सीएम योगी आदित्यनाथ के एक महीने के कार्यकाल पूरा – क्या कहता है जनता का ‘रिपोर्ट कार्ड’

अपराधियों, खासकर भूमाफियाओं के खिलाफ योगी के बुलडोजर ने भी पिछले एक महीने में अपनी धमक जमकर कायम की। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 20 दिनों में 100 से ज्यादा अपराधियों और माफियाओं पर गरजे बुलडोजर ने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की अवैध संपत्ति ध्वस्त या जब्त की है। इनमें से 25 माफिया डीजीपी ऑफिस और 8 शासन की तरफ से चिह्नित किए गए थे. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने मुख्यमंत्री आवास पर जनता दर्शन की वापस शुरुआत की।

लखनऊ(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए एक महीना पूरा हो चुका है। योगी सरकार 2.0 में कई अहम फैसले लिए जा चुके हैं और लगातार विभिन्न क्षेत्रों में किस तरह से विकास कार्य हो सकते हैं, उनपर रणनीति तैयार की जा रही है. अलग-अलग विभाग के मंत्री अपने क्षेत्रों में कार्यव्यवस्था सुनिश्चित कर रहे हैं तो वहीं खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कई बड़े मुद्दों का संज्ञान लेते हुए फैसले करते नज़र आ रहे हैं।

सभी मंत्रियों की 100 दिनों की कार्ययोजना तैयार करने की रणनीति लाई रंग

सीएम योगी की ओर से सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभागों की 100 दिन की कार्ययोजना तैयार करने का फैसला भी यूपी के विकास को गति प्रदान करने वाला बढ़ता कदम है। कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने, सरकारी कार्यालयों की व्यवस्थाओं को दुरस्त करने से लेकर जन सुविधाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम तेजी से किया जा रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के द्वारा खोलने के प्रयास और पहली बार होमगार्ड जवानों का स्वास्थ्य बीमा कराने का फैसला भी योगी सरकार की ओर से इन 30 दिनों में ही लिया गया। सीएम योगी के भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और यूपी में निवेश के रास्ते खोलने के प्रयास भी रंग लाने लगे हैं। दूसरे कार्यकाल के दौरान एक महीना पूरा करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से 04 हफ्तों में किए गए काम और फैसलों से सीएम और नेता के तौर पर योगी आदित्यनाथ को अलग पहचान दिलाई है।

योगी सरकार के 4 हफ्ते, 40 फैसले

फैसला नंबर 1- योगी सरकार 2.0 की पहली कैबिनेट का पहला बड़ा फैसला, मुफ्त राशन योजना को तीन महीने बढ़ाया, 15 करोड़ लोगों को राशन आगे भी मिलता रहेगा. फ्री राशन योजना के तहत सरकार 35 किलो राशन और इसके साथ दाल, चीनी, खाद्य तेल, नमक जैसी खाद्य वस्तुओं को लाभार्थी परिवारों को दे रही है।

फैसला नंबर 2- योगी सरकार सभी तहसीलों में फायर टेंडर की सुविधा उपलब्धता कराने के लिए तेजी से कार्य कर रही है। ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम 15 मिनट और शहरी क्षेत्र में अधिकतम 7 मिनट का रिस्पांस टाइम सुनिश्चित करने के निर्देश।

फैसला नंबर 3- दो वर्ष के अंदर 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश लक्ष्य के साथ फिर होगी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट, 100 दिन में तीसरी ग्राउंड ब्रेंकिंग सेरेमनी, औद्योगिक निवेश की बढ़ावा देने के लिए बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में यूपी सरकार।

फैसल नंबर 4- भ्रष्टाचार, लापरवाही और जनता से जुड़ी समस्याओं में अनदेखी करने के मामले में डीएम सोनभद्र और एसएसपी गाजियाबाद सस्पेंड।

फैसला नंबर 5- सीएम योगी के निर्देश पर पुलिस बल के लिए 86 राजपत्रित और 5295 अराजपत्रित नए पदों को शासन की मंजूरी मिली।

फैसला नंबर 6- पिछले 20 दिनों में 200 करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति ध्वस्त या जब्त की गई है. जिसमें 25 माफिया डीजीपी ऑफिस और 8 शासन की तरफ से चिन्हित किए गए थे।

फैसला नंबर 7- मुख्यमंत्री ने नवरात्र पर्व के पहले दिन से महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस विभाग को विशेष अभियान चलाए जाने के निर्देश दिए. एंटी रोमियो स्क्याड वापस शुरु किया गया।

फैसला नंबर 8- मुख्यमंत्री आवास पर जनता दर्शन की वापस शुरुआत की। हर दिन सरकार के एक मंत्री की मौजूदगी में जन समस्याओं के निस्तारण के निर्देश दिए।

फैसला नंबर 9- मिर्जापुर, वाराणसी और गोरखपुर में दौरा कर विभिन्न योजनाओं से जुड़ी समीक्षा बैठके की।

फैसला नंबर 10- योगी सरकार ने श्रावस्ती जनपद से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत की, कम साक्षरता वाले जिलों पर विशेष फोकस किया।

फैसला नंबर 11- लापरवाही और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को आगे बढ़ाते हुए डीएम औरैया सुनील वर्मा को सस्पेंड किया गया।

फैसला नंबर 12- पेपर लीक होने के आरोप मैं बलिया के DIOS को सस्पेंड व अरेस्ट किया गय।

फैसला नंबर 13- पिछले 20 दिनों में 100 से ज्यादा अपराधियों और माफियाओं पर गरजा बुल्डोजर।
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फैसला नंबर 14- मुख्यमंत्री योगी ने सभी मंत्रियों को अपने-अपने विभागों की 100 दिन की कार्ययोजना तैयार कर काम करने के निर्देश दिए हैं।

फैसला नंबर 15- योगी सरकार ने युवाओं को हाथों में 9.74 लाख टैबलेट और स्मार्टफोन देने की कार्रवाई शुरु की।

फैसला नंबर 16- योगी सरकार ने दो अप्रैल को प्रदेश में संचारी रोग नियंत्रण अभियान की शुरुआत की।

फैसला नंबर 17- अब यूपी में होमगार्ड के 20 प्रतिशत पदों पर होगी महिलाओं की भर्ती, 100 दिन में शुरु होगी प्रक्रिया।

फैसला नंबर 18- एक महीने में अगले 3 महीने , 6 महीने और 5 साल का खाका कराया तैयार।

फैसला नंबर 19- भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए कई आईएएस अधिकारियों के तबादले तो कई अधिकारियों को वेटिंग लिस्ट में डाला।

फैसला नंबर 20 – अपने क्षेत्र में नागरिकों की समस्या के तुरंत निस्तारण के लिए रात में अपनी तैनाती स्थल पर एसडीएम, सीओ और तहसीलदार को सीएम ने दिए निर्देश।

फैसला नंबर 21- यूपी में महिला होमगार्ड्स को एंटी टेरेरिस्ट मॉड्यूल का प्रशिक्षण देने के दिए निर्दे।

फैसला नंबर 22- सरकारी कर्मचारियों के लंच का समय का किया निर्धारित, दोपहर एक बजे से 1.30 बजे तक होगा लंच टाइम।

फैसला नंबर 23- पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 63 हिंदू बंगाली परिवारों के पुर्नावास के लिए भूमि के पट्टे का स्वीकृति पत्र दिया गया।

फैसला नंबर 24- अगले 6 महीने में 2.51 लाख ने आवास बनाने का लक्ष्य लेकर तेजी से कार्य करने के निर्देश।

फैसला नंबर 25- भ्रष्टाचार, लापरवाही और जनता से जुड़ी समस्याओं में अनदेखी करने के मामले में असिस्टेंट कमिश्नर( प्रभारी) वाणिज्य कर सचल दल, इकाई बस्ती आशुतोष मिश्रा को सस्पेंड किया।

