मोदी निर्मल सिंह की मुलाक़ात वादी मे क्या गुल खिलाएगी??


जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुप्त बैठक की, इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में बीजेपी जल्द ही सरकार का बना सकती है


जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सरकार बनाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. प्रधानमंत्री ऑफिस के सूत्रों ने न्यूज 18 को जानकारी दी कि बुधवार शाम चार बजे जम्मू कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता निर्मल सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ गुप्त बैठक की. इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य में बीजेपी जल्द ही सरकार का गठन कर सकती है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक से पहले निर्मल सिंह ने जम्मू-कश्मीर के बीजेपी प्रभारी राम माधव के साथ एक लंबी मुलाकात की थी. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार खबरें आ रही हैं कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बागी विधायकों की मदद से सरकार बनाकर राज्य में हिन्दू मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना चाहती है.

हालांकि आधिकारिक रूप से कोई भी इस बात को नहीं मान रहा है, लेकिन बीजेपी और पीडीपी दोनों के सूत्रों कह रहे हैं कि अगस्त में अमरनाथ यात्रा की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है. बुधवार को हुई मोदी और निर्मल सिंह की बैठक भी इसी ओर इशारा कर रही है.

बता दें कि इस साल जून में बीजेपी ने खुद को महबूबा मुफ्ती की गठबंधन वाली सरकार से अलग कर लिया था. इसके बाद अन्य पार्टियों ने राज्यपाल शासन का समर्थन किया था. लेकिन शुरू से ही कयास लग रहे हैं कि बीजेपी अन्य पार्टियों के विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है.

महबूबा से नाराज हैं पीडीपी के विधायक

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह करने वाले पीडीपी विधायक आबिद अंसारी ने न्यूज 18 को बताया कि पीडीपी के बागी विधायक बीजेपी के समर्थन को लेकर गंभीरता से विचार करेंगे. महबूबा मुफ्ती पर हमला बोलते हुए अंसारी ने कहा था कि या तो पार्टी टूट जाएगी या फिर लीडरशिप में बदलाव आएगा.

अंसारी ने कहा, ‘सवाल पर्याप्त नंबर का है. इस वक्त करीब एक दर्जन विधायक मेरे साथ हैं. अगर महबूबा पार्टी को बचाना चाहती हैं तो उन्हें किसी जिम्मेदार नेता को पार्टी की कमान सौंप देनी चाहिए. अन्यथा हम अलग रास्ता तय करेंगे.’

क्या बागी विधायकों ने बीजेपी को समर्थन देने पर विचार किया होगा? इस सवाल के जवाब में अंसारी कहते हैं, ‘क्यों नहीं? अगर हमारे पास संख्या है तो मुझे नहीं लगता कि हमारे पास सरकार नहीं बनाने का कोई कारण है, वह भी तब जब अगले चुनाव में दो साल का वक्त बाकी है.’ वहीं पीडीपी के एक सूत्र ने बताया कि महबूबा ने बागी विधायकों की मांग को खारिज कर दिया है.

पीडीपी नेता ने कहा, ‘हमने बागी विधायकों से बात करने की कोशिश की. महबूबा ने उनसे माफी भी मांगी. अब मुझे नहीं पता कि इससे ज्यादा क्या किया जा सकता है. इतिहास हमें बताता है कि नई दिल्ली जो चाहती है वह कर सकती है. लेकिन अगर वह इन कुटिल साधनों के माध्यम से सरकार का गठन कर भी लेते हैं तो भी जनता का सामना कैसे करेंगे, मुझे समझ में नहीं आता. संवाद के माध्यम से शांति का एजेंडा बीच में ही छोड़ दिया गया. यह सत्ता की कैसी भूख है.’

बीजेपी को चाहिए 19 विधायक

जम्मू कश्मीर विधानसभा में 87 सीटें हैं, जिसका मतलब यह होता है कि यहां सरकार के गठन के लिए किसी भी दल को 44 सीटों की आवश्यकता होगी. राज्य में बीजेपी के पास इस वक्त 25 विधायक हैं, इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए 19 और विधायकों की जरूरत है. सज्जाद लोन की पार्टी पीपल्स कॉन्फ्रेंस बीजेपी को सपोर्ट कर रही है इसलिए पार्टी को दो विधायकों को समर्थन यहां से मिल जाएगा, लेकिन इसके बावजूद उसे 17 विधायक जुटाने होंगे.

