Commemoration of Martyrs of Jallianwala Bagh Massacre

Koral ‘Purnoor’ Chandigarh, Demokretic Front – April 13, 2022 :

Department of Library & Information Science organized an event for Commemoration of Martyrs in Jallianwala Bagh Massacre. Dr. Shiv Kumar, Chairperson, initiated the event with a brief introduction and history about this day. The Jallianwala Bagh massacre took place in a public garden in Amritsar in the state of Punjab, on 13 April 1919 where local unarmed people were protesting against Rowlatt Act, which gave powers to the police to arrest any person without any reason. All the faculty members of the department presented their views on the issue of martyrs and how Britishers had still not apologized for the atrocities committed at that time by General Dyer. Due respect was given to freedom fighters especially Udham Singh who assassinated Michael O’Dywer in London. Research Scholars, students of UG and PG took part in various activities like poems and sharing their viewpoints regarding Jallianwala Bagh Massacre. The event initiated a feeling of patriotism and reverence for the martyrs who sacrificed for a better future. Main aim of organizing today’s event is to remember the sacrifices of Martyrs. Their sacrifice will never be forgotten.

जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा रहेगा, तब तक शांति नहीं आएगी : महबूबा मुफ्ती

इससे पहले हाल ही में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी सरकार से पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत का अपना आह्वान दोहराते हुए कहा था कि जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा रहेगा, तब तक शांति नहीं आएगी। महबूबा मुफ्ती ने लोगों से अगले विधानसभा चुनावों में गुपकर घोषणापत्र गठबंधन के घटकों को वोट करने का आह्वान किया था, जिससे बीजेपी के सत्ता हासिल करने के प्रयास को विफल किया जा सके।

नई दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट :

 जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान को लेकर बयान दिया है। महबूबा मुफ्ती अक्सर पाकिस्तान को लेकर सहानुभूति वाले बयान के लिए जानी जाती हैं। हालांकि उन्होंने इस बार पाकिस्तान में चल रहे राजनीतिक संकट को लेकर संयमित बयान देते हुए कहा है कि पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है और हम चाहते हैं कि वहां लोकतंत्र फले फूले। उन्होंने कहा कि मेरी चाहत है कि पड़ोसी मुल्कों में भी डेमोक्रेसी मजबूत हो।  श्रीनगर से एक कार्यक्रम में शामिल होने आईं महबूबा मुफ्ती से जब पाकिस्तान के राजनीतिक संकट पर पूछा गया तो उन्होंने यह बात कही।

इससे पहले हाल ही में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी सरकार से पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत का अपना आह्वान दोहराते हुए कहा था कि जब तक कश्मीर मुद्दा अनसुलझा रहेगा, तब तक शांति नहीं आएगी। महबूबा मुफ्ती ने लोगों से अगले विधानसभा चुनावों में गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (PAGD) के घटकों को वोट करने का आह्वान किया था, जिससे बीजेपी के सत्ता हासिल करने के प्रयास को विफल किया जा सके। मालूम हो कि पीएजीडी नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सहित कई पार्टियों का एक गठबंधन है।

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने साथ ही कहा था कि कश्मीर पिछले 70 सालों से समाधान का इंतजार कर रहा है। जब तक कश्मीर मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक इस क्षेत्र में शांति नहीं होगी और इसके लिए पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ बातचीत जरूरी है। वहीं, कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में, पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी लोगों का ध्रुवीकरण करने के इरादे से इसे बढ़ावा दे रही है। इसके बजाय, पिछले 8 वर्षों में पंडितों के पुनर्वास के लिए बीजेपी का प्रयास बेहतर होता

पाकिस्तान में इमरान खान की पारी का ‘THE END’,  सरकार सिर्फ 3 साल 7 महीने 23 दिन चली

पाकिस्तान में इमरान खान को आखिरकार प्रधानमंत्री पद गंवाना ही पड़ा। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। इसके बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्व में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। पाकिस्तान के अगले संभावित प्रधानमंत्री और संसद में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कहा, ‘हम किसी से बदला नहीं लेंगे, किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे और किसी को जेल में नहीं डालेंगे। कानून अपना रास्ता खुद बना लेगा।’ 69 साल के इमरान खान 2018 में सत्ता में आए थे। उन्होंने देश की व्यवस्था में बड़े सुधारों का वादा किया था ताकि भ्रष्टाचार खत्म हो और देश आर्थिक तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़े। लेकिन उन पर आर्थिक कुप्रबंधन और विदेश नीति के मोर्चे पर गलतियां करने के आरोप लगे। देश में आसमान छूती महंगाई, तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की दुर्गति और देश पर बढ़ते कर्ज ने उनकी लोकप्रियता को भारी नुकसान पहुंचाया है।

इस्लामाबाद/नयी दिल्ली/चंडीगढ़, डेमोक्रेटिक फ्रंट : 

इमरान खान को आखिरकार पाकिस्तान की सत्ता से बेदखल होना पड़ ही गया। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 9 अप्रैल की देर रात अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में इमरान को विपक्ष के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 174 सांसदों ने मतदान किया, जो बहुमत के आंकड़े से 2 मत ज्यादा हैं। पाकिस्तान की 342 सदस्यों वाली संसद में बहुमत का आंकड़ा 172 है. इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से बेदखल होने के बाद विपक्षी दल के नेताओं ने खुशी का इजहार किया।

इमरान खान 18 अगस्त 2018 को चुनाव में जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद सत्ता में आए थे। इस प्रकार उनकी सरकार 3 साल 7 महीने 23 दिन चली। आखिरी दिन इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली में 12 घंटे से अधिक समय तक बहस चली और इसके बाद पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति ने अलग मोड़ ले लिया। आखिरी समय में इमरान के साथ 26 साल के करीबी रिश्ते का जिक्र करते हुए स्पीकर असद कासिर ने पद से इस्तीफा दे दिया। अयाज सादिक को इसके बाद अध्यक्ष के आसन पर बैठाया गया और इमरान खान के भाग्य का फैसला हो गया।

इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के परिणाम की घोषणा अध्यक्ष के चेयर पर बैठे अयाज सादिक ने की। उन्होंने कहा कि 174 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में अपने वोट किए हैं, जिसके तहत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के प्रस्ताव को बहुमत से पारित किया गया है। मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सदन के विपक्षी सदस्यों ने विजय भाषण दिए। इसके बाद संसद के सत्र को सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

इमरान खान से पहले पाकिस्तान के दो प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था, लेकिन उसे पास नहीं कराया जा सका। बेनजीर भुट्‌टो और शौकत अजीज के खिलाफ पूर्व में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन इन दोनों प्रधानमंत्रियों ने अविश्वास प्रस्ताव को पास नहीं होने दिया। इससे उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं आया। इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव को पास होने से रोक नहीं पाए। इस प्रकार वे देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए, जिनको अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हार का सामना करना पड़ा है।

विपक्षी सदस्य अयाज सादिक ने स्पीकर का पद संभाला और अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई। इसके मुताबिक 174 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जो बहुमत से दो ज्यादा है। इसका मतबल है कि अब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रहे। अब संसद अपना नया नेता चुनेगी। इस तरह विपक्षी नेता शहबाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है। वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं और आबादी के लिहाज से पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद शहबाज शरीफ ने संसद में कहा कि नई सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कानून अपना काम करेगा और अदालतों के काम में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी। शरीफ के सहयोगी और पाकिस्तानी पीपल्स पार्टी के नेता बिलावल भट्टो जरदारी ने 10 अप्रैल को पाकिस्तान के इतिहास का अहम दिन बताया, जब किसी प्रधानमंत्री को पहली बार अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता ने बेदखल किया गया है।

नवाज शरीफ की बेटी और पीएमएल (एन) की नेता मरियम नवाज ने ताजा घटनाक्रम पर ट्वीट कर कहा है कि पाकिस्तान का दुस्वप्न खत्म हो गया है और अब इसे संभालने और संवारने का समय है।

इससे पहले, इमरान खान ने शनिवार को कहा कि वह नेशनल असेंबली को बहाल करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं लेकिन वे इसे स्वीकार करते हैं। इमरान खान लगातार इस बात को कहते आ रहे हैं कि उन्हें ‘अमेरिकी साजिश’ के तहत से सत्ता से बाहर किया जा रहा है। उनके मुताबिक उन्होंने विदेश नीति पर अमेरिकी दबाव को मानने से इनकार कर दिया है और इसीलिए अमेरिका नहीं चाहता कि वह सत्ता में रहें। दूसरी तरफ, अमेरिका ने पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया है।

इमरान खान के आलोचकों का कहना है कि वह जनता की सहानुभूति पाने के लिए झूठी कहानियां रच रहे हैं। वहीं इमरान खान ने अपने समर्थकों से रविवार को सड़कों पर निकलने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, “मैं संघर्ष करने को तैयार हूं।” इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ पार्टी के नेता और मौजूदा विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें अपने नेता के साथ खड़े रहने पर गर्व है।

69 साल के इमरान खान 2018 में सत्ता में आए थे। उन्होंने देश की व्यवस्था में बड़े सुधारों का वादा किया था ताकि भ्रष्टाचार खत्म हो और देश आर्थिक तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़े। लेकिन उन पर आर्थिक कुप्रबंधन और विदेश नीति के मोर्चे पर गलतियां करने के आरोप लगे। देश में आसमान छूती महंगाई, तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की दुर्गति और देश पर बढ़ते कर्ज ने उनकी लोकप्रियता को भारी नुकसान पहुंचाया है।

 

होम्योपैथी में क्यों दी जाती है मीठी गोली, जानें सबकुछ – डॉ एच के खरबंदा पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

Dr H K kharbanda

10 अप्रैल को वर्ल्ड होम्योपैथी डे पर विशेष: भारत इसमें वर्ल्ड लीडर बना हुआ है। यहां होम्योपथी डॉक्टर की संख्या ज्यादा है तो होम्योपथी पर भरोसा करने वाले लोग भी ज्यादा हैं।
होम्योपथी से तो सभी परिचित हैं, लेकिन सवाल यह है कि हम होम्योपथी को जानते कितना हैं? कहीं हमारी जानकारी सुनी-सुनाई बातों पर तो आधारित नहीं? एक मरीज के रूप में होम्योपथी की खासियतों और सीमाओं के बारे में जानना जरूरी है।

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की शुरुआत 1796 में सैमुअल हैनीमैन द्वारा जर्मनी से हुई। आज यह अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी में काफी मशहूर है, लेकिन भारत इसमें वर्ल्ड लीडर बना हुआ है। यहां होम्योपथी डॉक्टर की संख्या ज्यादा है तो होम्योपथी पर भरोसा करने वाले लोग भी ज्यादा हैं। भारत सरकार भी अब इस चिकित्सा पद्धति पर काफी ध्यान दे रही है। इसे भी आयुष मंत्रालय के अंतर्गत जगह दी गई है।

एलोपैथी और आयुर्वेद की तरह होम्योपैथ भी एक चिकित्सा पद्धति है। इसमें एलोपैथी की तरह दवाओं का एक्सपेरिमेंट जानवरों पर नहीं होता। इसे सीधे इंसानों पर ही टेस्ट किया जाता है। होम्योपैथिक दवाइयां एलोपथी की तुलना में काफी सुरक्षित मानी जाती हैं।
क्या इसके भी साइड इफेक्ट्स हैं?होम्योपथी के साइड इफेक्ट्स काफी कम होते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि किसी को बुखार की दवाई दी गई और उस व्यक्ति को लूज मोशन, उल्टी या स्किन पर ऐलर्जी हो हो जाए। दरअसल, ये परेशानी साइड इफेक्ट की वजह से नहीं है। ये होम्योपथी के इलाज का हिस्सा है, लेकिन लोग इसे साइड इफेक्ट समझ लेते हैं। इस प्रक्रिया को ‘हीलिंग काइसिस’ कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं।

क्या होम्योपथी में इलाज काफी धीमा होता है?80 फीसदी मामलों में लोग होम्योपैथ के पास तब पहुंचते हैं जब एलोपैथी या आयुर्वेद से इलाज कराकर थक चुके होते हैं। कई बार तो 15 से 20 साल से इंसुलिन लेने वाले शुगर के पेशंट थक-हारकर होम्योपैथ के पास पहुंचते हैं। ऐसे मामलों में इलाज में वक्त लग सकता है।