फैसला नंबर 26- बिना मानचित्र स्वीकृति के इमारत निर्मित किए जाने के मामले में अवर अभियंता, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण शिव ओम को सस्पेंड किया।

फैसला नंबर 27- यूपी पुलिस आधुनिकिकरण एवं सुदृढ़ीकरण आयोग का कार्यकाल 30 जून 2022 तक बढ़ाए जाने की स्वीकृति प्रदान की।

फैसला नंबर 28- भ्रष्टाचार, लापरवाही और जनता से जुड़ी समस्याओं में अनदेखी करने के मामले में असिस्टेंट कमिश्नर( प्रभारी) वाणिज्य कर सचल दल, इकाई बाराबंकी को सस्पेंड किया।

फैसला नंबर 29 – सीतापुर में आमजन की सुविधा के लिए नई पुलिस चौकी गनेशपुर स्थापित करने का फैसला किया।

फैसला नंबर 30- गुंडों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश देते हुए राज्य में कानून व्यवस्था को प्राथमिकता बनाया गया है।

फैसला नंबर 31- योगी सरकार आयुषमान भारत योजना से महिला और पुरुष होमगार्ड जवानों का स्वास्थ्य बीमा कराएगी।

फैसला नंबर 32- सीएम योगी ने भ्रष्टाचार के आरोप में झांसी प्रखंड बेतवा नहर झांसी ( संप्रित निलंबित) अधिशासी अभियंता को सेवा से हटाने का आदेश दिया। अधिकारी से 77 लाख 41 हजार की वसूली भी की जाएगी।

फैसला नंबर 33- उप निबंधक कार्यालय ( मैथा) कानपुर देहात के लिए पद सृजन की स्वीकृति दी।

फैसला नंबर 34- अयोध्या में नियमित रामलीला का आयोजन किया जाएगा। हस्तिनापुर, मेरठ और गोरखपुर में प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय की स्थापना की जाए। वाराणसी में संत रविदास संग्रहालय व सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना कराई जाए।

फैसला नंबर 35- सभी कैबिनेट मंत्री अब फील्ड में जाएंगे। कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता में 18 मंडलों के लिए कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है। यह टीमें हर मंडल में 72 घंटे का प्रवास करेंगी।

फैसला नंबर 36- यूपी में पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन करने को लेकर सीएम योगी ने दी मंजूरी।

इसके अलावा योगी सरकार के इस दूसरे दौर में भी कानून और व्यवस्था की हालत सुधारने की कोशिश के तहत बदमाशों पर पुलिस की कार्रवाई जारी है. एक अन्य फैसले में योगी ने 100 दिन में सभी सरकारी पदों पर नियुक्ति करने का एलान भी किया है. यानी अगले 2 महीनों में हजारों युवाओं को रोजगार दिया जाएगा।

अपराधियों, खासकर भूमाफियाओं के खिलाफ योगी के बुलडोजर ने भी पिछले एक महीने में अपनी धमक जमकर कायम की. मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 20 दिनों में 100 से ज्यादा अपराधियों और माफियाओं पर गरजे बुलडोजर ने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की अवैध संपत्ति ध्वस्त या जब्त की है। इनमें से 25 माफिया डीजीपी ऑफिस और 8 शासन की तरफ से चिह्नित किए गए थे। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी ने मुख्यमंत्री आवास पर जनता दर्शन की वापस शुरुआत की।

हस्तिनापुर की खुदाई में मिला हाथीदांत का पाँसा क्या ‘शकुनि’ का है ?

आमतौर पर हस्तिनापुर का नाम आता है तो शकुनी का पांसा और चौसर का खेल भी याद आता है। अगर शकुनी का पांसा न होता तो महाभारत ही न होता. हस्तिनापुर के पाडंव टीले की खुदाई के दौरान मिले पांसे की रिसर्च की जा रही है। इस पांसे के साथ-साथ उत्खनन के दौरान बीस से ज्यादा मिट्टी की मुहरें भी मिली हैं। राजा के नाम लिखी मुहरें मिलने से भी एएसआई की टीम में ख़ुशी है। मिट्टी की इन मुहरों पर श्रीविष्णु गुप्त लिखा हुआ है। डॉक्टर डीबी गणनायक का कहना है कि मुहरों पर लिखी लिपि का भी अध्यन किया जाएगा। दो मास पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. डीबी गड़नायक के निर्देशन में उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित हस्तिनापुर के पांडव टीले पर दो स्थानों पर उत्खनन शुरू हुआ था। इस दौरान काफी प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। 10 मीटर की गहराई तक किए गए उत्खनन में धूसर चित्रित मृदभांड से लेकर मध्यकाल की संस्कृति का जमाव पाया गया है। छह स्तर में मिट्टी के गोलाकार आकृति से लेकर पक्के निर्माण भी प्राप्त हुए हैं। मिट्टी के घर लगभग साढ़े तीन हजार साल पुराने प्रतीत होते हैं, जबकि पक्के निर्माण लगभग ढाई हजार वर्ष से मध्यवर्ती काल तक के होने का अनुमान लगाया जा रहा है। उत्खनन में ब्लॉक से अलंकृत स्तंभ, पिलर में लगने वाला सजावटी हिस्सा मिला है. इसके अलावा एक कुंड में भारी मात्रा में हड्डियां प्राप्त हुई हैं।

मेरठ. 

उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से 40 किलोमीटर दूर हस्तिनापुर की धरती नया राज़ उगलने वाली है। वर्ष 1952 के बाद 2022 में हुए उत्खनन कार्य में जो चीज़ें मिली हैं वो बेहद चौकाने वाली हैं। मसलन यहां हज़ारों वर्ष पुराना पांसा और मुहरें मिली हैं। खुदाई में पांसा मिलने से लोग इस बात की भी चर्चा करने लगे कि क्या ये वही पांसा है, जिससे दुर्योधन के मामा शकुनी चौसर खेला करते थे।

हस्तिनापुर में पांडव टीले पर उत्खनन में मिला यह पांसा कौतूहल का विषय बना हुआ है। अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉक्टर डी बी गणनायक का कहना है कि ये पांसा हाथी के दांत यानी IVORY से बना हुआ है। इस पांसे में एक दो तीन चार इत्यादि चिह्न बने हुए हैं। एएसआई के सुप्रीटेंडेंट डॉक्टर डी बी गणनायक का कहना है कि ऐसा पांसा कोई अमीर आदमी ही इस्तेमाल कर सकता है जो हाथी के दांत से बना हुआ है। वो कहते हैं कि ये पांसा गुप्तकालीन हो सकता है और 1500 साल पुराना हो सकता है।

क्या ये पांसा महाभारतकालीन है? इस सवाल का जवाब वो मुस्कुरा कर टाल जाते हैं। डॉक्टर गणनायक कहते हैं कि पांसे की रिसर्च के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि वो ये बात पुख्ता तरीके से ज़रूर कहते हैं कि ये पांसा गुप्तकालीन है।

आमतौर पर हस्तिनापुर का नाम आता है तो शकुनी का पांसा और चौसर का खेल भी याद आता है। अगर शकुनी का पांसा न होता तो महाभारत ही न होता। हस्तिनापुर के पाडंव टीले की खुदाई के दौरान मिले पांसे की रिसर्च की जा रही है। इस पांसे के साथ-साथ उत्खनन के दौरान बीस से ज्यादा मिट्टी की मुहरें भी मिली हैं। राजा के नाम लिखी मुहरें मिलने से भी एएसआई की टीम में ख़ुशी है। मिट्टी की इन मुहरों पर श्रीविष्णु गुप्त लिखा हुआ है। डॉक्टर डीबी गणनायक का कहना है कि मुहरों पर लिखी लिपि का भी अध्यन किया जाएगा।

अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉक्टर डी बी गणनायक का कहना है कि हड्डियों के तीर, हड्डियों के सुईयां इत्यादि भी खुदाई में मिला है। टेरोकोटा रिंग्स भी खुदाई में दिखाई दी हैं। उन्होंने कहा कि खुदाई में मिली हर चीज़ का साइंटफिक इनवेस्टिगेशन होगा। अलग-अलग एजेंसीज़ हस्तिनापुर की खुदाई में मिली चीज़ों की जांच करेंगी और कार्बन डेटिंग के बाद तय होगा कि खुदाई में मिली चीज़ें महाभारतकालीन हैं या नहीं।

उन्होंने कहा कि उत्खनन को लेकर ये बात यकीनी तौर पर कही जा सकती है कि हस्तिनापुर में वैदिक संस्कृति की झलक है। वो कहते हैं कि हस्तिनापुर को आईकॉनिक साइट के रूप में विकसित किया जाएगा। गौरतलब है कि एक बार फिर 1952 के बाद हस्तिानपुर की धरती पर 70 साल बाद उत्खनन हो रहा है। एएसआई की टीम हस्तिनापुर के अलावा 16 ज़िलों में 82 साइट्स पर भी फोकस कर रही है।

Research.com issued the first edition of its top scientists list for Chemistry

Koral ‘Purnoor’, Democratic FrontChandigarh April 20, 2022

Research.com issued the first edition of its top scientists list for Chemistry. Since 2014, it has been one of the key websites for Chemistry research, providing accurate statistics on scientific achievements. The rating includes h-index, publication, and citation data as of December 6th, 2021. Based on a comprehensive study of 166,880 scientists on Google Scholar and Microsoft Academic Graph, the top scientists ranking is a credible list of notable scientists in the field of Chemistry. The goal of this list is to inspire others around the world to investigate where leading experts are headed, as well as to provide an opportunity for the entire scientific community to learn who the leading experts are in specific fields of research, across countries, and within research institutions. The entire ranking for India is available at:
https://research.com/scientists-rankings/chemistry/in

Dr. S.K. Mehta (F.R.S.C), Vice Chancellor of University of Ladakh and Professor in Panjab University, has been ranked 196thamong 1000 scientist of India and is the only person from Panjab University to achieve this feat. Dr. Mehta attained his Doctoral degree in Chemistry from Panjab University and Post-Doc from TechnischeUniversität Berlin, Germany. He is a recipient of Haryana Vigyan Ratan Award, Bronze medal from Chemical Research Society of India (CRSI), Authors award by Royal Society of Chemistry UK and Prof. W.U. Malik memorial award of Indian council of chemists. He was also awarded STE Green Excellence award for his noteworthy contributions in the field of “Colloidal Chemistry” and “Nanochemistry”.

Prof. Mehta has an h-index of 57with 10255citations. He has guided 13 Post-Doctoral/Research associates, 47 Ph.D., 48 M.Sc. and 21 Summer trainees. He has delivered more than 25 International talks and 122 National lectures. His extensive research experience of more than 45 years paved way for new technological insights and breakthroughs. He has extensive research experience in the fabrication of different nanostructures and nano-assemblies, for diverse applications such as drug delivery, photocatalysis, sensing and bioactivity to name a few.

Over the years, Prof. Mehta has relentlessly contributed towards the human health and environment through highly substantial scientific efforts that have led him to be the recipient of several acclaims and awards. The inclusion in the top scientist list of Chemistry has given great joy for everyone associated with Prof. Mehta and congratulated him for this achievement.

आज जाएष्ठ मास से ग्रीषम ऋतु आरंभ

ग्रीष्म ऋतु साल का सबसे गर्म मौसम होता है, जिसमें दिन के समय बाहर जाना काफी मुश्किल होता है। इस दौरान लोग आमतौर पर  बाजार देर शाम या रात में जाते हैं। बहुत से लोग गर्मियों में सुबह में टहलना पसंद करते हैं। इस मौसम में धूल से भरी हुई, शुष्क और गर्म हवा पूरे दिन भर चलती रहती है। कभी-कभी लोग अधिक गरमी के कारण हीट-स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन (पानी की कमी), डायरिया, हैजा, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी प्रभावित हो जाते हैं।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, ऋतु वर्णन डेस्क, चंडीगढ़ – वैशाख़ कृष्ण चतुर्थी :

ज्येष्ठ और आषाढ़ ‘ग्रीष्म ऋतु’ के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है।

मादक वसन्त का अन्त होते ही ग्रीष्म की प्रचंडता आरम्भ हो जाती है। वसन्त ऋतु काम से, ग्रीष्म क्रोध से सम्बन्धित है। ग्रीष्म ऋतु, भारतवर्ष की छह ऋतओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है। दिन बड़े हो जाते हैं रातें छोटी।  शीतल सुंगधित पवन के स्थान पर गरम-गरम लू चलने लगती है। धरती जलने लगती है। नदी-तलाब सूखने लगते हैं। कमल कुसुम मुरझा जाते हैं। दिन बड़े होने लगते हैं। सर्वत्र अग्नि की वर्षा होती-सी प्रतीत होती है। शरद ऋतु का बाल सूर्य ग्रीष्म ऋतु को प्राप्त होते ही भगवान शंकर की क्रोधाग्नि-सी बरसाने लगा है। ज्येष्ठ मास में तो ग्रीष्म की अखंडता और भी प्रखर हो जाती है। छाया भी छाया ढूंढने लगती है।

  एक और दोहे में कवि बिहारी कहते हैं कि ग्रीष्म की दोपहरी में गर्मी से व्याकुल प्राणी वैर-विरोध की भावना को भूल जाते हैं। परस्पर विरोध भाव वाले जन्तु एक साथ पड़े रहते हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मनो यह संसार कोई तपोवन में रहने वाले प्राणियों में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होतीं । बिहारी का दोहा इस प्रकार है –

 गर्मी में दिन लम्बे और रातें छोटी होती हैं। दोपहर का भोजन करने पर सोने व आराम करने की तबियत होती है। पक्की सड़कों का तारकोल पिघल जाता है। सड़कें तवे के समान तप जाती हैं –

ग्रीष्म की प्रचंडता का प्रभाव प्राणियों पर पड़े बिना नहीं रहता। शरीर में स्फूर्ति का स्थान आलस्य ले लेता है। तनिक-सा श्रम करते ही शरीर पसीने से सराबोर हो जाता है। कण्ठ सूखने लगता है। अधिक श्रम करने पर बहुत थकान हो जाती है। इस मौसम में यात्रा करना भी दूभर हो जाता है। यह ऋतु प्रकृति के सर्वाधिक उग्र रुप की द्योतक है।

भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 48डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को ‘लू’ कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आंधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आंधियों का अभाव पाया जाता है।

त्योहार- ग्रीष्म माह में अच्छा भोजन और बीच-बीच में व्रत करने का प्रचलन रहता है। इस माह में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, शीतलाष्टमी, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा आदि त्योहार आते हैं। गुरु पूर्णिमा के बाद से श्रावण मास शुरू होता है और इसी से ऋतु परिवर्तन हो जाता है और वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है।

रीतिकालीन कवियों में सेनापति का ग्रीष्म ऋतु वर्णन अत्यन्त प्रसिद्ध है।–

रासो काव्य रचनाकार ‘अब्दुल रहमान’ द्वारा लिखी गई सन्देश रासक में षड्ऋतुवर्णन ग्रीष्म से प्रारम्भ होता है…

ग्रीष्म शब्द ग्रसन से बना है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा पृथ्वी के रस को ग्रस लेता है।

भागवत पुराण में ग्रीष्म ऋतु में कृष्ण द्वारा कालिया नाग के दमन की कथा आती है जिसको उपरोक्त आधार पर समझा जा सकता है । भागवत पुराण का द्वितीय स्कन्ध सृष्टि से सम्बन्धित है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