पीडीपी विधायकों के अलावा कोई भी दल बीजेपी के समर्थन के लिए तैयार नहीं है, ऐसे में अगर बीजेपी जम्मू कश्मीर में सरकार बनाना चाहती है तो उसे पीडीपी के कम से कम 17 विधायकों के बागी होने की जरूरत होगी, हालांकि जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं लग रहा है कि ऐसा संभव हो जाएगा.

‘दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे मजाकिया ट्वीट पर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है.’ फाइसल


उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मेरी नौकरी जा सकती है लेकिन उसके बाद भी दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है

राजनीति भी एक विकल्प हो सकती है ? बस  यूँ ही पूछ लिए 


जम्मू-कश्मीर से सिविल सर्विस परीक्षा के पहले टॉपर शाह फैसल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. फैसल कुछ दिनों पहले रेप को लेकर ट्वीट करने के चलते सुर्खियों में आए थे. इस ट्वीट पर ही जम्मू कश्मीर सरकार उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है.

सरकार के इस फैसले पर शाह फैसल ने गुस्सा जाहिर किया है. इस फैसले से संबंधित सवाल पूछे जाने पर शाह ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें नौकरी जाने का कोई डर नहीं है. उन्होंने कहा ‘मुझे पता है कि मेरी नौकरी जा सकती है लेकिन उसके बाद भी दुनिया संभावनाओं से भरी हुई है.’

फैसल ने इसी के साथ कहा ‘सरकारी अधिकारियों की एक छवि लोगों के जहन में बनी हुई है. उस छवि के अनुसार वह बहस नहीं कर सकते. उनके चारों ओर जो भी हो रहा है उसे देख कर बस वह अपनी आंखें मूंद सकते हैं. लेकिन अब इस छवि को बदलना होगा.’

दरअसल फैसल ने मंगलवार को एक ट्वीट किया था जिसमें उनके खिलाफ सरकार की कार्रवाई का जिक्र था. इस ट्वीट पर उन्होंने लिखा, ‘दक्षिण एशिया में रेप-कल्चर के खिलाफ मेरे मजाकिया ट्वीट पर मेरे बॉस ने मुझे लव लेटर भेजा है.’ वह सरकारी चिट्ठी की ओर इशारा कर रहे थे.’

शाह फैसल ने भारत के रेप कल्चर की व्याख्या करते हुए रेपिस्तान का मतलब समझाया था. उन्होंने कहा था जनसंख्या + पितृसत्ता + निरक्षरता + शराब + पॉर्न + तकनीक + अराजकता = रेपिस्तान.

आतंकियों ने माँ को मार बेटे की पढ़ाई लूट ली


अब्‍दुल माजिद अपने बड़े बेटे का दाखिला जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर मेडिकल काजेल में कराना चाहते थे. शायद आतंकियों को यही बात बुरी लग गई. जिसके चलते रविवार रात आतंकियों ने अब्‍दुल माजिद के घर में धावा बोल दिया.


जम्मू : 

बेटे का मेडिकल कालेज में दाखिल कराने के लिए जम्‍मू कश्‍मीर के एक परिवार ने हाल में अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेंचा था. यह दंपति अपने बेटे का दाखिला मेडिकल कालेज में करा पाता, इससे पहले आतंकियों को घर में मौजूद रुपयों की भनक लग गई. रविवार रात्रि हथियारों से लैस आतंकियों ने इस दंपति के घर में धावा बोल दिया. घर की मालकिन ने बेटे की पढ़ाई का वास्‍ता दिया तो आतंकियों का गुस्‍सा सातवें आसमान में पहुंच गया. झल्‍लाएं आतंकियों ने चाकू से इस महिला का गला रेत दिया. जिसके बाद खून से लथपथ महिला जमीन पर पड़ी तड़पती रही और आतंकी  घर मे लूटपाट करते रहे  आतंकियों के घर से जाने के बाद इस घर के मुखिया ने पड़ोसियों से मदद मांगी. किसी तरह इस महिला को अस्‍पताल तक ले जाया गया. जहां डाक्‍टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया.