कैसे होता है इलाज?इसमें मरीज की हिस्ट्री काफी मायने रखती है। अगर किसी की बीमारी पुरानी है तो डॉक्टर उससे पूरी हिस्ट्री पूछता है। मरीज क्या सोचता है, वह किस तरह के सपने देखता है जैसे सवाल भी पूछे जाते हैं। ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने के बाद ही मरीज का इलाज शुरू होता है।

किन बीमारियों में सबसे अच्छी
इलाज लगभग सभी बीमारियों का है। पुरानी और असाध्य बीमारियों के लिए सबसे अच्छा इलाज माना जाता है इसे। असाध्य बीमारियां वे होती हैं जो एलोपैथ से इलाज के बाद भी बार-बार आ जाती हैं, लेकिन माना जाता है कि होम्योपथी उन्हें जड़ से खत्म कर ली है, मसलन ऐलर्जी (स्किन), एग्जिमा, अस्थमा, कोलाइटिस, माइग्रेन आदि।
किन बीमारियों में कम कारगर?होम्योपथी कैंसर में आराम दे सकती है। हां, पूरी तरह ठीक करना मुश्किल है। शुगर, बीपी, थाइरॉइड आदि के नए मामलों में यह ज्यादा कारगर है। अगर किसी मर्ज का पुराना केस है तो पूरी तरह ठीक करने में देरी होती है।
इसके इलाज के लिए कोई डॉक्टर सफेद मीठी गोलियां देता है तो कोई लिक्विड। ऐसा क्यों?होम्योपथी हमेशा से ही मिनिमम डोज के सिद्धांत पर काम करती है। इसमें कोशिश की जाती है कि दवा कम से कम दी जाए। इसलिए ज्यादातर डॉक्टर दवा को मीठी गोली में भिगोकर देते हैं क्योंकि सीधे लिक्विड देने पर मुंह में इसकी मात्रा ज्यादा भी चली जाती है। इससे सही इलाज में रुकावट पड़ती है।

क्या होम्योपथी में दवा सुंघाकर भी इलाज किया जाता है?हां, कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें मरीज को सिर्फ सूंघने के लिए कहा जाता है। मसलन, साइनुसाइटिस और नाक में गांठ की समस्या होने पर डॉक्टर ऐसे ही इलाज करते हैं।

अगर किसी को 5 बीमारियां हैं तो क्या उसे 5 तरह की दवा दी जाएगी?

ऐसा बिलकुल भी नहीं है। एलोपैथ की तरह इसमें 5 अलग-अलग बीमारियों के लिए 5 तरह की दवा नहीं दी जाती है। होम्योपैथ डॉक्टर 5 बीमारियों के लिए एक ही दवा देता है।
इलाज के दौरान लहसुन-प्याज न खाएं?10-15 साल पहले होम्योपथी दवाई लिखने के बाद डॉक्टर यह ताकीद जरूर करते थे कि लहसुन, प्याज जैसी चीजें नहीं खाना है, क्योंकि माना जाता था कि इनकी गंध से दवाई का असर कम हो जाएगा। लेकिन नए शोधों ने इस तरह की सोच को बदल दिया है। अब डॉक्टर इन चीजों को खाने की मनाही नहीं करते। अब इंसानी शरीर प्याज, लहसुन आदि के लिए नया नहीं रहा।

तो इस चिकित्सा पद्धति से इलाज कराते हुए कोई परहेज नहीं है?होम्योपथी की दवा खाने के दौरान जिस एक चीज की सख्त मनाही होती है वह है कॉफी। दरअसल, कॉफी में कैफीन होती है। कैफीन होम्योपथी दवा के असर को काफी कम कर देती है। कुछ डॉक्टर डीयो और परफ्यूम भी लगाने से मना करते हैं। माना जाता है कि इनकी खुशबू से भी दवा का असर कम हो जाता है।

एक होम्योपैथिक डॉक्टर की डिग्री क्या होनी चाहिए?होम्योपथी में इलाज करने के लिए साढे पांच साल की BHMS की डिग्री जरूरी है। यह एलोपैथ की MBBS की डिग्री के बराबर है। इसके अलावा डॉक्टर के पास अगर MD (3 साल) की डिग्री हो तो सोने पर सुहागा है। एमडी के कई ब्रांचेज हैं, मसलन मटीरिया मेडिका (दवाओं के बारे में), साइकाइट्री (मरीज की मानसिक स्थिति को समझना), रिपोर्टरी (दवाई ढूंढने का तरीका)। DHMS यानी डिप्लोमा वाले, जिन्होंने 1980 से पहले िडग्री ली है, प्रैक्टिस कर सकते हैं।

हां, होता है। एक केंद्रीय स्तर पर और दूसरा राज्य स्तर पर। इन दोनों जगहों पर डॉक्टरों को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। केंद्र में CCRH (Central Council for Research in Homeopathy) में सभी डॉक्टरों को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसकी साइट www.ccrhindia.nic.in पर जाकर किसी खास डॉक्टर से संबंधित जानकारी RTI के द्वारा मांग सकते हैं। यह वेबसाइट आयुष मंत्रालय की साइट www.ayush.gov.in से सीधा लिंक्ड है। इनके अलावा जिस राज्य में होम्योपैथ प्रैक्टिस करता है, उसी राज्य की कौंसिल में भी रजिस्ट्रेशन जरूरी है।
कई होम्योपैथ डॉक्टर ऐलोपैथिक दवाई भी देते हैं, ऐसा क्यों है?कोई भी होम्योपैथ एलोपैथी की दवाई नहीं दे सकता। कानूनी रूप से गलत है।

क्या प्लास्टिक या शीशे की डिब्बी से फर्क पड़ता है?साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता। हां, होम्योपथी की दवाएं कांच की बोतल में देना ही बेहतर है। अगर उस पर कॉर्क लगा हो तो और भी अच्छा। दरअसल, होम्योपथी की दवाओं में कुछ मात्रा में अल्कोहल का उपयोग किया जाता है। अल्कोहल प्लास्टिक से रिऐक्शन कर सकता है। वैसे, आजकल प्लास्टिक बॉटल की क्वॉलिटी भी अच्छी होती है। इसलिए प्लास्टिक का इस्तेमाल भी कई डॉक्टर दवाई देने के लिए करते हैं। दरअसल, कांच की बॉटल को साथ में ले जाना करना मुश्किल होता है। इसके टूटने का खतरा बना रहता है।

क्या एलोपथी और होम्योपथी की दवाई एक साथ ले सकते हैं?हां, जरूर ले सकते हैं, लेकिन यह समझना मुश्किल हो जाता है कि बीमारी ठीक किसकी वजह से हुई है।

कहां की बनी हुई दवाइयां बेहतर हैं?