शतपथ ब्राह्मण में ग्रीष्म का स्तनयन/गर्जन से तादात्म्य कहा गया है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

जैमिनीय ब्राह्मण 2.51 में वाक् या अग्नि को ग्रीष्म कहा गया है ।

तैत्तिरीय संहिता में ग्रीष्म ऋतु यव प्राप्त करती है। तैत्तिरीय ब्राह्मण में ग्रीष्म में रुद्रों की स्तुति का निर्देश है। तैत्तरीय संहिता में ऋतुओं एवं मासों के नाम बताये गये है,जैसे :- बसंत ऋतु के दो मास- मधु माधवग्रीष्म ऋतु के शुक्र-शुचिवर्षा के नभ और नभस्यशरद के इष ऊर्जहेमन्त के सह सहस्य और शिशिर ऋतु के दो माह तपस और तपस्य बताये गये हैं।

चरक संहिता में कहा गया हैः …… शिशिर ऋतु उत्तम बलवाली, वसन्त ऋतु मध्यम बलवाली और ग्रीष्म ऋतु दौर्बल्यवाली होती है। ग्रीष्म ऋतु में गरम जलवायु पित्त एकत्र करती है। प्रकृति में होने वाले परिवर्तन शरीर को प्रभावित करते हैं। इसलिए व्यक्ति को साधारण रूप से भोजन तथा आचार-व्यवहार के साथ प्रकृति और उसके परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए । तापमान बढ़ने पर पित्त उत्तेजित होता है तथा शरीर में जमा हो जाता है। व्याधियों से बचाव के लिए ऋतु के अनुकूल आहार तथा गतिविधियों का पालन जरूरी है।

होलिकोत्सव में सरसों के चूर्ण से उबटन लगाने की परंपरा है, ताकि ग्रीष्म ऋतु में त्वचा की सुरक्षा रहे। आदिकाल से उत्तर भारत में जहाँ तेज गर्मी होती है, गरम हवाएँ चलती हैं वहाँ पर त्वाचा की लाली के शमन के लिए प्राय: लोग सरसों के बीजों के उबटन का प्रयोग करते हैं।

नवरात्री दुर्गा पूजा वर्ष में दो बार आती है। यह जलवायु प्रधान पर्व है। अतः एक बार यह पर्व ग्रीष्म काल आगमन में राम नवरात्रि चैत्र (अप्रैल मई) के नाम से जाना जाता है। दूसरी बार इसे दुर्गा नवरात्रि अश्विन(सितम्बर-अकतूबर) मास में मनाया जाता है। यह समय शीतकाल के आरम्भ का होता है। यह दोनो समय ऋतु परिवर्तन के है।

प्रकृति-चित्रण में बिहारी किसी से पीछे नहीं रहे हैं। षट ॠतुओं का उन्होंने बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है। ग्रीष्म ॠतु का चित्र देखिए –

कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम् और ऋतुसंहार में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन किया है-

अभिज्ञानशाकुन्तलम्- नाटक के प्रारम्भ में ही ग्रीष्म-वर्णन करते हुए लिखा कि वन-वायु के पाटल की सुगंधि से मिलकर सुगंधित हो उठने और छाया में लेटते ही नींद आने लगने और दिवस का अन्त रमणीय होने के द्वारा नाटक की कथा-वस्तु की मोटे तौर पर सूचना दे दी गई है, जो क्रमशः पहले शकुन्तला और दुष्यन्त के मिलन, उसके बाद नींद-प्रभाव से शकुन्तला को भूल जाने और नाटक का अन्त सुखद होने की सूचक है।

ऋतुसंहार में महाकवि कालिदास कहते हैं- प्रथम सर्ग के ग्रीष्म ऋतु के वर्णन में गीतिकार अपनी प्रियतमा को प्यार भरा सम्बोधन कर कहता है। प्रिये देखो, यह घोर गर्मी का मौसम है। इस ऋतु में सूर्य बहुत ही प्रचण्ड हो जाता है, -चन्द्र किरणें सुहानी लगती हैं, जल में स्नान करना भला लगता है। सांयकाल बड़ा रमणीयहो जाता है क्योंकि उस समय सूर्य का ताप नहीं सताता ! काम भावना भी प्रायः शिथिल पड़ जाता है। संभवतः इस सन्दर्भ में युवा कवि की यह सूचना रही हो कि ऋतु राजबसन्त में कामोद्रेक द्विगुणित हो जाता है।

गर्मी की रात में चन्द्र किरणों से रात्रि की कालिमा क्षी हो जाने से चाँदनी राते बहुत ही सुहावनी लगती है। ऐसे ही उष्पकाल में जिन भवनों में जल यन्त्र (फब्बारे) लगे रहते हैं, वे भी अति मनोरम लगते हैं । ठण्डक देने वाले चन्द्रकान्त मणि और सरस चन्दन का सेवन अति सुखकर लगता है। ग्रीष्म की चाँदनी रातों में धवल भवनों की छतों पर सुख से सोई ललनाओं के मुखों की कालि को देखकर चन्द्रमा बहुत ही उत्कण्ठित हो जाता है और रात्रि समाप्ति की वेला में  उनकी सुन्दरता से लजा कर फीका पड़ जाता है।

ग्रीष्म ऋतु में मयूर, सूर्य के आतप से इतने परितप्त हो जाते है कि अपने पंखों की छाया में धूप निवारण के लिए आ छिपे सॉपों को भी नहीं खाते, जबकि यह सर्प उनके भक्ष्य जंगल में फैली हुयी दावाग्नि का भी सरस चित्रण कवि करता है । पर्वत की गुफाओं में हवा का जोर पकड़कर दवानल बढ़ रहा है। सूखे बॉसों में चर-चर की आवाज आ रही है क्योकि जलने से ये शब्द करते है । जो अभभ दूर थी वहीं दावाग्नि सूखे तिनकों में फैलकर बढ़ती ही जाती है । इसी तरह से इधर-उधर घूमने वाले हरेषों को व्याकुल कर देती है। इस तरह से कवि ने प्रथम सर्ग में ग्रीष्म ऋतु का हृदय हारी वर्णन किया है ।

ज्येष्ठ की गर्मी- ज्येष्ठ हिन्दू पंचांग का तीसरा मास है। ज्येष्ठ या जेठ माह गर्मी का माह है। इस महीने में बहुत गर्मी पडती है। फाल्गुन माह में होली के त्योहार के बाद से ही गर्मियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं। चैत्र और बैशाख माह में अपनी गर्मी दिखाते हुए ज्येष्ठ माह में वह अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ गर्मी का माह है। इस माह जल का महत्त्व बढ जाता है। इस माह जल की पूजा की जाती है और जल को बचाने का प्रयास किया जाता है। प्राचीन समय में ऋषि मुनियों ने पानी से जुड़े दो त्योहारों का विधान इस माह में किया है-

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी

इन त्योहारों से ऋषियों ने संदेश दिया कि गंगा नदी का पूजन करें और जल के महत्त्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि वर्ष में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्त्व समझें। ईश्वर की पूजा करें। गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि नर्मदा और यमुना नदी गंगा नदी से बडी और विस्तार में ब्रह्मपुत्र बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्त्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है। गंगा की विशेषता बताता है ज्येष्ठ और ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की दशमी गंगा दशहरा के रूप में गंगा की आराधना का महापर्व है।

निर्जला एकादशी- भीषण गर्मी के बीच तप की पराकाष्टा को दर्शाता है यह व्रत। इसमें दान-पुण्य एवं सेवा भाव का भी बहुत बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है।  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। अन्य महीनों की एकादशी को फलाहार किया जाता है, परंतु इस एकादशी को फल तो क्या जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। यह एकादशी ग्रीष्म ऋतु में बड़े कष्ट और तपस्या से की जाती है। अतः अन्य एकादशियों से इसका महत्व सर्वोपरि है। इस एकादशी के करने से आयु और आरोग्य की वृद्धि तथा उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है। महाभारत के अनुसार अधिक माससहित एक वर्ष की छब्बीसों एकादशियां न की जा सकें तो केवल निर्जला एकादशी का ही व्रत कर लेने से पूरा फल प्राप्त हो जाता है।