यह दर्दनाक वारदात जम्मू – कश्मीर के बांदीपुरा के शाहगुंद गांव की है. दरअसल, अब्‍दुल माजिद अपनी पत्‍नी शकीला बेगम और चार बेटों के साथ इसी गांव में रहते थे. अब्‍दुल माजिद के बेटे ने हाल में 12वीं की परीक्षा पास की थी. अब्‍दुल माजिद चाहते थे कि उनका बेटा कश्‍मीर में फैले आतंकवाद से दूर जाकर अपना भविष्‍य बनाए. अपने बेटे का भविष्‍य बनाने के लिए उन्‍होंने कुछ दिनों पहले अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेंचा था. वह अपने बेटे का दाखिला जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर मेडिकल काजेल में कराना चाहते थे. शायद आतंकियों को यही बात बुरी लग गई. जिसके चलते रविवार रात आतंकियों ने अब्‍दुल माजिद के घर में धावा बोल दिया. दो आतंकी घर के बाहर रुके, जबकि एक आतंकी घर के भीतर दाखिल हो गया. घर के भीतर घुसे आतंकी ने हथियारों के बल पर परिवार के सभी सदस्‍यों को बंधक बना लिया और लूटपाट करने लगे.

आतंकी घर में मौजूद पूरा रुपया और सोने के आभूषण अपने साथ ले जाना चाहते थे, जिससे अब्‍दुल माजिद अपने बेटे को जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर न भेज सके. अपने बेटे के बेहतर भविष्‍य के लिए बुने सपनों को बिखरता देख शकीला विफर पड़ी. उसने अपने बेटे की पढ़ाई का वास्‍ता देकर आतंकियों को रोकने की कोशिश की. इसी बात ने आतंकियों के गुस्‍से को सातवें आसमान में पहुंचा दिया. झल्‍लाए आतंकी ने अपनी जेब से छुरा निकाला और शकीला की गर्दन रेत दी. खून से लथपथ शकीला को वही पड़ा छोड आतंकी फिर लूटपाट में लग गए. घर में लूटपाट की वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी घर से फरार हो गए. जिसके बाद  अब्‍दुल माजिद अपनी पत्‍नी शकीला को लेकर श्रीनगर के एक हॉस्पिटल पहुंचे. जहां चिकित्‍सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

सूत्रों के अनुसार, मामले की छानबीन के लिए पहुंची पुलिस ने घर से कुछ दूरी पर लूटे गए रुपयों का एक हिस्‍सा पड़ा हुआ पाया. इससे यह साफ हो गया कि इस वारदात को रुपए हासिल करने के मकसद से नहीं बल्कि अब्‍दुल माजिद के बेटे की पढ़ाई रोकने के इरादे से अंजाम दिया गया था. प्रथम दृष्‍टया इस दर्दनाक वारदात के लिए लश्‍कर-ए-तैयबा को जिम्‍मेदार माना जा रहा है. वहीं बांदीपुरा पुलिस ने स्पेशल टीम का गठन कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है.

 

 

 

भाजपा द्वारा पीडीपी को तोडऩे का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा : महबूबा मुफ्ती

 

नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी देते हुए कहा है कि राज्य में भाजपा द्वारा पीडीपी को तोडऩे का प्रयास ‘भारतीय लोकतंत्र में कश्मीरियों के विश्वास को समाप्त’ कर देगा। पीडीपी प्रमुख ने इंडिया टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘अगर दिल्ली हस्तक्षेप करती है, हमारी पार्टी को तोड़ती है और सज्जाद लोन या किसी को भी मुख्यमंत्री बनाती है तो इससे कश्मीरियों का भारतीय लोकतंत्र में विश्वास समाप्त हो जाएगा। दिल्ली द्वारा किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को गंभीरता से लिया जाएगा।’’

हालांकि भाजपा महासचिव राम माधव ने जम्मू एवं कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के असंतुष्ट विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की किसी भी संभावना से इंकार कर दिया। यहां 19 जून से राज्यपाल शासन लागू है। माधव ने ट्वीट किया, ‘‘हम राज्य में शांति, सुशासन और विकास के हित में राज्यपाल शासन लागू रहने देने के पक्ष में हैं।’’

माधव का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा और इसके सहयोगी, पूर्व अलगाववादी सज्जाद लोन का पीपुल्स कांफ्रेंस पीडीपी में एक राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर इसके बागी विधायकों का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। पीडीपी के कम से कम पांच विधायकों ने सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बयान दिया था।

87 सदस्यीय जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सत्ता हासिल करने के लिए जरूरी सदस्यों के जादुई आंकड़े किसी भी पार्टी के पास नहीं हैं। सदन में, पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, भाजपा के पास 25 विधायक हैं और इसे पीपुल्स कांफ्रेंस के दो विधायकों और लद्दाख के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 44 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।

