaste and should be provided requisite assistance both by family and society. Dr. Sidana answered the questions of the cadets with respect to social and legal aspect of drug de-addiction.
Dr. Namita Gupta, Assistant Professor, Centre for Human Rights and Duties, PU proposed the vote of thanks for providing a fruitful insight into the concept. Approximate 75 cadets/ Students participated in the Workshop.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/11/Press-note-1-Photos-2.jpeg642726Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-11-18 12:46:102021-11-18 12:46:13One Day Workshop on Drug De-Addiction at PU
– ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद मेजर अनुज राजपूत को पुष्पचक्र अर्पित कर दी श्रद्धांजलि – पंचकूला के साथ साथ देश ने एक होनहार व बहादुर बेटा खो दिया -गुप्ता – अनुज ने देश की रक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये हमें ऐेेसे वीर सपूत पर गर्व है-गुप्ता
पंचकूला, 22 सितम्बर:
कल जम्मू-कश्मीर के उद्यमपुर जिले में चौपर क्रैश में शहीद हुये मेजर अनुज राजपूत का आज राजकीय सम्मान के साथ सेक्टर-20 स्थित श्मशानघाट में अंतिम संस्कार किया गया।
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद मेजर अनुज राजपूत को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी व शहीद के पिता केएस आर्य व माता श्रीमती उषा देवी का ढांढस बधाया। जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किये।
इससे पूर्व 27 वर्षीय शहीद मेजर अनुज राजपूत का पार्थिव शरीर सेक्टर-20 लाया गया जहां सेकड़ों लोगों ने शहीद मेजर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
सेक्टर-20 निवासी मेजर अनुज राजपूत आर्मी एवियेशन काॅर्पस में युवा पायलट थे और अपने माता-पिता की एकलौती संतान थे। मेजर अनुज एक होनहार व बहादुर युवा थे और हाल ही में मेजर के रैंक पर प्रमोट हुये थे।
शहीद मेजर अनुज राजपूत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये श्री गुप्ता ने कहा कि आज पंचकूला के साथ साथ देश ने एक होनहार व बहादुर बेटा खो दिया है। उन्होंने कहा कि शहीद मेजर अनुज का पालन पोषण व पढ़ाई पंचकूला मेें ही हुई। मात्र 27 वर्ष की अल्पायु में ही वह मातृभूमि की रक्षा के लिये शहीद हो गये। श्री गुप्ता ने कहा कि ऐसे बहादुर युवाओं पर हमें गर्व हैं। उन्होंने कहा कि धन्य है ऐसे माता-पिता जिन्होंने अनुज जैसे वीर सपूत को जन्म दिया। गुप्ता ने कहा कि वे प्रभु से प्रार्थना करते है कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें व परिवारजनों को इस दुख को सहने की शक्ति दें।
इस दुख की घड़ी में स्थानीय लोगों के साथ साथ सेना व पुलिस के अधिकारियों व अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने शहीद मेजर अनुज राजपूत को श्रद्धांजलि अर्पित की।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/09/4-1.jpg400600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-09-22 13:24:182021-09-22 13:24:38शहीद मेजर अनुज राजपूत का राजकीय सम्मान के साथ सेक्टर-20 स्थित श्मशानघाट में किया गया अंतिम संस्कार
Webinar on “AFGHANISTAN: THE TALIBAN TAKEOVER, REGIONAL POWERS AND IMPLICATIONS FOR INDIA” by Dr. Shalini Chawla at the Department of Defence and National Security Studies.
The Department of Defence and National Security Studies, Panjab University, Chandigarh organized a special webinar on the topic “AFGHANISTAN: THE TALIBAN TAKEOVER, REGIONAL POWERS AND IMPLICATIONS FOR INDIA” by Dr. Shalini Chawla, a distinguished fellow and heads Pakistan and Afghanistan studies at the Centre for Air Power Studies (CAPS), New Delhi. She was a research scholar at the Institute for Defence Studies and Analyses, 1999-2002. She worked as a free-lance defence analyst from 2003-2005 in Colombo, Sri Lanka. She joined CAPS in 2006 and focus of her studies is Pakistan and Afghanistan.