वृषस्थे मिथुनस्थेऽर्के शुक्ला ह्येकादशी भवेत्‌

ज्येष्ठे मासि प्रयत्रेन सोपाष्या जलवर्जिता।

नवतपा- नवतपा को ज्येष्ठ महीने के ग्रीष्म ऋतु में तपन की अधिकता का द्योतक माना जाता है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ नवतपा शुरू हो जाता है। शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर 9 नक्षत्रों में 9 दिनों तक नवतपा रहता है। नवतपा में तपा देने वाली भीषण गर्मी पड़ती है। नवतपा में सूर्यदेव लोगों के पसीने छुड़ा देते हैं। पारा एक दम से 48 डिग्री पर पहुंच जाता है। जबकि न्यूनतम तापमान 32 डिग्री तक रहता है। लेकिन नवतपा के बाद एक अच्छी खबर आती है आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक जिस नक्षत्र में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, आगे चलकर उस नक्षत्र में 15 दिनों तक सूर्य रहते हैं और अच्छी वर्षा होती है।

राग दीपक- ग्रीष्म की जलविहीन शुष्क ऋतु में भी कलाकार की रचनाधर्मिता जागृत रहती है। संगीतकार इस उष्ण वातावरण को राग दीपक के स्वरों में प्रदर्शित करता है तो चित्रकार रंग तथा तूलिका के माध्यम से राग दीपक को चित्र में साकार करता है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार राग के गायन के ऋतु निर्धारित है । सही समय पर गाया जाने वाला राग अधिक प्रभावी होता है । राग और उनकी ऋतु इस प्रकार है –

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तानसेन और राग दीपक- परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। ग्रीष्म की तपन के पश्चात आकाश में छाने लगते हैं – श्वेत-श्याम बादलों के समूह तथा संदेश देते हैंजन-जन में प्राणों का संचार करने वाली बर्षा ऋतु के आगमन का। आकाश में छायी श्यामल घटाओं तथा ठंडी-ठंडी बयार के साथ झूमती आती है जन-जन को रससिक्त करतीजीवन दायिनी वर्षा की प्रथम फुहार। वर्षा की सहभागिनी ग्रीष्म की उष्णता आकाश से जल बिंदुओं के रूप में पुन: धरती पर अवतरित होती है किंतु अपने नवीन मनमोहक रूप में। उष्ण वातावरण के कारण घिर आये मेघ तत्पश्चात जीवनदान करती वर्षा का प्रसंग एक किवदंती में प्राप्त होता है जिसके अनुसार बादशाह अकबर ने दरबार में गायक तानसेन से ग्रीष्म ऋतु का राग दीपक‘ सुनने का अनुरोध किया। तानसेन के स्वरों के साथ वातावरण में ऊष्णता व्याप्त होती गयी। सभी दरबारीगण तथा स्वयं तानसेन भी बढ़ती गरमी को सहन नहीं कर पा रहे थे। लगता थाजैसे सूर्य देव स्वयं धरती पर अवतरित होते जा रहे हैं। तभी कहीं दूर से राग मेघ के स्वरों के साथ मेघ को आमंत्रित किया जाने लगा। जल वर्षा के कारण ही गायक तानसेन की जीवन रक्षा हुई। 

आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में कौन सा पकवान और मिष्ठान लाभदायक होता है…

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वसंत ऋतु की समाप्ति के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। अप्रैल, मई तथा जून के प्रारंभिक दिनों का समावेश ग्रीष्म ऋतु में होता है। इन दिनों में सूर्य की किरणें अत्यंत उष्ण होती हैं। इनके सम्पर्क से हवा रूक्ष बन जाती है और यह रूक्ष-उष्ण हवा अन्नद्रव्यों को सुखाकर शुष्क बना देती है तथा स्थिर चर सृष्टि में से आर्द्रता, चिकनाई का शोषण करती है। इस अत्यंत रूक्ष बनी हुई वायु के कारण, पैदा होने वाले अन्न-पदार्थों में कटु, तिक्त, कषाय रसों का प्राबल्य बढ़ता है और इनके सेवन से मनुष्यों में दुर्बलता आने लगती है। शरीर में वातदोष का संचय होने लगता है। अगर इन दिनों में वातप्रकोपक आहार-विहार करते रहे तो यही संचित वात ग्रीष्म के बाद आने वाली वर्षा ऋतु में अत्यंत प्रकुपित होकर विविध व्याधियों को आमंत्रण देता है। आयुर्वेद चिकित्सा-शास्त्र के अनुसार ‘चय एव जयेत् दोषं।’ अर्थात् दोष जब शरीर में संचित होने लगते हैं तभी उनका शमन करना चाहिए। अतः इस ऋतु में मधुर, तरल, सुपाच्य, हलके,जलीय, ताजे, स्निग्ध, शीत गुणयुक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे कम मात्रा में श्रीखंड, घी से बनी मिठाइयाँ, आम, मक्खन, मिश्री आदि खानी चाहिए। इस ऋतु में प्राणियों के शरीर का जलीयांश कम होता है जिससे प्यास ज्यादा लगती है। शरीर में जलीयांश कम होने से पेट की बीमारियाँ, दस्त, उलटी, कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। इसलिए ग्रीष्म ऋतु में कम आहार लेकर शीतल जल बार-बार पीना हितकर है।

आहारः ग्रीष्म ऋतु में साठी के पुराने चावलगेहूँदूधमक्खनगुलाब का शरबत, आमपन्ना से शरीर में शीतलतास्फूर्ति तथा शक्ति आती है। सब्जियों में लौकीगिल्कीपरवलनींबूकरेलाकेले के फूलचौलाईहरी ककड़ीहरा धनिया,पुदीना और फलों में द्राक्षतरबूजखरबूजाएक-दो-केलेनारियलमौसमीआमसेबअनारअंगूर का सेवन लाभदायी है। इस ऋतु में तीखे, खट्टे, कसैले एवं कड़वे रसवाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। नमकीन, रूखा, तेज मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ, बासी एवं दुर्गन्धयुक्त पदार्थ, दही, अमचूर, आचार, इमली आदि न खायें। गरमी से बचने के लिए बाजारू शीत पेय (कोल्ड ड्रिंक्स), आइस क्रीम, आइसफ्रूट, डिब्बाबंद फलों के रस का सेवन कदापि न करें। इनके सेवन से शरीर में कुछ समय के लिए शीतलता का आभास होता है परंतु ये पदार्थ पित्तवर्धक होने के कारण आंतरिक गर्मी बढ़ाते हैं। इनकी जगह कच्चे आम को भूनकर बनाया गया मीठा पनापानी में नींबू का रस तथा मिश्री मिलाकर बनाया गया शरबतजीरे की शिकंजीठंडाईहरे नारियल का पानीफलों का ताजा रसदूध और चावल की खीरगुलकंद आदि शीत तथा जलीय पदार्थों का सेवन करें। इससे सूर्य की अत्यंत उष्ण किरणों के दुष्प्रभाव से शरीर का रक्षण किया जा सकता है।

‘सती अनुसूया’ जयंती

भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय के जन्म के बारे में कथा के अनुसार सती अनुसूया की कोख से ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और शिव जी के अंश से दुर्वासा मुनि ने जन्म लिया था।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म डेस्क, चंडीगढ़ – 20 अप्रैल :