अपने साक्षात्कार में, मुफ्ती ने इन रपटों को आधारहीन बताया, जिसमें उनके पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिश की बात कही गई है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा होता तो मैं इस्तीफा क्यों देती? जब हमारी सरकार गिरी, राज्यपाल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं अन्य विकल्पों की ओर देख रही हूं और मैंने उनसे कहा कि मैं एक घंटे में उन्हें अपना इस्तीफा सौंपूंगी।’’ महबूबा ने कहा, ‘‘पीडीपी दो वर्ष पहले कांग्रेस के साथ सरकार बना सकती थी। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया और एक महान उद्देश्य के लिए भाजपा के साथ सरकार बनाई, जिसका सपना मेरे पिता ने देखा था।’’

प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान के साथ शांति की कोशिश और उसके जवाब में पाकिस्तान की ओर से पठानकोट और उरी जैसी घटनाएं अंजाम देने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहती हूं कि मोदीजी ने प्रयास नहीं किया, लेकिन इसमें निरंतरता होनी चाहिए। हमने मोदीजी को श्रीनगर आने का निमंत्रण दिया, जहां उन्होंने विशाल जनसभा को संबोधित किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘घाटी के लोगों को बहुत उम्मीदें थी, लेकिन वे निराश होकर अपने घर गए।’’

समस्याओं का सामना करने के लिए मोदी के 56 इंच के सीने के दावे को याद करते हुए मुफ्ती ने कहा, ‘‘उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को अपने 56 इंच के सीने में से कम से कम एक इंच भी देना चाहिए था। भारत का विचार, जम्मू एवं कश्मीर के विचार के बिना अधूरा है।’’

जम्मू-कश्मीर के सात डिप्टी कमिश्नर समेत 13 आईएएस अफसरों के तबादले कर दिए गए


जम्मू-कश्मीर, स्पेशल ट्रिब्यूनल की चेयरपर्सन सरिता चौहान का तबादला कर उन्हें एजुकेशन डिपार्टमेंट में कमिश्नर/सचिव नियुक्त किया गया है


जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के दौरान बड़ा फेरबदल हुआ है. जम्मू-कश्मीर के सात डिप्टी कमिश्नर समेत 13 आईएएस अफसरों के तबादले कर दिए गए हैं.

जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के ऑर्डर के मुताबिक, अजगर हसन समून जो वित्त कमिश्नर के पद पर तैनात थे उनका तबादला कर एनिमल और शीप हसबैंड्री डिपार्टमेंट में मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है.

जम्मू-कश्मीर, स्पेशल ट्रिब्यूनल की चेयरपर्सन सरिता चौहान का तबादला कर उन्हें एजुकेशन डिपार्टमेंट में कमिश्नर/सचिव नियुक्त किया गया है.

राज कुमार भगत, जो एनिमल एंड शीप हसबैंड्री डिपार्टमेंट में कमिश्नर/सेक्रेटरी के पद तैनात थे उन्हें ट्राइबल अफेयर डिपार्टमेंट में कमिश्नर/सेक्रेटरी बनाया गया है. सलमा हामिद ट्रायबल अफेयर डिपार्टमेंट में सचिव के पद पर थे उन्हें अब जम्मू-कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल में चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है.

स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट में सचिव फारुक अहमद शाह को बाढ़ नियंत्रण डिपार्टमेंट में सचिव नियुक्त किया गया है. जम्मू कश्मीर सर्विस सलेक्शन कमिशन में चेयरमैन सिमरन सिंह को डोडा में डिप्टी कमिश्नर बनाया गया है.

Census 2021 to be stored electronically, Any tampering with info will be punished under IT Act

Any tampering with info will be punished under IT Act

The data collected during the 2021 Census will be stored electronically, the first time since the decennial exercise was conducted in 1951 in Independent India.

According to an amended rule notified by the Registrar General of India (RGI) on June 19, “The schedules and other connected papers shall be disposed of totally or in part by the Director of Census Operations, after creating an electronic record of such documents.”

Electronic format

A Home Ministry spokesperson said till now the “schedules” (a tabular form containing details of individuals), carried by enumerators to households, were being stored in a physical form at the government’s storehouse in Delhi. It is based on these schedules that the relevant statistical information on population, language, and occupation are sorted and published.

“The records running into crores of pages were occupying space in government office and it has now been decided that they will be stored in an electronic format. Any tampering with the data will invite punishment under the Information Technology Act, 2000,” said the spokesperson.

The RGI issued the notification as the process for the 2021 Census kicks in.