Through this lecture, Dr. Chawla mainly wanted to draw attention to the challenges that India is going to face due to the Afghan crisis. She said that the agreement reached between the United States and the Taliban organization has many flaws and there is no concept of peace in it. The withdrawal of US troops from Afghanistan has posed many challenges and opportunities for regional powers such as Pakistan, Iran, China, Russia, and India. Talking about the implications for India, she said that at present the situation in the case of India is very unfavorable and it may face many more challenges in the near future. New Delhi does not recognize the Taliban as a governing authority in Afghanistan. As a friendly neighbor, India has always been concerned about peace and security in and around Afghanistan. That is why the Government of India supports all peace initiatives and engages with many stakeholders, including regional countries.
She further said that India is historically linked to Afghanistan, and it is its gateway to Central Asia. It has always wanted to protect the Afghan territory from Pakistan so that they cannot use it for any anti-India activities. But after the Taliban occupation of Afghanistan, India is now concerned about its commitment to the Afghan people. She is also apprehensive about the China-Pakistan alliance in Afghanistan. It fears that the soil of Afghanistan may be used by Pakistan for its anti-India terrorist activities.
She further said that regional powers like Pakistan and China are supporting the Taliban government for their strategic interests. Pakistan has already said that they will support an independent, democratic and sovereign Afghanistan, which they mean by a Taliban government ruling the Afghan people. Dr. Chawla stressed that Pakistani leaders always think that the Taliban will help them in the acquisition of Kashmir from India. That’s why they are providing the Taliban with equipment training and money to the best of their ability. Another hidden aim of Pakistan is that it wants to form a pro-Pakistan government in Afghanistan, which will help them resolve the border issues with Afghanistan and it will prevent the Pashtuns from demanding a separate Pashtunistan. She further said that since Pakistan’s own economy is in trouble, it is difficult to say how long Pakistan will support the Taliban with money and equipment. She said Pakistan would face international repercussions for its actions in Afghanistan.
While explaining China’s position in Afghanistan, Dr. Shalini highlighted that China always acts according to its security and strategic interests. Diplomatically, China has said that it is always ready to develop friendly and cooperative relations with Afghanistan and play a constructive role in Afghanistan’s peace and reconstruction. But its main objectives are: defending its borders and controlling the spread of extremism in Xinjiang, exploration of minerals in Afghanistan, and controlling regional expansionism. Apart from these, China’s main multilateral approach is to build three main alliances: Afghanistan-China-Pakistan, Afghanistan-Pakistan-Iran-China, and third is China-Pakistan-Afghanistan-Nepal. Like India, China also sees Afghanistan as a route to Central Asia. Dr. Chawla also focused on Russian and Iranian interests in the Afghan region. She said that with the Taliban’s takeover of Afghanistan, Russia is also concerned about its border security and influence in the region. Keeping its security interests in mind, Russia hosted a peace conference between the Afghan government and the Taliban in March 2021. But later when the Taliban controlled Afghan territory, Russian leaders also became concerned about the security challenges they would face in Central Asia and the Afghan region. Talking about Iranian interest in Afghanistan, Dr. Shalini said that Iran is portraying diplomatically that it is very concerned for the peace and security of Afghanistan but in reality, it is more concerned about the security of Afghan Shias. Decades of conflict have driven hundreds of thousands of Afghan refugees into Iran. Iran expects peace and stability there from the Taliban regime in Afghanistan and is looking for friendly relations with Afghanistan. Concluding her lecture, Dr. Chawla said that everything looks very pessimistic right now. Every state is looking after Afghanistan and acting according to its interest. Presently, the situation for India is not in its favor and the Pakistan-Afghanistan alliance is a big challenge, but India is still committed to help the Afghan people.