होम्योपथी की दवाई के उत्पादन और गुणवत्ता के मामले में जर्मनी पूरी दुनिया में आगे है। इंडिया में होम्योपथी की डिमांड को देखते कुछ जर्मन कंपनियों ने यहां भी अपने सेंटर शुरू किए हैं। कई भारतीय कंपनियां भी अच्छी दवाएं बना रही हैं।

क्या है होम्योपथी की सीमा?- अगर किसी शख्स में किसी विटामिन या मिनरल की कमी हो जाती है तो होम्योपथी में उनके लिए ज्यादा ऑप्शन नहीं हैं। मसलन, किसी को आयरन की कमी की वजह से एनीमिया हो गया है तो इस मामले में होम्योपथी की एक सीमा है।

  • मर्जेंसी की स्थिति में यह काम नहीं करती। अगर किसी का एक्सिडेंट हुआ है या हार्ट अटैक आया है तो एलोपैथी ही बेहतर ऑप्शन है। हां, जब इमर्जेंसी की स्थिति खत्म हो जाए, फिर स्थायी इलाज के लिए होम्योपथी को शामिल कर सकते हैं।
  • हर शख्स के ऊपर होम्योपथी अलग-अलग तरीके से काम करती है। ऐसा नहीं है कि एक दवाई अगर एक पर काम कर गई तो वही दवाई दूसरे पर भी काम करेगी। साथ ही, इसका असर भी अलग-अलग व्यक्तियों पर अलग-अलग होता है। इसलिए लंबे समय से होम्योपथी की दवाओं के उपयोग से फायदा न हो तो एलोपैथी, आयुर्वेद या नेचुरोपैथी को देखना चाहिए।
  • मरीज की वर्तमान स्थिति से ज्यादा इतिहास खंगालने में यकीन करती है यह पद्धति। अगर किसी वजह से किसी की पूर्व की समस्याओं या इतिहास पता न हो तो होम्योपथी से इलाज कराना मुश्किल हो जाता है।

हिमाचल में AAP पर AAP ने चलाया ‘झाड़ू’, प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी समेत 3 बड़े नेता BJP में शामिल हुए

आम आदमी पार्टी के नेताओं के भाजपा में शामिल हो जाने से प्रदेश में भाजपा का कुनबा और बढ़ गया है। हिमाचल विधान सभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। AAP के हिमाचल के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी और संगठन मंत्री भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस मौके पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, प्रदेश में भाजपा और मजबूत हुई है। आने वाले विधानसभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) से असंतुष्ट इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने से प्रदेश में पार्टी की ताकत बढ़ी है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

आम आदमी पार्टी को हिमाचल विधान सभा चुनाव से पहले AAP को बड़ा झटका लगा है। AAP पार्टी के हिमाचल के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री ने भाजपा में शामिल हो गए हैं। AAP के प्रदेश अध्यक्ष अनूप केसरी, संगठन महामंत्री सतीश ठाकुर समेत कई नेता भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गए हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने तीनों नेताओं को नड्डा के आवास पर शुक्रवार देर रात भाजपा में शामिल करवाया। अनुराग ने ट्वीट कर इसकी जानकारी शेयर की। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने तीनों नेताओं को नड्डा के आवास पर शुक्रवार देर रात भाजपा में शामिल करवाया। अनुराग ने ट्वीट कर इसकी जानकारी शेयर की।

AAP के महासचिव सतीश ठाकुर और ऊना जिला प्रमुख इकबाल सिंह के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में भाजपा की सदस्यता लेने के बाद केसरी ने कहा कि केजरीवाल पार्टी नेताओं से मिलते तक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल में रैली के दौरान केजरीवाल ने स्थानीय नेताओं की तरफ देखा भी नहीं।

बकौल केसरी, “हिमाचल प्रदेश में हम पार्टी के लिए 8 वर्षों से पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ काम कर रहे थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने मंडी में रैली और रोड शो के दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं की अनदेखी की। राज्य के AAP कार्यकर्ताओं ने इस अनदेखी को अपना अपमान माना और पार्टी छोड़ दी।”

मंडी में रोड शो के दौरान कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने को लेकर केसरी ने कहा कि जो दिन-रात पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, उन लोगों की तरफ केजरीवाल ने देखा तक नहीं। रोड शो के दौरान केवल अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मुख्य आकर्षण थे।

अनुराग ठाकुर ने अपने अगले ट्वीट में लिखा है, “आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की नीति व नेतृत्व में विरोधी भी आस्था जता रहे हैं, क्योंकि उपेक्षा की, उत्पीड़न की, प्रताड़ना की नहीं बल्कि सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास के मूलमंत्र के साथ जोड़ने में भरोसा रखते हैं।”

भाजपा के साथ आए इन नेताओं ने हिमाचल प्रदेश से आने वाले भाजपा के कद्दावर नेता अनुराग सिंह ठाकुर और जेपी नड्डा (JP Nadda) के साथ मिलकर काम करने और भाजपा को मजबूत करने का आश्वासन दिया है।

आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। हिमाचल प्रदेश में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इस बार आम आदमी पार्टी वहां पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंडी जिले में रोड शो किया और कहा कि पंजाब की तरह हिमाचल प्रदेश में भी इस बार बदलाव होगा। वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अरविंद केजरीवाल से घबराई हुई है और इसलिए चुनाव से पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हटाकर अनुराग ठाकुर को सीएम बना सकती है।

दिल्ली भाजपा प्रवक्ता नवीन जिंदल पर बग्गा के बाद नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ भी पंजाब में FIR