The spokesperson said enumerators will start “house listing” in 2020 and the headcount will begin from February 2021 onwards. “An individual’s household data is not published by the RGI. They are published in the form of tables on the Census website. The data is preserved for 10 years and then it is destroyed. From now on it can be stored forever in electronic format,” he said.

क्या पीडीपी – भाजपा में चल रही है नूर कुश्ती

 

जम्मू कश्मीर की राजनीति में आए भूचाल के बाद सूत्रों के हवाले से बड़ा खुलासा हुआ है. बीजेपी राज्य में दोबारा वापसी के लिए अमरनाथ यात्रा के बाद बड़ा ऐलान कर सकती है. मिली जानकारी के मुताबिक पीडीपी के कई नेता बीजेपी में शामिल होने के लिए तैयार हैं.

सूत्रों का दावा है कि 2016 में जब मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत हुई तब पीडीपी के दो सीनियर नेताओं ने बीजेपी में शामिल होने की बात रखी थी लेकिन तब बीजेपी ने कोई खास टिप्पणी नहीं की थी. इस बड़े राजनीतिक परिवर्तन को अंजाम देने के लिए अमरनाथ यात्रा के पूरे होने का इंतजार किया जा रहा है.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 89 सीटें हैं. अगर पार्टियों की स्थिति की बात करें तो पीडीपी के पास सबसे ज्यादा 28 सीटें हैं. बीजेपी के पास 25, कांग्रेस के पास 12 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें हैं. ऐसी स्थिति में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 44 सीटों की जरूरत होगी.

बीजेपी-पीडीपी गठबंधन में मंत्री रह चुके एक नेता ने कहा, ‘तीन साल सरकार में रहने के बाद कोई सत्ता से बाहर नहीं रहना चाहता, इसलिए हम पूरी तैयारी कर रहे हैं, अमरनाथ यात्रा के बाद अगस्त-सितंबर में पार्टी बड़ा ऐलान करेगी.’

आखिर सज्जाद लोन के घर पर क्या करने गए थे बीजेपी नेता राम माधव

हालांकि पहले इस तरह की खबरें सामने आईं थी कि बीजेपी फिर से सरकार में आ सकती है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के प्रभारी राम माधव को पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के संस्थापक सज्जाद लोन के घर पर कुछ विधायकों के साथ देखा गया था. यह मुलाकात बीजेपी के पीडीपी से समर्थन वापस लेने के 10 दिन बाद हुई थी.

सज्जाद लोन का मानना था कि पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर की स्थिति को सुधार सकते हैं. तब से लेकर वह राम माधव के लगातार संपर्क में बने हुए हैं. लोन की पार्टी ने 2 सीटें जीती थीं और राम माधव ने बीजेपी नेताओं के साथ लोन की तस्वीर को ट्विटर पर शेयर किया था.

एक बड़े बीजेपी नेता के दिए बयान के मुताबिक, ‘हमने सरकार बनाने की चर्चा की, सभी सत्ता पाने की कोशिश कर रहे हैं, अमरनाथ यात्रा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.’ सूत्रों का कहना है कि पीडीपी के कुछ नेता बीजेपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के लिए तैयार हैं.

PDP – Congress may form government in J & K


This is the first meeting of the core group of the Congress after the fall of Mehbooba government following the withdrawal of support by the BJP.


Former Jammu and Kashmir Chief Minister Mehbooba Mufti’s recent visit to Delhi and subsequent meeting of the core group of the Congress headed by former Prime Minister Manmohan Singh on Monday have triggered speculations that Mehbooba’s Peoples Democratic Party (PDP) and the Congress may join hands to form a new government in the state.

Further, a meeting of all MLAs and MLCs has been convened in Srinagar on Tuesday to discuss the party’s strategy following the collapse of the PDP-BJP government with the latter withdrawing support to Mehbooba.

Soon after Mehbooba’s visit to Delhi was finalised last week, the speculations of her meeting with top Congress leaders, including Sonia Gandhi, started floating in the political circles.

Though senior Congress leaders, including Ghulam Nabi Azad and the JKPCC chief GA Mir, have denied any move to join hands with the PDP the rumours have refused to die.

National Conference spokesman Junaid Azim Mattu, in an apparent reference to Amitabh Mattoo, tweeted: “A former advisor to the J&K CM is trying to cobble up an alliance between Congress & PDP. Perhaps that explains why @MehboobaMufti is in Delhi while rest of us are trying to keep our heads above the rising flood waters!”