The lecture was attended by members of various faculty members, serving and retired armed officers pursuing various courses in the department, research scholars and students. The lecture was followed by a question answer session with the audience.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/09/Press-note-4-photo.png7681366Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-09-22 12:54:162021-09-22 12:54:20Webinar on “AFGHANISTAN: THE TALIBAN TAKEOVER, REGIONAL POWERS AND IMPLICATIONS FOR INDIA” by Dr. Shalini Chawla
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने एक बड़े आतंकी मॉड्यूल को ध्वस्त कर दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि आतंकियों के टारगेट पर आने वाला त्योहार नवरात्र, दशहरा और दीपावली था। उन्होंने बताया कि अंडरवर्ल्ड से आतंकियों की फंडिंग हुई है। स्पेशल सेल ने ऑपरेशन में 6 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली पुलिस ने अपना यह ऑपरेशन दिल्ली, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश में चला इन्हें गिरफ्तार किया है। इस संबंध में उनको 15 अगस्त से पहले इनपुट मिले थे। इसी के बाद पुलिस ने अपनी पड़ताल शुरू की। काफी समय से पुलिस इस मॉड्यूल पर अपनी नजर बनाए हुए थी, मगर जब सूचना कन्फर्म हो गई तब इन लोगों को पकड़ा गया। अब आगे इनके पूछताछ चल रही है।
नयी दिल्ली(ब्यूरो) :
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पाकिस्तान समर्थित एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए पाक प्रशिक्षित दो आतंकवादियों सहित कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है। स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने मंगलवार को बताया कि स्पेशल सेल ने कई राज्यों में चले इस ऑपरेशन में विस्फोटक और हथियार बरामद किए गए हैं। इन सभी छह लोगों को दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र से पकड़ा गया है। गिरफ्तार आतंकियों में दो की शिनाख्त ओसामा और जीशान के रूप में हुई है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि इन दोनों आतंकियों की ट्रेनिंग पाकिस्तान में हुई थी। इन आतंकियों के अंडरवर्ल्ड से भी संबंध बताए जा रहे हैं।
इस गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल क स्पेशल सीपी नीरज ठाकुर ने बताया कि आशंका है कि इस ग्रुप में 14-15 लोग शामिल हैं और यह भी हो सकता है कि उन्हें भी यहीं ट्रेनिंग मिली हो। ऐसा लगता है कि यह ऑपरेशन को बॉर्डर के आसपास से ही ऑपरेट किया जा रहा था। दिल्ली पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई है कि इन्होंने 2 टीमें बनाई थी। एक टीम को दाउद इब्राहिम का भाई अनीष इब्राहिम को-ऑर्डिनेट कर रहा था। इस काम था कि बॉर्डर से हथियार जुटाकर पूरे भारत में हथियार पहुंचाए। दूसरी टीम के पास हवाला के जरिए फंड जुटाने का काम था।
जानकारी के अनुसार, इन आतंकियों की गिरफ्तारी के लिए मल्टी स्टेट ऑपरेशन चलाया गया था। पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेने वाले दोनों आतंकियों में एक का नाम ओसामा और दूसरे का जीशान कमर है। इसके अलावा पकड़े गए 4 अन्य आरोपियों का नाम मोहम्मद अबु बकर, जान मोहम्मद शेख, मोहम्मद आमिर जावेद और मूलचंद लाला है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये सभी देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए साजिश रच रहे थे। साथ ही कई नामचीन हस्तियों को निशाना बनाने वाले थे, और देश का माहौल बिगाड़ना चाहते थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पकड़े गए आतंकियों में से एक का काम आने वाले फेस्टिवल सीजन में IED प्लांट करना था। नवरात्रि और रामलीला के दौरान भीड़ भरे इलाके इनके निशाने पर थे। आतंकियों से भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और हाई क्वालिटी पिस्टल बरामद किए गए हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/09/Special-Cell1.jpg7591123Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-09-15 01:10:382021-09-15 01:11:38देश दहलाने के पाक के मंसूबे का पर्दाफाश, दाउद इब्रहीम का नाम फिर आया सामने
नवजोत सिंह सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम कोई अनहोनी बात नहीं है। सिद्धू हर वह काम करते रहे हैं जिससे भारत के अन्तर्मन को ठेस लगे। ‘इमरान मेरा यार’, ‘मैं तो अपने कैप्टन के हम से पाकिस्तान गया था’ इत्यादि कम नहीं थे कि पाकिस्तान में जा कर जन॰ बाजवा से गलबहियाँ डाल फोटो खिंचवाई और तो और सिद्धू किराजस्थान में चुनाव प्रचार की सभाओं में अतिउत्साहित लोगों ने मंच पर से या दर्शक दीर्घा से पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे भी लगाए। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली अपने फेसबुक पेज पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक स्केच पोस्ट कर विवादों में घिर गए हैं। माली ने 1989 में पब्लिश ‘जन तक पैगाम’ नाम की पंजाबी मैगजीन का कवर सोशल मीडिया में शेयर किया है। इसमें दिख रहा है कि इंदिरा गांधी इंसानी खोपड़ियों के ढेर पर खड़ी हैं और उनके हाथ में मौजूद बंदूक पर भी एक खोपड़ी लटक रही है। सिद्धू के उपरोक्त पाकिस्तान प्रेम के चलते उनके सलाहकार का यह व्यवहार आश्चर्यजनक नहीं है। दखना यह है कि नेहरू – इन्दिरा के नाम की मलाई खाने वाला कॉंग्रेस का प्रथम परिवार अब सिद्धू पर क्या कार्यवाई करता है ?