केस दर्ज होने के बाद नवीन जिंदल ने कहा कि यह फर्जी मुकदमा है। उन्हें पंजाब मिल गया तो पुलिस का दुरुपयोग कर रहे हैं। जिंदल ने कहा कि वह ऐसे मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं और रोज ऐसे ही पोल खोलते रहेंगे। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि भाजपा नेता पर पंजाब पुलिस ने एक और केस दर्ज कर दिया है। अगर ऐसे राजनीतिक बयानों पर FIR की जाती तो अरविंद केजरीवाल कभी राजनीति में नहीं आ पाते। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस को अरविंद केजरीवाल का तोता बनाने की साजिश ज्यादा दिन नहीं चल पाएगी।

डेमोक्रेटिक स्टाफ, चंडीगढ़ :

तजिंदर पाल सिंह बग्गा के बाद पंजाब पुलिस द्वारा दिल्ली भाजपा के एक और नेता के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक कथित फर्जी वीडियो शेयर करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है। पंजाब पुलिस ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक फर्जी वीडियो शेयर करने के लिए मामला दर्ज किया है। इस वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि केजरीवाल अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और मंत्रियों के साथ-साथ विधायकों से भी भ्रष्टाचार का पैसा लेते हैं। 

जिंदल द्वारा 6 अप्रैल को ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो में केजरीवाल यह कहते दिख रहे हैं, “पहले मुख्यमंत्री तक पैसा पहुंचता था… निचले स्तर के लोगों को पैसा लेने की सुविधा के लिए पूरी व्यवस्था बनाई गई थी … सभी विभागों, पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारियों से एकत्रित किया गया पैसा ऊपर तक भेजा जाता था। अब हमारे भगवंत मान पैसा लेते हैं, मैं पैसा लेता हूं और हमारे विधायक और सदस्य भी पैसे लेते हैं। पंजाब में राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक बैठक हुई थी। उन्होंने कहा – निचले स्तर पर पैसा लें या इसे ऊपर भेजें।

तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के बाद अब एक बार फिर से पंजाब पुलिस ने बीजेपी नेताओं के टार्गेट किया है। इस बार गुरुवार (7 अप्रैल 2022) को अरविंद केजरीवाल का एक वीडियो शेयर करने के आरोप में पंजाब पुलिस ने देर रात भाजपा के दिल्ली प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सात अप्रैल को देर रात करीब ढाई बजे ये शिकायत दर्ज की गई। आईपीसी 1860 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।

दरअसल, 6 अप्रैल को नवीन जिंदल ने कथित तौर पर अरविंद केजरीवाल के इंटरव्यू का एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें वो ये कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, मैं और मंत्री और विधानसभा सदस्य रिश्वत लेते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। जिंदल ने वीडियो के साथ ट्वीट किया, “आखिरकार सच्चाई सामने आ गई है।”

वहीं जिंदल द्वारा शेयर किए गए वीडियो में केजरीवाल कहते हैं, “पहले, पैसा मुख्यमंत्री तक पहुँचता था। तो पूरे सिस्टम को कुछ इस तरह से बनाया जाता था कि अगर किसी को नीचे से कुछ सुविधा देने की जरूरत है, तो उन्हें पैसा लेने दो। तो सारा पैसा – अलग-अलग विभागों से, पुलिस से, तहसीलदार से इकट्ठा करके सारा पैसा ऊपर तक जाता था। अब हमारे भगवंत मान भी पैसे लेते हैं, मैं भी पैसा लेता हूँ, मंत्री भी पैसे लेते हैं, विधायक भी पैसे लेते हैं। पंजाब में तहसीलदारों की एक मीटिंग हुई है। उन्होंने कहा है कि नीचे से पैसा लेना और इसे ऊपर भी पहुँचाना।”

इस बीच पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस का जबाव देते हुए जिंदल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भाजपा नेताओं के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करने और उन्हें निशाना बनाने के लिए खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने ट्वीट किया, “महाठग अरविंद केजरीवाल के पास और कोई काम नहीं बचा है, क्या मिला पंजाब पुलिस को अपने बाप की बापौती समझ बैठा, फर्जी मुक़दमे करो 1000 करो। तुम्हारे मुकदमों से मैं डरने वाला नहीं हूँ, रोज तुम्हारी ऐसे ही पोल खोलता हूँ ओर आगे भी डंके की चोट पर खोलता रहूँगा।”

गौरतलब है कि तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी पंजाब पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिंदल वही शख्स हैं, जिन्होंने पहले भी अरविंद केजरीवाल की 11 करोड़ स्विमिंग पूल योजना का पर्दाफाश किया था। बग्गा के साथ ही कपिल मिश्रा ने भी केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि AAP भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए पंजाब पुलिस का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने ट्वीट किया, “अरविंद केजरीवाल कभी भी राजनीति में आ पाते अगर उनके खिलाफ इस तरह के राजनीतिक बयानों पर प्राथमिकी दर्ज की जाती। यह साजिश लंबे समय तक नहीं चलेगी।”

इससे पहले 2 अप्रैल 2022 को पंजाब पुलिस ने आम आदमी पार्टी के लोकसभा प्रभारी और प्रवक्ता डॉ सनी सिंह अहलूवालिया की शिकायत पर भाजपा नेता तजिंदर सिंह बग्गा के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।

यहीं नहीं नियमों को धता बताते हुए पंजाब पुलिस बग्गा को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली में उनके घर तक पहुँच गई थी। हालाँकि, बग्गा उसे नहीं मिले। इसके बाद बग्गा ने केजरीवाल को फटकार लगाते हुए कहा था, “मुझे बताओ, अरविंद केजरीवाल। क्या आप एफआईआर दर्ज करने के बाद अब खुश हैं? अब मैं आपको बता रहा हूँ। एक पर मत रुको, मेरे खिलाफ 100 एफआईआर दर्ज करो। आपको हाल ही में शक्तियाँ मिली हैं। जितना हो सके उनका दुरुपयोग कर लो। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ कि रावण का अहंकार भी टूटा था और आपके अहंकार का भी यही हाल होगा।”