सती अनुसुया को पतिव्रता धर्म के लिए जाना जाता है। इस वर्ष इनकी जयंती 20 अप्रैल 2022 को मनाई जाएगी। देवी अनुसुईया की पवित्रता और उनका साध्वी रुप सभी विवाहित महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। देवी अनुसुईया जयंती के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा आरती की जाती है। विवाहित महिलाएं इस दिन के व्रत का पालन कर, सती अनुसुईया के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेती है। देवी अनुसुईया प्रसन्न होकर अपने भक्तों के दुख दूर करती हैं और उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वर देती है। भारत वर्ष के उतराखंड राज्य में देवी अनुसुईया का एक प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वहीं स्थान है जहां माता देवी की परीक्षा त्रिदेवों ने ली थी। माता अनुसुईया के जन्मदिवस के अवसर पर स्त्रियां अपने वैवाहिक स्त्री धर्म का पालन करते हुए सती अनुसुईयां जयंती का पूजन करती है।

यह माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित माता अनुसुईया के मंदिर में रात्रि में जप और जागरण करने की परंपरा है। इस मंदिर में निसंतान दंपत्ति जप और जागरण कर पूजा अर्चना कर संतान कामना करते है। यह जप-तप, अनुष्ठान शनिवार की रात्रि में करने का प्रावधान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंदिर में त्रिदेव माता की परीक्षा लेने के लिए बालक रुप में आए थे और तीनों देवों ने देवी से भोजन कराने की प्रार्थना की। देवी ने अपने सतीत्व से त्रिदेवों को पहचान लिया, इससे त्रिदेव असली रुप में आ गए। माता अनुसुईया से भगवान शिव दुर्वासा के रुप में मिले थे।

दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी अनुसूया जो मन से पवित्र एवं निश्छल प्रेम की परिभाषा थीं इन्हें सती साध्वी रूप में तथा एक आदर्श नारी के रूप में जाना जाता है. अत्यन्त उच्च कुल में जन्म होने पर भी इनके मन में कोई अंह का भाव नहीं था.

इनका संपूर्ण जीवन ही एक आदर्श रहा है. पौराणिक तथ्यों के आधार की यदि बात की जाए तो माता सीता जी भी इनके तेज से बहुत प्रभावित हुई थी तथा उनसे प्राप्त भेंट को सहर्ष स्वीकार करते हुए नमन किया. अनुसूया जी का विवाह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र परम तपस्वी महर्षि अत्रि जी के साथ हुआ था. अपने सेवा तथा समर्पित प्रेम से इन्होंने अपने पति धर्म का सदैव पालन किया.

कहा जाता है कि देवी अनसुया बहुत पतिव्रता थी जिस कारण उनकी ख्याती तीनों लोकों में फैल गई थी. उनके इस सती धर्म को देखकर देवी पार्वती, लक्ष्मी जी और देवी सरस्वती जी के मन में द्वेष का भाव जागृत हो गया था. जिस कारण उन्होंने अनसूइया कि सच्चाई एवं पतीव्रता के धर्म की परिक्षा लेने की ठानी तथा अपने पतियों शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी को अनसूया के पास परीक्षा लेने के लिए भेजना चाहा.

भगवानों ने देवीयों को समझाने का पूर्ण प्रयास किया किंतु जब देवियां नहीं मानी तो विवश होकर तीनो देवता ऋषि के आश्रम पहुँचे. वहां जाकर देवों ने सधुओं का वेश धारण कर लिया और आश्रम के द्वार पर भोजन की मांग करने लगे. जब देवी अनसूया उन्हें भोजन देने लगी तो उन्होंने देवी के सामने एक शर्त रखी की वह तीनों तभी यह भोजन स्वीकार करेंगे जब देवी निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन परोसेंगी. इस पर देवी चिंता में डूब गई वह ऎसा कैसे कर सकती हैं. अत: देवी ने आंखे मूंद कर पति को याद किया इस पर उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई तथा साधुओं के वेश में उपस्थित देवों को उन्होंने पहचान लिया. तब देवी अनसूया ने कहा की जो वह साधु चाहते हैं वह ज़रूर पूरा होगा किंतु इसके लिए साधुओं को शिशु रूप लेकर उनके पुत्र बनना होगा.साधुओं का अपमान न हो इस डर से घबराई अनुसूइया ने पति का स्मरण कर कहा कि यदि मेरा पतिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु 6 मास के शिशु हो जाएं। इस बात को सुनकर त्रिदेव शिशु रूप में बदल गए जिसके फलस्वरूप माता अनसूइया ने देवों को अनुसूइया ने माता बनकर त्रिदेवों को स्तनपान  भोजन करवाया. इस तरह तीनों देव माता के पुत्र बन कर रहने लगे.

इस पर अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी त्रिदेव देवलोक नहीं पहुँचे तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी चिंतित एवं दुखी हो गई  तब नारद ने त्रिदेवियों को सारी बात बताई। त्रिदेवियां ने अनुसूइया से क्षमा याचना की। तब अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में ला दिया। प्रसन्नचित्त त्रिदेवों ने देवी अनुसूइया को उनके गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। तब ब्रह्मा अंश से चंद्र, शंकर अंश से दुर्वासा व विष्णु अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।

इस पर तीनों देवियों ने सती अनसूइया के समक्ष क्षमा मांगी एवं अपने पतियों को बाल रूप से मूल रूप में लाने की प्रार्थना की ऐस पर माता अनसूया ने त्रिदेवों को उनका रूप प्रदान किया और तभी से वह मां सती अनसूइया के नाम से प्रसिद्ध हुई. स्त्रियां मां सती अनसूया से पतिव्रता होने का आशिर्वाद पाने की कामना करती हैं. प्रति वर्ष सती अनसूइया जी जयंती का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के समय मेलों का भी आयोजन होता है. रामायण में इनके जीवन के विषय में बताया गया है जिसके अनुसार वनवास काल में जब राम, सीता और लक्ष्मण जब महर्षि अत्रि के आश्रम में जाते हैं तो अनुसूया जी ने सीता जी को पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी थी

सोनिया गांधी के आवास पर प्रशांत किशोर की 3 दिनों में दूसरी बैठक, मिशन 2024की तैयारियों के लिए पार्टी के शीर्ष नेता भी रहे मौजूद

प्रशांत किशोर के साथ बैठक में अन्य नेताओं के साथ बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास की मौजूदगी को लेकर भी जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक कांग्रेस का वहां नया अध्यक्ष चुनना है ऐसे में पार्टी इस काम में भी पीके की टीम की मदद लेकर फैसला लेना चाह रही है ताकि जमीनी स्तर से लोगों की राय के बाद किसी का जिम्मेदारी सौंपी जाए। कांग्रेस के पूर्व नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 1999 में बेटी महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी का गठन किया था। पार्टी गठन के महज 3 साल बाद पीडीपी सत्ता में आई। मुप्ती मोहम्मद सईद राज्य के सीएम बने। महज 16 सीटें जीतने वाली सईद की पार्टी को उनकी पुरानी पार्टी कांग्रेस का समर्थन मिला। दोनों पार्टियों में समझौते के तहत पहले चीन साल सईद और बाद में 3 साल कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सीएम रहे। 2008 में पीडीपी ने कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का समझौता हुआ। 

  • सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक
  • राहुल गांधी, अंबिका सोनी समेत प्रशांत किशोर भी मौजूद हैं
  • प्रशांत किशोर के कांग्रेस से जुड़ने के बारे में भी मंथन हो सकता है

नई दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक : 

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर सोमवार को बड़ी बैठक हुई। पिछले तीन दिनों के भीतर यह दूसरा मौका  है जब प्रशांत किशोर 10 जनपथ पहुंचे और  कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के अलावा दिग्गज नेता अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, जयराम रमेश और मुकुल वासनिक मौजूद थे।  इस बार की बैठक की अहम बात यह रही की इस मीटिंग में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मौजूद नहीं थे। पार्टी के लिहाज से महत्त्वपूर्ण बैठक होने के बाद भी राहुल विदेश दौरे पर चले गए, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद रहीं।