सारिका तिवारी, चंडीगढ़:
पंजाब में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपने सलाहकारों के कारण विवाद में आ गए हैं। हाल ही में पंजाब में कॉन्ग्रेस ने अपनी कलह सुलझाई है, लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच का मनमुटाव ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा। इसी बीच सिद्धू के सलाहकारों की हरकतों पर कैप्टेन ने नसीहत भी दी है। इसके साथ ही पंजाब कॉन्ग्रेस में फिर से खींचतान शुरू हो गई है।
सिद्धू के सलाहकार मलविंदर सिंह माली की दो अलग-अलग फेसबुक पोस्ट पर विवाद हुआ था। उन्होंने न सिर्फ जम्मू कश्मीर, बल्कि कॉन्ग्रेस की दिवंगत नेता व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी पर भी विवादित पोस्ट कर डाला। जहाँ एक तरफ कश्मीर को उन्होंने अलग देश बता डाला तो वहीं इंदिरा गांधी का एक आपत्तिजनक स्केच सोशल मीडिया पर शेयर किया। इससे नाराज़ कैप्टेन ने सिद्धू को सलाह दी है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर ने कहा कि डॉक्टर प्यारे लाल गर्ग और मलविंदर सिंह माली सिर्फ प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष को सलाह देने तक ही खुद को सीमित रखें तो बेहतर है। उन्होंने कहा कि ये संवेदनशील मुद्दे हैं, इसीलिए इन पर वो अधूरा ज्ञान रख कर न बोलें। उन्होंने कहा कि जिस चीज के बारे में जानकारी न हो, उस पर नहीं बोलना चाहिए। कैप्टेन ने माली के बयान को देशविरोधी बताते हुए कहा कि इससे माहौल खराब हो सकता है।
उन्होंने इसे देश विरोधी काम बताया। हालाँकि, इतना विवाद होने के बावजूद भी माली ने अपना बयान वापस नहीं लिया है। सीएम कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा, “सिद्धू के सलाहकार वास्तविकता से कोसों दूर हैं। उन्हें जमीनी हकीकत नहीं पता है। ये हर किसी को पता है कि पाकिस्तान हमारे के लिए असल खतरा है। वहाँ से लगातार हथियार लाए जाते हैं, पंजाब में ड्रग्स की सप्लाई की जाती है। इसका इस्तेमाल पंजाब को अस्थिरता की ओर धकेलने के लिए होता है।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि कैसे हमारे सैनिक भी बॉर्डर पर शहीद हो रहे हैं। उन्होंने 80 के दशक का दौर भी याद दिलाया, जब कई लोगों को आतंकवाद के कारण अपनी जान गँवानी पड़ी थी। माली ने फेसबुक के अपने कवर पेज पर 1990 के आसपास प्रकाशित होने वाली एक मैगजीन ‘जनतक पैगाम’ के मुख्य पृष्ठ का फोटो लगाया है। इसमें इंदिरा गाँधी को हाथ में बंदूक लिए दिखाया गया है, जिसके एक सिरे पर खोपड़ी लटक रही है।
इस कार्टून में इंदिरा गांधी के पीछे भी खोपडियों का ढेर लगा हुआ है और इस पेज पर पंजाबी में लिखा है, “हर जबर दी इही कहाणी, करना जबर ते मुँह दी खाणी’, अर्थात ‘हर जुल्म करने वाले की यही कहानी है अंत में उसे मुँह की खानी पड़ती है।’ एक तरह से उन्होंने सिख दंगों के लिए कॉन्ग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए और स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए इंदिरा गाँधी का ये स्केच शेयर किया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/08/gzeeubat3t5hf98z_1629350194.jpeg438768Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-08-23 05:47:572021-08-23 05:48:34सिद्धू के सलहकार मल्विंदर के बोलों पर गहराई चुप्पी