उल्लेखनीय है कि जिंदल ने पिछले साल 2021 में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर ये आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने घर के रेनोवेशन के लिए दिल्ली के टैक्सपेयर्स के 9 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। केजरीवाल के घर के बाहर शूट किए गए एक वीडियो में जिंदल ने दावा किया था कि महामारी के दौरान जब लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे थे, तब सीएम ने अपने घर पर करोड़ों रुपए खर्च किए।

बहरहाल मौजूदा मामले में पंजाब पुलिस ने जिंदल के खिलाफ आईपीसी की धारा 465, 469, 471, 500, 504, 505 (1) (बी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया है।

संबोधन में भावुक हुए इमरान खान, भारत को बताया खुद्दार देश

इमरान ने कहा, खुलेआम हॉर्स ट्रेडिंग हो रही है, भेड़ बकरियों की तरह नेताओं को होटलों में बंद किया जा रहा है। ये कौन सी जम्हूरियत है। इंसाफ के सबसे बड़े फोरम से हम उम्मीद करते थे कि वो इसका संज्ञान लेगा। आज पाकिस्तान का मजाक बन गया है। पैसे के लिए ये लोग अपना जमीर बेच रहे हैं। रिजर्व सीट वाले भी बिक रहे हैं, जबकि इसे तो पार्टी वाले तोहफे के रूप में देते हैं। 

  • इमरान खान ने अवाम के नाम संबोधन में अमेरिका के खिलाफ जमकर बयानबाजी की
  • बोले- मैंने अमेरिका का विरोध किया, इसलिए हटाने की कोशिश की जा रही
  • विपक्षी पार्टियों पर लगाया बिकने का आरोप, भारत की खूब तारीफ की

इस्लामाबाद/नयी दिल्ली, डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से निराशा जताई, जिसमें नेशनल असेंबली को भंग करने और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को उनके द्वारा दी गई सलाह को असंवैधानिक करार दिया गया है।  राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कोर्ट के फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि विदेशी साजिश की बात को कोर्ट ने क्यों नहीं देखा, कोर्ट को सबूत देखने चाहिए थे।

उन्होंने आगे कहा, “देश में खुलेआम सांसदों की खरीद फरोख्त हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट को इसे देखना चाहिए था. विपक्ष के लोग बिके हुए हैं।” अपने संबोधन के दौरान इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ की। वे हिन्दुस्तान का नाम लेकर भावुक हुए और कहा कि भारत में उन्हें बहुत इज्जत मिली। भारत को खुद्दार देश बताते हुए उन्होंने वहां की आजाद विदेश नीति को भी सराहा. उन्होंने कहा, “किसी की जुर्रत नहीं की भारत के खिलाफ साजिश करे।  दुनिया में भारत की इज्जत है, लेकिन हम गुलाम मुल्क।”

इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में खुलेआम नेताओं के जमीर खरीदे जा रहे हैं। भेड़ बकरियों की तरह नेताओं को खरीदा जा रहा है। बच्चे-बच्चे को पता है कि नेताओं को खरीदा जा रहा है। पाकिस्तान की डेमोक्रेसी का मजाक बन गया है। बनाना रिपब्लिक में भी ऐसा नहीं होता है। कौम जिसकी 60 फीसदी से ज्यादा आबादी युवाओं की है। फ्यूचर को हम गाइड नहीं करेंगे तो वो भी यह समझेंगे कि मुल्क की लीडरशिप सही नहीं हैं। नेताओं को खरीदने की शुरुआत शरीफ भाइयों ने की थी।

उन्होंने कहा कि अमेरिका में हमारे राजदूत की मुलाकात वहां के एक वरिष्ठ अधिकारी से हुई। इस दौरान अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इमरान खान को रूस नहीं जाना चाहिए था। अगर इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव से बच जाते हैं तो पाकिस्तान को मुश्किलों का सामना करना होगा। लेकिन, अगर इमरान खान हार जाते हैं तो पाकिस्तान को माफ किया जा सकता है। इमरान खान ने आरोप लगाया कि अमेरिका को पता है कि पाकिस्तान में कौन सत्ता में आने वाला है।

हम 22 करोड़ लोग हैं, एक देश हमारे लोगों को हुक्म दे रहा है कि अगर आपका पीएम बच जाता है तो हम माफ कर देंगे। उन्होंने कहा कि अगर हमे ऐसे ही जिंदगी गुजारनी है तो हम आजाद क्यों हुए थे। हमारी पार्टी से सांसदों को भी एकाएक पता चलता है कि इमरान खान बुरे आदमी हैं। मीडिया में भी पैसा चल रहा है। मीडिया भी जश्न मना रही है कि इमरान खान की सरकार काफी बुरी है।

उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि अमेरिका के डिप्लोमेट्स पाकिस्तानी राजनेताओं से मिल रहे हैं। चंद महीने पहले ही उन्होंने नेताओं को बुलाकर कहा था कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने वाला है। ऐसे में मेरा कौम से सवाल है कि हम किस तरह की सरकार चाहते हैं। शहबाज शरीफ पर अमेरिका का पिछलग्गू होने का आरोप लगाया। इमरान ने दावा किया कि मेरे बारे में पूरा पाकिस्तान जानता है। मैने कोई जुर्म नहीं किया है।

इमरान खान ने कहा कि ड्रोन हमलों का विरोध किया। अफगानिस्तान में बातचीत का समर्थन किया। इराक में हमले का विरोध किया। पाकिस्तान में 400 ड्रोन हमले हुए, इसके खिलाफ मैंने ही धरने दिए थे और विरोध किया था। अमेरिका को पता है कि इमरान खान की कोई जायदाद विदेशों में नहीं है, कोई बैंक बैलेंस नहीं है। ऐसे में इमरान खान को दबाया नहीं जा सकता है। ऐसे में वे विपक्षी पार्टियों के जरिए हमें हटाने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 4000 किलोमीटर की दूरी से एक आदमी रिमोट का बटन दबाता है और यहां लोग मारे जाते हैं। पाकिस्तान में 400 ड्रोन हमले किए गए। शादियों में, मदरसों पर ड्रोन हमले किए गए। हमारी विपक्षी पार्टियां पूरी तरह से अमेरिका के नियंत्रण में हैं।