मार्च में, प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि इस पर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया था लेकिन शनिवार की मीटिंग में पीके के मौजूद होने की खबर से चर्चा तेज हो गई कि पीके कांग्रेस में जा रहे हैं। रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव पर बड़े प्लान के तहत पार्टी प्रशांत किशोर को साथ लाना चाहती है। किशोर उसी प्लान का हिस्सा हैं जिसके तहत कांग्रेस पार्टी उद्योगपति, लेउवा पाटीदार के नेता नरेश पटेल को साथ लाकर सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट करना चाह रही है।

वैसे, प्रशांत किशोर कांग्रेस लीडरशिप की आलोचना करते रहे हैं। पिछले साल लखीमपुर खीरी घटना के दौरान जब प्रियंका गांधी को लखीमपुर जाते समय हिरासत में लिया गया तो प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया था कि दुर्भाग्यवश सबसे पुरानी पार्टी में लंबे समय से घर कर चुकी समस्याओं और ढांचागत कमजोरियों का कोई त्वरित समाधान नहीं है।

चुनाव रणनीतिकार यह भी कह चुके हैं कि कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है खासकर जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी से ज्यादा चुनाव हार गई हो। उन्होंने ट्वीट करते विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होने की बात कही थी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन रहा। प्रशांत किशोर ने तब कहा कि असली लड़ाई 2024 में लड़ी जाएगी और तभी इसके नतीजे आएंगे। साहेब इसे अच्छी तरह से जानते हैं। इसलिए चुनाव नतीजों के जरिए विपक्ष के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक धारणा बनाने की कोशिश हो रही है। इस झूठे नैरेटिव में नहीं फंसना चाहिए।

गैर-कांग्रेसी विपक्ष की बात करने वाले तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने हाल में इस बात की पुष्टि की थी कि वह बीजेपी के खिलाफ सभी पार्टियों को साथ लाने के लिए प्रशांत किशोर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

इस बीच केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केवी थॉमस ने सोमवार को कहा कि केपीसीसी की राजनीतिक मामलों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाना उन्हें पार्टी से बाहर किए जाने के कदम का संकेत है। थॉमस हाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 23वें सम्मेलन में भाग लेने के लिये अनुशासनात्मक जांच का सामना कर रहे हैं। थॉमस ने कहा कि 2018 से उन्हें पार्टी से बाहर करने के लिये कदम उठाए जाते रहे हैं और उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) की बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने से यह स्पष्ट हो गया है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज आतंकवादियों की स्लीपर सेल बन गए हैं, एनआईए को इसकी जांच करनी चाहिए – सुरेन्द्र जैन

ने कहा कि जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के लिए निश्चित रूप से जिहादी मानसिकता जिम्मेदार है और ऐसा भारत या दिल्ली में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रहा है। इस हमले को लेकर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सामान्य हमला नहीं है। यह दिल्ली में हनुमान जयंती के जुलूस पर पूर्व नियोजित आतंकवादी हमला है। दिल्ली पुलिस ने राजधानी के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती जुलूस के दौरान हुई हिंसा में कथित संलिप्तता के आरोप में 21 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें हिंसा का पीछे का मास्टरमाइंड अंसार और एक अन्य व्यक्ति असलम शामिल है, जिसने कथित तौर पर एक सब-इंस्पेक्टर पर गोली चलाई थी। 

विहिप नेतासुरेन्द्र जैन’ ने कहा “दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज आतंकवादियों की स्लीपर सेल बन गए हैं। मेरी केंद्र सरकार से मांग है कि एनआईए से इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा शामिल है।” अब बड़ा प्रश्न यह है की क्या आम आदमी पार्टी अब सुरेन्द्र जैन से सार्वजनिक माफ मंगवाएगी और उन पर मान हानी का मुक़द्दमा भी चलाएगी ??

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विहिप नेतासुरेन्द्र जैन’

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट – 18 अप्रैल :

विश्व हिंदू परिषद ने हनुमान जयंती पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराने की मांग की है। वि हि प के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने दावा किया कि दिल्ली में जिहादी आतंकवाद बम तैयार है जो कभी भी फट सकता है। जैन ने कहा, “दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज आतंकवादियों की स्लीपर सेल बन गए हैं। मेरी केंद्र सरकार से मांग है कि एनआईए से इसकी जांच होनी चाहिए, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा शामिल है।”

हिंसा के पीछे बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हुए सुरेंद्र जैन (Surendra Jain) ने कहा कि यह एक पूर्व नियोजित आतंकवादी हमला है। दिल्ली में जिहादी आतंकवाद का बम टिक-टिक कर रहा है, जो कभी भी फट सकता है। उन्होंने कहा कि यह सामान्य हमला नहीं है। इस हमले को लेकर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।

मालूम हो कि दिल्ली के जहाँगीरपुरी इलाके में सोमवार (18 अप्रैल, 2022) को पुलिस की टीम पर एक बार फिर पथराव किया गया। पुलिस हिंसा में शामिल कुछ लोगों से पूछताछ करने के लिए गई थी। इसी बीच जब वह एक महिला से पूछताछ कर रही थी, तभी कुछ लोगों ने अपने घरों से पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पथराव के बावजूद पुलिस की टीम महिला को अपने साथ ले गई। यह महिला उस मोहम्मद सोनू की बीवी है जो 16 अप्रैल की हिंसा के दौरान पत्थरबाजों के बीच से गोली चलाता वीडियो में दिखा था।

यह भी पढ़ें भाजपा युवा मोर्चा ने तो : राघव चड्ढा ने बीजेपी को ‘भारत की जाहिल पार्टी’ और ‘गुंडों-लफंगों की पार्टी’ कहा था – अशोक सरीन ने उन्‍हें कानूनी नोटिस भेजा

गौरतलब है कि जहाँगीरपुरी हिंसा के 100 से ज्यादा वीडियो व सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं। इन्हीं में से एक वीडियो में मोहम्मद सोनू गोली चलाते हुए दिख था। वह हिस्ट्रीशीटर सलीम चिकना का भाई है। बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले में अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें कई हिंदू भी हैं। इसके अलावा आरोपितों में 2 नाबालिग भी हैं। जहाँगीरपुरी हिंसा के बाद फोरेंसिक टीम घटनास्थल पर पहुँचकर सबूत जुटा रही है।

आरएसएस के श्रीनिवासन की हत्या पर भाजपा नेता सुरेंद्रन का आरोप, कहा- PFI और CPI(M) के बीच ‘गुप्त समझौता’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई ने मंगलवार को राज्य के पलक्कड़ जिले में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या के संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, केरल भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर निशाना साधते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में अपनी जड़ें मजबूत करते हुए पूरे राज्य में उनकी गतिविधियां बढ़ रही हैं। सुरेंद्रन ने दावा किया है कि केरल में सत्तारूढ़ माकपा सरकार के अधिपत्य के साथ पीएफआई का विस्तार हो रहा है। के सुरेंद्रन ने कहा, “यह कोई आकस्मिक बात नहीं है। पूरे राज्य में पीएफआई गतिविधियां बढ़ रही हैं। पीएफआई और सीपीआई-एम आपस में जुड़े हुए हैं। उनके बीच एक गुप्त समझौता है और कई स्थानीय निकायों में वे एक साथ शासन कर रहे हैं” 

नई दिल्ली/ पलक्कड़(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट:

केरल के पलक्कड़ में शनिवार दोपहर एक गिरोह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी। पुलिस ने यह जानकारी दी। मृतक का नाम श्रीनिवासन (45) है। हमलावरों का एक समूह शनिवार दोपहर श्रीनिवासन की दुकान पर पहुंचा और उन पर हमला कर दिया. बताया जा रहा है कि आरोपी मोटरसाइकिल से मौके पर पहुंचे।