राजनीति जो न करवा दे वह कम है। राजनीति से दोगलापन कभी दूर हो पाएगा क्या? कभी CAB(Citizens Amendment Bill) को ‘Communal Atom Bomb’ बताने वाले कॉंग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल आज अफगानिस्तान में फंसे सिखों को न केवल सुरक्षित भारत लाना चाहते हाँ अपितु उनके नागरिक सम्मान के लिए भी चिंतित हैं। यह वही शेरगिल हैं जिनहोने CAA के खिलाफ राजनैतिक पूर्वाग्रहों से ग्रसित हो देश के सभी मीडिया चैनलों की बहस में आ कर बहुत ही आक्रामक ढंग से अपनी राजनैतिक विचारधारा का पक्ष रखते थे। उस समय इन्हें सीएए भाजपा का सांप्रदायिक हथियार दीख पड़ रहा था। सूत्रों की मानें तो 2019 के चुनावों से पहले सीएए को आआपा, कॉंग्रेस समेत विपक्ष ने एक राजनैतिक हथियार के रूप में प्रयोग कर शाहीन बाग ओर हिन्दू विरोधी दिल्ली दंगे करवाए। जिस समय सीएए पेश होना था तब शेरगिल और उनके साथी सीएए में मुसलमानों को शामिल न किए जाने पर भाजपा पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाते थे। आज जब अफगानिस्तान में मुस्लिम आतंकवादी गुट तालिबन का हमला हुआ है तब से वहाँ का जन जीवन बहुत ही दयनीय अवस्था में पहुँच रहा है। वहाँ दूसरे धर्मों के लोगों की तो क्या ही कहें स्वयं मुसलिम समुदाय की स्थिति शोचनीय है। लेकिन आज शेरगिल पंजाब चुनावों के मद्देनजर सिखों के प्रत्यार्पण की ग़ार लगा रहे हैं अपरोक्ष रूप से उसी CAB के तहत जो कभी बक़ौल शेरगिल ए ‘Communal Atom Bomb’ था।
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
कॉन्ग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने खुद को ‘सिख समुदाय का एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक’ बताते हुए अफगानिस्तान से 650 सिखों व 50 हिन्दुओं को सुरक्षित निकाले जाने के लिए केंद्रीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा है। ये अलग बात है कि वो अपनी पार्टी के अध्यक्ष सोनिया गाँधी को पत्र लिख कर कभी ये नहीं कह पाएँ कि वो नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन करें।
CAA क्या है? इसके तहत दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सिखों, हिन्दुओं, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। ये तीनों ही इस्लामी देश हैं, जो अल्पसंख्यकों के साथ क्रूरता के लिए कुख्यात हैं। पाकिस्तान में हिन्दू व सिख महिलाएँ सुरक्षित नहीं। बांग्लादेश में आए दिन मंदिर तोड़े जाते हैं। अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को समूह में ही मार गिराया जाता रहा है।
ऐसे में जयवीर के भीतर का सिख तब नहीं जागा, जब भारत सरकार CAA लेकर आई थी। उनके अंदर का सिख तब क्या ‘गैर-जिम्मेदार’ हो गया था? अब खुद को भारतीय नागरिक बता कर केंद्रीय विदेश मंत्रालय से 650 सिखों के लिए स्पेशल वीजा की व्यवस्था की गुहार लगा रहे जयवीर शेरगिल की माँग एकदम उचित है, लेकिन वो और उनकी पार्टी ही इसके मार्ग में अक्सर रोड़े अटकाती रही है।
आइए, थोड़ा पीछे चलते हैं। 16 दिसंबर, 2019 को। शाहीन बाग़ के उपद्रवियों का उत्पात चरम पर था। देश भर में कई शाहीन बाग़ बना कर भड़काऊ भाषणबाजी हो रही थी। दिल्ली दंगों की स्क्रिप्ट रची ही जा रही थी। कॉन्ग्रेस माहौल का मजा लूट रही थी। उस दिन 10:03 में जयवीर शेरगिल का ट्वीट आता है – ‘CAB = Communal Atom Bomb’, जिसका अर्थ है – ‘नागरिकता संशोधन विधेयक = सांप्रदायिक परमाणु बम।’
बता दें कि CAA ही जब कानून न होकर बिल हुआ करता था तो इसे CAB कहते थे, क्योंकि तब ये संसद के दोनों सदनों में पास नहीं हुआ था। इसलिए, इस CAA और CAB को एक ही समझा जाए। यानी, जब केंद्र सरकार प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए संरक्षण की व्यवस्था कर रही थी, तब यही जयवीर शेरगिल अपनी पार्टी के सुर में सुर मिला कर इसका तगड़ा विरोध करने में लगे थे। अब उनके अंदर का सिख जाग गया है।
वो ‘सिख समुदाय का एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक’ तब कहलाते, जब वो कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को पत्र लिख कर कहते कि चूँकि ये मामला प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को अधिकार देने से जुड़ा है, दलितों को धर्मांतरण व महिलाओं को क्रूरता से बचाने से जुड़ा है, इसीलिए वो इसका विरोध न करें। लेकिन अफ़सोस, इस्लामी मुल्कों से प्रताड़ना सह कर आए इन्हीं सिखों व हिन्दुओं के लिए तब उनकी आवाज़ नहीं निकली।