हमारे साथ ही भारत आजाद हुआ था। भारत से हमें रेस्पेक्ट मिला प्यार मिला। मुझे बहुत अफसोस है कि आरएसएस के विचारधारा के कारण और कश्मीर में जो किया उसके कारण हमारे रिश्ते अच्छे नहीं हैं। भारत खुद्दार कौम है, कभी किसी की जुर्रत नहीं है कि वहां ऐसी बात करें। किसी सुपर पावर की हैसियत नहीं है कि वे भारत के खिलाफ कुछ करें। मैं भी वैसा ही सोचना हूं। मैं अपने लोगों को कुर्बान नहीं कर सकता। 35 लाख लोगों को अपना घरबार छोड़कर जाना पड़ा। 80 हजार लोग मारे गए। डॉलर्स के लिए हमें युद्ध में फंसा दिया गया। अगर हम अमेरिका से पैसे लिए बिना आतंक के खिलाफ युद्ध में गए होते तो हम अफगानिस्तान में अपने भाइयों को मदद करते।

‘सावधान, यह मजाक नहीं है’ बेंगलुरु DPS समेत 6 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, मचा हड़कंप, सर्च ऑपरेशन जारी

बेंगलुरु के छह स्कूलों में उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब वहां बम की धमकी वाला ईमेल आया। मिली जानकारी के मुताबिक, सभी छह स्कूलों में इस वक्त एग्जाम चल रहे हैं। इस बीच सुबह 11 बजे वहां ईमेल आया कि स्कूल परिसरों में बम प्लांट किये गए हैं। इसके बाद तुरंत पुलिस मौके पर पहुंच गई।

बेंगलुरू. 

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 6 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। ये धमकी ईमेल के जरिए दी गई है। इसमें कहा गया है कि स्कूलों में बेहद शक्तिशाली बम लगाए गए हैं। धमकी भरे ईमेल मिलने के बाद स्कूलों को खाली करा लिया गया है। बम स्क्वॉड और लोकल पुलिस संदिग्ध बम की तलाश में जुट गई है। पुलिस कमिश्नर कमल पंत ने बताया कि यह पूरी जांच के बाद ही पता चलेगा कि किसी ने झांसा देने के लिए तो यह सब नहीं किया है।

फिलहाल सर्च ऑपरेशन में कहीं से कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली है। पुलिस का कहना है कि अबतक यह एक फर्जी संदेश लग रहा है। पुलिस ने बताया है कि कोरोना संक्रमण कम होने की वजह से अब सभी स्कूल खुले हुए हैं और जिन 6 स्कूलों में ईमेल आए वहां फिलहाल एग्जाम चल रहे हैं। खबरों के मुताबिक, जिन स्कूलों को धमकी मिली है, उन्हें खाली कराया जा रहा है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अलावा टीचर्स और बाकी स्टाफ को भी निकाला जा रहा है। पैरंट्स से अपने बच्चों को ले जाने के लिए कहा गया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बेंगलुरु शहर के कई स्कूलों को एक धमकी भरा मेल मिला है। इसमें कहा गया है कि ‘बेहद शक्तिशाली बम’ स्कूल में लगा दिया गया है। बेंगलुरु पुलिस ने जानकारी दी है कि शहर के कई स्कूलों को इस तरह का मेल मिला है। इन विद्यालयों में तलाशी जारी है। इसके अलावा जांच में बॉम्ब स्क्वॉड की भी मदद ली जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली पब्लिक स्कूल, गोपालन इंटरनेशनल, न्यू एकेडमी स्कूल, सेंट विंसेंट पॉल स्कूल, इंडियन पब्लिक स्कूल और एबेनेजर इंटरनेशनल स्कूल को सुबह 10.15 से लेकर 11 बजे के बीच धमकी भरे ई-मेल मिले हैं। फिलहाल, पुलिस मेल की सच्चाई पता चलाने के लिए विस्तृत जांच कर रही है। खास बात है कि ये ई-मेल अलग-अलग समय और अलग-अलग IDs से भेजे गए थे।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मेल में लिखा है, ‘एक बहुत ही शक्तिशाली बम आपके स्कूल में लगाया गया है। सावधान हो जाएं, यह मजाक नहीं है, एक बहुत ही ताकतवर बम आपके स्कूल में प्लांट किया गया है, तत्काल पुलिस को सूचित करें, आपके समेत सैकड़ों जिंदगियों को भुगतना पड़ सकता है, देर मत करो, अब सब आपके हाथों में है।’

सुप्रीम कोर्ट में इमरान को झटका, 9 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग

गुरुवार को पाकिस्तान के इतिहास में बड़ा फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन अप्रैल को पाकिस्तान संसद में अविश्वास प्रस्ताव रद्द करना संविधान के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पाक संसद फिर से बहाल होगी और 9 अप्रैल को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर फिर वोटिंग होगी। अगर संसद में यह प्रस्ताव सफल हो जाता है तो पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार होगा कि किसी प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सफल होगा।

  • इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के मामले पर थोड़ी देर में फैसला
  • पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट कर रही सुनवाई, रजिस्ट्रार जनरल और विपक्ष के वकील दे रहे दलील
  • चीफ जस्टिस बोले- आज ही सुनाएंगे फैसला, इमरान खान को लगेगा तगड़ा झटका

नई दिल्ली.

 पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली को बहाल कर दिया है और 9 अप्रैल को नेशनल असेंबली की बैठक बुलाने का आदेश दिया गया है। इसमें अविश्वास प्रस्ताव से पाकिस्तान की अगली सरकार का फैसला होगा. सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने को असंवैधानिक करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को नेशनल असेंबली को सुझाव देने का कोई अधिकार नहीं है। यह गैर कानूनी है। कोर्ट ने कहा कि इमरान सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर नेशनल असेंबली में जो कुछ भी किया वह पूरी तरह से असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली को बहाल करते हुए 9 अप्रैल को साढ़े नौ बजे तक वोटिंग कराने का आदेश दिया है। इस मामले की सुनवाई 5 जजों की पीठ कर रही थी। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बांदियाल इस पीठ की अगुवाई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान स्पीकर संविधान के मुताबिक काम करेंगे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट कुछ देर में फैसला सुनाने वाला है। इस बीच इमरान खान ने कहा है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का हर फैसला मंजूर है। सुप्रीम कोर्ट के बाहर भारी संख्या में पुलिसबल को तैनात किया गया है। फैसला सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग के सचिव को तलब किया है। पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ और पीपीपी के बिलावल भुट्टो जरदारी समेत बड़ी संख्या में विपक्षी नेता भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा कि ने कहा कि नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी का 3 अप्रैल का फैसला गलत था। दरअसल, पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव के सरकार को गिराने की विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को खारिज कर दिया था। जिसके कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था।

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने कहा कि नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी का फैसला पहली नजर में अनुच्छेद 95 का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के मिनट्स से अधिकारियों के नाम गायब होने पर नाराजगी जताई। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर और डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी की तरफ से पेश हुए वकील नईम बोखारी ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक का राउंडअप प्रस्तुत किया।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बंदियाल ने कहा कि असली सवाल यह है कि अब क्या होगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी पीएमएल-एन के वकील और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) खालिद जावेद खान अदालत का मार्गदर्शन करेंगे कि कैसे आगे बढ़ना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें राष्ट्रीय हित को देखना होगा और अदालत आज फैसला सुनाएगी।

पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में हुए इस घटनाक्रम के कुछ देर बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस घटनाक्रम पर स्वत संज्ञान लिया। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई शुरू कर दी। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल कर रहे हैं और इसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं।

कश्मीरी हिंदुओं को अबकी बार मातृभूमि में ऐसे बसना है कि फिर कोई उजाड़ न सके: मोहन भागवत

डॉ मोहन भागवत ने कहा कि अब कोई भी कश्मीरी पंडितों को जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। और अगर कोई कोशिश करता है, तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा, ‘2011 में हमने वापस लौटने के लिए इसी तरह का समर्पण किया था, लेकिन वो समय नहीं था। अब समय आ गया है कि हम अपनी शर्तों के साथ वापस आएं और वहां बस जाएं. आपको वहां बसने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस तरह से बसना है कि आप फिर से उजड़ न जाएं।’ उन्होंने कहा कि अब कश्मीर में ऐसे बसेंगे कि फिर कोई विस्थापित न कर सके. धैर्य के साथ अपना प्रयास जारी रखना है। संपूर्ण भारत का अभिन्न अंग बन कर कश्मीर में बसना और रहना है।

  • आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अब संकल्प पूरा करने का वक्त आ गया
  • अगले साल कश्मीरी हिंदुओं का नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प पूरा करना जरूरी: भागवत
  • आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कश्मीरी हिंदुओं को संबोधित किया

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

 संघ प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि कश्मीरी पंडितों को अगले साल अपनी मातृभूमि में बसने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही भागवत ने कहा कि उन्हें इस तरह से बसना चाहिए कि वे भविष्य में कभी भी वहां से फिर से उजड़ न जाएं। आरएसएस प्रमुख ने ये भी कहा कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने न केवल विस्थापित कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को दिखाया है, बल्कि देश को भी हिला दिया है। भागवत ने बातें तीन दिवसीय नवरेह उत्सव के अंतिम दिन कही।

रविवार (3 अप्रैल 2022) को एक भागवत ने कहा, कश्मीरी पंडितों का पर्व नवरेह वर्ष का प्रारंभ होता है। साथ ही यह संकल्प का दिन भी होता है। परिस्थितियाँ आती-जाती रहती हैं, लेकिन अपने संकल्प को बनाए रखना और उसके लिए उद्यम करना आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति पर विजय हासिल करने के लिए संकल्प लेना चाहिए।

कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर उन्होंने कहा, “परिस्थितयाँ तो सब प्रकार की जीवन में आती हैं। परिस्थितियाँ आती हैं तो जाती भी हैं। परिस्थितियों में हमारी कसौटी होती है और उस कसौटी को पार करके हमारी सक्षमता में और वृद्धि होती है। इसलिए उस परिस्थिति में अपने उद्यम, अपने परिश्रम, अपने धैर्य और साहस का महत्व रहता है। उसी आधार पर हम उस परिस्थिति को पार भी करते हैं। हम आज ऐसी ही परिस्थिति में हैं। हम अपने ही देश में अपने घर से विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और उससे पार पाएँगे।”

इजरायल से विस्थापित हुए यहूदियों के संघर्ष को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, “परिस्थिति के सामने हारना नहीं चाहिए। अपनी भूमि से सारी दुनिया भर में इजरायल के लोग भी परिस्थिति के चलते बिखर गए थे। उनका भी एक त्योहार होता है और उस दिन वो संकल्प करते थे कि अगले वर्ष यरुशलम चलेंगे। इस संकल्प को उन्होंने 1800 वर्ष तक जारी रखा। पहले 1700 वर्ष तो उन्होंने केवल संकल्प लिया और अगले 100 साल के उद्यम में फिर से उसी भूमि में एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया। अगले 30 वर्षों में सब बाधाओं का उन्होंने शाश्वत ईलाज किया और आज इजरायल को दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में बना दिया।”

कश्मीर फाइल्स फिल्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर के पीड़ितों के साथ है, इसका सबूत इस फिल्म के दौरान देखने को मिला। विस्थापन की विभीषिका का सत्य चित्र दुनिया के सामने लाया गया और इसने भारत के लोगों को झंझोड़ कर जगा दिया। भागवत ने कहा कि इस फिल्म ने स्पष्ट कर दिया है कि कितना सचेत रहने की जरूरत है। भागवत ने कहा कि कश्मीरी पंडित दुनिया भर में विस्थापित हुए हैं, लेकिन अभी उनके पास अपनी एक भूमि और है और वह है भारत की भूमि। पूरा भारत आज कश्मीरी पंडितों के साथ है। उस साथ के चलते परिस्थितियाँ बदल रही हैं।

विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास को लेकर भागवत ने कहा कि भारत के लोगों की भावनाओं के देखकर लगता है कि विस्थापित कश्मीरी अगले वर्ष तक अपने घर और भूमि पर फिर से रहने लगेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें अब देरी नहीं है। यह निश्चित होगा और जल्दी होगा।