It may be mentioned that the PDP and the Congress had also formed a coalition government in 2002 with the commitment of both parties having the post of chief minister for a period of three years each. However, that was not a happy experience for the Congress as Mehbooba’s father Mufti Mohammed Sayeed after enjoying chief ministership for a period of three years withdrew support to Congress CM Ghulam Nabi Azad on the issue of the Amarnath Shrine land agitation.

The Kashmir core group of the Congress comprising Manmohan Singh, Karan Singh, Ghulam Nabi Azad, P Chidambaram, Ambika Soni and GA Mir had recently visited the state and accused the BJP of mishandling the situation in the state.

However, the Congress is learnt to be divided again on joining hands with the PDP to remain in power for the leftover period of a little more than two years. One faction in the party was reportedly of the view that the party, which was at this point of time enjoying an edge over the BJP in the Jammu region, would face anti-incumbency factor in the next election and might not be in a position to come to power. There was widespread anger against the PDP in the Valley and sharing power with them would be suicidal.

This is the first meeting of the core group of the Congress after the fall of Mehbooba government following the withdrawal of support by the BJP.

Frequent visits of the BJP’s pointsman on Kashmir, Ram Madhav, to the Valley have also triggered noises of the BJP planning some alternatives to form the government in J&K. Madhav’s meeting with Sajjad Lone, who is from the family of “moderate separatists” but was a minister in Mehbooba’s cabinet from the BJP quota, had generated speculations of the BJP trying to manipulate the situation to form the government.

The NC and the Congress had alleged that the BJP was trying to engineer defections as a result of which they asked the Governor to dissolve the Assembly to prevent horse-trading.

Meanwhile, within a day of losing power, Mehbooba’s loyal legislator Abid Hussain Ansari has virtually revolted against her by accusing her of having converted the PDP into a family fiefdom. She had appointed her family members on important positions, he alleged.

No support to any party: Mohammad Yousuf Tarigami

Amid speculation of the PDP and Congress joining hands to form a government in Jammu and Kashmir with the support of four independents, CPI-M MLA Mohammad Yousuf Tarigami said on Monday there was “no question of extending support to any formation trying to form a government in the state”.

It was being said that the PDP and Congress would seek the support of four MLAs to reach the magic figure of 44 to form the government. In the Assembly of 87, the PDP has 28 members and the Congress 12. They would require four other members to have the required strength to stake claim to form the government.

In a statement, Tarigami said he would not support any party for forming the government.

Reports said pro-separatists MLA Engineer Rashid was also not inclined to support any such formation.

क्या कश्मीर पाकिस्तान को देने को राज़ी थे सरदार पटेल?

 

सोज़ का कहना था कि अगर पाकिस्तान भारत को हैदराबाद देने के लिए तैयार होता, तब सरदार पटेल को भी पाकिस्तान को कश्मीर देने में कोई दिक़्क़त नहीं होती.

सोज़ ने ये दावा अपनी किताब ‘कश्मीर: ग्लिम्प्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल’ में किया है. इस किताब में बंटवारे की बहुत सी घटनाओं का उल्लेख किया गया है.

लेकिन क्या सरदार पटेल का वास्तव में कश्मीर पाकिस्तान को देने का विचार था?


क्या सोज़ के दावे में कोई सच्चाई है?

सोज़ अपनी किताब में लिखते हैं, पाकिस्तान के ‘कश्मीर ऑपरेशन’ के इंचार्ज सरदार हयात ख़ान को लॉर्ड माउंटबेटन ने सरदार का प्रस्ताव पेश किया.

प्रस्ताव के अनुसार, सरदार पटेल की शर्त थी कि अगर पाकिस्तान हैदराबाद दक्कन को छोड़ने के लिए तैयार है तो भारत भी कश्मीर पाकिस्तान को देने के लिए तैयार है. (पेज 199, कश्मीर: ग्लिम्प्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल)

हयात ने इस संदेश को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान तक पहुँचाया.

तब प्रधानमंत्री लियाक़त अली ख़ान ने कहा, “मैं पागल नहीं हूं कि कश्मीर और उसके पत्थरों के लिए एक ऐसे क्षेत्र (हैदराबाद) को जाने दूं जो पंजाब से भी ज़्यादा बड़ा है.”

सरदार कश्मीर देने को राज़ी थे


सोज़ ने अपनी किताब में कश्मीर और इसके इतिहास के विशेषज्ञ ए.जी. नूरानी के एक लेख का भी ज़िक्र किया है.