निकली भी तो विरोध में। पंजाब के जालंधर से आने वाले जयवीर शेरगिल तब मीडिया के माध्यम से CAA के खिलाफ प्रोपेगंडा फैलाने में लगे थे। तब उन्होंने ‘द हिन्दू’ में एक लेख लिखा था, जिसका शीर्षक ही था – ‘बिना सोचे-समझे लिया गया निर्णय’। उनका कहना था कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से उत्तर-पूर्व में अशांति या गई है। उन्होंने CAA को भारत की विदेश नीति की भारी गलतियों में से एक करार दिया था।
उन्होंने CAA को एक ‘संकीर्ण निर्णय’ बताते हुए लिखा था कि इसकी वजह से भारत को दुनिया भर में संदेह की दृष्टि से देखा जाएगा। भारत सरकार को इसे लेकर काफी सफाई देनी पड़ेगी। उन्होंने भारत की ‘विविधता और समावेशी’ चरित्र की बात करते हुए कहा था कि ऐसे निर्णयों से निवेशकों का विश्वास देश में डिगेगा। उन्होंने इसे ‘चुने हुए देशों के शरणार्थियों के लिए मजहब आधारित कानून’ करार दिया था।
अब? अब अचानक ही उन्हें पता चल है कि भारत का हिन्दू या सिख होने के कारण अफगानिस्तान जैसे मुल्कों में तालिबान जैसे इस्लामी आतंकी संगठन उन्हें निशाना बनाते हैं? उन्होंने अपने पत्र में 2018 की एक घटना का जिक्र किया है। तब जलालाबाद में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में 19 हिन्दुओं व सिखों को मार डाला गया था। ये सब राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने जा रहे थे। मृतकों में अवतार सिंह खालसा चुनावी उम्मीदवार भी थे।
पंजाब चुनाव या सिखों की चिंता।
इसका सीधा मतलब है कि अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ क्रूर बर्ताव व उनके नरसंहार की घटनाओं से जयवीर शेरगिल अनजान नहीं थे, लेकिन फिर भी उन्होंने तब अपनी पार्टी के स्टैन्ड को आगे बढ़ाना उचित समझा। आज जब अफगानिस्तान में 650 सिख फँसे हुए हैं तो उन्हें ये घटनाएँ याद आ रही हैं। उनकी नौकरी जाने व आय की चिंता हो रही है। सिख समाज के लिए उनका प्रेम उमड़ आया है।
ये कैसा दोहरा रवैया है कि एक तरफ वो केंद्रीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिख कर कहते हैं कि भारतीय मूल के अल्पसंख्यक तालिबानी आतंकियों के लिए आसान निशाना होते हैं, जबकि दूसरी तरफ वो इन्हीं अल्पसंख्यकों के लिए लाए गए कानून का बढ़-चढ़ कर विरोध करते हैं? 2018 की घटना का जिक्र बताता है कि इसके बावजूद उन्होंने 2019-20 में CAA का विरोध किया और इन्हीं अल्पसंख्यकों को अधिकारी मिलने की राह में रोड़े अटकाए।
उनके पास अब भी समय है। ‘सिख समुदाय से तालुक रखने वाले एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक’ होने के नाते वो राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को पत्र लिख कर कह सकते हैं कि वो NRC की राह में रोड़े अटकाने बंद करें। वरना अगर असम में जब नॉन-मुस्लिमों के साथ अत्याचार की खबरें आएँगी और उनमें सिख भी होंगे, तब फिर वो केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिख कर कहेंगे कि अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
राहुल गाँधी असम में NRC विरोधी गमछा पहन कर जाते हैं, ‘No CAA’ वाला रूमाल दिखाते हैं और रैली में कहते हैं कि अगर उनकी सरकार आई तो वो CAA को लागू ही नहीं होने देंगे। इस पर जयवीर शेरगिल चूँ तक नहीं करते। उनके ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी कहा था कि वो किसी भी कीमत पर पंजाब में CAA को लागू नहीं करने देंगे। पार्टी में, अपने आसपास चल रहे इन बयानों से शेरगिल अनजान थे, ये पचने वाली बात नहीं है।