पुलिस ने बताया कि हमलावर मोटर साइकिलों पर आए थे और हमलाकर भाग निकले। गंभीर रूप से घायल श्रीनिवासन को तत्काल समीप के निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। यह घटना पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) के एक नेता की हत्या के 24 घंटे बाद हुई। पीएफआई नेता सुबैर (43) की पलक्कड के समीप एक गांव में हत्या कर दी गई थी। इलापुल्ली में  सुबैर की हत्या तब की गई थी जब वह शुक्रवार को मस्जिद में जुमे की नमाज अदा कर घर लौट रहा था। 

केरल भाजपा प्रमुख ने आगे कहा है कि पलक्कड़ की शोरनूर नगरपालिका में, सीपीआई (एम) पीएफआई और एसडीपीआई सदस्यों की मदद से शासन करती है। सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि वे राष्ट्रीय भावनाओं को नष्ट करते हुए देश और लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं और भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को निशाना बनाते हैं।

“लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है और इसके बजाय उनका समर्थन कर रही है। पुलिस उन्हें बचा रही है और लोगों का केरल पुलिस पर से विश्वास उठ गया है। हमने कल गृह मंत्री से संपर्क किया है। हमने उनके साथ इस मामले पर चर्चा की और उन्हें पूरी जानकारी दी। वोटबैंक की राजनीति के कारण एलडीएफ और यूडीएफ आतंकवादी संगठन पीएफआई का नाम तक लेने को तैयार नहीं हैं।”

भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि पाला बिशप के हालिया बयान के बाद, सैकड़ों पीएफआई के गुंडे हथियारों के साथ उनके घर पर हमला करने के लिए दौड़ पड़े, लेकिन भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं के अलावा किसी ने भी उनकी और उनके घर की रक्षा नहीं की। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुरेंद्रन ने यह भी दावा किया कि केरल में कांग्रेस भी आतंकी संगठनों का समर्थन करती है। इसके अलावा, उन्होंने केरल में धीरे-धीरे धर्मांतरण होने की बात कही है।

केरल के पलक्कड़ जिले में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार, मृतक एस संजीत अपनी पत्नी के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहे थे इस दौरान रास्ते पर ही उन पर हमला किया गया। बीजेपी ने सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, जो कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा है, पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया था। पुलिस ने बताया कि केरल के पलक्कड़ जिले के एलापल्ली के रहने वाले संजीत को 50 से अधिक बार चाकू मारा गया। 

मेयर ने शहीद ले. कर्नल एसएस राणा की स्मृति में पार्क समर्पित किया

  • चिल्ड्रन पार्क का नाम राणा पार्क रखा  

चण्डीगढ़ स्ंवद्द्ता, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

मेयर सरबजीत कौर ने मनीमाजरा स्थित राजीव विहार में चिल्ड्रन पार्क को शहीद ले. कर्नल एसएस राणा की स्मृति में पार्क समर्पित किया। इस पार्क का नाम राणा पार्क रखा गया है। कार्यकम के दौरान शहीद ले. कर्नल एसएस राणा कि पत्नी सविता राणा व बिहार रेजिमेंट के अधिकारी एवं राजीव विहार सोसाइटी की आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष कर्नल ( से.नि.) गुरिंदर सिंह ढिल्लों   के निवासी भी मौजूद रहे। सोसाइटी की आरडब्ल्यूए के प्रवक्ता ललित बजाज ने जानकारी देते हुए बताया कि शहीद ले. कर्नल एसएस राणा दो नवम्बर 1996 को कुपवाड़ा में आतंकियों के साथ भिड़ंत में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण देश के लिए न्योछावर कर दिए थे।

उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान अशोक चक्र से नवाजा गया।

बाद में मेयर ने यहाँ एमआरएफ सुविधा का भी शुभारम्भ किया जिससे वेस्ट को खाद में तब्दील करके   सोसाइटी के पार्कों में बागवानी कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा।    

व्यवहारिक अध्यात्मिक जीव विज्ञान” पुस्तक आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत को भेंट की गई

नई दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट – अप्रैल 16 ,2022 :

हिमाचल प्रदेश   के पहले कैंसर सुपर स्पेशलिस्ट तथा  भारत के सबसे ज्यादा शिक्षित  कैंसर विशेषज्ञ डॉ पुनीत गुप्ता  ने स्वयं लिखित  पुस्तक  “व्यावहारिक अध्यात्मिक जीव विज्ञान” की प्रति नई दिल्ली में आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत को भेंट की डॉ पुनीत गुप्ता मंडी शहर  के बोरा गली के निवासी हैं तथा इस समय राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित मेट्रो अस्पताल के कैंसर विभाग के निदेशक हैं

डॉ पुनीत गुप्ता ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से   एमबीबीएस की परीक्षा पास करने के बाद एमडी, डीएनबी,डीएम,  एमबीए की शिक्षा ग्रहण की तथा  तथा  भारत  एवं  अमेरिका , इंग्लैंड , सहित  दुनिया  के चोटी  के कैंसर संस्थानों  में शिक्षा ग्रहण करने के बाद अनेक अंतरराष्ट्रीय  संस्थाओं द्वारा कैंसर पर आयोजित  सेमिनार में  व्याख्यान के लिए आमंत्रित किये जाते हैं

डॉक्टर पुनीत गुप्ता    द्वारा  इस पुस्तक में   भ्रूण के अंदर कैसे विभिन्न आध्यात्मिक अंग पैदा होते हैं तथा यह अंग आपसी  तालमेल कैसे  बनाते हैं दर्शाया गया है।   वह आपस में एक “चरण व चरण” क्रिया द्वारा ब्रह्म नाद ब्रह्म प्रकाश धारण करने के बाद एकजुट हो जाते हैं तथा ब्रह्म स्वरूप को प्राप्त कर लेते हैं। 

व्यवहारिक अध्यात्मिक जीव विज्ञान” दुनिया भर की वह पहली पुस्तक है जिसमें मनुष्य के शरीर की रचना को अध्यात्म की खोज का एक उत्तम नमूना दर्शाया गया है।इसमें कर्म इंद्रियों व ज्ञान इंद्रियों को चार विभिन्न अंगों में विभाजित किया गया है/ यह 4 इंद्रियों के अंश मिलकर मन की रचना करते हैं और अंतःकरण चतुर्थ का एक हिस्सा बनते हैं । अंतःकरण चतुर्थ के 4 हिस्से (मन अहंकार, बुद्धि, चित्) सभी ब्रह्म नाद व ब्रह्म प्रकाश धारण करने के बाद हृदय में सुषुप्ति, समाधि को प्राप्त करते हैं। निष्काम कर्म करने की शक्ति ब्रह्म स्वरूप से आती है।
इस अध्यात्मिक करिया का क्रिया का विज्ञान बायोलॉजी डॉ गुप्ता ने बखूबी बहुत बारीकी से पहली बार दुनिया के सामने रखा है डॉक्टर पुनीत गुप्ता ने  गीता ज्ञान को आज के जीव विज्ञान के साथ बखूबी जोड़ा गया है। इसमें पहली बार दुनिया में मेडिटेशन ध्यान प्रक्रिया तथा स्टेम सेल बायोलॉजी का तालमेल दर्शाया गया है। यह किताब आध्यात्मिक जगत की एक विशेष उपलब्धि है जो आने वाले समय में मेडिकल रिसर्च से नए कीर्तिमान स्थापित करेगी।फोटो कैप्शन ——- हिमाचल प्रदेश   के पहले कैंसर सुपर स्पेशलिस्ट तथा  भारत के सबसे ज्यादा शिक्षित  कैंसर विशेषज्ञ डॉ पुनीत गुप्ता  ने स्वयं लिखित  पुस्तक  “व्यावहारिक अध्यात्मिक जीव विज्ञान” की प्रति नई दिल्ली में आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत को भेंट की