इस लेख का नाम ‘अ टेल ऑफ़ टू स्टोरीज़’ है जिसका ज़िक्र करते हुए लिखा गया है: 1972 में एक आदिवासी पंचायत में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने कहा था कि सरदार जूनागढ़ और हैदराबाद के बदले में कश्मीर देने को तैयार थे. (पेज 199, कश्मीर: ग्लिम्प्स ऑफ़ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ़ स्ट्रगल)

भारत के पूर्व गृह सचिव और सरदार के क़रीबी सहयोगी रहे वी.पी. मेनन ने भी कहा था कि शुरुआत में सरदार कश्मीर को पाकिस्तान देने को राज़ी थे.

मेनन अपनी किताब ‘इंटिग्रेशन ऑफ़ द इंडियन स्टेट’ में लिखते हैं, तीन जून 1947 को रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वह चाहें तो पाकिस्तान के साथ विलय कर सकते हैं या भारत के साथ.

कश्मीर एक ऐसा मुस्लिम बहुल प्रांत था जिस पर हिंदू राजा हरि सिंह का शासन था. साफ़तौर पर हरि सिंह के लिए किसी को चुनना आसान नहीं था.

इस मामले को सुलझाने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन ने महाराजा हरि सिंह के साथ चार दिन बिताए थे.

लॉर्ड माउंटबेटन ने महाराजा से कहा था कि सरदार पाकिस्तान के साथ जाने के कश्मीर के फ़ैसले का विरोध नहीं करेंगे. (पेज 394, इंटिग्रेशन ऑफ़ द इंडियन स्टेट)

गुहा ने भी दावे पर हामी भरी


इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने सोज़ की किताब के दावों पर सहमति जताई है.

ट्विटर पर गुहा ने लिखा: कश्मीर पाकिस्तान को देने को लेकर पटेल को कोई दिक़्क़त नहीं थी.

गुहा इसमें जोड़ते हुए कहते हैं कि सरदार की आत्मकथा में राजमोहन गांधी ने भी इसका ज़िक्र किया है.

राजमोहन गांधी अपनी किताब ‘पटेल: अ लाइफ़’ में लिखते हैं, 13 सितंबर 1947 तक पटेल के कश्मीर को लेकर अलग विचार थे.

सरदार ने भारत के पहले रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को लिखे पत्र में भी कुछ ऐसा ही लिखा है. वह अपने पत्र में लिखते हैं कि कश्मीर अगर किसी दूसरे राष्ट्र का शासन अपनाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

राजमोहन गांधी अपनी किताब में लिखते हैं, जब पाकिस्तान ने जूनागढ़ के नवाब के विलय के निवेदन को स्वीकार कर लिया केवल तभी कश्मीर को लेकर सरदार के विचार में बदलाव आया.

‘आप पाकिस्तान नहीं जा रहे’

सरदार के बदले विचार पर भी राजमोहन गांधी लिखते हैं.

“26 अक्तूबर 1947 को नेहरू के घर पर एक बैठक हुई थी. कश्मीर के दीवान मेहर चंद महाजन ने भारतीय सेना की मदद के लिए कहा था.

महाजन ने यह भी कहा कि अगर भारत इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तब कश्मीर जिन्ना से मदद के लिए कहेगा.

नेहरू यह सुनकर गुस्से में आ गए और उन्होंने महाजन को चले जाने को कहा.

उस वक़्त सरदार ने महाजन को रोका और कहा, “महाजन, आप पाकिस्तान नहीं जा रहे हैं.” (पेज 439, पटेल: अ लाइफ़)

गुजराती भाषा में सरदार पटेल पर ‘सरदार: साचो मानस साची वात’ लिखने वालीं उर्विश कोठारी ने बीबीसी से बात की.

उन्होंने कहा, “रजवाड़ों के विलय के दौरान सरदार कश्मीर का भारत का अंग बनने को लेकर ज़्यादा गंभीर नहीं थे.”

उर्विश कहते हैं, “इसकी मुख्यतः दो वजहें थीं. पहली उस राज्य का भूगोल और दूसरा राज्य की आबादी.”

उर्विश कोठारी ने विस्तार से कहा, “इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि कश्मीर एक सीमाई राज्य था और उसकी अधिकतर जनसंख्या मुसलमान थी. इसी कारण सरदार कश्मीर का भारत में विलय करने को लेकर ज़्यादा हठी नहीं थे लेकिन नेहरू जो ख़ुद कश्मीरी थे वह कश्मीर को भारत में चाहते थे.”