बताते चलें कि जयवीर शेरगिल ने इस पत्र में ध्यान दिलाया है कि अमेरिका की सेना की वापसी के बाद तालिबान बंदूक की नोंक पर अफगानिस्तान को अपने कब्जे में लेने के लिए युद्ध कर रहा है। एक बार फिर से अफगानिस्तान के आतंकी चंगुल में जाने की आशंका है। उन्होंने अफगानिस्तान में हुई हालिया हिंसा की भीषण घटनाओं की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि ये मानवता के लिए संकट पैदा करने वाली समस्या है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/08/CABShergil.jpg392696Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-08-10 07:22:012021-08-10 07:22:37जिन अल्पसंख्यकों के प्रत्यार्पण पर शेरगिल और उनकी पार्टी ने रोड़े अटकाए आज पंजाब चुनावों के चलते उनही अल्पसंख्यकों को भारत लाने की गुहार लगा रहे हैं, क्या वाकई?
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जहां राजीव गांधी खेल रत्न को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न कर दिया है तो वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। जिसमें ऐतिहासिक पहल करते हुए केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों का नाम अब शहीद सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के जवान के नाम पर किया जाएगा।
शुक्रवार को दो बड़े फैसले लिए गए
राजीव गांधी खेल रत्न नाम बदने के बाद जम्मू कश्मीर में बड़ा फैसला लिया गया
जम्मू संभाग में स्कूलों को अंतिम रूप देने के लिए पत्र भी जारी कर दिया गया है
जम्मू कश्मीर(ब्यूरो) :
राज्य से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार एक के बाद एक कदम उठा रही है। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों का नाम सेना, पुलिस और सीआरपीएफ के शहीद जवानों के नाम पर रखने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में प्रशासनिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के नाम पर रखे जा सकने वाले सरकारी स्कूलों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए जिला स्तर पर एक समिति गठित करने की बात कही गई है।
इसके बाद सत्यापन किया जाएगा और विवरण तैयार किया जाएगा। आधिकारिक नोटिस के अनुसार, जिला स्तर पर सूची को अंतिम रूप देने के लिए समिति में एसएसपी, एडीसी, डीपीओ या एसी पंचायत और सेना के प्रतिनिधियों को शामिल किया जा सकता है।
इसके अलावा सभी उपायुक्तों को इस सूची को 5 अगस्त 2021 तक जम्मू संभागीय आयुक्त कार्यालय को भेजने के लिए कहा गया था। सूत्रों के अनुसार, कुछ जिलों ने पहले ही उन स्कूलों की सूची जमा कर दिए हैं, जिनका नाम देश की रक्षा में अपने प्राणों को बलि देने वाले बलिदानियों को नाम पर रखे जाने हैं।
इस मामले में सरकारी अधिसूचना पिछले सप्ताह जारी की गई थी। इसमें जम्मू, कठुआ, डोडा, पुंछ, रामबन, सांबा, किश्तवाड़, राजौरी, उधमपुर और रियासी के उपायुक्तों को अपने-अपने जिलों के गाँवों/नगरपालिका वार्डों में सरकारी स्कूलों की पहचान करने का निर्देश दिया गया था। इस साल (2021) के शुरुआत में पंजाब सरकार ने भी 17 सरकारी स्कूलों का नाम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविंदर गुप्ता ने प्रशासन के इस फैसले का स्वागत किया है।
राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने ट्वीट कर इस घोषणा के पूर्ण होने की उम्मीद जताई। उन्होंने लिखा कि कुछ साल पहले कश्मीर में सड़कों का नाम शहीदों के नाम पर रखने का एलान हुआ था, लेकिन अभी तक उसका इंतजार किया जा रहा है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/08/jand-k-school-02.jpg478640Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-08-06 14:25:272021-08-06 14:25:41शहीदों के नाम पर होंगे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और काश्मीर के सरकारी विद्यालयों के नाम
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