जूनागढ़ विवाद शुरू हुआ

उर्विश कोठारी ने कहा, “कश्मीर के दोनों प्रतिष्ठित नेता महाराजा हरि सिंह और शेख़ अब्दुल्ला नेहरू के दोस्त थे. कश्मीर को लेकर नेहरू के नरम रुख़ का एक यह भी कारण था. उसी समय जूनागढ़ विवाद शुरू हुआ और सरदार कश्मीर मसले में दाख़िल हुए. इसके बाद सरदार ने बिलकुल साफ़तौर पर कहा कि कश्मीर भारत के साथ रहेगा.”

वरिष्ठ पत्रकार हरि देसाई कहते हैं, “शुरुआती दिनों में कश्मीर के पाकिस्तान में जाने से सरदार को कोई समस्या नहीं थी. बहुत से दस्तावेज़ों में यह है भी. जून 1947 में सरदार ने कश्मीर के महाराजा को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कश्मीर के पाकिस्तान में विलय पर भारत आपत्ति नहीं करेगा, लेकिन महाराजा को 15 अगस्त से पहले फ़ैसला लेना होगा.”

उर्विश कोठारी कहते हैं, “हमारे पास दस्तावेज़ हैं जो उन ऐतिहासिक घटनाओं और फ़ैसलों को दर्शाते हैं लेकिन वे फ़ैसले उस विशेष स्थिति में लिए गए थे. राजनेता अपने एजेंडे के लिए उन ऐतिहासिक घटनाओं का केवल आधा सच ही दिखाते हैं. हम निश्चित तौर पर नेहरू या सरदार लिए गए फ़ैसलों का विश्लेषण कर सकते हैं लेकिन हमें उनके इरादों पर शक नहीं करना चाहिए.”

साभार बीबीसी हिंदी

About 2,500 pilgrims stranded at Tikri, Udhampur and Ramban due to heavy rainfall


About 2,500 pilgrims were stranded at Tikri, Udhampur and Ramban on the Jammu-Srinagar highway since leaving Jammu on Friday; red alert sounded as Jhelum water crossed the danger mark


Hundreds of Amarnath pilgrims from across the country are stranded in Jammu and the two base camps of the pilgrimage in Kashmir because of heavy rains that have triggered landslides at several places. However, some pilgrims were allowed to proceed to the cave shrine from Baltal and Pahalgam as weather improved in the area.

Heavy rains have lashed the state since 28 June when the pilgrimage started.

About 2,500 pilgrims stranded at Tikri, Udhampur and Ramban on the Jammu-Srinagar highway since yesterday after leaving Jammu under protection of security forces in a convoy were today being moved towards Kashmir as there was a slight improvement in the weather as the sun appeared in the afternoon.

Arun Manhas, additional district magistrate, Jammu district, told the SNS that about 8000 pilgrims were held up here as the fourth batch of yatris was not allowed to proceed to Srinagar this morning because of bad weather. Proper arrangement for their food and shelter has been made in the Yatri Niwas here.

Police said that several small and major landslides have blocked the highway at many places. Men of the Border Roads Organisation (BRO) were engaged in clearing the highway and other roads. More pilgrims are likely to get stranded here by evening as they would not be allowed to proceed ahead due to bad condition of the highway.

Panic prevailed in Kashmir when the Jhelum crossed the danger mark and other rivulets and streams were also in spate. The authorities sounded a red alert in central Kashmir through which the Jhelum flows. However, the situation eased by afternoon when the water level started receding.

In a jibe at former chief minister Mehbooba Mufti, the vice-president of National Conference Omar Abdullah, tweeted; “What was the PDP-BJP government doing after the devastating floods of 2014? What happened to the dredging of the Jehlum? Why was the carrying capacity of the flood channel not increased? Where did the money go?”

Governor NN Vohra convened an emergency meeting at Raj Bhawan to discuss the flood situation and measures to meet any eventuality. Schools across the valley were shut for a day in view of the inclement weather.

The police announced district-wise emergency telephone numbers for information regarding the flood situation and assistance. The flood level at Ram Munshi Bagh in Srinagar crossed the flood declaration of 18 feet and was flowing at 20.87 feet at 10 am, an official of the Irrigation and Flood Control Department said.

In south Kashmir after the water level crossed the flood declaration level of 21 feet at Sangam in Anantnag district of south Kashmir. Following which the flood alert was sounded.